रूखी के हर कदम के साथ लयबद्ध तरीके से मटकते कूल्हों को और लचकती कमर को.. पीछे से देखता ही रहा पीयूष.. ऐसा रूप उसने जीवन में पहले कभी देखा नहीं था.. वाह.. !! ये तो शीला भाभी से भी बढ़कर है.. इतना सौन्दर्य? इन सब बातों से अनजान रूखी लटक-मटक चलते हुए निकल गई.. उसके जाने के बाद भी पीयूष मूर्ति की तरह दरवाजे पर खड़ा रहा.. उसके पैर फर्श पर जैसे चिपक गए थे.. रूखी के रूप से प्रभावित होकर वो दूध रखने किचन में गया तब कविता जाग गई.. और वो अपने घर चली गई.. सुबह के काम निपटाने.. पीछे पीछे पीयूष भी ताला लगाकर अपने घर गया..
एक ही दिन में कितनी सारी घटनाएं घट गई थी.. !! ऑफिस जाते जाते पीयूष सोच रही थी.. वैशाली के समाचार से उसका पूरा परिवार व्यथित था.. खासकर पीयूष और कविता को काफी सदमा पहुंचा था क्योंकि वो दोनों शीला भाभी और वैशाली के करीब थे.. और पीयूष तो माँ और बेटी दोनों को भोग चुका था.. कविता ने भी शीला भाभी के जिस्म की गर्माहट का लाभ उठाया था.. इसलिए पीयूष और कविता दोनों इस बात को लेकर काफी दुखी थे..
पीयूष के मन में बस एक ही विचार था.. यहाँ बैठे बैठे वो किस तरह शीला भाभी और मदन भैया की मदद करें.. उनके मन की स्थिति कैसी होगी? मदन भैया तो फिर भी अपने आप को संभाल लेंगे.. पर शीला भाभी का पुलिस स्टेशन में क्या हाल हुआ होगा?? उन्हें पुलिस की गंदी गालियां सुननी पड़ी होगी.. किसी ने उन्हें छेड़ा होगा तो.. !! शीला भाभी थी ही इतनी खूबसूरत की देखने वाले को एक पल में उत्तेजित कर दे.. भाभी से किसी ने ज्यादती तो नहीं की होगी?? विचारों में वो कब ऑफिस पहुँच गया उसे पता ही नहीं चला..
ऑफिस में जाते ही वह राजेश सर की केबिन में गया और उन्हें वैशाली के बारे में बताया.. राजेश सर को जबरदस्त धक्का लगा.. माउंट आबू की उस आखिरी मुलाकात के दौरान.. बियर के नशे में वैशाली ने उसे सब कुछ बताया तो था.. पर हालात इतने गंभीर होंगे उसका उसे अंदाजा नहीं लगा था तब.. राजेश ने तुरंत फोन करके रेणुका को ये समाचार दीये..
देखते ही देखते.. पूरी ऑफिस में ये बात फैल गई.. माउंट आबू की ट्रिप के कारण, ऑफिस के सभी कर्मचारी, वैशाली को जानते थे.. सब को इस बात का दुख हुआ.. राजेश सर भी बेहद अपसेट थे.. आबू में जिस तरह उनका कॉलर पकड़कर टॉइलेट के अंदर खींच लिया था.. उस नटखट चंचल वैशाली का चेहरा उनकी आँखों के सामने से हट ही नहीं रहा था.. इतनी अच्छी लड़की के साथ कुदरत ने ऐसा क्यों किया होगा? पति बेकार था इसमें वैशाली का क्या दोष? राजेश के स्टाफ के कर्मचारिओ ने वैशाली की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की और फिर काम पर लग गए..
पूरा दिन पीयूष का मन काम में नहीं लगा.. उदास होकर वो शाम को जब घर पहुंचा तब अनुमौसी ने खुशखबरी दी "वैशाली को होश आ गया है और अब उसकी तबीयत काफी बेहतर है.. मदन और शीला उसे लेकर फ्लाइट से आ रहे है.. बाकी का ट्रीटमेंट यहीं किसी अस्पताल में करवाएंगे.. वहाँ उसे अकेली छोड़ना खतरे से खाली नहीं था.. वो इंस्पेक्टर दोस्त ने सारी जिम्मेदारी ली है और कहा है की पुलिस का सारा मैटर वो संभाल लेंगे.. "
अठारह घंटे के तनाव के बाद पीयूष के दिल को शांति मिली.. उसने तुरंत वैशाली को फोन किया.. वैशाली ज्यादा बात करने की स्थिति में तो नहीं थी.. पर वो ठीक है इतना कहकर उसने फोन रख दिया.. पीयूष से बात कर वैशाली को भी बहोत अच्छा लगा..
रात को शीला भाभी के घर सोने के लिए पीयूष और कविता गए.. मौसी का मन तो बहोत था जाने का पर चिमनलाल की उपस्थिति के कारण वो जा न पाई.. ऐसा मौका हाथ से जाने पर मौसी दुखी थी.. कल तो शीला वापिस आ जाने वाली थी.. आज की रात आखिरी थी.. पर क्या करती?? बिना बैटरी के मोबाइल जैसे चिमनलाल के साथ ही रात गुजारना उनके नसीब में था..
कविता और पीयूष शीला के घर सोने के लिए आए तो थे.. पर अब वैशाली का टेंशन खतम हो जाने से दोनों काफी हल्का महसूस कर रहे थे.. तनाव खतम होते ही कविता का जिस्म लंड लेने के लिए बिलबिलाने लगा.. रात के साढ़े ग्यारह का समय था.. कविता ने पीयूष के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी थी..
पीयूष: "क्या है यार?? बहोत खुजली हो रही है तुझे? इतनी रात को परेशान कर रही है.. !!"
कविता: "अरे जानु.. इतनी सुंदर पत्नी बगल में सो रही हो तब तो तुझे ऐसा सोचना चाहिए की काश.. ये रात खतम ही न हो.. !!"
पीयूष: "बात तो तेरी सही है जानु.. पर ये हमारा बेडरूम नहीं है.. शीला भाभी का है.. तेरी चूत के रस से उनकी चादर खराब करने का हमें कोई हक नहीं है"
कविता: "तो क्या हुआ..!! क्या मदन भैया और शीला भाभी कुछ करते नहीं होंगे?? और चादर को क्या पता की धब्बे शीला भाभी के है या मेरे?"
पीयूष: "अरे पगली.. मदन भैया कितने शौकीन है ये तुझे क्या पता.. घर का ऐसा कोई कोना नहीं होगा जहां उन्हों ने शीला भाभी को चोदा न हो.. पति पत्नी जब अकेले हो तब क्या क्या नहीं करते.. !! ऊपर से जब पत्नी शीला भाभी जैसी रंगीन हो तब तो और मज़ा आता है.. !!"
कविता: "तो क्या मैं रंगीन नहीं हूँ?? शीला भाभी के तारीफ़ों के पूल बांध रहा है.. कभी मेरी भी तारीफ किया कर.. " शीला भाभी की तारीफ सुनकर कविता के मन में ईर्ष्या के भाव जागृत हो गए.. बगल में खुद की बीवी नंगी सोई हो तब मर्द अगर दूसरी औरत की तारीफ करें तो जाहीर सी बात है की उसे बुरा लगेगा.. पर फिलहाल कविता की चूत को पीयूष के लंड का बेसब्री से इंतज़ार था इसलिए उसने ज्यादा नखरे नहीं किए.. अभी नखरे करती तो उसकी चूत भूखी मर जाती.. इसलिए कविता ने पीयूष को.. गिरफ्तार न करते हुए सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया..
पीयूष: "अरे मेरी जान.. तू तो रंगीन है ही.. मैं कहाँ मना कर रहा हूँ.. !! तेरी इस नशीली जवानी के जादू को बयान करने के लिए तो शब्द कम पड़ जाते है.. मेरी रानी.. !!" पुरुष सहज बुद्धि का प्रयोग कर पीयूष ने स्थिति को बिगड़ने से रोक लिया
कविता पीयूष की बातों से और गरम होकर उसकी छाती पर हाथ फेरने लगी.. पतले कपड़े से बने गुलाबी नाइट ड्रेस से झलकता हुआ जोबन.. कटोरी के बीचोंबीच उभरी हुई निप्पल.. और पतली सुंदर जांघों के बीच महक रही चूत.. पीयूष के लंड को नीलाम करने के लिए काफी थे..
कविता: "मदन भैया इतने सेक्सी है क्या.. !! लगते तो बड़े सीधे है.." पीयूष के लंड को पकड़कर उत्तेजना पूर्वक मसलते हुए कविता ने पूछा
अचानक पीयूष की नजर कोने के टेबल पर पड़े लैपटॉप पर गई.. "कोई भी पुरुष कितना सीधा है.. ये अगर जानना हो तो उसका लैपटॉप चेक करना चाहिए..अभी मदन भैया की कुंडली देखकर बताता हूँ"
कविता: "हाँ हाँ.. चेक कर.. देखें तो सही.. भाभी और मदन भैया क्या गुल खिलाते है.. !!" कहते हुए कविता ने पीयूष का लंड छोड़ दिया ताकि वो लैपटॉप तक जा सके
छलांग लगाते हुए पीयूष खड़ा हुआ और लैपटॉप लेकर बेड पर आ गया.. ऑन करते ही लैपटॉप ने पासवर्ड मांगा.. अब क्या करें??
पीयूष लैपटॉप की बेग के अंदर ढूँढने लगा.. एक कार्ड पर नंबर लिखा था 13754.. ये नंबर डालते ही लैपटॉप खुल गया.. !!!
कंप्यूटर को चलाने में पीयूष एक्सपर्ट था.. यहाँ वहाँ ढूँढने से पहले.. उसने "My recent" का फ़ोल्डर ओपन करते ही उसकी आँखों में चमक आ गई.. वहाँ से उन्हों ने एक फ़ोल्डर खोला जिसमे कई देसी व विदेशी नग्न मोडेलों की तस्वीर और अश्लील वीडियोज़ की भरमार थी.. ये सारी फाइल्स को देखते हुए पीयूष की नजर एक फ़ोल्डर पर पड़ी जिसका नाम था "My Videos"..!!
वो फ़ोल्डर खोलते ही पीयूष और कविता दोनों अचरज में डूब गए.. काफी सारी विडिओ क्लिप थी.. एक क्लिप को ओपन करके देखा तो वो मदन की रियल क्लिप थी.. वो किसी फिरंगी औरत के स्तनों से दूध चूस रहा था.. स्तनों को दबा दबाकर उसका दूध अपने लंड पर लगा रहा था.. देखकर कविता के आश्चर्य और उत्तेजना की कोई सीमा न रही.. उसकी चूत में ४४० वॉल्ट का झटका लगा.. मदन का खड़ा हथियार देखकर "आह्ह" कहते हुए वो सिसकने लगी..
"ओ माँ.. बाप रे.. !!" कविता मदन को लंड हिलाता देख शर्म से पानी पानी हो गई.. उसकी नजर मदन के लंड से हट ही नहीं रही थी.. गला सूखने लगा था उसका.. पीयूष को पता चल गया की कविता की हालत ऐसी क्यों हो रही थी.. क्यों की जब शीला भाभी ने उसका लंड पकड़कर चूसा था तब उसकी भी हालत कुछ ऐसी ही हो गई थी..
उस गोरी अंग्रेज औरत और मदन दोनों विडिओ में नंगे थे.. पीयूष ने ढेर सारी ब्लू फिल्मों में विदेशी लड़कियों और औरतों को देखा था.. और जानता था की वे सब प्रोफेशनल और प्रशिक्षित होती है.. और उनके जिस्म के अंगों में सच्चाई कम और सिलिकॉन ज्यादा होता है.. पहली दफा वास्तविक बने विडिओ में अंग्रेज स्त्री के शरीर को देख रहा था.. तो दूसरी तरफ कविता मदन के जानदार लंड को टकटकी लगाकर देख रही थी.. वो अंग्रेज औरत इंग्लिश में कुछ बोल रही थी.. पर धीमी आवाज के कारण कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.. ये औरत कौन होगी यह पीयूष सोचता रहा और उसकी नजाकत, अंगभंगिमा और गदराया सौन्दर्य देख रहा था..
"आह्ह पीयूष.. बहुत हुआ.. अब कुछ कर.. मुझसे तो रहा ही नहीं जाता.. ये सब देखकर मेरी हालत खराब हो रही है.. " अपनी चूत की गर्मी सहन न होने पर कविता ने विनती की..
"मुझे भी लगता है की विडिओ देखकर ही झड़ जाएगा.. कविता.. प्लीज यार.. मुंह में लेकर चूस दे एक बार.. देख ना.. ये औरत भी मदन भैया का कैसे चूस रही है.. !!" विडिओ में वो अंग्रेज औरत मदन का लंड पूरी तन्मयता और उत्तेजना से चूस रही थी.. साथ ही अपनी चूत में दो उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर कर रही थी.. ये देखकर पीयूष ने कविता के दोनों बॉल दबाते हुए कहा "यह फिरंगी लोग अपनी हवस शांत करने के लिए कितने प्रयत्नशील होते है.. और यहाँ की औरतें.. शर्म का चोला उतारती ही नहीं.. और फिर जीवन भर तड़पती रहती है"
"तू अपना उपदेश बाद में देना.. " पीयूष की गोद से लैपटॉप हटाकर कविता खुद बैठ गई.. हाथ से पीयूष का लोडा पकड़कर अपनी चूत के मध्य में सेट करते हुए उसने अपना सारा वज़न रख दिया.. पहले से द्रवित हो चुकी बुर ने एक ही पल में पूरा लोडा गटक लिया.. लंड के घर्षण से कविता की चूत में खलबली मच गई.. और अपना द्रव्य छोड़ने लगी.. उस अमृत रस को पीकर पीयूष का लोंडा भी तरोताजा हो गया
दोनों उसी अवस्था में अपने गुप्तांगों के घर्षण का आनंद ले रहे थे तभी उनकी नजर बगल में पड़े लैपटॉप के स्क्रीन पर गई.. मदन उस फिरंगी औरत की चूत की परतों को अपनी उंगलियों से चौड़ा कर चाट रहा था.. क्लीन शेव गुलाबी गोरी चूत पर झांट का एक बाल न था.. देखते ही चाटने का मन करें ऐसी लुभावनी चूत थी.. और बीच का गुलाबी छेद.. आहाहाहा.. देखकर पीयूष और कविता की उत्तेजना दोगुनी हो गई.. हल्के हल्के पतवार मारते हुए कविता अपने स्तनों को पीयूष की छाती से रगड़ रही थी.. और साथ ही उसके गाल और होंठों को चूम रही थी
धीरे धीरे अपनी नाव चलाते हुए वह बोली "पीयूष, ये औरत कौन होगी? जिसके साथ मदन भैया इतने मशरूफ़ होकर सेक्स कर रहे है? देखकर तो लगता है की ये कोई रांड तो नहीं है.. और दोनों एक दूसरे को अच्छे से जानते है.. माहोल भी किसी घर का ही लग रहा है.. " कविता ने पूछा.. पर इसका जवाब तो पीयूष के पास भी नहीं था
कविता के दोनों उरोजों को हल्के हल्के प्यार से मसाज करते हुए उसकी निप्पल खींचकर पीयूष ने कहा "क्या पता.. मैं भी वही सोच रहा था.. मदन भैया जिस तरह उसे भोग रहे है.. दोनों में जान पहचान तो होगी ही.. "
कविता: "पीयूष, तूने देखा?? उस औरत की छाती से तो दूध भी निकल रहा है.. मतलब उसे बच्चा होगा.. और डिलीवरी को भी ज्यादा समय नहीं हुआ होगा.. मतलब उसका पति भी होगा.. कहीं मदन भैया ने वहाँ जाकर दूसरी शादी तो नहीं कर ली इसके साथ?? और हो सकता है की वो बच्चा मदन भैया का ही हो.. !!" उस संभावना को सोचकर ही कविता कांप उठी
एक स्त्री कितना कुछ सोच सकती है.. !! कौन कहता है की औरतों की अक्ल उनके घुटनों पर होती है.. !! मर्दों से तो कई ज्यादा बुद्धि होती है औरतों में.. पर पुरुषों को इसका ज्ञान नहीं होता..
कविता की बात सुनकर पीयूष भी सोच में पड़ गया.. कविता की बात में दम था.. बड़ी तथ्यपूर्ण बात की थी उसने.. जरूर ऐसा हो सकता था
"नहीं यार.. ऐसा नहीं होगा.. मदन भैया दो सालों के लिए ही तो गए थे वहाँ.. इस दौरान इतना सब कुछ कैसे हो सकता है.. !! हो सकता है की दोनों के बीच नाजायज संबंध हो.. इतने लंबे समय तक बिना सेक्स के रहना तो असंभव सा है.. मदन भैया की भी जरूरतें होंगी.. और कविता.. तुम औरतों जितना धैर्य और सहनशक्ति मर्दों की नहीं होती.. अपनी बीवी को वफादार पति भी सुंदर लड़की देखकर पसीज जाता है.. अब तू ही सोच.. दो सालों तक मदन भैया बिना सेक्स के गुजार रहे हो.. तभी कोई स्लीवलेस टाइट टॉप पहनकर.. बड़े बड़े स्तन दिखाते हुए उनके सामने आ जाएँ.. तो वो बेचारे कैसे अपने आप को रोक पाएं.. !! और वैसे भी विदेश में सेक्स को लेकर काफी मुक्त विचारधारा होती है.. हो सकता है की वो स्त्री विधवा हो..या फिर तलाकशुदा.. विदेश में तो सिंगल मधर का भी काफी चलन है.. अगर हकीकत में मदन भैया ने उससे शादी कर ली होती तो क्या वो उन्हें भारत लौटने देती?" पीयूष ने अपना तर्क प्रस्तुत किया
अपनी कमर को हिलाते हुए पीयूष के लंड पर सवारी करती कविता ध्यान से पीयूष की बात सुन रही थी..
दोनों चोद रहे थे और बातें कर रहे थे.. पर ध्यान तो लैपटॉप की स्क्रीन पर ही था.. तभी पीयूष ने अपना मोबाइल उठाया और मदन के लैपटॉप का पासवर्ड सेव कर लिया..
स्क्रीन पर मदन और वो औरत हंसकर बातें कर रहे थे और एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे.. वो स्त्री कुछ बोल रही थी.. लगभग पाँच मिनट तक दोनों की बातें चलती रही.. उस दौरान मदन ने उस औरत के स्तनों के बीच अपने लंड को दबाकर उन्हें चोदना शुरू कर दिया..
पीयूष: "कविता.. यार ये विडिओ मेरे मोबाइल में सेव कर ले तो कैसा रहेगा.. !! फिर घर जाकर.. इयरफोन लगाकर हम इनकी बातें सुन पाएंगे.. हो सकता है की इनकी बातें सुनकर.. इनके संबंधों के बारे में कुछ पता चल जाए.. " पीयूष का ध्यान अब कविता को चोदने में काम और स्क्रीन पर ज्यादा था..
कविता ने थोड़ी सी नाराजगी के साथ कहा "ऐसा भी हो सकता है की उस फिरंगी औरत का पति चोदने में कम और कंप्यूटर पर क्लिप्स देखने में ज्यादा ध्यान देता होगा.. तभी वो मदन भैया के साथ ये सब कर रही होगी" पीयूष कविता की बात का कटाक्ष समझ गया.. और वैसे भी.. क्लिप को मोबाइल में ट्रांसफ़र करने के लिए केबल नहीं था.. इसलिए उसने लैपटॉप से ध्यान हटाकर कविता को ऑर्गजम देने पर ध्यान केंद्रित किया..
कविता तो पहले से ही गरमाई हुई थी.. मदन के लंड को देखकर वो और ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी.. मदन उस औरत के जिस्म से अपने मर्दाना शरीर को कामुकता पूर्वक रगड़ रहा था.. स्तनों के बीच से लंड हटाकर अब उसने अपना लाल सुपाडा उस फिरंगी के भोसड़े में डालकर धक्के लगाने शुरू कर दीये थे.. उस औरत का चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था.. और साथ ही कविता ने भी लंड पर कूदने की गति बढ़ा दी थी..
उसकी हर उछाल के साथ स्तन भी उछल रहे थे.. पीयूष के लंड को कविता की चूत की मांसपेशियों ने इतनी मजबूती से जकड़ रखा था.. की शीला के बेडरूम में एक साथ चार चार ऑर्गजम हो गए.. कविता और पीयूष के साथ साथ.. स्क्रीन पर मदन और वो औरत भी झड़ चुके थे.. साथ ही लैपटॉप की बैटरी भी डिस्चार्ज होने से स्क्रीन भी बंद हो चुका था.. कविता के स्तन पीयूष की छाती से दबकर चपटे हो गए.. कविता को बाहों में भरते हुए पीयूष अपनी साँसों को नॉर्मल होने का इंतज़ार करने लगा.. उसका लंड अभी भी कविता की चूत में फंसा हुआ था.. आधे घंटे तक उसी अवस्था में पड़े रहने के बाद.. कविता धीरे से पीयूष के ऊपर से उतरी और बगल में लेट गई.. पिचक कर पीयूष का लंड बाहर निकल गया.. वीर्य और चूत रस से लसलसित लोडा उसके आँड पर मृत होकर गिर गया..
इतनी थकान के बाद पीयूष को नींद आ जानी चाहिए थी.. पर बगल में पड़ा लैपटॉप.. और उसके अंदर की स्फोटक सामग्री ने उसकी नींद उड़ा रखी थी.. पर मदन भैया और उनका परिवार कभी आ सकते थे.. ऐसी स्थिति में ज्यादा पड़ताल करने में खतरा था.. पीयूष बेड से उठा.. लैपटॉप को टेबल पर रखकर उसका चार्जर लगाया.. फिर शट डाउन करने से पहले उसने ध्यान से देख लिया की वो क्लिप कहाँ पर सेव थी.. लैपटॉप को ज्यों का त्यों रखकर वो सो गया..