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राजेश सर की इनोवा में, कविता, पिंटू, वैशाली और पीयूष बैठे हुए थे.. पीयूष के दोस्त की कार में मदन, शीला, रेणुका और राजेश थे.. !!
पूरे रास्ते में सब ने बातें करते हुए बहोत मजे किए.. ये ट्रिप, वैशाली के लिए बड़ी ही यादगार थी.. पिंटू से करीबी होते ही वो संजय की कड़वी यादों को भुला रही थी..
मदन और राजेश की बीच भी अच्छी मित्रता हो गई थी.. रात को हाइवे की एक होटल में डिनर के लिए जब दोनों गाड़ियां रुकी.. तब शीला को अपने दामाद संजय और हाफ़िज़ के संग गुजारे हनीमून की याद आ गई.. संजय, हाफ़िज़, जॉन और चार्ली की याद आते ही शीला का भोसड़ा चुनमुनाने लगा..
सब लोग रेस्टोरेंट की तरफ जा रहे थे तब शीला, रेणुका को लेकर टॉइलेट की तरफ गई.. शीला और रेणुका तो पहले से ही बहोत अच्छी सखियाँ थी.. बाथरूम की तरफ जाते हुए, शीला ने अपनी बातों से रेणुका को भी बेहद गरम कर दिया.. उसने गोवा की ट्रिप के बारे में बताया.. पर ये नहीं बताया की वो अपने दामाद के साथ गई थी.. गोवा में कैसे उसने अंग्रेज जॉन का लंड लिया था.. रास्ते में कैसे कार के ड्राइवर ने उसके बबले दबाए थे.. और फिर ऐसी ही एक होटल के बाहर.. अंधेरे में कैसे उसने बाहर चुदवाया था..
मिर्च-मसाला लगाकर उसने सारी बातें रेणुका को बताई.. रेणुका की हालत खराब हो गई, ये सब सुनकर.. !! उसकी दोनों आँखों से हवस टपकने लगी.. !! शीला देखकर ही समझ गई की रेणुका को लंड की भूख सता रही थी.. टॉइलेट में दोनों अलग अलग क्यूबिकल में पेशाब करके बाहर निकली.. वॉशबेज़ीन में रेणुका जब झुककर अपने हाथ धो रही थी.. तब उसके पल्लू के नीचे से.. काँखों की बगल में.. उसके स्तन लटकते हुए नजर आने लगे..
लेडीज टॉइलेट में उन दोनों के अलावा और कोई नहीं था.. शीला भी बहोत उत्तेजित थी.. वो रेणुका के पीछे खड़ी हो गई और अपनी चूत को उसके चूतड़ों पर दबाकर.. दोनों हाथ आगे ले गई.. और उसके दोनों स्तनों को ब्लाउस के अंदर हाथ डालते हुए सख्ती से पकड़ लिए..!! और उसकी निप्पलों को मसलते हुए, मर्द की तरह धक्के लगाने लगी..
अपने हाथ धोकर, रेणुका खड़ी हुई और हाथ पोंछे तब तक शीला उसकी गर्दन पर जीभ फेरते हुए चाटकर उसे उत्तेजित करने लगी थी.. वो शीला की तरफ मुड़ी.. और उसके गदराए जिस्म को बाहों मे भरकर उसके होंठों पर रेणुका ने एक उत्तेजक चुंबन कर दिया... शीला के आवेग भरे आक्रमण के आगे रेणुका ज्यादा देर तक खुद को संभाल नहीं पाई.. और शीला के थूक को चाटते चाटते वो अपनी जीभ को अंदर डाल डालकर चूसने लगी.. दोनों के बड़े बड़े स्तन, एकाकार हो गए थे.. !!
रेणुका: "यार, पहले तो तूने मुझे अपनी बातों से गरम कर दिया.. और अब अपनी इन हरकतों से बेकाबू कर रही है.. !! इरादा क्या है तेरा शीला?? तुझे पता तो है की यहाँ पर कुछ भी ज्यादा कर पाना मुमकिन नहीं है.. !! फिर क्यों उकसा रही है मुझे??"
रेणुका के दोनों बबलों को हाथों से मसलते हुए शीला ने कहा "यार, मुझसे रहा ही नहीं गया.. तू अपने आप पर काबू कर सकती है.. पर मुझे तो एक बार लंड की तलब लग जाएँ फिर मैं कंट्रोल नहीं कर सकती.. मुझे लंड चाहिए ही चाहिए.. !! कैसे भी करके मुझे चुदवाना पड़ेगा.. !! देख तो.. नीचे क्या हालत हो रही है यार.. !!" रेणुका का हाथ पकड़कर अपने घाघरे के नीचे डालते हुए.. पेन्टी के अंदर.. अपनी रस से लसलसित भोसड़े पर दबा दिया..
रेणुका: "हाँ यार.. नीचे तो बवाल मचा हुआ है तेरे.. मेरा भी हाल कुछ ऐसा ही हो रहा है.. पर अब क्या करें?? यहाँ लंड कहाँ से लाएं??"
शीला: "अब तो और क्या हो सकता है.. !! तू तो घर जाकर.. बड़ी मस्ती से... टांगें फैलाकर.. राजेश के लंड से मस्त होकर चुदवा लेगी.. मुझे तो वैशाली के कारण बहोत कंट्रोल में रहना पड़ता है.. अपने आप को रोकते हुए चुदवाना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता.. अपनी आवाज को रोककर रखना पड़ता है.. कहीं वैशाली सुन न ले.. ऐसे में कहाँ मज़ा आएगा..!! एक काम करते है रेणु.. !!"
शीला के रसद्रवित भोसड़े में तीन तीन उँगलियाँ एक साथ अंदर बाहर करते हुए रेणुका ने कहा "हाँ हाँ .. बोल ना.. !!"
"खाना खाकर.. जब हम वापिस गाड़ी में बैठें.. तब तू पहले से ही राजेश के साथ आगे बैठ जाना.. मैं मदन के साथ पीछे बैठ जाऊँगी.. अंदर तो ले नहीं पाऊँगी.. पर मदन के हाथों मूठ मरवा लूँगी.. !! वो बॉल दबाते दबाते उंगली डालेगा तो मैं जल्दी फ्रेश हो जाऊँगी.. जब पूरी थाली नसीब न हो तब नाश्ते से ही काम चलाना पड़ता है..!!"
रेणुका: "कार में?? राजेश की मौजूदगी में तुझे शर्म नहीं आएगी??"
शीला: "उसका सारा ध्यान तो ड्राइविंग में ही होगा.. तुझे एक और काम करना होगा.. पास बैठे बैठे.. तू राजेश के साथ छेड़खानियाँ करती रहना.. मर्दों को ऐसा सब बहोत पसंद होता है.. तू चुपके से अंधेरे में उसके लंड पर हाथ रखकर सहलाते रहना.. उसका ध्यान फिर कहीं और भटकेगा ही नहीं.. और तुम दोनों की हरकतें देखकर, फिर हम दोनों शुरू हो जाएंगे.. !! जब हमाम में सब नंगे हो फिर भला शर्म कैसी??"
रेणुका: "साली, तू एक नंबर की शातिर है.. !!"
शीला: "और हाँ.. सिर्फ ऊपर ऊपर से ही मत सहलाना.. चैन खोलकर बाहर भी निकालना.. मैं भी तो देखूँ.. किस लंड से तू रोज चुदवाती है.. इसी बहाने राजेश का लंड देखने मिल जाएगा"
रेणुका: "सिर्फ देखने में क्या मज़ा आएगा तुझे.. !! मेरे पति का लंड देखकर तुझे कहाँ संतोष होने वाला है.. !! ये तो ऐसी चीज है जिसे देखकर बेचैनी और बढ़ जाती है.. शीला, अगर सही में मजे करने हो तो.. तू राजेश के साथ बैठ और मैं मदन के साथ बैठती हूँ.. जस्ट फॉर चेंज.. मज़ा आएगा"
हवसखोर शीला, रेणुका की यह बात सुनकर एकदम बेकाबू हो गई
"ओह्ह रेणुका.. ये तूने क्या कह दिया??? मेरा और मदन का बहोत पुराना सपना है.. पार्टनर बदल कर सेक्स करने का.. पर वो आज तक पूरा नहीं हुआ है.." शीला ने सिसकते हुए कहा.. रेणुका के हाथ को अपने भोसड़े पर और सख्ती से दबा दिया उसने
रेणुका: "क्या सच में?? हम दोनों भी ऐसे मौके की तलाश में है.. असल में.. राजेश के कॉन्टेक्ट में एक कपल है.. जो पार्टनर चेंज करने के लिए राजी है.. पर वो लोग बहोत घबरा रहे है.. इसलिए अबतक मिलना नहीं हुआ.. वेबसाइट पर कॉन्टेक्ट हुआ है.. वो लोग रोज मेसेज भेजते है.. राजेश बता रहा था की उस वेबसाइट पर ऐसे पचास से ज्यादा जोड़ों का ग्रुप है.. जो आपस में पार्टनर बदलते रहते है.. यार, मुझे तो सुनकर ही ऐसा मज़ा आ गया था.. पर अब तक कुछ हो नहीं पाया यार.. !!"
शीला: "ओह्ह रेणुका.. तू ऐसी सब बातें मत कर.. आह्ह.. तू एक काम कर.. राजेश को कोने में ले जाकर बता दे.. की वो मेरे साथ ही बैठें.. और वो निःसंकोच होकर मेरे बबले दबाएं.. और उसे जो मर्जी कर्रे मेरे साथ.. मुझे बुरा नहीं लगेगा.. मैं मदन को तैयार करती हूँ.. हम कार में ही पार्टनर बदल लेते है.. मस्त सेटिंग हो जाएगा.. !! अगर राजेश भी मेरे और मदन जैसा खुले विचारों वाला हो तो.. हम एक कमरे में ही ग्रुप सेक्स का सेटिंग कर सकते है.. "
रेणुका: "हाँ यार.. राजेश को वैसे तो कोई प्रॉब्लेम नहीं होना चाहिए.. तभी तो वो उस वेबसाइट पर कपल ढूंढ रहा था.. पर अनजाने लोगों के साथ यह सब करने में बड़ा जोखिम होता है.. इसलिए वो भी थोड़ा सा झिझक रहा था"
शीला: "हाँ, वो तो है.. पर हमारे साथ तो ये प्रॉब्लेम भी नहीं होगा.. किसी को कानोंकान खबर भी नहीं लगेगी.. चल अब चलते है.. कहीं कोई आ गया तो तकलीफ हो जाएगी"
रेणुका: "एक मिनट रुक जा शीला.. मेरे दिमाग में ओर एक आइडिया आ रहा है"
शीला: "अरे यार, जल्दी चल.. सब इंतज़ार कर रहे होंगे हमारा.. जाते जाते बताना तेरा आइडिया.. !!"
रेणुका ने शीला की चूत से उँगलियाँ बाहर निकाली और हाथ धो लिए.. दोनों टॉइलेट से बाहर निकली.. मदन और राजेश बातें कर रहे थे.. वैशाली और कविता भी बातों में उलझी हुई थी.. पीयूष अपने मोबाइल पर लगा हुआ था
चलते चलते शीला ने पूछा "अब बोल, क्या बता रही थी तू?"
रेणुका: "मैं ये सोच रही थी.. हम अभी अपने मर्दों को इस बारे में कुछ नहीं बताएंगे.. हम ऐसे पेश आएंगे जैसे हम खुद ही एक दूसरे के पतिओ को पटा रहे है.. उन्हें बिना कुछ कहें"
शीला: "कार में ये सब कैसे करेंगे?? उससे अच्छा तो बता कर ही करते है"
रेणुका: "मैं जैसे कह रही हूँ वैसा कर.. हम फिलहाल अपने अपने पार्टनर के साथ ही बैठेंगे"
शीला: "ठीक है यार.. जैसा तू कहें.. पर एक दूसरे के पति के साथ बातें तो कर सकते है ना.. !!"
रेणुका: "हाँ कर सकते है.. पर सिर्फ बातें ही करनी है अभी के लिए.. बाकी सब छुप छुपकर करना होगा.. कल से हम फोन पर शुरू करेंगे.. तू राजेश को फोन करना और मैं मदन को फोन करूंगी.. हम दोनों आपस में एक दूसरे को सब बता देंगे.. पर अपने पति को कुछ नहीं बताएंगे.. फिर देखते है.. हमारे मर्द कैसे पेश आते है"
शीला: "यार, गजब का आइडिया सोचा है तूने.. मतलब अब इस उम्र में हमें फ्लर्ट करना होगा.. वो भी एक दूसरे के पति के साथ.. !!"
रेणुका: "अरे यार, फ्लर्ट करने के लिए कोई उम्र थोड़े ही होती है.. !! वो तो कभी भी कर सकते है"
दोनों चलते चलते टेबल के पास आई.. अपने अपने पति के पास बैठ गई.. थोड़ी देर के बाद.. शीला ने कहा "यार यहाँ कोने में मुझे घुटन हो रही है.. रेणुका, तुझे प्रॉब्लेम न हो तो तू यहाँ बैठ जाएगी?" रेणुका तुरंत ही उठ खड़ी हुई और मदन के पास बैठ गई.. मुसकुराते हुए शीला राजेश के पास आकर बैठ गई
पीयूष, कविता, पिंटू और वैशाली एक टेबल पर थोड़े दूर बैठे थे.. उन्हें इन चारों में कोई दिलचस्पी नहीं थी.. कविता को जरा सा भी अंदाजा नहीं था की उसके प्रेमी पिंटू के प्रति, वैशाली आकर्षित हो चुकी थी.. आपस में बातें करते हुए, वैशाली और पिंटू और करीब आते जा रहे थे.. अठारह बीस साल की लड़की, लड़कों के दिखावे से आकर्षित होती थी.. पर तीस की उम्र पार कर चुकी लड़कियां, लड़के के विचार, सद्गुण और सलामती देखकर आकर्षित होती है..
राजेश: "ये तो आप दोनों ने अदला-बदली कर दी.. मेरे साथ शीला जी और मदन के साथ रेणुका.. हा हा हा हा"
रेणुका ने शर्म के मारे आँखें झुका दी..
राजेश: "अरे, मैं तो मज़ाक कर रहा था"
शैतानी मुस्कान के साथ शीला ने कहा "अच्छा मज़ाक था.. !!"
मदन ने चोंककर रेणुका के सामने देखा.. वो कनखियों से मदन को देख रही थी.. उसने अपनी नजरें फेर ली.. और खाना खाने पर ध्यान केंद्रित किया
खाना खाकर सब वापिस अपनी गाड़ियों में बैठ गए.. पीयूष की गाड़ी आगे जाने दी और मदन ड्राइविंग सीट पर बैठ गया..
रेणुका: "अरे राजेश, मदन कब से गाड़ी चला रहा है.. थक गया होगा.. थोड़ी देर तू गाड़ी चला ले"
राजेश" "मैं बस बोलने ही वाला था.. मैं चला लेता हूँ.. !!"
मदन को रेणुका की ये बात बहोत अच्छी लगी "थेंकस रेणुका.. मैं वाकई थक चुका हूँ"
राजेश ड्राइवर सीट पर बैठ गया और रेणुका उसके साथ.. शीला और मदन पीछे की सीट पर बैठ गए
जैसे ही गाड़ी चली.. शीला ने मदन की जांघों पर हाथ रख दिया.. और मदन के सामने देखकर, शैतानी भरी मुस्कान देते हुए आँख मारी.. धीरे से उसके लंड को सहला रही शीला का हाथ पकड़कर मदन ने उसके कान में कहा "यार, क्यों सो रहे सांप को जगा रही है?? ये जाग गया तो फिर शिकार मांगेगा.. "
शीला ने मदन के कान मे कहा "तेरे सांप में अब शिकार करने का दम ही कहाँ है.. !!"
शीला इतनी उत्तेजित थी की उसने मदन की मर्दानगी को ही ललकार दिया.. जब भी उसका भरपूर चुदाई का मन हो तब वो मदन को ऐसा ही कुछ बोलकर उकसाती.. और फिर मदन उसे बेरहमी से चोद देता.. !!
शीला की आँखों से टपकती वासना को देखकर मदन सोच में पड़ गया.. ये साली इस समय गरमाए बैठी हुई है?? यहाँ गाड़ी में, राजेश और रेणुका की मौजूदगी में.. इसे कैसे शांत करूँ.. !!
शीला: "बहोत गर्मी हो रही है यार.. रेणुका, जरा एसी तेज कर दे"
रेणुका ने मुसकुराते हुए कहा "अब तुझे इस उम्र में बड़ी गर्मी चढ़ रही है.. !! देखना.. कहीं घर जाकर मदन को अपनी आग में मत झोंक देना.. तेरी आग के बारे में, मैं अच्छे से जानती हूँ.. एसी की हवा से शांत नहीं होने वाली तू"
शीला: "चुप कर बदमाश.. कुछ भी बोलती रहती है.. वैसे गर्मी तो तेरे अंदर भी कुछ कम नहीं है.. अच्छे अच्छों को पिघलाने का हुनर है तुझ में.. !!"
रेणुका: "अब वो तो महसूस करने वाले को पता.. की मेरे अंदर कितनी गर्मी है.. पर हम भी अपनी गर्मी उन्हीं को दिखाते है जिसमे इस गर्मी को शांत करने की ताकत हो"
रेणुका और शीला, जान बूझकर खुलकर बातें कर रही थी.. उनकी बातें सुनकर मदन और राजेश को भी थोड़ा सा ताज्जुब हुआ.. धीरे धीरे दोनों ज्यादा से ज्यादा खुलने लगी..
ब्लाउस से एक स्तन बाहर निकालकर, ड्राइव कर रहे राजेश का हाथ खींचकर, उसपर रख दिया रेणुका ने.. टाइट ब्लाउस से पूरा स्तन तो बाहर नहीं निकाल पाई.. पर आधे स्तन की उभरी हुई निप्पल पर वो राजेश की हथेली को रगड़ने लगी.. इस हरकत से.. और रेणुका तथा शीला की उत्तेजक बातें सुनकर.. राजेश का लंड पतलून में तंबू बनाकर खड़ा हो गया
रेणुका राजेश का लंड बाहर निकालना चाहती थी.. पर उसके पेंट की चैन खुल ही नहीं रही थी.. शीला की बातें सुनकर राजेश का लंड इतना सख्त होकर अंदर से दबाव बना रहा था की चैन खुलने ही नहीं दे रहा था.. रेणुका ऊपर ऊपर से ही.. उस कचौड़ी जैसे फुले हुए हिस्से को सहलाने लगी.. आखिर राजेश ने ही रेणुका का काम आसान करने के लिए.. अपने पेंट का एक बटन खोल दिया.. बटन खुलते ही.. आधी चैन अपने आप खुल गई.. वी शैप की अन्डरवेर के साइड से सख्त लोडे को बाहर निकालकर, राजेश ने रेणुका के हाथों में सौंप दिया.. जिसे पकड़ते ही रेणुका की आह्ह निकल गई..
रेणुका ने अपना चेहरा राजेश के कान के करीब लाकर.. बिल्कुल धीमे से कहा "माय गॉड.. ये क्या है राजेश!! इतना टाइट तो आज तक कभी नहीं हुआ.. मैं नंगी होकर अपनी चूत फैलाकर तेरे मुंह पर रख देती हूँ तब भी इतना कडक नहीं होता है.. " रेणुका की इन हरकतों को देखकर शीला समझ गई की राजेश का लंड बाहर निकल चुका है.. मदन की मौजूदगी की जरा भी परवाह किए बगैर, शीला ने थोड़ा सा आगे आकर रेणुका के हाथ में जकड़े राजेश के लंड को देखा..
मदन: "क्या देख रही है शीला? शर्म नहीं आती तुझे?"
शीला ने बेधड़क होकर कहा "अच्छा.. अभी तू साइड से.. रेणुका के स्तन को देख रहा था.. तब तुझे शर्म नहीं आई थी?"
शीला ने मदन का लंड बाहर निकाला और झुककर चूसने लगी.. मदन की आँखें बंद हो गई.. शीला के कामुक होंठों ने लंड के इर्दगिर्द ऐसी पकड़ बना ली थी की वो अपने आपे से बाहर हो रहा था.. अपनी जीभ से शीला ऐसा कमाल कर रही थी की मदन से रहा नहीं जा रहा था.. ये तो मदन था जो शीला की इस कामुक चुसाई को बर्दाश्त कर पा रहा था.. और कोई होता तो उसके लंड ने कब का इस्तीफा दे दिया होता.. !!
मदन ने शीला के सर को पकड़े रखा था.. जब वो लंड अंदर लेने के लिए झुकती तब वो अपनी गांड उठाकर उसके मुंह में अंदर तक अपना लंड पेल देता.. शीला के मुंह से विचित्र आवाज़ें निकल रही थी.. शीला जान बूझकर ज्यादा आवाज़ें कर रही थी.. वो चाहती थी की रेणुका और राजेश उसकी आवाजों को सुने.. पर मदन को बहोत शर्म आ रही थी.. शीला और रेणुका एक दूसरे के सामने देखते हुए बार बार हंस रही थी..
राजेश ने पीछे देखते हुए कहा : "अरे क्या हो रहा है पीछे?" राजेश को अंदाजा तो लग गया था पर फिर भी उसने पूछा
मदन ने आगे की सीट पर बैठे राजेश के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "भाई, कुछ नहीं हो रहा है.. तुम अपना ध्यान ड्राइव करने पर ही रखो..वरना एक्सीडेंट हो जाएगा"
हँसते हुए राजेश ने ड्राइविंग पर ध्यान केंद्रित किया.. पर रेणुका को मदन कैसे रोकता?? वो तो पीछे देखने लगी.. झुकी हुई शीला को..
मदन ने शरमाते हुए कहा "वो जरा शीला सफर के कारण थक गई है इसलिए मेरी गोद में सो रही है.. थोड़ा सा वॉमीट जैसा हो रहा है उसे इसलिए ऐसी आवाज़ें निकाल रही है" वैसे रेणुका को पता ही था की शीला क्या कर रही थी..
रेणुका: "अच्छा.. ?? मुझे तो ऐसी आवाज़ें आई जैसे कोई कुल्फी चूस रहा हो"
राजेश: "कहीं कोई गुड न्यूज़ तो नहीं है ना शीला भाभी..!! मदन, हम सब का मुंह मीठा करवाना पड़ेगा.. इस बार तो पक्का लड़का ही होगा..!!" उसने हँसते हँसते कहा
मदन: "क्या राजेश तू भी?? इस उम्र में अगर तुझे मिठाई खानी हो तो मुझे किसी 20 साल की लड़की से ब्याहना पड़ेगा.. मेरी तलवार में तो अब भी वार करने की ताकत है.. पर तेरी भाभी की म्यान सूख चुकी है.. !!"
अपना सिर ऊपर नीचे करते हुए मदन के लंड को चूस रही शीला को रेणुका देखती ही रही.. मदन शर्म से पानी पानी हो रहा था.. रेणुका ने राजेश के लंड को अपनी मुठ्ठी में दबाकर हिलाते हुए शीला को देखने के लिए पलटी.. तब उसका खुला हुआ गोरा स्तन, मदन की आँखों के बिल्कुल सामने आ गया.. मदन को अपने बबले को तांकते हुए देखकर.. रेणुका ने बिना शरमाये, राजेश के गाल पर किस कर दिया.. और मदन की तरफ देखकर उसे आँख मारी.. और कहा.. "आप दोनों इतना सब कर सकते हो तो हम इतना तो कर ही सकते है ना.. !!" इतनी मादक आवाज में रेणुका ने आमंत्रण भरी आँखों से मदन की ओर देखकर कहा
मदन: "आप को जो करना हो कर सकते हो.. मैंने कब मना किया.. ?? अगर आप को भी वॉमीट होने जैसा हो रहा हो तो आप भी गोद में सो जाइए.. जो करना हो कीजिए.. बस पीछे मत देखिए"
रेणुका : "एक बार शीला का हो जाने दो.. फिर सोचती हूँ"
मदन चोंक गया "मतलब?? मैं मेरी गोद में सुलाने की बात नहीं कर रहा हूँ.. क्या आप भी!!!"
राजेश ड्राइविंग करते करते इन सारी बातों का मज़ा ले रहा था
मदन की गोद में मुंह डालकर चूस रही शीला ने मुंह से लंड निकाला और कहा "मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है रेणुका.. तू मदन की गोद में मुंह डालेगी तो मैं भी राजेश की गोद में मुंह डाल दूँगी" इतना कहकर शीला फिर से मदन का लंड चूसने में मशरूफ़ हो गई..
रेणुका को महसूस हुआ.. की जब शीला ने राजेश की गोद में जाने की बात खी.. तब राजेश का लंड और कडा हो गया.. वो इस बारे में राजेश के कान में कुछ कहने ही वाली थी.. चेहरा उसके कान के करीब ले जाकर वो कुछ कहती.. उससे पहले ही मदन ने पीछे से रेणुका के गोरे चिकने गाल पर एक हल्की सी पप्पी कर दी.. रेणुका का पूरा शरीर सिहरने लगा.. सिर्फ आधी सेकंड में ये हो गया.. राजेश और शीला को तो इसके बारे में पता तक नहीं चला क्योंकि राजेश आगे बैठा था और शीला का चेहरा नीचे था.. रेणुका के जिस्म में रोमांच और उत्तेजना की एक लहर सी दौड़ गई.. अपने पति की मौजूदगी में किसी गैर मर्द से चूमे जाने का विचार भी रोमांचित कर देता है..
जैसे कुछ न हुआ हो वैसे रेणुका राजेश के लंड से खेलती रही..
पीछे की सीट पर मदन का पूरा शरीर तंग हो गया.. शीला मुंह से लंड निकालकर उठ गई.. और अपनी टांगों के बीच हाथ डालकर उसने पेन्टी उतारकर पर्स में रख दी.. फिर दोनों हाथों से उसने अपना घाघरा उठाया.. और अपनी नंगी चूत को खुद ही सहलाने लगी.. पूरी कार में शीला के भोसड़े की मादक गंध फैल गई.. आगे की सीट पर बैठा राजेश भी समझ गया की पीछे क्या हो रहा था..
राजेश ने रेणुका से कहा : "अरे यार.. ठीक से बबले बाहर निकाल.. इस तरह आधे आधे में कुछ मज़ा नहीं आ रहा.. पीछे देखकर कुछ तो सीख.. !!"
रेणुका ने तुरंत अपने ब्लाउस के तमाम हुक खोल दीये.. और अपने दोनों खरगोशों को खोल दिया.. "पहले से बोलना चाहिए था ना तुझे.. !! बिना कहें मुझे कैसे पता चलता.. ले दबा ले.. जितना मन करें.. !!" रेणुका जान बूझकर थोड़ी ऊंची आवाज में बोली ताकि मदन को भी सुनाई दे..
राजेश ने भी ऊंची आवाज में.. शीला सुन सके उस तरह कहा "तुझे अपने बबलों को कभी ढंकना ही नहीं चाहिए.. कपड़ों के पीछे ये बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते"
"ऊँहहह.. जरा धीरे धीरे दबा यार.. तोड़ देगा क्या??" अंगड़ाई लेते हुए रेणुका ने कहा.. "और इन्हें जरूरत के समय ही खोल सकते है.. तुम्हारा भी हर वक्त खड़ा थोड़े ही रहता है?? जब जरूरत होती है तभी तो उठता है तुम्हारा.. !!"
"आह्ह रेणु... अब तो रहा नहीं जाता" राजेश ने सिसकते हुए कहा
"आज कुछ ज्यादा ही टाइट हो गया है तेरा.. डार्लिंग, परफ़ॉर्मन्स के टाइम तो इतना सख्त नहीं होता तेरा.. !! आज क्या खास हो गया??"
राजेश: "आज का माहोल ही कुछ ऐसा है जानु.. तू भी आज कितनी खिली खिली लग रही है.. इतना तो बेडरूम में कभी नहीं चमकती.. किसी और बेटसमेन का साथ इनिंग खेलना का मन तो नहीं बना लिया.. हा हा हा हा हा.. !!"
मदन: "नई जगह हो.. और नया क्लाइमेट हो तब खेलने में ज्यादा मज़ा आता है.. राजेश तुझे घास वाली पिच ज्यादा पसंद है या बिना घास की?"
राजेश: "मुझे घास से कोई मतलब नहीं.. हाँ अगर पिच नई मिल जाए तो बेटिंग करने का मज़ा आ जाएँ"
मदन और राजेश क्या बात कर रहे थे वो दोनों महिलायें अच्छी तरह समझ रही थी.. और वो भी मजे ले रही थी
कामुक हरकतें और बातें करते करते वो लोग कब शहर पहुँच गए, पता ही नहीं चला.. !!
राजेश ने रेणुका को एक आखिरी किस देकर कहा "चलो अब बाकी सब घर जाके करना.. हम पहुँच रहे है" राजेश ने अपना लंड रेणुका के हाथ से छुड़ाते हुए कहा और बड़ी मुश्किल से उसे पेंट में फिर से कैद किया..
शीला ने अपना घाघरा नीचे कर दिया.. इतना सब करने के बावजूद वो झड़ नहीं पाई थी.. ऐसे वातावरण में सबके सामने उसका झड़ना मुमकिन भी नहीं था.. उसे चाहिए था तड़कता-भड़कता स्खलन.. चीखते चिल्लाते हुए.. आवाज को रोककर झड़ना उसे बिल्कुल पसंद नहीं था..
चारों एकदम नॉर्मल होकर ठीक से बैठ गए.. शहर के अंदर घुसते ही.. एक होटल के पास, पीयूष गाड़ी खड़ी रखकर इन चारों का इंतज़ार कर रहा था.. राजेश और रेणुका गाड़ी से उतरे.. और अपनी गाड़ी में बैठ गए.. पीयूष, कविता और वैशाली उतरकर दूसरी गाड़ी में बैठ गए.. राजेश अपनी गाड़ी में पिंटू को ले गया.. क्योंकि दूसरी गाड़ी में जगह नहीं बची थी..
सब अपने अपने घर पहुँच गए.. मदन अब कोई नया बिजनेस ढूंढ रहा था.. और वैशाली अपना जीवनसाथी.. !!!
Superb sexy gazab updateराजेश सर की इनोवा में, कविता, पिंटू, वैशाली और पीयूष बैठे हुए थे.. पीयूष के दोस्त की कार में मदन, शीला, रेणुका और राजेश थे.. !!
पूरे रास्ते में सब ने बातें करते हुए बहोत मजे किए.. ये ट्रिप, वैशाली के लिए बड़ी ही यादगार थी.. पिंटू से करीबी होते ही वो संजय की कड़वी यादों को भुला रही थी..
मदन और राजेश की बीच भी अच्छी मित्रता हो गई थी.. रात को हाइवे की एक होटल में डिनर के लिए जब दोनों गाड़ियां रुकी.. तब शीला को अपने दामाद संजय और हाफ़िज़ के संग गुजारे हनीमून की याद आ गई.. संजय, हाफ़िज़, जॉन और चार्ली की याद आते ही शीला का भोसड़ा चुनमुनाने लगा..
सब लोग रेस्टोरेंट की तरफ जा रहे थे तब शीला, रेणुका को लेकर टॉइलेट की तरफ गई.. शीला और रेणुका तो पहले से ही बहोत अच्छी सखियाँ थी.. बाथरूम की तरफ जाते हुए, शीला ने अपनी बातों से रेणुका को भी बेहद गरम कर दिया.. उसने गोवा की ट्रिप के बारे में बताया.. पर ये नहीं बताया की वो अपने दामाद के साथ गई थी.. गोवा में कैसे उसने अंग्रेज जॉन का लंड लिया था.. रास्ते में कैसे कार के ड्राइवर ने उसके बबले दबाए थे.. और फिर ऐसी ही एक होटल के बाहर.. अंधेरे में कैसे उसने बाहर चुदवाया था..
मिर्च-मसाला लगाकर उसने सारी बातें रेणुका को बताई.. रेणुका की हालत खराब हो गई, ये सब सुनकर.. !! उसकी दोनों आँखों से हवस टपकने लगी.. !! शीला देखकर ही समझ गई की रेणुका को लंड की भूख सता रही थी.. टॉइलेट में दोनों अलग अलग क्यूबिकल में पेशाब करके बाहर निकली.. वॉशबेज़ीन में रेणुका जब झुककर अपने हाथ धो रही थी.. तब उसके पल्लू के नीचे से.. काँखों की बगल में.. उसके स्तन लटकते हुए नजर आने लगे..
लेडीज टॉइलेट में उन दोनों के अलावा और कोई नहीं था.. शीला भी बहोत उत्तेजित थी.. वो रेणुका के पीछे खड़ी हो गई और अपनी चूत को उसके चूतड़ों पर दबाकर.. दोनों हाथ आगे ले गई.. और उसके दोनों स्तनों को ब्लाउस के अंदर हाथ डालते हुए सख्ती से पकड़ लिए..!! और उसकी निप्पलों को मसलते हुए, मर्द की तरह धक्के लगाने लगी..
अपने हाथ धोकर, रेणुका खड़ी हुई और हाथ पोंछे तब तक शीला उसकी गर्दन पर जीभ फेरते हुए चाटकर उसे उत्तेजित करने लगी थी.. वो शीला की तरफ मुड़ी.. और उसके गदराए जिस्म को बाहों मे भरकर उसके होंठों पर रेणुका ने एक उत्तेजक चुंबन कर दिया... शीला के आवेग भरे आक्रमण के आगे रेणुका ज्यादा देर तक खुद को संभाल नहीं पाई.. और शीला के थूक को चाटते चाटते वो अपनी जीभ को अंदर डाल डालकर चूसने लगी.. दोनों के बड़े बड़े स्तन, एकाकार हो गए थे.. !!
रेणुका: "यार, पहले तो तूने मुझे अपनी बातों से गरम कर दिया.. और अब अपनी इन हरकतों से बेकाबू कर रही है.. !! इरादा क्या है तेरा शीला?? तुझे पता तो है की यहाँ पर कुछ भी ज्यादा कर पाना मुमकिन नहीं है.. !! फिर क्यों उकसा रही है मुझे??"
रेणुका के दोनों बबलों को हाथों से मसलते हुए शीला ने कहा "यार, मुझसे रहा ही नहीं गया.. तू अपने आप पर काबू कर सकती है.. पर मुझे तो एक बार लंड की तलब लग जाएँ फिर मैं कंट्रोल नहीं कर सकती.. मुझे लंड चाहिए ही चाहिए.. !! कैसे भी करके मुझे चुदवाना पड़ेगा.. !! देख तो.. नीचे क्या हालत हो रही है यार.. !!" रेणुका का हाथ पकड़कर अपने घाघरे के नीचे डालते हुए.. पेन्टी के अंदर.. अपनी रस से लसलसित भोसड़े पर दबा दिया..
रेणुका: "हाँ यार.. नीचे तो बवाल मचा हुआ है तेरे.. मेरा भी हाल कुछ ऐसा ही हो रहा है.. पर अब क्या करें?? यहाँ लंड कहाँ से लाएं??"
शीला: "अब तो और क्या हो सकता है.. !! तू तो घर जाकर.. बड़ी मस्ती से... टांगें फैलाकर.. राजेश के लंड से मस्त होकर चुदवा लेगी.. मुझे तो वैशाली के कारण बहोत कंट्रोल में रहना पड़ता है.. अपने आप को रोकते हुए चुदवाना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता.. अपनी आवाज को रोककर रखना पड़ता है.. कहीं वैशाली सुन न ले.. ऐसे में कहाँ मज़ा आएगा..!! एक काम करते है रेणु.. !!"
शीला के रसद्रवित भोसड़े में तीन तीन उँगलियाँ एक साथ अंदर बाहर करते हुए रेणुका ने कहा "हाँ हाँ .. बोल ना.. !!"
"खाना खाकर.. जब हम वापिस गाड़ी में बैठें.. तब तू पहले से ही राजेश के साथ आगे बैठ जाना.. मैं मदन के साथ पीछे बैठ जाऊँगी.. अंदर तो ले नहीं पाऊँगी.. पर मदन के हाथों मूठ मरवा लूँगी.. !! वो बॉल दबाते दबाते उंगली डालेगा तो मैं जल्दी फ्रेश हो जाऊँगी.. जब पूरी थाली नसीब न हो तब नाश्ते से ही काम चलाना पड़ता है..!!"
रेणुका: "कार में?? राजेश की मौजूदगी में तुझे शर्म नहीं आएगी??"
शीला: "उसका सारा ध्यान तो ड्राइविंग में ही होगा.. तुझे एक और काम करना होगा.. पास बैठे बैठे.. तू राजेश के साथ छेड़खानियाँ करती रहना.. मर्दों को ऐसा सब बहोत पसंद होता है.. तू चुपके से अंधेरे में उसके लंड पर हाथ रखकर सहलाते रहना.. उसका ध्यान फिर कहीं और भटकेगा ही नहीं.. और तुम दोनों की हरकतें देखकर, फिर हम दोनों शुरू हो जाएंगे.. !! जब हमाम में सब नंगे हो फिर भला शर्म कैसी??"
रेणुका: "साली, तू एक नंबर की शातिर है.. !!"
शीला: "और हाँ.. सिर्फ ऊपर ऊपर से ही मत सहलाना.. चैन खोलकर बाहर भी निकालना.. मैं भी तो देखूँ.. किस लंड से तू रोज चुदवाती है.. इसी बहाने राजेश का लंड देखने मिल जाएगा"
रेणुका: "सिर्फ देखने में क्या मज़ा आएगा तुझे.. !! मेरे पति का लंड देखकर तुझे कहाँ संतोष होने वाला है.. !! ये तो ऐसी चीज है जिसे देखकर बेचैनी और बढ़ जाती है.. शीला, अगर सही में मजे करने हो तो.. तू राजेश के साथ बैठ और मैं मदन के साथ बैठती हूँ.. जस्ट फॉर चेंज.. मज़ा आएगा"
हवसखोर शीला, रेणुका की यह बात सुनकर एकदम बेकाबू हो गई
"ओह्ह रेणुका.. ये तूने क्या कह दिया??? मेरा और मदन का बहोत पुराना सपना है.. पार्टनर बदल कर सेक्स करने का.. पर वो आज तक पूरा नहीं हुआ है.." शीला ने सिसकते हुए कहा.. रेणुका के हाथ को अपने भोसड़े पर और सख्ती से दबा दिया उसने
रेणुका: "क्या सच में?? हम दोनों भी ऐसे मौके की तलाश में है.. असल में.. राजेश के कॉन्टेक्ट में एक कपल है.. जो पार्टनर चेंज करने के लिए राजी है.. पर वो लोग बहोत घबरा रहे है.. इसलिए अबतक मिलना नहीं हुआ.. वेबसाइट पर कॉन्टेक्ट हुआ है.. वो लोग रोज मेसेज भेजते है.. राजेश बता रहा था की उस वेबसाइट पर ऐसे पचास से ज्यादा जोड़ों का ग्रुप है.. जो आपस में पार्टनर बदलते रहते है.. यार, मुझे तो सुनकर ही ऐसा मज़ा आ गया था.. पर अब तक कुछ हो नहीं पाया यार.. !!"
शीला: "ओह्ह रेणुका.. तू ऐसी सब बातें मत कर.. आह्ह.. तू एक काम कर.. राजेश को कोने में ले जाकर बता दे.. की वो मेरे साथ ही बैठें.. और वो निःसंकोच होकर मेरे बबले दबाएं.. और उसे जो मर्जी कर्रे मेरे साथ.. मुझे बुरा नहीं लगेगा.. मैं मदन को तैयार करती हूँ.. हम कार में ही पार्टनर बदल लेते है.. मस्त सेटिंग हो जाएगा.. !! अगर राजेश भी मेरे और मदन जैसा खुले विचारों वाला हो तो.. हम एक कमरे में ही ग्रुप सेक्स का सेटिंग कर सकते है.. "
रेणुका: "हाँ यार.. राजेश को वैसे तो कोई प्रॉब्लेम नहीं होना चाहिए.. तभी तो वो उस वेबसाइट पर कपल ढूंढ रहा था.. पर अनजाने लोगों के साथ यह सब करने में बड़ा जोखिम होता है.. इसलिए वो भी थोड़ा सा झिझक रहा था"
शीला: "हाँ, वो तो है.. पर हमारे साथ तो ये प्रॉब्लेम भी नहीं होगा.. किसी को कानोंकान खबर भी नहीं लगेगी.. चल अब चलते है.. कहीं कोई आ गया तो तकलीफ हो जाएगी"
रेणुका: "एक मिनट रुक जा शीला.. मेरे दिमाग में ओर एक आइडिया आ रहा है"
शीला: "अरे यार, जल्दी चल.. सब इंतज़ार कर रहे होंगे हमारा.. जाते जाते बताना तेरा आइडिया.. !!"
रेणुका ने शीला की चूत से उँगलियाँ बाहर निकाली और हाथ धो लिए.. दोनों टॉइलेट से बाहर निकली.. मदन और राजेश बातें कर रहे थे.. वैशाली और कविता भी बातों में उलझी हुई थी.. पीयूष अपने मोबाइल पर लगा हुआ था
चलते चलते शीला ने पूछा "अब बोल, क्या बता रही थी तू?"
रेणुका: "मैं ये सोच रही थी.. हम अभी अपने मर्दों को इस बारे में कुछ नहीं बताएंगे.. हम ऐसे पेश आएंगे जैसे हम खुद ही एक दूसरे के पतिओ को पटा रहे है.. उन्हें बिना कुछ कहें"
शीला: "कार में ये सब कैसे करेंगे?? उससे अच्छा तो बता कर ही करते है"
रेणुका: "मैं जैसे कह रही हूँ वैसा कर.. हम फिलहाल अपने अपने पार्टनर के साथ ही बैठेंगे"
शीला: "ठीक है यार.. जैसा तू कहें.. पर एक दूसरे के पति के साथ बातें तो कर सकते है ना.. !!"
रेणुका: "हाँ कर सकते है.. पर सिर्फ बातें ही करनी है अभी के लिए.. बाकी सब छुप छुपकर करना होगा.. कल से हम फोन पर शुरू करेंगे.. तू राजेश को फोन करना और मैं मदन को फोन करूंगी.. हम दोनों आपस में एक दूसरे को सब बता देंगे.. पर अपने पति को कुछ नहीं बताएंगे.. फिर देखते है.. हमारे मर्द कैसे पेश आते है"
शीला: "यार, गजब का आइडिया सोचा है तूने.. मतलब अब इस उम्र में हमें फ्लर्ट करना होगा.. वो भी एक दूसरे के पति के साथ.. !!"
रेणुका: "अरे यार, फ्लर्ट करने के लिए कोई उम्र थोड़े ही होती है.. !! वो तो कभी भी कर सकते है"
दोनों चलते चलते टेबल के पास आई.. अपने अपने पति के पास बैठ गई.. थोड़ी देर के बाद.. शीला ने कहा "यार यहाँ कोने में मुझे घुटन हो रही है.. रेणुका, तुझे प्रॉब्लेम न हो तो तू यहाँ बैठ जाएगी?" रेणुका तुरंत ही उठ खड़ी हुई और मदन के पास बैठ गई.. मुसकुराते हुए शीला राजेश के पास आकर बैठ गई
पीयूष, कविता, पिंटू और वैशाली एक टेबल पर थोड़े दूर बैठे थे.. उन्हें इन चारों में कोई दिलचस्पी नहीं थी.. कविता को जरा सा भी अंदाजा नहीं था की उसके प्रेमी पिंटू के प्रति, वैशाली आकर्षित हो चुकी थी.. आपस में बातें करते हुए, वैशाली और पिंटू और करीब आते जा रहे थे.. अठारह बीस साल की लड़की, लड़कों के दिखावे से आकर्षित होती थी.. पर तीस की उम्र पार कर चुकी लड़कियां, लड़के के विचार, सद्गुण और सलामती देखकर आकर्षित होती है..
राजेश: "ये तो आप दोनों ने अदला-बदली कर दी.. मेरे साथ शीला जी और मदन के साथ रेणुका.. हा हा हा हा"
रेणुका ने शर्म के मारे आँखें झुका दी..
राजेश: "अरे, मैं तो मज़ाक कर रहा था"
शैतानी मुस्कान के साथ शीला ने कहा "अच्छा मज़ाक था.. !!"
मदन ने चोंककर रेणुका के सामने देखा.. वो कनखियों से मदन को देख रही थी.. उसने अपनी नजरें फेर ली.. और खाना खाने पर ध्यान केंद्रित किया
खाना खाकर सब वापिस अपनी गाड़ियों में बैठ गए.. पीयूष की गाड़ी आगे जाने दी और मदन ड्राइविंग सीट पर बैठ गया..
रेणुका: "अरे राजेश, मदन कब से गाड़ी चला रहा है.. थक गया होगा.. थोड़ी देर तू गाड़ी चला ले"
राजेश" "मैं बस बोलने ही वाला था.. मैं चला लेता हूँ.. !!"
मदन को रेणुका की ये बात बहोत अच्छी लगी "थेंकस रेणुका.. मैं वाकई थक चुका हूँ"
राजेश ड्राइवर सीट पर बैठ गया और रेणुका उसके साथ.. शीला और मदन पीछे की सीट पर बैठ गए
जैसे ही गाड़ी चली.. शीला ने मदन की जांघों पर हाथ रख दिया.. और मदन के सामने देखकर, शैतानी भरी मुस्कान देते हुए आँख मारी.. धीरे से उसके लंड को सहला रही शीला का हाथ पकड़कर मदन ने उसके कान में कहा "यार, क्यों सो रहे सांप को जगा रही है?? ये जाग गया तो फिर शिकार मांगेगा.. "
शीला ने मदन के कान मे कहा "तेरे सांप में अब शिकार करने का दम ही कहाँ है.. !!"
शीला इतनी उत्तेजित थी की उसने मदन की मर्दानगी को ही ललकार दिया.. जब भी उसका भरपूर चुदाई का मन हो तब वो मदन को ऐसा ही कुछ बोलकर उकसाती.. और फिर मदन उसे बेरहमी से चोद देता.. !!
शीला की आँखों से टपकती वासना को देखकर मदन सोच में पड़ गया.. ये साली इस समय गरमाए बैठी हुई है?? यहाँ गाड़ी में, राजेश और रेणुका की मौजूदगी में.. इसे कैसे शांत करूँ.. !!
शीला: "बहोत गर्मी हो रही है यार.. रेणुका, जरा एसी तेज कर दे"
रेणुका ने मुसकुराते हुए कहा "अब तुझे इस उम्र में बड़ी गर्मी चढ़ रही है.. !! देखना.. कहीं घर जाकर मदन को अपनी आग में मत झोंक देना.. तेरी आग के बारे में, मैं अच्छे से जानती हूँ.. एसी की हवा से शांत नहीं होने वाली तू"
शीला: "चुप कर बदमाश.. कुछ भी बोलती रहती है.. वैसे गर्मी तो तेरे अंदर भी कुछ कम नहीं है.. अच्छे अच्छों को पिघलाने का हुनर है तुझ में.. !!"
रेणुका: "अब वो तो महसूस करने वाले को पता.. की मेरे अंदर कितनी गर्मी है.. पर हम भी अपनी गर्मी उन्हीं को दिखाते है जिसमे इस गर्मी को शांत करने की ताकत हो"
रेणुका और शीला, जान बूझकर खुलकर बातें कर रही थी.. उनकी बातें सुनकर मदन और राजेश को भी थोड़ा सा ताज्जुब हुआ.. धीरे धीरे दोनों ज्यादा से ज्यादा खुलने लगी..
ब्लाउस से एक स्तन बाहर निकालकर, ड्राइव कर रहे राजेश का हाथ खींचकर, उसपर रख दिया रेणुका ने.. टाइट ब्लाउस से पूरा स्तन तो बाहर नहीं निकाल पाई.. पर आधे स्तन की उभरी हुई निप्पल पर वो राजेश की हथेली को रगड़ने लगी.. इस हरकत से.. और रेणुका तथा शीला की उत्तेजक बातें सुनकर.. राजेश का लंड पतलून में तंबू बनाकर खड़ा हो गया
रेणुका राजेश का लंड बाहर निकालना चाहती थी.. पर उसके पेंट की चैन खुल ही नहीं रही थी.. शीला की बातें सुनकर राजेश का लंड इतना सख्त होकर अंदर से दबाव बना रहा था की चैन खुलने ही नहीं दे रहा था.. रेणुका ऊपर ऊपर से ही.. उस कचौड़ी जैसे फुले हुए हिस्से को सहलाने लगी.. आखिर राजेश ने ही रेणुका का काम आसान करने के लिए.. अपने पेंट का एक बटन खोल दिया.. बटन खुलते ही.. आधी चैन अपने आप खुल गई.. वी शैप की अन्डरवेर के साइड से सख्त लोडे को बाहर निकालकर, राजेश ने रेणुका के हाथों में सौंप दिया.. जिसे पकड़ते ही रेणुका की आह्ह निकल गई..
रेणुका ने अपना चेहरा राजेश के कान के करीब लाकर.. बिल्कुल धीमे से कहा "माय गॉड.. ये क्या है राजेश!! इतना टाइट तो आज तक कभी नहीं हुआ.. मैं नंगी होकर अपनी चूत फैलाकर तेरे मुंह पर रख देती हूँ तब भी इतना कडक नहीं होता है.. " रेणुका की इन हरकतों को देखकर शीला समझ गई की राजेश का लंड बाहर निकल चुका है.. मदन की मौजूदगी की जरा भी परवाह किए बगैर, शीला ने थोड़ा सा आगे आकर रेणुका के हाथ में जकड़े राजेश के लंड को देखा..
मदन: "क्या देख रही है शीला? शर्म नहीं आती तुझे?"
शीला ने बेधड़क होकर कहा "अच्छा.. अभी तू साइड से.. रेणुका के स्तन को देख रहा था.. तब तुझे शर्म नहीं आई थी?"
शीला ने मदन का लंड बाहर निकाला और झुककर चूसने लगी.. मदन की आँखें बंद हो गई.. शीला के कामुक होंठों ने लंड के इर्दगिर्द ऐसी पकड़ बना ली थी की वो अपने आपे से बाहर हो रहा था.. अपनी जीभ से शीला ऐसा कमाल कर रही थी की मदन से रहा नहीं जा रहा था.. ये तो मदन था जो शीला की इस कामुक चुसाई को बर्दाश्त कर पा रहा था.. और कोई होता तो उसके लंड ने कब का इस्तीफा दे दिया होता.. !!
मदन ने शीला के सर को पकड़े रखा था.. जब वो लंड अंदर लेने के लिए झुकती तब वो अपनी गांड उठाकर उसके मुंह में अंदर तक अपना लंड पेल देता.. शीला के मुंह से विचित्र आवाज़ें निकल रही थी.. शीला जान बूझकर ज्यादा आवाज़ें कर रही थी.. वो चाहती थी की रेणुका और राजेश उसकी आवाजों को सुने.. पर मदन को बहोत शर्म आ रही थी.. शीला और रेणुका एक दूसरे के सामने देखते हुए बार बार हंस रही थी..
राजेश ने पीछे देखते हुए कहा : "अरे क्या हो रहा है पीछे?" राजेश को अंदाजा तो लग गया था पर फिर भी उसने पूछा
मदन ने आगे की सीट पर बैठे राजेश के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "भाई, कुछ नहीं हो रहा है.. तुम अपना ध्यान ड्राइव करने पर ही रखो..वरना एक्सीडेंट हो जाएगा"
हँसते हुए राजेश ने ड्राइविंग पर ध्यान केंद्रित किया.. पर रेणुका को मदन कैसे रोकता?? वो तो पीछे देखने लगी.. झुकी हुई शीला को..
मदन ने शरमाते हुए कहा "वो जरा शीला सफर के कारण थक गई है इसलिए मेरी गोद में सो रही है.. थोड़ा सा वॉमीट जैसा हो रहा है उसे इसलिए ऐसी आवाज़ें निकाल रही है" वैसे रेणुका को पता ही था की शीला क्या कर रही थी..
रेणुका: "अच्छा.. ?? मुझे तो ऐसी आवाज़ें आई जैसे कोई कुल्फी चूस रहा हो"
राजेश: "कहीं कोई गुड न्यूज़ तो नहीं है ना शीला भाभी..!! मदन, हम सब का मुंह मीठा करवाना पड़ेगा.. इस बार तो पक्का लड़का ही होगा..!!" उसने हँसते हँसते कहा
मदन: "क्या राजेश तू भी?? इस उम्र में अगर तुझे मिठाई खानी हो तो मुझे किसी 20 साल की लड़की से ब्याहना पड़ेगा.. मेरी तलवार में तो अब भी वार करने की ताकत है.. पर तेरी भाभी की म्यान सूख चुकी है.. !!"
अपना सिर ऊपर नीचे करते हुए मदन के लंड को चूस रही शीला को रेणुका देखती ही रही.. मदन शर्म से पानी पानी हो रहा था.. रेणुका ने राजेश के लंड को अपनी मुठ्ठी में दबाकर हिलाते हुए शीला को देखने के लिए पलटी.. तब उसका खुला हुआ गोरा स्तन, मदन की आँखों के बिल्कुल सामने आ गया.. मदन को अपने बबले को तांकते हुए देखकर.. रेणुका ने बिना शरमाये, राजेश के गाल पर किस कर दिया.. और मदन की तरफ देखकर उसे आँख मारी.. और कहा.. "आप दोनों इतना सब कर सकते हो तो हम इतना तो कर ही सकते है ना.. !!" इतनी मादक आवाज में रेणुका ने आमंत्रण भरी आँखों से मदन की ओर देखकर कहा
मदन: "आप को जो करना हो कर सकते हो.. मैंने कब मना किया.. ?? अगर आप को भी वॉमीट होने जैसा हो रहा हो तो आप भी गोद में सो जाइए.. जो करना हो कीजिए.. बस पीछे मत देखिए"
रेणुका : "एक बार शीला का हो जाने दो.. फिर सोचती हूँ"
मदन चोंक गया "मतलब?? मैं मेरी गोद में सुलाने की बात नहीं कर रहा हूँ.. क्या आप भी!!!"
राजेश ड्राइविंग करते करते इन सारी बातों का मज़ा ले रहा था
मदन की गोद में मुंह डालकर चूस रही शीला ने मुंह से लंड निकाला और कहा "मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है रेणुका.. तू मदन की गोद में मुंह डालेगी तो मैं भी राजेश की गोद में मुंह डाल दूँगी" इतना कहकर शीला फिर से मदन का लंड चूसने में मशरूफ़ हो गई..
रेणुका को महसूस हुआ.. की जब शीला ने राजेश की गोद में जाने की बात खी.. तब राजेश का लंड और कडा हो गया.. वो इस बारे में राजेश के कान में कुछ कहने ही वाली थी.. चेहरा उसके कान के करीब ले जाकर वो कुछ कहती.. उससे पहले ही मदन ने पीछे से रेणुका के गोरे चिकने गाल पर एक हल्की सी पप्पी कर दी.. रेणुका का पूरा शरीर सिहरने लगा.. सिर्फ आधी सेकंड में ये हो गया.. राजेश और शीला को तो इसके बारे में पता तक नहीं चला क्योंकि राजेश आगे बैठा था और शीला का चेहरा नीचे था.. रेणुका के जिस्म में रोमांच और उत्तेजना की एक लहर सी दौड़ गई.. अपने पति की मौजूदगी में किसी गैर मर्द से चूमे जाने का विचार भी रोमांचित कर देता है..
जैसे कुछ न हुआ हो वैसे रेणुका राजेश के लंड से खेलती रही..
पीछे की सीट पर मदन का पूरा शरीर तंग हो गया.. शीला मुंह से लंड निकालकर उठ गई.. और अपनी टांगों के बीच हाथ डालकर उसने पेन्टी उतारकर पर्स में रख दी.. फिर दोनों हाथों से उसने अपना घाघरा उठाया.. और अपनी नंगी चूत को खुद ही सहलाने लगी.. पूरी कार में शीला के भोसड़े की मादक गंध फैल गई.. आगे की सीट पर बैठा राजेश भी समझ गया की पीछे क्या हो रहा था..
राजेश ने रेणुका से कहा : "अरे यार.. ठीक से बबले बाहर निकाल.. इस तरह आधे आधे में कुछ मज़ा नहीं आ रहा.. पीछे देखकर कुछ तो सीख.. !!"
रेणुका ने तुरंत अपने ब्लाउस के तमाम हुक खोल दीये.. और अपने दोनों खरगोशों को खोल दिया.. "पहले से बोलना चाहिए था ना तुझे.. !! बिना कहें मुझे कैसे पता चलता.. ले दबा ले.. जितना मन करें.. !!" रेणुका जान बूझकर थोड़ी ऊंची आवाज में बोली ताकि मदन को भी सुनाई दे..
राजेश ने भी ऊंची आवाज में.. शीला सुन सके उस तरह कहा "तुझे अपने बबलों को कभी ढंकना ही नहीं चाहिए.. कपड़ों के पीछे ये बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते"
"ऊँहहह.. जरा धीरे धीरे दबा यार.. तोड़ देगा क्या??" अंगड़ाई लेते हुए रेणुका ने कहा.. "और इन्हें जरूरत के समय ही खोल सकते है.. तुम्हारा भी हर वक्त खड़ा थोड़े ही रहता है?? जब जरूरत होती है तभी तो उठता है तुम्हारा.. !!"
"आह्ह रेणु... अब तो रहा नहीं जाता" राजेश ने सिसकते हुए कहा
"आज कुछ ज्यादा ही टाइट हो गया है तेरा.. डार्लिंग, परफ़ॉर्मन्स के टाइम तो इतना सख्त नहीं होता तेरा.. !! आज क्या खास हो गया??"
राजेश: "आज का माहोल ही कुछ ऐसा है जानु.. तू भी आज कितनी खिली खिली लग रही है.. इतना तो बेडरूम में कभी नहीं चमकती.. किसी और बेटसमेन का साथ इनिंग खेलना का मन तो नहीं बना लिया.. हा हा हा हा हा.. !!"
मदन: "नई जगह हो.. और नया क्लाइमेट हो तब खेलने में ज्यादा मज़ा आता है.. राजेश तुझे घास वाली पिच ज्यादा पसंद है या बिना घास की?"
राजेश: "मुझे घास से कोई मतलब नहीं.. हाँ अगर पिच नई मिल जाए तो बेटिंग करने का मज़ा आ जाएँ"
मदन और राजेश क्या बात कर रहे थे वो दोनों महिलायें अच्छी तरह समझ रही थी.. और वो भी मजे ले रही थी
कामुक हरकतें और बातें करते करते वो लोग कब शहर पहुँच गए, पता ही नहीं चला.. !!
राजेश ने रेणुका को एक आखिरी किस देकर कहा "चलो अब बाकी सब घर जाके करना.. हम पहुँच रहे है" राजेश ने अपना लंड रेणुका के हाथ से छुड़ाते हुए कहा और बड़ी मुश्किल से उसे पेंट में फिर से कैद किया..
शीला ने अपना घाघरा नीचे कर दिया.. इतना सब करने के बावजूद वो झड़ नहीं पाई थी.. ऐसे वातावरण में सबके सामने उसका झड़ना मुमकिन भी नहीं था.. उसे चाहिए था तड़कता-भड़कता स्खलन.. चीखते चिल्लाते हुए.. आवाज को रोककर झड़ना उसे बिल्कुल पसंद नहीं था..
चारों एकदम नॉर्मल होकर ठीक से बैठ गए.. शहर के अंदर घुसते ही.. एक होटल के पास, पीयूष गाड़ी खड़ी रखकर इन चारों का इंतज़ार कर रहा था.. राजेश और रेणुका गाड़ी से उतरे.. और अपनी गाड़ी में बैठ गए.. पीयूष, कविता और वैशाली उतरकर दूसरी गाड़ी में बैठ गए.. राजेश अपनी गाड़ी में पिंटू को ले गया.. क्योंकि दूसरी गाड़ी में जगह नहीं बची थी..
सब अपने अपने घर पहुँच गए.. मदन अब कोई नया बिजनेस ढूंढ रहा था.. और वैशाली अपना जीवनसाथी.. !!!
excellent boss.......................................मौसम दरवाजे से बाहर गई तब तक पीयूष उसे पीछे से देखता रहा.. आँखें नम हो गई.. और सब धुंधला दिखाई देने लगा.. थोड़ी देर पहले का कामुक वातावरण अब विषादपूर्ण हो चुका था.. जुदाई हमेशा गम साथ लेकर आती है.. चुपचाप धीरे धीरे जा रही मौसम को वो ऐसे देख रहा तहा जैसे वो वर्तमान को त्यागकर भविष्य की ओर चल पड़ी हो.. !! उसके हर कदम पर पीयूष का दिल बैठा जा रहा था..
जाने से पहले वो पलट कर एक बार मेरी तरफ देखेगी?? एक आखिरी बार उसके हसीन चेहरे को दिल भरकर देखना चाहता हूँ.. पर शायद नहीं पलटेगी..
या पलटेगी.. !!
नहीं पलटेगी शायद.. !!
क्यों पलटेगी भला.. पलटना भी नहीं चाहिए.. !! मैं तो अब उसके लिए गुजरा हुआ वक्त हूँ.. !! असह्य कश्मकश से गुज़रता हुआ पीयूष सांस रोके खड़ा था.. आँखों के रास्ते रूह निकल जाए उतनी आतुरता से वो मौसम के पलटने का.. बिना पलक झपकाए इंतज़ार कर रहा था..
ब्याह कर ससुराल जाती लड़कियां.. अपने मायके की कितनी हसीन यादें अपने दिल में दफन कर जाती है.. औरतों को ये कला कुदरत ने बक्शी होगी?? दरवाजे तक पहुँच चुकी मौसम के अंदर.. अभी भी अपनी प्रेमिका को तलाश रहा था पीयूष.. दो कदम और आगे जाते ही वो लक्ष्मण-रेखा के उस पार पहुँच जाएगी.. जहां पहुँचकर वो उसे भी भूल जाएगी.. धड़कते दिल के साथ पीयूष उसे देखता ही रहा..
दरवाजे से बाहर निकलकर मुड़ने से पहले.. मौसम ने आखिर पलटकर देखा.. दोनों की उदास नजरें एक हुई.. एक फीकी सी मुस्कान के साथ मौसम की और देख रहे पीयूष की आँखों से एक आँसू टपक पड़ा..
कुछ दिन पहले पीयूष को पिंटू ने एक शेर सुनाया था, वो याद आ गया उसे..
.. वो पलट कर जो देखेगी, तो ज़माना थम जाएगा,
मिलेंगे फिर कभी, पर वो पहली मोहब्बत सा ना हो पाएगा।।
मौसम की आँखों मे एक अजीब सा सुकून ढूँढने लगा पीयूष.. उसकी सांसें अब धीमी पड़ रही थी.. पर उस आखिरी बार पलट कर देखने से पीयूष इतना खुश हुआ की इतना खुश तो वो मौसम को पाकर भी नहीं हुआ था.. मौसम के कांपते गोरे होंठ.. गोरे गुलाबी गाल... लाल अधर.. हिरनी जैसी गर्दन.. पीयूष बिना पलक झपकाए उसे देखता ही रहा
जीजू को एक आखिरी बार देखते हुए मौसम को याद आया.. जीजू उसे कितनी बेकरारी से किस करना चाहते थे.. !! पर लिपस्टिक खराब हो जाने के डर से उसने किस नहीं कर दिया.. फाल्गुनी का हाथ छुड़ाकर वो भागकर पीयूष की तरफ आई और उसे गले लगाकर.. बिना लिपस्टिक की परवाह किए.. उसे चूमने लगी.. चूमते चूमते रो पड़ी..
"आई लव यू जीजू.. "
"मौसम, चाहें थोड़ा सा ही करना.. पर याद जरूर करना मुझे" पीयूष भी बस इतना ही बोल पाया
"अलविदा जीजू... आप के साथ बिताया एक एक पल, मैं ज़िंदगी भर नहीं भूल पाऊँगी.. आई विल लव यू फोरेवर.. गुड बाय जीजू" मौसम ने कहा
फाल्गुनी ने तुरंत मौसम के कपड़े और लिपस्टिक ठीक कर दीये और दोनों नीचे चले गए
फाल्गुनी और मौसम सीढ़ियाँ उतरकर नीचे आ रही थी.. बिल्कुल उसी वक्त... पिंटू के साथ काफी देर से बात कर रही वैशाली ने कहा "मुझे अपने जीवन में तुम्हारे जैसे ही फ्रेंड और फिलोसॉफर की तलाश थी.. क्या तुम मेरे हमसफ़र बनोगे??"
कविता मौसम के करीब जाकर खड़ी हो गई.. एकदम खुश लग रही कविता के सामने देखकर पिंटू सोच रहा था की वैशाली की बात का क्या जवाब दिया जाए..
काफी सोचने के बाद पिंटू ने कहा "वैशाली, आप के साथ जो कुछ भी घटा है.. इसके लिए मेरे दिल में बहोत हमदर्दी है.. आप जब चाहे मुझे किसी भी काम के लिए.. किसी भी वक्त.. दोस्त समझकर कॉल कर सकती है.. !!" इतना कहकर पिंटू ने वैशाली से हाथ मिलाया.. और पानी पीने जाने के बहाने उठकर खड़ा हो गया.. वैशाली ने इतने खुलकर ऑफर करने के बाद भी.. पिंटू एकदम जेन्टलमेन की तरह पेश आया.. यह देखकर.. वैशाली की आँखों में पिंटू की इज्जत ओर बढ़ गई.. !!
मौसम के जाने के बाद.. पीयूष सोफ़े पर बैठे बैठे बहोत रोया.. !! प्यार या प्रेम, सुख देता है.. ये मानने वाले महा-मूर्ख होते है.. हकीकत में, प्रेम की झोली में सुख की भिक्षा मिलती ही नहीं है.. जिसके पास जो चीज होती है.. वही दे पाता है.. इतनी सामान्य सी बात न समझने वाले, ऐसे लोगों के सामने प्रेम की अपेक्षा से झोली फैलाए बैठे रहते है.. जिनके पास देने के लिए गम, धोखा, दर्द और निराशा के अलावा ओर कुछ नहीं होता..
सृष्टि के सर्जन से लेकर आज तक.. ऐसे कौनसे इंसान को आपने देखा जो प्यार में पड़ने के बावजूद हमेशा खुश हो.. !! यही तो इस बात का सब से बड़ा प्रमाण है.. यह सब कुछ जानने के बावजूद लोग प्यार में पड़ते है.. और हँसते हँसते सारे गम, पीड़ा और निराशा को गले लगा लेते है.. क्योंकी शुरुआत में प्रेम आपको सुख का भ्रम दिखाकर इतनी जबरदस्त रोमांचक पलों की भेंट देता है की प्यार करने वाला, अपनी बाकी की ज़िंदगी, उन्हीं पलों को फिर से पाने की उम्मीद लगाए, अपनी बाकी ज़िंदगी हँसते हँसते दर्द में काट लेता है.. और वो हसीन पल, फिर कभी लौटकर नहीं आते.. !!
पीयूष के लिए.. मौसम की जुदाई बर्दाश्त करना बहोत मुश्किल था.. काफी प्रयत्नों के बाद वो खड़ा हुआ और वॉश-बेज़ीन के पास जाकर आईने में अपने चेहरे को देखने लगा.. और खुद से बातें करने लगा.. ये क्या हाल बना रखा है? तू मौसम की मंगनी में आया है या मैयत में?
रो रो कर उसकी आँखें सूजी हुई और लाल हो गई थी... चेहरे पर उदासी के बादल छाए हुए थे.. हथेली में ठंडा पानी लेकर चेहरे को धोने के बाद.. उसे थोड़ी ताजगी का एहसास हुआ.. ठंडे पानी ने चमत्कारिक औषधि जैसा काम किया..
कितनी ताकत होती है पानी में.. !! कैसी भी उदासी हो, एक पल के अंदर ताजगी में परिवर्तित करने का गुण होता है पानी में.. नींद से उठे हुए आदमी को, हकीकत में जगाने का काम पानी ही तो करता है.. दुख और उदासी जब अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच जाएँ.. तब उन्हें हल्का करने का काम भी पानी ही करता है.. आँखों से बहकर.. दिल का बोझ हल्का करने का अमोघ शस्त्र.. रुदन.. ये भी तो पानी बहाकर ही होता है.. !!
कमरे से बाहर आकर.. पीयूष ने नीचे का नजारा देखा.. सारे मेहमान गोल बनाकर बैठे थे.. बीच में तरुण और मौसम एक एक आसन पर बैठे हुए थे.. पण्डितजी बैठकर कुछ विधि कर रहे थे.. तरुण ने सुंदर से रिमलेस चश्मे पहन रखे थे.. और उसके कारण उसका चेहरा थोड़ा सा गंभीर और मेच्योर लग रहा था.. कोई भी पहली नजर में देखकर कह सकता था की यह लड़का पढ़ाई में अव्वल होगा.. तरुण और मौसम की जोड़ी.. "मेईड फॉर इच अधर" जैसी दिख रही थी.. तरुण को मौसम के करीब बैठे देखकर.. पीयूष ईर्ष्या की आग में जलने लगा.. तरुण की बगल में बैठी सहमी सी मौसम को वो काफी देर तक देखता रहा.. देखकर कौन अंदाजा लगा पाता.. की शालीन और संस्कारी होकर बैठी यह लड़की.. आधे घंटे पहले अपने बहनोई के लंड से चुदकर बैठी थी.. !! कीसे पता चलता की अभी थोड़ी देर पहले वो झुककर अपने जीजू के लंड को चूस रही थी.. !!
सब की तरफ देख रहे पीयूष की नजर कोने में बैठे पिंटू, वैशाली और कविता पर गई.. और वही स्थिर हो गई.. ऊपर खड़े पीयूष को दिख रहा था की कविता की छातियों की नोक.. पिंटू के कंधों को छु रही थी.. लेकिन भीड़भाड़ वाली जगह पर तो ऐसा अक्सर होता है.. इसलिए पीयूष ने उस बात को ज्यादा दिल पर नहीं लिया.. कमरे के दूसरे कोने मे शीला, मदन, राजेश सर, रेणुका और सुबोधकांत बड़ी ही सौजन्यशील मुद्रा में खड़े हुए थे.. तमाम लोगों के बीच.. एक मात्र शीला ऐसी थी.. जो अपने हुस्न के जलवों से पूरे कमरे को रोशन कर रही थी.. मेहमानों में जो पुरुष थे वह सारे.. बार बार.. किसी न किसी बहाने.. शीला को नजरें भरकर देख रहे थे..
पीयूष नीचे उतरकर कमरे में आया.. और तरुण तथा मौसम के पीछे खड़ा हो गया
कमरे के कोने में खड़ी शीला ने रेणुका का हाथ पकड़ते हुए कहा "चल बाहर चलते है.. यहाँ कितनी गर्मी हो रही है.. बाहर आराम से बातें करेंगे"
दोनों हाथ पकड़कर बाहर आए.. और घर के बागीचे में कुर्सी पर बैठे बैठे बातें करने लगे
रेणुका: "सुबोधकांत ने घर तो बड़ा ही शानदार बनाया है.. रंगों का कॉम्बीनेशन भी गजब का है"
शीला: "वो खुद भी इतने ही रंगीन है.. मकान तो रंगीन होगा ही"
रेणुका: "हा हा हा.. लगता है.. सुबोधकांत के रंगों का लाभ तूने भी ले लिया है"
शीला: "तो उसमें गलत क्या है?? अब ये मत पूछना की कैसे.. तू भी सयानी बन रही है.. पर अभी वो आकर अपना लंड दिखा देंगे तो तू यहाँ ही चूसने बैठ जाएगी.. मैं तो सीधी बात करती हूँ हमेशा.. !!"
रेणुका: "अरे, मैंने कब कहा की कुछ गलत है.. पर लगता है की मदन भैया के आने के बाद तेरे गुलछर्रे बंद हो गए है"
शीला: "हाँ यार.. उस लाइफ को तो मैं भी बड़ा मिस कर रही हूँ"
रेणुका: "मुझे तेरी भूख का अंदाजा है.. तो अब गुजारा कैसे चलता है तेरा??"
शीला: " कुछ नहीं यार.. फिलहाल मदन से काम चला रही हूँ.. बाहर की बिरियानी अब नसीब नहीं होती.. और जगह भी तो नहीं है कोई.. अब तो वैशाली भी हमारे साथ ही रहेगी.. इसलिए मुझे अब वो पुरानी वाली सारी आजादी हमेशा के लिए भूल जानी पड़ेगी"
रेणुका: "क्यों भूल जानी पड़ेगी.. !! तेरे घर मुमकिन नहीं है तो क्या हुआ.. !! मेरा घर अक्सर खाली रहता है.. राजेश जब भी शहर से बाहर जाता है तब घर पर अकेले बैठे बोर होती रहती हूँ.. तुझे जब मौका मिलें तब मेरे घर चली आना"
शीला: "वो तो ठीक है.. पर तेरे घर आकर क्या करूँ?? हम दोनों साथ बैठकर क्या भजन करेंगे?"
रेणुका: "अरे यार.. भजन नहीं.. भोजन करेंगे.. तुझे जिसे लेकर आना हो, चली आना.. मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. और मैं तुझसे हिस्सा भी नहीं मांगूँगी"
शीला: "यार रेणुका... मुझे हिस्सा देने में भी कोई हर्ज नहीं है.. भूखा मरने से तो बेहतर है की हमारे पास जो हो वो सब मिल बांटकर खाएं.. कभी मेरे पास कुछ नहीं होगा तब तुझसे मांग लूँगी.. संसार ऐसे लेन-देन से ही तो चलता है"
रेणुका: "हम्म.. तो अभी किस के साथ मजे कर रही है?"
शीला: "किसी के साथ नहीं यार.. मदन हमेशा आसपास होता है.. कुछ भी कर पाना मुमकिन नहीं हो पाता"
रेणुका: "पर कोई तो होगा.. जिसे लेकर तू मेरे घर आ सके"
शीला: "वैसे नमूने तो बहोत सारे है.. खासकर मेरा दूधवाला रसिक.. बेचारा बहोत तड़प रहा है मेरे बगैर.. आशिक हो गया है मेरा.. मन तो मेरा भी बहोत करता है पर क्या करूँ!! जब वो दूध देने आता है तब मदन अंदर के कमरे में सो रहा होता है.. फिर भी वो कभी बबले दबा देता है तो कभी अपना खोलकर हाथ में थमा देता है.. साले का इतना मस्त मोटा गधे जैसा लंड है यार.. !! उसके दो दोस्त है.. रघु और जीवा.. उन दोनों के फोन नंबर है मेरे पास.. पर साले एक नंबर के नशेड़ी है.. दारू पीकर उन्हें खुद होश नहीं रहता की कौनसे छेद में डालना है.. और उन्हें बुलाना हो तो पहले से प्लैनिंग जरूरी है.. वक्त भी ज्यादा चाहिए"
रेणुका: "अरे हाँ याद आया.. वो तेरा दूधवाला.. जिसकी बीवी पेट से थी.. !!"
शीला: "हाँ वही.. अब तो उसका बच्चा भी हो गया.. साला जोरदार है रसिक.. बस एक बार चुदवा लो तो ज़िंदगी भर याद रह जाए"
रेणुका: "शीला, यार मेरे घर उसका सेटिंग कर दे.. मैं भी तो एक बार तेरे दूध वाले को चख कर देखूँ"
शीला: "हाँ करती हूँ कुछ.. अभी तो यहाँ मेरी नजर सुबोधकांत पर है.. पिछली बार जब हम वैशाली को लेने के लिए आए थे.. तब यहाँ गराज में ही उन्होंने मुझे झुकाकर जो शॉट लगाए थे.. आहाहाहा.. आज भी मेरी चूत उस चुदाई को याद कर डकार मार लेती है.. पर अभी इतने सारे मेहमान है.. चांस मिलना मुश्किल है"
तभी सुबोधकांत.. दो कामुक चूतों की गंध परखते हुए बाहर बागीचे में आ गए और बोले "सगाई की विधि खत्म हो गई.. चलिए खाना खाने चलते है"
"आपने घर बहोत बढ़िया बनाया है" रंगीन सुबोधकांत के साथ परिचय बढ़ाने के इरादे से रेणुका ने कहा
"थेंकस.. वैसे आप जैसों की मौजूदगी से मेरे गार्डेन की शोभा बढ़ गई.." शीला के भव्य स्तनों को देखते हुए सुबोधकांत ने कहा.. "बागीचे के फूलों की कोई तुलना ही नहीं है.. आपकी सुंदरता के सामने"
शीला: "अच्छा.. !! आप को कैसे फूल देखना पसंद है"
रेणुका: "अरे शीला.. इतना भी नहीं समझती..?? भँवरा हमेशा उसी फूल के पास जाता जिसमें रस ज्यादा हो.. "
शीला: "ओह्ह.. मुझे ये समझ नहीं आता की पुरुषों की तुलना हमेशा भँवरे से ही क्यों की जाती है?"
सुबोधकांत: "इसलिए क्योंकी फूलों की सच्ची कदर सिर्फ भँवरा ही कर सकता है.. अगर भँवरा न हो तो फूल किस काम का?? और एक बात बता दूँ आपकी जानकारी के लिए.. पुरुषों की तुलना सिर्फ भँवरे के साथ ही नहीं की जाती.. सांड और घोड़े के साथ भी की जाती है.. अलग अलग मामलों में उनकी ताकत और प्रदर्शन के अनुसार उनकी तुलना अलग अलग प्राणियों से की जाती है.. " सुबोधकांत ने द्विअर्थी संवादों का दौर जारी रखा और साथ ही साथ अपनी चोदने की शक्ति का प्रदर्शन भी कर दिया
"बात तो आपकी सही है.. पर फिलहाल हम भँवरे की जो उपमा देते है.. उसकी बात कर रहे है.. भँवरा अपनी पसंद के फूल पर ही मंडराता है ये तो समझ में आता है.. पर अगर फूल को कोई भँवरा पसंद आ जाएँ तो??" शीला ने सिक्सर लगा दी..
सिर्फ थोड़ी देर के लिए एकांत मिला था.. उसमें जीतने हो सकें उतने दांव खेल लेने के लिए शीला तैयार थी.. उसे पता था की रेणुका की मौजूदगी के कारण सुबोधकांत कुछ कह या कर नहीं पा रहें.. वरना पिछली बार की गराज की मुलाकात की यादें ताज़ा करने का अच्छा मौका था.. अगर थोड़ी देर के लिए भी रेणुका चली जाए.. तो अभी सुबोधकांत को कोने में ले जाकर, अपने दोनों स्तनों के बीच की खाई में गायब कर दूँ.. !!
सुबोधकांत: "उसका भी उपाय है.. अगर फूल को कोई भँवरा पसंद आ जाएँ.. तो उस भँवरे का मोबाइल नंबर ले लेना चाहिए.. और मौका मिलने पर उसका इस्तेमाल करना चाहिए... सिम्पल.. !!
सुबोधकांत भी शीला जीतने ही बेकरार थे.. कल से वो शीला की आँखों के हावभाव में छुपे हुए आमंत्रण को देख पा रहे थे.. सुबोधकांत के उत्तर से शीला रोमांचित हो गई.. सुबोधकांत की बात को आगे बढ़ाने की स्पीड काबिल-ए-तारीफ थी.. जरा भी वक्त नहीं गंवाया उन्हों ने.. अगर इसी गति से बात आगे बढ़ी तो शाम तक कुछ सेटिंग होने की गुंजाइश थी..
सुबोधकांत: "बाय ध वे.. आप दोनों के पास मेरा मोबाइल नंबर तो होगा ही.. अगर नहीं है तो मुझसे ले लेना.. और अगर आपको मेरा न लेना हो.. तो आप मुझे आप दोनों का नंबर दे देना.. कुछ अनमोल पुष्प अगर बागीचे में ना हो तो कोई बात नहीं.. पर उनका नंबर पास होना चाहिए.. कम से कम मोबाइल पर बात करके तो उनकी खुशबू का आनंद लिया जा सके"
रेणुका को सुबोधकांत ने अपना लेटेस्ट आईफोन १६ मोबाइल अनलॉक करके दे दिया.. रेणुका को समझ नहीं आया की क्या करना था.. पर शीला समझ गई.. की सुबोधकांत उनका नंबर मांग रहा था.. रेणुका के हाथ से मोबाइल लेकर शीला ने अपना नंबर डायल किया.. और रिंग बजते ही कट कर दिया..
तभी वहाँ रमिलाबहन आ पहुंची "अरे, तुम लोग यहाँ गप्पे लड़ा रहे हो.. !! सारे मेहमान राह देख रहे है.. अंदर चलिए" सुबोधकांत का हाथ पकड़कर खींचते हुए वो उन्हें अंदर ले गई
रेणुका: "तू हमेशा सब बातों में एक कदम आगे ही रहती है.. अब मैं अपना नंबर उनको कैसे भेजूँ? कुछ जुगाड़ लगाना पड़ेगा.. वैसे आदमी है बड़ा ही दिलचस्प" दोनों हँसते हँसते अंदर गए..
"प्लीज, आप लोग पहले खाना खा लीजिए.. बातें तो होती रहेगी" शीला और रेणुका को बातें करते देख सुबोधकांत ने करीब आकर कहा
शीला और रेणुका ने प्लेट ले ली.. दोनों खाना खाने लगे.. सुबोधकांत भी उनके साथ ही खड़े थे..
रेणुका: "अरे शीला.. पता नहीं मैंने अपना मोबाइल कहाँ रख दिया.. !! जरा मुझे मिस-कॉल करना तो.. !!"
शीला: "देख नहीं रही तुम.. खाना खा रही हूँ.. हाथ गंदे है मेरे"
सुबोधकांत: "अरे कोई बात नहीं.. मैं हूँ ना.. !! आप नंबर बताइए.. !!"
रेणुका ने अपना नंबर कहा.. सुबोधकांत ने डायल करते ही रेणुका के पर्स में ही रिंग बजी.. रेणुका ने शीला की तरफ देखकर आँख मारी
रेणुका: "अरे, ये तो मेरे पर्स में ही था.. मैं भी भूल गई थी.. खामखा आपको तकलीफ दी.. !!"
सुबोधकांत: "अरे इसमें तकलीफ की क्या बात है!!" रेणुका का नंबर सेव करते करते उन्हों ने कहा
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पिंटू के विचारों से वैशाली धीरे धीरे प्रभावित हो रही थी.. दोस्ती अक्सर पौधे जैसी होती है.. कभी कभी मिट्टी, खाद और पानी.. सब कुछ ठीक होने पर भी पौधा नहीं खिलता.. और कभी कभी सड़क के किनारे.. बिना किसी देखभाल के भी खिल उठता है.. पिंटू की मित्रता भी कुछ ऐसी ही थी.. ना वैशाली ने कुछ प्रयत्न किया था.. और ना ही पिंटू ने.. सामान्य बातचीत से शुरू हुआ उनका व्यवहार कब दोस्ती में पलट गया.. दोनों को पता ही नहीं चला.. वैशाली अब निःसंकोच पिंटू से बातें करती थी.. ऊपर से, अब वो उनके ऑफिस भी नियमित रूप से जाने लगी थी.. संजय नाम का पन्ना अब उसकी ज़िंदगी की किताब से धीरे धीरे पलट रहा था और जो नया पन्ना खुला था उस पर हल्का हल्का पिंटू का नाम लिखा हुआ नजर आ रहा था..
कविता, फाल्गुनी, पीयूष और पिंटू.. सब खाना खाने में व्यस्त थे.. वैशाली भी उनके साथ जुड़ गई.. मज़ाक मस्ती.. हंसी-ठिठोली के बीच.. मौसम की मंगनी बड़े ही आराम से पूर्ण हो गई.. शहर में रहते मेहमान भी चले गए थे.. अब बाकी सारे लोगों की वापिस लौटने की बारी थी
रेणुका: "शीला, एक काम करते है.. एक गाड़ी बच्चों को दे देते है.. और दूसरी गाड़ी में हम सब साथ चलते है.. वो सब आराम से बातें करेंगे और हमें भी मज़ा आएगा"
राजेश: "बिल्कुल सही कह रही है रेणुका.. पीयूष, ये लो मेरी इनोवा की चाबी.. आप सब साथ चले जाओ.. हम लोग मदन भैया की गाड़ी में आएंगे"
दोनों ही गाड़ियां चल पड़ी.. फाल्गुनी और मौसम, फिर से अकेले रह गए
एक रात में कितना कुछ घट गया.. !! शादी की रात दुल्हन के लिए यादगार होती है.. पर मौसम के लिए तो सगाई की पिछली रात हमेशा ही याद रहने वाली बन गई थी..
सुबोधकांत: "ये ले बेटा फाल्गुनी.. ये टिफिन अंदर गाड़ी में रख दे.. हमारे ऑफिस के प्युन को देकर आते है.. !!" सुबोधकांत ने एक साथ.. ऑफिस के प्युन, फाल्गुनी की चूत और अपने लंड.. तीनों की भूख मिटाने का बंदोबस्त कर दिया
फाल्गुनी मौसम से नजरें नहीं मिला पा रही थी.. पर मौसम ने ताना मारने का मौका नहीं छोड़ा "पापा का लंड एकदम मस्ती से चूसना.. वैसे भी जीजू का देखकर, तू कभी से गरम हो चुकी है"
नजरें झुकाकर मुसकुराते हुए फाल्गुनी सुबोधकांत की कार में बैठ गई.. उसकी चूत में.. पीयूष का लंड देखकर.. और मौसम को घोड़ी बनकर चुदते देखकर.. गजब की अफरातफरी और खलबली मची हुई थी.. उसे शांत करने का समय आ गया था.. जाते जाते उसकी और मौसम की नजरें चार हुई... मौसम ने उसे आँख मारी.. और फाल्गुनी शरमाकर मुस्कुराई.. सारे मेहमानों को विदा करके सुबोधकांत की कार उनकी ऑफिस की दिशा में चल पड़ी
जैसे ही गाड़ी सोसायटी से बाहर निकली, सुबोधकांत ने फाल्गुनी के दोनों स्तनों को मसलकर रख दीये.. "गजब की सुंदर लग रही है इस ड्रेस में तू.. मन तो कर रहा था की सब के सामने से तुझे उठाकर ऑफिस ले जाऊँ और पटककर चोद दूँ.. !!"
सुनते ही फाल्गुनी बहोत गरम हो गई..उसने कहा "अंकल, आप भी सूट में बड़े हेंडसम लग रहे थे.. मेरा भी बहोत मन कर रहा था.. नीचे तो जैसे बुखार सा चढ़ गया है..!!"
बीस मिनट के ड्राइविंग के बाद दोनों ऑफिस पहुंचे.. ऑफिस पर चपरासी के अलावा और कोई नहीं था.. सुबोधकांत ने उसे टिफिन दिया.. और एक अड्रेस देते हुए कहा की.. वहाँ जाकर पार्टी से चेक लेना है.. उसके जाते ही.. फाल्गुनी कूदकर सुबोधकांत की गोद में बैठ गई.. और उनके मर्दाना होंठों को चूसने लगी..
फाल्गुनी को आज पहली बार सुबोधकांत ने इतना गरम होते हुए देखा था.. पर उन्हों ने उस बारे में पूछताछ करने के बजाए.. उसकी और अपनी गर्मी को ठंडा करने पर ध्यान केंद्रित किया.. फटाफट उन्हों ने फाल्गुनी को उसके वस्त्रों की कैद से आजाद कर दिया और उसके हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया..
फाल्गुनी की दिमाग में अभी भी पीयूष के लंड की यादें ताज़ा थी.. हाँ, अंकल के लंड से साइज़ में पतला और थोड़ा छोटा जरूर था.. पर एक स्त्री के लिए, लंड आखिर लंड होता है.. उसे तो बस अपनी चूत की आग ठंडा करने से ही मतलब होता है..
फाल्गुनी और सुबोधकांत की लंबी किस अब भी चल रही थी उस दुरान मौसम का फोन आया.. पर्स के अंदर पड़ा हुआ मोबाइल वो उठाती उससे पहले ही मिस-कॉल हो गया.. "शायद मेरे घर से फोन होगा.. एक मिनट अंकल.. !!" पर्स से मोबाइल निकालकर उसने देखा और मौसम को फोन लगाया.. ज्यादा बात करना मुमकिन नहीं था क्योंकी अंकल को ये पता नहीं चलना चाहिए की उनके गुलछरों के बारे में मौसम जानती थी..
फाल्गुनी ने एकदम फटाफट कॉल खत्म किया.. सुबोधकांत उसे पूछने ही वाले थे की किसका फोन था.. उससे पहले ही फाल्गुनी ने उनका लंड पकड़कर खेलना शुरू कर दिया.. और सुबोधकांत के मन के सारे प्रश्न, भांप बनकर उड़ गए..
फाल्गुनी की छोटी सी गुलाबी निप्पल को मसलते हुए अपना तंग लोडा उसे दिखाकर सुबोधकांत ने पूछा "मैं तो हेंडसम लग रहा था.. अब इसे देख.. ये कैसा लग रहा है? " अपने सुपाड़े को उजागर करते हुए उन्होंने फाल्गुनी से पूछा
"ये तो इसे पता.. " अपनी चूत की ओर इशारा करते हुए फाल्गुनी ने कहा.. शीला और रेणुका के मदमस्त स्तनों को याद करते हुए सुबोधकांत टूट पड़े फाल्गुनी के ऊपर.. आज फाल्गुनी को अंकल की आक्रामकता कई गुना ज्यादा महसूस हुई
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"मम्मी, तरुण का कॉल है.. मैं बात करके आती हूँ" कान पर मोबाइल चिपकाकर मौसम ऊपर अपने बेडरूम मे चली आई.. और दरवाजा बंद कर दिया..
फाल्गुनी और पापा की काम लीला की आवाज़ें सुनने के लिए वो बेकरार थी.. इसलिए उसने फाल्गुनी को फोन किया था.. और फोन पर सिर्फ इतना ही कहा की.. कॉल को चालू रख और फोन साइड में रख दे.. मौसम उन दोनों की चुदाई लीला को सुनते हुए अपनी चूत में उंगली करना चाहती थी.. फाल्गुनी भी समझ गई.. जीजू के लंड का स्वाद चखकर अब मौसम की भूख जाग चुकी थी.. और अब वो हर पल चुदाई के खयालों में ही खोई रहती थी.. फाल्गुनी ने बड़ी ही चालाकी से कॉल चालू रखकर उसे सोफ़े पर रख दिया और उसे अपने दुपट्टे से ढँक दिया..
अपना स्कर्ट उठाकर पेन्टी के अंदर हाथ डालकर.. टांगें फैलाकर बिस्तर पर लेट गई.. फाल्गुनी और पापा की बातें सुनते हुए वो अपने दाने को रगड़ने लगी..
फाल्गुनी को पता था की मौसम उनकी बातें सुन रही थी.. इसलिए वो बहोत कम बोल रही थी.. और अंकल को ज्यादा बोलने दे रही थी..
सुबोधकांत: "फाल्गुनी बेटा.. कहीं मौसम को हमारे संबंधों के बारे में कुछ भनक तो नहीं लग गई??"
फाल्गुनी: "नहीं नहीं अंकल.. उसे तो इस बारे में कुछ भी पता नहीं है"
सुबोधकांत: "आज जिस तरह वो हम दोनों को साथ जाते देखकर मुस्कुरा रही थी.. ये देखकर मुझे तो शक हो रहा है.. !!"
फाल्गुनी: "ऐसा कुछ भी नहीं है.. अगर उसे कुछ भी भनक लग गई होती तो वो मुझसे बात ही क्यों करती?? आह्ह.. अंकल, मुझे नीचे बड़ी मीठी सी खुजली हो रही है.. जरा चाट दीजिए ना.. !!"
मौसम अपने मोबाइल को कान से चिपकाकर बड़ी उत्तेजना से फाल्गुनी औ पापा की कामुक बातें सुन रही थी.. उसे सुनकर ताज्जुब हो रहा था की क इस बेशर्मी से फाल्गुनी उसके पापा को चूत चाटने के लिए कह रही थी..
सुबोधकान्त: "ओह्ह.. तुझे चूत चटवाने की इतनी जल्दी है.. !!! चल चाट देता हूँ"
मौसम को चूत चटाई की आवाज़ें और फाल्गुनी की सिसकियाँ, दोनों सुनाई दे रही थी.. एक मीठी सी झनझनाहट उसके सारे बदन को सरसराने लगी.. फिर और थोड़ी गंदी गंदी बातें करने के बाद.. सुबोधकान्त ने अपना लंड फाल्गुनी के चेहरे के सामने धर दिया
सुबोधकान्त: "ले बेटा... इसे ठीक से चूस.. बराबर चूसना.. चूस चूसकर तू ऐसी एक्सपर्ट बन जा की शादी के बाद तेरे पति को मज़ा आ जाए.. तू किस्मत वाली है.. की शादी से पहले ही ये सब कुछ सिख पा रही है.. पता नहीं, मौसम को ऐसा सब आता भी होगा या नहीं.. !!"
सुबोधकान्त के खड़े लंड को अपनी कोमल हथेलियों में भरकर हिलाते हुए फाल्गुनी ने कहा "मौसम को भला कौन सिखाएगा?? अगर आप मुझे ये सब न सिखाते तो मुझे भी कैसे पता चलता??"
सुबोधकान्त अब फाल्गुनी के नंगे बदन पर छा गए.. अपने नग्न शरीर से फाल्गुनी के शरीर को ढँक दिया.. और अपनी बालों वाली छाती को उसके स्तनों को रगड़ते हुए बोलें "तुझे तो जब पहली बार देखा था तब से मन बना लिया था चोदने का, मेरी जान.. !! तेरी जवानी.. और खासकर तेरे ये स्तन.. जब देखें तब तय कर लिया था मैंने, की तुझे तो मैं रगड़कर रख दूंगा.. !!"
फाल्गुनी: "मेरे बूब्स?? आपने कब देखें थे मेरे बूब्स अंकल??"
सुबोधकान्त: "एक बार जब तू मेरे हाथों में चाय का कप देने के लिए झुकी थी.. तब तेरे ड्रेस के अंदर, कच्चे अमरूद जैसी चूचियों को देखकर.. मुझे बाथरूम में जाकर मूठ मारनी पड़ी थी.. उस दिन से मैंने मन बना लिया था की तुझे छोड़ूँगा नहीं.. !!"
फाल्गुनी ने झुककर सुबोधकान्त के लोड़े के टोपे पर चुंबन रसीद करते हुए कहा "अच्छा तब देख लिए थे आपने... !!"
"आह्ह.. !!" सुबोधकांत के मुँह से उत्तेजना भरी कराह निकल गई.. "पूरा मुंह में ले ले बेटा.. जड़ तक अंदर लेकर चूस.. बहोत मस्त चूसती है तू.. मौसम को भी तेरी तरह चूसना सीखा दें.. ताकि वो भी शादी के बाद तरुण को मजे दे सकें.. पति को मुठ्ठी में रखने के लिए इस कला का सीखना बहोत आवश्यक होता है बेटा.. !!" कहते हुए सुबोधकान्त ने फाल्गुनी की कोमल क्लिटोरिस को सहलाते हुए उसकी चूत में दो उँगलियाँ सरका दी..
लंड चूसते हुए भी फाल्गुनी की सिसकियाँ निकल रही थी.. चूत में उंगलियों के अंदर बाहर होने की वजह से..
लंड चुसाई की बातों में अपने नाम का उल्लेख सुनकर मौसम का पूरा शरीर कांपने लगा.. वो बेड पर लेट गई.. उसकी और फाल्गुनी की सिसकियाँ अब एक ताल में साथ साथ निकल रही थी.. अपनी चूत में उंगली डालकर मौसम झड़ गई.. पर उसने फोन कट नहीं किया.. मौसम को ये जानने में दिलचस्पी थी की पापा और फाल्गुनी के जिस्मानी संबंध कितना आगे बढ़ चुके थे.. और अन्य कई बातें भी सुनी उसने..
सुबोधकान्त: "फाल्गुनी, एक बार तुझे विदेश ले जाना चाहता हूँ मैं.. पर कैसे सेटिंग करूँ कुछ समझ नहीं आता.. तू अपने घर से दस दिनों के लिए निकल सकती है?? कुछ बहाना बना कर??"
फाल्गुनी: "घर पर क्या बताऊँ अंकल?? रात को आधा घंटा लेट हो जाता है तो भी मम्मी कितना सुनाती है मुझे"
सुबोधकान्त: "समझ सकता हूँ.. पर अगर तेरी कोई फ्रेंड भी साथ हो तो शायद तेरे मम्मी-पापा इजाजत दे देंगे"
फाल्गुनी: "मौसम के अलावा मेरी और कोई फ्रेंड नहीं है.. और अगर मान लो मैं किसी फ्रेंड को लेकर आपके साथ आ भी गई.. तो मुझे तो रात को उसके साथ ही रहना पड़ेगा ना.. !! मैं आपके साथ कैसे रह पाऊँगी??"
सुबोधकान्त: "तू कुछ भी कर बेटा.. कोई तरकीब सोच... तेरी शादी से पहले मैं अपनी कुछ इच्छाएं पूरी करना चाहता हूँ जिसके लिए तुझे बहार ले जाना जरूरी है.. यहाँ उसे पूरा नहीं कर पाऊँगा"
फाल्गुनी: "पर अंकल, एक दिन भी बाहर रहना मुमकिन नहीं है.. आप तो दस दिनों की बात कर रहें है"
सुबोधकान्त: "फाल्गुनी, मेरी कुछ खास गुप्त इच्छाएं है.. जिन्हें तृप्त करने की आस लिए मैं अब तक जी रहा हूँ.. और अगर तेरे साथ उन इच्छाओं को पूरी न कर पाया.. तो फिर इस जीवन में उनकी पूरे होने की कोई संभावना नहीं है.. और तू मेरे पास रहेगी भी कितने समय तक?? एकाध साल में तो तेरी भी शादी हो जाएगी.. !!"
फाल्गुनी: "आह्ह अंकल.. ये सारी बातें कर मुझे दुखी मत कीजिए.. मैं अभी यहाँ खुश होने आई हूँ.. तो मुझे खुश कीजिए.. ओह्ह.. मैं अभी बहोत एक्साइटेड हूँ.. ऊँहहह..मुझे चोद दीजिए.. आपके इस (लंड पकड़ते हुए) को तो मैं शादी के बाद भी याद रखूंगी.. और मौका मिलने पर इसे खुश भी करती रहूँगी.. !!" बेशर्म होकर फाल्गुनी ने कहा
मौसम फोन पर फाल्गुनी की आनंद से भरी किलकारीयों को दर्द भरी सिसकियों को.. साथ में लंड चुसाई के पुचूक-पुचूक आवाजों को सुनकर मदहोश हो गई थी.. झड़ने के बाद उंगलियों पर लगे चूत रस को सुनते हुए उसने फोन पर फ़च-फ़च की आवाज़ें सुनी.. वो समझ गई की फाल्गुनी की बुर में पापा का लंड घुस चुका था और घमासान चुदाई का दौर शुरू हो गया था.. आह्ह.. !! कितना मज़ा आ रहा होगा फाल्गुनी को.. !!
अपनी चूत पर हाथ फेरते हुए, क्लिटोरिस पर लगे प्रवाही को अपनी निप्पल पर लगाते हुए वो फाल्गुनी की दर्द भरी कराहों को... उत्तेजना मिश्रित सिसकियों को.. लंड और चूत के घर्षण की आवाजों को.. पापा और फाल्गुनी की जांघों के टकराने की ध्वनि को... सुन रही थी.. और सुनते सुनते उसकी चूत एक बार फिर से झड़ गई.. !! इतने कम समय में दो दो ऑर्गजम.. !! मौसम को आश्चर्य हुआ.. दूसरी बार झड़ने के बाद, उसके शरीर की सारी ऊर्जा खर्च हो चुकी थी
मौसम ने फोन कट किया और लाश की तरह सुस्त होकर बेड पर पड़ी रही.. पाँच मिनट के अंतर में उसकी चूत, दो बार ठंडी करते हुए मौसम ने आज नया विक्रम स्थापित कर लिया था.. वो भी बिना लंड के.. !! सिर्फ आवाज़ें सुनकर.. अगर सुनने में इतना मज़ा आया तो फाल्गुनी को कितना मज़ा आ रहा होगा.. !! ये सोचते हुए मौसम को ये विचार आया की पापा अपनी कौन सी गुप्त इच्छाओं के बारे में बात कर रहे थे.. !! सोचते सोचते उसने अपनी जांघें आपस में दबा दी और आँखें बंद कर ली.. !!
करीब एक घंटे बाद मौसम की तब आँख खुली जब फाल्गुनी ने उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक दी.. कपड़े पहनकर उसने दरवाजा खोला और फाल्गुनी भी अंदर आ गई.. दोनों सहेलियाँ बातें करते करते थोड़ी देर के लिए सो गई.. आधे घंटे के बाद फाल्गुनी उठी.. मुंह धोकर फ्रेश हो कर घर चली गई.. मौसम किचन में मम्मी की मदद करने लग गई.. रमिला बहन भी बहोत थक चुकी थी.. मौसम की सगाई बिना किसी तकलीफ के निपट जाने का संतोष उनके चेहरे पर नजर आ रहा था..
mind blowing both updates ..........................राजेश सर की इनोवा में, कविता, पिंटू, वैशाली और पीयूष बैठे हुए थे.. पीयूष के दोस्त की कार में मदन, शीला, रेणुका और राजेश थे.. !!
पूरे रास्ते में सब ने बातें करते हुए बहोत मजे किए.. ये ट्रिप, वैशाली के लिए बड़ी ही यादगार थी.. पिंटू से करीबी होते ही वो संजय की कड़वी यादों को भुला रही थी..
मदन और राजेश की बीच भी अच्छी मित्रता हो गई थी.. रात को हाइवे की एक होटल में डिनर के लिए जब दोनों गाड़ियां रुकी.. तब शीला को अपने दामाद संजय और हाफ़िज़ के संग गुजारे हनीमून की याद आ गई.. संजय, हाफ़िज़, जॉन और चार्ली की याद आते ही शीला का भोसड़ा चुनमुनाने लगा..
सब लोग रेस्टोरेंट की तरफ जा रहे थे तब शीला, रेणुका को लेकर टॉइलेट की तरफ गई.. शीला और रेणुका तो पहले से ही बहोत अच्छी सखियाँ थी.. बाथरूम की तरफ जाते हुए, शीला ने अपनी बातों से रेणुका को भी बेहद गरम कर दिया.. उसने गोवा की ट्रिप के बारे में बताया.. पर ये नहीं बताया की वो अपने दामाद के साथ गई थी.. गोवा में कैसे उसने अंग्रेज जॉन का लंड लिया था.. रास्ते में कैसे कार के ड्राइवर ने उसके बबले दबाए थे.. और फिर ऐसी ही एक होटल के बाहर.. अंधेरे में कैसे उसने बाहर चुदवाया था..
मिर्च-मसाला लगाकर उसने सारी बातें रेणुका को बताई.. रेणुका की हालत खराब हो गई, ये सब सुनकर.. !! उसकी दोनों आँखों से हवस टपकने लगी.. !! शीला देखकर ही समझ गई की रेणुका को लंड की भूख सता रही थी.. टॉइलेट में दोनों अलग अलग क्यूबिकल में पेशाब करके बाहर निकली.. वॉशबेज़ीन में रेणुका जब झुककर अपने हाथ धो रही थी.. तब उसके पल्लू के नीचे से.. काँखों की बगल में.. उसके स्तन लटकते हुए नजर आने लगे..
लेडीज टॉइलेट में उन दोनों के अलावा और कोई नहीं था.. शीला भी बहोत उत्तेजित थी.. वो रेणुका के पीछे खड़ी हो गई और अपनी चूत को उसके चूतड़ों पर दबाकर.. दोनों हाथ आगे ले गई.. और उसके दोनों स्तनों को ब्लाउस के अंदर हाथ डालते हुए सख्ती से पकड़ लिए..!! और उसकी निप्पलों को मसलते हुए, मर्द की तरह धक्के लगाने लगी..
अपने हाथ धोकर, रेणुका खड़ी हुई और हाथ पोंछे तब तक शीला उसकी गर्दन पर जीभ फेरते हुए चाटकर उसे उत्तेजित करने लगी थी.. वो शीला की तरफ मुड़ी.. और उसके गदराए जिस्म को बाहों मे भरकर उसके होंठों पर रेणुका ने एक उत्तेजक चुंबन कर दिया... शीला के आवेग भरे आक्रमण के आगे रेणुका ज्यादा देर तक खुद को संभाल नहीं पाई.. और शीला के थूक को चाटते चाटते वो अपनी जीभ को अंदर डाल डालकर चूसने लगी.. दोनों के बड़े बड़े स्तन, एकाकार हो गए थे.. !!
रेणुका: "यार, पहले तो तूने मुझे अपनी बातों से गरम कर दिया.. और अब अपनी इन हरकतों से बेकाबू कर रही है.. !! इरादा क्या है तेरा शीला?? तुझे पता तो है की यहाँ पर कुछ भी ज्यादा कर पाना मुमकिन नहीं है.. !! फिर क्यों उकसा रही है मुझे??"
रेणुका के दोनों बबलों को हाथों से मसलते हुए शीला ने कहा "यार, मुझसे रहा ही नहीं गया.. तू अपने आप पर काबू कर सकती है.. पर मुझे तो एक बार लंड की तलब लग जाएँ फिर मैं कंट्रोल नहीं कर सकती.. मुझे लंड चाहिए ही चाहिए.. !! कैसे भी करके मुझे चुदवाना पड़ेगा.. !! देख तो.. नीचे क्या हालत हो रही है यार.. !!" रेणुका का हाथ पकड़कर अपने घाघरे के नीचे डालते हुए.. पेन्टी के अंदर.. अपनी रस से लसलसित भोसड़े पर दबा दिया..
रेणुका: "हाँ यार.. नीचे तो बवाल मचा हुआ है तेरे.. मेरा भी हाल कुछ ऐसा ही हो रहा है.. पर अब क्या करें?? यहाँ लंड कहाँ से लाएं??"
शीला: "अब तो और क्या हो सकता है.. !! तू तो घर जाकर.. बड़ी मस्ती से... टांगें फैलाकर.. राजेश के लंड से मस्त होकर चुदवा लेगी.. मुझे तो वैशाली के कारण बहोत कंट्रोल में रहना पड़ता है.. अपने आप को रोकते हुए चुदवाना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता.. अपनी आवाज को रोककर रखना पड़ता है.. कहीं वैशाली सुन न ले.. ऐसे में कहाँ मज़ा आएगा..!! एक काम करते है रेणु.. !!"
शीला के रसद्रवित भोसड़े में तीन तीन उँगलियाँ एक साथ अंदर बाहर करते हुए रेणुका ने कहा "हाँ हाँ .. बोल ना.. !!"
"खाना खाकर.. जब हम वापिस गाड़ी में बैठें.. तब तू पहले से ही राजेश के साथ आगे बैठ जाना.. मैं मदन के साथ पीछे बैठ जाऊँगी.. अंदर तो ले नहीं पाऊँगी.. पर मदन के हाथों मूठ मरवा लूँगी.. !! वो बॉल दबाते दबाते उंगली डालेगा तो मैं जल्दी फ्रेश हो जाऊँगी.. जब पूरी थाली नसीब न हो तब नाश्ते से ही काम चलाना पड़ता है..!!"
रेणुका: "कार में?? राजेश की मौजूदगी में तुझे शर्म नहीं आएगी??"
शीला: "उसका सारा ध्यान तो ड्राइविंग में ही होगा.. तुझे एक और काम करना होगा.. पास बैठे बैठे.. तू राजेश के साथ छेड़खानियाँ करती रहना.. मर्दों को ऐसा सब बहोत पसंद होता है.. तू चुपके से अंधेरे में उसके लंड पर हाथ रखकर सहलाते रहना.. उसका ध्यान फिर कहीं और भटकेगा ही नहीं.. और तुम दोनों की हरकतें देखकर, फिर हम दोनों शुरू हो जाएंगे.. !! जब हमाम में सब नंगे हो फिर भला शर्म कैसी??"
रेणुका: "साली, तू एक नंबर की शातिर है.. !!"
शीला: "और हाँ.. सिर्फ ऊपर ऊपर से ही मत सहलाना.. चैन खोलकर बाहर भी निकालना.. मैं भी तो देखूँ.. किस लंड से तू रोज चुदवाती है.. इसी बहाने राजेश का लंड देखने मिल जाएगा"
रेणुका: "सिर्फ देखने में क्या मज़ा आएगा तुझे.. !! मेरे पति का लंड देखकर तुझे कहाँ संतोष होने वाला है.. !! ये तो ऐसी चीज है जिसे देखकर बेचैनी और बढ़ जाती है.. शीला, अगर सही में मजे करने हो तो.. तू राजेश के साथ बैठ और मैं मदन के साथ बैठती हूँ.. जस्ट फॉर चेंज.. मज़ा आएगा"
हवसखोर शीला, रेणुका की यह बात सुनकर एकदम बेकाबू हो गई
"ओह्ह रेणुका.. ये तूने क्या कह दिया??? मेरा और मदन का बहोत पुराना सपना है.. पार्टनर बदल कर सेक्स करने का.. पर वो आज तक पूरा नहीं हुआ है.." शीला ने सिसकते हुए कहा.. रेणुका के हाथ को अपने भोसड़े पर और सख्ती से दबा दिया उसने
रेणुका: "क्या सच में?? हम दोनों भी ऐसे मौके की तलाश में है.. असल में.. राजेश के कॉन्टेक्ट में एक कपल है.. जो पार्टनर चेंज करने के लिए राजी है.. पर वो लोग बहोत घबरा रहे है.. इसलिए अबतक मिलना नहीं हुआ.. वेबसाइट पर कॉन्टेक्ट हुआ है.. वो लोग रोज मेसेज भेजते है.. राजेश बता रहा था की उस वेबसाइट पर ऐसे पचास से ज्यादा जोड़ों का ग्रुप है.. जो आपस में पार्टनर बदलते रहते है.. यार, मुझे तो सुनकर ही ऐसा मज़ा आ गया था.. पर अब तक कुछ हो नहीं पाया यार.. !!"
शीला: "ओह्ह रेणुका.. तू ऐसी सब बातें मत कर.. आह्ह.. तू एक काम कर.. राजेश को कोने में ले जाकर बता दे.. की वो मेरे साथ ही बैठें.. और वो निःसंकोच होकर मेरे बबले दबाएं.. और उसे जो मर्जी कर्रे मेरे साथ.. मुझे बुरा नहीं लगेगा.. मैं मदन को तैयार करती हूँ.. हम कार में ही पार्टनर बदल लेते है.. मस्त सेटिंग हो जाएगा.. !! अगर राजेश भी मेरे और मदन जैसा खुले विचारों वाला हो तो.. हम एक कमरे में ही ग्रुप सेक्स का सेटिंग कर सकते है.. "
रेणुका: "हाँ यार.. राजेश को वैसे तो कोई प्रॉब्लेम नहीं होना चाहिए.. तभी तो वो उस वेबसाइट पर कपल ढूंढ रहा था.. पर अनजाने लोगों के साथ यह सब करने में बड़ा जोखिम होता है.. इसलिए वो भी थोड़ा सा झिझक रहा था"
शीला: "हाँ, वो तो है.. पर हमारे साथ तो ये प्रॉब्लेम भी नहीं होगा.. किसी को कानोंकान खबर भी नहीं लगेगी.. चल अब चलते है.. कहीं कोई आ गया तो तकलीफ हो जाएगी"
रेणुका: "एक मिनट रुक जा शीला.. मेरे दिमाग में ओर एक आइडिया आ रहा है"
शीला: "अरे यार, जल्दी चल.. सब इंतज़ार कर रहे होंगे हमारा.. जाते जाते बताना तेरा आइडिया.. !!"
रेणुका ने शीला की चूत से उँगलियाँ बाहर निकाली और हाथ धो लिए.. दोनों टॉइलेट से बाहर निकली.. मदन और राजेश बातें कर रहे थे.. वैशाली और कविता भी बातों में उलझी हुई थी.. पीयूष अपने मोबाइल पर लगा हुआ था
चलते चलते शीला ने पूछा "अब बोल, क्या बता रही थी तू?"
रेणुका: "मैं ये सोच रही थी.. हम अभी अपने मर्दों को इस बारे में कुछ नहीं बताएंगे.. हम ऐसे पेश आएंगे जैसे हम खुद ही एक दूसरे के पतिओ को पटा रहे है.. उन्हें बिना कुछ कहें"
शीला: "कार में ये सब कैसे करेंगे?? उससे अच्छा तो बता कर ही करते है"
रेणुका: "मैं जैसे कह रही हूँ वैसा कर.. हम फिलहाल अपने अपने पार्टनर के साथ ही बैठेंगे"
शीला: "ठीक है यार.. जैसा तू कहें.. पर एक दूसरे के पति के साथ बातें तो कर सकते है ना.. !!"
रेणुका: "हाँ कर सकते है.. पर सिर्फ बातें ही करनी है अभी के लिए.. बाकी सब छुप छुपकर करना होगा.. कल से हम फोन पर शुरू करेंगे.. तू राजेश को फोन करना और मैं मदन को फोन करूंगी.. हम दोनों आपस में एक दूसरे को सब बता देंगे.. पर अपने पति को कुछ नहीं बताएंगे.. फिर देखते है.. हमारे मर्द कैसे पेश आते है"
शीला: "यार, गजब का आइडिया सोचा है तूने.. मतलब अब इस उम्र में हमें फ्लर्ट करना होगा.. वो भी एक दूसरे के पति के साथ.. !!"
रेणुका: "अरे यार, फ्लर्ट करने के लिए कोई उम्र थोड़े ही होती है.. !! वो तो कभी भी कर सकते है"
दोनों चलते चलते टेबल के पास आई.. अपने अपने पति के पास बैठ गई.. थोड़ी देर के बाद.. शीला ने कहा "यार यहाँ कोने में मुझे घुटन हो रही है.. रेणुका, तुझे प्रॉब्लेम न हो तो तू यहाँ बैठ जाएगी?" रेणुका तुरंत ही उठ खड़ी हुई और मदन के पास बैठ गई.. मुसकुराते हुए शीला राजेश के पास आकर बैठ गई
पीयूष, कविता, पिंटू और वैशाली एक टेबल पर थोड़े दूर बैठे थे.. उन्हें इन चारों में कोई दिलचस्पी नहीं थी.. कविता को जरा सा भी अंदाजा नहीं था की उसके प्रेमी पिंटू के प्रति, वैशाली आकर्षित हो चुकी थी.. आपस में बातें करते हुए, वैशाली और पिंटू और करीब आते जा रहे थे.. अठारह बीस साल की लड़की, लड़कों के दिखावे से आकर्षित होती थी.. पर तीस की उम्र पार कर चुकी लड़कियां, लड़के के विचार, सद्गुण और सलामती देखकर आकर्षित होती है..
राजेश: "ये तो आप दोनों ने अदला-बदली कर दी.. मेरे साथ शीला जी और मदन के साथ रेणुका.. हा हा हा हा"
रेणुका ने शर्म के मारे आँखें झुका दी..
राजेश: "अरे, मैं तो मज़ाक कर रहा था"
शैतानी मुस्कान के साथ शीला ने कहा "अच्छा मज़ाक था.. !!"
मदन ने चोंककर रेणुका के सामने देखा.. वो कनखियों से मदन को देख रही थी.. उसने अपनी नजरें फेर ली.. और खाना खाने पर ध्यान केंद्रित किया
खाना खाकर सब वापिस अपनी गाड़ियों में बैठ गए.. पीयूष की गाड़ी आगे जाने दी और मदन ड्राइविंग सीट पर बैठ गया..
रेणुका: "अरे राजेश, मदन कब से गाड़ी चला रहा है.. थक गया होगा.. थोड़ी देर तू गाड़ी चला ले"
राजेश" "मैं बस बोलने ही वाला था.. मैं चला लेता हूँ.. !!"
मदन को रेणुका की ये बात बहोत अच्छी लगी "थेंकस रेणुका.. मैं वाकई थक चुका हूँ"
राजेश ड्राइवर सीट पर बैठ गया और रेणुका उसके साथ.. शीला और मदन पीछे की सीट पर बैठ गए
जैसे ही गाड़ी चली.. शीला ने मदन की जांघों पर हाथ रख दिया.. और मदन के सामने देखकर, शैतानी भरी मुस्कान देते हुए आँख मारी.. धीरे से उसके लंड को सहला रही शीला का हाथ पकड़कर मदन ने उसके कान में कहा "यार, क्यों सो रहे सांप को जगा रही है?? ये जाग गया तो फिर शिकार मांगेगा.. "
शीला ने मदन के कान मे कहा "तेरे सांप में अब शिकार करने का दम ही कहाँ है.. !!"
शीला इतनी उत्तेजित थी की उसने मदन की मर्दानगी को ही ललकार दिया.. जब भी उसका भरपूर चुदाई का मन हो तब वो मदन को ऐसा ही कुछ बोलकर उकसाती.. और फिर मदन उसे बेरहमी से चोद देता.. !!
शीला की आँखों से टपकती वासना को देखकर मदन सोच में पड़ गया.. ये साली इस समय गरमाए बैठी हुई है?? यहाँ गाड़ी में, राजेश और रेणुका की मौजूदगी में.. इसे कैसे शांत करूँ.. !!
शीला: "बहोत गर्मी हो रही है यार.. रेणुका, जरा एसी तेज कर दे"
रेणुका ने मुसकुराते हुए कहा "अब तुझे इस उम्र में बड़ी गर्मी चढ़ रही है.. !! देखना.. कहीं घर जाकर मदन को अपनी आग में मत झोंक देना.. तेरी आग के बारे में, मैं अच्छे से जानती हूँ.. एसी की हवा से शांत नहीं होने वाली तू"
शीला: "चुप कर बदमाश.. कुछ भी बोलती रहती है.. वैसे गर्मी तो तेरे अंदर भी कुछ कम नहीं है.. अच्छे अच्छों को पिघलाने का हुनर है तुझ में.. !!"
रेणुका: "अब वो तो महसूस करने वाले को पता.. की मेरे अंदर कितनी गर्मी है.. पर हम भी अपनी गर्मी उन्हीं को दिखाते है जिसमे इस गर्मी को शांत करने की ताकत हो"
रेणुका और शीला, जान बूझकर खुलकर बातें कर रही थी.. उनकी बातें सुनकर मदन और राजेश को भी थोड़ा सा ताज्जुब हुआ.. धीरे धीरे दोनों ज्यादा से ज्यादा खुलने लगी..
ब्लाउस से एक स्तन बाहर निकालकर, ड्राइव कर रहे राजेश का हाथ खींचकर, उसपर रख दिया रेणुका ने.. टाइट ब्लाउस से पूरा स्तन तो बाहर नहीं निकाल पाई.. पर आधे स्तन की उभरी हुई निप्पल पर वो राजेश की हथेली को रगड़ने लगी.. इस हरकत से.. और रेणुका तथा शीला की उत्तेजक बातें सुनकर.. राजेश का लंड पतलून में तंबू बनाकर खड़ा हो गया
रेणुका राजेश का लंड बाहर निकालना चाहती थी.. पर उसके पेंट की चैन खुल ही नहीं रही थी.. शीला की बातें सुनकर राजेश का लंड इतना सख्त होकर अंदर से दबाव बना रहा था की चैन खुलने ही नहीं दे रहा था.. रेणुका ऊपर ऊपर से ही.. उस कचौड़ी जैसे फुले हुए हिस्से को सहलाने लगी.. आखिर राजेश ने ही रेणुका का काम आसान करने के लिए.. अपने पेंट का एक बटन खोल दिया.. बटन खुलते ही.. आधी चैन अपने आप खुल गई.. वी शैप की अन्डरवेर के साइड से सख्त लोडे को बाहर निकालकर, राजेश ने रेणुका के हाथों में सौंप दिया.. जिसे पकड़ते ही रेणुका की आह्ह निकल गई..
रेणुका ने अपना चेहरा राजेश के कान के करीब लाकर.. बिल्कुल धीमे से कहा "माय गॉड.. ये क्या है राजेश!! इतना टाइट तो आज तक कभी नहीं हुआ.. मैं नंगी होकर अपनी चूत फैलाकर तेरे मुंह पर रख देती हूँ तब भी इतना कडक नहीं होता है.. " रेणुका की इन हरकतों को देखकर शीला समझ गई की राजेश का लंड बाहर निकल चुका है.. मदन की मौजूदगी की जरा भी परवाह किए बगैर, शीला ने थोड़ा सा आगे आकर रेणुका के हाथ में जकड़े राजेश के लंड को देखा..
मदन: "क्या देख रही है शीला? शर्म नहीं आती तुझे?"
शीला ने बेधड़क होकर कहा "अच्छा.. अभी तू साइड से.. रेणुका के स्तन को देख रहा था.. तब तुझे शर्म नहीं आई थी?"
शीला ने मदन का लंड बाहर निकाला और झुककर चूसने लगी.. मदन की आँखें बंद हो गई.. शीला के कामुक होंठों ने लंड के इर्दगिर्द ऐसी पकड़ बना ली थी की वो अपने आपे से बाहर हो रहा था.. अपनी जीभ से शीला ऐसा कमाल कर रही थी की मदन से रहा नहीं जा रहा था.. ये तो मदन था जो शीला की इस कामुक चुसाई को बर्दाश्त कर पा रहा था.. और कोई होता तो उसके लंड ने कब का इस्तीफा दे दिया होता.. !!
मदन ने शीला के सर को पकड़े रखा था.. जब वो लंड अंदर लेने के लिए झुकती तब वो अपनी गांड उठाकर उसके मुंह में अंदर तक अपना लंड पेल देता.. शीला के मुंह से विचित्र आवाज़ें निकल रही थी.. शीला जान बूझकर ज्यादा आवाज़ें कर रही थी.. वो चाहती थी की रेणुका और राजेश उसकी आवाजों को सुने.. पर मदन को बहोत शर्म आ रही थी.. शीला और रेणुका एक दूसरे के सामने देखते हुए बार बार हंस रही थी..
राजेश ने पीछे देखते हुए कहा : "अरे क्या हो रहा है पीछे?" राजेश को अंदाजा तो लग गया था पर फिर भी उसने पूछा
मदन ने आगे की सीट पर बैठे राजेश के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "भाई, कुछ नहीं हो रहा है.. तुम अपना ध्यान ड्राइव करने पर ही रखो..वरना एक्सीडेंट हो जाएगा"
हँसते हुए राजेश ने ड्राइविंग पर ध्यान केंद्रित किया.. पर रेणुका को मदन कैसे रोकता?? वो तो पीछे देखने लगी.. झुकी हुई शीला को..
मदन ने शरमाते हुए कहा "वो जरा शीला सफर के कारण थक गई है इसलिए मेरी गोद में सो रही है.. थोड़ा सा वॉमीट जैसा हो रहा है उसे इसलिए ऐसी आवाज़ें निकाल रही है" वैसे रेणुका को पता ही था की शीला क्या कर रही थी..
रेणुका: "अच्छा.. ?? मुझे तो ऐसी आवाज़ें आई जैसे कोई कुल्फी चूस रहा हो"
राजेश: "कहीं कोई गुड न्यूज़ तो नहीं है ना शीला भाभी..!! मदन, हम सब का मुंह मीठा करवाना पड़ेगा.. इस बार तो पक्का लड़का ही होगा..!!" उसने हँसते हँसते कहा
मदन: "क्या राजेश तू भी?? इस उम्र में अगर तुझे मिठाई खानी हो तो मुझे किसी 20 साल की लड़की से ब्याहना पड़ेगा.. मेरी तलवार में तो अब भी वार करने की ताकत है.. पर तेरी भाभी की म्यान सूख चुकी है.. !!"
अपना सिर ऊपर नीचे करते हुए मदन के लंड को चूस रही शीला को रेणुका देखती ही रही.. मदन शर्म से पानी पानी हो रहा था.. रेणुका ने राजेश के लंड को अपनी मुठ्ठी में दबाकर हिलाते हुए शीला को देखने के लिए पलटी.. तब उसका खुला हुआ गोरा स्तन, मदन की आँखों के बिल्कुल सामने आ गया.. मदन को अपने बबले को तांकते हुए देखकर.. रेणुका ने बिना शरमाये, राजेश के गाल पर किस कर दिया.. और मदन की तरफ देखकर उसे आँख मारी.. और कहा.. "आप दोनों इतना सब कर सकते हो तो हम इतना तो कर ही सकते है ना.. !!" इतनी मादक आवाज में रेणुका ने आमंत्रण भरी आँखों से मदन की ओर देखकर कहा
मदन: "आप को जो करना हो कर सकते हो.. मैंने कब मना किया.. ?? अगर आप को भी वॉमीट होने जैसा हो रहा हो तो आप भी गोद में सो जाइए.. जो करना हो कीजिए.. बस पीछे मत देखिए"
रेणुका : "एक बार शीला का हो जाने दो.. फिर सोचती हूँ"
मदन चोंक गया "मतलब?? मैं मेरी गोद में सुलाने की बात नहीं कर रहा हूँ.. क्या आप भी!!!"
राजेश ड्राइविंग करते करते इन सारी बातों का मज़ा ले रहा था
मदन की गोद में मुंह डालकर चूस रही शीला ने मुंह से लंड निकाला और कहा "मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है रेणुका.. तू मदन की गोद में मुंह डालेगी तो मैं भी राजेश की गोद में मुंह डाल दूँगी" इतना कहकर शीला फिर से मदन का लंड चूसने में मशरूफ़ हो गई..
रेणुका को महसूस हुआ.. की जब शीला ने राजेश की गोद में जाने की बात खी.. तब राजेश का लंड और कडा हो गया.. वो इस बारे में राजेश के कान में कुछ कहने ही वाली थी.. चेहरा उसके कान के करीब ले जाकर वो कुछ कहती.. उससे पहले ही मदन ने पीछे से रेणुका के गोरे चिकने गाल पर एक हल्की सी पप्पी कर दी.. रेणुका का पूरा शरीर सिहरने लगा.. सिर्फ आधी सेकंड में ये हो गया.. राजेश और शीला को तो इसके बारे में पता तक नहीं चला क्योंकि राजेश आगे बैठा था और शीला का चेहरा नीचे था.. रेणुका के जिस्म में रोमांच और उत्तेजना की एक लहर सी दौड़ गई.. अपने पति की मौजूदगी में किसी गैर मर्द से चूमे जाने का विचार भी रोमांचित कर देता है..
जैसे कुछ न हुआ हो वैसे रेणुका राजेश के लंड से खेलती रही..
पीछे की सीट पर मदन का पूरा शरीर तंग हो गया.. शीला मुंह से लंड निकालकर उठ गई.. और अपनी टांगों के बीच हाथ डालकर उसने पेन्टी उतारकर पर्स में रख दी.. फिर दोनों हाथों से उसने अपना घाघरा उठाया.. और अपनी नंगी चूत को खुद ही सहलाने लगी.. पूरी कार में शीला के भोसड़े की मादक गंध फैल गई.. आगे की सीट पर बैठा राजेश भी समझ गया की पीछे क्या हो रहा था..
राजेश ने रेणुका से कहा : "अरे यार.. ठीक से बबले बाहर निकाल.. इस तरह आधे आधे में कुछ मज़ा नहीं आ रहा.. पीछे देखकर कुछ तो सीख.. !!"
रेणुका ने तुरंत अपने ब्लाउस के तमाम हुक खोल दीये.. और अपने दोनों खरगोशों को खोल दिया.. "पहले से बोलना चाहिए था ना तुझे.. !! बिना कहें मुझे कैसे पता चलता.. ले दबा ले.. जितना मन करें.. !!" रेणुका जान बूझकर थोड़ी ऊंची आवाज में बोली ताकि मदन को भी सुनाई दे..
राजेश ने भी ऊंची आवाज में.. शीला सुन सके उस तरह कहा "तुझे अपने बबलों को कभी ढंकना ही नहीं चाहिए.. कपड़ों के पीछे ये बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते"
"ऊँहहह.. जरा धीरे धीरे दबा यार.. तोड़ देगा क्या??" अंगड़ाई लेते हुए रेणुका ने कहा.. "और इन्हें जरूरत के समय ही खोल सकते है.. तुम्हारा भी हर वक्त खड़ा थोड़े ही रहता है?? जब जरूरत होती है तभी तो उठता है तुम्हारा.. !!"
"आह्ह रेणु... अब तो रहा नहीं जाता" राजेश ने सिसकते हुए कहा
"आज कुछ ज्यादा ही टाइट हो गया है तेरा.. डार्लिंग, परफ़ॉर्मन्स के टाइम तो इतना सख्त नहीं होता तेरा.. !! आज क्या खास हो गया??"
राजेश: "आज का माहोल ही कुछ ऐसा है जानु.. तू भी आज कितनी खिली खिली लग रही है.. इतना तो बेडरूम में कभी नहीं चमकती.. किसी और बेटसमेन का साथ इनिंग खेलना का मन तो नहीं बना लिया.. हा हा हा हा हा.. !!"
मदन: "नई जगह हो.. और नया क्लाइमेट हो तब खेलने में ज्यादा मज़ा आता है.. राजेश तुझे घास वाली पिच ज्यादा पसंद है या बिना घास की?"
राजेश: "मुझे घास से कोई मतलब नहीं.. हाँ अगर पिच नई मिल जाए तो बेटिंग करने का मज़ा आ जाएँ"
मदन और राजेश क्या बात कर रहे थे वो दोनों महिलायें अच्छी तरह समझ रही थी.. और वो भी मजे ले रही थी
कामुक हरकतें और बातें करते करते वो लोग कब शहर पहुँच गए, पता ही नहीं चला.. !!
राजेश ने रेणुका को एक आखिरी किस देकर कहा "चलो अब बाकी सब घर जाके करना.. हम पहुँच रहे है" राजेश ने अपना लंड रेणुका के हाथ से छुड़ाते हुए कहा और बड़ी मुश्किल से उसे पेंट में फिर से कैद किया..
शीला ने अपना घाघरा नीचे कर दिया.. इतना सब करने के बावजूद वो झड़ नहीं पाई थी.. ऐसे वातावरण में सबके सामने उसका झड़ना मुमकिन भी नहीं था.. उसे चाहिए था तड़कता-भड़कता स्खलन.. चीखते चिल्लाते हुए.. आवाज को रोककर झड़ना उसे बिल्कुल पसंद नहीं था..
चारों एकदम नॉर्मल होकर ठीक से बैठ गए.. शहर के अंदर घुसते ही.. एक होटल के पास, पीयूष गाड़ी खड़ी रखकर इन चारों का इंतज़ार कर रहा था.. राजेश और रेणुका गाड़ी से उतरे.. और अपनी गाड़ी में बैठ गए.. पीयूष, कविता और वैशाली उतरकर दूसरी गाड़ी में बैठ गए.. राजेश अपनी गाड़ी में पिंटू को ले गया.. क्योंकि दूसरी गाड़ी में जगह नहीं बची थी..
सब अपने अपने घर पहुँच गए.. मदन अब कोई नया बिजनेस ढूंढ रहा था.. और वैशाली अपना जीवनसाथी.. !!!