• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance श्राप [Completed]

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,048
22,461
159
Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28, Update #29, Update #30, Update #31, Update #32, Update #33, Update #34, Update #35, Update #36, Update #37, Update #38, Update #39, Update #40, Update #41, Update #42, Update #43, Update #44, Update #45, Update #46, Update #47, Update #48, Update #49, Update #50, Update #51, Update #52.

Beautiful-Eyes
* इस चित्र का इस कहानी से कोई लेना देना नहीं है! एक AI सॉफ्टवेयर की मदद से यह चित्र बनाया है। सुन्दर लगा, इसलिए यहाँ लगा दिया!
 
Last edited:

dhparikh

Well-Known Member
9,787
11,365
173
Update #22


आज ईआईटी के मुख्य प्रेजेंटेशन हॉल में ईस्ट कंसल्टिंग ग्रुप का अंतिम प्रेजेंटेशन था। जेसन अपनी पूरी टीम, जिसमें मीना एक अग्रणी सदस्या थी, के साथ पूरी तैयारी के साथ आया हुआ था। प्रेजेंटेशन करीब दो घण्टे तक चला - अधिकतर समय मीना ने ही लिया। आदित्य और जय के लिए ऐसा कुछ भी नहीं था जो नया हो - मीना ने पहले ही सब कुछ बता दिया था। ... वो तो ‘घर की’ ही हो गई थी, लिहाज़ा, एक अलग ही अधिकार बोध के साथ वो प्रेजेंटेशन दे रही थी। उसके अंदर यह परिवर्तन जेसन और टीम के अन्य सदस्यों ने भी महसूस किया - अन्य क्लाइंट्स के साथ वो प्रोफ़ेशनल अंदाज़ में प्रेजेंटेशन देती थी, लेकिन यहाँ ऐसा लग रहा था कि जैसे वो आदित्य और जय को अच्छे से जानती हो!

‘बढ़िया!’ उसने सोचा - मतलब आगे भी बिज़नेस मिलते रहने का चांस है।

प्रश्नोत्तर करने का ठेका ईआईटी के बाकी टीम लीडर्स और डायरेक्टर्स ने उठाया, क्योंकि न तो आदित्य और न ही जय कोई प्रश्न पूछ रहे थे। उनको पहले से ही सारे मीना के तार्किक उत्तर इतने अकाट्य थे, कि जो भी चौधरी बनने की कोशिश करता, वो अपना सा मुँह ले कर रह जाता। उसने कई सारी अनुशंसाएँ दीं थीं, जिसमें एक दो बिज़नेस लाइन्स को बंद करने का भी प्राविधान था। अगर आदित्य वो बात मान लेता, तो कई लोगों की नौकरी चली जानी थी। उसके कारण भी कुछ लोग दुःखी थे। लेकिन इतना तो दिख रहा था कि अगर मीना की अनुशंसाएँ मानी गईं, तो अगले पाँच सालों में ईआईटी का वित्तीय कायाकल्प हो जाता।

यह एक अच्छी बात थी!

आदित्य मन ही मन खुश हो रहा था कि एक तरह से मीना ‘अपनी’ कंपनी की भलाई की बातें कर रही थी। प्रोजेक्ट तो ख़तम हो गया था, लिहाज़ा, यूँ रोज़ ऐसे मिलना अब मीना और जय के लिए कितना संभव था, यह देखने वाली बात थी। यही बात जय के दिमाग में बार बार चल रही थी। बिछोह आखिर किसको अच्छा लगता है? प्रेमियों को तो कत्तई नहीं... और इस कारण से उसका ध्यान प्रेजेंटेशन पर नहीं था। लेकिन आदित्य को उसका प्रेजेंटेशन बहुत पसंद आया, और प्रेजेंटेशन ख़तम होने के बाद उसने जेसन और मीना को उनके काम के लिए धन्यवाद किया, और लंच पर ले चलने की पेशकश करी।

लंच के लिए सभी कंसल्टेंट्स और ईआईटी के कुछ डायरेक्टर्स को ले कर आदित्य और जय एक बढ़िया होटल में गए। मीना के साथ उन दोनों को इतना अपनापन हो गया था कि अब वो दोनों उसको प्रोफ़ेशनल रुप में नहीं देख पा रहे थे।

‘मीना एक प्रोफ़ेशनल वुमन है...’ इस बात का बोध वापस आते ही आदित्य को चिंता होने लगी।

थोड़ा एकांत पा कर आदित्य ने जेसन से पूछा,

“जेसन, आपकी कंपनी में क्लाइंट्स से... डेट करने को ले कर कोई पाबंदी तो नहीं है?”

“जी?” जेसन ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा, “नहीं! नहीं तो! क्यों? क्या हो गया? आपने ये क्यों पूछा?”

“आप सभी को देर सवेर पता तो चल ही जाएगा - इसलिए अच्छा यही है कि मुझसे आपको पता चले,” आदित्य ने पूरी गंभीरता से कहना शुरू किया, “मेरा भाई... जय, और मीनाक्षी, दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं... और हमको भी मीनाक्षी बहुत पसंद है। तो बहुत जल्दी ही ये रिलेशनशिप मैरिज में भी बदल जाएगा... लेकिन मैं नहीं चाहता कि क्लाइंट के साथ मोहब्बत करने, और उससे शादी करने के कारण मीना के कैरियर पर कोई आँच आए!”

“ओह... नहीं नहीं! ऐसा कुछ नहीं है... ऐसा कुछ न सोचिए! हमारे यहाँ ऐसी कोई पॉलिसी नहीं है... मेरा मतलब, फिलहाल तो नहीं है!” जेसन बोला, फिर थोड़ा ठहर कर बोला, “... वैसे, हमको भी लग रहा था कि जय और मीना एक दूसरे की तरफ़ अट्रक्टेड हैं, लेकिन बात इतनी आगे बढ़ गई है, उसका अंदाज़ा नहीं था।” जेसन हँसते हुए बोला, “वैसे भी दोनों एडल्ट्स हैं, और इसलिए उनके अफेयर पर किसी को कोई ऑब्जेक्शन होना तो नहीं चाहिए... और अगर है भी, तो आई प्रॉमिस यू, मीना पर कोई आँच नहीं आने दूँगा।”

आदित्य ने समझते हुए सर हिलाया।

जेसन बोला, “मीना बहुत अच्छी लड़की है। टीम में लोग उसको पसंद करते हैं... कंपनी में एक दो उसको चाहते भी हैं, क्योंकि वो है ही बहुत लाइकेबल! एक तरह से वो मेरी प्रॉटेजी भी है... मैंने ही उसको रिक्रूट किया था। कंपनी ग्रो कर रही है, और उसमें उसका फ़्यूचर भी है! इसलिए आप निश्चिन्त रहें! उसके ऊपर... उसके कैरियर पर कोई आँच नहीं आएगी!”

“बढ़िया! बढ़िया! थैंक यू जेसन!”

यू आर मोस्ट वेलकम, आदित्य!” जेसन में मुस्कुराते हुए कहा।

लंच बड़े आनंद से बीता।

जाते जाते जय ने मीना के दोनों हाथ अपने हाथों में लेते हुए पूछा, “... आज शाम मिलोगी?”

अचानक ही मीना के मन में प्रोफेशनल माहौल बदल कर रोमांटिक हो गया।

“जय,” उसने शर्माते हुए कहा, “... सब देख रहे हैं!”

“तो क्या?”

“हाँ बाबा... मिलूँगी! ... आज तुम घर आओ! ठीक है?”

“पक्की बात?”

“पक्की बात!” मीना मुस्कुराई।

शाम को मिलने का वायदा पा कर जय वैसे ही संतुष्ट हो गया था, लिहाज़ा बाकी का दिन आराम से बीत गया।


*


“जय,” शाम को घर निकलते समय आदित्य ने जय से पूछा, “... मैं तुमको ड्राप कर दूँ? ... मीना के यहाँ?”

“नहीं भैया... मैं चला जाऊँगा! टैक्सी या पब्लिक ट्रांसपोर्ट ले कर...”

आई इंसिस्ट...” आदित्य ने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा, “वैसे भी तुमसे एक बात कहनी है...”

“क्या भैया?”

“रास्ते में बताता हूँ न...”

“ओ...के...” जय ने न समझते हुए कहा, “सब ठीक तो है न भैया?”

“अरे सब ठीक है...”

“ठीक है भैया!”

गाड़ी आदित्य ही चला रहा था।

“हाँ भैया... क्या कहना चाहते हैं, आप?”

“जय... बेटा... देख - तू मेरा छोटा भाई ही नहीं, बल्कि बेटे जैसा भी है! ... हाँ, हमारी उम्र में बहुत अंतर नहीं है, लेकिन फिर भी, तुझे मैं बहुत प्यार करता हूँ!”

“हाँ भैया! ... इस बात से मैंने कब इंकार किया?”

“तो तू यह भी समझता है कि अगर मैं कुछ कहूँगा, तो तेरी भलाई के लिए ही...”

“हाँ भैया! पर हुआ क्या है?”

“देख बेटा... मीना बहुत अच्छी है! क्लेयर किसी को ऐसे ही नहीं पसंद करती - और मुझे उसकी पसंद पर भरोसा है...”

जय मुस्कुराया।

“तो... आई ऍम हैप्पी कि तुम दोनों एक दूसरे को पसंद हो!” आदित्य बोला, “... लेकिन आगे कुछ भी करने से पहले सोच लेना...”

“मतलब भैया? मैं कुछ समझा नहीं!”

“तुम दोनों का प्यार बहुत तेजी से परवान चढ़ा है... जाहिर सी बात है कि तुम दोनों की मोहब्बत में एक तरह का... हाऊ टू से दैट... एक तरह का जोश भी है... तो... मेरा मतलब... तुम दोनों के बीच... यू नो... इंटरकोर्स होने का भी बहुत चाँस है!”

“भैया!” जय ने झेंपते हुए कहा।

“भैया नहीं! ... मेरी बात थोड़ा सीरियसली सोचो... कॉल मी ओल्ड फैशन्ड... मेरे लिए यह दो लोगों के बीच एक प्रॉमिस है... कि दोनों उम्र भर एक दूसरे का साथ निभाएँगे... एक दूसरे के साथ संसार बनाएँगे!”

जय शांत हो कर सुन रहा था।

“तो तुम दोनों जब तक सर्टेन न हो, तब तक कुछ न करना। ... बस इतना ही कहना था मुझे।”

“ओह भैया!”

आई ऍम सॉरी अगर मैंने तुमको एम्बैरस किया हो...”

“नहीं भैया... आप ऐसा कुछ कर ही नहीं सकते! ... थैंक यू!”

आदित्य मुस्कुराया, “एन्जॉय यू टू... तुम दोनों बहुत सुन्दर लगते हो साथ में! क्यूट कपल!”

“लव यू भैया!”

लव यू टू माय लिटिल ब्रदर!”


*


“जय!” दरवाज़ा खोलते हुए मीना ने मुस्कुराते हुए कहा।

माय लव!” आदित्य ने भी बड़े रोमांटिक अंदाज़ में कहा।

अपने लिए ‘माय लव’ शब्द सुन कर मीना का दिल धमक ज़रूर गया, लेकिन उसने जय के ऊपर यह बात ज़ाहिर होने नहीं दी। वो बोली,

“आदित्य आया था?”

“हाँ! ... लेकिन केवल मुझे यहाँ छोड़ने!”

“अरे, क्यों! बिना मुझसे मिले क्यों चला गया?”

“अरे यार! पहली बार तुम्हारे घर आया हूँ... कॉफ़ी वोफ़ी पिलाओ! भैया से कल मिल लेना!”

“हा हा! ओके साहब जी!” मीना ने जय को अंदर आने का इशारा किया और दरवाज़ा बंद करते हुए बोली, “पिलाती हूँ... लेकिन कॉफ़ी पियोगे, या चाय? आई मेक वैरी टेस्टी चाय! ... अदरक इलाइची वाली!” उसने आँखें नचाते हुए पूछा।

“अब तुम इतना कह रही हो, तो ठीक है... चाय इट इस...”

“आओ बैठो,”

“बैठ जाएँगे मेरी जान...” जय ने मीना को उसकी कमर से पकड़ते हुए कहा, “लेकिन पहले अपना अधर-रस पान तो करने दो...”

“हैं? क्या करने दो?” मीना ने न समझते हुए कहा।

“मेरा मतलब किस...” जय उसके बहुत क़रीब आते हुए बोला, “पूरा दिन निकल गया, लेकिन एक भी किस नहीं मिली!”

“हा हा... ओह गॉड! कभी कभी कितनी टफ भाषा यूज़ करते हो... फिर से बताओ?” मीना बड़े प्यार से जय की बाहों में आती हुई बोली।

जय ने उसको आलिंगन में भरते हुए उसके होंठों को चूमा, और बोला, “अधर... मतलब लिप्स...”

“हम्म्म,” मीना आँखें बंद करती हुई, उस चुम्बन का आनंद लेती हुई, मुस्कुरा दी।

“रस... मतलब नेक्टर...”

जय ने फिर से मीना के होंठों को चूमा।

“और पान मतलब...”

“ओह आई नो... पान मतलब बीटल लीफ... वो क्या कहते हैं? हाँ, पान की गिलौरी? राइट?”

“हा हा हा, ऑलमोस्ट ऑलमोस्ट...” जय ने फिर से उसको चूमा, “लेकिन यहाँ पान का मतलब है... टू ड्रिंक...”

“ओओहहह...” मीना ने चुम्बनों के बीच में समझते हुए कहा, “अब समझी... एंड दैट्स व्हाई इट मीन्स अ किस...”

इनडीड माय लव...”

मीना जय की जाँघों पर, जाँघों के इधर उधर पैर रख कर बैठ गई थी, और पूरे जोश से चुम्बन में जय का साथ दे रही थी। जो एहसास उस समय जय को हुआ, वो उसको पहले कभी भी नहीं हुआ था। मतलब ऐसा नहीं है कि उसका लिंगोत्थान कभी हुआ ही नहीं - हमेशा होता, हर दिन/रात होता, और कई कई बार होता! लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि मीना का भार उसकी जाँघों और श्रोणि पर होने के बावज़ूद उसको बेहद कठोर लिंगोत्थान हो रहा था! बेहद कठोर! ऐसा हो ही नहीं सकता कि मीना को पता न चला हो।

लेकिन दोनों चुप थे, लेकिन फिर भी कमरे में शोर हो रहा था। शोर था दोनों के चुम्बन का! पहले भी दोनों ने एक दूसरे को चूमा था - लेकिन आज चुम्बन में दोनों को एक अलग ही रस आ रहा था। दोनों का चुम्बन कभी निमित्तक बन जाता, तो कभी घट्टितक! मीना कभी कोमलता से जय के होंठों पर अपने होंठ रख देती कि वो अपनी मनमानी कर सके, तो कभी उसके होंठों को अपने होंठों में ले कर चूमती!

जय का कठोर होता हुआ लिंग अब अपने कठोरतम स्तर पर था। उसको महसूस कर के मीना की साँसें अस्थिर हो रही थीं। जय को ले कर अपने मन में होने वाली ऊष्णता का ज्ञान था उसको, लेकिन अब उसको जय की भी हालत का पता चल गया था। वो भी उसके लिए उतना ही उद्धत था! ठीक है कि उसको सेक्स को ले कर जय से कहीं अधिक अनुभव था, लेकिन जय के साथ अंतरंग होने, उसके साथ सेक्स करने की भावना ने उसको अभिभूत कर दिया। जब सम्भोग की भावना में शुद्ध प्रेम की भावना भी सम्मिलित हो जाए, तो उससे बलवती शक्ति शायद ही कोई हो संसार में! लेकिन मन के किसी कोने में से आवाज़ भी आई कि सब कुछ बहुत तेजी से हो रहा है, सम्हल जा! थोड़ा संयम से काम ले!

अचानक ही विशुद्ध भावनाओं पर विवेक हावी होने लगा। और शायद इसी कारण वो चुम्बन तोड़ कर जय की गोदी में से उठने की कोशिश करने लगी।

जय ने उसको प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा। उसके चेहरे पर हवाईयां उड़ रही थीं। जय की हालत भी कमोवेश वैसी ही थी।

“कॉफ़ी...” उसने बुदबुदाते हुए कहा।

“चाय...” जय ने उसकी बात को सुधारते हुए कहा।

“अ...हहाँ...” मीना को ध्यान आया कि चाय बनाने की पेशकश तो उसी ने करी थी, और वो खुद ही भूल गई!

अपनी इस क्यूट सी हरकत पर उसको खुद ही हँसी आ गई, लेकिन हँसी केवल मुस्कान के रूप में ही बाहर आई।

“चाय... बनाती हूँ!” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “... बैठो?”

*
Nice update....
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,048
22,461
159
अदभुत अपडेट थे दोनो के दोनो, जहां एक ओर प्रियंबदा ने सुहासनी को कुमार से मिलने में एक कदम आगे बढ़ाया, वहीं घनश्याम जी भी बहुत परिपक्व तरीके से उसे सम्हाला।

उधर जय और मीना प्रेम में गहरे डूबते जा रहें हैं, और आदित्य ने सही कहा है कि अभी वो इतना आगे न बढ़ जाय कि बाद में कुछ अनहोनी होने पर उसे सम्हाल न सके।

बढ़िया अपडेट avsji भाई

इलेक्शन की व्यस्तता से निकल कर अब वापस बस कहानियां ही पढ़नी है। और इस कहानी को सब्सक्राइब भी कर लिया हूं।

बहुत बहुत धन्यवाद भाई!
अपनी कहानी भी आगे बढ़ाएँ :)
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,048
22,461
159
2 अपडेट पढ़ लिए, अच्छी लग रही हैं कहानी

धन्यवाद पुत्री! :)
आशा है कि आगे भी अच्छी लगेगी! बीच में पढ़ना छोड़ न देना।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
18,370
36,869
259
बहुत बहुत धन्यवाद भाई!
अपनी कहानी भी आगे बढ़ाएँ :)
एक अपडेट तो दे भी दिया है भाई
 

park

Well-Known Member
11,099
13,360
228
Update #22


आज ईआईटी के मुख्य प्रेजेंटेशन हॉल में ईस्ट कंसल्टिंग ग्रुप का अंतिम प्रेजेंटेशन था। जेसन अपनी पूरी टीम, जिसमें मीना एक अग्रणी सदस्या थी, के साथ पूरी तैयारी के साथ आया हुआ था। प्रेजेंटेशन करीब दो घण्टे तक चला - अधिकतर समय मीना ने ही लिया। आदित्य और जय के लिए ऐसा कुछ भी नहीं था जो नया हो - मीना ने पहले ही सब कुछ बता दिया था। ... वो तो ‘घर की’ ही हो गई थी, लिहाज़ा, एक अलग ही अधिकार बोध के साथ वो प्रेजेंटेशन दे रही थी। उसके अंदर यह परिवर्तन जेसन और टीम के अन्य सदस्यों ने भी महसूस किया - अन्य क्लाइंट्स के साथ वो प्रोफ़ेशनल अंदाज़ में प्रेजेंटेशन देती थी, लेकिन यहाँ ऐसा लग रहा था कि जैसे वो आदित्य और जय को अच्छे से जानती हो!

‘बढ़िया!’ उसने सोचा - मतलब आगे भी बिज़नेस मिलते रहने का चांस है।

प्रश्नोत्तर करने का ठेका ईआईटी के बाकी टीम लीडर्स और डायरेक्टर्स ने उठाया, क्योंकि न तो आदित्य और न ही जय कोई प्रश्न पूछ रहे थे। उनको पहले से ही सारे मीना के तार्किक उत्तर इतने अकाट्य थे, कि जो भी चौधरी बनने की कोशिश करता, वो अपना सा मुँह ले कर रह जाता। उसने कई सारी अनुशंसाएँ दीं थीं, जिसमें एक दो बिज़नेस लाइन्स को बंद करने का भी प्राविधान था। अगर आदित्य वो बात मान लेता, तो कई लोगों की नौकरी चली जानी थी। उसके कारण भी कुछ लोग दुःखी थे। लेकिन इतना तो दिख रहा था कि अगर मीना की अनुशंसाएँ मानी गईं, तो अगले पाँच सालों में ईआईटी का वित्तीय कायाकल्प हो जाता।

यह एक अच्छी बात थी!

आदित्य मन ही मन खुश हो रहा था कि एक तरह से मीना ‘अपनी’ कंपनी की भलाई की बातें कर रही थी। प्रोजेक्ट तो ख़तम हो गया था, लिहाज़ा, यूँ रोज़ ऐसे मिलना अब मीना और जय के लिए कितना संभव था, यह देखने वाली बात थी। यही बात जय के दिमाग में बार बार चल रही थी। बिछोह आखिर किसको अच्छा लगता है? प्रेमियों को तो कत्तई नहीं... और इस कारण से उसका ध्यान प्रेजेंटेशन पर नहीं था। लेकिन आदित्य को उसका प्रेजेंटेशन बहुत पसंद आया, और प्रेजेंटेशन ख़तम होने के बाद उसने जेसन और मीना को उनके काम के लिए धन्यवाद किया, और लंच पर ले चलने की पेशकश करी।

लंच के लिए सभी कंसल्टेंट्स और ईआईटी के कुछ डायरेक्टर्स को ले कर आदित्य और जय एक बढ़िया होटल में गए। मीना के साथ उन दोनों को इतना अपनापन हो गया था कि अब वो दोनों उसको प्रोफ़ेशनल रुप में नहीं देख पा रहे थे।

‘मीना एक प्रोफ़ेशनल वुमन है...’ इस बात का बोध वापस आते ही आदित्य को चिंता होने लगी।

थोड़ा एकांत पा कर आदित्य ने जेसन से पूछा,

“जेसन, आपकी कंपनी में क्लाइंट्स से... डेट करने को ले कर कोई पाबंदी तो नहीं है?”

“जी?” जेसन ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा, “नहीं! नहीं तो! क्यों? क्या हो गया? आपने ये क्यों पूछा?”

“आप सभी को देर सवेर पता तो चल ही जाएगा - इसलिए अच्छा यही है कि मुझसे आपको पता चले,” आदित्य ने पूरी गंभीरता से कहना शुरू किया, “मेरा भाई... जय, और मीनाक्षी, दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं... और हमको भी मीनाक्षी बहुत पसंद है। तो बहुत जल्दी ही ये रिलेशनशिप मैरिज में भी बदल जाएगा... लेकिन मैं नहीं चाहता कि क्लाइंट के साथ मोहब्बत करने, और उससे शादी करने के कारण मीना के कैरियर पर कोई आँच आए!”

“ओह... नहीं नहीं! ऐसा कुछ नहीं है... ऐसा कुछ न सोचिए! हमारे यहाँ ऐसी कोई पॉलिसी नहीं है... मेरा मतलब, फिलहाल तो नहीं है!” जेसन बोला, फिर थोड़ा ठहर कर बोला, “... वैसे, हमको भी लग रहा था कि जय और मीना एक दूसरे की तरफ़ अट्रक्टेड हैं, लेकिन बात इतनी आगे बढ़ गई है, उसका अंदाज़ा नहीं था।” जेसन हँसते हुए बोला, “वैसे भी दोनों एडल्ट्स हैं, और इसलिए उनके अफेयर पर किसी को कोई ऑब्जेक्शन होना तो नहीं चाहिए... और अगर है भी, तो आई प्रॉमिस यू, मीना पर कोई आँच नहीं आने दूँगा।”

आदित्य ने समझते हुए सर हिलाया।

जेसन बोला, “मीना बहुत अच्छी लड़की है। टीम में लोग उसको पसंद करते हैं... कंपनी में एक दो उसको चाहते भी हैं, क्योंकि वो है ही बहुत लाइकेबल! एक तरह से वो मेरी प्रॉटेजी भी है... मैंने ही उसको रिक्रूट किया था। कंपनी ग्रो कर रही है, और उसमें उसका फ़्यूचर भी है! इसलिए आप निश्चिन्त रहें! उसके ऊपर... उसके कैरियर पर कोई आँच नहीं आएगी!”

“बढ़िया! बढ़िया! थैंक यू जेसन!”

यू आर मोस्ट वेलकम, आदित्य!” जेसन में मुस्कुराते हुए कहा।

लंच बड़े आनंद से बीता।

जाते जाते जय ने मीना के दोनों हाथ अपने हाथों में लेते हुए पूछा, “... आज शाम मिलोगी?”

अचानक ही मीना के मन में प्रोफेशनल माहौल बदल कर रोमांटिक हो गया।

“जय,” उसने शर्माते हुए कहा, “... सब देख रहे हैं!”

“तो क्या?”

“हाँ बाबा... मिलूँगी! ... आज तुम घर आओ! ठीक है?”

“पक्की बात?”

“पक्की बात!” मीना मुस्कुराई।

शाम को मिलने का वायदा पा कर जय वैसे ही संतुष्ट हो गया था, लिहाज़ा बाकी का दिन आराम से बीत गया।


*


“जय,” शाम को घर निकलते समय आदित्य ने जय से पूछा, “... मैं तुमको ड्राप कर दूँ? ... मीना के यहाँ?”

“नहीं भैया... मैं चला जाऊँगा! टैक्सी या पब्लिक ट्रांसपोर्ट ले कर...”

आई इंसिस्ट...” आदित्य ने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा, “वैसे भी तुमसे एक बात कहनी है...”

“क्या भैया?”

“रास्ते में बताता हूँ न...”

“ओ...के...” जय ने न समझते हुए कहा, “सब ठीक तो है न भैया?”

“अरे सब ठीक है...”

“ठीक है भैया!”

गाड़ी आदित्य ही चला रहा था।

“हाँ भैया... क्या कहना चाहते हैं, आप?”

“जय... बेटा... देख - तू मेरा छोटा भाई ही नहीं, बल्कि बेटे जैसा भी है! ... हाँ, हमारी उम्र में बहुत अंतर नहीं है, लेकिन फिर भी, तुझे मैं बहुत प्यार करता हूँ!”

“हाँ भैया! ... इस बात से मैंने कब इंकार किया?”

“तो तू यह भी समझता है कि अगर मैं कुछ कहूँगा, तो तेरी भलाई के लिए ही...”

“हाँ भैया! पर हुआ क्या है?”

“देख बेटा... मीना बहुत अच्छी है! क्लेयर किसी को ऐसे ही नहीं पसंद करती - और मुझे उसकी पसंद पर भरोसा है...”

जय मुस्कुराया।

“तो... आई ऍम हैप्पी कि तुम दोनों एक दूसरे को पसंद हो!” आदित्य बोला, “... लेकिन आगे कुछ भी करने से पहले सोच लेना...”

“मतलब भैया? मैं कुछ समझा नहीं!”

“तुम दोनों का प्यार बहुत तेजी से परवान चढ़ा है... जाहिर सी बात है कि तुम दोनों की मोहब्बत में एक तरह का... हाऊ टू से दैट... एक तरह का जोश भी है... तो... मेरा मतलब... तुम दोनों के बीच... यू नो... इंटरकोर्स होने का भी बहुत चाँस है!”

“भैया!” जय ने झेंपते हुए कहा।

“भैया नहीं! ... मेरी बात थोड़ा सीरियसली सोचो... कॉल मी ओल्ड फैशन्ड... मेरे लिए यह दो लोगों के बीच एक प्रॉमिस है... कि दोनों उम्र भर एक दूसरे का साथ निभाएँगे... एक दूसरे के साथ संसार बनाएँगे!”

जय शांत हो कर सुन रहा था।

“तो तुम दोनों जब तक सर्टेन न हो, तब तक कुछ न करना। ... बस इतना ही कहना था मुझे।”

“ओह भैया!”

आई ऍम सॉरी अगर मैंने तुमको एम्बैरस किया हो...”

“नहीं भैया... आप ऐसा कुछ कर ही नहीं सकते! ... थैंक यू!”

आदित्य मुस्कुराया, “एन्जॉय यू टू... तुम दोनों बहुत सुन्दर लगते हो साथ में! क्यूट कपल!”

“लव यू भैया!”

लव यू टू माय लिटिल ब्रदर!”


*


“जय!” दरवाज़ा खोलते हुए मीना ने मुस्कुराते हुए कहा।

माय लव!” आदित्य ने भी बड़े रोमांटिक अंदाज़ में कहा।

अपने लिए ‘माय लव’ शब्द सुन कर मीना का दिल धमक ज़रूर गया, लेकिन उसने जय के ऊपर यह बात ज़ाहिर होने नहीं दी। वो बोली,

“आदित्य आया था?”

“हाँ! ... लेकिन केवल मुझे यहाँ छोड़ने!”

“अरे, क्यों! बिना मुझसे मिले क्यों चला गया?”

“अरे यार! पहली बार तुम्हारे घर आया हूँ... कॉफ़ी वोफ़ी पिलाओ! भैया से कल मिल लेना!”

“हा हा! ओके साहब जी!” मीना ने जय को अंदर आने का इशारा किया और दरवाज़ा बंद करते हुए बोली, “पिलाती हूँ... लेकिन कॉफ़ी पियोगे, या चाय? आई मेक वैरी टेस्टी चाय! ... अदरक इलाइची वाली!” उसने आँखें नचाते हुए पूछा।

“अब तुम इतना कह रही हो, तो ठीक है... चाय इट इस...”

“आओ बैठो,”

“बैठ जाएँगे मेरी जान...” जय ने मीना को उसकी कमर से पकड़ते हुए कहा, “लेकिन पहले अपना अधर-रस पान तो करने दो...”

“हैं? क्या करने दो?” मीना ने न समझते हुए कहा।

“मेरा मतलब किस...” जय उसके बहुत क़रीब आते हुए बोला, “पूरा दिन निकल गया, लेकिन एक भी किस नहीं मिली!”

“हा हा... ओह गॉड! कभी कभी कितनी टफ भाषा यूज़ करते हो... फिर से बताओ?” मीना बड़े प्यार से जय की बाहों में आती हुई बोली।

जय ने उसको आलिंगन में भरते हुए उसके होंठों को चूमा, और बोला, “अधर... मतलब लिप्स...”

“हम्म्म,” मीना आँखें बंद करती हुई, उस चुम्बन का आनंद लेती हुई, मुस्कुरा दी।

“रस... मतलब नेक्टर...”

जय ने फिर से मीना के होंठों को चूमा।

“और पान मतलब...”

“ओह आई नो... पान मतलब बीटल लीफ... वो क्या कहते हैं? हाँ, पान की गिलौरी? राइट?”

“हा हा हा, ऑलमोस्ट ऑलमोस्ट...” जय ने फिर से उसको चूमा, “लेकिन यहाँ पान का मतलब है... टू ड्रिंक...”

“ओओहहह...” मीना ने चुम्बनों के बीच में समझते हुए कहा, “अब समझी... एंड दैट्स व्हाई इट मीन्स अ किस...”

इनडीड माय लव...”

मीना जय की जाँघों पर, जाँघों के इधर उधर पैर रख कर बैठ गई थी, और पूरे जोश से चुम्बन में जय का साथ दे रही थी। जो एहसास उस समय जय को हुआ, वो उसको पहले कभी भी नहीं हुआ था। मतलब ऐसा नहीं है कि उसका लिंगोत्थान कभी हुआ ही नहीं - हमेशा होता, हर दिन/रात होता, और कई कई बार होता! लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि मीना का भार उसकी जाँघों और श्रोणि पर होने के बावज़ूद उसको बेहद कठोर लिंगोत्थान हो रहा था! बेहद कठोर! ऐसा हो ही नहीं सकता कि मीना को पता न चला हो।

लेकिन दोनों चुप थे, लेकिन फिर भी कमरे में शोर हो रहा था। शोर था दोनों के चुम्बन का! पहले भी दोनों ने एक दूसरे को चूमा था - लेकिन आज चुम्बन में दोनों को एक अलग ही रस आ रहा था। दोनों का चुम्बन कभी निमित्तक बन जाता, तो कभी घट्टितक! मीना कभी कोमलता से जय के होंठों पर अपने होंठ रख देती कि वो अपनी मनमानी कर सके, तो कभी उसके होंठों को अपने होंठों में ले कर चूमती!

जय का कठोर होता हुआ लिंग अब अपने कठोरतम स्तर पर था। उसको महसूस कर के मीना की साँसें अस्थिर हो रही थीं। जय को ले कर अपने मन में होने वाली ऊष्णता का ज्ञान था उसको, लेकिन अब उसको जय की भी हालत का पता चल गया था। वो भी उसके लिए उतना ही उद्धत था! ठीक है कि उसको सेक्स को ले कर जय से कहीं अधिक अनुभव था, लेकिन जय के साथ अंतरंग होने, उसके साथ सेक्स करने की भावना ने उसको अभिभूत कर दिया। जब सम्भोग की भावना में शुद्ध प्रेम की भावना भी सम्मिलित हो जाए, तो उससे बलवती शक्ति शायद ही कोई हो संसार में! लेकिन मन के किसी कोने में से आवाज़ भी आई कि सब कुछ बहुत तेजी से हो रहा है, सम्हल जा! थोड़ा संयम से काम ले!

अचानक ही विशुद्ध भावनाओं पर विवेक हावी होने लगा। और शायद इसी कारण वो चुम्बन तोड़ कर जय की गोदी में से उठने की कोशिश करने लगी।

जय ने उसको प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा। उसके चेहरे पर हवाईयां उड़ रही थीं। जय की हालत भी कमोवेश वैसी ही थी।

“कॉफ़ी...” उसने बुदबुदाते हुए कहा।

“चाय...” जय ने उसकी बात को सुधारते हुए कहा।

“अ...हहाँ...” मीना को ध्यान आया कि चाय बनाने की पेशकश तो उसी ने करी थी, और वो खुद ही भूल गई!

अपनी इस क्यूट सी हरकत पर उसको खुद ही हँसी आ गई, लेकिन हँसी केवल मुस्कान के रूप में ही बाहर आई।

“चाय... बनाती हूँ!” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “... बैठो?”

*
Nice and superb update.....
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,048
22,461
159
Update #23


जय मीना के पीछे पीछे ही उसकी किचन में आ गया। किचन आधुनिक था - हाँलाकि उसके घर की किचन से छोटा था, लेकिन मीना के घर के हिसाब से उचित! सारी सुविधाएँ थीं वहाँ और बड़ा ही सुव्यवस्थित सा घर था।

सब देख कर जय को बड़ा संतोष हुआ - 'कैरियर ओरिएण्टेड वुमन है मीना, लेकिन फिर भी पूरा घर सुव्यवस्थित!'

किचन काउंटर के बगल दो बार स्टूल्स रखे हुए थे, उनमें से एक पर वो बैठ गया, और मीना चाय बनाने में व्यस्त हो गई।

“मीना?”

“हाँ?” मीना ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

“कुछ अपने बारे में बताओ...”

“अरे! क्या हो गया ठाकुर साहब?” मीना ने हँसते हुए कहा, “आपको कहीं डर तो नहीं लग रहा है कि ये मेरे लिए सही लड़की है भी या नहीं!”

“हा हा! नो... नो वे! कैसी बातें करती हो! तुमसे सही लड़की कोई नहीं है मेरे लिए... कोई और हो ही नहीं सकती... लेकिन बस, क्यूरियस हूँ!”

“हा हा! ओके! ... क्या जानना चाहते हो? पूछो?”

“कुछ भी! जो भी तुम्हारा मन हो, बता दो... वैसे, तुम और तुम्हारा परिवार... कहाँ से हो इंडिया में?”

“बहादुरगढ़...”

जब जय को समझ नहीं आया कि ये कहाँ है, तो मीना ने बताना जारी रखा, “दिल्ली के पास है - एक छोटा सा शहर है! शायद ही नाम सुना हो!”

“ओह! ओके! नहीं सुना! ... मैं भी दिल्ली से हूँ... था... हूँ!”

“हा हा... थे, कि हो? एक पे रहना!”

“ओके, था! वैसे, वहाँ हमारा बंगला है... माँ वहीं रहती हैं न!”

माँ का नाम सुनते ही मीना हिचक गई।

“क्या हुआ?”

“कुछ नहीं!”

“अरे बोलो न!” जय ने समझते हुए पूछा, “... माँ को ले कर कोई चिंता है?”

मीना ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“अरे, उनकी चिंता मत करो! ... माँ बहुत स्वीट हैं। मैंने बताया तो है... और अब तो हमारी बात भाभी ने सम्हाल ली है... वो माँ को मना लेंगी! अगर माँ को हमको ले कर कोई चिंता है भी, तो भाभी सब ठीक कर देंगी!” जय बड़े आत्मविश्वास से बोला, “... और वैसे भी, वो तुमको एक बार देख लेंगी न, तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि वो तुमको पसंद न करें!”

“हम्म...! आई होप सो!” मीना ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।

आई नो सो! ... अच्छा, तुमको खाने में क्या पसंद है?” जय ने बात बदल दी।

“सब कुछ... लेकिन मॉडरेट अमाउंट में खाती हूँ... अधिक अधिक नहीं!”

“वो तो दिख ही रहा है!” जय ने मीना के शरीर का जायज़ा लेते हुए कहा।

मीना अदा से मुस्कुराई।

“अच्छा, तुमको हस्बैंड कैसा चाहिए?”

“अरे वाह ठाकुर साहब... कहाँ से हो... खाने में क्या पसंद है... से सीधे हस्बैंड कैसा चाहिए पर आ गए! ... गुड, क्विक जम्प!” कह कर मीना खिलखिला कर हँसने लगी।

“अरे यार बताओ न!”

जवाब में मीना जय की तरफ़ मुड़ी, और उसके दोनों गालों को अपनी हथेलियों में थाम कर उसके होंठों को चूम कर बोली, “तुम... तुम्हारे जैसा!”

“सच सच बताओ!” जय को सुन कर अच्छा लगा, फिर भी वो तसल्ली कर लेना चाहता था।

“ओह जय... सच कह रही हूँ! तुम्हारे जैसा ही साथी चाहिए था मुझे! ... तुम! तुम चाहिए थे मुझे... हाँ, तुम थोड़े ओल्डर होते, तो बेटर था, लेकिन अभी भी ठीक है!” उसने आखिरी वाक्य शरारत से कहा।

“हा हा... व्हाट इस इट विद यू एंड माय एज...” जय हँसते हुए बोला, “तुमसे छोटा हूँ, तो कोई प्रॉब्लम है?”

“नहीं! नो प्रॉब्लम... जो किस्मत में है, वो ही तो मिलेगा न!” मीना ने उदास होने का नाटक करते हुए कहा, “सब कुछ चाहा हुआ तो नहीं हो सकता न!”

अच्छा!” जय ने भी नाराज़ होने का नाटक किया, “तो जाओ, किसी बुड्ढे से कर लो शादी!”

“अरे मेरा प्यारा वुड बी हस्बैंड... मेरी बात का बुरा मान गए?” मीना उसकी नाक को चूमती हुई बोली।

उसी समय चाय में उबाल आ गया। चाय में उबाल की आवाज़ सुन कर मीना चौंक कर तेजी से चूल्हे के पास जा कर उसका नॉब बंद कर देती है। बिल्कुल ठीक समय पर।

“देखा! चाय भी नाराज़ हो गई तुम्हारी बात पर!” जय हँसते हुए बोला।

“कोई नाराज़ वाराज़ नहीं है... वो कह रही है कि मैं तैयार हूँ, और, बहुत टेस्टी हूँ...” मीना मुस्कुराती हुई बोली।

“अपने ही मुँह मियाँ मिट्ठू! बिना पिये कैसे जान लें?”

“हे भगवान! तुमको बहुत हिंदी आती है! इसका मतलब?”
“वो बाद में! पहले चाय पिलाओ! इतनी देर से केवल बातों से ही मन बहला रही हो!”

“अभी लो...”

मीना ने दो प्यालों में चाय छान कर पहले जय को थमाई, फिर खुद ली। दोनों ने चाय की चुस्की ली।

“कैसी बनी है?”

जय ने नाक भौं सिकोड़ते हुए ‘न’ में तेजी तेजी सर हिलाया, “ये कैसी चाय है...”

“अरे, क्या हो गया,” मीना को यकीन ही नहीं हुआ कि जय की चाय का स्वाद ऐसा ख़राब हो सकता है, क्योंकि उसकी चाय तो हमेशा की ही तरह बढ़िया स्वाद वाली थी, “इधर लाओ तो...”

मीना ने जय के प्याले से चुस्की ले कर बड़ी मासूमियत से कहा, “अच्छी तो है!”

जय ने उसके हाथों से अपना प्याला ले कर फिर से चुस्की ली, “हाँ... अब आया इसमें टेस्ट!”

“अच्छा जी... बदमाशी!” जय की शरारत मीना को समझ में आ गई।

“तुमसे नहीं, तो आखिर और किससे करूँ शरारत?”

“किसी से नहीं!” मीना ने बड़े प्यार से जय को देखा।

उसकी आँखों में उसके लिए दुनिया जहान की मोहब्बत वो साफ़ देख सकता था। जय को उस समय इस बात का बोध भी हुआ कि कितनी सुन्दर आँखें हैं मीना की! वो इनको उम्र भर देख सकता है। मीना के मन की सच्चाई उसकी आँखों और उसके चेहरे से बयाँ हो रही थी। और वो सच्चाई थी मीना के मन में उसके लिए मोहब्बत की!

दोनों अचानक से ही ख़ामोश हो गए थे - और चुप हो कर चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे। जय मीना का हाथ अपने हाथ में ले कर कोमलता से सहला रहा था। अचानक ही कुछ कहने सुनने की आवश्यकता ही नहीं रही। कुछ देर में चाय ख़तम हो गई।

मीना बोली, “क्या खिलाऊँ डिनर में?”

“क्या आता है तुमको?”

“इतने सालों से यहाँ हूँ, इसका ये मतलब नहीं कि मुझे कुछ आता नहीं!” मीना अदा से मुस्कुराई, “तुम्हारी होने वाली बीवी लगभग सर्व-गुण संपन्न है!”

“हा हा! अरे वाह! तुमको ये फ़्रेज़ मालूम है?”

“बस कुछ ही... ये उनमें से एक है!” मीना ने ईमानदारी से कहा, “बोलो न! क्या खाओगे?”

“कुछ भी खिला दो मेरी जान! हम तो आसानी से खुश हो जाते हैं!”

“ऐसे मत बोलो जय... आई वांट टू मेक यू फ़ील स्पेशल... तुम मेरे लिए सबसे स्पेशल हो! और, पहली बार घर भी आये हो, तो बिना तुम्हारी ठीक से ख़ातिरदारी किए तुमको नहीं जाने दूँगी!”

“हा हा! ... जो तुमको सबसे अच्छा आता है, वो पका दो! मेरे लिए वही स्पेशल है!”

“ठीक है! तुम आराम से बैठो... मन करे तो घर देखो... वैसे, देखने जैसा कुछ भी नहीं है! मैं बनाती हूँ कुछ ख़ास!”

मीना ने जय के गले में अपनी बाँहें डाल कर उसको दो बार चूमा, और फिर अलग हो कर डिनर की तैयारी में व्यस्त हो गई। कुछ देर तक दोनों बातें करते रहे, और मीना खाना पकाने में व्यस्त रही। खाना पकाने को ले कर उसका उत्साह देख कर जय मन ही मन बहुत खुश हो रहा था।

शाम में पहली बार उसने मीना की देहयष्टि को बड़ी ध्यान से देखा - उसने एक रंग-बिरंगा स्वेटर पहना हुआ था, और नीचे एक घुटनों तक लम्बा स्कर्ट। घर में हीटिंग चल रही थी, नहीं तो इन महीनों शिकागो की ठंडक बढ़ जाती थी। वैसे भी दिन भर तेज़ ठंडी हवाएँ चलती ही रहती थीं। स्वेटर ढीला ढाला था, लेकिन सुरुचिपूर्ण था - ऐसा, जिसमें लड़की अपने प्रियतम को पसंद आए।
मीना सचमुच उसको बहुत पसंद आ रही थी!

“वाइन पियोगे?” कुछ समय बाद मीना ने पूछा।

“हाँ...”

“शिराज़ या मेर्लो?”

“शिराज़...”

मीना ने मुस्कुरा कर किचन के बगल लगे सेलर से रेड वाइन की एक बोतल निकाली और दो वाइन गिलासों में बारी बारी डाला। ठंडी के मौसम के हिसाब से रेड वाइन मुफ़ीद थी।

“चियर्स,” जय ने कहा और अपने गिलास को मीना के गिलास से टुनकाया।

“चियर्स...”

“उम्म...” पहला सिप ले कर जय ने अनुमोदन में सर हिलाया, “लेकिन यार, चाय का स्वाद खराब हो गया!”

“ओह्हो!” मीना नहीं चाहती थी कि जय का कोई भी अनुभव खराब हो, “सॉरी हनी!”

“हनी?” जय ने फिर से शरारत से पूछा।

मीना के गाल शर्म से गुलाबी हो गए, “इंडियन वीमेन डू नॉट कॉल दीयर हस्बैंड्स बाई दीयर नेम्स...!”

“ओये होए... क्या बात है मेरी जान!” जय मीना के करीब आते हुए बोला, “ऐसे करोगी तो कण्ट्रोल नहीं होगा मुझे...”

“किस बात पर कण्ट्रोल नहीं होगा?” मीना ने भली भाँति जानते हुए भी पूछा।

“मेरे इरादों पर...”

मीना बनावटी चाल में इठलाती हुई जय के पास आई, और उसके गले में बाहें डालती हुई बोली, “अभी नहीं हनी! ... बट आई प्रॉमिस, कि तुमको मैं हर तरह का सुख दूँगी! यू विल नेवर बी अनसैटिस्फाइड!”

“ये सब मत बोलो... दिल में कुछ कुछ होने लगता है!”

“हा हा... आई लव यू!” कह कर मीना ने उसको चूम लिया।
“अब जल्दी से इस वाइन का भी टेस्ट बढ़िया कर दो!”
मीना ने जय के गिलास से वाइन सिप पर के उसको वापस दे दिया। जय ने सहर्ष उसकी जूठी की हुई वाइन की चुस्की ली, और बोला,

“हाँ! अब आया स्वाद!”

मीना उसकी बात पर दिल खोल कर, खिलखिला कर हँसने लगी।

जय के मन के ख़याल आया कि वो मीना को बहुत चाहता है, और उससे अधिक वो किसी और लड़की को कभी प्यार नहीं कर सकेगा।

'शी इस द वन!'


*
 

kas1709

Well-Known Member
9,382
9,919
173
Update #23


जय मीना के पीछे पीछे ही उसकी किचन में आ गया। किचन आधुनिक था - हाँलाकि उसके घर की किचन से छोटा था, लेकिन मीना के घर के हिसाब से उचित! सारी सुविधाएँ थीं वहाँ और बड़ा ही सुव्यवस्थित सा घर था।

सब देख कर जय को बड़ा संतोष हुआ - 'कैरियर ओरिएण्टेड वुमन है मीना, लेकिन फिर भी पूरा घर सुव्यवस्थित!'

किचन काउंटर के बगल दो बार स्टूल्स रखे हुए थे, उनमें से एक पर वो बैठ गया, और मीना चाय बनाने में व्यस्त हो गई।

“मीना?”

“हाँ?” मीना ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

“कुछ अपने बारे में बताओ...”

“अरे! क्या हो गया ठाकुर साहब?” मीना ने हँसते हुए कहा, “आपको कहीं डर तो नहीं लग रहा है कि ये मेरे लिए सही लड़की है भी या नहीं!”

“हा हा! नो... नो वे! कैसी बातें करती हो! तुमसे सही लड़की कोई नहीं है मेरे लिए... कोई और हो ही नहीं सकती... लेकिन बस, क्यूरियस हूँ!”

“हा हा! ओके! ... क्या जानना चाहते हो? पूछो?”

“कुछ भी! जो भी तुम्हारा मन हो, बता दो... वैसे, तुम और तुम्हारा परिवार... कहाँ से हो इंडिया में?”

“बहादुरगढ़...”

जब जय को समझ नहीं आया कि ये कहाँ है, तो मीना ने बताना जारी रखा, “दिल्ली के पास है - एक छोटा सा शहर है! शायद ही नाम सुना हो!”

“ओह! ओके! नहीं सुना! ... मैं भी दिल्ली से हूँ... था... हूँ!”

“हा हा... थे, कि हो? एक पे रहना!”

“ओके, था! वैसे, वहाँ हमारा बंगला है... माँ वहीं रहती हैं न!”

माँ का नाम सुनते ही मीना हिचक गई।

“क्या हुआ?”

“कुछ नहीं!”

“अरे बोलो न!” जय ने समझते हुए पूछा, “... माँ को ले कर कोई चिंता है?”

मीना ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“अरे, उनकी चिंता मत करो! ... माँ बहुत स्वीट हैं। मैंने बताया तो है... और अब तो हमारी बात भाभी ने सम्हाल ली है... वो माँ को मना लेंगी! अगर माँ को हमको ले कर कोई चिंता है भी, तो भाभी सब ठीक कर देंगी!” जय बड़े आत्मविश्वास से बोला, “... और वैसे भी, वो तुमको एक बार देख लेंगी न, तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि वो तुमको पसंद न करें!”

“हम्म...! आई होप सो!” मीना ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।

आई नो सो! ... अच्छा, तुमको खाने में क्या पसंद है?” जय ने बात बदल दी।

“सब कुछ... लेकिन मॉडरेट अमाउंट में खाती हूँ... अधिक अधिक नहीं!”

“वो तो दिख ही रहा है!” जय ने मीना के शरीर का जायज़ा लेते हुए कहा।

मीना अदा से मुस्कुराई।

“अच्छा, तुमको हस्बैंड कैसा चाहिए?”

“अरे वाह ठाकुर साहब... कहाँ से हो... खाने में क्या पसंद है... से सीधे हस्बैंड कैसा चाहिए पर आ गए! ... गुड, क्विक जम्प!” कह कर मीना खिलखिला कर हँसने लगी।

“अरे यार बताओ न!”

जवाब में मीना जय की तरफ़ मुड़ी, और उसके दोनों गालों को अपनी हथेलियों में थाम कर उसके होंठों को चूम कर बोली, “तुम... तुम्हारे जैसा!”

“सच सच बताओ!” जय को सुन कर अच्छा लगा, फिर भी वो तसल्ली कर लेना चाहता था।

“ओह जय... सच कह रही हूँ! तुम्हारे जैसा ही साथी चाहिए था मुझे! ... तुम! तुम चाहिए थे मुझे... हाँ, तुम थोड़े ओल्डर होते, तो बेटर था, लेकिन अभी भी ठीक है!” उसने आखिरी वाक्य शरारत से कहा।

“हा हा... व्हाट इस इट विद यू एंड माय एज...” जय हँसते हुए बोला, “तुमसे छोटा हूँ, तो कोई प्रॉब्लम है?”

“नहीं! नो प्रॉब्लम... जो किस्मत में है, वो ही तो मिलेगा न!” मीना ने उदास होने का नाटक करते हुए कहा, “सब कुछ चाहा हुआ तो नहीं हो सकता न!”

अच्छा!” जय ने भी नाराज़ होने का नाटक किया, “तो जाओ, किसी बुड्ढे से कर लो शादी!”

“अरे मेरा प्यारा वुड बी हस्बैंड... मेरी बात का बुरा मान गए?” मीना उसकी नाक को चूमती हुई बोली।

उसी समय चाय में उबाल आ गया। चाय में उबाल की आवाज़ सुन कर मीना चौंक कर तेजी से चूल्हे के पास जा कर उसका नॉब बंद कर देती है। बिल्कुल ठीक समय पर।

“देखा! चाय भी नाराज़ हो गई तुम्हारी बात पर!” जय हँसते हुए बोला।

“कोई नाराज़ वाराज़ नहीं है... वो कह रही है कि मैं तैयार हूँ, और, बहुत टेस्टी हूँ...” मीना मुस्कुराती हुई बोली।

“अपने ही मुँह मियाँ मिट्ठू! बिना पिये कैसे जान लें?”

“हे भगवान! तुमको बहुत हिंदी आती है! इसका मतलब?”
“वो बाद में! पहले चाय पिलाओ! इतनी देर से केवल बातों से ही मन बहला रही हो!”

“अभी लो...”

मीना ने दो प्यालों में चाय छान कर पहले जय को थमाई, फिर खुद ली। दोनों ने चाय की चुस्की ली।

“कैसी बनी है?”

जय ने नाक भौं सिकोड़ते हुए ‘न’ में तेजी तेजी सर हिलाया, “ये कैसी चाय है...”

“अरे, क्या हो गया,” मीना को यकीन ही नहीं हुआ कि जय की चाय का स्वाद ऐसा ख़राब हो सकता है, क्योंकि उसकी चाय तो हमेशा की ही तरह बढ़िया स्वाद वाली थी, “इधर लाओ तो...”

मीना ने जय के प्याले से चुस्की ले कर बड़ी मासूमियत से कहा, “अच्छी तो है!”

जय ने उसके हाथों से अपना प्याला ले कर फिर से चुस्की ली, “हाँ... अब आया इसमें टेस्ट!”

“अच्छा जी... बदमाशी!” जय की शरारत मीना को समझ में आ गई।

“तुमसे नहीं, तो आखिर और किससे करूँ शरारत?”

“किसी से नहीं!” मीना ने बड़े प्यार से जय को देखा।

उसकी आँखों में उसके लिए दुनिया जहान की मोहब्बत वो साफ़ देख सकता था। जय को उस समय इस बात का बोध भी हुआ कि कितनी सुन्दर आँखें हैं मीना की! वो इनको उम्र भर देख सकता है। मीना के मन की सच्चाई उसकी आँखों और उसके चेहरे से बयाँ हो रही थी। और वो सच्चाई थी मीना के मन में उसके लिए मोहब्बत की!

दोनों अचानक से ही ख़ामोश हो गए थे - और चुप हो कर चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे। जय मीना का हाथ अपने हाथ में ले कर कोमलता से सहला रहा था। अचानक ही कुछ कहने सुनने की आवश्यकता ही नहीं रही। कुछ देर में चाय ख़तम हो गई।

मीना बोली, “क्या खिलाऊँ डिनर में?”

“क्या आता है तुमको?”

“इतने सालों से यहाँ हूँ, इसका ये मतलब नहीं कि मुझे कुछ आता नहीं!” मीना अदा से मुस्कुराई, “तुम्हारी होने वाली बीवी लगभग सर्व-गुण संपन्न है!”

“हा हा! अरे वाह! तुमको ये फ़्रेज़ मालूम है?”

“बस कुछ ही... ये उनमें से एक है!” मीना ने ईमानदारी से कहा, “बोलो न! क्या खाओगे?”

“कुछ भी खिला दो मेरी जान! हम तो आसानी से खुश हो जाते हैं!”

“ऐसे मत बोलो जय... आई वांट टू मेक यू फ़ील स्पेशल... तुम मेरे लिए सबसे स्पेशल हो! और, पहली बार घर भी आये हो, तो बिना तुम्हारी ठीक से ख़ातिरदारी किए तुमको नहीं जाने दूँगी!”

“हा हा! ... जो तुमको सबसे अच्छा आता है, वो पका दो! मेरे लिए वही स्पेशल है!”

“ठीक है! तुम आराम से बैठो... मन करे तो घर देखो... वैसे, देखने जैसा कुछ भी नहीं है! मैं बनाती हूँ कुछ ख़ास!”

मीना ने जय के गले में अपनी बाँहें डाल कर उसको दो बार चूमा, और फिर अलग हो कर डिनर की तैयारी में व्यस्त हो गई। कुछ देर तक दोनों बातें करते रहे, और मीना खाना पकाने में व्यस्त रही। खाना पकाने को ले कर उसका उत्साह देख कर जय मन ही मन बहुत खुश हो रहा था।

शाम में पहली बार उसने मीना की देहयष्टि को बड़ी ध्यान से देखा - उसने एक रंग-बिरंगा स्वेटर पहना हुआ था, और नीचे एक घुटनों तक लम्बा स्कर्ट। घर में हीटिंग चल रही थी, नहीं तो इन महीनों शिकागो की ठंडक बढ़ जाती थी। वैसे भी दिन भर तेज़ ठंडी हवाएँ चलती ही रहती थीं। स्वेटर ढीला ढाला था, लेकिन सुरुचिपूर्ण था - ऐसा, जिसमें लड़की अपने प्रियतम को पसंद आए।
मीना सचमुच उसको बहुत पसंद आ रही थी!

“वाइन पियोगे?” कुछ समय बाद मीना ने पूछा।

“हाँ...”

“शिराज़ या मेर्लो?”

“शिराज़...”

मीना ने मुस्कुरा कर किचन के बगल लगे सेलर से रेड वाइन की एक बोतल निकाली और दो वाइन गिलासों में बारी बारी डाला। ठंडी के मौसम के हिसाब से रेड वाइन मुफ़ीद थी।

“चियर्स,” जय ने कहा और अपने गिलास को मीना के गिलास से टुनकाया।

“चियर्स...”

“उम्म...” पहला सिप ले कर जय ने अनुमोदन में सर हिलाया, “लेकिन यार, चाय का स्वाद खराब हो गया!”

“ओह्हो!” मीना नहीं चाहती थी कि जय का कोई भी अनुभव खराब हो, “सॉरी हनी!”

“हनी?” जय ने फिर से शरारत से पूछा।

मीना के गाल शर्म से गुलाबी हो गए, “इंडियन वीमेन डू नॉट कॉल दीयर हस्बैंड्स बाई दीयर नेम्स...!”

“ओये होए... क्या बात है मेरी जान!” जय मीना के करीब आते हुए बोला, “ऐसे करोगी तो कण्ट्रोल नहीं होगा मुझे...”

“किस बात पर कण्ट्रोल नहीं होगा?” मीना ने भली भाँति जानते हुए भी पूछा।

“मेरे इरादों पर...”

मीना बनावटी चाल में इठलाती हुई जय के पास आई, और उसके गले में बाहें डालती हुई बोली, “अभी नहीं हनी! ... बट आई प्रॉमिस, कि तुमको मैं हर तरह का सुख दूँगी! यू विल नेवर बी अनसैटिस्फाइड!”

“ये सब मत बोलो... दिल में कुछ कुछ होने लगता है!”

“हा हा... आई लव यू!” कह कर मीना ने उसको चूम लिया।
“अब जल्दी से इस वाइन का भी टेस्ट बढ़िया कर दो!”
मीना ने जय के गिलास से वाइन सिप पर के उसको वापस दे दिया। जय ने सहर्ष उसकी जूठी की हुई वाइन की चुस्की ली, और बोला,

“हाँ! अब आया स्वाद!”

मीना उसकी बात पर दिल खोल कर, खिलखिला कर हँसने लगी।

जय के मन के ख़याल आया कि वो मीना को बहुत चाहता है, और उससे अधिक वो किसी और लड़की को कभी प्यार नहीं कर सकेगा।

'शी इस द वन!'


*
Nice update....
 
10,056
42,043
258
बड़े भाई आदित्य ने बिल्कुल हिन्दुस्तानी शिक्षा दी अपने भाई जय को । हमारे कल्चर और संस्कार विवाह से पूर्व जिस्मनी सम्बन्ध बनाने की इजाजत नही देते।

लेकिन जब एकांत स्थान हो , रूमानियत भरा माहौल हो , दोनो तरफ से आग लगी हुई हो तब सारे इमान धरे के धरे रह जाते है। ऐसी स्थिति मे लव वरडस् का बहकना महज वक्त की बात होती है। और वही परिस्थिति मीनाक्षी के आवास मे बनता दिख रहा है।

वैसे मीना का चुम्बन एक नाॅनफैटनिंग , लो कैलोरी , विटामिन एनरिच्ड पप्पी था जय साहब के लिए :D

लड़की खुबसूरत हो , हसीन हो , कयामत हो तो वो वाइन पिए या सिगरेट , क्या फर्क पड़ता है !
एक विलायती , धुम्रपान विरोधी कहावत है -
" धुम्रपान करने वाली खुबसूरत युवती का चुम्बन लेना और ऐश ट्रे चाटना एक ही बात है "
और अगर लड़की मीना जैसी हो तो किस कमबख्त को ऐश ट्रे चाटने से ऐतराज है !

बहुत ही खूबसूरत अपडेट avsji भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
 
Top