Update #26
“जानेमन, आपने हमको रोक तो लिया है... लेकिन हमारे सोने का इंतज़ाम कहाँ है, वो तो बताईए?” जय ने ठिठोली करते हुए मीना से कहा।
“अच्छा जी,” मीना ने उसके खेल में शामिल होते हुए कहा, “... हम आपके पहलू में बैठे हैं, और आपको सोने की पड़ी है! ... इतनी बोर कंपनी है हमारी?”
“मेरी जान, आप हमारे पहलू में बैठी होतीं, तो कौन गधा सोने का सोचता... आप हमारे पहलू में नहीं बैठी हैं, इसीलिए तो नींद आ रही है!”
“हुकुम... आप और आपकी बातें! ... आइए आइए,” मीना ने भी खेल में शामिल होते हुए कहा, “चलिए... हम आपको आपके सोने का इंतज़ाम दिखा दें!”
“जी, चलिए...” कह कर जय मीना के पीछे चल दिया।
जब मीना ड्राइंग रूम में आई, तो जय को अचरज हुआ। उसने प्रश्नवाचक दृष्टि मीना पर डाली।
अपने अनकहे प्रश्न का उत्तर उसको तुरंत मिल गया।
“वो देखिए... वहाँ... वो काउच दिख रहा है न,” मीना ने इशारे से दिखाते हुए कहा, “... बस, वहीं है आपके सोने का इंतज़ाम! ... आज रात वहीं आराम फरमाईये आप...”
“अरे! काउच... आउच...” जय ने पीड़ित होने का नाटक किया।
उसके इस नाटक को देख कर मीना ज़ोर से हँसने लगी, “ओह जय, कैसे हो तुम!”
और कह कर उसने जय को ज़ोर से अपने आलिंगन में बाँध लिया।
“अरे बताया तो है... द बेस्ट!”
“द बेस्ट नहीं,” मीना ने ‘न’ में सर हिलाते हुए कहा, “... बेस्टेस्ट”, और इस बार उसको चूमने की पहल उसने खुद करी।
अगले ही पल दोनों के होंठ एक जोशीले चुम्बन में जुम्बिश (कम्पन) कर रहे थे - लेकिन यह एक सुकून भरा जोश था। शांत! दोनों के दूसरे के आलिंगन में बँध कर जैसे इस दीन दुनिया से पूरी तरह से बेखबर हो गए थे। चुम्बन के उन क्षणों में कोई अन्य प्राणी अस्तित्व में ही नहीं था! बस वो दोनों ही थे। कोई एक मिनट तक दोनों चुपचाप एक दूसरे को चूमते रहे! चुम्बन तब टूटा, जब मीना की साँस उखड़ने लगी।
“हुकुम...” उसने गहरी साँस भरते हुए, किन्तु शरारत भरे लहज़े में कहा, “किस करने की हो रही थी... मेरी साँस निकालने की नहीं!”
“ओह सॉरी सॉरी!” जय को अपनी गलती समझ आई।
“कोई बात नहीं माय लव... आई लव किसिंग यू!” वो बोली - आखिरी के शब्द बोलते बोलते उसके गालों में लाल रंगत गहरा आई, “... आई लव यू!”
“आई लव यू मोर...”
“नॉट पॉसिबल...”
“पक्की बात?”
“पक्की बात!”
“तो फ़िर...” जय ने शरारत भरे अंदाज़ में फिर से कहा, “मेरे सोने का इंतज़ाम किधर है?”
“... मेरे पहलू में...” मीना ने जय के सीने पर अपना माथा टिकाते हुए कहा, “... और कहाँ?”
“पक्की बात?”
मीना ने शर्माते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।
“जानेमन...” जय ने अपने परिचित शरारती अंदाज़ में कहना शुरू किया, लेकिन अचानक ही गंभीर हो गया, “... आर यू श्योर माय लव?”
मीना ने फिर से ‘हाँ’ में सर हिलाया।
“... आई ऍम श्योर अबाउट यू सिन्स द डे व्ही मेट!”
“ओह मीना... आई लव यू सो सो वैरी मच!”
“मुझसे ज़्यादा नहीं...”
“... बट आई कैन ट्राई...”
“योर होल लाइफ?” मीना बोल रही थी, लेकिन उसकी आँखों के कोने में आँसू निकल आए थे।
“माय दिस लाइफ एंड द नेक्स्ट...” जय ने उसकी आँखों को चूमते हुए कहा।
“ओह जय! ... न जाने क्या जादू कर दिया है तुमने मुझ पर...”
“बट... लव इस मैजिक!”
“एंड आई ऍम इनचैंटेड...” मीना ने बड़े प्यार से दो पल जय को देखा।
फिर उसकी बाँह थाम कर चलती हुई, बड़ी कोमलता से बोली, “कम...”
कुछ ही पलों में दोनों मीना के शयनकक्ष में थे।
जय ने देखा कि उसका कमरा भी घर के ही समान बहुत ही स्वच्छ और सुरुचिपूर्ण तरीक़े से व्यवस्थित और सुसज्जित था। जिस व्यक्ति का रहन सहन स्वच्छ और सुव्यवस्थित होता है, वो व्यक्ति भी अक़्सर स्वच्छ और सुव्यवस्थित होता है। यह बात जय ने अपनी माँ से बहुत पहले से ही सीख ली थी, और अपनी भाभी के साथ रहते हुए उसको इस बात का यकीन भी हो गया था। तो मीना को भी वैसा ही अनुकूल आचरण करते देख कर वो बहुत खुश हुआ।
“लवली...” उसके मुँह से मीना के रहन सहन के लिए बढ़ाई निकल ही गई।
“क्या?” मीना ने उत्सुकतावश पूछा।
“कितना साफ़ सुथरा घर है... सुन्दर भी! ... तुम्हारी तरह!”
मीना मुस्कुराई, “थैंक यू...”
“मेरा घर भी इसी तरह सुन्दर कर दो...”
“आई वांट टू...” मीना ने संजीदगी से कहा, “लेकिन कभी कभी मेरा दिल बहुत घबराता है...”
बोलते बोलते उसकी आँखों के कोनों से आँसू की पतली सी लकीर बन आई।
“मीना... मेरी जान... तुम और मैं एक दूसरे के लिए बने हैं... मुझे इस बात पर हंड्रेड परसेंट से भी अधिक यकीन है! ... और... मैं यह बात बार बार कह सकता हूँ... बिना थके! ... इसलिए तुम किसी भी बात की चिंता न करो! ... आई लव यू!”
जय ने उसके आँसुओं को पोंछते हुए कहा।
“इसी बात का तो डर है जय... मैं भी तुमको बहुत चाहती हूँ! खूब... अपनी जान से भी ज़्यादा! ... इसीलिए डर लगता है कि कहीं तुमको खो न दूँ... या कुछ ऐसा न हो जाए, कि तुमको मेरे कारण कोई दुःख हो...”
“ओह मीना... मीना... कुछ नहीं होगा!” जय ने कहना शुरू किया, “... क्या होगा बताऊँ?”
मीना ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
“कल मैं माँ से बात करूँगा... उनसे कहूँगा कि मुझे तुम बहुत पसंद हो, और मैं तुमसे शादी करूँगा! ... फिर माँ हम दोनों की शादी करा देंगी... जल्दी ही... फिर हमारे बच्चे होंगे... दो तीन...”
मीना ने उसकी बात पर चौंकने की प्रतिक्रिया दे कर जय की पसली में मज़ाकिया घूँसा मारा। लेकिन वो घूँसा बस एक कोमल, प्रेम-मय स्पर्श मात्र था - जो प्रेम में, ठिठोली के जैसे किया जाता है।
“अरे! क्या हुआ?” जय ने हँसते हुए कहा, “... तो फिर तुम्ही बता दो न कि कितने बच्चे करने हैं...”
जय हमेशा ही मीना का मूड बढ़िया कर देता था, तो आज भी कुछ अलग नहीं था। जय की बातें सुन कर, मीना का मन फिर से हल्का हो गया। उसने अपने आँसुओं के बीच मुस्कुराते हुए कहा,
“जितने तुमको चाहिए...”
“आए हाय... फ़िट हो गई है कुड़ी!”
“हैं?” मीना को समझ नहीं आया कि जय का क्या मतलब था।
“कुड़ी मतलब लड़की...”
“ओह...”
“तो मैं कह रहा था कि हमको कम से कम तीन बच्चे चाहिए!”
“वो क्यों?”
“वो इसलिए मेरी जान, क्योंकि किसी ने दो से अधिक बच्चे नहीं किए अभी तक घर में... मिनिमम तीन बच्चे चाहिए... फोर विल बी आईडियल...”
“जो हुकुम... हुकुम!”
“हा हा...” जय ने हँसते हुए मीना को अपनी तरफ खींचा और अपने आलिंगन में बाँध लिया।
“अच्छा प्लान है न?” उसने कहा।
“बहुत अच्छा...”
मीना ने कहा और जय के आलिंगन में कुछ इस तरह से समां गई कि जैसे वो दुनिया जहान छोड़ कर बस अपने जय की ही पनाह में रह जाए। जय ही उसका घर है... जय ही उसकी दुनिया है!
कोई दो मिनट तक मीना जय की पनाह में ही दुबक कर बैठी रही - उसको जय के दिल की धड़कन साफ़ सुनाई दे रही थी। एक शक्तिशाली मर्दाना दिल! और उसकी संयत, नपी-तुली धड़कन! कोई घबराहट नहीं... कोई हिचकिचाहट नहीं... ऐसा लग रहा था कि जैसे मीना को अपने सीने से लगा कर रखना उसके लिए रोज़मर्रा का काम हो।
‘ऐसे तो वो लोग होते हैं, जिनकी शादी हुए सालों साल बीत गए हों!’
ये ख़याल मन में आते ही मीना के होंठों पर प्यार भरी मुस्कान आ गई।
उस मुस्कान को जय ने भी अपने सीने में महसूस किया।
“क्या हुआ, मेरी जान?”
मीना मुस्कुराती हुई जय के सीने से अलग हटती हुई गुनगुनाई,
“हम जब सिमट के आपकी बाहों में आ गए...”
उसके गुनगुनाने पर जय मुस्कुराया - उसको अच्छा लगा कि मीना गा भी लेती है। वैसे भी उसकी आवाज़ ऐसी थी कि वो गाना गा सकती है।
“लाखों हसीं ख़्वाब निगाहों में आ गए...”
“सच में?”
मीना ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।
जय ने इस बात पर मीना की आँखों को चूम लिया।
मीना चुप हो गई।
“गाओ न, माय लव...”
“मैं दुनिया की सबसे लकी लड़की हूँ!” उसने गाने के बजाए बड़ी सहजता और ईमानदारी से कहा।
“और मैं सबसे लकी लड़का... गाओ न!”
“बस एक दो लाइनें ही आती हैं... पूरा गाना नहीं...” मीना बोली और फिर से गुनगुनाने लगी,
“खुशबू चमन को छोड़ के साँसों में घुल गई...
लहरा के अपने आप जवान ज़ुल्फ़ खुल गई...”
इस लाइन पर जय ने बड़े प्यार से मीना की अलकों में अपनी उँगलियाँ उलझा दीं।
मीना मुस्कुराई,
“हम अपनी दिलपसंद पनाहों में आ गए...
हम जब सिमट के आप की बाहों में आ गए...
लाखों हसीं ख़्वाब निगाहों में आ गए...”
“आई लव यू...” गाना ख़तम कर के मीना ने कहा।
जय मुस्कुराया, “बात हुई थी कि हम आपके पहलू में सोएँगे... लेकिन हमारी बेग़म तो बार बार हमारे पहलू में आने की बात कर रही हैं...”
“आ जाईये हमारी पहलू में... हुकुम...” मीना ने बड़ी सेक्सी अदा से अपनी बाहें फ़ैला दीं।
जय की तो मन माँगी मुराद पूरी हो गई - वो पूरे उत्साह से मीना के सीने में, उसके स्तनों के बीच अपना चेहरा घुसा कर उसके आलिंगन में समां गया। मीना के ठोस स्तनों की कोमलता को महसूस कर के उसको बड़ा आश्चर्य हुआ। उसको स्तनों का कोई ख़ास अनुभव नहीं था - बचपन में स्तनपान करते समय जो हुआ हो, वही हुआ था। उसके बाद नहीं। कम से कम स्तनों की कोई याद ताज़ा नहीं थी। हाँ, भाभी के सीने पर सर रखने, उनके आलिंगन में उसको जो अनुभव था, बस वही था। क्लेयर के स्तन अधिक कोमल थे, लेकिन मीना के अधिक ठोस! उसको इस बोध से अच्छा लगा।
उसने स्वेटर के ऊपर से ही मीना के दोनों स्तनों को बारी बारी चूम लिया।
न कोई हिचक दिखाई, और न ही कोई शर्म!
लेकिन मीना का पूरा शरीर उन दोनों चुम्बनों के कारण सिहर गया।
“जय...” वो बस फुसफुसा सकी।
कोई विरोध नहीं था यह - बस, विस्मय भरा एक शब्द था... और वो भी उसके प्रियतम का नाम! जय ऐसी अपूर्व सुंदरी को अपनी पत्नी के रूप में पा कर गदगद था। चोरी छुपे खिलवाड़ बहुत हो चुका था - अब असली बात हो जानी चाहिए थी। उसको एक समय से मीना को नग्न देखने की चाह थी। आज की रात उस चाह को पूरा करने की रात थी।
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