Update #27
उसने मीना का स्वेटर उसके शरीर से ऊपर उठाया - मीना और उसकी आँखें दो पल को मिलीं, और फिर मीना ने अपनी आँखें नीची कर लीं। जय ने उसकी इस हरकत को उसकी मौन स्वीकृति माना। लेकिन अगले ही पल मीना ने अपने दोनों हाथ थोड़े ऊपर उठा लिए - अब संदेह की कोई गुंजाईश ही नहीं थी। यह स्वीकृति चाहे कितनी ही मौन हो, लेकिन चीख चीख कर सब कुछ साफ़ साफ़ कह रही थी।
दो ही पलों में मीना के ब्रा से ढँके स्तन जय के सामने उजागर हो गए - मीना ने बेबी पिंक रंग की, लेस वाली फ्रेंच ब्रा पहनी हुई थी! उसमें लेस थोड़ा पारदर्शी था, लिहाज़ा, उसके गहरे रंग के चूचक लेस के पैटर्न के पीछे से दिखाई दे रहे थे।
ऐसा दिव्य नज़ारा जय ने पहले कभी नहीं देखा था। उसको यकीन ही नहीं हो रहा था कि ऐसे अद्भुत अंगों को उसने अभी बस कुछ ही पलों पहले चूमा था! उसकी किस्मत सिर्फ इसलिए अच्छी नहीं थी कि वो मीना जैसी गुणों से संपन्न लड़की का पति बनने वाला था, बल्कि इसलिए भी अच्छी थी कि वो गुणों के साथ साथ रूप संपन्न भी थी!
“दे आर माय मोस्ट फेवरेट ब्रेस्ट्स इन द होल वर्ल्ड...”
ऐसी भारी माहौल में भी मीना को हँसी आ गई, “... और किसके ब्रेस्ट्स देख लिए आपने हुकुम?”
“अरे क्यों! माँ हैं... भाभी हैं...”
कहा तो था जय ने मीना को जलाने की गरज़ से, लेकिन पास उल्टा पड़ गया, “अच्छा जी... आप अभी भी दुद्धू पीते हैं?”
लेकिन मीना को अभी तक जय के सौम्य स्वभाव का पूरा अंदाज़ा नहीं था। वो न तो इतनी जल्दी गुस्सा होता था, और न ही किसी बात से जलता या कुढ़ता था। वो हँसमुख और निश्छल प्रवृत्ति का आदमी था।
“नहीं मेरी जान... अभी भी नहीं, अभी से...” वो हँसते हुए बोला, “... अभी से हम आपका दुद्धू पिएँगे...”
“हाँ ज़रूर... मान न मान, मैं तेरा मेहमान!”
“हम तो ऐसे ही हैं... आप देख लीजिए...”
उसकी बात पर मीना पल भर में पिघल गई, “आप हमको ऐसे ही बहुत अच्छे लगते हैं...”
“पक्की बात?”
“पक्की बात...”
“ये कैसे उतरती है?” जय ने पूछा।
“आप तो एक्सपर्ट हैं दुद्धू पीने में... आपको तो मालूम होगा!” कह कर मीना अपनी ब्रा का क्लास्प खोलने को हुई।
उसकी इस हरकत से जय को समझ आ गया कि ये वाले ब्रा पीठ के पीछे खुलती है।
“तुमको निर्वसन करने का यह शुभ काम मुझे करने दो प्रिये...” जय ने बदमाशी भरे अंदाज़ में कहा।
“क्या करने दो?” मीना को समझ ही नहीं आया कि उसने क्या कहा।
“तुमको नंगा...”
“धत्त...” मीना ने जय के बढ़े हुए हाथ पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा, “पूरे बेशर्म हो तुम...”
“हमको शर्म करनी चाहिए क्या मेरी जान?” जय ने मीना के पीठ के पीछे अपनी बाहें डालते हुए कहा।
वो मुस्कुराई।
बोली कुछ भी नहीं।
जय ने उसकी तरफ़ झुकते हुए, उसके कंधे और गर्दन को चूमते हुए उसकी ब्रा का क्लास्प पकड़ा।
उन दोनों के संछिप्त से, लेकिन तेजी से प्रगाढ़ हुए अंतरंग सम्बन्ध में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय था। आप कितना भी कह लें, कि आपको अपनी प्रेमिका के गुण पसंद हैं, लेकिन आपके सम्बन्ध में कभी न कभी वो समय आ ही जाता है, जब आप दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण किसी भी अन्य आकर्षण से अधिक बलवान हो जाता है। संभव है कि क्रमिक विकास की प्रक्रिया में, प्रकृति ने यह एक आवश्यक घटक डाला हुआ हो...! जब आपको अपना मनचाहा साथी मिल ही गया है, तो क्यों न उसके साथ संतानोत्पत्ति करें? फिर भी, जय ने स्वयं को कुछ समय से ज़ब्त कर के रखा हुआ था। मीना ने भी... क्योंकि उसको अपने पुराने असफ़ल संबंधों की याद ताज़ा थी। लेकिन वो जय को निराश नहीं करना चाहती थी। वो समझती थी कि अगर जय को उसके साथ अंतरंग होने की इच्छा है, तो वो इच्छा लाज़मी भी है और जायज़ भी... और यह, कि उन दोनों के बीच कभी न कभी यह सब होगा ही!
वैसे भी, आज दोनों के बीच माहौल अलग ही था! दोनों ही बड़े ठहराव और आनंद से एक दूसरे के साथ का आनंद ले रहे थे। ऐसे में, दोनों के बीच अवरोध की बाधा घट गई थी। मीना के दिल की धड़कनें तेज हो गईं... और जय के भी... आज वो मीना को देखने वाला था... पहली बार! वो एक पल को रुका, और मीना की आँखों में देखते हुए मुस्कुराया, और उसके होठों को चूमा। मीना भी मुस्कुरा दी... एक शर्मीली और कोमल मुस्कान!
ब्रा का क्लास्प खुल गया, और जय के हाथ की एक छोटी सी हरकत से उसकी ब्रा उसके शरीर से अलग हो गई। इतने दिनों के सब्र का प्रतिफल देखने का समय आ गया था...
जय ने थोड़ा पीछे हट कर मीना के सीने की तरफ़ देखा।
‘ओह गॉड!’
जैसी जय को उम्मीद थी, उससे हज़ारों गुणा सुन्दर और आकर्षक स्तनों की जोड़ी थी मीना की! यौवन के शिखर पर उपस्थित, और घमण्ड से उन्नत ठोस, गोल टीलों जैसे थे मीना के स्तन! दृढ़ और मुलायम - एक साथ! घोर विरोधाभासों का सम्मिश्रण! स्तनों के दोनों गोलार्द्धों के ऊपर स्वादिष्ट से दिखने वाले गहरे भूरे रंग के चूचक शोभायमान थे, और उसी से मिलते जुलते, लेकिन थोड़े हल्के रंग के कोई दो इंच के एरोला से घिरे हुए थे। मीना के स्तन देखने में बड़े कोमल, और नाज़ुक से लग रहे थे - लेकिन उनको देख कर ऐसा भी मन हो रहा था कि बस, दबोच कर उनका सारा रस पी जाओ!
अब तक जय के मन में इतना जोश चढ़ चुका था कि वो मीना के चूचक को अपने मुँह में लेने का लोभ-संवरण न कर सका। जैसे ही उसने मीना का एक चूचक चूमा, तो मीना के साथ साथ वो भी सिहर गया! उसने देखा कि उसके चुम्बन की प्रतिक्रिया स्वरुप मीना के स्तन के रौंगटे खड़े हो गए थे।
“ओह! सो ब्यूटीफुल! वैरी वैरी ब्यूटीफुल!” जय उसका दूसरा चूचक चूमने से पहले बोला, “... एंड परफेक्ट!”
जय मीना के स्तनों की सुंदरता में पूरी तरह से डूब गया था। उसने यह नहीं देखा कि मीना ने उसकी बढ़ाई पर कैसी प्रतिक्रिया दी, लेकिन मीना के दोनों गाल शर्म से लाल लाल हो गए!
उधर, मीना के दिव्य-दर्शन से जय पर एक अलग ही प्रभाव पड़ रहा था - उसका लिंग अभूतपूर्व रूप से उत्तेजित हो गया था। पुराने अनुभव से उसको समझ आ रहा था कि बिना स्खलन हुए, वो शांत नहीं होने वाला! लेकिन उसमें समय था।
उसने मीना का स्वेटर उसके शरीर पर ऊपर की तरफ़ उठाया - मीना और उसकी आँखें दो पल को मिलीं, और फिर मीना ने अपनी आँखें नीची कर लीं। इस बात का क्या मतलब था? जय के मन में हुआ कि मीना की इस हरकत को उसकी मौन स्वीकृति मान ली जाए - लेकिन पक्का नहीं पता। बिना मीना की सहमति के वो कुछ भी करना नहीं चाहता था - जो भी हो, मीना उससे उम्र में बड़ी है, और उसका सम्मान करना ही होगा। जय दो पल पशोपेश में था और शायद मीना ने भी उसकी हिचक का कारण समझ लिया। अगले ही पल मीना ने अपने दोनों हाथ थोड़े ऊपर उठा लिए - अब जय के मन में संदेह की कोई गुंजाईश ही नहीं थी। यह स्वीकृति चाहे कितनी ही मौन हो, लेकिन चीख चीख कर सब कुछ साफ़ साफ़ कह रही थी।
दो ही पलों में मीना के ब्रा से ढँके हुए स्तन, जय के सामने उजागर हो गए। मीना ने बेबी पिंक रंग की, लेस वाली फ्रेंच ब्रा पहनी हुई थी! उस प्रकार की ब्रा में इस्तेमाल होने वाला लेस थोड़ा कोमल, और पारदर्शी होता है। लिहाज़ा, उसके गहरे रंग के चूचक लेस के पैटर्न के पीछे से दिखाई दे रहे थे।
ऐसा दिव्य नज़ारा जय ने पहले कभी नहीं देखा था!
उसको यकीन ही नहीं हो रहा था कि ऐसे अद्भुत अंगों को उसने अभी बस कुछ ही पलों पहले (कपड़ों के ऊपर से ही सही) चूमा था! उसकी किस्मत सिर्फ इसलिए अच्छी नहीं थी कि वो मीना जैसी अनेक-गुण संपन्न लड़की का पति बनने वाला था, बल्कि इसलिए भी अच्छी थी कि वो अनेक-गुण संपन्न होने के साथ साथ, अनन्य रूपवती भी थी!
“दे आर माय मोस्ट फेवरेट ब्रेस्ट्स इन द होल वर्ल्ड...”
भावनात्मक रूप से भारी ऐसे माहौल में भी मीना को हँसी आ गई - जय का सेन्स ऑफ़ ह्यूमर था ही ऐस!
“... और किसके ब्रेस्ट्स देख लिए आपने हुकुम?”
“अरे क्यों! आपने हमको क्या पूरा अनाड़ी समझा हुआ है! ... दिल्ली की लड़कियाँ अपना दिल हमारे क़दमों में रखती हैं... अपनी जान छिड़कती हैं हम पर...”
“अच्छा जी... तो उनके ब्रेस्ट्स देख लिए आपने!” मीना ने ठिठोली करी, “... हाँ ठीक भी है...”
“अरे ऐसे नहीं हैं हम... लेकिन माँ हैं... भाभी हैं...”
कहा तो था जय ने मीना को जलाने की गरज़ से, लेकिन पास उल्टा पड़ गया। जलने के बजाय उसका कथन मज़ाकिया बन के रह गया,
“ओह्हो... तो आप अभी भी दुद्धू पीते हैं?”
मीना ने कह तो दिया, लेकिन उसको एक पल मन में ख़याल आया कि कहीं जय बुरा न मान जाए! लेकिन मीना को अभी तक जय के सौम्य स्वभाव का पूरा अंदाज़ा नहीं था। वो न तो जल्दी गुस्सा होता था, और न ही किसी बात से जलता या कुढ़ता था। वो हँसमुख और निश्छल प्रवृत्ति का आदमी था।
“नहीं मेरी जान... अभी भी नहीं, अभी से...” वो हँसते हुए बोला, “... अभी से हम दुद्धू पिएँगे... आपका...”
“हाँ जी ज़रूर... मान न मान, मैं तेरा मेहमान!”
“हम तो ऐसे ही हैं... आप अपना देख लीजिए... हमारा साथ चाहिए या नहीं...”
उसकी बात पर मीना पल भर में पिघल गई, “आपका नहीं, तो और किसका साथ चाहिए, हुकुम! ... आप जैसे हैं, हमको वैसे ही बहुत अच्छे लगते हैं...”
“पक्की बात?”
“पक्की बात...”
जय मुस्कुराया और फिर उसकी ब्रा को छूते हुए पूछा, “ये कैसे उतरती है?”
“आप तो एक्सपर्ट हैं दुद्धू पीने में... आपको तो मालूम होगा!” कह कर मीना अपनी ब्रा का क्लास्प खोलने को हुई।
उसकी इस हरकत से जय को समझ आ गया, कि ब्रा पीठ के पीछे खुलती है।
“तुमको निर्वसन करने का यह शुभ काम मुझे करने दो प्रिये...” जय ने बदमाशी भरे अंदाज़ में कहा।
“क्या करने दो?” मीना को समझ ही नहीं आया कि उसने क्या कहा।
“तुमको नंगा...”
“धत्त...” मीना ने जय के बढ़े हुए हाथ पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा, “पूरे बेशर्म हो तुम...”
“हमको शर्म करनी चाहिए क्या मेरी जान?” जय ने मीना के पीठ के पीछे अपनी बाहें डालते हुए कहा।
वो मुस्कुराई।
बोली कुछ भी नहीं।
जय ने उसकी तरफ़ झुकते हुए, उसके कंधे और गर्दन को चूमते हुए उसकी ब्रा का क्लास्प पकड़ा।
उन दोनों के संछिप्त से, लेकिन तेजी से प्रगाढ़ हुए अंतरंग सम्बन्ध में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय था। आप कितना भी कह लें, कि आपको अपनी प्रेमिका के गुण पसंद हैं, लेकिन आपके सम्बन्ध में कभी न कभी वो समय आ ही जाता है, जब आप दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण किसी भी अन्य आकर्षण से अधिक बलवान हो जाता है। संभव है कि क्रमिक विकास की प्रक्रिया में, प्रकृति ने यह एक आवश्यक घटक डाला हुआ हो...! जब आपको अपना मनचाहा साथी मिल ही गया है, तो क्यों न उसके साथ संतानोत्पत्ति करें? फिर भी, जय ने स्वयं को कुछ समय से ज़ब्त कर के रखा हुआ था। मीना ने भी... क्योंकि उसको अपने पुराने असफ़ल संबंधों की याद ताज़ा थी। लेकिन वो जय को निराश नहीं करना चाहती थी। वो समझती थी कि अगर जय को उसके साथ अंतरंग होने की इच्छा है, तो वो इच्छा लाज़मी भी है और जायज़ भी... और यह, कि उन दोनों के बीच कभी न कभी यह सब होगा ही!
वैसे भी, आज दोनों के बीच माहौल अलग ही था! दोनों ही बड़े ठहराव और आनंद से एक दूसरे के साथ का आनंद ले रहे थे। ऐसे में, दोनों के बीच अवरोध की बाधा घट गई थी। मीना के दिल की धड़कनें तेज हो गईं... और जय के भी... आज वो मीना को देखने वाला था... पहली बार! वो एक पल को रुका, और मीना की आँखों में देखते हुए मुस्कुराया, और उसके होठों को चूमा। मीना भी मुस्कुरा दी... एक शर्मीली और कोमल मुस्कान!
ब्रा का क्लास्प खुल गया, और जय के हाथ की एक छोटी सी हरकत से उसकी ब्रा उसके शरीर से अलग हो गई। इतने दिनों के सब्र का प्रतिफल देखने का समय आ गया था...
जय ने थोड़ा पीछे हट कर मीना के सीने की तरफ़ देखा।
‘ओह गॉड!’