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Romance श्राप [Completed]

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,039
22,452
159
Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28, Update #29, Update #30, Update #31, Update #32, Update #33, Update #34, Update #35, Update #36, Update #37, Update #38, Update #39, Update #40, Update #41, Update #42, Update #43, Update #44, Update #45, Update #46, Update #47, Update #48, Update #49, Update #50, Update #51, Update #52.

Beautiful-Eyes
* इस चित्र का इस कहानी से कोई लेना देना नहीं है! एक AI सॉफ्टवेयर की मदद से यह चित्र बनाया है। सुन्दर लगा, इसलिए यहाँ लगा दिया!
 
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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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Update #29


उसकी स्कर्ट उतारते समय वो मीना को चूम तो रहा था, लेकिन वो अच्छी तरह समझ रही थी कि वो क्या चाहता है! वो भी तो यही चाहती थी कि जय अपने मन का कर सके... मीना ने अपने नितम्ब ऊपर उठा कर, स्कर्ट उतारने में जय की मदद करने लगी। अब शंका का कोई स्थान नहीं रह गया था - जय समझ गया कि उसको मीना का पूर्ण समर्थन प्राप्त है! बस, फिर क्या! उसने हाथ के एक तीव्र गति से उसकी स्कर्ट को उतार फेंका! स्कर्ट फ़र्श पर कहीं दूर जा कर गिरी।

दोनों का चुम्बन अचानक से ही तेज और भावनात्मक आवेश युक्त हो गया! अचानक से उसमें एक तत्परता सी आ गई। वो कोमल प्रेम वाला भाव अचानक ही लुप्त हो गया - प्रकृति अचानक ही प्रेम-वृत्ति पर भारी पड़ने लगी! जय ने किसी भी लड़की को इस तरह से नग्न पहले कभी नहीं देखा था! मीना की पैंटी उसकी ब्रा मैचिंग सेट की थी। केवल बेबी पिंक रंग की, लेस वाली चड्ढी पहने हुए वो इतनी शानदार लग रही थी कि कुछ पलों के लिए जय की बोलती ही बंद हो गई। कोई और समय होता, तो संभव है जय उसको उतारता नहीं - लेकिन बिना उसे उतारे वो मीना का अति-दिव्य दर्शन कैसे करता?

उसका हाथ मीना के पेट पर फिसलते हुए उसकी पैंटी पर आ गया। वो उसको उतारने को हुआ, लेकिन फिर कुछ सोच कर लेस के ऊपर से ही मीना की योनि की फाँकों को सहलाने लगा। स्त्री-पुरुष का अंतर उसको मालूम था, लेकिन उस अंतर को जीवन में पहली बार, इतनी निकटता से देखना - अलग ही अनुभव था। उसकी श्रोणि पर कड़े बाल थे लेकिन मीना की श्रोणि चिकनी थी... लिंग कितना कठोर होता है, लेकिन योनि कितनी... कोमल! मीना की योनि की फाँकों को सहलाते सहलाते वो उसके भगशेफ की कली को महसूस कर रहा था! कोमल अंग के ऊपर उसकी कोमल कठोरता बड़ी अनोखी महसूस हो रही थी। उसके मन में यह चल रहा था मीना की योनि कैसी होगी! बस कुछ ही क्षणों में उसको यह राज़ भी पता होने वाला था! इस कामुक विचार से जय की उत्तेजना और भी अधिक बढ़ गई।

“मीना...” वो फुसफुसाते हुए कहने को हुआ, लेकिन मीना ने उसके होंठों पर उंगली रख के चुप रहने का इशारा किया।

स्वयं पर और नियंत्रण कर पाना जय के लिए अब लगभग असंभव हो गया था। उसने पैंटी के अंदर अपना हाथ डाला और कमर से इलास्टिक को हटा कर झरोखे के अंदर झाँका।

अंदर का नज़ारा अनोखा था!

‘तो ऐसी होती है योनि...’ मीना की योनि का आंशिक दर्शन कर के भी वो खुद को धन्य महसूस कर रहा था।

इट्स ब्यूटीफुल...” उसके मुँह से निकल ही गया।

“हु...कु...म...” इतनी देर में मीना ने पहली बार कुछ कहा, “प्लीज़ डोंट टीज़ मी...”

मीना की योनि के आंशिक दर्शन से जय की उत्तेजना बिना किसी लगाम के भागने लगी। अब तो अपने गंतव्य पर पहुँच कर ही उसकी कामाग्नि ठंडी होने वाली थी। मीना ने भी इस तथ्य को स्वीकार कर लिया था कि आज रात उन दोनों का ‘एक होना’ तय है! अनुभवी होने के बावज़ूद उसके दिल में डर सा बैठा हुआ था... शायद इसलिए कि वो चाहती थी कि दोनों का मिलन जय के लिए सुखकारी हो! उसको आनंद मिले। और उसको इस बात से संतुष्टि मिल रही थी कि वो कुछ ही देर में अपने जय की होने वाली थी! पूरी तरह से! इस तथ्य को आत्मसात करना बहुत मुश्किल था।

जय ने उसकी योनि को हल्के से छुआ! मीना उत्तेजनावश कराह उठी! वो कब से सम्भोग के लिए तैयार बैठी थी, लेकिन जय उस तथ्य से अपरिचित था। उसने उसकी पैंटी को थोड़ा नीचे सरकाया। बड़ी कोमलता से! मीना ने फिर से अपने नितम्ब उठा कर पैंटी उतरवाने में जय की मदद करी।

अंततः!

जय ने जब अपनी सुन्दर और सेक्सी प्रेमिका का पूर्ण नग्न शरीर पहली बार देखा तो कुछ समय के लिए सन्न रह गया। रूप की देवी थी मीना! चेहरा तो सुन्दर था ही; स्तनों का हाल बयान कर ही चुके; अब बाकी की बातें बता देते हैं। मीना की जाँघें सुगढ़, दृढ़, और चिकनी थीं; उन दोनों जाँघों के बीच उसकी योनि के दोनों होंठ उत्तेजनावश सूजे हुए थे, और उन होंठों के बीच में कामातुर योनि-मुख! उसका आकार ट्यूलिप की कली के समान था। जय को उसका आकार और प्रकार दोनों ही पसंद आया।

“मीना... यार...” जय से रहा नहीं गया, “ये तो... बहुत सुन्दर है! ट्यूलिप की कली जैसा... जैसी...”

“आपको पसंद आई?”

“बहुत! बहुत! थैंक यू!”

मीना का शरीर सुडौल था ही, लेकिन अपने नग्न रूप में वो और भी सुगठित लग रही थी।

जय बेहद उत्तेजित था - उसके अंदर सम्भोग करने की इच्छा इतनी बलवती हो गई थी कि उसको अब कुछ और सूझ नहीं रहा था। लेकिन न जाने कैसे, अचानक ही उसका प्रेम-भाव वापस आ गया - जय को लगा कि उसकी मीना चाहती है कि वो उसको अपने आलिंगन में भर ले! शायद स्वयं जय को मीना के आलिंगन में आने की इच्छा हो आई हो!

जय ने तुरंत ही मीना को अपनी बाहों में भर लिया, और जितना अधिक संभव था, उसको अपने में भींच लिया। उस जोशीले आलिंगन में आते ही दोनों के होंठ आपस में मिल गए! यह चुम्बन बड़ा ही भावुक करने वाला था। जय को उस क्षण एक अभूतपूर्व और अलौकिक सा एहसास हुआ... एहसास कि उसका और मीना का साथ हमेशा का है... कि दोनों के अस्तित्व एक दूसरे के कारण हैं... कि उनका बंधन अटूट है, चाहे कुछ भी हो जाय। इस एहसास के कारण जय के मन में मीना के लिए और भी प्यार उमड़ आया।

‘हाँ, बस मीना ही चाहिए उसको! और कुछ भी नहीं!’

दोनों बिना कुछ बोले चुम्बन का आनंद उठाते रहे। फिर अचानक ही मीना ने कुछ अनोखा किया : चुम्बन लेते लेते, उसने जय है हाथ अपने स्तन पर रख दिया। जय ने उसके स्तनों को बारी बारी सहलाया... कुछ ही देर में होंठों का चुम्बन, चूचकों का चुम्बन बन गया - दोनों को समझ नहीं आया! मीना इस अनुभव का आनंद लेते हुए किलकारियाँ भर रही थी! जय के साथ कुछ ही पलों के साथ ने उसको गज़ब का सुख दिया था।

“आई लव यू...” जय बोला।

उसकी बोली में इतनी सच्चाई और ईमानदारी थी, जो मीना को साफ़ साफ़ सुनाई दी।

“आई नो!”

वो मुस्कुराया, और मीना के हर अंग को चूमने लगा। देर तक चूमने के कारण मीना का निचला होंठ थोड़ा सूज गया था और एक दो जगह से थोड़ा फट गया था। जय के साथ मीना एक छोटी लड़की के समान हो गई थी - उसकी भाव-भंगिमा थोड़ी नटखट सी, थोड़ी चुलबुली सी हो गई थी। जय को पता नहीं था कि इतनी देर के प्रेम-मई चुम्बन, चूषण इत्यादि से मीना को कुछ समय पहले ओर्गास्म हो आया था। उसकी योनि से भारी मात्रा में काम-रस निकल रहा था, जो बाहर से भी दिख रहा था। बिस्तर पर वो जहाँ जहाँ बैठ रही थी, वहाँ वहाँ गीलेपन के चिन्ह साफ़ दिखाई दे रहे थे।

जब जय एक बार फिर से उसके एक चूचक से जा लगा, तब मीना खिलखिला कर हँसने लगी।

“मेरे जय... तुमको ये इतने पसंद आए?”

“बहुत!”

डोंट फ़िनिश देम... नहीं तो तुम्हारे चारों बच्चे गाय का दूध पियेंगे!”

मीना ने कुछ ऐसे चुलबुले अंदाज़ में कहा कि जय भी हँसने लगा। उसकी सँगत का बड़ा ही सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था मीना पर! और इस बात को देख कर उसको स्वयं पर बड़ा ही गर्व महसूस हो रहा था।

“जो हुकुम...” वो बोला, “... हुकुम!”

मीना मुस्कुराई... एक चौड़ी, चमकती हुई मुस्कान! अब उसको भी पहल करने का समय आ गया था। उसने एक एक कर के जय की शर्ट के बटन खोले और फिर उसको उतारने लगे। पहली बार उसको भी जय का शरीर देखने को मिला। उसको जैसी उम्मीद थी, जय का शरीर वैसा ही था - माँसल, मज़बूत, और युवा शक्ति से लबरेज़!

लाइक्ड व्हाट यू सी?” उसने मीना से पूछा।

वैरी मच! ... एग्ज़क्टली ऍस हाऊ आई होप्ड...”

फिर उसने उसकी पैंट की बेल्ट उतारी और थोड़ी जल्दबाज़ी से उसकी पैंट की ज़िप खोल कर उसको उतार दिया। जय के अंडरवियर से उसका उत्तेजित लिंग बुरी तरह से उभरा हुआ था। मीना उसको देख कर प्रभावित हुए बिना न रह सकी। जय भी चाहता था कि अब वो वस्त्रों के इस अनावश्यक दबाव से मुक्त हो जाय। उसको थोड़ी शर्म ज़रूर आ रही थी, लेकिन मन में यह बात भी आ रही थी कि मीना के सामने नग्न होना बड़ी प्राकृतिक सी बात है। वो भी चाहता था कि मीना उसको देख कर प्रभावित हो। उसकी चड्ढी उतारने से पहले मीना उसकी तरफ देख कर मुस्कुराई। जय भी मुस्कुराया।

अगले ही पल जय का उत्तेजित लिंग मुक्त हो कर हवा में तन गया। अन्य दिनों की अपेक्षा आज उसके लिंग का आकार थोड़ा अधिक ही बढ़ गया था, और इस कारण से वो जय को भी अजनबी सा लग रहा था! लेकिन यह अच्छी बात थी - अगर जय स्वयं अपने ही अंग से प्रभावित हो सकता है, तो मीना भी अवश्य होगी। लेकिन मीना को उसके लिंग से प्रभावित होने की आवश्यकता नहीं थी - अगर जय उसका है, तो किसी भी अन्य बात का कोई महत्त्व नहीं! मीना ने हाथ बढ़ा कर उसके स्तंभित लिंग पर रख दिया। उसके लिंग पर हाथ लगाते ही मीना की सिसकी सी निकल गई और वो हाथ हटा कर उसको देखने लगी।

“क्या इरादे हैं हुकुम?” उसने जय से पूछा।

लेट्स मेक अ बेबी?”

जय की बात सुन कर मीना हँसने लगी!

“हुकुम आज ही पापा बनना चाहते हैं?”

“अगर हमारी राजकुमारी की भी यही इच्छा है, तो!”

मीना ने जय को बहुत प्रभावित हो कर देखा। कैसा सीधा सा और सच्चा सा है उसका जय! उसका दिल घमंड से भर गया! हाँ, वो अपने जय को संतान देगी। एक नहीं, चार! जैसा वो चाहता है। उन दोनों का जीवन अब बस जुड़ने ही वाला है, और वो ग़ुरूर से भरी जा रही थी। कैसी किस्मत होनी चाहिए जय जैसा सुन्दर, सरल, सच्चा साथी पाने के लिए!

आई विल बी हैप्पी एंड प्राउड टू हैव योर बेबी, माय लव! ... नथिंग एल्स विल मेक माय लाइफ वर्थ मोर!”

“ओह मीना! मीना...”

कह कर जय ने मीना को बिस्तर पर लिटा दिया, और उसको अपनी तरफ़ सरका कर व्यवस्थित किया। उसका उत्तेजित लिंग मीना के पेट को छूने लगा। उन दोनों के होंठ फिर से मल्लयुद्ध में रत हो गए। एक कामुक चुम्बन! अंततः, अब समय आ ही गया था!

मीना ने अपने पाँव उठा कर जय के साइड में ला कर, उसकी पीठ पर टिका दिए। उधर जय का हाथ उसकी योनि पर चला गया। जब उसकी उँगलियों ने मीना के योनिमुख को छुआ, तो मीना के मुँह से एक कामुक कराह छूट गई। जय ने अपने लिंग को उसकी योनि पर फिराया - मीना की योनि पूरी तरह से नम थी और उसके लिंग का स्वागत करने को तत्पर भी थी।

आई लव यू सो मच, मीना!” वो फुुसफुसाया।

आई लव यू मोर...” वो भी फुसफुसाई।

जय ने फिर से उसकी योनि को अपने लिंग को फिराया।

“बहुत पेन होगा?”

मीना ने ‘न’ में सर हिलाया, “डोंट वरि अबाउट दैट! ... हमको मम्मी पापा बनना है न? ... तो हुकुम, बस आप वही सोचिए... और कुछ भी नहीं!”

जय ने ‘हाँ’ में एक दो बार हिलाया, फिर अपने लिंग को पकड़ कर उसके सिरे को मीना की योनि के अंदर धक्का दिया। जय नौसिखिया था - उसको सेक्स करने का कोई व्यवहारिक ज्ञान नहीं था। इसलिए पहला धक्का ही बलपूर्वक लग गया। अच्छी बात यह थी कि मीना की योनि अच्छी तरह से चिकनी हो रखी थी - इसलिए उसका लिंग मीना की योनि में फिसल कर काफी अंदर तक घुस गया।

अद्भुत एहसास!

कितना लम्बा अर्सा हो गया था!

मीना ने गहरी आह भरते हुए कहा, “ओह हनी!”

जय को लगा कि उसने जो किया, वो अच्छा किया। लिहाज़ा उसने फिर से एक और बलवान धक्का लगाया। पिछली बार उसके लिंग का जो भी हिस्सा बचा था, वो इस बार पूरा मीना की योनि में समाहित हो गया। मीना की कराह की आवाज़ ही बदल गई इस बार! लेकिन फिर भी मीना ने कोई शिकायत नहीं करी। लिहाज़ा, जय को अभी भी नहीं समझ आया कि उसके हर धक्के से मीना को चोट लग रही है। कुछ ब्लू फिल्मों से, जो उसने देखी हुई थीं, प्रेरित हो कर जय ने लगातार धक्के लगाने का सोचा और अगले ही पल उसका क्रियान्वयन भी कर दिया।

इस बार मीन स्वयं को रोक न सकी, “आह आह आआह्ह्ह!!” और उसकी चीख निकल गई।

जब जय ने उसकी आँखों में आँसू बनते देखे, तब उसको समझ आया कि उसकी हरकतों से मीना को चोट लग गई है। ग्लानि से भर के जय ने मीना को अपने आलिंगन में भर लिया - उसका शरीर काँप रहा था।

वो बड़बड़ाया, “आई ऍम सॉरी, हनी! ... आई हर्ट यू... डिडन्ट आई? ... आर यू ओके?”

दर्द और कराह के बीच, मीना मुस्कुराई और बड़ी कोमलता से बोली, “माय लव... डोंट वरि! यस, आई ऍम अ बिट हर्ट... बट डोंट वरि...! आई लव यू द मोस्ट! ... एंड आई वांटेड इट टू हैपन! ... डोंट स्टॉप नाउ! ... अच्छे से सेक्स करो मेरे साथ!”

फिर वो आह लेते हुए बोली, “आई फ़ील सो फुल इनसाइड! ... फुल... एंड ग्रेट! ... डोंट स्टॉप हनी... जी भर के प्यार करो मेरे साथ...”

जय ने प्रोत्साहन पा कर लिंग को थोड़ा बाहर निकाला, और वापस बलशाली धक्का लगाया। मीना की फिर से गहरी आह निकल गई। उसकी योनि अपने खुद के तरीके से चल रही थी इस समय - योनि की दीवारों में स्वतः ही संकुचन हो रहा था।

“हुकुम... कैसा लग रहा है?” जब जय वापस लयबद्ध धक्के लगाने लगा, तो मीना ने पूछा।

“ओह मीना... माय लव... आई कांट डिस्क्राइब द फ़ीलिंग...”

“गुड! एन्जॉय देन...”

“क्या अभी भी दर्द हो रहा है?”

“नहीं... उतना नहीं।”

“गुड...,” जय शरारत से मुस्कुराते हुए बोला, “क्योंकि मैं ये रोज़ करूँगा तुम्हारे साथ!”

“हा हा...” दर्द में भी मीना हँसने लगी।

हर खिलखिलाहट पर उसकी योनि और कस जाती, और जय के लिंग को अद्भुत ढंग से दबा देती!

जय ओर्गास्म को सन्निकट महसूस कर रहा था, इसलिए उसने धक्के लगाना तेज़ कर दिया। उधर मीना की योनि फिर से और भी गीली हो रही थी - उसका ओर्गास्म भी सन्निकट था।

संयोग से जब जय के वीर्य की पहली धार उसकी कोख में गिरी, उसी समय मीना भी अपने ओर्गास्म के शिखर पर पहुँच गई। अपने शरीर में वो मीठी, कामुक लहर बनती हुई महसूस कर के दोनों प्रेमी आनंद के सातवें आसमान पर उड़ने लगे। दोनों का शरीर एक पल को सख्त हो गया, और फिर अगले ही पल शांत हो कर शिथिल पड़ गया। जैसे-जैसे उनके कामुक उन्माद में कमी आई, दोनों एक दूसरे के कोमल आलिंगन में समां गए। दोनों ही थक गए थे।

इट वास अनबिलिवेबल!” अंततः जय ने चुप्पी तोड़ी, “बेबीज़ बनाना इतना मज़ेदार होता है, यह मालूम होता तो अब तक न जाने कितने बेबीज़ बना चुका होता!”

“हा हा... बदमाश...” मीना ने उसके गालों को प्यार से सहलाते हुए कहा।

“मीना?”

“हम्म्म?”

“इंडिया चलो मेरे साथ... माँ से मिलो! ... फिर हम शादी कर लेंगे!”

“हाँ!”

“पक्की बात?”

“पक्की बात!”

आई लव यू!”

आई लव यू मोर...”

*
 

kas1709

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Update #29


उसकी स्कर्ट उतारते समय वो मीना को चूम तो रहा था, लेकिन वो अच्छी तरह समझ रही थी कि वो क्या चाहता है! वो भी तो यही चाहती थी कि जय अपने मन का कर सके... मीना ने अपने नितम्ब ऊपर उठा कर, स्कर्ट उतारने में जय की मदद करने लगी। अब शंका का कोई स्थान नहीं रह गया था - जय समझ गया कि उसको मीना का पूर्ण समर्थन प्राप्त है! बस, फिर क्या! उसने हाथ के एक तीव्र गति से उसकी स्कर्ट को उतार फेंका! स्कर्ट फ़र्श पर कहीं दूर जा कर गिरी।

दोनों का चुम्बन अचानक से ही तेज और भावनात्मक आवेश युक्त हो गया! अचानक से उसमें एक तत्परता सी आ गई। वो कोमल प्रेम वाला भाव अचानक ही लुप्त हो गया - प्रकृति अचानक ही प्रेम-वृत्ति पर भारी पड़ने लगी! जय ने किसी भी लड़की को इस तरह से नग्न पहले कभी नहीं देखा था! मीना की पैंटी उसकी ब्रा मैचिंग सेट की थी। केवल बेबी पिंक रंग की, लेस वाली चड्ढी पहने हुए वो इतनी शानदार लग रही थी कि कुछ पलों के लिए जय की बोलती ही बंद हो गई। कोई और समय होता, तो संभव है जय उसको उतारता नहीं - लेकिन बिना उसे उतारे वो मीना का अति-दिव्य दर्शन कैसे करता?

उसका हाथ मीना के पेट पर फिसलते हुए उसकी पैंटी पर आ गया। वो उसको उतारने को हुआ, लेकिन फिर कुछ सोच कर लेस के ऊपर से ही मीना की योनि की फाँकों को सहलाने लगा। स्त्री-पुरुष का अंतर उसको मालूम था, लेकिन उस अंतर को जीवन में पहली बार, इतनी निकटता से देखना - अलग ही अनुभव था। उसकी श्रोणि पर कड़े बाल थे लेकिन मीना की श्रोणि चिकनी थी... लिंग कितना कठोर होता है, लेकिन योनि कितनी... कोमल! मीना की योनि की फाँकों को सहलाते सहलाते वो उसके भगशेफ की कली को महसूस कर रहा था! कोमल अंग के ऊपर उसकी कोमल कठोरता बड़ी अनोखी महसूस हो रही थी। उसके मन में यह चल रहा था मीना की योनि कैसी होगी! बस कुछ ही क्षणों में उसको यह राज़ भी पता होने वाला था! इस कामुक विचार से जय की उत्तेजना और भी अधिक बढ़ गई।

“मीना...” वो फुसफुसाते हुए कहने को हुआ, लेकिन मीना ने उसके होंठों पर उंगली रख के चुप रहने का इशारा किया।

स्वयं पर और नियंत्रण कर पाना जय के लिए अब लगभग असंभव हो गया था। उसने पैंटी के अंदर अपना हाथ डाला और कमर से इलास्टिक को हटा कर झरोखे के अंदर झाँका।

अंदर का नज़ारा अनोखा था!

‘तो ऐसी होती है योनि...’ मीना की योनि का आंशिक दर्शन कर के भी वो खुद को धन्य महसूस कर रहा था।

इट्स ब्यूटीफुल...” उसके मुँह से निकल ही गया।

“हु...कु...म...” इतनी देर में मीना ने पहली बार कुछ कहा, “प्लीज़ डोंट टीज़ मी...”

मीना की योनि के आंशिक दर्शन से जय की उत्तेजना बिना किसी लगाम के भागने लगी। अब तो अपने गंतव्य पर पहुँच कर ही उसकी कामाग्नि ठंडी होने वाली थी। मीना ने भी इस तथ्य को स्वीकार कर लिया था कि आज रात उन दोनों का ‘एक होना’ तय है! अनुभवी होने के बावज़ूद उसके दिल में डर सा बैठा हुआ था... शायद इसलिए कि वो चाहती थी कि दोनों का मिलन जय के लिए सुखकारी हो! उसको आनंद मिले। और उसको इस बात से संतुष्टि मिल रही थी कि वो कुछ ही देर में अपने जय की होने वाली थी! पूरी तरह से! इस तथ्य को आत्मसात करना बहुत मुश्किल था।

जय ने उसकी योनि को हल्के से छुआ! मीना उत्तेजनावश कराह उठी! वो कब से सम्भोग के लिए तैयार बैठी थी, लेकिन जय उस तथ्य से अपरिचित था। उसने उसकी पैंटी को थोड़ा नीचे सरकाया। बड़ी कोमलता से! मीना ने फिर से अपने नितम्ब उठा कर पैंटी उतरवाने में जय की मदद करी।

अंततः!

जय ने जब अपनी सुन्दर और सेक्सी प्रेमिका का पूर्ण नग्न शरीर पहली बार देखा तो कुछ समय के लिए सन्न रह गया। रूप की देवी थी मीना! चेहरा तो सुन्दर था ही; स्तनों का हाल बयान कर ही चुके; अब बाकी की बातें बता देते हैं। मीना की जाँघें सुगढ़, दृढ़, और चिकनी थीं; उन दोनों जाँघों के बीच उसकी योनि के दोनों होंठ उत्तेजनावश सूजे हुए थे, और उन होंठों के बीच में कामातुर योनि-मुख! उसका आकार ट्यूलिप की कली के समान था। जय को उसका आकार और प्रकार दोनों ही पसंद आया।

“मीना... यार...” जय से रहा नहीं गया, “ये तो... बहुत सुन्दर है! ट्यूलिप की कली जैसा... जैसी...”

“आपको पसंद आई?”

“बहुत! बहुत! थैंक यू!”

मीना का शरीर सुडौल था ही, लेकिन अपने नग्न रूप में वो और भी सुगठित लग रही थी।

जय बेहद उत्तेजित था - उसके अंदर सम्भोग करने की इच्छा इतनी बलवती हो गई थी कि उसको अब कुछ और सूझ नहीं रहा था। लेकिन न जाने कैसे, अचानक ही उसका प्रेम-भाव वापस आ गया - जय को लगा कि उसकी मीना चाहती है कि वो उसको अपने आलिंगन में भर ले! शायद स्वयं जय को मीना के आलिंगन में आने की इच्छा हो आई हो!

जय ने तुरंत ही मीना को अपनी बाहों में भर लिया, और जितना अधिक संभव था, उसको अपने में भींच लिया। उस जोशीले आलिंगन में आते ही दोनों के होंठ आपस में मिल गए! यह चुम्बन बड़ा ही भावुक करने वाला था। जय को उस क्षण एक अभूतपूर्व और अलौकिक सा एहसास हुआ... एहसास कि उसका और मीना का साथ हमेशा का है... कि दोनों के अस्तित्व एक दूसरे के कारण हैं... कि उनका बंधन अटूट है, चाहे कुछ भी हो जाय। इस एहसास के कारण जय के मन में मीना के लिए और भी प्यार उमड़ आया।

‘हाँ, बस मीना ही चाहिए उसको! और कुछ भी नहीं!’

दोनों बिना कुछ बोले चुम्बन का आनंद उठाते रहे। फिर अचानक ही मीना ने कुछ अनोखा किया : चुम्बन लेते लेते, उसने जय है हाथ अपने स्तन पर रख दिया। जय ने उसके स्तनों को बारी बारी सहलाया... कुछ ही देर में होंठों का चुम्बन, चूचकों का चुम्बन बन गया - दोनों को समझ नहीं आया! मीना इस अनुभव का आनंद लेते हुए किलकारियाँ भर रही थी! जय के साथ कुछ ही पलों के साथ ने उसको गज़ब का सुख दिया था।

“आई लव यू...” जय बोला।

उसकी बोली में इतनी सच्चाई और ईमानदारी थी, जो मीना को साफ़ साफ़ सुनाई दी।

“आई नो!”

वो मुस्कुराया, और मीना के हर अंग को चूमने लगा। देर तक चूमने के कारण मीना का निचला होंठ थोड़ा सूज गया था और एक दो जगह से थोड़ा फट गया था। जय के साथ मीना एक छोटी लड़की के समान हो गई थी - उसकी भाव-भंगिमा थोड़ी नटखट सी, थोड़ी चुलबुली सी हो गई थी। जय को पता नहीं था कि इतनी देर के प्रेम-मई चुम्बन, चूषण इत्यादि से मीना को कुछ समय पहले ओर्गास्म हो आया था। उसकी योनि से भारी मात्रा में काम-रस निकल रहा था, जो बाहर से भी दिख रहा था। बिस्तर पर वो जहाँ जहाँ बैठ रही थी, वहाँ वहाँ गीलेपन के चिन्ह साफ़ दिखाई दे रहे थे।

जब जय एक बार फिर से उसके एक चूचक से जा लगा, तब मीना खिलखिला कर हँसने लगी।

“मेरे जय... तुमको ये इतने पसंद आए?”

“बहुत!”

डोंट फ़िनिश देम... नहीं तो तुम्हारे चारों बच्चे गाय का दूध पियेंगे!”

मीना ने कुछ ऐसे चुलबुले अंदाज़ में कहा कि जय भी हँसने लगा। उसकी सँगत का बड़ा ही सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था मीना पर! और इस बात को देख कर उसको स्वयं पर बड़ा ही गर्व महसूस हो रहा था।

“जो हुकुम...” वो बोला, “... हुकुम!”

मीना मुस्कुराई... एक चौड़ी, चमकती हुई मुस्कान! अब उसको भी पहल करने का समय आ गया था। उसने एक एक कर के जय की शर्ट के बटन खोले और फिर उसको उतारने लगे। पहली बार उसको भी जय का शरीर देखने को मिला। उसको जैसी उम्मीद थी, जय का शरीर वैसा ही था - माँसल, मज़बूत, और युवा शक्ति से लबरेज़!

लाइक्ड व्हाट यू सी?” उसने मीना से पूछा।

वैरी मच! ... एग्ज़क्टली ऍस हाऊ आई होप्ड...”

फिर उसने उसकी पैंट की बेल्ट उतारी और थोड़ी जल्दबाज़ी से उसकी पैंट की ज़िप खोल कर उसको उतार दिया। जय के अंडरवियर से उसका उत्तेजित लिंग बुरी तरह से उभरा हुआ था। मीना उसको देख कर प्रभावित हुए बिना न रह सकी। जय भी चाहता था कि अब वो वस्त्रों के इस अनावश्यक दबाव से मुक्त हो जाय। उसको थोड़ी शर्म ज़रूर आ रही थी, लेकिन मन में यह बात भी आ रही थी कि मीना के सामने नग्न होना बड़ी प्राकृतिक सी बात है। वो भी चाहता था कि मीना उसको देख कर प्रभावित हो। उसकी चड्ढी उतारने से पहले मीना उसकी तरफ देख कर मुस्कुराई। जय भी मुस्कुराया।

अगले ही पल जय का उत्तेजित लिंग मुक्त हो कर हवा में तन गया। अन्य दिनों की अपेक्षा आज उसके लिंग का आकार थोड़ा अधिक ही बढ़ गया था, और इस कारण से वो जय को भी अजनबी सा लग रहा था! लेकिन यह अच्छी बात थी - अगर जय स्वयं अपने ही अंग से प्रभावित हो सकता है, तो मीना भी अवश्य होगी। लेकिन मीना को उसके लिंग से प्रभावित होने की आवश्यकता नहीं थी - अगर जय उसका है, तो किसी भी अन्य बात का कोई महत्त्व नहीं! मीना ने हाथ बढ़ा कर उसके स्तंभित लिंग पर रख दिया। उसके लिंग पर हाथ लगाते ही मीना की सिसकी सी निकल गई और वो हाथ हटा कर उसको देखने लगी।

“क्या इरादे हैं हुकुम?” उसने जय से पूछा।

लेट्स मेक अ बेबी?”

जय की बात सुन कर मीना हँसने लगी!

“हुकुम आज ही पापा बनना चाहते हैं?”

“अगर हमारी राजकुमारी की भी यही इच्छा है, तो!”

मीना ने जय को बहुत प्रभावित हो कर देखा। कैसा सीधा सा और सच्चा सा है उसका जय! उसका दिल घमंड से भर गया! हाँ, वो अपने जय को संतान देगी। एक नहीं, चार! जैसा वो चाहता है। उन दोनों का जीवन अब बस जुड़ने ही वाला है, और वो ग़ुरूर से भरी जा रही थी। कैसी किस्मत होनी चाहिए जय जैसा सुन्दर, सरल, सच्चा साथी पाने के लिए!

आई विल बी हैप्पी एंड प्राउड टू हैव योर बेबी, माय लव! ... नथिंग एल्स विल मेक माय लाइफ वर्थ मोर!”

“ओह मीना! मीना...”

कह कर जय ने मीना को बिस्तर पर लिटा दिया, और उसको अपनी तरफ़ सरका कर व्यवस्थित किया। उसका उत्तेजित लिंग मीना के पेट को छूने लगा। उन दोनों के होंठ फिर से मल्लयुद्ध में रत हो गए। एक कामुक चुम्बन! अंततः, अब समय आ ही गया था!

मीना ने अपने पाँव उठा कर जय के साइड में ला कर, उसकी पीठ पर टिका दिए। उधर जय का हाथ उसकी योनि पर चला गया। जब उसकी उँगलियों ने मीना के योनिमुख को छुआ, तो मीना के मुँह से एक कामुक कराह छूट गई। जय ने अपने लिंग को उसकी योनि पर फिराया - मीना की योनि पूरी तरह से नम थी और उसके लिंग का स्वागत करने को तत्पर भी थी।

आई लव यू सो मच, मीना!” वो फुुसफुसाया।

आई लव यू मोर...” वो भी फुसफुसाई।

जय ने फिर से उसकी योनि को अपने लिंग को फिराया।

“बहुत पेन होगा?”

मीना ने ‘न’ में सर हिलाया, “डोंट वरि अबाउट दैट! ... हमको मम्मी पापा बनना है न? ... तो हुकुम, बस आप वही सोचिए... और कुछ भी नहीं!”

जय ने ‘हाँ’ में एक दो बार हिलाया, फिर अपने लिंग को पकड़ कर उसके सिरे को मीना की योनि के अंदर धक्का दिया। जय नौसिखिया था - उसको सेक्स करने का कोई व्यवहारिक ज्ञान नहीं था। इसलिए पहला धक्का ही बलपूर्वक लग गया। अच्छी बात यह थी कि मीना की योनि अच्छी तरह से चिकनी हो रखी थी - इसलिए उसका लिंग मीना की योनि में फिसल कर काफी अंदर तक घुस गया।

अद्भुत एहसास!

कितना लम्बा अर्सा हो गया था!

मीना ने गहरी आह भरते हुए कहा, “ओह हनी!”

जय को लगा कि उसने जो किया, वो अच्छा किया। लिहाज़ा उसने फिर से एक और बलवान धक्का लगाया। पिछली बार उसके लिंग का जो भी हिस्सा बचा था, वो इस बार पूरा मीना की योनि में समाहित हो गया। मीना की कराह की आवाज़ ही बदल गई इस बार! लेकिन फिर भी मीना ने कोई शिकायत नहीं करी। लिहाज़ा, जय को अभी भी नहीं समझ आया कि उसके हर धक्के से मीना को चोट लग रही है। कुछ ब्लू फिल्मों से, जो उसने देखी हुई थीं, प्रेरित हो कर जय ने लगातार धक्के लगाने का सोचा और अगले ही पल उसका क्रियान्वयन भी कर दिया।

इस बार मीन स्वयं को रोक न सकी, “आह आह आआह्ह्ह!!” और उसकी चीख निकल गई।

जब जय ने उसकी आँखों में आँसू बनते देखे, तब उसको समझ आया कि उसकी हरकतों से मीना को चोट लग गई है। ग्लानि से भर के जय ने मीना को अपने आलिंगन में भर लिया - उसका शरीर काँप रहा था।

वो बड़बड़ाया, “आई ऍम सॉरी, हनी! ... आई हर्ट यू... डिडन्ट आई? ... आर यू ओके?”

दर्द और कराह के बीच, मीना मुस्कुराई और बड़ी कोमलता से बोली, “माय लव... डोंट वरि! यस, आई ऍम अ बिट हर्ट... बट डोंट वरि...! आई लव यू द मोस्ट! ... एंड आई वांटेड इट टू हैपन! ... डोंट स्टॉप नाउ! ... अच्छे से सेक्स करो मेरे साथ!”

फिर वो आह लेते हुए बोली, “आई फ़ील सो फुल इनसाइड! ... फुल... एंड ग्रेट! ... डोंट स्टॉप हनी... जी भर के प्यार करो मेरे साथ...”

जय ने प्रोत्साहन पा कर लिंग को थोड़ा बाहर निकाला, और वापस बलशाली धक्का लगाया। मीना की फिर से गहरी आह निकल गई। उसकी योनि अपने खुद के तरीके से चल रही थी इस समय - योनि की दीवारों में स्वतः ही संकुचन हो रहा था।

“हुकुम... कैसा लग रहा है?” जब जय वापस लयबद्ध धक्के लगाने लगा, तो मीना ने पूछा।

“ओह मीना... माय लव... आई कांट डिस्क्राइब द फ़ीलिंग...”

“गुड! एन्जॉय देन...”

“क्या अभी भी दर्द हो रहा है?”

“नहीं... उतना नहीं।”

“गुड...,” जय शरारत से मुस्कुराते हुए बोला, “क्योंकि मैं ये रोज़ करूँगा तुम्हारे साथ!”

“हा हा...” दर्द में भी मीना हँसने लगी।

हर खिलखिलाहट पर उसकी योनि और कस जाती, और जय के लिंग को अद्भुत ढंग से दबा देती!

जय ओर्गास्म को सन्निकट महसूस कर रहा था, इसलिए उसने धक्के लगाना तेज़ कर दिया। उधर मीना की योनि फिर से और भी गीली हो रही थी - उसका ओर्गास्म भी सन्निकट था।

संयोग से जब जय के वीर्य की पहली धार उसकी कोख में गिरी, उसी समय मीना भी अपने ओर्गास्म के शिखर पर पहुँच गई। अपने शरीर में वो मीठी, कामुक लहर बनती हुई महसूस कर के दोनों प्रेमी आनंद के सातवें आसमान पर उड़ने लगे। दोनों का शरीर एक पल को सख्त हो गया, और फिर अगले ही पल शांत हो कर शिथिल पड़ गया। जैसे-जैसे उनके कामुक उन्माद में कमी आई, दोनों एक दूसरे के कोमल आलिंगन में समां गए। दोनों ही थक गए थे।

इट वास अनबिलिवेबल!” अंततः जय ने चुप्पी तोड़ी, “बेबीज़ बनाना इतना मज़ेदार होता है, यह मालूम होता तो अब तक न जाने कितने बेबीज़ बना चुका होता!”

“हा हा... बदमाश...” मीना ने उसके गालों को प्यार से सहलाते हुए कहा।

“मीना?”

“हम्म्म?”

“इंडिया चलो मेरे साथ... माँ से मिलो! ... फिर हम शादी कर लेंगे!”

“हाँ!”

“पक्की बात?”

“पक्की बात!”

आई लव यू!”

आई लव यू मोर...”

*
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Update #29


उसकी स्कर्ट उतारते समय वो मीना को चूम तो रहा था, लेकिन वो अच्छी तरह समझ रही थी कि वो क्या चाहता है! वो भी तो यही चाहती थी कि जय अपने मन का कर सके... मीना ने अपने नितम्ब ऊपर उठा कर, स्कर्ट उतारने में जय की मदद करने लगी। अब शंका का कोई स्थान नहीं रह गया था - जय समझ गया कि उसको मीना का पूर्ण समर्थन प्राप्त है! बस, फिर क्या! उसने हाथ के एक तीव्र गति से उसकी स्कर्ट को उतार फेंका! स्कर्ट फ़र्श पर कहीं दूर जा कर गिरी।

दोनों का चुम्बन अचानक से ही तेज और भावनात्मक आवेश युक्त हो गया! अचानक से उसमें एक तत्परता सी आ गई। वो कोमल प्रेम वाला भाव अचानक ही लुप्त हो गया - प्रकृति अचानक ही प्रेम-वृत्ति पर भारी पड़ने लगी! जय ने किसी भी लड़की को इस तरह से नग्न पहले कभी नहीं देखा था! मीना की पैंटी उसकी ब्रा मैचिंग सेट की थी। केवल बेबी पिंक रंग की, लेस वाली चड्ढी पहने हुए वो इतनी शानदार लग रही थी कि कुछ पलों के लिए जय की बोलती ही बंद हो गई। कोई और समय होता, तो संभव है जय उसको उतारता नहीं - लेकिन बिना उसे उतारे वो मीना का अति-दिव्य दर्शन कैसे करता?

उसका हाथ मीना के पेट पर फिसलते हुए उसकी पैंटी पर आ गया। वो उसको उतारने को हुआ, लेकिन फिर कुछ सोच कर लेस के ऊपर से ही मीना की योनि की फाँकों को सहलाने लगा। स्त्री-पुरुष का अंतर उसको मालूम था, लेकिन उस अंतर को जीवन में पहली बार, इतनी निकटता से देखना - अलग ही अनुभव था। उसकी श्रोणि पर कड़े बाल थे लेकिन मीना की श्रोणि चिकनी थी... लिंग कितना कठोर होता है, लेकिन योनि कितनी... कोमल! मीना की योनि की फाँकों को सहलाते सहलाते वो उसके भगशेफ की कली को महसूस कर रहा था! कोमल अंग के ऊपर उसकी कोमल कठोरता बड़ी अनोखी महसूस हो रही थी। उसके मन में यह चल रहा था मीना की योनि कैसी होगी! बस कुछ ही क्षणों में उसको यह राज़ भी पता होने वाला था! इस कामुक विचार से जय की उत्तेजना और भी अधिक बढ़ गई।

“मीना...” वो फुसफुसाते हुए कहने को हुआ, लेकिन मीना ने उसके होंठों पर उंगली रख के चुप रहने का इशारा किया।

स्वयं पर और नियंत्रण कर पाना जय के लिए अब लगभग असंभव हो गया था। उसने पैंटी के अंदर अपना हाथ डाला और कमर से इलास्टिक को हटा कर झरोखे के अंदर झाँका।

अंदर का नज़ारा अनोखा था!

‘तो ऐसी होती है योनि...’ मीना की योनि का आंशिक दर्शन कर के भी वो खुद को धन्य महसूस कर रहा था।

इट्स ब्यूटीफुल...” उसके मुँह से निकल ही गया।

“हु...कु...म...” इतनी देर में मीना ने पहली बार कुछ कहा, “प्लीज़ डोंट टीज़ मी...”

मीना की योनि के आंशिक दर्शन से जय की उत्तेजना बिना किसी लगाम के भागने लगी। अब तो अपने गंतव्य पर पहुँच कर ही उसकी कामाग्नि ठंडी होने वाली थी। मीना ने भी इस तथ्य को स्वीकार कर लिया था कि आज रात उन दोनों का ‘एक होना’ तय है! अनुभवी होने के बावज़ूद उसके दिल में डर सा बैठा हुआ था... शायद इसलिए कि वो चाहती थी कि दोनों का मिलन जय के लिए सुखकारी हो! उसको आनंद मिले। और उसको इस बात से संतुष्टि मिल रही थी कि वो कुछ ही देर में अपने जय की होने वाली थी! पूरी तरह से! इस तथ्य को आत्मसात करना बहुत मुश्किल था।

जय ने उसकी योनि को हल्के से छुआ! मीना उत्तेजनावश कराह उठी! वो कब से सम्भोग के लिए तैयार बैठी थी, लेकिन जय उस तथ्य से अपरिचित था। उसने उसकी पैंटी को थोड़ा नीचे सरकाया। बड़ी कोमलता से! मीना ने फिर से अपने नितम्ब उठा कर पैंटी उतरवाने में जय की मदद करी।

अंततः!

जय ने जब अपनी सुन्दर और सेक्सी प्रेमिका का पूर्ण नग्न शरीर पहली बार देखा तो कुछ समय के लिए सन्न रह गया। रूप की देवी थी मीना! चेहरा तो सुन्दर था ही; स्तनों का हाल बयान कर ही चुके; अब बाकी की बातें बता देते हैं। मीना की जाँघें सुगढ़, दृढ़, और चिकनी थीं; उन दोनों जाँघों के बीच उसकी योनि के दोनों होंठ उत्तेजनावश सूजे हुए थे, और उन होंठों के बीच में कामातुर योनि-मुख! उसका आकार ट्यूलिप की कली के समान था। जय को उसका आकार और प्रकार दोनों ही पसंद आया।

“मीना... यार...” जय से रहा नहीं गया, “ये तो... बहुत सुन्दर है! ट्यूलिप की कली जैसा... जैसी...”

“आपको पसंद आई?”

“बहुत! बहुत! थैंक यू!”

मीना का शरीर सुडौल था ही, लेकिन अपने नग्न रूप में वो और भी सुगठित लग रही थी।

जय बेहद उत्तेजित था - उसके अंदर सम्भोग करने की इच्छा इतनी बलवती हो गई थी कि उसको अब कुछ और सूझ नहीं रहा था। लेकिन न जाने कैसे, अचानक ही उसका प्रेम-भाव वापस आ गया - जय को लगा कि उसकी मीना चाहती है कि वो उसको अपने आलिंगन में भर ले! शायद स्वयं जय को मीना के आलिंगन में आने की इच्छा हो आई हो!

जय ने तुरंत ही मीना को अपनी बाहों में भर लिया, और जितना अधिक संभव था, उसको अपने में भींच लिया। उस जोशीले आलिंगन में आते ही दोनों के होंठ आपस में मिल गए! यह चुम्बन बड़ा ही भावुक करने वाला था। जय को उस क्षण एक अभूतपूर्व और अलौकिक सा एहसास हुआ... एहसास कि उसका और मीना का साथ हमेशा का है... कि दोनों के अस्तित्व एक दूसरे के कारण हैं... कि उनका बंधन अटूट है, चाहे कुछ भी हो जाय। इस एहसास के कारण जय के मन में मीना के लिए और भी प्यार उमड़ आया।

‘हाँ, बस मीना ही चाहिए उसको! और कुछ भी नहीं!’

दोनों बिना कुछ बोले चुम्बन का आनंद उठाते रहे। फिर अचानक ही मीना ने कुछ अनोखा किया : चुम्बन लेते लेते, उसने जय है हाथ अपने स्तन पर रख दिया। जय ने उसके स्तनों को बारी बारी सहलाया... कुछ ही देर में होंठों का चुम्बन, चूचकों का चुम्बन बन गया - दोनों को समझ नहीं आया! मीना इस अनुभव का आनंद लेते हुए किलकारियाँ भर रही थी! जय के साथ कुछ ही पलों के साथ ने उसको गज़ब का सुख दिया था।

“आई लव यू...” जय बोला।

उसकी बोली में इतनी सच्चाई और ईमानदारी थी, जो मीना को साफ़ साफ़ सुनाई दी।

“आई नो!”

वो मुस्कुराया, और मीना के हर अंग को चूमने लगा। देर तक चूमने के कारण मीना का निचला होंठ थोड़ा सूज गया था और एक दो जगह से थोड़ा फट गया था। जय के साथ मीना एक छोटी लड़की के समान हो गई थी - उसकी भाव-भंगिमा थोड़ी नटखट सी, थोड़ी चुलबुली सी हो गई थी। जय को पता नहीं था कि इतनी देर के प्रेम-मई चुम्बन, चूषण इत्यादि से मीना को कुछ समय पहले ओर्गास्म हो आया था। उसकी योनि से भारी मात्रा में काम-रस निकल रहा था, जो बाहर से भी दिख रहा था। बिस्तर पर वो जहाँ जहाँ बैठ रही थी, वहाँ वहाँ गीलेपन के चिन्ह साफ़ दिखाई दे रहे थे।

जब जय एक बार फिर से उसके एक चूचक से जा लगा, तब मीना खिलखिला कर हँसने लगी।

“मेरे जय... तुमको ये इतने पसंद आए?”

“बहुत!”

डोंट फ़िनिश देम... नहीं तो तुम्हारे चारों बच्चे गाय का दूध पियेंगे!”

मीना ने कुछ ऐसे चुलबुले अंदाज़ में कहा कि जय भी हँसने लगा। उसकी सँगत का बड़ा ही सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था मीना पर! और इस बात को देख कर उसको स्वयं पर बड़ा ही गर्व महसूस हो रहा था।

“जो हुकुम...” वो बोला, “... हुकुम!”

मीना मुस्कुराई... एक चौड़ी, चमकती हुई मुस्कान! अब उसको भी पहल करने का समय आ गया था। उसने एक एक कर के जय की शर्ट के बटन खोले और फिर उसको उतारने लगे। पहली बार उसको भी जय का शरीर देखने को मिला। उसको जैसी उम्मीद थी, जय का शरीर वैसा ही था - माँसल, मज़बूत, और युवा शक्ति से लबरेज़!

लाइक्ड व्हाट यू सी?” उसने मीना से पूछा।

वैरी मच! ... एग्ज़क्टली ऍस हाऊ आई होप्ड...”

फिर उसने उसकी पैंट की बेल्ट उतारी और थोड़ी जल्दबाज़ी से उसकी पैंट की ज़िप खोल कर उसको उतार दिया। जय के अंडरवियर से उसका उत्तेजित लिंग बुरी तरह से उभरा हुआ था। मीना उसको देख कर प्रभावित हुए बिना न रह सकी। जय भी चाहता था कि अब वो वस्त्रों के इस अनावश्यक दबाव से मुक्त हो जाय। उसको थोड़ी शर्म ज़रूर आ रही थी, लेकिन मन में यह बात भी आ रही थी कि मीना के सामने नग्न होना बड़ी प्राकृतिक सी बात है। वो भी चाहता था कि मीना उसको देख कर प्रभावित हो। उसकी चड्ढी उतारने से पहले मीना उसकी तरफ देख कर मुस्कुराई। जय भी मुस्कुराया।

अगले ही पल जय का उत्तेजित लिंग मुक्त हो कर हवा में तन गया। अन्य दिनों की अपेक्षा आज उसके लिंग का आकार थोड़ा अधिक ही बढ़ गया था, और इस कारण से वो जय को भी अजनबी सा लग रहा था! लेकिन यह अच्छी बात थी - अगर जय स्वयं अपने ही अंग से प्रभावित हो सकता है, तो मीना भी अवश्य होगी। लेकिन मीना को उसके लिंग से प्रभावित होने की आवश्यकता नहीं थी - अगर जय उसका है, तो किसी भी अन्य बात का कोई महत्त्व नहीं! मीना ने हाथ बढ़ा कर उसके स्तंभित लिंग पर रख दिया। उसके लिंग पर हाथ लगाते ही मीना की सिसकी सी निकल गई और वो हाथ हटा कर उसको देखने लगी।

“क्या इरादे हैं हुकुम?” उसने जय से पूछा।

लेट्स मेक अ बेबी?”

जय की बात सुन कर मीना हँसने लगी!

“हुकुम आज ही पापा बनना चाहते हैं?”

“अगर हमारी राजकुमारी की भी यही इच्छा है, तो!”

मीना ने जय को बहुत प्रभावित हो कर देखा। कैसा सीधा सा और सच्चा सा है उसका जय! उसका दिल घमंड से भर गया! हाँ, वो अपने जय को संतान देगी। एक नहीं, चार! जैसा वो चाहता है। उन दोनों का जीवन अब बस जुड़ने ही वाला है, और वो ग़ुरूर से भरी जा रही थी। कैसी किस्मत होनी चाहिए जय जैसा सुन्दर, सरल, सच्चा साथी पाने के लिए!

आई विल बी हैप्पी एंड प्राउड टू हैव योर बेबी, माय लव! ... नथिंग एल्स विल मेक माय लाइफ वर्थ मोर!”

“ओह मीना! मीना...”

कह कर जय ने मीना को बिस्तर पर लिटा दिया, और उसको अपनी तरफ़ सरका कर व्यवस्थित किया। उसका उत्तेजित लिंग मीना के पेट को छूने लगा। उन दोनों के होंठ फिर से मल्लयुद्ध में रत हो गए। एक कामुक चुम्बन! अंततः, अब समय आ ही गया था!

मीना ने अपने पाँव उठा कर जय के साइड में ला कर, उसकी पीठ पर टिका दिए। उधर जय का हाथ उसकी योनि पर चला गया। जब उसकी उँगलियों ने मीना के योनिमुख को छुआ, तो मीना के मुँह से एक कामुक कराह छूट गई। जय ने अपने लिंग को उसकी योनि पर फिराया - मीना की योनि पूरी तरह से नम थी और उसके लिंग का स्वागत करने को तत्पर भी थी।

आई लव यू सो मच, मीना!” वो फुुसफुसाया।

आई लव यू मोर...” वो भी फुसफुसाई।

जय ने फिर से उसकी योनि को अपने लिंग को फिराया।

“बहुत पेन होगा?”

मीना ने ‘न’ में सर हिलाया, “डोंट वरि अबाउट दैट! ... हमको मम्मी पापा बनना है न? ... तो हुकुम, बस आप वही सोचिए... और कुछ भी नहीं!”

जय ने ‘हाँ’ में एक दो बार हिलाया, फिर अपने लिंग को पकड़ कर उसके सिरे को मीना की योनि के अंदर धक्का दिया। जय नौसिखिया था - उसको सेक्स करने का कोई व्यवहारिक ज्ञान नहीं था। इसलिए पहला धक्का ही बलपूर्वक लग गया। अच्छी बात यह थी कि मीना की योनि अच्छी तरह से चिकनी हो रखी थी - इसलिए उसका लिंग मीना की योनि में फिसल कर काफी अंदर तक घुस गया।

अद्भुत एहसास!

कितना लम्बा अर्सा हो गया था!

मीना ने गहरी आह भरते हुए कहा, “ओह हनी!”

जय को लगा कि उसने जो किया, वो अच्छा किया। लिहाज़ा उसने फिर से एक और बलवान धक्का लगाया। पिछली बार उसके लिंग का जो भी हिस्सा बचा था, वो इस बार पूरा मीना की योनि में समाहित हो गया। मीना की कराह की आवाज़ ही बदल गई इस बार! लेकिन फिर भी मीना ने कोई शिकायत नहीं करी। लिहाज़ा, जय को अभी भी नहीं समझ आया कि उसके हर धक्के से मीना को चोट लग रही है। कुछ ब्लू फिल्मों से, जो उसने देखी हुई थीं, प्रेरित हो कर जय ने लगातार धक्के लगाने का सोचा और अगले ही पल उसका क्रियान्वयन भी कर दिया।

इस बार मीन स्वयं को रोक न सकी, “आह आह आआह्ह्ह!!” और उसकी चीख निकल गई।

जब जय ने उसकी आँखों में आँसू बनते देखे, तब उसको समझ आया कि उसकी हरकतों से मीना को चोट लग गई है। ग्लानि से भर के जय ने मीना को अपने आलिंगन में भर लिया - उसका शरीर काँप रहा था।

वो बड़बड़ाया, “आई ऍम सॉरी, हनी! ... आई हर्ट यू... डिडन्ट आई? ... आर यू ओके?”

दर्द और कराह के बीच, मीना मुस्कुराई और बड़ी कोमलता से बोली, “माय लव... डोंट वरि! यस, आई ऍम अ बिट हर्ट... बट डोंट वरि...! आई लव यू द मोस्ट! ... एंड आई वांटेड इट टू हैपन! ... डोंट स्टॉप नाउ! ... अच्छे से सेक्स करो मेरे साथ!”

फिर वो आह लेते हुए बोली, “आई फ़ील सो फुल इनसाइड! ... फुल... एंड ग्रेट! ... डोंट स्टॉप हनी... जी भर के प्यार करो मेरे साथ...”

जय ने प्रोत्साहन पा कर लिंग को थोड़ा बाहर निकाला, और वापस बलशाली धक्का लगाया। मीना की फिर से गहरी आह निकल गई। उसकी योनि अपने खुद के तरीके से चल रही थी इस समय - योनि की दीवारों में स्वतः ही संकुचन हो रहा था।

“हुकुम... कैसा लग रहा है?” जब जय वापस लयबद्ध धक्के लगाने लगा, तो मीना ने पूछा।

“ओह मीना... माय लव... आई कांट डिस्क्राइब द फ़ीलिंग...”

“गुड! एन्जॉय देन...”

“क्या अभी भी दर्द हो रहा है?”

“नहीं... उतना नहीं।”

“गुड...,” जय शरारत से मुस्कुराते हुए बोला, “क्योंकि मैं ये रोज़ करूँगा तुम्हारे साथ!”

“हा हा...” दर्द में भी मीना हँसने लगी।

हर खिलखिलाहट पर उसकी योनि और कस जाती, और जय के लिंग को अद्भुत ढंग से दबा देती!

जय ओर्गास्म को सन्निकट महसूस कर रहा था, इसलिए उसने धक्के लगाना तेज़ कर दिया। उधर मीना की योनि फिर से और भी गीली हो रही थी - उसका ओर्गास्म भी सन्निकट था।

संयोग से जब जय के वीर्य की पहली धार उसकी कोख में गिरी, उसी समय मीना भी अपने ओर्गास्म के शिखर पर पहुँच गई। अपने शरीर में वो मीठी, कामुक लहर बनती हुई महसूस कर के दोनों प्रेमी आनंद के सातवें आसमान पर उड़ने लगे। दोनों का शरीर एक पल को सख्त हो गया, और फिर अगले ही पल शांत हो कर शिथिल पड़ गया। जैसे-जैसे उनके कामुक उन्माद में कमी आई, दोनों एक दूसरे के कोमल आलिंगन में समां गए। दोनों ही थक गए थे।

इट वास अनबिलिवेबल!” अंततः जय ने चुप्पी तोड़ी, “बेबीज़ बनाना इतना मज़ेदार होता है, यह मालूम होता तो अब तक न जाने कितने बेबीज़ बना चुका होता!”

“हा हा... बदमाश...” मीना ने उसके गालों को प्यार से सहलाते हुए कहा।

“मीना?”

“हम्म्म?”

“इंडिया चलो मेरे साथ... माँ से मिलो! ... फिर हम शादी कर लेंगे!”

“हाँ!”

“पक्की बात?”

“पक्की बात!”

आई लव यू!”

आई लव यू मोर...”

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Update #27


उसने मीना का स्वेटर उसके शरीर से ऊपर उठाया - मीना और उसकी आँखें दो पल को मिलीं, और फिर मीना ने अपनी आँखें नीची कर लीं। जय ने उसकी इस हरकत को उसकी मौन स्वीकृति माना। लेकिन अगले ही पल मीना ने अपने दोनों हाथ थोड़े ऊपर उठा लिए - अब संदेह की कोई गुंजाईश ही नहीं थी। यह स्वीकृति चाहे कितनी ही मौन हो, लेकिन चीख चीख कर सब कुछ साफ़ साफ़ कह रही थी।

दो ही पलों में मीना के ब्रा से ढँके स्तन जय के सामने उजागर हो गए - मीना ने बेबी पिंक रंग की, लेस वाली फ्रेंच ब्रा पहनी हुई थी! उसमें लेस थोड़ा पारदर्शी था, लिहाज़ा, उसके गहरे रंग के चूचक लेस के पैटर्न के पीछे से दिखाई दे रहे थे।

ऐसा दिव्य नज़ारा जय ने पहले कभी नहीं देखा था। उसको यकीन ही नहीं हो रहा था कि ऐसे अद्भुत अंगों को उसने अभी बस कुछ ही पलों पहले चूमा था! उसकी किस्मत सिर्फ इसलिए अच्छी नहीं थी कि वो मीना जैसी गुणों से संपन्न लड़की का पति बनने वाला था, बल्कि इसलिए भी अच्छी थी कि वो गुणों के साथ साथ रूप संपन्न भी थी!

दे आर माय मोस्ट फेवरेट ब्रेस्ट्स इन द होल वर्ल्ड...”

ऐसी भारी माहौल में भी मीना को हँसी आ गई, “... और किसके ब्रेस्ट्स देख लिए आपने हुकुम?”

“अरे क्यों! माँ हैं... भाभी हैं...”

कहा तो था जय ने मीना को जलाने की गरज़ से, लेकिन पास उल्टा पड़ गया, “अच्छा जी... आप अभी भी दुद्धू पीते हैं?”

लेकिन मीना को अभी तक जय के सौम्य स्वभाव का पूरा अंदाज़ा नहीं था। वो न तो इतनी जल्दी गुस्सा होता था, और न ही किसी बात से जलता या कुढ़ता था। वो हँसमुख और निश्छल प्रवृत्ति का आदमी था।

“नहीं मेरी जान... अभी भी नहीं, अभी से...” वो हँसते हुए बोला, “... अभी से हम आपका दुद्धू पिएँगे...”

“हाँ ज़रूर... मान न मान, मैं तेरा मेहमान!”

“हम तो ऐसे ही हैं... आप देख लीजिए...”

उसकी बात पर मीना पल भर में पिघल गई, “आप हमको ऐसे ही बहुत अच्छे लगते हैं...”

“पक्की बात?”

“पक्की बात...”

“ये कैसे उतरती है?” जय ने पूछा।

“आप तो एक्सपर्ट हैं दुद्धू पीने में... आपको तो मालूम होगा!” कह कर मीना अपनी ब्रा का क्लास्प खोलने को हुई।

उसकी इस हरकत से जय को समझ आ गया कि ये वाले ब्रा पीठ के पीछे खुलती है।

“तुमको निर्वसन करने का यह शुभ काम मुझे करने दो प्रिये...” जय ने बदमाशी भरे अंदाज़ में कहा।

“क्या करने दो?” मीना को समझ ही नहीं आया कि उसने क्या कहा।

“तुमको नंगा...”

“धत्त...” मीना ने जय के बढ़े हुए हाथ पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा, “पूरे बेशर्म हो तुम...”

“हमको शर्म करनी चाहिए क्या मेरी जान?” जय ने मीना के पीठ के पीछे अपनी बाहें डालते हुए कहा।

वो मुस्कुराई।

बोली कुछ भी नहीं।

जय ने उसकी तरफ़ झुकते हुए, उसके कंधे और गर्दन को चूमते हुए उसकी ब्रा का क्लास्प पकड़ा।

उन दोनों के संछिप्त से, लेकिन तेजी से प्रगाढ़ हुए अंतरंग सम्बन्ध में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय था। आप कितना भी कह लें, कि आपको अपनी प्रेमिका के गुण पसंद हैं, लेकिन आपके सम्बन्ध में कभी न कभी वो समय आ ही जाता है, जब आप दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण किसी भी अन्य आकर्षण से अधिक बलवान हो जाता है। संभव है कि क्रमिक विकास की प्रक्रिया में, प्रकृति ने यह एक आवश्यक घटक डाला हुआ हो...! जब आपको अपना मनचाहा साथी मिल ही गया है, तो क्यों न उसके साथ संतानोत्पत्ति करें? फिर भी, जय ने स्वयं को कुछ समय से ज़ब्त कर के रखा हुआ था। मीना ने भी... क्योंकि उसको अपने पुराने असफ़ल संबंधों की याद ताज़ा थी। लेकिन वो जय को निराश नहीं करना चाहती थी। वो समझती थी कि अगर जय को उसके साथ अंतरंग होने की इच्छा है, तो वो इच्छा लाज़मी भी है और जायज़ भी... और यह, कि उन दोनों के बीच कभी न कभी यह सब होगा ही!

वैसे भी, आज दोनों के बीच माहौल अलग ही था! दोनों ही बड़े ठहराव और आनंद से एक दूसरे के साथ का आनंद ले रहे थे। ऐसे में, दोनों के बीच अवरोध की बाधा घट गई थी। मीना के दिल की धड़कनें तेज हो गईं... और जय के भी... आज वो मीना को देखने वाला था... पहली बार! वो एक पल को रुका, और मीना की आँखों में देखते हुए मुस्कुराया, और उसके होठों को चूमा। मीना भी मुस्कुरा दी... एक शर्मीली और कोमल मुस्कान!

ब्रा का क्लास्प खुल गया, और जय के हाथ की एक छोटी सी हरकत से उसकी ब्रा उसके शरीर से अलग हो गई। इतने दिनों के सब्र का प्रतिफल देखने का समय आ गया था...

जय ने थोड़ा पीछे हट कर मीना के सीने की तरफ़ देखा।

ओह गॉड!’

जैसी जय को उम्मीद थी, उससे हज़ारों गुणा सुन्दर और आकर्षक स्तनों की जोड़ी थी मीना की! यौवन के शिखर पर उपस्थित, और घमण्ड से उन्नत ठोस, गोल टीलों जैसे थे मीना के स्तन! दृढ़ और मुलायम - एक साथ! घोर विरोधाभासों का सम्मिश्रण! स्तनों के दोनों गोलार्द्धों के ऊपर स्वादिष्ट से दिखने वाले गहरे भूरे रंग के चूचक शोभायमान थे, और उसी से मिलते जुलते, लेकिन थोड़े हल्के रंग के कोई दो इंच के एरोला से घिरे हुए थे। मीना के स्तन देखने में बड़े कोमल, और नाज़ुक से लग रहे थे - लेकिन उनको देख कर ऐसा भी मन हो रहा था कि बस, दबोच कर उनका सारा रस पी जाओ!

अब तक जय के मन में इतना जोश चढ़ चुका था कि वो मीना के चूचक को अपने मुँह में लेने का लोभ-संवरण न कर सका। जैसे ही उसने मीना का एक चूचक चूमा, तो मीना के साथ साथ वो भी सिहर गया! उसने देखा कि उसके चुम्बन की प्रतिक्रिया स्वरुप मीना के स्तन के रौंगटे खड़े हो गए थे।

“ओह! सो ब्यूटीफुल! वैरी वैरी ब्यूटीफुल!” जय उसका दूसरा चूचक चूमने से पहले बोला, “... एंड परफेक्ट!”

जय मीना के स्तनों की सुंदरता में पूरी तरह से डूब गया था। उसने यह नहीं देखा कि मीना ने उसकी बढ़ाई पर कैसी प्रतिक्रिया दी, लेकिन मीना के दोनों गाल शर्म से लाल लाल हो गए!

उधर, मीना के दिव्य-दर्शन से जय पर एक अलग ही प्रभाव पड़ रहा था - उसका लिंग अभूतपूर्व रूप से उत्तेजित हो गया था। पुराने अनुभव से उसको समझ आ रहा था कि बिना स्खलन हुए, वो शांत नहीं होने वाला! लेकिन उसमें समय था।

उसने मीना का स्वेटर उसके शरीर पर ऊपर की तरफ़ उठाया - मीना और उसकी आँखें दो पल को मिलीं, और फिर मीना ने अपनी आँखें नीची कर लीं। इस बात का क्या मतलब था? जय के मन में हुआ कि मीना की इस हरकत को उसकी मौन स्वीकृति मान ली जाए - लेकिन पक्का नहीं पता। बिना मीना की सहमति के वो कुछ भी करना नहीं चाहता था - जो भी हो, मीना उससे उम्र में बड़ी है, और उसका सम्मान करना ही होगा। जय दो पल पशोपेश में था और शायद मीना ने भी उसकी हिचक का कारण समझ लिया। अगले ही पल मीना ने अपने दोनों हाथ थोड़े ऊपर उठा लिए - अब जय के मन में संदेह की कोई गुंजाईश ही नहीं थी। यह स्वीकृति चाहे कितनी ही मौन हो, लेकिन चीख चीख कर सब कुछ साफ़ साफ़ कह रही थी।

दो ही पलों में मीना के ब्रा से ढँके हुए स्तन, जय के सामने उजागर हो गए। मीना ने बेबी पिंक रंग की, लेस वाली फ्रेंच ब्रा पहनी हुई थी! उस प्रकार की ब्रा में इस्तेमाल होने वाला लेस थोड़ा कोमल, और पारदर्शी होता है। लिहाज़ा, उसके गहरे रंग के चूचक लेस के पैटर्न के पीछे से दिखाई दे रहे थे।

ऐसा दिव्य नज़ारा जय ने पहले कभी नहीं देखा था!

उसको यकीन ही नहीं हो रहा था कि ऐसे अद्भुत अंगों को उसने अभी बस कुछ ही पलों पहले (कपड़ों के ऊपर से ही सही) चूमा था! उसकी किस्मत सिर्फ इसलिए अच्छी नहीं थी कि वो मीना जैसी अनेक-गुण संपन्न लड़की का पति बनने वाला था, बल्कि इसलिए भी अच्छी थी कि वो अनेक-गुण संपन्न होने के साथ साथ, अनन्य रूपवती भी थी!

दे आर माय मोस्ट फेवरेट ब्रेस्ट्स इन द होल वर्ल्ड...”

भावनात्मक रूप से भारी ऐसे माहौल में भी मीना को हँसी आ गई - जय का सेन्स ऑफ़ ह्यूमर था ही ऐस!

“... और किसके ब्रेस्ट्स देख लिए आपने हुकुम?”

“अरे क्यों! आपने हमको क्या पूरा अनाड़ी समझा हुआ है! ... दिल्ली की लड़कियाँ अपना दिल हमारे क़दमों में रखती हैं... अपनी जान छिड़कती हैं हम पर...”

“अच्छा जी... तो उनके ब्रेस्ट्स देख लिए आपने!” मीना ने ठिठोली करी, “... हाँ ठीक भी है...”

“अरे ऐसे नहीं हैं हम... लेकिन माँ हैं... भाभी हैं...”

कहा तो था जय ने मीना को जलाने की गरज़ से, लेकिन पास उल्टा पड़ गया। जलने के बजाय उसका कथन मज़ाकिया बन के रह गया,

“ओह्हो... तो आप अभी भी दुद्धू पीते हैं?”

मीना ने कह तो दिया, लेकिन उसको एक पल मन में ख़याल आया कि कहीं जय बुरा न मान जाए! लेकिन मीना को अभी तक जय के सौम्य स्वभाव का पूरा अंदाज़ा नहीं था। वो न तो जल्दी गुस्सा होता था, और न ही किसी बात से जलता या कुढ़ता था। वो हँसमुख और निश्छल प्रवृत्ति का आदमी था।

“नहीं मेरी जान... अभी भी नहीं, अभी से...” वो हँसते हुए बोला, “... अभी से हम दुद्धू पिएँगे... आपका...”

“हाँ जी ज़रूर... मान न मान, मैं तेरा मेहमान!”

“हम तो ऐसे ही हैं... आप अपना देख लीजिए... हमारा साथ चाहिए या नहीं...”

उसकी बात पर मीना पल भर में पिघल गई, “आपका नहीं, तो और किसका साथ चाहिए, हुकुम! ... आप जैसे हैं, हमको वैसे ही बहुत अच्छे लगते हैं...”

“पक्की बात?”

“पक्की बात...”

जय मुस्कुराया और फिर उसकी ब्रा को छूते हुए पूछा, “ये कैसे उतरती है?”

“आप तो एक्सपर्ट हैं दुद्धू पीने में... आपको तो मालूम होगा!” कह कर मीना अपनी ब्रा का क्लास्प खोलने को हुई।

उसकी इस हरकत से जय को समझ आ गया, कि ब्रा पीठ के पीछे खुलती है।

“तुमको निर्वसन करने का यह शुभ काम मुझे करने दो प्रिये...” जय ने बदमाशी भरे अंदाज़ में कहा।

“क्या करने दो?” मीना को समझ ही नहीं आया कि उसने क्या कहा।

“तुमको नंगा...”

“धत्त...” मीना ने जय के बढ़े हुए हाथ पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा, “पूरे बेशर्म हो तुम...”

“हमको शर्म करनी चाहिए क्या मेरी जान?” जय ने मीना के पीठ के पीछे अपनी बाहें डालते हुए कहा।

वो मुस्कुराई।

बोली कुछ भी नहीं।

जय ने उसकी तरफ़ झुकते हुए, उसके कंधे और गर्दन को चूमते हुए उसकी ब्रा का क्लास्प पकड़ा।

उन दोनों के संछिप्त से, लेकिन तेजी से प्रगाढ़ हुए अंतरंग सम्बन्ध में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय था। आप कितना भी कह लें, कि आपको अपनी प्रेमिका के गुण पसंद हैं, लेकिन आपके सम्बन्ध में कभी न कभी वो समय आ ही जाता है, जब आप दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण किसी भी अन्य आकर्षण से अधिक बलवान हो जाता है। संभव है कि क्रमिक विकास की प्रक्रिया में, प्रकृति ने यह एक आवश्यक घटक डाला हुआ हो...! जब आपको अपना मनचाहा साथी मिल ही गया है, तो क्यों न उसके साथ संतानोत्पत्ति करें? फिर भी, जय ने स्वयं को कुछ समय से ज़ब्त कर के रखा हुआ था। मीना ने भी... क्योंकि उसको अपने पुराने असफ़ल संबंधों की याद ताज़ा थी। लेकिन वो जय को निराश नहीं करना चाहती थी। वो समझती थी कि अगर जय को उसके साथ अंतरंग होने की इच्छा है, तो वो इच्छा लाज़मी भी है और जायज़ भी... और यह, कि उन दोनों के बीच कभी न कभी यह सब होगा ही!

वैसे भी, आज दोनों के बीच माहौल अलग ही था! दोनों ही बड़े ठहराव और आनंद से एक दूसरे के साथ का आनंद ले रहे थे। ऐसे में, दोनों के बीच अवरोध की बाधा घट गई थी। मीना के दिल की धड़कनें तेज हो गईं... और जय के भी... आज वो मीना को देखने वाला था... पहली बार! वो एक पल को रुका, और मीना की आँखों में देखते हुए मुस्कुराया, और उसके होठों को चूमा। मीना भी मुस्कुरा दी... एक शर्मीली और कोमल मुस्कान!

ब्रा का क्लास्प खुल गया, और जय के हाथ की एक छोटी सी हरकत से उसकी ब्रा उसके शरीर से अलग हो गई। इतने दिनों के सब्र का प्रतिफल देखने का समय आ गया था...

जय ने थोड़ा पीछे हट कर मीना के सीने की तरफ़ देखा।

ओह गॉड!’
Bahut hi badhiya update diya hai avsji bhai....
Nice and beautiful update.....
 

parkas

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Update #28


जैसी जय को उम्मीद थी, उससे हज़ारों गुणा सुन्दर और आकर्षक स्तनों की जोड़ी थी मीना की! यौवन के शिखर पर उपस्थित, और घमण्ड से उन्नत ठोस, गोल टीलों जैसे थे मीना के स्तन! दृढ़ और मुलायम - एक साथ! घोर विरोधाभासों का सम्मिश्रण! स्तनों के दोनों गोलार्द्धों के ऊपर स्वादिष्ट से दिखने वाले गहरे भूरे रंग के चूचक शोभायमान थे, और उसी से मिलते जुलते, लेकिन थोड़े हल्के रंग के कोई दो इंच के एरोला से घिरे हुए थे। मीना के स्तन देखने में बड़े कोमल, और नाज़ुक से लग रहे थे - लेकिन उनको देख कर ऐसा भी मन हो रहा था कि बस, दबोच कर उनका सारा रस पी जाओ!

अब तक जय के मन में इतना जोश चढ़ चुका था कि वो मीना के चूचक को अपने मुँह में लेने का लोभ-संवरण न कर सका। जैसे ही उसने मीना का एक चूचक चूमा, तो मीना के साथ साथ वो भी सिहर गया! उसने देखा कि उसके चुम्बन की प्रतिक्रिया स्वरुप मीना के स्तन के रौंगटे खड़े हो गए थे।

“ओह! सो ब्यूटीफुल! वैरी वैरी ब्यूटीफुल!” जय उसका दूसरा चूचक चूमने से पहले बोला, “... एंड परफेक्ट!”

जय मीना के स्तनों की सुंदरता में पूरी तरह से डूब गया था। उसने यह नहीं देखा कि मीना ने उसकी बढ़ाई पर कैसी प्रतिक्रिया दी, लेकिन मीना के दोनों गाल शर्म से लाल लाल हो गए!

उधर, मीना के दिव्य-दर्शन से जय पर एक अलग ही प्रभाव पड़ रहा था - उसका लिंग अभूतपूर्व रूप से उत्तेजित हो गया था। पुराने अनुभव से उसको समझ आ रहा था कि बिना स्खलन हुए, वो शांत नहीं होने वाला! लेकिन उसमें समय था। उतावलापन सही नहीं होता - वैसा करने से मीना के साथ साथ खुद की ही नज़रों में गिरने का डर है।

जय ने मीना के एक स्तन को हाथ में पकड़ा! वाक़ई, ठोस और मुलायम एहसास!

‘ओह! सॉफ़्ट बट फर्म! एंड अनबीलीवेबली सेक्सी!’

सच में - कहाँ माँ और भाभी के स्तनों को देख कर उसके मन में यह शब्द कभी आया ही नहीं, वहीं मीना के स्तनों को देख कर उसके मन में सबसे पहला शब्द यही आया! माता और प्रेमिका में यही अंतर होता है।

देखने में दृढ़, लेकिन जहाँ कहीं भी जय मीना के स्तन को दबाता, वहाँ वो आसानी से दब जाता! लेकिन न जाने कैसा अद्भुत लचीलापन था उनमें कि शब्दों में बयान कर पाना कठिन है! जय भी उत्तेजित था, और मीना भी - उसके दोनों स्तनों के चूचक स्तंभित हो गए थे। जब जय ने उत्सुकतावश उसके चूचकों को अपनी हथेली से ढँका, तो वो उसकी हथेलियों में चुभते हुए से महसूस हुए। उधर, उसके स्पर्श से मीना कराह उठी! प्रतिक्रिया में उसने अपने हाथों से जय के हाथों को ढँक दिया। लेकिन ऐसा करने से जय की हथेलियों का दबाव उसके स्तनों पर और भी बढ़ गया, और साथ ही साथ मीना की कराह की तीव्रता भी!

जब इतनी दूर तक साथ में आ गए, तो अगला कदम बढ़ाना स्वाभाविक ही था। उत्सुक प्रत्याशा में जय ने झुक कर मीना के एक चूचक को अपने मुँह में उसके एरोला समेत अपने मुँह में भर लिया, और उसको चूसने की कोशिश करने लगा। चूषण होने से पहले जय की जीभ उसके कोमल अंग को छुई - मीना के गले से एक अनियंत्रित सिसकी छूट गई, जो जय को साफ़ सुनाई दी!

‘मतलब मीना को भी अच्छा लगा...’ जय ने मीना की इस प्रतिक्रिया को अपने मन में टांक लिया - भविष्य के लिए।

अगर दूध न हो तो चूचक से स्वाद तो खैर क्या ही आता है, लेकिन थोड़ी ही देर में जय को लगा कि जैसे उसका कठोर चूचक, उसके मुँह में आ कर घुलने लगा हो - जैसे मिश्री की डली, थोड़ी सी नमी और गर्माहट पा कर घुलने लगती है। कैसा अजीबोगरीब अनुभव था यह! जय को बड़ा आनंद आ रहा था और उसको उम्मीद थी कि मीन को भी उसके जितना ही आनंद आ रहा हो!

मीना को बहुत अच्छा लगा कि जय ने प्रेमक्रीड़ा में पहल की! उसकी इच्छा थी कि जय पहला कदम उठाए और वो उसके पीछे कदम से कदम मिलाती हुई उसका साथ दे। जय नौसिखिया अवश्य था, लेकिन उसके व्यवहार, उसकी चेष्टाओं में सच्चाई थी... प्रेम था... ईमानदारी थी! इन बातों का कोई मोल नहीं दे सकता! जय ने उसके मन के कोने में कहीं किसी तरफ़ दबी हुई भावनाओं को जगा दिया था। ऐसी भावनाएँ, जिनके बारे में वो जानती थी कि वो हैं, लेकिन पिछले अनेक वर्षों में कहीं खो सी गई थीं। अपने प्रेमी के लिए शुद्ध प्रेम की भावनाएँ!

मीना ने अपने हाथ से जय के सर के पीछे अपने स्तन की ओर दबाया, और एक संतुष्ट कराह छोड़ी। उसी समय उसका शरीर काँप गया। जय को पता नहीं था कि मीना को कितना आनंद आ रहा था - लेकिन उसके शरीर की इस हरकत को महसूस कर के उसको बहुत उत्तेजना हो रही थी।

जय इस बात से अनजान था, लेकिन मीना कामुक आरोहण की दहलीज़ पर खड़ी हुई थी। सही दिशा में बस एक हल्का सा धक्का, और वो दोनों ही प्रेम रस के अथाह सागर में निश्चित रूप से डूबने वाले थे! न तो जय ही रुक पाता और न ही मीना उसको रोक पाती। दोनों के ही दिल उस प्रतिबंधित फल को खाने के लिए लरज रहे थे।

आदित्य ने जय को चेताया था कि जब तक वो मीना को ले कर निश्चित नहीं है, तब तक वो उसके साथ कुछ न करे! वो उसी समय आदित्य से कहना चाहता था कि मीना को ले कर वो पहले दिन से निश्चित है। जैसे उसकी नियति हो कि वो मीना में घुल मिल जाए... दोनों साथ में हो लें! ‘पहली नज़र का प्यार’ एक हास्यास्पद और मूर्खतापूर्ण अवधारणा लगती है, लेकिन जय और मीना के मामले में सौ प्रतिशत सही था।

न जाने कौन सा परफ्यूम लगाया हुआ था मीना ने, जिसकी महक से जय के मन की मादकता बढ़ती जा रही थी! बहुत कष्ट ले कर वो अपने उतावलेपन पर नियंत्रण कर पा रहा था। वो कभी उस चूचक को अपनी जीभ से छेड़ता तो कभी चूसता! ऐसे ही खेल खेल में चूसने की तीव्रता बढ़ती रही। जय बीच बीच में चूचक को दाँतों से थोड़ा थोड़ा कुतर भी देता, जिसके उत्तर में मीना ‘आऊ आऊ’ कर के चिहुँक भी जाती!

कैसा खेल! लेकिन सच में, अद्भुत और सुखद अनुभव!

मीना आनंद में किलकारी लेना, कराहना, और उत्तेजनावश जय को अपने आलिंगन में अधिक से अधिक समेट लेना - यह सभी बातें इसी बात का स्पष्ट संकेत थीं, कि वो जो कुछ भी कर रहा था, उससे मीना को बहुत आनंद मिल रहा था। उसका खुद का शरीर कामोत्तेजना के मारे काँप रहा था - उसकी श्रोणि और नितम्बों की माँस-पेशियाँ संभावित सम्भोग की प्रत्याशा में तनी हुई थीं और उसका पूरी तरह से कठोर हो चला लिंग रह रह कर झटके खा रहा था। मीना को आदिकाल से स्थापित, प्राकृतिक तरीके से भोगने की इच्छा अब जय के मस्तिष्क पर हावी हो चुकी थी।

जब उसने मीना का स्तन पीना छोड़ कर उसको देखा, तो पाया कि वो भी उसी की तरफ़ देखती हुई मुस्करा रही है! वो मुस्कुरा ज़रूर रही थी, लेकिन उसकी साँसें तेज़ थीं, और उत्तेजनावश उसकी नाक के कोमल नथुने फड़क रहे थे। ऐसी सुंदरी को ऐसे रूप में देख कर मादकता और भी अधिक बढ़ जाती है।

जय भी उसे देखकर मुस्कुराया।

“जानेमन, ये दोनों तो इतने सुंदर हैं! ... तुमसे भी अधिक! ... तुम्हे पता भी है?” वो दोनों स्तनों को सहलाते हुए बोला।

जय के प्रश्न के उत्तर में उसने ‘न’ में सर हिलाया, और उसको चूमने के लिए सामने झुकी! दोनों के होंठ एक बार फिर से एक असीम चुम्बन के बंधन में बंध गए! कुछ अनोखी बात तो थी दोनों के बीच आकर्षण में! भले ही दोनों के सीने और शरीर में कामुकता का ज्वार सीमा तोड़ने के प्रयास में था, लेकिन फिर भी दोनों के बीच प्रेम की कोमल भावनाएँ ज्यों की त्यों थीं। मन दोनों का अब सम्भोग के सागर में डूब जाने का हो रहा था, लेकिन प्रेम की कोमल इच्छा ऐसी बलवती हो गई थी, कि दोनों से चुम्बन लिए बिना रहा भी नहीं जा रहा था।

चुम्बन के दौरान मीना बड़े प्यार से अपना हाथ जय के सर के पीछे सहलाते हुए पकड़े थी। दोनों एक दूसरे के शरीर के कम्पन को महसूस कर रहे थे और दोनों एक बात को जानते थे कि दूसरा भी उनके कम्पन को महसूस कर पा रहा था। लेकिन इस सहज बात को छुपाने की भी क्या आवश्यकता? बिना बोली के बातें और कैसे करी जाएँ? शरीर के स्पंदनों, उसकी प्रतिक्रियाओं से ही तो समझ आता है कि एक दूसरे को कैसा महसूस हो रहा है!

दोनों कुछ देर तक उस चुम्बन में मग्न रहे! दोनों को ही ऐसा लग रहा था कि अगर उनका बस चले, तो पूरे दिन भर बस यही करते रहें! जब दोनों को थोड़ा होश आया, तब समझ आया कि दोनों ही बिस्तर पर करवट में, अधलेटी अवस्था में लेटे हुए थे। मीना नीचे, बिस्तर पर, और जय उसके थोड़ा ऊपर! आज की पूरी शाम जय को ‘रिस्क’ (जोखिम) लेने की प्रेरणा हुई। हाँ, वो मीना से बहुत प्रेम करता है, और उससे भी अधिक उसका सम्मान भी... लेकिन वो जो करना चाह रहा था, वो उससे पूछे भी कैसे! यह तो नहीं पूछ सकता कि ‘जानेमन, मैं तुम्हारी स्कर्ट उतार दूँ!’ ऐसा सकरने से जो समां बँधा है, उसका तो पूरी तरह ही सत्यानाश हो जाएगा। इसलिए उसने बिना कुछ कहे, बस, कर देने की सोची।

‘अगर मीना को बुरा लगेगा, तो वो खुद ही मना कर देगी, और वो पीछे हट जाएगा।’ उसने सोचा, ‘हाँ, यही ठीक रहेगा!’

उसने हाथ बढ़ा कर मीना की कमर पर उसकी स्कर्ट के बंधन को टटोला। कुछ ही पलों में उसको समझ में आ गया कि उसकी स्कर्ट में साइड में चौड़े हुक लगे हुए हैं। थोड़े ही यत्न से जय ने हुक को उसके काज से निकाल दिया। मीना की स्कर्ट बस अब उसकी कमर के ऊपर बस टिकी हुई थी। अगर वो खड़ी हो जाय, या जय अगर उसको नीचे सरका दे, तो झट से वो उसकी कमर से उतर जाय! मीना को भी यह बात मालूम थी।

लेकिन वो आज रात खुद भी जय के सामने नग्न होना चाहती थी! आज उन दोनों का सम्बन्ध या तो बहुत दूर तक जाने वाला था, या फिर उसकी यहीं इतिश्री हो जानी थी। मीना यह बात समझती थी। अगर जय केवल उसका शरीर प्राप्त करना चाहता है, तो यही सही! उसको जय से इतना प्रेम था कि वो उसको शारीरिक सुख दे कर खुश देखना चाहती थी - भले ही वो उसको किसी इस्तेमाल की हुई वस्तु की तरह छोड़ ही दे! लेकिन अगर जय उसको विधि के हिसाब से पाना चाहता है, तो भी यह सही दिशा में कदम था। वो भी जय को बताना चाहती थी कि वो उसके लिए सब कुछ है! आज के बाद वो जय के अतिरिक्त किसी अन्य को इस तरह से कभी प्रेम नहीं करेगी। इस बात का सवाल ही नहीं।

उधर जय इस बात से प्रसन्न था कि मीना जैसी सुन्दर सी लड़की को वो नग्न देखने वाला था - जीवन में पहली बार! सच में, कभी कभी कुछ कार्य कैसे ‘परफेक्ट’ से हो जाते हैं। जैसे कोई बल्लेबाज़, अपने पहले ही मैच में शतक जड़ दे! परफेक्ट! आज वो अपने जीवन में पहली बार किसी लड़की के साथ अंतरंग हो रहा था और वो भी मीना जैसी परफेक्ट लड़की के साथ! अद्भुत किस्मत है न! अच्छा किया आज उसने हिम्मत कर ली। एक बार जो उसने हिम्मत कर के शुरुवात करी, तो अब सब कुछ संभव हो रहा था! जय अपनी उत्तेजना के शिखर पर था... उसका शरीर स्पष्ट रूप से उत्तेजना के लक्षण दिखा रहा था। उसके लिंग का तनाव उसकी पैंट के सामने साफ़ साफ़ दिख रहा था! मीना को भी उसके बारे में जानने का अधिकार है... उसको देखने का मन होगा, उसने सोचा। लेकिन बाद में... पहले वो देख ले, फिर उसके बाद!

जय ने उसकी स्कर्ट नीचे खींचनी शुरू की।
Bahut hi shaandar update diya hai avsji bhai....
Nice and lovely update.....
 
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मीनाक्षी और जय का हमबिस्तर होना - यह दोनो भली भांति जानते थे कि मीनाक्षी का एक्सपीरियंस इस मामले मे कभी भी अच्छा नही रहा - अच्छा नही लगा।
आखिर सेक्स क्यों इतना महत्वपूर्ण हो जाता है किसी को भी अपना प्रेम सिद्ध करने के लिए । खासकर लड़की के लिए। क्या वगैर सेक्स के हम अपनी सच्ची निष्ठा और प्रेम नही दर्शा सकते ?
मीना ने फिर से वही गलती दोहराई जो इसके पहले शायद तीन लड़कों के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध बनाकर करते आई है ।

मुझे उस वक्त बहुत अच्छा लगा जब मीना मैडम अपने प्रियतम के सानिध्य मे खुद को काफी सुरक्षित महसूस कर रही थी । वो इमोशनल थी और उसके आंखो से आंसू बह रहे थे । उसे महसूस हो रहा होगा कि आखिरकार कोई तो ऐसा लड़का मिला जो उसे हवस के दृष्टि से नही देखता है , उसके शरीर को शादी से पूर्व भोगना नही चाहता है ।
कोई तो होगा जो उसके गुणों से प्रेम करता है , कोई तो होगा जो उसके इज्ज़त का सम्मान करता होगा।

कहते हैं दूध का जला छांछ भी फुंक फुंक कर पीता है । मीना ने इस के पहले जिन भी लड़कों के साथ सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाया , वो यही सोचकर बनाया होगा कि वह लड़का उसके प्रति पुरा इमानदार है । लेकिन हर बार उसे इमोशनल बेवकूफ बनाया गया ।
क्या हो , अगर जय की मां उनके शादी करने को परमिशन न दे ! क्या हो यदि जय के बड़े भाई और भाभी का मन अचानक से बदल जाए कि यह रिश्ता होगा ही नही ! क्या हो कि स्वयं जय साहब का दिल मीना को भोगने के बाद बदल जाए !

बालिग होने का यह अर्थ नही कि आप अपने को होशियार ही समझने लगे । मीना की गलती नाॅन स्टाप जारी है।

अपडेट हमेशा की तरह बेहतरीन और शानदार था avsji भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।
 

parkas

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Update #29


उसकी स्कर्ट उतारते समय वो मीना को चूम तो रहा था, लेकिन वो अच्छी तरह समझ रही थी कि वो क्या चाहता है! वो भी तो यही चाहती थी कि जय अपने मन का कर सके... मीना ने अपने नितम्ब ऊपर उठा कर, स्कर्ट उतारने में जय की मदद करने लगी। अब शंका का कोई स्थान नहीं रह गया था - जय समझ गया कि उसको मीना का पूर्ण समर्थन प्राप्त है! बस, फिर क्या! उसने हाथ के एक तीव्र गति से उसकी स्कर्ट को उतार फेंका! स्कर्ट फ़र्श पर कहीं दूर जा कर गिरी।

दोनों का चुम्बन अचानक से ही तेज और भावनात्मक आवेश युक्त हो गया! अचानक से उसमें एक तत्परता सी आ गई। वो कोमल प्रेम वाला भाव अचानक ही लुप्त हो गया - प्रकृति अचानक ही प्रेम-वृत्ति पर भारी पड़ने लगी! जय ने किसी भी लड़की को इस तरह से नग्न पहले कभी नहीं देखा था! मीना की पैंटी उसकी ब्रा मैचिंग सेट की थी। केवल बेबी पिंक रंग की, लेस वाली चड्ढी पहने हुए वो इतनी शानदार लग रही थी कि कुछ पलों के लिए जय की बोलती ही बंद हो गई। कोई और समय होता, तो संभव है जय उसको उतारता नहीं - लेकिन बिना उसे उतारे वो मीना का अति-दिव्य दर्शन कैसे करता?

उसका हाथ मीना के पेट पर फिसलते हुए उसकी पैंटी पर आ गया। वो उसको उतारने को हुआ, लेकिन फिर कुछ सोच कर लेस के ऊपर से ही मीना की योनि की फाँकों को सहलाने लगा। स्त्री-पुरुष का अंतर उसको मालूम था, लेकिन उस अंतर को जीवन में पहली बार, इतनी निकटता से देखना - अलग ही अनुभव था। उसकी श्रोणि पर कड़े बाल थे लेकिन मीना की श्रोणि चिकनी थी... लिंग कितना कठोर होता है, लेकिन योनि कितनी... कोमल! मीना की योनि की फाँकों को सहलाते सहलाते वो उसके भगशेफ की कली को महसूस कर रहा था! कोमल अंग के ऊपर उसकी कोमल कठोरता बड़ी अनोखी महसूस हो रही थी। उसके मन में यह चल रहा था मीना की योनि कैसी होगी! बस कुछ ही क्षणों में उसको यह राज़ भी पता होने वाला था! इस कामुक विचार से जय की उत्तेजना और भी अधिक बढ़ गई।

“मीना...” वो फुसफुसाते हुए कहने को हुआ, लेकिन मीना ने उसके होंठों पर उंगली रख के चुप रहने का इशारा किया।

स्वयं पर और नियंत्रण कर पाना जय के लिए अब लगभग असंभव हो गया था। उसने पैंटी के अंदर अपना हाथ डाला और कमर से इलास्टिक को हटा कर झरोखे के अंदर झाँका।

अंदर का नज़ारा अनोखा था!

‘तो ऐसी होती है योनि...’ मीना की योनि का आंशिक दर्शन कर के भी वो खुद को धन्य महसूस कर रहा था।

इट्स ब्यूटीफुल...” उसके मुँह से निकल ही गया।

“हु...कु...म...” इतनी देर में मीना ने पहली बार कुछ कहा, “प्लीज़ डोंट टीज़ मी...”

मीना की योनि के आंशिक दर्शन से जय की उत्तेजना बिना किसी लगाम के भागने लगी। अब तो अपने गंतव्य पर पहुँच कर ही उसकी कामाग्नि ठंडी होने वाली थी। मीना ने भी इस तथ्य को स्वीकार कर लिया था कि आज रात उन दोनों का ‘एक होना’ तय है! अनुभवी होने के बावज़ूद उसके दिल में डर सा बैठा हुआ था... शायद इसलिए कि वो चाहती थी कि दोनों का मिलन जय के लिए सुखकारी हो! उसको आनंद मिले। और उसको इस बात से संतुष्टि मिल रही थी कि वो कुछ ही देर में अपने जय की होने वाली थी! पूरी तरह से! इस तथ्य को आत्मसात करना बहुत मुश्किल था।

जय ने उसकी योनि को हल्के से छुआ! मीना उत्तेजनावश कराह उठी! वो कब से सम्भोग के लिए तैयार बैठी थी, लेकिन जय उस तथ्य से अपरिचित था। उसने उसकी पैंटी को थोड़ा नीचे सरकाया। बड़ी कोमलता से! मीना ने फिर से अपने नितम्ब उठा कर पैंटी उतरवाने में जय की मदद करी।

अंततः!

जय ने जब अपनी सुन्दर और सेक्सी प्रेमिका का पूर्ण नग्न शरीर पहली बार देखा तो कुछ समय के लिए सन्न रह गया। रूप की देवी थी मीना! चेहरा तो सुन्दर था ही; स्तनों का हाल बयान कर ही चुके; अब बाकी की बातें बता देते हैं। मीना की जाँघें सुगढ़, दृढ़, और चिकनी थीं; उन दोनों जाँघों के बीच उसकी योनि के दोनों होंठ उत्तेजनावश सूजे हुए थे, और उन होंठों के बीच में कामातुर योनि-मुख! उसका आकार ट्यूलिप की कली के समान था। जय को उसका आकार और प्रकार दोनों ही पसंद आया।

“मीना... यार...” जय से रहा नहीं गया, “ये तो... बहुत सुन्दर है! ट्यूलिप की कली जैसा... जैसी...”

“आपको पसंद आई?”

“बहुत! बहुत! थैंक यू!”

मीना का शरीर सुडौल था ही, लेकिन अपने नग्न रूप में वो और भी सुगठित लग रही थी।

जय बेहद उत्तेजित था - उसके अंदर सम्भोग करने की इच्छा इतनी बलवती हो गई थी कि उसको अब कुछ और सूझ नहीं रहा था। लेकिन न जाने कैसे, अचानक ही उसका प्रेम-भाव वापस आ गया - जय को लगा कि उसकी मीना चाहती है कि वो उसको अपने आलिंगन में भर ले! शायद स्वयं जय को मीना के आलिंगन में आने की इच्छा हो आई हो!

जय ने तुरंत ही मीना को अपनी बाहों में भर लिया, और जितना अधिक संभव था, उसको अपने में भींच लिया। उस जोशीले आलिंगन में आते ही दोनों के होंठ आपस में मिल गए! यह चुम्बन बड़ा ही भावुक करने वाला था। जय को उस क्षण एक अभूतपूर्व और अलौकिक सा एहसास हुआ... एहसास कि उसका और मीना का साथ हमेशा का है... कि दोनों के अस्तित्व एक दूसरे के कारण हैं... कि उनका बंधन अटूट है, चाहे कुछ भी हो जाय। इस एहसास के कारण जय के मन में मीना के लिए और भी प्यार उमड़ आया।

‘हाँ, बस मीना ही चाहिए उसको! और कुछ भी नहीं!’

दोनों बिना कुछ बोले चुम्बन का आनंद उठाते रहे। फिर अचानक ही मीना ने कुछ अनोखा किया : चुम्बन लेते लेते, उसने जय है हाथ अपने स्तन पर रख दिया। जय ने उसके स्तनों को बारी बारी सहलाया... कुछ ही देर में होंठों का चुम्बन, चूचकों का चुम्बन बन गया - दोनों को समझ नहीं आया! मीना इस अनुभव का आनंद लेते हुए किलकारियाँ भर रही थी! जय के साथ कुछ ही पलों के साथ ने उसको गज़ब का सुख दिया था।

“आई लव यू...” जय बोला।

उसकी बोली में इतनी सच्चाई और ईमानदारी थी, जो मीना को साफ़ साफ़ सुनाई दी।

“आई नो!”

वो मुस्कुराया, और मीना के हर अंग को चूमने लगा। देर तक चूमने के कारण मीना का निचला होंठ थोड़ा सूज गया था और एक दो जगह से थोड़ा फट गया था। जय के साथ मीना एक छोटी लड़की के समान हो गई थी - उसकी भाव-भंगिमा थोड़ी नटखट सी, थोड़ी चुलबुली सी हो गई थी। जय को पता नहीं था कि इतनी देर के प्रेम-मई चुम्बन, चूषण इत्यादि से मीना को कुछ समय पहले ओर्गास्म हो आया था। उसकी योनि से भारी मात्रा में काम-रस निकल रहा था, जो बाहर से भी दिख रहा था। बिस्तर पर वो जहाँ जहाँ बैठ रही थी, वहाँ वहाँ गीलेपन के चिन्ह साफ़ दिखाई दे रहे थे।

जब जय एक बार फिर से उसके एक चूचक से जा लगा, तब मीना खिलखिला कर हँसने लगी।

“मेरे जय... तुमको ये इतने पसंद आए?”

“बहुत!”

डोंट फ़िनिश देम... नहीं तो तुम्हारे चारों बच्चे गाय का दूध पियेंगे!”

मीना ने कुछ ऐसे चुलबुले अंदाज़ में कहा कि जय भी हँसने लगा। उसकी सँगत का बड़ा ही सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था मीना पर! और इस बात को देख कर उसको स्वयं पर बड़ा ही गर्व महसूस हो रहा था।

“जो हुकुम...” वो बोला, “... हुकुम!”

मीना मुस्कुराई... एक चौड़ी, चमकती हुई मुस्कान! अब उसको भी पहल करने का समय आ गया था। उसने एक एक कर के जय की शर्ट के बटन खोले और फिर उसको उतारने लगे। पहली बार उसको भी जय का शरीर देखने को मिला। उसको जैसी उम्मीद थी, जय का शरीर वैसा ही था - माँसल, मज़बूत, और युवा शक्ति से लबरेज़!

लाइक्ड व्हाट यू सी?” उसने मीना से पूछा।

वैरी मच! ... एग्ज़क्टली ऍस हाऊ आई होप्ड...”

फिर उसने उसकी पैंट की बेल्ट उतारी और थोड़ी जल्दबाज़ी से उसकी पैंट की ज़िप खोल कर उसको उतार दिया। जय के अंडरवियर से उसका उत्तेजित लिंग बुरी तरह से उभरा हुआ था। मीना उसको देख कर प्रभावित हुए बिना न रह सकी। जय भी चाहता था कि अब वो वस्त्रों के इस अनावश्यक दबाव से मुक्त हो जाय। उसको थोड़ी शर्म ज़रूर आ रही थी, लेकिन मन में यह बात भी आ रही थी कि मीना के सामने नग्न होना बड़ी प्राकृतिक सी बात है। वो भी चाहता था कि मीना उसको देख कर प्रभावित हो। उसकी चड्ढी उतारने से पहले मीना उसकी तरफ देख कर मुस्कुराई। जय भी मुस्कुराया।

अगले ही पल जय का उत्तेजित लिंग मुक्त हो कर हवा में तन गया। अन्य दिनों की अपेक्षा आज उसके लिंग का आकार थोड़ा अधिक ही बढ़ गया था, और इस कारण से वो जय को भी अजनबी सा लग रहा था! लेकिन यह अच्छी बात थी - अगर जय स्वयं अपने ही अंग से प्रभावित हो सकता है, तो मीना भी अवश्य होगी। लेकिन मीना को उसके लिंग से प्रभावित होने की आवश्यकता नहीं थी - अगर जय उसका है, तो किसी भी अन्य बात का कोई महत्त्व नहीं! मीना ने हाथ बढ़ा कर उसके स्तंभित लिंग पर रख दिया। उसके लिंग पर हाथ लगाते ही मीना की सिसकी सी निकल गई और वो हाथ हटा कर उसको देखने लगी।

“क्या इरादे हैं हुकुम?” उसने जय से पूछा।

लेट्स मेक अ बेबी?”

जय की बात सुन कर मीना हँसने लगी!

“हुकुम आज ही पापा बनना चाहते हैं?”

“अगर हमारी राजकुमारी की भी यही इच्छा है, तो!”

मीना ने जय को बहुत प्रभावित हो कर देखा। कैसा सीधा सा और सच्चा सा है उसका जय! उसका दिल घमंड से भर गया! हाँ, वो अपने जय को संतान देगी। एक नहीं, चार! जैसा वो चाहता है। उन दोनों का जीवन अब बस जुड़ने ही वाला है, और वो ग़ुरूर से भरी जा रही थी। कैसी किस्मत होनी चाहिए जय जैसा सुन्दर, सरल, सच्चा साथी पाने के लिए!

आई विल बी हैप्पी एंड प्राउड टू हैव योर बेबी, माय लव! ... नथिंग एल्स विल मेक माय लाइफ वर्थ मोर!”

“ओह मीना! मीना...”

कह कर जय ने मीना को बिस्तर पर लिटा दिया, और उसको अपनी तरफ़ सरका कर व्यवस्थित किया। उसका उत्तेजित लिंग मीना के पेट को छूने लगा। उन दोनों के होंठ फिर से मल्लयुद्ध में रत हो गए। एक कामुक चुम्बन! अंततः, अब समय आ ही गया था!

मीना ने अपने पाँव उठा कर जय के साइड में ला कर, उसकी पीठ पर टिका दिए। उधर जय का हाथ उसकी योनि पर चला गया। जब उसकी उँगलियों ने मीना के योनिमुख को छुआ, तो मीना के मुँह से एक कामुक कराह छूट गई। जय ने अपने लिंग को उसकी योनि पर फिराया - मीना की योनि पूरी तरह से नम थी और उसके लिंग का स्वागत करने को तत्पर भी थी।

आई लव यू सो मच, मीना!” वो फुुसफुसाया।

आई लव यू मोर...” वो भी फुसफुसाई।

जय ने फिर से उसकी योनि को अपने लिंग को फिराया।

“बहुत पेन होगा?”

मीना ने ‘न’ में सर हिलाया, “डोंट वरि अबाउट दैट! ... हमको मम्मी पापा बनना है न? ... तो हुकुम, बस आप वही सोचिए... और कुछ भी नहीं!”

जय ने ‘हाँ’ में एक दो बार हिलाया, फिर अपने लिंग को पकड़ कर उसके सिरे को मीना की योनि के अंदर धक्का दिया। जय नौसिखिया था - उसको सेक्स करने का कोई व्यवहारिक ज्ञान नहीं था। इसलिए पहला धक्का ही बलपूर्वक लग गया। अच्छी बात यह थी कि मीना की योनि अच्छी तरह से चिकनी हो रखी थी - इसलिए उसका लिंग मीना की योनि में फिसल कर काफी अंदर तक घुस गया।

अद्भुत एहसास!

कितना लम्बा अर्सा हो गया था!

मीना ने गहरी आह भरते हुए कहा, “ओह हनी!”

जय को लगा कि उसने जो किया, वो अच्छा किया। लिहाज़ा उसने फिर से एक और बलवान धक्का लगाया। पिछली बार उसके लिंग का जो भी हिस्सा बचा था, वो इस बार पूरा मीना की योनि में समाहित हो गया। मीना की कराह की आवाज़ ही बदल गई इस बार! लेकिन फिर भी मीना ने कोई शिकायत नहीं करी। लिहाज़ा, जय को अभी भी नहीं समझ आया कि उसके हर धक्के से मीना को चोट लग रही है। कुछ ब्लू फिल्मों से, जो उसने देखी हुई थीं, प्रेरित हो कर जय ने लगातार धक्के लगाने का सोचा और अगले ही पल उसका क्रियान्वयन भी कर दिया।

इस बार मीन स्वयं को रोक न सकी, “आह आह आआह्ह्ह!!” और उसकी चीख निकल गई।

जब जय ने उसकी आँखों में आँसू बनते देखे, तब उसको समझ आया कि उसकी हरकतों से मीना को चोट लग गई है। ग्लानि से भर के जय ने मीना को अपने आलिंगन में भर लिया - उसका शरीर काँप रहा था।

वो बड़बड़ाया, “आई ऍम सॉरी, हनी! ... आई हर्ट यू... डिडन्ट आई? ... आर यू ओके?”

दर्द और कराह के बीच, मीना मुस्कुराई और बड़ी कोमलता से बोली, “माय लव... डोंट वरि! यस, आई ऍम अ बिट हर्ट... बट डोंट वरि...! आई लव यू द मोस्ट! ... एंड आई वांटेड इट टू हैपन! ... डोंट स्टॉप नाउ! ... अच्छे से सेक्स करो मेरे साथ!”

फिर वो आह लेते हुए बोली, “आई फ़ील सो फुल इनसाइड! ... फुल... एंड ग्रेट! ... डोंट स्टॉप हनी... जी भर के प्यार करो मेरे साथ...”

जय ने प्रोत्साहन पा कर लिंग को थोड़ा बाहर निकाला, और वापस बलशाली धक्का लगाया। मीना की फिर से गहरी आह निकल गई। उसकी योनि अपने खुद के तरीके से चल रही थी इस समय - योनि की दीवारों में स्वतः ही संकुचन हो रहा था।

“हुकुम... कैसा लग रहा है?” जब जय वापस लयबद्ध धक्के लगाने लगा, तो मीना ने पूछा।

“ओह मीना... माय लव... आई कांट डिस्क्राइब द फ़ीलिंग...”

“गुड! एन्जॉय देन...”

“क्या अभी भी दर्द हो रहा है?”

“नहीं... उतना नहीं।”

“गुड...,” जय शरारत से मुस्कुराते हुए बोला, “क्योंकि मैं ये रोज़ करूँगा तुम्हारे साथ!”

“हा हा...” दर्द में भी मीना हँसने लगी।

हर खिलखिलाहट पर उसकी योनि और कस जाती, और जय के लिंग को अद्भुत ढंग से दबा देती!

जय ओर्गास्म को सन्निकट महसूस कर रहा था, इसलिए उसने धक्के लगाना तेज़ कर दिया। उधर मीना की योनि फिर से और भी गीली हो रही थी - उसका ओर्गास्म भी सन्निकट था।

संयोग से जब जय के वीर्य की पहली धार उसकी कोख में गिरी, उसी समय मीना भी अपने ओर्गास्म के शिखर पर पहुँच गई। अपने शरीर में वो मीठी, कामुक लहर बनती हुई महसूस कर के दोनों प्रेमी आनंद के सातवें आसमान पर उड़ने लगे। दोनों का शरीर एक पल को सख्त हो गया, और फिर अगले ही पल शांत हो कर शिथिल पड़ गया। जैसे-जैसे उनके कामुक उन्माद में कमी आई, दोनों एक दूसरे के कोमल आलिंगन में समां गए। दोनों ही थक गए थे।

इट वास अनबिलिवेबल!” अंततः जय ने चुप्पी तोड़ी, “बेबीज़ बनाना इतना मज़ेदार होता है, यह मालूम होता तो अब तक न जाने कितने बेबीज़ बना चुका होता!”

“हा हा... बदमाश...” मीना ने उसके गालों को प्यार से सहलाते हुए कहा।

“मीना?”

“हम्म्म?”

“इंडिया चलो मेरे साथ... माँ से मिलो! ... फिर हम शादी कर लेंगे!”

“हाँ!”

“पक्की बात?”

“पक्की बात!”

आई लव यू!”

आई लव यू मोर...”

*
Bahut hi badhiya update diya hai avsji bhai....
Nice and awesome update.....
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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बढ़िया अपडेट्स। अदभुत लेखनी

साइट की मांग अनुसार सेक्स दिखाया वो सही है, पर मैं भी SANJU ( V. R. ) भाई जी से सहमत हूं की कहानी के हिसाब से और मीना के कैरेक्टर को देखते हुए, मुझे भी ये गलत लगा। जय का एक्साइटेड होना वाजिब है, पर मीना न सिर्फ मैच्योर है, इस खेल में भी एक्सपीरियंस रखती है, और उसका खुद पर पछतावा इस बात का घोतक था की शायद आगे वो इन गलतियों को न दोहराए।
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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मीनाक्षी और जय का हमबिस्तर होना - यह दोनो भली भांति जानते थे कि मीनाक्षी का एक्सपीरियंस इस मामले मे कभी भी अच्छा नही रहा - अच्छा नही लगा।
आखिर सेक्स क्यों इतना महत्वपूर्ण हो जाता है किसी को भी अपना प्रेम सिद्ध करने के लिए । खासकर लड़की के लिए। क्या वगैर सेक्स के हम अपनी सच्ची निष्ठा और प्रेम नही दर्शा सकते ?
मीना ने फिर से वही गलती दोहराई जो इसके पहले शायद तीन लड़कों के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध बनाकर करते आई है ।

मुझे उस वक्त बहुत अच्छा लगा जब मीना मैडम अपने प्रियतम के सानिध्य मे खुद को काफी सुरक्षित महसूस कर रही थी । वो इमोशनल थी और उसके आंखो से आंसू बह रहे थे । उसे महसूस हो रहा होगा कि आखिरकार कोई तो ऐसा लड़का मिला जो उसे हवस के दृष्टि से नही देखता है , उसके शरीर को शादी से पूर्व भोगना नही चाहता है ।
कोई तो होगा जो उसके गुणों से प्रेम करता है , कोई तो होगा जो उसके इज्ज़त का सम्मान करता होगा।

कहते हैं दूध का जला छांछ भी फुंक फुंक कर पीता है । मीना ने इस के पहले जिन भी लड़कों के साथ सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाया , वो यही सोचकर बनाया होगा कि वह लड़का उसके प्रति पुरा इमानदार है । लेकिन हर बार उसे इमोशनल बेवकूफ बनाया गया ।
क्या हो , अगर जय की मां उनके शादी करने को परमिशन न दे ! क्या हो यदि जय के बड़े भाई और भाभी का मन अचानक से बदल जाए कि यह रिश्ता होगा ही नही ! क्या हो कि स्वयं जय साहब का दिल मीना को भोगने के बाद बदल जाए !

बालिग होने का यह अर्थ नही कि आप अपने को होशियार ही समझने लगे । मीना की गलती नाॅन स्टाप जारी है।

अपडेट हमेशा की तरह बेहतरीन और शानदार था avsji भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।

बढ़िया अपडेट्स। अदभुत लेखनी

साइट की मांग अनुसार सेक्स दिखाया वो सही है, पर मैं भी SANJU ( V. R. ) भाई जी से सहमत हूं की कहानी के हिसाब से और मीना के कैरेक्टर को देखते हुए, मुझे भी ये गलत लगा। जय का एक्साइटेड होना वाजिब है, पर मीना न सिर्फ मैच्योर है, इस खेल में भी एक्सपीरियंस रखती है, और उसका खुद पर पछतावा इस बात का घोतक था की शायद आगे वो इन गलतियों को न दोहराए।

संजू और रिकी भाई लोग - आप लोगों के विचार सही हैं, और मैं सहमत भी हूँ।
लेकिन कहानी में आगे जो करना चाहता हूँ, बिना इसके संभव नहीं दिख रहा था। शायद अन्य कोई मार्ग हो, लेकिन मुझे यही ठीक लगा।
अगर मैं आप लोगों के तर्क के उत्तर में कुछ लिखूँगा तो उसके विपरीत और भी अन्य तर्क निकल आएँगे।
इसलिए मैं मान लेता हूँ। लेकिन मीना और जय के बीच हुए इस बदलाव से ही कहानी आगे बढ़ने वाली है :)
साथ में बने रहें - दूसरी कहानी में जैसे कुछ लोग मुँह फुला कर भाग लिए, उनके जैसा न करना!
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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संजू और रिकी भाई लोग - आप लोगों के विचार सही हैं, और मैं सहमत भी हूँ।
लेकिन कहानी में आगे जो करना चाहता हूँ, बिना इसके संभव नहीं दिख रहा था। शायद अन्य कोई मार्ग हो, लेकिन मुझे यही ठीक लगा।
अगर मैं आप लोगों के तर्क के उत्तर में कुछ लिखूँगा तो उसके विपरीत और भी अन्य तर्क निकल आएँगे।
इसलिए मैं मान लेता हूँ। लेकिन मीना और जय के बीच हुए इस बदलाव से ही कहानी आगे बढ़ने वाली है :)
साथ में बने रहें - दूसरी कहानी में जैसे कुछ लोग मुँह फुला कर भाग लिए, उनके जैसा न करना!
हमने अपना पक्ष रखा बस, कहानी को जितना लेखक समझता है, कोई और समझ ही नही सकता।
पाठक कभी भी संतुष्ट नहीं होता ये आप भी जानते हैं, लेकिन पाठक भी कहानी का ही हिस्सा है, तो उसको भी कुछ न कुछ कहने का हक है।
पर अच्छा लेखक वही जो अपने प्लॉट पर यकीन रखे।

blinkit भाई की कहानी में भी हमने अपना पक्ष रखा था, शायद बहुत लोग वैसा ऐंड नही चाहते थे, लेकिन जिस तरह का अंत किया उन्होंने, वो बहुत ही उम्दा था, और वैसा अंत दुखद होते हुए भी संतुष्ट करने वाला था।
 
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