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Romance श्राप [Completed]

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28, Update #29, Update #30, Update #31, Update #32, Update #33, Update #34, Update #35, Update #36, Update #37, Update #38, Update #39, Update #40, Update #41, Update #42, Update #43, Update #44, Update #45, Update #46, Update #47, Update #48, Update #49, Update #50, Update #51, Update #52.

Beautiful-Eyes
* इस चित्र का इस कहानी से कोई लेना देना नहीं है! एक AI सॉफ्टवेयर की मदद से यह चित्र बनाया है। सुन्दर लगा, इसलिए यहाँ लगा दिया!
 
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park

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Update #39


ऐसे ही करते करते मीना की डिलीवरी का समय निकट आ गया।

जैसा कि सभी अपेक्षित भी था, घर के सभी सदस्य उद्विग्न भी थे, और उत्साहित भी! संतान का होना ऐसी ही मिली-जुली भावना ले कर आता है। अच्छी बात यह थी कि मीना को बेहद उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा उपलब्ध थी। डॉक्टरों ने भी सभी को पूरा आश्वासन दिया था कि सब कुछ बढ़िया रहेगा, और चिंता करने का कोई कारण नहीं है। अमेरिका में अधिकतर ‘प्राकृतिक प्रसूति’ को तरजीह दी जाती है। वो भारतीय डॉक्टरों के जैसे ‘सिज़ेरियन प्रसूति’ करने को उद्धत नहीं रहते। प्रसव एक प्राकृतिक व्यवस्था और प्रक्रिया होती है, और यदि माता स्वस्थ है, उसकी दिनचर्या स्वस्थ है, तो सीज़ेरियन करने का कोई औचित्य नहीं है।

जब डिलीवरी का समय आया, तब डॉक्टरों ने जय और मीना को एक बार फिर से सब कुछ समझा दिया, कि वो इस प्रसव से क्या अपेक्षा रखें। मीना को तकलीफ़ होगी, यह सभी को पता था, किन्तु यह अपेक्षित भी था। माँ, आदित्य और क्लेयर को खुद भी प्रसूति पीड़ा और उसके अनुभवों के बारे में सब कुछ पता था, लिहाज़ा, उन्होंने भी उन दोनों को आश्वस्त किया, और साथ ही साथ उनको माता पिता बनने की अग्रिम बधाईयाँ भी दीं। भारत से उनकी माँ भी लगातार फ़ोन पर उनके साथ बनी हुई थीं - उन्होंने मीना और जय से देर तक बातें करीं और कहा कि वो ठीक हो रही हैं और लगभग दो से तीन महीने में उनको लम्बी यात्रा करने की अनुमति मिल जाएगी। और फिर वो बड़े आराम से अपने दोनों नए बच्चों - मीना, और जय और मीना की संतान - से मिलेंगी! इस तरह की बातें कर और सुन कर मीना के मन में जो भी चिंताएँ शेष थीं, वो सब समाप्त हो गई। अब वो स्वयं भी अपने माँ बनने का इंतज़ार करने लगी।

हॉस्पिटल में दाखिले की आधी रात के बाद मीना को प्रसव की बलवती पीड़ा शुरू हुई, जो लगभग चार घण्टे तक चली। जय और क्लेयर इस दौरान प्रसूति गृह में ही मौजूद थे और उसको सम्बल प्रदान कर रहे थे। आदित्य थोड़ा कोमल हृदय का आदमी था, लिहाज़ा, वो अस्पताल के अन्य कार्यों में लगा हुआ था। उधर जय को ऐसा लग रहा था कि जैसे सदियाँ बीती जा रही हों! वो मीना को किसी भी तरह की तकलीफ़ में नहीं देख सकता था, और उसको यूँ रोते कराहते देखना उसके लिए असह्य हो रहा था। उसका मन हो रहा था कि जितनी जल्दी हो सके, वो अपनी संतान से मिल सके, और साथ ही साथ मीना का भी पीड़ा वाला अनुभव समाप्त हो! किन्तु हर काम अपने नियत समय पर ही होता है।

आखिरकार, ब्रह्म मुहूर्त में मीना ने एक बेटी को जन्म दिया। बेटी क्या, कहिए दुनिया जहान की खुशियों को जन्म दे दिया मीना ने! माता पिता बनते ही आप जैसे प्रकृति की सभी सीमाओं को लाँघ जाते हैं। अनगिनत वर्षों से चले आ रहे जीवन-क्रम को आप आगे बढ़ा देते हैं। आपका अंश अब केवल आप ही में नहीं, बल्कि एक नन्ही सी जान में भी बसने लगता है। पिता बनने का एहसास जय को बहुत ही अद्भुत लग रहा था। वो समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे वो... नाचे, या ख़ुशी के मारे चिल्लाये!

“कॉन्ग्रैचुलेशन्स जय... मीना,” उसकी समय मीना की डॉक्टर ने कहा, “मैनी मैनी कॉन्ग्रैचुलेशन्स... यू आर नाऊ प्राउड पेरेंट्स ऑफ़ अ ब्यूटीफुल गर्ल!”

“ओह थैंक यू सो मच डॉक्टर...” जय का चेहरा हज़ार वाट के बल्ब जैसा चमक रहा था।

“कॉन्ग्रैचुलेशन्स मीना... कॉन्ग्रैचुलेशन्स जय,” क्लेयर भी बहुत प्रसन्न थी।

मीना थकी हुई थी, इसलिए वो केवल मुस्कुरा दी।

“थैंक यू भाभी... थैंक यू सो मच!” जय ने क्लेयर को आनंद से अपनी गोद में उठा लिया, “ओह... आई ऍम सो हैप्पी भाभी, सो हैप्पी!”

“हा हा... जय, प्लीज बी केयरफुल...” डॉक्टर ने जय को चेताया।

ऐसा न हो कि उत्तेजना में कोई छोटी-मोटी दुर्घटना घट जाए!

“ओह यस यस... सॉरी डॉक्टर!”

लेकिन जय अपनी ख़ुशी को दबा के नहीं रख सकता था। आज के जैसा सुन्दर दिन उसके जीवन में कभी नहीं आया था। उसको कैसी प्रतिक्रिया करनी थी, उसको समझ नहीं आ रहा था। पिता बनना एक अद्भुत उपलब्धि होती है।

“व्हाट शुड व्ही नोट द बेबीस नेम ऐस...?” एक नर्स ने पूछा।

नवजात बच्चों का नामकरण करने के लिए अमेरिका में, भारत के जैसे नामकरण संस्कार करने तक का महीनों लम्बा समय नहीं लिया जाता। जन्म के समय ही कानूनी आवश्यकताओं के मद्देनज़र बच्चों का नाम लिखा जाता है। इसलिए, अक्सर ही लोग जन्म के पहले से ही अपने बच्चों के नाम सोच कर रखते हैं।

जय ने भी सोचा हुआ था।

“चित्रांगदा... हर नेम इस चित्रांगदा! एंड हर पेट नेम इस, चित्रा...” उसने डॉक्टर और वहाँ उपस्थित सभी लोगों को बड़े गर्व से अपनी नवजात बेटी का नाम बताया, और मीना की तरफ देखा।

मीना थक गई थी लेकिन जय के मुँह से अपनी पुत्री का नाम सुन कर उसके होंठों पर मुस्कान आ गई।

“चित्रांगदा...” उसने कमज़ोर लेकिन प्रसन्न आवाज़ में अपनी बेटी का नाम दोहराया।

“कॉन्ग्रैचुलेशन्स, माय लव...” जय ने बड़े प्यार से मीना से कहा।

वो मुस्कुराई, “ब्यूटीफुल नेम... आई लव यू...”

एक नर्स ने मीना की पीठ के पीछे तकिए लगा दिए, जिससे उसको थोड़ा आराम मिल सके। उसकी डॉक्टर ने उसको चेक किया और बताया कि मीना पूरी तरह स्वस्थ है, और यह थकावट एक दो दिन में पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। हाँ, लेकिन शरीर को पूरी तरह से रिकवर करने के लिए कुछ सप्ताह लग जाएँगे। अच्छी बात थी।

इतनी देर में एक अन्य नर्स ने नन्ही चित्रांगदा - “चित्रा” - को साफ़ कर के, और मुलायम से कपड़े में लपेट कर मीना के सुपुर्द कर दिया। मीना ने नन्ही चित्रा को अपने सीने से से लगा लिया था और वो पूरी शांति के साथ अपनी माँ के सीने पर गाल टिकाए लेटी हुई थी... शायद अपनी माँ के दिल की धड़कनों को सुन रही थी! उसकी आँखें खुली हुई थीं... काली काली चमकती आँखें... उनमें नए नए जीवन की चमक थी! बच्ची एकदम शांत थी - उसको देख कर कोई भी आह्लादित हुए बिना न रह सके!

“कैसी हो मीना?”

“आई ऍम सो टायर्ड, क्लेयर...” मीना मुस्कुराते हुए बोली, “बट वैरी हैप्पी! ... सुपर हैप्पी!”

जय चित्रा को अपनी गोदी में लेना चाहता था। लेकिन क्लेयर ने उसको मना किया,

“जय... पहले उसको दूध तो पिला लेने दो, फिर जितना मन करे, चित्रा को खिला लेना...”

“यस भाभी...” कह कर जय ने बच्ची को मीना की बाहों में दे दिया।

मीना ने हॉस्पिटल वाला गाउन पहना हुआ था; उसका एक सिरा अपने स्तन से हटा कर, उसने चित्रा को अपने स्तन से लगा लिया। बच्चों में यह नैसर्गिक ज्ञान होता है - माँ के स्तनों को वो पहचानने से पहले ही जानते हैं। अपनी माँ के स्तन का चूचक अपने होंठों पर महसूस करते ही चित्रा का मुँह स्वतः खुल गया और जैसी किसी स्वचालित प्रक्रिया स्वरुप उसका स्तनपान शुरू हो गया। चित्रा बिलकुल अधीर हो कर दूध पी रही ही।

उसको स्तनपान करता देख कर वहाँ उपस्थित सभी लोगों के होंठों पर या तो हँसी आ गई या फिर मुस्कान! एक नर्स ने तो कहा भी कि बच्ची इतने जोश से दूध पी रही है कि जैसे न जाने कब से भूखी हो!

अद्भुत सा दृश्य था! जय की आँखें उसी स्थान पर जमी हुई थीं जहाँ बच्ची का मुँह और मीना का चूचक मिल रहे थे। क्लेयर ने देखा कि जय क्या देख रहा था, और यह भी कि वो यह दृश्य देख कर भावुक हुआ जा रहा था।

“क्या हुआ जय?” उसने पूछा।

“दिस इस सो ब्यूटीफुल, भाभी!”

“आई नो! ... हर माँ अपने बच्चे को दूध पिलाना चाहती है... देयर कांट बी अ मोर डिवाइन सीन ऑन दिस अर्थ!”

“आप सही कह रही हैं भाभी...”

क्लेयर मुस्कुराई, “... अच्छा, तुम यहाँ मीना के साथ बैठो। मैं जा कर आदित्य को यह खुश-ख़बरी दे कर आती हूँ।”

“जी भाभी...”

जब क्लेयर बाहर चली गई, और तीनों उस कमरे में अकेले रह गए, तब जय ने बड़े प्यार से मीना का हाथ थाम लिया।

“थैंक यू सो मच, मेरी जान!” उसने कहा और मीना के हाथ को चूमा।

मीना मुस्कुराती हुई बोली, “क्या हो गया हुकुम? ... इतने इमोशनल क्यों हो गए?”

“तुमको नहीं पता... लेकिन हमारी बेटी चमत्कार है! ... शी इस सो परफेक्ट! ओह गॉड!”

“हर बाप को अपनी संतान ऐसी ही लगती है!”

“लगती होगी... लेकिन मेरी तो है!” जय ने बाल-पन वाले भाव से कहा।

उस थकावट में भी मीना को हँसी आ गई। लेकिन हँसने से उसको पेट में दर्द सा हो आया।

“आऊ...”

“क्या हुआ मेरी जान? कोई प्रॉब्लम?”

“नहीं प्रॉब्लम नहीं, बट आल माय मसल्स आर सोर... इसलिए हँसने पर दर्द हुआ!”

“ओह, तो अभी कुछ दिन कम जोक्स सुनाऊँगा...”

“ओह जय... मेरे जय... आई लव यू!”

“आई नो!”

दोनों ऐसी बातें कर ही रहे थे, कि क्लेयर आदित्य के साथ ही कमरे में आई।

आदित्य ने भी मीना और जय को माता पिता बनने की बहुत बहुत बधाईयाँ दीं और कुछ समय वहीं रहने के बाद क्लेयर को ले कर घर चला गया, कि उन दोनों के लिए कुछ ‘बढ़िया’ बना कर लाया जाएगा रात के लिए। अजय और अमर भी अपनी गुड़िया जैसी बहन से मिलने को उत्सुक थे, अतः शाम को पूरा परिवार, यहीं अस्पताल में ही इकठ्ठा होने वाला था!

*
Nice and superb update....
 
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The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Update:- 38 & 39 :check:

Ye dono update bade hi kamaal ke the. Aakhir Jay aur Mina parents ban gaye. Kya hi shandaar scenes create kiye hain bhaiya ji ne...and wo breastfeeding wala scene man moh gaya...and yes Sanju bhaiya se puri tarah agree karta hu ki usme koi galat feelings nahi aa sakti. Wo ek adbhut ehsaas hai jisme sirf aur sirf Prem aur Mamta hi ho sakti hai....lovely :perfect:

Well maine realise kiya hai ki itne updates aaye lekin bhaiya ji ne maa ka name mention nahi kiya..aur na hi khul kar unke bare me kuch aisa bataya jisse ye guess kiya ja sake ki aakhir wo maharani hai kaun? Halaaki hamne apne apne kayaas laga rakhe hain baaki dekhte hain....Aakhir kis baat ki pardadaari hai bade bhaiya...kya chhupana chahte hain hamse :D

Koi baat nahi...intzaar karte hain aage ka :approve:
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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तो आखिर राज परिवार का श्राप समाप्त हुआ।

बढ़िया अपडेट भाई जी। :applause:


अमेरिका और यहां के चिकित्सीय सेवा में सबसे बड़ा अन्तर यही है कि वहां ये सेवा है और यहां पेशा।

अब बस मां जी के आने की प्रतीक्षा है ताकि कुछ रहस्य सुलझे।

वैसे मुझे लगा था कि सुहासिनी नाम रखा जायेगा बिटिया का।

कहानी का नाम श्राप है, तो कुछ न कुछ कर के उसका अंत तो करना ही पड़ेगा।
अब ये राजपरिवार है या नहीं, वो तो बाद में पता चलेगा :)

किसी भी देश में चिकित्सा सेवा, एक पेशा ही है। अभी आपको पता नहीं कि कैसे नाकों चने चबवा देते हैं अमरीका वाले।
डॉक्टर के पास जाना, मतलब लुट जाना - यह हर देश के लिए सत्य है। हाँ, लेकिन अपने देश में लालच अंतहीन है।
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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मीनाक्षी और जय के लिए यह बहुत ही खुशी का लम्हा है कि वो अब मां-बाप के श्रेणी मे आ गए । उन्होने एक लक्ष्मी को जन्म दिया ।
एक वैवाहिक युगल के लिए इससे बड़ा उत्सव , इससे बड़ा खुशी कुछ भी नही होता ।
ऐसे बहुत लोग हैं जो मां-बाप बन ही नही पाते और आजीवन संतान सुख की कामना लिए मृत्यु के आगोश मे समा जाते है ।
यह लड़की निस्संदेह उनके लिए एक भावी विरासत है । लेकिन जिज्ञासा यही है कि क्या ये उसी खानदान से विलोंग्स करती है जहां यह श्राप था कि कोई लड़की पैदा ही नही होगी ।
पर इस लड़की का नामकरण जिस तरह से किया गया और जो नाम ' चित्रागंदा ' रखा गया , वो उसी परिवार की ओर आकर्षित करता है ।

इस अपडेट का एक बहुत ही खूबसूरत लम्हा था मीना का अपने नवजात बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करना , और उस दौरान कुछ लोग का उस वक्त मौजूद रहना और उसी दौरान उन लोगों का रिएक्शन ।
यह कभी भी अभद्र या कामुक हो ही नही सकता । कैसे कोई ऐसे सीन्स पर उत्तेजित हो सकता है ! और यदि कुछ लोग होते है तो वो अवश्य मानसिक रूप से विक्षिप्त है ।

इस विषय पर भी बहुत कुछ कहने का मन करता है लेकिन यहां यह सब संभव नही है ।

अपडेट हमेशा की तरह बेहद ही खूबसूरत और वाह वाह था ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट avsji भाई।

माँ-बाप बनना, एक तरह से biological transcendence ही तो है! हमारा अंश सदा के लिए अमर हो जाता है।
शायद इसीलिए प्राकृतिक रूप से हम में माता-पिता बनने की इतनी बलवती इच्छा रहती है।

स्तनपान की महिमा का व्यापक ब्यौरा मैंने "मोहब्बत का सफ़र" में लिखा ही है। यहाँ बस चलते फिरते इस दिव्य कार्य का बस एक इशारा दिया है!
उत्तेजित होने वाले तो बात बात में उत्तेजित हो जाते हैं - उस बात का कोई अंत नहीं है। उसमें विछिप्त होने या न होने का कोई मतलब नहीं।
सबकी अपनी अपनी प्रेफरेंस होती है। :) हा हा!

आपके प्रश्नों के उत्तर आगे आने वाले कुछ अपडेट्स में मिल जाएँगे। :)
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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Update:- 38 & 39 :check:

Ye dono update bade hi kamaal ke the. Aakhir Jay aur Mina parents ban gaye. Kya hi shandaar scenes create kiye hain bhaiya ji ne...and wo breastfeeding wala scene man moh gaya...and yes Sanju bhaiya se puri tarah agree karta hu ki usme koi galat feelings nahi aa sakti. Wo ek adbhut ehsaas hai jisme sirf aur sirf Prem aur Mamta hi ho sakti hai....lovely :perfect:

Well maine realise kiya hai ki itne updates aaye lekin bhaiya ji ne maa ka name mention nahi kiya..aur na hi khul kar unke bare me kuch aisa bataya jisse ye guess kiya ja sake ki aakhir wo maharani hai kaun? Halaaki hamne apne apne kayaas laga rakhe hain baaki dekhte hain....Aakhir kis baat ki pardadaari hai bade bhaiya...kya chhupana chahte hain hamse :D

Koi baat nahi...intzaar karte hain aage ka :approve:

शुभम भाई, अपनी कहानी पर आये कमैंट्स के उत्तर देने में ही समय लग रहा है। ऐसे में आपकी नाराज़गी (कि आपकी कहानी पर मैं कमेंट न लिख सका) समझ से परे है।

कहानी जैसे ही पढ़ी, उस पर रिएक्शन तो दे ही दिया था, लेकिन व्यापक रूप से कमेंट लिखने के लिए थोड़ा सोचना पड़ता है, उसमें समय लगता है।
आपको पता ही होगा कि परिवार में एक परिवर्तन आया है, और उसके कारण बहुत ही बिजी हैं हम। इसलिए यूँ नाहक नाराज़ न हुआ करिए। अच्छी बात नहीं है। ऐसा व्यवहार बाल-हठ की श्रेणी में आ जाता है, जो केवल बालक-बालिकाओं पर ही शोभा देता है।

अब आपकी प्रतिक्रिया (इस कहानी पर) के बारे में :
जी भाई - माँ और संतान के बीच स्तनपान का दृश्य मेरे ख़याल में बहुत ही दिव्य होता है। ममता तो वैसे भी ईश्वर का रूप ही होती है।
माँ तो माँ होती है - माँ का भला क्या नाम होता है?? :) हा हा! "मोहब्बत का सफर" में भी 'माँ' एक बहुत लम्बे समय तक 'माँ' ही रही - वो सुमन तब बनी, जब वो माँ से एक प्रेमिका के रूप में आ गई ;)

ख़ैर, कहानी में कोई राज़ नहीं है - बस, समय आने पर हर तथ्य का खुलासा अवश्य होगा।
साथ बने रहें; यूँ रूठें नहीं :)
आप तो भाई है न हमारे :) और बहुत संभव है, कि छोटे भाई हों! चाहे कुछ हो, हम तो आपका साथ देंगे ही देंगे।
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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Bahut hi badhiya update diya hai avsji bhai....
Nice and beautiful update....

Nice update.....

Bahut hi shaandar update diya hai avsji bhai....
Nice and awesome update....

Nice update....

Super as always

बहुत बहुत धन्यवाद मित्रों! :)
साथ बने रहें -- शीघ्र ही अगले अपडेट को ले कर आता हूँ
(काम चल रहा है)
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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कहानी का नाम श्राप है, तो कुछ न कुछ कर के उसका अंत तो करना ही पड़ेगा।
अब ये राजपरिवार है या नहीं, वो तो बाद में पता चलेगा :)

किसी भी देश में चिकित्सा सेवा, एक पेशा ही है। अभी आपको पता नहीं कि कैसे नाकों चने चबवा देते हैं अमरीका वाले।
डॉक्टर के पास जाना, मतलब लुट जाना - यह हर देश के लिए सत्य है। हाँ, लेकिन अपने देश में लालच अंतहीन है।
वहां महंगी है, बिना इंश्योरेंस के लोग लूट जाते हैं। अपने यहां सस्ती हैं।

वहां प्रोसीजर सही से फॉलो होता है, एक रिपोर्ट को 6 महीने तक वैलिड माना जाता है, अपने यहां तो 1 घंटे में ही वैलिडिटी खत्म हो जाती है।

वहां आपको हर काम के लिए वेटिंग पीरियड में जाना होता है, अपने यहां सब फटाफट होता है।
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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शुभम भाई, अपनी कहानी पर आये कमैंट्स के उत्तर देने में ही समय लग रहा है। ऐसे में आपकी नाराज़गी (कि आपकी कहानी पर मैं कमेंट न लिख सका) समझ से परे है।

कहानी जैसे ही पढ़ी, उस पर रिएक्शन तो दे ही दिया था, लेकिन व्यापक रूप से कमेंट लिखने के लिए थोड़ा सोचना पड़ता है, उसमें समय लगता है।
आपको पता ही होगा कि परिवार में एक परिवर्तन आया है, और उसके कारण बहुत ही बिजी हैं हम। इसलिए यूँ नाहक नाराज़ न हुआ करिए। अच्छी बात नहीं है। ऐसा व्यवहार बाल-हठ की श्रेणी में आ जाता है, जो केवल बालक-बालिकाओं पर ही शोभा देता है।
Aree bhaiya ji narazgi wali baat nahi hai, asal me personal issue ho gaya tha jiske chalte mood kharab tha. Upar se yaha bhi kuch suna suna aur feel hua to aur bura laga. Baaki kisi se koi naraazgi nahi hai...Story to complete karna hi hai aur ye bata bhi chuka hu.....So don't worry...and haan aapki vyastata ka pata tha mujhe :approve:
 
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