अगले दिन जब श्रृष्टि दफ्तर पहुंची तो उसका चेहरा खिला हुआ था। भीतर ही भीतर श्रृष्टि प्रफुल्लित महसूस कर रहीं थीं।
जिसे देखकर साक्षी समझ गई कि इसका कारण क्या हों सकता हैं फिर भी वो बार बार श्रृष्टि से पूछ रहीं थीं और श्रृष्टि बाद में बताऊंगी कहकर टाल दे रहीं थीं।
धीरे धीरे वक्त बीता लेकिन श्रृष्टि को राघव अभी तक नहीं दिखा। तब राघव से मिलने चली गईं। वहा राघव के जगह किसी ओर को बैठा देखकर चौक गई और बिना कुछ बोले वापिस आ गईं। वापस आकर साक्षी से पुछा तो साक्षी ने बता दिया की राघव कुछ दिनों के लिए बहार गया हैं।
राघव की न होने की बात जानकर श्रृष्टि को अफसोस हों रहा था। इसलिए उसने अपना मोबाइल निकला और एक msg राघव को भेज दिया फिर अपना काम करने लग गईं।
अभी कुछ ही वक्त बीता था कि "सूना है कोई नई नई आई हैं जिसकी खूब चर्चे हों रहीं हैं" की आवाज वहा गुंजा।
बोलने वाले शख्श को देखकर श्रृष्टि फ़िर से चौक गईं और साक्षी सहित बाकि सभी लोग उसे देखकर औपचारिक बाते करने लग गए मगर बातों के दौरान वह शख्स श्रृष्टि को देखकर कमीनगी मुस्कान से मुस्कुरा रहा था और अपने होठों पर जीभ फिराकर सूखे होंठो को गीला कर रहा था।
यह देखकर श्रृष्टि का हावभाव बदल गया जहां वो खुशी से चहक रहीं थी पल भर में उसकी खुशी गुस्से में बदल गई और मुट्ठी को सकती से भींचे खड़ी थीं।
वह शख्स कुछ कदमों का फैंसला तय करके श्रृष्टि के पास गया और उसके सिर से पाव तक नज़रे फेरकर बोला...बड़ा ही खिला खिला फूल लग रही हों वैसे बता सकती हो किस भंवरे ने रस चूस कर कली से फूल बना दिया।
इन शब्दों का मतलब वह मौजद एक एक शख्स समझ गया था और श्रृष्टि का गुस्सा आसमान को छू गया। दोनों मुठ्ठी को शक्ति से भीचे दांत किटकिटाते हुए बोलीं... अरमान सर तमीज से बात करना सीख लिजिए आपके बहुत काम आएगा। खासकर किसी लड़की से, किसी लङकी के बारे में कुछ भी बोलने से पहले जानकारी ले लेना चहिए। एक वो राघव सर हैं जो सभी से कितने सलीके से पेश आते है एक आप हों जिसे तमीज से सख्त परहेज हैं।
अरमान... राघव मेरा भाई तो है पर सगा नहीं सौतेला इसलिए मेरा उससे कोई सरोकार नहीं हैं और तमीज की बात तू न ही करें तो बेहतर हैं। भूल गई मॉल वाली बात।
श्रृष्टि... भूली नहीं वहा भी बदतमीजी आप ही ने किया था इसलिए तो...।
"अरमान राघव सर नहीं हैं इसका मतलब ये नहीं की तू किसी के साथ बदतमीजी करेगा।" श्रृष्टि की बातों को बीच में कटकर साक्षी बोलीं
"तू मेरी दोस्त है या राघव की चमची भूल गई मेरे ही कारण तूझे यहां नौकरी मिली थी।" अरमान साक्षी की और बढ़ते हुए बोला
साक्षी... हां ये सच हैं की नौकरी तेरे कारण मिली थी। लेकिन यहां टिकी हुई हूं तो सिर्फ मेरे टैलेंट के कारण अब तू यहां से जाता हैं कि राघव या फिर तिवारी सर को फ़ोन करू।
तिवारी का नाम आते ही अरमान वहा से खिसक लिया मगर जाते जाते श्रृष्टि को बोला... मॉल में जो किया था उसका बदला तो मैं तेरे से लेकर रहूंगा। भारी भीड़ में मुझे बेइज्जत किया था न देख अब मैं तेरा क्या हस्र करता हूं।
जारी रहेगा...