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Romance संयोग का सुहाग [Completed]

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Nevil singh

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भाई नेविल सिंह जी, सबसे पहले तहे दिल से आपका शुक्रिया!
कहानी पसंद करने के लिए भी आपका बहुत बहुत शुक्रिया!! ऐसे ही साथ में बने रहें।
अभी चल रही कहानियों, और आगे आने वाली कहानियों के लिए! :)
धन्यवाद!
mitr aishe sahitye ke srizen ke liye aapka hridey se dhanyawaad
ek ek shabd vayakt kar raha tha apne hone ki paribhasha
fhir milenge dost aapki dusri rachnao per
shukriya dost
 
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Guffy

Well-Known Member
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Hello Everyone :hello:



We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC).



Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.



Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.



Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.



Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.



Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..



Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.


Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.




Regards : XForum Staff.
 

Ashurocket

एक औसत भारतीय गृहस्थ।
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भाई साहेब - ज़र्रा-नवाज़ी बहुत बहुत शुक्रिया!
लेकिन, अफ़सोस की बात यह है कि इसकी परिकल्पना मैंने लघुकथा के रूप में करी थी।
तो ये बस ख़तम ही होने वाली है। इस साइट पर मैंने एक कहानी देखी है, जो पहले भी पढ़ी थी उसी लेखक द्वारा।
सुन्दर कहानी थी। लेकिन यहाँ उन्होंने उसको रबड़ बैंड के जितना इतना खींचा है कि महाबोर और उबाऊ हो गई।
आखिर जीवनी लिखने का क्या औचित्य!? इसलिए यह छोटी कहानी ही रहेगी।
पढ़ने के बाद अगर आपको लगता है कि इसको बढ़ाया जा सकता है तो ज़रूर बढ़ा दूंगा। ?

क्या ये एक अनोखा बंधन के बारे में हिंट है?

😅😅😅

आशु
 
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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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Ashurocket

एक औसत भारतीय गृहस्थ।
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प्यारी बहना, सुहागरात के उन क्षणों में पति शेर होता है और बेचारी पत्नी बकरी। और तेरा पति तो वैसे भी माशा-अल्लाह एकदम तगड़ा है - शेर के माफ़िक। ऐसे में तुझे कुछ करने, या न करने की क्या परवाह? बस, अपनी टांगें चौड़ी करके लेट जाना - वो जैसा चाहेगा, करेगा!’

अलका के कथन को पढ़ कर एक पुराना चुटकुला याद आ गया।

3 सहेलियों की आगे पीछे शादी हुई। तीनों हनीमून पर गईं। बाद में मायके में मिलीं और अपने अनुभव बांटने लगीं।

पहली वाली, हम तो शिमला गए थे, ये देखा वो देखा, ये किया वो किया.....
दूसरी वाली, हम तो नैनीताल गए थे, ये देखा, वो देखा, ये किया, वो किया......
तीसरी चुप चाप बैठी थी। पूछा गया तू कहां गई थी?

में गोवा गई और होटल के कमरे का पंखा देखा। और पंखा ही देखती रही।

😅😆😀

आशु
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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अलका के कथन को पढ़ कर एक पुराना चुटकुला याद आ गया।

3 सहेलियों की आगे पीछे शादी हुई। तीनों हनीमून पर गईं। बाद में मायके में मिलीं और अपने अनुभव बांटने लगीं।

पहली वाली, हम तो शिमला गए थे, ये देखा वो देखा, ये किया वो किया.....
दूसरी वाली, हम तो नैनीताल गए थे, ये देखा, वो देखा, ये किया, वो किया......
तीसरी चुप चाप बैठी थी। पूछा गया तू कहां गई थी?

में गोवा गई और होटल के कमरे का पंखा देखा। और पंखा ही देखती रही।

😅😆😀

आशु

अरे भाई बहुतेरों को यही perception है।
जब मेरी शादी हुई थी, तो ऑफिस में एक colleague मुझे बोलता है कि हनीमून पर करना ही क्या है!
खाओ, पियो, और ठोंको। ऐसे चूतिया हैं पढ़े लिखे लोग!
तो क्या आश्चर्य कि ज्यादातर लोगों के ब्याह होने के साल भर में ही बच्चा उनकी गोद में किकियाने लगता है!
फिर सबको सफ़ाई देते फिरते हैं कि प्लानिंग की हुई थी।
साला, बीवी के शरीर की जानकारी नहीं होती, लेकिन बच्चे की प्लानिंग पहले ही!
गज़ब देशवासी हैं हमारे।
 
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Ashurocket

एक औसत भारतीय गृहस्थ।
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जैसे कोई स्विच ऑन ऑफ करने से बत्ती जलती बुझती है, वैसे ही वर्मा ख़ानदान का बर्ताव समीर के लिए अचानक से ही बदल गया - कल शाम तक कोई उसको जानता ही नहीं था। और आज सवेरे सभी उसके साथ आदर से बात और व्यवहार कर रहे थे। कल वो उनके लिए महज़ एक गेस्ट था, और आज वो एक ‘वी वी आई पी’ था। अचानक ही। स्विच ऑन! उठने से ले कर, और नहाने धोने तक लगभग पूरे खानदान से उसका परिचय करवाया गया। हाँ, बस मीनाक्षी ही उस सुबह नहीं दिखी।

बहुत सही कहा। स्विच ऑन और ऑफ। हल्का मजाकिया तत्व लिए हुए, ये प्रकरण वास्तविक जीवन के बहुत करीब है। अधिकांश घरों में, विवाह के समय, जीजा सालियों की ऐसी ठिठोली आम बात है।

आशु
 
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karan77

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वर्मा परिवार पर तो जैसे गाज गिर गई हो - और क्यों न हो? बस कुछ ही घंटों में, हंसी ख़ुशी का माहौल जैसे मातम में बदल गया। विवाह के पंडाल में उपस्थित लोगों के चेहरों पर क्रोध, हास्य, अविश्वास और दुःख का मिला-जुला भाव स्पष्ट देखा जा सकता था।

हुआ कुछ यूँ कि मेरठ में रहने वाले वर्मा परिवार की बड़ी बेटी मीनाक्षी की शादी, मुरादाबाद के एक डिग्री कॉलेज में, प्रोफेसर के पद पर कार्यरत एक लड़के से कर दी गई थी। सगाई वाले दिन, वर्मा जी ने अपनी हैसियत से कहीं आगे बढ़-चढ़ कर होने वाले वर को एक मारुती स्विफ़्ट कार और सोने के पांच सिक्के दिए थे। दहेज़ को ले कर दोनों परिवारों में न जाने क्या कुछ तय हुआ था, लेकिन लड़के वाले सगाई के इस नज़राने से बहुत खुश होते हुए तो नजर नहीं आ रहे थे। मज़ेदार बात तो यह है कि सगाई के दौरान उन्होंने मीनाक्षी को एक जोड़ी सोने के कंगन, और एक मामूली सी अँगूठी ही दी थी।

सगाई समारोह से उठते हुए दूल्हे के परिवार वालों ने आख़िरकार बोल ही दिया कि अगर उन्हें कुछ नगदी मिल जाती तो काफी बेहतर होता। साथ ही साथ उन्होंने इस बात पर अपनी नाराज़गी भी दिखाई कि वर्मा जी ने सगाई समारोह में वर के साथ आए हुए मेहमानों को भेंट स्वरूप बस कपड़ों की जोड़ी ही दी। इस बात पर वर्मा जी ने कहा कि कुछ समय दें, जिससे वो नगदी का बंदोबस्त कर सकें। वर्मा जी के इस निवेदन पर वर पक्ष बिना किसी हील हुज्जत के चल तो दिए, लेकिन रहे वो सभी असंतुष्ट ही। धन का लालच एक बलवान वस्तु होता है। मानवता पर वह हमेशा ही भारी पड़ता है।

खैर, आज तो मीनाक्षी का विवाह होना था और वर्मा जी के घर ख़ुशियों का माहौल था। उन्होंने वाकई अपनी हैसियत से कहीं अधिक खर्च कर डाला था अपनी प्यारी बेटी की शादी में। प्रोफेसर साहब की बारात देर रात करीब ग्यारह बजे उनकी चौखट पर जब आई, तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि पल भर में क्या से क्या हो जाएगा। बारात के शोर शराबे में वर्मा जी के समधी ने दस लाख रुपए दहेज़ में मांग लिए, और यह धमकी भी दे डाली कि दूल्हे के स्वागत में यदि लक्ष्मी का चढ़ावा न चढ़ा तो यह शादी तो नहीं होगी।

वर्मा जी ने उनको समझाने का भरसक प्रयास किया - कहा कि हाल फिलहाल दो लाख रुपए की व्यवस्था हो पाई है। उसको स्वीकार करें, और विवाह संपन्न हो जाने दें। बाकी की रकम धीरे धीरे वो भर देंगे, यह वायदा भी किया। लेकिन दहेज़ लोभियों ने उनकी एक न सुनी। मीनाक्षी के पिता ने अपने सीमित संसाधनों का हवाला देते हुए वर के पिता को मनाने की हज़ार प्रयत्न किए… यहाँ तक कि उनके पैर पर अपनी पगड़ी तक रख दी, परन्तु दहेज़ लोभियों ने उसे ठोकर मार दी। बस बात ही बात में अनुनय विनय, कहा-सुनी में बदल गया।

इतनी देर रात हो जाने के कारण कन्या पक्ष के लोगों की संख्या कम थी; लेकिन अपने आतिथेय के ऐसे अपमान को देख कर कुछ जोशीले लड़की-वालों ने दूल्हे और बारातियों के साथ मार-पीट कर डाली। किसी समझदार ने पास के पुलिस चौकी में खबर कर दी थी, इसलिए बात बहुत आगे बढ़ने से पहले ही पुलिस आ गई और दोनों पक्षों के कुछ समझदार लोगों को बुला कर समझौता कराने की कोशिश भी की। लेकिन दूल्हा और उसके परिजन बिलकुल नहीं माने। पुलिस ने भी हार कर दूल्हे और उसके समस्त परिजनों पर आईपीसी और दहेज़ एक्ट की विभिन्न धाराओं तहद रिपोर्ट दर्ज कर ली।
very nice story
 
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Rocky 1975

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I read 3 times, all'the times I feel something different all'the way. Thank you so much you put your valuable time. I hope you write or wrote else. Hope to see you soon with new flavours...... hope the best..... Chow again
 
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