अपडेट -16
भाभी - अब उतारो मुझे.. या कुच्छ और इरादा है......
मै - इरादा तो बहुत करने का है....
भाभी - मेरे राजा मन मेरा भी बहुत है, कि आप मुझे प्यार करो
लेकिन टाइम बहुत हो चुका है, माजी खेत से आती ही होगी.
मुझे भाभी की बात सही लगी
मैने भाभी के होठों को चुसा और अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गया...
बाहर आते ही मुझे कमला ताई मिल गई.
मै - आ गए ताईजी खेत से
कमला - हा बेटा, आज देर हो गई,, तेरा ताऊ तो नशे में पड़ा है, इसलिए मुझे ज्यादा काम करना पड़ा.
फिर में कमरे मे आ गया, उसके बाद सबके साथ खाना खाया, सभी बच्चे खेलने लगे और मै छोटे ताऊ के घर की तरफ चल पड़ा.
वहाँ पर ताईजी मिली...
मै- बाकी सब कहाँ है.
संतोष ताई - तेरी दादी का सर दर्द कर रहा है तो वे कमरे मे है, बहु राकेश के साथ शहर कपडे लाने गई है, और तेरे ताऊ तो खेत मे ही है.
फिर ताई ने कहा...
संतोष - बेटा तु बैठ मै तेरे ताऊ के पास जा रही हू उनको रोटी देने, और खेत से चारा भी लाना है..
मेने कहा ठीक है ताईजी....
वो खेत मे चली गई..
मै दादी के कमरे की तरफ चला गया... वहाँ पर दादी पंलग पर सो रही थीं... मै उसके पास गया. वो ब्लाउज और घाघरे मे थी...
उसके मोटे मोटे बोबो को देखकर मेरा मन उनको दबाने और पीने का हुआ...
मैने दादी के ब्लाउज के बटन खोल दिये जिससे खरबुजे जैसी मेरी चुचिया मेरे सामने आ गई.. मैने दादी के घाघरे के नाडे को खोलकर धीरे से नीचे खिसका दिया...
मैने दादी की एक चुची को भींचा, दादी थोड़ी सी कसमसाई... वो मेरे हाथ मे पूरी नहीं आई... फिर मे उनको मसलने लगा... जिससे दादी की सिसकारी निकल गई
मै अपना हाथ चुत पर ले गया और दो उंगलियों को दादी की सूखी चुत मे घुसेड दिया...
जिससे दादी को दर्द हुआ और वो हड़बडाकर ऊठ गई... दादी के ऊपर मै था जिस कारण वो उपर नहीं हो पाई...
दादी(दर्द मे) - आआआह... मा... क्या कर रहहहा.. है बेटा...
अपनी आआह.. दादी को मार ही डालेगा क्ययया.. उउउउई.. मा...
मै ऊगलियां अंदर बाहर कर रहा था जिस कारण दादी की लगातार सिसकियां निकल रही थी.
मै तुम्हें कैसे मार सकता हू दादी.., इतना कहा कर मेने अपने होठ उनके लरजते होठों पर रख दिए…
दादी मुझसे कसकर लिपट गयी… मेने उनके नितंबों को अपने हाथों में लेकर कस दिया.. तो वो और ज़ोर से अपनी जांघों को मेरी जांघों से सटाने लगी…
मेरा लंड जो कुच्छ इस दौरान ढीला पड़ गया था.. वो फिरसे अकड़ने लगा और दादी की नाभि में ठोकर मारने लगा…
दादी ने उसे अपनी मुट्ठी में कस लिया और उसे मसल्ते हुए बोली लल्ला ये तुम्हारा मूसल ग़लत रास्ते को ढूंड रहा है.. इसे सम्भालो, नही तो मेरे पेट में ही घुस जाएगा…!
मै - ये अब आपके हवाले है दादी, इसे सही रास्ता दिखना आपका काम है… फिर दादी ने मेरी टीशर्ट निकाल दी और मेरी मजबूत कसरती छाती, जिसपर बाल घने होते जा रहे थे, को सहलाते हुए बोली
पूरे मर्द हो गये हो लल्ला.. क्या मजबूत बना लिया तुमने अपने शरीर को…
एक औरत को ऐसी ही मजबूत छाती चाहिए अपना सर रखने के लिए… बहुत खुश नसीब होगी वो, जिससे तेरा ब्याह होगा...
मे – अभी तो ये आपके लिए है..
ये सुनते ही दादी ने मेरे सीने को चूम लिया और उसे चाटने लगी
मेरे शरीर में सुरसुरी सी होने लगी… और मेने उनको अलग करके उनके दोनो खरबूजों को ज़ोर से मसल दिया…
आअहह……लल्ला.एयाया… इतने ज़ोर से नही रजीईई… हान्ं…प्यार से सहलाते रहो… उफफफफ्फ़…. सीईईईई…ऊहह…
मैने दादी के बोबो पर हाथ रख दिया….. आअहह… क्या मस्त खरबूजे थे दादी के… एकदम गोल-मटोल… बड़े-बड़े, ढीले हो गये थे इस उम्र मे लेकिन फर भी क्या थे वो… जिनपर एक-एक काले अंगूर के दाने जैसे ब्राउन कलर के निपल जो अब खड़े होकर इंच बड़े हो चुके थे…
मेने उन दोनो को अपनी उंगली और अंगूठे में दबाकर मसल दिया….जिससे एक लंबी सी अह्ह्ह्ह…. उनके मूह से निकल गयी..
अब मेने उनकी चुचियों को चूसना, चाटना शुरू कर दिया था, और एक हाथ से मसलने लगा.. दादी मादक सिसकिया लेते हुए… कुच्छ ना कुच्छ बड़बड़ा रही थी…
चूस-चूस कर, मसल-मसल कर मेने उनके दोनो कबूतरों को लाल कर दिया…
जब मेने एक हाथ उनकी बूढी चुत के उपर रखा तो वो पूरी तरह कमरस से तर को चुकी थी… मे उनके पेट को चूमते हुए… उनकी जांघों के बीच बैठ गया..
मैने दादी की चूत पर किस कर लिया….
हइई….लल्ला.. ये क्या करते हो… भला वहाँ भी कोई मूह लगाता है…
मेने झिड़कते हुए कहा… आपको मज़ा आरहा है ना… तो उन्होने हां में सिर हिला दिया …
मेैने फिर कहा तो बस चुप चाप मज़ा लीजिए… मुझे कहाँ क्या करना है वो मुझे करने दीजिए..
वो सहम कर चुप हो गयी.. और आने वाले मज़े में खोने लगी..
मैने उनकी झान्टो के बालों को अपनी मुट्ठी में लेकर हल्के से खींच दिया…
दादी - हइई… बेटटा… खींच क्यों रहे हो…