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पद्मिनी भी कब तक चुदाई की पुरानी यादों के भरोसे रहती , उसको भी रगड़ के चुदाई की इच्छा होने लगी थी शायद प्रकाश की चुदाई की बाते बता बता कर …….
धीरे धीरे उसने मुझे रेस्पॉन्स देना शुरू कर दिया. उसके हाव भाव से मेरे को भी पता चल गया अब लाइन दे रही है. मेने पद्मिनी की आँखों में प्यास देखी. हाँ, अब सही मौका है. अब इसको कहीं बाहर ले जाकर चोदता हूँक्यू की घर में तो हमेशा कभी भी आकाश के आने का खतरा बना रहता था ,और आकाश के मुंबई में रहते हुए में ये रिस्क नहीं ले सकता था। में आगे का प्लान बनाने लगा.
कुछ दिनों बाद एक सुबह नाश्ते के समय मेरे को मौका मिल गया.
आकाश नाश्ता करके उठ गया था.टेबल पर पद्मिनी और में थे. पद्मिनी की नज़रें मेरे से मिलती हैं , में नाश्ता करते हुए उसी को देख रहा था. पद्मिनी शरमा जाती है और चुपचाप नाश्ता करने लगती है. . पद्मिनी ने भी नाश्ता कर लिया था वो उठ कर जाने लगती है . जैसे ही वो मेरी चेयर के पास से गुजरती है तो में पीछे से उसकी बायीं बाँह पकड़ लेताहु . बाँह पकड़ने से पद्मिनी घूम जाती है और उसका मुँह मेरी तरफ हो जाता है .
"छोड़िए ना …….आकाश देख लेंगे ." पद्मिनी फुसफुसाती है.
"मुझे मालूम है तू तड़प रही है. सही कह रहा हूँ ना ?” में भी धीरे से बोलता है.
" जाने दीजिए ना...."
“देख , आज 11 बजे तू ब्राइट होटेल में आ जाना . वहीं तेरी प्यास बुझाऊंगा. आएगी ना ?”
पद्मिनी ने कोई जवाब नही दिया. हाथ छुड़ाने की हल्की कोशिश करती रही. उसकी नज़र रूम की तरफ है , आकाश किसी भी वक़्त बाहर आ जायेंगे और यहाँ ससुरजी हाथ नही छोड़ रहे.
मेने देखा , ये ऐसे नही मानेगी. अब मेने पद्मिनी का हाथ अपने पैंट के ऊपर से लंड पर रख दिया और दबाए रखा.
"देख ये भी तेरे लिए तड़प रहा है."
"उन्न्नह...पापा ...क्या करते हैं. आकाश आ जायेंगे ......छोड़िए मेरा हाथ."
“पहले हाँ बोल……... आएगी ना ?”
“जी……..आऊँगी…...” पद्मिनी को अपनी जान छुड़ाने के लिए कहना ही पड़ा
में पद्मिनी का हाथ छोड़ देता हु .
फिर में आकाश के साथ फैक्ट्री चला गया. वहीं से मेने ब्राइट होटेल में एक रूम बुक करवा लिया.
पद्मिनी भी नाश्ते के बाद अपने बेडरूम में चली गयी.
मेने फैक्ट्री से पद्मिनी को फोन किया . पद्मिनी आ रही है ना , कन्फर्म करने के लिए.
“होटेल में रूम बुक करवा दिया है. आ रही है ना ?”
“ये सही नही है , पापा …..”
“तू डर मत. किसी को पता नही चलेगा. सही ग़लत कुछ नही. मैं तुझे बहुत मज़ा दूँगा.”
“उम्म्म…..”
“शर्माती क्यों है ? मैं हूँ ना तुझे खुश करने के लिए ......चल अब रखता हूँ. तू तैयार हो जाना .”
पद्मिनी नहाने के लिए बाथरूम चली जाती है. नहाने के बाद होटेल जाने के लिए आँतैयार होने लगती है.
पद्मिनी अपना वॉर्डरोब खोलती है . क्या पहनूं ? जिससे पापा रीझ जाएँ. फिर वो एक ब्लैक कलर की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज निकालती है. साथ में ब्लैक पेटीकोट और ब्लैक पैंटी. नेट वाली पैंटी थी बोयशॉर्ट टाइप की , जो V शेप की बजाय स्ट्रिप शेप की होती है और नितंबों का सिर्फ़ ऊपरी हिस्सा ढकती है. ब्लाउज बैकलेस था जिसमे पीठ पर एक पतली स्ट्रिप और एक डोरी थी. बैकलेस ब्लाउज होने से उसने ब्रा नही पहनी. ब्लाउज में बिना ब्रा के उसकी बड़ी चूचियों का शेप साफ दिख रहा था. ब्लाउज के ऊपर साड़ी के पल्लू से चूचियों को ढककर पद्मिनी अपने को मिरर में देखती है. अच्छी लग रही हूँ. खुद ही अपने रूप पर मोहित हो जाती है. फिर हल्का मेकअप करती है ,परफ्यूम डालकर बेडरूम से बाहर आ जाती है.
तैयार होते हुए पद्मिनी को अजीब सा रोमांच हो रहा था. उसका दिल जोरो से धड़क रहा था. कुछ घबराहट सी भी हो रही थी. कुछ ग़लत जैसा भी उसे महसूस हो रहा था. इसी का रोमांच भी था.
10:30 बजे पद्मिनी कार से ब्राइट होटेल के लिए निकल गयी.
उधर में भी फैक्ट्री में आकाश से बैंक में कुछ काम है कहकर होटेल के लिए निकल गया . होटेल पहुँचकर में पद्मिनी का इंतज़ार करने लगा. कुछ ही समय बाद पद्मिनी भी वहाँ पहुँच गयी.
जब पद्मिनी आई तो में देखते रह गया, ब्लैक साड़ी और बैकलेस ब्लाउज में गोरे रंग की पद्मिनी गजब की खूबसूरत लग रही है. मेरा मन प्रसन्न हो गया , आज तो धन्य हो जाऊँगा.
“बहुत खूबसूरत लग रही हो बहू…..”
फिर मेने रिसेप्शन से रूम की चाभी ली और दोनों लिफ्ट से ऊपर रूम में चले गये.
………. होटेल के रूम में आने के बाद मेने पद्मिनी को अपनी बाँहों में भर लिया. कुछ पल उसके खूबसूरत चेहरे को एकटक देखता रहा. . कितनी सुंदर है मेरी बहू …
पद्मिनी ने ससुर को प्यार भरी नज़रों से अपने चेहरे को देखते पाया, शरमाकर उसने अपनी नज़रें झुका ली. फिर मेने धीरे से अपना चेहरा झुकाते हुए पद्मिनी के होठों के करीब अपने होंठ लाया. चुंबन की अपेक्षा में पद्मिनी के होंठ कंपकपाने लगे. में पद्मिनी के रसीले होठों से रस चूसने लगा. पद्मिनी ने आँखें बंद कर ली. उसके होठों को ऐसे ही कुछ पल तक चूसने के बाद मेने पद्मिनी के होठों के बीच जीभ डाल दी. पद्मिनी ने अपना मुँह खोल दिया और ससुर की जीभ से अपनी जीभ मिला दी. कुछ पलों तक दोनों की जीभ एक दूसरे से लिपटी रही फिर चुंबन ने तेज़ी पकड़ ली. फिर मेने पद्मिनी की साड़ी के पल्लू के अंदर ब्लाउज पर दायां हाथ रख दिया और उसकी बिना ब्रा की चूचियों को सहलाने लगा. धीरे धीरे चूचियों पर दबाव बढ़ाकर ब्लाउज के बाहर से ही उनको दबाने लगा.
पद्मिनी के मुँह से घुटी घुटी सिसकारियाँ निकलने लगीं.
“उंगग्गग……...उग्गग……”.
में अपनी जीभ पद्मिनी के मुँह में घुमाने लगा और हाथ से पद्मिनी की बड़ी और नरम चूचियों को पतले ब्लाउज के बाहर से मसलने लगा. पद्मिनी के कड़े हो चुके निपल्स मेने अंगुलियों से महसूस किए.
कुछ देर बाद दोनों के होंठ अलग हो गये. दोनों की साँसें गहरे चुंबन से भारी हो गयी थी.
अब में पद्मिनी की साड़ी उतारने लगा. साड़ी उतरने के बाद अब पद्मिनी सिर्फ़ काले रंगे के पेटीकोट और बैकलेस पतले ब्लाउज में थी. उस पतले ब्लाउज में पद्मिनी की बड़ी बड़ी चूचियां बाहर आने को मचल रही थी.
में अपनी कमीज़ के बटन खोलने लगता हु . पद्मिनी ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी है. मेरे को कपड़े उतारते हुए देखती है पर अपने कपडे नहीं खोलती. में पैंट भी उतार देता है और अब में सिर्फ़ बनियान और अंडरवियर में है. पद्मिनी की नज़रें उसके अंडरवियर पर हैं जिसके अंदर मेरा खड़ा लंड अंडरवियर के कपड़े को बाहर को ताने हुए है.
फिर में पद्मिनी के पीछे जाता है और उसका ब्लाउज उतार देताहु . ब्लाउज उतरते ही पद्मिनी की गोरी बड़ी चूचियाँ नंगी हो जाती हैं. पद्मिनी का कमर से ऊपर का गोरा नंगा बदन नीचे काला पेटीकोट होने से और भी ज़्यादा मादक लग रहा है.
में बेड में नीचे पैर करके बैठ जाताहु और पद्मिनी को साइड पोज़ में अपनी गोद में बिठा लेताहु . बाएं हाथ को पद्मिनी की नंगी पीठ के पीछे से ले जाकर उसकी बायीं बाँह को पकड़ लेता हु और दायीं हथेली को उसकी बायीं चूची के ऊपर रख देता हु और हल्के हल्के सहलाने लगता हु . फिर अपना मुँह पद्मिनी के दाएं गाल के करीब लाता है और उसका गाल चूमता है ,फिर दाएं कान को होठों से चूमता हु और कान के निचले हिस्से को दांतों से खींचताहु .
पद्मिनी गोद में बैठे हुए सिसकती है, “ओह्ह ……………..उन्न्नज्ज्ग….”
फिर में अपने होठों को कान से नीचे को लाता हु और पद्मिनी
की गोरी गर्दन को चूमता हूँ , जीभ लगाकर चाटता हूँ . पद्मिनी उसकी इस हरकत से सनसना जाती है और अपनी गर्दन हटाने की कोशिश करती है.
में अपने होंठ और नीचे लाता है और पद्मिनी के दाएं कंधे को चूमताहूँ और हल्के से दाँत गड़ा देता हु . पद्मिनी आँखें बंद किए हुए उहह….. आह …...करते हुए सिसकती है. मेरे हाथ दोनों चूचियों को दबाते और सहलाते रहते हैं.
फिर दायीं चूची के निप्पल को अपने अंगूठे और दूसरी अंगुली के बीच में पकड़कर मरोड़ता है और घुमाता है , ऐसा ही बायीं चूची पर भी करता है.
पद्मिनी से बर्दाश्त नही हो रहा है. सिसकते हुए उसके होंठ सूखने लगते हैं. वो होठों पर जीभ फिराकर गीला करती है.
में पद्मिनी के दाएं हाथ को अपने कंधे पर डालता हूँ और उसकी दायीं चूची को हाथ से पकड़कर अपने मुँह में भरने की कोशिश करता हूँ . बड़ी चूची है फिर भी जितना हो सके मुँह में भर लेता हूँ और बच्चे के जैसे चूसताहूँ . बहुत मुलायम चूची है. उसके चूची चूसने से पद्मिनी पागल हुई जा रही है. उसकी चूत से रस बहने लगता है. ऐसे ही दोनों चूचियों और उनके निप्पल को चूसता है. कामातुर होकर में पद्मिनी की नरम चूचियों पर ज़ोर से दाँत गड़ा देताहूँ . पद्मिनी दर्द से तड़पती है ……आआहह……
गोरी चूची पर निप्पल के चारो और हल्के भूरे रंग के ऐरोला को में र जीभ से चाटता हूँ और निप्पल को जीभ से छेड़ता हूँ , पद्मिनी से सहन नही होता और वो मेरी गोद में ही उचकने लगती है.
जी भरकर पद्मिनी की चूचियों से खेलने के बाद में पद्मिनी को गोद से उतार देता हूँ . फिर खुद भी खड़ा हो जाता हूँ और अपना अंडरवियर उतार देता हूँ . उसका लंड तना हुआ है
पद्मिनी की नज़र मेरे मोटे और बड़े लंड पर पड़ती है. उत्तेजना से उसके होंठ सूख जाते हैं वो अपनी जीभ फिराकर होठों को गीला करती है.
में देखता है बहू मेरे लंड को देख रही है. में पद्मिनी के कंधे पर हाथ रखकर उसको नीचे झुकाता हु . पद्मिनी समझ जाती है और नीचे बैठकर मेरे लंड को पकड़ लेती है. फिर सुपाड़े को जीभ लगाकर चाटती है. सुपाड़े के नरम माँस पर पद्मिनी की जीभ लगने से में सिसकता हूँ . पद्मिनी एक नज़र ऊपर करके मुझे देखती है फिर सुपाड़े को मुँह में ले लेती है. और अपना मुँह आगे पीछे हिलाकर लंड चूसने लगती है. मुझे मज़ा आ रहा है. में पद्मिनी के सर के पीछे अपने हाथ रख देता हूँ . थोड़ी देर तक चूसने के बाद पद्मिनी लंड को बाहर निकाल लेती है और लार से गीले हुए लंड को अपने हाथ से आगे पीछे करके तेज तेज मूठ मारती है. लंड अब काफ़ी मोटा और कड़ा हो चुका है. पद्मिनी फिर से लंड को मुँह में भर लेती है और चूसने लगती है. एक हाथ से उसने लंड को जड़ पर पकड़ा हुआ है दूसरे हाथ सेमेरी गोलियों को सहलाने लगती है. फिर लंड को मुँह से निकाल देती है और लंड ऊपर को करके जड़ पर चाटती है और गोलियों को चूमती है.
में पगलाए जाता हूँ . आअहह…….क्या चूसती है साली………..कहाँ से सीखी है पता नही………..बहुत एक्सपर्ट हो गयी है.
“आहह………...बहुत मज़ा दे रही हो बहू .” में सिसकताहूँ .
पद्मिनी तारीफ से खुश होती है , सिसकते हुए मुझे देखती है. उसके होठों में मुस्कान आ जाती है. फिर वो और भी ज़ोर से लंड को चूसने लगती है.
में हाथ नीचे ले जाकर पद्मिनी की चूचियों को मसलता हूँ
पद्मिनी इतने मज़े से लंड चूसती है की कुछ देर बाद मुझे लगता है ये तो पानी निकाल देगी. में पद्मिनी के मुँह से लंड बाहर निकालने की कोशिश करता हूँ . पर पद्मिनी लंड नही छोड़ती
में पद्मिनी की पेटीकोट का नाड़ा खोल देता हूँ और पेटीकोट फर्श पर गिर जाता है. पद्मिनी अपने पैरों को उठाकर पेटीकोट निकाल देती है. में देखता है पद्मिनी ने तो फैंसी पैंटी पहनी हुई है. वो और भी एक्साइटेड हो जाता है.
में पदमिनी को बेड में लिटा देता हूँ और खुद उसके ऊपर आ जाताहूँ . पदमिनी के होठों को चूमता हूँ फिर नीचे को खिसकने लगताहूँ . उसकी गर्दन चूमता हूँ और फिर चूचियों को चूसने लगता हैहूँ . निप्पल को चूसताहूँ . पदमिनी सिसकारियाँ लेने लगती है.
“उनन्ं……आअहह…….. ओह्ह …...”
फिर नीचे को खिसकता हूँ और पदमिनी के मुलायम गोरे पेट को चूमताहूँ . उसकी गहरी नाभि को चूमता हूँ फिर जीभ डालकर घुमाता हूँ . पदमिनी तड़पने लगती है.
फिर और नीचे खिसक जाता हूँ . पदमिनी के बाएं पैर के अंगूठे को अपने मुँह में भरकर चूसता हूँ . ऐसे ही दाएं पैर के अंगूठे को भी चूसता हूँ . काम की देवी के बदन के हर हिस्से को चूमना चाहताहूँ . उसकी गोरी टांगों को चूमताहूँ , घुटनों को चूमताहूँ . फिर उसकी मांसल जाँघों को चूमता हूँ . पैंटी के नीचे जाँघों के अंदरूनी हिस्से को जीभ से चाटता हूँ . सेन्सिटिव भाग पर जीभ लगने से पदमिनी गनगना जाती है और अपनी जाँघें हटाने की कोशिश करती है.
अब में पैंटी के ऊपर से चूत पर मुँह लगा देता हूँ . पदमिनी की चूत की मादक गंध मुझे महसूस होती है . कस्तूरी तो यहाँ छुपी है. में पैंटी के बाहर से ही चूत को मुँह में लेने की कोशिश करताहूँ . फिर दोनों हाथों से पैंटी नीचे को खींचताहूँ . पदमिनी अपनी गांड उठाकर पैंटी उतारने में मदद करती है. में पदमिनी की टाँगों से पैंटी उतारकर फर्श में डाल देता हूँ . अब पदमिनी पूरी नंगी हो गयी.
में पदमिनी की चूत को देखताहूँ पदमिनी की पावरोटी जैसी फूली हुई गुलाबी चूत देखकर में कामवासना से पागल हो जाताहूँ . क्या फूली हुई चूत पाई है ! हालाँकि में पद्मिनी को कई बार चोद चूका हु पर हर बार उसकी चूत नयी लगती हे अभी . चूत के ऊपर छोटे छोटे बाल हैं. शायद मेरे जाने के बाद शेव किया है. में तुरंत अपना मुँह चूत पर लगा देता है और फूले हुए होठों को चाटने लगता हूँ . पदमिनी की क्लिट को जीभ से छेड़ देताहूँ
“आअहह…….. ओह्ह …...” पदमिनी सिसकने लगती है.
फिर में पदमिनी की चूत के अंदर जीभ घुसा देता हूँ और अंदर बाहर करने लगता हूँ . पदमिनी की चूत गीली हो रखी है. मेरी जीभ को उसके चूतरस का स्वाद आता है. में जीभ से चूतरस चाटने लगता हूँ . कामोत्तेजित होकर पदमिनी ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगती है और तड़पकर इधर उधर सर हिलाती है . अपने हाथों से चादर को कस के पकड़ लेती है और अपने नितंबों को मेरे मुँह पर उछाल देती है.
“मज़ा आ रहा है पदमिनी ?” पदमिनी को उछलते देख में मुस्कुराता हूँ
प्रकाश होता तो अब तक पदमिनी उसका सर पकड़कर चूत पर दबा देती लेकिन में फिर चूत से जीभ बाहर निकाल लेताहूँ और दो अँगुलियाँ चूत में डालकर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगता हूँ . पदमिनी बहुत उत्तेजित हो जाती है और चूतड़ों को ऊपर उछालने लगती है. कुछ ही देर में चूत से रस बहाते हुए वो झड़ जाती है.
“आअहह……. ओह …………ओइईईईईई…… माँआआ …..आह…….”
अब मेने पदमिनी की चूत से अँगुलियाँ बाहर निकाल ली. दोनों अँगुलियाँ पदमिनी के चूतरस से भीगी हुई थीं. मेने पदमिनी को दिखाते हुए अपनी गीली अंगुलियों को चाट लिया.
उसके बाद मेने पदमिनी की टाँगों को घुटनों से मोड़ लिया और उसकी चूत के छेद में अपने मोटे लंड का सुपाड़ा लगाया. पहला झटका दिया मोटा सुपाड़ा अंदर घुस गया.
“आआआअहह ……ओइईईईईईईईईईईईईई…………...माँआम्म्म्माआआआआआआ…..”मोटा सुपाड़ा टाइट चूत में घुसते ही पदमिनी चिल्लाई.
उसका चिल्लाना देखकर में रुक गया.
“तेरी चूत तो बहुत मजेदार है ”, धीरे धीरे लंड को और अंदर डालने की कोशिश करते हुए में बोलता हूँ
“आआआअहह…….” मोटे लंड से पदमिनी को दर्द हो रहा था.
ऐसा करते करते कुछ देर बाद में अपना पूरा लंड जड़ तक चूत के अंदर घुसाने में सफल हो गया. पूरा लंड घुसने के बाद में कुछ पल रुका रहा. पदमिनी की गरम और टाइट चूत ने मेरे मोटे लंड को बुरी तरह जकड़ लिया.
अबमें धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करके चूत पर धक्के लगाने लगा. पदमिनी को ऐसा लगा जैसे मेरे मोटे लंड ने उसकी टाइट चूत को पूरा भर दिया है.
मोटे लंड के चूत की दीवारों में रगड़ खाने से पदमिनी की सिसकारियाँ निकलने लगी.
“आअहह………...उंगग्गग…………. ओह्ह …..” मुझे तो बड़े लंडो से ही चुदना पसंद है , मोटे मोटे बड़े लंड से | ऐसे लंड का क्या फायदा जो आधी चूत की भी ठीक से न चोद पाए | बड़ा लंड अन्दर तक जब जाता है चूत को गहराई तक चीरता हुआ तो मजा आ जाता है | इसलिए मै चाहती हूँ की बड़े लंड से चुदाई शुरू हो | ओह पापा
“अब मज़ा आ रहा है ना ? ” , पदमिनी को सिसकारियाँ लेते हुए देखकर मेने बोला
“आअहह ………..बहुत मज़ा आ रहा है…..पापा ……ओइईईईई …मर गई आआ अम्मा फट गई मेरी चूत आआ निकालो लण्ड मेरी चूत से आआ. आ आ आआ अउ अउ अउ अउ पेलो जोर से चोदो आ आ मज़ा आ रहा है पूरा लण्ड डाल दो मेरी चूत में राजा आ .
” उत्तेजना में पदमिनी बेशरम होकर अपने चूतड़ों को ऊपर उछालने लगी और मेरे को नीचे से धक्के मारने लगी.
पदमिनी को मज़े में अपनी गांड ऊपर उछालते देखकर में भी हैरान हुआ. पदमिनी को प्रकाश बलकुल कामुक बना गया हे . इसे तो पूरी मस्ती चढ़ गयी है.
अब में भी जोश में आ गया और मेने पदमिनी की चूत में तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए. मेरी गोलियाँ पदमिनी की उठी हुई गांड से टकराने लगी. पूरे कमरे में ठप ठप ठप की आवाज़ गूंजने लगी.
तेज धक्कों से पदमिनी का पूरा बदन हिलने लगा. उसकी बड़ी चूचियाँ छाती पर ऊपर नीचे हिलने लगी.
“ऊऊउीईईई……..ओह…….आआअहह…....उईईई……..माँआम्म्माआ…..” मेरे तेज धक्कों से पदमिनी चिल्लाने लगी और फिर उसको ओर्गास्म आ गया और वो दूसरी बार झड़ गयी.
पदमिनी को झड़ते देखकर मेने धक्के लगाना कम कर दिया और झड़ती हुई पदमिनी के चेहरे के बदलते भावों को देखते हुए मज़े लेने लगा. कुछ देर बाद मेने फिर से स्ट्रोक लगाने शुरू किए और गीली चूत में लंड के अंदर बाहर जाने से कमरे में फच फच फच की आवाज़ गूंजने लगी.
पदमिनी ने मदहोशी में देखा , में धक्के पर धक्के लगाए जा रहा हु में पदमिनी की बड़ी गोरी चूचियों को दोनों हाथ से मसलते हुए धक्के लगाते रहा. पदमिनी थक चुकी थी
कुछ देर बाद मेने पदमिनी की चूत में वीर्य की धार छोड़ दी और उसे लबालब भर दिया. पदमिनी ने अपनी चूत में मेरे गरम वीर्य को महसूस किया.
झड़ने के बाद में थककर पदमिनी के बगल में लेट गया. दोनों के बदन पसीने से भीग गये थे और साँसें उखड़ी हुई थी.
पदमिनी अपने नंगे बदन पर चादर डाल लेती है. पर में नंगा ही पड़ा रहता हूँ
कुछ देर बाद मेने पदमिनी की तरफ करवट ली और उसके चेहरे से बालों की लट हटाते हुए बोला,” मज़ा आया ना ?”
“हाँ ……पापा …..” पदमिनी धीमी आवाज़ में जवाब देती है.
“अब तुझे प्रकाश की फिकर करने की ज़रूरत नही. मैं तुझे ऐसे ही मज़ा दूँगा. ठीक है …?” पदमिनी के गुलाबी गालों पर प्यार से हाथ फेरते हुए में बोला.
“ओह्ह …...पापा …..”
मेने पदमिनी को भी अपनी तरफ करवट पे कर लिया और दोनों के मुँह एक दूसरे की तरफ हो गये. फिर मेने पदमिनी के बदन से चादर कमर तक खिसका दी और उसको आलिंगन में लेकर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराने लगा. और उसके होठों , नाक और गालों को चूमने लगा. पदमिनी ने अपने मुलायम बड़े चूतड़ों पर मेरे खुरदुरे हाथ घूमते हुए महसूस किए.
में और पदमिनी दो बार झड़कर कामतृप्त हो गये थे. 15 मिनट ऐसे ही लेटे रहने के बाद में बेड से उठ गया और अंडरवियर पहनने लगा. मुझे कपड़े पहनते देख पदमिनी भी उठ गयी और फर्श से उठाकर पैंटी पहन ली और पेटीकोट बाँध लिया. फिर ब्लाउज पहनकर साड़ी पहनने लगी.
कपड़े पहनकर दोनों होटेल से बाहर आ गये. दोनों के चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव थे.
फिर में फैक्ट्री चला गया और पदमिनी घर में दिखाने के लिए छोटी मोटी शॉपिंग करने चली गयी. अगले कुछ दिन तक फिर मुझे पदमिनी के साथ कोई मौका नहीं मिलता क्यू की आकाश मेरे साथ ही घर आ जाता था पर पद्मिनी को लेकर रूम में घुस जाता था में बेचैन हो जाता हूँ . पदमिनी को ऑफिस से फोन करता हूँ
“बहुत मन कर रहा है बहू…..”
“ओह्ह….पापा …”
“अच्छा सुन ये बता आकाश कब सोता है ?”
“आकाश तो बेड में जाते ही सो जाते हैं.”
“आज आकाश के सोने के बाद लिविंग रूम में आ जाना. मैं वहीं तेरा इंतज़ार करूँगा.”
“नहीं नहीं ….वो जाग गए तो…”
“ नहीं जागेगा बस तू 15 मिनट के लिए आ जाना.”
“ठीक है कोशिश करूँगी.”
“कोशिश नहीं तू आना ज़रूर .”
“ठीक है …आऊँगी …पापा ...”
रात में डिनर करके पदमिनी आकाश के साथ अपने बेडरूम में चली जाती है. . आधे घंटे बाद में लिविंग रूम में आता हूँ और टीवी देखने लगता हूँ . टीवी तो बहाना है में पदमिनी का इंतज़ार करताहूँ . जब मुझे नींद नहीं आती तोमें अक्सर लिविंग रूम में आकर टीवी देखताहूँ इसलिए मुझे कोई फिक्र नहीं.
उधर पदमिनी बेड में लेट जाती है. आकाश बेड में लेटकर कोई नावेल पढ़ने लगता है. पदमिनी उसके सोने का इंतज़ार करती है. लेकिन आकाश सो नहीं रहा.
“आकाश सो जाओ अब.”
“बहुत इंटरेस्टिंग नावेल है , थोड़ी सी बची है , खत्म करके ही सोऊंगा.”
थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद पदमिनी को नींद आ जाती है.
में टीवी खोले बैठा हूँ , बोर हो रहा हूँ . पर पदमिनी नहीं आ रही. एक डेढ़ घंटे तक इंतज़ार करने के बाद टीवी बंद कर देताहूँ . पदमिनी को कोसता है पता नहीं क्यूँ नहीं आई ? मेरा मन नहीं मानता अपने बेडरूम में जाने की बजाय पदमिनी के बेडरूम के दरवाज़े पर जाकर कान लगाता हूँ . कहीं पदमिनी के ऊपर आकाश तो नहीं चढ़ा हुआ है ? कोई आवाज़ नहीं आ रही , लाइट भी ऑफ है. लगता है सो गयी है. फोन या मैसेज भी नहीं कर सकता कहीं सुनील ना उठा ले . अगले दिन
.
डिनर के पहले में पदमिनी से कहताहूँ ,” आज ज़रूर आ जाना. मैं दरवाजा खुला रखूँगा.”
पदमिनी शरमाती भी है और उसके चेहरे पर मुस्कान भी है ,” हाँ … आऊँगी …पापा ...”
“हाँ हाँ तो कल भी बहुत कह रही थी पर आयी नहीं.”
“आज आऊँगी…...”
डिनर के बाद में अपने कमरे में चला जाता हूँ .
आकाश और पदमिनी अपने बेडरूम में चले जाते हैं.
सोते समय पदमिनी सोचती है आज तो पापा के कमरे में जाना है , कोई सेक्सी लिंजरी पहनती हूँ, जिससे पापा मस्त हो जाए. अपना वॉर्डरोब खोलती है और एक सेक्सी बेबीडॉल नाइटी निकालती है जो उसने कुछ समय पहले खरीदी थी पर कभी पहनी नहीं. पदमिनी अपना पंजाबी सूट उतार देती है और ब्रा भी उतार देती है. पैंटी के ऊपर बेबीडॉल नाइटी पहन लेती है जो पूरी पारदर्शी है. और उसमें पदमिनी की पैंटी साफ दिखती है.
उधर में अपने बेडरूम की लाइट ऑफ करके नाइट बल्ब ऑन कर देता हैहूँ . मेरी पदमिनी कब आएगी , बेड में लेटे हुए इंतज़ार करता हूँ
आकाश देखता है पदमिनी बेबीडॉल में बहुत ही मादक लग रही है. उसका मन मचल जाता है और वो कामातुर हो उठता है. आकाश सोचता है पदमिनी मुझे रिझाने के लिए इतनी सेक्सी नाइटी पहन रही है.
“ये कब ली तुमने ? बहुत ही सेक्सी लग रही हो.”
“ ले आई थी. पर पहनी नहीं.”
“पीछे मुड़ के दिखाओ.”
पदमिनी को आकाश से ऐसे रिएक्शन की उम्मीद नहीं थी. आकाश को आकर्षित होते देखकर वो खुश होती है और पीछे घूम जाती है.
आकाश देखता है पीछे से पदमिनी की पैंटी में सिर्फ़ एक पतली डोरी है और पदमिनी के गोरे बड़े नितंब नंगे दिख रहे हैं.
वो बेड से उठता है और पदमिनी को अपने आलिंगन में कसकर उसके होंठ चूमने लगता है.
पदमिनी सोचती है , वाह रे बेबीडॉल , आकाश तो बहुत एक्साइटेड हो गया है.
आकाश थोड़ी देर तक पदमिनी को चूमता है फिर उसको गोदी में उठाकर बेड में लिटा देता है.
आज सुरूर में है आकाश . पदमिनी को भी अच्छा महसूस हो रहा है.
पदमिनी को बेड में लिटाने के बाद आकाश अपने कपड़े उतारकर फेंक देता है. चुदाई की जल्दबाज़ी में है. आकाश का लंड तन के फनफना रहा है , झटके मार रहा है. पदमिनी भी खड़े लंड को देखकर उत्तेजित होने लगती है. मेरे पास जाना है, भूल ही गयी
उधर में बेड में लेटे हुए बेचैन हो रहा हूँ . लगता है साली आज भी सो गयी है.
नंगा होकरआकाश पदमिनी की पैंटी उतार कर फर्श में फेंक देता है. उसकी बेबीडॉल उतारता नहीं पर ऊपर को चूचियों तक खींच देता है. नंगी पदमिनी के ऊपर लेट जाता है और उसकी बड़ी चूचियों को मुँह में भरकर चूसने लगता है. आकाश तो सीधे चुदाई करने वालों में था , आज चूची चूसने का मन कैसे हो गया. पदमिनी भी खुश होती है. और खूब मज़े से अपनी चूची चुसवाती है.
आकाश थोड़ी देर तक दोनों चूचियों को मसलता है उनका निपल मुँह में भरता है , पदमिनी कामोत्तेजना से पागल हुई जाती हे , उसकी चूत रस छोड़ने लगती है.लेकिन आकाश अपने लंड को सहलाता रहता हे तब पद्मिनी को गुस्सा आ जाता हे और वो चिल्लाती हे अबे भोसड़ी के सामने गुलाबी कमसिन गुलाबी चिकनी चूत खुली पड़ी है और तू भोसड़ी के जो है अपने लंड को मसल रहा है कम से कम साला अपने मुंह लगाकर इसको चाट कर तो देख इसका स्वाद कितना स्वादिष्ट होता है |
अब आकाश पदमिनी की गोरी मांसल जाँघों को दोनों हाथों में पकड़ता है और फैला देता है. खुद उसकी टाँगों के बीच आकर पदमिनी की गुलाबी चूत के छेद में अपने लंड का टोपा लगाता है. पदमिनी की चूत सनसनाने लगती है. आकाश ल एक झटका देता है और पूरा लंड एक ही बार में पदमिनी की चूत में घुसा देता है.
“आअहह….ओह…...” , पदमिनी ज़ोर से सिसकारी लेती है. चूत में लंड घुसने का मज़ा ही कुछ और है.
आकाश अपने लंड पर पदमिनी की चूत की गर्मी महसूस करता है. कामोन्माद में भरकर गीली चूत में धक्के मारने लगता है.
“ओह्ह आकाश …...आअहह…...” पदमिनी मस्ती में सिसकने लगी.
कमरे में ठप.. ठुप... ठप... ठुप की आवाज़ें गूंजने लगती है. . आकाश अपनी खूबसूरत और मादक बीवी की चूत में लंड पेल रहा है.
“आअहह आकाश …. और जोर से चोदो ...आह…..आअहह…...” पदमिनी कामुक अंदाज में आकाश को और जोर से चोदने को उकसाती है.
थोड़ी देर में पदमिनी की गरम चूत ने आकाश के लंड से पानी निचोड़ लिया. पदमिनी वैसी की वैसी ही प्यासी रह गयी जैसे वो अक्सर रह जाया करती थी
आकाश आहह……भरते हुए पदमिनी की चूत में वीर्य छोड़ देता है.
कामसंतुष्टि से खुश होकर आकाश तो अपने बेड में नंगा लेट जाता है. गहरी साँसें लेते हुए वो थोड़ी देर सीधा लेटे रहता है. पदमिनी भी साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रही है. कुछ देर बाद पदमिनी की तरफ पीठ करके करवट पे लेट जाता है . कुछ ही देर में खर्राटे लेने लगता है. पद्मिनी को अपने ओर्गेस्म नहीं आने पर आकाश पर गुस्सा आता रहता हे
आकाश को खर्राटे लेते देखकर पदमिनी बेड से उठती है और फर्श से उठाकर अपनी पैंटी पहन लेती है. फिर आकाश की साइड में जाकर उसे चादर ओढ़ा देती है . बेडरूम की लाइट ऑफ कर देती है और चुपचाप रूम से बाहर आ जाती है.
पदमिनी मेरे बेडरूम में आती है. धीरे से दरवाज़े को खोलती है, में बेड में लेटा हुआउसका इंतजार करता हुआ मिलता हूँ
नाइट बल्ब की बहुत हलकी रोशनी में पदमिनी को बेबीडॉल में देखता हूँ . बहुत ही कामुक लग रही है पदमिनी .
मेरा लंड सीधे छत की तरफ खड़ा हो जाता है. में बेड से उठताहूँ और पदमिनी को अपनी बाँहों में भरकर बेतहाशा चूमता हूँ
फिर दरवाज़े में लॉक लगा देताहूँ . पदमिनी की बेबीडॉल और पैंटी उतारकर फर्श में फेंक देता हूँ . पदमिनी को नंगी बेड में पटक देता हूँ . और अपने कपड़े उतारकर नंगा हो जाता हूँ
मेरे के लंड से प्री-कम निकलने लगता है. आह…...कयामत है साली. नंगी देखने भर से मेरा पानी निकाल देती है.
पदमिनी मेरा तना हुआ लंड देखती हैतो कहती हे . उफ कितना बड़ा और मोटा है लंड हे आपका . जो खाते हैं इसी में लगता है शायद. उसकी चूत में फूरफ़ुरी दौड़ जाती है.
में बेड में आकर पदमिनी की एक चूची को मुँह में भर लेता है और दूसरी चूची को ज़ोर से मसलता हूँ .
“आहह…..” पापा बड़े बेरहम हैं, हाथ भी कितने सख़्त हैं.
थोड़ी देर चूचियों को चूसकर में नीचे को खिसक जाताहूँ . पदमिनी की फूली हुई चूत के होठों पर जीभ लगाताहूँ
“ओह्ह…उनन्नज्ग…. आहह ….” अपनी मुलायम चूत पर मेरी खुरदूरी जीभ लगने से पदमिनी सिसकती है.
में क्लिट को जीभ से कुरेदता हूँ चूत के होठों में गीलापन महसूस करताहूँ
में खुश हो जाता है. बहू मेरे लिए बहुत गीली हो रखी है.
“ लगता है तू भी मेरे लिए बहुत तड़प रही है.”
“उनन्न…..पापा ……”
अब में पदमिनी की चूत में जीभ घुसा देता हूँ . चूत की दीवारों पर जीभ घुमाता हूँ
जीभ में कुछ अजीब सा स्वाद आता है. आज बहू की चूत का स्वाद कुछ अजीब है , चूतरस गाढ़ा सा महसूस हो रहा है. क्या बात ?
में अपनी जीभ को चूत से बाहर निकाल लेता हूँ . चूत के अंदर दो अँगुलियाँ डाल कर अंदर बाहर करता है.
“आअहह…...ओह्ह…..उनन्नज्ज्ग……” पदमिनी आँखें बंद करके सिसकारियाँ लेती रहती है.
में अपनी अँगुलियाँ बाहर निकलता हूँ आकाश का वीर्य मेरी अंगुलियों में चिपक जाता है.
में देखता है अँगुलियाँ सफेद हो रखी हैं , चूतरस नहीं है , ये तो साला वीर्य लग गया मेरी अंगुलियों में.
“बहू , ये तेरी चूत में तो ……... आकाश ने चोदा क्या तुझे ?”
“हाँ …पापा .” पदमिनी शरमाते हुए धीमे से बोलती है.
अब पदमिनी भी आँखें खोल के मेरे को देख रही है और में अपनी अंगुलियों को देख रहाहूँ .
धत तेरे की………साली ने आकाश का वीर्य चटा दिया मुझे …..
“पहले क्यूँ नहीं बताया तूने ?”
“ओह्ह….पापा ……आपने मौका ही कहाँ दिया …” पदमिनी धीमे से मादक आवाज़ में जवाब देती है.
में पदमिनी को पकड़कर बाथरूम ले जाता हूँ . वहाँ उसकी चूत में अपनी अंगुलियों को डालकर पानी से साफ करता हूँ और चूत के आस पास भी पानी से धोता हूँ . .
फिर तौलिए से पदमिनी की चूत पोंछकर उसे बेड में पेट के बल लिटा देता हूँ . पदमिनी की गोरी बड़ी गांड पहाड़ जैसी ऊपर को उठी है. में अपने दोनों हाथों से पदमिनी के नितंबों को मसलताहूँ . फिर अपना मुँह नितंबों पर लगा देताहूँ
. उन्हें चूमने और चाटने लगता हूँ . दोनों नितंबों को खूब चाटता हूँ . मेरे चाटने से पदमिनी के बड़े नितंब हिलते हैं. पदमिनी नीचे को मुँह किए लेटी रहती है और गुदगुदी का मज़ा लेती है. मस्त गांड है पदमिनी की, में बहुत कामातुर हो जाता हूँ और नितंबों पर दाँत गड़ाने लगता हूँ .
“आउच…...” पदमिनी दर्द से चिल्लाती है और अपना दायां हाथ पीछे ले जाकर नितंबों को मेरे र से बचाने के लिए हथेली से ढकने का प्रयास करती है. में उसकी हथेली हटाता हूँ , वो फिर से लगा देती है और मेरे को अपने नितंबों पर दाँत नहीं गड़ाने देती.
में नीचे को बढ़ जाता है. पदमिनी की मांसल जांघों को चूमता हूँ , चाटता हूँ , उन पर हल्के से दाँत लगाता हूँ . पदमिनी गदरायी हुई है , उसकी गोरी गोरी मोटी जांघों को में अपनी लार से गीला कर देता हूँ फिर घुटनों के पीछे वाले हिस्से को चूमताहूँ
उसके बाद में नंगी लेटी हुई पदमिनी के ऊपर आ जाता हूँ .मेरा मोटा लंड पदमिनी को अपनी गांड में चुभता है. फिर में उसके बालों को हटाकर गर्दन के पीछे चूमता हूँ . पीछे से मुँह घुसाकर पदमिनी के गालों को चूमने की कोशिश करता हूँ . फिर उसके कान में जीभ घुसा देता हूँ , कान को चाटता हूँ और कान के निचले सिरे को होंठो में दबाकर खींचता हूँ . मेरी इन हरकतों से पदमिनी की उत्तेजना बढ़ने लगती है. में उसके कंधों को चूमता हूँ फिर पूरी नंगी पीठ को चूमता हूँ . पूरे बदन को चूमने और चाटने से पदमिनी गनगना जाती है. उसकी चूत फिर से गीली होने लगती है. चुदाई का मन होने लगता है पर में देर कर रहे हूँ . पदमिनी के नंगे बदन से मेरा मन ही नहीं भर रहा. उसे चूमने चाटने में मेरे र को बहुत मज़ा मिल रहा है.
पीठ को चूमते चूमते में फिर से नितंबों पर आ जाता है. दोनों नितंबों को हाथों से दबाताहूँ , मुलायम नितंबों को मसलता हु पदमिनी सोचती है , आकाश फोरप्ले नहीं करता सीधे चुदाई पे आ जाता है , यहाँ पापा मेरे नितंबों के पीछे पड़े हैं. आज इनको खा ही जाएँगे शायद. उसे अच्छा भी बहुत लग रहा है. पर अब सहन नहीं हो रहा , चुदाई की तड़प हो रही है.
में दोनों हाथों से पदमिनी के नितंबों को पकड़कर अलग अलग खींचताहूँ और पहाड़ जैसे नितंबों के बीच की दरार में मुँह घुसा देता हूँ . पीछे से पदमिनी की चूत के फूले हुए होठों को जीभ से चाटता हूँ , पदमिनी के बदन में कंपकपी दौड़ जाती है वो अपने नितंबों को मेरे मुँह पर उछालती है और नितंबों को इधर उधर हिलाती है. पर मेरी उस की नितंबों पर मजबूत पकड़ है . फिर में चूत के अंदर दो अँगुलियाँ घुसा देता हूँ चूत गीली हो रखी है मेरी अँगुलियाँ चूतरस से भीग जाती हैं. अंगुलियों को चूत में अंदर बाहर करता हु
“आह …...उूउउफ़फ्फ़…...” पदमिनी आँखें बंद करके सिसकती है.
थोड़ी देर चूत में अंगुली करने के बाद में अँगुलियाँ बाहर निकाल लेताहु . अब में पदमिनी के ऊपर लेट जाता हु , दो तीन धक्के गांड पर ऐसे ही लगाता हूँ , ड्राइ हमपिंग करता हूँ . फिर पदमिनी के घुटने अंदर को मोड़ देता हूँ . पदमिनी की बड़ी गांड ऊपर को उठ जाती है. पदमिनी समझ जाती है अब में कुतिया बनाकर चोदने वाला हूँ . पदमिनी अपने हाथों और घुटनों के बल कुतिया बन जाती है. और अपनी चूत में लंड घुसाने का इंतज़ार करती है.
में समझ जाता है अब बहू लंड लेने को तड़प रही है , उससे सहन नहीं हो रहा.
में अपने लंड को दो तीन बार हाथ से हिलाता हूँ और पदमिनी की बड़ी गांड के पीछे घुटनों के बल आ जाता हूँ . अपने लंड के सुपाड़े को पदमिनी की चूत के छेद पर लगाता है और एक झटका देता हूँ . गीली चूत में मोटा सुपाड़ा घुस जाता है.
“आअहह……….ओह…….” मोटा सुपाड़ा टाइट चूत के अंदर घुसते ही पदमिनी सिसकारी लेती है.
,मुझे डर भी है की साली ज़ोर से चिल्लाएगी तो आकाश को नींद से उठा देगी. में अंगुली नीचे ले जाकर पदमिनी की क्लिट को मसलने लगता हूँ
पदमिनी निचले होंठ को दांतो के बीच दबाकर मोटे लंड से चूत में हो रहे दर्द को सहन करने की कोशिश करती है. कुछ पल बाद में धीरे धीरे बाकी लंड भी चूत में घुसाने लगता हूँ
“आअहह…..उफ़फ्फ़……..ओह…….उनन्नगज्गग……” पदमिनी दर्द सहन करने की कोशिश करती है. उफ पापा आपका का लंड बहुत मोटा है.वो कहती हे
धीरे धीरे करते हुए में पूरे लंड को जड़ तक पदमिनी की चूत में घुसाने में सफल हो जाता है. और पूरा घुसाने के बाद फिर से कुछ पल रुकता है और पदमिनी की चूत को रिलैक्स होने का मौका देता हूँ .
फिर में हल्के हल्के धक्के लगाकर लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगताहूँ . चूत की दीवारों पर लंड हल्के से रगड़ खाते हुए फिसलता है, पदमिनी को उस रगड़ से मज़ा मिलने लगता है. उसकी चूत और ज़्यादा गीली होने लगती है.
में पदमिनी की कमर को दोनों हाथों से पकड़े हुए हूँ और चूत में धक्के मार रहाहूँ . पदमिनी की चूत की गर्मी मेरे लंड को पिघला रही है. मुझे बहुत आनंद आ रहा है. मस्ती में पदमिनी को चोदते रहता हूँ
“आह …...उफफफ्फ़…....ओह……..उूउउ…….. आह …” पदमिनी कामोन्माद में सिसकारियाँ लेने लगती है.
“आ रहा है ना मज़ा , मेरी पदमिनी रानी ? “
“ओह्ह …..पापा …”, पद्मिनी चिल्ला-चिल्ला कर लंड ले रही थी- अहह.. हमम्म् उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह और तेज़ मादरचोद.. अहह प्लीज़ फाड़ दो मेरी चूत को.. और अन्दर तक डाल फाड़ दे आज.. मेरी बुर.. आह.. मज़ा आ रहा है.. चोद अपनी रंडी को.. और चोद मादरचोद.. और तेज़ से चोद..चोदो.. .. मैं .. कब से मोटे लंड से चुदवाना चाह रही थी.. .. ऊऊ.. एया या.. ऊ ऊओ.. मार.. गैइ इ.. चुद गई.. चूत .. मेरी.. फट.. गई..आ आह ह ऊऊ.. आ आहह.. आ आ.. चोदो.. .. चोदो.. अपनी घोड़ी को.. चूत.. को मज़े से भर दो..पापा .. मोटा लंड मस त्टत्त.. है.. चोदो.. .. आ आ अह ह.. चोद.. .. आ आ अहह.. मेरे.. घोड़े.. घोड़ी.. को.. ऊपर.. चढ़ कर.. चोदो.. .. घोड़ी की चूत मा आरू.. .. अया.. हम म्म्म.. ऊ ऊ ऊ.. रीई ए.. मार.. गई.. ऊ ऊ ऊओ.. ऊ ऊ ओ.. आ आ आ.. चूत.. मस्त हो गई.. ..मज़ा आ रहा है एये ए आहा आ हा.. चोदो.. चोदो.. और चोदो.. चूत को फाड़ दो.. आहा आ आ .. आ.. आ.. ऊओ.. उई मा आ.. ओहो ऊवू हा अ.. चोदो.. मज़ा आ रहा है.. .. ज़ोर.. से चोदो.. ओ.. ऊ.
“और ज़ोर से चोदूँ ?” में पदमिनी से मज़े लेता हु
“हाँ …… पापा …..और ज़ोर से…....” धीमी कामुक आवाज़ में पदमिनी मुझे उत्साहित करती है.
अब में तेज तेज धक्के लगाने लगता हूँ पदमिनी का पूरा बदन ज़ोर ज़ोर से झटके खाने लगता है , धक्कों की मार से वो आगे को गिरने लगती है पर में उसकी कमर को कसकर पकड़े रहताहूँ . मेरा मोटा लंड पदमिनी की चूत को बुरी तरह से रौंदने लगता है . में पद्मिनी को कहने लगा आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ सर थोड़ा धीईरीईईईई रीईईईईए ,हहन्हान्हान्हन मेरी गुलाबी चूत, तुझे अपनी रानी बना लूंगा, तुझे पूरी की पूरी रंडी बना दूगा, ओह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी जान, बस ऐसे ही चुदती रह तू |
“ओह…....ओइईईईई………..उफफफफफ्फ़… जोर से चोदो पापा .” पदमिनी को दर्द और कामसुख दोनों एक साथ मिल रहे हैं. में बोला चोद तो रहा हूँ साली रंडी की औलाद | क्या रंडी की चूत लेकर पैदा हुई है साली, इतना कसकर चोद रहा हूँ, फिर भी मरी जा रही है लंड के लिए साली हरामन कुतिया | कितना भी चोदो भूखी की भूखी ही रहती है | साली आधा घंटा हो गया है अपने मुसल लंड से तेरी चूत कूटते कूटते मसलते मसलते, इसकी चुदास अभी भी उतनी ही बरक़रार है |झड साली रंडी की औलाद आज तुझे रात पर बरसाऊंगा, रात पर ऐसे ही टप टप कर तेरी चूत बहेगी और तू ऐसे ही कांप काँप कर झाड़ेगी |
पदमिनी की बड़ी चूचियाँ नीचे को लटककर धक्कों से आगे पीछे हिलने लगती हैं. में बीच बीच में हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियों को मसलने लगता हूँ और धक्के लगाते रहता है.
कुछ देर बाद पदमिनी को ओर्गास्म आ जाता है और वो तेज सिसकारी लेते हुए झड़ जाती है.
“ऊऊऊऊओह…….ओइईईईईई ….माआआआअ……आअहह..”
पदमिनी को झड़ते देख में धक्कों की रफ़्तार कम कर देता हूँ . पदमिनी जब शांत पड़ जाती है तो में फिर से तेज शॉट मारने लगताहूँ
अब मेरे धक्कों की मार से पदमिनी थकने लगी है पर में रुकने का नाम नहीं लेता .
कुछ देर बाद पदमिनी दूसरी बार झड़ जाती है. पर में नहीं रुकता .
में पदमिनी को चोदते रहता हूँ और पदमिनी झड़ती रहती है और झड़ती रहती है और झड़ती रहती है ….ना जाने कितनी बार ………..
अब पदमिनी बुरी तरह थक चुकी है, उसकी चूत भी दर्द करने लगी है. उसने अपना सर बेड पर टिका दिया.
“बस करिए पापा ……....अब बहुत हो गया…...दर्द होने लगा है…...”
में कोई जवाब नहीं देता मुझे अपना ओर्गास्म निकालने की पड़ी है.
“प्लीज़ पापा ….अब बस…..” पदमिनी विनती करती है.
“बस थोड़ा सा…….निकलने वाला है.” में दिलासा देताहूँ .
पदमिनी थोड़ी और देर तक उसके धक्कों को सहन करती है. 30 - 40 मिनट तक लगातार चोदने के बाद में पदमिनी की चूत को वीर्य से लबालब भर देता हूँ . इतनी देर में तो वो दो बार झड़ जाता था पर आज की बात कुछ और थी. पदमिनी भी मेरे स्टैमिना को मान गयी.
में पदमिनी
के बगल में लेट जाताहूँ पदमिनी थककर चूर हो गयी है. उल्टे मुँह पड़ी रहती है. मेरी और उसकी दोनों की साँसें उखड़ गयी हैं. दोनों ही हाँफने लगते हैं. अब कमरे में ठप ठप की आवाज़ें आना बंद हो गयी हैं , ना ही पदमिनी की सिसकारियों की आवाज़ आ रही है. सिर्फ़ दोनों के गहरी साँसें लेने की आवाज़ आ रही है.
5 मिनट तक दोनों ऐसे ही पड़े रहते हैं कोई कुछ नहीं बोलता.
फिर पदमिनी बेड से उठती है और फर्श से उठाकर अपनी पैंटी पहनने लगती है. मै पदमिनी को पैंटी पहनते हुए देखता हूँ . पदमिनी बेबीडॉल को पहनने लगती है.
“सुबह और आना , आकाश के उठने से पहले.”
“अब नहीं आऊँगी …”
“क्यूँ ..?” में चौंकता हूँ
“आप रुकते ही नहीं , हालत खराब कर देते हो…..” पदमिनी मुँह बनाती है.
हाहाहा…….में हंसता हूँ
“बहुत मज़े लिए तूने , अब नखरे कर रही है.”
पदमिनी शरमाकर मुस्कुराती है.
“गुडनाइट पापा ..” पदमिनी मेरे बेडरूम से बाहर निकलने लगती है.
“नहीं ऐसे नहीं….. “, मेने बेड में लेटे लेटे अपने गाल की तरफ इशारा किया
पदमिनी मुँह बनाती है, पापा बच्चे बन रहे हैं. दरवाज़े से वापस मेरे पास आती है, मेरा गाल चूमकर गुडनाइट कहती है और फिर कमरे से बाहर चली जाती है.
अपने बेडरूम में दबे पाँव आकर बेड में सो जाती है. खूब चुदी है , आज मीठी नींद आएगी…
धीरे धीरे उसने मुझे रेस्पॉन्स देना शुरू कर दिया. उसके हाव भाव से मेरे को भी पता चल गया अब लाइन दे रही है. मेने पद्मिनी की आँखों में प्यास देखी. हाँ, अब सही मौका है. अब इसको कहीं बाहर ले जाकर चोदता हूँक्यू की घर में तो हमेशा कभी भी आकाश के आने का खतरा बना रहता था ,और आकाश के मुंबई में रहते हुए में ये रिस्क नहीं ले सकता था। में आगे का प्लान बनाने लगा.
कुछ दिनों बाद एक सुबह नाश्ते के समय मेरे को मौका मिल गया.
आकाश नाश्ता करके उठ गया था.टेबल पर पद्मिनी और में थे. पद्मिनी की नज़रें मेरे से मिलती हैं , में नाश्ता करते हुए उसी को देख रहा था. पद्मिनी शरमा जाती है और चुपचाप नाश्ता करने लगती है. . पद्मिनी ने भी नाश्ता कर लिया था वो उठ कर जाने लगती है . जैसे ही वो मेरी चेयर के पास से गुजरती है तो में पीछे से उसकी बायीं बाँह पकड़ लेताहु . बाँह पकड़ने से पद्मिनी घूम जाती है और उसका मुँह मेरी तरफ हो जाता है .
"छोड़िए ना …….आकाश देख लेंगे ." पद्मिनी फुसफुसाती है.
"मुझे मालूम है तू तड़प रही है. सही कह रहा हूँ ना ?” में भी धीरे से बोलता है.
" जाने दीजिए ना...."
“देख , आज 11 बजे तू ब्राइट होटेल में आ जाना . वहीं तेरी प्यास बुझाऊंगा. आएगी ना ?”
पद्मिनी ने कोई जवाब नही दिया. हाथ छुड़ाने की हल्की कोशिश करती रही. उसकी नज़र रूम की तरफ है , आकाश किसी भी वक़्त बाहर आ जायेंगे और यहाँ ससुरजी हाथ नही छोड़ रहे.
मेने देखा , ये ऐसे नही मानेगी. अब मेने पद्मिनी का हाथ अपने पैंट के ऊपर से लंड पर रख दिया और दबाए रखा.
"देख ये भी तेरे लिए तड़प रहा है."
"उन्न्नह...पापा ...क्या करते हैं. आकाश आ जायेंगे ......छोड़िए मेरा हाथ."
“पहले हाँ बोल……... आएगी ना ?”
“जी……..आऊँगी…...” पद्मिनी को अपनी जान छुड़ाने के लिए कहना ही पड़ा
में पद्मिनी का हाथ छोड़ देता हु .
फिर में आकाश के साथ फैक्ट्री चला गया. वहीं से मेने ब्राइट होटेल में एक रूम बुक करवा लिया.
पद्मिनी भी नाश्ते के बाद अपने बेडरूम में चली गयी.
मेने फैक्ट्री से पद्मिनी को फोन किया . पद्मिनी आ रही है ना , कन्फर्म करने के लिए.
“होटेल में रूम बुक करवा दिया है. आ रही है ना ?”
“ये सही नही है , पापा …..”
“तू डर मत. किसी को पता नही चलेगा. सही ग़लत कुछ नही. मैं तुझे बहुत मज़ा दूँगा.”
“उम्म्म…..”
“शर्माती क्यों है ? मैं हूँ ना तुझे खुश करने के लिए ......चल अब रखता हूँ. तू तैयार हो जाना .”
पद्मिनी नहाने के लिए बाथरूम चली जाती है. नहाने के बाद होटेल जाने के लिए आँतैयार होने लगती है.
पद्मिनी अपना वॉर्डरोब खोलती है . क्या पहनूं ? जिससे पापा रीझ जाएँ. फिर वो एक ब्लैक कलर की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज निकालती है. साथ में ब्लैक पेटीकोट और ब्लैक पैंटी. नेट वाली पैंटी थी बोयशॉर्ट टाइप की , जो V शेप की बजाय स्ट्रिप शेप की होती है और नितंबों का सिर्फ़ ऊपरी हिस्सा ढकती है. ब्लाउज बैकलेस था जिसमे पीठ पर एक पतली स्ट्रिप और एक डोरी थी. बैकलेस ब्लाउज होने से उसने ब्रा नही पहनी. ब्लाउज में बिना ब्रा के उसकी बड़ी चूचियों का शेप साफ दिख रहा था. ब्लाउज के ऊपर साड़ी के पल्लू से चूचियों को ढककर पद्मिनी अपने को मिरर में देखती है. अच्छी लग रही हूँ. खुद ही अपने रूप पर मोहित हो जाती है. फिर हल्का मेकअप करती है ,परफ्यूम डालकर बेडरूम से बाहर आ जाती है.
तैयार होते हुए पद्मिनी को अजीब सा रोमांच हो रहा था. उसका दिल जोरो से धड़क रहा था. कुछ घबराहट सी भी हो रही थी. कुछ ग़लत जैसा भी उसे महसूस हो रहा था. इसी का रोमांच भी था.
10:30 बजे पद्मिनी कार से ब्राइट होटेल के लिए निकल गयी.
उधर में भी फैक्ट्री में आकाश से बैंक में कुछ काम है कहकर होटेल के लिए निकल गया . होटेल पहुँचकर में पद्मिनी का इंतज़ार करने लगा. कुछ ही समय बाद पद्मिनी भी वहाँ पहुँच गयी.
जब पद्मिनी आई तो में देखते रह गया, ब्लैक साड़ी और बैकलेस ब्लाउज में गोरे रंग की पद्मिनी गजब की खूबसूरत लग रही है. मेरा मन प्रसन्न हो गया , आज तो धन्य हो जाऊँगा.
“बहुत खूबसूरत लग रही हो बहू…..”
फिर मेने रिसेप्शन से रूम की चाभी ली और दोनों लिफ्ट से ऊपर रूम में चले गये.
………. होटेल के रूम में आने के बाद मेने पद्मिनी को अपनी बाँहों में भर लिया. कुछ पल उसके खूबसूरत चेहरे को एकटक देखता रहा. . कितनी सुंदर है मेरी बहू …
पद्मिनी ने ससुर को प्यार भरी नज़रों से अपने चेहरे को देखते पाया, शरमाकर उसने अपनी नज़रें झुका ली. फिर मेने धीरे से अपना चेहरा झुकाते हुए पद्मिनी के होठों के करीब अपने होंठ लाया. चुंबन की अपेक्षा में पद्मिनी के होंठ कंपकपाने लगे. में पद्मिनी के रसीले होठों से रस चूसने लगा. पद्मिनी ने आँखें बंद कर ली. उसके होठों को ऐसे ही कुछ पल तक चूसने के बाद मेने पद्मिनी के होठों के बीच जीभ डाल दी. पद्मिनी ने अपना मुँह खोल दिया और ससुर की जीभ से अपनी जीभ मिला दी. कुछ पलों तक दोनों की जीभ एक दूसरे से लिपटी रही फिर चुंबन ने तेज़ी पकड़ ली. फिर मेने पद्मिनी की साड़ी के पल्लू के अंदर ब्लाउज पर दायां हाथ रख दिया और उसकी बिना ब्रा की चूचियों को सहलाने लगा. धीरे धीरे चूचियों पर दबाव बढ़ाकर ब्लाउज के बाहर से ही उनको दबाने लगा.
पद्मिनी के मुँह से घुटी घुटी सिसकारियाँ निकलने लगीं.
“उंगग्गग……...उग्गग……”.
में अपनी जीभ पद्मिनी के मुँह में घुमाने लगा और हाथ से पद्मिनी की बड़ी और नरम चूचियों को पतले ब्लाउज के बाहर से मसलने लगा. पद्मिनी के कड़े हो चुके निपल्स मेने अंगुलियों से महसूस किए.
कुछ देर बाद दोनों के होंठ अलग हो गये. दोनों की साँसें गहरे चुंबन से भारी हो गयी थी.
अब में पद्मिनी की साड़ी उतारने लगा. साड़ी उतरने के बाद अब पद्मिनी सिर्फ़ काले रंगे के पेटीकोट और बैकलेस पतले ब्लाउज में थी. उस पतले ब्लाउज में पद्मिनी की बड़ी बड़ी चूचियां बाहर आने को मचल रही थी.
में अपनी कमीज़ के बटन खोलने लगता हु . पद्मिनी ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी है. मेरे को कपड़े उतारते हुए देखती है पर अपने कपडे नहीं खोलती. में पैंट भी उतार देता है और अब में सिर्फ़ बनियान और अंडरवियर में है. पद्मिनी की नज़रें उसके अंडरवियर पर हैं जिसके अंदर मेरा खड़ा लंड अंडरवियर के कपड़े को बाहर को ताने हुए है.
फिर में पद्मिनी के पीछे जाता है और उसका ब्लाउज उतार देताहु . ब्लाउज उतरते ही पद्मिनी की गोरी बड़ी चूचियाँ नंगी हो जाती हैं. पद्मिनी का कमर से ऊपर का गोरा नंगा बदन नीचे काला पेटीकोट होने से और भी ज़्यादा मादक लग रहा है.
में बेड में नीचे पैर करके बैठ जाताहु और पद्मिनी को साइड पोज़ में अपनी गोद में बिठा लेताहु . बाएं हाथ को पद्मिनी की नंगी पीठ के पीछे से ले जाकर उसकी बायीं बाँह को पकड़ लेता हु और दायीं हथेली को उसकी बायीं चूची के ऊपर रख देता हु और हल्के हल्के सहलाने लगता हु . फिर अपना मुँह पद्मिनी के दाएं गाल के करीब लाता है और उसका गाल चूमता है ,फिर दाएं कान को होठों से चूमता हु और कान के निचले हिस्से को दांतों से खींचताहु .
पद्मिनी गोद में बैठे हुए सिसकती है, “ओह्ह ……………..उन्न्नज्ज्ग….”
फिर में अपने होठों को कान से नीचे को लाता हु और पद्मिनी
की गोरी गर्दन को चूमता हूँ , जीभ लगाकर चाटता हूँ . पद्मिनी उसकी इस हरकत से सनसना जाती है और अपनी गर्दन हटाने की कोशिश करती है.
में अपने होंठ और नीचे लाता है और पद्मिनी के दाएं कंधे को चूमताहूँ और हल्के से दाँत गड़ा देता हु . पद्मिनी आँखें बंद किए हुए उहह….. आह …...करते हुए सिसकती है. मेरे हाथ दोनों चूचियों को दबाते और सहलाते रहते हैं.
फिर दायीं चूची के निप्पल को अपने अंगूठे और दूसरी अंगुली के बीच में पकड़कर मरोड़ता है और घुमाता है , ऐसा ही बायीं चूची पर भी करता है.
पद्मिनी से बर्दाश्त नही हो रहा है. सिसकते हुए उसके होंठ सूखने लगते हैं. वो होठों पर जीभ फिराकर गीला करती है.
में पद्मिनी के दाएं हाथ को अपने कंधे पर डालता हूँ और उसकी दायीं चूची को हाथ से पकड़कर अपने मुँह में भरने की कोशिश करता हूँ . बड़ी चूची है फिर भी जितना हो सके मुँह में भर लेता हूँ और बच्चे के जैसे चूसताहूँ . बहुत मुलायम चूची है. उसके चूची चूसने से पद्मिनी पागल हुई जा रही है. उसकी चूत से रस बहने लगता है. ऐसे ही दोनों चूचियों और उनके निप्पल को चूसता है. कामातुर होकर में पद्मिनी की नरम चूचियों पर ज़ोर से दाँत गड़ा देताहूँ . पद्मिनी दर्द से तड़पती है ……आआहह……
गोरी चूची पर निप्पल के चारो और हल्के भूरे रंग के ऐरोला को में र जीभ से चाटता हूँ और निप्पल को जीभ से छेड़ता हूँ , पद्मिनी से सहन नही होता और वो मेरी गोद में ही उचकने लगती है.
जी भरकर पद्मिनी की चूचियों से खेलने के बाद में पद्मिनी को गोद से उतार देता हूँ . फिर खुद भी खड़ा हो जाता हूँ और अपना अंडरवियर उतार देता हूँ . उसका लंड तना हुआ है
पद्मिनी की नज़र मेरे मोटे और बड़े लंड पर पड़ती है. उत्तेजना से उसके होंठ सूख जाते हैं वो अपनी जीभ फिराकर होठों को गीला करती है.
में देखता है बहू मेरे लंड को देख रही है. में पद्मिनी के कंधे पर हाथ रखकर उसको नीचे झुकाता हु . पद्मिनी समझ जाती है और नीचे बैठकर मेरे लंड को पकड़ लेती है. फिर सुपाड़े को जीभ लगाकर चाटती है. सुपाड़े के नरम माँस पर पद्मिनी की जीभ लगने से में सिसकता हूँ . पद्मिनी एक नज़र ऊपर करके मुझे देखती है फिर सुपाड़े को मुँह में ले लेती है. और अपना मुँह आगे पीछे हिलाकर लंड चूसने लगती है. मुझे मज़ा आ रहा है. में पद्मिनी के सर के पीछे अपने हाथ रख देता हूँ . थोड़ी देर तक चूसने के बाद पद्मिनी लंड को बाहर निकाल लेती है और लार से गीले हुए लंड को अपने हाथ से आगे पीछे करके तेज तेज मूठ मारती है. लंड अब काफ़ी मोटा और कड़ा हो चुका है. पद्मिनी फिर से लंड को मुँह में भर लेती है और चूसने लगती है. एक हाथ से उसने लंड को जड़ पर पकड़ा हुआ है दूसरे हाथ सेमेरी गोलियों को सहलाने लगती है. फिर लंड को मुँह से निकाल देती है और लंड ऊपर को करके जड़ पर चाटती है और गोलियों को चूमती है.
में पगलाए जाता हूँ . आअहह…….क्या चूसती है साली………..कहाँ से सीखी है पता नही………..बहुत एक्सपर्ट हो गयी है.
“आहह………...बहुत मज़ा दे रही हो बहू .” में सिसकताहूँ .
पद्मिनी तारीफ से खुश होती है , सिसकते हुए मुझे देखती है. उसके होठों में मुस्कान आ जाती है. फिर वो और भी ज़ोर से लंड को चूसने लगती है.
में हाथ नीचे ले जाकर पद्मिनी की चूचियों को मसलता हूँ
पद्मिनी इतने मज़े से लंड चूसती है की कुछ देर बाद मुझे लगता है ये तो पानी निकाल देगी. में पद्मिनी के मुँह से लंड बाहर निकालने की कोशिश करता हूँ . पर पद्मिनी लंड नही छोड़ती
में पद्मिनी की पेटीकोट का नाड़ा खोल देता हूँ और पेटीकोट फर्श पर गिर जाता है. पद्मिनी अपने पैरों को उठाकर पेटीकोट निकाल देती है. में देखता है पद्मिनी ने तो फैंसी पैंटी पहनी हुई है. वो और भी एक्साइटेड हो जाता है.
में पदमिनी को बेड में लिटा देता हूँ और खुद उसके ऊपर आ जाताहूँ . पदमिनी के होठों को चूमता हूँ फिर नीचे को खिसकने लगताहूँ . उसकी गर्दन चूमता हूँ और फिर चूचियों को चूसने लगता हैहूँ . निप्पल को चूसताहूँ . पदमिनी सिसकारियाँ लेने लगती है.
“उनन्ं……आअहह…….. ओह्ह …...”
फिर नीचे को खिसकता हूँ और पदमिनी के मुलायम गोरे पेट को चूमताहूँ . उसकी गहरी नाभि को चूमता हूँ फिर जीभ डालकर घुमाता हूँ . पदमिनी तड़पने लगती है.
फिर और नीचे खिसक जाता हूँ . पदमिनी के बाएं पैर के अंगूठे को अपने मुँह में भरकर चूसता हूँ . ऐसे ही दाएं पैर के अंगूठे को भी चूसता हूँ . काम की देवी के बदन के हर हिस्से को चूमना चाहताहूँ . उसकी गोरी टांगों को चूमताहूँ , घुटनों को चूमताहूँ . फिर उसकी मांसल जाँघों को चूमता हूँ . पैंटी के नीचे जाँघों के अंदरूनी हिस्से को जीभ से चाटता हूँ . सेन्सिटिव भाग पर जीभ लगने से पदमिनी गनगना जाती है और अपनी जाँघें हटाने की कोशिश करती है.
अब में पैंटी के ऊपर से चूत पर मुँह लगा देता हूँ . पदमिनी की चूत की मादक गंध मुझे महसूस होती है . कस्तूरी तो यहाँ छुपी है. में पैंटी के बाहर से ही चूत को मुँह में लेने की कोशिश करताहूँ . फिर दोनों हाथों से पैंटी नीचे को खींचताहूँ . पदमिनी अपनी गांड उठाकर पैंटी उतारने में मदद करती है. में पदमिनी की टाँगों से पैंटी उतारकर फर्श में डाल देता हूँ . अब पदमिनी पूरी नंगी हो गयी.
में पदमिनी की चूत को देखताहूँ पदमिनी की पावरोटी जैसी फूली हुई गुलाबी चूत देखकर में कामवासना से पागल हो जाताहूँ . क्या फूली हुई चूत पाई है ! हालाँकि में पद्मिनी को कई बार चोद चूका हु पर हर बार उसकी चूत नयी लगती हे अभी . चूत के ऊपर छोटे छोटे बाल हैं. शायद मेरे जाने के बाद शेव किया है. में तुरंत अपना मुँह चूत पर लगा देता है और फूले हुए होठों को चाटने लगता हूँ . पदमिनी की क्लिट को जीभ से छेड़ देताहूँ
“आअहह…….. ओह्ह …...” पदमिनी सिसकने लगती है.
फिर में पदमिनी की चूत के अंदर जीभ घुसा देता हूँ और अंदर बाहर करने लगता हूँ . पदमिनी की चूत गीली हो रखी है. मेरी जीभ को उसके चूतरस का स्वाद आता है. में जीभ से चूतरस चाटने लगता हूँ . कामोत्तेजित होकर पदमिनी ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगती है और तड़पकर इधर उधर सर हिलाती है . अपने हाथों से चादर को कस के पकड़ लेती है और अपने नितंबों को मेरे मुँह पर उछाल देती है.
“मज़ा आ रहा है पदमिनी ?” पदमिनी को उछलते देख में मुस्कुराता हूँ
प्रकाश होता तो अब तक पदमिनी उसका सर पकड़कर चूत पर दबा देती लेकिन में फिर चूत से जीभ बाहर निकाल लेताहूँ और दो अँगुलियाँ चूत में डालकर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगता हूँ . पदमिनी बहुत उत्तेजित हो जाती है और चूतड़ों को ऊपर उछालने लगती है. कुछ ही देर में चूत से रस बहाते हुए वो झड़ जाती है.
“आअहह……. ओह …………ओइईईईईई…… माँआआ …..आह…….”
अब मेने पदमिनी की चूत से अँगुलियाँ बाहर निकाल ली. दोनों अँगुलियाँ पदमिनी के चूतरस से भीगी हुई थीं. मेने पदमिनी को दिखाते हुए अपनी गीली अंगुलियों को चाट लिया.
उसके बाद मेने पदमिनी की टाँगों को घुटनों से मोड़ लिया और उसकी चूत के छेद में अपने मोटे लंड का सुपाड़ा लगाया. पहला झटका दिया मोटा सुपाड़ा अंदर घुस गया.
“आआआअहह ……ओइईईईईईईईईईईईईई…………...माँआम्म्म्माआआआआआआ…..”मोटा सुपाड़ा टाइट चूत में घुसते ही पदमिनी चिल्लाई.
उसका चिल्लाना देखकर में रुक गया.
“तेरी चूत तो बहुत मजेदार है ”, धीरे धीरे लंड को और अंदर डालने की कोशिश करते हुए में बोलता हूँ
“आआआअहह…….” मोटे लंड से पदमिनी को दर्द हो रहा था.
ऐसा करते करते कुछ देर बाद में अपना पूरा लंड जड़ तक चूत के अंदर घुसाने में सफल हो गया. पूरा लंड घुसने के बाद में कुछ पल रुका रहा. पदमिनी की गरम और टाइट चूत ने मेरे मोटे लंड को बुरी तरह जकड़ लिया.
अबमें धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करके चूत पर धक्के लगाने लगा. पदमिनी को ऐसा लगा जैसे मेरे मोटे लंड ने उसकी टाइट चूत को पूरा भर दिया है.
मोटे लंड के चूत की दीवारों में रगड़ खाने से पदमिनी की सिसकारियाँ निकलने लगी.
“आअहह………...उंगग्गग…………. ओह्ह …..” मुझे तो बड़े लंडो से ही चुदना पसंद है , मोटे मोटे बड़े लंड से | ऐसे लंड का क्या फायदा जो आधी चूत की भी ठीक से न चोद पाए | बड़ा लंड अन्दर तक जब जाता है चूत को गहराई तक चीरता हुआ तो मजा आ जाता है | इसलिए मै चाहती हूँ की बड़े लंड से चुदाई शुरू हो | ओह पापा
“अब मज़ा आ रहा है ना ? ” , पदमिनी को सिसकारियाँ लेते हुए देखकर मेने बोला
“आअहह ………..बहुत मज़ा आ रहा है…..पापा ……ओइईईईई …मर गई आआ अम्मा फट गई मेरी चूत आआ निकालो लण्ड मेरी चूत से आआ. आ आ आआ अउ अउ अउ अउ पेलो जोर से चोदो आ आ मज़ा आ रहा है पूरा लण्ड डाल दो मेरी चूत में राजा आ .
” उत्तेजना में पदमिनी बेशरम होकर अपने चूतड़ों को ऊपर उछालने लगी और मेरे को नीचे से धक्के मारने लगी.
पदमिनी को मज़े में अपनी गांड ऊपर उछालते देखकर में भी हैरान हुआ. पदमिनी को प्रकाश बलकुल कामुक बना गया हे . इसे तो पूरी मस्ती चढ़ गयी है.
अब में भी जोश में आ गया और मेने पदमिनी की चूत में तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए. मेरी गोलियाँ पदमिनी की उठी हुई गांड से टकराने लगी. पूरे कमरे में ठप ठप ठप की आवाज़ गूंजने लगी.
तेज धक्कों से पदमिनी का पूरा बदन हिलने लगा. उसकी बड़ी चूचियाँ छाती पर ऊपर नीचे हिलने लगी.
“ऊऊउीईईई……..ओह…….आआअहह…....उईईई……..माँआम्म्माआ…..” मेरे तेज धक्कों से पदमिनी चिल्लाने लगी और फिर उसको ओर्गास्म आ गया और वो दूसरी बार झड़ गयी.
पदमिनी को झड़ते देखकर मेने धक्के लगाना कम कर दिया और झड़ती हुई पदमिनी के चेहरे के बदलते भावों को देखते हुए मज़े लेने लगा. कुछ देर बाद मेने फिर से स्ट्रोक लगाने शुरू किए और गीली चूत में लंड के अंदर बाहर जाने से कमरे में फच फच फच की आवाज़ गूंजने लगी.
पदमिनी ने मदहोशी में देखा , में धक्के पर धक्के लगाए जा रहा हु में पदमिनी की बड़ी गोरी चूचियों को दोनों हाथ से मसलते हुए धक्के लगाते रहा. पदमिनी थक चुकी थी
कुछ देर बाद मेने पदमिनी की चूत में वीर्य की धार छोड़ दी और उसे लबालब भर दिया. पदमिनी ने अपनी चूत में मेरे गरम वीर्य को महसूस किया.
झड़ने के बाद में थककर पदमिनी के बगल में लेट गया. दोनों के बदन पसीने से भीग गये थे और साँसें उखड़ी हुई थी.
पदमिनी अपने नंगे बदन पर चादर डाल लेती है. पर में नंगा ही पड़ा रहता हूँ
कुछ देर बाद मेने पदमिनी की तरफ करवट ली और उसके चेहरे से बालों की लट हटाते हुए बोला,” मज़ा आया ना ?”
“हाँ ……पापा …..” पदमिनी धीमी आवाज़ में जवाब देती है.
“अब तुझे प्रकाश की फिकर करने की ज़रूरत नही. मैं तुझे ऐसे ही मज़ा दूँगा. ठीक है …?” पदमिनी के गुलाबी गालों पर प्यार से हाथ फेरते हुए में बोला.
“ओह्ह …...पापा …..”
मेने पदमिनी को भी अपनी तरफ करवट पे कर लिया और दोनों के मुँह एक दूसरे की तरफ हो गये. फिर मेने पदमिनी के बदन से चादर कमर तक खिसका दी और उसको आलिंगन में लेकर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराने लगा. और उसके होठों , नाक और गालों को चूमने लगा. पदमिनी ने अपने मुलायम बड़े चूतड़ों पर मेरे खुरदुरे हाथ घूमते हुए महसूस किए.
में और पदमिनी दो बार झड़कर कामतृप्त हो गये थे. 15 मिनट ऐसे ही लेटे रहने के बाद में बेड से उठ गया और अंडरवियर पहनने लगा. मुझे कपड़े पहनते देख पदमिनी भी उठ गयी और फर्श से उठाकर पैंटी पहन ली और पेटीकोट बाँध लिया. फिर ब्लाउज पहनकर साड़ी पहनने लगी.
कपड़े पहनकर दोनों होटेल से बाहर आ गये. दोनों के चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव थे.
फिर में फैक्ट्री चला गया और पदमिनी घर में दिखाने के लिए छोटी मोटी शॉपिंग करने चली गयी. अगले कुछ दिन तक फिर मुझे पदमिनी के साथ कोई मौका नहीं मिलता क्यू की आकाश मेरे साथ ही घर आ जाता था पर पद्मिनी को लेकर रूम में घुस जाता था में बेचैन हो जाता हूँ . पदमिनी को ऑफिस से फोन करता हूँ
“बहुत मन कर रहा है बहू…..”
“ओह्ह….पापा …”
“अच्छा सुन ये बता आकाश कब सोता है ?”
“आकाश तो बेड में जाते ही सो जाते हैं.”
“आज आकाश के सोने के बाद लिविंग रूम में आ जाना. मैं वहीं तेरा इंतज़ार करूँगा.”
“नहीं नहीं ….वो जाग गए तो…”
“ नहीं जागेगा बस तू 15 मिनट के लिए आ जाना.”
“ठीक है कोशिश करूँगी.”
“कोशिश नहीं तू आना ज़रूर .”
“ठीक है …आऊँगी …पापा ...”
रात में डिनर करके पदमिनी आकाश के साथ अपने बेडरूम में चली जाती है. . आधे घंटे बाद में लिविंग रूम में आता हूँ और टीवी देखने लगता हूँ . टीवी तो बहाना है में पदमिनी का इंतज़ार करताहूँ . जब मुझे नींद नहीं आती तोमें अक्सर लिविंग रूम में आकर टीवी देखताहूँ इसलिए मुझे कोई फिक्र नहीं.
उधर पदमिनी बेड में लेट जाती है. आकाश बेड में लेटकर कोई नावेल पढ़ने लगता है. पदमिनी उसके सोने का इंतज़ार करती है. लेकिन आकाश सो नहीं रहा.
“आकाश सो जाओ अब.”
“बहुत इंटरेस्टिंग नावेल है , थोड़ी सी बची है , खत्म करके ही सोऊंगा.”
थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद पदमिनी को नींद आ जाती है.
में टीवी खोले बैठा हूँ , बोर हो रहा हूँ . पर पदमिनी नहीं आ रही. एक डेढ़ घंटे तक इंतज़ार करने के बाद टीवी बंद कर देताहूँ . पदमिनी को कोसता है पता नहीं क्यूँ नहीं आई ? मेरा मन नहीं मानता अपने बेडरूम में जाने की बजाय पदमिनी के बेडरूम के दरवाज़े पर जाकर कान लगाता हूँ . कहीं पदमिनी के ऊपर आकाश तो नहीं चढ़ा हुआ है ? कोई आवाज़ नहीं आ रही , लाइट भी ऑफ है. लगता है सो गयी है. फोन या मैसेज भी नहीं कर सकता कहीं सुनील ना उठा ले . अगले दिन
.
डिनर के पहले में पदमिनी से कहताहूँ ,” आज ज़रूर आ जाना. मैं दरवाजा खुला रखूँगा.”
पदमिनी शरमाती भी है और उसके चेहरे पर मुस्कान भी है ,” हाँ … आऊँगी …पापा ...”
“हाँ हाँ तो कल भी बहुत कह रही थी पर आयी नहीं.”
“आज आऊँगी…...”
डिनर के बाद में अपने कमरे में चला जाता हूँ .
आकाश और पदमिनी अपने बेडरूम में चले जाते हैं.
सोते समय पदमिनी सोचती है आज तो पापा के कमरे में जाना है , कोई सेक्सी लिंजरी पहनती हूँ, जिससे पापा मस्त हो जाए. अपना वॉर्डरोब खोलती है और एक सेक्सी बेबीडॉल नाइटी निकालती है जो उसने कुछ समय पहले खरीदी थी पर कभी पहनी नहीं. पदमिनी अपना पंजाबी सूट उतार देती है और ब्रा भी उतार देती है. पैंटी के ऊपर बेबीडॉल नाइटी पहन लेती है जो पूरी पारदर्शी है. और उसमें पदमिनी की पैंटी साफ दिखती है.
उधर में अपने बेडरूम की लाइट ऑफ करके नाइट बल्ब ऑन कर देता हैहूँ . मेरी पदमिनी कब आएगी , बेड में लेटे हुए इंतज़ार करता हूँ
आकाश देखता है पदमिनी बेबीडॉल में बहुत ही मादक लग रही है. उसका मन मचल जाता है और वो कामातुर हो उठता है. आकाश सोचता है पदमिनी मुझे रिझाने के लिए इतनी सेक्सी नाइटी पहन रही है.
“ये कब ली तुमने ? बहुत ही सेक्सी लग रही हो.”
“ ले आई थी. पर पहनी नहीं.”
“पीछे मुड़ के दिखाओ.”
पदमिनी को आकाश से ऐसे रिएक्शन की उम्मीद नहीं थी. आकाश को आकर्षित होते देखकर वो खुश होती है और पीछे घूम जाती है.
आकाश देखता है पीछे से पदमिनी की पैंटी में सिर्फ़ एक पतली डोरी है और पदमिनी के गोरे बड़े नितंब नंगे दिख रहे हैं.
वो बेड से उठता है और पदमिनी को अपने आलिंगन में कसकर उसके होंठ चूमने लगता है.
पदमिनी सोचती है , वाह रे बेबीडॉल , आकाश तो बहुत एक्साइटेड हो गया है.
आकाश थोड़ी देर तक पदमिनी को चूमता है फिर उसको गोदी में उठाकर बेड में लिटा देता है.
आज सुरूर में है आकाश . पदमिनी को भी अच्छा महसूस हो रहा है.
पदमिनी को बेड में लिटाने के बाद आकाश अपने कपड़े उतारकर फेंक देता है. चुदाई की जल्दबाज़ी में है. आकाश का लंड तन के फनफना रहा है , झटके मार रहा है. पदमिनी भी खड़े लंड को देखकर उत्तेजित होने लगती है. मेरे पास जाना है, भूल ही गयी
उधर में बेड में लेटे हुए बेचैन हो रहा हूँ . लगता है साली आज भी सो गयी है.
नंगा होकरआकाश पदमिनी की पैंटी उतार कर फर्श में फेंक देता है. उसकी बेबीडॉल उतारता नहीं पर ऊपर को चूचियों तक खींच देता है. नंगी पदमिनी के ऊपर लेट जाता है और उसकी बड़ी चूचियों को मुँह में भरकर चूसने लगता है. आकाश तो सीधे चुदाई करने वालों में था , आज चूची चूसने का मन कैसे हो गया. पदमिनी भी खुश होती है. और खूब मज़े से अपनी चूची चुसवाती है.
आकाश थोड़ी देर तक दोनों चूचियों को मसलता है उनका निपल मुँह में भरता है , पदमिनी कामोत्तेजना से पागल हुई जाती हे , उसकी चूत रस छोड़ने लगती है.लेकिन आकाश अपने लंड को सहलाता रहता हे तब पद्मिनी को गुस्सा आ जाता हे और वो चिल्लाती हे अबे भोसड़ी के सामने गुलाबी कमसिन गुलाबी चिकनी चूत खुली पड़ी है और तू भोसड़ी के जो है अपने लंड को मसल रहा है कम से कम साला अपने मुंह लगाकर इसको चाट कर तो देख इसका स्वाद कितना स्वादिष्ट होता है |
अब आकाश पदमिनी की गोरी मांसल जाँघों को दोनों हाथों में पकड़ता है और फैला देता है. खुद उसकी टाँगों के बीच आकर पदमिनी की गुलाबी चूत के छेद में अपने लंड का टोपा लगाता है. पदमिनी की चूत सनसनाने लगती है. आकाश ल एक झटका देता है और पूरा लंड एक ही बार में पदमिनी की चूत में घुसा देता है.
“आअहह….ओह…...” , पदमिनी ज़ोर से सिसकारी लेती है. चूत में लंड घुसने का मज़ा ही कुछ और है.
आकाश अपने लंड पर पदमिनी की चूत की गर्मी महसूस करता है. कामोन्माद में भरकर गीली चूत में धक्के मारने लगता है.
“ओह्ह आकाश …...आअहह…...” पदमिनी मस्ती में सिसकने लगी.
कमरे में ठप.. ठुप... ठप... ठुप की आवाज़ें गूंजने लगती है. . आकाश अपनी खूबसूरत और मादक बीवी की चूत में लंड पेल रहा है.
“आअहह आकाश …. और जोर से चोदो ...आह…..आअहह…...” पदमिनी कामुक अंदाज में आकाश को और जोर से चोदने को उकसाती है.
थोड़ी देर में पदमिनी की गरम चूत ने आकाश के लंड से पानी निचोड़ लिया. पदमिनी वैसी की वैसी ही प्यासी रह गयी जैसे वो अक्सर रह जाया करती थी
आकाश आहह……भरते हुए पदमिनी की चूत में वीर्य छोड़ देता है.
कामसंतुष्टि से खुश होकर आकाश तो अपने बेड में नंगा लेट जाता है. गहरी साँसें लेते हुए वो थोड़ी देर सीधा लेटे रहता है. पदमिनी भी साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रही है. कुछ देर बाद पदमिनी की तरफ पीठ करके करवट पे लेट जाता है . कुछ ही देर में खर्राटे लेने लगता है. पद्मिनी को अपने ओर्गेस्म नहीं आने पर आकाश पर गुस्सा आता रहता हे
आकाश को खर्राटे लेते देखकर पदमिनी बेड से उठती है और फर्श से उठाकर अपनी पैंटी पहन लेती है. फिर आकाश की साइड में जाकर उसे चादर ओढ़ा देती है . बेडरूम की लाइट ऑफ कर देती है और चुपचाप रूम से बाहर आ जाती है.
पदमिनी मेरे बेडरूम में आती है. धीरे से दरवाज़े को खोलती है, में बेड में लेटा हुआउसका इंतजार करता हुआ मिलता हूँ
नाइट बल्ब की बहुत हलकी रोशनी में पदमिनी को बेबीडॉल में देखता हूँ . बहुत ही कामुक लग रही है पदमिनी .
मेरा लंड सीधे छत की तरफ खड़ा हो जाता है. में बेड से उठताहूँ और पदमिनी को अपनी बाँहों में भरकर बेतहाशा चूमता हूँ
फिर दरवाज़े में लॉक लगा देताहूँ . पदमिनी की बेबीडॉल और पैंटी उतारकर फर्श में फेंक देता हूँ . पदमिनी को नंगी बेड में पटक देता हूँ . और अपने कपड़े उतारकर नंगा हो जाता हूँ
मेरे के लंड से प्री-कम निकलने लगता है. आह…...कयामत है साली. नंगी देखने भर से मेरा पानी निकाल देती है.
पदमिनी मेरा तना हुआ लंड देखती हैतो कहती हे . उफ कितना बड़ा और मोटा है लंड हे आपका . जो खाते हैं इसी में लगता है शायद. उसकी चूत में फूरफ़ुरी दौड़ जाती है.
में बेड में आकर पदमिनी की एक चूची को मुँह में भर लेता है और दूसरी चूची को ज़ोर से मसलता हूँ .
“आहह…..” पापा बड़े बेरहम हैं, हाथ भी कितने सख़्त हैं.
थोड़ी देर चूचियों को चूसकर में नीचे को खिसक जाताहूँ . पदमिनी की फूली हुई चूत के होठों पर जीभ लगाताहूँ
“ओह्ह…उनन्नज्ग…. आहह ….” अपनी मुलायम चूत पर मेरी खुरदूरी जीभ लगने से पदमिनी सिसकती है.
में क्लिट को जीभ से कुरेदता हूँ चूत के होठों में गीलापन महसूस करताहूँ
में खुश हो जाता है. बहू मेरे लिए बहुत गीली हो रखी है.
“ लगता है तू भी मेरे लिए बहुत तड़प रही है.”
“उनन्न…..पापा ……”
अब में पदमिनी की चूत में जीभ घुसा देता हूँ . चूत की दीवारों पर जीभ घुमाता हूँ
जीभ में कुछ अजीब सा स्वाद आता है. आज बहू की चूत का स्वाद कुछ अजीब है , चूतरस गाढ़ा सा महसूस हो रहा है. क्या बात ?
में अपनी जीभ को चूत से बाहर निकाल लेता हूँ . चूत के अंदर दो अँगुलियाँ डाल कर अंदर बाहर करता है.
“आअहह…...ओह्ह…..उनन्नज्ज्ग……” पदमिनी आँखें बंद करके सिसकारियाँ लेती रहती है.
में अपनी अँगुलियाँ बाहर निकलता हूँ आकाश का वीर्य मेरी अंगुलियों में चिपक जाता है.
में देखता है अँगुलियाँ सफेद हो रखी हैं , चूतरस नहीं है , ये तो साला वीर्य लग गया मेरी अंगुलियों में.
“बहू , ये तेरी चूत में तो ……... आकाश ने चोदा क्या तुझे ?”
“हाँ …पापा .” पदमिनी शरमाते हुए धीमे से बोलती है.
अब पदमिनी भी आँखें खोल के मेरे को देख रही है और में अपनी अंगुलियों को देख रहाहूँ .
धत तेरे की………साली ने आकाश का वीर्य चटा दिया मुझे …..
“पहले क्यूँ नहीं बताया तूने ?”
“ओह्ह….पापा ……आपने मौका ही कहाँ दिया …” पदमिनी धीमे से मादक आवाज़ में जवाब देती है.
में पदमिनी को पकड़कर बाथरूम ले जाता हूँ . वहाँ उसकी चूत में अपनी अंगुलियों को डालकर पानी से साफ करता हूँ और चूत के आस पास भी पानी से धोता हूँ . .
फिर तौलिए से पदमिनी की चूत पोंछकर उसे बेड में पेट के बल लिटा देता हूँ . पदमिनी की गोरी बड़ी गांड पहाड़ जैसी ऊपर को उठी है. में अपने दोनों हाथों से पदमिनी के नितंबों को मसलताहूँ . फिर अपना मुँह नितंबों पर लगा देताहूँ
. उन्हें चूमने और चाटने लगता हूँ . दोनों नितंबों को खूब चाटता हूँ . मेरे चाटने से पदमिनी के बड़े नितंब हिलते हैं. पदमिनी नीचे को मुँह किए लेटी रहती है और गुदगुदी का मज़ा लेती है. मस्त गांड है पदमिनी की, में बहुत कामातुर हो जाता हूँ और नितंबों पर दाँत गड़ाने लगता हूँ .
“आउच…...” पदमिनी दर्द से चिल्लाती है और अपना दायां हाथ पीछे ले जाकर नितंबों को मेरे र से बचाने के लिए हथेली से ढकने का प्रयास करती है. में उसकी हथेली हटाता हूँ , वो फिर से लगा देती है और मेरे को अपने नितंबों पर दाँत नहीं गड़ाने देती.
में नीचे को बढ़ जाता है. पदमिनी की मांसल जांघों को चूमता हूँ , चाटता हूँ , उन पर हल्के से दाँत लगाता हूँ . पदमिनी गदरायी हुई है , उसकी गोरी गोरी मोटी जांघों को में अपनी लार से गीला कर देता हूँ फिर घुटनों के पीछे वाले हिस्से को चूमताहूँ
उसके बाद में नंगी लेटी हुई पदमिनी के ऊपर आ जाता हूँ .मेरा मोटा लंड पदमिनी को अपनी गांड में चुभता है. फिर में उसके बालों को हटाकर गर्दन के पीछे चूमता हूँ . पीछे से मुँह घुसाकर पदमिनी के गालों को चूमने की कोशिश करता हूँ . फिर उसके कान में जीभ घुसा देता हूँ , कान को चाटता हूँ और कान के निचले सिरे को होंठो में दबाकर खींचता हूँ . मेरी इन हरकतों से पदमिनी की उत्तेजना बढ़ने लगती है. में उसके कंधों को चूमता हूँ फिर पूरी नंगी पीठ को चूमता हूँ . पूरे बदन को चूमने और चाटने से पदमिनी गनगना जाती है. उसकी चूत फिर से गीली होने लगती है. चुदाई का मन होने लगता है पर में देर कर रहे हूँ . पदमिनी के नंगे बदन से मेरा मन ही नहीं भर रहा. उसे चूमने चाटने में मेरे र को बहुत मज़ा मिल रहा है.
पीठ को चूमते चूमते में फिर से नितंबों पर आ जाता है. दोनों नितंबों को हाथों से दबाताहूँ , मुलायम नितंबों को मसलता हु पदमिनी सोचती है , आकाश फोरप्ले नहीं करता सीधे चुदाई पे आ जाता है , यहाँ पापा मेरे नितंबों के पीछे पड़े हैं. आज इनको खा ही जाएँगे शायद. उसे अच्छा भी बहुत लग रहा है. पर अब सहन नहीं हो रहा , चुदाई की तड़प हो रही है.
में दोनों हाथों से पदमिनी के नितंबों को पकड़कर अलग अलग खींचताहूँ और पहाड़ जैसे नितंबों के बीच की दरार में मुँह घुसा देता हूँ . पीछे से पदमिनी की चूत के फूले हुए होठों को जीभ से चाटता हूँ , पदमिनी के बदन में कंपकपी दौड़ जाती है वो अपने नितंबों को मेरे मुँह पर उछालती है और नितंबों को इधर उधर हिलाती है. पर मेरी उस की नितंबों पर मजबूत पकड़ है . फिर में चूत के अंदर दो अँगुलियाँ घुसा देता हूँ चूत गीली हो रखी है मेरी अँगुलियाँ चूतरस से भीग जाती हैं. अंगुलियों को चूत में अंदर बाहर करता हु
“आह …...उूउउफ़फ्फ़…...” पदमिनी आँखें बंद करके सिसकती है.
थोड़ी देर चूत में अंगुली करने के बाद में अँगुलियाँ बाहर निकाल लेताहु . अब में पदमिनी के ऊपर लेट जाता हु , दो तीन धक्के गांड पर ऐसे ही लगाता हूँ , ड्राइ हमपिंग करता हूँ . फिर पदमिनी के घुटने अंदर को मोड़ देता हूँ . पदमिनी की बड़ी गांड ऊपर को उठ जाती है. पदमिनी समझ जाती है अब में कुतिया बनाकर चोदने वाला हूँ . पदमिनी अपने हाथों और घुटनों के बल कुतिया बन जाती है. और अपनी चूत में लंड घुसाने का इंतज़ार करती है.
में समझ जाता है अब बहू लंड लेने को तड़प रही है , उससे सहन नहीं हो रहा.
में अपने लंड को दो तीन बार हाथ से हिलाता हूँ और पदमिनी की बड़ी गांड के पीछे घुटनों के बल आ जाता हूँ . अपने लंड के सुपाड़े को पदमिनी की चूत के छेद पर लगाता है और एक झटका देता हूँ . गीली चूत में मोटा सुपाड़ा घुस जाता है.
“आअहह……….ओह…….” मोटा सुपाड़ा टाइट चूत के अंदर घुसते ही पदमिनी सिसकारी लेती है.
,मुझे डर भी है की साली ज़ोर से चिल्लाएगी तो आकाश को नींद से उठा देगी. में अंगुली नीचे ले जाकर पदमिनी की क्लिट को मसलने लगता हूँ
पदमिनी निचले होंठ को दांतो के बीच दबाकर मोटे लंड से चूत में हो रहे दर्द को सहन करने की कोशिश करती है. कुछ पल बाद में धीरे धीरे बाकी लंड भी चूत में घुसाने लगता हूँ
“आअहह…..उफ़फ्फ़……..ओह…….उनन्नगज्गग……” पदमिनी दर्द सहन करने की कोशिश करती है. उफ पापा आपका का लंड बहुत मोटा है.वो कहती हे
धीरे धीरे करते हुए में पूरे लंड को जड़ तक पदमिनी की चूत में घुसाने में सफल हो जाता है. और पूरा घुसाने के बाद फिर से कुछ पल रुकता है और पदमिनी की चूत को रिलैक्स होने का मौका देता हूँ .
फिर में हल्के हल्के धक्के लगाकर लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगताहूँ . चूत की दीवारों पर लंड हल्के से रगड़ खाते हुए फिसलता है, पदमिनी को उस रगड़ से मज़ा मिलने लगता है. उसकी चूत और ज़्यादा गीली होने लगती है.
में पदमिनी की कमर को दोनों हाथों से पकड़े हुए हूँ और चूत में धक्के मार रहाहूँ . पदमिनी की चूत की गर्मी मेरे लंड को पिघला रही है. मुझे बहुत आनंद आ रहा है. मस्ती में पदमिनी को चोदते रहता हूँ
“आह …...उफफफ्फ़…....ओह……..उूउउ…….. आह …” पदमिनी कामोन्माद में सिसकारियाँ लेने लगती है.
“आ रहा है ना मज़ा , मेरी पदमिनी रानी ? “
“ओह्ह …..पापा …”, पद्मिनी चिल्ला-चिल्ला कर लंड ले रही थी- अहह.. हमम्म् उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह और तेज़ मादरचोद.. अहह प्लीज़ फाड़ दो मेरी चूत को.. और अन्दर तक डाल फाड़ दे आज.. मेरी बुर.. आह.. मज़ा आ रहा है.. चोद अपनी रंडी को.. और चोद मादरचोद.. और तेज़ से चोद..चोदो.. .. मैं .. कब से मोटे लंड से चुदवाना चाह रही थी.. .. ऊऊ.. एया या.. ऊ ऊओ.. मार.. गैइ इ.. चुद गई.. चूत .. मेरी.. फट.. गई..आ आह ह ऊऊ.. आ आहह.. आ आ.. चोदो.. .. चोदो.. अपनी घोड़ी को.. चूत.. को मज़े से भर दो..पापा .. मोटा लंड मस त्टत्त.. है.. चोदो.. .. आ आ अह ह.. चोद.. .. आ आ अहह.. मेरे.. घोड़े.. घोड़ी.. को.. ऊपर.. चढ़ कर.. चोदो.. .. घोड़ी की चूत मा आरू.. .. अया.. हम म्म्म.. ऊ ऊ ऊ.. रीई ए.. मार.. गई.. ऊ ऊ ऊओ.. ऊ ऊ ओ.. आ आ आ.. चूत.. मस्त हो गई.. ..मज़ा आ रहा है एये ए आहा आ हा.. चोदो.. चोदो.. और चोदो.. चूत को फाड़ दो.. आहा आ आ .. आ.. आ.. ऊओ.. उई मा आ.. ओहो ऊवू हा अ.. चोदो.. मज़ा आ रहा है.. .. ज़ोर.. से चोदो.. ओ.. ऊ.
“और ज़ोर से चोदूँ ?” में पदमिनी से मज़े लेता हु
“हाँ …… पापा …..और ज़ोर से…....” धीमी कामुक आवाज़ में पदमिनी मुझे उत्साहित करती है.
अब में तेज तेज धक्के लगाने लगता हूँ पदमिनी का पूरा बदन ज़ोर ज़ोर से झटके खाने लगता है , धक्कों की मार से वो आगे को गिरने लगती है पर में उसकी कमर को कसकर पकड़े रहताहूँ . मेरा मोटा लंड पदमिनी की चूत को बुरी तरह से रौंदने लगता है . में पद्मिनी को कहने लगा आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ सर थोड़ा धीईरीईईईई रीईईईईए ,हहन्हान्हान्हन मेरी गुलाबी चूत, तुझे अपनी रानी बना लूंगा, तुझे पूरी की पूरी रंडी बना दूगा, ओह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी जान, बस ऐसे ही चुदती रह तू |
“ओह…....ओइईईईई………..उफफफफफ्फ़… जोर से चोदो पापा .” पदमिनी को दर्द और कामसुख दोनों एक साथ मिल रहे हैं. में बोला चोद तो रहा हूँ साली रंडी की औलाद | क्या रंडी की चूत लेकर पैदा हुई है साली, इतना कसकर चोद रहा हूँ, फिर भी मरी जा रही है लंड के लिए साली हरामन कुतिया | कितना भी चोदो भूखी की भूखी ही रहती है | साली आधा घंटा हो गया है अपने मुसल लंड से तेरी चूत कूटते कूटते मसलते मसलते, इसकी चुदास अभी भी उतनी ही बरक़रार है |झड साली रंडी की औलाद आज तुझे रात पर बरसाऊंगा, रात पर ऐसे ही टप टप कर तेरी चूत बहेगी और तू ऐसे ही कांप काँप कर झाड़ेगी |
पदमिनी की बड़ी चूचियाँ नीचे को लटककर धक्कों से आगे पीछे हिलने लगती हैं. में बीच बीच में हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियों को मसलने लगता हूँ और धक्के लगाते रहता है.
कुछ देर बाद पदमिनी को ओर्गास्म आ जाता है और वो तेज सिसकारी लेते हुए झड़ जाती है.
“ऊऊऊऊओह…….ओइईईईईई ….माआआआअ……आअहह..”
पदमिनी को झड़ते देख में धक्कों की रफ़्तार कम कर देता हूँ . पदमिनी जब शांत पड़ जाती है तो में फिर से तेज शॉट मारने लगताहूँ
अब मेरे धक्कों की मार से पदमिनी थकने लगी है पर में रुकने का नाम नहीं लेता .
कुछ देर बाद पदमिनी दूसरी बार झड़ जाती है. पर में नहीं रुकता .
में पदमिनी को चोदते रहता हूँ और पदमिनी झड़ती रहती है और झड़ती रहती है और झड़ती रहती है ….ना जाने कितनी बार ………..
अब पदमिनी बुरी तरह थक चुकी है, उसकी चूत भी दर्द करने लगी है. उसने अपना सर बेड पर टिका दिया.
“बस करिए पापा ……....अब बहुत हो गया…...दर्द होने लगा है…...”
में कोई जवाब नहीं देता मुझे अपना ओर्गास्म निकालने की पड़ी है.
“प्लीज़ पापा ….अब बस…..” पदमिनी विनती करती है.
“बस थोड़ा सा…….निकलने वाला है.” में दिलासा देताहूँ .
पदमिनी थोड़ी और देर तक उसके धक्कों को सहन करती है. 30 - 40 मिनट तक लगातार चोदने के बाद में पदमिनी की चूत को वीर्य से लबालब भर देता हूँ . इतनी देर में तो वो दो बार झड़ जाता था पर आज की बात कुछ और थी. पदमिनी भी मेरे स्टैमिना को मान गयी.
में पदमिनी
के बगल में लेट जाताहूँ पदमिनी थककर चूर हो गयी है. उल्टे मुँह पड़ी रहती है. मेरी और उसकी दोनों की साँसें उखड़ गयी हैं. दोनों ही हाँफने लगते हैं. अब कमरे में ठप ठप की आवाज़ें आना बंद हो गयी हैं , ना ही पदमिनी की सिसकारियों की आवाज़ आ रही है. सिर्फ़ दोनों के गहरी साँसें लेने की आवाज़ आ रही है.
5 मिनट तक दोनों ऐसे ही पड़े रहते हैं कोई कुछ नहीं बोलता.
फिर पदमिनी बेड से उठती है और फर्श से उठाकर अपनी पैंटी पहनने लगती है. मै पदमिनी को पैंटी पहनते हुए देखता हूँ . पदमिनी बेबीडॉल को पहनने लगती है.
“सुबह और आना , आकाश के उठने से पहले.”
“अब नहीं आऊँगी …”
“क्यूँ ..?” में चौंकता हूँ
“आप रुकते ही नहीं , हालत खराब कर देते हो…..” पदमिनी मुँह बनाती है.
हाहाहा…….में हंसता हूँ
“बहुत मज़े लिए तूने , अब नखरे कर रही है.”
पदमिनी शरमाकर मुस्कुराती है.
“गुडनाइट पापा ..” पदमिनी मेरे बेडरूम से बाहर निकलने लगती है.
“नहीं ऐसे नहीं….. “, मेने बेड में लेटे लेटे अपने गाल की तरफ इशारा किया
पदमिनी मुँह बनाती है, पापा बच्चे बन रहे हैं. दरवाज़े से वापस मेरे पास आती है, मेरा गाल चूमकर गुडनाइट कहती है और फिर कमरे से बाहर चली जाती है.
अपने बेडरूम में दबे पाँव आकर बेड में सो जाती है. खूब चुदी है , आज मीठी नींद आएगी…