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Incest ससुर बहु की रासलीला

juhi gupta

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आह, प्रकाश , मुझे चोदिये. अँ...अँ..ऊं..ऊं..उह ..उह..और चोदिये प्रकाश . मेरी चूत में अपना लंड ज़ोर से डालिए. मेरी चूत झाड़ दीजिये," मेरे मूंह से वासना के प्रभाव में अश्लील शब्द अपने आप निकल आकर प्रकाश को और ज़ोर से चूत मारने को उत्साहित करने लगे. प्रकाश ने कभी बहुत तेज़ छोटे धक्कों से, और कभी पूरे लंड के ताकतवर लम्बे बेदर्द धक्कों से मेरी चूत का निरंतर मंथन अगले एक घंटे तक किया. मैं कम से कम दस बार झड़ चुकी थी तब प्रकाश ने मेरी चूत में अपना लंड दूसरी बार खोल कर वीर्य स्खलन कर दिया ,थोड़ी देर बाद
प्रकाश ने मेरी दोनों टांगों को मेरी चूचियों की तरफ ऊपर धकेल दिया. मैं अब लगभग दोहरी लेटी हुए थी. प्रकाश ने अपना अतृप्य स्पात के समान सख्त विशाल लंड मेरी खुली चूत में तीन धक्कों से पूरा अंदर डाल कर वहशी अंदाज़ में चोदने लगे. प्रकाश ने मेरी चूत को बेदर्दी से भयंकर ताकत भरे धक्कों से चोदना शुरू कर दिया. प्रकाश मानो मेरी , नाज़ुक चूत का लतमर्दन से विध्वंस करने का निश्चय कर चुके थे. मेरी सिस्कारियां और प्रकाश की जांघों के मेरे चूतड़ों पर हर धक्के के थप्पड़ जैसी टक्कर की आवाज़ से कमरा गूँज उठा.
प्रकाश ने मेरे दोनों उरोज़ों को अपने हाथों में ले कर मसल-मसल कर बुरा हाल कर दिया. मुझे अपनी चड़ती वासना के ज्वार में समझ कुछ नहीं आ रहा था कि कहाँ प्रकाश मुझे ज्यादा दर्द कर रहे थे - अपने महाकाय लंड से मेरी चूत में या अपने हाथों से बेदर्दी से मसल कर मेरी चूचियों में. अब मैं अपने निरंतर, लहर की तरह मेरे शरीर को तोड़ रहे चरम-आनन्द के लिए मैं दोनों पीड़ा का स्वागत कर रही थी.
" प्रकाश , तूने तो मेरी चूत को आह..बड़े..ऐ..ऐ ..ऐ * प्रकाश ..आं..आं..आं..आं..आं. मुझे झाड़ दीजिये.उफ ओह प्रकाश ..ई..ई..ई." मैं हलक फाड़ कर चिल्लाई. मेरे निरंतर रति-स्खलन ने मेरे दिमाग को विचारहीन और निरस्त कर दिया मेरे प्रकाश मेरी चूत में अपना लंड खोल दीजिये. मेरी चूत को अपने गरम वीर्य से भर दीजिये, " प्रकाश , मुझे चोदिये. और चोदिये. मेरी चूत अपने मोटे लंड से मारिये. आह अंन्ह ...हाय मेरी चूत ... प्रकाश ... ई..ई ....ई .... ई ....... मर गयी ई ....ई ... ई........ मैं," आह .. प्रकाश मुझे चोदिये। आपका लंड कितना बड़ा है। " प्रकाश मुझे क्यों तरसा रहें हैं? मुझे अपने घोड़े जैसे लंड से चोदिये। अपनी भाभी की चूत में अपना भीमकाय लंड पूरा अंदर तक डाल दीजिये," मैं वासना के ज्वार से धधक रही थी, " प्रकाश साले हरामजादे, कुत्ते कमीने ! जोर से चोद, और जोर से आह आह ओह्ह आआआआह्ह्ह्ह मर गई ! मैं मर गई ! मेरी चूत अपने मोटे लम्बे लंड से फाड़ दीजिये।" प्रकाश ने अपने दोनों हाथों को मेरे बड़े मोटे स्तनों से भर लिया। प्रकाश ने बेदर्दी से मेरे दोनों चूचियों को मसल कर अपनी ताकतवर नितिम्बों की सयाहता से एक विध्वंसक धक्के से लगभग आधा लंड मेरी चूत के संकरी सुरंग में धकेल दिया। मैं ज़ोरों से चीख पड़ी, " प्रकाश , आह ... कितना दर्द ... ऊन्न्ह ... मेरी चूत फट गयी। ओह .. आह ... ऒन्न्ह्ह्ह ...ऊन्नग्ग्ग।" में प्रकाश को कहने लगी , हाँ उड़ेल दो सारा मेरी चूत में , भर दो मेरी चूत लंड रस से | बुझा दो मेरी चूत की प्यास , तर कर दो मेरा गला अपनी पिचकारियो से,प्रकाश कह रहे थे , हाँ बस पिचकारी निकने वाली ही है तुमारी सारी प्यास आज मै बुझा दूगां, युमारी बरसो की प्यास मै आज मिटा दूगां | भर दूगां तुम्हारी पूरी चूत अपनी पिचकारी से
भर दो न मेरा मुहँ अपने गरम लावे से | बहुत प्यासी हो इस प्यासी की सारी प्यास बुझा दो | पिला दो न सफ़ेद गरम लंड रस, सीच दो आज बरसो से पड़ी सुखी जमीन को
में वासना के अभिभूत कह रही थी ,दोनों ही अपनी उत्तेजना में न जाने क्या क्या बडबडा रहे थे | अचानक पद्मिनी की नींद खुली तो उसने देखा की वो मेरी बांहो में हे ,मेने पद्मिनी से कहा की क्या हुआ वो क्या बड़बड़ा रही थी
पद्मिनी ने मुझे देखा और कहने लगी कुछ नहीं पापा आपके प्यार और आपकी चुदाई ने मुझे इतना पागल कर दिया हे की मुझे नींद में भी आप ही नजर आते हे जबकि सच बात तो ये थी की वो , सपने में प्रकाश को अपनी चुदाई करते हुए देख रही थी ,ये मेने उसके बड़बड़ाने से अंदाजा लगा लिया था।
पद्मिनी ने कहा पापा अब अपने को चलना भी हे में नहा कर आती हु और वो नहाने चली गयी।
आखिर आधे घंटे बाद पद्मिनी टब से निकली और उसने अपना गदराया हुआ बदन मुलायम तौलिया से पौंछ कर सुखाया। जब पद्मिनी का ध्यान अपने शरीर को तौलिया से सुखाने पर था तब में चुप चाप से उसके शयनकक्ष में दाखिल हो गए। मेरी आँखें अपनी बहु के गदराये सुंदर नग्न शरीर को देख कर चमक उठीं। में हौले-हौले चलते हुए अपनी बहु के पीछे तक पहुँच गया । मेने पद्मिनी के नग्न शरीर को अपनी बाँहों में भर लिया। पद्मिनी अपने आप को अपने ससुर की शक्तिशाली बुझायों में पा कर खिलखिला कर हंस दी, "पापा , मेरे ससुर जी ने चोरों की तरह कबसे अपनी बहु को पकड़ना शुरू कर दिया?" पद्मिनी प्यार से कुनमुनाई और पलट कर मेरी मजबूत बाँहों में समा गयी। में अपनी खुश बहु के थिरकते हुए भारी विशाल बोबो को सहलाने लगा । मेरा लंड कसा हुआ सख्त होने लगा। अपनी सुंदर बहु का नग्न गुदाज़ शरीर देख कर हमेशा मेरा लंड कुछ ही क्षड़ों में फूल जाता था। " पद्मिनी मेने तुम्हे चोद कर थका तो नहीं दिया?" मेने अपनी पद्मिनी के होंठों को प्यार से चूसते हुए कहा। "पापा आपने चूत और गांड सुबह बुरी तरह से तो मारी है ।" पद्मिनी ने भी मेरे होंठों को वापस चूसा। "इसका मतलब है कि मेरी थकी पद्मिनी अपने पापा से चुदवाने के लिए अभी तैयार नहीं है," मेने उसके एक निप्पल की जोर से चुटकी भर दी। "ऊईई .. पापा ," पद्मिनी की दर्द भरे आनंद से सिसकारी निकल गयी, "आपकी बहु क्या कभी भी आपसे चुदवाने के लिए तैयार नहीं मिली ?" पद्मिनी के मुलायम हाथ ने मेरे लंड को सहलाया। मेरे चेहरे पे अपनी बहु के प्यार को देख कर खुशी की मुस्कान छा गयी। मेरा दूसरा हाथ अपनी पद्मिनी की घुंघराली झांटों से ढकी छोट पर चला गया। मेरी उँगलियों ने उन्हें अपनी बहु की गीली तैयार चूत की सूचना दे दी। मेने अपनी नंगी बहु को अपनी बाँहों में उठा कर पलंग पर पटक दिया। मेने अपनी बहु की भारी खुली जांघों के बीच बैठ कर अपना लंड पद्मिनी की कोमल रेशमी चूत के द्वार पर टिका दिया। पद्मिनी की सांस कुछ देर के लिए उसके गले में अटक गयी। में ने अपनी अप्सरा जैसी बहु की मोटी गुदाज़ जांघें अपनी शक्तिशाली बाँहों के उपर रख कर उसके गुदाज़ बदन के उपर झुक गया । पद्मिनी की हलके भूरे रंग की सुंदर आँखे मेरी वासना से भरी आँखों से अटक गयीं। मेने अपने शक्तिशाली कमर की ताकत से प्रचंड धक्का लगाया। पद्मिनी की चीख कमरे में गूँज उठी। मेने अपना लंड पद्मिनी की कोमल चूत में डाल दिया। पद्मिनी पांच बार और चीखी। उसकी हर चीख मेरे धक्के से शामिल थी। पद्मिनी रिरयायी, "पापा , मार डाला आपने। धीरे पापा ! कितना मोटा लंड है आपका? हाय कितना दर्द करता है इतने सालों के बाद भी?" मेने अपनी बहु की गुहार सूनी तो उसे अनसुनी कर दी। मेने बिस्तर पर चित टांगें पसारे लेती अपनी अप्सरा सामान बहू की चूत में अपना विध्वंसक लंड भयंकर धक्कों से जड़ तक डाल कर पद्मिनी की चूत की वहशी अंदाज़ में चुदाई शुरू कर दी। मेरे बड़े जालिम हाथ पद्मिनी की हिलती फड़कती चूचियों का मर्दन करने लगे। पद्मिनी की सिस्कारियां कमरे में गूँज रही थीं। मेरा लंड उसकी गीली चूत में 'सपक-सपक' की आवाज़ के साथ रेल इंजिन के पिस्टन की तरह बिजली की तेजी से अंदर बहर जा रहा था। में बोलै पद्मिनी तुम ग्रेट हो तुम बहुत ही ग्रेट हो तुम बाकि औरतों से बिल्कुल अलग हो | ऐसा कभी नहीं हुआ .................मेरे साथ तो कभी नहीं हुआ | तुम पूरा का पूरा मुसल लंड घोंट गयी | तुमारी कसी हुई गुलाबी मखमली चूत मेरी पूरा लंड घोंट गयी | आज मैं धन्य हो गया तुम्हारी चूत को चोद कर इस चूत में मेरा पूरा लंड निगल लिया | पद्मिनी कह रही थी
- अब बस कसके चोदो मुझे पापा , जीतनी तेज चोदना चाहते हो.......... जैसे चोदना चाहते हो , उठा के बिठा के, लिटा के, बस चोद दो मुझे | अब मुझे कुछ नहीं चाहिए | अब बस चुदना है मुझे | जमकर चोदो मुझे जैसे चोद सकते हो | मेरी चूत की सारी अकड़ निकाल दो अपने मुसल लंड से, मेरी चूत की सारी खुजली मिटा दो,पद्मिनी दर्द भरे आनंद से अभिभूत हो चली। मेरी प्रचंड चुदाई से पद्मिनी की चूत चरमरा गयी। उसके स्तन मेरे बेदर्दी भरे मर्दन से दर्द से भर गए। पर सारा दर्द पद्मिनी के सिसकारी भरते हुए बदन में परम आनंद की आग लगा रहा था। वो चिल्ला रही थी रंडी की औलाद और जोर से चोद चीचीचीचीचीरररर डाल फाड़ डाल मेरी चूत |जल्दी ही पद्मिनी का शरीर एन्थ कर झड़ गया। मेने पद्मिनी के रति-निष्पति की उपेक्षा कर उसको तूफानी रफ़्तार से चोदता रहा । अगले आधे घंटे में पद्मिनी चार बार और झड गयी। पद्मिनी अब वासना के आनंद से अभिभूत अपना सर इधर-उधर फेंक रही थी। उसके रेशमी घुंघराले बाल सब तरफ समुन्द्र की लहरों की तरह बिस्तर पर फ़ैल गए। मेने अपनी पद्मिनी के कोमल विशाल चूचियों को अपनी मुठी में भर कर कुचलना शुरू कर दिया। मेरा लंड पिस्टन की तरह पद्मिनी की चूत मार रहा था।
पद्मिनी का जब चौथा चरम-आनंद उसकी चूत में रस की बौछार ला रहा था तो उसकी सिस्कारियों ने अनर्गल बातें का रूप ले लिया, "पापा , मेरी चूत फाड़ दीजिये। अपनी बहु की चूत के चिथड़े उड़ा दीजिये। आपकी बहु की चूत आपके लंड की हमेशा भूखी रहेगी।आप दिलो जान से चोदो , ढेर सारा प्यार करके चोदो | लम्बे लम्बे धक्के लगाकर चोदो | मेरी चूत की गहराइयो तक लंड पेलकर चोदो | बस ऐसे ही मेरी चूत को अपने मुसल लंड से कुचलते रहो | मुझे बहुत अच्छा लग रहा है | बस मुझे चोद चोद कर स्वर्ग की सैर करा दो मेरे पापा | मोरे पापा चोदो मुझे, पापा चोदो न अपनी बहु को, उसकी मखमली चूत को, मिटा दो इसकी सारी खुजली आज |

अह ... पापा ....अनंह ......मैं फिर से झड गयी पापा ..ऊ ..ऊ ... जी ...ई ई ... ऊउन्न्ह।" मेने पद्मिनी से कहा , तुम ग्रेट हो तुम बहुत ही ग्रेट हो तुम बाकि औरतों से बिल्कुल अलग हो | ऐसा कभी नहीं हुआ .................मेरे साथ तो कभी नहीं हुआ | तुम पूरा का पूरा मुसल लंड घोंट जाती हो | तुमारी कसी हुई गुलाबी मखमली चूत मेरी पूरा लंड घोंट जाती हे | आज मैं धन्य हो गया तुम्हारी चूत को चोद कर इस चूत में मेरा पूरा लंड निगल लिया | मेने अपने लंड को काबू में रख अपनी बहु को शांत होने का मौक़ा दिए बिना उसकी भारी गुदाज़ टांगें उसके सर की तरफ कर उसे लगभग दोहरा कर दिया।

पद्मिनी की गांड बिस्तर से उपर उठ गयी। मेने अपना रति-रस से लिप्सा लंड पद्मिनी की चूत से निकाल कर उसकी छोटी सी गांड के ऊपर लगा दिया। पद्मिनी जब तक संभले मेने निर्दयी भाव में अपना लंड गांड फाड़ने के अंदाज़ में पद्मिनी की गांड में दर्द भरे धक्के से अंदर डाल दिया। जैसे ही लंड का सुपाड़ा पद्मिनी की गांड की छल्ली को चीरता हुआ पद्मिनी की गांड में दाखिल हुआ पद्मिनी के गले से दर्द से भरी चीख निकल गयी। मेने चार बेदर्द धक्कों से अपना पूरा लंड अपनी पद्मिनी की गांड में जड़ तक अंदर डाल दिया। पद्मिनी दर्द से बिलबिला कर चीख उठी, "आह पापा ऊउन्न्न्न्नग मेरी गा ...आं .....आं ....आं ....ड फाड़ दी आपने।" पद्मिनी की दर्द से भरी चीख अभी शांत ही हुई थी कि मेने उसकी गांड की प्रचंड चुदाई की शुरुआत कर दी। पद्मिनी पहले तो दर्द से बिलबिला उठी पर कुछ ही देर में उसकी गांड में आनंद की लहरें खेलने लगीं। मेरे लंड ने शीघ्र ही पद्मिनी के मखमली मलाशय के रस की परत इकठी कर ली। अब मेरा लंड पद्मिनी की संकरी गर्म गांड में और भी तेज़ी से अंदर-बाहर जा रहा था। पद्मिनी का का ताज़ा ओर्गास्म [चरम-आनंद] उसके शरीर में बिजली की तरह दौड़ उठा। पद्मिनी की साँसे बड़ी मुश्किल से काबू में हो पा रहीं थीं। "पापा आपने मुझे फिर से झाड़ दिया। मेरी गांड मारिये, पापा । आपका मोटा लंड मेरी गांड फाड़ के ही मानेगा।" पद्मिनी वासना के आनंद के प्रभाव में अनर्गल बकने लगी। मेने अपनी बहु की गांड की भीषण चुदाई बदस्तूर बिना धीमे हुए जारी राखी। आखिर में मेने अपना मुंह अपनी बहु के खुले हुए मुंह से लगा कर अपने लंड को पद्मिनी की गांड में खोल दिया। पद्मिनी मेरे स्खलन को अपनी गांड में महसूस कर फिर से झड़ गयी। पद्मिनी लगभग बेहोशी के आलम में निश्चल हो गयी।
 

juhi gupta

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पदमिनी और में नागपुर से मुंबई आ गए ,लेकिन मुंबई में हमारी यही दिक्कत थी की पदमिनी को रात को आकाश के साथ ही सोना पड़ता था ,हम दोनों यह नहीं चाहते थे की आकाश को पदमिनी और मेरे रिश्ते के बारे में कुछ पता चले।
पद्मिनी भी घर में आकाश के साथ रहते मेरे साथ ऐसे ही व्यहार करती थी जैसे वो मेरी कितनी आज्ञाकारी बहु हे।
असल में पदमिनी ने मेरे जीवन में ऐसे रंग भर दिए थे की में अपने आपको जवान महसूस करने लगा था पद्मिनी जब मेरे साथ होती थी तो अधिकतर लोगो को ग़लतफ़हमी भी हो जाती थी की हम दोनों पति पत्नी हे।
पदमिनी के जवान शरीर उसकी प्यारी चूत उसके बूब्स उसकी गांड का में दीवाना हो चूका था ,मेरा लंड जो मेरी बीबी की मृत्य के बाद केवल रंडियो को चोदने के काम ही आ रहा था वो अब फिर से रफत में आ गया था।
कहते हे जंहा चाह होती हे वंहा रह भी होती हे मेरे एक क्लाइंट की बेटी की शादी थी और उसने खंडाला के पास एक रिसोर्ट को बुक किया था उसका आग्रह था की हम परिवार सहित उसमे शामिल हो ,हमें 2 रात के लिए वंहा जाना था ,पहले हम तीनो वंहा जाने वाले थे लेकिन एन वक़्त पर आकाश का प्रोग्राम कैंसिल हो गया और पद्मिनी और में हम दोनों ही खंडाला के लिए रवाना हो गए।
वंहा हमारे लिए रिसोर्ट में रूम का इंतजाम था हम दोनों रूम में चले गए और वंहा जाते ही एक दूसरे से लिपट गए पद्मिनी ने कहा पापा अभी तो रुको हमारे पास पूरी रात पड़ी हे अभी मुझे तैयार होना हे।
उस दिन महिला संगीत का प्रोग्राम था पदमिनी ने राजस्थानी चोली लहंगा पहना हुआ था क्या गज़ब लग रही थी उसके बूब्स चोली में से निकलने को बेक़रार थे तो लहंगे से उसकी गांड क़यामत ध रही थी मेरी दिलचस्पी महिला संगीत में तो थी नहीं में तो जल्दी से जल्दी रूम में जाकर उसकी चुदाई करना चाहता था।
महिला संगीत रात को ११ बजे ख़तम हुआ रूम में आते ही मेने पद्मिनी को अपनी बांहो में भर लिया और उसको किस करने लगा मेने किस करते करते पद्मिनी का लहंगा का नाडा खोला और उसे नीचे गिरा दिया फिर चोली की डोरिया भी पीछे से खींची और उसे भी उतार दी।
फिर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। अब वो भी मेरे सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी। उसने सिर्फ अपने गले में नेकलेस और पैरों में हाई हील के सैंडल पहने हुए थे। उसने मेरे लंड को फिर से अपने हाथों से पकड़ लिया और मेरा लंड अपनी चूत की तरफ खींचने लगी। मैं भी अब उसकी चूत को अपने हाथों से मसलने लगा। उसकी चूत एक दम साफ थी और इस समय उसकी चूत में से हल्का-हल्का लसलसा-सा पानी निकल रहा था। मैंने उसकी चूत में अपनी दो अँगुली एक साथ डाल दीं और अँगुली चूत के अंदर बाहर करने लगा।

मेरी अँगुली की चुदाई से वो बहुत ही गरमा गयी और बड़बड़ाने लगी, "हाय, मेरे सनम, मेरे पापा , मेरी चूत को तुम्हारे लंड की जरूरत है। तुम अपनी अँगुली मेरी चूत से हटा कर उसमें अपना लंड घुसेड़ दो और मेरी चूत को अपने लंड से भर दो। मैं चुदास के मारे मारी जा रही हूँ। जल्दी से मुझको बिस्तर पर डालो... मेरे पैरों को अपने कँधों पर रख कर मेरी चूत की चुदाई कर दो। जल्दी से मुझको अपना लंड खिलाओ और रगड़ कर चोदो मुझे।" मैंने उसके चूत्तड़ों पर हाथ रख कर उसको अपनी बाँहों में उठा लिया और उसको बिस्तर पर डाल दिया। बिस्तर पर डालने के बाद मैंने उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू किया और दूसरी चूची को अपने हाथों से मसलने लगा। पदमिनी तब मेरे चेहरे को अपने हाथों से अपने चूची पर दबाने लगी। मैं करीब दस-पंद्रह मिनट तक उसकी चूची चूसता रहा और इस दौरान पदमिनी मुझसे अपनी चूत में लंड डालने को कहती रही।

फिर मैं धीरे-धीरे उसका पेट चाटते हुए उसकी चूत पर अपना मुँह ले गया। पदमिनी ने अपनी चूत पर मेरा मुँह लगते ही अपनी टाँगों को फ़ैला कर अपने हाथों से मेरा सिर पकड़ लिया। मैं उसकी चूत का चुम्मा लेने लगा। फिर मैं उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा कर उसकी चूत चूसने लगा। उसकी चूत के अंदर मेरी जीभ घुसते ही उसने मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबा लिया और अपनी कमर उठा-उठा कर अपनी चूत मुझसे चुसवाने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद वो मुझसे बोली, "जल्दी से तुम सिक्स्टी-नाइन की पोज़िशन में लेटो, मुझको भी तुम्हारा लंड चूसना है।" यह सुन कर मैंने उससे कहा, "यह तो बहुत ही अच्छी बात है... लो मैं अभी तुमको अपना लंड चूसने के लिये देता हूँ," और मैं तुरंत ही सिक्स्टी-नाइन की पोज़िशन में उसके ऊपर लेट गया।

अब मेरी आँखों के सामने उसकी चमकती हुई चूत बिल्कुल खुली हुई थी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर तक घुसेड़ दी और उसकी चूत से निकल रहे मीठे-मीठे रस को चूस-चूस कर पीने लगा। उधर पदमिनी भी मेरे लंड को अपने रसीले होंठों में भर कर चूस रही थी। मैंने अपनी कमर को हिला कर अपना पूरा का पूरा खड़ा लंड उसके मुँह में घुसेड़ दिया। थोड़ी देर तक मैंने उसकी चूत को अंदर और बाहर से चाटा और चूसा। चूत चुसाई से उसकी चूत दो बार रस छोड़ चुकी थे जिसको मैंने बड़े ही चाव से चाट चाट कर पिया। इस समय पदमिनी एक खेली खायी रंडी की तरह से मेरा लंड अपने मुँह में भर कर चूस रही थी और मैं भी अपनी कमर हिला कर अपना लंड उसको चुसवा रहा था। हम लोग इसी तरह काफी देर तक एक दूसरे का लंड और चूत चूसते रहे। फिर मुझे लगा कि मेरा अपना रस छूटने वाला है और यह बात मैंने पदमिनी से बतायी और कहा, "मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दो।"

लेकिन उसने मेरे चूत्तड़ों को जोर से पकड़ लिया और मेरा लंड अपने दाँतों से हल्के हल्के काटने लगी। इस से मेरी गर्मी और बढ़ गयी मेरे लंड ने उसके मुँह के अंदर उल्टी कर दी और उसके मुँह को अपने पानी से भर दिया। वो मेरा लंड अपने मुँह में ही रखे रही और लंड का सारा पानी पी गयी और मेरे लंड को अपनी जीभ से चाट-चाट कर साफ़ भी कर दिया। उसकी इस जबरदस्त चुसाई से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। तब उसने मुझको उठने के लिये कहा और मैं उठ कर उसके पैरों के बीच बैठ गया। पदमिनी भी उठ गयी और मेरा लंड पकड़ कर बोली, "अब मैं और नहीं रुक सकती। जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो और मेरी चूत को अपने लंड के धक्कों से फाड़ दो।" मैंने उसकी टाँगों को उठा कर अपने कँधों पर रख लिया और उसकी चूत के दरवाजे पर अपना लंड टिका दिया। उसकी चूत इस वक्त बहुत ही गीली और गरम थी। मैं उसकी चूत के दरवाजे पर लंड रखके उसके ऊपर लेट गया और उसकी एक चूची को पकड़ कर उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी। पदमिनी मुझको अपने चारों हाथ-पैर से जकड़ कर अपने चूत्तड़ उछालने लगी। मैंने उसकी चूत में अपना लंड एक ही झटके से डाल दिया।

पदमिनी ने मेरे गालों को काट लिया और चिल्ला कर बोली, "ऊईईईईईई हाय बहनचोद तूने मेरी चूत फाड़ दी हाय।" । उसने अपनी टाँगें मेरी कमर पर रख दीं। मैं उसकी चूची को सहलाने लगा और कभी-कभी उसके निप्पल अपने मुँह में भर कर चूसने लगा। पदमिनी चुपचाप पड़ी रही और थोड़ी देर के बाद अपनी सैक्सी आवाज में बोली, "ऊईईईई, उफफ कितना मोटा लंड लगता हे आपका अपनी चूत में ले चुकी फिर भी .. ऐसा लगता है कि गधे का लंड हो।" मैंने कहा, "गधे का लंड इतना छोटा नहीं होता... तुम्हारी चूत ज़्यादा तंग है इसलिये तुम्हें मेरा लंड मोटा लग रहा है," और मैं अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा।

पदमिनी मेरे चुदाई शुरू करते ही बोली, "ओह जानू... अभी नहीं हिलो... मुझे दर्द हो रहा है... पहले मेरी चूत को अपने लंड से दोस्ती कर लेने दो... ज़रा दर्द कम हो तो फिर इस को चोदना।"

थोड़ी देर के बाद पदमिनी मुझे चुम कर फिर बोली, "ओह मेरी जान, । बस अब तुम मुझको जोरदार धक्के मार-मार कर खूब चोदो। अब ये चूत तुम्हारी है... इसको जैसे चाहो अपना लंड पेल-पेल कर चोदते रहो।" मैं पदमिनी की बात मानते हुए उसकी चूत में लंड दनादन पेलता रहा और अपने दोनों हाथों से उसकी चूंची मसलता रहा। मैं इस समय पदमिनी की चूत एक पागल कुत्ते की तरह चोद रहा था। शुरू के दस मिनट तक पदमिनी मुझे चोदने में पूरा साथ देती रही पर बाद में मेरे कँधों पर पैर रख कर आँखें बंद करके चुपचप लेट गयी। उसकी सैंडल के बकल मेरी गर्दन पर खरोंच रहे थे। थोड़ी देर के बाद मैं जब झड़ने को हुआ तो मैंने अपनी कमर चलाना बंद कर दी और उससे कहा, "मैं अब अपना लंड निकाल कर तुम्हारे पेट के ऊपर झड़ने वाला हूँ।"

पदमिनी ने मेरी बात सुनते ही मुझे और जोर से अपने हाथों से बाँध लिया और बोली, "खबरदार, अपना लंड मत निकालना। तुम मेरी चूत के अंदर ही अपना पानी छोड़ो। तुम अपने पानी से मेरी चूत को भर दो। मुझे तुम्हारे पानी से अपनी चूत भरनी है।" मैंने उसकी बातों को सुन कर चोदने की स्पीड फिर से तेज कर दी और उसकी चूत में अपना लंड जल्दी-जल्दी से अंदर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने पदमिनी की चूत के अंदर पिचकारी छोड़ दी और उसकी चूत मेरे पानी से भरने लगी। पदमिनी भी मेरे झड़ने के साथ साथ झड़ गयी। वो अपनी चूत सिकोड़-सिकोड़ कर मेरे लंड का पानी निचोड़ने लगी।

थोड़ी देर मैं अपना लंड पदमिनी की चूत से बिना निकाले उसके उपर लेटा रहा और पदमिनी को फिर से चूमने लगा और हाथों से उसकी चूची को दबाने लगा। कुछ देर के बाद मैं पदमिनी की एक चूची अपने मुँह में भर कर चूसने लगा। करीब दस मिनट के बाद पदमिनी फिर से मुझको अपने हाथों से बाँध कर मुझको चूमने लगी और थोड़ी-थोड़ी देर के बाद मेरे कान पर अपने दाँत से हल्के-हल्के काटने लगी। फिर वोह मुझसे बोली, "हाय मेरे पापा , आज तक आकाश ने चुदाई में मुझे इस तरह खुश नहीं किया है। मुझे तुम्हारा लंड और तुम्हारा चुदाई का तरीका बेहद पसंद आता हे और सबसे अच्छी बात चुदाई के दौरान गंदी-गंदी बात करना अच्छा लगता हे । चूत मरवाते वक्त मुझे गंदी-गंदी बात सुनने और गंदी-गंदी बात करने में बहुत मज़ा आता है... लेकिन मेरा आकाश कभी भी मुझे चोदते समय गंदी-गंदी बात नहीं करता है। वो तो बस सोने के पहले लाईट ऑफ करके मेरी नाईटी उठा कर मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल कर दस-पंद्रह धक्के मारता है और झड़ जाता है। मैं तब तक गरम भी नहीं होती हूँ। फिर रात भर वो मेरी तरफ अपनी गाँड करके सोता रहता है और मैं अपनी अँगुली से अपनी चूत का पानी निकालती हूँ।"


मैंने तब पदमिनी की चूची को मसलते हुए कहा, "तुम भी तो चुदाई के दौरान खूब गंदी-गंदी बात करती हो और यह मुझे बहुत पसंद आता हे .. यह कहकर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैंने उसकी जीभ चूसते हुए उसके मुँह में अपना थूक डाल दिया। इसके साथ मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा और वो पदमिनी की चूत में उछलने लगा। फिर पदमिनी ने अपनी सैक्सी आवाज में मुझसे पूछा, "क्या तुम मुझसे और गंदी बातें सुनना चाहोगे?" मैंने उसकी चूची को जोर से मसलते हुए कहा, "क्यों नहीं, जरूर। चलो शुरू हो जाओ गंदी-गंदी बात करना।"

तब पदमिनी मेरे सीने में अपना मुँह छिपाती हुई बोली, "आज तुम मेरी गाँड भी और मारो। मैं तुम्हारा लंबा और मोटा लंड अपनी गाँड को खिलाना चाहती हूँ। मुझे तुम्हारा लौड़ा अपनी गाँड के अंदर लेना है।"

मैं उसकी बात सुन कर बहुत उत्तेजित हो गया और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर उछलना शुरू हो गया। मैंने उसके होठों को चूमते हुए उससे कहा, "हाँ, मुझे भी तुम्हारी गाँड में लंड पेलने में मजा आता है। मुझे तुम्हारी मोटी-मोटी गाँड के अंदर लंड डाल कर चोदने में बहुत मज़ा आता हे ।"

फिर पदमिनी बोली, "मैंने कईं दफा आकाश से मेरी गाँड मारने के लिये कहा, मगर आकाश मेरी गाँड नहीं मारना चाहता है। उसको बस मेरी चूत के अंदर लंड पेलने में ही मज़ा आता है।" वो आगे बोली, "मेरी बहुत सी सहेलियों को भी गाँड मरवाने का शौक है लेकिन उनके पति भी उनकी गाँड नहीं चोदते।" मैंने तब अपना लंड पदमिनी की चूत से निकाला। मेरा लंड इस समय पदमिनी की चूत के रस से सना हुआ था और इस लिये वो चमक रहा था। पदमिनी ने मेरे लंड को देखते ही उसे अपने मुँह में भर लिया और उसको चूसने लगी। जब तक पदमिनी मेरा लंड चूस रही थी मैं अपनी एक अँगुली से उसकी गाँड खोदता रहा।

थोड़ी देर लंड चूसने के बाद पदमिनी कुत्तिया की तरह पलंग पर अपने हाथों और घुटनों के बल झुक गयी और अपने हाथों से अपने चूत्तड़ों की फाँक को खींच कर अपनी गाँड मेरे सामने खोल दी। फिर वोह मुझसे अपने लंड को उसके मुँह के सामने लाने के लिये बोली। मैंने जैसे ही अपना लंड पदमिनी के मुँह के सामने किया तो पदमिनी ने उस पर अपने मुँह से ढेर सारा थूक निकाल कर मेरे लौड़े पर अच्छी तरह से लगाया। मेरा लंड तो पहले से ही उसकी चूत के पानी से लसलसा रहा था। तब पदमिनी मुझसे बोली, "आओ मेरी चूत के सरताज़, अब तक तुमने मेरी चूत का लुत्फ़ लिया अब तुम मेरी गाँड मार कर मुझे गाँड से लंड खाने का मज़ा दो। अगर तुमने मेरी गाँड मार कर मुझे खुश कर दिया तो मैं में तुमसे हमेशा चुदाई के साथ गांड मरवाई भी करवाउंगी पदमिनी की इन सब बातों से मैं बहुत उत्तेजित हो गया और उसके पीछे अपना खड़ा लंड ले कर बैठ गया। पदमिनी ने अपना चेहरा तकिये में छिपा लिया और अपने हाथों से अपने चूत्तड़ पकड़ कर मेरे सामने अपनी गाँड का छेद पूरी तरह से खोल दिया। मैंने उसकी गाँड के छेद पर अपने मुँह से थोड़ा थूक लगाया और अपने लंड को उसकी गाँड के छेद पर रख कर रगड़ने लगा। पदमिनी मेरी तरफ अपना चेहरा घुमा कर बोली, "देखो, मेरी गाँड काफी टाईट रहती हे ... इसलिये पहले बहुत धीरे-धीरे मेरी गाँड मारना... नहीं तो मेरी गाँड फट जायेगी और मुझको बहुत दर्द होगा।" करीब पाँच मिनट तक रगड़ने के बाद मैंने अपना लंड पदमिनी की गाँड के छेद में घुसेड़ना चाहा, लेकिन उसकी गाँड काफी टाईट थी और मुझको अपना लंड घुसेड़ने में काफी तकलीफ महसूस होने लगी। फिर मैंने अपने दाहिने हाथ से अपना लंड उसकी गाँड के छेद पर लगा कर अपने बाँये हाथ से उसके एक निप्पल को जोर से मसल दिया। निप्पल मसले जाने से पदमिनी जोर से चींखी "ऊऊई" और उसने अपनी गाँड को ढील छोड़ दिया और मैंने अपने लंड क सुपाड़ा एक जोरदार धक्के से उसकी गाँड के छेद के अंदर घुसेड़ दिया। पदमिनी ने अपनी गाँड को फिर से टाईट करना चाही, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पदमिनी बोली, "नो... नहींईंईं... प्लीज़।"

चूँकि पदमिनी की गाँड और मेरा लंड थूक से बहुत चीकना हो गया था, मेरा सुपाड़ा उसकी गाँड में धँस चुका था और मैंने उसकी दोनों चूंची कस कर पकड़ कर एक धक्के के साथ अपना पूरा का पूरा लंड उसकी कसी हुई गाँड के अंदर उतार दिया। मेरा पूरा का पूरा लंड पदमिनी की गाँड में एक झटके के साथ घुस गया। पदमिनी जोर से चींखी, "ऊऊऊईईईईईई ओ ओ ऊईईईईईई ओह ओह ऊई अहहह! मैं मर गयी। ऊईई मेरी गाँड फट गयी ऊऊऊऊ हाय अहहह ओई मेरी गाँड फट गयी। प्लीज़ पापा बाहर निकाल लो।" पदमिनी इतनी जोर से चींखी थी कि मुझको डर लगने लगा कि कोई सुन ना ले। मैंने उसके मुँह पर हाथ रखना चाहा, लेकिन पदमिनी ने अपना मुँह तकिये में घुसा दिया। वो अब भी मारे दर्द से सुबक रही थी और बोल रही थी, "मेरी गाँड फाड़ दी, ऊईई मेरी गाँड फट गयी, बाहर निकालो नहीं तो मैं मर जाऊँगी।" मैं उसकी चूचीयों को फिर से अपने हाथों से पकड़ कर मसलने लगा। पदमिनी फिर मुझसे बोली, "प्लीज़ बाहर निकालो वरना मैं मर जाऊँगी।"मेने कहा कितनी बार तुम्हारी गांड मार चूका हु पर हर बार तुम ऐसे ही चिल्लाती हो जैसे पहली बार गांड फट रही हो।


मैंने उसकी चूचीयों को थोड़ा जोर दे कर दबाया और उससे कहा, "मैं तुम्हें मरने नहीं दुँगा, बस थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा।" पदमिनी ने अपना बाँया हाथ अपनी गाँड पर लायी और मेरे लौड़े को छू कर बोली, " पापा उफफ ये बेहद मोटा है, इसने मेरी गाँड फाड़ दी... हाय।" मैंने उसकी चूचीयों को और थोड़ा जोर देकर मसला और पूछा, "क्या बहुत मोटा है?"


पदमिनी बोली, "यह जैसे तुमने मेरे अंदर मूसल डाल दिया है।"

मैंने फिर से पूछा, "यह क्या है, इस को क्या कहते हैं?"

पदमिनी मेरे आँडों को छूते हुए बोली, "मुझे नहीं पता, तुम्हें पता होगा।"

मैंने अपना लंड उसकी गाँड में और अंदर तक धँसाते हुए कहा, "तुम्हें पता है... थोड़ी देर पहले तो खुल कर इसका नाम ले रही थी और अब क्यों नखरा कर रही है?"

"ओह नहीं बिल्कुल मत हिलो, नहीं... मुझे दर्द हो रहा है... बस आराम से अंदर डाल कर पड़े रहो।"

मैंने फिर से पदमिनी से कहा, "पहले इसका नाम ले कर बोलो जैसे चूत चुदाई के वक्त बोल रही थी!"

पदमिनी मेरे आँडों को अपने हाथों से दबाती हुई बोली, "तुम बहुत बेहया हो पापा , मुझसे गंदी बातें करवाना चाहते हो।"

मैंने कहा, "हाँ मैं तुमसे गंदी बातें करना चाहता हूँ, तुम ही तो कह रही थीं कि तुम्हें गंदी बातें करना और सुनना अच्छा लगता है... तो फिर बेशर्म हो जाओ और खुल कर गंदी बातें करो।"

पदमिनी ने अपना चेहरा मेरी तरफ घुमाया और अपने दाँये हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर अपने चेहरे के पास ले आयी। उसने मेरे कान पर चुम्मा दिया और मेरे कान मैं फुसफुसा कर बोली, "साले तेरा इतना मोटा लंड अपनी गाँड में ले कर बेहया बनी हुई तो हूँ, और क्या चाहता है तू।" वो फिर से मेरे लंड को छू कर बोली, "तेरा लंड बेहद मोटा ओर लंबा है, उसके मुँह से गंदी बातें सुन कर मैं बहुत गरम हो गया और उसकी गाँड में अपना लंड धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। पदमिनी की गाँड इतनी टाईट थी कि लंड को अंदर-बाहर करने में काफी जोर लगाना पड़ रहा था। पदमिनी फिर चींखी और बोली, "ननन नहीं प्लीज़ हिलना नहीं, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, अभी ऐसे ही रहो... जब मेरी गाँड की तुम्हारे लंड से दोस्ती हो जाये तो फिर हिलना।" मैंने अपना हाथ उसके पेट के नीचे ले जा कर उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल दी। फिर थोड़ी देर के बाद मैं पदमिनी की गाँड धीरे-धीरे चोदने की कोशिश करने लगा। वो चिल्ला रही थी, "ऊऊऊईईई ईई... नहीं मैं मर जाऊँगी। मेरी गाँड फट जायेगी, प्लीज़ अभी अपने लंड को नहीं हिलाओ!"


लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और उसकी गाँड जोर जोर से चोदने लगा। पदमिनी मुझको गाली देने लगी, "भोँसड़ी के, बहनचोद, बहु की गाँड मुफ्त में मारने को मिल गयी है... इसलिये मेरी गाँड फाड़ रहा है!" मैं उसकी बातों पर ध्यान न देते हुए उसकी गाँड में अपना लंड पेल-पेल कर चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद पदमिनी को भी मज़ा आने लगा और अपनी गाँड मेरे लंड के धक्कों के साथ आगे पीछे करने लगी। थोड़ी देर उसकी गाँड चोदने के बाद मुझे लगा कि मेरा वीर्य छूटने वाला है। मैंने उसके चूत्तड़ पकड़ कर अपने और पास खींचते हुए कहा, "ओह जानू, मैं अब छूटने वाला हूँ।"

तब पदमिनी अपनी कमर को मेरे और पास ला कर लंड को अपनी गाँड के और अंदर लेती हुई बोली, "अब मज़ा आ रहा है, अपने लंड को मेरी गाँड के अंदर छूटने दो और मेरी गाँड को अपने लंड की मलाई से भर दो!" इसके साथ ही मैंने दो चार और तेज़-तेज़ धक्के मार कर उसकी गाँड के अंदर अपने लंड की पिचकारी छोड़ दी। पदमिनी ने भी मेरे झड़ने के साथ ही अपनी चूत का पानी छोड़ दिया। मैं थोड़ी देर तक उसकी पीठ के ऊपर पड़ा रहा और फिर उसकी गाँड में से अपना लंड निकाला। मेरा लंड उसकी गाँड में से "पुच" की आवाज से बाहर निकल आया।

पदमिनी जल्दी से उठ कर बाथरूम की तरफ़ अपनी सैंडल खटपटाती हुई भागी और थोड़ी देर के बाद मैं भी बाथरूम में चला गया। पदमिनी मेरे लंड को देखती हुई बोली, "देखो साला मेरी गाँड मार के कैसे मरे चूहे जैसा हो गया है।"

मैंने कहा, "कोई बात नहीं... मैं इस को फिर तैयार कर लेता हूँ।" अब तक मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था। पदमिनी मेरे पास आयी और मुझको अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे होठों पर चुम्मा दे कर बोली, "मैं तुम्हें बताती हूँ की मैं कितनी बेहया और गंदी हूँ!"

फिर मुझको मेरे कँधों से पकड़ कर मुझको कमोड पर बैठने के लिये बोली। मैं उसकी बात मानते हुए कमोड पर बैठ गया। पदमिनी तब मेरी जाँघों पर मेरी तरफ मुँह कर के बैठ गयी। मेरा लंड इस समय उसकी चूत के छेद पर अपना सिर मार रहा था। उसने मुझे फिर से अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे मुँह को चूमते हुए मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ दी और मेरे लंड पर पेशाब करने लगी। मुझको पदमिनी का यह अंदाज़ बहुत पसंद आया। उसके गरम-गरम पेशाब से मेरा लंड धुल रहा था। हम लोग इसी तरह कमोड पर बैठे रहे और जब पदमिनी का पेशाब पूरा हो गया तो वो बोली, "मैंने तुम्हारा लंड गंदा किया था और अब मैंने इसको धो दिया है।"

मैंने उसको चूमते हुए कहा, "तुम वाकय बहुत बेशर्म हो।" उसने उत्तर दिया, "तुमने बना दिया है।"

मैंने तब पदमिनी से कहा, "उठो और अब तुम घोड़ी बनो... मैं अपने लंड से तुम्हारी गाँड धोता हूँ।"

पदमिनी तब उत्तेजित होकर बोली, "हाँ, बेहद मज़ा आयेगा... पर पहले मैं तुम्हारे लंड को सुखा तो दूँ!"

हम दोनों खड़े हो गये और पदमिनी झट से झुक कर मेरा लंड पकड़ कर अपनी जीभ उस पर ऊपर से नीचे तक फिराने लगी। मेरे लंड से अपना पेशाब चाटने के बाद वो घोड़ी बन कर कमोड पकड़ के अपनी गाँड ऊपर कर के खड़ी हो गयी। मैंने उसके चूत्तड़ों की फाँकों को अलग करते हुए अपना लंड उसकी गाँड के छेद के सामने रखा। अपना लंड उसकी गाँड के सामने रखते हुए मैंने अपनी पेशाब की धार उसकी गाँड के छेद पर मारनी शुरू कर दी। जैसे ही मेरा गरम-गरम पेशाब उसकी गाँड के छेद पर पड़ा, पदमिनी उत्तेजित हो कर बोली, "ओह पापा ... बहुत मज़ा आ रहा है... मुझे आजभी तुमसे चुदने का इतना मज़ा आया। तुम भी मेरी तरह बेहद बेहया और गंदे हो, मुझे तुम्हारे जैसा मर्द ही चाहिये था जिस के साथ मैं भी इसी तरह खुल कर बेहयाई कर सकूँ।"
उसके बाद हम दोनों एक साथ शॉवर के नीचे खड़े हो कर नहाए। पदमिनी ने अभी भी अपने सैंडल पहने हुए थे। पदमिनी ने मुझे और मैंने पदमिनी को साबुन लगाया। फिर अपने अपने बदन तौलिये से पोंछ कर हम लोग बेडरूम में आ गये और फिर से एक दूसरे को चूमने-चाटने लगे। करीब दस मिनट तक एक दूसरे को चूमने और चाटने के बाद मैं उसकी चूची पर अपना मुँह लगा कर फिर से उसकी चूची पीने लगा।


मैं धीरे-धीरे पदमिनी के पेट को चूमते हुए उसकी चूत पर अपना मुँह ले गया। चूत पर मेरा मुँह लगते ही पदमिनी ने अपनी दोनों टाँगें फैला दीं और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर कसकर दबाने लगी। थोड़ी देर तक मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटा और चूसा। मेरे द्वारा चूत चटाई से पदमिनी बहुत गरम हो गयी और बैठे-बैठे ही अपनी कमर उचकाने लगी। फिर वो मेरा चेहरा अपने हाथों से पकड़ कर अपने चेहरे के पास ले आयी और बोली, "मेरी जान, हम लोगों का रिश्ता क्या है।"

मैंने उसकी चूची को मसलते हुए कहा, "तुम मेरे बेटे की बीवी हो... और मेरी महबूबा हो।"

तब पदमिनी मेरे होठों को चूमते हुए बोली, "तुम मुझको बीबी कह कर पुकारो। मुझे तुम्हारी बीबी बन कर चुदवाने में बेहद मजा मिलेगा। चलो मुझको बीबी कह कर पुकारो और मुझे चोदो।"

उसकी यह बात सुन कर मैंने उसकी चूची मसलते हुए कहा, "बीबी तुम बहुत ही सैक्सी और चुदक्कड़ हो। तुम्हारी चूत बहुत ही गरम है और चुदास से भरी है। मेरा लंड तुम्हारी चूत में घुसने के लिये खड़ा होकर झूम रहा है। बीबी मुझको तुमसे प्यार हो गया है।"

मेरी बात सुन कर पदमिनी बिस्तर पे अपने चूत्तड़ों के नीचे तकिया लगा कर मेरे सामने चित हो अपने पैर फ़ैला कर लेट गयी। मैं उसकी चूची को पकड़ कर उसकी चूत को चाटने लगा। उसकी चूत की खुशबू बहुत ही अच्छी थी। करीब पाँच मिनट के बाद पदमिनी ने मेरे कँधों को पकड़ कर मुझको अपने ऊपर से उठाया और बोली, "तुम अपने पैर मेरी तरफ कर लो... मुझको तुम्हारा लंड चूसना है।"

हम लोग जल्दी से सिक्स्टी-नाइन की पोज़िशन में लेट गये और अपना अपना काम शुरू कर दिया। पदमिनी बहुत अच्छी तरह से मज़े लेकर मेरा लंड चूस रही थी। हम लोग एक दूसरे के चूत और लंड करीब पाँच मिनट तक चूसते रहे। मैंने फिर पदमिनी को उसकी टाँगें फ़ैला कर लेटने को कहा और उसके पैर अपने कँधों पर रख लिये। मैंने उसकी टाँगों को और फ़ैला कर उसके घुटनों से उसकी टाँगों को मोड़ दिया। अब पदमिनी की सैक्सी चूत मेरी आँखों के सामने खुली हुई थी। मैंने लंड पर थूक निकाल कर मला और लंड को पदमिनी की चूत पर रख कर एक ही धक्के के साथ उसकी चूत के अंदर कर दिया। इसके बाद मैं उसकी चूचीयों को पकड़ कर उसकी चूत में अपना लंड पहले धीरे-धीरे और बाद में जोर-जोर से पेलने लगा। पदमिनी भी अब नीचे से अपनी कमर उछाल कर मेरे हर धक्के का जवाब दे रही थी और मुझको अपनी बाँहों में भर कर चूम रही थी। थोड़ी देर के बाद पदमिनी अपनी एक चूची मेरे मुँह पे लगाती हुई बोली, "मेरे सनम. मेरे पति .. मेरी चूत की चुदाई के साथ-साथ मेरी चूची भी पियो... इसमें बेहद मज़ा मिलेगा और मेरी चूत भी और गरम हो जायेगी।"

मैंने भी उसकी चूची को चूसते हुए थोड़ी देर तक उसको चोदा और फिर रुक गया। मेरे रुकते ही पदमिनी ने मुझे चूमते हुए कहा, "शाबाश पापा , तुम बहुत ही बेहतरीन तरीके से चोदते हो। मैं तुम्हें बहुत पहले से चाहती हूँ लकिन मैं तुमसे दूर रहती थी कि कहीं आकाश को मेरे इरादों का पता न चल जाये।" अब मुझ से सब्र नहीं होता , आकाश .. वो ना तो तुम्हारी तरह मुझे चोदता है और ना ही वो मेरी चूत पे किस करता है और ना ही मेरी गाँड मारता है... मुझे गाँड मरवाने का बहुत शौक हे .... साथ ही कईं दिनों से आप से चुदवाने का मौका भी नहीं मिला... में एक शादी अब आपसे करना चाहती हु
क्या -मेरे मुँह से निकला
पदमिनी ने कहा हा में आपसे शादी करना चाहती हु हम दोनों शादी करेंगे फिर सुहाग रात मनाएंगे तब में विधिवत आपकी पत्नी बनकर रहूंगी। पदमिनी के इस आईडिया ने मुझे उत्तेजित कर दिया

उसने अपनी कमर को अब फिर से धीरे-धीरे चलाना शुरू किया और अपनी चूत से मेरा लंड पकड़ने की कोशिश करती हुई बोली, "मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं पहली दफा चुद रही हूँ... तुम बहुत मज़े के साथ चोदते हो... अब धीरे-धीरे मेरी चूत चोदो।" मैं फिर से उसको धीरे-धीरे चोदने लगा और उससे बोला, "तुम भी मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो... मैं भी हर वक्त तुम्हें चोदने के बारे में सोचता रहता था... मुझे भी तुम्हारी चूत और गाँड ने बहुत मज़ा दिया है... मैंने कई बार तुम्हारी गाँड मारी है... तुम्हारी गाँड इतनी टाईट हे कि लगता ही नहीं कि किस्सी 22 साल की शादीशुदा लड़की की गांड हो।"

तब पदमिनी बोली, "तुम्हारा मोटा लंड और मेरी टाईट चूत हम दोनों को बेहद मज़ा दे रहे हैं... अब मैं बहुत गरम हो गयी हूँ... अब मेरी चूत जोर-जोर से चोदो।"

मैं भी अब तक उससे चुदाई की बातें करके बहुत गरम हो चुका था और उसे दनादन चोदने लगा। तब वो बोली, "अपना थूक मेरे मुँह में डालो... यह बहुत मज़े का है।"

मैंने भी तब पदमिनी को चूमते हुए उसके मुँह में अपना ढेर सारा थूक डाल दिया। पदमिनी अपनी चुदाई से मस्त हो कर बड़बड़ाने लगी, "आहह, ओह मज़ा आ गया और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत चोदो... पूरा-पूरा लंड डाल कर चोदो... मैं तो अब तुम्हारे लंड की दीवानी हो गयी... अब तुम जब भी कहोगे मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत के अंदर ले लुँगी। चोदो... चोदो... ज़ोर-ज़ोर से चोदो... बहुत मज़ा आ रहा है। आज मेरी चूत की सारी खुजली मिटा दो... मेरी चूत फाड़ कर उसके चिथड़े-चिथड़े कर दो। बस तुम मुझे ऐसे ही चोदते रहो। भगवन करे आज का वक्त रुक जाये और तुम मेरी चूत ऐसे ही चोदते रहो। हाय तुम्हारा लंड मेरी चूत में अंदर तक ठोकर मार रहा है और मुझको बेइंतेहा मज़ा मिल रहा है।"

थोड़ी देर के बाद मेरा पानी छूटने को हुआ और मैंने पदमिनी से कहा, "मेरी जान... मेरा लंड अब अब निकालने वाला है... क्या मैं छोड दू

पदमिनी अपनी टाँगों से मेरी कमर को कस कर पकड़ते हुए अपनी कमर उचका कर बोली, "जान से मार दूँगी अगर अभी छोड़ा तो ... अपना लंड मेरी चूत में खली कर दो पर कुछ और धक्को के बाद ... मैं तब उसकी चूत पर पिल पड़ा और उसकी चूत में अपना लंड पागलों की तरह अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर के बाद मैं उसकी चूत के अंदर झड़ गया। मेरे झड़ने के साथ ही पदमिनी ने अपनी चूत से मेरे लंड को निचोड़ लिया और वो भी झड़ गयी। मेरे लंड को उसने अपनी चूत के रस से नहला दिया और बोली, "ओह जानू... मज़ा आ गया... । तुम वाकई बोहत जालिम चोदु हो।"



पदमिनी मेरी बाहों में सिमट गई। लंबी चुदाई से हम दोनों अब तक बहुत थक चुके थे और इसलिये हम दोनों एक दूसरे को अपनी बाँहों से जकड़ कर सो गये। करीब एक बजे हम लोगों की आँख खुली। हम दोनों नंगे ही सो रहे थे और पदमिनी ने अभी भी अपने हाई हील सैंडल पहने हुए थे। आँख खुलते ही मेरा लंड फिर से पदमिनी की चूत में घुसने के लिये खड़ा होने लगा। हम लोगों ने एक बार फिर से जम कर चुदाई की। अब तक करीब साढ़े तीन बज रहे थे। पदमिनी बोली, "मेरी जान... सोने का तो मन नहीं है, लेकिन क्या करूँ सोना पड़ेगा। मैंने कहा, "ठीक है.. लेकिन कल सुबह उठते ही अपनी चूत और गाँड तैयार रखना । मैं फिर तुम्हारी चूत और गाँड को लंड खिलाऊँगा। खाओगी ना लंड ?"

पदमिनी बोली, "जरूर मेरे सनम मेरे पापा और अब मेरे पति , कल मैं फिर से तुम्हारा प्यारा लंड अपनी चूत और गाँड को खिलवाऊँगी!" और इतना कह कर पदमिनी सोने की तैयारी करने लगी
 

juhi gupta

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सुबह मेरी नींद खुली तो पद्मिनी अपने बिस्तर पर नहीं थी शायद वो बाथ रूम में थी कुछ देर में कुछ ही देर बाद पद्मिनी कमरे में आ गई और पलंग के पास आकर खड़ी हो गई।
मैं भी अपने पैर नीचे लटका कर बैठ गया और उसकी कमर में हाथ डाल उसके नितम्बों को सहलाता हुआ उसे अपनी गोद में बैठा लिया।
वो मेरी तरफ मुँह करके बैठी थी.. उसकी मांसल जांघें मेरी जाँघों पर चढ़ी हुई थीं।
मैंने उसके दोनों दूध थाम लिए और उसकी गर्दन को चूमते हुए गालों को काट लिया और फिर उसका निचला होंठ अपने होंठों से दबा के चूसने लगा।

वो कोई विरोध नहीं कर रही थी.. शायद इस शादी के माहौल को वो भी जी भर के भोगना चाहती थी।
जल्दी ही उसने अपनी बाँहों का हार मेरे गले में पहना दिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में धकेलने लगी।

मैंने भी उसकी चूत को नाइटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया और उसकी जीभ अपने मुँह में ले ली। उसने चड्डी नहीं पहनी थी.. इसलिए उसकी चूत की तपिश मेरी हथेली को गरम कर रही थी।


हमारा प्रगाढ़ चुम्बन काफी देर तक चला.. हमारी साँसें फूलने लगीं.. तो रुकना पड़ा।
वो उठकर खड़ी हो गई.. उसकी साँसों के साथ-साथ उसके भारी स्तन ऊपर-नीचे हो रहे थे। उसकी आँखों में वासना के गुलाबी डोरे तैरने लगे थे और उसका मुँह अभी भी खुला हुआ था।उसका पूरा बदन जैसे पुकार-पुकार कर कह रहा था कि उठो और दबोच लो मुझे.. और मसल डालो.. रौंद डालो मुझे.. बेरहमी से..

तभी उसने अपना एक पैर पलंग पर रख दिया.. उसकी जांघ मेरे गाल से छूने लगी और उसकी चूत मेरे मुँह के ठीक सामने थी.. लेकिन ढंकी हुई। मैंने उसकी नाइटी उसकी चिकनी जांघ पर से ऊपर सरका दी और चूत को उघाड़ने लगा.. लेकिन उसने नाइटी पकड़ ली और मुस्कुराते हुए इंकार में गर्दन हिला दी और मुझे अंगूठा दिखाती हुई दूर हट गई।

मैंने उसे फिर से पकड़ लिया और बेसब्री से यहाँ-वहाँ चूमने लगा, वो मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी।
मैंने भी उसकी नाइटी सामने से खोल दी और उसकी नंगी चूचियाँ दबोच लीं और उसके होंठों का रस फिर से पीने लगा।

उसके होंठ चूसते हुए ही
मेरा लण्ड स्प्रिंग लगे खिलौने की तरह से उछला और उसके पेट से जा टकराया। तभी पद्मिनी ने मुझे धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया.. इसके साथ ही अपनी नाइटी भी फुर्ती से उतार कर फर्श पर फेंक दी।

अब वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी.. उसकी नज़र मेरे लण्ड पर थी.. फिर वो धीरे-धीरे अदा से चलती हुई आई और मेरे पास बैठ गई।
मैंने उसे पकड़ कर अपने करीब चित्त लिटा लिया और मैं खुद उठ कर बैठ गया।
मैं कुछ देर उसका नंगा बदन जी भर के देखना चाहता था।


अब वो मेरे सामने वो नंगी लेटी साक्षात रति की प्रतिमूर्ति लग रही थी। उसके गदराये बदन की कशिश में एक अजीब सी मादकता थी.. जो देखने वाले को पहली ही झलक में दीवाना करके रख दे। उसके सौन्दर्य में कमनीयता नहीं.. वरन एक परिपक्व कामुक स्त्री का सा भाव झलकता था।

उसके पहाड़ जैसे स्तन चैलेंज देने की सी मुद्रा में खड़े थे कि आओ हमें विजित कर सको तो कर लो.. उसका सपाट पेट.. दक्षिण की तरफ नाभि.. भी किसी गहरे कूप की तरह गंभीर लग रही थी..।

उसके और नीचे कदली जाँघों के मध्य उसकी चूत.. उसका तो रूप-रंग.. आकार-प्रकार.. . वो कमसिन सी मासूम चूत , उसकी फांकों पर गुलाबी रंगत
पद्मिनी की चूत के लब अब पहले की तरह आपस में सटे नहीं रह गए थे.. एक-दूसरे से छितरा गए थे.. और उनके बीच लगभग एक अंगुल जितना फासला हो गया था.. जिनके बीच से भीतर की चुकंदर के रंग की ललाई झाँक रही थी।

चूत का चीरा भी काफी लम्बा हो गया था.. जिसके उपरी सिरे पर स्थित एक डेढ़ अंगुल बड़ा दाना चूत के उग्र स्वभाव की घोषणा कर रहा था।
ये सब लक्षण बता रहे थे कि मेरे से वो किस कदर चुदी होगी।

मैं मंत्रमुग्ध सा उसका रूप परिवर्तन निहार रहा था कि तभी उसने मुझे टोक दिया।
‘क्या देख रहे हो पापा?’
‘देख रहा हूँ कि तू कितना खिल गई है.. निखर गई है.. …’ मैं तारीफ़ भरे स्वर में बोला।

‘मुझे .. कली से फूल बनाने वाले तो आप ही हो.. मुझे लड़की से औरत बनाने वाला तो वो खड़ा है आपके पेट के नीचे..’
वो मेरी आँखों में झांकती हुई बोली और मेरा लण्ड पकड़ लिया।

मैं मुस्कुराया और झुक कर उसे चूमने लगा और हाथ बढ़ा कर उसकी चूत पर रख दिया। चूत पर बहुत ही छोटी-छोटी झांटें थीं.. .. मैं उन्हें सहलाने लगा।

वो कुनमुनाई और मेरी गोद में सिर रख कर मेरे खड़े लण्ड से गाल सटा कर लेट गई। मैं अपने लण्ड पर उसके गाल की तपिश महसूस कर रहा था। फिर वो धीरे-धीरे अपना सिर दायें-बायें हिलाने लगी.. जिससे मेरा लण्ड भी साथ उसके गाल से टकराता हुआ डोलने लगा।

मैंने भी पद्मिनी का हाथ अपने हाथ में ले लिया। उसके हाथों में मेहंदी रची हुई थी. जो शायद शादी में दौरान उसने लगायी होगी . मैंने उसका हाथ चूम लिया और उसकी उँगलियाँ चूसने लगा।
उसने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और मेरे लण्ड की तरफ करवट ले ली और मेरे लण्ड को गौर से देखने लगी।
‘क्या देख रही हो पद्मिनी ..?’ मैंने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए पूछा।
उसने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और ‘कुछ नहीं…’ के अंदाज़ से सिर हिला दिया।

फिर उसने मेरे मुँह से अपनी उँगलियाँ निकाल लीं और वो उँगलियाँ मेरे लण्ड पर लपेट दीं.. ठीक मेरी झांटों के पास से..॥ उसके मेहंदी रचे गोरे नाजुक हाथ में खड़ा लण्ड..
फिर उसने दूसरे हाथ की उँगलियाँ भी ऊपर की तरफ लपेट दीं.. फिर पहले वाली उँगलियों को हटा कर लण्ड के अगले सिरे की तरफ लपेट दीं।

अब मेरा सुपाड़ा उसकी उँगलियों से छिप गया था। फिर उसने एक हाथ की मुट्ठी में लण्ड को पकड़ लिया
उसने विस्मय से मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दी।
‘क्या हुआ.. तू कर क्या रही है..?’ मैंने अधीर होकर पूछा।नाप रही आपका.. मेरे उनसे तो आपका बहुत बड़ा और मोटा है.. उनका तो सिर्फ छः अंगुल का है और आपका बारह का.. मोटा भी दुगना है उनसे..’ वो बोली।

‘अरे.. जाने दे ये बात.. चल तू रेडी हो जा.. अब इसे अपनी चूत के भीतर ही नापना..’ मैंने हँसते हुए कहा।


‘इतनी जल्दी नहीं पापा.. थोड़ी देर रुको.. फिर कर लेना.. अभी निचे शादी के कार्यक्रम में चलते हे .. !’ वो बोली और मेरे लण्ड को पकड़ कर हिलाने लगी..

फिर उसने लण्ड की चमड़ी नीचे करके सुपाड़ा निकाल लिया.. फिर अपनी जीभ निकाल कर मेरी तरफ देखने लगी।
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि पद्मिनी इतनी बिंदास औरत बन चुकी थी।
उसने जीभ की नोक मेरे सुपाड़े पर चारों ओर घुमाई और बोली- लो.. बड़े पापा चूसती हूँ आपका ये..’
इतना कहकर उसने आधा लण्ड मुँह में ले लिया और पूरी तन्मयता के साथ चाट-चाट के चूसने लगी।

मैं तो जैसे निहाल हो गया और जैसे जन्नत में जा पहुँचा और उसके मुँह में पूरा लण्ड घुसाने लगा।
वो जिस सलीके और नफासत से लण्ड चूस रही थी.. उससे मैं हतप्रभ था।
बीच-बीच में वो लण्ड को बाहर निकालती और मुस्कुरा के मेरी तरफ देखती और हिला-हिला कर फिर से मुँह में ले लेती..

‘ पद्मिनी .. इतना मस्ती से लण्ड चूसना कहाँ से सीख लिया तूने?’ मैंने पूछा।
‘क्या बताऊँ… पहले मुझे भी घिन आती थी.. इस पर मुँह लगाने में.. लेकिन आपको चुसवाने का बहुत शौक है..तो .. धीरे-धीरे मुझे भी चूसने में मज़ा आने लगा और अपनी चटवाने में भी.. पहले जब आप मेरी चाटते थे तो मुझे बहुत ही भद्दा लगता था.. लेकिन अब बहुत मज़ा आता है..’ वो शर्मा कर बोली और मेरा लण्ड चूसना जारी रखा।

मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी और अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था। मैं पालथी मार के बैठा था और वो मेरी गोद में सिर रख कर लण्ड चूस रही थी।
मैंने धीरे से अपने पैर खोले और उठ कर उस पर छा गया.. अब मेरा मुँह उसकी जाँघों के बीच में था.. लण्ड उसके मुँह में..
उसकी चूत का उभरा हुआ दाना जैसे मेरी जीभ की ही प्रतीक्षा कर रहा था.. मैंने हौले से उस पर जीभ रख दी और चाट लिया।

पद्मिनी के बदन ने झुरझुरी सी ली और उसकी जांघें मेरे सिर पर कस गईं और हाथ के नाखून मेरे नितम्बों में जोर से धंस गए।
उसकी खुली चूत में मेरी जीभ स्वतः ही गहराई तक उतर गई और लपर-लपर करने लगी। मेरे नथुनों में गरम मसाले जैसी गंध घुसती जा रही थी और मेरे मुँह का स्वाद खट्टा-खट्टा सा हो रहा था।

उसकी चूत से रस लगातार बह रहा था.. उधर पद्मिनी भी मेरे लण्ड को पूरे मनोयोग से चूस चाट रही थी.. उसके लार से भरे मुँह में मेरे लण्ड को गजब का मज़ा मिल रहा था।
मैं महसूस कर रहा था कि उसका मुखरस बह-बह कर मेरी जांघों को गीला कर उसके गले पर से बह रहा था।

फिर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत से बाहर निकाली और अपनी दाड़ी उसकी बुर की गहराई में रगड़ने लगा। जैसे ही मेरी दाड़ी के एक अंगुल जितने छोटे-छोटे बालों की चुभन उसे अपनी चूत के अंदरूनी नाज़ुक हिस्सों में महसूस हुई और वो बेकाबू होकर कमर उछालने लगी।
‘आई…मत करो ऐसे…गुदगुदी होती है जोर से..’ वो हाँफती सी बोली।
दो मिनट में ही उसका धैर्य जवाब दे गया और वो मुझे हटा कर उठ खड़ी हुई।

मैंने देखा उसकी आँखें लाल-लाल हो गई थीं और होंठों से गर्दन तक लार की लकीर बह रही थी। उसके निप्पल कड़क हो गए थे.. उसकी चूत से बहता हुआ रस जाँघों से उतर कर घुटनों तक पहुँच रहा था और वो बहुत ही कामुक चुदासी निगाहों से मुझे देख रही थी।

‘आओ पापा..’ वो बोली और बिस्तर पर लेट कर अपनी टाँगें सीने की तरफ मोड़कर उठा दीं।
मेरे मुखरस और उसके खुद के रिसाव से गीली उसकी चूत.. सुबह की रौशनी में दमक उठी।
मैं उस मादक भग के सौन्दर्य को निहारता ही रह गया..

‘अब जल्दी से झंडा गाड़ दो पापा.. नहीं रहा जाता अब..’ पद्मिनी की पुकार सुन कर मैं जैसे होश में आया और झट से उसकी चूत के सामने बैठ गया और लण्ड का मत्था उसकी चूत के छेद पर रख कर उसके मम्मे दबोच लिए और उसके गाल काटने को झुका।

तभी पद्मिनी ने अपनी कमर जोर से ऊपर उछाली और मेरा लण्ड अपनी चूत में कैच कर लिया और अपनी बाँहों का घेरा मेरी पीठ पर कस दिया। इसी के साथ वो जल्दी-जल्दी अपनी कमर उठा-उठा कर लण्ड लीलने लगी।
मैं भी जोश में आ गया और पूरी ताकत से उसकी चूत मारने लगा।

पद्मिनी मंजे हुए खिलाड़ी की तरह चुद-चुद कर मेरा साथ निभा रही थी। मैं भी अपना लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकालता और एक झटके में पूरा घुसा देता।
पद्मिनी भी ताल से ताल मिलाती हुई अपनी कमर चला रही थी। कमरे में ‘फचर… फचर…’ की आवाजें और उसकी कामुक ‘आहें.. कराहें..’ गूँज रही थीं।फाड़ डालो.. पापा.. आज इसे… बहुत सताती है ये.. मुझे.. आह…करो न जल्दी जल्दी… बहुत मज़ा दे रहे हो आप.. मैं आकाश से जब भी करती थी.. मुझे पता नहीं क्यों आपकी याद आती थी..आपकी चुदाई भूल ही नहीं पाती थी.. आह… ले लो अच्छी तरह से मेरी.. खूब हचक के चोदो मुझे..’ पद्मिनी कामुक औरत की तरह बोल रही थी और किलकारियाँ लेती हुई कमर उछाल रही थी। आह्ह्ह्ह पापा कितना मोटा और मस्त है आपका लंड .................. उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ पापा मैं तो आपकी गुलाम बन गयी हूँ.............अह्ह्ह क्या मस्त चुदाई करते हो पापा .............................प्रॉमिस करो अभी आकर भी करोगे ............................ प्रॉमिस करो ...........


मैं भी पूरी ताकत से उसे चोदे जा रहा था. मेने कहा . हाँ.......... रात में भी करूंगा तेरी चुदाई और रात में क्या पूरी रात करूंगा तेरी इस मस्त चूत की सेवा ................................... आहह्ह्ह कितनी मस्त चूत है मैं तो इस चूत किस रोज सेवा करूंगा ................................... नहीं छोडूंगा रोज चोदुंगा....... रोज चोदुंगा...........
सात-आठ मिनट बाद ही मुझे लगा कि अब मैं झड़ जाऊँगा।
‘ पद्मिनी .. मैं झड़ने वाला हूँ… बाहर निकालूँ क्या..’ मैं स्पीड से धक्के लगाता हुआ बोला।

‘बाहर नहीं.. मेरे भीतर ही झड़ जाओ बड़े पापा.. अपना बीज बो दो मेरी कोख में.. मैं भी बस आ ही रही हूँ.. एक मिनट में.. आह्ह.. बस आठ-दस धक्के करारे करारे और लगा दो आप..’ वो अधीर स्वर में बोली।

फिर मैंने उसके मम्मे कसके दबोच लिए और लण्ड को उसकी चूत में गोल-गोल मथानी की तरह घुमाने लगा.. कभी क्लॉक वाइज कभी.. एंटी क्लॉक वाइज.. और अपनी झांटों से उसके क्लिट को रगड़ता हुआ.. फुर्ती से उसे चोदने लगा। आआह्ह्ह्ह में गया ............................................. श्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
पद्मिनी भी लंड के पानी निकलते ही चूत रस को छोड़ देती है और एक चीख के साथ मेरे से चिपक जाती है
म्म्म्मम्म्में गयी आआआआ...........................................आह्ह्हह्ह्ह्हह्ह

.
पद्मिनी ने भी मुझे कसकर जकड़ लिया और अपनी जांघो से मेरी कमर कसके कस ली, उसकी चूत में स्पंदन होने लगे.. चूत की मांसपेशियां लण्ड को भींचने लगीं.. ताकि मेरे वीर्य के एक-एक बूँद निचुड़ जाए।

मैं भी गहरी-गहरी साँसें लेता हुआ उसके उरोजों के बीच सिर रख कर लेट गया।
मैंने मोबाइल में समय देखा तो सुबह के पांच बजकर दस मिनट हो रहे थे। मैं फिर से सोने की कोशिश करने लगा लेकिन नींद नहीं आई। रात्रि का अंतिम प्रहर समाप्ति पर था.. खुली खिड़की से ताजा हवा के झोंके आ रहे थे।

फागुन की हवा तो वैसे भी मदमस्त होती है.. ऊपर से जब कोई जवान छोरी नंगी होकर आपकी बाँहों में सो रही हो.. अंदाज कीजिए कि आपका क्या हाल हो सकता है।
वही हुआ.. लण्ड महाराज ने खड़े होकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी।


हम दोनों के नंगे बदन गुत्थम-गुत्था होकर लिपटे थे.. सहसा वो जगी और उसके बदन में हलचल हुई. उसने धीरे से मेरी हथेली.. जो उसके बायें वाले दूध को दबोचे थी.. हटा दी और मेरा पैर जो उसके ऊपर था.. उसे भी धीरे से हटा कर पलंग से उतर कर बाथरूम की तरफ चल दी। नाईट लैंप की मद्धिम रोशनी में मैं उसके मटकते हुए नितम्बों को देखता रहा और फिर वो दरवाजा खोल कर बाथरूम में जा घुसी।

कुछ ही क्षण बाद मुझे तेज़ सीटी बजने की आवाज़ आई.. पहले तो मुझे लगा कि होटल का चौकीदार गश्त पर होगा.. लेकिन नहीं.. मैंने फौरन से पहचाना ये पद्मिनी की ‘सू..सू..’ की आवाज थी.. जो उसकी चूत में से सीटी बजाती हुई निकल रही थी। कई लड़कियों की यह आवाज़ बहुत मीठी सीटी के बोलने जैसी होती है। इस वक्त वैसी ही ध्वनि पद्मिनी की चूत से निकल उस भोर को संगीतमय बना रही थी।

फिर उसकी चूत की सीटी बजते-बजते धीमी पड़ती चली गई.. फिर पानी की छपाक-छपाक.. शायद वो अपनी चूत धो रही थी। फिर कुल्ला करने जैसी आवाजें आईं और फिर जल्दी ही वो वापस आई और कुर्सी पर पड़े नैपकिन से अपनी चूत पोंछ कर वापस आकर लेट गई और मुझे चूम लिया। फिर मेरे सिर को अपने स्तनों के मध्य दबा लिया और मेरे सिर पर थपकी देने लगी और मैं पद्मिनी के ममता भरे वात्सल्य पूर्ण ह्रदय का स्पंदन महसूस करने लगा और अपनी आँखें मूँद लीं।

उधर मेरा लण्ड धीरे-धीरे अपने पूरे शवाब पर आ रहा था। जल्दी ही उसने पद्मिनी की जाँघों पर दस्तक देनी शुरू कर दी।
आप तो जानते ही हो कि सुबह-सुबह लण्ड स्वतः ही बिना किसी प्रेरणा के कई बार विकराल रूप धर लेता है और यदि पहलू में कोई नंगी हसीना हो तो वो कैसी धमा-चौकड़ी मचा सकता है.. इसका अंदाजा सहज ही लग सकता है।

पद्मिनी को भी लण्ड की चुभन महसूस हुई और उसने उसे टटोल कर देखा।
‘आप जाग रहे हो पापा?’
‘ऊं.. हूँ..’ मैं बोला और और उसके दायें दूध को मुँह में लेकर चुसकने लगा.. साथ ही उसकी जाँघों के बीच घुस कर लण्ड को उसकी चूत में घुसाने की जुगाड़ बैठाने लगा।

‘अरे ये क्या… अब दुबारा कुछ नहीं करना.. जल्दी उठो.. तैयार हो जाओ.. मैंने बात को टालने की कोशिश की.. क्योंकि उस हालत में बिस्तर छोड़ के जाना किसी सजा से कम नहीं था।

‘।फिर मैंने पद्मिनी का हाथ पकड़ कर वापिस लण्ड पर रख लिया।
‘अब इसका क्या करूँ..’
‘नहीं मानोगे ना.. चलो एक बार घुसा के बाहर निकाल लो.. इसके आगे कुछ नहीं..’ वो बोली और अपनी टाँगे फैला कर चित्त लेट गई।
‘अपनी चूत खोल न.. अपने हाथों से..’ मैं बोला।
उसने थोड़ा गुस्से से मेरी तरफ देखा और अपनी चूत पर दोनों हाथ रखकर उँगलियों से बुर के दोनों कपाट पूरी चौड़ाई में खोल दिए।
सुबह की रोशनी होने लगी थी.. खुली खिड़की से सुबह की सुनहरी धूप की पहली किरण सीधी आकर आरती की खुली चूत पर पड़ी।
ऐसा मनमोहक मनभावन नज़ारा पहले कभी नहीं देखा था।
उसकी गोरी-गोरी उँगलियाँ चूत के द्वार खोले हुए लण्ड की प्रतीक्षारत थीं। उसकी चूत का छेद भी स्वतः खुल सा गया था और छोटी ऊँगली जाने लायक बड़ा सुराख दिखाई दे रहा था और उसकी आँखों में भी आमंत्रण का भाव था।

लड़की जब खुद अपने हाथों से अपनी चूत को खोल लेटी हो.. तो वो नज़ारा कितना दिलकश होता है.. ।
मैंने बिना देर किये लण्ड को उसकी चूत में एक ही बार में पूरा पेल दिया।सी…’ उसके मुख से निकला और वो मुझे अपने ऊपर से हटाने लगी।
‘अब हट भी जाओ पापा… टाइम कम है… सिर्फ घुसाने और निकालने की बात हुई थी! आपने घुसा दिया, अब निकालो और मुझे जाने दो!’ वो बोली।

लेकिन एक बार लण्ड चूत में जाने के बाद कौन बिना झड़े निकालता है, मैंने भी पद्मिनी की बात अनसुनी करते हुए उसे स्पीड से चोदना शुरू किया और लगभग बीस मिनट बाद उसकी चूत में अपना वीर्य भर कर अलग हट गया।
 

juhi gupta

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शादी में मेहंदी का प्रोग्राम था पद्मिनी भी ग्रीन लहंगे चुन्नी में थिरक रही थी मेरी नजरे बार बार उसकी कमर और थिरकते चूतड़ों पर जा टिक रही थी ,इन दिनों मेने पद्मिनी की इतनी चुदाई की थी की मेरा मन हमेशा उसकी चूत को चोदने में ही लगा रहता था , मेने पद्मिनी को इशारा किया की रूम में चले ,पद्मिनी थोड़ी देर बाद रूम में चली गयी कुछ देर बाद में भी रूम में चला गया पद्मिनी शीशे के सामने अपने उलझे हुए बाल संवार रही थी. मैंने रूम को भीतर से लॉक किया और पद्मिनी की पीठ से चिपक के उसको अपने बाहुपाश में कैद कर लिया और उसके स्तन मुट्ठियों में दबोच के उसकी गर्दन के पिछले हिस्से को चूमने चाटने लगा.

पद्मिनी एकदम से घूम के मेरे सामने हुई और उसने हाथ में पकड़ी कंघी फेंक कर अपनी बाहें मेरे गले में पहना दीं, मैंने भी उसको अपने सीने से लगा लिया. उसके पुष्ट स्तन मेरे सीने से दब गये और मैंने अपनी बाहों का घेरा उसके गिर्द कस दिया. हमारे प्यासे होंठ मिले जीभ से जीभ मिली इधर मेरे लंड ने अंगड़ाई ली और उधर शायद उसकी चूत भी नम हुई क्योंकि वो अपना एक हाथ

नीचे ले गयी और उसने लहंगे को अपनी जांघों के बीच समेट कर दबा लिया .

हम दोनों यूं ही देर तक चूमा चाटी करते रहे; मैं उसके मम्में चुन्नी के ऊपर से ही दबाता रहा और वो मेरी पीठ को सहलाती रही.

अब मेरा लंड भी पूरे तैश में आने लगा था.

फिर मैंने पद्मिनी का लहंगा उसके बदन से छीन के फेंक दिया ;लहंगे के भीतर तो उसने कुछ पहना ही नहीं था तो उसका नग्न यौवन मेरे सामने दमक उठा. उसके पहाड़ जैसे स्तन जैसे मुझे चुनौती देने वाले अंदाज में मेरे सामने तन के खड़े हो गये.

मैंने भी उसकी चुनौती स्वीकार की और उसको दबोच लिया, उसको मीड़ने गूंथने लगा… अंगूरों को चुटकियों में भर के उमेठने लगा, नीम्बू की तरह निचोड़ने लगा… प्यार से हौले हौले. पद्मिनी कामुक सिसकारियाँ लेने लगीं और मुझे अपने से लिपटाने लगी.

फिर उसने मेरी शर्ट के बटन जल्दी से खोल दिए जिसे मैंने खुद ही बनियान सहित उतार के फेंक दिया और पद्मिनी के नंगे जिस्म को पूरी ताकत से भींच लिया.

“आह… पापा जी. धीरे धीरे… मेरी पसलियाँ टूट जायेंगी इतनी ताकत से तो!” पद्मिनी अत्यंत कामुक स्वर में बोली और उसने मेरे चौड़े सीने में अपना मुंह छुपा लिया और वहीं चूमने लगी.

फिर उसका एक हाथ नीचे मेरे पायजामे के ऊपर से ही मेरे लंड को टटोलने लगा. उसने मेरे पायजामे में हाथ घुसा के लंड को पकड़ लिया उसके ऐसे करते ही मेरा लंड और तमतमाने लगा.

रके टोपा को दबाने मसलने लगी, फिर

लंड को जड़ के पास से पकड़ कर दबाया सहलाया साथ में अण्डों को भी दुलारा.


मैंने अपना पायजामा र और अंडरवियर नीचे खिसका के निकाल फेंका. अब मेरा फनफनाता लंड पूरी तरह से आजाद होकर हवा में लहराया और फिर उसने एक हाई जम्प लगा कर पद्मिनी को जैसे सलाम ठोका, पद्मिनी ने भी इस अभिवादन को स्वीकार करते हुए इसे प्यार से अपनी चूत पर टच किया और फिर पकड़ कर इसकी फोर-स्किन को पीछे किया

फिर जो प्रतीक्षित पद्मिनी ने वही किया; वो नीचे झुकी और पंजों के बल बैठ कर मेरे लंड को तन्मयता से चाटने चूमने लगी. फिर उसने अपना मुख खोल दिया और मेरा लंड स्वतः ही उसकी मुख गुहा में प्रवेष कर गया और फिर पद्मिनी के होंठ और जीभ मेरे लंड पर क़यामत ढाने लगे.



पद्मिनी के लंड चूसने चाटने का तरीका भी कमाल का था… खूब चटखारे ले ले कर, अपनेपन और पूरे समर्पण भाव से बिना किसी हिचकिचाहट के लंड पर अपना प्यार उड़ेलती और उसके यूं लंड को पुचकारने चूमने से निकलती, पुच पुच की आवाज

“ पद्मिनी बेटा, शाबाश, ऐसे ही… हां… आह मेरी जान पद्मिनी तू तो कमाल कर रही है आज!” मैंने मुग्ध होकर कहा.

“पापा जी, पूरे डेढ़ घंटे बाद ये मेरे हाथ आया है. इसे तो मैं जी भर के प्यार करूंगी.” पद्मिनी मेरी तरफ देख के बोली और फिर से लंड को चाटने चूसने में मगन हो गयी.

कुछ ही देर बाद :

“बस मेरी जान रहने दे. अब तू बेड पर बैठ जा.” मैंने पद्मिनी के सिर को सहलाते हुए कहा.

“ठीक है पापा जी!” पद्मिनी बोली और लंड को छोड़ के बेड पर जा बैठी.मैं नीचे फर्श पर ही बैठ गया और मैंने पद्मिनी के दोनों पैर उठा कर अपने कन्धों पर रख लिये और उसकी कमर में दोनों हाथ डाल कर उसे अपनी ओर खींच लिया जिससे उसकी चूत मेरे मुंह के ठीक सामने आ गयी… बिल्कुल करीब; उसकी एकदम सफाचट चिकनी क्लीन शेव्ड चूत मेरे सामने थी. उसकी गुलाबी जांघें V शेप में मेरे सामने खुलीं थीं और जांघों के जोड़ पर वो खूब उभरा

हुआ गद्देदार तिकोना चबूतरा देख कर मेरे खून में उबाल आने लगा. पद्मिनी की चूत की लम्बी सी दरार उस टाइम बंद थी.

मैंने उसकी चूत की दरार के निचले हिस्से पर अपनी जीभ रखी और ऊपर तक चाट लिया और इसी तरह फिर से किया. इस बार उसकी चूत के होंठ स्वतः ही खुल गये और मैंने उसकी भगनासा को जीभ से हौले से छुआ. चूत के दाने पर मेरी जीभ लगते ही पद्मिनी के मुंह से एक आनन्ददायक सिसकारी निकल गयी और वो बेड पर अधलेटी सी हो गयी और अपनी पीठ पीछे टिका ली, फिर उसने अपनी टाँगें मेरी गर्दन में लिपटा कर मेरा मुंह अपनी चूत पर दबा दिया और मेरे बाल सहलाने लगी.

पद्मिनी की चूत से वही चिरपरिचित गंध आ रही थी जैसे दालचीनी, गरम मसाला और कपूर सब इकट्ठे एक कंटेनर में रखने से आती है. अब मेरी जीभ उसकी चूत को लपलप करके चाटने लगी और जितनी गहराई तक भीतर जा सकती थी जाकर चूत में तहलका मचाने लगी. उसकी चूत का नमकीन रस मेरे मुंह में घुलने लगा.

मुझे पता था कि पद्मिनी को मम्में दबवाते हुये अपनी चूत चटवाना बेहद पसन्द है तो मैंने उसके दोनों स्तन मुट्ठियों में भर लिए और उन्हें मसलते हुए उसकी जांघें चाटने लगा. कुछ देर उसकी केले के तने जैसी चिकनी जांघें चाटने काटने के बाद मैंने उसकी चूत के चबूतरे पर अपनी जीभ से हमला बोल दिया और हौले हौले दांतों से कुतर कुतर के चूत के ऊपर चाटने लगा.

जल्दी ही पद्मिनी अच्छे से मस्ता गयीं और अपनी चूत उठा उठा के मेरे मुंह में देने लगीं.

“आह… पापा जी… यू लिक सो नाईस. एम फुल्ली वेट नाउ… लिक मी डाउन एंड डीप!” पद्मिनी अत्यंत कामुक स्वर में बोली और मेरे बाल पकड़ कर मेरा चेहरा अपनी चूत पर जोर से दबा लिया और मेरे सिर के ऊपर से एक पैर लपेट कर मेरे मुंह को अपनी चूत पर लॉक कर दिया.

“या बेबी… योर साल्टी पुसी टेस्ट्स सो लवली!” मैंने कहा और पद्मिनी की समूची बुर को अपने मुंह में भर लिया और इसे झिंझोड़ने लगा

“हाय राम, कितना मज़ा दे रहे हो आज तो आप पापा जी!” पद्मिनी बोलीं और उसने अपने पैरों को मेरे सिर के ऊपर से हटा लिया और उन्हें दायें बायें फैला दिया जिससे उसकी चूत मेरे सामने ज़ूम हो कर और विशाल रूप में आ गई और जैसे ही मैंने उसे फिर से चाटना शुरू किया पद्मिनी की कमर अनियंत्रित होकर उछलने लगी जैसे कोई खिलौने वाली गुड़िया हो.

“फक मी हार्ड नाउ पापा!”

“या पद्मिनी बेटा, ऍम गोइंग टू ड्रिल योर चूत नाउ!” मैंने बोला और फर्श पर से उठ कर पद्मिनी पर झुक गया और अपने लंड से उसकी रिसती हुई चूत को रगड़ने लगा.

“ओफ्फो… पापा जी; अब घुसा भी दो ना!” पद्मिनी सिसिया कर बोलीं और अपनी कमर उठा उठा कर चूत को मेरे लंड से लड़ाने लगी.

लेकिन मैं उसे अभी और गर्म करना चाहता था इसलिए मैंने अपनी कमर पीछे की तरफ कर ली और उसके मम्में दबोच के चूसने लगा. मेरे ऐसे करते ही पद्मिनी अपनी चूत और ताकत से ऊपर तक उठा उठा के मेरे लंड से भिड़ाने की कोशिश करने लगी. लेकिन मैं उसे ऐसा करने दूं तब ना; और मैं और ऊपर को हो गया. मेरे यूं उससे दूर हटते ही पद्मिनी को जैसे हिस्टीरिया कर दौरा पड़ा हो, उसका सिर बर्थ पर दायें बायें होने लगा… उसके मम्में सख्त हो गये और निप्पल फूल कर भूरे अंगूर की तरह नज़र आने लगे.

“मुझे आपका लंड अपनी चूत में चाहिये पापा …जल्दी से पेल दो मेरी चूत में!” पद्मिनी अब भयंकर चुदासी होकर निर्लज्ज होने लगी थी और यही मैं चाहता था.

संग सहवास करने वाली स्त्री चाहे वो कोई भी हो, चुदाई के टाइम उसकी निर्लज्जता उसका बिंदासपन एक अनमोल गुण होता है जो कुछ ही कामिनियों को प्राप्त है; यूं तो नारी का शर्मीला, लज्जालु, शीलवान स्वाभाव ही उसका नैसर्गिक गहना है लेकिन सम्भोग काल में जब वह लाज शर्म तज कर बिंदास उन्मुक्त कामिनी का रूप धर चुदाई में लीन हो कर अपने साथी को पूरा आनन्द उसकी इच्छानुसार देती है और खुद भी तृप्त होती है तब ही उसका नारीत्व पूर्णता को प्राप्त करता है.

यहां एक बात और कहना चाहूंगा कि शुरुआत में जब हमारे बीच यौन सम्बन्ध स्थापित हुए तो पद्मिनी चूत, लंड, चुदाई जैसे अश्लील शब्द बोलना तो क्या सुनना भी पसन्द नहीं करती थी. मैं बोलता तो वो अपने कान हथेलियों से ढक लेती; लेकिन धीरे धीरे मैं उसे अपनी मर्जी के अनुसार ढालता गया और वो ढलती गयी. अब उसे चूत लंड जैसे शब्द मुंह से निकालने में कोई हिचक नहीं होती.

“पापा जी ई ई… मुझे अपने लंड से चोदिये ना प्लीज!” पद्मिनी अपनी आँखें मूँद कर अपनी कमर उठा कर बोली.

वक़्त की नजाकत को समझते हुए मैंने अपना लंड पद्मिनी की चूत की देहरी पर रख दिया और उसके दोनों दूध कसकर दबोचे और… इससे पहले कि मैं धक्का मारता, पद्मिनी ने अपनी कमर पूरे दम से ऊपर उछाली और मेरा लंड लील लिया अपनी चूत में.



अब पद्मिनी ने अपने पैर मेरी कमर में बांध दिये थे और मुझे बेतहाशा चूमे जा रही थी. मैंने धक्का लगाने को कमर उठाई तो पद्मिनी चिपकी हुई मेरे साथ ऊपर को उठ गयी.

“ पद्मिनी बेटा, अपने पैर खोल दे और ऊपर कर ले!” मैंने धक्के लगाने का प्रयास करते हुए कहा.

“ऊं हूं… आप लंड बाहर निकाल लोगे!” वो बोली जैसे उसने इसी बात के डर से मुझे अपने से बांध लिया था.

पद्मिनी के इस भोलेपन पर मुझे हंसी आ गई- अरे नहीं निकालूंगा बेटा, अब तो तेरी चूत मारनी है न!

मैंने उसे चूमते हुए कहा.

“पहले प्रॉमिस करो?”

“ओके पद्मिनी रानी… आई प्रॉमिस!”

मेरे कहने से पद्मिनी ने अपने पैरों के बंधन से मुझे आजाद कर दिया और अपने घुटने मोड़ कर ऊपर की ओर कर लिए. अब उसकी चूत अपना मुंह बाये हुये मेरे सामने थी और चूत का दाना फूल कर बाहर की ओर निकल आया था. मैं पद्मिनी के ऊपर झुक गया और उसकी प्यासी चूत का दाना अपनी छोटी छोटी नुकीली झांटों से घिसने लगा. पद्मिनी ने भी मिसमिसाकर अपनी चूत और ऊपर उठा दी और अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए. मैं भी उसके निप्पल चुटकियों में भर के बड़े आराम से मसलने लगा और साथ में उसका निचला होंठ अपने होंठों से चूसने लगा.

पद्मिनी मुझसे किसी लता की तरह लिपट गयीं जैसे सशरीर ही मुझमें समा जाना चाहती हो.

“लव यू पापा…” वो नशीली आवाज में बोली.

“बेटा, आई लव यू टू…” मैंने कहा और उसका बायाँ दूध चूसने लगा.

पद्मिनी की चूत से जैसे रस का झरना बह रहा था, मैंने लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. पहले धीरे धीरे फिर रफ़्तार बढ़ा दी. पद्मिनी भी मेरे धक्कों का जवाब अपनी चूत से देने लगी. फिर मैं किसी वहशी की तरह उसकी चूत मारने लगा. लंड को पूरा बाहर तक खींच कर फिर पूरी ताकत से उसकी चूत में पेलने लगा.

मेरे हर धक्के का जवाब वो पूरे लय ताल से अपनी कमर उचका उचका के देने लगी.

चुदाई की फच फच की मधुर आवाजें और पद्मिनी के मुंह से निकलती संतुष्टिपूर्ण किलकारियाँ

“पापा जी… अच्छे से कुचल डालो इस चूत को आज!”

“हां बेटा, ये लो… और लो… पद्मिनी मेरी जाऽऽऽन!” मैं भी यूं बोलते हुए अपने हाथों और पैरों के बल उस पर झुक गया. अब मेरे शरीर का कोई अंग पद्मिनी को छू नहीं रहा था; सिर्फ मेरा लंड उसकी चूत में घुसा था… मैंने इसी पोज में उसे चोदना शुरू कर दिया.

“आःह पापा जी…मस्त हो आप. फाड़ डालो मेरी चूत को… ये मुझे बहुत सताती है बहुत ही परेशान करती रहती है. आज इसकी अच्छे से खबर लो आप!” पद्मिनी अपनी चूत मेरे लंड पर उछालते हुए बोली.

हम ससुर-बहू ऐसे ही कुछ देर और चुदाई का कभी न भूलने वाला अलौकिक आनन्द लूटते रहे. फिर हम दोनों एक संग स्खलित होने लगे. मेरे लंड से रस की फुहारें मेरी इकलौती बहूरानी पद्मिनी की चूत में समाने लगी और वो भी मुझसे पूरी ताकत सी लिपट गयी.

लाइट का स्विच पास में ही था, मैंने बहूरानी को लिपटाए हुए ही बत्ती बंद कर दी और अंधेरे रूम में फिर से उसके होंठ चूसने लगा;

फिर पता नहीं कब नींद ने हमें घेर लिया.
 

juhi gupta

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पद्मिनी के साथ मेरी इस चुदाई ने मुझे इतना उत्तेजित कर रखा था की में पद्मिनी की चूत में अपने लंड को हमेशा डाल कर रखना चाहता था । थोड़ी देर बाद फिर से में पद्मिनी के नंगे शरीर पर हाथ फिरने लगा पद्मिनी फिर से गरम होने लगी और वो मुझे चूमते चूमते कहने लगी मैं आज तुम्हारे लंड पर बैठकर नाचना चाहती हूं। उचकना चाहती हूं, कूदना चाहती हूं। आओ फिर से मेरी चूत का भोसड़ा बना दो और मेरी गांड को गोदाम।पूरा घुसा दो, उफ्फ भर दो मेरी चूत जड़ तक , हाय मा उफ्फ मेरी चूत फट जायेगी


हम दोनों ससुर बहु की इतनी उत्तेजना भरी बातों से हमें किसी फोरप्ले की आवश्यकता नहीं थी. हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए

पद्मिनी ने झुक कर मेरे लिंग को अपने मुंह में ले लिया और पागलों की तरह उसे जड़ तक चूसने लगी। मैं सीधा बैठे केवल उसकी गोरी पीठ को देख सकता था तथा उसकी गांड के बीच की वह लाइन जो मुझे शुरुआती की ही दिख रही थी।

थोड़ी देर बाद मैंने पद्मिनी को डॉगी पोजीशन में खड़ा कर उसकी मोटी गोरी गांड को अपने हाथों से चौड़ा कर अपने मुंह को उनके गांड के छेद में घुसा दिया और जीभ से उनके गांड का चोदन करने लगा।

पद्मिनी के इतने आकर्षक भरे हुए शरीर को देखकर समझ नहीं आ रहा था कि मैं उसके स्तनों का मजा लूं या उसकी मोटी गांड का। उसकी गोरी जांघ पर अपनी जीभ फिर आऊं उसके प्यारे चेहरे पर चुंबनों की बरसात कर दूं।

पद्मिनी एक बार सीधी हुई तथा फिर से मेरे लिंग को चूसने लगी और मुझे आश्चर्यचकित करते हुए उसने अपने दोनों स्तनों को साइड में से दबाकर बीच में एक जगह बना कर मेरे लिंग को उनके दोनों स्तनों के बीच में प्रविष्ट करा दिया.

वाह क्या एहसास था… पद्मिनी के गोरे भरे पूरे गद्देदार स्तनों के बीच मेरा लिंग गति कर रहा था, मैं उत्तेजना के चरम पर था, पद्मिनी के पास करने के लिए इतना था कि वह मुझे उसके स्तनों को चूसने का समय भी नहीं दे रही थी

अतः मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसे बेड पर जोरदार धक्का दिया तथा उसके ऊपर जानवरों की तरह टूट गया, उसके स्तनों को अपने दोनों हाथों के बीच में दबाकर जानवरों की तरह मसलने लगा और एक-एक करके मुंह से चूसने लगा.

मैंने महसूस किया कि पद्मिनी का हाथ उसकी चूत पर था और उसकी चूत के दाने को स्वयं अपने हाथों से रगड़ने लगी थी. मैंने उसकी उत्तेजना को समझते हुए अपना लिंग उसकी चूत पर टिकाया और सीधा उसकी चूत में प्रविष्ट कर दिया. हमारे गुप्तांग इतने चिकने थे कि अंदर जाने दे उसे थोड़ी भी औपचारिकता नहीं निभानी पड़ी।

पद्मिनी ने मेरे कमर को पकड़ कर उस पर अपने जोरदार नाखून गाड़ दिए और मेरी कमर को अंदर की तरफ इस तरह खींचने लगी जैसे कि वह चाहती हो कि मैं अपने लिंग के साथ पूरा उनके अंदर प्रविष्ट कर जाऊं और खुद ही मेरी कमर को पकड़ पकड़ कर जोरदार तरीके से अंदर और बाहर झटके देने लगी कितनी वासना भरी हुई थी उसके अंदर।आह पापा अब मत तरसाओ मुझे , आ जाओ मेरे उपर चढ़ जाओ मेरी चूत पर

पद्मिनी ने सेक्स में कभी भी इस प्रकार का वहशीपन धारण नहीं किया था पद्मिनी की चुदासी भावनाओं को समझते हुए मैंने उसकी चूत में जोरदार धक्के देना शुरु कर दिया, उनकी चूत से इतना पानी बह रहा था कि फच फच की आवाज सारे कमरे में गूंजने लगी और एक धार लगातार उसके चूत से बाहर आ गई और उनकी गांड पर बहने लगी।

चूत से बहता हुआ पानी इतनी मात्रा में मैंने कभी नहीं देखा था. पद्मिनी जोर-जोर से चिल्लाने लगी- फक मी फक मी हार्ड… उम्म्ह… अहह… हय… याह… बहु चोद बहु फकर!

, इतने जोरदार धक्कों के बावजूद भी वो इतनी बेचैनी से चिल्ला रही थी, उसे पूर्णतया वाइल्ड सेक्स चाहिए था और मैंने उसके मंसूबों को पूरा किया. मैं चरम तक आधा भी नहीं पहुंचा था कि उसकी चूत ने अपना रस एक जोरदार सिसकारी के साथ छोड़ दिया और कांपने लगी. पद्मिनी ने कसकर मुझे पकड़ लिया, पद्मिनी


तो एक बार चरम पर पहुंच गई थी लेकिन मुझे अभी चरम पर पहुंचना बाकी था और वैसे भी मुझे उससे क्या मतलब था कि पद्मिनी चरम पर पहुंच गई हैं, वो तो चाहती ही थी कि मैं जंगली बन जाऊं और उनके साथ जंगली सेक्स करूं।

मैंने पद्मिनी को उठाया और स्टडी टेबल पर लिटा दिया, फिर उसकी टांगों को खींचकर मैंने नीचे की तरफ लटका दिया. पद्मिनी अपने स्तनों को टेबल पर रखकर लेटी हुई थी और उनकी टांगें टेबल पर नीचे आई हुई थी.

मैंने अपने लिंग और उनकी गांड के छेद पर उनकी सौंदर्य चिकनी क्रीम लगाई और उनकी गांड में अपना लिंग घुसा दिया। पद्मिनी शायद उसके स्खलन के बाद थोड़े समय का अंतराल चाहती थी लेकिन मैं पागलों की तरह उसके शरीर पर टूटना चाहता था।

जैसे ही मैंने पद्मिनी की गांड में अपना लिंग प्रवेश किया, उसकी जोरदार आवाज आह निकल गई. मैंने उसके लंबे बालों को अपने हाथ में समेट कर उनकी गर्दन को खींचा और उनके बाल पीछे की तरफ खींचते हुए उनकी गांड की कुटाई शुरू कर दी।

उनके गोरे चूतड़ों को लाल करते हुए अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया- ले बहन की लोड़ी… बना अपने गांड को गोदाम।

लगातार 50 झटके मैंने अपनी पद्मिनी की गांड में दिए, उनकी गर्दन को बालों से ऊपर की तरफ खींचने के कारण उनके तीखे तीखे स्तन टेबल और हवा के बीच में झूल रहे थे. यह दृश्य मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था

पद्मिनी के हाथों ने मेरी कमर पर लाकर मुझे रोकने की कोशिश की. इतने में मुझे उस पर दया आ गई, मैंने उसे बेड पर लेटाया किंतु मेरी हवस मुझ पर इतनी हावी थी कि मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लिंग उनके मुंह में डाल दिया लेकिन पद्मिनी ने इसका विरोध नहीं करते हुए उसे चूसना शुरू कर दिया.

मैं समझ गया था कि गांड चुदाई के बाद पद्मिनी की चूत शायद फिर से तैयार हो गई है, अतः मैंने उसे सीधा लेटा कर उनकी टांगों को उठाकर उसके कंधों पर ही लगाया और उसकी एक पोटली बनाकर उसके कूल्हे और चूत को एक शानदार पोजीशन में सेट करके उसके कंधों से सटी हुई टांगों पर अपने हाथ दबाकर उसके ऊंचे हुए कूल्हों पर अपनी कमर रखकर अपना लिंग उनकी चूत में ठेल दिया।

और जोरदार धक्कों वाला घमासान फिर से शुरू हो गया। पद्मिनी जोर-जोर से यस यस की आवाज निकालने लगी.आह पापा, पूरा जोर से चोदो, उफ्फ पूरा लंड घुस गया री मा मेरी चूत में। हाय कितना अच्छा हैं लंड। '!!हाय मा री, मेरी चूत , आह पापा मेरी चूत में कुछ हो रहा हैं पापा"


एक बार फिर 10 मिनट के बादपद्मिनी ने मुझे कस के पकड़ लिया लेकिन इस प्रकार के पोजीशन में उनकी चूत ने मेरे लिंग को इस प्रकार जकड़े हुआ था कि मैं भी उसकी चूत में स्खलित हो गया. चुद गई मेरी चूत, हाय पापा गई मैं तो

हम दोनों वातानुकूलित कमरे में पसीने से लथपथ एक दूसरे की बाहों में समा गए। थोड़ी देर बाद पद्मिनी शादी में जाने के लिए तैयार होने लगी उसने पेंटी और ब्रा पहनी ही थी की

- मैंने पद्मिनी को बेड पर धक्का दिया और उसे पेट के बल उल्टा लेटा कर उसकी ब्रा का हुक खोला तथा उसकी गोरी सेक्सी पीठ पर अपनी जीभ घुमाने लगा। पद्मिनी की पूरी पीठ चाट कर जब मैंने उसकी वासना भड़का दी. उसके बाद मैं उसकी कमर के नीचे के उभारों पर अपनी जीभ फिर आने लगा। पद्मिनी अपने कूल्हों को उठाकर उन्हें मेरे मुंह के तरफ दबाने लगी. मैंने उसकी भावनाओं को समझते हुए उसकी पैंटी उतार कर फेंक दी.

इस तरह पद्मिनी पूर्ण रूप से नंगी अपने पेट के बल अपनी गोरी सेक्सी पीठ तथा कूल्हों का प्रदर्शन करते हुए लेटी हुई थी. मैंने पद्मिनी के कूल्हों पर पर अपनी जीभ फिराई। पद्मिनी के शरीर के गुदगुदी जब चरम पर पहुंच गई तब उसने अपने आप को सीधा किया और मेरे मुंह को पकड़ कर अपने स्तनों पर लगा दिया. मैंने पद्मिनी के स्तनों को चूसना चाटना शुरू किया, पद्मिनी के स्तन एक अलग ही उत्तेजना का भाव पैदा कर रहे थे। मैंने पद्मिनी की टांगों को चौड़ा करके उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी और उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से गुदगुदाने लगा।आह पापा कितना मज़ा आ रहा है, हाय मेरी चूत , और चूसो मेरे पापा , ऐसे ही जोर जोर से चूस लो, खा जाओ अपनी बहु की चूत आज , हाय चूत री। मैंने नीचे बैठकर पद्मिनी के टांगें चौड़ी करके उसकी चूत पर अपना मुंह रख दिया तथा जीभ से उसकी चूत का चोदन करने लगा।में पद्मिनी को रूम के बाथ टब में ले गया

उत्तेजित पद्मिनी ने अपने दोनों हाथों से बाथटब के किनारों को पकड़ लिया और अपने हाथों की पकड़ को बेहद मजबूत कर लिया। मेने पद्मिनी के साइड में आकर उसके स्तनों पर अपना मुंह चलाना शुरू कर दिया और उन्हें चूसने लगा। मैंने पद्मिनी की जांघें और पांव को जीभ से गुदगुदा कर उसे उत्तेजित किया।

अब चूंकि पद्मिनी की चूत बेहद गीली हो चुकी थी, मैं खड़ा हो गया, पद्मिनी को खड़ा किया तथा उसके कूल्हों के नीचे हाथ रख कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया. पद्मिनी ने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर की ओर घुमा कर अपने आपको मेरे ऊपर लाद दिया. अब मेरे ऊपर चिपकी हुई पद्मिनी की गीली चूत में मैंने अपना खड़ा लिंग डाल दिया और गोद में ही ऊपर नीचे करके पद्मिनी को धीरे धीरे चोदने लगा। पद्मिनी ने थोड़ी देर बाद मुझे अलग किया और उसने मुझे कमरे में रखी लकड़ी की कुर्सी पर बिठाया जिस पर हाथ का सहारा रखने वाले हत्थे नहीं थे बल्कि केवल पीछे ही पीठ का सहारा लेने के लिए व्यवस्था थी। मैं पद्मिनी के कहे अनुसार उस कुर्सी पर अपना खड़ा लिंग लिए बैठ गया. उसके बाद पद्मिनी अपनी गांड मटकाती हुई मेरे पास आई और अपने स्तन को मेरे सीने पर दबाते हुए मेरे लिंग को अपनी चूत में समाहित किए हुए मेरी तरफ मुंह करके मेरी गोद में बैठ गई।

अब पद्मिनी के स्तन मेरे सीने पर स्पर्श कर रहे थे। पद्मिनी ने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर अपनी टांगों को नीचे फर्श पर लगाकर अपनी टांगों के इस्तेमाल से अपने आप को ऊपर नीचे करना शुरू किया जिससे कि मेरा खड़ा लिंग पद्मिनी की चूत में अंदर-बाहर होने लगा।

मुझे पद्मिनी की चुदाई का यह तरीका बेहद खास लगा।

थोड़ी देर में पद्मिनी के पांव की गति तेज हो गई. उसके गोल-गोल बड़े-बड़े स्तन मेरे सीने से टकराने लगे। पद्मिनी ने गति इतनी तेज कर ली कि वह अब अपनी सांसों पर संयम नहीं कर पा रही थी।

उसने अपने मुंह को मेरे मुंह से अलग किया और अति उत्तेजना में आह … आह … की ध्वनि निकाल कर मेरे लंड पर उछल-कूद करने लगी।मर गई मेरी मा री, आह नहीं , फट गई मेरी चूत, आह बचाओ मुझे

पद्मिनी अपनी गांड का इस्तेमाल इस प्रकार कर रही थी कि जब भी ऊपर होकर नीचे की तरफ आती तो मेरी जांघों पर टकराकर पट-पट की जोरदार ध्वनि उत्पन्न करती।

जब पद्मिनी के पांव जवाब देने लगे तो मैंने अपनी टांगों का इस्तेमाल करते हुए पद्मिनी की चूत की गहराई तक अपने लंड को पहुंचाना शुरू किया और करीब 5 से 7 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों की टांगों ने जवाब दे दिया. अब हमने अपनी सेक्स स्थिति बदलने की सोची।

पद्मिनी ने अपनी गीली चूत में से सना हुआ मेरा लंड बाहर निकाला और कमरे की स्टडी टेबल पर अपने स्तनों को टिका दिया। पद्मिनी अपने पांव पर खड़ी होकर अपने पूरे शरीर को टेबल पर लेटा चुकी थी.

उसने अपनी गर्दन और स्तनों को टेबल पर लेटा कर अपने हाथों को पीछे मोड़कर अपने कूल्हे को अपने हाथ से जोर से थपथपाया और कहा- कम ऑन पापा ! माय ऐस्स इज वेटिंग फॉर यू। (आओ पापा , मेरी गांड का छेद तुम्हारा इंतजार कर रहा है)

पद्मिनी की यह अदा मुझे भा गई। मैं कुर्सी से उठकर उसकी तरफ गया और उसके पीछे खड़े होकर उसकी गांड पर जोर से थप्पड़ मारा। वास्तव में क्या गांड थी पद्मिनी की! गोलाकार गोरे रंग की गांड. अगर कोई टाइट कपड़ों में ऐसे ही देख ले तो उससे मुट्ठ मारे बिना नहीं रहा जाए और यह तो मेरे सामने अपने असली रंग को दर्शाती हुई नंगी गांड थी।

मैंने पद्मिनी के बालों को पीछे खींचते हुए उसकी चूत में अपना लंड ठेल दिया और अपनी पूरी जान लगा कर पद्मिनी की चूत को चोदने लगा. कमरे में जोरदार फच-फच की आवाज गूंजने लगी। जब मेरा लिंग पद्मिनी की चूत के चिकने पानी से पूर्ण रूप से चिकना हो गया तब मैंने उसे पद्मिनी की गांड के छेद पर टिका कर अंदर डालने का प्रयास किया।

मेरे लंड ने पद्मिनी की गांड में जाने में ज्यादा समय नहीं लगाया. मेरा लंड पद्मिनी की गांड में तो चला गया था लेकिन मैं उसमें अभी तक धक्का नहीं मार पाया था क्योंकि लंड को अंदर बाहर करने में मुझे पद्मिनी की गांड का कसाव कुछ ज्यादा ही महसूस हो रहा था।

पद्मिनी बोली- . कृपया थोड़ा आराम से करना।

पर मैंने दरिंदे की तरह अपने लिंग को पद्मिनी की गांड के छेद के बाहरी मुंह तक निकाला और एकदम से जोर से अंदर पेल दिया। पद्मिनी यह झटका संभाल नहीं पाई और उसके मुंह से ‘ओ बहन चोद …’ की गाली निकल गई।

मुझे उसके द्वारा निकाली गई गाली ने और उत्तेजित किया और मैंने फिर अपने लंड को बाहर निकाल कर फिर जोर से उसकी गांड में ठेला। इस बार उसने मुझसे मादरचोद कहा और जोर-जोर से कहने लगी कि अपने लंड को मेरी गांड से बाहर निकालो।

जैसा कि मैंने कहा था, मैंने अपनी उत्तेजना में अपना आपा खो कर अपने धक्कों की गति और तेज कर दी इस तरह मेरी कमर और पद्मिनी की गांड की टकराहट से जोरदार आवाजें आने लगी।

थोड़ी देर बाद पद्मिनी की गांड के छेद ने मेरे लंड को एडजस्ट कर लिया और पद्मिनी भी इस गांड चुदाई का मजा लेने लगी। पद्मिनी की कसमसाई गांड में झटके लगा-लगा कर मुझे अहसास हुआ कि अब मैं झड़ने वाला हूं। अतः मैने अपना लिंग पद्मिनी की गांड से निकाल कर इसी स्थिति में उसकी चूत में पेल दिया और उसकी चूत को अपने लंड से फाड़ने लगा।

पद्मिनी जोर से अंग्रेजी में फक फक फक … बकने लगी। थोड़ी देर में पद्मिनी की चूत ने मेरे लंड पर हल्का सा फव्वारा छोड़ दिया तथा मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया.

पद्मिनी की इस धुआंधार चुदाई से हम दोनों की टांगों ने जवाब दे दिया था क्योंकि ज्यादातर चुदाई हमने हमारे टांगों के बल पर ही की थी. जिसके कारण हम थक कर बिस्तर पर आकर लेट गए।
 
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