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Erotica सोलवां सावन

komaalrani

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Super duper Sawan 👌👌👌
:applause: sooo nice,kisi ko bhi nahi chhoda kya bhabhi kya mummy , adbhut
Thanks so much aap akeli ho jo meri har story ko padhti bhi ho tarif bhi karti ho, luv u sis:love::love::love3::love3:
 
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komaalrani

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Satru

Hay baby m a hot man .
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Adbhut
 

komaalrani

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Bas aap aise hi comment post karte rahiye updates post hote rahnege
 

Satru

Hay baby m a hot man .
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Apke updates Mera paani Khali par Khali kiye hate hai , uffffff
 
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Satru

Hay baby m a hot man .
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Bas aap aise hi comment post karte rahiye updates post hote rahnege
U r amazing writer
 
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komaalrani

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***** *****सुनहली शराब

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और अबकी उनके साथ गुलबिया भी,

फिर तिबारा, पांच छह मिनट तक वो और गुलबिया, बार-बार, कुछ देर तक ऐसे चिपकी पड़ीं रही मैं भी उनके साथ। और हटी भी तो एकदम लस्त पस्त, लथर पथर।



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मैं भी उनके साथ पड़ी रही 20-25 मिनट तक दोनों लोगों की बोलने की हालात नहीं थी, फिर भाभी की माँ ने मुझे इशारे से बुलाया और अपने पास बैठा के दुलारती सहलाती रहीं, बोलीं-

“जमाने के बाद ऐसा मजा आया है…”



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गुलबिया अभी भी लस्त थी। भाभी की माँ की उंगली अभी भी उसके पिछवाड़े थी और,

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अचानक वहां से सीधे निकाल के मेरे मुँह में उन्होंने घुसेड़ दी।

मैंने बुरा सा मुँह बनाया।



तो बोलीं-

“अरे अभी मेरा स्वाद तो इत्ते मजे ले-ले के ले रही थी, जरा इसका भी चख ले, वरना बुरा मान जायेगी ये छिनार, अच्छा चल ये भी घोंट ले, स्वाद बदल जाएगा…”


और पास पड़ी बोतल उठा के मेरे मुँह में लगा दी।

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दो चार घूँट मुझे पिला के फिर वो सीधे बोतल से, तब तक गुलबिया भी बैठ गई थी और उसने माँ के हाथ से बोतल ले ली। थोड़ी देर में हम दोनों ऐसे ही बातें करते, आधी बोतल खाली हो गई।


आसमान में एक बार फिर से बादल छाने लगे थे। चांदनी कभी छुप जाती कभी दिख जाती,



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“यार हम दोनों ने मजा ले लिया लेकिन ये छिनार अभी भी पियासी है…” माँ ने मेरी ओर इशारा करके बोला, लेकिन खुद ही मजबूरी भी बताई-

“हम दोनों तो इतने लथर पथर हो गए हैं की आधे पौन घंटे तक हिल भी नहीं सकते…”



गुलबिया ने हामी भरी लेकिन तभी उसकी निगाह राकी और उसके मस्ताए शिश्न पर पड़ी, और वो मुश्कुरा उठी, कहा-


“एक है न… जो थका भी नहीं और इस छिनार का यार भी है, देखो कितना मस्ता रहा है?”

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माँ ने राकी के मोटे खड़े लण्ड को देखा (मेरी निगाह तो वहां से हट ही नहीं रह थी) और खिलखिलाते गुलबिया से हँस के पूछा-

“इसको चढ़ायेगी क्या मेरी बेटी पे?”

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“एकदम… लेकिन चोदने के पहले चूस चाट के गरम भी तो करेगा, और हम दोनों भी तो चूस चाट के झड़ी हैं ना, तो एक बार इसको चटवा के झड़वा देते हैं, चुदेगी तो ये ही राकी से और एक बार क्या अब हर रोज चुदेगी, घर का माल है। लेकिन पहले चटवा देती हूँ…”

माँ ने भी सहमति दी और मेरी तो बिना झड़े वैसे ही हालात खराब हो रही थी। मुझे लगा, गुलबिया राकी की चेन अभी खोल देगी और फिर हम दोनों…

लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

उसने सिर्फ मुझे थोड़ा सरका के, पेड़ के और नजदीक कर दिया। और तब मुझे अहसास हुआ राकी बंधा जरूर था लेकिन उसकी चेन बहुत लंबी थी।


गुलबिया ने माँ से बोतल लेके थोड़ी सी मेरी जाँघों के बीच गिराई, कुछ मेरे दोनों उभारों पे और बस राकी को मेरी टांगों के बीच, चेन पूरी खींचने के बाद अब उसके नथुने मेरे ‘वहां’ पहुँच सकते थे। और उसकी लंबी खुरदरी जीभ सीधे वहां।


मेरी हालत खराब हो गई। लेकिन ये तो सिर्फ शुरूआत थी, शराब से डूबे मेरे जोबन को भी दोनों ने आपस में बाँट लिया और जोर-जोर से चूसने लगीं।


राकी आज बहुत हल्के-हल्के, जैसे आराम से कोई सुहागरात के दिन नई दुल्हन को गरम करे, ये सोच के चुदेगी तो ये है ही, जायेगी कहाँ?

तब तक माँ ने कुछ गुलबिया से इशारा किया तो गुलबिया ने मेरी ओर इशारा किया। कुछ देर तक तो वो झिझकीं, ना-नुकुर की लेकिन मान गईं।


गुलबिया ने बोला क्या और उकसाया उनको-

“अरे अब इसको दो-दो की आदत पड़ गई है। यार से चुसवा रही है अपनी बुर तो जरा अपनी बुर आप भी चटवा लो, अभी चाट तो रही थी लेकिन मैंने हिस्सा बंटा लिया। बहुत मजा है इस बुर चटानो को बुर चाटने में, दोनों ओर से मजा लेगी और मैं तब तक जरा इसकी कच्ची अमिया का स्वाद लेती हूँ…”

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तब तक भी मुझे नहीं मालूम था क्या होने वाला है?

आंगन में एक बार फिर से ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी, बादलों के छौने आसमान में दौड़ लगा रहे थे, चांदनी के साथ आँख मिचौली खेल रहे थे। पीला सुनहला आसमान कभी एकदम स्याह हो उठता तो कभी सुनहली चांदनी से नहा उठता।

और माँ मेरे ऊपर सवार थी, उनकी मांसल जाँघों के बीच मेरा सिर दबा हुआ था, कस के अपना भोसड़ा मेरे गुलाबी रसीले होंठों पे वो रगड़ रही थीं, खूब मीठे-मीठे रस में उनकी बुर डूबी थी, एकदम मीठी चाशनी।

अभी इत्ती बुरी तरह झड़ी जो थीं, और मेरे लिए तो मजे हो गए।


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कुछ देर में जब आसमान स्याह था, उन्होंने मेरे गाल दबा के मेरे होंठ खुलवा दिए, और मैंने झट से खोल दिया, दो बार बसन्ती ने मुझे ये मजा चखा दिया था और अब मुझे भी मजा आने लगा था, फिर दारू ने मेरी सोचने की ताकत खतम कर दी थी।

गुलबिया- “बोल छिनरो, पियेगी न?”
लजाते शर्माते, मैंने हामी में सर हिला दिया।

“अरे मुँह खोल के बोल साफ-साफ, वरना राकी को और भरोटी के लौंडों को भूल जाओ, एक भी लण्ड को तरसा दूंगी, अगर नहीं बोलेगी खुल के, बोल बुर मरानो, कुत्ता चोदी?”

गुलबिया ने हड़काया।


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माँ ने भी जोड़ा- देख गुलबिया की बात काटने की घर में क्या गाँव में किसी की हिम्मत नहीं है…”

और झिझकते मैंने ‘हाँ’ बोल दिया। मेरी चूत एकदम तड़प रही थी,

एक बार फिर बदलियों ने चांदनी की आँखें खोल दी, चांदनी आँगन में चहक उठी। पीली सुनहली चांदनी आसमान से बरसती, नीम के पेड़ के ऊपर से छलकती, सीधे मेरे खुले होंठों के बीच, पहले एक बूँद, फिर दूसरी बूँद, मेरे प्यासे होंठ खुले थे।

भोसड़े से बूँद बूँद सुनहली शराब, मैंने होंठ बजाय बंद करने के और खोल दिए,

न किसी ने मुझे पकड़ा था न कोई जबरदस्ती।


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और उसके साथ सुनहली बारिश भी, बूँद-बूँद से छर-छर, फिर घल-घल।

शर्मा से कुँवारी किशोर चांदनी भी बदली के पीछे जा छुपी। पर वो खेल तमाशा देख रही थी।

सुनहली शराब बरस रही थी और मैं…माँ पिला रही थीं, मैं पी रही थी ,मुंह खोले , उनकी मांसल जाँघों ने कस के मेरे सर को जकड़ रखा था वो सुनहली शराब का झरना,...



कुछ देर बाद जब वो ऊपर से उठीं तो एक नदीदी की तरह से मैंने जीभ निकालकर होंठ पर लगी सोने की बूंदें भी चाट ली।

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आसमान एक बार फिर स्याह हो गया था, मुझे लग रहा था अब झड़ी तब झड़ी।


और तभी आँगन में पानी की पहली बूँद पड़ी, लेकिन हम तीनों में से कोई हटने वाला नहीं था। एक, दो, तीन, चार, सावन की बूंदें, आसमान बादलों से भर गया था।


और माँ ने गुलबिया को बोला- चल अब भौजाई का नम्बर।
 
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चस्का स्वाद बदलने का


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और तभी आँगन में पानी की पहली बूँद पड़ी, लेकिन हम तीनों में से कोई हटने वाला नहीं था। एक, दो, तीन, चार, सावन की बूंदें, आसमान बादलों से भर गया था।

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और माँ ने गुलबिया को बोला- चल अब भौजाई का नम्बर।

और गुलबिया मेरे मुँह के ऊपर थी, मैंने खुद मुँह खोल दिया।

लेकिन अबकी माँ ने गुलबिया के ही ब्लाउज से मेरी कोमल-कोमल कलाई कस के बांध दी थी और खुद मेरी कमर के पास बैठ गई थी।


थोड़ी देर तक गुलबिया ने खेल तमाशा किया, तड़पाया फिर बोली-

“बहुत भूखी होगी मेरी ननदिया न?”

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अब मैं इतनी नासमझ नहीं थी, मैंने मुँह तुरंत बंद करने की कोशिश की। पर गुलबिया के आगे…

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मेरे नथुने उसने बंद कर दिया, बोली- '

चल गाण्ड चाट, अभी मेरे सामने इतनी मस्ती से चाट रही थी,"

मैं चाटना शुरू कर दिया। लेकिन,

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तभी आसमान एकदम काला हो गया। राकी, माँ, पेड़ की बस छाया दिख रही थी। बारिश बहुत तेज हो गई थी।



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माँ ने एक साथ मेरे निपल और क्लीट नोच लिए मैं जोर से चीखी मेरा मुँह पूरा खुल गया,



और,



और,



और,



और, तेज तूफान आ गया था। बिजली चमक रही थी, बादल गरज रहे थे।

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फिर तो वो सब हुआ जो न कहने लायक, न लिखने लायक। एकदम गर्हित, किंकी, पूरी रात, गुलबिया, मा॰।



खूब भोगी गई मैं, चार-चार बार उन दोनों को झाड़ा मैंने



लेकिन…



लेकिन न तो एक बूँद मैं रात में सोई न एक बार झड़ी। न मैं न राकी, उन दोनों ने ही नहीं छोड़ा मुझे। फिर जब रात अभी खतम नहीं हुई थी, एक आध पहर बाकी होगी। बारिश करीब-करीब बंद हो गई थी।


क्या क्या स्वाद न चखाया माँ और गुलबिया ने मुझे, गुलबिया तो बसंती से दस हाथ आगे थी , लेकिन माँ गुलबिया से भी सौ हाथ आगे,

बदल बदल कर स्वाद, जो मुझे बसंती और चंपा भाभी चिढ़ाती थी , मेरी सहेली चंदा बोलती थी, वो भी स्वाद गुलबिया ने, ... तेज बारिश बिजली में और फिर माँ ने जो जो गुलबिया ने किया, वो सब और उससे भी ज्यादा और बार बार बोलती भी थी , चख ले ये सब स्वाद, बदल बदल कर , एक बार चस्का लग गया न स्वाद बदलने का तो फिर ,.. हर तरह का,...

बदल बदल कर स्वाद ले , एक बार चस्का लग गया स्वाद बदलने का न तो,... खूब मजे लेगी , हर स्वाद के

कुछ भी नहीं बचा , सब कुछ कह भी नहीं सकती , फोरम के नियम कानून , बस आप सब की कल्पना पे छोड़ती हूँ , किंक की तो,...

माँ ने दे दिया गुलबिया को इनाम- “सुन, अभी ले जा न इसको अपने टोले में, जरा वहां का भी तो मजा ले ले। मैं सोने जा रही हूँ। भोर होने पर सारा गाँव देखेगा, उसके पहले…”

बस मैंने और गुलबिया ने खाली साड़ी टांग ली अपने देह के ऊपर, जब मैं गुलबिया के साथ निकल रही थी, आसमान की स्याही हल्की पड़ रही थी। भरौटी पहुँचते-पहुँचते, आसमान में हल्की सी लाली दिख रही थी। हम दोनों सीधे गुलबिया के घर में घुस गए।

उसका मर्द अपने काम के लिए निकल गया था, सिर्फ हमी दोनों थे। मैं बिस्तर पर कटे पेड़ की तरह गिर गई। लेकिन आधे घंटे भी नहीं सोई होऊँगी की गुलबिया ने जगा दिया।
 
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snidgha12

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Ek baat fir se apka update padh land ko hila Raha hu , bada sukun mil Raha hai kadam se , mast ho ek dm
 
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