.....बस
तब तक चन्दा ने सांकल खोल दी और पूरबी अंदर आ गई- “हे जल्दी चलो, बस खड़ी है, ड्राइवर हार्न बजाये जा रहा है…” उसने बोला।
मैंने बढ़कर अपनी पैंटी उठानी चाही तो पूरबी ने उसे उठा लिया और मुश्कुराते हुये बोली- “हे अब इसे पहनने, पोंछने का टाइम नहीं है बस तुम चल चलो…”
मेरी गाण्ड और चूत दोनों में वीर्य भरा था और बस चूना ही चाहता था। चूची और गाल पे जो लगा था सो अलग। पूरबी ने मेरे गाल पर लगे, अजय और रवी के वीर्य को कसकर चेहरे पे रगड़ दिया और कहा- “तेरा गोरा रंग अब और चमकेगा…”
चन्दा और गीता ने जल्दी-जल्दी मेरा टाप बंद कर दिया पर उन नालायकों ने मेरी ब्रा को खुला ही रहने दिया और मेरे निपल पर लगे वीर्य को भी वैसे ही छोड़ दिया।
मैं जल्दी-जल्दी चलकर गई। मेरे गालों पर तो लगा ही था, मेरा मुँह भी उन तीनों के रस से भरा था। बस खड़ी थी और ड्राइवर अभी भी हार्न बजा रहा था। मैं जल्दी-जल्दी सबसे मिली।
राकी भी आकर मेरे पैरों को चाट रहा था। मैं जब राकी को सहलाने लगी तो पीछे से किसी ने बोला- “अरे ज्यादा घबड़ाने की बात नहीं है, कातिक में तो ये फिर आयेगी…”
मैं मुश्कुराये बिना नहीं रह सकी।
ड्राइवर भी बगल के गाँव का था। वह भी बिना बोले नहीं रह सका, आखिर मैं उसके बहनोई की बहन जो थी। मुझे देखते हुए, द्विअर्थी ढंग से बोला- “मैंने इतनी देर से खड़ा कर रखा है…”
चमेली भाभी कैसे चुप रहतीं, उन्होंने तुरंत उसी स्टाइल में जवाब दिया-
“अरे खड़ा किया है तो क्या हुआ? आ तो गई हैं चढ़ने वाली, बैठाना दो घंटे तक…”
किसी ने कहा कि ये बहुत देर से हार्न बजा रहा था।
तो चम्पा भाभी मेरे गालों पर कस के चिकोटी काटतीं, बोलीं-
“अब इसका हार्न बजायेगा…”
सामान पहले ही रखा जा चुका था। मैं जाकर बस में बैठ गई, खिड़की के बगल में और बस चल दी। मैं देख रही थी, बाहर, खिड़की से, गुजरती हुई, अमराई, जहां हम झूला झूलने जाते थे और जहां रात में पहली बार अजय ने… वो गन्ने के खेत, मेले का मैदान, नदी का किनारा, सब पड़ रहे थे और पिक्चर के दृश्य की तरह सारा दृश्य एक-एक करके सामने आ रहा था।
भाभी ने पूछा- “क्यों क्या सोच रही हो?
तब तक एक झटका लगा और मेरी गाण्ड और चूत दोनों से वीर्य का एक टुकड़ा मेरे चूतड़ और जांघ पर फिसल पड़ा।
भाभी और मेरे पास सट गईं और मेरे गाल से गाल सटाकर बोलीं-
“घर चलो, वहां मेरा देवर इंतजार कर रहा होगा…”
मेरे चेहरे पर मुश्कान खिल उठी। मेरे सामने रवीन्द्र की शक्ल आ गई। मैंने भी भाभी के कंधे पे हाथ रखकर, मुश्कुराकर कहा-
“भाभी आपके भाइयों को देख लिया, अब देवर को भी देख लूंगी…”
तो ये रही मेरी भाभी के गाँव में आप बीती।
भाभी के देवर ने मेरे साथ क्या किया, या मैंने भाभी के देवर के साथ, ये तो मैं अपकी कल्पना पर छोड़ती हूँ