- 22,317
- 58,133
- 259
ab aap ki baat taal bhi to nahi sakati,...bas shuru karti hun ek do parts men aage ravindra ke saath kya huaNahi Komal Ji esa mat kariye pls. Ravindra wala is baar mt chhodo bich me. Maana Rocky to is forum ki vajah se nhi likh paai, par Ravindra ka to kr dijiye.
Apne is pathak ki yeh baat ka maan rakh lijiye
पुनश्च,...आगे आगे चलिए राकी न सही तो राखी का हाल चाल बता देती हूँ,...
समाप्त...???
Bahut bahut dhanyawaad apka komal Ji, is pathak ki baat ka man rakhne ke liyeab aap ki baat taal bhi to nahi sakati,...bas shuru karti hun ek do parts men aage ravindra ke saath kya hua
Dil khush kar diya komal Ji apne. 19-20 nhi, is baar 25 wale se mukabla hai Guddi ka,***** *****सत्तावनवीं फुहार - शहर में राखी, रविन्द मेरा कजिन
जब मैं घर पहुँची तो बहुत देर हो चुकी थी, इसलिये मैं अपने घर पे ही उतर गई। अगले दिन मैंने सुबह से ही तय कर लिया था, भाभी के घर जाने को। सावन की पूनो में अब तीन दिन बचे थे। और उसका बहाना भी मिल गया। जब स्कूल की छुट्टी हुई, तो तेज बारिश हो रही थी। और भाभी का घर पास ही था।
वैसे भी दिन भर बजाय पढ़ाई के मेरा मन रवीन्द्र में, चन्दा ने उसके बारें में जो बताया था, बस वही सब बातें दिमाग में घूमती रहीं। भाभी के घर तक पहुँचते-पहुँचते भी मैं अच्छी तरह भीग गई। मेरे स्कूल की यूनीफार्म, सफेद ब्लाउज और नेवी ब्लू स्कर्ट है।
और भाभी के गाँव से आकर मैंने देखा कि मेरा ब्लाउज कुछ ज्यादा ही तंग हो गया है। भाभी के घर तक पहुँचते-पहुँचते भी मैं अच्छी तरह भीग गई, खास कर मेरा सफेद ब्लाउज, और यहां तक की तर होकर मेरी सफेद लेसी टीन ब्रा भी गीली हो गई थी।
भाभी किचेन में नाश्ता बना रहीं थीं और साथ ही साथ खुले दरवाजे से झांक कर टीवी पर दिन में आ रहा सास बहू का रिपीट भी देख रही थीं। मैंने भाभी से पूछा-
“ये दिन में आप इस तरह… सास बहू देख रही हैं… रात में नहीं देखा क्या? और ये नाश्ता किसके लिये बना रही हैं?”
भाभी हँसकर बोलीं-
“रात में तो 9:00 बजे के पहले ही पति पत्नी चालू हो जाता है तो सास बहू कैसे देखूं? तेरे बड़े भैया आजकल ओवरटाइम करा रहे हैं। मैं इतने दिन सावन में गैर हाजिर जो थी। आजकल हम लोग रात में 8:00 बजे तक खाना खा लेते हैं और उसके बाद रवीन्द्र पढ़ने, अपने कमरे में ऊपर चला आता है, और मेरे कमरे में, तुम्हारे बड़े भैया मेरे ऊपर आ जाते हैं…”
“और ये नाश्ता किसके लिये बना रही हैं?” मुझसे नहीं रहा गया।
“रवीन्द्र के लिये… आज उसकी सुबह से क्लास थी बिना खाये ही चला गया था आते ही भूख-भूख चिल्लायेगा…”
मैंने उनके हाथ से चमचा छीनते हुये कहा- “तो ठीक है भाभी नाश्ता मैं बना देती हूं। और आप जाकर टीवी देखिये…”
“ठीक है, वैसे भी मेरे देवर की भूख तुम्हें मिटानी है…” हँसते हुए, भाभी हट आईं।
“चलिये… भाभी आपको तो हर वक्त मजाक सूझता है…” झेंपते हुये मैंने बनावटी गुस्से से कहा।
“मन मन भावे… और हां नाश्ते में उसे फल पसंद हैं तो अपने ये लाल सेब जरूर खिला देना…”
ये कहकर उन्होंने मेरे गुलाबी गालों पर कस के चिकोटी काटी और अपने कमरे में चल दीं।
भाभी के मजाक से मुझे आइडिया मिल गया और चम्पा भाभी का बताया हुआ श्योर शाट फार्मूला याद आ गया।
मैंने फ्रिज खोलकर देखा तो वहां दशहरी आम रखे थे। मैंने उसकी लंबी-लंबी फांकें काटी और प्लेट में रख ली
और उसमें से एक निकालकर, (मैंने भाभी के कमरे की ओर देखा वो, सास बहू में मशगूल थीं) अपनी स्कर्ट उठाकर, पैंटीं सरकाकर, चूत की दोनों फांकें फैलाकर उसके अंदर रख ली और चूत कसकर भींच लिया।
नाश्ता बनाते समय मुझे चन्दा ने जो-जो बातें रवीन्द्र के बारें में बताई थीं याद आ रही थीं,चंदा से गाँव का कोई लौंडा बचा नहीं था यहाँ तक की भरौटी के लौंडो से भी वो कितनी ही बार चुदी थी , तब भी उसने मुझसे पहले दिन ही बोला था की रविंद्र का उन सबसे बीस नहीं पच्चीस होगा और वो मेरा दीवाना भी है , बस सीधा है , लजाता है इसलिए बोलता नहीं ” और न जाने कैसे मेरा हाथ पैंटी के ऊपर से रगड़ रहा था और थोड़ी ही देर में मैं अच्छी तरह गीली हो गई। नाश्ता बनाकर मैंने तैयार किया ही था कि मुझे रवीन्द्र के आने की आहट सुनायी दी।
वह सीधा ऊपर अपने कमरे में चला गया। वहीं से उसने आवाज लगाई- “भाभी मुझे भूख लगी है…”
भाभी ने कमरे में से झांक कर देखा। मैंने इशारे से उन्हें बताया की नाश्ता तैयार है और मैं ले जा रही हूं।
जब मैं सीढ़ी पर ऊपर नाश्ता लेकर जा रही थी, तभी मुझे ‘कुछ’ याद आया और वहीं स्कर्ट उठाकर आम की फांक मैंने बाहर निकाली। वह मेरे रस से अच्छी तरह गीली हो गई थी। मैंने उसको उठाकर प्लेट में अलग से रख लिया। बिना दरवाजे पर नाक किये मैं अंदर घुस गई।
वो सिर्फ पाजामे में था, पैंट उसकी पलंग पर थी और बनयाइन वो पहनने जा रहा था।