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Erotica सोलवां सावन

chodumahan

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गजब का सीन क्रिएट किया है कोमल रानी..
सचमुच आप इस फोरम की रानी मधु(मक्खी) हो...
 
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komaalrani

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गजब का सीन क्रिएट किया है कोमल रानी..
सचमुच आप इस फोरम की रानी मधु(मक्खी) हो...
:thank_you::thank_you:🙏🙏🙏🙏
 

komaalrani

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ये आम और काम का तो गजब का तालमेल बनाया है...
अब तो रविंद्र का रस टपकेगा ही टपकेगा...
और गुड्डी भी तो भाभी के गांव से लटकों झटकों की जबरदस्त ट्रेनिंग लेकर आई है...
सारे तौर-तरीके आजमाईश कर सकती है...
लेकिन एकाध में हीं रविंद्र अपना नलका खड़ा करके अपना आम... नहीं-नहीं काम रस गुड्डी को अर्पण कर देगा...
ekdam sahi kaha aapne
 

komaalrani

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komaalrani

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Sis ajj to tum mazak ke mood me lag rahi ho .ha ha🥰
nahi nahi ye trick is story ke saath Joru ka Gullam men bhi hai How to create Mango shake
 
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komaalrani

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छुटकी -होली दीदी की ससुराल में

भाग -१२

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पोस्टेड


 
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रविंद्र भैया

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अब मैंने खड़ी होकर एक कस के रसदार अंगड़ाई ली, मेरे कबूतर और खड़े हो गये थे और उसकी चोंच तो तनकर मेरे ब्लाउज फाड़े दे रहे थे।

Dress-tank-top-anuja-top.jpg


एक बार फिर उसकी निगाह वहीं पे गई और जब मैंने उसकी निगाहों की ओर देखकर मुश्कुरा दिया तो वह समझ आया की चोरी पकड़ी गई।

उसने निगाहें नीची कर लीं और कहने लगा- “तुम बदल गई हो… बड़ी वैसी लगाने लगी हो…”

“कैसी… खराब?” मैं बोली।

“नहीं मेरा मतलब है… कैसे बताऊँ? वैसी… एकदम बदली बदली…”

मैंने एक बार फिर अपने हाथ पीछे करके जोबन को कस के उभारा और हँस के बोली-

“तो क्या तुम्हारा मतलब है सेक्सी? तो बोलते क्यों नहीं? सिर्फ मैं नहीं बदली हूँ तुम भी बदल गये हो, तुम्हारी निगाहें भी…”



Dress-da33bffe15b09a8bd1c23d780ab5b975.jpg


मैं अब पाजामें में तने तंबू को देख रही थी।

उसने चड्ढी भी नहीं पहन रखी थी इसलिये साफ-साफ दिख रहा था। उसने मेरी निगाह पकड़ ली पर मैंने तब भी अपनी निगाह वहां से नहीं हटायी।

“मैं जरा बाथरूम होकर आता हूं…” वो बोला।

“तो क्या मैं चलूं…” मैं भी खड़ी हुई।

तो वो बोला- “नहीं बैठो ना…”

जैसे ही वह अंदर घुसा, मैं बोली- “ज्यादा टाइम मत लगाना नहीं तो मैं चली जाऊँगी…”

“नहीं नहीं…” वह अंदर से बोला।

मैंने उसका पर्स खोला, जैसा कि चन्दा ने कहा था उसके अंदर मेरी एक फोटो थी।


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मैंने पलटकर देखा तो पीछे उसने लिख रखा था-

‘आई लव यू’


मैं एकदम सिहर गई।

मेरे चूचुक कस के खड़े हो गये। मैंने भी एक पेन उठायी और उसके नीचे लिख दिया- ‘आई लव यू टू’ और फोटो वापस पर्स में रख दी।




जब वह बाहर निकला तो मैं फिर उसके पास बैठ गई और कहने लगी-

“मुझे एक बात पता चली है?”

उत्सुकता से उसने पूछा- “क्या?”

तो मैं मुश्कुराकर बोली- “किसी को मैं अच्छी लगती हूँ?”



Guddi-cute-tumblr-p1obgty-EZ81u8ys5uo4-500.jpg


“तो इसमें कौन सी खास बात है… तुम अच्छी हो… बहुत अच्छी हो… तो फिर बहुतों को अच्छी लगती होगी…”

“नहीं ऐसी बात नहीं, वह एक खास है, बहुत खूबसूरत है, बुद्धिमान है… लेकिन थोड़ा बुद्धू है… और एक खास बात है…” मैं चलने के लिये उठी।

“क्या बात है… बताओ ना?”

वह भी अब थोड़ा-थोड़ा समझ रहा था और बेताब था।

“कान में बताऊँगी…” और मैंने अपने रसीले होंठों से उसके इअर-लोबस छू लिये और बोली-

“वो मुझे भी बहुत अच्छा लगता है…”

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और जैसे मैं अपनी स्कर्ट ठीक कर रही हूं, मेरे हाथ नीचे गये और उसके फिर से उठते, टेंट पोल को सहलाकर, वापस आ गये। जब तक वह सम्हले-सम्हले, मैं, अपने नितंबों को इरोटिक ढंग से हिलाती हुई, वापस अपने घर को चल दी।



अगले दिन मैं भाभी के घर नहीं जा पाई, हां उसको आने का बुलौवा मैंने जरूर भेजा था, मुझे ‘पढ़ाई’ में कुछ हेल्प करने के लिये।



शाम से ही मैं बेचैन थी, क्या पहनूं, क्या न पहनूं… कब तक आयेगा वो या कहीं ना आये? मैंने कई ड्रेसेज निकालकर पलंग पर रखीं, टाइट जीन्स, टाप, शर्ट स्कर्ट, सलवार सूट… लेकिन फिर कुछ सोचके मैं मुश्कुराई और अपनी एक पुरानी फ्राक जिसे मैंने साल भर पहले से पहनना छोड़ दिया था, निकाली, पिंक कलर की। फ्राक थोड़ी, सच कहूं तो काफी टाइट थी।

मेरे उभार खुलकर पता चल रहे थे और जिस तरह से कल वह उन्हें घूर रहा था, मुझे लगा कि कुछ तो उसकी नजरों की प्यास बुझा दूं।


guddi-cute-19264654.jpg


मेरी पिछली बर्थ-डे पर भाभी ने मुझे कुछ ‘नाटी’ ब्रा पैंटी का सेट गिफ्ट किया था, उसमें से मैंने एक लेसी पतली पैंटी और लेसी हाफ ब्रा निकाली। जब मैंने अपने को शीशे में देखा तो एकदम पता चल रहा था कि मेरे उभार टाइट फ्राक से बर्स्ट कर रहे थे। मुश्कुराते हुए मैंने हाथ डालकर थोड़ी अपनी ब्रा को एड्जस्ट किया और अब मेरे निपल ब्रा से बाहर थे और खुलकर मेरी फ्राक से रगड़ खा रहे थे।

नीचे भी मेरी दूधिया जांघें खुलकर दिख रही थीं। मैंने हल्की सी गुलाबी लिपस्टिक भी लगा ली। बाहर घंटी बजी तो मैं बड़े जोर से बाहर निकली, पर वह दूध वाला था।

अब मैं इंतजार में बेचैन हो रही थी, आयेगा, नहीं आयेगा? सामने रखे गुलदस्ते में से फूल निकालकर उसकी एक-एक पंखुड़ियां मैं, लव मी, लव मी नाट के अंदाज में तोड़ती रही। अचानक मैंने मुड़कर देखा तो वह खड़ा था, और मेरी बेचैनी निहार रहा था।



मुझे देखते ही वह मुश्कुराने लगा। पेस्टल टी-शर्ट और टाइट जींस में वह बहुत डैशिंग और खूबसूरत लगा रहा था।
 
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जोरू का गुलाम भाग १४० पोस्टेड ,

आपके कमेंट्स की प्रतीक्षा में
 
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Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
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रविंद्र भैया

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अब मैंने खड़ी होकर एक कस के रसदार अंगड़ाई ली, मेरे कबूतर और खड़े हो गये थे और उसकी चोंच तो तनकर मेरे ब्लाउज फाड़े दे रहे थे।

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एक बार फिर उसकी निगाह वहीं पे गई और जब मैंने उसकी निगाहों की ओर देखकर मुश्कुरा दिया तो वह समझ आया की चोरी पकड़ी गई।

उसने निगाहें नीची कर लीं और कहने लगा- “तुम बदल गई हो… बड़ी वैसी लगाने लगी हो…”

“कैसी… खराब?” मैं बोली।

“नहीं मेरा मतलब है… कैसे बताऊँ? वैसी… एकदम बदली बदली…”

मैंने एक बार फिर अपने हाथ पीछे करके जोबन को कस के उभारा और हँस के बोली-

“तो क्या तुम्हारा मतलब है सेक्सी? तो बोलते क्यों नहीं? सिर्फ मैं नहीं बदली हूँ तुम भी बदल गये हो, तुम्हारी निगाहें भी…”



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मैं अब पाजामें में तने तंबू को देख रही थी।

उसने चड्ढी भी नहीं पहन रखी थी इसलिये साफ-साफ दिख रहा था। उसने मेरी निगाह पकड़ ली पर मैंने तब भी अपनी निगाह वहां से नहीं हटायी।

“मैं जरा बाथरूम होकर आता हूं…” वो बोला।

“तो क्या मैं चलूं…” मैं भी खड़ी हुई।

तो वो बोला- “नहीं बैठो ना…”

जैसे ही वह अंदर घुसा, मैं बोली- “ज्यादा टाइम मत लगाना नहीं तो मैं चली जाऊँगी…”

“नहीं नहीं…” वह अंदर से बोला।

मैंने उसका पर्स खोला, जैसा कि चन्दा ने कहा था उसके अंदर मेरी एक फोटो थी।


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मैंने पलटकर देखा तो पीछे उसने लिख रखा था-

‘आई लव यू’


मैं एकदम सिहर गई।

मेरे चूचुक कस के खड़े हो गये। मैंने भी एक पेन उठायी और उसके नीचे लिख दिया- ‘आई लव यू टू’ और फोटो वापस पर्स में रख दी।




जब वह बाहर निकला तो मैं फिर उसके पास बैठ गई और कहने लगी-

“मुझे एक बात पता चली है?”

उत्सुकता से उसने पूछा- “क्या?”

तो मैं मुश्कुराकर बोली- “किसी को मैं अच्छी लगती हूँ?”



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“तो इसमें कौन सी खास बात है… तुम अच्छी हो… बहुत अच्छी हो… तो फिर बहुतों को अच्छी लगती होगी…”

“नहीं ऐसी बात नहीं, वह एक खास है, बहुत खूबसूरत है, बुद्धिमान है… लेकिन थोड़ा बुद्धू है… और एक खास बात है…” मैं चलने के लिये उठी।

“क्या बात है… बताओ ना?”

वह भी अब थोड़ा-थोड़ा समझ रहा था और बेताब था।

“कान में बताऊँगी…” और मैंने अपने रसीले होंठों से उसके इअर-लोबस छू लिये और बोली-

“वो मुझे भी बहुत अच्छा लगता है…”

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और जैसे मैं अपनी स्कर्ट ठीक कर रही हूं, मेरे हाथ नीचे गये और उसके फिर से उठते, टेंट पोल को सहलाकर, वापस आ गये। जब तक वह सम्हले-सम्हले, मैं, अपने नितंबों को इरोटिक ढंग से हिलाती हुई, वापस अपने घर को चल दी।



अगले दिन मैं भाभी के घर नहीं जा पाई, हां उसको आने का बुलौवा मैंने जरूर भेजा था, मुझे ‘पढ़ाई’ में कुछ हेल्प करने के लिये।



शाम से ही मैं बेचैन थी, क्या पहनूं, क्या न पहनूं… कब तक आयेगा वो या कहीं ना आये? मैंने कई ड्रेसेज निकालकर पलंग पर रखीं, टाइट जीन्स, टाप, शर्ट स्कर्ट, सलवार सूट… लेकिन फिर कुछ सोचके मैं मुश्कुराई और अपनी एक पुरानी फ्राक जिसे मैंने साल भर पहले से पहनना छोड़ दिया था, निकाली, पिंक कलर की। फ्राक थोड़ी, सच कहूं तो काफी टाइट थी।

मेरे उभार खुलकर पता चल रहे थे और जिस तरह से कल वह उन्हें घूर रहा था, मुझे लगा कि कुछ तो उसकी नजरों की प्यास बुझा दूं।


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मेरी पिछली बर्थ-डे पर भाभी ने मुझे कुछ ‘नाटी’ ब्रा पैंटी का सेट गिफ्ट किया था, उसमें से मैंने एक लेसी पतली पैंटी और लेसी हाफ ब्रा निकाली। जब मैंने अपने को शीशे में देखा तो एकदम पता चल रहा था कि मेरे उभार टाइट फ्राक से बर्स्ट कर रहे थे। मुश्कुराते हुए मैंने हाथ डालकर थोड़ी अपनी ब्रा को एड्जस्ट किया और अब मेरे निपल ब्रा से बाहर थे और खुलकर मेरी फ्राक से रगड़ खा रहे थे।

नीचे भी मेरी दूधिया जांघें खुलकर दिख रही थीं। मैंने हल्की सी गुलाबी लिपस्टिक भी लगा ली। बाहर घंटी बजी तो मैं बड़े जोर से बाहर निकली, पर वह दूध वाला था।

अब मैं इंतजार में बेचैन हो रही थी, आयेगा, नहीं आयेगा? सामने रखे गुलदस्ते में से फूल निकालकर उसकी एक-एक पंखुड़ियां मैं, लव मी, लव मी नाट के अंदाज में तोड़ती रही। अचानक मैंने मुड़कर देखा तो वह खड़ा था, और मेरी बेचैनी निहार रहा था।



मुझे देखते ही वह मुश्कुराने लगा। पेस्टल टी-शर्ट और टाइट जींस में वह बहुत डैशिंग और खूबसूरत लगा रहा था।
Nice update 👌👌👌
 
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