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फट गइल ,सटक गइल , घुस गइल हो
“गुड्डी रानी, अब चाहो कितना भी चूतड़ हिलाओ, गाण्ड पटको, पूरा सुपाड़ा अंदर घुस गया है, इसलिये अब लण्ड बाहर निकलने वाला नहीं है…”
चन्दा मेरे सामने आकर मुझे चिढ़ाते हुये बोली और मेरा जोबन कस के दबा दिया।
सुनील अब पूरी ताकत से मेरी कसी, अब तक कुंवारी गाण्ड के अंदर अपना सख्त, मोटा लण्ड धीरे-धीरे घुसा रहा था।
मैं कितना भी चूतड़ पटक रही थी पर सूत-सूत करके वह अंदर सरक रहा था
कहाँ कच्ची कुंवारी कसी कसी गांड और बीत्ते भर लम्बा, कलाई ऐसा मोटा सुनील का बांस ,
पानी के बाहर मछली की तरह छटपटा रही थी , तड़प रही थी , दर्द से डूबी ,
मुंह में अगर अजय ने अपना खूंटा हलक तक मेरे न ठोंक रखा होता तो चीख चीख कर , ....
अजय, दुष्ट, बदमाश ने अपना पूरा बांस मेरे गले तक , मोटा सुपाड़ा मेरे हलक में अटका और कस के उस ज़ालिम ने मेरे सर को दोनों हाथों से कस के दबोच रखा था , जरा सा भी हिल नहीं सकती थी , चीख गले में घुट घुट के रह जा रही थी ,
दर्द से तड़प रही था पर वो सुनील न , अजय से भी ज्यादा ,
जबरदस्त ताकत थी , भाभी के भाइयों में सँड़सी ऐसी पकड़ , वो सुनील मेरी कमर को दबोचे,
ठेले जा रहा था , धकेले जा रहा था , पेले जा रहा था ,...
दर्द के मारे मेरी जान निकली जा रही थी पर उस बेरहम को तो… कभी कमर तो कभी मेरे कंधे पकड़कर वह पूरी ताकत से अंदर ठेल रहा था और जब आधा लण्ड घुस गया होगा और उसको भी लगा कि अब और अंदर पेलना मुश्किल है तो वह रुका।
और ऊपर से वो भाभी की छोटी बहिन मेरी सहेली से ज्यादा दुश्मन , चिढ़ा रही थी आँख नचा रही थी ,
" अरे का सोच रही थी , भैया के ससुराल में आओगी , बिना गाँड़ मरवाये चली जाओगी, ... अरे अभिन शुरुआत है , अब तो रोज बिना नागा, आगे वाली की तो महीने में पांच दिन की छुट्टी होती है , गाँड़ की तो एक्को दिन , और चलो चूतड़ मटकाय मटकाय के ,...
मुझे लगा रहा था कि किसी ने मेरी गाण्ड के अंदर लोहे का मोटा राड डाल दिया है।
उसके रुकने से मेरा दर्द थोड़ा कम होना शुरू हुआ।
पर चन्दा को कहां चैन, वह बोली-
“हे गुड्डी रानी, क्या मजे हैं तुम्हारे, एक साथ दो लण्ड का मजा, एक मुँह में चूस रही हो और दूसरे से गाण्ड में मजा ले रही हो, और मैं यहां सूखी बैठी हूं। '
और अजय से कहा-
“हे इसका मुँह छोड़ो, जब तक सुनील इसकी गाण्ड का हलुवा बना रहा है, तुम मेरे साथ मजा लो ना…”
अजय ने जब इशारे से बताने की कोशिश कि जैसे ही वह मेरे मुँह से लण्ड निकालेगा, मैं चीखने चिल्लाने लगूंगी।
तो चन्दा ने अजय का लण्ड मेरे मुँह से निकालते हुए कहा-
“अरे चीखने चिल्लाने दो ना साल्ली को। पहली बार गाण्ड मरा रही है तो थोड़ा, चीखना, चिल्लाना, रोना, धोना, अच्छा लगाता है। थोड़ा, रोने चीखने दो ना उसको…”
ये कहकर उसने अजय को वैसे ही नीचे लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गयी।
मैं भी गर्दन मोड़कर उसको देख रही थी। वह अपनी चूत, ऊपर से अजय के सुपाड़े तक ले आती और जब अजय कमर उचकाकर लण्ड घुसाने की कोशिश करता, तो वह छिनार चूत और ऊपर उठा लेती। उसने अजय की दोनों कलाई पकड़ रखी थी। फिर उसने अपने माथे की बिंदी उतारकर अजय के माथे को लगा दी और कहने लगी-
“आज मैं चोदूंगी और तुम चुदवाओगे…”
और उसने अपनी चूत को उसके लण्ड पे जोर के धक्के के साथ उतार दिया।
थोड़ी ही देर में अजय का पूरा लण्ड उसकी चूत के अंदर था। अब वह कमर ऊपर-नीचे करके चोद रही थी
और अजय, जैसे औरतें मस्ती में आकर नीचे से चूतड़ उठा-उठाकर चुदवाती हैं, वैसे कर रहा था।
चन्दा ने मेरा एक झुका हुआ जोबन कस के दबा दिया और अब सुनील को चढ़ाते हुए, कहने लगी-
“हे अभी मेरी चूत की चुदाई तो सुपाड़ा बाहर लाकर एक धक्के में पूरा लण्ड डालकर कर रहे थे, और अब इस छिनाल की गाण्ड में सिर्फ आधा लण्ड डालकर… क्या उसकी गाण्ड मखमल की है और मेरी चूत टाट की…
अरे मारो गाण्ड पूरे लण्ड से, फट जायेगी तो कल क्ललू मोची से सिलवा लेगी साल्ली… ऐसी गाण्ड मारो इस छिनाल की… की सारे गांव को मालूम हो जाये कि इसकी गाण्ड मारी गयी, पेल दो पूरा लण्ड एक बार में इसकी गाण्ड में… वरना मैं आ के अभी अपनी चूची से तेरी गाण्ड मारती हूं…”
चन्दा का इतना जोश दिलाना सुनील के लिये बहुत था। सुनील ने मेरी कमर पकड़कर अपना लण्ड थोड़ा बाहर निकाला और फिर पूरी ताकत से एक बार में मेरी गाण्ड में ढकेल दिया।
“गुड्डी रानी, अब चाहो कितना भी चूतड़ हिलाओ, गाण्ड पटको, पूरा सुपाड़ा अंदर घुस गया है, इसलिये अब लण्ड बाहर निकलने वाला नहीं है…”
चन्दा मेरे सामने आकर मुझे चिढ़ाते हुये बोली और मेरा जोबन कस के दबा दिया।
सुनील अब पूरी ताकत से मेरी कसी, अब तक कुंवारी गाण्ड के अंदर अपना सख्त, मोटा लण्ड धीरे-धीरे घुसा रहा था।
मैं कितना भी चूतड़ पटक रही थी पर सूत-सूत करके वह अंदर सरक रहा था
कहाँ कच्ची कुंवारी कसी कसी गांड और बीत्ते भर लम्बा, कलाई ऐसा मोटा सुनील का बांस ,
पानी के बाहर मछली की तरह छटपटा रही थी , तड़प रही थी , दर्द से डूबी ,
मुंह में अगर अजय ने अपना खूंटा हलक तक मेरे न ठोंक रखा होता तो चीख चीख कर , ....
अजय, दुष्ट, बदमाश ने अपना पूरा बांस मेरे गले तक , मोटा सुपाड़ा मेरे हलक में अटका और कस के उस ज़ालिम ने मेरे सर को दोनों हाथों से कस के दबोच रखा था , जरा सा भी हिल नहीं सकती थी , चीख गले में घुट घुट के रह जा रही थी ,
दर्द से तड़प रही था पर वो सुनील न , अजय से भी ज्यादा ,
जबरदस्त ताकत थी , भाभी के भाइयों में सँड़सी ऐसी पकड़ , वो सुनील मेरी कमर को दबोचे,
ठेले जा रहा था , धकेले जा रहा था , पेले जा रहा था ,...
दर्द के मारे मेरी जान निकली जा रही थी पर उस बेरहम को तो… कभी कमर तो कभी मेरे कंधे पकड़कर वह पूरी ताकत से अंदर ठेल रहा था और जब आधा लण्ड घुस गया होगा और उसको भी लगा कि अब और अंदर पेलना मुश्किल है तो वह रुका।
और ऊपर से वो भाभी की छोटी बहिन मेरी सहेली से ज्यादा दुश्मन , चिढ़ा रही थी आँख नचा रही थी ,
" अरे का सोच रही थी , भैया के ससुराल में आओगी , बिना गाँड़ मरवाये चली जाओगी, ... अरे अभिन शुरुआत है , अब तो रोज बिना नागा, आगे वाली की तो महीने में पांच दिन की छुट्टी होती है , गाँड़ की तो एक्को दिन , और चलो चूतड़ मटकाय मटकाय के ,...
मुझे लगा रहा था कि किसी ने मेरी गाण्ड के अंदर लोहे का मोटा राड डाल दिया है।
उसके रुकने से मेरा दर्द थोड़ा कम होना शुरू हुआ।
पर चन्दा को कहां चैन, वह बोली-
“हे गुड्डी रानी, क्या मजे हैं तुम्हारे, एक साथ दो लण्ड का मजा, एक मुँह में चूस रही हो और दूसरे से गाण्ड में मजा ले रही हो, और मैं यहां सूखी बैठी हूं। '
और अजय से कहा-
“हे इसका मुँह छोड़ो, जब तक सुनील इसकी गाण्ड का हलुवा बना रहा है, तुम मेरे साथ मजा लो ना…”
अजय ने जब इशारे से बताने की कोशिश कि जैसे ही वह मेरे मुँह से लण्ड निकालेगा, मैं चीखने चिल्लाने लगूंगी।
तो चन्दा ने अजय का लण्ड मेरे मुँह से निकालते हुए कहा-
“अरे चीखने चिल्लाने दो ना साल्ली को। पहली बार गाण्ड मरा रही है तो थोड़ा, चीखना, चिल्लाना, रोना, धोना, अच्छा लगाता है। थोड़ा, रोने चीखने दो ना उसको…”
ये कहकर उसने अजय को वैसे ही नीचे लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गयी।
मैं भी गर्दन मोड़कर उसको देख रही थी। वह अपनी चूत, ऊपर से अजय के सुपाड़े तक ले आती और जब अजय कमर उचकाकर लण्ड घुसाने की कोशिश करता, तो वह छिनार चूत और ऊपर उठा लेती। उसने अजय की दोनों कलाई पकड़ रखी थी। फिर उसने अपने माथे की बिंदी उतारकर अजय के माथे को लगा दी और कहने लगी-
“आज मैं चोदूंगी और तुम चुदवाओगे…”
और उसने अपनी चूत को उसके लण्ड पे जोर के धक्के के साथ उतार दिया।
थोड़ी ही देर में अजय का पूरा लण्ड उसकी चूत के अंदर था। अब वह कमर ऊपर-नीचे करके चोद रही थी
और अजय, जैसे औरतें मस्ती में आकर नीचे से चूतड़ उठा-उठाकर चुदवाती हैं, वैसे कर रहा था।
चन्दा ने मेरा एक झुका हुआ जोबन कस के दबा दिया और अब सुनील को चढ़ाते हुए, कहने लगी-
“हे अभी मेरी चूत की चुदाई तो सुपाड़ा बाहर लाकर एक धक्के में पूरा लण्ड डालकर कर रहे थे, और अब इस छिनाल की गाण्ड में सिर्फ आधा लण्ड डालकर… क्या उसकी गाण्ड मखमल की है और मेरी चूत टाट की…
अरे मारो गाण्ड पूरे लण्ड से, फट जायेगी तो कल क्ललू मोची से सिलवा लेगी साल्ली… ऐसी गाण्ड मारो इस छिनाल की… की सारे गांव को मालूम हो जाये कि इसकी गाण्ड मारी गयी, पेल दो पूरा लण्ड एक बार में इसकी गाण्ड में… वरना मैं आ के अभी अपनी चूची से तेरी गाण्ड मारती हूं…”
चन्दा का इतना जोश दिलाना सुनील के लिये बहुत था। सुनील ने मेरी कमर पकड़कर अपना लण्ड थोड़ा बाहर निकाला और फिर पूरी ताकत से एक बार में मेरी गाण्ड में ढकेल दिया।
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