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चंदा मेरी पक्की सहेली थी, जिस दिन से भैया की शादी इस गाँव में तय हुयी थी, मैं सब के साथ भाभी को देखने आयी थी, उसी दिन से,
लेकिन वो सबसे बड़ी मेरी दुश्मन भी थी, मुझसे ज्यादा मेरी चुनमुनिया की और पिछवाड़े की,दोनों को उसी ने फड़वाया, और आज तो एकदम, उसकी पांच दिन की छुट्टी चल रही थी , इसलिए रानी जी एकदम सेफ थीं , पूरी तरह पैक्ड, उसके कपडे तो उतरे भी नहीं थे,
हाँ मुंह और हाथों का इस्तेमाल उसने भी किया था , लेकिन शेर को खाली पागल करने के लिए , मुझे चीरफाड़ कर के,
सच में देह का एक एक पोर पोर दुःख रहा था
खास तौर से जिस तरह गन्ने के खेत में मिटटी के कड़े कड़े ढेलों पर सुनील और दिनेश ने मुझे पाटा बना के घसीटा था,... जिस तरह से दिनेश ने उन मोटे मोटे कड़े ढेलों के ऊपर लिटाकर हचक हचक कर मेरी गाँड़ मारी थी,...
अभी तक उनके टुकड़े मेरे चूतड़ में धंसे थे, पूरी देह मिट्टी मिट्टी हो गयी थी, धुल धूसरित,... उठा नहीं जा रहा था, ... किसी तरह सुनील ने मुझे चिढ़ाते छेड़ते हाथ पकड़ कर उठाया,...
और चंदा पास में ही आम के पेड़ की मोटी डाल पे बैठी वहीँ से खिलखिला रही थी,
दिनेश को कहीं जाना था , वो कपडे पहनकर अपने चल दिया था, मैं और सुनील पास पास , सुनील ने भी अपने कपडे पहनने शुरू कर दिए,... तो मुझे याद आया , मेरे कपडे तो चंदा रानी के पास,
और कपडे क्या सिर्फ एक छोटी सी स्कर्ट और कसा कसा टॉप, जिसमें मैं दो साल पहले भी मुश्किल से घुस पाती थी, और अब तो जोबन और गद्दर हो गए और
ऊपर से भाभी के भाइयों ने मीस मीस कर, दबा दबा कर मसल मसल कर , पहले दिन जब चंदा के साथ मेले में गयी थी, उसी दिन कितनों ने रगड़ा मसला, दो दर्जन तक गिनने के बाद मैंने गिनना छोड़ दिया,और भाभी की भाभियाँ,बहनें , सहेलियां, इन लड़कों से भी दो हाथ आगे, झूले पर बैठते ही पीछे बैठी भाभी के हाथ मेरी छोटी सी चोली में घुस जाते थे, और लड़कों से भी ज्यादा कस के, और ऊपर से चंपा भाभी, बसंती और माँ,दो ग्लास दूध दो इंच मलाई के साथ,... जोबन तो गदराने ही थे,...
तो मेरे कपडे चंदा रानी के पास थे , और वो पास के आम के पेड़ की नीचे वाली डाल के सहारे खिलखिला रही थी,...
इतना गुस्सा लग रहा था की मैं बता नहीं सकती, मेरी ऐसी बुरी हालत थी, भाभी के गाँव में आने के बाद कितनी बार चुदी थी, लेकिन आज तो जैसे बुलडोजर चला था, जैसे जेसीबी मंगा के किसी ने खुदाई करवा दी हो, हिलना भी मुश्किल, ऊपर से ये रानी जी दूर खड़ी हंस रही थीं,...
" अरे स्साली मैं उठ नहीं पा रही हूँ , तू वहां खड़ी खिलखिला रही है , ये नहीं की आ के उठा मुझे,... "
" तो न उठ न मेरी रानी, पड़ी रह यहीं, मैं और सुनील जा रहे हैं, और वो रोपनी करने वालियों को बोल देती हूँ, वो आ जाएंगी,...
उनके टोला पुरबे के लौंडे, ऐसा मस्त माल,... तू पड़ी रहना, वो अपने काम करते रहेंगे,... और शाम को गंगा डोली बना के तुझे,... "
और फिर वही खिलखिलाना,
इत्ता गुस्सा लग रहा था किसी तरह एक हाथ से जमीन पर हाथ लगा के थोड़ी सी अधलेटी हुयी और फिर चंदा से बोली,
" कपडे तो दे दे न , ... ऐसा गुस्सा आ रहा है न अभी पकड़ में आएगी न तो बताउंगी,... स्साली छुट्टी के नाम पे छूट गयी आज तू. "
और गुस्से का असर उलटा हुआ , चंदा और अलफ़, बोली,
" तू न बड़ी शहर वाली,... जोबना उभार के चलती है , लौंडो को दिखा दिखा के चूतड़ मटकाती है और सोचती है गाँड़ तेरी बची रहेगी,... और गुस्सा हो ले,... कही रही थी न नहीं चढ़ेगी मेरे यार के खूंटे पर, अभी देख दोनों ओर डबल धमाका हुआ , कैसे गन्ने के खे में रगड़ रगड़ कर पाटा बना कर घसीटा त , पूरे गाँव में ऐसे ही , और दो में ये हालत है , अभी देखना एक एक दिन में दस दस बार तेरी गाँड़ न मरवाई तो मेरा नाम चंदा नहीं,... "
मैं समझ गयी इस को पटाना ही पडेगा, गुस्से से काम और बिगड़ जाएगा,
मैं उसका निहोरा करती बोली,
" अच्छा चल कान पकड़ती हूँ , अगली बार से एकदम नखड़ा नहीं करुँगी, तू मेरी पक्की सहेली है असली वाली,... जो कहेगी वही करुँगी लेकिन प्लीज मेरी खूब अच्छी वाली चंदा प्लीज कपडे दे दे न,... "
तबतक सुनील ने मुझे हाथ पकड़ के खड़ा कर दिया था,... पिछवाड़े बड़ी तेजी से चिलख उठी, ...
दर्द के मारे मैं बिलख उठी , किसी तरह सुनील का सहारा लेकर खड़ी रही , वरना वही गन्ने के खेत में फिर से गिर पड़ती ,... मैं अपनी बुर और गाँड़ दोनों कस के दबोचे हुए थी। जिसे एक बूँद भी मलाई की बाहर निकले नहीं , कामिनी भाभी ने बताया था वीर्य से अच्छा मलहम कोई नहीं होता।
चंदा ने मेरे कपडे कस के अपनी छाती से दबोच लिए और हंसती बोली,...
" अरे यार क्या करेगी कपडे, इत्ते मस्त जोबन , इस गाँव के नहीं आस पास के लौंडे भी एक दरस को तरस रहे हैं, देख लेंगे तो देखे लेंगे,.... "
अब मैं रुंआसी सी हो गयी , मैंने सुनील से भी कहा , यार अपने माल को समझा न दे दे ,... "
पर सुनील ने साफ़ मना कर दिया , " तेरी भी तो सहेली है , तू ही बोल , मैं दो सहेलियों के बीच नहीं पड़ता,...
ऊपर से चंदा और , वही पेड़ के पास से बोली,
" अच्छा यार तू इत्ता लजा रही है तो मैं एक रास्ता बताती हूँ , एक हाथ से दोनों जुबना छिपा ले
और दूसरे से नीचे वाले खजाना। "
इस हालत में भी भी मैं मुस्करा पड़ी , और बोली
" अच्छा चंदा रानी , पिछवाडे का क्या करुँगी,... "
सुनील की ओर देख कर चंदा बोल पड़ी,...
" अरे ये स्साला ६ फिट का मेरा यार क्या करेगा, तेरे पिछवाड़े अपना खूंटा पेल देगा, बस नहीं दिखाई देगा,.. "
सुनील बदमाश, ये मौक़ा छोड़ता, मेरे पिछवाड़े सहलाते सहलाते एक बार फिर ऊँगली पेल दी, और चंदा से बोला
" मुझे मंजूर है, अरे यार इस मस्त गाँड़ के लिए तो, कभी भी , जितना मारता हूँ उत्ता और मन करता है,... देखे, अभी से तन्नाने लगा,... "
सच में उसका मोटा खूंटा सर उठाने लगा था।
मुझे लगा ये चंदा ऐसे नहीं मानेगी , और दौड़ने में उससे मैं २० नहीं २२ थी, बस मैंने दौड़ के पकड़ने की कोशिश की,
भाग के तो वो मुझसे नहीं बच सकती थी , लेकिन वो ग्राम्या पेड़ पर चढ़ने में शाखामृग थी एकदम और उस में मुझसे २० नहीं २४ थी,
और वो पेड़ के ऊपर चढ़ गयी, ज्यादा ऊपर नहीं , लेकिन एक दो डाल ऊपर, एक मोटी डाल पे बैठ के बोली
" आ आ ले ,ले ,..सच्ची आ ना तुझे तेरे हाथ दे दूंगी पक्का,... "
मैं भी उसके पीछे पेड़ पेड़ पर चढ़ गयी, और उस डाल पर जहाँ वो थी, लेकिन तबतक वो उछल कर और ऊपर वाली डाल पर,...
मुझे लगा ये चंदा ऐसे नहीं मानेगी , और दौड़ने में उससे मैं २० नहीं २२ थी, बस मैंने दौड़ के पकड़ने की कोशिश की,
भाग के तो वो मुझसे नहीं बच सकती थी , लेकिन वो ग्राम्या पेड़ पर चढ़ने में शाखामृग थी एकदम और उस में मुझसे २० नहीं २४ थी,
और वो पेड़ के ऊपर चढ़ गयी, ज्यादा ऊपर नहीं , लेकिन एक दो डाल ऊपर, एक मोटी डाल पे बैठ के बोली
" आ आ ले ,ले ,..सच्ची आ ना तुझे तेरे हाथ दे दूंगी पक्का,... "
मैं भी उसके पीछे पेड़ पेड़ पर चढ़ गयी, और उस डाल पर जहाँ वो थी, लेकिन तबतक वो उछल कर और ऊपर वाली डाल पर,...
मैं कस के दोनों हाथों से डाल को पकड़ें,... वैसे गिरने का कोई डर नहीं था, डाल बहुत मोटी थी, और जमीन से बहुत ऊपर भी नहीं थी.
और एक पेड़ नहीं था, गन्ने के खेत से एकदम सटा, दस बारह पेड़ों का खूब बड़ा सा झुरमुट, सब बड़े बड़े पुराने पेड़, खूब घने, आठ दस आम के पेड़, कुछ पाकुड़ के पेड़
नीचे से जल्दी देखना भी मुश्किल था,
" आ जाओ न, दूंगी न पक्का, तेरी कसम, बस एक ही डाल ही तो ऊपर है,... " चंदा पेड़ में बैठी मुझे चिढ़ा रही थी उकसा रही थी।
" नहीं नहीं पतली डाल है वो,... " मैंने बहाना बनाया , आखिर चंदा चढ़ी तो थी ही उस डाल पे,
वो जोर से हंसी,
" अच्छा रानी को अब एकदम मोटा चाहिए तभी चढ़ेंगी,... देख यार चढ़ तो गयी न , थोड़ा और चढ़ जा,... चल तुझे एक से एक मोटा दिलवाऊंगी , आजा , इतना पतला भी नहीं , ... आ जा न , चल मेरे हाथ पकड़ ले , यार अब चढ़ना सीख जा, तू बहुत चढ़ने में नखड़ा करती है , मोटा पतला देख रही है, "
और उसने हाथ बढ़ाया, और मैंने हाथ पकड़ लिया, और धीरे धीरे कर के जिस डाल पर वो थी वहीँ चढ़ गयी, लेकिन एक साथ साथ दो लड़किया, और मैं तो,... पहली बार,... लेकिन चंदा ने हिम्मत भी बँधायी और तरकीब भी बतायी,
" चल यार ऐसे कर तू दोनों पैर अरे जैसे अभी सुनील के ऊपर चढ़ गयी थी, दोनों पैर डाल के दोनों ओर, बस कस के पैरों से डाल जकड ले, कुछ नहीं होगा, और आगे से दोनों हाथ से डाल को कस के पकड़ ले,... "
मैंने वैसे ही कर लिया बहुत सम्हाल के,... और बात मान गयी मैं चंदा की, फिजिक्स भले मैंने पढ़ी थी लेकिन प्रैक्टिकल ज्ञान उसका ही था, मेरा वजन अब पूरी डाल पर डिस्ट्रीब्यूट हो गया था, अब मैं कित्ती भी देर इस तरह लेटी रहती, न मेरे गिरने का डर न डाल के टूटने का,
" सीख ले चढ़ना बहुत काम आएगा "
चंदा अब मेरी बगल वाली डाल पर मेरी तरह लेटी मुझे चिढ़ा रही थी, मेरी पक्की सहेली की तरह, सही बात है हर बार मेरा डर उसी ने ख़तम किया।
जिस दिन मैं भाभी के साथ आयी मै समझ रही थी भाभी के भाई सब मुझे देख के कितना ललचा रहे हैं, लिबरा रहे हैं , मेरे नए नए उभरते उभारों को कैसे छिप छिप के ललचा ललचा के देख रहे हैं,
और मुन्ने को अजय को देते समय जाने अनजाने अजय की ऊँगली मेरे बूब्स पे जस्ट छू गयी, जितना मैं गीली हुयी उससे ज्यादा वो लजा गया , और रात में चंदा के साथ, हम दोनों सोये कम जागे ज्यादा, अजय, सुनील सब का जो हाल,... सारे के सारे खेल तमाशे, किसी मर्द से भी ज्यादा चंदा ने,... एक बूँद सोने नहीं दिया, कितनी बार फिर मुझसे भी वही सब,... कपडे तो हम दोनों के बिस्तर पर लेटने के पन्दरह मिनट के अंदर उतरकर बिस्तर के नीचे पसर गए थे
और सब का वो घोंट चुकी थी, मेरा आधा डर तो उसी समय ख़तम हो गया और बाकी जब वो गन्ने के खेत में सुनील के साथ, मेले में जाते समय, और मेंड़ पर बैठ कर जिस तरह से मैं चंदा को सुनील से मजे ले ले के चोदवाते देख रही थी, जो चंदा के चेहरे पे ख़ुशी थी, जिस मस्ती से सुनील के हर धक्के का जवाब सुनील से भी ज्यादा जोश से दे रही थी, डर तो कम हो ही गया, मन भी करने लगा, मैंने तय कर लिया अगर मौका मिलेगा तो मैं पीछे नहीं हटूंगी।
मेले के रस्ते में भी खींच के मुझे उस पतली संकरी सी गली में वो घसीट के ले गयी, जहाँ सब लौंडे लड़कियों के जोबन दबा रगड़ मसल रहे थे। यहाँ तक मेरे पिछवाड़े की भी सील उसी ने अपने सामने, सुनील से ,... मुझ दर्द हुआ बहुत लेकिन जबरदस्ती पकड़ के दबोच के,...
" चढ़ तो गयी, ... देख तेरे बराबर हूँ "
हंस के चंदा से मैं बोली, हम दोनों अलग डालों पर थे, लेकिन एकदम बगल बगल,...
मैं तो मारे डर के कस के अपनी दोनों टांगों से डाल को कस के दबोचे थी, दोनों हाथों से कस के आगे से भी पकड़ के रखे थी,... चंदा भी वैसे, पर वो गाँव वाली , बचपन से ही पेड़ पर चढ़ने वाली, ... उसने हाथ बढाकर मेरे एक उभार को पकड़ के कस के दबोच लिया,... और निपल को फ्लिक करने लगी,... मैं गिनगीना गयी ,
मेरे निप्स बहुत ही सेंसिटिव हैं और सबसे ज्यादा इस बात को कोई जानता था तो वो चंदा थी, हलके हलके अंगूठे और ऊँगली से पकड़ के दबाते मेरी सहेली ने पूछ लिया,...
और किसी की झूठी कसम मैं खा भी लूँ, चंदा की झूठी कसम मैं सोच भी नहीं सकती थी.
एक पल के लिए मैं हिचकिचाई पर मेरी सहेली की कसम,... मेरे मुंह से निकल गया,...
" मजा तो बहुत आया, एकदम नए तरह का,... लेकिन दर्द भी बहुत हुआ,... अभी तक लग रहा है पिछवाड़े किसी ने लकड़ी का मोटा खूंटा ठूंस दिया है."
" अरे स्साली, छिनार,... तेरे सारे खानदान वालों की गांड मारुं,... " चंदा जोर जोर से हंसने लगी,... फिर बोली,
" अरी रानी, मैं पेड़ पर चढ़ने के बारे में पूछ रही थी तेरे दिमाग में तो हरदम वही लम्बा मोटा,... चल उस पे भी चढ़वा दूंगी "
मैंने उसे मारने के लिए हाथ उठाया, ... तो डाली बस हलकी सी हिली होगी , लेकिन मारे डर के मैंने फिर से दोनों हाथ से डाली पकड़ ली.
लेकिन चंदा सामने कहीं देख रही थी, वैसे तो पेड़ बहुत ही घने थे लेकिन जिस डाली पर मैं और चंदा थे वहां से पेड़ों के झुरमुट के पार दिख रहा था,...
और चंदा ने मुझे इशारा किया और मैंने भी सर उठा के,... बस मेरे मुंह से चीख निकलते बची,
गाँव के किनारे जो चांदी की हँसुली सी नदी थी, बस एकदम बगल में, ... और वही जगह जहाँ मैं पूरबी के साथ नदी नहाने आयी थी,... और नदी में खूब मस्ती की थी, वो जगह लड़कियों औरतों की थी और वहां लड़के एकदम नहीं आते थे,
भाभी के घर में जो महरीन आती थी और कुंए से पानी भरने के लिए दोनों कहारिन, ... वही थीं , एक दो और , जिन्हे मैं पहचानती थी बस नाम नहीं जानती थी,....
वो सब शायद हम दोनों को नहीं देख पाती, पर १०० शैतान मरे होंगे तो चंदा पैदा हुयी होगी, उसने वहीँ से हंकार लगाई, भौजी
एक दो पल तो वो सब इधर उधर फिर जो एक कहाईन थी उसने चंदा को देख लिया,... और बाकी भी चंदा की ओर,...
मैं एकदम डाली से दुबक गयी,... पर चंदा ये मौका छोड़ती,...
उसने फिर वहीँ से आवाज लगाई,
" भौजी देखो कितना मस्त माल लायी हूँ , तोहरे देवरों के लिए "
और अबकी सब की सब मुझे देख रही थी, महरीन भाभी के घर वाली जो मुझे पहले दिन से छेड़ती थी, ... अंगूठे को गोल करके ऊँगली अंदर बाहर,... इंटरनेशनल चुदाई का सिंबल,...
मैं सब देख रही थी और जान रही थी गाँव का टेलीग्राफ , दो चार घंटे में मेरी ये हालत न सिर्फ गाँव में बल्कि आस पास के गाँव जवार में फ़ैल जायेगी,...
मैं डालियों पत्तियों के बीच दुबकने की कोशिश कर रही थी,... साथ में डाली कस के पकडे दबोचे,...