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मजे पेड़ पर
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गाँव के किनारे जो चांदी की हँसुली सी नदी थी, बस एकदम बगल में, ... और वही जगह जहाँ मैं पूरबी के साथ नदी नहाने आयी थी,... और नदी में खूब मस्ती की थी, वो जगह लड़कियों औरतों की थी और वहां लड़के एकदम नहीं आते थे,
भाभी के घर में जो महरीन आती थी और कुंए से पानी भरने के लिए दोनों कहारिन, ... वही थीं ,
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एक दो और , जिन्हे मैं पहचानती थी बस नाम नहीं जानती थी,....
वो सब शायद हम दोनों को नहीं देख पाती, पर १०० शैतान मरे होंगे तो चंदा पैदा हुयी होगी, उसने वहीँ से हंकार लगाई, भौजी
एक दो पल तो वो सब इधर उधर फिर जो एक कहाईन थी उसने चंदा को देख लिया,... और बाकी भी चंदा की ओर,...
मैं एकदम डाली से दुबक गयी,... पर चंदा ये मौका छोड़ती,...
उसने फिर वहीँ से आवाज लगाई,
" भौजी देखो कितना मस्त माल लायी हूँ , तोहरे देवरों के लिए "
और अबकी सब की सब मुझे देख रही थी, महरीन भाभी के घर वाली जो मुझे पहले दिन से छेड़ती थी, ... अंगूठे को गोल करके ऊँगली अंदर बाहर,... इंटरनेशनल चुदाई का सिंबल,...
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मैं सब देख रही थी और जान रही थी गाँव का टेलीग्राफ , दो चार घंटे में मेरी ये हालत न सिर्फ गाँव में बल्कि आस पास के गाँव जवार में फ़ैल जायेगी,...
मैं डालियों पत्तियों के बीच दुबकने की कोशिश कर रही थी,... साथ में डाली कस के पकडे दबोचे,...
लेकिन तबतक पीछे से मैंने उसी डाल पर पत्तियों के सरसराने की आवाज सुनी,...
और चंदा की आवाज, देख कौन है तेरे पीछे कौन है,
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लेकिन उसके पहले ही, जिस मोटी डाल को कस के दबोच के मैं अधलेटी थी, वो हल्की सी काँपी,
पत्तियों में हलकी सी सिहरन हुयी, बगल की डाल पर बैठी चुहचुईंहिया उड़ गयी,...
और उस के साथ ही,... एक तेज भभका मरद की महक का, काम में डूबी गंध, जिसे मुझ जैसी जवान होती लड़कियां दूर से सूंघ लेती हैं , और वह मादक महक उन्हें एकदम जड कर देती है,...
मैंने डाल और कस के दबोच ली, कनखियों से पीछे देखा, लेकिन जो आँखों ने देखा उससे पहले कानों ने बता दिया कौन था,
चंदा की आवाज, मीठी मीठी गालियां भी उकसाना भी,... सुनील को, ढेर सारे उलाहने भी, मेरी और से, एकदम मेरी अच्छी वाली सहेली की तरह,..
" स्साले, मेरी प्यारी इत्ती मीठी मीठी सहेली, अपना पिछवाड़ा ऊपर किये , खोले उघारे , इंतज़ार में बैठी है,... उसका पिछवाड़ा देख कर इतना लिबराता था और अब,... तेरी छुटकी बहिनिया को पांच रूपये में बेच दूंगी अगर तूने और इन्तजार करवाया इसको,... स्वागत का बोर्ड अपनी गाँड़ पर लगवा के बैठे क्या, ... इतना मस्त पिछवाड़ा,... "

जैसे तेंदुआ चुपके से पेड़ की डालों पर चढ़ा, छुपा, जब उसका शिकार एकदम निश्चिन्त, उसी समय झपट्टा मारता है , एकदम उसी तरह,...
और मुझे कुछ भी पता नहीं चला, उसकी देह छू भी नहीं गयी , सिवाय,... हाँ तेज उसकी महक,... जैसे संपेरे की बीन के आगे नागिन सिर्फ झूमती रहती है, उसका कुछ भी उसके बस में नहीं रहता,
बस न मेरी देह मेरे बस में थी, न मन,
बस सोच रही थी, जो होना है हो जाए,... लेकिन वो दुष्ट, उसकी परछाहीं मैं अपनी देह पर महसूस कर रही थी, जैसे मेरे खड़े रोयें उसके रोम रोम से छू रहे हों,
मैं अगले पल की प्रतीक्षा में, लेकिन वो दुष्ट, उसकी सबल बाहें डाली को पकड़े, जैसे उसने अपने आलिंगन में मुझे दबोच रखा हो कस के , हाँ पहला स्पर्श हुआ , और किसका उसी मोटू दुष्ट का, मेरे दुश्मन का,... हलके से बस मेरे नितम्बो पर छू सा गया, फिर नितम्बों की बीच की दरार पर, एकदम उत्थित, उत्तेज्जित, और उसने अपनी कमर और ऊपर उठा दी,
मिलन को आतुर मेरी देह धनुष की तरह तनी, मेरे नितम्ब अपने आप ऊपर उठ गए, उसके स्पर्श को, और फिर जस्ट टच, एक सिहरन,...
मैं भूल गयी थी कहाँ हूँ ,... लेकिन एक तेज पीड़ा ने अहसास दिलाया,
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शिकारी के तीर ने शोख हिरणी को बेध दिया था, सिर्फ फल ही धंसा था, हिरणी कुछ देर भाग भी सकती थी, लेकिन वो जानती थी कुछ पल में क्या होने वाला है ,...
और अब सावन के घने काले बादलों की तरह मैं सुनील की देह से आच्छादित थी,...
पर था मेरा साथी पक्का खिलाड़ी, जो बातें कामिनी भाभी ने मुझे रच रच के सुनाई सिखाई थीं , सब गुर उसे मालूम थे,...
कामिनी भाभी ने बोला था की जो असली चुदवैया होता है उसे गांड मारने और बुर चोदने का अंतर् मालूम होता है , उसी तरह गाँड़ मरवाने वाली को भी,
चुदाई का मज़ा तो जबरदस्त धक्कों का है , बुर के शुरू के हिस्से में ही ढेर सारी नर्व एंडिंग्स होती हैं और जब मोटा मूसल उसे रगड़ते घुसता है तो औरत की देह छनछना जाती है और जब मोटा सुपाड़ा बच्चेदानी पर धक्का मारता तो कुछ ही होंगी जो झड़ती नहीं होंगी,... और आठ दस धक्के मर्द के जोरदार लग जाएँ बच्चेदानी पे तो लड़की थेथर हो जाती है,
पर पिछवाड़े कोई नर्व एंडिंग्स तो होती नहीं तो उसका मजा, सिर्फ फैलाने, एक फिलिंग की फीलिंग, एकदम पूरा घुसा हुआ है , धंसा हुआ है खूब कस के चौड़ा फैलाये हुए है , इस लिए गांड़ मरवाई का मजा ही दर्द में है,
और कामिनी भाभी ने मुझे जो सिखाया था , वो सब भी मैंने करना शुरू कर दिया , गाँड़ के छल्ले को ढीला करो,... खूब ढीला, ... वहां पर से ध्यान हटा दो देह पूरी ढीली, ...
और सरसराता हुआ मोटा सांप जैसे अपनी बिल में घुस जाता है , एकदम उसी तरह सुनील का मेरे पिछवाडे,
मैं कुछ कर भी तो नहीं सकती थी, ...
वो घुसता गया धंसता गया,...
और फिर एक ट्रिक जो कामिनी भाभी ने आगे के लिए सिखाई थी, वो मैंने पीछे,...
नट क्रैकर, जब मेरे यार का आधे से ज्यादा घुस गया तो मैंने सिकोड़ना, फिर निचोड़ना शुरू किया, मेरी उस अँधेरी सुरंग को पहले अंदर से एकदम बाहर तक, फिर बाहर से अंदर जड़ तक,... अब सुनील बाबू की हालत खराब होनी शुरू हो गयी,... और उसने भी हलके हलके धक्के
तब तक चन्दा ने मेरे कान में कुछ कहा,...
मैंने जोर से धत्त कहा, और शरमा गयी, लेकिन,...
आज तक जो जो चंदा ने कहा था उसे मानने से मुझे फायदा ही हुआ, मजे ही मिले खूब,
इसलिए, थोड़ा तो मैं हिचकी, झिझकी, पर फिर बहुत हलके हलके,.... फिर थोड़ा और जोर से,...
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गाँव के किनारे जो चांदी की हँसुली सी नदी थी, बस एकदम बगल में, ... और वही जगह जहाँ मैं पूरबी के साथ नदी नहाने आयी थी,... और नदी में खूब मस्ती की थी, वो जगह लड़कियों औरतों की थी और वहां लड़के एकदम नहीं आते थे,
भाभी के घर में जो महरीन आती थी और कुंए से पानी भरने के लिए दोनों कहारिन, ... वही थीं ,
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एक दो और , जिन्हे मैं पहचानती थी बस नाम नहीं जानती थी,....
वो सब शायद हम दोनों को नहीं देख पाती, पर १०० शैतान मरे होंगे तो चंदा पैदा हुयी होगी, उसने वहीँ से हंकार लगाई, भौजी
एक दो पल तो वो सब इधर उधर फिर जो एक कहाईन थी उसने चंदा को देख लिया,... और बाकी भी चंदा की ओर,...
मैं एकदम डाली से दुबक गयी,... पर चंदा ये मौका छोड़ती,...
उसने फिर वहीँ से आवाज लगाई,
" भौजी देखो कितना मस्त माल लायी हूँ , तोहरे देवरों के लिए "
और अबकी सब की सब मुझे देख रही थी, महरीन भाभी के घर वाली जो मुझे पहले दिन से छेड़ती थी, ... अंगूठे को गोल करके ऊँगली अंदर बाहर,... इंटरनेशनल चुदाई का सिंबल,...
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मैं सब देख रही थी और जान रही थी गाँव का टेलीग्राफ , दो चार घंटे में मेरी ये हालत न सिर्फ गाँव में बल्कि आस पास के गाँव जवार में फ़ैल जायेगी,...
मैं डालियों पत्तियों के बीच दुबकने की कोशिश कर रही थी,... साथ में डाली कस के पकडे दबोचे,...
लेकिन तबतक पीछे से मैंने उसी डाल पर पत्तियों के सरसराने की आवाज सुनी,...
और चंदा की आवाज, देख कौन है तेरे पीछे कौन है,
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लेकिन उसके पहले ही, जिस मोटी डाल को कस के दबोच के मैं अधलेटी थी, वो हल्की सी काँपी,
पत्तियों में हलकी सी सिहरन हुयी, बगल की डाल पर बैठी चुहचुईंहिया उड़ गयी,...
और उस के साथ ही,... एक तेज भभका मरद की महक का, काम में डूबी गंध, जिसे मुझ जैसी जवान होती लड़कियां दूर से सूंघ लेती हैं , और वह मादक महक उन्हें एकदम जड कर देती है,...
मैंने डाल और कस के दबोच ली, कनखियों से पीछे देखा, लेकिन जो आँखों ने देखा उससे पहले कानों ने बता दिया कौन था,
चंदा की आवाज, मीठी मीठी गालियां भी उकसाना भी,... सुनील को, ढेर सारे उलाहने भी, मेरी और से, एकदम मेरी अच्छी वाली सहेली की तरह,..
" स्साले, मेरी प्यारी इत्ती मीठी मीठी सहेली, अपना पिछवाड़ा ऊपर किये , खोले उघारे , इंतज़ार में बैठी है,... उसका पिछवाड़ा देख कर इतना लिबराता था और अब,... तेरी छुटकी बहिनिया को पांच रूपये में बेच दूंगी अगर तूने और इन्तजार करवाया इसको,... स्वागत का बोर्ड अपनी गाँड़ पर लगवा के बैठे क्या, ... इतना मस्त पिछवाड़ा,... "
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जैसे तेंदुआ चुपके से पेड़ की डालों पर चढ़ा, छुपा, जब उसका शिकार एकदम निश्चिन्त, उसी समय झपट्टा मारता है , एकदम उसी तरह,...
और मुझे कुछ भी पता नहीं चला, उसकी देह छू भी नहीं गयी , सिवाय,... हाँ तेज उसकी महक,... जैसे संपेरे की बीन के आगे नागिन सिर्फ झूमती रहती है, उसका कुछ भी उसके बस में नहीं रहता,
बस न मेरी देह मेरे बस में थी, न मन,
बस सोच रही थी, जो होना है हो जाए,... लेकिन वो दुष्ट, उसकी परछाहीं मैं अपनी देह पर महसूस कर रही थी, जैसे मेरे खड़े रोयें उसके रोम रोम से छू रहे हों,
मैं अगले पल की प्रतीक्षा में, लेकिन वो दुष्ट, उसकी सबल बाहें डाली को पकड़े, जैसे उसने अपने आलिंगन में मुझे दबोच रखा हो कस के , हाँ पहला स्पर्श हुआ , और किसका उसी मोटू दुष्ट का, मेरे दुश्मन का,... हलके से बस मेरे नितम्बो पर छू सा गया, फिर नितम्बों की बीच की दरार पर, एकदम उत्थित, उत्तेज्जित, और उसने अपनी कमर और ऊपर उठा दी,
मिलन को आतुर मेरी देह धनुष की तरह तनी, मेरे नितम्ब अपने आप ऊपर उठ गए, उसके स्पर्श को, और फिर जस्ट टच, एक सिहरन,...
मैं भूल गयी थी कहाँ हूँ ,... लेकिन एक तेज पीड़ा ने अहसास दिलाया,
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शिकारी के तीर ने शोख हिरणी को बेध दिया था, सिर्फ फल ही धंसा था, हिरणी कुछ देर भाग भी सकती थी, लेकिन वो जानती थी कुछ पल में क्या होने वाला है ,...
और अब सावन के घने काले बादलों की तरह मैं सुनील की देह से आच्छादित थी,...
पर था मेरा साथी पक्का खिलाड़ी, जो बातें कामिनी भाभी ने मुझे रच रच के सुनाई सिखाई थीं , सब गुर उसे मालूम थे,...
कामिनी भाभी ने बोला था की जो असली चुदवैया होता है उसे गांड मारने और बुर चोदने का अंतर् मालूम होता है , उसी तरह गाँड़ मरवाने वाली को भी,
चुदाई का मज़ा तो जबरदस्त धक्कों का है , बुर के शुरू के हिस्से में ही ढेर सारी नर्व एंडिंग्स होती हैं और जब मोटा मूसल उसे रगड़ते घुसता है तो औरत की देह छनछना जाती है और जब मोटा सुपाड़ा बच्चेदानी पर धक्का मारता तो कुछ ही होंगी जो झड़ती नहीं होंगी,... और आठ दस धक्के मर्द के जोरदार लग जाएँ बच्चेदानी पे तो लड़की थेथर हो जाती है,
पर पिछवाड़े कोई नर्व एंडिंग्स तो होती नहीं तो उसका मजा, सिर्फ फैलाने, एक फिलिंग की फीलिंग, एकदम पूरा घुसा हुआ है , धंसा हुआ है खूब कस के चौड़ा फैलाये हुए है , इस लिए गांड़ मरवाई का मजा ही दर्द में है,
और कामिनी भाभी ने मुझे जो सिखाया था , वो सब भी मैंने करना शुरू कर दिया , गाँड़ के छल्ले को ढीला करो,... खूब ढीला, ... वहां पर से ध्यान हटा दो देह पूरी ढीली, ...
और सरसराता हुआ मोटा सांप जैसे अपनी बिल में घुस जाता है , एकदम उसी तरह सुनील का मेरे पिछवाडे,
मैं कुछ कर भी तो नहीं सकती थी, ...
वो घुसता गया धंसता गया,...
और फिर एक ट्रिक जो कामिनी भाभी ने आगे के लिए सिखाई थी, वो मैंने पीछे,...
नट क्रैकर, जब मेरे यार का आधे से ज्यादा घुस गया तो मैंने सिकोड़ना, फिर निचोड़ना शुरू किया, मेरी उस अँधेरी सुरंग को पहले अंदर से एकदम बाहर तक, फिर बाहर से अंदर जड़ तक,... अब सुनील बाबू की हालत खराब होनी शुरू हो गयी,... और उसने भी हलके हलके धक्के
तब तक चन्दा ने मेरे कान में कुछ कहा,...
मैंने जोर से धत्त कहा, और शरमा गयी, लेकिन,...
आज तक जो जो चंदा ने कहा था उसे मानने से मुझे फायदा ही हुआ, मजे ही मिले खूब,
इसलिए, थोड़ा तो मैं हिचकी, झिझकी, पर फिर बहुत हलके हलके,.... फिर थोड़ा और जोर से,...