- 22,357
- 58,315
- 259
चुन्नू चिकना

लेकिन एकदम से उसने बहाना बनाया- “पहले सुनील…”
मेरा मन हुआ एक मोटी सी गाली दूँ- “साले क्या वो तेरा बहनोंई लगता है, जो पहले सुनील, पहले सुनील लगा रखा है…” लेकिन अपने ऊपर कंट्रोल किया, और कहा-
“आओ न चलो आ जाओ न सीधे से, अभी मुँह में तो कित्ते जोर-जोर से धक्के पर धक्का मार रहे थे…”
बड़ी मुश्किल से वो तैयार हुआ लेकिन जैसे ही वो मेरी जांघों के बीच आया, बस थोड़ी देर में उसने हार मान ली। नहीं औजार का इशू नहीं था वो वैसे ही खड़ा, सख्त, लेकिन बस नौसिखियापन, झिझक और डर।
परेशानी मैंने भी कम नहीं खड़ी की थी, वो कामिनी भाभी की क्रीम का असर फिर उनका मन्तर, कितना भी चुदूँ, चूत एकदम कच्ची कली से भी कसी रहेगी। ऊपर से चुन्नू ने अपने सुपाड़े में कोई तेल क्रीम कुछ तो लगाया नहीं, न मेरी बुर में कुछ। तो बस एक दो बार तो वो छेद ही नहीं ढूँढ़ पाया उसके बाद घुसाने में दिक्कत, बस वही पुरानी कहावत, अनाड़ी चुदवैया बुर की बर्बादी।
लेकिन मुझे भी तो अनाड़ी से खिलाड़ी बनाया था, बसंती, गुलबिया, कामिनी भाभी ने।
तो आज मेरी बारी थी, मैंने तय कर लिया क्या करना है? बिन चोदे उसको छोड़ूंगी नहीं, भले ही चुन्नू साले को रेप करना पड़े।
वो लगा बहाने बनाने, आज नहीं कल। नहीं पहले सुनील, मन उसका पूरा कर रहा था, लण्ड जबरदस्त खड़ा था लेकिन बस वही डर, झिझक और हिचक की कहीं न घुसेड़ पाया तो?
मैंने सुनील को आँख मार के इशारा किया और अगले पल वो ‘कच्चा केला’ पीठ के बल पुआल पर लेटा था।
धक्का मार के मैंने उसे गिरा दिया और सुनील ने उसके दोनों हाथ कस के पकड़ लिए, बस जैसे गन्ने के खेत में दो गाँव के लौंडे, किसी शिकार को, नई-नई जवान हुई कच्ची कली को दबोच लेते हैं, बस उसी तरह से हम दोनों ने दबोच लिया था, वो हिल-डुल भी नहीं सकता था।
मुश्कुरा के मैंने आँख नचा के उसे देखा, मैं उसके ऊपर बैठ गई थी। झुक के मैंने जीभ से हल्के-हल्के लण्ड को बेस से ऊपर-नीचे तक चाटना, चूसना शुरू कर दिया। वो तड़प रहा था, कुलबुला रहा था, छटपटा रहा था, लेकिन सुनील ने जिस जोर से उसके हाथ को पकड़ रखा था, वो इंच भर भी नहीं हिल सकता था।

तड़पा तड़पा के शिकार करने का मजा ही अलग है।
और बस रसगुल्ले की तरह मैंने ‘शिकार’ की एक बाल (जिसे बसंती और गुलबिया पेल्हड कहती थीं) ‘गड़प’ कर ली और लगी चूसने।
बिचारा चुन्नू

और थोड़ी देर में मैं ऊपर थी, कामिनी भाभी से ‘विपरीत रति’ के जितने गुर मैंने सीखे थे सब आजमा लिए, और उसके साथ गुलबिया और बसंती ने जो गालियां सिखाईं थी, वो भी खाली कर दीं-
“साल्ले, जिस दिन से तेरी बहन को यहां से ले गई हूँ न, कोई दिन नागा नहीं गया है, जब मेरे भैय्या ने हचक के उन्हें चोदा न हो। तो तू क्या सोच रहा था बिना चुदे बच जाएगा। अरे तू क्या, तेरी माँ बहन सबको चोद के रख दूंगी, अगर कोई नखड़ा चोदा। चुदा चुपचाप…”

उसके ऊपर चढ़ के सुपाड़ा मैंने अपनी कसी गुलाबी चूत में सेट कर लिया था, और शुरू में हल्के से फिर जोर-जोर से धक्के मैं मार रही थी। जैसे कोई नए माल के कच्चे टिकोरों का मजा लेता है, बस उसी तरह मैं कभी चुन्नू के निपल अपने लम्बे नाखूनों से स्क्रैच कर देती थी तो कभी झुक के कचकचा के काट लेती थी।
बिचारा वो चीख उठता था।
उसका मुँह बंद करने के लिए अपनी कच्ची अमिया मैं उसके होंठों पर रगड़ देती थी। और साथ में गालियां-

“साले औजार तो इतना जबरदस्त है, तेरी माँ बहन ने क्या चोदना नहीं सिखाया? चल चूतड़ उठा-उठा के नीचे से धक्का मार जैसे तेरी बहन मारती हैं जब मेरे भैया उसे चोदते हैं…”
कुछ देर में उसने मेरा साथ देना शुरू कर दिया, सिर्फ धक्के ही नहीं, सुनील ने उसका छोड़ दिया था और अब वो मेरे जोबन का रस दोनों हाथों से लूट रहा था।
कुछ देर में मैंने धक्के मारने बंद कर दिए पर चुदाई जारी थी। उसकी झिझक, डर और लाज खत्म हो गई थी, वो पूरी ताकत से धक्के मार रहा था,

और मैं सटासट गपागप लील रही थी। उसको कस के पकड़ के कुछ देर में मैंने पलटा खाया, और अब नाव नीचे गाडी ऊपर,
वो चोद रहा था, मैं चुद रही, हचक-हचक के। साथ में मेरी गदराई नई आई चूचियों की ऐसी की तैसी हो रही थी।
वो जम के रगड़ मसल रहा था। जब उसका मोटा मूसल रगड़ते दरेरते मेरी कच्ची चूत में घुसता तो मेरी ऐसी की तैसी हो जाती। हर धक्का वो पूरी ताकत से मार रहा था। 8-10 मिनट हो गए थे मैं झड़ने के कगार पे थी और इस रफ़्तार से तो उसको भी पार होने में देर नहीं लगने वाली थी।

और उस बिचारे कुंवारे की पहली चुदाई मैं इतनी जल्दी खत्म नहीं होने देना चाहती थी।

लेकिन एकदम से उसने बहाना बनाया- “पहले सुनील…”
मेरा मन हुआ एक मोटी सी गाली दूँ- “साले क्या वो तेरा बहनोंई लगता है, जो पहले सुनील, पहले सुनील लगा रखा है…” लेकिन अपने ऊपर कंट्रोल किया, और कहा-
“आओ न चलो आ जाओ न सीधे से, अभी मुँह में तो कित्ते जोर-जोर से धक्के पर धक्का मार रहे थे…”
बड़ी मुश्किल से वो तैयार हुआ लेकिन जैसे ही वो मेरी जांघों के बीच आया, बस थोड़ी देर में उसने हार मान ली। नहीं औजार का इशू नहीं था वो वैसे ही खड़ा, सख्त, लेकिन बस नौसिखियापन, झिझक और डर।
परेशानी मैंने भी कम नहीं खड़ी की थी, वो कामिनी भाभी की क्रीम का असर फिर उनका मन्तर, कितना भी चुदूँ, चूत एकदम कच्ची कली से भी कसी रहेगी। ऊपर से चुन्नू ने अपने सुपाड़े में कोई तेल क्रीम कुछ तो लगाया नहीं, न मेरी बुर में कुछ। तो बस एक दो बार तो वो छेद ही नहीं ढूँढ़ पाया उसके बाद घुसाने में दिक्कत, बस वही पुरानी कहावत, अनाड़ी चुदवैया बुर की बर्बादी।
लेकिन मुझे भी तो अनाड़ी से खिलाड़ी बनाया था, बसंती, गुलबिया, कामिनी भाभी ने।
तो आज मेरी बारी थी, मैंने तय कर लिया क्या करना है? बिन चोदे उसको छोड़ूंगी नहीं, भले ही चुन्नू साले को रेप करना पड़े।
वो लगा बहाने बनाने, आज नहीं कल। नहीं पहले सुनील, मन उसका पूरा कर रहा था, लण्ड जबरदस्त खड़ा था लेकिन बस वही डर, झिझक और हिचक की कहीं न घुसेड़ पाया तो?
मैंने सुनील को आँख मार के इशारा किया और अगले पल वो ‘कच्चा केला’ पीठ के बल पुआल पर लेटा था।
धक्का मार के मैंने उसे गिरा दिया और सुनील ने उसके दोनों हाथ कस के पकड़ लिए, बस जैसे गन्ने के खेत में दो गाँव के लौंडे, किसी शिकार को, नई-नई जवान हुई कच्ची कली को दबोच लेते हैं, बस उसी तरह से हम दोनों ने दबोच लिया था, वो हिल-डुल भी नहीं सकता था।
मुश्कुरा के मैंने आँख नचा के उसे देखा, मैं उसके ऊपर बैठ गई थी। झुक के मैंने जीभ से हल्के-हल्के लण्ड को बेस से ऊपर-नीचे तक चाटना, चूसना शुरू कर दिया। वो तड़प रहा था, कुलबुला रहा था, छटपटा रहा था, लेकिन सुनील ने जिस जोर से उसके हाथ को पकड़ रखा था, वो इंच भर भी नहीं हिल सकता था।

तड़पा तड़पा के शिकार करने का मजा ही अलग है।
और बस रसगुल्ले की तरह मैंने ‘शिकार’ की एक बाल (जिसे बसंती और गुलबिया पेल्हड कहती थीं) ‘गड़प’ कर ली और लगी चूसने।
बिचारा चुन्नू

और थोड़ी देर में मैं ऊपर थी, कामिनी भाभी से ‘विपरीत रति’ के जितने गुर मैंने सीखे थे सब आजमा लिए, और उसके साथ गुलबिया और बसंती ने जो गालियां सिखाईं थी, वो भी खाली कर दीं-
“साल्ले, जिस दिन से तेरी बहन को यहां से ले गई हूँ न, कोई दिन नागा नहीं गया है, जब मेरे भैय्या ने हचक के उन्हें चोदा न हो। तो तू क्या सोच रहा था बिना चुदे बच जाएगा। अरे तू क्या, तेरी माँ बहन सबको चोद के रख दूंगी, अगर कोई नखड़ा चोदा। चुदा चुपचाप…”

उसके ऊपर चढ़ के सुपाड़ा मैंने अपनी कसी गुलाबी चूत में सेट कर लिया था, और शुरू में हल्के से फिर जोर-जोर से धक्के मैं मार रही थी। जैसे कोई नए माल के कच्चे टिकोरों का मजा लेता है, बस उसी तरह मैं कभी चुन्नू के निपल अपने लम्बे नाखूनों से स्क्रैच कर देती थी तो कभी झुक के कचकचा के काट लेती थी।
बिचारा वो चीख उठता था।
उसका मुँह बंद करने के लिए अपनी कच्ची अमिया मैं उसके होंठों पर रगड़ देती थी। और साथ में गालियां-

“साले औजार तो इतना जबरदस्त है, तेरी माँ बहन ने क्या चोदना नहीं सिखाया? चल चूतड़ उठा-उठा के नीचे से धक्का मार जैसे तेरी बहन मारती हैं जब मेरे भैया उसे चोदते हैं…”
कुछ देर में उसने मेरा साथ देना शुरू कर दिया, सिर्फ धक्के ही नहीं, सुनील ने उसका छोड़ दिया था और अब वो मेरे जोबन का रस दोनों हाथों से लूट रहा था।
कुछ देर में मैंने धक्के मारने बंद कर दिए पर चुदाई जारी थी। उसकी झिझक, डर और लाज खत्म हो गई थी, वो पूरी ताकत से धक्के मार रहा था,

और मैं सटासट गपागप लील रही थी। उसको कस के पकड़ के कुछ देर में मैंने पलटा खाया, और अब नाव नीचे गाडी ऊपर,
वो चोद रहा था, मैं चुद रही, हचक-हचक के। साथ में मेरी गदराई नई आई चूचियों की ऐसी की तैसी हो रही थी।
वो जम के रगड़ मसल रहा था। जब उसका मोटा मूसल रगड़ते दरेरते मेरी कच्ची चूत में घुसता तो मेरी ऐसी की तैसी हो जाती। हर धक्का वो पूरी ताकत से मार रहा था। 8-10 मिनट हो गए थे मैं झड़ने के कगार पे थी और इस रफ़्तार से तो उसको भी पार होने में देर नहीं लगने वाली थी।

और उस बिचारे कुंवारे की पहली चुदाई मैं इतनी जल्दी खत्म नहीं होने देना चाहती थी।