chodumahan
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ऐसे डायलोग हीं ... जो आम बोल चाल में औरतें आपस में बात करते हुए कहती हैं....पिछवाड़े का दर्द
' कुल नयकी की इहे हालत होती है, जब बिटिया बियाती हैं दरद के मारे जान निकलती है सबकर किरिया खाती हैं अब दुबारा सैंया क सेजरिया नहीं जाउंगी, लेकिन हफ्ता भर के अंदर बुर लंड मांगने लगती है, "
" तब तक पीछे से कोई नयकी बहुरिया बोली,
" चाची आप देवर के होने के कितने दिन बाद,... "
तो पीछे से किसी और दूसरी बड़ी उम्र वाली औरत की आवाज आयी,... " हमसे पूछा, जउने दिन बरही थीं ( बच्चे के पैदा होने के बारह दिन के बाद ), ओहि दिन सौरिये में ( प्रसव के समय जिस कमरे में स्त्री को रखा जाता है),
तब तक कोई शायद महरीन भौजी ही,... अरे ओह टाइम तो और गरमी चढ़ी रहती है, फिर जबतक लड़का दूध पीता है, तबतक तो कउनो खतरा नहीं, पेट का,... "
" एक चूँची से मरद चुसुक चुसुक, और दूसरे से बेटवा " वही नयकी औरत की आवाज आयी, फिर कोई बोली,
" अरे गौने क दुल्हिन क तो इहे पहचान है, दिन रात सड़का टपकता रहता है, हरदम मलाई भरी रहती है, .... "
इस कहानी की जान है....
और सब लोग किसी न किसी तरह कनेक्ट महसूस करते है...
लगी रहो भौजी.....