“नहीं तुझसे कण्ट्रोल नहीं होता...सुबह भी नहीं हुआ था..इसे मुंह में डालकर चूसा जाता है...
धक्के मारने हों तो इसे कहीं और घुसाना पड़ता है ...अब तू ही फैसला कर ले...
तू लंड चुस्वाना चाहता है जा फिर धक्के मरना चाहता है....”
सलोनी राहुल की आँखों में देखती बोलती है |
राहुल कोई जवाब नहीं दे पाता | हाँ वो धक्के मरना चाहता था मगर वो अपनी बात को कहे कैसे?
“मैं सारी रात तेरा इंतज़ार नहीं कर सकती.. जल्दी फैसला कर ले ...” इतना कहकर सलोनी पीछे हटती है
और बेड पर चड़ जाती है | बेड के एकदम बीचोबीच वो पीठ के बल लेट जाती है |
उसकी नाईटी उसकी जाँघों तक चड़ गई थी | सलोनी लेटने के बाद राहुल की और देखती है
जो उसे अपना फैसला सुनाने के लिए शब्द ढूंड रहा था जो उसे मिल नहीं रहे थे |
सलोनी का एक हाथ नाईटी के सामने लगी बड़ी सी गांठ के सिरे से खेलते हैं
और वो राहुल की आँखों में आँखें डाल कर कहती है,
“वैसे तुझे मालूम है ना अगर धक्के लगाने हों तो इसे कहाँ डाला जाता है ...”
सलोनी के हाथ गांठ के सिरों से खेल रहे थे और वो ऐसे ज़ाहिर कर रही थी कि जैसे वो गांठ को खोल रही हो |
राहुल एक पल के लिए अपनी माँ की आँखों में देखता है और फिर उसकी नज़र सलोनी के हाथों में नाईटी की गाँठ पर जाती है |
राहुल धयान से देखता हुआ बेड पर चड़ता है और सलोनी की कमर के पास पहुँच जाता है |
राहुल एक बार फिर से सलोनी के चेहरे की और देखता है तो वो धीरे से सर हिलाकर आगे बढ़ने की अनुमति देती है |
राहुल के काम्पते हाथ आगे बढ़ते हैं और सलोनी के हाथों को छूते हुए गाँठ के सिरे थाम लेते हैं |
राहुल धीरे से गाँठ के सिरों को खींचता है तो गाँठ आराम से खुल जाती है |
सलोनी अपने हाथ अपनी बगलों पर रख लेती है | नाईटी खुल चुकी थी और उसके दोनों पल्लू हल्का सा खुल गये थे |
जिससे सलोनी के मुम्मो की घाटी नज़र आने लगी थी और राहुल देख सकता था कि उसकी माँ ने ब्रा नहीं पहनी है |
राहुल नाईटी के दोनों पल्लू पकड़ता है, उसका और सलोनी दोनों का बदन कांप रहा था |
राहुल नाईटी के पल्लू पूरी तरह फैला देती है |
सलोनी अपने बेटे के सामने मात्र एक लाल पेंटी पहने थी
और कमर के उपर से पूरी तरह नंगी थी |
उसके गोल मटोल मुम्मे और नुकीले निप्पल छत का निशाना लगाये हुए थे |