देवा:“बोल साली रंडी लेगी ना मेरा लंड अपनी गाण्ड में सटासट…”
ममता“हाँ लूँगी ना अह्म्मह… डाल दो मेरी छोटी सी गाण्ड में आपका मूसल ऊह उंह्म्मह…”
रत्ना देवा के लण्ड पे भी तेल लगा देती है, और ममता को कुतिया स्टाइल में करके देवा के लण्ड को ममता की गाण्ड पे रगड़ने लगती है।
ममता“आहह… आह्ह्ह्हह…” करके सिसक उठी थी।
देवा:“ममता, पहले थोड़ा दर्द होगा, तू बर्दाश्त कर लेगी ना?”
ममता“हाँ भइया, आपका हर दर्द मुझे कुबूल है। मेरी फिकर ना करो बस पेल दो…” ममता का भी दिल देवा के लण्ड को अपनी गाण्ड में लेने का हो रहा था। ऊपर से रत्ना की बात उसे याद आ रही थी। वो देवा की थी और उसे इस बात का सबूत देना था।
देवा अपने लण्ड को ममता की छोटी सी गाण्ड के सुराख पे लगाकर धकेलने लगता है-“आह्ह्ह्ह्ह्हह… ऊऊह्ह्हह… रत्ना, ममता की गाँड बहुत टाईट है…” वो रत्ना की तरफ देखते हुये कहता है।
रत्ना:“तो क्या मैं मोहल्ले वालों से गाण्ड मरवाती थी? जब पहली बार तूमने मेरी गाण्ड मारी थी तब मेरी भी ऐसी ही टाइट थी। देर मत करो और फाड़ के बड़ी कर दो बेटे…”
देवा की आँखें लाल हो गई थीं। वो दोनों हाथों से ममता को पतली सी कमर पकड़कर पूरी ताकत से लण्ड अंदर पेलने लगता है। उसे कोई परवाह नहीं थी कि ममता कितनी जोर से चिल्ला रही है।
रत्ना ममता की दोनों चूची, वो नीचे हवा में लटक रही थी, अपने हाथों में लेकर सहलाने लगती है, और ममता के होंठ चूसने लगती है। जिससे ममता को दर्द का एहसास ना हो।
देवा गपागप अपना लण्ड ममता की गाण्ड में पेलने लगता है। पहले-पहले उसे थोड़ी रुकावट का सामना करना पड़ा, पर थोड़ी देर बाद बड़ी आसानी से देवा ममता की गाण्ड मार रहा था और उसे इसमें बहुत मज़ा भी आ रहा था।
देवा: आह्ह्ह… ऊह आह्ह्ह्ह… तेरी गाण्ड भी रत्ना की तरह है ममता अह्म्मह… मेरी रंडी तेरी माँ को चोदूं आह्ह्ह्ह्ह्… ले ले अपने मर्द का लण्ड… तेरी गाण्ड पे भी मेरी मोहर लग गई है आह्ह्ह्ह्ह्…”
उनकी चुदाई सुबह के छः बजे तक चली। दोनों औरतें देवा की छाती से चिपकी आराम करने लगी।