"मेरा भी निकलने वाला है सासु माँ.....हाए ...बस थोड़ी देर ........." देवा उन पलों को कुछ देर और बढ़ाना चाहता था मगर जिस ज़ोर से देवा ने चुदाई की थी अब ज़्यादा देर वह टिकने वाला नही था. उन आख़िरी धक्कों के बीच देवा का ध्यान शालू की गान्ड के उस बेहद टाइट छेद पर गया और अगले ही पल देवा के मन में एक नया विचार आया।
"सासु माँ हाए मेरा तो....अभी...उफ़फ्फ़ ध्यान ही नही गया.......तेरी...,गान्ड कितनी .........टाइट है.......उफफफफफ्फ़...बड़ा मज़ा आएगा...,तेरी गान्ड मारने में........" देवा ने एक हाथ उठाकर दोनो चुतड़ों के बीच की खाई में डाल उसकी गान्ड का छेद रगड़ने लगा। फिर देवा अपनी एक उंगली शालू की गान्ड में घुसा दी।
"आआआआआआहह..." शालू चिहुक पड़ी। देवा ने चूत में लंड पेलते हुए उसकी गान्ड में थूक लगाकर जब अपनी उंगली आगे पीछे की। बस अगले ही पल शालू का पूरा जिस्म काँपने लगा, चूत सिकुड़ने लगी वो चीखती, चिल्लाती देवा के लंड पर अपनी चूत धकेलती छूटने लगी।
उसके झडते ही देवा का भी बाँध ढह गया और देवा के लंड से भी वीर्य की गरमागरम पिककारियाँ छूटने लगीं. शालू सिसक रही थी, कराह रही थी, देवा हुंकारे भर रहा था।
शालू आह्ह्ह्ह 'बेटा....आह्ह' कह रही थी और देवा मुख से 'सासु...माँ......ओह ' बोल रहा था. ऐसे स्खलन के बारे में कभी सोचा तक नही था.
वे दोनो बुरी तरह थक कर चुके थे।