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Incest Anutha prem kahani

Prem pyasa

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Namaskar Mitro !
:iamnew:And :welcome:to my thread

haal hi me is manch se jud gaya hoon…..aaya to tha jhank maarne lekin jab is forum ki paryvaran mujhe bha gaya ....aise hi kisi masoor forum ki yaad aaya zaha me koi saal jude raha lekin dubhagyavash wo forum ke tarang rodh ho gaya ........ye manch bhi uski ek jhalak he jo mujhe kafi bha gaya .......jeise purani yaadein taza hui waise hi kahani likhne kaa dubara man huya ........... to typing shuru mitron aur nivedan hein ki apna precious comment and feedback zaroor dijiyega........

Thank You



नमस्कार मित्रों

हाल ही में इस मंच से जुड गया हूं…..आया तो था झंक मारने लेकिन जब इस फोरम की पर्यावरण मुझे भा गया .... ऐसे ही किसी मसूर फोरम की याद आया जहा में कोई साल जुड़े रहा लेकिन दुर्भाग्यवश वो फोरम के तरंग रोध हो गया ........ये मंच भी उसकी एक झलक हे जो मुझे काफी भा गया ....... जैसे पुरानी यादें ताजा हुई वैसे ही कहानी लिखने का दुबारा मन हुआ ............ तो टायपिंग शूरु मित्रो और निवेदन हे की अपना कीमती टिप्पणी और प्रतिक्रिया जरूर दिजियेगा .........

धन्यवाद

🙏🙏🙏






Note



Priyon pathakon se nivedan he ki spelling mistake ko please nazar andaz karen.............me Hinglish/devnagri me likh ke hindi font me bhi post karta hoon to mere liye thora muskil ho jata he har spelling ke upar gour karna.........ummid he aap log samjh jayenge.....





Waise jab hindi font me translation karta hoon tab kafi sudhar ho jata he.....agar aap logo ko hindi font me koi dikkat naa ho to hidni font me read kare........🙏🙏🙏
: Congrats: for new thread
 

jayantaDS

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दो दशक पहले रभा कांत उच्च शिक्षा के लिए छोटे से गाँव से शहर आया था ……जब महा विद्यालय में शिक्षा अर्जित कर रहा था उसी अबधि तरुणाई विलिन था …… और एक जागुर स्त्री से प्रेम कर बैठे …।वो कमसिन स्त्री भी उसी महा विद्यालय में पढाई करती थी…।। दोनों एकआद मुलाकत में दोस्ती कर बैठे और समय के प्रसात दोनों की दोस्ती गहरी हो गयी ……।एक दिन रभा कांत को पता चला की उसकी दोस्त को कबिता बोहोत पसंद हे …… रभा कांत भी अपनी दोस्त की द्रहती में प्रभावषाली बनने के लिए दो पंगतिया लिख डाला प्रेम की बशते और समुह अनुस्थान में अपनी पंगतिया आवृति भी किया ………वो लड़की ही नही समूह ब्यक्तियों ने उसके पंगतिया के लिए प्रभाभित हो के तालियों से नमन किया गया ……।

बस फिर क्या था उसकी प्रेमी ने उसे प्रासाहित किया की वो लिखे …।।और रभा कांत भी प्रासाहित हो के एक पंगतियो की किताब लिख डाला …। लगो ने उसके किताब बोहोत पसंद किये …… उपन्यास प्रकाशित वाले रभा कांत को अनुबन्ध लिया की वो तीन उपन्यास लिखे …। लेकिन उसको उपन्यास लिखने का कोई अबधारणा नही था लेकिन उसे लगा वो लेखक बन गया तो उसका नाम रोशन होगा साथ ही साथ आजीविका मिलेगा जीवन में प्रगति मिलेगी ……रभा कांत ने सपने रुख़सतने लगे ……।और दिल ही दिल अपनी प्रेमी से बेइंतहा इश्क कर बैठे………


समय अनुक्रम उसकी पढाई चल रहा था और वो लिखते जा रहा था …।।दो उपन्यास वो महा विद्यालय शिक्षा की अवधि पूर्ण करने तक प्रकाशित हो चूका था …। उसे कामियाबी की चिढ़ी हासिल हुआ उसने अपना नाम बढा दिए टाइटल में बैश्य जोड़े जिससे उसका नाम बढ़ के रभा कांत बैश्य हो गया…… डिग्री मिलने के बाद वो लड़की अपने शहर अपने घर चली गयी …… दोनों के बिच चिठ्ठी पत्र प्रेशान करना सिलसिला चलता रहा ……।

जब तीसरी उपन्यास प्रकाशित हुआ तो अपनी प्रेमी से चीट्ठी लिखा उसके तीसरी उपन्यास पढ के रे माशरा दे …।। लेकिन जवाब में ऐसा माशरा मिला की वो आज तक उस जवाब का निष्पादन था ………

जवाब में ये लिखा था की ……। " उसके माता पिता उसकी और उसके रिश्ते के सख्त खिलाब हे जात पात नही मिलने के कारन …… इस्लिये उसे भूल जाये और साथ में उसकी शादी का नेवता भी भेजा "

राभा कांत के पेड़ों तले जमीन खिसक गए उसके समस्त जिस्म में बिजिलिया गिरि मानो दुनिया ही ख़तम हो गया हो …… रभा कांत गली गली भटकने लगा पागल आशिक की तरह जब नशे में धूत किसी सड़क के किनारे या भीड़ भाड़ में गिरे पड़े रहते थे तो उसके बगल में सिक्के गिरा के जाते थे लग ……। धीरे धीरे रभा कांत बैश्य से रभा कांत बन गया एक शराबी के रूप में गली गली बदनाम हो गया ……। लग बूरा भला बेवड़ा कुत्ता बोल के अपने पास भी भटकने नही देता था उसे………… ।।।।।।।………


रमा कांत कप कापते हुए आसूँ बहा के कॉफ़ी का मग ख़तम कर दिया ……शान उसके पास बैठा अब तक जो ध्यान मग्न था उसने भी कॉफ़ी का मग ख़तम कर दिया ……।।

शान लब्मी सांस ले के बोलै ……।।" काका कभी सोचा नही था की आप जैसे लग उस ज़माने में भी ऐसा दर्दनाक इश्क कर बैठे रहते थे …… सालम आपकी प्रेम कथा का "

कका ……।" शुक्रिया छोटे बाबू…। लेकिन किसी को बोलना नही "

शान…।।" अरे ना …… में किसी की ज़िन्दगी के ऐसी बातें कभी नही उछलता …।आपकी प्रेम गाथा मेरे दिल में दफ़न होगा "

कका …।।" अच्छा अब हमें चलना चाहिए …।।"

शान……।।" वैसे कभी मिले हो उस लड़की से दुबारा…।।"

राभा कांत कुछ सोच कर बोलै …।।" नही कभी नही …।"

शान भी कुछ सोच कर बोलै…।।" काका अगर आपको दुबारा लिखने को मौका मिले तो आप लिखेंगे ……"

कका……" अरे नही …… कलम छोरे जमाना हो गया …।। अपना नाम तक लिखना भूल गया ……"

शान ……।।" लेकिन आपको मेरे लिए लिखना पड़ेगा …।। चलो मेरे साथ्"

कका …।।" कहा छोटे बाबू …।क्या लिखना हे आपके लिए …… सच केह रहा हूँ कुछ लिख नही पाउँगा में हाँथ काँपते हे मेरे तो ……



शान …।।" लिखना नही बस टाइपिंग करना हे …… आपके पास कोई बाइक हे "

शान ने काका को घर से बहार ले के आया…।।कका के पास एक खतरा मोटरसाइकिल था ……।।शान उसे ज़बर्दस्ती मोटरसाइकिल में बैठा के ले गया……।

थोरि ही देर में शान काका को ले के क्लब पोहोच गया अपने अड्डे पे ……। विक्रम और जतिन दोनों चेयर्स में ढेर पड़े घोड़े बेच के सो रहे थे …।। बस प्रीती चचमा पहने कंप्यूटर में बिजी थी ……

शान ने दोनों के चेयर्स पे जोर से लात मारे दोनों गिरते गिरते बचे और हड़बड़ा के उठ गए …।।

शान…।" काका बैठो न…।"

कका कमरे के सारो देख रहा था नए ज़माने की कंप्यूटर देख पा रहा था जिस्से एक एक प्रसेसर के साथ तीन तीन बड़े बड़े मॉनिटर लगाये हुए थे ……काका को शान ने अपनी कुर्सी पे बिठा दिया …।।

प्रीति बोली…।।" शान ये कौन हे"

शान मुस्कुरा के बोले …।।" मेरी जान ये पुरुष नही हे"

कका शान की तरफ टकने लगा की ये क्या बोल रहा हे उसकी इत्जत उतारि जा रही हे क्या …।।

शान हास के बोलै …।।" ये पुरुष नही महापुरुष हे ……।एक महँ राइटर हे …।।हुमारे लिए अब काका लेवल स्क्रिप्ट लिखेगा "

कका भी असम्भित था साथ में प्रीति, जतिन और विक्रम भी …।।आँखे फाड़ के देखने लगा …।

कका …।।" छोटे बाबा कहा लेके आ गए मुझे……। मालिक डाटेंगे मुझे …।। मुझे जाना चाहिए "

प्रीति और जतिन शान को कोने में लेके गया " अबे ये कया चुतियापा हे बे…।। ये बाबा आदम की ज़माने का आदमी लेवल उप के स्क्रिप्ट लिखेगा "

शान बोलै " हां …।ये एक बड़े लेखक थे एक ज़माने में " उसने एक किताब निकाली अपने जैकेट के अंदर से जो काका के घर से छुड़ा के लाया था …।" ये देख ऐसी कोई नॉवल और पोएम लिखा हे ……।नेट पे सर्च कर उसकी कुंडली मिल जायेगी …।। उसके पर्सनालिटी पे मत जाओ भले ही गरीब दीखता हो लेकिन अंदर लिखने की जुनुन हे "

जतिन …।।" अच्छा मान लिया की वो बड़े लेखक थे या अभी भी हे …। लेकिन गेम के लिए स्क्रिप्ट कैसे लिखेगा हमारे स्ट्रगेद्य रोलप्ले गेम में कुछ फंतासी और नए सोच वाले चाहिए "

प्रीति ने जतिन के साथ हां में मिलाई…।।लेकिन शान ने काका के अंदर कुछ काबिलियत देखा था इस्लिये वो अपने दोस्तों को राज़ी करने में लगा ……

शान ……" एक बार ट्राई तो करो …।एक डेमो तो बनता हे न…। कॉम ऑन यार तुम लोगो को मेरे ऊपर ज़रा भी भरासा नही हे क्या ……।भूल मत तुम लोगो को भी मैंने अपने परकी नज़र से तुम लोगो की क़ाबिलियत देख के यहा ले आया …।"

प्रीति और जतिन मान गया …।। तीनो काका के पास गए …।।

कका …।।" छोटे बाबा अब बोहोत देर हो रही हे …।। मुझे जाना होगा नही तो बाबू साहब बोहोत नाराज़ होंगे …।।"

शान …।।" डो'त वोर्री काका …… में डैडी को बोल दूंगा की में आपको ले गया था …अच्छा अब सुनो आपको हमारे गेम के लिए लेवल उप स्क्रिप्ट् लिखना होगा …।।हुम आपको मुफ्त में काम नही करवाएंगे आपको थोरा बोहोत पैसा देंगे और जब गेम पूरी तरह बन जायेगा तब तो आपका भी नाम होगा और पैसा भी मिलेगा …।।"

कका ……" छोटे बाबा मुझे पैसे की लालच नही हे…।बात पैसो की नही छोटे बाबा …। पर में अब लिख नही पाउँगा वो जमाना बिट गया वो काबिलियत नही रहा अब …।। और क्या लिखना हे लेवल स्क्रिप्ट्स क्या बोलै था "

जातीं ……" हां काका …… प्लीज न मत करिये हम बच्चों की फ्यूचर का सवाल हे प्लीज "

कका सारों के सकल देखने लगे जो बड़े आस लगाये उमीद्द से उसे देख रहे थे …।।

कका…।।" कहा ले आये छोटे बाबा आपने……।।और में कहा वक़्त निकल पाउँगा पूरा दिन तो बड़े मैल्क के साथ काम पे रहूँगा कभी कभी ही आपके साथ होता हूँ ……।"

शान …।।" शिंता मत करो काका…। हम आपको एक आइपेड देंगे लिखने की … जब भी आपको मौका मिले आप लिखना "



काका बेबस हो कर आखिर में हां कर दिया ……
 

jayantaDS

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do dashak pehle rabha kant usson shiksa ke liye chote se gaaon se seher aaya tha ……jab maha vidyalaya me shiksa arijit kar raha tha usi abadhi tarunai wilin tha …… aur ek jagur stri se prem kar baithe ….wo kamsin stri bhi usi maha vidyalaya me padhai karti thi….. dono ek aad mulakat me dosti kar baithe aur samay ke prasshat dono dosti gehri ho gayi …….ek rabha kant ko pata chala ki uski dost ko kabita bohot pasand he …… rabha kant bhi apni dost ki drahti me prabhavashaalee banne ke liye do pangtiya likh dala prem ki bashte aur samuh anusthan me apni pangtiya aavriti bhi kiya ………wo ladki hi nehi samuh byaktiyon ne uske pangtiya ke liye prabhabhit ho ke taliyon se naman kiya gaya …….









bas phir kya tha uski premi ne use prassahit kiya ki wo likhe …..aur rabha kant bhi prassahit ho ke ek pangtiyo ki kitab likh dala …. logo ne uske kitab bohot pasand kiye …… upanyas prakashit walo rabha kant ko anubandh liya ki wo teen upanyas likhe …. lekin usko upanays likhne ka koi abdharana nehi tha lekin use laga wo lekhak ban gaya to uska naam roshan hoga saath hi saath aajeevika milega jivan me pragati milegi ……rabha Kant ne sapne rukhsatne lage …….aur dil hi dil apni premi se beinteha Ishq kar baithe………













samay anukram uski padhai chal raha tha aur wo likhte jaa raha tha …..do upanyas wo maha vidyalaya shikha ki avadhi purn karne tak prakashit ho chuka tha …. use kamiyabi ki chidhi hasil huya usne apna nam badha diye title me bashya jod jisse uska naam badh ke rabha kant bashya ho gaya…… degree milne ke baad wo ladki apne seher apne ghar chali gayi …… dono ke bich stithi patra preshan karna silsila chalta raha …….











jab tisri upanyas prakashit huya to apni premi se sitthi likha uske tisri upanyas padh ke ray mashara de ….. lekin jawab me aisa mashara mila ki wo aaj tak us jawab ka nishpadan tha ………







jawab me ye likha tha ki ……. " uske mata pita uski aur uske rishte ke sakht khilab he jaat paat nehi milne ke karan …… isliye use bhool jaye aur saath me uski shadi ka newta bhi bheja "











rabha kant ke pedo tale jameen khisak gaye uske samast jism me bijiliya giri mano duniya hi khatam ho gaya ho …… rabha kant gali gali bhatne laga pagal aahishq tarah jab nashe me dhut kisi sadak ke kinare ya bhid bhad me gire pade rehte the to uske bagal me sikke gira ke jaate the log ……. dhire dhire rabha kant bashya se rabha kant ban gaya ek sharabi ke roop me gali gali badnaam ho gaya ……. log bewra kutta bol ke apne paas bhi bhatakne nehi deta tha use………… ।।।।।।।………













rama kant kap kapate huye aasoon baha ke coffee ka mug khatam kar diya ……shaan uske paas baitha ab tak jo dhyaan magna tha usne bhi coffee ka mug khatam kar diya ……..







shaan labmi saans le ke bola …….." kaka kabhi socha nehi tha ki aap jeise log us jamane me bhi aisa dardnak Ishq kar baithe rehte the …… saalam aapki prem katha ka "







kaka ……." shukriya chote babu…. lekin kisi ko bolna nehi "





shaan….." are nei …… me kisi zindegi ki aisi baatein kabhi nehi uchalta ….aapki prem gatha mere dil me dafan hoga "





kaka ….." achcha ab hume chalna chahiye ….."





shaan…….." waise kabhi mile ho us ladki se ….."







rabha kant kuch soch kar bola ….." nehi kabhi nehi …."





shaan bhi kuch soch kar bola….." kaka agar aapko dubara likhne ko mouka mile to aap lokhoge ……"





kaka……" are nehi …… kalam chhore jamana ho gaya ….. apna tak likhna bhool gaya ……"



shaan …….." lekin aapko mere liye likhna padega ….. chalo mere saath"







kaka ….." kaha chote babu ….kya likhna he aapke liye …… sach keh raha hoon kuch likh nehi paunga me hanth kaanpte he mere to ……





shaan ….." likhna nehi bas typing karna he …… aapke paas koi bike he "





shaan ne kaka ghar se bahar le ke aaya…..kaka ke paas ek khatara motorcycle tha ……..shaan use zabardasti motorcycle me bith ke le gaya…….













thori hi der me shaan kaka ko le ke club pohoch gaya apne adde pe ……. Vikram aur jatin dono chairs me dher pade ghode bech ke so rahe the ….. bas preeti sasma pehene computer me bussy thi ……









shaan ne dono ke chairs pe jor se laat mare dono girte girte bache aur hadhbadha ke uth gaye …..







shaan…." kaka baitho na…."







kaka kamre ke saaro dekh raha tha naye jamane ki computer dekh paa raha tha jisse ek prosser ke saath teen teen bade bade monitor lagaye huye the ……kaka ko shaan ne apni kursi pe bitha diya …..







preeti boli….." shaan ye koun he"



shaan muskura ke bole ….." meri jaan ye purush nehi he"







kaka shaan ki taraf takne laga ki ye kya bol raha he uski itzat utari jaa rahi he kya …..





shaan haas ke bola ….." ye purush nehi mahapurush he …….ek mahan writter he …..humare liye ab kaka level script likhega "







kaka bhi asambhit tha saath me preeti, jatin aur vikram bhi …..aankhe phaad ke dekhne laga ….









kaka ….." chote baba kaha leke aa gaye mujhe……. malik datenge mujhe ….. mujhe jana chahiye "





preeti aur jatin shaan ko kone me leke gaya " abe ye chutiyapa he be….. ye baba adam ka jamane ka aadmi level up ke script likhega "







shaan bola " haa ….ye ek bade lekhak the ek jamane me " usne ek kitab nikali apne jacket ke andar se jo kaka ke ghar se chura ke laya tha …." ye dekh aisi koi noval aur poem likha he …….net pe search kar uski kundli mil jayegi ….. uske personality pe mat jao bhale hi garib dikhta ho lekin andar likhne ki junun he "



Jatin ….." achcha maan liya ki wo bade lekhek the ya abhi he …. lekin game ke liye script keise likhega humare stragedy roleplay game me kuch fantasy aur naye soch wale chahiye "



preeti ne jatin ke saath haa milai……..lekin shaan ne kaka ke andar kuch kabiliyat dekha tha isliye wo apne doston ko raazi karne me laga ……





shaan ……" ek baar try to karo ….ek demo to banta he na…. come on yaar tum logo ko mere upar zara bhi bharasa nehi he kya …….bhool mat tum logo ko bhi maine apne parki nazar se tum logo ki kabiliyat dekh ke yeha le aaya …."





preeti aur jatin maan gaya ….. teeno kaka ke paas gaye …..









kaka ….." chote baba ab bobot der ho rahi he ….. mujhe jana hoga nehi babu saheb bohot naraz honge ….."



shaan ….." don't worry kaka …… me daddy ko bol dunga ki me aapko le gaya tha …achcha ab suno aapko humare game ke liye level scripts likhna hoga …..hum aapko muft me kaam nehi karwayenge aapko thora bohot paisa denge aur jab game puri tarah ban jayega tab to aapka bhi naam hoga aur paisa bhi milega ….."







kaka ……" chote baba mujhe pasio ki lalach nehi he….baat paiso ki nehi chote baba …. par me ab likh nehi paunga wo jamana bit gaya wo kabiliyat nehi raha ab ….. aur kya likhna he level scripts kya bola tha "





jatin ……" haa kaka …… please na mat kariye hum bachchon ki feature ka sawal he please "





kaka saaron ke sakal dekhne lage jo bade aas lagaye umidd se use dekh rahe the …..



kaka….." kaha le aaye chote baba aapne……..aur me kaha waqt nikal paunga pura din to bade mailk ke saath kaam pe rahunga kabhi kabhi hi aapke saath hota hoon ……."





shaan ….." shinta mat karo kaka…. hum aako ek ipad denge likhne ki … jab bhi aako mouka mile aap likhana "





kaka bebas ho kar aakhir me haa kar diya ……
 
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सिटी के लैंप पोस्ट जग उठे थे …… लेकिन नगर सुनसान हो रहे थे …।।अकसर ऐसी बर्फ़ीली सेहर में लग खा पि के जल्दी सो जाते हे ……।।शान आज दोस्तों के एकत्रित जश्न माना के आया ऐसी ही किसी ख़ुशी में जो वो लग हर छोटी छोटी ख़ुशी में मनाते हे ……




शान कैब से चौराहे में उतर कर पेडल ही अपनी घर जा रहा था …… कार से उतारते ही ठण्ड में जम गए …।। उसने बस एक जर्सी पहन रखा था उसके हाथ में जैकेट था जो कैब में उसने पेहना नही था …… लेकिन अब पहन लिया गुलबंद को आधा मुँह धक् के लपेट लिया और ऊंन के टोपी पहले से जी पहन रखा था उसने ……





वोह पैदल चल के ५ मिनट में घर पोहोच गया …।।उसने देखा गेट में तेनात गॉर्ड भी कम्बल ओढ़ के सो रहे हे होलिका बुज रहा हे धीरे धीरे ……।


वोह बिना आवाज किये सावधाणी से भब्य दुवार के छोटा सा पल्ला खोला और अंदर आ गया फिर घर की तरफ गया …… उसने बेल बजाना चाहा लेकिन मोबाइल में समय देख के सोचा……" ११ बजे हे …। आज तो मॉम भी नही छोड़ेगी …।। डैडी तो सायेद सुली पे लटका दे …।। मॉम तो मेरा इंतेज़ार कर रही होगी वो नही सोयी होगी …।। एक काम करता हूँ आज भी चिढिया लगा के खिड़की चढ़ता हूँ फिर कमरे से निकल के मॉम को झांसा दे के उनके साथ दो दो घुट लगा लूंगा…"




शान अपना कमरा जिस तरफ पड़ता हे घर के उसी तरफ गया और चिढिया लगा दिया अपनी खिड़की पे और बन्दर की तरह चढ़ने लगा………।। लेकिन कोई दो आँख थे जो उसको ये सब हरकतें करते हुए देख रहा था या देख रही थी और सबक सिखाने के लिए पूरी तरह से तैयार था या थी………।।




जेसे ही शान ने खिड़की की चीचा ऊपर उठाया और मुंडी अंदर कर दी …किसी पीतल की चीज़ से उसके शिर पर टाँग कर के मार पड़ा …।।




शान उस ठण्ड में कराहते हुए खिड़की से लुड़कते हुए कमरे के अंदर गिर पड़ा ……।उसे छोट तो लगी थी लेकिन इतना भी नही की वो बेहोश हो जाये या यकायक मृत्यु हो जाये ……




" bustard ! steals by entering people's house……आज में तुझे जिन्दा गढ़ दूंगी …।।चोर साले "



शान हताभंब था जैसे बिद्युत धरा दिमाग में असर कर गया हो " मेरे कमरे में ये हे कौन जो मेरे ही शिर फोड़ कर मुझे चोर बोल रहा हे "





शान के शयनागार में बस मंद प्रकाश जल रही थी …। शान दर्द सेहते हुए खड़ा हो गया और एक पल के लिए वो थम सा गया ……




उसके सामने पीतल का भाण्ड ले के एक लड़की खड़ी थी ....परी जो स्वर्ग से उतर आई हो ……बिखरे सुनहरे बाल जो उसकी ग़ुस्से के कारन थी , तीखी नाक ग़ुस्से में सिकुड़ रही थी नागिन की तरह , ग़ुस्से में भी उसकी कजरारी कालि आँखे तिम टीमाती टारे जैसे लग रही थी "




शान उसकी मासूमीयत देख के लगा की ये खतरे की बला नही हे और वो शांत हो के बोलै " hey you , who the hell are you ? मेरे कमरे में क्या कर रही हो …।"




लड़की उसको पीटने फिर आगे आई शान फुर्ति दिखा के एक हाथ से भाण्ड पकड़ के खुद को बचाया और एक हाथ से उस नाजुक कलाई पकड़ लिया…।।इस चेष्टा में उसकी गुलबंद निचे चड़का जिस्से उसका चेहरा डिम लाइट की हलकी रौशनी में दिखाई पड़ रही थी …।।



लड़की फड़फड़ा रही थी शान की मज़बूद पकड़ से चुट्ने के लिए लेकिन जैसे ही उसने शान का चेहरा देखा और दीवार की तरफ लगी पेंटिंग में देखा तो वो थोरी देर सोच में पड़ गयी ……कमरे में शान का पेंटिंग लगा था जो उसकी कलाकार मॉम ने बनाई थी …।।






लड़की ने जब शान को पेहचाना और हिहि कर के हास् पड़ी " शान भैया तुम हो "



शान हैरांन था …। सोकोश में भरमाने आँखे से देखना लगा " कौन हो तुम ……"



लड़की की मुस्कान और फैल गयी ……" में हूँ भैया में तृप्ति "





शान ने उसे छोड़ दिया कदम पीछे लेते हुए गहरी उहापोह में होठो पे ऊँगली धुमते हुए मन में बोलने लगे " कही ये मासी की बेटी टिकली तो नही "



तृप्ति बोलि …।।" अरे भैया भूल गए …। आई एम टिकली …।। टिकली टिकली …।।"




शान हॅसने लगा …।" टिकली तुम यहा …… मतलब कुछ समझा नही …। तुम तुम तुम तुम मेरे कमरे में "



तृप्ति ऊचल पड़ी …।" surprise …..We just came from America today………में सोच रही थी जब आप घर पर आएंगे तब में आपको सरप्राइज दूंगी but you surprise me………।"



शान अब भी उलझन में था …।।" अच्छा …। ओके…।। तुम लग आज ही अमेरिका से आये हो मेरे घर पे और मेरे शिर पे ये पीतल का भाण्ड दे मरती हो "




तृप्ति ……" oh sorry so sorry' भैया …… मैंने आपको खिड़की से देखा था चोरी छुपे आते हुए मुझे लगा आप कोई चोर घुस्पेठिये हो "



शान को अब सब समझ में आ गया माज़रा क्या हे …।।लकिन तृप्ति उसके कमरे क्यों हे …। घर में और भी कमरा खाली पड़ा हे तो ये मेरे कमरे में क्यों हे …।



शान……।" लेकिन टिकली तुम मेरे कमरे में क्या कर रही हो "


तृप्ति …।" this is your room….…?।। पर ऑन्टी ने मुझे यहा रेहने को कहा तो में सामान ले के sift हो गयी "



शान तृप्ति को देख के उसे कुछ बचपन की याद आ गया जिस्से याद कर मुस्कुराने लगा ……" तुम तो यार वही १० साल पुराणी छोटी सी तिलकी हो दुबली पतली बस किसिने ने स्विंगम की तरह खिंच दिया लम्बी कर के …। ५ फुट की तो हो गयी होगी न "


तृप्ति बुरी तरह बिशभ गयी …।।" शान भैया …।I am 5 feet 2 inches……अब बड़ी हो गयी हूँ …।। आते ही चिढना शुरू कर दिए तुम …। काल सुबह आंटी से पिटवाउंगी देखना "




शान अपनी हासी रोक नही पा रहा था और तृप्ति चिढ़ती हुई बिलकुल किसी गुड़िया लग रही थी ……।।




शान ……।" वैसे अमेरिका में रहते हुए भी हिंदी अच्छी बोल लेती हो ………मैंने सुना था तुम लोग बैंक से लोन ले के भाग गए थे "



तृप्ति और ज़्यादा चिढ गयी ……" शान भैया………।। अब तुम हद पार कर रहे हो …।। लोन लिया था पापा ने और चूका भी दिया हे …।"



शान …।।" अच्छा ……लेकिन अब भी तुम्हारा नाक बहती हे न "



तृप्ति मुस्कुरा भी रही थी और चिढ भी रही थी ……तभी दरवाज़े पे नॉक हुई …।।





शान चुप रेहने का इसरा किया तृप्ति को दरवाज़ा न खोलने को फुसफुसाने लगा लेकिन तृप्ति अब बदला लेने की मूड में थी और उसने दरवाज़ा खोल दी …।।



एक गरजती हुई शेरनी दरवाज़े के चौखड़ पे बाजु टीका के खड़ी हो गयी और शान को देख के आईब्रो नचाती हुए पूछने लगी …।।




तृप्ति ……।" देखो न आंटी शान भैया मुझे चिढ़ा रहा हे "



रीना ……" हां में सब सुन रही थी बहार ……। और नालायक तुझे क्या लगा तू बार बार चिढिया लगा के अंदर घुसेगा और मुझे पता नही चलेगा "


शान……" मॉम …। ये मेरे कमरे क्या रही हे "


रीना …।।" हाँ टिकली तुम यहा क्या कर रही हो "


टरीपति…।।" क्या आंटी आपने ही इस रूम में मुझे सिफ्ट्ट होने को बोले थे "



रीना उसकी शिर पर तपली मार के बोलि " गाधी इस रूम में नही इसके बगल वाले रूम में बोला था …।। लगता है तूने गलत सुना हे …।।" खेर इतनी रात को सामान उठाने की ज़रूरत नही ये बन्दर दूसरे रूम में जायेगा …।।चल बन्दर तेरी खेर नही आज "



शान अपनी मॉम के साथ तृप्ति को गुड नाईट बोल के बगल वाले कमरे में गया ……।रीना उसके कान मोडोड़ने लगी ……




रीना……।" नालायक …।।You promised to come home before 9 o'clock……।।रुक काल सुबह तेरे डैडी को बताता हूँ …।




शान मस्खरी चित्तबृत्ति में आ गया जो वो अपनी मॉम को बेहलाने फुस्लाने के लिए हमेसा करता था …… अपनी बाहे कमर में दाल के गाल चूम के बोलै " प्लीज अब गुस्सा छोड़ो ना…।। पक्का अगली बार ऐसा नही होगा …… क्यों न रम का एक एक जाम हो जाये …।।आज बोबोट ठण्ड हे "



रीना मुस्कुरा उठी ……" बढ़मास ……चलो फिर बार में अँगीठी में आग भी टापेंगे "


दोनो लाउन्ज बार में आ गए और रम पिटे हुए कड़कड़ाती ठण्ड मिटाने के लिए हाथ भी सक्ने लगे फायरप्लेस में ……
 
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