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भविष्य की कुछ झलक
पहली झलक-राज सिंहासन पर विजय बैठा हुआ है और मैदान में एक खूनी दंगल चल रहा है ।जहां दो पहलवान आपस में युद्ध कर उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि वे एक दूसरे की जान लेकर मानेगे। इस परिस्थिति में विजय के चेहरे पर एक रहस्यमई मुस्कान दिख रही है। ध्यान से देखने पर पता चलता है की उसमें से एक पहलवान करण है तो वही दूसरा देव।
कुछ समय बाद
दूसरी झलक-जहां थोड़ी देर पहले करण और देव का युद्ध चल रहा था वही करण और अर्जुन का युद्ध चल रहा है वही मैदान के बाहर सेनापति परेशान है कि यह हो क्या रहा क्योंकि करण और अर्जुन दोनों भाई है।
Small flaflashback-
सूरज जब देवा की जान बचाता है तो देवा उसका बहुत धन्यवाद करता है और महल आने के बीच रास्ते में उसकी और सूरज की बहुत गहरी दोस्ती हो जाती है। वहां जाने के बाद वह उसे अपने कमरे में लेकर जाता है। वहीं दूसरी तरफ राज दरबार में एक सैनिक भागा जाता है जो देवा के साथ वन में गया था।
महाराज (विजय)-तुमने राज दरबार में आने की गलती कैसे की।
सैनिक-माफी महाराज लेकिन युवराज देवा वन में कहीं लापता हो गए उन्हें आखिरी बार पर्वत से गिरते हुए देखा गया था।
महाराज-नहीं मेरी बेटे को कुछ नहीं हो सकता
और और अगले ही पल उस सैनिक का सर धड़ से अलग था, साथ महाराज का तलवार खून से भीगा हुआ था।
उसी समय एक दूसरा सैनिक भागा -भागा दरबार में आता है।
महाराज-अब तुम क्यों आए हो?
सैनिक -महाराज युवराज अभी -अभी राजभवन में हैं।
और और उसके बाद राजा देवा से मिलने उसके कमरे की ओर चले जाते हैं। जहां देवा उनकी की मुलाकात सूरज से करवाता और महाराज सुरेश का बहुत-बहुत शुक्रिया करते है।
वही थोड़ी देर पहले जब देवा और सूरज राजभवन आ रहे थे तो राधा सूरज को देखती है और बहुत खुश हो जाती है लेकिन जब सूरज के साथ देवा को देखती है तो उसके मन में अलग-अलग प्रकार के ख्याल आने लगते हैं। कुछ दिनों बाद सूरज का परिचय सेनापति से होता है। सेनापति और सूरज की सोच काफी हद तक एक हि थी जिससे कारण उन दोनों के बीच में दोस्ती भी हो जाता है। पर एक दिन जब सेनापति सूरज के कमरे में जाते हैं तो उसे त्रिशूल का निशान दिखाई पड़ता है
अब तक आपने देखा सूरज राज दरबार में एक स्थान प्राप्त करता है और वही सेनापति सूरज के हाथ पर त्रिशूल का निशान देखते हैं अब आगे सेनापति-(अपने मन में) यह निशान तो उसके जैसा नहीं है यार थोड़ा अलग लग रहा है मुझे इसके बारे में से बात करनी चाहिए।
सेनापति सूरज से -यह निशान तुम्हारे हाथ पर कैसे आएगा
सूरज - यह तो बचपन से ही है
मैंने मैंने मेरी और मेरे भाई के हाथ पर ऐसा ही निशान बनवाया था।
सेनापति -तुम्हारे भाई के हाथ पर के निशान का फोटो है
सूरज -अपने पास से निकाल कर एक फोटो सेनापति को दिखाता है।
सेनापति-(अपने मन में) यह ठीक वैसा ही निशान है। सेनापति सूरज से-मुझे तुम्हारे भाई से मिलना है।
उसी उसी दिन सेनापति और सूरज देव के पास आ जाते हैं देव और सेनापति में कुछ बातचीत होती है जिसे जिसे देव के चेहरे का रंग धीरे-धीरे बदलते लगता है कभी गुस्सा कभी हैरानी कभी उदास।
सेनापति देव को अपने साथ चलने के लिए कहता है
देव -आप लोग जाइए मैं कुछ दिन बाद आऊंगा।
दूसरे दिन सेनापति और सूरत वापस महल की ओर चले जाते हैं।
इधर जबसे देव और सेनापति के बीच बात हुई है देव थोड़ा परेशान रहने लगता है और 1 दिन कुछ सोच कर आगे का प्लान बनाता है जिसमें उसे अपने एक दोस्त राज को शामिल करना था।
कुछ दिनों के बाद उसी शहर में दूसरे जगह-
राज अपने सामानों की पैकिंग कर रहा था उसे देव ने कुछ काम दिया था जिसके कारण उसे सूरज के पास जाना था।