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Erotica Dilwale - Written by FTK aka HalfbludPrince (Completed)

Incest

Supreme
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मैं—क्यों

वो- महिना चल रहा हा मेरा

मैं- हद है यार तू भी

वो- मेरे बस का है क्या , इसे छोड़ और बता क्या बात है

मैं- पिस्ता कुछ पैसे का जुगाड़ कर देगी क्या

वो- तुझे पैसे की जरुरत , ये तो वो बात हो गयी की साहूकार खुद कर्जा लेने लगे

मैं- यार टांग मत खीच

वो- अच्छा बता कितने चाहिए

मैं- दस हज़ार

पिस्ता- तू चूत ही ले ले मेरी

मैं- मैं मुझे पता था तू भी ऐसे ही बोलेगी

वो- रोंदू लाल, टेंशन मत ले मैं जुगाड़ कर दूंगी

मैं- जल्दी ही लौटा दूंगा

वो- ना दे तो भी कोई दिक्कत नहीं कल मिलना तेरा काम हो जायेगा

मैं- यार तेरा अहसान रहेगा मुझ पर

वो- अहसान कैसा , कभी मुझे मदद की जरुरत होगी तो तू नहीं करेगा क्या मेरी

मैं- तेरे लिए जान दे दूंगा मैं तू मांग तो सही

पिस्ता- जान छोड़ ये बता क्या चल रहा है आज कल

मैं- बस ऐसे ही कट रही है

वो- कुछ टेंशन में है क्या

मैं- ना, यार टेंशन तो नहीं है बस घर का ही छोटा मोटा लफड़ा है

वो- घर की परेशानी तो उम्र भर रहती है

मैं- और बता

वो- और कुछ नहीं है यार, तुझसे मिलने का मन था तो आ गयी, महिना ना आया होता तो मस्ती कर लेते

मैं- तू पास है वो ही बहुत है

हम लोग बात कर रहे थे की कुत्ते भौंकने लगे तो मैंने उठ के देखा, पगडण्डी पे पिताजी चलते हुए आ रहे थे मेरे तो होश ही उड़ गए

मैं- पिस्ता बापू आ रहा है भाग तू

उसको पीछे की तरफ से रवाना किया और बिस्तर को सही किया और सोने की एक्टिंग करने लगा

थोड़ी देर बाद ही पिताजी पहूँच गए और पुछा- सो गया क्या

तो मैंने अलसाते हुए कहा – पिताजी आप इस समय यहाँ पर

वो- हां, घर पर मन नहीं लग रहा था तो सोचा थोड़ी देर तेरे साथ समय बिता लू

मैं- कुछ परेशान से लग रहे है आप पिछले दो चार दिनों से

वो- काम का बोझ है बताया था न उस दिन

मैं- पिताजी, काम नहीं घर की वजह से परेशान है ना आप

पिताजी- सच कहू , तो घर की परेशानी तो है ही

मैं- सब सही हो जाना है आहिस्ता आहिस्ता से

पिताजी- मुझे नहीं लगता की अब कुछ सही हो पायेगा , धागे में जो एक बार गाँठ पड़ जाये तो वो कभी पहले जैसा नहीं रहता है पर जिंदगी है , एक दौर है इसका ये भी कही ना कही तो गुजर ही जायेगा

मैं- पिताजी, आपने चाचा को कुछ कहा क्यों नहीं

पिताजी- मैंने तो तुझे भी कुछ नहीं कहा

मेरा तो जैसे जी ही निकल गया था धक् से दिल फड़क गया, इसका मतलब पिताजी को मेरे और बिमला के अवैध संबंधो का पता चल गया था , मैंने सर निचा कर लिया और ख़ामोशी से खड़ा हो गया , चुपचाप से

पिताजी- देखो बेटे, सर झुकाने की जरुरत है नहीं अगर तुम्हे ये अहसास है की तुमसे कुछ गलत हुआ है , आँखों में शर्म होनी चाहिए, मैं चाहता तो तुम्हे सजा भी दे सकता था पर उस से होता क्या , तुम सोचते की अगली बार भी मार खा लूँगा , और वैसे भी इस घर में सब अपनी मर्ज़ी का करते ही है तो क्या फर्क पड़ना है
मैं- खामोश रहा

पिताजी- तुम सब घरवाले कभी मेरे मन की बात नहीं समझ पाओगे, ज़िन्दगी लगा दी मकान को घर बनाने में बहुत संघर्ष किया तब इस मुकाम तक पहूँच पाए है , पर देखो आज भी खाली हाथ ही खड़ा कर दिया तक़दीर ने , कुछ दिन पहले सोचता था की सब कुछ है समाज में इज्जत है, घर में रसूख है एक बेटा है जो आगे चल कर इस परम्परा को आगे निभाएगा, एक बेटे जैसा भाई है जो कभी उल्टा जवाब नहीं देता पर सब किसी ख्वाब की तरह टूट कर बिखर गया

मुझे ऐसे लग रहा था की जैसे किसी ने नंगा खड़ा कर दिया वो बीच चौराहे पर , नजरी झुकी थी पिताजी ने मुझे अपने पास बिठाया और बोले- देखो बेटा, गलती जो तुम सब से हुई है वो सरासर माफ़ी के काबिल है नहीं और ना ही कोई घरवाला तुम्हे माफ़ कर पायेगा पर तुम चाहो तो एक कोशिश कर सकते हो , अपने व्यवहार से फिर से घर वालो का दिल जीतने की,

मेरी आँखों से कुछ आंसू बह चले, इस लिए नहीं की पिताजी मुझे मेरी गलती के लिए सुना रहे थे बल्कि इसलिए की वो कितना अच्छे से समझते थे मुझे, इस घर को , घर वालो को

मुझे रोता देख पिताजी बोले- इसमें रोने की क्या जरुरत है , अपने आप को काबिल बनाओ की फिर कभी तुम्हारी नजरे नीची न हो सके , तुम्हारा बाप तो शर्मिंदा होकर भी जी लेगा पर कभी तुम ऐसे काम ना करना की आगे औलाद के आगे सर झुकाना पड़े,

चलो रात बहुत हो गयी है सो ते है मुझे भी सुबह ऑफिस जाना है

उस रात पिताजी ने एक बहुत बड़ी नसीहत दे दी थी , वो रात तो कट गयी थी पर दिल में उनकी कही हर बात घर कर गयी थी , जो एक सीख थी आने वाले समय के लिए
 

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अगले दिन जब मैं उठा तो पिताजी थे नहीं शायद घर चले गए थे, मैं भी पढाई के लिए निकल गया दोपहर हो गयी आज लगातार कक्षा लग रही थी , तो समय कैसे गुजर गया पता नहीं चला , आज मैं खाने का डिब्बा भी नहीं लाया था तो भूख लग रही थी मैंने सोचा की दो समोसे ही खा लू तो मैं जा ही रहा था की मुझे मंजू मिल गयी

वो- कहा जा रहे हो भागते हुए

मैं- बाहर रेहड़ी पे समोसा खाने

वो- मैं टिफ़िन लायी हूँ आजा मेरे साथ खा ले

मैं- ना, तू खाले मैं समोसा खा लूँगा

वो- इतने नखरे क्यों करता है तू, चल आजा आज राजमा चावल है मेरे डिब्बे में

राजमा चावल सुनते ही मैं खुश हो गया जल्दी ही एक खाली क्लासरूम में हम दोनों लंच कर रहे थे

मंजू- मेरी प्रैक्टिकल बना देगा तू

मैं- खुद बना ले न

वो- मुझे ड्राइंग इतनी अच्छी नहीं आती तो फिर नंबर कम मिलेंगे तू बना दे

मैं- ठीक है दे देना बना दूंगा

वो- कुछ उखड़ा सा लग रहा है

मैं- नहीं तो ऐसी कोई बात नहीं है

वो- मैं समझ सकती हूँ , कुछ तो चल रहा है तेरे मन में आजकल पहले की तरह खुश लगता नहीं तू

मैं- तू चूत जो नहीं देती इसलिए

वो- पहले कौन सा तू मेरे पीछे ही जी रहा था

मैं- तो फिर तुझे क्या पड़ी मेरी

वो- दोस्त ना है क्या तू मेरा

मैं- दोस्त हूँ तो चूत देती क्यों नहीं

वो- जब भी मौका मिलता है तो देती हूँ ना

मैं- आज देगी क्या

वो- जगह

मैं- छुट्टी के बाद ऊपर वाले बाथरूम में

मंजू- न तूने मुझे समझ क्या रखा है , मतलब मेरी तो कोई इज्जत है ही नहीं जहा देखो नाडा खोल दू , दोस्त ही समझ मुझे, रंडी मत बना

मैं- नाराज़ मत हो यार


वो- तू बात ही ऐसी करता है हर टाइम

मैं- चल मेरा हो गया , आज काफ़ी काम है अब घर पे ही मिलूँगा

मंजू- रुक तो सही दो मिनट

मैं- अब क्या हुआ

मंजू ने अपना बैग खोला और उसमे से नोटों की गड्डी निकालते हुए बोली- ले तुझे जरुरत थी ना

मैं- मेरा काम हो गया

वो- अब नखरे मत कर रख ले चुपचाप, तेरे लिए बाप की तिजोरी में हाथ साफ़ किया और तू एक्टिंग झाड रहा है चल रख ले चुपचाप से

क्या लड़की थी ये भी फिर मैं और वो अपनी अपनी क्लास के लिए निकल लिए पढाई के बोझ को आज से पहले मैंने कभी इतना नहीं समझा था ,ऊपर से आज मुझे बाथरूम और टीचर रूम की सफाई भी करनी थी तो मैंने सोचा की टीचर रूम को रहने देता हूँ बाथरूम साफ करके सीधा घर चलता हूँ ज्यादातर विद्यार्थी घर जा चुके थे, कुछ बचे खुचे लाइब्रेरी में पड़े थे कुछ कंप्यूटर लैब में , मैं जा ही रहा था की शान्ति मैडम से मुलाकात हो गयी

मैडम- तू तो मुझे भूल ही गया है

मैं- मैडम जी आजकल थोडा बिजी हूँ

वो- तो मैं तुझे रिलैक्स कर देती हूँ चल मेरे घर चलते है

मैं- वो बाथरूम की सफाई करनी है वर्ना सो का पत्ता कट हो जायेगा

मैडम- मुझसे ले लेना मैडम ने अपनी कातिल निगाहों से मुझे देखा तो मेरा भी मूड बन गया तो मैं और मैडम उनके घर आ गए दरवाजा बंद करते ही मैडम मुझसे लिपटने लगी तो मैंने भी उनको अपनी बाहों में भर लिया और उनकी गांड को सहलाने लगा

मैडम- क्यों, रे आजकल मेरी तरफ देखता भी नहीं

मैं- आप तो चाचा का लंड ले रही होंगी, और भी है कॉन्टेक्ट्स आपके

मैडम- पर तुझसे चुदने में ज्यादा मजा आता है

मैं उनकी गांड को मसलते हुए- तो ठीक है आज करते है मजा

मैडम मेरी बाहों से निकलते हुए- तुम बस दस मिनट बैठो मैं अभी नहा कर आती हूँ, फिर ....... मैडम ने मुझे आँख मारी और बाथरूम की तरफ बढ़ गयी मैं अपने लंड को सहलाते हुए सोफे पर बैठ गया और मैडम के आने का इंतज़ार करने लगा , पर इंतज़ार कौन करे मेरे मन में ख्याल आया की क्यों ना नहाते हुए ही मैडम को चोदा जाए तो मैंने अपने कपडे उतारे और नंगा चल दिया बाथरूम की तरफ , दरवाजे को हाथ लगा कर देखा तो वो बंद नहीं था हल्का सा ढुलका ते ही खुल गया और जो नजारा सामने मैंने देखा बस पानी में ही आग लग गयी लंड बुरी तरफ से फुफकारने लगा मेरा


शोवर के नीचे मैडम का नंगा बदन क्या खूब लग रहा था , उनकी पीठ मेरी तरफ थी तो उनकी फूली हुई गांड को देखते ही मेरा मन मचल गया मैं जल्दी से जाके उनसे लिपट लिया और मैडम के चूचो को दबाने लगा, मेरा लंड उनके मोटे चुतड पर रगड़ खाने लगा

मैडम- इंतज़ार नह्ही हुआ

मैं- अब आप जैसा माल साथ हो तो कौन इंतज़ार करेगा

मैडम अपने चुचे भिचवाते वाते हुए, ओह्ह्ह आराम से आराम से

मैं- अब आराम कैसा मैडम जी

मैं मैडम की छातियो को भींच रहा था मैडम ने मेरे लंड को अपनी जांघो में दबा लिया था पानी में भी मैं उनके गरम जिस्म की गर्मी को महसूस कर पा रहा था , अब मैं अपने हाथ को मैडम की चूत की तरफ ले गया और बिना बालो की चूत को सहलाने लगा मैडम की चूत किसी छुहारे जैसी थी मैडम की टाँगे अपने आप खुलती चली गयी और वो बेकाबू होने लगी मैंने अपनी दो उंगलिया मैडम की चूत में घुसेड दी और उनको अन्दर बहार करने लगा


मैडम ने अपने चेहरे को मेरी तरफ किया और मेरे होंठो से खुद के होंठो को जोड लिया मैडम की चूत से पुच पुच की आवाज आने लगी मैं उनको किस करते हुए तेजी से चूत में ऊँगली करने लगा इधर मेरा लंड उनकी गांड को फाड़ने को बेताब हो रहा था तो मैडम ने उसे अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपने हाथ को उपर नीचे करने लगी मस्ती सी भर उठी थी उस बाथरूम में


मैंने अपनी उंगलिया चूत से बाहर निकाली और मैडम के मुह में दे दी मैडम उन उंगलियों को चाटने लगी मेरे बदन में इस हरकत ने उत्तेजना की हर हद को पार कर दिया मैंने मैडम को गोदी में उठाया और गीली को ही बेडरूम में ले आया


मैडम- अरे, पानी तो पोंछने दे

मैं – अब तो पानी निकालने का टाइम आया मैडम जी

और मैडम को बिस्तर पर पटक दिया और अपने चेहरे को मैडम की चूत पर रख दिया उफ्फ्फ्फ़ क्या मस्त गीली गीली सी महक आ रही थी उनकी चूत से दिल खुश हो गया मैं अपने दांतों से मैडम की चूत के दाने को काटने लगा तो मैडम बिस्तर पर अपनी टाँगे पटकने लगी तो मैंने मजबूती से उनकी जांघो को थाम लिया और रस से भरी उस कटोरी को चाटने लगा मैडम की सिस्कारिया बढ़ने लगी बिस्तर पर वो जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी ऊपर से काम्ग्नी में जलता बदन


ओह्ह्ह्ह अप्नीईईई जीभ अन्दर घुसा दो , आःह्ह आः , शाबाश ऐसे ही चूसो आआआआआआअह आः काटो मत मैडम की चुतड ऊपर को उठने लगे थे मेरी जीभ जितना मैं ले जा सकता था उनकी चूत की अन्दर के हिस्से पर रगड़ खा रही थी चूत का खट्टा पानी मेरे पुरे चेहरे पर लगा हुआ था ......
मैडम मेरे सर को अपनी टांगो में जकड़े हुए अपने मस्त बोबो को मसलते हुए चूत चुसाईं का पूरा लुत्फ़ ले रही थी

“ओह , ओह बेटे अब रहा नहीं जाता अब बस जल्दी से अपने औजार को अन्दर डाल और शांत कर मुझे ”

मैंने मैडम की चूत पर अपने लंड के अगले हिस्से को घिसना चालू किया तो वो बेताब होने लगा उस छेद में घुसने के लिए मैडम की रस से भरी गीली चूत की चिपचिपाहट में लिपटते हुए मेरा सुपाडा मैडम की चूत की दीवारों को चूमते हुए अन्दर को सरकने लगा , मैं सरकते हुए मैडम के ऊपर छाने लगा जल्दी ही मैडम की कातिल गोलईया मेरे सीने के नीचे दबी हुई थी मेरा पूरा लंड उनकी चूत में धंस चूका था ,मैंने मैडम के गोरे गोरे गालो को खाना शुरू किया तो मैडम सिसकने लगी

मेरी जांघे उनकी जांघो से रगड़ खाने लगी मैडम धीरे से बोली- अब करो ना

तो मैं भी शुरू हो गया लंड को खीचता फिर अन्दर डालता फिर खेचता फिर डालता मेरे हर धक्के पर उनकी छातिया बुरी तरह से हिल रही थी, चूत को एक बार जो लंड का स्वाद मिला तो फिर बात बनती चली गयी
उफ्फ्फ मैडम आज कुछ ज्यादा ही उछल रही थी मैडम की दोनों टाँगे विपरीत दिशाओ में फैली हुई थी और मैं अपने लंड को पूरा जोर लगा ते हुए उनकी चूत मार रहा था मैडम ने अपनी टांगो को मेरी कमर पर लपेट लिया और अपने चेहरे को ऊपर करके मुझे किस करने लगी , उनकी चमकती आँखों में जो प्यास थी उसे बस एक जवान मर्द ही समझ सकता था बेड का गद्दा बुरी तरह से हिल रहा था


“ओह,यस यस वैरी गुड ” मैडम बडबडा रही थी चुदते चुदते ही मैडम ने पास में पड़े तकिये को अपने कुलहो के नीचे ले लिया जिस से उनके चुतड और ऊपर को उठ गए और चुदाई में ज्यादा मजा आने लगा था मुझे खुद ऐसे लग रहा था की जैसे आज पहली बार चूत मार रहा हूँ, तो अजीब सी फीलिंग आ रही थी पर तभी मैंने मैडम की चूत से अपने लंड को बाहर खीच लिया मैडम सवालिया नजरो से मेरी और देखने लगी चूत के पानी से सना हुआ मेरा लंड हवा में झूलने लगा ,

मैडम उठी और झट से मेरे लौड़े को अपने मुह में भर लिया और अपनी चूत के पानी को चखने लगी उफ्फ्फ शांति मैडम तो आज कामुकता की हर हद को तोड़ देने वाली थी मैडम झुक कर मेरे लंड को पी रही थी तो मैंने उनके चूतडो पर हाथ फिरना शुरू किया , मैडम अब थी भी जबर माल मैं अपनी ऊँगली से उनकी गांड के छेद को सहलाने लगा तो वो अपने चूतडो को खोलने बंद करने लगी, मैडम मेरी लौलिपोप को अपने होंठो में दबा दबा के चूस रही थी ऐसे लग रहा था की जैसे सारे रस को आज ही निचोड़ डालेगी


मैं अपनी ऊँगली उनकी गांड में घुसाने की कोशिस करने लगा पर मैडम चालाक़ थी वो अपने गांड को सिकोड़ लेती थी तो मैं कर नहीं पा रहा था , इधर मुझे लगने लगा था की कही मैडम के मुह में ना झड जाऊ तो मैंने उन्हें अपने लंड के ऊपर से हटा दिया और मैडम को बिस्तर पर घोड़ी बना दिया , मैडम की फूली हुई गांड मेरी आँखों के सामने थी , मैंने चूत पर थोडा सा थूक लगाया और अपने लंड को फिर से मैडम की अँधेरी गुफा की गहराइयों में उतार दिया , मैडम ने अपने चुतड पीछे को सरका लिए और हिला हिला कर चुदने लगी मैडम के गदराये चूतडो पर चपत लगाते हुए उनकी चुदाई जारी थी


उफ्फ्फ ये शांति मैडम भी ना कितनी गरम औरत थी उनकी चूत से झरता काम रस जांघो तक को भिगोने लगा था मैंने उनके दोनों बोबो को पकड़ लिया था पपीते से उनके बोबे मेरी मुट्ठी में मचल रहे थे मैडम ने अब अपने सर को ऊँचा कर लिया जिस से चुतड नीचे को हो गए और चूत थोडा सा कस सी गयी लंड पर तो चोदने में और भी ज्यादा मजा आने लगा था पुच पुच पुच पुच की आवाज चूत में से आ रही थी , तभी मैडम बोली-:”लिटा के कर मेरा होने ही वाला है ”


तो मैं मैडम के ऊपर आ गया हमारे होंठ फिर से एक दुसरे से मिल गए थे मैडम ने अपनी बाहे मेरी पीठ पर कस दी और आँखे मूँद ली , मैं तेज तेज धक्के लगाने लगा जितना हो सके मैडम में सामने की कोशिश करने लगा और फिर मस्ती इतनी चढ़ी की पूरा बदन कांपने सा लगा और मेरे लंड से रस निकल कर मैडम की योनी में गिरने लगा मैं और मैडम एक दुसरे के सुख को प्राप्त हो गए थे , चूत मारके बहुत आराम मिला मुझे झड़ने के बाद भी काफ़ी देर तक मैं मैडम के ऊपर ही लेटा रहा

मैडम- अब उठ भी जाओ ऊपर से

मैं साइड में लेट गया मेरा लंड अभी भी खड़ा था तो मैडम बोली- ये अब क्यों खड़ा है

मैं उनकी जांघ को सहलाते हुए आपकी गांड में जाने का मन है इसका

मैडम- तो डाल दो, तुम्हे क्या किसी ने रोका है

मैं- तो हो जाओ तैयार

मैडम- एक मिनट रुको मैं अभी आई

मैडम अपनी गांड को मटकाते हुए रसोई की तरफ चली गयी मेरा लंड चूत के पानी से सना हुआ था तो मैंने उसको चादर से साफ़ किया थोड़ी देर में मैडम आ गयी एक कटोरी लेके


मैं- क्या है इसमें - क्या है इसमें

वो- शहद है , इसे लगा के मेरी गांड मारना
उफ्फ्फ बुढ़ापे में मैडम जी के नखरे

मैंने मैडम को चौपाया बन ने को कहा पर वो बोली की ना गांड मरवाने का असली मजा तो लेट कर है तुम मेरी पीठ पर चढ़ कर अपने लंड को पेलो,

मैडम बिस्तर पर औंधी लेट गयी मैं कटोरी के सहद को मैडम की गांड के छेद पर मलने लगा शौक भी अजीब चीज होते है मैडम की गांड में मैंने अपनी शहद से भीगी ऊँगली को सरकाया तो मैडम अपने चूतडो को टाइट करने लगी तो मैं चूतडो पर थप्पड़ मारने लगा , मैडम की गोरी गांड पल भर में ही लाल हो गयी
मैडम- इसको अन्दर तक शहद से अच्छे से भर दो फिर देखना कितना मजा आयेगा तुम्हे मेरी गांड लेने में
मैं- हां

मैं अपनी ऊँगली को शान्ति की गांड में अन्दर बाहर करने लगा तो मैडम को भी मस्ती चढ़ने लगी , तभी मेरी नजर घडी पर पड़ी तो पाया की शाम के साढ़े पांच हो रहे थे, गाँव पहूँच ने में लेट हो जाना था पर अब गांड तो मारनी थी ही तो बिना देर किये मैंने अपने लंड को मैडम के भूरे भूरे छेद पर रगड़ना चालू किया मैडम ने अपने हाथो से अपनी गांड को फैला लिया और मुझे अन्दर डालने को बोली तो मैंने भी वक़्त की नजाकत को समझते हुए कार्यवाही शुरू कर दी , थोडा सा लंड अन्दर को जाते ही मैडम की गांड का छेद चौड़ा होने लगा तो मैडम को दर्द होने लगा मैं अहिस्ता आहिस्ता से लंड को सरकने लगा तो मैडम बोली- घुसा दे अन्दर एक झटके में इस दर्द का भी अपना मजा है , फाड़ दे मेरी गांड को मैडम के मुह से ऐसी बाते सुनके मुझे भी जोश आ गया


और मैंने एक तेज झटका मारा और मेरा लंड उनकी गांड की चूले हिलाते हुए आधे से ज्यदा अन्दर को घुस गया मैडम जैसे चीख ही पड़ी पर क्या फरक पड़ना था हमारे सिवा कोई था भी तो नही वहा पर
मैडम- आह रे , जड़ तक डाल दे, इस निगोड़ी गांड ने बहुत परेशान किया है मुझे आज फाड़ दे इसको
मेरे अगले धक्के के साथ मेरा पूरा लंड मैडम की टाइट गांड में जा चूका था मेरे अंडकोष उनके चूतडो को छू रहे थे मैडम मेरे बोझ के तले दबी थी , मैडम गया पूरा

मैं- हां

मैडम- तो अब कोई रहम मत करना

मैं- बिलकुल नहीं करूँगा

मैंने लंड को बाहर की और खीचा और फिर से गांड में डाल दिया मैडम के बालो से पसीना बह रहा था पर गांड मरवाने का चाव भी था उनको मैडम की गांड मारते हुए बार बार मेरी निघाहे घडी की तरफ जा रही थी तो अगले कुछ मिनट तक बस मैं तेज तेज धक्के मारता रहा , मैडम की हालात बुरी तरह से पस्त हो गयी थी करीब 15 मिनट तक गांड मारने के बाद मैं वही झड़ गया

मैडम को दो बार चोदने के बाद मैं अपनी खटारा साइकिल को घसीट ते हुए गाँव की तरफ जा रहा था मौसम के ठण्ड सी हो रही थी , आसमान में बादल गरजने से लगे थे सावन शुरू होने का संकेत था , मुझे लगने लगा था की कही बारिश शुरू हो गयी तो भीग ना जाऊ , तो मैं तेजी से पैडल मारने लगा गाँव पहूँचने तक हलकी हलकी बूंदे पड़नी शुरू हो गयी थी अब इतनी गर्मी में ये बारिश सुकून सा लेकर आई थी मैं घर पंहूँचा तो भीग सा गया था मैं ऊपर जा ही रहा था की मैंने देखा की पिताजी और ताऊ जी कुछ बाते कर रहे थे तो मैंने दिवार पे अपने कान लगा दिए और बात सुन ने लगा


और जो बात मैंने सुनी उसे सुनके तो मेरे होश ही उड़ गए, दरअसल गाँव में सरपंची के चुनाव घोषित हो गए थे और इस बार हमारा परिवार चुनाव में उतर रहा था , अब घरवाले भी ना बैठे बिठाये मुसीबत मौल लेना तो कोई इनसे सीखे , मुझे और बात सुन नि थी पर मैं गीला था तो मम्मी ने मुझे कपडे चेंज करने को कहा तो मज़बूरी में ऊपर आना पड़ा चाची मेरे कमरे में ही बैठी थी , मैं उन्हें देखते ही खुश हो गया
 

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मैं- चाची क्या हाल चाल

वो- बस दिन कट जाय किसी तरह से

मैं- वो तो कट ही जाना है

मैं उनके पास गया और चाची को अपनी बाहों में घर के उनके गालो को चूमने लगा

चाची- छोड़ कोई आ जायेगा

मैं- कौन आ जायेगा वैसे ही आजकल आपसे मिल नहीं पा रहा हूँ

वो०- मेरे बिना कौन सा काम अटका पड़ा है तेरा

मैं उनकी गांड को सहलाते हुए , आपको नहीं पता किया मैं अपनी ऊँगली उनकी गांड की दरार में डालने लगा तो वो मुझसे अलग हो गयी और बोली- कपडे बदल ले कही बीमार न हो जाए

पर मैंने उनको फिर से पकड़ लिया और उनके बोबे दबाते हुए बोला- बीमार होने से कौन डरता है जब इलाज आपके पास है

चाची- आः दर्द होता है ना

मैं- तो होने दो

वो- चल अब जाने दे रसोई में काम पड़ा है

तो वो नीचे चली गयी थोड़ी देर बाद मैं भी नीचे आ गया और बाते सुन ने लगा ये तो पक्का था की परिवार चुनाव लडेगा ही लडेगा , अब पिताजी और चाचा तो सरकारी नौकरी में तो वो तो लड़ नहीं सकते बचे ताऊ जी तो वो ही हिम्मत करेंगे , अपने को इस मामले में क्या रिस्क लेना तो मैं घर से बाहर निकल गया पर तभी मुझे कुछ याद आया तो मैं वापिस और जो पैसे मंजू ने दिए थे वो जेब में डाल लिए बारिश बस बूँद बूँद करके हो रही थी मेरे दिमाग में एक विचार चल रहा था पर उसे कामयाब करने का रास्ता बड़ा मुश्किल हो रहा था



पर करना तो था ही , बारिश का सा मौसम होने के कारण हल्का सा अँधेरा हो रहा था मैं थोड़ी देर मंजू के बाप की दूकान पर बैठा कुछ लोग ताश खेल रहे थे तो मैं देखने लगा , ताश खेलने की मन में तो बहुत आती थी पर बाप का डर था तो बस देख ही लिया करता था , तो मैंने देखा की गीता ताई दूकान पे सामान लेने आई तो रतिया काका ने उसे फिर से पैसो के लिए कहा , गीता ताई बड़ी परेशान दिख रही थी जबकि मुझे ये अंदाजा हो गया था की इसी परेशानी में मेरे लिए चूत का रास्ता छुपा हुआ है ताई वापिस मुड गयी सामान लेकर मेरी नजर तो बस उनकी 61-62 करती हुई गांड पर जम ही गयी थी


मन भी नहीं लग रहा था तो मैंने सोचा की अड्डे की तरफ चक्कर लगा आऊ, जा ही रहा था की मैंने देखा पिस्ता अपने दरवाजे पर ही कुर्सी डाल के बैठी ही उसने मुझे देखा और पिछली गली में आने का इशारा किया तो मैं घूम गया , थोड़ी देर बाद वो छत पर आई और बोली- कहा जा रहा था

मैं- बस ऐसे ही

उसने एक पैकेट मेरी तरफ उछाला और बोली- ले तेरा काम कर दिया है

मैं- पर अभी जरुरत नहीं है

वो- रख ले , अब तूने एक काम बोला ना करती तो अच्छा नहीं लगता ,मिलती हूँ दो चार दिन में तुझसे
मैं भी कट लिया वहा से तो आलम हुआ ये की मेरी दोनों जेबों में नोटों की गड्डी थी , पुरे बीस हजार रूपये एक दम से अमीरी का अहसास हुआ , पर मेरे दिमाग में लक्ष्य साफ था की करना क्या है अब जब ठरक सर चढ़ी हो तो मन साला लगे कहा घर आया खाना खाके अपने कमरे में बैठ कर बचा काम कर रहा था की चाची आके बोली- आज भी तुम्हे कुएँ पर ही रहना है , बारिश आने की पूरी सम्भावना है जो नयी बाड़ी लगायी है उसका ध्यान करना अगर मेह आ जाये तो

मैं- बस यही काम है मेरा हर रात खेत में मच्छरों के बीच पडू मैं , मुझे नहीं जाना

वो- नहीं जाना तो अपने पिताजी से बात कर लो

मैं-ठीक है जा रहा हूँ

मैंने सोचा था की चाची मेरे कमरे में रहेगी तो चोदने का मौका तो रहेगा ही रहेगा पर जब से वो वापिस आई थी साला अपना खेत पर टाइम बीत रहा था तो अपने अरमानो को मार कर एक चद्दर और बैटरी लेकर मैं दुखी मन से चल पड़ा खेत की और मेरे मन में ख्याल आ रहा था की जब पिताजी ने बंटवारा कर ही दिया है तो मैं क्यों चौकीदार बनू ,जिसकी जमीं वो संभाले आधा रास्ता पार किया था की बूंदा बंदी शुरू हो गयी तो मैंने अपने कदम तेज कर दिए बारिश भी तेज होने लगी अब मैं लगभग भागने ही लगा था क्योकि मेरे पास बैटरी थी जो गीली नहीं होनी चाहिए थी


मैं गीता ताई के घर के पास से गुजरा तो मैंने देखा की ताई घर के चबूतरे पर ही बैठी थी मुझे सही मौका लगा

मैं- राम राम ताई जी

वो- खुश रहो बेटा, कहा जा रहे हो बारिश में

मैंने सोचा की बात करने का सही मौका है तो मैं भी चबूतरे पर चला गया और बोला- बस ताई जी वोही कुएँ पर जाके सोना है नयी बाड़ी लगायी है तो थोडा देखना होगा की कही बारिश में गड़बड़ न हो जाये

ताईजी- अभी से इतना काम करने लगा है तू

मैं- बस ताई जी , करना पड़ता है

मुझे ना गीता ताई से बात करते हुए ऐसा लग रहा था की जैसे अभी इसी वक़्त उसको चोद दू , बस इसी ख्याल से मेरा लंड खड़ा होने लगा पर थोडा देखना भी था की लाइन पे आएगी या नहीं

मैं- ताऊ न दिख रहा

रिश्तेदारी में ब्याह है उधर ही गया है , उसको क्या चिंता फ्री की मिलेगी पीने को तो आएगा आराम से ,
मैं- आप रोकती क्यों नहीं उनको पीने से

वो- बहुत कोशिश की रोकने की , पर अब मैं भी हार गयी हूँ

ताईजी थोड़ी दुखी होने लगी थी मुझे लगा यही सही मौका है चोट करने का
मैं- ताई जी कुछ परेशान दीखते हो आप , मैंने उस दिन भी देखा था और आज भी देखा था दूकान पे आपको , जब रतिया काका थोड़ी सख्ती से आपसे बात कर रहा था

ताई - बेटा वो , थोडा कर्जा लिया था बानिये से तो टाइम पे चूका नहीं पा रही हूँ तो बस उसी की चिंता है

मैं- तो ताई जी, उसमे इतना दुखी होने की क्या बात है लो अभी हो जायेगा समाधान

वो- कैसे बेटा

मैं- मैं हूँ ना ताई जी ,

मैंने जेब से एक गड्डी निकाली और गीता के हाथ में रख दी और बोला

“लो, ताई जी , इन पैसो में रतिया काका का पूरा हिसाब किताब हो जायेगा ”

गीता ताई मेरे मुह को ताकती रही फिर बोली- नहीं बेटा, मैं तुझसे ये पैसे नहीं ले सकती तुम्हारे घर वालो को पता चलेगा तो वो बुरा मानेंगे

मैं- ताई जी , अगर आपने पैसे नहीं लिए तो मैं बुरा मान जाऊंगा , और वैसे भी घरवालो को कौन बताएगा और फिर हम सब एक गाँव एक समाज में ही तो रहते है एक दुसरे के सुख को जब अपनाते है तो दुःख को भी अपनाना चाहिए ना ,

ताई- बेटा, तू मेरे बुरे समय में मदद कर रहा है , तेरा अहसान रहेगा और हां, तेरे पैसे भी मैं जल्दी ही वापिस लौटने की कोशिश करुँगी

मैं- ताईजी आप तो ऐसे बात कर रही हो जैसे की मैं कोई पराया हूँ, एक बात बताओ कभी अगर मुझे मदद की जरुरत पड़ेगी तो क्या आप मेरी मदद नहीं करोगे

ताई- क्यों नहीं करुँगी, तू जो चाहे मांग के देख लेना

मैं- अच्छा तो चलो अब आप मुस्कुराओ इस सुन्दर चेहरे पर ये हताशा अच्छी नहीं लगती है

ताई- हँसते हुए, अब कहा सुन्दरता बची है अब तो बस दिन कट रहे है

मैं- किसने कहा आपसे, देखो मुझे तो बड़ी सुन्दर लगती हो आप

वो- अच्छा,

मैं- और नहीं तो क्या , ये तो आपने अपने ऊपर थोडा ध्यान देना छोड़ दिया वर्ना आजकल की बहुए तो फीकी चाय है आपके आगे,

औरत कोई भी हो अपनी तारीफ़ की सदा भूखी होती है ताई का हाल भी कुछ वैसा ही था अपनी तारीफ़ सुनकर उनके अन्दर की औरत मचलने लगी थी इधर बारिश अब थोड़ी ज्यादा तेज हो गयी थी तो मैंने ऐसे ही कहा – ताईजी , बारिश तेज हो गयी मुझे अब चलना चाहिए

ताई- बेटा, खेत दूर है वहा जायेगा तब तक तो पूरा भीग जायेगा कही तेरी तबियत ख़राब ना हो जाये ,

मैं- ताई जी खेत पर जाना तो है ही

ताई जी- बेटा, ये भी तो तेरा ही घर है इधर ही ठहर जब तक बारिश हलकी न हो जाती मेरा भी मन लगा रहेगा अब अकेली हूँ थोड़ी बात करके मेरा भी टाइम कट जायेगा

मुझे और क्या चाहिए था बरसात की रात और चूत का साथ बस कुछ भी जुगाड़ करके ताई को बिस्तर पर लाना था पर कैसे वो ही सोचने लगा था ताई बोली- क्या हुआ किस सोच में गुम हो

मैं- कुछ नहीं ताईजी बस आपके बारे में ही सोच रहा था

वो- क्या सोच रहा है

मैं- यही की आप इतनी खूबसूरत हो, फिर भी ताऊ आपकी कोई कदर नहीं करता , अगर ताऊ दारू ना पिए और सही से रहे तो आपको किसी सुख की कोई कमी ना रहे

ताई- बेटा इस जनम में तो मिल लिया सुख मुझे

मैं- ऐसा क्यों सोचते हो आप

वो- और क्या कहू बेटा,

मैं- कहना क्या, मस्त रहो जिंदगी को जियो

वो- परेशानिया बहुत है बेटा , बस टाइमपास हो जाये वो ही बहुत है

मैं- ताई जी आप खुश रहो बस मेरी तो इतनी ही इच्छा है , मैं तो सबको अपने घर का सदस्य ही मानके चलता हूँ , अब कोई एक सदस्य दुखी रहे तो फिर बताओ कैसे पार पड़ेगी

ताई- चल तू कहता है तो कल से मैं सज संवर के ही रहा करुँगी

मैं- ये हुई ना बात , और बताओ क्या चल रहा है

ताई- सब तेरे आगे ही है तुम बताओ कुछ

मैं- बस अपना हाल भी आप जैसे ही है

वो- तुझे क्या दुःख हो गया अभी से

मैं- सोचा जाये तो कुछ दुःख नहीं है और सोचु तो बहुत बड़ा दुःख है

वो- क्या दुख है ऐसा

मैं- ताईजी , बस कुछ बाते है आप नहीं समझोगे

वो- तुम बताओगे तो समझ लुंगी

हम बात कर रहे थे की तभी बारिश और तेज हो गयी और पछाड़ चबूतरे तक आने लगी तो ताई बोली- बेटा बारिश इधर तक आ गयी है अब तो अन्दर ही चलते है , क्या फायदा भीगने का
तो मैं और ताई घर के अन्दर आ गए ताई ने मेन गेट बंद किया और मैं उनके साथ उनके कमरे में आ गया तभी मैंने देखा की बिस्तर पर ऐसे ही ताई की ब्रा पड़ी थी , मैं उसे देख के मुस्करा दिया तो ताई उसे जल्दी से हटाने लगी

मैं- कोई बात नहीं ताई जी कपडा ही तो है

वो- वो, अब घर में कोई और तो है नहीं तो ऐसे ही रख दी थी

मैं- कहा न कोई बात नहीं

मैं पलंग पर बैठ गया ताई झुक कर कुछ कर रही थी तो मेरी नजर उनकी गांड पर पड़ी मोटे मोटे चुतड उफ्फ्फ लंड खड़ा हो गया , मैंने सोचा आज की रात किस्मत वाली है अगर आज ताई को नहीं चोद पाया तो कभी नहीं चोद पायेगा जो दिल में है ताई को बोल दे और बाकि सब तक़दीर पर छोड़ दे

ताई- ये आजकल के नौजवान भी ना ,

मैं उनकी आँखों में आखे डालते हुए –ताई जी आप बुरा ना माने तो एक बात कहू आपसे

वो- कहो, बुरा क्या मानना है

मैं- मैं कुछ कहना चाहता हूँ आपसे

वो- कहोगे तभी तो मुझे पता चलेगा

मैं- ताईजी आप मुझे बहुत अच्छी लगती है

ताई जो चाय बना रही थी उन्होंने चीनी के डिब्बे को स्लैब पर रखा और मेरी और मुड़ी और मुझे देखने लगी
मैंने अपने मन में सोच लिया था की साफ़ साफ़ कहना ही उचीत रहेगा , क्योंकि इसके सिवा मेरे पास और कोई तरीका था भी नहीं ,

वो- मैं इस बुढ़ापे में क्या अच्छी लगूंगी किसी को

मैं- आप कहा से बुड्ढी हो गयी आप क्या हो ये मुझ से पूछो , ताई जी मैं झूठ नहीं बोलूँगा पर पता नही कैसे मुझे आपसे लगाव हो गया है , और मैं आपको पाना चाहता हूँ


मेरी बात सुन कर ताई गीता हक्की बक्की रह गयी और कुछ बोलने ही वाली थी की मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया और ताई की होंठो पर एक किस कर दिया

ताई को थोडा गुस्सा आ गया वो बोली- तेरी हिम्मत कैसे होई, अपनी उम्र देख और मेरी उम्र देख

मैंने ताई को आजाद कर दिया और उनके कंधे पकड़ कर बोला- ताई जी , मैं चाहता तो आपसे झूठ भी बोल सकता था पर मैंने अपने दिल में जो था वो आपको बता दिया है , मुझे आपकी चाहत है मैं आपको चोदना चाहता हूँ

गीता ताई का चेहरा लाल हो गया था वो बोली- बिलकुल भी शर्म नहीं आती तुझे

मैं- दिल की बात बताने में कैसी शर्म

वो- कम से कम तेरा मेरा नाता तो देख लेता तुझ से बड़ी तो मेरी बेटी है वो भी ब्याही हुई

मैं- किन रिश्ते नातो की बात करती हो एक आपका नाकारा पति जो बस पीकर पड़ा रहता है आप जैसा गरम माल है पर उसको कोई फिकर ही नहीं है , क्या आपके मन में सेक्स की नहीं आती , जब आप मटक मटक कर चलती है तो मेरा लंड कच्छे को फाड़कर आपकी गांड में घुसने को बेताब हो जाता है , आपकी ये मस्त चूचिया जी करता है खूब दबाऊ इनको

मेरी बाते सुनकर गीता ताई का चेहरा शर्म से लाल हो गया था मैंने ताई को फिर से अपनी बाहों में ले लिया और उनकी गांड को मसलने लगा तो वो विरोध करने लगी ,

मैं- ताई जी बस एक बार दे दो

वो- नहीं , देख मुझे अपनी इज्जत का लिहाज है इसलिए कह रही हूँ की चला जा मेरे घर से

मैं- कैसी इज्जत आपकी , वो आपके नाकारा पति के कारण दुःख भरा जीवन जी रही है ताई जी मैं आपको विश्वास देता हूँ इस रात की बात आपके और मेरे बीच ही रहेगी, मुझे बस आपके जिस्म की चाह ही नहीं बल्कि आपके प्यार की चाह भी है ,

दूसरी बात देखो, कर्जे वाले सर पर खड़े है , क्या पता कल रतिया काका भी पैसो के जगह आपसे ऐसा ही कुछ मांगले तो क्या तब आप मन कर पाओगे उसको , तब कहा जाएगी आपकी इज्जत

वो चुप रही

मैं- ताई जी मैं आपसे जबरदस्ती नहीं करना चाह्ता बस आपसे प्यार करना चाहता हूँ , आप सच में मुझे बहुत अच्छी लगती हो ,

वो- पर ये घरवाले के साथ धोखा होगा

ताई की ये बात सुनते ही मैं समझ गया की लाइन पे आ रही है

मैं- जब उसको आपकी फ़िक्र नहीं तो आप भी क्यों करो , देखो वैसे भी किसी को कुछ पता नहीं चलेगा देखो मेरा लंड आपके लिए कैसे बेताब हो रहा है मैंने अपनी निक्कर को नीचे कर दिया , ताई की नजर मेरे लंड पर पड़ी , जवानी से भरपूर लंड को देख कर उनके मन में हलचल मचने लगी

वो- ये क्या कर रहा है, निक्कर को ऊपर कर

मैं ताई के पास जाके- ताई एक बार इसको छु लो ना

वो थोडा सा और पीछे हो गयी

मैंने गीता का हाथ पकड़ा और उसको अपने लंड पर रख दिया वो हाथ को हटाना चाहती थी पर मेरी पकड़ मजबूत थी
वो- मुझे मजबूर मत कर

मैं- ताई जी आपकी हर ख़ुशी की मेरी गारंटी , बस एक बार मेरी हो के तो देखो

मैंने अपनी जेब से दूसरी गड्डी निकाली और ताई के हाथ में देते हुए बोला- ताई अगर प्यार से ना मानो तो ये पैसे रख लो जो आपको अच्छा लगे बस एक बार आपकी चूत दे दो मुझे

ताई- तुझे क्या लगता है औरत बिकाऊ है

मैं- तो प्यार भी तो नहीं मान रही हो आप

मैंने ताई को अपने आगोश में जकड लिया वो विरोध कर रही थी मैं दोनों हाथो से उनकी गांड को दबाने लगा उनकी चूचिया मेरे सीने से टकराने लगी

मैं- मान भी जाओ ना ताई जी बस एक बार

मेरा लंड ताई की चूत वाले हिस्से से बार बार टकरा रहा था पर ताई हां कह नहीं रही थी तो मैंने आखिरी दांव खेलते हुए ताई को अपने आगोश से छोड़ दिया और बोला- ताई जी आप को मैं दवाब नहीं डालूँगा आप नहीं देना चाहती तो कोई बात नहीं पर क्या आप एक बार मुझे चूत दिखा दोगे

ताई के चेहरे पर असमंजस के भाव आ गए थे , कशमकश में फसी गीता,

मैंने अपने लंड को हाथ से हिलाते हुए- बस ताईजी एक बार इस जन्नत के दरवाजे के दर्शन करवा दो
 

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ताई की नजरे बार बार मेरे लंड पर ही जा रही थी जो चूत के लिए मचल रहा था मैंने ताई के सलवार के नाड़े को अपने हाथ में ले लिया तो ताई ने मेरा हाथ पकड़ लिया उनके चेहरे के भाव हर पल बदल रहे थे मेरी उंगलिया उनके नरम पेट से टकराई तो ताई ने हलकी सी सिसकी भरी मैं समझ गया था की देना तो चाहती पर शर्म कर रही है , मैंने उनकी आँखों में देखा और फिर बिना कुछ कहे गीता ताई के होंठो से अपने होंठो को जोड़ दिया

ताई कुछ कहना चाहती थी इसीलिए उनका मुह थोडा सा खुला और मैंने उनके निचले होंठ को दबाके चुसना शुरू कर दिया ताई थोडा सा आगे को सरकी और मैं उनकी चालीस इंची गांड को मसलने लगा , गीता मेरी बाहों में मचलने लगी, करीब ५ मिनट तक अच्छे से किस किया उनको, ताई हांफने लगी थी अब कहने सुनने को कोई गुंजाईश बची थी नहीं मैंने गीता को गोदी में उठाया और उसके कमरे की तरफ बढ़ चला आज मेरा लंड एक और चूत की गहराई को नापने वाला था

कमरे में आकर मैंने ताई को अपनी गोदी से उतार दिया और पीछे से पकड़ लिया मैंने गीता के हाथ में अपने लंड को दे दिया , और खुद उसके बोबे दबाने लगा , चालीस पार की गीता ताई पूरा सेक्स बम थी उनकी ३६” की छातिया मेरे दबाते ही फोरम में आ गयी ताई के होंटो से आह निकली और उनकी मुट्ठी मेरे लंड पर कस गयी

मैं उनके कान में फुसफुसाते हुए बोला- कैसा लगा मेरा लंड तो वो कुछ नहीं बोली बस लंड को दबा सा दिया

मैंने उनकी कुर्ती को निकाल कर साइड में फेक दिया और ताई की ब्रा के ऊपर से ही बोबो को मसलने लगा उफ्फ्फ कितने कड़क बोबे थे उनकी ऐसे तो पिस्ता या मंजू के बोबे भी नहीं थे

“ओह्ह, ताई, कितना गरम माल है तू आज तो मजा आ जायेगा “

मैंने ताई की ब्रा को उतार दिया तो बोबे नीचे को झूल गए मैं उनकी निप्पल को उमेठने लगा तो गीता मस्ती में भरने लगी बाहर जो बारिश के कारण थोड़ी ठण्ड सी हो गयी थी उसने चुदाई की आग को बुरी तरह से भड़का दिया था मैंने झट से ताई की सलवार को भी खोल दिया गोरे बदन पर बस एक काली पेंटी ही बची थी मांसल जांघो पर कसी हुई जिसमे से आधे से ज्यादा चुतड बाहर को आ रही थी मैंने ताई को पलट दिया और उनके थोड़े से उभरे हुए पेट को सहलाने लगा गीता ने अपनी आँखे बंद कर ली


ताई की चूत वाला हिस्सा कुछ ज्यादा ही फूल गया था मैंने अपना हाथ वहा पर रखा तो ताई ने जांघो को सिकोड़ लिया मैंने फिर से अपने प्यासे लबो को ताई के होंठो पर रख दिया इस बार ताई भी अपने होंठो को मस्ती से चुस्वाने लगी मेरे हाथ उनकी गांड को मसल रहे थे रुई की तरह नरम मुलायम चुतड गीता के
मैं- ताई बेड पर घोड़ी तो बनो जरा


गीता बेड पर कोढ़ी हो गयी उसकी गांड मेरी तरफ फूल गयी उफ्फ्फ्फ़ मैं तो कसम से मर ही मिटा उस दिलकश नज़ारे पर , असल में आज पता चला था की माल होता कैसा है पिस्ता और मंजू तो ताई के इस बेमिसाल हूँस्न के आगे कुछ भी नहीं थी जबकि वो भी टॉप लिस्ट माल में ही थी , मैं बेड पर बैठ गया और बड़े प्यार से ताई की जांघो पर हाथ फेरा तो उनका बदन कांपने लगा उनके बदन की खुशबु मुझे पागल कर रही थी

मैं इस कदर उत्तेजित हो चूका था की मेरे हाथ कांपने लगे थे बस अब हसरत थी गीता की चूत के दीदार करने की, मैंने अपने उंगलिया कच्छी की इलास्टिक में फंसाई तो ताई बोली- लट्टू बंद कर दे

मैं- ना ताई , अँधेरा हो गया तो फिर इस गदराये हुए हूँस्न का दीदार कैसे करूँगा

ताई- शर्म आ रही मुझे , तेरे ताऊ के सिवा ऐसे किसी के साथ

मैं- बस एक बार लंड चूत में गया तो सारी शर्म कहा खो गयी आपको खुद पता नहीं चलेगा

मैंने कच्छी को घुटनों तक सरका दिया और ताई की चूतडो को फैलाया तो चूत ऊपर को हो गयी उफ्फ्फ्फ़ काले काले बालो से ढकी हुई काले रंग की चूत दिल खुश हो गया बड़े प्यार से मैं ताई के चूतडो को चूमने लगा गीता की चूत की खुशबु मुझे अपनी और खीच रही थी मैंने उसके चूतडो को फैलाया और जैसे ही अपने होंठो को चूत से लगाया ताई एक दमसे अलग हो गयी और बोली –छि , गन्दी जगह को मुह लगता है क्या कोई


मैं- अरे , ताई जी इस से मस्त जगह कौन सी है ,दुनिया तो मरी जा रही है इसके लिए और आप इसको गन्दी बोल रही हो , क्या ताऊ ने कभी नहीं चूसा क्या

तो ताई शर्मा गयी और बोली- नहीं

मैं ताई की जांघो को सहलाते हुए- क्या बात कर रही हो , ताऊ तो चुतिया है फिर जो इस जन्नत के दरवाजे को अगर होंठो से ना छुआ उसने , ताई जी आज की रात बस मनमानी करने दो मुझे और बस मजा लो , ताई ने अपनी नजरे नीचे को कर ली

मैंने ताई को लिटाया और उनकी जांघो को विपरीत दिशा में फैला दिया और एक बार फिर से अपने चेहरे को उनके योनी प्रदेश की तरफ कर दिया अपनी उंगलियों से चूत की फांको को फैलाया और फिर अपनी जीभ से चूत के छेद को कुरेदने लगा , मेरी लिसलिसी जीभ का स्पर्श पाकर ताई के बदन में जैसे भूचाल सा आ गया ताई का बदन ऐंठने लगा उफ्फ्फ कितनी नमकीन चूत थी गीता ताई की एक बार जो मेरे होंठ चूत से चिपके तो फिर अलग हुए ही नहीं

ओह्ह्ह्हह्ह बेटा, ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ये क्या गजब कर दिया तूने,,, aaaaahhhhhh रे , ओफ्फ्फफ्फ्फ्फ़
ताई अपनी चूत को टाइट करने लगी, अपने चूतडो को बिस्तर पर पटकने लगी मैं अपनी जीभ को चूत पर ऊपर नीचे करते हुए रगड़ रहा था ताई की हालत बुरी होनी शुरू हो गयी वैसे भी वो आज पहली बार अपनी चूत चटवा रही थी चूत की भीनी भीनी सी खुशबु ने मुझे तो जैसे पागल ही कर दिया था , मैं ताई को आज इस कदर अपनी दीवानी कर देना चाहता था की आगे से खुद चल कर वो अपनी चूत मुझे पेश करे , ताई की चूत से बहता हुआ रस उफ्फ्फ उसका वो नमकीन पाना आह ,



मैंने अपनी बीच वाली ऊँगली ताई की चूत में सरका दी चूत अन्दर से किसी भट्टी की तरह गरम टप रही थी मैंने ताई के भाग्नसे को अपने होंठो में दबाये हुए चूत में ऊँगली को अन्दर बाहर करने लगा गीता का हाथ अपने आप मेरे सर पर पहूँच गया और वो अपने हाथो से मेरे चेहरे को चूत पर दबाने लगी ताई के बदन में मस्ती सर चढ़ कर बोल रही थी मैंने तेजी से ऊँगली को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया बाहर बारिश का शोर और अन्दर ताई की कामुक सिसिकरिया सीधे छत से ही टकरा रही थी


मै बस उनके दाने को चुसे जा रहा था ताई शायद काफ़ी दिनों से चूदी नहीं थी तो वो जायदा देर ठहर नहीं पाई और एक गहरी सांस लेटे हुए झड़ने लगी अपनी टांगो को सीधा करते हुए ताई बिस्तर पर पसर गयी ..

मैं भी ताई के पास लेट गया और ताई के बोबो को हलके हलके से दबाते हुए पूछा- कैसा लगा
ताई ने नजरे झुका ली और कुछ नहीं बोली

मैंने ताई को अपनी करवट कर लिया और उनके हाथ में अपना लंड देके मुठ मरवाने लगा ताई धीरे धीरे मेरे लंड को हिलाने लगी , मैंने अपने ताई की पप्पी ली और बोला- ताई, मेरे लंड को चूसोगी

ताई ने कुछ नहीं कहा

मैं- ताई चूसो ना अच्छा लगेगा तुम्हे

ताई कुछ ना बोली तो मैं ताई के सीने पर बैठ गया और गीता के गालो पर अपना लंड रगड़ ने लगा ताई ने शर्म से आँखे बंद कर ली, ताई को पता था की चोदुंगा तो मैं पक्का ही पर फिर भी वो शर्मा रही थी, मैं कुछ देर उनके गालो पर लंड को रगड़ता रहा फिर मैंने लंड को उनके होंठो से टच करना शुरू किया तो उन्होंने आँखे खोल दी

मैं- प्यारी ताई जी एक बार मुह में ले लो ना

तो ताई ने अपने मुह को थोडा सा खोला और मैंने अपने सुपाडे को अंदर धकेलना शुरू किया जैसे ही सुपाडा अन्दर गया ताई ने अपने होंठो को कस लिया सुकून सा आ गया मुझे , गीता ताई पता नहीं कैसे अपनी आग को दबाये हुए थी इतने दिनों से उफ़ उनके गरम होंठो का स्पर्श मेरे सुपाडे पर मैंने थोड़े से लंड को और अन्दर धकेला तो वो ना ना करने लगी

मैं- ठीक है , अभी इसको ही अपनी जीभ से चूसो

तो ताई अपनी गीली जीभ को मेरे सुपाडे पर फिराने लगी, मुझे करंट सा लगने लगा था ऐसा लगा की जैसे अभी मेरा पानी छुट जाएगा मैं उनके बालो को सहलाते हुए ताई के मुह में हलके हलके धक्के लगाने लगा दिल में ख्याल आया की जब मुह में देने से इतना मजा आ रहा है तो चूत में डालने में कितना मजा आएगा इधर मैं अपने लंड को मुह में सरकता जा रहा था ताई भी अब अपनी जीभ को रगड़ के मुझे सुख का अनुभव करवा रही थी थोड़ी देर बाद मैंने ताई के मुह से लंड को बाहर निकाल लिया

और खुद लेट गया अब मैंने ताई को फिर से चूसने को कहा तो ताई मेरी टांगो पर झुक कर लंड चूसने लगी मैं ताई की चालीस इंची गांड को सहलाने लगा ताई की गांड का भूरा भूरा छेद कभी ढीला होता कभी टाइट होता मैंने मन ही मन सोचा अब तो सब अपना ही है चूत मारने के बाद गांड का नंबर भी लगा दूंगा , गीता ताई अब मेरे पुरे लंड को अपने थूक से सरोबार किये गले की गहराइयों तक उतार रही थी मैंने सोचा कही मुह में ही ना झड जाऊ तो मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और ताई को बिस्तर पर पटक दिया
 

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एक तकिये को उनकी गांड के नीचे दिया और चूत पर थूक लगा के उनकी टांगो को अपनी टांगो पर चढ़ा लिया और अपने सुपाडे को उनकी कामुक चूत पर रगड़ने लगा , ताई मुह से कुछ बोल नहीं रही थी पर उनका पूरा चेहरा लाल हो गया था एकदम , गीता का पूरा बदन कांप रहा था

मैं- ताईजी डालू

ताई कुछ ना बोली तो मैंने मजे लेने की सोची और बस हलके हलके से अपने लंड को उनकी चूत के मुहाने पर रगड़ना चालू कर दिया ताई तो अब लंड लेने के लिए मरी जा रही थी पर वो खुद कह नहीं रही थी तो मैं भी जल्दी नहीं दिखा रहा था एक हाथ से लंड को चूत पे रगड़ते हुए दुसरे हाथ से मैं उनकी छाती से खेलने लगा तो ताई अब बुरी तरह से उत्तेजित होने लगी, ताई के चुतड हिलने लगे और तभी ताई ने अपने गांड को उचका कर मुझे इशारा दिया और तभी मैंने अपने लंड को आगे को सरका दिया


मेरा लंड चूत की मुलायम पंखुडियो को चूमते हुए चूत में घुसने लगा ,ताई की चूत लंड की मोटाई के हिसाब से फैलने लगी

ताई- आआह्ह्ह्ह आराम से, पता नहीं कितने दिन बाद चुद रही हूँ दर्द हो गया थोडा आराम से

एक चालीस इकतालीस साल की महिला के मुह से ये सुनके की दर्द हो गया मुझे बहुत अच्छा लगा तो मैंने जोश में आके एक तेज झटका और मारा और मेरा आधा लंड गीता की चूत में घुस गया

ताई- aaahhhhhhhhhhhhh ओफफ्फ्फ्फ़ धीरे

पर मैं अब कहा धीरे होने वाला था मैं ताई के ऊपर झुकने लगा और इस बार जैसे ही मैंने अपने होंथो में गीता के रस से भरे होंठो को दबाया एक जोर का धक्का लगाया और मेरे अंडकोष उनकी जांघो के निचले हिस्से से टकरा गए पूरा लंड ताई की चूत में समा गया था ताई की चीख मेरे मुह में ही घुट के रह गयी ताई के ऊपर पड़े पड़े ही करीब दो मिनट तक उनके लबो को चुस्ता रहा मैं

ताई का बदन कांप रहा था अब मैंने धक्के लगाने शुरू किये और ताई के मुह को आजाद कर दिया

वो- बड़ा जुल्मी है तू तो रे

मैं- अब आप जैसे माल को तो जुल्म करके ही चोदा जा सकता है न

ताई शरमा गयी

मैं- कैसा लग रहा है मेरा लंड लेके

वो कुछ नहीं बोली- मैं ताई बात नहीं करोगे क्या अब बताओ भी ना

ताई- अच्छा लग रहा है, काफ़ी दिनों में चुद रही हूँ, तेरे ताऊ को तो मेरी सुध नहीं है बस दारू ही जिंदगी बन गयी है

मैं ताई को चोदते हुए- बस मेरी जान, अब मैं हूँ ना जब जब मौका मिलेगा आपकी चूत को अपने पानी से भर दिया करूँगा , पर ऐसे काम नहीं चलेगा आप भी चुदाई में सहयोग करो थोडा,

ताई ने मेरी बात सुनकर अपनी बाहे मेरी पीठ पर कस दी और नीचे से अपने चुतड ऊपर कर कर के मेरे धक्को का जवाब देने लगी , मैंने इस बात पर गौर किया की ताई की चूत बेहद कसी हुई थी बिल्ल्कुल भी ढीली नहीं थी तो लंड को ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा था ताई की चूत पर

जैसे जैसे मेरी रफ़्तार बढती जा रही थी वैसे वैसे ही ताई भी अपनी गांड को ऊपर की और उचका रही थी कभी मैं उनके बाल चूसता कभी होंठ कभी वो मेरे गालो को किस करती बाहर की बारिश का शोर भी जैसे ताई की मादक सिस्कारियो के आगे दब सा गया था बस वो चुद रही थी मैं चोद रहा था उनकी चूत इस हद तक गीली हो गयी थी की मेरा लंड जैसे किसी नदी में फिसल रहा हो दो जिस्म एक होकर बिस्तर पर घमासान मचाये हुए थे

ताई की दोनों टाँगे अब उपर को उठी हुई थी , बहुत देर तक मैं उनको चोदता रहा , ताई के होंतो को मैंने ऐसे चूसा की वो सूज गए पर अरमानो की आग भड़क रही थी ताई ने मेरा भरपूर साथ दिया , करीब आधे घंटे तक हम दोनों हमबिस्तर होते रहे, मेरा झड़ने का समय हो गया था मैंने पूरी ताकत लगाते हुए ताई की चूत पर कुछ अंतिम प्रहार किये और फिर अपना वीर्य चूत में गिरा दिया,

ताई को चोद के ऐसे लगा की जैसे सारे जहाँ को ही पा लिया हो मैंने कुछ देर हम लेटे रहे फिर ताई उठ कर सलवार पहनने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया

ताई- अब क्या कर तो ली तूने अपनी मनमानी

मैं- अभी तो रात बाकी है मेरी जान,

ताई मुस्कुराई और बोली- पेशाब करके आती हूँ

मैं- नंगी ही चली जावो , वैसे भी बारिश आ रही है तो आँगन में ही मूत लो

ताई मूत कर आई ही थी की बिजली चली गयी ताई ने लालटेन जलाई उस समय उनकी गांड मेरी तरफ थी मैं उठा और ताई को पीछे से अपने आगोश में ले लिया और उनके बोबो को दबाने लगा ताई मेरे लंड पर अपनी गांड को घिसने लगी

मैं- ओह गीता, कितनी जबर माल है तू

ताई- ताई जी से सीधा गीता

मैं- अब तो तू मेरी जान बन गयी है

मैं गीता की गर्दन के पिछले हिस्से पर किस करते हुए उसके दोनों बोबो को अपनी मुट्ठी में भर के भींच रहा था ताई ने अपनी जांघो में मेरे लंड को ले लिया और चूतडो को हिलाने लगी , बरसात की रात में कमरे में लालटेन की हलकी सी रौशनी में ताई और मैं नंगे एक दुसरे के जिस्म से अपने जिस्म को रगड़ रहे थे, एक तूफ़ान फिर से आने वाला था गीता की चुचिया एक दम से तन गयी थी ,

मैं अब उसके गालो पर अपनी थूक से सनी जीभ फिरा रहा था उफ्फ्फ ये उत्तेजना ये दीवानगी ये मस्ती ये प्यास इन जिस्मो की अब मैंने बोबो को आजाद किया और ताई की चूत को मुट्ठी में भर लिया ताई ने जांघो को कस लिया और खुद को एक बार फिर से चुदने के लिए तैयार करने लगी , ताई के रूप की आंच में आज मैं पिघल जाने वाला था मैंने ताई को वाही खड़े खड़े ही अपने पांवो पर झुका दिया ताई ने अपने हाथ घुटनों पर टिका लिए और अपनी गांड को मेरी तरफ उभार लिया

मैंने चूतडो को थोडा सा एडजस्ट किया और फिर से अपने लंड को गीता की मस्त चूत में पेल दिया झुकने से ताई के चुतड बहुत उभर आये थे मेरा तो दिल ही आ गया था ताई की गांड पर जी कर रहा था की बस उम्र भर मेरा लंड गीता की गांड में ही घुसा रहे मैंने अब अपने हाथो से ताई की कमर पकड़ी और कर दी दे दनादन चुदाई ताई की शुरू ताई की आहे फिर से मुझे पागल करने लगी


उफ़ उफ़ ufffffffffffffffffffffffffffffffff aaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh
औऊऊ औऊउ हां शाबाश शाबाश ओह्ह्ह्हह

करते हुए ताई अपनी गांड को पीछे धकेल रही थी उनकी नंगी पीठ को चुमते हुए मैं ताई की मस्त चूत मार रहा था जब जब ताई अपनी चूत को सिकोड़ती तो मेरा मजा काफ़ी गुना जयादा हो जाता था हमारे बदन पसीने से भर गए थे शरीर चिप चिप करने लगा था पर चुदाई कहा इन चीजों से रुकने वाली थी , दरवाजे के पास झुकी हुई ताई मेरे लंड को अपनी चूत में गपा गप ले रही थी काफ़ी देर तक वैसे ही चोदने के कारण पैर दुखने लगे तो मैं उनसे अलग हो गया और हम बिस्तर पर आ गए

मैं लेट गया और मैंने ताई को लंड पर बिठा लिया गीता ताई अब मेरे लंड पर धीरे धीरे से ऊपर नीचे होने लगी मैं उनकी पीठ को सहलाने लगा हर पल मेरे लंड की नसे और भी फूलती जा रही थी , ताई के नितम्बो की थिरकन मेरी आवारगी को हवा दे रही थी ताई के पपीते सी चूचिया मेरे चेहरे पर झूल रही थी तो मैंने अपने मुह में लेकर उनको बारी बारी से चुसना शुरू कर दिया ताई तो जैसे पागल ही होने लगी थी अब वो पुरे दम से मेरे लंड पर कूद रही थी

मैं ताई की गांड के छेद पर ऊँगली रगड़ते हुए- कैसा लग रहा है

ताई मेरे लंड पर उचकते हुए- बहुत अच्छा, इतने दिनों बाद चुद के लग रहा है की जैसे कोई कमी पूरी हो गयी हो पुरे बदन में ठंडक आ गयी है

मैं- बस अब तुम मेरे साथ ही रहना, जिंदगी गुलजार हो जाएगी

ताई- चिंता मत कर , अब तेरा लंड ही मेरी चूत की खेती को हरा भरा करेगा

मैं- ताई तू सच में बहुत गरम माल है ,ना जाने कितने आदमी तेरी मटकती गांड को देख कर लंड हिलाते होंगे

ताई- सच में

मैं- और नहीं तो क्या मैं खुद मर मिटा तुझ पर तुझे मालूम नहीं तू इतनी गरम है की काफ़ी लोग तो तुझे नंगी देख कर ही झड जाये

ताई ऐसी अश्लील बाते सुनके और जोश में आने लगी और बोली- चल अब तू मेरे ऊपर चढ़ जा

तो मैंने ताई की टांगो को अपने कंधो पर रखा और ताई को पेलने लगा ताई के खरबूजे बुरी तरह से हिल रहे थे

मैं- ताई मेरे लौड़े का रस पीयेगी

ताई- जब तेरा होने लगे तो बता दिए

सतासत मेरा लंड चूत को चौड़ा करते हुए अंदर बाहर हो रहा था ताई अपने हाथो से अपने बोबो को दबा रही थी ताई के झांट पूरी तरह से चूत के पानी में भीग गए थे ताई आज इस तरह से मुझ में समा गयी थी की क्या कहू मैं शब्द कम पड़ जाये कुछ देर वैसे ही चोदने के बाद मैंने अपने लंड को ताई के मुह में दे दिया चूत से सने लंड को बड़े चाव से ताई चाटने लगी मुझे बड़ा मजा आ रहा था ताई इधर मेरा लंड चूस रही थी उधर अपने हाथ से चूत के दाने को रगड़ रही थी


ताई के होंठो से बहता थूक बिस्तर पर गिर रहा था थोड़ी देर तक लंड चूसने के बाद ताई ने फिर से अपनी जांघे फैला दी लपलपाती हुई चूत मेरी आँखों के सामने थी बस लंड घुसाने की देर थी , एक बार फिर से लंड और चूत में रस्सा-कसी शुरू हो गयी गीता के होंठो को पीते हुए मैं बस उलझा पड़ा था उसके जिस्म में, ताई की साँस मेरी साँसों में घुल गयी थी , ताई जो इस बाद झड़ी बिस्तर पर आग ही लगा दी उसने , इतना पानी बह रहा था चूत से की क्या बताऊ मैं भी बस किनारे पर ही था तो मैंने ताई के मुह में लंड दे दिया
ताई तेजी से लंड को चूसने लगी और फिर मेरे पानी की धार उनके गले से जा टकराई ताई के मुह में एक के बाद एक वीर्य की पिचकारिया गिरती गयी जिसे बिना किसी शिकायत के ताई ने अपने गले में उतार लिया

घनघोर बादल की तरह ताई पर बरसने के बाद मैं बिस्तर पर पड़ गया ताई ने कपडे पहने और बाहर चली गयी मैं नंगा ही लेता करीब पंद्रह मिनट बाद ताई एक गिलास लेकर आई और मुझे दिया – दूध पि लो

मैं- दूध की क्या जरुरत है

वो- इतनी मेहनत की है थकन हो हो गयी होगी

मैं- मेरी जान , तुम कहो तो पूरी रात अपने लंड पर बिठाये रखु तुमको

ताई- ना अब हिम्मत है मुझमे सुजा दिया है तुमने

मैं – मैं तो सोच रहा था की दिन निकलने तक लूँगा

ताई- अब मैं कहा जाउंगी तुमसे दूर, मौका मिलते ही फिर आ जाना

मैं अपने लंड को सहलाते हुए ताई एक बार और इसको अपनी चूत में गोता खिलादो

ताई- समझा करो , सूज गयी है मूतने में भी जलन हो रही है और मैं मना कहा कर रही हूँ तुझे ले दूध पि ले

मैंने कुछ घूंट में ही दूध का गिलास खाली कर दिया ताई बोली- ये बात किसी को कहना मत गाँव बस्ती में रहना है

मैं- विश्वाश करो मेरा बस चूत का ही रिश्ता नहीं जोड़ा है आपसे

बारिश कुछ मंदी सी होने लगी थी मैंने घडी में देखा सुबह के चार बजने को थे तो ताई को चूम के बोबे भींच के मैं खेत की और चल दिया दिल में बड़ी तसल्ली थी गीता को अपना बनाने की ,

बिजली थी नहीं , तो बैटरी से बाड़ी को देखा सब जगह पानी भरा था नुक्सान पक्का था पर मेरे पास बहाना था की तेज बारिश थी क्या करता , कस्सी लगा के पानी को निकाला पर नुक्सान तो हो ही गया था , खेत से फ्री हुआ तो करीब सुबह के आठ बज गए थे थका मांदा और घर की और चला भूख लगी पड़ी थी
जबरदस्त तो मैंने देखा की ताई गीता चौपाल के नलके पर पानी भर रही थी हमारी आँखे मिली वो हल्का सा मुस्कुराई मैं हस्ते हुए आगे बढ़ गया

घर गया जाके खाना खाया दिल में बस इतनी बात थी की सो जाऊ पर इस जिंदगी में चैन कहा मम्मी का फरमान था की जंगल से कुछ लकडिया काट लाउ तो उन्हें समझाया की पूरी रात बरसात हुई है कैसे ला पाउँगा पर फिर भी काफ़ी काम बता दिए करने को , उनमे उलझा ऐसा की दोपहर हो गयी आँखे नींद की वजह से भारी हो रही थी , बदन टूट रहा था पर जी को सकूँ कहा कुछ कापी- वगैरा खरीदनी थी तो दूकान पर गया तो पिस्ता से मुलाकात हो गयी उसने इशारे से मुझे आने को कहा

तो मैं उसके पीछे उसके घर तक आ गया पिस्ता ने मुझे पानी पिलया और बोली- एक बात बतानी थी तुझे

मैं- हां

वो- मुझे ना लड़के वाले देखने को आ रहे है

पता नहीं सुनके कुछ अच्छा सा नहीं लगा

पिस्ता- तुझे क्या लगता है

मैं- मेरे लगने से क्या होना है , बात तेरी है तू हां कहेगी तो ठीक ना कहेगी तो ठीक

वो- तुझे कोई फरक नहीं पड़ेगा

मैं- तुझे नहीं पता क्या

पिस्ता झट से मेरे गले लग गयी ना जाने क्यों मेरी आँखों से आंसू गिर पड़े , दरअसल उसके दूर हो जाने का ख्याल मन में आते ही एक डर सा लगने लगा था मुझे

मैं- अभी तो तुझसे जी भरके बाते भी ना की , तुझे समझा भी नहीं और तू इतनी जल्दी चली भी जाएगी

पिस्ता- आज नहीं तो कल रिश्ता तो करवाना पड़ेगा ना , वैसे भी हम बस दोस्त ही तो है ना दोस्ती तो उम्र भर रहती है ना मैं तुझे भूलूंगी ना तू मुझे

मैं- पिस्ता, पता नहीं क्यों रोने को जी चाह रहा है

पिस्ता- डर सा लगता है तुझसे दूर होके मैं कैसे जिउंगी

मैं- तो फिर मत करवा न रिश्ता, रिश्ता होगा फिर थोड़े दिन में ब्याह हो जायेगा तेरा

वो- जोर भी तो नही चलता मेरा

मैं- क्या तू भी मेरा हाथ छोड़ जायेगी

वो- पगले, तेरा मेरा रिश्ता क्या इतना कमजोर है जो दूरी से टूट जायेगा वैसे भी तू इतना मत सोच अभी तो बस देखने ही आ रहे है क्या पता मैं पसंद आऊ या ना आऊ , सब बाद की बाते है

मैं- तू इतनी प्यारी है किसी को भी पसंद आ जाएगी

पिस्ता एक फीकी सी हँसी हस्ते हुए, पर कभी ना कभी तो जाना होगा ना

मैं- हां जाना तो होगा, वैसे भी मेरे रोकने से कौन सा रुक जाओगी

वो- क्या तुम रोक पाओगे

मैं- तुम रुक जाओगी

वो- मत बांधो मुझे बंधन में

मैं- तो तोड़ दो इस डोर को

वो- रुसवा कर रहे हो मुझे

मैं- अब क्या कहू मैं

पिस्ता मेरी गोद में बैठते हुए- यार, मैं सोचा तुमसे इस बारे में बात करुँगी एक तुम ही तो हो जो मुझे इस तरह से समझते हो, अब देखो काफ़ी बात है मेरा रिकॉर्ड भी ठीक नहीं है माँ तो बस पिंड छुटाना चाहती है किसी तरह से, फिर भाई का रिश्ता भी कर दिया है तो घरवाले सोच रहे है की आगे पीछे ब्याह कर दे मैं जाऊ भाभी आये वैसे भी तेईस पार कर गयी हूँ मैं , आज नहीं तो कल ब्याह तो करना ही है

मैं- जो तुझे ठीक लगे वो कर वैसे भी तूने सोच लिया है तो फिर ठीक है

पिस्ता- तू मेरे नजरिये से देख ना

मैं- पिस्ता अब मैं क्या कहू

पिस्ता- यार तू ही तो मेरा दोस्त है तू ही नाराज हो रहा है

मैं- नाराज़ और तुझसे .....................
पिस्ता- क्या मेरी ख़ुशी में तेरी खुशी नहीं होगी

मै- तू खुश रहे इस से ज्यादा मेरी दुआ क्या होगी

पिस्ता मुस्कुरा पड़ी

मैं- एक बात कहू,

वो- हां

मैं- क्या तू मेरे से ब्याह करेगी

वो- पागल है क्या

मैं- हां या ना

पिस्ता- क्या कुछ भी बोलते हो, गाँव की गाँव में , पता है कितना बड़ा पंगा होगा

मैं- तू क्यों डरती है

पिस्ता- डरती तो मैं किसी के बाप से भी नहीं , पर बात कुछ ऐसी है की तुम न बड़े भोले टाइप इंसान हो , मेरा क्या है ब्याह करवाके चूल्हा चौका कर लुंगी ऐसे ही टाइम पास हो जायेगा मेरा पर तुम्हारे सामने तो सब कुछ पड़ा है पढाई करनी है , नौकरी तलाशनी है अब मैं इतनी खुदगर्ज़ नहीं हूँ की तुम्हारी जिंदगी से खेल जाऊ

पिस्ता- और वैसे भी तुम अभी टेंशन मत लो वो बस अभी मुझे देखने आ रहे है
 

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हम लोग बात कर रही रहे थे की तभी उनका मैं दरवाजे से उसकी माँ चिल्लाई तो पिस्ता ने मुझे पिछले दरवाजे से निकाला , कसम से गांड ही फट गयी थी पकडे जाने के डर से , घर आके थोडा चैन आया पिस्ता की बाते सुनके दिमाग ख़राब सा हो गया मेरा सरदर्द होने लगा था ऊपर गया तो चाची रेडियो पे गाना सुन रही थी मैं भी उनके पास जाके बैठ गया

“अभी तो मोहब्बत का आगाज़ है ” ये वाला गाना सुन के और मेरा दिमाग खराब होने लगा तो मैंने रेडियो बंद कर दिया

चाची- क्या हुआ

मैं-बस दिमाग खराब है

वो- कैसे

मैं बस ऐसे ही , एक कप चाय मिलेगी क्या

वो- चलो नीचे चलते है, अभी बना देती हूँ

मैं- आप ऊपर ही ले आना

तो चाची नीचे चली गयी मैं कमरे में बैठा रहा , पिस्ता से एक ऐसा जुडाव सा हो गया था उसके रिश्ते की बात सुनकर अच्छा नहीं लग रहा था पर उसकी अपनी भी लाइफ थी आज नहीं तो कल ब्याह तो होना ही था उसका

अभी तो मोहबत का आगाज़ है , अभी तो मोहबत का अंजाम होगा

उस गाने के बोल लबो पर चढ़ गए थे , मैं ऐसे ही गुनगुनाने लगा की चाची चाय ले आई

चाची- किसी उलझन में लगते हो

मैं- नहीं तो

वो- शकल से तो लग रहे हो

मैं- अब शकल ही ऐसी है तो मैं क्या करू आप बताओ

वो- बस थोड़ी देर पहले ही प्लाट से आई हूँ थोडा आराम करके रसोई का काम करना है

मैं- तो चाची सरपंची का फोरम कौन भर रहा है आप या मम्मी

वो- दोनों में से कोई नहीं

मैं- पर पिताजी तो कह रहे थे की परिवार खड़ा हो रहा है चुनावो में

वो- हां, सही बात है

मैं- पर आप और मम्मी नहीं तो कौन

चाची- तुम्हारी प्यारी भाभी बिमला है कैंडिडेट

अविश्वास के मारे मेरे हाथो से चाय का कप छुट गया चाय फर्श पर बिखर गयी

मैं- क्यों मजाक कर रही हो चाची

वो- सच बोल रही हूँ, जेठ जी का यही फैसला है

मैं- ये नहीं हो सकता पिताजी कैसे उसको खड़ा कर सकते है

वो- भाड में जाये वो , मुझे कुछ फरक नहीं पड़ता

मैं- पर मुझे फरक पड़ता है , मैं पिताजी से बात करूँगा

चाची- मत करना

मैं- आप समझ नहीं रहे हो

वो- मैं सब समझती हूँ , चलो मैं अब नीचे जाती हूँ

चाची तो चली गयी थी पर एक तूफ़ान मेरे दिल में खड़ा कर गयी थी बिमला और वो भी सरपंच पद की दावेदार , कभी कभी मुझे पिताजी का सिस्टम समझ में आता नहीं था , आज का साला दिन ही मनहूस था पहले पिस्ता और अब बिमला की तरफ से ऐसी खबर मैं बाहर आके चबूतरे पर बैठ गया तभी मेरे पास से बिमला गुजरी , मुझे देख के हँसी वो , कसम से सीना ही छलनि कर गयी, दिल में तो आया की इसकी गांड तबियत से मारू पर समय ठेक नहीं था अपना


, तभी मैं कहू साली मुझे जलाने को ऐसे हंसके जाती थी
पर मुझे भी खुराफात थी पक्की वाली शाम को पिताजी के आते ही टांग अडा दी मैंने तो जम कर लताड़ पड़ी मुझे पिताजी ने साफ़ कह दिया की बिमला ही कैंडिडेट होगी , और सबको उसका पूरा सहयोग करना है और मुझे खासकर बस अपनी पढाई से ही मतलब रखने को कहा पर हम भी आदमी जरा दूजी किस्म के थे, इलेक्शन में तो करीब दो महीने का टाइम था पर अपनी परेशानिया कुछ अलग थी


बिमला को सरपंच बनता हुआ मैं देख नहीं सकता था पर बाप का सख्त आदेश था की कोई पंगा करना नहीं और वो सरपंच बन गयी तो मेरी हार होगी, दिमाग का दही होने लगा तो मैं घर से बाहर निकल आया और मंजू के बाप की दूकान पर पहूँच गया , पर उधर भी टाइमपास हो नहीं रहा था तो मैं घूम कर गीता ताई के घर पहूँच गया , ताई अन्दर ही थी मुझे देख कर ताई मुस्कुराते हुए बोली- आ गए, मैं तो सुबह से सोच रही थी की आये नहीं


मैं- कुछ काम हो गया था पर अभी आ गया हूँ

मैंने दरवाजे को बंद किया और ताई को पकड लिया

ताई- अभी शरारत मत कर , रात को आ जाना फिर तुझे अच्छे से खुश कर दूंगी

मैं- रात की रात को देखेंगे अभी एक बार कर लेते है

मैं ताई की सलवार खोलने लगा तो ताई मन करते हुए बोली- पूरा दिन से काम में लगी थी , देख मेरा हाल सुबह से नहाई भी नहीं हूँ , अभी शरारत मत कर रात को चुपके से आ जाना मैं किवाड़ खुला ही रखूंगी , तेरे लिए सज संवर कर तैयार रहूंगी

मैं- ताई के चूतडो को सहलाते हुए- क्या ताई तुम भी ,एक बार में कितनी देर लगनी है

पर ताई नहीं मानी तो मैंने कहा रात को गांड भी मारूंगा कहते हुए मैंने ताई की गांड में ऊँगली दे दी तो ताई अपने चूतडो को टाइट करते हुए बोली- रात को आ जाना

मैंने ताई के बोबो को कस के दबाया और फिर घर आ गया लंड साला बुरी तरह से मचल रहा था पेंट में घर आके थोडा बहुत इधर उधर का काम किया रोटी- पानी खाके एक दम तैयार था मैं तभी चाची आ गयी कमरे में हमारी आँखे मिली मैंने दरवाजे की ओट में चाची को पकड़ लिया और अपने होंठो को उनके होंठो से जोड़ दिया एक लम्बा चुम्बन लिया तब थोडा करार आया ,

मैं चाची के बोबो को भीचते हुए- चाची कब प्यार करोगी

वो- जब टाइम आएगा

मैं- कब आएगा टाइम

वो- जब आना होगा जब आ जायेगा

मैं साड़ी के ऊपर से चूत को मसलने लगा तो चाची की साँसे तेज होने लगी वो मेरी बाहों में कसमसाने लगी मैं उनके लबो को फिर से पीने लगा पर चाची मुझसे दूर हो गयी और बोली- मत लगा ये आग मेरे तन में फिर काफ़ी देर इसमें जलना पड़ता है

मैं- इस आग को बुझवा क्यों नहीं लेती

वो- तुझे भी पता है अभी सही समय नहीं है

मैं उनसे और चिपकते हुए- आप हां कहो बस समय अपने आप सही हो जायेगा

वो- देख, मैंने कहा न मुझे थोडा सा टाइम दे

मैं- ठीक है अपनी तक़दीर में इंतज़ार है तो इंतज़ार ही सही पर थोडा ध्यान मुझ पर भी दिया करो
चाची- पूरा ध्यान तुझ पर ही है पगले, अब तू ही तो एक आस है मेरे जीवन में

चाची अपनी गांड मटकाते हुए नीचे चली गयी मैंने अपने खड़े लंड को एडजस्ट किया और मैं भी उनके पीछे हो लिया अपने को भी जाना था ताई की बजाने को ...
 

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कल बरसात होने से थोड़ी ठण्ड हो गयी थी तो आज मैंने एक कम्बल ले लिया था घरवालो को दिखाने के लिए थोड़ी देर टीवी देखकर मैं खेत की और कट लिया , पर अपनी मंजिल तो ताई गीता का घर था तो सावधानी से इधर उधर देख कर मैं गीता के घर में घुस गया और दरवाजा लिया कर बंद , बस अब वो थी और मैं था ताई अपने कमरे में ही लेट रही थी मुझे देख कर उनको भी नशा चढ़ने लगा

मैं तो जाते ही ताई पर टूट पडा और ताई के ऊपर लेट कर बेतहाशा चूमने लगा उनको , उनके गालो को खाने लगा तो ताई मदहोश होने लगी , मैंने उनकी कुर्ती को निकाल फेंका और ब्रा के ऊपर से ही बोबो को मसलने लगा ताई की बेल की तरह मुझसे लिपटने लगी , ब्रा और सलवार में ताई बड़ी सेक्सी लग रही थी मैंने ताई को अपनी गोद में बिठा लिया और बोबो को मसलना शुरू किया गीता की मस्त आवाज मेरे कानो से टकराने लगी मैंने ताई की पीठ पर किस किया तो ताई उत्तेजित होने लगी


जल्दी ही ताई की ब्रा भी उतर गयी थी ताई के बोबे जो थोड़े से लटके हुए थे मेरे हाथो का स्पर्श पाकर फूलने लगे उनके निप्पलस तन गए ताई ने खुद अपनी सलवार को उतार दिया एक तंग कच्छी ही बस सेष थी मैं उनके गालो को खाते हुए कच्छी के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा , उस जगह पर से कच्छी बहुत गीली हो रही थी ताई का जिस्म मेरी गोद में मचलने लगा फिर ताई गोद से उतर गयी


मैंने फटाफट से अपने कपड़ो को उतारा ताई ने अपनी मुट्ठी में लेके लंड को मसलना शुरू किया तो मेरे बदन में करंट दोड़ने लगा मैंने उसके चेहरे को तुरंत अपनी टांगो के बीच में झुका दिया ताई ने मुह खोला और मेरे लंड को मुह में भर लिया मैं हौले हौले से उनके सर को नीचे की और दबाने लगा , खुरदरी जीभ मेरे सुपाडे की खाल पर गुदगुदी सी कर रही थी करीब पांच मिनट बाद ताई ने मेरे लंड को मुह से बाहर कर दिया और खुद की कच्छी को उतार दिया


आज ताई ने झांटो को एक दम सफाचट कर दिया था तो चूत बड़ी प्यारी लग रही थी मैंने ताई को 69 में लिया और उनकी चूत को अपने होंठो में दबा लिया ताई भी कहा पीछे रहने वाली थी अब दोनों और से चुसाई शुरू हो गयी थी , खारी चूत का टपकता रस चखने का भी एक अलग ही मजा था ताई मेरे ऊपर थी और अपनी चूत के घस्से मेरे मुह पर मार रही थी जैसे की मेरे मुह को चोद रही हो , साथ ही दूसरी तरफ से मेरे लंड पर भी उनका मुह पूरी फुर्ती से चल रहा हटा मैंने शरारत करते हुए अपनी ऊँगली को गीली किया और ताई की गांड के सुराख़ में देने लगा तो ताई मेरे लंड को निकाल कर बोली- क्या करते हो दर्द हो रहा है


मैं- जानेमन आज तेरी गांड का नुम्बर भी तो लगाना है पहले ऊँगली डलवा ले फिर लंड तो जाना है की इधर मेरी चलती जीभ की वजह से ताई के चुतड बुरी तरह से हिल रही थे ऊपर से मेरी ऊँगली का एक पौरवा गांड में भी घुस गया था एक छेद से मजा मिल रहा था दुसरे से उसको दर्द हो रहा था पर मजा भी तो था उस दर्द में ताई अब मेरे टट्टे को चूस रही थी मैं तो पूरी तरह से जन्नत में पहूँच गया था काफ़ी देर तक ऐसे ही ताई की साथ चुसाई करते हुए मैं उनकी गांड से छेड़खानी करता रहा


पर अब सख्त जरुरत थी चूत की तो मैंने ताई को घुमा कर घोड़ी बनाया और जोड़ दिया कनेक्शन एक बार जो लंड का चस्का लगा गीता ताई को ताई अपने कुलहो को खुद आगे पीछे करते हुए चूत मरवाने लगी ताई के चौड़े कुलहो के दोनों हाथो से सहलाते हुए लंड को अन्दर बाहर करने लगा मैं , गीता की आहे बढ़ने लगी थी ताई बोली थोडा तेज तेज चोद तो मैंने उनकी कमर में हाथ डाला और तेजी से अपनी कमर को आगे पीछे लगने लगा ताई के गोरे गोरे चुतड मेरे धक्को से हिल रहे थे, उनमे जो थिरकन हो रही थी वो वो ही मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी


काफ़ी देर तक घोड़ी बनने से ताई बोर होने लगी थी तो मैंने ताई को औंधी लिटा दिया और वैसे ही उनपर चढ़ कर चोदने लगा ताई का मादक हूँस्न मेरे नीचे पिसने लगा था मेरे हर धक्के से लंड चूत की और गहराई में उतरने लगा था ताई मस्ती में इस कदर भर गयी थी की क्या बताऊ, मैं उनकी गालो पर दांत की निशान बनाने लगा ताई की मस्ती भरी मीठी मीठी सिस्कारियो से मैं तो पागल ही हो गया था , चिकनी चूत में मेरा केले जैसा मोटा लंड फंसा हुआ था ,


अब हम दोनों कुछ भी नहीं बोल रहे थे बस हमारी साँसों की ही आवाज गूंझ रही थी मैं लगातार चोदे जा रहा था ताई को ताई पल पल और अधिक जलवा बिखेर रही थी आधे घंटे तक दबा चोदा ताई ने इस दौरान ताई ने दो बार अपना पानी गिरा दिया था , पर अब ताई की चूत जो की पहले ही सूजी हुई थी वो मेरे प्रहारों को सह नहीं पा रही थी तो ताई ने मुझे अपने से उतार दिया

मैं- क्या हुआ

ताई- बहुत जलन हो रही है अब नहीं झेल पाऊँगी

मैं – कोई बात नहीं अब गांड मार लेता हूँ

ताई- चूत को तो सुजा क्या है अब क्या चूतडो को भी फाडेगा

मैं- एक बार मरवा लो फिर गांड ही दोगी

ताई- पर ये इतना मोटा कैसे जायेगा

मैं- सब चला जायेगा आप दो तो सही

मैं भाग कर रसोई से सरसों का तेल ले आया और ताई के चुतड ऊपर करके ताई को लिटा दिया और उनके छेद पर तेल टपकाने लगा फिर अपनी ऊँगली को चिकनी किया और गांड में घुसा दी ताई को तेज दर्द हुआ पर मैंने समझा बुझा दिया की एक बार तो दर्द हो गा ही , फिर मैंने ऊँगली को बाहर खीचा तो छेद जैसे ही खुला मैंने ताई की गांड को अच्छे से तेल से भर दिया और अपने लंड को भी एक दम चिकना कर लिया
ताई की गांड अब तैयार थी , मैंने गीता की जांघो को अपनी टांगो में दबा लिया ताकि वो हिल ना सके और अपने लंड को तेल से भीगी गांड पर सटा दिया और हल्का सा धक्का मारा , चिकना लंड गांड के छल्ले को फैलाते हुए अन्दर सरकने लगा जैसे जैसे लंड सरकता जा रहा था ताई के जबड़े आपस में भींचने लगा ताई अपने दर्द को रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी पर दर्द तो होना ही था , इस बार मुझसे भी थोडा तेज धक्का लग गया और गीता की रुलाई छुट पड़ी वो दर्द से छात्पटाने लगी पर मैंने पूरा जोर देते हुए झट से लंड को गांड के आखिरी छोर तक पंहूँचा दिया



ताई जोर से रोने लगी पर मैं जानता था की गांड का ऐसा ही मामला होता है एक बार जो लन्ड बाहर खीच लिया तो ये फिर कभी नहीं डालने देगी वैसे भी मैं पूरा गीता परछा चूका था लंड जा चूका था बस अब थोड़ी देर की बात थी कुछ देर तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा उनके ऊपर वो रोते हुए लंड को निकालने को बोलती रही , एक दम कोरी गांड में उलझा हुआ मेरा लंड अब कैसे निकाल लू तो मैं अब बिना उसकी परवाह किये धक्के मारने लगा पर गांड बहुत ही ज्यादा टाइट थी

मेरा लंड ज्यादा देर तक उसकी कसावट को सह नहीं पाया और करीब दस मिनट बाद मैं गांड में ही झड़ गया , ताई को अब कुछ चैन आया गुस्सा करते हुए वो अपने चूतडो पर हाथ फिरा फिरा कर देखने लगी मैं उनको अपनी बाहों में भरते हुए बोला- बस मेरी जान एक बार ही दर्द होना था अब बस मजा ही मजा है पर थोड़ी देर तो उन्होंने भी नौटंकी की ही , गीता के रूप में एक ऐसा माल हाथ लग गया था जो आने वाले दिनों में मेरी प्यास को जी भरके बुझाने वाला था ,

उस रात दो बार और मैंने ताई की ली फिर इतनी हिम्मत बची नहीं थी की मैं खेत में जा सकू तो वाही पर सो गया

सुबह मेरी आँख खुली तो मैंने देखा की ताई मेरे पास ही नंगी सो रही है मैंने उसको जगाया अपनी स्तिथि को ठीक ठाक किया और घर आ गया और सोने का मन था पर पढने भी तो जाना था तो फिर तैयार होकर ली अपनी साइकिल और शहर की तरफ चल दिया , नोटिस बोर्ड देखा तो पता चला की अर्धवार्षिकी सत्र के पेपर शुरू होने वाले है मैंने अपनी डेट्स देखि तो करीब पंद्रह दिनों में ही मेरे पेपर ख़तम हो जाने थे , दोपहर को मैं और नीनू बैठे थे तो मैंने पूछा

मैं- क्या तू सच में जा रही है

वो- और नहीं तो क्या

मैं- रुक नहीं सकती क्या

वो तुझे सब पता है फिर भी तू कैसी बाते करता है यही तो सही टाइम है अपने कैरियर के बारे में सोचने का

मैं- वो तो है

वो- देख मैं डेल्ही जाते ही फ़ोन तो ले ही रही हूँ फिर हम बात किया करेंगे

मैं- पर कमी तो लगे गी ना तेरी

वो- तू न इन फिल्मी बातो को अब छोड़ दे और आने वाली ज़िदंगी के बारे में सोच सीरियस होके , अपने पैरो पर खड़े हो जायेंगे तभी सब सही होगा वर्ना तो तुझे पता है ही की लाइफ कैसी होती है

मैं- यार पेपर होने के बाद मैं भी बात करूँगा घर वालो से डेल्ही आने को

वो- तेरी मर्ज़ी है तुझे जो ठीक लगे तू कर चल अब चलते है वैसे भी देर हो रही है परसों से पेपर शुरू है तो थोडा ध्यान देना

नीनू की हर बात सही थी पर मैं तो फस हुआ था घर के हालातो में, कभी कभी तो जी करता था की कही दूर भाग जाऊ यहाँ से पर कर भी तो क्या सकते है , शाम को घर आया छोटे मोटे काम किये फिर पढने बैठ गया , देर रात तक बस पढाई ही चलती रही , अगले दिन सुबह सुबह ही मुझे पता चला की गाँव में नया जिम खुला है तो मुझे भी कसरत का शौक हुआ , अब फिल्मो में हीरो की बॉडी देखते थे तो फीलिंग आती थी , वहा जाके पता चला की चाचा के महकमे की तरफ से गाँव में जिम खुला था किसी सरकारी योजना के तहत ,


तो उस बात से काफ़ी लडको पर मेरा थोडा प्रभाव पड़ा , मैं दोनों टाइम जाने लगा तो गाँव में और लडको से भी जान पहचान होने लगी ऊपर से अब सबको पता तो चल ही गया था की बिमला भाभी सरपंची में खड़ी हो रही है तो उसका भी प्रभाव था , दिन ऐसे ही गुजरते गए पिछले कुछ दिनों से बस मैं दो ही काम कर रहा था पढाई और वर्जिश , अपनी भी यारी- दोस्ती होने लगी थी , गाँव के यूथ के छोटे मसलो में में मैं भाग लेने लगा था , पर दिल में एक टीस थी की बिमला सरपंच नहीं बननी चाहिए पर अगर वो हार जाये तो कुनबे की इज्जत की बात भी तो थी


मैं बस उलझा पड़ा था हर चीज़ में हर रास्ता खुलने से पहले ही बंद होता जा रहा था , सरकारी तौर पे तो प्रचार शुरू नहीं हुआ था पर फिर भी दारू बंटनी शुरू हो गयी थी हर शाम को देर रात तक मैं पढता बस अच्छे नंबर लाने थे हर हाल में , जिंदगी टुकडो में बाँट गयी थी मेरी, अब रहना मुझे भी घर में था और बिमला को भी तो नजरे तो आपस में टकराती ही रहती थी पर जब जब वो मुझे देख के व्यंग से हंसती थी मुझे बहुत गुस्सा आता था , न जाने क्या सोच कर पिताजी ने उसके सर पर हाथ रख दिया था
 

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कुछ दिन और गुजर गए ऐसे ही शांति मैडम ने घर आने को कहा था पर मेरे पास टाइम था नहीं तो जा नहीं पाया , गीता ताई से भी बस आँखे चार ही हो रही थी बस पेपर ख़तम हो जाये फिर फ्री ही हो जाना था , तो उस दिन आखिरी पेपर के बाद मैं और नीनू एक पेड़ के नीचे बैठे थे , बाते कर रहे थे
नीनू- अब मैं कल या परसों ही डेल्ही चली जाउंगी फिर तो फाइनल पेपर देने ही आउंगी

मैं- हम्म्म

वो- क्या इतनी देर से बस हाँ , हूँ ही कर रहे हो

मैं- यार मत जा ना

वो- तू समझता क्यों नहीं , मेरा जाना जरुरी है और फिर तू भी तो बोल रहा है ना की तू भी जल्दी ही डेल्ही आ जायेगा तो फिर क्या दिक्कत है हम उधर भी साथ ही रहेंगे

मैं- तुजे सब पता है नीनू, देख कितना मुश्किल टाइम है मेरे लिए अभी परिवार चुनावो में उतर गया है तो वो मेटर भी देखना है ऊपर से बिमला जीत जाये तो भी मेरी दिक्कत बढ़ जाएगी , तू साथ रहती तो काफी हौंसला मिलता , नीनू जब से तुम इस तरह मेरी लाइफ में आई को तुमसे दूर जाने का सोच भी नहीं सकता मैं , दूर होक भी कितनी पास लगती हो तुम , हर पल जब तुम होती हो , जब तुम नहीं होती हो ये तुम्हारा ही तो असर है न मुझ पर जो खुद को इस तरह सुलझा हुआ पाता हूँ मैं

तुम बस एक दोस्त ही नहीं हो बल्कि .............

नीनू- बल्कि ,,,,,,,,,,,,,

मैंने नीनू का हाथ पकड़ा और कहा – नीनू, पता नहीं ये सही समय है या नहीं पर तुमने जबसे जाने की बात कही है मन नहीं लगता है मेरा , मैं तुमसे दूर होके जीने की सोच नहीं सकता , तुम हो तो मैं हूँ , मैं बस तुम्हारे ही साथ रहना चाहता हूँ , नीनू आई लव यू

नीनू- क्या कहा

मैं- हां नीनू , मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ

नीनू- वैसे तुम्हे नहीं लगता की तुम्हारे इस डायलॉग से मैं पकने लगी हूँ अब

मैं- मेरी आँखों में देख जरा, मेरी धडकनों से पूछ जरा , नीनू यही सच है की मैं तुम्हे चाहने लगा हूँ
नीनू कुछ देर तक शांत रही फिर बोली- पर प्यार से पेट तो नहीं भरेगा ना, प्यार से जिंदगी नहीं चलेगी ना , तुम बात को समझो जरा, मैं कौन सा हमेशा के लिए जा रही हूँ, तुम्हे बताया ना, की कांटेक्ट में रहूंगी देखो मेरे पांवो में बेडिया मत बांधो जाने दो ना मुझे

मैं- ठीक है तुम्हे जाना है तो जाओ पर क्या तुम तुम्हारे और मेरे रिश्ते को नाम देकर जाओगी

नीनू ने कुछ पल मेरी आँखों में देखा और फिर अचानक से ही मुझे किस करने लगी .
एक लम्बे किस में बाद नीनू बस इतना बोली- शायद मुझे अब कुछ कहने की जरूरत नहीं है

उसके इकरार करने का भी अंदाज अलग था , कुछ देर तक मेरे सीने से लगी रही वो सुकून सा आ रहा था
पर उसको भी जाना था , मुझसे जुदा होकर तुम्हे दूर जाना है , एक अजीब सी फीलिंग हो रही थी मुझे वो आज इस पल मुझसे रूह की तरह जुडी थी या फिर किसी अजनबी की तरह दूर हो जाने वाली थी , घर आके भी बस मैं ख्यालो में खोया हुआ था आँखों के सामने अचानक से ही कुछ ख्वाब जैसे जी उठे थे दिल पहली बार नहीं धडक रहा था पर कुछ धडकनों के भी भाव बढे हुए थे ,

शाम को हम सारे घरवाले बैठे हुए थे , खाना हो गया था बस बाते चल रही थी मेरे मन में ख्याल चल रही थी की मेरे और नीनू के बारे में घरवालो को बता दू या नहीं , कशमकश जारी थी विचारो की पर फिर जाने दिया की थोडा टाइम और लेता हूँ , वैसे ही तो घर की गाड़ी मुश्किल से पटरी पर आई है क्या पता मेरी बात का कैसा रिएक्शन हो मेरी बात का , पेपर खतम होने से वैसे भी थोड़ी बेफिक्री आ गयी थी सावन का मौसम चल रहा था तो हवा में कुछ तो बात थी ही ,

तो पारिवारिक बातो के बाद, बस सोना ही था तो मैं कमरे में आ गया एक साइड में बेड था मेरा दुसरे साइड में चाची का पलंग था , मैंने रेडियो चलाया काफ़ी दिनों बाद आज बाहर खिड़की में से ठंडी ठंडी हवा आ रही थी जो मेरे मन को महका रही थी , कुछ देर बाद चाची भी आ गयी चाची ने साड़ी चेंज करके एक मैक्सी पहन ली थी काफ़ी दिनों बाद फुर्सत से देखा था उन्हें , तो दिल गुस्ताखी करने लगा मेरा जैसे ही चाची ने कुण्डी लगाई मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया

चाची- क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है चाची पर

मैं- प्यार तो हमेशा ही रहा है , बस जाता आज रहा हूँ

मैं अपने हाथ उनकी गोल मटोल गांड पर फिराने लगा चाची मीठी आहे भरने लगी

वो- छोड़ ना मुझे, थक गयी हूँ नींद आ रही है

मैं- चाची थोड़ी देर रुको ना

मैंने चाची की गालो की पुप्पी ली और फिर होंठो को किस करने लगा चाची भी मेरा साथ देने लगी चाची ने अपने मुह को खोल दिया मैंने अपनी जीभ चाची के मुह में सरका दी वो मेरी जीभ को चूसने लगी मेरे बदन में लहर दोड़ने लगी किस करते करते मैंने उनकी मैक्सी को पीछे से ऊपर किया और उनकी मांसल गांड को मसलने लगा चाची ने बहुत छोटी सी कच्छी पहनी हुई थी जिस कारण चूतडो का बहुत सा हिस्सा बिना ढका हुआ था मेरा लंड तन कर उनकी चूत वाली जगह पर रगड़ खा रहा था


मैंने चाची की मैक्सी को उतार कर फेक दिया सफ़ेद ब्रा में क्या मस्त लग रही थी वो उनकी भारी भारी छातिया मैं चाची को पुरे बदन पर किस करने लगा धीरे धीरे चाची भी गरम होने लगी मैं अपना हाथ पीछे ले गया और ब्रा के हूँको को खोल दिया , गोरे गोरे स्तन देख कर मैं तो पागल ही होने लगा था, मैंने एक चूची को मुह में ले लिया और चाची के निप्पल को चूसने लगा , चाची अपने हाथ को मेरे सीने पर फिराने लगी कमरे का माहौल गरम होने लगा


मैंने चाची को अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर पटक दिया बस एक छोटी सी पेंटी में उनका हिलोरे मारता यौवन मेरे सामने खुला पड़ा था जितना चाहो लूट लो, मैं चाची के ऊपर लेट गया और फिर से उनके बोबो को पीने लगा चाची मस्त होने करीब पंद्रह मिनट तक बस मैं बोबो को चूसता ही रहा जब तक की वो लाल न हो गए थे, चाची की आँन्खो में न जाने कितनी बोतलों का नशा उतर गया था अपना हाल भी कहा उनसे जुदा था मैंने अपने कच्छे को नीचे किया और चाची का हाथ अपने लंड पर रख दिया


चाची मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में दबाने लगी उनके हाथ का अहसास पाकर वो और भी ज्यदा गरम होने लगा मैं चाची की बगल में लेटे हुए उनके रसीले होंठो को पीते हुए उनकी कच्छी के ऊपर से ही गर्म चूत को मसल रहा था फिर मैंने धीरे से कच्छी को भी उनके बदन से अलग कर दिया चाची और मैं दोनों नंगे एक दुसरे से चिपके हुए थे मैंने अपनी ऊँगली चाची की चूत में घुसा दी तो चाची और गरम हो गयी


अब मैं चाची के फुले हुए नरम पेट को चूमने लगा उनकी नाभि में जीभ घुसाने लगा तो चाची सिसकने लगी कामाग्नि उनके रोम रोम को जलाने लगी थी चाची के झांटो पर उंगलिया फिराते हुए बड़ा मजा आ रहा था मुझे उनकी नाभि को चुमते हुए मांसल जांघो को सहला ने में बहुत मजा आ रहा था पर असली मजा तो अभी बाकी थी मैंने धीरे से चाची को लंड चूसने को कहा तो वो अपनी कजरारी आँखों को ततेरते हुए हँसी और फिर बिस्तर पर झुक गयी मैं खड़ा हो गया चाची ने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया


और उसको अपने चेहरे की तरफ ले गयी कुछ देर उसको अपनी नाक से सूंघ उनकी गरम साँसे मेरे लंड पर पड़ने लगी फिर उन्होंने अपने मुह को खोला और मेरे आधे लंड को मुह में डाल लिया , कसम से एक पल में ही पूरा बदन कांप गया मेरा , मेरी टांगे कांप गयी चाची तो इस खेल की माहिर खिलाड़िन थी ये और बात थी की आजकल उनका समय ठीक नहीं था पर फिर भी, चाची बड़ी अदा से मेरे लंड को चूसने लगी मेरी कमर अपने आप हिलने लगी थी

मैं चाची के बालो को सहलाते हुए, जो बार बार उनके चेहरे पर आ जाते थे उनको हटाते हुए अपना लंड चुसवा रहा था पर तभी, नीचे से पिताजी की आवाज आई , मुझे बुला रहे थे अब इतनी रात को क्या पंगा हो गया पिताजी तेज आवाज में मुझे बुला रहे थे लंड का सारा तनाव एक मिनट में गायब हो गया मैंने जल्दी से कपडे पहने और नीचे को भगा ,

पिताजी- बेटा अभी हॉस्पिटल चलना पड़ेगा

मैं- पर हुआ क्या

पिताजी- तू चल तो सही रस्ते में बताता हूँ

मैं पिताजी के साथ घर से बाहर आया तो मैंने देखा की चाचा और ताऊ भी खड़े थे , ताऊ ने कार स्टार्ट की और हम शहर की तरफ चल दिए रस्ते में पता चला की रतिया काका का एक्सीडेंट हो गया था पिताजी ने इतना ही बताया करीब बीस मिनट बाद हम लोग वहा पहूँचे तो लगभग पूरा गाँव ही मोजूद था वहा पर , पता चला की काका रात को वोटो की सेटिंग करके आ रहे थे तभी किसी वाहन ने टक्कर मार दी , मेरा तो दिमाग बुरी तरह से खराब हो गया था

मैं अन्दर गया काका ऑपरेशन थेयटर थे, हालात बहुत खराब हो गए थे , मैंने देखा की एक बेंच पर काकी और मंजू बैठे हुए थे, जैसे ही मंजू ने मुझे देखा उसकी रुलाई छुट पड़ी मेरी आँखों में भी आंसू आ गये मंजू मेरे गले लग कर सुबकने लगी मैं अब कहता भी तो क्या बस आंसू ही थे मेरे पास पर मंजू को समझाना भी तो था मैंने डबडबाई आँखों से काकी की तरफ देखा उनकी आँखों में भी आंसू थे , मैं मंजू को समझाने लगा थोडा पानी वगैरा पिलाया पर जिसका बाप इस हालात में हो वो अब समझे भी तो क्या दिल भर आया था मेरा , मंजू का भाई किसी पत्थर की तरह हो गया था उसको मैं लेके बाहर आया


और समझाया की हम सब, उसके साथ है काका को कुछ नहीं होगा भगवान पर भरोसा रखे तभी नर्स आई उसने बताया की खून की जरुरत होगी काफ़ी लोग खून देने को तैयार हो गए उस दिन मैंने महसूस किया की भाईचारा असल में होता है क्या , दिमाग की हर नस बुरी तरह से भड़क रही थी ऐसे लग रहा था की जैसे दिमाग फट ही ना जाये हर तरफ बस टेंशन ही टेंशन थी ऐसे लग रहा था की जैसे हॉस्पिटल नहीं होके किसी छावनी में तब्दील हो गया हो , डॉक्टर थोड़ी देर बाहर आया कुछ पेपर्स पर ससाइन करने थे , पिताजी ने साइन किये और कहा डॉक्टर जितना पैसा लगे , जो साधन चाहे मंगवा लो पर भाई को कुछ होना नहीं चाहिए
 

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एक एक मिनट भारी हो रही थी , ये रात बड़ी भारी बीत रही थी हम सब पर , सामने जो घडी लगी हुई थी उसके चलने की जो आवाज होती थी ऐसे लगता था की जैसे दिल में कोई भाला घुसेड रहा हो , काकी का रो रो कर बुरा हाल था बार बार बेहोश हो रही थी तो उनको भी एडमिट करना पड़ा मुसीबत दुगनी हो गयी थी ,पर अपना जोर भी तो क्या चलना था बस प्राथना ही कर सकते थे उस नीली छत्री वाले के आगे , बस वो ही था जो हमारी दुआ को कबूल कर सकता था

एक बजा , फिर दो फिर तीन, मेरा दिल बुरी तरह से घबरा रहा था मैं पिताजी के पास गया पिताजी बोले- हौसला रख टाइम बुरा है पर बीत ही जायेगा पर घबरा वो भी गए थे बुरी तरह से , मैं आके मंजू के पास बैठ गया था उसका भाई काकी के पास दुसरे वार्ड में था , मंजू ने मेरा हाथ पकड़ लिया टाइट

मैं- सब ठीक हो जायेगा काका को कुछ नहीं होगा

मंजू बस रोती रही उसका हर आंसू मेरे सीने में तीर की तरह पार हो रहा था करीब पौने चार बजे ओटी का बल्ब बुझा और डॉक्टर बाहर आया हम सब उसकी तरफ भागे , दिल किसी अनजाने डर से बुरी तरह घबरा रहा था माहौल में बहुत ज्यादा टेंशन थी , सबकी सवालिया निगाहें डॉक्टर की तरफ थी


डॉक्टर- पेशेंट की जान तो बच गयी है पर रिकवरी में बहुत टाइम लगेगा करीब महीने भर हॉस्पिटल में रहना पड़ेगा ,ये तो आप सब की दुआए है जो रंग लायी जो जान बच गयी वर्ना ऐसा बहुत ही कम होता है पर एक बात और है

मैं- क्या डॉक्टर

डॉक्टर- इनकी रीढ़ की हड्डी में बहुत चोट लगी है तो इनका चलना बहुत मुश्किल होगा , अभी कुछ बोल नही सकते हमारी फर्स्ट परेफरेंस है की ये सर्वाइव कर जाये , कुछ यूनिट खून और चढ़ाना पड़ेगा आप डोनेट कर दो अभी ये ऑब्जरवेशन में ही रहेंगे


दिल को सुकून सा आया की जान बच गयी है चलना फिरना भी उस ऊपर वाले के हाथ थोड़ी सी टेंशन कम हो गयी थी पर फ़िक्र बनी हुई थी , बहुत ज्यादा थकान महसूस कर रहा था कुछ कुछ नींद आ रही थी पर सो नहीं सकता था सुबह हो गयी थी मैं दो कप चाय लेके आया मंजू को दिया एक कप , एक खुद ले लिया उसके खुबसूरत चेहरे पर आंसुओ की रेखाए बन आई थी , चाय पीने के बाद मैंने मंजू का मुह धुलवाया फिर हम दुसरे वार्ड में काकी को देखने गए काका की खबर के बाद वो भी थोडा ठीक महसूस कर रही थी ,


करीब करीब दोपहर हो गयी थी तो पिताजी ने कहा की घर चले जाओ और मंजू को भी ले जाओ, नहा धोलेगी थोडा बहुत खाना खा लेगी , मंजू रुकना चाहती तो पिताजी ने कहा घर जाओ थोडा आराम कर लेना और फिर मन नहीं माने तो रात को चाचा के साथ आ जाना , तो मैं और मंजू गाँव आ गए , घर पर मम्मी भी टेंशन में थी तो उनको मैंने पूरा हाल बताया , मंजू नहाने चली गयी मैं ऊपर चला गया थका हुआ तो था ही तो नींद आ गयी


करीब ६ बजे मेरी नींद खुली तो मैंने देखा की मम्मी और चाची रसोई में खाना बना रही थी मंजू बैठी थी हमारी आँखे मिली आँखों आँखों में ही मैंने उसका हाल पूछा फिर रसोई में चला गया , मम्मी बोली की तेरे ताउजी को बोल आ की खाना तैयार है वो हॉस्पिटल जाये और कहना की पिताजी हो सके तो रात को घर आ जाये

मैं ताऊ को बोलने गया तो घर पर बिमला ही थी , अब मैं उस से बात करना नहीं चाहता था तो वापिस मुड ही रहा था की वो बोल पड़ी- परेशानी मुझसे है इस घर से नहीं, ये घर तुम्हारा भी है

मैं- ताऊ , आज जाये तो कहना की हॉस्पिटल खाना दे आये बस इतनी बात बतानी थी

मैं बिना उसकी तरफ देखे वापिस घर आ गया और मम्मी को पूरी बात बता दी तो मम्मी बोली की वो और चाची भी हॉस्पिटल जा रही है रात को काकी के पास ही रुकेंगी तो तुम और मंजू इधर ही रह जाना , वैसे भी ये कल से परेशान है और क्या पता तुम्हारे पिताजी भी आ जाये , तो संभाल लेना मंजू तो साथ जाना चाहती थी पर मम्मी ने जोर देकर उसे रुकने को कहा करीब आधा घंटा बाद वो लोग हॉस्पिटल के लिए निकल गए


उनके जाने के बाद मैंने मंजू से कहा की मैं थोड़ी देर में आता हु और सीधा गीता ताई के घर गया ताई अकेली ही थी , पर आज मेरा मन चोदने का नहीं था मैंने ताई को पूरी बात बताई और कहा की क्या आज रात वो हमारे खेत पर सो जाएगी , वो क्या था ना की ताज़ा सब्जिया लगाई हुई थी तो कभी आवारा पशु, खेत में घुसके बाड़ी में घूम जाये तो फसल तो गयी , ताई बोली इसमें कहने की क्या बात है तू टेंशन मत ले मैं देख लुंगी



अब मैं वापिस घर आया फिर मैंने और मंजू ने खाना खाया और बाते करने लगे मैं उसका मूड ठीक करने की पूरी कोशिश कर रहा था तो मैंने उस से ऐसी वैसी बाते करनी शुरू कर दी


मैं- मंजू, बुरा ना माने तो एक बात पूछना चाहता हु

वो- पूछ लो फिर

मैं- पक्का ना बुरा तो नहीं मानेगी ना

वो- तेरा बुरा मान सकती हु क्या

मैं- तेरी सील किसने तोड़ी थी

मंजू- तू क्यों पूछ रहा है, तुझे क्या लेना क्या तू मुझ पर शक कर रहा है

मैं- नहीं यार, बस ऐसे ही जब पहली बार तेरी ली थी तो मैंने सोचा की तू फर्स्ट टाइम करवा रही होगी

मंजू- फर्स्ट टाइम या लास्ट टाइम उस से क्या

मैं- यार, कभी सील पैक चूत देखि नहीं तो बस ऐसे ही

मंजू- मत पूछ ना

मैं – तुझे मेरी कसम अगर तू न बताई तो

मंजू- कसम मत दे

मैं – कसम तो दे दी, अब तूने ना बताई तो मैं मर जाऊंगा

मंजू मेरे होठो पर हाथ रखते हुए बोली खबरदार जो ऐसी बाते की , तू जानना चाहता है न तो तुझे बता रही हु पर किसी और को ये राज़ मत बताना , वो मेरी सबसे पहले ना

मैं- हा

वो- मेरी सबसे पहले मेरे भाई ने ली थी

मंजू ने अपना मुह दूसरी तरफ कर लिया मुझे तो विश्वाश नहिः हुआ पर वो बोल रही थी तो होगा

मैं- शैतान, तू सही है घर की घर में

वो- ऐसी बात नहीं है , बस हो गया

मैं- हो गया , ऐसे ही

वो- अरे, पहले हम भाई बहन पढाई के लिए एक ही कमरे में सोते थे न एक बेड पर तो एक बार सर्दियों का मौसम था तो हो गया फिर अच्छा लगने लगा , और तुझे तो पता ही हैं ना की एक बार शर्म जो खुल गयी तो फिर खुल ही गयी


मैं मंजू की जांघो पर हाथ रखते हुए बोला- यार , अगर घर में किसी को पता चल गया तो

वो- किसी को कुछ नहीं पता चलता वैसे भी भाई बहन पर कौन शक करता है

मैं- तभी पूरी एडवांटेज ले रही है , तेरा सही है हर रात लंड लेके सोती है

वो- कहा हर रात , पर भी की काम चलता रहता है

मैं उसकी जाघो को और तेजी से दबाते हुए- बस तू मेरे काम को ही नहीं चलाती है

मंजू- तुझे कभी मना करती हु क्या जब जब मौका मिलता है तो देती हु ही

मैं- मौका तो आज रात भी है

मंजू- पर तुझे तो पता ही है कितनी टेंशन में हु मैं

मैं- पगली, सेक्स से अच्छा क्या होगा टेंशन पल में गायब हो जाएगी , पर मैं तुझे फाॅर्स नहीं करूँगा चल फिर सोने चलते है

तो मैं और मंजू छत पर आ गए हमने पास पास ही अपना बिस्तर लगाया हुआ था थोड़ी देर बाद मैंने पुछा- सो गयी क्या

वो- नींद नहीं आ रही है

मैं- मुझे भी

मंजू-मेरे पास सरक का

मैं मंजू के बिस्तर पर चला गया तो उसने मेरा हाथ पकड लिया और अपने पेट पर रख दिया मैं उसकी नाभि से छेड़खानी करने लगा

मंजू-तूने किसी से प्यार किया है

मैं – हां ,

वो- किस से

मैं- ये मत पूछ

वो- मैंने भी तो तुझे बताया न तू भी बता दे

मैं- नीनू से

वो- सच में, मुझे तो पहले ही लगा था तेरा और उसका चक्कर चल रहा है

मैं- चक्कर क्या, अभी दो दिन पहले तो इकरार-इज़हार हुआ है

वो- तूने उसकी भी ले ली क्या

मैं- ना उस से ऐसा रिश्ता नहीं है

वो- हां, तू तो मेरी गांड मार ले बस मैं ही हु फ्री में

मैं- तू दोस्त है अपनी यार,

वो- क्या तू उस से शादी करेगा

मैं- सोचा तो है

वो- घरवालो को बताया

मैं- सोच रहा हूँ , कोई अच्छा सा मौका देख कर बता दूंगा

वो- तेरा मामला तो सेट है

मैं- ऐसा नहीं है यार , जो मैं जीता हु वो बहुत मुशिकल है

वो सबको ऐसा ही लगता है
 

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मैंने हाथ को ऊपर सरका कर बोबो पर पंहुचा दिया और उसको सहलाने लगा हलके से दबाने लगा मंजू थोडा सा मेरी तरफ पीछे को हो गयी

मैं- मेरी जिंदगी में तू है , पिस्ता है ,नीनू है तुम तीनो मेरे लिए बहुत महत्त्व रखती हो पर एक ना क दिन सबक साथ छुट ही जाना है

वो- पर दोस्ती तो सदा रहती ना

मैं- अब मैं क्या जणू, सासरे जाने के बाद क्या पता मुलाक़ात हो ना हो

वो- वो सब छोड़ ये बता पिस्ता को पेल दिया तूने

मैं- मैंने तो तुझे भी पेल दिया है

वो- मतलब ले ली है

मैं- तू हर टाइम उसकी बात क्यों करती है

वो- ऐसे ही , मैं सोचती हु की तू उस जैसी चालू लड़की के चक्कर में आया कैसे

मैं-वो मेरी दोस्त है यार ऐसे मत बोल

वो- ठीक है

मंजू की गांड बिलकुल मेरे लंड से सटी हुई थी तो मेरा लंड खड़ा हो गया मैं उसके बोबो को मसलने के लिए उसकी कुर्ती को ऊपर कर दिया और ब्रा को खोल दिया


मंजू- करके ही मानेगा क्या

मैं- इरादा तो है

मंजू- ठीक है फिर

उसने अपनी सलवार को कच्छी समेत उतार दिया और अपना मुह मेरी तरफ कर लिया मैं उसकी कमर को सहलाते हुए उसे किस करने लगा मंजू ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको भीचने लगी किस करते करते ही मैंने उसकी चड्डी में हाथ दे दिया और उसकी बिना बालो की चूत से खेलने लगा , जब जब मेरी उंगलिया उसके दाने को छूती मंजू अपनी टांगो को टाइट कर लेती कुछ देर बाद उसकी कच्छी साइड में पड़ी थी


मंजू अब मेरे लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर रगड़ रही थी और फिर बिना देर किये मैंने उसको अपने निचे लिया और उसकी टांगो को खोल दिया अँधेरी रात में छत पर आज मंजू को जी भरके चोदने वाला था मैं , एक तकिया उसके कुलहो के नीचे लगाया और अपने लंड को टिका दिया उसकी मुनिया पर पहले ही घस्से में आधा लंड चूत में उतार दिया मैंने और फिर उस पर छाता चला गया दो जवान जिस्म एक हुए तो फिर बिस्तर पर हलचल मचने लगी बिना किसी जल्दबाजी के धीरे धीरे घस्से लगाते हुए मैं उसके जिस्म का मजा ले रहा था

मंजू ने अपने चूतडो को ऊपर कर दिया था और आहे भरते हुए मेरे लंड को चूत में ले रही थी , होंठो में होठ, बाहो में बाहे मंजू और मैं शारीरिक सुख को पाने की कोशिश कर रहे थे ,धीरे धीरे मेरे धक्को की रफ़्तार बढ़ने लगी और उसकी कामुकता , बिस्तर की चादर पर पड़ी सिलवटे हमारी कहानी को ब्यान कर रही थी मंजू अब खुल के गांड को ऊपर उठा उठा कर चुद रही थी , मैं उसको अपनी बाहों में समेटे हुए अपने साथ मंजिल की तरफ ले कर चल रहा था , चुदाई का एक दौर अब थमने को था करीब बीस मिनट बाद मैंने उसकी चूत को अपने पानी से सींच दिया और उस पर ही ढह गया , उस रात एक बार और ली मैंने उसकी...........

सुबह करीब दस बजे मैं और मंजू हॉस्पिटल पहुच गए , काका को अभी तक होश नहीं आया था पर हालत ठीक थी ये भी अच्छी बात थी शाम तक मैं हॉस्पिटल में रहा फिर वापिस गाँव आ गया पिताजी के साथ, इधर चुनाव अब जोर पकड़ने लगा था चाचा तो बिमला का दीवाना था ही इसलिए वो तो पूरा जोर लगाये हुए था, सारे तरीके लगाये जा रहे थे , कुछ वादों से, कुछ बातो से तो कुछ दारु बाँट कर गाँव में मेरे परिवार का मेल मिलाप भी ठीक था तो पलड़ा झुका सा लग रहा था बिमला के पक्ष में

और बस यही बात मुझे खटक रही थी ,रतिया काका का एक्सीडेंट गलत टाइम पर हो गया था दूकान अब बंद थी और वो अपना अड्डा था, उधर से भी सप्लाई होती थी और वो वोट भी खीच रहे थे मैं लाख कोशिश के बाद भी मैं खुद को चुनाव से दूर रख नहीं पा रहा था , जबकि पिताजी के पूरी कोशिश थी की मैं इन पचड़ो से दूर रहू , उस शाम चाचा दारू बांटने गया हुआ था तो दूसरी पार्टी वालो के साथ कुछ बोल चाल हो गयी , मुझे पता चला तो दिमाग खराब हो गया

अब चाचा जैसा भी था कोई दूसरा तो कैसे कुछ बोल सकता था मेरा दिमाग सरक गया , रात को मैं अपने दोस्तों के साथ मंदिर की सीढियों पर बैठा था तो दूसरी पार्टी का वो ही लड़का जिसने चाचा के साथ बदतमीजी की थी वो भी आ निकला , मेरा तो वैसे ही दिमाग ख़राब था ऊपर से वो भी अकड़ में था वो लड़का जिसे गाँव में लादेन कहते थे

लादेन- ओह देखो रे, अभी से इनको हार का डर लगने लगा कैसे भगवान् के पांवो में पड़े है

मैं- तू अपना काम कर ,निकल यहाँ से

लादेन- हां निकलना तो है ही जैसे तेरा चाचा निकला था दुम दबा के बोलती ही बंद हो गयी थी उसकी
मैं- देख, वोट वोट की जगह है , तू हद में रह माहौल बिगाड़ने की कोशिस मत कर

लादेन- मैं तो जो मर्ज़ी करूँगा , ये कहने के साथ उसने मुझे गाली दी और मेरा कोल्लोर पकड़ लिया
बस , एक तो मेरा दिमाग ख़राब था ही ऊपर से उसने जो गाली दी वो मुझे चुभ गयी मैंने एक लात उसके घुटनों के बीच मारी और भाई की सारी हेकड़ी बाहर आ गयी, उबकाई लेता हुआ जो गिरा वो जमीं पर मैंने उसकी हॉकी उठाई और जो चार पांच पंटर थे उनको पेलना शुरू किया तो मेरे दोस्त भी शुरू हो गए दे दबा दब सालो की रेल बनायीं कुछ भाग गए कुछ अधमरे हो गए लादेन को मैंने उठाया और बोला- हां , तो क्या कह रहा था तू अब बोल

तो वो भाई भाई करने लगा पर मेरा दिमाग आउट हो गया था मैंने अपने दोस्त से रस्सी मंगवाई और साले को मंदिर के सामने वाले पेड़ से बाँध दिया , और बोला बेटा जा जिनके दम पर तू उछल रहा था ना बुला ले उनको माँ चुदाय वोट, अब बात जरा दूसरी टाइप से होगी , मैंने हॉकी जो घुमा कर लादेन के घुटने पर दी तो उसकी चीख वातावरण में गूंजती चली गयी , अब झगडा हुआ तो गाँव में बात फ़ैल गयी मिनटों में तो दोनों पक्षों के लोग आ गये बीच बचाव करने लगे

पर जो औरत बिमला की टक्कर में खड़ी थी उसका देवर जो की मेरी ही उम्र का था ज्यादा उचल रहा था तो मैंने दो चार उसके धर दिए बात और बिगड़ गयी , अब हम साला नए नए जवान हुए थे खून गरम था जोश था जवानी का एक बार जो शुरू हुए तो रुक ना पाए , ऊपर से बात बिगड़ी तो दोनों तरफ से लट्ठ तन गए , पुलिस आ गयी गाँव का माहौल खिंच गया , गाँव के कुछ मौज़िज़ लोगो ने बात को संभाला मैंने भरी पंचायत में में ऐलान कर दिया की अगर किसी ने भी मेरे परिवार को कुछ कहा तो ठीक नहीं रहेगा बात समझ में आये या नहीं

लड़ाई झगडे में आधी रात घुल गयी थी , जब हम घर आये तो मेरा दिमाग गुस्से से भनभना रहा था ऊपर से पिताजी ने मुझे जम कर बाते सुनाई , पर हां अब इतना तय हो गया था की ये चुनाव अब एक तूफ़ान लेकर आया था , सुबह मैं थोड़ी देर से उठा घर पर कोई नहीं था , मैं बाहर चबूतरे पर बैठा दातुन कर रहा था की पिस्ता आई

पिस्ता मेरे घर जरुर कोई बात तो थी ही, उसने मुझे इशारा किया और आगे को बढ़ गयी मैं भी पीछे हो लिया थोडा आगे जाकर बस उजाड़ सा था तो वहा पर हमने बाते शुरू की

पिस्ता- मैंने सुना कल रात तूने मार पिटाई करी

मैं- हो गयी ऐसे ही दिमाग ख़राब , हुआ पड़ा था तो कुछ ज्यादा ही हो पाया

पिस्ता- देख, मेरी एक बात को अच्छे से समझ ले वोट तो दो दिन के है, खींचा तान होगी पर आराम से हो जाये तो ठीक होगा, हर ज़ख्म भर जाता है पर वोटो की रंजिश नहीं भूली जाती है ,


मैं- तू टेंशन ना ले , कुछ नहीं होगा

वो- टेंशन नहीं ले रही हु बस तुझे समझ रही हु की किसी से भी दुश्मनी ठीक नहीं है प्यारे

मैं- चल ये सब छोड़ और बता

वो- बताना क्या है , तुझे तो सब पता ही है ना परसों लड़के वाले आ रहे है फोटो तो पसंद आ गयी थी उनको क्या पता अब सगाई ही हो जाये

पिस्ता के रिश्ते की बात सुनते ही मेरा दिमाग ख़राब होने लगता था पर उसकी अपनी निजी जिन्दगी भी तो बस .......

मैं- ये तो अच्छी खबर है , सगाई के बाद तो तू बस कुछ दिन की ही मेहमान रहेगी यहाँ पर

पिस्ता- हम्म्म , कुछ दिन रहू या एक इन भी नहीं रहू पर तेरे साथ हमेशा रहूंगी, खयालो में यादो में , मेरा जिस्म ही तो जायेगा पर अपनी यादे दे कर जाउंगी तुझे , याद आती रहूंगी तुझे

और वैसे भी हम कहा इस दुनिया के बंधन में बंधे है , मैं तू हु तू मैं हु अपना किसी ने क्या बांटा है

मेरा दिल तो चाह रहा था की दिलरुबा को बाहों में भर लू पर नजाकत इस बात की इजाजत दे नहीं रही थी हाँ पर पिस्ता को देख कर दिल को इतना अहसास था की कोई अपना है जो अपनी फ़िक्र करता है , कोई है जो दुआ में मुझे भी याद करता है , दरअसल बस कुछ फीलिंग्स ही होती है जो हमे टच कर जाती है बाकि सब तो बस टाइम पास करने वाली बात होती है

पिस्ता से मिलके दिल जैसे झूम सा उठा था पर इस बात का अहसास भी था की अब वो जल्दी ही मुझे छोड़ कर चली जाएगी पर यही तो जिंदगी होती है , अपनी मर्ज़ी से कोई कैसे जी सकता है बस जिंदगी है जो कथ्पुतिली की तरह कभी इधर कभी उधर करती रहती है बस अपनी अपनी हकीकत है अपने अपने फ़साने है

पता नहीं दिल में ये सुकून सा था या कोई पुराना दर्द फिर से उभर आया था जैसे कोई अपना दूर जा रहा हो जैसे कुछ छुट रहा हो, दिल में दर्द सा होने लगा था मेरी वो बेचैनी फिर से आज मेरे साथ थी मैं वापिस घर आया पर घर भी खाली था कोई था नहीं तो क्या करू, भरी दोपहर का टाइम काश पिस्ता थोड़ी देर और रुक जाती तो दो चार बाते और कर लेता पर बातो का क्या जितनी करो उतना थोडा , फिर सोचा गीता ताई से मिल आऊ, तो उनके घर की तरफ चल दिया फिर ध्यान आया की ताऊ भी होगा वहा फिर कुछ सोच कर एक बोतल दारू की ली और पहुच गया उनके घर


ताऊ सामने ही खाट पर बैठा था ताई नहाने की बाल्टी लेकर बाथरूम की तरफ जा रही थी अब चोरी तो चोरी ही होती है ताऊ के सामने ताई मुझे देख कर थोडा सा ठीक फील नहीं कर रही थी पर मैं मुस्कुराते हुए ताऊ के पास बैठ गया और बात चीत करने लगा ताई ने मुझे पानी का गिलास पकडाया तो उनकी उंगलियों को दबा दिया मैंने तो ताई थोडा सा हडबडा गयी , ताऊ से थोड़ी बहुत बात चित करके मैंने चुपके से बोतल ताऊ के तकिये के निचे रख दी वो खुश हो गया


और ताऊ अन्दर चला गया शायद गिलास लाने को

ताई- अभी क्यों आया है

मैं- बस दिल कर रहा था तो आ गया

वो- अभी जा, तेरा ताऊ घर है

मैं- उसको बोतल दी ना वो फिट हो जायेगा थोड़ी देर में

ताई- तू मरवाएगा मुझे

मैं- अभी तो मारनी है आपकी, मैंने आँख मारी ताई को


तभी ताऊ आ गया तो ताई ने तौलिया लिया और अपनी गांड को मटकाते हुए बाथरूम की तरफ चली गयी कसम से ताई की गांड को देख कर ही तो मर मिटा था मैं उस पर लंड बुरी तरह से फडफडा रहा था उसे बस गीता की चूत चाहिए थी, जब से गीता ताई से नाता जुड़ा था , तब से और किसी को चोदने में मजा आता ही नहीं था , इधर ताऊ पेग लगाते हुए मुझसे बात करने लगा जबकि मैं मौका देख रहा था की किसी तरह से बाथरूम में घुस जाऊ और ताई की चूत में लंड घुसा दू , पर ताऊ साला पूरा नशेडी , मैंने सोचा था की फ़ैल हो जायेगा पर आज तक़दीर में चूत थी ही नहीं तो कई देर तक बैठने के बाद मैं वापिस घर आ गया सोचा की मुठ मार लू पर जिसको चूत का स्वाद मुह लगा हो उसको मुठ मारने से चैन कैसे मिले , शाम को मैं अपने दोस्तों के साथ गाँव की चौपाल पर बैठा हुआ था तो मित्र मण्डली के एक सदस्य ने सुझाव दिया की क्यों ना गाँव में एक रागनी का प्रोग्राम करवाया जाये, वैसे भी मीठी ग्यारस को गाँव में मीठा पानी पीने का प्रोग्राम तो होता ही था तो ये तय कर लिया की उसी रात को रागनी प्रोग्राम करवाया जाये


पर इसमें पैसा बहुत लगने वाला था तो मैंने सुझाव दिया की गाँव में दो कैंडिडेट है सरपंची के दोनों की पर्ची काट दो और दोनों को अतिथि के रूप में बुला लो , तो सबको बात जंच गयी मैंने कहा आप लोग रात को घर आ जाना , वैसे भी मेरी बड़ी इच्छा रहती थी की गाँव में जब भी कोई प्रोग्राम हो तो देखने जाऊ, किसी के यहाँ विडियो आता या कोई भजन मण्डली पर पिताजी बहुत कण्ट्रोल करते थे पर अब चुनावी मौसम था तो अपना काम भी हो जाना था इसी बहाने से


रात को चाचा ने 31हज़ार की पर्ची कटवाई तो मैंने चाची से कहा देख लो थारे कसम की करतुते
तो चाची ताना मारते हुए बोली- देख रही हु, परायी नारी के लिए जो प्यार उमड़ रहा है कर लेने दे जो करना है वैसे भी छह महीने में तलाक हो जाना ही है , फिर ये कही भी मुह मारे मुझे क्या


मैं चाची के मन को खूब समझता था तो मैंने कहा – आज रात चाचा के पास जाओ क्या पता बुरा समय बीत ही जाये


चाची- भाड़ में जाए वो , मुझे उसकी कोई परवाह नहीं है बिमला के साथ ही सोये वो जाके मैं खुश हु
तभी मम्मी आ गयी तो हम लोग चुप हो गए , रात को अक्सर देर तक मीटिंग होती थी वोटो की हर एक वोट को अपनी तरफ खीचने की पूरी सेटिंग हो रही थी , सब लोगो ने पूरी तयारी कर ली थी बिमला को जिताने की पर मेरी गांड बहुत जलती थी पर मज़बूरी ये थी की अगर वो हार जाती है तो परिवार की हार होती तो मैं बीच मंझधार में फंसा हुआ था , पैसा पानी की तरह बह रहा था किसी को नकद किसी को दारू तो किसी को ठंडा , सब अपने अपने विचारो में डूबे थे जबकि पिताजी को ये सवाल सता रहा था की रतिया काका को किसने टक्कर मारी क्योंकि खूब ढूंढें पर वो साधन नहीं मारा था जबकि डॉक्टर के अनुसार किसी बड़ी गाडी ने टक्कर मारी थी


अब सवाल भी जायज था , रतिया काका पिताजी के बचपन के दोस्त जो रह गए और ऊपर से वो चुनाव में पैसा भी लगा रहे थे और वोटो की सेटिंग भी कर रहे थे पर अब एक्सीडेंट चूँकि मेन रोड पे हुआ था तो मैं ये सोच रहा था की किसी ने टक्कर मारी और फिर घबरा के भाग गया तो सब लोग अपने अपने तरीके से संभावना ही ढूंढ रहे थे , रात वैसे तो काफी हो गयी थी करीब 11 बज गए थे , मैं सोने की तयारी कर ही रहा था की गीता ताई का पति आ निकला, अब पियक्कड़ो की तो ऐसे सीजन में मौज ही मौज होती है , पहले से ही वो टुन्न था तो पिताजी ने कहा की इसको एक बोतल दे कर रवाना कर देना तो मैंने कहा की मैं कुवे पर जा रहा हु इसको छोड़ता हुआ जाऊंगा वर्ना पड़ जायेगा कही पर टुन्न होके



मैं दो बोतल लेकर आया एक ताऊ को दी और एक अपने तौलिये में लपेट ली और घर से बाहर आ गए ताऊ ने ढक्कन खोला और एक सांस में ही दारू को गटकने लगा

मैं- ताऊ , आराम से पानी ला देता हु सुखी ही खीच रहा है

ताऊ-अरे बेटा क्या सूखी, क्या गीली

ताऊ ने बोतल बंद की और हम साथ साथ चलने लगे कुछ दूर चलके हम एक पीपल के पेड़ के निचे बैठ गए और बाते करने लगे

मैं- ताऊ, पीते बहुत हो आप , मेरी ताई दिन रात मेहनत करती है और आप पीने से रुकते ही नहीं
ताऊ कुछ नहीं बोला बल्कि एक दो घूँट और लगा ली

मैं- ताऊ , क्या कोई गम है जो इतना पीते हो

ताऊ कुछ नहीं बोला तो मैं समझ गया की कुछ तो दिक्कत है इस बन्दे को मैंने ताऊ का हाथ पकड़ा और बोला- ताऊ मैं भी तेरा ही बेटा हु ना, कोई परेशानी है तो मुझे बता सकते हो


ताऊ की आँखों में पानी आ गया और वो बोला- बेटे, ऐसे ही नहीं पीता हु , सब लोग मेरे को नाकारा समझते है और मैं हु भी नाकारा, मुझे ना फौज की नोकरी मिल गयी थी पर मैं छोड़ कर भाग आया , कुछ छोटा मोटा काम धंधा किया पर सब फ़ैल हो गया फिर दारु की लत लग गयी


मैं- और आपकी लत के कारण जो घर बर्बाद हो रहा है उसका क्या

ताऊ कुछ नहीं बोला

मैं- कुछ काम धंधा फिर से शुरू कर लो


ताऊ- मुझे काम कौन देगा

मैं- ताऊ अगर दारू को छोड़ दो तो हज़ार काम है , देखो अपनी ओर जरा कितनी बदबू आती है तुमसे, दाढ़ी बढ़ी हुई है , सब लोग बस आपको फ़ालतू आदमी समझते है , हर कोई कुछ भी बोलके जाता है , अपना नहीं तो कम से कम ताई के बारे में सोचो , बस पीके पड़ जाते हो कभी देखा है घर में क्या सामान है क्या नहीं है , ताई को क्या जरुरत है , आटा है घर में , और कुछ है


ताऊ ने गर्दन झुका ली,


मैं- नज़र नीचे मत करो ताऊ, आप बड़े हो मुझसे बड़े लोग बच्चो के सामने नजर नहीं झुकाते कब तक ये जिल्लत की जिंदगी जियोगे , एक दिन मर जाओगे चार लोग फूंक आयेगे और कहेंगे अच्छा हुआ बेवडा मर गया , जियो तो ऐसे जियो दो लोग याद करे तुमको

ताऊ- बात तो सही है

मैं- सही है तो छोड़ दो दारु को

ताऊ ने कुछ जवाब नहीं दिया

मैं- क्या हुआ ताऊ,

वो- कुछ नहीं बेटा, तेरी बात मुझे समझ में आ गयी है तू देखना मैं अब काम करूँगा और गाँव बस्ती में अपनी खोयी हुई इज्जत को वापिस पाउँगा

मैं- ये हुई ना बात,

ताऊ- कल से दारू को तौबा बस ये मेरा लास्ट पेग होगा

मैं-० ताऊ मैं कोशिश करूँगा तुम्हारे लिए कुछ काम तलाशने की

ताऊ- हां, अब मैं काम करूँगा हिच्च बस ये बोतल जिंदगी की आखिरी बोतल होगी

मुझे वैसे उस से कोई उम्मीद थी नहीं पर एक आस तो सही , वैसे भी गीता ताई ने बहुत झेला था इसको
करीब बारह बजने को आये थे ताऊ ने डेढ़ बोतल से ज्यादा टिका ली थी और कुछ का कुछ बोल रहा था नशे में झूम रहा था तो मैंने कहा चल ताऊ तुझे घर छोड़ देता हु मुझे भी नींद आ रही है तो ताऊ ने बची दारू भी टिका ली और डगमगाते हुए कदमो से मेरे सहारे घर को चल पड़ा , ताई अभी तक जाग ही रही थी मैंने जाने ताऊ को बिस्तर पर पटक दिया , वो थोड़ी देर बाद ही सो गया ताई थोड़ी परेशानी में लग रही थी तो मैंने उनका हाथ पकड़ा और बस इतना ही कहा – बुरा समय है छंट जाएगा तो ताई हलकी सी मुस्कुरा दी पर उनके मन के दर्द को महसूस कर लिया था मैंने

मैं और ताई कमरे से बाहर आ गए

मैं- ताऊ कह रहा था कल से दारू को छोड़ दूंगा

वो- उम्र बीत गयी मेरी सुनते हुए

मैं- देखो क्या होता है कल क्या पता छोड़ दे

ताई- वो सब छोड़ दिन में बड़ा उतावला हो रहा था कही तेरे ताऊ को शक हो जाता तो

मैं- तो क्या, जो काम ताऊ नहीं करता वो कोई ना कोई तो करेगा ना

ताई- अच्छा

मैं- कहो तो अभी शुरू हो जाऊ, अब तो मौका भी है

ताई- कही जाग ना जाये

मैं- मेरे साथ कुवे पर चलो, मस्त मजा करेंगे सुबह अँधेरे वापिस आ जाना वैसे भी इतना नशा है इस पर दोपहर को ही उठे गा

ताई- उधर तो नहीं चल सकुंगी , इधर ही आजा

मैं- चल ना ताई, कुवे पर पूरा मजा आएगा वैसे भी ऐसे मौके कम ही मिलते है

ताई- तू समझा कर मैं वादा करती हु की फिर कभी पक्का चलूंगी तेरे साथ तू आज इधर ही कर ले

मैं- ठीक है मेरी जानेमन

ताई- दो मिनट रुक मैं अभी इंतजाम कर लेती हु

ताई ने गैलरी में फोल्डिंग लगा दी मेन गेट के पास और ताऊ के कमरे की कुण्डी लगा दी बाहर से और पुरे घर की लाइट बुझा दी चारो तरफ गहन सन्नाटा पसर गया मैंने ताई को गोद में उठाया और फोल्डिंग पर लिटा दिया ताई अपने हाथो से मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी , एक उमरदराज औरत में कितनी आग होती है ये हर कोई नहीं समझ सकता मैंने जल्दी से अपनी पेंट भी उतार दी और नंगा हो गया , अब गीता की बारी थी

उसने अपने हाथ ऊपर किये और कुरते को उतार दिया अगले ही पल सलवार भी उसके जिस्म से जुदा हो गयी ताई ने ब्रा नहीं पहनी हुई तो बस एक कच्छी ही थी और मैं नंगा मैंने ताई को गोद में लिया और उसके गालो को चुमते हुए अपना हाथ चूत पर घुमाने लगा ताई मेरे लंड को अपनी जांघो में दबाये हलकी हलकी सिसकिया भरने लगी चूत वाला हिस्सा इतना गीला हो रहा था की मेरा हाथ भीग गया ताई थोड़ी सी ऊपर हुई और कच्छी को भी उतरवा लिया अब वो नंगी मेरी गोद में बैठी थी

मैं ताई की गर्दन को चूमने लगा ताई कामुकता की आग में जलने लगी अब ताई मेरी जांघ पर सरक आई और मेरे लंड को हिलाते हुए अपने होंठो को मुझे पिला रही थी , आँगन के किनारे से ठंडी हवा जो हमारे जिस्मो को लग रही थी फुल मजा आ रहा था मैं अहिस्ता अहिस्ता से उनके होंठो का रस निचोड़ रहा था , ताई ने मुझे धक्का दिया और मेरे ऊपर चढ़ के मेरे सीने पर किस करने लगी निचे वो मेरे लंड को अपनी चूत पर रगड़ रही थी मेरे सुपाडे पर उनकी रसभरी चूत के पानी पड़ रहा था


सीने को चुमते चुमते ताई मेरे लंड पर बैठ ने लगी मैंने ताई की चोटी को खोल दिया कमर से नीचे तक आते उनके बाल, कुछ तो बात थी गीता में जो उसको देखते ही मैं बेकाबू होकर उसके हुस्न के सागर में डुबकी लगाने को हर दम तैयार रहता था ताई की चूत ने मेरे पुरे लंड को अपने अन्दर लील लिया था , चूत का छल्ला लंड पर बुरी तरह से कसा हुआ था गीता थोड़ी सी ऊपर को उचकी अपने चूतडो को सेट किया और फिर धीरे धीरे मेरे लंड पर ऊपर निचे होने लगी .

उफ्फ्फ ताई की चूत की गर्मी मेरे लंड को पिघलने लगी थी उस खामोश रात में हमारी गरम साँसे महक उठी थी ताई मेरे सीने पर अपने दोनों हाथ रखे अपनी मोती गांड को मेरे लंड पर उछाल रही थी मैं उनके नरम मांस से भरे चूतडो को सहला रहा था दबा रहा था ताई धीमी धीमी मस्ती से भरी आवाज निकालते हुए मेरे लंड पर कूद रही थी उनके कुल्हो की थाप धीरे धीरे बढती जा रही थी सावन के मौसम में खुले आँगन में चूत मारने का मजा ही कुछ और है उफ्फ्फ्फ़ ताई कितनी गरम औरत है तू

थोड़ी देर बाद ताई मेरे ऊपर से उतर कर साइड में लेट गयी मैं उस से चिपक गया और ताई के बोबो से छेड़खानी करने लगा ताई ने अपनी गांड को मेरी तरफ किया और अपनी एक टांग को ऊपर उठा लिया और मेरे लंड को अपने हाथ से चूत के मुहाने पर सेट करने लगी, मैं समझ गया ताई इस पोजीशन में चुदना चाहती है तो मैंने एक धक्का लगाया और मेरा लंड चूत में मुह को फैलाते हुए अन्दर को जाने लगा ताई ने अपनी दोनों टांगो को कस लिया आपस में मैं उनके पेट को थोडा सहलाया फिर उनकी बांयी चूची को अपनी मुट्ठी में भर लिया

और ताई को फिर से चोदना शुरू कर दिया , गीता के मुलायम चूतडो को छूता हुआ मेरा लंड चूत में अन्दर बाहर हो रहा था , तभी हलकी हलकी सी बरसात शुरू हो गयी तो चुदाई करने में और मजा आने लगा गीता ताई किसी नागिन की तरह बल खा रही थी बिस्तर पर , कई देर तक हम लोग वैसे ही लगे रहे ताई जब बार बार अपने चूतडो को पीछे करती तो कसम से मजा आ जाता , अब मैं ताई के ऊपर आ गया ताई ने अपनी टाँगे मेरी कमर पर जोड़ ली और फिर से धक्कम पेल शुरू हो गयी , फोल्डिंग च्र्र्र चर्र करने लगा था पर हम दोनों अपनी हसरतो को हकीकत बनाने में लगे हुए थे,


ताई की नरम छातिया मेरे सीने के निचे दबी हुई थी ताई मेरी जीभ को चूसते हुए मेरे लंड को चूत में झेल रही थी पल पल ताई के झटके बढ़ते जा रही थी फिर ताई ने अपनी बाहों में मुझे कस लिया और लम्बी लम्बी साँसे लेटे हुए ढह गयी, ताई का पानी छुट गया था पर अपना हथियार अभी तक खड़ा था मैंने ताई को बिस्तर पर पलट दिया अब ताई के चुतड मेरी निगाहों के सामने थे मैंने गांड पर थूका और उसको छेद पर अच्छे से मल दिया चूत के रस से सने हुए लंड को ज्योही मैंने गांड पर लगाया तो ताई बोली- मत कर दर्द होगा


मैं- मेरी जान तू रोका मत कर, वैसे ही तू इतनी हॉट आइटम है बस मुझे जी भर कर तेरे हुस्न को पीने दे,
ताई को भी पता था की मैं मानने वाला तो हु नहीं तो ताई ने अपने चुतड ढीले कर दिए और मेरा लंड गांड के बुलंद दरवाजे को खोलता हुआ अन्दर जाने लगा , ताई को दर्द तो हो रहा था पर वो चिल्ला भी तो नहीं सकती थी धीरे से मैंने पूरा लंड उनकी गांड में घुसेड दिया और ताई की गांड मारने लगा थोड़ी देर बाद ताई भी मस्ती से गांड मरवाने लगी , हालाँकि उनकी आवाज कुछ तेज हो गयी थी पर मजा पूरा ले रही थी

मैं- आवाज क्यों करती हो

वो- गांड में मुसल घुसा हुआ है आवाज भी ना करू

मैं- ताऊ जाग गया तो फिर दो दो लंड लेने पड़ेंगे तुझे

ताई- बारिश आ रही है वैसे भी कमरा दूर है तू लगा रह मेरी गांड फाड़ दे

मैं- मेरी जान फाडनी थोड़ी है मारनी है प्यार से , उफ्फ्फ कितनी मस्त गांड है तेरी मेरी जानेमन दिल करता है की लंड बस घुसाए रखु

ताई- मेरा मन भी करता है की बस दिन रात तेरे लंड पर ही झूलती रहू, तेरे ताऊ ने तो बरसो पहले मेरी तरफ देखना बंद कर दिया था , अब सारी कसर तुझे भी पूरी करनी है

मैं तेज तेज चोदते हुए, मेरी जान चिंता मत कर मेरा लंड बस तेरे लिए ही हैं तेरे हुस्न का मैं एक लौता हक़दार हु मेरी जान

फिर हम दोनों खामोश हो गए बस गांड में लंड अन्दर होने की पुच पुच की ही आवाज आती रही करीब पंद्रह मिनट तक ताई की गांड मारने के बाद मैंने अपने पानी गांड में ही छोड़ दिया

कुछ देर लेटे रहने के बाद मुझे पेशाब आया तो मैं वाही आँगन में मूतने लगा मूत के आया तो देखा ताई अपनी गांड को साफ़ कर रही थी मैं फिर से लेट गया ताई मेरे सीने पर अपना सर रख कर लेट गयी
मैं- कितना मजा आता है मेरा लंड लेके

ताई- बहुत ज्यादा

मैं- तो फिर दिन में क्यों नहीं दी

ताई- तेरे ताऊ को पता चला जाता तो

मैं- मजा तो तभी आएगा जब ताऊ के सामने तेरी लूँगा

ताई- बड़ा बदमाश हो गया है तू

मैं- सच ताई जब से उस दिन तेरी मटकती गांड पर मेरी निगाह गयी थी तभी सोच लिया था की तेरी लेनी है कुछ भी करके , ताई तू बस मेरी बनके रहना

ताई- मैं तो अब तेरी ही हो गयी हु मेरे राजा जी

मैं- लंड को मुट्ठी में ले ना

तो ताई मेरे लंड से खेलने लगी ताई के गरम हाथो का अहसास पाते ही वो तनने लगा

मैं- ताई, ताऊ और मेरे आलावा किसी और से चुदी है तू

ताई- ना बस तुम दोनों से ही

मैं- किसी और से ना चुदी तभी इतनी गरम है तू

ताई मेरे लंड को भीचते हुए- मैं क्या कोई रंडी हु जो सबके निचे लेटी रहू

मैं- ना, मैं सोच रहा था की फिर बिना लंड के तेरा काम कैसे चलता होगा

ताई- बस चल जाता था

मैं- कैसे, बता ना

ताई- कभी ऊँगली डाल लिया करती थी तो कभी लम्बे वाला बैंगन या गाज़र भी पर असली मजा तो लंड का ही आता है

ताई अब उठी और मेरे लंड को अपने मुह में भर लिया लंड आधा तो उनके हाथ में ही तन गया था ऊपर से अब उसकी लिजलिजी जीभ अपना जलवा दिखाने लगी थी ताई ने मेरे सुपाडे की खाल को निचे सरकाया और किसी कुल्फी की तरह लंड पर जीभ चलाने लगी साथ ही वो मेरे अन्डकोशो को हाथ से मसल रही थी तो और मजा आने लगा था गोलियों को छोड़ के अब ताई लंड चूसते चूसते मेरी गांड के छेद पर अपनी ऊँगली रगड़ने लगी थी उफ्फ्फ कितना मजा आ रहा था मुझे, मेरे चुतड ऊपर को होने लगे बदन अकड़ने लगा मेरा ताई ने पुरे लंड को मुह में भर लिया था और छेड़खानी करते हुए मुख मैथुन का मजा मुझे दे रही थी


मेरे झांट ताई के थूक से पूरी तरह भीग गए थे ऐसे लग रहा था की जैसे पूरा नशा ताई आज मेरे लन्ड में भर देगी अब मैं काबू से बाहर होने लगा था मैं ताई के सर को लंड पर दबाने लगा अब ताई ने लंड को आज़ाद कर दिया गोलियों पर टूट पड़ी , गोलियों को चूसते हुए वो लंड को हाथ से हिलाने लगी मैं तो बस अपनी आँखे बंद किये मस्ती के संसार में डूबा पड़ा था , आज ताई पुरे मूड में थी अब ताई ने अपनी जीभ को मेरी गांड के छेद पर रगड़ते हुए मुठ मरना चालू किया कसम से मुझे लगा की बस मैं तो झड़ ही जाऊंगा उफ्फ्फ ताई क्या जुलम कर रही हो तुम


मुझे लगा की ताई ऐसे ही लगी रही तो मैं तो पक्का झड जाऊंगा पर मुझे तो पानी चूत में निकालना था तो मैंने ताई को हटाया और जमीं पर खड़ी कर दिया मैंने कमरे पर हाथ रख के झुकने का इशारा किया तो ताई फोल्डिंग पर हाथ रख कर झुक गयी उनके मोटे चुतड मेरी तरफ हो गए मैंने लंड को चूत का रास्ता दिखाया और फिर से हम लोगो ने चुदाई का कार्यक्रम शुरू कर दिया ताई की रसीली गांड को सहलाते हुए चूत चुदाई चालु थी गीता ने अपनी दोनों जांघो को आपस में चिपका लिया था जिस से चूत थोड़ी और टाइट हो गयी थी तो मारने में पूरा मजा आ रहा था ,

मैं अपने लंड को पूरा बाहर खीचता और फिर झटके से चूत मे पेलता तो ताई को भी बहुत मजा आ रहा था

ताई- बस ऐसे ही धीरे धीरे कर मजा आ रहा है

मैं- जानेमन तेरे मजे के लिए ही तो मैं इधर हु

मैंने हाथ आगे बढ़ा कर ताई की 36” की छातियो को दबाना शुरू किया तो ताई खुद अपने चूतडो को पीछे करने लगी

उफ़ ताई आज तो क्या अदा दिखा रही थी तुम मैंने ताई के चूतडो को थोडा सा फैलाया और अब तेजी से चोदने अलग क्या करता कण्ट्रोल हो ही नहीं रहा था अब ताई बिलकुल खम्बे सी खड़ी हो गयी थी अपने चुतड मुझसे चिपकाए लंड ले रही थी मैंने उनकी कमर कोथाम लिया और लापा लापा चोदे जा रहा था ताई इस चुदाई में पूरी तरह से पागल हो गयी थी बस मेरे कंधे पर हाथ रखे लंड को चूत की गहराईयों में फील कर रही थी पर तभी ताई आगे को सरकी और लंड चूत से बाहर सरक गया


पर जस्ट ताई ने अपना मुह मेरी तरफ किया और टांग को फैलाके लंड को फिर से अन्दर कर लिया अब हम किस करते हुए चुदाई का मजा लेने लगे मैं उनको खुद से चिपकाये गांड को दबाते हुए चोद रहा था ताई ने अपने होंठ पूरी तरह से मेरे लिए खोल दिए थे , इस बार मैंने ताई के चूतडो को दबाया तो ताई ऊपर को हो गयी तो मैंने भी उनको ऊपर उठा लिया अब ताई मेरी गोद में झूलते हुए चुदने लगी मेरा लंड उनकी बचेदानी के मुह से टकरा रहा था उफ्फ्फ ये जिस्मो की आग हमे यु पिघला रही थी की क्या बताऊ


शरीर में मीठा सा अहसास होने लगा था मन तन में तरंग फूट रही थी मैं झड़ने को हो रहा था तो मैंने गोदी में ही ताई को कस के लंड पर बिठाया ताई समझ गयी की मैं छुटने वाला हु तो वो जोर जोर से लंड पर कूदने लगी मेरी आँखे मस्ती के मारे बंद होने लगी , टाँगे कांपने लगी और फिर मेरा लावा ताई की चूत में गिरने लगा मेरा बदन अकड़ गया मस्ती में और उसी समय ताई भी झड़ गयी , कुछ देर बाद ताई निचे उतरी , लंड चूत से बाहर आते ही वीर्य निचे जमीं पर गिरने लगा चूत से बहकर ताई ने अपनी सलवार से चूत को साफ़ किया

मैं- ताई के बगल में बैठ गया

मैं- आज तो निचोड़ ही डाला तुमने

ताई- मैं तो खुद निचुड़ गयी हु बस अब सोऊंगी

मैं- ठीक है मैं भी बहुत थक गया हु कपडे पहन के जाता हु मैं दिन में मिलूँगा

फिर ताई को किस करके मैं कुवे पर आ गया
कुवे पर आके खाट बिछाई और सो गया तो फिर सुबह ही आँख खुली पढने तो जाना था नहीं तो सुबह सुबह खेत के कामो को सलटाया और करीब १० बजे मैं घर पंहुचा घर पे कोई था नहीं तो मैंने फ़ोन से पिस्ता का नुम्बर लगाया पर हाय रे किस्मत तीन चार बार ट्राई किया हर बार उसकी माँ ने फ़ोन उठाया बात नहीं बनी तो फिर मैंने खाना खाया और लेट गया लाइट भी नहीं थी वर्ना टीवी ही देख लेता पर थोड़ी देर बाद मंजू , ताऊ और मम्मी आ गए तो मैं समझ गया की ये हॉस्पिटल से ही आये होंगे

मैं- चाची नहीं आई

मम्मी- उसको बैंक का काम था तो वो उधर होके आएगी , खाना खाया तूने

मैं-हाँ

मम्मी- सुन तेरे पिताजी आज ऑफिस से सीधा हॉस्पिटल जायेंगे तो तुझे आज घर ही रहना है गाँव में जाना होगा तो तेरे चाचा, और ताउजी जायेंगे

मैं- ठीक है

मम्मी- मैं जरा आती हु, तू मंजू से पूछ ले वो क्या खाएगी फिर मैं उसके लिए भी गरमा गर्म खाना बना देती हु

तब तक मंजू भी हाथ- मुह धोके आ गयी थी

मैं- खाने में क्या खाएगी बता मैं दूकान से सब्जी ले आता हु

मंजू- जो है वो ही खा लुंगी

मैं- बता ना धुप तेज हो रही है मैं बार बार चक्कर नहीं काटूँगा

मंजू- कहा ना जो है वो ही खा लुंगी

मैं- ठीक है रायता है और चटनी है खा लेना

तभी चाची भी आ गयी मैं उनके लिए पानी लेकर आया फिर ऐसे ही बाते करने लगे थोड़ी देर बाद चाची ने मुझे इशारा किया और हम दोनों ऊपर आ गए

मैं- क्या हुआ

वो- मेरा और तेरे चाचा का जॉइंट अकाउंट था तो मैंने उसमे से आधे पैसे निकलवा लिए है कल मेरे साथ चलके एक नया खाता खोलके ये पैसे उसमे जमा करवाना है

मैं- ठीक है

चाची ने आज हल्का नीला सूट पहना हुआ था जिसमे वो बड़ी घातक लग रही थी मेरा दिल मचलने लगा तो मैंने चाची को पकड़ लिया और सलवार के ऊपर से ही चूत को मसलने लगा चाची बोली- अभी परेशान मत कर सब घरवाले है शाम को करना तो मैंने उनको छोड़ दिया , खाना खाने के बाद मंजू भी ऊपर आ गयी थी पर वो चाची के सामने थोडा असहज फील कर रही थी क्योंकि उस दिन चाची ने हमे रंगे हाथ जो पकड़ लिया था चाची ने उसकी बेचैनी को समझ लिया और मंजू को आश्वस्त किया की वो फ्री फील करे , कुछ देर बाद चाची निचे चली गयी बस मैं और मंजू रह गए
 
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