मैंने हाथ को ऊपर सरका कर बोबो पर पंहुचा दिया और उसको सहलाने लगा हलके से दबाने लगा मंजू थोडा सा मेरी तरफ पीछे को हो गयी
मैं- मेरी जिंदगी में तू है , पिस्ता है ,नीनू है तुम तीनो मेरे लिए बहुत महत्त्व रखती हो पर एक ना क दिन सबक साथ छुट ही जाना है
वो- पर दोस्ती तो सदा रहती ना
मैं- अब मैं क्या जणू, सासरे जाने के बाद क्या पता मुलाक़ात हो ना हो
वो- वो सब छोड़ ये बता पिस्ता को पेल दिया तूने
मैं- मैंने तो तुझे भी पेल दिया है
वो- मतलब ले ली है
मैं- तू हर टाइम उसकी बात क्यों करती है
वो- ऐसे ही , मैं सोचती हु की तू उस जैसी चालू लड़की के चक्कर में आया कैसे
मैं-वो मेरी दोस्त है यार ऐसे मत बोल
वो- ठीक है
मंजू की गांड बिलकुल मेरे लंड से सटी हुई थी तो मेरा लंड खड़ा हो गया मैं उसके बोबो को मसलने के लिए उसकी कुर्ती को ऊपर कर दिया और ब्रा को खोल दिया
मंजू- करके ही मानेगा क्या
मैं- इरादा तो है
मंजू- ठीक है फिर
उसने अपनी सलवार को कच्छी समेत उतार दिया और अपना मुह मेरी तरफ कर लिया मैं उसकी कमर को सहलाते हुए उसे किस करने लगा मंजू ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको भीचने लगी किस करते करते ही मैंने उसकी चड्डी में हाथ दे दिया और उसकी बिना बालो की चूत से खेलने लगा , जब जब मेरी उंगलिया उसके दाने को छूती मंजू अपनी टांगो को टाइट कर लेती कुछ देर बाद उसकी कच्छी साइड में पड़ी थी
मंजू अब मेरे लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर रगड़ रही थी और फिर बिना देर किये मैंने उसको अपने निचे लिया और उसकी टांगो को खोल दिया अँधेरी रात में छत पर आज मंजू को जी भरके चोदने वाला था मैं , एक तकिया उसके कुलहो के नीचे लगाया और अपने लंड को टिका दिया उसकी मुनिया पर पहले ही घस्से में आधा लंड चूत में उतार दिया मैंने और फिर उस पर छाता चला गया दो जवान जिस्म एक हुए तो फिर बिस्तर पर हलचल मचने लगी बिना किसी जल्दबाजी के धीरे धीरे घस्से लगाते हुए मैं उसके जिस्म का मजा ले रहा था
मंजू ने अपने चूतडो को ऊपर कर दिया था और आहे भरते हुए मेरे लंड को चूत में ले रही थी , होंठो में होठ, बाहो में बाहे मंजू और मैं शारीरिक सुख को पाने की कोशिश कर रहे थे ,धीरे धीरे मेरे धक्को की रफ़्तार बढ़ने लगी और उसकी कामुकता , बिस्तर की चादर पर पड़ी सिलवटे हमारी कहानी को ब्यान कर रही थी मंजू अब खुल के गांड को ऊपर उठा उठा कर चुद रही थी , मैं उसको अपनी बाहों में समेटे हुए अपने साथ मंजिल की तरफ ले कर चल रहा था , चुदाई का एक दौर अब थमने को था करीब बीस मिनट बाद मैंने उसकी चूत को अपने पानी से सींच दिया और उस पर ही ढह गया , उस रात एक बार और ली मैंने उसकी...........
सुबह करीब दस बजे मैं और मंजू हॉस्पिटल पहुच गए , काका को अभी तक होश नहीं आया था पर हालत ठीक थी ये भी अच्छी बात थी शाम तक मैं हॉस्पिटल में रहा फिर वापिस गाँव आ गया पिताजी के साथ, इधर चुनाव अब जोर पकड़ने लगा था चाचा तो बिमला का दीवाना था ही इसलिए वो तो पूरा जोर लगाये हुए था, सारे तरीके लगाये जा रहे थे , कुछ वादों से, कुछ बातो से तो कुछ दारु बाँट कर गाँव में मेरे परिवार का मेल मिलाप भी ठीक था तो पलड़ा झुका सा लग रहा था बिमला के पक्ष में
और बस यही बात मुझे खटक रही थी ,रतिया काका का एक्सीडेंट गलत टाइम पर हो गया था दूकान अब बंद थी और वो अपना अड्डा था, उधर से भी सप्लाई होती थी और वो वोट भी खीच रहे थे मैं लाख कोशिश के बाद भी मैं खुद को चुनाव से दूर रख नहीं पा रहा था , जबकि पिताजी के पूरी कोशिश थी की मैं इन पचड़ो से दूर रहू , उस शाम चाचा दारू बांटने गया हुआ था तो दूसरी पार्टी वालो के साथ कुछ बोल चाल हो गयी , मुझे पता चला तो दिमाग खराब हो गया
अब चाचा जैसा भी था कोई दूसरा तो कैसे कुछ बोल सकता था मेरा दिमाग सरक गया , रात को मैं अपने दोस्तों के साथ मंदिर की सीढियों पर बैठा था तो दूसरी पार्टी का वो ही लड़का जिसने चाचा के साथ बदतमीजी की थी वो भी आ निकला , मेरा तो वैसे ही दिमाग ख़राब था ऊपर से वो भी अकड़ में था वो लड़का जिसे गाँव में लादेन कहते थे
लादेन- ओह देखो रे, अभी से इनको हार का डर लगने लगा कैसे भगवान् के पांवो में पड़े है
मैं- तू अपना काम कर ,निकल यहाँ से
लादेन- हां निकलना तो है ही जैसे तेरा चाचा निकला था दुम दबा के बोलती ही बंद हो गयी थी उसकी
मैं- देख, वोट वोट की जगह है , तू हद में रह माहौल बिगाड़ने की कोशिस मत कर
लादेन- मैं तो जो मर्ज़ी करूँगा , ये कहने के साथ उसने मुझे गाली दी और मेरा कोल्लोर पकड़ लिया
बस , एक तो मेरा दिमाग ख़राब था ही ऊपर से उसने जो गाली दी वो मुझे चुभ गयी मैंने एक लात उसके घुटनों के बीच मारी और भाई की सारी हेकड़ी बाहर आ गयी, उबकाई लेता हुआ जो गिरा वो जमीं पर मैंने उसकी हॉकी उठाई और जो चार पांच पंटर थे उनको पेलना शुरू किया तो मेरे दोस्त भी शुरू हो गए दे दबा दब सालो की रेल बनायीं कुछ भाग गए कुछ अधमरे हो गए लादेन को मैंने उठाया और बोला- हां , तो क्या कह रहा था तू अब बोल
तो वो भाई भाई करने लगा पर मेरा दिमाग आउट हो गया था मैंने अपने दोस्त से रस्सी मंगवाई और साले को मंदिर के सामने वाले पेड़ से बाँध दिया , और बोला बेटा जा जिनके दम पर तू उछल रहा था ना बुला ले उनको माँ चुदाय वोट, अब बात जरा दूसरी टाइप से होगी , मैंने हॉकी जो घुमा कर लादेन के घुटने पर दी तो उसकी चीख वातावरण में गूंजती चली गयी , अब झगडा हुआ तो गाँव में बात फ़ैल गयी मिनटों में तो दोनों पक्षों के लोग आ गये बीच बचाव करने लगे
पर जो औरत बिमला की टक्कर में खड़ी थी उसका देवर जो की मेरी ही उम्र का था ज्यादा उचल रहा था तो मैंने दो चार उसके धर दिए बात और बिगड़ गयी , अब हम साला नए नए जवान हुए थे खून गरम था जोश था जवानी का एक बार जो शुरू हुए तो रुक ना पाए , ऊपर से बात बिगड़ी तो दोनों तरफ से लट्ठ तन गए , पुलिस आ गयी गाँव का माहौल खिंच गया , गाँव के कुछ मौज़िज़ लोगो ने बात को संभाला मैंने भरी पंचायत में में ऐलान कर दिया की अगर किसी ने भी मेरे परिवार को कुछ कहा तो ठीक नहीं रहेगा बात समझ में आये या नहीं
लड़ाई झगडे में आधी रात घुल गयी थी , जब हम घर आये तो मेरा दिमाग गुस्से से भनभना रहा था ऊपर से पिताजी ने मुझे जम कर बाते सुनाई , पर हां अब इतना तय हो गया था की ये चुनाव अब एक तूफ़ान लेकर आया था , सुबह मैं थोड़ी देर से उठा घर पर कोई नहीं था , मैं बाहर चबूतरे पर बैठा दातुन कर रहा था की पिस्ता आई
पिस्ता मेरे घर जरुर कोई बात तो थी ही, उसने मुझे इशारा किया और आगे को बढ़ गयी मैं भी पीछे हो लिया थोडा आगे जाकर बस उजाड़ सा था तो वहा पर हमने बाते शुरू की
पिस्ता- मैंने सुना कल रात तूने मार पिटाई करी
मैं- हो गयी ऐसे ही दिमाग ख़राब , हुआ पड़ा था तो कुछ ज्यादा ही हो पाया
पिस्ता- देख, मेरी एक बात को अच्छे से समझ ले वोट तो दो दिन के है, खींचा तान होगी पर आराम से हो जाये तो ठीक होगा, हर ज़ख्म भर जाता है पर वोटो की रंजिश नहीं भूली जाती है ,
मैं- तू टेंशन ना ले , कुछ नहीं होगा
वो- टेंशन नहीं ले रही हु बस तुझे समझ रही हु की किसी से भी दुश्मनी ठीक नहीं है प्यारे
मैं- चल ये सब छोड़ और बता
वो- बताना क्या है , तुझे तो सब पता ही है ना परसों लड़के वाले आ रहे है फोटो तो पसंद आ गयी थी उनको क्या पता अब सगाई ही हो जाये
पिस्ता के रिश्ते की बात सुनते ही मेरा दिमाग ख़राब होने लगता था पर उसकी अपनी निजी जिन्दगी भी तो बस .......
मैं- ये तो अच्छी खबर है , सगाई के बाद तो तू बस कुछ दिन की ही मेहमान रहेगी यहाँ पर
पिस्ता- हम्म्म , कुछ दिन रहू या एक इन भी नहीं रहू पर तेरे साथ हमेशा रहूंगी, खयालो में यादो में , मेरा जिस्म ही तो जायेगा पर अपनी यादे दे कर जाउंगी तुझे , याद आती रहूंगी तुझे
और वैसे भी हम कहा इस दुनिया के बंधन में बंधे है , मैं तू हु तू मैं हु अपना किसी ने क्या बांटा है
मेरा दिल तो चाह रहा था की दिलरुबा को बाहों में भर लू पर नजाकत इस बात की इजाजत दे नहीं रही थी हाँ पर पिस्ता को देख कर दिल को इतना अहसास था की कोई अपना है जो अपनी फ़िक्र करता है , कोई है जो दुआ में मुझे भी याद करता है , दरअसल बस कुछ फीलिंग्स ही होती है जो हमे टच कर जाती है बाकि सब तो बस टाइम पास करने वाली बात होती है
पिस्ता से मिलके दिल जैसे झूम सा उठा था पर इस बात का अहसास भी था की अब वो जल्दी ही मुझे छोड़ कर चली जाएगी पर यही तो जिंदगी होती है , अपनी मर्ज़ी से कोई कैसे जी सकता है बस जिंदगी है जो कथ्पुतिली की तरह कभी इधर कभी उधर करती रहती है बस अपनी अपनी हकीकत है अपने अपने फ़साने है
पता नहीं दिल में ये सुकून सा था या कोई पुराना दर्द फिर से उभर आया था जैसे कोई अपना दूर जा रहा हो जैसे कुछ छुट रहा हो, दिल में दर्द सा होने लगा था मेरी वो बेचैनी फिर से आज मेरे साथ थी मैं वापिस घर आया पर घर भी खाली था कोई था नहीं तो क्या करू, भरी दोपहर का टाइम काश पिस्ता थोड़ी देर और रुक जाती तो दो चार बाते और कर लेता पर बातो का क्या जितनी करो उतना थोडा , फिर सोचा गीता ताई से मिल आऊ, तो उनके घर की तरफ चल दिया फिर ध्यान आया की ताऊ भी होगा वहा फिर कुछ सोच कर एक बोतल दारू की ली और पहुच गया उनके घर
ताऊ सामने ही खाट पर बैठा था ताई नहाने की बाल्टी लेकर बाथरूम की तरफ जा रही थी अब चोरी तो चोरी ही होती है ताऊ के सामने ताई मुझे देख कर थोडा सा ठीक फील नहीं कर रही थी पर मैं मुस्कुराते हुए ताऊ के पास बैठ गया और बात चीत करने लगा ताई ने मुझे पानी का गिलास पकडाया तो उनकी उंगलियों को दबा दिया मैंने तो ताई थोडा सा हडबडा गयी , ताऊ से थोड़ी बहुत बात चित करके मैंने चुपके से बोतल ताऊ के तकिये के निचे रख दी वो खुश हो गया
और ताऊ अन्दर चला गया शायद गिलास लाने को
ताई- अभी क्यों आया है
मैं- बस दिल कर रहा था तो आ गया
वो- अभी जा, तेरा ताऊ घर है
मैं- उसको बोतल दी ना वो फिट हो जायेगा थोड़ी देर में
ताई- तू मरवाएगा मुझे
मैं- अभी तो मारनी है आपकी, मैंने आँख मारी ताई को
तभी ताऊ आ गया तो ताई ने तौलिया लिया और अपनी गांड को मटकाते हुए बाथरूम की तरफ चली गयी कसम से ताई की गांड को देख कर ही तो मर मिटा था मैं उस पर लंड बुरी तरह से फडफडा रहा था उसे बस गीता की चूत चाहिए थी, जब से गीता ताई से नाता जुड़ा था , तब से और किसी को चोदने में मजा आता ही नहीं था , इधर ताऊ पेग लगाते हुए मुझसे बात करने लगा जबकि मैं मौका देख रहा था की किसी तरह से बाथरूम में घुस जाऊ और ताई की चूत में लंड घुसा दू , पर ताऊ साला पूरा नशेडी , मैंने सोचा था की फ़ैल हो जायेगा पर आज तक़दीर में चूत थी ही नहीं तो कई देर तक बैठने के बाद मैं वापिस घर आ गया सोचा की मुठ मार लू पर जिसको चूत का स्वाद मुह लगा हो उसको मुठ मारने से चैन कैसे मिले , शाम को मैं अपने दोस्तों के साथ गाँव की चौपाल पर बैठा हुआ था तो मित्र मण्डली के एक सदस्य ने सुझाव दिया की क्यों ना गाँव में एक रागनी का प्रोग्राम करवाया जाये, वैसे भी मीठी ग्यारस को गाँव में मीठा पानी पीने का प्रोग्राम तो होता ही था तो ये तय कर लिया की उसी रात को रागनी प्रोग्राम करवाया जाये
पर इसमें पैसा बहुत लगने वाला था तो मैंने सुझाव दिया की गाँव में दो कैंडिडेट है सरपंची के दोनों की पर्ची काट दो और दोनों को अतिथि के रूप में बुला लो , तो सबको बात जंच गयी मैंने कहा आप लोग रात को घर आ जाना , वैसे भी मेरी बड़ी इच्छा रहती थी की गाँव में जब भी कोई प्रोग्राम हो तो देखने जाऊ, किसी के यहाँ विडियो आता या कोई भजन मण्डली पर पिताजी बहुत कण्ट्रोल करते थे पर अब चुनावी मौसम था तो अपना काम भी हो जाना था इसी बहाने से
रात को चाचा ने 31हज़ार की पर्ची कटवाई तो मैंने चाची से कहा देख लो थारे कसम की करतुते
तो चाची ताना मारते हुए बोली- देख रही हु, परायी नारी के लिए जो प्यार उमड़ रहा है कर लेने दे जो करना है वैसे भी छह महीने में तलाक हो जाना ही है , फिर ये कही भी मुह मारे मुझे क्या
मैं चाची के मन को खूब समझता था तो मैंने कहा – आज रात चाचा के पास जाओ क्या पता बुरा समय बीत ही जाये
चाची- भाड़ में जाए वो , मुझे उसकी कोई परवाह नहीं है बिमला के साथ ही सोये वो जाके मैं खुश हु
तभी मम्मी आ गयी तो हम लोग चुप हो गए , रात को अक्सर देर तक मीटिंग होती थी वोटो की हर एक वोट को अपनी तरफ खीचने की पूरी सेटिंग हो रही थी , सब लोगो ने पूरी तयारी कर ली थी बिमला को जिताने की पर मेरी गांड बहुत जलती थी पर मज़बूरी ये थी की अगर वो हार जाती है तो परिवार की हार होती तो मैं बीच मंझधार में फंसा हुआ था , पैसा पानी की तरह बह रहा था किसी को नकद किसी को दारू तो किसी को ठंडा , सब अपने अपने विचारो में डूबे थे जबकि पिताजी को ये सवाल सता रहा था की रतिया काका को किसने टक्कर मारी क्योंकि खूब ढूंढें पर वो साधन नहीं मारा था जबकि डॉक्टर के अनुसार किसी बड़ी गाडी ने टक्कर मारी थी
अब सवाल भी जायज था , रतिया काका पिताजी के बचपन के दोस्त जो रह गए और ऊपर से वो चुनाव में पैसा भी लगा रहे थे और वोटो की सेटिंग भी कर रहे थे पर अब एक्सीडेंट चूँकि मेन रोड पे हुआ था तो मैं ये सोच रहा था की किसी ने टक्कर मारी और फिर घबरा के भाग गया तो सब लोग अपने अपने तरीके से संभावना ही ढूंढ रहे थे , रात वैसे तो काफी हो गयी थी करीब 11 बज गए थे , मैं सोने की तयारी कर ही रहा था की गीता ताई का पति आ निकला, अब पियक्कड़ो की तो ऐसे सीजन में मौज ही मौज होती है , पहले से ही वो टुन्न था तो पिताजी ने कहा की इसको एक बोतल दे कर रवाना कर देना तो मैंने कहा की मैं कुवे पर जा रहा हु इसको छोड़ता हुआ जाऊंगा वर्ना पड़ जायेगा कही पर टुन्न होके
मैं दो बोतल लेकर आया एक ताऊ को दी और एक अपने तौलिये में लपेट ली और घर से बाहर आ गए ताऊ ने ढक्कन खोला और एक सांस में ही दारू को गटकने लगा
मैं- ताऊ , आराम से पानी ला देता हु सुखी ही खीच रहा है
ताऊ-अरे बेटा क्या सूखी, क्या गीली
ताऊ ने बोतल बंद की और हम साथ साथ चलने लगे कुछ दूर चलके हम एक पीपल के पेड़ के निचे बैठ गए और बाते करने लगे
मैं- ताऊ, पीते बहुत हो आप , मेरी ताई दिन रात मेहनत करती है और आप पीने से रुकते ही नहीं
ताऊ कुछ नहीं बोला बल्कि एक दो घूँट और लगा ली
मैं- ताऊ , क्या कोई गम है जो इतना पीते हो
ताऊ कुछ नहीं बोला तो मैं समझ गया की कुछ तो दिक्कत है इस बन्दे को मैंने ताऊ का हाथ पकड़ा और बोला- ताऊ मैं भी तेरा ही बेटा हु ना, कोई परेशानी है तो मुझे बता सकते हो
ताऊ की आँखों में पानी आ गया और वो बोला- बेटे, ऐसे ही नहीं पीता हु , सब लोग मेरे को नाकारा समझते है और मैं हु भी नाकारा, मुझे ना फौज की नोकरी मिल गयी थी पर मैं छोड़ कर भाग आया , कुछ छोटा मोटा काम धंधा किया पर सब फ़ैल हो गया फिर दारु की लत लग गयी
मैं- और आपकी लत के कारण जो घर बर्बाद हो रहा है उसका क्या
ताऊ कुछ नहीं बोला
मैं- कुछ काम धंधा फिर से शुरू कर लो
ताऊ- मुझे काम कौन देगा
मैं- ताऊ अगर दारू को छोड़ दो तो हज़ार काम है , देखो अपनी ओर जरा कितनी बदबू आती है तुमसे, दाढ़ी बढ़ी हुई है , सब लोग बस आपको फ़ालतू आदमी समझते है , हर कोई कुछ भी बोलके जाता है , अपना नहीं तो कम से कम ताई के बारे में सोचो , बस पीके पड़ जाते हो कभी देखा है घर में क्या सामान है क्या नहीं है , ताई को क्या जरुरत है , आटा है घर में , और कुछ है
ताऊ ने गर्दन झुका ली,
मैं- नज़र नीचे मत करो ताऊ, आप बड़े हो मुझसे बड़े लोग बच्चो के सामने नजर नहीं झुकाते कब तक ये जिल्लत की जिंदगी जियोगे , एक दिन मर जाओगे चार लोग फूंक आयेगे और कहेंगे अच्छा हुआ बेवडा मर गया , जियो तो ऐसे जियो दो लोग याद करे तुमको
ताऊ- बात तो सही है
मैं- सही है तो छोड़ दो दारु को
ताऊ ने कुछ जवाब नहीं दिया
मैं- क्या हुआ ताऊ,
वो- कुछ नहीं बेटा, तेरी बात मुझे समझ में आ गयी है तू देखना मैं अब काम करूँगा और गाँव बस्ती में अपनी खोयी हुई इज्जत को वापिस पाउँगा
मैं- ये हुई ना बात,
ताऊ- कल से दारू को तौबा बस ये मेरा लास्ट पेग होगा
मैं-० ताऊ मैं कोशिश करूँगा तुम्हारे लिए कुछ काम तलाशने की
ताऊ- हां, अब मैं काम करूँगा हिच्च बस ये बोतल जिंदगी की आखिरी बोतल होगी
मुझे वैसे उस से कोई उम्मीद थी नहीं पर एक आस तो सही , वैसे भी गीता ताई ने बहुत झेला था इसको
करीब बारह बजने को आये थे ताऊ ने डेढ़ बोतल से ज्यादा टिका ली थी और कुछ का कुछ बोल रहा था नशे में झूम रहा था तो मैंने कहा चल ताऊ तुझे घर छोड़ देता हु मुझे भी नींद आ रही है तो ताऊ ने बची दारू भी टिका ली और डगमगाते हुए कदमो से मेरे सहारे घर को चल पड़ा , ताई अभी तक जाग ही रही थी मैंने जाने ताऊ को बिस्तर पर पटक दिया , वो थोड़ी देर बाद ही सो गया ताई थोड़ी परेशानी में लग रही थी तो मैंने उनका हाथ पकड़ा और बस इतना ही कहा – बुरा समय है छंट जाएगा तो ताई हलकी सी मुस्कुरा दी पर उनके मन के दर्द को महसूस कर लिया था मैंने
मैं और ताई कमरे से बाहर आ गए
मैं- ताऊ कह रहा था कल से दारू को छोड़ दूंगा
वो- उम्र बीत गयी मेरी सुनते हुए
मैं- देखो क्या होता है कल क्या पता छोड़ दे
ताई- वो सब छोड़ दिन में बड़ा उतावला हो रहा था कही तेरे ताऊ को शक हो जाता तो
मैं- तो क्या, जो काम ताऊ नहीं करता वो कोई ना कोई तो करेगा ना
ताई- अच्छा
मैं- कहो तो अभी शुरू हो जाऊ, अब तो मौका भी है
ताई- कही जाग ना जाये
मैं- मेरे साथ कुवे पर चलो, मस्त मजा करेंगे सुबह अँधेरे वापिस आ जाना वैसे भी इतना नशा है इस पर दोपहर को ही उठे गा
ताई- उधर तो नहीं चल सकुंगी , इधर ही आजा
मैं- चल ना ताई, कुवे पर पूरा मजा आएगा वैसे भी ऐसे मौके कम ही मिलते है
ताई- तू समझा कर मैं वादा करती हु की फिर कभी पक्का चलूंगी तेरे साथ तू आज इधर ही कर ले
मैं- ठीक है मेरी जानेमन
ताई- दो मिनट रुक मैं अभी इंतजाम कर लेती हु
ताई ने गैलरी में फोल्डिंग लगा दी मेन गेट के पास और ताऊ के कमरे की कुण्डी लगा दी बाहर से और पुरे घर की लाइट बुझा दी चारो तरफ गहन सन्नाटा पसर गया मैंने ताई को गोद में उठाया और फोल्डिंग पर लिटा दिया ताई अपने हाथो से मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी , एक उमरदराज औरत में कितनी आग होती है ये हर कोई नहीं समझ सकता मैंने जल्दी से अपनी पेंट भी उतार दी और नंगा हो गया , अब गीता की बारी थी
उसने अपने हाथ ऊपर किये और कुरते को उतार दिया अगले ही पल सलवार भी उसके जिस्म से जुदा हो गयी ताई ने ब्रा नहीं पहनी हुई तो बस एक कच्छी ही थी और मैं नंगा मैंने ताई को गोद में लिया और उसके गालो को चुमते हुए अपना हाथ चूत पर घुमाने लगा ताई मेरे लंड को अपनी जांघो में दबाये हलकी हलकी सिसकिया भरने लगी चूत वाला हिस्सा इतना गीला हो रहा था की मेरा हाथ भीग गया ताई थोड़ी सी ऊपर हुई और कच्छी को भी उतरवा लिया अब वो नंगी मेरी गोद में बैठी थी
मैं ताई की गर्दन को चूमने लगा ताई कामुकता की आग में जलने लगी अब ताई मेरी जांघ पर सरक आई और मेरे लंड को हिलाते हुए अपने होंठो को मुझे पिला रही थी , आँगन के किनारे से ठंडी हवा जो हमारे जिस्मो को लग रही थी फुल मजा आ रहा था मैं अहिस्ता अहिस्ता से उनके होंठो का रस निचोड़ रहा था , ताई ने मुझे धक्का दिया और मेरे ऊपर चढ़ के मेरे सीने पर किस करने लगी निचे वो मेरे लंड को अपनी चूत पर रगड़ रही थी मेरे सुपाडे पर उनकी रसभरी चूत के पानी पड़ रहा था
सीने को चुमते चुमते ताई मेरे लंड पर बैठ ने लगी मैंने ताई की चोटी को खोल दिया कमर से नीचे तक आते उनके बाल, कुछ तो बात थी गीता में जो उसको देखते ही मैं बेकाबू होकर उसके हुस्न के सागर में डुबकी लगाने को हर दम तैयार रहता था ताई की चूत ने मेरे पुरे लंड को अपने अन्दर लील लिया था , चूत का छल्ला लंड पर बुरी तरह से कसा हुआ था गीता थोड़ी सी ऊपर को उचकी अपने चूतडो को सेट किया और फिर धीरे धीरे मेरे लंड पर ऊपर निचे होने लगी .
उफ्फ्फ ताई की चूत की गर्मी मेरे लंड को पिघलने लगी थी उस खामोश रात में हमारी गरम साँसे महक उठी थी ताई मेरे सीने पर अपने दोनों हाथ रखे अपनी मोती गांड को मेरे लंड पर उछाल रही थी मैं उनके नरम मांस से भरे चूतडो को सहला रहा था दबा रहा था ताई धीमी धीमी मस्ती से भरी आवाज निकालते हुए मेरे लंड पर कूद रही थी उनके कुल्हो की थाप धीरे धीरे बढती जा रही थी सावन के मौसम में खुले आँगन में चूत मारने का मजा ही कुछ और है उफ्फ्फ्फ़ ताई कितनी गरम औरत है तू
थोड़ी देर बाद ताई मेरे ऊपर से उतर कर साइड में लेट गयी मैं उस से चिपक गया और ताई के बोबो से छेड़खानी करने लगा ताई ने अपनी गांड को मेरी तरफ किया और अपनी एक टांग को ऊपर उठा लिया और मेरे लंड को अपने हाथ से चूत के मुहाने पर सेट करने लगी, मैं समझ गया ताई इस पोजीशन में चुदना चाहती है तो मैंने एक धक्का लगाया और मेरा लंड चूत में मुह को फैलाते हुए अन्दर को जाने लगा ताई ने अपनी दोनों टांगो को कस लिया आपस में मैं उनके पेट को थोडा सहलाया फिर उनकी बांयी चूची को अपनी मुट्ठी में भर लिया
और ताई को फिर से चोदना शुरू कर दिया , गीता के मुलायम चूतडो को छूता हुआ मेरा लंड चूत में अन्दर बाहर हो रहा था , तभी हलकी हलकी सी बरसात शुरू हो गयी तो चुदाई करने में और मजा आने लगा गीता ताई किसी नागिन की तरह बल खा रही थी बिस्तर पर , कई देर तक हम लोग वैसे ही लगे रहे ताई जब बार बार अपने चूतडो को पीछे करती तो कसम से मजा आ जाता , अब मैं ताई के ऊपर आ गया ताई ने अपनी टाँगे मेरी कमर पर जोड़ ली और फिर से धक्कम पेल शुरू हो गयी , फोल्डिंग च्र्र्र चर्र करने लगा था पर हम दोनों अपनी हसरतो को हकीकत बनाने में लगे हुए थे,
ताई की नरम छातिया मेरे सीने के निचे दबी हुई थी ताई मेरी जीभ को चूसते हुए मेरे लंड को चूत में झेल रही थी पल पल ताई के झटके बढ़ते जा रही थी फिर ताई ने अपनी बाहों में मुझे कस लिया और लम्बी लम्बी साँसे लेटे हुए ढह गयी, ताई का पानी छुट गया था पर अपना हथियार अभी तक खड़ा था मैंने ताई को बिस्तर पर पलट दिया अब ताई के चुतड मेरी निगाहों के सामने थे मैंने गांड पर थूका और उसको छेद पर अच्छे से मल दिया चूत के रस से सने हुए लंड को ज्योही मैंने गांड पर लगाया तो ताई बोली- मत कर दर्द होगा
मैं- मेरी जान तू रोका मत कर, वैसे ही तू इतनी हॉट आइटम है बस मुझे जी भर कर तेरे हुस्न को पीने दे,
ताई को भी पता था की मैं मानने वाला तो हु नहीं तो ताई ने अपने चुतड ढीले कर दिए और मेरा लंड गांड के बुलंद दरवाजे को खोलता हुआ अन्दर जाने लगा , ताई को दर्द तो हो रहा था पर वो चिल्ला भी तो नहीं सकती थी धीरे से मैंने पूरा लंड उनकी गांड में घुसेड दिया और ताई की गांड मारने लगा थोड़ी देर बाद ताई भी मस्ती से गांड मरवाने लगी , हालाँकि उनकी आवाज कुछ तेज हो गयी थी पर मजा पूरा ले रही थी
मैं- आवाज क्यों करती हो
वो- गांड में मुसल घुसा हुआ है आवाज भी ना करू
मैं- ताऊ जाग गया तो फिर दो दो लंड लेने पड़ेंगे तुझे
ताई- बारिश आ रही है वैसे भी कमरा दूर है तू लगा रह मेरी गांड फाड़ दे
मैं- मेरी जान फाडनी थोड़ी है मारनी है प्यार से , उफ्फ्फ कितनी मस्त गांड है तेरी मेरी जानेमन दिल करता है की लंड बस घुसाए रखु
ताई- मेरा मन भी करता है की बस दिन रात तेरे लंड पर ही झूलती रहू, तेरे ताऊ ने तो बरसो पहले मेरी तरफ देखना बंद कर दिया था , अब सारी कसर तुझे भी पूरी करनी है
मैं तेज तेज चोदते हुए, मेरी जान चिंता मत कर मेरा लंड बस तेरे लिए ही हैं तेरे हुस्न का मैं एक लौता हक़दार हु मेरी जान
फिर हम दोनों खामोश हो गए बस गांड में लंड अन्दर होने की पुच पुच की ही आवाज आती रही करीब पंद्रह मिनट तक ताई की गांड मारने के बाद मैंने अपने पानी गांड में ही छोड़ दिया
कुछ देर लेटे रहने के बाद मुझे पेशाब आया तो मैं वाही आँगन में मूतने लगा मूत के आया तो देखा ताई अपनी गांड को साफ़ कर रही थी मैं फिर से लेट गया ताई मेरे सीने पर अपना सर रख कर लेट गयी
मैं- कितना मजा आता है मेरा लंड लेके
ताई- बहुत ज्यादा
मैं- तो फिर दिन में क्यों नहीं दी
ताई- तेरे ताऊ को पता चला जाता तो
मैं- मजा तो तभी आएगा जब ताऊ के सामने तेरी लूँगा
ताई- बड़ा बदमाश हो गया है तू
मैं- सच ताई जब से उस दिन तेरी मटकती गांड पर मेरी निगाह गयी थी तभी सोच लिया था की तेरी लेनी है कुछ भी करके , ताई तू बस मेरी बनके रहना
ताई- मैं तो अब तेरी ही हो गयी हु मेरे राजा जी
मैं- लंड को मुट्ठी में ले ना
तो ताई मेरे लंड से खेलने लगी ताई के गरम हाथो का अहसास पाते ही वो तनने लगा
मैं- ताई, ताऊ और मेरे आलावा किसी और से चुदी है तू
ताई- ना बस तुम दोनों से ही
मैं- किसी और से ना चुदी तभी इतनी गरम है तू
ताई मेरे लंड को भीचते हुए- मैं क्या कोई रंडी हु जो सबके निचे लेटी रहू
मैं- ना, मैं सोच रहा था की फिर बिना लंड के तेरा काम कैसे चलता होगा
ताई- बस चल जाता था
मैं- कैसे, बता ना
ताई- कभी ऊँगली डाल लिया करती थी तो कभी लम्बे वाला बैंगन या गाज़र भी पर असली मजा तो लंड का ही आता है
ताई अब उठी और मेरे लंड को अपने मुह में भर लिया लंड आधा तो उनके हाथ में ही तन गया था ऊपर से अब उसकी लिजलिजी जीभ अपना जलवा दिखाने लगी थी ताई ने मेरे सुपाडे की खाल को निचे सरकाया और किसी कुल्फी की तरह लंड पर जीभ चलाने लगी साथ ही वो मेरे अन्डकोशो को हाथ से मसल रही थी तो और मजा आने लगा था गोलियों को छोड़ के अब ताई लंड चूसते चूसते मेरी गांड के छेद पर अपनी ऊँगली रगड़ने लगी थी उफ्फ्फ कितना मजा आ रहा था मुझे, मेरे चुतड ऊपर को होने लगे बदन अकड़ने लगा मेरा ताई ने पुरे लंड को मुह में भर लिया था और छेड़खानी करते हुए मुख मैथुन का मजा मुझे दे रही थी
मेरे झांट ताई के थूक से पूरी तरह भीग गए थे ऐसे लग रहा था की जैसे पूरा नशा ताई आज मेरे लन्ड में भर देगी अब मैं काबू से बाहर होने लगा था मैं ताई के सर को लंड पर दबाने लगा अब ताई ने लंड को आज़ाद कर दिया गोलियों पर टूट पड़ी , गोलियों को चूसते हुए वो लंड को हाथ से हिलाने लगी मैं तो बस अपनी आँखे बंद किये मस्ती के संसार में डूबा पड़ा था , आज ताई पुरे मूड में थी अब ताई ने अपनी जीभ को मेरी गांड के छेद पर रगड़ते हुए मुठ मरना चालू किया कसम से मुझे लगा की बस मैं तो झड़ ही जाऊंगा उफ्फ्फ ताई क्या जुलम कर रही हो तुम
मुझे लगा की ताई ऐसे ही लगी रही तो मैं तो पक्का झड जाऊंगा पर मुझे तो पानी चूत में निकालना था तो मैंने ताई को हटाया और जमीं पर खड़ी कर दिया मैंने कमरे पर हाथ रख के झुकने का इशारा किया तो ताई फोल्डिंग पर हाथ रख कर झुक गयी उनके मोटे चुतड मेरी तरफ हो गए मैंने लंड को चूत का रास्ता दिखाया और फिर से हम लोगो ने चुदाई का कार्यक्रम शुरू कर दिया ताई की रसीली गांड को सहलाते हुए चूत चुदाई चालु थी गीता ने अपनी दोनों जांघो को आपस में चिपका लिया था जिस से चूत थोड़ी और टाइट हो गयी थी तो मारने में पूरा मजा आ रहा था ,
मैं अपने लंड को पूरा बाहर खीचता और फिर झटके से चूत मे पेलता तो ताई को भी बहुत मजा आ रहा था
ताई- बस ऐसे ही धीरे धीरे कर मजा आ रहा है
मैं- जानेमन तेरे मजे के लिए ही तो मैं इधर हु
मैंने हाथ आगे बढ़ा कर ताई की 36” की छातियो को दबाना शुरू किया तो ताई खुद अपने चूतडो को पीछे करने लगी
उफ़ ताई आज तो क्या अदा दिखा रही थी तुम मैंने ताई के चूतडो को थोडा सा फैलाया और अब तेजी से चोदने अलग क्या करता कण्ट्रोल हो ही नहीं रहा था अब ताई बिलकुल खम्बे सी खड़ी हो गयी थी अपने चुतड मुझसे चिपकाए लंड ले रही थी मैंने उनकी कमर कोथाम लिया और लापा लापा चोदे जा रहा था ताई इस चुदाई में पूरी तरह से पागल हो गयी थी बस मेरे कंधे पर हाथ रखे लंड को चूत की गहराईयों में फील कर रही थी पर तभी ताई आगे को सरकी और लंड चूत से बाहर सरक गया
पर जस्ट ताई ने अपना मुह मेरी तरफ किया और टांग को फैलाके लंड को फिर से अन्दर कर लिया अब हम किस करते हुए चुदाई का मजा लेने लगे मैं उनको खुद से चिपकाये गांड को दबाते हुए चोद रहा था ताई ने अपने होंठ पूरी तरह से मेरे लिए खोल दिए थे , इस बार मैंने ताई के चूतडो को दबाया तो ताई ऊपर को हो गयी तो मैंने भी उनको ऊपर उठा लिया अब ताई मेरी गोद में झूलते हुए चुदने लगी मेरा लंड उनकी बचेदानी के मुह से टकरा रहा था उफ्फ्फ ये जिस्मो की आग हमे यु पिघला रही थी की क्या बताऊ
शरीर में मीठा सा अहसास होने लगा था मन तन में तरंग फूट रही थी मैं झड़ने को हो रहा था तो मैंने गोदी में ही ताई को कस के लंड पर बिठाया ताई समझ गयी की मैं छुटने वाला हु तो वो जोर जोर से लंड पर कूदने लगी मेरी आँखे मस्ती के मारे बंद होने लगी , टाँगे कांपने लगी और फिर मेरा लावा ताई की चूत में गिरने लगा मेरा बदन अकड़ गया मस्ती में और उसी समय ताई भी झड़ गयी , कुछ देर बाद ताई निचे उतरी , लंड चूत से बाहर आते ही वीर्य निचे जमीं पर गिरने लगा चूत से बहकर ताई ने अपनी सलवार से चूत को साफ़ किया
मैं- ताई के बगल में बैठ गया
मैं- आज तो निचोड़ ही डाला तुमने
ताई- मैं तो खुद निचुड़ गयी हु बस अब सोऊंगी
मैं- ठीक है मैं भी बहुत थक गया हु कपडे पहन के जाता हु मैं दिन में मिलूँगा
फिर ताई को किस करके मैं कुवे पर आ गया
कुवे पर आके खाट बिछाई और सो गया तो फिर सुबह ही आँख खुली पढने तो जाना था नहीं तो सुबह सुबह खेत के कामो को सलटाया और करीब १० बजे मैं घर पंहुचा घर पे कोई था नहीं तो मैंने फ़ोन से पिस्ता का नुम्बर लगाया पर हाय रे किस्मत तीन चार बार ट्राई किया हर बार उसकी माँ ने फ़ोन उठाया बात नहीं बनी तो फिर मैंने खाना खाया और लेट गया लाइट भी नहीं थी वर्ना टीवी ही देख लेता पर थोड़ी देर बाद मंजू , ताऊ और मम्मी आ गए तो मैं समझ गया की ये हॉस्पिटल से ही आये होंगे
मैं- चाची नहीं आई
मम्मी- उसको बैंक का काम था तो वो उधर होके आएगी , खाना खाया तूने
मैं-हाँ
मम्मी- सुन तेरे पिताजी आज ऑफिस से सीधा हॉस्पिटल जायेंगे तो तुझे आज घर ही रहना है गाँव में जाना होगा तो तेरे चाचा, और ताउजी जायेंगे
मैं- ठीक है
मम्मी- मैं जरा आती हु, तू मंजू से पूछ ले वो क्या खाएगी फिर मैं उसके लिए भी गरमा गर्म खाना बना देती हु
तब तक मंजू भी हाथ- मुह धोके आ गयी थी
मैं- खाने में क्या खाएगी बता मैं दूकान से सब्जी ले आता हु
मंजू- जो है वो ही खा लुंगी
मैं- बता ना धुप तेज हो रही है मैं बार बार चक्कर नहीं काटूँगा
मंजू- कहा ना जो है वो ही खा लुंगी
मैं- ठीक है रायता है और चटनी है खा लेना
तभी चाची भी आ गयी मैं उनके लिए पानी लेकर आया फिर ऐसे ही बाते करने लगे थोड़ी देर बाद चाची ने मुझे इशारा किया और हम दोनों ऊपर आ गए
मैं- क्या हुआ
वो- मेरा और तेरे चाचा का जॉइंट अकाउंट था तो मैंने उसमे से आधे पैसे निकलवा लिए है कल मेरे साथ चलके एक नया खाता खोलके ये पैसे उसमे जमा करवाना है
मैं- ठीक है
चाची ने आज हल्का नीला सूट पहना हुआ था जिसमे वो बड़ी घातक लग रही थी मेरा दिल मचलने लगा तो मैंने चाची को पकड़ लिया और सलवार के ऊपर से ही चूत को मसलने लगा चाची बोली- अभी परेशान मत कर सब घरवाले है शाम को करना तो मैंने उनको छोड़ दिया , खाना खाने के बाद मंजू भी ऊपर आ गयी थी पर वो चाची के सामने थोडा असहज फील कर रही थी क्योंकि उस दिन चाची ने हमे रंगे हाथ जो पकड़ लिया था चाची ने उसकी बेचैनी को समझ लिया और मंजू को आश्वस्त किया की वो फ्री फील करे , कुछ देर बाद चाची निचे चली गयी बस मैं और मंजू रह गए