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Erotica Dilwale - Written by FTK aka HalfbludPrince (Completed)

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मंजू- ये तुम्हारा कमरा है

मैं- हाँ

वो- अच्छा सजाया है

मैं- बस ऐसे ही

मैं- एक चीज़ दिखाऊ

वो- क्या

मैं-रुक एक मिनट

मैंने अलमारी खोली और अपना एल्बम निकाल लाया मैं उसको अपनी जोधपुर ट्रिप की तस्वीरे दिखाने लगा

मंजू- पूरा मजा किया है तुमने तो

मैं- काश तू चल पाती

वो- अब मेरे नसीब में कहा ये सब

मैं- उदास क्यों होती है मेरे पास कैमरा है तुझे जब चाहे ले लेना खीच अपनी तस्वीरे

मंजू- शुक्रिया

मै- आजके क्या इरादे है

वो- कुछ नहीं , थोड़ी देर बाद घर जाउंगी फिर सफाई करुँगी और कपडे वगैरा धोउंगी बस फिर खाना खाके सो जाउंगी , सुबह फिर हॉस्पिटल जाउंगी

मैं- मैं मदद करवा दू

वो-नहीं मैं कर लुंगी

मैं- इस बहाने थोडा मजा भी कर लेंगे वैसे भी हमको अकेले टाइम कहा मिलता है

मंजू- दो तीन दिन पहले तो किया ही था

मैं- क्या करू यार जी भरता ही नहीं

वो- पर मैं नहीं कर पाऊँगी, क्योंकि मेरा मन नहीं है

मैं- ठीक है यार , मन नहीं है तो मत कर चल तू थोड़ी देर आराम कर ले मैं आता हु

मैं निचे आया तो घर से बाहर चाचा और गीता का पति बात कर रहे थे , मैंने गौर किया आज वो एक दम नहाया धोया लग रहा था कपडे भी साफ़ सुथरे पहने हुए थे , मुझे देख कर वो बोला- बेटा, देख ले तुझसे कल वादा किया था ना की अब दारू बंद, छोड़ दी मैंने और भाई ने मुझे अपने महकमे में माली का काम भी दिलवाया है , अब तू देखना मैं मन लगाके काम करूँगा , बस समाज में अपनी खोयी हुई इज्जत वापिस पानी है मुझे

मैं- ताऊ, देर आये दुरुस्त आये

फिर मैं चाचा के पास गया और बोला- बड़ी मेहरबानी की , इस की वजह क्या है

चाचा- वजह क्या होगी, सुबह मैं जब ऑफिस जा रहा था तो ये मुझे मिला था कही लगवाने को बोल रहा था ऑफिस जाके पता चला की माली की पोस्ट है तो इसको रखवा दिया है

पर मुझे उसकी बात जांची नहीं वैसे भी चोदु चचा पर मैं एक मिनट का भी विश्वास नहीं करता था पर ताऊ फिर से एक नयी शुरुआत कर रहा था तो उसकी जितनी मदद हो उतना ही अच्छा था वैसे भी गीता ताई से अपने दिल के तार जुड़े हुए थे, एक चक्कर गाँव में लगाया पर मन कही भी नहीं लग रहा था तो मैं पानी की टंकी के पास वाले नीम के निचे बैठ गया शाम का समय हो रहा था तो औरते पानी भरने आ रही थी कुछ पानी भरके जा रही थी , तभी मेरी नजर एक औरत पर पड़ी, और नजर ऐसे पड़ी की फिर हटी ही नहीं,


एक औरत करीब २६- २७ साल की उम्र की होगी पर फिगर एक नंबर था उसने ब्लाउज कुछ गहरे गले का पहना हुआ था जब वो झुक कर पानी भर रही थी तो मेरी निगाह उसकी आधे से ज्यादा बाहर को छलक आई चूचियो पर पड़ी , उफ्फ्फ्फ़ क्या बोबे थे मेरा लंड तो तन ही गया देख कर मैंने उसके चेहरे पर गौर किया एक दम टंच माल थी पूरी की पूरी दिल में विचार आया की इसकी चूत मिल जाए तो मजा ही आ जाये , पर अभी तो बस उसको निहार ही सकता था


थोड़ी देर बाद मैंने देखा की गीता ताई भी पानी लेने आई और उस औरत से हंस हंस कर बात कर रही थी तो मैं समझ गया की ये इसकी दोस्त होगी शायद, मैंने उसी समय विचार कर लिया की अब गीता ताई ही सहायता करेगी उस औरत की चूत दिलवाने में जवानी के उफनते जोश में अक्सर मैं ये भूल जाया करता था की चूत कहा हथेली पे रक्खी होती है
ताई गीता से अनिवार्य रूप से बात करनी थी उस माल की सेटिंग की पर मैं कुछ ऐसा उलझा की गीता से मिल ही नहीं पाया , रात को मुझे हॉस्पिटल में जाना पड़ा कभी कभी मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आता था की बाहर तो चूत मिल रही थी पर घर में चाची जैसा ग़दर माल जो पूरी तरह से देने को तैयार था बस उसकी ही नहीं मिल पा रही थी एक तो दिमाग खराब ऊपर से हॉस्पिटल में रात काटनी किसी सजा से कम नहीं थी पर मैं ये भी जानता था की कुछ काम करने ही पड़ते है

सुबह तक उस बेंच पर बैठे बैठ शरीर अकड़ गया था , आँख खुली ही थी की मंजू का भाई चाय ले आया तो मैं चाय की चुसकिया लेते हुए , बालकनी तक आया और बाहर देखने लगा , हवा के साथ एक ताजगी मेरी रूह को छूने लगी रात को बरसात हुई होगी तभी कुछ ठंडक सी भी थी पता नहीं मेरा स्वभाव भी बड़ा अजीब सा क्यों था जब भी अकेला होता खुद को बहुत तनहा सा फील करता , दिल में एक दर्द सा था जिसे कोई महसूस नहीं करता था मेरे सिवाय

मैं अपने बारे में सोचने लगा की पिछले कुछ महीनो में किसी फिल्म के तरह मेरी जिंदगी किस तरह से बदल गयी थी , कहा तो मैं बस ऐसे ही मुठ मारके जी रहा था और अब देखो हर तरफ चूत ही चूत थी पर उन सब से जायदा इम्पोर्टेंट थे कुछ रिश्ते जिन से मैं जुडा हुआ था , मेरा दिल नीनू से बात करने को कर रहा था पर उसने शायद अभी तक वहा पर जाके फ़ोन नहीं लिया था वर्ना वो कर देती कभी का , तमाम विचारो के बीच ऐसा लगा की सरदर्द हो रहा है तो नर्स से एक गोली ली ,

पूरी रात परेशानी में काटी थी कुछ देर सो लेता तो चैन मिल जाता पर अपने नसीब में कहा चैन यारो, बस उलझ कर रह गए थे खामखा अपने आप में , मैं सोचने लगा की काका को छुट्टी दे दे तो रोज रोज आने जाने का पचड़ा ख़तम हो जाये पर ऐसा हो नहीं सकता था , थोडा समय और काटा फिर मैं काकी के पास गया और बोला-काकी मैं घर जा रहा हु , कुछ मंगवाना हो तो बता दो मैं मम्मी के हाथो से भिजवा दूंगा

काकी- बेटा तू थोड़ी देर और रुक फिर मैं भी तेरे साथ ही चलूंगी कुछ कपडे और पैसे लाने है घर से

मैं- ठीक है काकी

तो करीब आधे घंटे बाद मैं और काकी घर के लिए निकल पड़े ऑटो स्टैंड पहुचे पता नहीं क्यों आज टेम्पो में बहुत भीड़ थी तो बैठने की जगह नहीं मिली ऊपर से उमस भरी गर्मी हाल बुरा होने लगा पर घर भी जाना ही था अगला टेम्पो एक घंटे बाद मिलता तो कौन इंतज़ार करता तो टेम्पो झटके खाते हुए चलने लगा थोड़ी दूर जाने के बाद उसने एक दम से ब्रेक लगाये तो काकी का थोडा सा बैलेंस बिगड़ा और उन्होंने जल्दबाजी में मेरे लंड पर हाथ रख दिया लंड उनके हाथ से भिंच गया तो उसमे औरत के हाथ का अहसास पाते ही करंट आ गया

काकी संभल कर खड़ी हुई और मेरी तरफ देखा मैं मुस्कुरा दिया काकी की कुर्ती थोड़ी सी साइड में हो गयी थी तो उनके पेट का साइड वाला हिस्सा दिख रहा था मेरा हाल बुरा होने लगा , अब मैं आपको काकी के बारे में बता दू , काकी एक पतली सी औरत थी छोटी छोटी चूचिया और मध्यम आकर की गांड हां रंग अवश्य गोरा था इतनी ज्यादा माल नहीं लगती थी पर मंजू नाम की माल की माँ थी तो कुछ तो बात होगी ही , बेमतलब ही मेरे मन में काकी की चुदाई के ख्याल आने लगे, लंड में ऐंठन होने लगी तो सफ़र मुश्किल होने लगा

अब हम तो ठहरे आवारा किस्म के प्राणी तो थोड़ी गुस्ताखी करने की सोची और काकी की गांड को हल्का सा दबा दिया काकी ने तुरंत मुड कर मेरी तरफ देखा मैं ऐसे खड़ा हो गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं , फिर मैंने ऐसा दो तीन बार किया काकी के चूतडो में उठती थिरकन को समझ रहा था मैं , कुछ देर बाद सवारियां उतरी तो सीट मिल गयी काकी बैठ गयी मैं उनके पास खड़ा हो गया , काकी की नजर बार बार मेरी पेंट के उभरे हुए हिस्से पर पड़ रही थी जो लंड की वजह से फूला हुआ दिख रहा था

काकी के चेहरे पर अजीब से भाव आ जा रहे थे पर मैं ऐसे ही खड़ा रहा वो बार बार चोर नजरो से उधर ही देख रही थी तो मैंने पुछा- क्या हुआ काकी कुछ परेशानी है

काकी थूक गटकते हुए- नहीं , कुछ नहीं
 

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थोड़ी देर बाद काकी के पास वाली सवारी भी उतर गयी तो मैं काकी के पास बैठ गया उनके जिस्म से आती गंध मुझे मदहोश करने लगी मैंने कपड़ो के बैग को गोद में रख लिया मेरी टांग काकी की जांघ से रगड़ खा रही थी उफ्फ्फ ये हवस की आग साली जब इसमें जलता है बदन तो कुछ होश रहता नहीं मेरा हाल भी कुछ ऐसा ही हो रहा था काकी ने अपना हाथ अपने घुटने पर रखा हुआ था मैंने उसे पकड़ कर बैग के निचे से अपने लंड पर रख दिया काकी ने जलती नजरो से मुझे देखा और हाथ को हटाने लगी पर अब टेम्पो में कोई तमाशा भी नहीं कर सकती थी वो


मैंने तो बेशर्मी की चादर ओढ़ ली थी मैं अपने हाथ से काकी के हाथ को लंड पर दबवाने लगा आहिस्ते आहिस्ते से काकी का चेहरा पूरा लाल हो गया था पसीना टपक रहा था चेहरे से पर ये मजा ज्यादा देर चला नहीं क्योंकि हमारा स्टॉप आ गया था तो हम उतर गए मैं किराया देने चला गया , मुझे पता था की काकी अब कुछ ना कुछ कहेंगी पर वो चुप ही रही पैदल चुप चाप चलते हुए हम मोहल्ले की तरफ आये मैं घर जाने के लिए मुड रहा था की काकी बोली- रुक जरा मेरे साथ आ

तो मैं काकी के घर आ गया , काकी ने ताला खोला और हम अंदर आये काकी ने दरवाजा बंद किया और मेरा कालर पकड लिया

काकी- बड़ी आग लगी है तुझमे उम्र तो देख अपनी कल का छोरा है और माँ की उम्र की औरत पे डोरे डाल रहा है

मैं समझ गया था की इसकी अभी लेनी पड़ेगी चाहे थोड़ी जोर- जबरदस्ती ही क्यों ना करनी पड़े

मैं काकी की चूत को दबोचते हुए- जब साथ में तेरे जैसा माल हो तो डोरे डालने पड़ते है और तू क्या जो बार बार मेरे लंड को दबा रही थी , जब तुझे शर्म नही आ रही थी ,

काकी – चल तेरी माँ के पास तेरी सारी आग निकलवाती हु, उसे भी तो पता चले बेटा क्या काण्ड करते फिर रहा है

मैं- ले चल जरुर पर अभी नहीं तुझे चोदने के बाद, शिकायत तो करेगी तू अच्छे से बताना कैसे तुझे रगड़ के छोड़ा मैंने

काकी मेरी और देखती रह गयी मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया रु बोला- देख इसे, अपनी चूत का दरवाजा खोल इसके लिए घर पर कोई नहीं है चाहे जोर करना पड़े काकी आज तेरी चूत मारके ही रहूँगा
मैंने काकी को अपनी गोदी में उठा लिया वो मुझे गालिया देते हुए छुटने की कोशिश करने लगी
मैंने काकी को अपनी गोदी में उठा लिया वो मुझे गालिया देते हुए छुटने की कोशिश करने लगी
पर हम भी औरतो की नस नस को समझने लगे थे ,मैं जान गया था की ये फ़ालतू नखरे चोद रही है एक बार लंड ले लेगी तो धडाधड कूदेगी , टेम्पो में कैसे बार बार लंड को ही देख रही थी और काकी को चोदने के बाद दोनों माँ-बेटियों को रगड़ना आसान हो जाना था मेरे लिए

मैं काकी को बिस्तर पर पटकते हुए – देख काकी, मेरे लंड को देख , सोच जरा जब तेरी चूत और मेरे लंड का मिलन होगा तो कितना मजा आएगा , मैं काकी ने हाथ में लंड देता हुआ- देख जरा क्या तुझे पसंद नहीं आया मैं तो टेम्पो में ही समझ गया था की तुम्हे लंड की प्यास है , काकी अब घर की घर में लंड मिल रहा है तो क्यों नखरे करती हो अपना दोनों का फायदा हो जायेगा

मैं- काकी मजा लेना कोई गुनाह नहीं है और मैंने भी तुम्हारी आँखों में उस प्यास को पढ़ लिया है देख मेरे लंड को तेरी प्यास को जी भर के बुझाएगा , वैसे भी काका हॉस्पिटल में है क्या पता कब तक इस लायक हो सकेंगे की तेरी मारे, इतने दिन कैसे गुजारा करेगी , ये शर्म वरं कुछ नहीं होती एक बार चुद ले फिर सब सेट हो जाता है

काकी मेरी तरफ आँख फाड़े देखे जा रही थी उनकी तो जैसे आवाज ही बंद हो गयी थी मैं उसकी जांघ को सहलाने लगा और फिर धीरे से उनकी सलवार के नाड़े को पकड लिया और खीच दिया काकी बोली- क्या तू सच में मुझे खराब करेगा

मैं- ख़राब नहीं , प्यार करूँगा तुझसे, देख लंड की जरुरत हर चूत को होती है तुझे भी है पर तू बता नहीं रही
काकी- कितना गन्दा बोलता है तू

मैं उसकी सलवार को निचे करते हुए- मैं चोदता बहुत अच्छा हु

सलवार उतारते ही उसकी गोरी गोरी टाँगे मेरे सामने थी हलकी सी मोटी टाँगे मैं काकी के ऊपर लेट गया और उसको चूमने की कोशिश करने लगा वो अपने मुह को इधर उधर करने लगी मेरा लंड उसकी चूत पर टक्कर मारने लगा उसकी चूत गीली लगी तो मैं बोला- भोसड़ी की नौटंकी मत कर, चूत लंड के लिए मचल रही है तू

काकी विरोध तो बिलकुल नहीं कर रही थी पर हाँ भी नहीं कर रही थी पर अपने को आज मंजू की माँ चोद्नी ही थी वैसे भी लंड को बस चोदने से मतलब होता है फिर चूत चाहे किसी की भी हो क्या फरक पड़ता है काकी चुपचाप लेटी हुई थी मैं उनकी टांगो को फैलाया और उनके ऊपर फिर से लेट गया काकी मेरे बोझ से दबते हुए गहरी साँसे लेने लगी मैंने अपने लंड को चूत पर सेट किया तो काकी कसमसाने लगी और मेरा सुपाडा चूत को फैलाते हुए अन्दर जो जाने लगा

काकी- कमीने, सुखी में ही पेल रहा है कम से कम थूक तो लगा लेता अआह्ह चीरेगा क्या

मैं- मेरी जान तू खुश होके कहा दे रही है वर्ना तुझे प्यार से चोदता

काकी- आः आःह्ह्ह

मैं-बस घुस गया , घुस गया

काकी की टाँगे अपने आप चौड़ी होती चली गयी मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुसा हुआ था

मैं- कैसा लग रहा है मेरी जान

काकी- दर्द कर दिया कमीने

मैं- बिना दर्द के कहा मजा मिलता है जानेमन

मैंने काकी के होंठो को अपने होंठो से लगा लिया और किस करते हुए लंड को चूत के अंदर बाहर करने लगा काकी की चूत भी गीली होने लगी कुछ देर किस करने के बाद मैंने हाथ बढा कर उसकी कुर्ती और ब्रा को भी खोल दिया और काकी को नंगी करके पेलने लगा , चूत चाहे किसी की भी हो एक बार लंड लेने के बाद पूरा मजा देती है मैं काकी को मजे से चोद रहा था

मैं- मजा आ रहा है

काकी कुछ नहीं बोली

मैं- बता ना

काकी- आ रहा है तभी तो तुझे ऊपर चढ़ा रखा है

मैं- तो फिर बार बार चुदेगी ना

काकी- एक बार तो कर पहले

जल्दी ही काकी की दोनों टाँगे हवा में उठी हुई थी उसकी छुहारे जैसे चूत को मेरे लंड ने चौड़ा किया हुआ था पर दो बच्चो की माँ होने के बाद भी काकी को चोदने में आ पूरा मजा रहा था मुझे तो मैंने अब काकी को बिस्तर से उतार दिया और दरवाजे के पास दिवार से लगा कर खड़ा कर दिया मैंने पीछे से अपने लंड को चूत के छेद पर लगाया और घुसेड दिया अन्दर

काकी- आह रे,

मैंने उनकी छातियो को पकड़ लिया और दबाते हुए काकी को चोदने लगा काकी की सिस्कारिया अब तेज होने लगी थी मेरी बाँहों में कैद वो चुदाई का सुख को अनुभव कर रही थी , तूफानी गति से मेरा लंड उसकी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था ऊपर से उसकी चूचियो की घुंडी को जब जब मैं मसलता तो कामुकता की लहर काकी के पुरे बदन में दौड़े जा रही थी

मैं- मजा आ रहा है काकी

काकी- आह रे फाड़ ही डाली तूने तो

मैं- तभी तो मजा आएगा मेरी प्यारी काकी

काकी- थोडा और जोर से कर , ओह्ह्ह्हह मा कितना मोटा लौदा है रे तेरा

मैं- मेरा मोटा लंड और तेरी पतली चूत तभी तो मजा आएगा मेरी रानी

काकी पर अब चुदाई का पूरा खुमार चढ़ चूका था था ,काकी ने अपनी गांड को और पीछे की तरफ कर लिया और मेरे धड धडाते लंड को अपनी चूत में अन्दर बाहर करवाने लगी , काकी के बदन से आती पसीने की
 

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खुशबू ने मुझे और पागल कर दिया मैंने काकी को अब घुटनों पर झुका दिया और उनके कुलहो को पकड़ के उनको चोदने लगा तो काकी की टाँगे उनके बोझ से बुरी तरह कांपने लगी थी काकी की चूत से टपकता रस मेरे अन्डकोशो तक आ पंहुचा था मैं मजबूती से उनके चूतडो को अपनी हथेलियों में थामे धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था काकी की चूत पुच पुच करने लगी थी



उफ्फ्फ ये जवानी की आग , ये जिस्मो की अनबुझी प्यास इंसान से क्या से क्या करवा देती थी तक़दीर मुझे कहा ले आई थी आज देखो बस एक नशा सा चढ़ गया था मुझ पर हर माध्यम उम्र की औरत बस माल लगती थी, जिसे मैं अपने बिस्तर पर खीच लाना चाहता था ये चूत की प्यास मेरे सर चढ़ कर बोल रही थी काकी अब झड़ने के कगार पर आ पहुची थी उन्होंने अपने चुतड ऊपर को उठा लिए और टांगो को भीच लिया आपस में कस में मैं तेज तेज धक्के लगाने लगा काकी की चूत बाहर को फैलने लगी और कुछ मिनट बाद काकी तेज आवाज करते हुए ढह गयी , काकी की बेकाबू साँसे , उसके जिस्म की गर्मी जो मेरे लंड को और दीवाना कर रही थी

काकी झड चुकी थी पर मैं अभी भी बेकाबू था काकी को मैंने बिस्तर पर पटका और फिर से उस पर चढ़ गया और लंड को फिर से पेल दिया काकी भी अनुभवी औरत थी तो वो मेरे झटको को झेलती रही

मैं- काकी, तेरी चूत सच में बहुत रसीली है देख मेरा लंड झड़ ही नहीं रहा है

काकी अपनी तारीफ़ सुनकर खुश होने लगी

मैं- काकी अब रोज चुदवायेगी ना

काकी कुछ नहीं बोली

मैं- बता ना रोज देगी ना

काकी- रोज तो नहीं पर कभी कभी

मैं- चल ठीक है कभी कभी में ही तेरी चूत को रगड़ लूँगा

मैं मस्ती में काकी के गाल खाने लगा काकी मेरी पीठ पर अपना हाथ रगड़ने लगी थोड़ी देर बाद काकी पर फिर से मस्ती छाने लगी तो उसने अपनी टांगो कु ऊपर की तरफ कर लिया और गांड को उचकाते हुए चूत मरवाने लगी मैं काकी की जीभ को चूसने लगा तो वो और ज्यादा मस्ती से भर गयी थी मेरा मन कर रहा था की काकी को बूँद बूँद करके चूस जाऊ , काकी की लिसलिसी जीभ को चूसने में बड़ा मजा आ रहा था कुछ देर बाद मैंने अपना मुह हटाया और काकी को पलंग पर साइड में लिटा दिया


और खुद उनके पीछे आकर फिर से लंड को चूत की गहराइयों में उतार दिया मैं काकी के पेट को सहलाने लगा काकी ने मेरे हाथ को अपने बोबे पर रखवा दिया और हलके हलके से दबाने लगी ,

मैं- मस्त हो रही हो

काकी- अब जब चुदना ही है तो मस्त होकर ही चुद लू

मैं- ये हुई ना बात मेरी रानी, तू अब देख तेरा कितना ख्याल रखता हु मैं तू बस एक इशारा करना मेरा लंड तुरंत तेरी सेवा में हाज़िर हो जायेगा

अब मैं काकी को चोदते हुए उसकी चूत के दाने को ऊँगली से सहलाने लगा तो काकी मचलने लगी और धीमी धीमी सिसकिया भरने लगी चुदाई का आलम और ये मस्ती , दिल आज इतना खुश था की क्या बताऊ दरअसल काकी की चूत मिलने से दो काम हो गए थे की एक तो नयी चूत का जुगाड़ हो गया था दूसरा मंजू की तरफ से टेंशन फ्री बल्कि अब दोनों माँ-बेटी को ही चोदना था आजकल वैसे भी पांचो उंगलिया घी में और सर कडाही में था मेरा


तो अब मेरे बदन में तरंगे मस्ती की कुछ ज्यादा जोर मारने लगी थी तो मैंने काकी को टेढ़ी से सीढ़ी करके लेटे लेटे ही ऊपर को उठा लिया और निचे से चूत में धक्के लगाने लगा तो काकी सिस्याने लगी और बोली- मैं छुटने वाली हु कस कस के पेल मार तो मैं तेज तेज धक्के मारने लगा हर धक्के के साथ मेरे लंड की नसों में मस्ती की झनझनाहट बढती जा रही थी और फिर काकी लम्बी लम्बी साँसे लेने लगी और मेरे लंड ने भी अपना गरम वीर्य काकी की चूत में छोड़ दिया मेरे वीर्य की धार से काकी की चूत भीगने लगी

कुछ देर बाद मैं और काकी एक दुसरे की बाहों में निढाल पड़े थे काकी ने मेरे मुरझाये हुए लंड को अपने हाथ में ले रखा था और बोली- आज तो पस्त कर दिया तूने मुझे

मैं- काकी तुम भी कम नहीं हो

काकी- पर मेरी एक बात सुन ले , तूने ले तो ली मेरी पर अब इस बात का ध्यान रखियो की ये राज़ बस हम दोनों तक ही रहना चाहिए

मैं- ऐसी बाते क्या किसी को बताने की होती है , तुम बेफिक्र रहो बस मेरे लंड का ध्यान रखना

काकी- वो तो अब रखना ही पड़ेगा ना , चल अब तू जा पुरे बदन में दर्द कर दिया है तूने मैं जल्दी से नहा लेती हु फिर वापिस हॉस्पिटल भी जाना है मुझे

काकी नंगी ही उठी और बाथरूम में चली गयी मैं थोड़ी देर और लेटा रहा मन अभी भी पूरी तरह से नहीं भरा था तो मैं भी फिर बाथरूम मे ही चला गया काकी का गीला बदन देख कर फिर से मेरा पपलू गरम होने लगा
काकी- अब क्या

मैं- मैं भी थक गया हु यही नहा लेता हु आपके साथ

काकी मुस्कुराई तो मैं भी हस दिया , मैंने अपने लंड को साबुन से अच्छे से धोया और फिर काकी को चूसने को कहा

काकी न नुकुर करने लगी , पर मैंने उसको मना ही लिया काकी ने अपने होंठो पर जीभ फेरी और घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी , शुरू में बस वो सुपाडे को ही होंठो में दबा रही थी पर फिर धीरे धीरे उसने काफी हिस्से को मुह में ले लिया मैं अपने हाथो से काकी के चेहरे पर आते हुए गीले बालो को हटाने लगा काकी की आँखों में नशा भरने लगा फिर से वो अपनी नशीली आँखों से मेरी और देखते हुए लंड चूस रही थी , जल्दी ही मेरा लंड तन कर फुल फोरम में आ गया


मैंने काकी को कहा मेरे लंड पर बैठ जा , मैं बाथरूम के फर्श पर ही लेट गया और काकी ने अपनी गांड मेरे पेट पर टिका दी काकी की छोटी छोटी चूचिया जिनमे कसावट बहुत थी मैं उनको दबाने लगा काकी थोड़ी सी निचे को सरकी और फिर मेरे लंड पर बैठने लगी , फिर उसने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रखे और मेरे लंड पर अपनी गांड से घस्से लगाने लगी , हम दोनों के गीले बदन बीच बीच में वो डिब्बे से पानी भी उड़ेलती जा रही थी हम दोनों पर तो और मजा आने लगा


धीरे धीरे आहे सिसकियो में बदलती गयी अबकी बार काकी मुझे अपना अनुभव दिखा रही थी वैसे भी मैं तो ये पहले से ही मानता था की जो आग 35+ की औरतो में होती है वो लडकियों में हो ही नहीं सकती कहने को तो मंजू और पिस्ता भी कम नहीं थी इस खेल में पर गीता ताई को ही देखो , कितनी आग भरी हुई थी उनमे जितना मजा उसको चोदके आता था उतना मंजू में नहीं आता था , बिमला भी मस्त देती थी पर अब उसकी चूत कहा थी नसीब में


काकी की चूत बार बार मेरे लंड पर ऊपर निचे हो रही थी मैंने तो अपनी आँखों को बंद कर लिया और खुद को काकी के हवाले कर दिया कूद ले जब तक तेरा दिल चाहे , पर वो भी खिलाड़िन थी इस खेल की जल्दी ही फर्श पर घोड़ी बनी हुई थी और मैं पीछे से उसकी चूत को पेल रहा था काकी की गेंद जैसी चूचियो को बेदर्दी से मसलते हुए मैं दनादन उसको पेल रहा था उफ्फ्फ बस बाथरूम में आग ही लग गयी थी काकी ने तो आज समा ही बाँध दिया था मेरे को तो अपनी किस्मत पर कभी कभी यकीन नही आता था ऐसे लगता था की जैसे कोई हसीं ख्वाब है जो आँख खुलते ही टूट जायेगा


तो साहेबान काकी को तबियत से बाथरूम में पेलने के बाद अपनी हिम्मत भी कुछ पस्त सी हो गई थी उसके बाद काकी को छोड़कर मैं अपने घर आ गया ,भूख लगी थी बड़ी तेज तो पहले पेट-पूजा की उसके बाद टीवी देखते देखते कब नींद आ गयी पता नहीं चला
शाम को उठा तो सर कुछ भारी भारी सा हो रहा था तो एक कड़क चाय पीकर प्लाट में चला गया घास काटी भैंसों को नहलाया काफी सूखी घास भी इकट्ठी हो रखी थी तो उसको तीली लगा दी इन सब कामो में बहुत देर लग गयी फिर नहा धोकर मैं अपने दोस्तों से मिलने मंदिर की तरफ चला गया तो वहा जाके पता चला की कल मीठी ग्यारस है तो मीठा पानी पिलाने का प्रोग्राम कल सुबह से ही शुरू कर देंगे और फिर रात को रागनी का प्रोग्राम भी है

सब तैयारी तो हो ही चुकी थी पर फिर भी हमने हर एक चीज़ को अच्छे से देख भाल लिया प्रोग्राम के लिए टेंट वगैरा लगाया गया तो काफी रात हो गयी थी कई चीजों का बंदोबस्त करने में ऊपर से गाँव में चुनावी सीजन तो कुछ और लोग भी आ गए तो वही महफ़िल जम गयी कुछ बाते कुछ मजाक काफी अच्छा लग रहा था सुबह
 

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करीब दो बजे मैं घर गया कुछ ही देर सोया था की घर वालो ने जगा दिया मैंने घडी देखि तो सुबह के सात बज रहे थे मैं नाश्ता करके सीधा गाँव में अड्डे पर पहुच गया


ऐसा प्रोग्राम मैंने पहले कभी नहीं देखा था सब लोग सड़क पर आती जाती गाडियों को बसों को रुकवा रुकवा कर सबको शर्बत पिला रहे थे , मैं भी सहयोग कर रहा था की तभी लादेन अपने कुछ दोस्तों के साथ आया और बोला -भाई ये एक बोरी चीनी और दूध भाभी ने पहुचवाया है

मैं- किसलिए

वो- प्रोग्राम में सहयोग के लिए

मैं कुछ बोलता उस से पहले ही मेरे दोस्त लोगो ने ऐतराज़ कर दिया की दूसरी पार्टी वाले लोगो का सामान नहीं लेना

तो मैंने उनको समझाया की हम जो काम कर रहे है वो धर्म का काम है वोट अपनी जगह है उनका इस काम से क्या लेना देना

मैंने लादेन से कहा की- भाभी जी को हमारी तरफ से शुक्रिया कहना की उन्होंने मदद की और तुम लोग भी हो सके तो हमारे साथ जुट जाओ , ये तो सबका काम है , और हम सब एक ही तो है एक गाँव के

लादेन को मुझ से ऐसी उम्मीद नहीं थी पर वो लोग भी जुट गए चलो अच्छा ही था यार पिछले दिनों जो पंगा बाज़ी हुई थी उसे भूलकर कुछ नयी शुरुआत हो जाये तो उस से बेहतर क्या हो सकता था

भगवन की दया से शाम तक खूब बरकत से प्रोग्राम चला अब रात को रागनी प्रोग्राम शुरू होना था तो दोस्त लोगो से ऐसा बोल कर की मैं जल्दी ही आता हु मैं घर की तरफ चल पड़ा तो मैंने देखा की पिस्ता के घर के बाहर टेंट लगा हुआ है , मैं समझ गया की आज सगाई वाले आये होंगे , पता नहीं क्यों यार बुरा सा लग रहा था ऐसा लग रहा था की उसकी जुदाई सहन नहीं हो पायेगी पर फिर दिल को ऐसे समझा लिया की भाई दोस्त घर बसाने की शुरुआत कर रही है तो उसको अच्छी दुआ दू

पर दिल साला गुस्ताख , कहा किसी की सुनता है घर आया और बैठ गया

चाची- क्या हुआ परेशान लग रहे हो

मैं- बस ऐसे ही

वो- मुझे बता क्या बात है

मैं- कहा न कुछ नहीं बस ऐसे ही

मैं उठ के अपने कमरे में चला गया और दरवाजा कर लिया बंद रोने को जी कर रहा था तो कुछ आंसू बहा लिए अब हम कोई उस टाइप के मर्द तो थे नहीं जिसे दर्द नहीं होता , थोड़ी देर रोने से जी कुछ हल्का सा हो गया पर करार नहीं आया , रात को एक आधी रोटी ही खायी मैंने , फिर ध्यान आया की रागनी प्रोग्राम है तो नहा धोकर नयी शर्ट पहनी आधी बाजु वाली और आँखों पर लगाया चश्मा थोडा पोंड्स का पाउडर लगाया खुशबु के लिये और चल दिए प्रोग्राम में


स्टेज के पास ही दोनों साइड में सोफे लगाये गए थे अब दोनों पार्टी को निमंत्रण था तो उधर से भी कोई तो आना ही था , मैं गया तो देखा की बिमला , ताई और चाचा पहले से ही मौजूद थे , अब इन सालो को कही चैन नहीं मिलता , चाचा भोसड़ी का एक नुम्बर का चोदु लाल, मैं हाथ जोड़ कर लोगो का अभिवादन करते हुए स्टेज पर चढ़ा तो बिमला की गांड बुरी तरह से सुलग गयी , आँखों पर चश्मा लगाये मैं खुद को अजय देवगन से कम नहीं समझ रहा था


तभी मेरी नजर दूसरी तरफ पड़ी तो मैंने देखा लादेन, जो भाभी खड़ी थी उसका देवर, उसका पति और फिर जिस चेहरे पर नजर पड़ी दिल मचल गया , ये तो वो ही औरत थी जो उस दिन पानीभर रही थी , मतलब ये ही थी जो बिमला की टक्कर में खड़ी थी , मेरे तो सारे अरमान दिल में ही दम तोड़ गए कहा तो गीता ताई की मदद से इसको चोदने का सोच रहा था और कहा ये सिचुएशन पर हम भी चाय कम पानी थे, खुराफात करनी पूरी


मैं आगे बढ़ा और जाके दूसरी पार्टी वालो से हाथ मिला लिया , नमस्कार किया उनको और साथ ही भाभी जी को बड़ी गहरी निगाहों से देखा मैंने उसको , उसने भी हस कर मेरे प्रणाम का जवाब दिया फिर मैं आके बिमला के पास बैठ गया और प्रोग्राम देखने लगा , पर निगाहे बार बार भाभी जी की तरफ ही जा रही थी उन्होंने भी गौर किया की मेरी नज़रो की मंजिल किस तरफ है , पर चुनावी रंग आ ही गया प्रोग्राम में लादेन ने कलाकारों पर पैसे वारने शुरू कर दिए तो चाचा ने भी अपना बैग खोल दिया


और होड़ मच गयी पर मेरा ध्यान इन फ़ालतू बातो के हट कर उस हुस्न के प्याले पर जमा हुआ था जिसकी बेताकलुफ्फी मेरी हसरतो में आग लगा रही थी ,पता नहीं क्यों नजरे उसकी नजरो से ही जाके टकरा रही थी , हम तो बस दीदार कर रहे थे उनका की तभी चाय- नाश्ता आ गया तो मैं स्टेज से उतर का अपने दोस्तों के पास चला गया और व्यवस्था के बारे में पूछने लगा सब काम एक दम सही था पर चूँकि मुझे पिताजी का सख्त आदेश था की ज्यादा देर उधर नहीं रहना है तो मेरी मज़बूरी थी घर जाने की


पर जाने से पहले अपना रंग तो छोड़ना जरुरी था,मैं स्टेज पर गया और जेब से नोटों की गड्डी निकाल ली तो भाभी जी की नजर मिली मैंने नजरो नजरो में इशारा कर दिया की ये वारना आपके नाम , उन्होंने भी मुस्कुरा कर शुक्रिया काहा फिर मैं घर आ गया

सुबह मुझे चाची ने जगाया तो मैंने देखा मेरा लंड खड़ा था तो मैंने चाची का हाथ अपने लंड पर रख दिया वो उसे मसलने लगी ,

मैं- सारी दुनिया मेरी तरफ देखती है पर आप को ही मेरी परवाह नहीं है

वो- मैंने तुझसे कहा ना,

ठंडा कर दू क्या

मैं- नहीं इसको तो बस आपके होंठो की प्यास हो रही है अभी तो

तो चाची बोली- ठीक है चल तू भी क्या याद करेगा

चाची ने मेरी निक्कर को निचे किया और अपने मुह को मेरे लंड पर झुका लिया सुबह सुबह अपने लंड पर चाची की गरम साँसे पाकर मैं तो मदहोश हो गया चाची ने मेरे सुपाडे की खाल को खीच कर निचे किया और फिर अपने होंठो में मेरे सुपाडे को दबा लिया उफ्फ्फ जिस अंदाज से वो मेरे लंड को चूस रही थी बदन का हर तार लरज गया उफ्फ्फ चाची कितना अच्छे से चुस्ती हो आप , शाबाश मेरी प्यारी चाची चाची ने मेरे लंड को पूरा अपने मुह में लिया ही था की तभी निचे से मम्मी फिर इतना उतावला पण कैसे

मैं- मुझसे कण्ट्रोल नहीं होता

चाची- तो क्या करू, इसको हाथ से की आवाज आई तो वो तुरंत निचे चली गयी हाय रे मेरी फूटी किस्मत तो मैंने भी अपने अरमानो पर काबू पाया और बाथरूम में घुस गया

वापिस आया तैयार होके खाना खा ही रहा था की मंजू और उसका भाई भी आ गए ताऊ के साथ तो उनको भी खाना परोस दिया गया , तो बातो बातो में पता चला की रतिया काका की हालात में सुधार हो रहा है आज एक बड़ा डॉक्टर आएगा देखने फिर वो भी बताएगा की छुट्टी कब तक मिलेगी उनको

मैं- छुट्टी मिल जाए तो ठीक रहे, घर आ जायेंगे, ठीक होने में तो टाइम लगेगा पर घर के माहौल से फरक तो पड़ेगा

फिर मैंने मंजू से चुपके से कहा की आज देगी क्या

मंजू- नहीं यार, आज भाई बोल रहा था देने के लिए तो तू समझ सकता है ना

मैं- चल कोई नहीं तुम लोग ऐश करो , वैसे भी हॉस्पिटल में रह कर बोर हो गए होंगे मंजू तुम दोनों आज इधर ही रुक जाना रात को मैं जाता हु हॉस्पिटल काकी काका के पास

तो मंजू बात मान गयी और उसने वादा किया की वो जल्दी ही मुझे भी खुश कर देगी आसमान में सुबह से ही बादल छाए हुए थे मोसम रोमांटिक सा हो रहा था तो मैं घर से बाहर निकल कर गीता ताई के घर की तरफ चल पड़ा सोचा उसका भी हाल चाल पूछ लिया जाये जा रहा था की पानी की टंकी पर पिस्ता से मुलाकात हो गयी कोई आस पास था नहीं तो मैं रुक गया

पिस्ता- कहा जा रहे हो

मैं- कुवे पर जा रहा हु

वो- ठीक है मैं उधर ही मिलती हु आधे घंटे में
 

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मैं- तेरी मर्ज़ी है


वो- दुखी क्यों है तू

मैं- कौन दुखी है

वो- अच्छा , अब मुझसे भी झूठ बोलेगा

मैं- कुवे पर आजा , जल्दी से

मैं फिर गीता ताई के घर गया तो ताला लगा था दरवाजे पर तो मैंने सोचा की शायद घास लेने या किसी काम से गयी होगी आज का दिन ही पनौती था जिधर भी जा रहा था हर रास्ता बंद ही मिल रहा था तो मैं कुवे पर आ गया कमरे को खोला मोटर चलाके थोडा पानी का छिडकाव किया और पिस्ता का इंतज़ार करने लगा , कुछ देर बाद वो भी आ गयी हाथो में एक डिब्बा लिए

मैं- इसमें क्या है

वो- इसमें मिठाई है तेरे लिए

मैं- जले पर नमक छिड़कने के लिए

वो- तू समझता क्यों नहीं बात को

मैं- कहा कुछ कह रहा हु , चल ला क्या लायी है वैसे भी तेरे हाथ का बना कुछ खाया नहीं काफी वक़्त से तेरे हाथ का नहीं तो तेरी सगाई की मिठाई ही सही


पिस्ता ने जलती निगाहों से मेरी और देखा और बोली- अच्छा लग रहा है न तुझे चल तेरी ख़ुशी इसी में है तो तेरे ताने भी सुन लुंगी मैं


मैं- रसगुल्ले मस्त है

पिस्ता- बर्फी भी खा ले मेरी सगाई की है

सच कहू तो हम दोनों आड़ ले रहे थे शब्दों की अपनी भावनाए छुपाने के लिए कुछ परेशान वो थी कुछ तनहा मैं था, दिलो में बहुत कुछ था कहने को पर होंठो पर जैसे ताला लगा था

मैं- कुछ सब्जी वब्ज़ी न बची कल की थोडा पनीर ,छोले होते तो मजा आ जाता

पिस्ता- भोसड़ी के, मैंने होटल खोल रखा है क्या मैं यहाँ तुझे मिलने आई हु तू रो रहा है फ़ालतू में

मैं- तो क्या करू यार, ऐसा लगता है की तू पल पल मुझसे दूर जा रही है , मुझे तेरे बिना जीने में मुश्किल होगी

पिस्ता- तुझे कितनी बार समझाया है की तू फालतू के फिल्मी डायलोग मत मारा कर, तू मेरा दोस्त है मरते दम तक मैं तुझसे दोस्ती निभाऊ गी पर तेरी समझ में ही नहीं आ रहा

मैं- हां, अब तो तू यही कहेगी

वो- फिर से बोल

मैं- अब तुझे तेरा मिस्टर मिल गया तो हम जैसो की क्या जरुरत तुझे

वो- तुझे क्या लगता है की तू बस मेरी जरुरत है

मैं- मुझे कुछ नहीं पता

वो- तो फिर क्यों एक्टिंग कर रहा है

मैं- बस मैं तुझसे दूर नहीं रहना चाहता

वो- अभी क्या तू चोबीस घंटे मेरे साथ रहता है

मैं- तू मत कर शादी यार

पिस्ता- कितने दिन तक रुकुंगी

हम दोनों के बीच थोड़ी टेंशन सी होने लगी थी

पिस्ता- तो क्या , मैं कुंवारी ही रहू, जिस से मेरा रिश्ता हुआ है वो मास्टर है , सरकारी और फिर मैं क्यों न करू शादी

मैं- बस तू मत कर

वो- ठीक है तू कहता है तो नहीं करती , पर फिर मेरा क्या

मैं- चुप रहा

पिस्ता- ठीक है एक काम कर तू कर ले मुझसे ब्याह

मैं- क्या बोल रही है

वो- क्यों जब तुझे मेरी इतनी ही पड़ी है तो कर ले ब्याह , मुझे तो किसी न किसी की चूड़ी पहननी है तेरी पहन लेती हु , बोल करेगा मुझसे ब्याह

मैं कुछ बोलता उस से पहले ही पिस्ता ने पास राखी दरांती से मेरे अंगूठे को चीर दिया दर्द की एक तेज लहर मेरे शरीर में दोड़ गयी खून की धार बह निकली

पिस्ता- ले आज इसी वक़्त मेरी मांग तेरे खून से भर दे मुझे डर नहीं दुनिया की कसम है तेरी अभी इसी समय तेरी ब्याहता बनकर तेरे घर चलूंगी ले भर ले मेरी मांग

मैं- यार, ये कुछ ज्यादा ही हो रहा है

पिस्ता- तो भोसड़ी के इतनी देर से तुझे क्या समझा रही थी मैं पर तू समझता ही नहीं

मैं- तू नहीं समझ रही है

पिस्ता- देख मुझे नहीं पता तुझे क्या लगता है तू क्या सोचता है पर तेरे को आप्शन देती हु या तो अभी मेरी मांग भर दे और अपनी बना ले या अगर तूने मुझे कभी अपना माना हो तो मुझे ख़ुशी ख़ुशी विदा कर दे पिस्ता की आँखे भर आई , मैंने उसे सीने से लगा लिया और खुद भी रोने लगा

“तेरे दर्द से दिल आबाद रहा , कुछ भूल गया कुछ याद रहा “

बस जुदाई से ही तो डरता था मैं , खुदा जाने क्या लिख रहा था मेरी तकदीर में एक एक कर सब अपने दूर होते जा रहे थे नीनू डेल्ही चली गयी थी , पिस्ता सगाई कर रही थी बहुत मुश्किल से रोक पा रहा था मैं अपने आप को पर पिस्ता की आँखों में आंसू देख कर मैं खुद की रुलाई पर काबू नहीं कर पाया बहुत देर तक हम दोनों रोते रहे दिलो का दर्द आंसुओ के रस्ते से बहता गया

पिस्ता- मुझे जाने दे मेरे पांवो में बेडिया मत बाँध , मैं तो बर्बाद हु ही तू अपनी जिंदगी जी

मैं- तेरे बिना कैसी जिंदगी

वो- पर मैं तुझसे जुदा कहा

मैं- साथ भी तो कहा

वो- जिस तरह राधा श्याम की उसी तरह पिस्ता तेरी , तेरे सर की कसम मेरी हर सांस बस तेरी है और फिर सबको कहा ख़ुशी मिला करती है कुछ लोग बदनसीब भी रहने चाहिए अपनी तरह

मैं- जिस पल तू जाएगी मेरा मुक्कदर रूठ जायेगा

वो- जाना पड़ेगा मुझे

मैं- तो जा किसने रोका है

वो- ख़ुशी ख़ुशी विदा करदे अपनी दोस्त को अपनी आँखों के पानी को पोंछते हुए मैं बोला- मुझ फ़क़ीर के पास क्या तुझे देने को

वो- दुआ तो होंगी

मैं- मैं तो बस ये ही बस यही चाहता हु की तुम खुश रह सदा हर सुख तुम्हारे पाँव चूमे मेरी दुआ तो हर पल तेरे साथ ही रहेंगी

पिस्ता- तो फिर इस भार से मुक्त कर दे मुझे


मैं- कौन से से
वो- की तू अब इस बात से उदास नहीं होगा की मैं जा रही हु, तेरी ये निगाहें मेरा कलेजा चीर जाती है या तो अपना बना ले या फिर हस्ते हुए जाने दे मुझे

मैंने पिस्ता को गले लगा लिया और बोला- माफ़ कर दे यार, अब कोई गुस्ताखी नहीं होगी तू जैसा चाहेगी वैसा ही होगा

पिस्ता- तो वादा कर मेरी शादी में आएगा,

मैं- तेरी कसम यार

“ये दुआ है मेरी रब से तुझे आशिको में सबसे मेरी आशिकी पसंद आये ”

अब मुसाफिरों की तो यही जिंदगी होती है यारो , धुप छाया का खेल तो सदा चलता रहता है बस कुछ यादे रह जाया करती है जो अक्सर तब आती है जब आदमी दुखी होता है तो चलो अब जो तक़दीर करवाए वो ही सही कुछ देर रुकने के बाद पिस्ता चली गयी इस वादे के साथ की ब्याह से पहले जितना हो सके वो मेरे साथ ही टाइम बिताएगी

मैं भी घर की और चल पड़ा रस्ते में मुझे गीता ताई मिल गयी तो उसने घर आने को कहा मैं ताई के पीछे पीछे घर चला गया तो वो बोली- सुन एक बात बतानी है

मैं- क्या

वो- वो जो अवंतिका है ना

मैं- कौन

वो- परले थोक की , जो बिमला की टक्कर में खड़ी है

मैं- तो
 

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वो- उसका संदेसा है तेरे लिए


मैं- मेरे लिए क्या

वो- सुन ले पहले मेरी बात
मैं – हां
वो- अवंतिका ने कहलवाया है की वो तुझसे मिलना चाहती है एक बार

मैं- पर मुझसे क्यों

ताई- वो उसने नहीं बताया पर कुछ बात होगी तभी

मैं- ठीक है मिल लेता हु पर ताई मामला खीचा पड़ा है कही कोई चाल तो नहीं

ताई- हो सकता है पर मेरी उस से थोड़ी बोल चाल है तो मैं इतना जरुर कह सकती हु की वो अपने परिवार की तरह घमंडी नहीं है , अच्छे मन की है

मैं- आप कहती हो तो मीटिंग फिक्स कर लो मिल लेता हु

ताई- ठीक है मैं बताती हु

मैं- हां, पर अभी अपनी मीटिंग का क्या

ताई- थोड़ी फुर्सत आने दे फिर तेरा जुगाड़ भी कर दूंगी

मैं- ताऊ का क्या हाल

वो- बेटा, उसको पता नहीं क्या कह दिया उस दिन तूने, ४-५ दिन होने को आये शराब को छुआ भी नहीं है टाइम से काम से आता है मुझसे भी अच्छे से बात करता है

मैं- चूत मारी के नहीं

ताई- क्या तू भी

मैं- ताऊ कस के पेल रहा लगता है तभी मेरे लिए फुर्सत नहीं आपको

ताई- ऐसा क्यों बोलता है , तेरी वजह से ही तो उसने दारू छोड़ी है , मेरे ऊपर सबसे पहला हक़ तेरा है पर तू भी जानता है की ऐसे चोरी चोरी मिलने में क्या मजा है , तेरे साथ मुझे पूरा टाइम चाहिए ताकि अच्छे से कर पाऊ


मैं—तो ठीक है पर जल्दी ही मेरा जुगाड़ कर देना

ताई – कोई कहने की बात है. पर तूने उसको क्या कह दिया जो वो दारू छोड़ दी

मैं- मैंने कहा की ताऊ अगर तूने दारू न छोड़ी तो ताई किसी और से चुदने लगेगी कब तक सहेगी बस उसको चुभ गयी

ताई- पक्का कमीना है तू

मैं- अब तो कमीना ही लगूंगा मैं

ताई हसने लगी

मैं- ताई तो वोट किसको देगी

वो- और किसे दूंगी बिमला को दूंगी

मैं मुस्कुरा दिया और घर की तरफ चल पड़ा पर ना जाने क्यों मेरे कदम थके थके से लग रहे थे , खैर घर आया तो मुझे याद आया की आज रात हॉस्पिटल में काटनी है क्योंकि मंजू और उसके भाई को मैंने ही मना कर दिया था जाने को , पिस्ता का ख्याल मन से उतर ही नहीं रहा था पर उसकी हर बात सही थी , मेरी मंजिल नहीं थी वो और उसको अपनी मंजिल बना लू उतनी मेरी औकात थी नहीं


उस से ब्याह करने का मतलब था गाँव में आग लगा देना , गाँव की गाँव में कैसे कुछ हो सकता था और दूसरी तरफ नीनू भी तो थी जो इकरार कर गयी थी इस वादे के साथ की वो ही मेरी हमसफ़र है तो आखिर खूब सोचने के बाद मैंने खुद को तकदीर के हवाले कर दिया हमेशा की तरफ और रिलैक्स होके बैठ गया ,और कर भी तो क्या सकता था मैं दिल में एक विचार और तेजी से आता था की मम्मी को नीनू के बारे में बता दू क्या

पर विचारो को हकीकत में लाने में बहुत वक़्त लगता है , शाम को हॉस्पिटल जाना था तो गाडी में पेटी लोड की दारु की और चल पड़े गाँव का राउंड लगाने , दारू बाँट कर आया तो बिमला के दर्शन हो गए तो उसे अनदेखा करके मैं घर के अन्दर जाने लगा तो उसने मुझे रोक लिया


बिमला- बात करनी है

मैं- चाचा से कर तू मेरी कौन लगे है

वो- सुन ले ना

मैं- कहा ना, मैं अजनबी लोगो से बात नहीं करता

वो- मैं तेरी भाभी हु

मैं- तो क्या नाचू

वो- देख, मुझे हर हाल में चुनाव जीतना है

मैं- तो जीत जा मैं क्या करू

वो- तू मेरी बात को समझ, देख दादाजी भी सरपंच रहे, फिर मेरे ससुर फिर तुम्हारी मम्मी भी सरपंच बनी

मैं- तो मैं क्या करू

वो- मैं भी सरपंच बनना चाहती हु , मैं कुनबे की इस परम्परा को आगे ले जाना चाहती हु

मैं- किस कुनबे की बात करती हो जिसे तुमने बर्बाद कर दिया

वो- देखो उस बारे में हम सबको पता है की मुझसे ज्यादा दोषी कौन है

मैं- हां मेरा दोष है तो फिर क्यों आई हो मेरे पास

वो- क्योंकि गाँव के 80% यूथ के वोट तुम्हारे कण्ट्रोल में है जो तुम्हारे इशारे पर पड़ेंगे अगर ऐसा हो तो मैं गारंटी से जीत जाउंगी

मैं- मुझे तुझसे कोई लेना देना नहीं है

बिमला- पर चाचाजी ने मुझे खड़ा किया है

मैं- तो उनसे वोट मांग , मैं नहीं चाहता की तू जीते

बिमला- जीतूंगी तो मैं हर हाल में , अगर मैं हार गयी तो ठीक नहीं रहेगा

मै- वो भी देख लूँगा तू अपना काम कर

बिमला को जलती हुई छोड़ कर मैं घर में चला गया

पर बिमला ने जिस अंदाज से ये बात कही थी मैं थोडा टेंशन में आ गया था वैसे तो अभी करीब बीस दिन पड़े थे चुनावों के पर कुछ तो खुराफात चल रही थी उस साली के दिमाग में पर अभी अपने को हॉस्पिटल जाना था तो खाना खाया काकी का खाना लिया और बिस्तर गाडी में पटका , और चल पड़ा सहर की और करीब आधे घंटे में मैं वहा पहुच गया काकी मुझे देख कर बोली- राहुल और मंजू नहीं आये

मैं उनको खाने का डिब्बा देते हुए- वो मम्मी ने कहा की वो लगातार हॉस्पिटल में ही थे तो आज घर रुक जायेंगे नींद भी पूरी हो जाएगी और आराम भी मिलेगा

काकी को जैसे मेरी बात पर विश्वाश हुआ ही नहीं

मैं- काका कैसे है

वो- दवाई दी है तो उसके असर से सोये है , दर्द सहन नहीं होता तो नींद की दवाई देते है अब १०-१२ घंटे आराम रहेगा

मैं- जल्दी ही ठीक हो जायेंगे

वो- देखो

फिर काकी ने खाना खाया मैं थोडा घुमने चला गया अब हॉस्पिटल में टाइम पास भी तो नहीं होता है कुछ देर बाद मैं आया तो काकी ने बिस्तर काका वाले कमरे में ही निचे साइड में बिछाया हुआ था

वो- इधर ही सोते है

मैं- कोई बात नहीं

फिर कुछ देर बाद डॉक्टर देख कर गया , उसके जाने के बाद काकी ने दरवाजा बंद कर दिया और नाईट बल्ब जला दिया हम लेट गए काकी गाँव में वोटो की बात पूछने लगी कुछ देर बाद वो बोली सो जाते है , काकी ने करवट ली और सोने की कोशिश करने लगी मैं उनसे चिपक गया और पेट को सहलाने लगा तो वो बोली- क्या कर रहा है मरवाएगा क्या

मैं- आपसे मिलने को तो मंजू को घर छोडके आया हु

काकी- मैं तो पहले ही समझ गयी थी की तेरी ही खुराफात होगी

मैं- तो करे कार्यवाही शुरू

काकी- पागल है क्या इधर कैसे

मैं- क्यों नही काका तो सुबह ही उठेंगे पर्दा खीच देता हु और फिर अभी कौन आएगा

काकी-समझा कर

मैं- चूत को मसलते हुए , आप समझा करो

मैंने उठके काका के बेड का पर्दा खीच दिया और फिर काकी को अपनी बाहों में भर लिया काकी बोली- कही कोई आ ना जाये

मैं- कोई नहीं आयेगा आप कपडे उतारो

काकी- नहीं नंगी नहीं होउंगी, सलवार उतार ले

मैं- ठीक है

काकी ने अपनी सलवार और कच्छी उतार दी , मैंने भी पेंट को निचे खिसका लिया और अपने लंड को काकी के हाथो में दे दिया ,

काकी- बेशर्म कर दिया तूने मुझे

मैं- तभी तो मजा आएगा

काकी मेरे लंड को हिलाने लगी मैंने भी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी हम दोनों एक दुसरे के अंगो से खेलने लगे काकी की चूत जल्दी ही पानी छोड़ने लगी तो मैंने उसकी टांगो को फैलाया और चूत को चखने लगा काकी की तो बोलती बंद हो गयी जब मेरी जीभ उसकी चूत पर चलने लगी , बड़ी मुश्किल से वो अपनी आहो को रोक पा रही थी उसकी चूत से मस्त खुशबू आ रही थी मैं नमकीन पानी को पूरी शिद्दत से चाट रहा था काकी के कुल्हे जल्दी ही ऊपर को हो गए वो मचलने लगी

कुछ देर चूसने के बाद मैं हट गया और अपने लंड को चूत पर रगड़ने लगा काकी तो फुल गरम हुई पड़ी थी अपने हाथ में मेरे लंड को पकड़ कर वो अन्दर करने लगी तो मैंने पेल मारी और दो तीन धक्को में लंड को अन्दर तक सरका दिया काकी इस बार अपनी आह को नहीं रोक पायी और हमारे जिस्म एक होते चले गए काकी मेरे कान में फुसफुसाते हुए बोली- आराम आराम से करना जल्दबाजी मत दिखाना पूरी रात बस मेरे अन्दर ही रखना अपने हथियार को

मैं- चिंता मत करो बस मेरे साथ बनी रहना

काकी ने प्यार से मेरे होंठो पर चुम्बन दिया और मैं चुदाई करने लगा हौले हौले से उसकी काकी ने अपना सब कुछ मेरे लिए खोल दिया हुमच हुमच कर मेरा लंड काकी की चूत में अन्दर बाहर होने लगा चुदास इतनी सर चढ़ रही थी की क्या बताऊ , काकी ने अपनी टांगो को मेरी कमर पर लपेट दिया और मेरे चेहरे को चूमते हुए चुदने लगी मेरा जोश उसकी जवानी की रवानी बस और क्या चाहए था , ना वो कम थी ना मैं चूत की मुलायम पंखुड़िया मेरे लंड को अपने में कसे हुई थी

मैं अपने मन में तुलना करने लगा की बेटी की चूत ज्यादा मस्त है या माँ की ,काकी के नितम्बो में थिरकन बढती जा रही थी मेरे गले में अपनी बाहों का हार डाले हुए काकी दीन दुनिया से बेखबर सम्भोग के सुख को प्राप्त करने की दिशा में पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध थी मैंने अब उसको पलट दिया और उसको औंधी करके चोदने लगा काकी ने अपने हाथो से चूतडो ओ चौड़ा कर लिया ताकि लंड को कोई रूकावट ना हो , चिकनी चूत में मस्ताना लंड पूरी रफ़्तार से अपना फ़र्ज़ निभा रहा था

जब जब मेरी गोलिया काकी के नरम चूतडो पर रगड़ खाती तो मस्त अहसास होता काकी ने अब अपनी टांगो को कस लिया जिस से चूत पर रगड़ बड़ी मस्त लग रही थी , चुदाई के खेल में डिप्लोमा धारी काकी को इशारा
 

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देने की भी जरुरत नहीं थी , वो खुदबखुद ही समझ जाती थी की क्या करना है क्या नहीं , मैं काकी पर झुके हुए पुरे मजे से चूत मार रहा था काकी ने अपनी उंगलिया मेरी उंगलियों में फंसा ली थी और मेरी उंगलियों को दबाते हुए बता रही थी की मस्ती किस तरह उनके सर चढ़ रही थी



मैं काकी की गर्दन के निचले हिस्से को चूमने लगा काकी अपनी गांड को उचकाने लगी थी जोर जोर से तो मैं भी तेजी से घर्षण करने लगा , और फिर काकी ने अपनी चूत को भींच लिया और कुछ देर वैसे ही रहने के बाद चूतडो को ढीला छोड़ दिया चूत में एकाएक गर्मी बहुत बढ़ गयी थी तो मेरा लंड भी ज्यादा देर सह नहीं पाया और काकी के झड़ने के कुछ मिनट बाद मेरा काम भी निपट गया , अपनी साँसों को संभालते हुए मैं काकी के साइड में लेट गया कुछ देर हमारे बीच ख़ामोशी छाई रही

अपनी साँसों को संभालते हुए मैं काकी के साइड में लेट गया कुछ देर हमारे बीच ख़ामोशी छाई रही
काकी ने अपना हाथ मेरे पेट पर रख दिया और सहलाने लगी

काकी- जान ही निकाल देता है तू तो

मैं- मजा भी तो आप ही लेती हो

काकी- हां, पर उम्र का तकाजा भी है अब मुझमे पहले वाली बात कहा रही

मैं- अब इसमें उम्र कहा से आ गयी , आप तो आज भी नोजवानो का पानी चलते चलते निकाल दो

काकी- सच में

मैं उसके बोबो को सहलाते हुए- और नहीं तो क्या देखो, मैं खुद को रोक ही नहीं पाया देखो अभी अभी ली है और मेरा लंड फिर से तैयार है आपकी चूत में घमासान मचाने को


काकी – ना बाबा ना, अब मुझमे इतनी हिम्मत नहीं है की दुबारा इसको झेल सकू वैसे भी मैं कहा जाने वाली हु जब फिर कभी मौका लगे तो कर लेना अभी तो सो जा

मैं- काकी एक बार और कितनी देर लगनी है भला

काकी- तू समझा कर , एक और राउंड होगा तो फिर सुबह मैं उठ नहीं पाऊँगी अब घर होता तो अलग बात थी
मैं- चलो कोई नहीं

फिर हम दोनों सो गए, रात को एक दो बार मेरी नींद उचटी पर कुछ ख़ास नहीं था सुबह मंजू और राहुल टाइम से आ गए थे तो मैं वहा से फिर गाँव आ गया , घर जा रहा था तो रस्ते में गीता मिल गयी

गीता- सुन, अवंतिका ने जवाब भेजा है

मैं- बताओ

वो- तू जहा चाहेगा वो वहा मिलने के लिए तैयार है पर तू अकेला मिलेगा क्योंकि वो भी अकेली ही आ रही है और उसने ये जोर देकर कहा है की जो भी बात तुम्हारे बीच होगी वो बस तुम तक ही सीमित रहे

मैं- पर वो मुझसे क्यों मिलना चाहती है

ताई- एक बार मिल ले, कोई जाल नहीं है इस बात की मेरी गारंटी है

मैं- आपने कह ही दिया तो मिल लूँगा

ताई- बता फिर कब का बोलू

मैं- एक काम करो कल शाम को सरकारी स्कूल में पर बस वो और मैं ही होने चाहिए

ताई- उसकी टेंशन ना ले तू

मैं- तो फिर ठीक है , पर आप कब मिलोगी दिल तडपा जा रहा है आपको नंगा देखने को

ताई- जल्दी ही कोई मौका निकालती हु

मैं- ठीक है पर जल्दी ही

फिर मैं घर के लिए चल पड़ा पर एक सवाल था की अवंतिका क्यों मिलना चाहती है क्या वो मुझ पर फ़िदा हो गयी नहीं यार ऐसा नहीं होगा पर कोई ना जब मुलाकात होगी पता चल ही जाना है ,

घर जाके सबसे पहले तो मैं नहाया कई जोड़ी कपडे मैले पड़े थे तो उनको धोया इसी में काफी वक़्त चला गया कपडे धोके सुखा ही रहा था की मैंने देखा चाचा उसी छप्पर की तरफ जा रहा था जिसमे मैंने मंजू को चोदा था तो मेरे कान खड़े हो गए मैंने कपडे छोड़े और दबे पाँव उधर चल पड़ा , एक मोख्ली सी थी उसमे से मैं चुप के देखने लगा तो मैंने देखा की बिमला और चाचा एक दुसरे को चूम रहे थे

चाचा- ओह मेरी जान कितने दिन हुए तेरे हुस्न का दीदार किये हुए , तेरे बिना मैं कैसे जी रहा हु

बिमला- मेरा हाल भी आपसे कहा अलग है , सख्ती बहुत है तो मैं क्या करू

चाचा- अब देर मत कर जल्दी से मेरी प्यास बुझा दे

उसके बाद दोनो एक दुसरे की बाहों में समाते चले गए तो मैंने सोचा इनको भी क्या देखना ये सुधरने वाले तो है नहीं मैं वापिस आके अपने कपडे सुखाने लगा , तभी मेरे मन में आया की मजे लेने चाहिए तो मैं उधर ही बैठ गया करीब बीस मिनट बाद बिमला पसीना पसीना होते हुए आई, तगड़ा पेला होगा चाचा ने

मैं- कहा गयी थी

वो- तुझसे मतलब कही भी जाऊ

मैं- साली, गंडमरी , करवा आई ऐसी तैसी , तू क्या सोचती है की मुझे पता नहीं कहा मरवा के आई है

बिमला- मेरी चूत, मेरी मर्ज़ी आएगी उसको दूंगी तेरे को दिक्कत है क्या

मैं- मुझे क्या दिक्कत हो गी

बिमला- तो अपना मुह बंद रख और रास्ता छोड़ मेरा

मैं- ले सारे इस रस्ते को गांड में दे ले

बिमला- तू गांड का जोर लगा ले , मैं तो चाचा की हो चुकी

मैं- माँ चुदा तू और माँ चुदाये चाचा मेरे लेखे आज मरो सालो तुम

मैं और बिमला आपस में झीख रहे थे की चाची उस और आ निकली

वो- क्या हो रहा है

मैं- कुछ नहीं बस ऐसे ही

चाची- अन्दर चलो अभी

बिमला ने चाची से नजरे नहीं मिलायी और अपने घर चली गयी मैं और चाची अन्दर आ गए

चाची- क्या हो रहा था

मैं- बोला न कुछ नहीं

वो- बता ना

मैं- ये गांड मरवा रही थी तुम्हारे आदमी से मैंने देख लिया तो उसके मजे ले रहा था

चाची- सच में

मैं- और नहीं तो क्या

चाची- कहा

तो मैंने पूरी बात उसको बता दी तो चाची दुखी हो गयी

मैं- एक आप हो जो आंसू बहा रही हो दूसरी तरफ चाचा है जो फुल मजे ले रहा है

चाची- तो क्या करू मैं

मैं- तो कब तक ऐसे घुटती रहोगी, किसी को फरक नहीं पड़ना आप भी अपनी लाइफ को एन्जॉय करो और भी लोग है चाचा के सिवाय जो आपको चाहते है

चाची- मेरी तरफ देखने लगी

मैं- चाची, मेरी बात को समझो आप कब तक ऐसे रहोगी , मेरी बात को मान लो, मैं इस लिए नहीं बोल रहा की बस जिस्म का रिश्ता बनाना है आपसे, बल्कि फ़िक्र है आपकी आपको तो पता नहीं कैसा लगता है पर मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता आपको ऐसे पल पल तडपते हुए देख के , मैं बस ज़माने भर की खुशिया आपको देना चाहता हु

चाची ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और बोली- सही कह रहा है तू आज से तू जैसा कहेगा मैं वैसे ही करुँगी , मैं क्यों अपनी लाइफ उस नीच इंसान के लिए बर्बाद करू

मैंने चाची के होंठ चूम लिए और बोला- ये हुई ना बात

चाची- पर मुझे थोडा सा टाइम दे तू

मैं- कितना टाइम टाइम करती हो आप

वो- समझा कर तू

मैं- कोई बात नहीं चलो अभी मूड ख़राब मत करो

हम बात कर रहे थे की बाहर दरवाजा खड़का तो चाची दरवाजा खोलने चली गयी
चाचा आया था उसने एक नजर हमारे ऊपर डाली और फिर अपने कमरे में चला गया चाची रसोई में चली गयी चाय बनाने के लिए , तभी मम्मी और गीता ताई भी आ गए

मम्मी ने चाची को आवाज लगायी और कहा की जल्दी से तैयार हो जा , गाँव में चलना है वोट मांगने को तो चाची ने चाय छोडी और उनके साथ चली गयी और हम रह गए अकेले पर दिल को ये अंदेशा होने लगा था की अब चाची श्री जल्दी ही अपने हुस्न का जाम पिलाने वाली है , मैंने सोचा की पिस्ता को फोन करके पूछ लू अगर फ्री होगी तो मिल लूँगा तो मिलाया फ़ोन पर हर बार की तरह उसकी माँ ने ही फ़ोन उठाया साला समझ ही नहीं आता था की फ़ोन लगवा क्यों रखा है पिस्ता ने

तो मैं अपने कमरे में चला गया नीनू की याद आने लगी बड़ी जोर से कमबख्त ये बोलके गयी थी की जल्दी ही फ़ोन करेगी पर फ़ोन तो क्या उसने लगा है की याद भी नहीं किया , एक हिचकी भी नहीं आई थी मुझे पर मेरा गुस्ताख दिल उसके चेहरे को आँखों के सामने ला रहा था , अब दिल पर किसका जोर चलता है , तो काबू किया खुद पर किसी तरह से अब घर पर भी कोई नहीं था तो मन लग रहा नहीं था तो मैं नहर की तरफ घूमने चला गया नहर के किनारे बैठना बड़ा अच्छा लगता था मुझे

मैं बैठे बैठे सोचने लगा की घरवालो को मेरे और नीनू के बारे में बता ही देना चाहिए वो क्या है ना की साफ़ साफ़ बात हो तो फिर कोई पंगा नहीं होता , पर किसको बताऊ मम्मी को या फिर पिताजी को अब बाप से ऐसे बात करने की हिम्मत भी नहीं थी पर इस मामले में बात करनी ही थी आज नहीं तो कल अपना भी न थोडा अलग हिसाब था , तो एक बार फिर से सब तक़दीर पर छोड़ दिया और दिमाग इस बात पे लगाया की अवंतिका क्यों मिलना चाहती है क्या चल रहा होगा उसके मन में

एक मेरी जान और ज़माने भर की परेशानिया कभी कभी तो सोचता था की ऊपर वाले ने लिखा क्या है तकदीर में

बहुत देर तक मैं उधर ही रहा फिर वहा से मंदिर गया दोस्तों के साथ थोड़ी गप्पे लडाई कुछ प्रोग्राम फिक्स किये और फिर चल पड़ा घर की तरफ , पिताजी कुछ लोगो के साथ बैठक कर रहे थे तो मैंने उधर ध्यान नहीं दिया और कमरे में चला गया , चाची कपड़ो को प्रेस कर रही थी

चाची- सुनो, कल हम मेरे गाँव चल रहे है

मैं- क्यों क्या हुआ

वो- मेरे मम्मी- पापा कुछ दिनों के लिए भाई भाभी के पास जा रहे है तो उनका फ़ोन आया था की मैं कुछ दिनों के लिया घर को संभाल लू

मैं- पर कल कैसे ......

वो- कोई दिक्कत है क्या

मैं- चाची, कल नहीं चल सकता परसों सुबह होते ही चलेंगे

चाची- ठीक है , मैं पापा को परसों का बोल देती हु

मैं- हां,

अब कल कैसे जा सकता था कल तो अवंतिका से मिलना था मुझे अब मैं करू भी तो क्या उलझा पड़ा था मैं कदम कदम पर रात बस मैंने सोकर ही गुजारी सुबह होते ही मुझे हॉस्पिटल जाना पड़ा तो वहा से आते आते शाम ही हो गयी थी , मैंने घडी में टाइम देखा पांच से थोडा ऊपर हो गया था तो मैं तुरंत सरकारी स्कूल की तरफ भागा इधर उधुर देख कर मैं अन्दर घुस गया , एक बिल्डिंग , दूसरी फिर एक साइड में जो काफी पेड़ लगे हुए थे उधर मुझे अवंतिका खड़ी दिखी तो मैं दोड़ते हुए उसके पास गया


मैं- नमस्ते, भाभी जी
 

Incest

Supreme
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वो- जी, नमस्ते


मैं- वो ताई, बता रही थी आप मिलना चाहती है

वो- हां, मैंने ही कहा था उस से

मैं- तो कहिये, कैसे याद किया बंदा हाज़िर है

वो- कुछ बात करनी थी तुमसे पर इधर नहीं चलो उस तरफ चलते है

इधर और ज्यादा पेड़ लगे हुए थे तो हम एक पेड़ की साइड में खड़े हो गए

वो- तुम तो जानते ही हो की तुम्हारी भाभी और मैं आमने सामने है सरपंची में

मैं- जी

वो- मैं ये चुनाव हर कीमत पर जीतना चाहती हु

मैं – तो इसमें मैं क्या कर सकता हु भाभी जी , जीतेगा वो जिसे गाँव चाहेगा

वो- देखो, हम अब जानते है की तुम्हारे घर में कई बार सरपंच रह चूका है , तो औरो को भी मौका मिलना चाहिए की नहीं

मैं – बिलकुल मिलना चाहिए

वो- तो मुझे तुम्हारी मदद चाहिए

मैं- मैं आपकी क्या मदद कर सकता हु

वो- देखो , शायद तुम्हारे लिए थोडा अजीब लगेगा पर तुम्हारे परिवार का रसूख हमसे ज्यादा है गाँव में और यूथ में तुम्हारा प्रभाव है अगर तुम मेरी मदद करो तो मैं आराम से जीत जाउंगी

मैं- तो आप कह रही है की मैं अपनी भाभी के वोट आपको डलवा दू , अपने परिवार से धोखा कर दू

वो- कोई धोखा नहीं है , मैं तुम्हे इसके लिए मुह मांगी रकम दूंगी और फिर कोई चाह कर भी तुमपे शक भी नहीं कर पायेगा

मैं- भाभी जी रकम का क्या करना अपने को अपन फक्कड़ आदमी , आप अपना नाम वापिस ले लो पैसे मैं आपको देता हु

वो- देखो तुम समझ नही रहे हो मेरी बात

मैं- आप समझा नहीं पा रहे है

वो- देखो बात बस इतनी सी है की मैं सरपंच बनना चाहती हु बस एक बार, अगली बार हमारे सार वोट आपके ओपन में

मैं- देखो भाभी , अगर बिमला हारेगी तो कुनबे का नाम ख़राब होगा

वो- मुझे तो बस आपसे आस है वैसे भी उस रात आपने जिस अंदाज से मुझे देखा था मैं समझ गयी थी की आप ही मेरा संकट काटोगे

मैं- भाभीजी, आप मेरी बात को समझो

वो- आप मेरी बात समझो, देखो आप मुह मांगे पैसे ले लो पर इलेक्शन मैं जीतनी चाहू

मैं- बात पैसो की नहीं है , मैंने पहले भी कहा आपको

वो- तो क्या

मैं- चलो मान लो बिमला हार जाये तो मुझे आप क्या दे सकते हो

वो- मैंने कहा न की मुह मांगी रकम, आप चाहो तो आज रात ही रकम जहा आप कहे वही पंहुचा दूंगी

मैं- आप को ऐसा क्यों लगता है की आप मुझे पैसे से डिगा दोगी

वो- पैसे की हर किसी को जरुरत होती है

मैं- पर मुझे नहीं है

वो- तो क्या कर सकती हु मैं

मैं- कर तो बहुत कुछ सकती हो पर आपसे होगा नहीं

वो- क्यों नहीं होगा

मैं- तो फिर सुनो , मैं आपकी मदद करूँगा जितने वोट मेरे पास है हर एक आपकी पर्ची पर पड़ेगा पर आप सोच लो क्या आप कीमत अदा कर पाएंगी

वो- मैंने तो पहले ही बोला आप बताओ कितनी रकम

मैं- मुझे पैसे चाहिए ही नहीं

वो- तो क्या ख्वाहिश है आपकी

मैं- अगर आप जीत जाओ तो एक रात आपकी मेरे नाम हो

वो- होश में हो , जानते हो क्या मांग रहे हो

मैं- सोचना है आपको

वो-बहुत बड़ी कीमत मांग रहे हो

मैं- अब इस गद्दारी की इतनी कीमत तो बनती है , वैसे भी मैं झूठ नहीं कहूँगा दिल आ गया है आप पर बाकि आपकी मर्ज़ी

भाभी- मुझे कुछ सोचने दो

मैं- सोचना क्या या तो हां या ना

वो- मुझे आपकी शर्त मंजूर है , आप भी क्या याद करोगे किस से पाला पड़ा था

मैं- तो मेरा भी वादा है आपसे पर जीतने के बाद जिस दिन मैं कहू वो रात मेरे साथ गुजारनी होगी

वो- पर मेरी भी एक शर्त है की उस रात की बात बस उस रात ही ख़तम हो जाएगी

मैं- जैसा आप को ठीक लगे

मैं- एक बात और भाभी

वो- क्या

मैं- जीतने के बाद इस करार से फिर तो नहीं जाओगी

वो- एक मर्दानी ने करार किया है , पीछे नहीं हटूंगी बस सरपंची दिलवा दो मुझे

मैंने अवंतिका को अपनी और खीचा और उसकी गांड को अपने हाथो से दबाते हुए बोला – भाभी तैयारिया शुरू कर दो उस रात की , मेरी साँसे उसके चेहरे पर पड़ने लगी थी वो कसमसाने लगी मैंने धीरे से उसके होंठो पर किस किया और बोला – मर्दानी का विश्वाश किया मैंने

अवंतिका मुस्कुराते हुए चली गयी मेरी निगाह उसकी मटकती गांड पर रुक गयी थी जिसे वो कुछ ज्यादा ही मटका कर चल रही थी , अब देखने वाली बात ये थी की इस बात का आगे चल कर क्या प्रभाव पड़ना था , मैं दिल से नहीं चाहता था की बिमला चुनाव जीते पर साथ में मेरे इस कदम से कुनबे की प्रतिष्ठा पर भी आंच आनी थी अपने स्वार्थ के लिए मैंने परिवार की इज्जत को दांव पर लगा दिया था , दरअसल ये मैंने एक ऐसी आग को तीली लगा दी थी जिसमे आने वाले समय में सब जल जाना था सब बर्बाद हो जाना था और तड़पना था मुझे बस मुझे

उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी ऐसा लग रहा था की जैसे कोई चोरी कर ली हो मैंने काम तो कुछ ऐसा ही कर दिया था अपने परिवार को नीचा दिखाने का , पर अब अवंतिका को जबान दे आया था तो सोचा अब जो होगा देखा जाएगा वैसे भी बिमला साली क्या करेगी सरपंच बन कर , पर पंगा इस बात का था की बाप से नजर कैसे मिलाऊंगा , दिमाग ख़राब होने लगा बुरी तरह से , मैं खुद के बारे में सोचने लगा क्या इज्जत थी मेरी एक चूत की प्यास में सब दांव पर लगा दिया था , क्या मेरा और बिमला का जो भी मैटर तथा वो परिवार से बड़ा था, शायद बड़ा था तभी तो मैंने ऐसा कर दिया था पर अब पीछे भी नहीं हट सकता था रात थी जैसे तैसे कट ही गयी सुबह हुई तैयार होकर मैं चाची के साथ उनके गाँव की तरफ चल पड़ा


लम्बा सफ़र चाची के साथ हस्ते बोलते कैसे कट गया पता नहीं चला सांझ ढले हम उनके गाँव पहुचे आज मोसम भी बरसात का हो रहा था बादलो के कारण अँधेरा सा हो रहा था लग रहा था की तेज बरसात आएगी , नाना-नानी तो कल ही चले गए थे हमने पड़ोसियों से चाबी ली और ताला खोलकर अन्दर आये सामान रखा मैं हाथ मुह धोने चला गया , फिर फ्रेश होकर मैं और चाची बैठे हुए थे , चाची का खिला हुआ ताजा रूप बड़ा सुन्दर लग रहा था

मैं- चाची कल दोपहर में नदी पर चलेंगे

वो- तुझे बड़ी पड़ी है नदी की

मैं- जो काम उस दिन अधुरा रह गया था वो भी तो पूरा करना है ना

चाची- पगले, तुझे क्या लगता है तुझे यहाँ क्यों लायी हु,

मैं- क्यों लायी हो

वो- ताकि जी भर कर तुझसे प्यार कर सकू

मैं- सची में

वो- सच , आज से तू ही मेरा एकलोता हकदार होगा

मैंने चाची को अपनी बाहों में भर लिया और बोला- चाची , आपने तो मेरा दिन बना दिया पर मेरी भी एक गुजारिश है

वो- क्या

मैं- की मैं आज आपको दुल्हन की तरह प्यार करना चाहता हु

वो- मैं कुछ समझी नहीं

मैं- मैं आपको आज अपनी दुल्हन बनाना चाहता हु

वो- तो बनालो

मैं – तो फिर तैयार हो जाओ सुहागरात मनाने के लिए

चाची शर्मा गयी और बोली- ठीक है तुम इंतज़ार करो मैं दुल्हन की तरह ही श्रृंगार करके, उसी तरह से सजधज से आती हु पर उस से पहले खाना खा लेते है भूख लगी है मुझे

मैं- ठीक है मेरी जान

Jमैं जल्दी जल्दी खाना खाने लगा तो चाची बोली- आराम से खाओ मैं इधर ही हु

पर आज मुझसे कहा कण्ट्रोल होने वाला था आज की रात को मैं यादगार बनाना चाहता था जब मेरी चाची मेरी दुल्हन बन कर मेरे साथ सुहागरात मनाएगी , खाने के बाद चाची बाथरूम में चली गयी , मैं छत पर चला गया मोसम ने करवट ले ली थी हलकी हलकी बूंदे गिरने लगी थी , मोसम भी आज रोमांटिक होकर हमारे काम में सहयोग कर रहा था करीब एक घंटे तक चाची बाथरूम में ही रही उफ्फ्फ यार आज कितना टाइम लगाएगी तैयार होने में


तब तक मैंने कमरे में बिस्तर सही कर लिया था मुझसे तो रुका नही जा रहा था बस दिल कर रहा था आज अपना बना लू चाची को , मैं कमरे में बैठे बैठे चाची का इंतज़ार करने लगा पर वो भी देर करके मुझे तडपा रही थी पर जब वो आई तो कसम से दिल की धडकनों की रफ़्तार इतनी बढ़ गयी की कोई मीटर उसकी स्पीड को नाप नहीं पता ,

लाल साड़ी, लाल ब्लाउज में क्या खूब लग रही थी उनकी पर्वतो की तरह उठी हुई छातिया , , बलखाती कमर, गीले बाल जो खुले हुए थे क्या मदहोश करने वाली भीनि भीनी खुशबु आ रही थी उनके तन-बदन से मेरा लंड पेंट में झटके मारने लगा चाची के ऐसे रूप की तो मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी

वो- क्या देख रहे हो ऐसे घूर घूर के

मैं- अपनी दुल्हन को निहार रहा था

वो- कैसी लग रही हु

मैं- एक दम मस्त, मेरा तो हाल बुरा हुआ अब मत तडपाओ मुझे मेरी जान समा जाओ मेरी बाहो में
चाची ने शर्मा के अपनी नजरे निचे को झुका ली
 

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मैंने बड़े प्यार से उनके मुखड़े को ऊपर किया और गालो को चूम लिया चाची के बदन में सिरहन दौड़ गयी उनका बदन कांपने लगा


मैंने चाची को अपनी बाहो में भर लिया और उनके तपते बदन को सहलाने लगा चाची ने अपने आपको मेरे हवाले कर दिया मेरा लंड तो बाहर आने को बुरी तरह से मचल रहा था , आज चाची के बदन में एक अलग सी गर्मी को मैं महसूश कर रहा था मैंने धीरे से उनकी साडी के पल्लू को हटाया तो 37 “ के पुष्ट उभार बिलकुल तने हुए जैसे की अभी ब्लाउज की कैद को तहस नहस कर डालेंगे, मेरी नजरो के सामने थे मुझे निमंत्रण दे रहे थे की आओ खेलो हमसे, मुझे अब रुकना नहीं था

मैंने धीरे से अपने होंठो को चाची के लाल लिपस्टिक लगे होंठो पर रखा चाची का समूचा बदन सुलग उठा उस चुम्बन से मेरी बाहों में सिमटने लगी वो उनकी गरम साँसों में भाप को मैं अपने मुह में फील कर रहा था मेरे हाथ अपने आप निचे उनकी गांड तक पहुच गए और मैं चूतडो को दबाने लगा चाची ने खुद को एड़ी के बल उठा लिया और और समूच करने लगी बहुत देर तक हम दोनों एक दुसरे के होंठो को ही खाते रहे

मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे ढेर सारी मलाई मेरे मुह में भर गयी हो कितनी चिकने होंठ थे चाची के मैंने उनका हाथ अपने लंड पर रख दिया वो पेंट के ऊपर से ही उसको मसलने लगी मैंने ब्लाउज के बटन खोले और उसको उतार दिया , आज तो क़यामत ही हो जानी थी मुझ पर लाल ब्रा में कैद गोरे गोरे उभार मेरे जी को ललचा रहे थे उफ्फ्फ आज चाची अपने हुस्न के हथियार से मेरा शिकार करने वाली थी मैंने उनके उभारो को अपने हाथो में थामा और ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगा

चाची- सीईईई , ईईई आराम से मेरे राजा आराम से

मैंने फिर ब्रा भी खोल दी और टूट पड़ा दोनों चूचियो पर बारी बारी से चूसने लगा उनको चाची कामाग्नि से वशीभूत होकर आहे भरने लगी मैंने दोनों उभारो को तब तक चूसा जब तक की वो दोनों बिलकुल लाल नहीं हो गए, कितनी गदर माल थी चाची आज जाना था मैंने , फिर मैंने उनकी साड़ी को उतरना शुरू किया फिर पेटीकोट को अब उनके जिस्म पर बस लाल चड्डी ही थी गोरी गोरी ठोस मांस से भरी हुई जांघे उसकी मैंने फिर जल्दी से अपने कपडे उतारे और नंगा हो गया मेरा लंड हवा में झूलने लगा चाची ने उसे अपनी मुट्ठी में भर लिया एक दो बार उसको हिलाया फिर मेरे पांवो में बैठ कर उसको चूसने लगी

चाची की लिपस्टिक मेरे लंड पर अपना रंग छोड़ने लगी मैं बड़ा ही कामुक हो रहा था चाची का पूरा मुह थूक से भरा हुआ था जिसे वो बड़ी अदा के साथ मेरे लंड पर टपका रही थी , बड़ी तल्लीनता से वो मेरे लंड को चूसे जा रही थी , अब मेरा पूरा लंड उनके मुह में था जैसे की उनके गले में ही उतर गया हो वो घु घु करते हुए बार बार उसको गले तक ले जा रही थी मैं उनके सर को सहलाते हुए बड़े प्यार से अपने लंड को चुसवा रहा था

काफी देर तक लंड चूसने के बाद वो मुझसे अलग हो गयी उनकी आँखों में एक आग मैंने साफ़ साफ़ देखि
मैंने चाची की कच्छी को उतार दिया और चाची के चूतडो को दबाने लगा चाची बहुत ज्यादा गरम हो चुकी थी उनकी पूरी योनी काम रस से चिप चिप कर रही थी चाची- ने अपनी टाँगे फैलाई और बोली- अब देर मत कर बहुत दिनों से प्यासी हु, आज मेरी प्यास बुझा दे, अब मुझसे कण्ट्रोल नहीं होता ,

मैं तो खुद चाची को भोगने के लिए मरा जा रहा था तो मैंने बिना देर किये लंड को तैनात कर दिया उसकी चूत पर चाची की चूत फुदकने लगी लंड को महसूस करते ही ,

चाची- डाल दे इसको अन्दर , बना ले मुझे अपनी, लगा दे अपनी मोहर मुझ पर

मैंने लंड को ठीक करते हुए धक्का लगादिया चाची की चूत खुलने लगी चाची ने आह भरी और अपने आप को मेरे हवाले कर दिया जल्दी ही मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जा चूका था , चाची- गया पूरा

मैं-हां

चाची- तो फिर हो जा शुरू ,

मैं- हां मेरी जान

मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए चाची की गीली चूत में लंड फिसलने लगा , चाची की चूचिया मेरे हर धक्के पर ऊपर को हिल रही थी

मैं- कैसा लग रहा है

वो- मेरी छोड़ तू बता तुझे कैसा लग रहा है

मैं- बहुत ही अच्छा लग रहा है , मेरी मुराद जो पूरी हो गयी है

चाची- मैंने खुद को तेरे हवाले कर दिया आज से तुझे पति का दर्जा दिया मैंने

मुझे उनकी बात सुनकर जोश आ गया और मैं अब तेज घस्से मारने लगा चाची का पूरा बदन मेरे धक्को से हिल रहा था चाची की चिकनी चूत में जाकर मेरा लंड आज जैसे स्वर्ग में ही पहुच गया था , मैं अब चाची पर पूरी तरह से छा चूका था मेरा मन मेरा लंड सब चाची का हो चूका था आज उनके गुलाबी होंठो को मैं एक पल के लिए भी नहीं छोड़ने वाला था आज उनका पूरा रस निचोड़ लेना था मुझे , अब चाची भी मस्ती में भरके निचे से धक्के लगा रही थी मैंने अपनी जीभ उनके दांतों पर रगड़ी तो चाची ने अपना मुह खोल दिया और मेरी जीभ उनकी जीभ से खेलने लगी

चाची की चूत पर अब दे दनादन धक्के बरस रहे थे अरमान पूरी तरह से उफान पर थे , उनकी भारी भरकम छातिया मेरे सीने के निचे दबी हुई थी , चाची के हाथ मेरे चूतडो पर पहुच गए थे और वो उनको दबाते हुए और तेज चोदने का इशारा कर रही थी , चाची पता नहीं कितनी प्यासी थी उनकी चुदास हर पल बढती ही जा रही थी वो इतने जोश में आ चुकी थी की अब वो मेरे निचले होंठ को बुरी तरह से चूस रही थी मैं पसीने से भीगा हुआ चाची की चूत में घमासान मचाये होए थे , कामुकता की आग में धधकती चाची बिस्तर पर किसी जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी इस आस में की बाहर होती बरसात की तरह मेरा लंड रुपी बादल आज जी भर के उनकी चूत पर बरसेगा

दो जिस्म बिस्तर पर मचल रहे थे , अपने आप को एक दुसरे में इस कदर समा लेना चाहते थे की फिर क़यामत तक अलग ना हो , चाची ने मुझे अब पूरी तरह अपने आगोश में जकड लिया था उनकी टाँगे मेरी टांगो में उलझी पड़ी थी जिस कारण धक्के लगाने में दिक्कत हो रही थी पर वो उत्तेजना की हर हद को आज पर कर रही थी चाची इस अनबुझी प्यास को बुझाने के लिए अपनी तरफ से भी पूरा जोर लगा कर मेरा सहयोग कर रही थी पल पल हम दोनों अब झड़ने के करीब आते जा रहे थे चाची की बेचैनी ये बता रही थी की वो अब पल दो पल की मेहमान है

धधकती आहे, गरम साँसे सब फिर शिथिल पड़ता गया चाची ने अपने आप को मेरी बाहों में ढीला छोड़ दिया और शांत पड़ गयी जैसे जिस्म से जान छुट गयी हो पर चूत में बुरी तरह से लंड को कस लिया था अपने आप में तो मैं भी कहा कोई प्रतिरोध करता मेरे लंड से वीर्य निकल कर चाची की चूत में गिरने लगा हम दोनों शांत होते चले गए
तूफ़ान बिस्तर पर आकर गुजर गया था टूटे हुए पत्तो की तरह हम दोनों बिस्तर पर बिखरे हुए थे कुछ देर एक दुसरे की बाहों में लेटे रहने के बाद चाची उठी और बाहर जाने लगी तो मैंने उनके बदन पर लिपटी चादर को खींच लिया और वो नंगी हो गयी

वो- छोड़ ना सुसु जाना है

मैं- मैं भी चलता हु

हम दोनों बाहर आ गए बरसात जैसे भी थमी ही थी गीली मिटटी की खुसबू आ रही थी चाची बैठ कर मूतने लगी सुर्र्र की आवाज मेरे कानो को बेधती चली गयी , तो मैं भी वाही खड़े हो के मूतने लगा मैंने देखा की चाची बड़े गौर से मेरे लंड की तरफ देख रही थी

मैं- ऐसे क्या देख रही हो

वो- हथियार दमदार है तुम्हारा

- आप भी कम नहीं हो

मैंने चाची की कमर में हाथ डाला और अपनी और खीच लिया और चाची की गांड को दबाने लगा ठंडी ठंडी हवा हमारे बदन में सिरहन पैदा कर रही थी मैं धीरे धीरे गांड को सहलाने लगा तो चाची ने भी मेरे लंड को थाम लिया और उसको हिलाने लगी जो आग थोड़ी देर पहले ही बुझी थी उसमे फिर से चिंगारी भड़कने लगी चाची बड़े प्यार से मेरी गोलियों को सहला रही थी जिस वजह से लंड फिर से उत्तेजित होने लगा था मैंने जैसे ही चाची के योनी प्रदेश को टटोला मुझे वहा पर गीलापन महसूस हुआ तो मैंने चाची को अपनी गोद में उठा लिया और पास रखे सोफे पर बिठा दिया

ने खुदबखुद अपनी ठोस जांघो को फैला दिया जिस से उनकी लपलपाती हुई चूत फिर से मेरी हवस से भरी आँखों के सामने थे चूत को देखते ही मेरा लंड एक दम से खड़ा हो गया खून तेजी से उसकी नसों में दौरा करने लगा , मैं फर्श पर बैठा गया और चाची की चूत को निहारने लगा , चाची ने मेरे सर को अपनी जांघो के बीच झुका दिया चूत की मनमोहक खुशबू मेरी नाक में समाने लगी मैं अपने लंड को मुठियाते हुए चाची की चूत को चूसने लगा पल भर में ही चाची मस्त हो गयी थी उसने अपनी टांगो को अच्छे से फैला लिया था ताकि मेरी जीभ चूत के हर कोने पर पहुच सके

चूत के अन्दर वाला लाल हिस्सा बुरी तरह से थर्रा रहा था मेरी जीभ की गुस्ताखी से जो नमकीन पानी रिस रहा था योनी से कुछ खट्टा सा कुछ खारा सा मुझे तो अब आदत हो चली थी नयी नयी चूत के पानी को चखने की मेरी जीभ सूपड सूपड करते हुए चाची की चूत की दरार पर रेंग रही थी आहिस्ता से चाची की टाँगे कांपने लगी थी चूत की पंखुड़िया कभी खुलती तो कभी बंद हो जाती चाची की चूत अब इतनी गरम हो गयी थी की मेरी जीभ जलने लगी थी पर मुझे चुसाई करने में मजा बड़ा रहा था

चूत के छेद पर मैं अब तेजी से अपनी नुकीली जीभ को रगड़ रहा था तो चाची सोफे पर अपनी टांगो को पटकने लगी तभी मुझे ध्यान आया की उस दिन शान्ति मैडम ने शहद से अपनी गांड मरवाई थी तो मैं भी चाची की चूत को शहद से चूसता हु मैं उठ कर रसोई में गया और किस्मत से मुझे एक छोटी शीशी में शहद मिल गया मेरे हाथो में शहद देख कर चाची बुरी तरह से शर्मा गयी उनका पूरा चेहरा गुलाबी हो गया हाय रे अदाए इन औरतो को मर्दों के लंड को तडपना कोई इनसे सीखे चाची ने अपने चूतडो को आगे को सरका लिया


मैंने शीशी खोलके ढेर सारा शाहद उनकी चूत पर और आस पास की जांघो पर अच्छे से उड़ेल दिया कुछ शहद उनकी चूत में गया कुछ गांड की दरार में , चाची की टांगो को ऊपर करवा के मैं लगा अब उनकी मीठी चूत को चाटने में तो चाची कसम से पागल ही हो उठी उनकी आहे इतनी तेज थी की क्या बताऊ


ओह्ह्ह्हह्ह मेरे याआर यीईईईई ये kyaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa क्यार डाला रे तूने उफ्फ्फफ्फ्फ़ ओह्ह्ह माआआआआआआआ siiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii

करते हुए वो अपनी चूत को गांड मटकाते हुए चटवाने लगी मेरी जीभ के कारण चूत और गीली होने लगी और मिलजुला स्वाद मुझे मिलने लगा , मैं उनकी जांघो को दांतों से काटने लगा वो और पागल होने लगी , उनका गदराया हुस्न मुझसे पनाह मांगने लगा पर आज बस खता ही होनी थी चूत को खूब चूसने के बाद मेरी जीभ फिसलते हुए चाची की गांड पर पहुच गयी और मैं शहद से सने हुए उसके गांड के गोल छेद पर जीभ रगड़ने लगा तो वो छेद फैलने लगा चाची का बदन अब मस्ती के मारे कांप रहा था

चाची मेरे बालो में अपनी उंगलिया चला रही थी मेरे सर को अपनी टांगो के बीच दबा रही थी एक हाथ से मैं अपने लंड को सहला रहा था जो बस फटने को तैयार खड़ा था चाची की गांड को चाटते चाटते मैं मैं उनकी चूत में ऊँगली करने लगा तो उन्होंने अपने बदन को सिकोड़ना शुरू कर दिया मेरी दो उंगलिया उनकी चूत में तेजी से बाहर हो रही थी और जीभ गांड को चाट रही थी चाची कभी मेरे सर को दबाये कभी अपने बोबो को मसले उतेजना में उल जुलूल हरकते करे चाची की चूत और गांड दोनों में थिरकन हो रही थी


चाची अब कितनी देर सहती कभी चूत को भींचे कभी गांड को , मुझे उन्हें इस तरह से देखते हुए बड़ा अच्छा लग रहा था और मैं तेजी से अपने हाथ और जीभ चलाने लगा था मेरे इन प्रहारों को वो जायदा देर तक नहीं सह पायी और अजीब सी आवाजे करते हुए झड़ने लगी एक बार से मैं चूत के अमृत को पीने लगा
 

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चाची झड़ कर सोफे पर ही पस्त हो गयी थी जबकि मेरे लंड को चूत की सख्त जरुरत थी तो मैंने चाची को सोफे पर ही घोड़ी बना दिया और लंड को चूत पर लगा दिया


चाची – ठहर जा थोड़ी देर

पर अब रुकना नामुमकिन था तो मैंने उनकी कमर को जकड़ा और धक्का लगाते हुए चूत में लंड को ठेल दिया

चाची- आहह , रुक जा ना बिलकुल भी गीली नहीं है जलन हो रही है

मैं- समझा करो अब नहीं रुक पाउँगा

चाची- दर्द हो रहा है

मैं- दर्द में ही मजा है मेरी जान

मैं तेजी से लंड को अन्दर बाहर करने लगा , उनके मांसल चुतड हिलने लगे घस्सो की थाप से चाची की चौड़ी गांड देख कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था चाची घोड़ी बनी हुई चुद रही थी , मैं अपना हाथ उनकी टांगो के बीच ले गया और चूत के दाने को ऊँगली से सहलाने लगा तो चाची के बदन में हरकत होने लगी और वो गरम होने लगी उन्होंने अपनी जांघो को आपस में जोड़ लिया था तो चूत मारने में और मजा आने लगा था


वो दर्द से परेशान हो रही थी पर मुझे इस समय बस खुद की पड़ी थी अपनी प्यास की पड़ी थी मैं तेज तेज धक्के लगा रहा था और दाने को भी सहला रहा था तो करीब तीन चार मिनट बात चाची की चूत का गीलापन बढ़ने लगा और वो चिप्चिपने लगी तो लंड को भी थोड़ी राहत मिली और चाची को भी , मैं उनको ऐसे चोद रहा था की जैसे आज के बाद वो मुझे देंगी ही नहीं , उनकी टाँगे मेरे झटको के कारण बुरी तरह से हिल रही थी पल पल मेरे लंड की ऐंठन और बढ़ रही थी आज चाची की चूत को पूरी तरह अपना बना लेने का इरादा था उसका

चाची ने अपने सर को को सोफे के कुशन पर टिका लिया जिस से उनके चुतड और ऊपर को हो गए और मुझे बेहद आसानी होने लगी चाची को चोदने में चौड़े चौड़े कुलहो को कभी मैं सहलाता तो कभी उनपर चपत लगाते हुए चाची के यौवन रस को मैं पी रहा था पूरी उन्मुक्ता से , इस रस की बूँद को भी तरसता था मैं और आज तो साक्षात पूरी बोतल ही खुली पड़ी थी मेरे लिए शायद इस लिए ही मेरा लंड आज शांत होने का नाम नहीं ले रहा था चाची का हाल बुरा हुआ पड़ा था बडबडा रही थी वो कुछ कुछ

पर मैं उनको चोदे जा रहा था , कुछ देर बाद मैं उनके ऊपर से उतरा चाची को पलटा और फिर से धक्कम पेल शुरू कर दी चाची की सिस्कारिया मेरे कानो में घुल रही थी वो तो जैसे आज बावली ही हो गयी थी धक्के पे धक्के , धक्के पे धक्के चूत के होंठ खुलते बंद होते खुलते बंद होते मेरा दिल आज बहुत खुश था , चाची ने अब अपनी आँखों को बंद कर लिया था और चुदाई का आनंद ले रही थी चूत से इतना पानी बह रहा था की मैं कटोरी भर सकता था , वो अपने लम्बे नाखुनो को मेरी पीठ पर रगड़ रही थी जैसे की छील देना चाहती हो मेरी पीठ को

चाची की टाँगे एक दम सीढ़ी मेरे निचे दबी हुई थी मेरे ताबड़तोड़ धक्को को सहते हुए चाची स्वर्गिक आनंद को प्राप्त कर रही थी इधर मेरे बदन में भी उन्माद बढ़ता जा रहा था झड़ने का मीठा मीठा सा अहसास मुझे होने लगा था तो मैं अपनी पूरी जान लगाते हुए चाची की बजाने लगा चाची गहरी गहरी साँसे लेने लगी थी उन्होंने मुझे अपनी बाहों में बुरी तरह से कस लिया और मेरे होंठो को चूसने लगी


हम दोनों एक दुसरे में समाये हुए कामसुख की तलाश कर रहे थे मेरे लंड में ऐंठन इतनी ज्यादा थी उस पल की मेरे लंड में दर्द होने लगा था पर जोश भी था तो लास्ट के ४-५ मिनट में तो बिस्तर में आग ही लग गयी थी हम दोनों एक दुसरे के दम को निकालने में जुटे हुए थे और फिर चाची ने मैदान छोड़ दिया , चूत एक दम से ढीली पड़ गयी चाची आहे भरते हुए मुझसे लिपट गयी मैंने दो चार घस्से और मारे और उन पर ही ढह गया मेरा काम भी तमाम हो गया था

मैं सोफे से निचे गिर पड़ा और फर्श पर ही लेट गया मेरी धड़कन बढ़ गयी थी गला सुख गया था कुछ देर पड़े रहने के बाद मैं उठा और रसोई से पानी की बोतल लाया एक सांस में ही आधी पी गया मैंने चाची की तरफ देखा वो सोफे पर पस्त हुई पड़ी थी थोडा पानी उनको पिलाया और उनके पास ही बैठ गया चाची ने मेरी गोद में सर रखा और लेट गयी मैं उसके स्तनों पर पेट पर हाथ फिराने लगा

मैं- मजा आया मेरी जान

चाची- हद से ज्यादा

मैं-अभी तो रात बाकी है बात बाकी है पूरी

वो- मैं तो बुरी तरह से थक गयी हु

मैं- आज तो अपनी सुहागरात है अभी से थक गयी

चाची बुरी तरह से शर्मा गयी मेरा लंड उनके गाल को छु रहा था तो मैंने कहा चुसो ना इसे आपके मुह में जाने को बेताब हो रहा है

चाची- क्या हो तुम अभी अभी तो करके हटे हो फिर से मस्ती सूझ रही है

मैं- अब जब आप यु साथ है तो फिर मस्ती तो होगी ही ना

चाची मेरी गोद से उठ गयी और बैठ की मेरे लंड से खेलने लगी , चाची के हाथो के कोमल अहसास से वो फिर से रोल में आने लगा , कुछ समय बाद चाची ने अपना मुह खोला और चूत रस से सने हुए लंड को पीने लगी उनके होंठो में सच में जादू ही लंड महाराज फिर से तैयार होने लगे चूत को पीटने के लिए , मैं उनके सर को अपने लंड पर दबाने लगा तो उन्होंने ऐसा करने से मना किया और बोली की मुझे अपनी मर्ज़ी से चूसने दे

चाची मेरे सुपाडे पर अपनी जीभ को गोल गोल करके घुमाने लगी तो मेरे होश फाख्ता होने लगे उफ्फ्फ क्या बात थी उनके गरम लबो में मेरा लंड आज जल जाने को ही तैयार था कई देर तक उन्होंने अपने होंठो की प्यास बुझाई फिर चाची खड़ी हुई और अपनी चूत पर थूक लगा के मेरे लंड पर बैठ गयी घप्प से पूरा लंड चूत में समा गया और फिर चाची बिना किसी जल्दी के आराम से अपने कुलहो को हिलाने लगी एक बार फिर से हमारी चुदाई शुरू हो गयी थी

चाची मेरी आँखों में आंखे डाले अपनी कुलहो को मेरे लंड पर उचका रही थी फिर उन्होंने मुझे सोफे पर और पीठ टिकाने को कहा तो मैं वैसे ही हो गया चाची अब मेरे ऊपर झुक गयी और मेरे सीने पर किस करने लगी जीभ फिराने लगी फिर उन्होंने मेरी छाती के निप्पल पर अपने होठ रख दिए एक गरमा गरम अहसास हुआ मुझे अब वो मेरी छाती को पिने लगी मैं तो मस्त गया बुरी तरह से चाची अपने दांतों से वहा पर निशान बनाने लगी तो मैंने भी उनके चूतडो से छेड़खानी करनी शुरू कर दिया और अपनी ऊँगली चाची की गांड में घुसा दी चाची ने अपने चूतडो को टाइट कर लिया और जोश में आ गयी

इस बार हम बस इस तरह से कर रहे थे की कयामत की हद तक समा जाना चाहते थे एक दुसरे में मैं अपनी ऊँगली को बार बार घुमाता वो अपने चूतडो को भीचती और मेरे लंड पर और जोश में आके घस्से मारती मेरे बदन में जैसे सैकड़ो चींटी रेंगने लगी थी तो मैंने अब चाची को फिर से सोफे पर पटका और उनकी दोनों टांगो को कंधे पर रख कर लगा पेलने उनको चाची की चिकनी चूत में मेरा मस्ताना लंड एक बार फिर से चल पड़ा था अपना परचम लहराने को

चाची भी मेरा पूरा साथ दे रही थी तो आधे घंटे पर जी भर कर पेला उनको जब मेरा होने वाला था तो वो बोली मुझे तुम्हारा रस पीना है तो मैंने अपने लंड को उनके मुह में दे दिया और चाची बड़े चाव से मेरे सफ़ेद रस को गटकने लगी
उस रात चाची की तीन बार लेने के बाद हम दोनों बुरी तरह से थक गए थे तो थकान के मारे आँख लग गयी जब होश आया तो मैंने खुद को बेड पर नंगा सोते हुए पाया पास में पड़े अपने कचछे को पहना घडी में देखा दोपहर के दो बज रहे थे मतलब खूब सोया था मैं बाहर आया तो देखा की बारिश अभी भी आ रही थी सावन के मोसम का यही तो मजा है कल पूरी रात और अब भी बरसात आ रही थी

चाची में मुझे देखा और कहा फ्रेश हो जाओ मैं खाना लाती हु तुम्हारे लिए तो करीब आधे घंटे बाद हम दोनों खाना खा रहे थे , कल की चुदाई के बाद अब चाची के चेहरे पर एक शोखियत आ गयी थी चहकने सी लगी थी वो मैं रसोई में बर्तन रखने चला गया फिर पानी वानी पीकर आया तो मैंने देखा की चाची बस ब्रा-पेंटी में ही आँगन में नहा रही है तो मैं पास राखी कुर्सी पे बैठ के उनको देखने लगा

बरसात में उनके बदन पर गीले अंडरगारमेंट बिलकुल चिपके हुए थे चाची की पेंटी से चूत का फुला हुआ उभार साफ़ दिख रहा था पेट पर पड़ती बारिश की बूंदे क्या गजब ढा रही थी मेरा लन्ड खड़ा हो गया तो मैं उसको सहलाने लगा अब चाची ने मुह दूसरी तरफ फेर लिया उनकी गांड का कटाव देख कर मुझे अब बर्दाश्त नहीं हुआ मैंने अपने कच्चे को उतारा और नंगा हो कर चल दिया उनकी तरफ

चाची ने मुझे अपनी तरफ आते हुए देखा मुस्कुराने लगी , मैंने जाते ही अपनी दिलरुबा को अपनी बाहो में भर लिया और उनके रसीले होंटो पर गिरी बारिश की बूंदों को चाटने लगा चाची ने खुद में मेरे हवाले कर दिया और मेरे लंड को हाथ में लेते हुए किस करने लगी किस करते करते ही मेरे हाथ पीछे गए और मैंने ब्रा को खोल दिया चाची की मखमली छातिया मेरे सीने से टकरा ने लगे वो मेरे लंड को मुठीयाने लगी

बरसात में भी जिस्मो की आग फिर से फड़कने लगी थी मैंने बिना कोई देर किये अपनी रानी को वाही पंजो के बल झुका दिया चाची ने अपने घुटनों पर हाथ रख लिए और तैयार हो गयी , मैंने लंड पर थोडा सा थूक लगा कर उसको चिकना किया और चाची की मस्तानी चूत से सटा दिया , गोरी गोरी जांघो में मध्य चाची की काले रंग की चूत क्या गजब लग रही थी मैंने अपना लंड चूत पर सटा या और चाची की बलखाती कमर को पकड़ते हुए लंड को अन्दर सरकाने लगा तो प्राणप्यारी चाची ने भी गांड को पीछे को किया ताकि मैं आराम से चूत में लंड को घुसा सकू

पहले झटके के साथ ही मेरा मोटा सुपाडा चाची की चूत में घुस गया मैंने कमर को पकड़ लिया और बरसते मेह में चुदाई का आनंद लेने को तैयार हो गया , दो तीन धक्को बाद अब मैं चाची को झुकाए हुए चोद रहा था बीच आँगन में आँगन कच्चा था तो हमारे पांवो पर कीचड लग रहा था पर तभी मुझे एक मस्त आईडिया आया आज की दोपहर को एक यादगार दोपहर बनाने को मैं जानता था की जितने भी दिन इधर रहना है तो चाची को हर पल भोगना है

चाची कितनी गरम थी इस का अहसास इस बात से ही लगाया जा सकता है की ठंडी बरसात में भी उनका जिस्म किसी अंगारे की तरह दहक रहा था मैं चुचाप चाची की ले रहा था वो भी अपनी गांड को उचका उचका कर मेरा पूरा सहयोग कर रही थी उनकी सिस्कारिया मुझे पागल ही कर डालती थी कई देर तक झुकाए रखने के बाद वो उठ गयी और मेरी तरफ देखने लगी मैंने उनकी टांग को अपनी कमर पर रखा और खड़े खड़े ही उनको चोदने लगा चाची के गालो को खाते हुए

मेरा लंड बार बार चाची की बचेदानी से टकरा रहा था अद्भुत आनंद से सरोबार चाची मेरी बाहों में झूल रही थी आःह्ह उफ्फ्फ्फ़ आआह्ह्ह्ह की आवाज उस बारिश में कही दब सी गयी थी कुछ चूत का रस कुछ बारिश का पानी मेरा लंड तो आज मस्त हो गया था पल पल उत्तेजना हम पर हावी होती जा रही थी चाची अपनी गांड हिलाने लगी थी तो मैं भी समझ रहा था और चाची को चरम की और ले जा रहा था , करीब आधे घंटे तक चोदने के बाद मैं चूत में ही झड गया .


कुछ देर बाद लंड चूत से बाहर आ गया चाची ने अपनी ब्रा और पेंटी उठाई और अन्दर जाने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया

वो- क्या

मैं- अभी कहा चली अभी तो और नहाना है

चाची- कही ठण्ड ना लग जाये

मैं- इतनी गरम हो ठण्ड कैसे लगे गी

आगन में मिटटी और कीचड सा हो गया था की मेरा पाँव रिपटा और मैं गिर गया सन गया उसमे तो चाची हंसने लगी तो मैंने उनको भी अपने ऊपर खीच लिया वो भी सन गयी असल में अब हम दोनों आँगन की कच्ची जमीं पर लेटे हुए भीग रहे थे मैंने चाची के होंठो पर किस किया और बोला- अब मुझे आपकी पिछली वाली में डालना है

चाची- नहीं उधर नहीं बहुत तकलीफ होती है उधर

मैं- क्या अब मुझे इतना हक़ भी नहीं की अपनी पत्नी को अपनी मर्ज़ी इ चोद सकू

वो- मैं तो तुम्हारी हो हो गयी हु पर फिर कभी कर लेना उधर

मैं- नहीं अभी , चलो मान भी जाओ जा देखो अपने दीवाने को तडपाना अच्छी बात नहीं
तो चाची मान गयी पर मैं इस पल का आनन्द खूब उठाना चाहता था तो मैंने वाही चाची को उस बारिश के पानी में रगड़ने लगा हम दोनों कीचड में सने हुए थे ऊपर से घनघोर बरसात एक अलग सा ही मजा आ रहा था मैंने वाही चाची को औंधा किया और अपने लंड को गांड के छेद में सरकने लगा , शरू में चाची को थोडा दर्द हो रहा था पर इतना नहीं क्योंकि पहले भी वो गांड मरवा चुकी थी चाचा से

तो मुझे और उन्हें दोनों को कुछ खास दिक्कत नहीं हुई थी , जब जब लंड गांड में घिसता तो चाची बार बार अपने चुतड भींच लेती थी तो बहुत मजा आ रहा था चाची की चूचिया मिटटी में सनी हुई थी बाल गीले पर बिखरे हुए, उनके नरम चूतडो से टकराते मेरे अंडकोष दबा दब गांड मारी जा रही थी चाची की मस्ती भरी आहे , दरअसल वो इस कदर मस्ता गयी थी की वो चिल्ला रही थी मस्ती में

अब चाची मेरे ऊपर आ गयी और मेरी जांघो पर बैठ कर गांड में लंड लेने लगी आह आह करते हुए वो अपनी गांड मरवा रही थी जब जब वो ऊपर निचे होती तो मेरी नजर उनकी चूत पर पड़ती जिसकी पंखुड़िया आपस में कसी हुई थी , चाची की गांड में बहुत गर्मी थी जिसे मेरा लंड ज्यादा देर नहीं सह पाया और मैंने अपना गरम लावा चाची की गांड में ही भर दिया

फिर हम लोग अन्दर बाथरूम में आये और खूब मल मल कर नहाये , शाम हो रही थी बारिश भी ढल गयी थी चाची ने कुछ पकौड़े और चाय बनायीं तो बाते करते हुए हम उनका स्वाद लेते रहे , बारिश के कारण सब गीला गीला हुआ पड़ा था कही घुमने भी नहीं जा सकते थे तो बस घर पर ही रहना था , पर उस रात फिर चाची ने मुझे नहीं दी क्योंकि वो थकी हुई भी थी और चूत पर थोडा सा सुजन भी था अगले दिन मौसम कुछ ठीक था तो हम पास के शहर गए घुमने को

शहर कोई बीस किलोमीटर होगा चाची के गाँव से , चाची ने आज एक गहरे नीले रंग की साडी पहनी हुई थी जिसमे वो फुल पटाखा लग रही थी मेरी निगाह तो उसकी गोल गांड से हट ही नहीं रही थी हम शहर पहुचे कुछ खाया पिया तो चाची बोली- चल फिलम देखते है

मैं- ठीक है

हम जिस मौल में खाने गए थे उसी में पिक्चर हाल भी था मैंने दो टिकेट ली और हम अपनी स्क्रीन वाले रस्ते पर आ गए टिकेट चेकर ने बताया की ऊपर लास्ट रो में कार्नर की टिकेट है तो हम लोग उधर ही बैठ गए फिर्ल्म शुरू हो गयी पर हॉल में इतनी भीढ़ नहीं थी जितनी होनी चाहिए हम फिलम का लुत्फ़ उठा रहे थे की तभी मेरी नजर हमसे कुछ सीट निचे पर पड़ी तो मैंने देखा की एक लड़का और लड़की उधर चूमा-चाटी में लगे है फिर वो लड़की उस लड़के की गोद में झुक गयी तो मैं समझ गया की वो उसका लंड चूस रही है
मैंने चाची को द्रश्य दिखाया तो वो हसने लगी , पर मेरा लंड खड़ा हो गया था मैंने अपनी पेंट की चैन खोली और चाची के हाथ में लंड को दे दिया
 
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