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Erotica Dilwale - Written by FTK aka HalfbludPrince (Completed)

Incest

Supreme
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चाची- ये क्या कर रहे हो


मैं- कुछ नहीं मेरी जान

वो- रखो इसे वापिस

मैं- देखो वो भी तो कर रहे है और इधर इतनी पब्लिक भी नहीं है ऊपर वाली सीट्स पर तो बस अपन ही है तो थोड़ी मस्ती हो जाये वैसे भी हम जैसे लोगो को इधर कहा मजा करने का मौका मिलता है

थोड़ी ना नुकुर करने के बाद चाची मान गयी और उन्होंने खुद को सीट पर झुका लिया और मेरे लंड को आहिस्ता से चूसने लगी मेरी नजरे परख रही थी की किसी का भी ध्यान तो हम पर नहीं है पर ऊपर की लास्ट सीट्स का पूरा फायदा हमे मिल रहा था , जल्दी ही मेरा पूरा लंड चाची के मुह में था जिसे वो जल्दी जल्दी चूस रही थी मुझे झाड़ने के लिए इसी लिए मेरी बेकरारी बढती जा रही थी

चाची बहुत तेजी से मेरे लंड को चूस रही थी मैं उनके बोबो को ब्लाउज के ऊपर से ही मसल रहा था करीब दस मिनट तक उन्होंने खूब चूसा मेरे लंड को तब जाके मेरा स्खलन हुआ और चाची ने मेरे पुरे रस को पी लिया एक बूँद भी नहीं छोड़ी , फिर उन्होंने अपने चेहरे को सही किया और बैठ गयी मैंने अपना हाथ उनकी जांघ पर रख दिया और सहलाने लगा

मैं- चाची इधर दोगी

वो- बावला हुआ है क्या

मैं- गोद में बैठ के चुद लेना

वो- नहीं बोला न

मैं- कभी तो दिल दार बनो मेरी जान

चाची- तू बहुत बेशरम है , इधर कोई देखेगा तो क्या सोचेगा चूस तो दिया तेरा अभी सब्र कर घर जाते ही जैसे मर्ज़ी ले लेना

- देखो चाची वो लड़की भी तो उस लड़के की गोद में बैठी है अभी आपने चूसा तो किसी ने देखा आपको बस पेंटी को उतार लो और बैठ जाओ

चाची- तू नहीं मानेगा

मैं- नहीं

चाची- हां पर जल्दी ही कर लेना

मैं- ठीक है

चाची ने अपनी कच्छी को उतार कर साइड वाली सीट पर रखा और फिर चुपके से मेरे लंड पर बैठ गयी मेरी गोद में और ऊपर निचे होने लगी अब किसे फिल्म का ध्यान था बस चूत मारनी थी अपनी प्यारी चाची की थोड़ी देर बाद वो भी जोश में आ गयी और तेजी कूदने लगी अब घर तो था नहीं तो बस ऐसे ही चुदाई कर सकते थे हम लोग पर जूनून भी कुछ होता है चाची अब अगली सीट पकड़ कर थोडा सा झुक सी गयी ताकि मैं फुल स्पीड में उनको चोद सकू , चाची अपने होंठो को दांतों में दबाते हुए अपनी आहो को रोकने का प्रयास कर रही थी मैं जानता था की अब इंटरवेल होने वाला है तो मैं तेजी से चोदने लगा और जैसे ही इंटरवेल की लाइट्स जली मैंने अपना पानी चूत में छोड़ दिया , घबरायी चाची जल्दी से अपनी सीट पर बैठ गयी

मैं बाहर गया कुछ खाने के लिए ले आया फिर उन्होंने मुझे कुछ शरारत नहीं करने दी बस चुपचाप फिल्म ही देखते रहे उसके बाद हमने कुछ घरेलु सामान ख़रीदा चाची ने अपने लिए कुछ कपडे ख़रीदे और कुछ मुझे भी दिलवाए इन सब में शाम हो गयी थी मोसम एक बार फिर से अपना रुख बदलने लगा था तो हम तेजी से उस तरफ चले जहा गाँव की जीप लगती थी

पर वहा जाकर पता चला की लास्ट जीप जस्ट अभी निकली है कोई दो मिनट पहले ही , अब हम क्या करे कुछ देर इंतज़ार करते रहे तभी किसी ने चाची को आवाज दी तो मैंने देखा एक महिला है स्कूटी पे , तो पता चला की चाची के पड़ोस में ही रहती है और एक अध्यापिका है मैंने नमस्ते वगैरा की कुछ बातो के बाद उसने कहा की मेरी स्कूटी पे चलो अब हमे तो जाना ही था तो चाची ने मुझे मुझे कहा की बेटा तू चला क्योंकि तीन सवारिय जो थी

मेरे पीछे पड़ोसन बैठी फिर चाची और हम चल पड़े गाँव की और शहर से कुछ बाहर आते ही बरसात शुरू हो गयी हलकी हलकी मैंने रुकने को बोला पर वो आंटी ने कहा की घर तो जाना ही है तेज बारिश आएगी तब देखेंगे तो हम चल पड़े गाँव को बरसात का लुत्फ़ उठाते हुए

पड़ोसन की छातिया मेरी पीठ पर चुभ रही थी ऊपर से जब कभी रास्ता ख़राब होता तो मुझे ब्रेक मारने पड़ते तो तीन सवारी होने के कारण वो मुझ पर अपना पूरा भार डाल रही थी ऊपर से वो बारिश की बूंदे मेरा मन फिर से मचलने लगा था , बरसात के कारण रोड पर कुछ फिसलन सी हो रही थी तो गाँव आने में थोडा समय फ़ालतू लग गया, गाँव में घुसे ही थे की बरसात एकाएक तेज हो गयी अब भीगे हुए तो थे ही और भीग गए घर आये मैं स्कूटी से उतरा मेरे पीछे वो लोग भी उतर गए अब मैंने गौर से मास्टरनी को देखा उसकी कुर्ती गीली होकर उसके बदन से चिपकी पड़ी थी ब्रा में कैद उसकी चूचियो का कटाव बड़ा सेक्सी लग रहा था मेरा तो लंड खड़ा हो गया उधर ही

फिर चाची ने उसको धन्यावाद कहा , मास्टरनी ने कहा वो बाद में मिलने आएगी फिर वो अपने घर में घुस गयी और हम अपने घर में पर मेरा दिल उस पर अटक गया था उस पर पर कैसे चोदु उसको अब चूत कोई हाथ पर तो रखी नहीं होती , कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा घर जाते ही हमने सबसे पहले गीले कपड़ो को चेंज किया फिर चाची चाय बना लायी , चाय पीते पीट हम लोग बाते करने लगे

मैं- चाची , आज मजा आया

वो- मजा तो ठीक पर तुझे मेरी इज्जत की बिलकूल परवाह नहीं है

मैं- चाची ऐसे मौको पर जब भी चांस मिले मजा लेने का तो एन्जॉय कर लेना चाहिए सच बताओ चुदने में मजा आया की नहीं

वो- चुदने में तो हमेशा ही मजा आता है मेरे प्यारे

मैं- तो आओ एक राउंड और खेलते है

वो- नहीं अब तो रात को ही वो भी बस एक बार

मैं- चाची बुरा ना मानो तो एक बात कहू

वो- क्या

मैं- ये जो मास्टरनी हैं ना इसकी चूत मारनी है मुझे

चाचि- हाय राम , कैसी बाते करता है , क्या मेरे से जी भर गया तेरा

मैं- अप तो सदाबहार हो , पर मेरे लंड में आग लग गयी है मास्टरनी को देख के आपकी तोदोस्त है जुगाड़ करवा दो

वो- मैं कैसे करवा सकती हु

मैं- चाची , एक बार दिलवा को ना उसकी

चाची- देख मैं पक्का तो नहीं कह सकती पर हां कोशिश कर सकती हु , उसका पति ना फौज में है कई कई दिन में आता है तो अब चूत में तो सबी को खुजली मचती है , क्या पता तैयार हो जाये पर अभी मैं कुछ नहीं कह सकती

उस रात को मैंने चाची को दो बार चोदा पर मेंरे ख्यालो में वो पड़ोसन ही थी , अब कुछ भी करके मास्टरनी को तो चोदना ही था सुबह नहा धोके मैं तैयार था आज मेरा विचार था की नदी पर जाया जाए कुछ मछलिया पकड़ लू और चाची को जब उधर नहीं चोद पाया था तो अब पानी में ही पेलूँगा , वैसे भी आज मोसम भी चकाचक था एक दम से कम से कम उस टाइम तो ऐसा ही था तो मैंने चाची को अपना प्लान बताया तो वो तैयार हो गए, हम लोग घर से निकल ही रहे थे की पड़ोसन आ गयी

तो हम लोग वापिस अन्दर आ गए और बात करने लगे

चाची- और सुमन क्या हाल चाल तेरे

सुमन- बस कट रही है घर से स्कूल , स्कूल से घर तू बता

चाची- मेरा तो तुझे पता है ही


सुमन- मेरा हाल भी तेरे जैसे ही है आजकल

चाचि- वो कैसे,

सुमन- अरे क्या बताऊ यार, तुम्हारे भैया का तो पता ही है तुम्हे कई कई दिनों में आना होता है , ऊपर से सास ससुर भी आजकल छोटे वाले के पास है तो बस अकेलापन कुछ ज्यादा हो गया है

चाची- वो तो है ही , तू फ़ालतू में नोकरी के चक्कर में पड़ी है छोड़ इसको और भैया के साथ रह बाहर

सुमन-मैं तो कई बार बोल चुकी हु पर वो माने तब न ये लड़का कौन है

चाची- मेरा भतीजा है , जेठानी का लड़का

सुमन- काफी बड़ा हो गया है

चाची- हां

चाची ने मुझे इशारा किया तो मैं वहा से उठ के चला गया और दरवाजे की साइड से उनकी बाते सुनने लगा
उनकी बाते सुनके पता चला की वो काफी पक्की सहेलिया है

चाची कुछ देर ऐसे ही बाते घुमाती रही फिर बोली- तो सुमन, तेरा काम कैसे चलता है

सुमन- कौन सा काम

चाची- अरे वो रात वाला

तो सुमन थोडा सा शरमा गयी और बोली- कैसा चलना है जब ये आते है तब तो मौज रहती है दिन में तीन चार बार पिलाई हो जाती है पर जब नहीं होते तो परेशानी होती है कभी ऊँगली तो कभी मोमबत्ती का ही सहारा लेना पड़ता है

चाची- तू पटाखा औरत है लाइन दे दे किसी को

सुमन- अरे नहीं यार, इधर का माहौल तो तुझे पता ही हैं , कई बार मन तो करता है की सेटिंग कर लू किसीसे पर रिस्क है यार बदनामी का पंगा तो रहता ही है , चल मेरी छोड़ तू बता तेरा क्या चल रहा है
चाची- तुझे तो पता ही है की मैं तलाक ले रही हु , तो बस वो ही है

वो- तो तू भी मेरी तरह आजकल उंगलियों पर ही जी रही है

चाची- छोड़ ना इन बातो को , अब जो है वो है हम लोग नदी पर जा रहे है तू भी चल मेरा मन भी लगा रहेगा

तो सुमन भी तैयार हो गयी मैं समझ गया था की चाची जल्दी ही इसको तैयार कर देंगी ऐसा मेरा दिल कह रहा था हमने कुछ सामान लिया और नदी की तरफ चल पड़े , इस बार हम लोग चाची के बाग़ की तरफ से ना होकर एक नए रस्ते से गए थे दरसल ये रास्ता बाग़ के पीछे वाले किनारे पर ना जाकर और दूसरी तरफ जंगल की गहराइयों में जाता था करीब आधे पौने घंटे बाद हम लोग उधर पहुच गए इस तरह जंगल खूब गहरा था दूर दूर तक बस शांति ही पसरी पड़ी थी

नदी किनारे के पेड़ निचे हमने अपना सामान रखा और बाते करने लगे

मैं-चाची इस तरफ क्यों आये है

चाची- अब सुमन की नहीं लेनी क्या तुझे तो इधर मौका बनाते है तू एक काम कर पानी में जाके नहा हम लोग आते है कुछ देर में


मैंने अपने कपडे उतारने शुरू किये और जल्दी ही मेरे कसरती बदन पर मात्र एक फ्रेंची ही थी , जिसमे मेरे लंड का उभार साफ़ दिख रहा था मैंने देखा सुमन की नजरे कुछ पलो तक उस पर ही ठहरी रही फिर मैं नदी के पानी में उतरने लगा , वो दोनों सहेलिया बाते करने लगी वही बैठ के


सुमन- सुनीता, तेरा भतीजा काफी जवान हो गया है

चाची – हां, अब चढ़ती उम्र है

सुमन- तूने देखा फ्रेंची में उसका हथियार कितना मोटा लग रहा था

चाची- तुझे पसंद आ गया क्या और उसकी तरफ आँख मार दी

सुमन, सकपका गयी और बोली- क्या यार मैं तो ऐसे ही बोल रही थी

चाची- नहीं कोई बात नहीं , अगर तेरे मन में उसका लेने की है तो ट्राई कर ले वैसे भी चूत को तो लंड की खवाहिश रहती ही है

सुमन- चुप कर , आजकल बहुत बेशर्म हो गयी है तू

चाचीसुमन को अपनी बातो में उलझाने लगी और बोली-देख यार, अब तू को नादान तो है नहीं दुनियादारी को अच्छे से समझती है , जब मर्द लोग अभी भूख कही भी मिटा सकते है तो क्या हम औरतो का हक़ नहीं बनता की थोडा बहुत मजा हमे भी मिलना चाहिए
 

Incest

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सुमन- कह तो तू सही रही है


चाची- अब देख , तेरा पति क्या बाहर मुह नहीं मारता होगा तू क्या इस बात की गारंटी ले सकती है , अब मुझे ही देख मेरे होते हुए भी मेरे पति ने मुझे धोखा दिया तो क्या मैं अपने जिस्म की आग को ऐसे ही सुलगने दू , क्या मेरा मन नहीं करता सेक्स के लिए

सुमन- सुनीता तू एक दम सही कह रही है , कितनी ही राते बिस्तर पर करवट बदलते हुए कट जाती है आखिर ये मान- मर्यादा के झूठे आडम्बर हम औरतो के लिए ही क्यों है

चाची- देख, सुमन, इतनी सी जिंदगी है इसको चाहे रोके गुजार ले या फिर मस्ती करके और फिर मान ले अगर तू एक आध बार और किसी से मजा ले भी ले तो किसको क्या पता चलने वाला है , अब मुझे देख मरे पति ने मुझे धोखा दिया तो मैं अपने भतीजे से लग गयी हु

सुमन- क्या बात कर रही है

चाची- सच कह रही हु, तभी तो तुझे कह रही हु की इतना मत सोच , तेरी चूत में भी तो आग लगती है ना मैंने देखा तू उसके लौड़े को कितनी प्यास भरी निगाहों से देख रही थी अगर तेरा दिल कर रहा है तो आजा वैसे भी हम कुछ दिन रहेंगे यहाँ तो तू भी कुछ रात रंगीन कर ले

सुमन- पर याद किसी को पता चल गया तो

चाची- क्या पता चलेगा, तू अकेले तो रहती है न तू किसी को कहेगी और हम तो चले जाने ही है फिर , तू सोच ले अपनी बहन मानती हु तुझे इसलिए बोल रही हु , आजा बस एक बार शर्म आएगी और फिर तू खुद उसके लंड पर कूदेगी , चल मैं नहा के आती हु तू सोच और नहाना है तो आजा

चाची ने फिर अपने कपडे उतारे और ब्रा-पेंटी में ही मेरी और चल दी , सुमन की निगाह चाची के गदराये हुस्न पर जम गयी चाची पानी में उतर कर मेरे पास आ गयी

मैं- क्या हुआ

वो- समझ ले तेरा काम हो ही गया

मैं- तो यही पेल दू

वो-नहीं , वो थोडा झिझक रही है पर इतना पक्का है की दे देगी

फिर मैं और चाची पानी में अठखेलिया करने लगे चाची मेरे पास खड़ी थी उन्होंने निचे हाथ ले जाकर मेरे लंड को पकड़ लिया और उस से खेलने लगी , मैंने देखा सुमन हमे ही घूर रही है तो मैं भी चाची की ब्रा के ऊपर से उनके बोबे मसलने लगा कुछ देर हम लोग ऐसे ही अठखेलिया करते रहे अब मैं पानी में खड़े होकर चाची को चूम रहा था चाची मेरी मुठ मार रही थी फिर वो मुझसे अलग हो गयी और सुमन को नहाने के लिए बुलाने लगी पहले तो वो मन करती रही फिर वो मान गयी और जल्दी ही मैंने सुमन को ब्रा और पेंटी में हमारी और आते देखा , मेरे लंड को झटके लगने लगे

गुलाबी ब्रा-पेंटी में क्या मस्त लग रही थी सुमन , जल्दी ही वो हमारे पास पानी में थी गर्दन तक पानी में डूबी हुई पर वो थोडा सा सकुचा रही थी तो चाची बोली- सुमन इस से क्या शर्मना जैसे ये मेरा भतीजा है वैसे ही तेरा

चाची ने उसका हाथ मेरे हाथ में दे दिया तो मैंने उसके हाथ को हलके से दबाया तो वो शर्मा गयी चाची उसके बोबो पर हाथ रखते हुए बोली- क्या सुमन यार तू तो ऐसे शर्मा रही है जैसे की पहले कभी तूने कुछ किया ही नहीं हो , अच्छा तू शायद मेरी शर्म कर रही है अच्छा एक काम करो तुम दोनों थोडा टाइम साथ बिताओ मैं दूसरी तरफ जाके मछलिया पकडती हु , सुमन कुछ कहती उस से पहले ही चाची पानी से बाहर निकल गयी और किनारे की दूसरी तरफ चल पड़ी

रह गए हम दोनों सुमन अपनी नजरे झुकाए खड़ी थी , मैंने उसके हाथ को हल्का सा दबाया तो उसने मेरी और देखा

मैं थोडा सा उसकी और आगे को हुआ तो वो पीछे को होने लगी मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और अपने सीने से लगा लिया उसको मेरा तना हुआ लंड सुमन की चूत पर रगड खाने लगा , मेरे स्पर्श से ही उसकी हालात खराब होने लगी

मैं- कुछ परेशानी है क्या

वो- नहीं , कुछ नहीं

मैं- तो फिर आप घबरा क्यों रहे हो देखो मैं आपसे जबरदस्ती तो कर नहीं सकता , चाची ने जो बताया तो मेरी तोइतनी ही इच्छा है की कुछ ख़ुशी के पल आपको दे सकू ,लाइफ में ऐसे मौके बेहद कम होते है जब हम लोग अपनी मर्ज़ी से कुछ ख़ास पलो को जी पाते है आज भी एक ऐसा ही पल सामने है इसे ऐसे बेकार मत करो

मैं आगे बढा और सुमन के होंठो पर अपने होठ रख दिया और किस करने लगा साथ ही मैं उसके दोनों चूतडो को अपने हाथो से भीचने लगा तो वो कसमसाने लगी , अब इतने दिनों में मैं इतना तो अच्छे से समझ ही गया था की औरतो को हैंडल कैसे करना है तो दो मिनट में ही सुमन का मुह खुल गया और हम समूंच करने लगे , एक बार जो मैं चालु हुआ तो फिर रुकना मुश्किल था मैंने अपने लंड पर उसका हाथ रख दिया और फिर से उसको किस करने लगा एक के बाद एक कई किस किये मैंने सुमन को

जैसे जैसे मैं उसको चूमता जा रहा था सुमन की पकड़ मेरे लंड पर टाइट होती जा रही थी फिर जब उसने मेरे लंड को कस के दबाया तो मैं समझ गया की गाड़ी पटरी पर आ गयी है , मैंने सुमन को अब पलटा और उसके पीछे खड़ा होकर उसके बोबो को सहलाने लगा ब्रा के ऊपर से ही उसने अपनी टाँगे थोड़ी सी खोली और मेरे लंड को पानी चिकनी जांघो के मध्य दबा लिया

मैं- कैसा लग रहा है

सुमन- आग सी लग रही है उफफ्फ्फ्फ़

वो अपनी गांड को दबाने लगी मैं उसकी ब्रा को थोडा सा ऊपर करके उसके बोबो पर अपने हाथो का कमाल दिखाने लगा था सुमन पिघलने लगी थी उसके होंठो से मीठी मीठी आहे निकलने लगी थी मैंने उसके कंधे पर एक चुम्बन लिया तो वो तड़प उठी उसके मदमस्त उभारो से कुछ देर खेलने के बाद मैंने अपना हाथ उसके योनी प्रदेश पर रखा तो वो कामग्नी में झुलसने लगी अपनी टांगो को भीचने लगी सुमन अब गरम हो रही थी
मैं अब उसको पानी से बाहर किनारे पर ली आया और उसको वही मिटटी पे लिटा दिया और उसके पेट को चूमने लगा उसकी नाभि को जीभ से सहलाने लगा ,

अब मैं उसकी पेंटी पर आया उफ्फ्फ क्या गजब खुसबू आ रही थी उसकी चूत से , सुमन पाने आप को कण्ट्रोल नहीं कर पा रही थी और मैं चाहता भी नहीं था की वो कण्ट्रोल करे उसकी योनी से जैसे एक भाप सी उठ रही थी मैंने अपने खुरदुरे होंठ उसकी गीली पेंटी पर रखे तो सुमन जैसे सातवे आसमान पर ही पहुच गयी थी उसके होंतो से फूटी सिस्कारिया बता रही थी की अब वो पूरी तरह से गरम हो चुकी थी बस हथोडा मारने की जरुरत थी

मैंने धीरे से सुमन की कच्छी को निचे घुटनों तक सरकाया और फिर घुटनों से निचे को कर दिया और उसकी टांगो को फैला दिया चूत पर बालो का कोई नामोनिशान नहीं था दो पल तक मैं एक टक उसकी चूत को देखता रहा जो आस बडी खुश हो रही थी की आज उसको अपना हमसफ़र मिलने वाला है मैंने सुमन की टांगो को अपने हाथो में दबोचा और अपने चेहरे को उसकी जांघो के बीच घुसा लिया ज्योही मैंने उसकी चूत के छेद पर अपनी जीभ रही नदी किनारे की उस गीली मिटटी पर पड़ी सुमन के बदन में चिनगारिया चलने लगी वो अपनी गांड को पटकने लगी मैंने धीरे धीरे उसकी चूत को चुसना चालू किया सुमन की चूत बहुत गीली हो गयी थी कई दिनों सा जमा कामरस आज हर बंधन को तोड़ कर बह चला था


मैंने अपनी नजरे उसकी तरफ की उसके चेहरे पर अजीब से भाव आ गए थे तो मैंने दो चार चुम्बन एक के बाद एक उसकी योनी पर अंकित किये सुमन मोअन करने लगी थी मैं बड़े प्यार से उसकी चूत को चाट रहा था अब मैंने हाथ से चूत को खोला और अन्दर के लाल वाले हिस्से पर अपनी जीभ रगड़ने लगा तो सुमन के चुतड ऊपर को उठने लगे और उसकी आहे गुन्जने लगी , मैं बड़े मजे से उसकी चूत को खा रहा था पर ये मजा ज्यादा नहीं चल पाया क्योंकि चाची वापिस आ गयी थी

हम दोनों को यु देख कर चाची बोली-अरे यही पर शुरू हो गए तुम दोनों

चाची को यु देख कर सुमन बुरी तरह से शर्मा गयी और पेड़ो के पीछे उस तरफ भाग गयी जहा पर कपडे और सामान रखा हुआ था

मैं अपने लंड को मसलते हुए- क्या चाची अभी आना था आपको

चाची- मुर्ख लड़के, थोडा सबर कर अभी उसको तडपाना है थोड़ी देर ताकि उसके जिस्म में चुदाई की आग लग जाये और वो खुद आके तेरे लंड पर बैठ जाए

चाची की बात सोलह आने सच थी , औरत जितना तडपे उतना ही मजा आता है उसको चोदने पर इधर मेरे लंड का बुरा हाल था तो मैंने चाची को अपनी बाहों में भर लिया और चाची की पेंटी को निचे सरकाने लगा चाची- अब देख अपन दोनों करेंगे और सुमन देखेगी फिर उसके जिस्म में आग भड़केगी

मैं- आप तो पूरी वाली हो चाची

वो- चाची भी तो तेरी हु पगले

चाची निचे बैठ गयी और मेरे लंड को चूसने लगी मैं उसके सर को पकडे लंड को मुह में आगे पीछे करने लगा तो चाची मजे से मुखमैथुन का मजा उठा रही थी और मुझे भी आनंदित कर रही थी मैंने देखा पेड़ की साइड से सुमन की निगाहे हमारी तरफ ही जमी हुई थी मैंने उसे आने का इशारा कर दिया पर उसने गर्दन हिला कर ना कहा पर मैंने देखा की उसका एक हाथ उसकी चूत पर है जिसे वो खुजला रही थी कुछ देर लंड चुस्वाने के बाद मैंने चाची को गोद में उठाया और पेड़ो की तरफ ले चला अब वहा पर मैं और चाची और सुमन ही थे इस साइड में काफी घने पेड़ थे

मैंने चाची को जमीं पर घोड़ी बना दिया और अपना मुसल चूत में घुसा दिया और झटके मारने लगा

चाची- सुमन घूर के क्या देख रही है क्या तूने कभी लंड नहीं लिया , मुझे पता है तेरे मन में भी हां रहा है तो आजा तू भी

सुमन कुछ नहीं बोली पर उसकी छातियो के तने हुए निप्पल बता रहे थे की वो किस हद तक गरम हो चुकी है वासना की आग में उसका जिस्म किस हद तक गार्म हुआ पड़ा था उस समय उसकी आँखों में लाल लाल डोरे मैंने साफ़ देखे वासना के पर चाची चुदते हुए उसके पुरे मजे ले रही थी उसको तडपा कर

चाची- ओह मेरे राजा और जोर से रगड़ मुझे क्या मस्त लंड है तेरा मेरी भोसड़ी की अच्छे से कुटाई कर आआआह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह और जोर से

मैं चाची के चूतडो को मसलते हुए उनको चोद रहा था पर मेरा मन सुमन की तरफ था जो धीरे धीरे अपने होंठो को दांतों से काट रही थी पर जैसे की चाची ने कहा था की खुद पहल नहीं करनी तो मेरी भी मज़बूरी थी वर्ना अबतक तो उसकी चूत मेरे लंड को चख चुकी होती अब मैंने चाची को खड़ा किया और उनके रसीले होंठो को चुमते हुए चूत मारने लगा सुमन लगातार देख रही थी की कैसे मेरा लंड चाची की चूत के पर्खाच्च्चे उड़ा रहा था

सुमन को तद्पाते हुए करीब आधे घंटे तक मैंने घिस घिस के चाची की चूत मारी चाची भी पूरा मजा लेकर सुमन के दिल में आग लगा रही थी तो उस उमस भरे मौसम में चाची को अच्छे से पेला मैंने सुमन को दिखाते हुए चाची ने मेरे वीर्य से अपने मुह को भर लिया मैं जानता था की अब सुमन जल्दी ही मेरे निचे होगी ,

फिर चाची नहाने चली गयी उसके जाते ही मैंने सुमन को दबोच लिया और उसको चूमने लगा सुमन की बाहे मेरी पीठ पर कसती चली गयी कई देर तक हमने किस किया इस बीच उसने मेरे लौड़े को खूब भींचा
पर हम लोग कुछ ज्यादा नहीं कर पाए थे क्योंकि चाची जल्दी ही वापिस आ गयी थी फिर हमने कपडे पहने मैंने देखा की चाची चार पांच मछलिया पकड़ लायी थी आज दावत होने वाली थी फिर हम लोग गाँव की और चल पड़े रस्ते में मैंने दो तीन बार सुमन की गांड को मसल दिया था अब देखो रात क्या रंग लाने वाली थी

घर आने के बाद मैं सो गया फिर शाम को ही उठा तो मैंने देखा सुमन और चाची बाते कर रही थी मुझे उठा देख कर चाची मेरे लिए चाय का कप ले आई और मुझसे बोली- आज रात तुझे सुमन के घर सोना है

मैं ये सुनते ही खुश हो गया और बोला- चाची आप भी चलो आप दोनों को साथ ही चोदुंगा मजा आएगा

चाची- वो भी कर लेना , पर अभी उसको रगड़ ठीक से तू भी क्या याद करेगा तेरे लिए मुझे तो बेशरम होना पड़ा पर तू मौज कर मैंने चाची को किस किया और रात का इंतज़ार करने लगा टाइम था

धीरे धीरे कट ही गया रात को सुमन ने हमारे साथ ही भोजन किया और फिर करीब साढ़े नो बजे मैं उसके साथ उसके घर आ गया दरवाजा बंद करते ही मैंने उसको पास की दिवार से लगाया और उसको किस करने लगा सुमन तो पुरे दिन से तड़प रही थी वो भी मुझ पर टूट पड़ी उसके होंठो के पुरे रस को आज मैं अपने होंठो से निचोड़ लेने वाला था

बहुत देर तक चूमा चाटी करते रहे उसका पूरा चेहरा थूक में सन गया था सांसे भारी हो चुकी थी और इस बिच उसकी सलवार खुल कर उसके पैरो में गिर पड़ी थी सुमन का हाथ मेरी निक्कर में पहुच चूका था और वो इत्मिनान से मेरे लंड को अपनी मुठ्टी में भर कर प्यार कर रही थी अब मैंने अपना मुह उसके चेहरे से हटाया और उसकी कुर्ती को उतार दिया उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई थी तो मेरा काम और आसन हो गया
उसकी मीडियम साइज़ चूचियो में भी बड़ी कसावट थी और निप्पलस तो ऐसे खड़े थे जैस की इक्कीस तोपों की सलामी दे रहे हो मैंने भी अपने कपड़ो को जिस्म से जुदा कर दिया सुमन को अपनी गोदी में उठा कर बिस्तर पर ले आया बिस्तर पर आते ही सुमन ने मुझे धक्का दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चूमने लगी , एरा लंड झनझनाने लगा मेरे सीने पर चुमते हुए वो कामुक महिला निचे को सरकने लगी मेरे पुरे बदन पर वो लव बिट्स बनाते जा रही थी मुझे खुद बड़ा मजा आ रहा था उसकी इन हरकतों पर दिल कर रहा था की आज उसकी जवानी को जी भरके पी जाऊ अब वो मेरे लंड तक पहुँच गयी थी

वो मेरी गोलियों पर अपनी जीभ चलाने लगी दांतों से काटने लगी मारे मस्ती के मेरा बुरा हाल हुआ मैं बावला होने लगा अब उसने मेरे सुपाडे की खाल को निचे किया और मेरे लंड को देखने लगी उसके होंठो से टपकती लार सुपाडे पर गिरने लगी तो मेरा लंड दहकने लगा अब सुमन अपने मुह को लंड पर लायी और मेरे डंडे पर जीभ रगड़ने लगी तो मेरी मस्ती का कोई ठिकाना नहीं रहा उफ्फ्फ्फ़ कितने गरम होंठ थे उसके ऐसा लगा की जैसे किसी ने गरम तंदूर रख दिया हो , सुमन बड़े ही इत्मीनान से मेरे लंड को अपने मुह में लिए हुए थी उसकी जीभ पुरे लंड पर विचरण कर रही थी बस मजा ही मजा था पर असली मजा तो उसकी चूत में था
इधर मुझे लगने लगा था की कही इसका इरादा मुझे यही पर झाड़ने का तो नहीं तो मैंने उसके चेहरे को हटा दिया और सुमन को पटका बिस्तर पर उसने अपनी गांड के निचे तकिया लगाया और अपनी टांग को एडजस्ट करके मुझे चूत को बेधने का निमंत्रण दिया जिसे स्वीकार करते हुए मैंने अपने लंड को उसकी मंजिल के मुहाने पर लगा दिया और बस अब देर कितनी थी मिलन होने में सुमन के बदन में एक हलकी सी झुरझुरी ली और मैंने अपने लंड को चूत में घुसाना चालू किया आज लंड महाराज एक और चूत का भोग लगाने वाले थे किस्मत थी उसकी भी पहले ही धक्के में आधे से ज्यादा लंड चूत में चला गया सुमन ने इसी के साथ मुझे अपनी और खीच लिया और दो तन एक होने लगे

चूत में लंड जाते ही सुमन भी फॉर्म में आ गयी वो मेरे कान में बोली- बहुत मोटा है तुम्हारा

मैं- पसंद नहीं आया क्या

वो- पसंद आया तभी तो ले रही हु

मैं- तो फिर एन्जॉय कर मेरी रानी
 

Incest

Supreme
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859
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मैंने सुमन की ठुड्डी पर किस किया और उसके होंठो की तरफ बढ़ते हुए उसकी चुदाई चालू की सुमन भी एक अनुभवी औरत थी प्यास से भरपूर तो चुदाई करने में पूरा मजा आने लगा था जल्दी ही वो निचे से घस्से लगाने लगी थी फिर उसने अपनी चूची मेरे मुह में दे दी तो मैं उसको चूसने लगा तो सुमन मीठी मीठी आहे भरते हुए अपनी चूत मरवाने लगी , उफ्फ्फ्फ़ जब जब मेरा लौडा चूत के अन्दर बाहर होता उसकी चूत का छ्ल्ल्ला साथ खींचता तो सुमन कसक उठती



उसने अपनी टांगो को अब खूब चौड़ा कर लिया था मैं अब थोडा सा उठा और अपने दोनों हाथो को उसके स्तनों पर रख कर उन्हें दबाते हुए उसकी चूत मारने लगा सुमन ने अपने दोनों हाथो को मेरे कंधो पर रख दिया और चुदाई का मजा लेने लगी वक़्त के साथ साँसों की रफ़्तार बढ़ने लगी मैं उसके ऊपर चढ़ा हुआ एक के बाद एक धक्के लगाये जा रहा था सुमन ने कई महीनो से चुदाई नहीं की थी इसलिए वो ज्यादा मस्ती में भर गयी थी उसकी चूत हद से ज्यादा गीली हो रही थी और वो झड़ने की तरफ बढ़ रही थी अब मैंने उसको बेड के किनारे की तरफ खीचा और खुद बेड से उतर गया अब मैंने उसकी दोनों टांगो को जोड़ा और ऊपर उठा दिया

चूत की पाँखे आपस में कस गयी अब मैंने उसकी टांगो को थामा और लगा चोदने उसको अब मैं काफी तेज घर्षण कर रहा था और सुमन अपनी आँखे बंद किये पड़ी थी मेरे धक्को से उसके बोबे बुरी तरह से हिल रही थी उसकी आहे अब चरम पर पहुच गयी थी मैंने करीब पंद्रह बीस धक्के और मारे और फिर सुमन के शरीर ने उसका साथ छोड़ दिया और उसकी चूत की पकड लंड पर से ढीली हो गयी , सुमन झड गयी थी पर हर चुदाई के साथ मेरा स्टैमिना बढ़ता जा रहा था तो मैं अभी भी मैंदान में था

मैंने लंड को बाहर निकाला और सुमन की चूत पर ढेर सारा थूक लगाया और फिर से अपने लंड को जन्नत के दरवाजे की तरफ धकेल दिया उसका पसीने से भरा बदन एक बार फिर से मेरे निचे था , वो अपने हाथो को पटकने लगी तो मैंने मैंने उसकी कलाइयों को दबोच लिया और चोदने लगा उसको वो मेरे निचे पड़ी पड़ी कसमसाने लगी पर आज मैं तो सोच कर ही आया था की उसको पूरी रात अपने लंड पर बिठाना है

सुमन- छोड़ दे ना आः अब नहीं सहा जा रहा है

मैं- पूरी रात तुझे प्यार करना है फिर पता नहीं तेरे दीदार हो ना हो

वो- तो कर लेना पर थोड़ी देर तो रुक ही सकते हो थोडा आराम कर लो

मैं- गाँधी जी कह गए, आराम हराम है तुम बस अभी रेडी हो जाओगी बस लगी रहो

सुमन भी जान गयी थी की उसकी कोशिश बेकार है तो वो शांत पड़ गयी मैं लगातार चोदे जा रहा था बिस्तर अब चु छु करने लगा था करीब सात आठ मिनट बाद उसकी चूत फिर से गीली होने लगी थी वो भी मेरे रंग में रंगने लगी थी उसकी चूत फिर से मेरे लंड से टक्कर लेने लगी थी उसकी आहे बढ़ने लगी थी सुमन ने अपने मुह को खोल दिया और मुझे किस करते करते वो मेरी जीभ को चाटने लगी फिर उसने मेरी जीभ को अपने होंठो में दबा लिया और लोलीपोप की तरह से उसको चूसने लगी कयामत ही हो जानी थी आज तो सेक्स के इस खेल में अब खुल कर मजा बिखर रहा था

सुमन ने अब मुझे अपने ऊपर से हटाया और साइड में लेट गयी उसका मस्त पिछवाडा मेरे तरफ खुल गया था मैं उसके चूतडो के नरम मांस कर बटके मारने लगा तो सुमन मस्ती भरे दर्द से दो चार होने लगी उसकी आँखों में दो बोतल का नशा उतर आया था मैंने अब उसकी टांग को ऊपर किया और पीछे से कमर के निचे हाथ लगाते हुए फिर से चुदाई शुरू कर दी अब मेरा एक हाथ कमर के निचे था दूसरा उसकी चूची पर और एक बार फिर से पिलाई शुरू हो गयी थी सुमन की दोनों जांघे एक दूसरी पर रखी थी जिस से चूत थोड़ी टाइट सी हो गयी थी पर अपना लंड भी कहा कम था वो लगातार किसी पिस्टन की तरह सुमन की चूत को फैलाये जा रहा था

धीरे धीरे मैं अपने स्खलन की तरफ बढ़ता जा रहा था और मेरे साथ सुमन भी मैं अब वापिस उस पर चढ़ गया और दे दनादन रगड़ने लगा उसको और फिर मेरे बदन ने झटका खाया और गरम पानी पिचकारियो के रूप में उसकी चूत की दिर्वारो को भिगोने लगा मेरे साथ साथ ही वो भी दूसरी बार ढेर हो गयी , झड़ने के बाद मैं उसके ऊपर से उतरा और साइड में लेट गया लम्बी सांसे लेते हुए


कुछ देर हमने आराम किया और फिर से कार्यवाही शुरू हो गयी यारो उस पूरी रात न वो एक पल के लिए सोयी ना मैं सुबह की भोर होने तक मैंने उसको चोदा एक समय ऐसा आया जब पानी छुटना ही बंद हो गया लंड सूज सा गया था पर फिर भी मैं लगा रहा तो करीब सुबह ६ बजे मुझे नींद ने अपने आगोश में पनाह दी ..


बुरी तरह से थकन से चूर जब मैं सो कर उठा तो शाम के चार बज रहे थे आँखे मलते हुए मैं अपने कपडे पहने और कमरे से बाहर आया तो देख की सुमन टीवी देख रही है मुझे देख कर वो शर्मा गयी और फिर चाय के लिए पुछा पर मैंने उसको मना कर दिया और उसको अपनी गोदी में बिठा कर किस करने लगा पेशाब आने की वजह से लंड खड़ा ही था तो मैंने उस से पूछ लिया चुदने के लिए पर वो बोली की उसकी चूत सूज गयी है और उसमे दर्द हो रहा है तो फिर मैं कुछ देर बाद चाची के घर आ गया


चाची ने गरमा गरम नाश्ता करवाया तब थोडा चैन मिला फिर उन्होंने बताया की नाना का फ़ोन आया था वो लोग कल आ रहे है तो परसों अपन लोग वापिस घर चलेंगे

मैं- ठीक है जैसा आप कहे

चाची उठ कर मेरे पास आई और बोली- सुमन कह रही थी पूरी रात उसको खूब रगडा है तूने उसकी आँखे भी सूजी थी और निचे वाली भी क्या कर दिया तूने

मैं- मैं क्या कर सकता हु

वो- मुझे तो कभी नहीं पेला तूने ऐसा

मैं चाची से स्तनों को मसलते हुए- आज की रात आप को भी खूब पेलूँगा आज की रात यादगार

चाची- देखूंगी, कितना जोर है मेरे पतिदेव में

मैं- कहो तो अभी शुरू हो जाऊ

चाची- अभी नहीं , मुझे सुमन के साथ कही जाना है तो तू घर ही रहना मैं जल्दी ही लौट आउंगी

मैं- ठीक है

मैंने टीवी चलाया और टाइम पास करने लगा करीब घंटे भर बाद चाची वापिस आ गयी थी सुमन भी उसके साथ ही थी चाची फिर रसोई में चली गयी डिनर की तयारी के लिए सुमन मेरे पास बैठी थी हरी साडी में गजब पटाखा लग रही थी मैंने अपनी चैन खोली और लंड को बाहर निकाल लिया सुमन –क्या कर रहे हो

मैं- जरा चुसो ना इसे तुम्हारे होंठो का स्पर्श पाने को बेताब हो रहा है

मैं लंड को मसलने लगा

सुमन- सुनीता है यहाँ

मैं- उस से क्या शर्मना वो तो अभी तुम्हारे सामने इस पर आके बैठ जायेगी आओ ना यार परसों तो हम चले ही जायेंगे जब तक है साथ दो ना

मैं सोफे पर बैठा था अपनी टाँगे फैलाये मैंने निक्कर उतार दी मेरा लंड हवा में झूलने लगा सुमन फर्श पर घोड़ी की तरह बैठ गयी उसने अपने होंठो पर जीभ फेर कर गीला किया और फिर अपने मुह को मेरे लंड पर झुका दिया और मुह खोलते हुए लंड चूसने लगी उसके गीले मुह में जाते ही लंड बेकाबू होने लगा सुमन धीरे धीरे लंड को पी रही थी मैं उसके बालो को सहलाने लगा मैंने देखा की चाची रसोई में व्यस्त है और ना भी होती तो क्या फरक पड़ना था मुझे

सुमन की लिजलिजी जीभ ने मुझे पागल ही कर डाला था मैंने अब उसको खड़ी किया उसकी साड़ी को ऊपर किया और उसकी कच्छी को खीच डाला , मैंने उसको अपने लंड पर बिठा लिया और धीरे धीरे ऊपर निचे करवाने लगा उसको सुमन की आँखों में नशा बढ़ने लगा मैंने उसके ब्लाउज को उतार दिया और उसको चोदने लगा जल्दी ही हमारी आहे गूंजने लगी तो चाची भी आ गयी सुमन को मेरे लंड पर बैठे देख कर चाची थोडा जल सी गयी उन्होंने जल्दी से अपने कपडे उतारे और मेरे पास बैठ कर मुझे किस करने लगी हाय रे किस्मत आज दो दो औरतो को साथ चोदने वाला था मैं कुछ देर किस करने के बाद चाची ने सुमन को मेरे लंड से हटा इया तो वो बिफरने लगी

अब बीच चुदाई में कोई किसी को ऐसे रोकेगा तो मजा तो किरकिरा होगा ही ना, चाची में सुमन की चूत रस से सने लंड को अपने मुह में भर लिया और मजे से चूसने लगी इधर सुमन का बुरा हाल हुआ पड़ा था तो मैंने उसे अपनी और आने को कहा और उसको अपने मुह पर बिठा के उसकी चूत को चाटने लगा तो उसको भी थोडा करार आ गया , दोनों औरतो की मादक सिसकिया मुझे दीवाना बना रही थी अब चाची ने मेरे लंड को अपने मुह से निकाल दिया और सोफे पर बैठ गयी मैंने सुमन को फर्श पर घोड़ी बनाया और उसको पेलने लगा चाची अपने बोबो को सहलाते हुए हमारी चुदाई देख रही थी

मेरा लंड सुमन के चूतडो को छुते हुए उसकी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था मैंने देखा की चाची ने अपनी चूत में दो उंगलिया घुसेड ली है और उनको अन्दर बाहर कर रही थी उनकी आँखे बंद थी इधर मेरे हर धक्के पर सुमन का बदन बुरी तरह से लरज रहा था कुछ देर बाद मैंने उसे लिटा दिया और उस पर चढ़ कर उसको चोदने लगा तो चाची हमारे पास आ गयी और सुमन की चूची को पिने लगी सुमन पर चुदाई का दोहरा रंग चढ़ गया था वो अपने बदन को फर्श पर पटकने लगी चाची एक चूची को मुह में लिए हुए थी तो दूसरी को कस कस के दबा रही थी उसकी चूत बुरी तरह से बह रही थी फच फच की आवाज अलग से ही सुन रही थी


सुमन ऊपर चाची को और निचे मुझे ज्यादा देर तक नहीं सह पायी और ठंडी आहे भरते हुए स्खलित हो गयी , उसके झाड़ते ही मने उसको हटाया और अब चाची को अपने निचे लिटा लिया चाची की गीली चूत में सर्रर्रर से लंड अन्दर घुस गया मैंने चाची को किस करना चालू किया सुमन थोड़ी ही दूरी पर बेहोश सी पड़ी थी आँखे बंद करके चाची के गुलाबी होंठो को अपने होठो से जोड़े हुए मैं चाची को चोद रहा था जल्दी ही वो भी निचे से झटके मारने लगी जन्नत का सुख बरस रहा था चारो तरफ से चाची की चूत पर दे धक्के दे धक्के पूरा मजा प्राप्त हो रहा था मैंने इस बात पर भी गौर किया की चाची सुमन से ज्यादा कामुक महिला है


पर अपनी भी लिमिट थी तो कुछ देर और चोदने के बाद मैंने अपना पानी चाची की चूत में छोड़ दिया और फर्श पर ही सुमन के बाजु में लेट गया मैंने उसके सीने पर हाथ रखा और उसके उभारो से खेलने लगा तो उसने मेरा हाथ हटा दिया चाची ने अपने कपडे समेटे और बाथरूम में चली गयी सुमन ने भी अपनी साड़ी को सही किया और पहन लिया मैं वैसे ही पड़ा रहा नंगा का नंगा ही कुछ सांस लेने के बाद मैंने भी बाथरूम में जाकर अपने लंड को साफ़ किया और फिर एक निक्कर पहन ली बिना कच्छे के ही तब तक चाची नाश्ता ले आई थी चाय के साथ गरमा गर्म पकौडे खाकर मजा ही आ गया


बस हमारा खाना खाना-पीना हुआ ही था की नाना-नानी आ गए चाची उनके लिए भी चाय ले आई , चुस्कियो के साथ ही बाते होने लगी फिर कुछ देर बाद सुमन अपने घर चली गयी , हमे भी कल निकलना था तो मैं बैग पैक करना शुरू कर दिया उस रात हम लोग कुछ नहीं कर पाए क्योंकि चाची अपनी मम्मी के पास सो रही थी फिर अगले दिन दोपहर तक हम लोग भी घर के लिए निकल पड़े

एक लम्बा और थका देने वाला सफ़र करके हम लोग गाँव पहुचे सब से दुआ सलाम किया चाय पानी के बाद मैं तो सो गया फिर जब उठा तो अगला दिन हो चूका था नहा धोकर मैं घर से बाहर निकला तो मैंने देखा की बिमला और चाचा बडे हंस हंस कर बाते कर रहे है तो मेरी गांड जल गयी मुझ को देख कर भी उनको कोई फर्क नहीं पड़ा मैं उनको इगनोर करते हुए उनके पास से निकल गया मोहल्ले की तरफ गया तो देखा की रतिया काका की दूकान पर राहुल बैठा था

मैं- तू दुकान पर

वो- हाँ , भाई अब दुकान तो खोलनी ही पड़ेगी ना वर्ना काम कैसे चलेगा

मैं- हम्म, काका कैसे है

वो- ठीक है जल्दी ही छुट्टी मिल जाएगी

मैं- कल जाता हु मिलने

वो- ठीक है

कुछ देर उस से बातचीत की फिर मैं आगे की और जा निकला तो मैंने देखा की अवंतिका और गीता ताई पानी के नलके पर बाते कर रही थी मेरी नजरे दोनों से मिली दोनों के लिए अलग अलग फीलिंग थी अवंतिका के होंठो पर एक मुस्कान आ गयी मैं उधर से आगे बढ़ गया दरअसल आज मैंने पिस्ता से मिलना चाहता था बहुत दिन उए उस से बात हुई नहीं थी और किस्मत की बात देखो की वो अपने दरवाजे पर ही कुर्सी डाले बैठी थी मुझे देखते ही उसने मुझे आने को कहा मैं नजर बचा कर उसके घर में घुस गया

अन्दर जाते ही उसके किवाड़ बंद किया और मुझ से लिपट गयी एक के बाद एक चुम्बन मेरे चेहरे पर अंकित करते गयी वो मैंने भी उसको अपनी बाहो में कैद कर लिया जब उसका मन भर गया तो वो मुझ से अलग हुई और अब हम घर के अंदर वाले हिस्से में आ गए मैं सोफे पर बैठ गया वो मेरे लिए ठंडा लायी और मेरे पास ही बैठ गया

वो- कहा गया हुआ था

मैं- यार, कुछ काम से चाची के साथ जाना पड़ा

वो- और जो इधर मेरा हाल खराब हुआ पड़ा है उसका क्या

मैं- अब आ गया हु ना अब तुझसे दूर नहीं जाऊंगा

वो- अब साथ रहने के दिन बचे ही कितने है

मैं- क्या हुआ

वो- ब्याह की तारीख हो गयी पक्की कार्ड भी छप कर आ गए है

मैं- तुझे बड़ी जल्दी है मुझसे दूर जाने की

वो- मेरे ससुराल वाले जल्दी कर रहे है

मैं- अब उनको जल्दी तो होगी ही तू चीज़ ही ऐसी है तेरे पतिदेव से रुका नहीं जा रहा होगा

वो- क्या कुछ भी बोलता रहता है

मैं- सच नहीं कहा क्या मैंने

वो- ये सब छोड़ तुझे कल मेरे साथ शहर चलना है मुझे ना शौपिंग करनी है ढेर सारी
मैं- तो कर ले, मैं क्या करूँगा चल के
वो- मुझे नहीं पता पर तू कल चल रहा हैं मेरे साथ

मैं- ठीक है यार चलते है
 

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वो- वोटो का क्या सोचा है


मैं- सोचना क्या है मैं था नहीं इधर तू भी तो लगी है परचार में तुझे ज्यादा पता होगा

वो- देख, बिमला भाभी का जोर ज्यादा है , अवंतिका खामखा में उलझ रही है बिमला आराम से जीत जाएगी
मैं- अब जिसे गाँव राम चाहेगा वो जीतेगा

वो- गाँव नहीं तू चाहेगा वो जीतेगा , तू भी तो खूब मेहनत कर रहा है

मैं- देख यार अपने को इस पचड़े में नहीं पड़ना जो भी जीते अपने को तेरे साथ जीना है कुछ दिन अभी का क्या प्लान है आज देगी क्या

वो- आज तो नहीं कर पाऊँगी पर एक दो दिन में जरुर

मैं- आज क्या हुआ

वो- मेरी माँ इधर ही है आती ही होगी तो अब तू भी निकल ले शायद मैं परसों जंगल में जाऊ लकड़ी तो उधर ही प्रोग्राम करेंगे फिट

मैं- ठीक है तू बता देना जो भी हो

मैं उसके घर से निकल कर ताई गीता के घर पर गया पर उधर ताला लगा हुआ था तो निराश होकर वापिस घर आ गया तो मम्मी मेरे पास आकर बैठ गयी और बोली- एक बात करनी थी तुझसे

मैं- जी

वो- क्या तेरी किसी लड़की से दोस्ती है

मैं- नहीं तो , मैं भला किसी लड़की से क्यों दोस्ती करूँगा

वो- एक फ़ोन आया था किसी लड़की का क्या नाम था उसका हां नीलम शायद वो तुझे पूछ रही थी
मैं- कब आया था तो आपने मुझे क्यों नहीं बताया

मम्मी- शांत हो जा, तू इधर नहीं था तो कैसे बताती चल इतना तो पता चला की तू उसे जनता है दोस्त है तेरी

मैं- साथ पढ़ती है

वो- साथ पढ़ते पढ़ते दोस्ती हो गयी

मैं- क्या मम्मी कुछ भी अब साथ पढने वाले क्या फ़ोन नहीं कर सकते घर पर

वो- बिलकुल कर सकते है बल्कि घर भी आ सकते है

मैं- तो आप शक कियो कर रहे हो

वो- मैंने तो बस इतना पुछा की क्या है आजकल के बच्चे कब बड़े हो जाते है पता ही नहीं चलता अब माँ-बाप को तो ध्यान रखना होता है ना

मैं- ऐसा कुछ नहीं है ये बताओ क्या कह रही थी

वू- कुछ नहीं बोली की बाद में फोन करेगी

हाय रे मेरी तक़दीर हमेशा चुतिया ही बनना लिखा था नीनू के फोन की इतने दिनों से बाट देख रहा था पर उसने भी जब फ़ोन किया जब मैं घर नहीं था पर क्या कीजिए जब चिड़िया चुग गयी खेत तो मैं ऊपर अपने कमरे में चला गया चाची वहा थी नहीं अब ये कहा गयी करने को कुछ ख़ास नहीं था तो मैं थोड़ी देर लेट गया शाम हुई तो ताऊ के साथ हॉस्पिटल जाना पड़ा रतिया काका की हालात पहले से काफी सुधर गयी थी हालाँकि अभी कई दिन उनको बिस्तर पर ही रहना था फिर भी इम्प्रोव्मेंट तो थी ही काकी से नजरे मिली तो मैंने पूछ लिया कब दोगी तो वो बोली मौका लगते ही अब रात को उधर ही रुकना था तो मैंने अपना बिस्तर गैलरी में बिछा लिया पर नींद नहीं आ रही थी तो मैं और मंजू हॉस्पिटल की कैंटीन में आ गए

कुछ खाने का सामान लिया और बाते करने लगे

मैं- और मंजू क्या चल रहा है

वो- कुछ नहीं बस इधर से घर, घर से इधर

मैं- मैं इसके बारे में नहीं निचे वाले जुगाड़ के बारे में पूछ रहा हु

वो- बेशर्म नहीं हो गया आजकल तू कुछ ज्यादा

मैं- आज रात करे क्या

वो- पागल हुआ है क्या माँ है इधर और फिर जगह कहा है

मैं- चोदने वाले जगह का इंतजाम कर ही लिया करते है

वो- इधर नहीं करुँगी , कल दिन में घर पे कर लेना जितना मर्ज़ी

मैं- तेरा भाई नहीं होगा घर

वो- वो तो दूकान पर बैठता है और तू उसकी जरा भी टेंशन मत ले

मैं- मंजू कल नहीं कर पाउँगा यार या तो आज दे या फिर बाद में क्योंकि कल मुझे पिस्ता के बाद जाना है कही पर

मंजू- हां तो जा उसकी ही ले फिर , काम के लिए तो मैं और घूमना उसके साथ है बस आज पता चल गया तू ना गरज का साथी है

मैं- समझा कर यार एक जरुरी काम है

वो- अब तो बिलकुल नहीं दूंगी लेनी है तो कल आ जाना आज तो नहीं दूंगी कुछ भी करले

मंजू नाराज हो गयी थी उसको समझाना जरुरी था पर अभी उसका मूड ठीक नहीं लग रहा था तो मैंने ज्यादा कुछ नहीं कहा वैसे भी जब उसका दिल करे तभी चोदने में मजा आता मेरे दिल में और भी बाते थी पर मंजू को मैं कह नहीं सकता था थोड़ी देर और उधर बैठने के बाद हम लोग वापिस वार्ड में आ गए

हमने अपना बिसतर लगाया पर मुझे नींद नहीं आ रही थी काकी मेरे और मंजू के बीच में सो रही थी इधर मेरा लंड मुझे परेशान कर रहा था मैंने काक़ी का हाथ अपने लंड पर रख दिया और दबाने लगा काकी ने धीरे से मेरे कान में कहा-जवान बेटी साथ सो रही है कुछ तो परदा रहने दो

मैं-काकी आज कण्ट्रोल नहीं हो रहा है क्या करू
अब काकी की भी मज़बूरी थी जवान बेटी के आगे कैसे वो चुद सकती थी तो उस रात बस मन मारके ही सोना पड़ा अब चूत मिले तो एक पल में मिल जाए ना मिले तो कितने ही पापड़ बेल लो

सुबह घर आते ही मैंने खाना खाया और फिर कुँए पर चल पड़ा पुरे बदन में एक आग सी लगी पड़ी थी चूत की सख़्त दरकार थी ,तो मैंने देखा की तायी गीता अपने घर के बरामदे मे ही बैठी थी उसको देख कर मेरा मन डोल गया आज तायी की लेनी ही थी बस

मैं तायी के पास गया तायी मुझे देख कर खुश हो गयीं उसकी आँखो में एक चमक आ गयी उसने मुझे अंदर आने का इशारा किया और मेरे घुसते ही किवाड़ बंद कर लिया मैंने तायी को अपनी बाहों में भर लिया और तायी के रसीले होंठो पर कब्ज़ा कर लिया
होंठो पर लगी लिपिस्टिक मेरे मुह में घुलने लगी इधर होंठ अपना काम कर रहे थे इधर मेरे हाथ तायी के नितम्बो पर पहुच गए थे ,गीत की 40 इन्ची गांड मुझे बहुत पसंद थी बस उसकी गांड ही तो थी जिसका मैं दीवाना था

मेरे छूते ही तायी के नितम्बो में मदहोश करने वाली थिरकन शुरू हो गयी किस करते करते ही मैंने गीता के घागरे का नाड़ा खोल दिया तो वो उसके पैरो में आ गिरा तायी ने कछि नहीं पहनी थी तो उनका पुरा हुस्न मेरे सामने नुमाया हो रहा था मैं तायी के चूतड़ो को मसलने लगा

मैं ताई के निचले होंठ की लिपस्टिक को खा रहा था ताई मस्ती में भर चुकी थी पूरी तरह से,अब मैंने उसकी गांड के छेद को सहलाना शुरू किया

ताई अपने चूतड़ भींचने लगी और साथ ही उन्होने मेरे लण्ड को भी बाहर निकाल लिया उसकी छातियाँ ब्लाउज़ फाड़ कर मेरे सीने में धंसने को बेताब हो रही थी

अब इंतज़ार मुश्किल था मैंने ताई को गोदी में उठाया और कमरे की तरफ बढ़ चला ताई को बिस्तर पर पटका और अपने कपडे उतारने लगा गीता ने भी अपने ब्लाउज़ को खोल दिया

हम दोनों एक दूसरे के नंगे जिस्मो को देख रहे थे मैंने ताई की टांगो को फैलाया और अपने लंड को चूत पर घिसने लगा ताई की चूत गीली होने लगी

ताई -क्यों तड़पा रहा है

मैं-और जो मुझे तड़पाती हो उसका क्या

ताई- मेरे राजा, अब डाल भी इसको अंदर

मैं एक हाथ से लण्ड को चूत पर घिस रहा था तो दूसरी हथेली को ताई की मांसल जांघ पर फिराने लगा ताई को अब लण्ड की सख्त जरुरत थी

इधर मेरा हाल भी बुरा था अब काबू रखना मुश्किल था तो मैंने एक धक्का लगाया और काम बन गया ताई की चूत का छल्ला लण्ड के हिसाब से फैलने लगा

ताई के चेहरे पर सुकून आने लगा उन्होंने अब मुझ को पूरी तरह से अपने ऊपर खींच लिया और अपनी गोरी बाहे मेरे गले में डाल दी

ताई की रसभरी चूत का पानी मुह लगते ही लंड पागल होकर चूत में ऊधम मचाने लगा ताई की गरम आहो ने मेरे अंदर और गर्मी भर दी


मैं ताई की जीभ को चूसते हुए उसको चोदने लगा जल्दी ही वो भी अपनी गांड उठा उठा कर चुदाई का लुत्फ़ लेने लगी ताई की टाँगे अपने आप खुलती जा रही थी

आज मैं ताई की जी भर के मारना चाहता था कुछ देर बाद मैं हट गया और ताई को उल्टा लिटा दिया और अब फिर से उनपे लेट कर चुदाई शुरू कर दी

ताई के गालो पर अपने दांतो से काट रहा था ताई के मुलायम चूतड़ो की रगड़ खाता हुआ लंड चूत पर घस्से पे घस्से लगा रहा था

गीता अब फुल फ़ॉर्म में चुद रही थी एक चालीस बरस की महिला कामुकता की हर हद तोड़ रही थी ताई की चूत से पानी टपक कर बिसतर पर अपने निशान छोड़ रहा था

मैं ताई के सुडोल कंधो को चूम रहा था उनकी गर्दन के पिछले हिस्से को चूम रहा था पल पल ताई का जिस्म काम्प् रहा था उसने अपनी चूत को टाइट कर रखा था जिस से मैं भी स्खलन की ओर बढ़ रहा था

अब ताई ने इशारा किया तेज चोदने का तो मैंने और जोर लगाना चालू किया और करीब तीन चार मिनट बाद ही हम झड़ने के कगार पर थे

ताई ने अपने बदन को सिकोड़ लिया और उसी पल मेरा वीर्य गीता की प्यासी चूत की प्यास बुझाने लगा आज लगा की जैसे कितना मजा आया था

कुछ देर बाद मैं गीता की बगल में लेट गया और ताई की कमर को सहलाने लगा मेरे वीर्य से भरी ताई की चूत बड़ी सुंदर लग रही थी

मैं- मेरी जान, कितनी गरम औरत है तू

ताई-मेरी गर्मी भी तू ही निकाल ता है ना

मैं- कभी रात को बुलाओ फिर

वो-तेरे ताऊ को बेटी के ससुराल भेजती हु फिर पूरी रात तुम्हारी

ताई ने चादर से ही अपनी चूत को साफ़ किया और फिर मेरे लण्ड से खेलने लगी ताई ने फिर अपने मुह को निचे किया और मेरे अन्डकोशों पर अपने गर्म होठ रगड़ने लगी

तो मेरे जिस्म में सुरसुराहट होने लगी ताई मुझ् को फिर से तैयार कर रही थी एक और राउंड के लिए अब उसने अपनी गर्म जीभ् गोटियो पर फिरानि शुरु की

तो मेरे लंड की प्रत्येक नस फड़क गयी करीब सात आठ मिनट बाद वो आगे बढ़ी और अब लण्ड पर अपने लबो का जलवा दिखाने लगी

सुपाडे के छेद पर वो अपनी जीभ रगड़ कर मुझ् को दीवाना कर रही थी कामुकता से वशिभूत होकर मैं फिर से गीता की चूत का मर्दन करने को तैयार था

गीता अब बड़ी अदा से अपनी गांड को सहलाते हुए बिस्तर पैट घोड़ी बन गयी उसकी पीछे की तरफ उभरी हुई चूत क्या मस्त लग राही थी अब देर किस बात की थी

मैंने चूत की फाँको पर थोडा सा थूक लगाया और लण्ड को फिर से पेल दिया और वो भी अपनी गांड को आगे पीछे करके पूरा सहयोग करने लगी

जल्दी ही फिरसे हम दोनों मस्ती से सरोबर एक दुसरे की बाहों में पड़े थे चुदाई का ऐसा नशा चढ़ा हुआ था की क्या बताऊ पर उम्र का तकाजा या थकान ताई जल्दी ही फिर से झड़ गयी


तो ताई के कहने पर अब मैं गांड लेने को तैयार था मैं लेट गया और ताई ने अपनी गांड को थूक से खूब चिकना किया और फिर मेरे हथियार पर बैठने लगी
 

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कसम से आज तो मजा ही आ गया ताई मेरी गोद में बैठी थी अपनी गांड में मेरा पूरा लण्ड लिए गज़ब अब वो धीरे धीरे दर्द भरी कराहे लेते हुई ऊपर निचे हो रही थी





मेरे आनंद का कोई ठिकाना नहीं था वो चुदाई की एक नदी थी जिसके साथ मुझ को बहना था पर अब वो थकने लगी थी तो मुझे करने को कहा



तो अब मैं गांड मारने लगा दबा के ताई को जितना दर्द होता उतना ही मजा आता मुझे ऐसे ही करते करते अपना मुकाम भी आ गया और एक बार फिर से मैं झडते हुए ताई पर ढेर हो गया

फिर मैं शाम को ही ताई के घर से वापिस आया आज उसने बुरी तरह से निचोड़ दिया था मुझे पर सुकून भी था जो सुख गीता ताई प्रदान करती थी उसके आगे सब फेल था



इधर मैं उलझा हुआ था अपनी परेशानियों में उधर चुनाव की सरगर्मियॉ बढ़ रही थी गांव में तना तनी का माहौल तो था ही इधर बिमला हर तरह से जीतने को बेताब थी



अब इन सब चीज़ों का प्रेशर पड़ रहा था मुझ पर ,पर किया भी तो क्या जाये मम्मी या चाची चुनाव लड़ती तो बाय ही अलग थी अब बिमला का पंगा मेरे गले की फांस बन गया था



शाम को मुझे याद आया की आज तो पिस्ता के साथ बाजार जाना था पर मैं ताई के साथ बिजी था अब उसको मनाना पड़ेगा आजकल पता नहीं मुझे क्या हो गया था बातो का ध्यान रहता ही नहीं था



मैं बैठा विचार कर रहा था की फोन की घण्टी बजी मेरे दिल में आया की नीनू है पर वो किसी और का निकला तो दिल में एक टीस सी होने लगी



मन कही पर भी लग नहीं रहा था पर मन का क्या मन तो लगाने से लगता है फिर देर रात तक बस गाँव में ही घूमना रहा इसी चक्कर में रात आधी से ज्यादा बीत गयी थी





मैं पैदल ही घर की तरफ आ रहा था की मैंने देखा पिस्ता लड़खड़ाते हुए कदमो से मेरी तरफ ही आ रही थी उसके हाथ में बोतल थी उफ्फ्फ ये लड़की भी ना बस गजब ही थी





जैसे आवारगी की हर हद को पार कर जाना चाहती थी ये वरना कौन लड़की बेवक्त इस तरह गलियों में घुमटी वो भी शराब के नशे में



मुझे देख कर उसके कदम रुक गये ,मैं उसकी ओर बढ़ा



वो- आया नहीं तू आज मेरे साथ



मैं-यार माफ़ करदे आज फसा पड़ा था काम में



वो-मेरी तो कुछ इज्जत ही न रही हिछह



मैं- तू दारू भी पीती है



वो- मैं गांड भी मरवाती हु तुझे नहीं पता क्या

मैं-चुप कर और मेरे साथ चल

वो-नहीं जाना मुझे कही भी,तू भी औरो की तरह निकला



मैं-मानता हु गलती हुई



वो-अब हम पराये जो हुए

मैं- तू जो पराई है तो अपना कौन है



वो-तो फिर आया क्यों नहीं पता है किन्ना इंतजारकिया पर तू नहीं आया



मैं-अब मेरी भी तो सुन यार



वो-क्या सुने हम अब तुम्हारी साला दिल भी आजकल हमारे काबू में रहता नहीं



आज पिस्ता बडे अजीब मूड में थी ,अब उसका और मेरा रिश्ता भी थोडा अजीब किस्म का था मैं मुसाफिर किस्म का था वो अल्हड मस्तानी थी जैसे आग पानी साथ हो पर फिर भी अपनी थी वो



उसने बोतल अपने होंठो से लगायी और गटकने लगी पता नहीं नशे में क्या क्या बोल रही थी मैं किसी तरह उसको समझा रहा था पर आज की रात बड़ी अलग होने वाली थी



अचानक वो मेरा हाथ छुड़ाकर भागी सड़क की तरफ मैं उसके पीछे भगा अब ये मेरे लिए सरदर्द होने वाला था सच में चुनाव का टाइम था तो रात बेरात कोई न कोई तो घूमता ही रहता था



अब पिस्ता वैसे ही बदनाम गाँव में ऊपर से ब्याह सर पे उसका और वो नशे में टल्ली होके घूम रही अब ये कहा समझदारी की बात थी



जैसे तैसे करके उसको अपने खेत में लाया और खीच कर एक रेहप्ता दिया तो उसकी आँखों के आगे तारे नाच गए मैंने उसको खाट पर बिठाया और पानी दिया



पिस्ता को बहूत नशा हो रहा था पर अपन अब क्या करे कैसे उतारू उसका नशा इधर मुझे नींद भी आ रही थी पर सो नहीं सकता था तो पूरी रात बस उसको लिए बैठे रहा





सुबह पांच बजे के करीब उसको नींद आ गयी कुछ देर बाद मैं उसको सोती छोड़कर घर आ गया और सो गया, फिर दोपहर को ही उठा तो निचे आते ही मैंने बिमला को देखा





हलके सफ़ेद जरी की साडी में क्या मस्त माल लग रही थी मेरा लण्ड खड़ा हो गया पर अब ये चूत नसीब में कहा थी तो उसको इग्नोर करके घर से बाहर आया तो मंजू मिली



आज हो क्या रहा था तो पता चला की अब मतदान के कुछ ही दिन बचे थे तो गाँव की हर महिला को पर्सनली मिलना था पूरा जोर लगा देना था बिमला की जीत के लिये





घरवाले खर्च भी बहुत कर रहे थे मुझे कभी कभी आत्मग्लानि होती थी पर अपनी भी मज़बूरी थी मैं वापिस अंदर आ गया और फिर से लेट गया पर दिल अनजानी शंका से धड़क रहा था



जैसे जैसे समय बीत रहा था घरवालो को तनाव होने लगा था पिताजी ने मुझे सख्त हिदायत दी थी की वोटिंग वाले दिन मैं घर पर ही रहूँगा क्योंकि उस दिन पंगा होने की पूरी संभावना थी



अब आई कतल की रात यानि वोटिंग से पहले वाली रात आज की रात किसी को भी चैन नहीं था सब अपना अपना जुगाड़ लगा रहे थे आज इतनी दारू और पैसे बांटने थे जितने की पुरे प्रचार में लगे थे





पर मैं घर में कैद था अब पिताजी की बात को काट भी नहीं सकता था तो मन मसोस कर रह गया सुबह सात बजे से वोटिंग शुरू हो गयी थी



आज का दिन बड़ा भारी था सबपे एक एक मिनट जैसे की सदी लग रही थी दोपहर हुई फिर शाम हुई और फिर वोटिंग बंद अब बस गिनती करनी थी सिचुएशन बड़ी टाइट थी



और फिर रिजल्ट तो आना ही था अवंतिका मात्र एक वोट से जीत गयी थी बिमला ने फिर से काउंटिंग की मांग की पर उसकी किस्मत में जीतना था ही नहीं





निराशा से भरे सारे घरवाले घर आये,ऐसा लग रहा था की जैसे किसी की मौत हो गयी हो,उस रात हमारे घर में चूल्हा नहीं जला



पता नहीं क्यों बिमला के हारने पर मुझे ख़ुशी नहीं हुई उसने रो रो कर सारा घर सर पर उठा लिया और फिर जैसे की मुझे उम्मीद थी



अपनी हॉर का जिम्मेदार उसने मुझ को कहा उसने कहा जैसे मैं बरबाद हुई हु तू भी इसी आग में जलेगा अब तू देख दुश्मनी क्या होती है



मेरा मन तो किया अभी उसकी गांड पे दू पर वैसे ही माहौल ठीक नहीं था तो जाने दिया एक शांति सी पसरी पड़ी थी पर मुझे अंदाजा नहीं हुआ की ये आने वाले तोफान की आहट थी



इक तो हार का गम ऊपर से बिमला के आरोप से पिताजी का पारा चढ़ गया उन्होंने बिमला को जमकर फटकार लगायी अब हार गए तो हार गए कोई आफत थोड़ी ना आई चुनाव तो फिर आये 5साल में बिमला अपनी हार को पचा नहीं पा रही थी इधर मैं ये सोचकर घबरा रहा था की कही पिताजी मुझसे पूछ ना ले की कही मैंने कोई गड़बड़ तो नहीं की



पर शुक्र किसी ने मुझ पर कोई शक नहीं किया फिर भी पिताजी और बाकि लोग जोड़ तोड़ में जुत गए की किसने वोट किया किसने नहीं किया बिमला को हार का इतना गम था की उसने तो खाट ही पकड़ ली थी ,ऐसे ही कुछ दिन गुजर गए मैं भी अब पढाई पे फोकस करने की कोशिश कर रहा था रतिया काका को भी हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी थी





रोज मैं नीनू के फ़ोन का इंतज़ार करता पर निराश ही होना पड़ता था इधर पिस्ता के ब्याह में कुछ ही दिन बचे थे तो वो अपनी रस्मो में व्यस्त थी उसका भाई भी आ गया था तो मुलाकात की कोई सम्भावना बन नहीं रही थी मैं सुबह सवेरे ही घर से निकल जाता फिर शाम को ही वापिस आता गाड़ी धीरे धीरे पटरी पर लौट रही थी कम से कम उस समय तो ऐसा ही लग रहा था



ऐसे ही दिन गुजर रहे थे पिस्ता के ब्याह में बस अब तीन दिन बचे थे तो मैं अब रोज़ ही उसके घर जाता था पर बस निगाहे ही मिलकर रह जाया करती थी पुरे घर में रिश्तेदार भरे हुए थे अब दो पल बात करे भी तो कहा करे पर मैं खुश था अपनी दोस्त गृहस्थी जो बसा रही थी उस रात जब मैं घर आया तो



पिताजी ने बताया की हम सब लोग खाटू श्याम जी के दर्शन को जा रहे है ,हम सब मतलब पूरा परिवार पर अगले दिन मेरे को एक प्रोजेक्ट सबमिट करना था तो मैंने मना कर दिया तो पिताजी ने कहा कोई बात नहीं तुम रुक जाओ पर तभी चाचा ने भी कहा की वो भी नहीं जा पायेगा क्योकि उसको काम है ऑफिस में



पर मैंने इतना ध्यान नहीं दिया क्योंकि वो नोकरी पेशा वाला आदमी था तो अगली सुबह गाडी आ गयी सारे लोग तैयार थे जाने को पर ऐन टाइम पे बिमला ने खराब तबियत का बहाना मार के पलटी ले ली ,अब मेरा माथा ठनका मुझे लगा की कुछ तो काला है दाल में वर्ना ये क्यों रुक रही है कही कुछ खुराफात तो नहीं कर रही



दरअसल जब से बिमला ने मुझ् को धमकी दी थी मैं थोडा सा डरने लगा था क्योंकि वो एक जहरीली नागिन तो जो अपना फन जरूर मारती एक अनजाने भय से मेरा दिल भर गया ,भय से तातपर्य मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था पर फिर भी मैं अपनी साइकिल उठा के शहर की तरफ निकल गया





अब घर वालो का प्रोग्राम था की दो तीन दिन तक घूम फिर के आएंगे तो मुझे भी घर जाने की जल्दी नहीं थी घर जाके उन दोनों नीचो का तमाशा क्यों देखना ,दोपहर को कैंटीन में मैं अपना खाना खाया मैंने और फिर मिल्ट्री साइंस के लेक्चर के लिए चला गया उसके बाद मैं लाइब्रेरी जा रहा था की रस्ते में शान्ति मैडम मिल गयी





वो-अरे कहा गुम रहता है तुझे तो मेरा ख्याल ही नहीं



मैं-मैडम जी,आजकल व्यस्त हु थोड़ी फुरसत आने दो



वो- फुरसत मैं करवा देती हु मेरे प्यारे चल घर आज मूड बनाते है



मैं- आज नहीं फिर कभी आज काम है मुझे



वो-ना आज तेरा कोई बहाना नहीं चलेगा



मैं-समझा करो, ना कल पक्का पूरा दिन आपकी सेवा में रहूँगा



हम लोग बाते कर ही रहे थे की तभी राहुल दोडता हुआ आया मैंने देखा उसकी शर्ट पूरी तरह से पसीने से भीगी हुई थी वो हांफ रहा था बुरी तरह से , अपने हाथो को घुटनो पर रखते हुए वो बोला -भाई, अभी चलना होगा आपको



मैं-हां पर हुआ क्या



वो- अभी चलो



मैं- हां चलते है पर तू दो मिनट रुक तो सही रुक मैं पानी लाता हु तेरे लिए



तो राहुल ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला- भाई चलो



मुझ् को लगने लगा था की कुछ तो लोचा है पर वो मुझे बता नहीं रहा था तो मैंने शांति मैडम को वाही पर छोड़ा और राहुल के साथ बाहर की और चल पड़ा उसने गाड़ी स्टार्ट की और हम चल पड़े पर जब उसने गाड़ी को सीकर की तरफ मोड़ा तो मेरा दिमाग सरक गया



मैं-सच बता क्या बात है गाड़ी कहा ले जा रहा है



उसने गाडी रोकी और रोते हुए बोला- भाई घर वालो का एक्सीडेंट हो गया है



क्क्या, ये सुनते ही जैसे मैं जम गया दिमाग सुन्न हो गया आँखों के सामने अँधेरा छा गया हाथ काम्पने लगे, आँखों से आंसू से सैलाब बह चला दर्द का , दिल जोरो से धड़क रहा था मैंने खुद ड्राइविंग संभाली फिर कुछ याद नहीं रहा बस याद था तो की जल्दी से जल्दी अपने परिवार तक पहुंचना





पुरे रस्ते में मैंने हर देवता को सुमर लिया मेरे होंठो से बस प्रार्थना ही थी उस उपरवाले से की सब ठीक रखना मैं पूरी कोशिश कर रहा था पर हॉस्पिटल तक पहुँचने में घंटे भर से ज्यादा लग गया ,गाडी रोकते ही मैं तेजी से अंदर भगा अंदर चारो तरफ गहमा गहमी मची हुई थी



फिर मुझे कुछ जाने पहचाने गाव के लोग मिले मैं तड़प रहा था घरवालो को देखने को पर उन लोगो ने मुझे पकड़ लिया



छोड़ो मुझको मैं चीखते हुए बोला पर वो मुझे पकडे रहे मेरा दिल धाड़ धाड़ करके बज रहा था तभी मैंने स्ट्रेचर पर वार्ड बॉय को किसी को ले जाते देखा जब वो मेरे पास से गुजरा तो एक हाथ निचे को झूल गया खून से
 

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लथपथ जैसे ही मेरी नजर उस कंगन पर पड़ी मेरी रुलाई छुट पड़ी वो चाची थी मैंने जैसे तैसे खुद को छुड़ाया और उस स्ट्रेचर को रोक लिया





कांपते हाथो से मैंने वो खून से सनी चादर हटाई और जो देखा मेरा कालेजा कांप गया मेरी प्यारी चाची अब एक लाश बन गयी थी मैं दहाड़े मार कर रोने लगा मेरे रुदन से समूचा हॉस्पिटल काम्प् गया राहुल मुझ्को संभाल रहा था पर आज किसे संभालना था तभी मुझे माँ का ध्यान आया तो मैंने पुछा-माँ कहा है



राहुल ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और रोने लगा रोते हुए उसने अपने सर को हिलाया मुझ पर जैसे वज्रपात हो गया तभी डॉक्टर आया और बोला- आपसे एक मिनट अर्जेंट बात करणी है वो मुझे ओटी में ले गया जहा मैंने अपने जीवन का सबसे खुफनाक दृश्य देखा



ऐसा वीभत्स दृश्य मुजको उलटी आने को हुई ,पिताजी खून में डूबे हुए पर होश में थे डॉक्टर ने मुझहे कहा टाइम कम है सांसे उखड रही है ये बार बार तुम्हे पुकार रहे है बात करलो



मैं- क्या टाइम कम है डॉक्टर ,कुछ भी करो पिताजी को कुछ नहीं होना चाहिये मैं तुझे तोल दूंगा रुपयो में पर इनको कुछ नहीं होना चाहिये



पर आज नसिब खोटा था ,पिताजी का हाथ जरा सा हिला तो मैं उनके पास गया वो कुछ बोलना चाह रहे थे पर आवाज साथ नहीं दे रही थी ,मैंने उनका हाथ अपने हाथ में लिया मेरे आंसू उन के हाथ पर गिरने लगे बस एक मिनट ही बीता होगा की वो तड़पने लगे



मैं चिल्लआने लगा डॉक्टर बचाओ इनको डॉक्टर कोशिश कर रहे थे की उनके जिस्म ने एक झटका खाया और सब शांत पड़ गया वो भी मुझे छोड़ कर चले गए थे ,मेरी सबसे बड़ी ताकत मेरा बाप आज मुझे अकेला कर गया था



बहुत देर तक मैं उनके निर्जीव जिस्म से लिपटा रहा गर्मी अभी तक थी उसमे बस कुछ नहीं था तो सांसो की वो डोर जो टूट कर बिखर गयी थी गाँव के लोगो ने बड़ी मुश्किल से काबू किया मुझे आज मेरी हर दुआ नामंजूर हुई थी ऊपर वाले की अदालत में





जब कुछ होश आया तो मैंने माँ और बाकि घरवालो के बारे में पुछा तो राहुल मुझे अपने साथ एक सीली सी जगह पर ले गया ,हल्का सा अँधेरा था पर अब मेरे घुटने जवाब दे गए थे मैं समझ गया था की अब मुझे क्या देखना है हम मौर्ग में जो थे



तबी डॉक्टर ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- आईएम सॉरी हम लोग एक को भी नहीं बचा सके



उसने एक चादर हटाई और मैं गिर पड़ा वो लाश मम्मी की थीमैं जोर जोर से रोने लगा किसी ने चुप करवाने की कोशिश नहीं की अब दिल का दर्द तो आंसुओ के रस्ते ही निकलता है ना





मम्मी ,मम्मी बोलो न कुछ देखो मैं आ गया हु,मम्मी न्नाराज़ हो क्या बोलते बोलते मेरा गाला रुंध गया पर वो कैसे बोलती उनका चेहरा हमेशा की तरह शांत था बस वो जनि पहचानी मुस्कान गायब हो गयी थी दिल किया की मैं भी माँ बाप के साथ मर जाऊ पास में ही ताऊ ताई की लाशे भी रखी थी हस्ता खेलता मेरा परिवार बर्बाद हो गया था



आज मैं अनाथ हो गया था ,अब दिल के हालात को क्या ब्याज करू मैं, ज़ुन्दगी ताश के पत्तो की तरह बिखर गयी थी मेरी जिस परिवार के ऊपर मैं कूदता था वो आज मांस के निजीव लोथड़ों के रूप में बिखरा पड़ा था पर अभी एक बिजली और गिरनी थी मुझ पर





और जो वो बिजली गिरी तो मैं टूट गया बिमला के दोनों बच्चों की लाश मुझ से ना देखि गयी,उनको जिनको कल तक मैं अपने कंधो पे बैठकर घुमाता था आज उनकी निष्प्राण देह को जो कलेजे से लगाया तो कलेजा फट गया मेरा हे प्रभु ये कैसी सजा दी तूने ओह मेरे रब्बा तुझे जरा भी दया नहीं आई इन बच्चों पर क्रूरता करते हहुए मुझको मार देता





आज दुनिया लूट गयी थी मेरी राहुल मुझ को सहारा देके वह से बाहर लाया पर ये एक ऐसा सच था जिस को मैं झुठला भी नहीं सकता था, क्या से क्या हो गया था हर ख़ुशी आज रूठ गयी थी बहुत देर तक कागज़ी कार्यवाही चालू रही अब एक्सीडेंट था तो फिर पुलीस कार्यआवहि के बाद सारि लाशे मेरे सुपुर्द कर दी गयी,जिन माँ बाप के साथ कल तक मैं खूब हँसता खेलता था आज उनकी ही लाशो को लेकर चला मैं अब वो माँ का दुलार कभी ना मिलने वाला था ना वो बाप की झिड़की।



अपने माँ बाप ही नहीं बल्कि पुरे परिवार की लाशो को ढोना किसी के लिये भी आसान नहीं होता जबकि मुझ पर तो जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा था पर शायद ये ही अग्निपथ होता होगा अपने अंतरमन से जूझते हुए जो ये मान ने को तैयार नहीं था की सब खत्म हो गया है , हम लोग अंतिम संस्कार के लिए चल पड़े



पूरा ही गाँव जैसे टूट पड़ा था एक साथ सात लाशे जो थी जिन परिवार वालो की ऊँगली पकड कर मैंने चलना सीखा था आज उनको राख होते हुए देख रहा था मैं दिल का गुबार आंसू बन कर बह रहा था



जब तक उन चिताओ में लपटे उठती रही मैं वहीँ बैठा रहा फिर मंजू मेरे पास आई डबडबाई आँखों से मैंने उसको देखा उसने मेरा हाथ पकड़ा और घर ले आई ,पर अब घर कहा था बस चार दीवारे ही रह गयी थी एक कोने में बिमला बेहोश पड़ी थी कुछ महिलाये उसको समझा रही थी कुछ लोग चाचा के पास बैठे थे



मंजू मेरे लिए पानी का गिलास लायी पर वो भी मेरे सीने में धधकती आग को शांत नहीं कर पाया ,जी रोने को कर रहा था पर आंसू सूख गए थे ,पर ये बहुत भारी समय था साँझ रात में ढल गयी पता नहीं कितने बज रहे थे मैं अपने कमरे में बैठा था तनहा अकेला



की पिस्ता मेरे पास आकर बैठ गयी मैंने अपना सर उसकी गोद में रखा और रोने लगा वो कुछ नहीं बस चुपचाप मेरे बालो में हाथ फिराती रही बहुत सुकून मिला उन पलो में मुझे ले देकर अब वो ही तो बची थी जिसे अपना कह सकता था जाने कब उसके आगोश में नींद आ गयी



जब मैं जागा तो वो वहा नहीं थी अब सामना हुआ वास्तविकता से ,चाहे दिल माने या ना माने पर यही हकीकत थी जिसको अब हर रोज ही सामना करना था,धीरे धीरे रिश्तेदार आने शुरू हो गए थे घर में रोना पीटना मचा हुआ था मैं घर से बाहर आकर उस कच्चे छप्पर की तरफ जाकर बैठ गया



थोड़ी डेर बाद पिस्ता मुझे ढूंढते हुए आ गयी कुछ देर बाद वो चुप्पी तोड़ते हुए बोली- कब तक ऐसे रहेगा,कल से अन्न का दाना न लिया ,अब जो हुआ उसे कोई वापिस नहीं कर सकता पर तुझे तो जीना होगा ना मैं रोटी लाती हु खा ले



मैं-भूख नहीं है



वो-भूख तो नहीं है पर फिर भी कुछ निवाले खा ले मेरा मान रखने को ही खा ले



वो एक थाली ले आई और अपने हाथो से खिलाने लगी पर रोटी गले से निचे उतरी ही नहीं जैसे तैसे पानी के साहरे कुछ निवाले गटके तभी मेरा ध्यान पिस्ता के हाथो पर लगी मेहँदी पर गयी तो याद आया कल ब्याह है उसका



तो मैं बोला-तुझे यहाँ नहीं आना चाहिए था तू बान बैठी हुई कल ब्याह है तेरा



वो-आज फेरे होते तो भी आती,ब्याह का क्या अब दिन आ गया तो ब्याह सरक तो नहीं सकता पर घरवालो ने ससुराल खबर करदी है तो बस कुछ लोग आकर फेरे पड़वा लेंगे



मैं-ना री, तू ऐसा मत कर ब्याह बस एक बार होता है तू गाजे बाजे से ब्याह करवा



वो- तेरे दुःख पर अपनी खुशिया सजाउ अभी इतनी बेगैरत नहीं हुई हु मैं



मैं-पर?



वो-पर क्या मेरे लिए तू पहले है



पिस्ता को मैं कभी समझ नहीं पाया था कभी वो कुछ लगती थी कभी कुछ पर बस वो जानती थी या मैं जानता था की हमारा रिश्ता किस तरह का था जैसे वो मेरे दर्द का मरहम थी उसकी भी मज़बूरी थी की वो ज्यादा देर मेरे पास रुक नहीं सकती थी



मेरे ननिहाल से लोग आ गये थे मुझे संभालने को पर इस दुःख को तो मुझे ही झेलना था। वो बारह दिन तो रिश्तेदारो के सहारे निकल गए ,पर अब अकेलापन काट ता था मुझे घरवालो की कुछ पालिसी थी तो उसका पैसा मिल गया था मुझे पर ये पैसा उनकी कमी पूरी नहीं कर सकता था



चाची के भाई ने मुझे कुछ डॉक्यूमेंट दिए जो ज़मीन पिताजी ने चाची को दी थी वो मेरे नाम कर गयी थी पर ये सब मेरे किस काम का था मेरे मन में बस एक सवाल था की बिमला ने ऐन टाइम पे जाने को क्यों मना किया पर दूसरी तरफ पुलिस रिपोर्ट थी जिसमे साफ़ लिखा था की गाडी कण्ट्रोल खो गयी थी जिस वजह से एक्सीडेंट हुआ अब गाडी बुरी तहस नहस हो गयी थी तो जांच ज्यादा नहीं हो सकती थी





इधर मेरे नाना मेरे लिए बहुत चिंतित थे तो उन्होंने ये फैसला लिया की अब मैं ननिहाल में ही रहूँगा हालाँकि मैं ऐसा नहीं चाहता था पर नाना मामाँ के आगे चली नहीं मेरी पर जाने से पहले कुछ काम करने थे मैंने अपनी सारी जमीं की जिम्मेदारी गीता को दी पिस्ता के बाद वो ही थी अब मेरे पास





तो करीब दो महीने बाद मैं अपने ननिहाल आ गया शुरू शुरू में मेरा मन नहीं लगता था पर फिर आदत होने लगी थी सबका व्यवहार मेरे प्रति ठीक था मैं रोज सुबह पढ़ने निकल जाता और साँझ ढले आता बस यही दिनचर्या बन गयी थी वो लोग अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे थे पर मैं चाह कर भी उनसे घुलमिल नहीं पा रहा था



थोडा टाइम और गुजर गया अब मुझे भी उनकी आदत होने लगी थी पर पुराणी याद अब भी हावी थी मुझ पर जबकि वर्तमान मुझे कह रहा था की घुटने मत टेक मंजिले और भी है इधर मेरी एक दोस्त बन गयी थी इंदु जो मेरी मम्मी के चाचा की लड़की थी,मेरी मौसी लगती थी पर हमउम्र थी तो अक्सर बाते होने लगी



मैं फिर से जीने की कोशिश कर रहा था सभी लोग मेरी पूरी मदद कर रहे थे की मैं मानसिक रूप से थोडा ठीक हो जाऊ अब लगभग मेरी हर शाम इंदु के साथ ही गुजरती थी पर साथ ही मुझे नीनू की याद भी बहुत आती थी काश उस से यहाँ आने से पहले एक बार बात हो जाती तो उसका कांटेक्ट नंबर ले लेता





पर अभी क्या कर सकते थे इंदु की चुलबुलाहट मुझे अछी लगती थी पर बस ऐसे ही उस शाम हम लोग ऐसे ही छत पर बैठे थे ये सर्दियो की शुरुआत थी सूरज ढल रहा था तो उसकी लाली में इंदु का गोरा चेहरा चमक रहा था



मैं- पता नहीं क्यों आज तुम क्यों इतनी सूंदर लग रही हो



वो- चलो आज इतने दिन बाद तुमने ये तो जाना



मैं-एक बात पुछु



वो-हाँ



मैं-तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है



वो- स्सह्ह्ह् धीरे बोलो कोई सुन लेगा तो मेरी शामत आ जायेगी वैसे तुम्हे ये विचार कहा से आया की मेरा बॉयफ्रेंड है



मैं- बस ऐसे ही पूछ रहा था



वो- ना ऐसा कुछ नहीं है और ना मेरा इरादा है



पर तभी उसको नानी ने निचे बुला लिया तो बात अधूरी रह गई कुछ दिनों से मेरी कमर में दर्द हो रहा था तो मैं रात को नीचे फर्श पर बिस्तर लगा के सोता था ताकि कुछ आराम मिल सके अब सर्दी की शुरुआत थी तो सुबह बड़ी ज़ोरो की नींद आती थी मैं अपने कम्बल में लिपटा पड़ा था की इंदु कमरे में झाड़ू लगाने आई



ऊपर से उसी टाइम मैं एक सपना देख रहा था मस्त सा इधर वो मुझे उठाने लगी थोडा गुस्सा सा आया पर मैं उठ गया अब मैं बस कच्छे में ही था ऊपर से सपने की वजह से मेरा लण्ड खड़ा हुआ था अब कमरे में एक जवान लड़का और लड़की ऊपर से मेरा खड़ा लंड



इंदु की निगाह जैसे ही उधर पड़ी उसकी नजर जैसे जम गयी उसके गाल लाल हो गए पर तभी मुझे होश सा आया तो मैंने जल्दी से कम्बल को अपने शारीर पर लपेटा



मैं-क्या ऐसे ही घुस जाती हो



वो-और जो तुम ऐसे बेशर्मो की तरह



मैं- क्या बेशर्मो की तरह



वो-कुछ नहीं अब हटाओ अपना तामझाम मुझे झाड़ू निकालनी है



मैं अपने कपडे लेकर बाहर आ गया और कुछ देर बाद वापिस गया तो इंदु झाड़ू निकाल रही थी उसकी पीठ मेरी तरफ थी वो झुकी हुई थी उसकी कुर्ती भी थोडा साइड में हुई पड़ी थी तो चाह कर भी मैं खुद को उसकी गोल मटोल गांड को निहारने से ना रोक पाया



टाइट सलवार में कैद उसके उन्नत नितम्बो पर जो नजर गयी लंड में सुरसुराहट सी होने लगी आज कई महीनो बाद मुझे ये अनुभूती हो रही थी तो दिमाग सा ख़राब होने लगा मैंने अपना तौलिया लिया और बाथरूम में आ गया



पर आज कई दिनों बाद मेरा लिंग इस तरह गरम हुआ था की अब इसको शांत करना बेहद जरुरी हो गया था तो मैं उसको हिलाने लगा की मेरी नजर सामने राखी कछि पर पड़ी मैंने उसको हाथ में लिया और सूँघने लगा चूत की जनि पहचानी खुशबू मेरे नथुनो से टकराई



मेरे लण्ड में और कसावट आ गयी मैं तेजी से उसको हिलाने लगा और थोडी देर बाद मैंने उस कच्छी पर ही अपना गाढ़ा पानी गिरा दिया उसको लापरवाही से ऐसे ही फेंक कर मैं नहा कर बाहर आ गया



फिर मैं शहर चला गया शाम को ही आया मामी ने मुझे चाय पकड़ाई जब वो चाय पकड़ा रही थी तो उनका आँचल थोडा सा सरक गया तो मेरी नजर उनके ब्लाउज़ से आधे बहार को आते उभारो पर पडी और वाही पर रुक गयी तो मामी धीरे से बोली- कहा खो गये, चाय लो



तो मेरा ध्यान टूटा मैं चाय की चुस्किया लेने लगा पर दिमाग में मामी की चूचियो का दृश्य घूम रहा था घर के कुछ छोटे मोटे काम करके बैठ कर मैं टीवी देख रहा था तो नानी बोली इंदु को जगा ला दोपहर से सोई पड़ी है
 

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तो मैं ऊपर गया इंदु नींद में मगन बिस्तर पर औंधी पड़ी थी उसके फ़ुटबाल जैसे चूतड़ मेरी आँखों के सामने थे मैंने देखा उसकी सलवार का कुछ हिस्सा गांड की दरार में घुसा पड़ा था इतना उत्तेजक नजारा देख कर मेरा हाल बुरा हुआ तभी उसने करवट ली और अब सीधी हो गयी



उसकी छातियाँ साँस लेने से ऊपर निचे हो रही थी मेरा गला सूखने लगा मैंने धीरे से अपना हाथ उसके उन्नत उभारो पर रखा और हलके से दबाया तो ऐसा लगा की मेरे हाथ में जैसे ढेर सारी मुलायम रुई मेरे हाथ में आ गयी हो पर तभी उसके बदन में सरसरहट हुई तो मैं उस से दूर हो गया और उसको जगा के निचे आ गया



उत्तेजना के मारे मेरा बुरा हाल था तो मैं फिर से बाथरूम में गया और एक बार से वहा रखी पेंटी में से एक को अपने लंड पर लपेट कर मुठ मारके आया



इधर इंदु के प्रति मेरे मन में विचार बदलने लगे थे उसकी हर बात उसकी वो बेफिक्री अच्छी लगने लगी थी पर अब ज्यादातर मेरा ध्यान। उसके शरीर पर ही रहने लगा था उसकी पर्वत सी खड़ी चूचिया और बेहद ही मस्त गांड मेरा लण्ड आजकल बहुत परेशान कर रहा था मुझे



पर उसको डायरेक्ट बोल भी तो नहीं सकता था की दे देगी दिल में एक सैलाब उमड़ने लगा था इस बीच मैंने गौर किया की मेरी मामी आजकल अजीब सी नजरो से मुझे देखती है कई बार वो मेरे पास बैठी रहती पर चुन्नी नहीं ओढ़ती या फिर आँगन में बैठ कर अपनी एड़ी घिसती रहती उस समय उनका घाघरा थोडा ऊँचा होता जिस से मुझे गोरी पिण्डियों के पुरे दर्शन होते थे



दिन ऐसे ही गुजर रहे थे दिल में एक बार फिर से हसरते जागने लगी थी पर किया क्या जाए इसी उडेढ़बुन में लगा था मन मेरा ,इंदु रात को लेट तक पढाई करती थी तो मैं भी उसके साथ पढता रहता था ठण्ड बढ़ने लगी थी तो उस रात ना हवा भी कुछ तेज सी थी ऊपर से लाइट भी चली गयी तो वो बोली जी मैं उसके पास आ जाऊ और पढ़ु क्योंकि उसके पलंग के किनारे लैंप था



मैं उसके पास विपरीत दिशा में बैठ गया उसने अपने कम्बल को मेरे पैरो पर सरका दिया ताकि मुझे जाड़ा न लगे थोड़ी देर तो सब सही लगा पर अब स्तिथि कुछ ऐसी थी की मेरे पैर उसके पैरो से टकरा रहे थे तो मजा सा आने लगा एक दो बार उसने मेरी तरफ देखा पर कहा कुछ नहीं



कुछ देर बाद उसने अपनी किताब साइड में रख दी और बोली-एक बात पुछु



मैं-हाँ

वो-तेरे गाँव में तेरी कोई गर्लफ्रेंड थी



मैं- आपको क्या मतलब



वो- बस ऐसे ही मेरे मन में आया तो पूछ लिया



मैं-अब मुझसे कौन दोस्ती करेगा



वो-तूने किसी को कहा था क्या



मैं- नहीं तो पर मुझे लगता है एक गर्लफ्रेंड तो होनी ही चाहिए

वो-अच्छा और कैसी होनी चाहिए



मैं-बिलकुल आप जैसी



ये सुनकर इंदु का चेहरा लैंप की रौशनी में चमक उठा उसके होंठो पर जो दो पल को एक मुस्कान सी आई थी उसको मैंने देख लिया था



वो- मेरे जैसी, फिर तो प्रॉब्लम हो गयी, अब मैं तो अपने जैसा एक लौटा पीस हु



मैं- तो क्या आप बनोगे



वो- मैं कैसे बन सकती हु मैं तो मौसी हु तुम्हारी



मैं- तो क्या हुआ आप हमउम्र हो मेरी मुझे अच्छी भी लगती हो आप बन जाओ



वो- तू अभी नासमझ है तू समझेगा नहीं



अब उसको कौन समझाता की इस छेत्र में अपने झंडे कई जगह गडे हुए है खैर मैं उसके मन को टटोल रहा था



मैं अब उसके थोड़े करीब गया मेरी सांसे जैसे सुलगने लगी थी



मैं-ईन्दू क्या मुझसे फ्रेंडशिप करोगी



वो- अब सच में ज्यादा हो रहा है



मैं-कम ज्यादा का पता नहीं पर इतना जरूर पता है की तुम बहुत अच्छी लगती हो मुझे



वो- मुझे जाना चाहिए



मैं- जाती हो तो जाओ पर मैं तुम्हारे जवाब का इंतज़ार करूँगा



वो मुझे घूरते हुए चली गयी मैंने अपने कपडे उतारे और रोज की तरह निचे गुदड़ी बिछा के सो गया सुबह किसी की पायल की झंकार की आवाज से मेरी नींद टूट गयी तो मैंने अधखुली आँखों से देखा की आज इंदु की जगह मामी झाड़ू निकाल रही थी



मुझे सोया जानकार वो बेख्याली में थी उनकी पतली कमर पर जो मेरी नजर पड़ी कसम से लंड खड़ा हो गया मुझे अब समझ आया की मामी भी कम नहीं थी पतली थी पर फिगर एक दम पटाखा थी मैं अपने लण्ड को एडजस्ट कर रहा था की मेरी टांगो से कम्बल हट गया और तभी मामी मेरी और पलट गयी मेरा नन्गा तना हुआ लौड़ा उनकी आँखों के सामने था



इस परिस्तिथि में मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था तो आँखों को मूँद लिया और सोने का अभिनय करने लगा मामी प्यारी अपनी आँखे फाड़े मेरे लण्ड को देख रही थी कुछ देर बाद वो मेरे पास आई और हौले से मेरे लंड पर अपना हाथ रखा कई दिनों बाद औरत के हाथ का स्पर्श पाकर लण्ड और टाइट हो गया मामी ने धीरे से मेरे सुपाड़े की खाल को निचे सरकाया



मेरा हाल बुरा हुआ पर मैं चुपचाप पड़ा रहा कुछ देर सहलाने के बाद उन्होंने कम्बल मेरे ऊपर डाल दिया और मुझे जगाने का नाटक करने लगी मैं समझ गया था की मामी मेरे मजे लेने के मूड में है सुबह सुबह क्योंकि कम्बल के निचे मैं नंगा था तो कैसे उठता





इधर वो हंसती हुई मुझको उठा रही तो आखिर मैंने भी कच्ची गोलिया खेली नहीं थी मैं सीधा उठ गया अब मैं बिल्कुल नंगा मामी के सामने खड़ा था मैंने ऐसा दर्शाया जैसे की अभी भी नींद में हु जबकि अब मामी चिल्लाई-हई दइया ये क्या और ऐसे करने लगी जैसे ज़िन्दगी में पहली बार लण्ड देखा हो



तो मैंने तुरंत कम्बल लपेट लिया और माफ़ी मांगने लगा तो मामी कमरे से बाहर जाते हुए धीरे से बोली- कपडे पहन कर सोया करो अब तुम पुरे जवान हो गए हो



उनके जाने के बाद मैं ये सोचते हुए कपडे पहन ने लगा की दिन की शुरआत ऐसी हुई है तो आगे क्या होगा



जल्दी ही मैं एक दम तैयार था सहर जाने के लिये बस मैं अपनी साइकिल की धुल साफ़ कर रहा था की इंदु बोली मैं भी तुम्हारे साथ चलती हु तो हम दोनों शहर की ओर चल पड़े रस्ते में मैने उसको पुछा फ्रेंडशिप के बारे में तो उसने कुछ जवाब नहीं दिया



तो मैंने भी उसको ज्यादा फ़ोर्स नहीं किया उस शाम को मैं छत की मुंडेर पर बैठ कर नजारा ले रहा था इंदु चौबारे की चौखट पर खड़ी थी आज पीले सूट में वो गजब लग रही थी तभी उसने अपने पेट वाले हिस्से से अपनी कुर्ती को थोडा सा खिसकाया मुझे उसका फूला हुआ गोरा पेट दिखने लगा





वो मुझे ऐसे ही देख रही थी मैं उसको देख रहा था ना जाने क्यों आज उसकी आँखे कुछ अलग सी लग रही थी मैं मुंडेर से उतरा और चौबारे की तरफ चल पड़ा



वो चौखट पर ही रुकी रही अब हम दोनों एक दुसरे के सामने खड़े थे मैं थोडा सा उसकी तरफ बढ़ा वो बिलकुल दरवाजे से सट गयी हमारे बीच अब बहुत थोडा फासला था इतना थोडा की मेरी सांसे उसके चेहरे पर पड़ने लगी थी दो पल के लिए हमारी नजर मिली और बिना किसी हिचक के मैंने अपने होठ उसके अनछुए होंठो पर रख दिए



ईन्दू ने मेरी शर्ट को अपने हाथो से पकड़ लिया मैं उसके मलाईदार होंठो का रस चूसने लगा उसके होंठ थोडा सा खुले और तभी मैंने उसके निचले होंठ को अपने दोनों होंठो में दबा लिया और उस गुलाबी स्वाद को महसूस करने लगा



करीब दो मिनट तक हमारा किस्स चला उसके बाद मैं उस से अलग हो गया इंदु का पूरा चेहरा हल्का गुलाबी हो गया था उसके चेहरे पर जो हया थी जो चमक थी या जो भी था समझ न सका मैं वो निचे को जाने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसको अपनी और खींच भारी भरकम इंदु मेरे सीने से आ लगी अब मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे



उसके बदन को सहलाते हुए एक बार फिर से हमारी किसिंग चालू हो गयी उफ्फ्फ आज कितने दिनों बाद एक सुकून सा मिल रहा था पर हमारा रिश्ता भी अजीब था उसने धक्का देकर मुझे खुद से अलग किया और निचे को भाग गयी मैं वही रह गया अपने होंठो पर उस स्वाद को महसूस करते हुए





थोड़ी देर बाद मैं भी निचे आ गया तो पता चला की नाना के एक दोस्त के घर शादी है तो सभी को उधर जाना है शाम तो वैसे ही हो रही थी और नाना अब बता रहे थे तो फिर सब जल्दबाज़ी में तैयार हुए सिवाय मामा के क्योंकि वो काम के चलते बस शनिवार और रविवार को ही घर आते थे पर फिर भी पूरा कुनबा था तो तैयार होने में थोडा टाइम लग गया





अब हम लोग गाड़ी में बैठे नाना और मेरा ममेरा भाई आगे थे मैं नानी और मामी बीच में और बच्चे और इंदु पीछे मैं वैसे तो जाना नहीं चाहता था पर नानी की इच्छा थी तो मैं मना नहीं कर पाया वहा पर हमे बहूत रात हो गयी थी टाइम बारह से ऊपर हो गया था ऊपर से सर्दियो के दिन





खाना वाना खाके बस चलने की तयारी ही थी की नाना को उनका एक दोस्त और मिल गया अब नाना ने उसको घर चलने के लिए कहा पुराना दोस्त था तो वो मना नहीं कर पाया तो वो उसकी पत्नी और एक लड़की और हमसे जुड़ गए अब समस्या हुई गाडी में बैठने की पर मेहमानो को जगह भी देनी थी

थोड़ी दिक्कत तो होनी ही थी पर अब क्या किया जाये तो सब लोग जैसे तैसे एडजस्ट हो गए थे इंदु ने पीछे बैठने से साफ़ मना कर दिया क्योंकि वो आई जब उधर ही बैठ के आई थी और अब उसने खाना थोडा ज्यादा खा लिया था



ऊपर से एक बड़ा कार्टून मिठाई का और कुछ डिब्बे और थे तो उनको पीछे रखने के बाद इतनी ही जगह बनती थी की एक आदमी ही बैठ सके पर लोग दो थे तो मामी ने कहा की आगे पीछे करके बैठ जाएंगे तो मेरे चढ़ने के बाद वो भी आ गयी पर सच में इतनी जगह नहीं थी





मामी मेरी एक जांघ पर अपना पूरा बोझ डाले हुए थी इधर नाना ने गाडी की लाइट बंद की और अब मामी सरक कर मेरी गोद में आ गयी मैं हैरान रह गया मामी धीरे से बोली- कोई परेशानी तो नहीं है ना



मैं बस मुस्कुरा दिया पर परेशानी तो होनी ही थी मामी की गांड को महसूस करते ही मेरे लण्ड में करंट आना शुरू हो गया ऊपर से सड़क पर हिचकोले खाती गाडी तो मामी की गांड की दरार पर मेरा लण्ड एकदम सही सेट हो गया था मुझे बहुत मजा आने लगा था





ऊपर से हिचकोले,तो मैंने अपने दोनों हाथो को मामी की पतली कमर पर रख दिया मामी के मुह से एक आह निकल गयी धीमे से , एक मस्त औरत मेरी गोदी में बैठी थी यही सोच कर मेरे मन में तूफ़ान आ गया था मेरा खुद पर काबू छूट रहा था ऊपर से उनके बदन से जो सुगंध आ रही थी क्या कहना





मैं अब धीरे से अपनी उंगलिया उनके पेट पर चलाने लगा मामी का बदन अँगड़ाई लेने लगा मैं उनकी नाभि से छेड़खानी करने लगा मामी हौले हौले से सिसकिया भरने लगी थोड़ी हिममत करते हुए मैंने अपने हाथो को ऊपर किया और उनकी चूचियो के निचले हिस्से को छूने लगा तो मामी का बदन हिला और वो पीछे हो गय





मामी की गर्दन अब मेरे गालो पर आ गयी थी उनकी सांसो में जो गर्मी थी वो मैं महसूस कर रहा था मेरा जी तो कर रहा था की मामी के गाल चूम लू ,,मैं इतना तो समझ रहा था की वो गरम हो रही है तो मैंने एक दम से अपने दोनों हाथो को उनकी चूचियो पर रख दिया और दबा दिए





मामी ने बड़ी मुश्किल स अपनी आहो को रोका औरबोलि-आः आराम से



बस ये सुनते ही मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और मैं उनके बोबो से खेलने लगा अब मैं बड़े प्यार से उनकी गेंदों से खेल रहा था



मामी धीरे से बोली- ये मुझे क्या चुभ रहा है



मैं-खुद ही देख लो



तो उन्होंने अपने आप को थोडा सा उठाया और अपने हाथ से मेरे लण्ड को पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगी अब वो मेरी जांघ पर आ गयी थी उन्हीने मेरी चैन को खोल कर लण्ड को अपनी मुट्ठी में ले लिया हम दोनों बहुत चुपचाप ऐसा कर रहे थे



मामी मेरे सुपाड़े पर अपना अंगूठा रगड़ने लगी मैं उत्तेजना की परकाष्ठा से गुजरने लगा मैंने मामी की साडी को कमर तक उठाया और फिर अपनी गोद में ले लिया अब बस एक कच्छी ही थी मैंने अपना हाथ आगे से चूत पर रखा था वो हिस्सा पूरा गीला था



मैं मामी की चूत को सहलाने लगा मामी की हालात बस पूछो ही मत पर उनको भी तड़पाना खूब आता था ,मामी ने अपनी पैंटी साइड से हटाई और मेरे लण्ड को चूत की दीवार पर रगड़ने लगी ये मैं ही जानता था की किस तरह से मैंने खुद को रोक कर रखा हुआ था
 

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मेरे हाथ बार बार उनकी छातियो को भींच रहे थे मैं बार बार कमर को उचका रहा था की लण्ड चूत में घुस जाए पर वो बस मुझे तड़पाने में लगी हुई थी ऐसे ही वो सफ़र कट गया हमारा और हुमलोग घर आये



घर आने के बाद इंदु सीधा सोने चली गयी मेहमानो को मेरे कमरे में शिफ्ट कर दिया गया मामी शायद रसोई में कुछ करने गयी थी तो मैंने अपने कपडे चेंज किये और बैठक में सोने की तैयारी करते हुए बिस्तर लगा रहा था की मेरे छोटे मामा बोले तू इधर मत सो क्योंकि उनका आज फ़िल्म देखने का प्रोग्राम था



तो अब गर्मी का मौसम होता तो मैं छत पर सो जाता पर अब मैं कहा जाऊ फिर सोचा की बरामदे में सो जाता हु तो मैं उधर जा रहा था की मामी रासोई से आती दिखी



मामी-कहा घूम रहे हो सोये नहीं अभी तक



मैं-जी वो आज जगह नहीं मिली सोचा बरामदे में सो जाऊंगा



मामी- पागल हो क्या इतनी ठण्ड में उधर सोवोगे सुबह तक कुल्फी जम जानी है और ये क्या रज़ाई क्यों नहीं लेते अब कम्बल से काम नहीं चलने वाला ,एक काम करो मेरे रूम में आ जाओ वहाँ सो जाना





ये कह कर मामी रूम में चली गयी मैंने अपना बिस्तर वहीं छोड़ा और बाथरूम। में चला गया थोड़ी देर बाद मैं कमरे में गया मामी कमरे में अकेली थी



मैं-बच्चे कहा है



वो-वो तो इंदु के साथ सोते है



मैं-अच्छा ,रात बहुत हुई सोते है



मामी- इधर मेरे पास आ जाओ



तो हम लोग बेड पर आ गए एक रजाई में सरीर में एक दम से गर्मी सी आ गयी मामी ने बस एक पतली सी नाइटी पहनी हुई थी ,इधर मामी के बदन से टच होते ही मेरे बदन में सुरसुराहट होने लगी थी गाडी में जो कुछ हुआ था उस से मैं जान गया था की मामी फुल तैयार है चुदने के लिए





बस शुरुआत करने की ढील थी पर पता नहीं क्यों मैं झिझक रहा था



मामी ने मेरी जांघ पर हाथ रखा और बोली- ये क्या रोज तो कच्छे में सोते हो आज पायजामा क्यों पहन रखा है



मैं-वो आज आपके साथ हु ना इसलिए



वो-तो क्या हुआ, उतार दो इसको जैसे रोज सोते हो वैसे ही सोवो



मैंने पायजामा उतार दिया मामी ने फिर से मेरी जांघ पर फिर से हाथ रख दिया और सहलाने लगी उनके स्पर्श मात्र से ही मेरे लंड में आग लगनी शुरू हो गयी थी ,मामी के बदन की मनमोहक खुशबु मेरी उत्तेजना को परकाष्ठा पर ले जाने लगी



उनकी उंगलिया अब मेरे लण्ड को ऐसे छु रही थी जैसे अनजाने में हाथ लग रहा हो पर जो हो रहा था वो सब अनजाने में नहीं बल्कि राजी ख़ुशी में हो रहा था और फिर मामी ने कच्छे के ऊपर से ही मेरे लण्ड को कस कर पकड़ लिया



अब मैं बेकाबू हो गया और मामी को अपनी बाहो में भर लिया और उनकी चूची को दबाते हुए किस्स करने लगा मामी की मदहोश आहे मेरे मुह में घुलने लगी चॉकलेट फ्लेवर की लिपस्टिक लगे होंठो के उस मदमस्त स्वाद ने मेरे तन में आग लगा दी थी



इधर मामी के हाथ मेरे लण्ड को छोड़ ही नहीं रहे थे उन्होंने मेरे कच्छे को घुटनो तक सरका दिया था और मेरे मोटे लण्ड को अपनी मुट्ठी में भर के उसका भूगोल नाप रही थी



मामी की मैक्सी के अंदर पहुच चुके मेरे हाथो ने महसूस कर लिया था की अंदर ब्रा-पेंटी कुछ नहीं है बस मेरी उंगलिया उनकी छातियो में उत्तेजना भर रही थी हमारे होठ एक दूसरे से ऐसे चिपके हुए थे जैसे फेविकोल का जोड़ हो



मामी का हाथ तेजी से मेरे लण्ड पर चल रहा था रजाई कब की हमारे बदन से उतर कर साइड में हो गयी थी पता ही नहीं चला था अब हमारी किस्स टूटी मैंने नाइटी को उतार दिया हम दोनों नंगे हो चुके थे मैं उनकी चिकनी टांगो को सहलाते हुए उनके गालो को खाने लगा



मामी का बदन गरम हो रहा था एक बार फिर से हम दोनों एक दूसरे का मधुरस चखने लगे थे मैं अपनी जीभ को मामी के मुह के अंदर घुमा रहा था मैंने अब अपने हाथ को उस जन्नत के दरवाजे की और ले जाना शुरू किया मामी की टाँगे अपने आप मुझे रास्ता दे रही थी



और जैसे ही मैंने मामी की बिना बालो वाली चूत को छुआ तो मामी ने अपनी जांघो को भींच लिया उफ्फ्फ्फ़ कितनी गीली हो राखी थी मामी मैं अपनी बीच वाली ऊँगली को उनके भगनसे पर रगड़ने लगा अब हमारे होठ अलग हुए चेहरे को जी भर के चूमने के बाद मैं अब मामी के पेट पर किस्स करने लगा उफ्फ्फ कितनी चीकनि औरत थी ये



मैं उनकी नाभि में अपनी जीभ को घुमा रहा था मामी की आहे अब तेज हो गयी थी मैं अपनी ठोड़ी को उनके मांसल बदन पर रगड़ते हुए योनि की तरफ बढ़ रहा था की तभी मामी ने मुझे हटाया और बेड से उतर गयी



मैं उनकी नाभि में अपनी जीभ को घुमा रहा था मामी की आहे अब तेज हो गयी थी मैं अपनी ठोड़ी को उनके मांसल बदन पर रगड़ते हुए योनि की तरफ बढ़ रहा था की तभी मामी ने मुझे हटाया और बेड से उतर गयी



मामी इस तरह खड़ी थी की उनकी पीठ मेरी तरफ थी मैं भी उतरा और मामी को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया मेरा लण्ड उनके चूतड़ो की दरार में घुसने लगा मैं उनके दोनों उभारो को अपनी मुट्ठी में कैद किये मामी के सुडोल कंधो को चूमने लगा





मामी-आअह हाआआआ



मामी के कुल्हो की मादक थिरकन ने मुझे हद से ज्यादा गरम कर दिया था इधर मैं उनकी गर्दन के पिछले हिस्से को चूमने लगा था हम दोनों के जिस्म इस उतेजना की आग में तपने लगे थे किसी मछली की तरह मामी अब मेरे आगोश से निकल गयी अच्छी अदा थी तड़पाने की पर मै भी कम नहीं था





मैंने फिर से मामी को पकड़ लिया और अपनी एक ऊँगली चूत में सरका दी मामी हलके से चीखी पर अब कौन सुनने वाला था उनकी मैं तेजी से अपनी ऊँगली का जादू चलाने लगा मामी पसीना पसीना होने लगी थी





फिर मैंने अपनी ऊँगली बाहर निकाली और मामी के होंठो पर रगड़ने लगा उन्होंने अपनी आँखों को बंद कर लिया अब मैंने उनको पटक दिया बिस्तर पर उनकी टांगो को फैलाते हुए बीच में आ गया और मामी की योनि पर अपने हथियार को रगड़ने लगा मामी अब सिसकारियाँ भरने लगी





उनकी चूत के रिस्ते पानी में मेरा सुपाड़ा भीगने लगा पर उसकी मंजिल अभी बाकी थी मामी की टांगो को एडजस्ट करते हुए अब मैंने लण्ड को सरकाना शुरू किया तो वो मामी की चूत को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा



मामी-आअह आराम से दर्द करोगे क्या





मैं-इस दर्द का ही तो मजा है



ये कह कर मैंने एक तेज झटका लगाते हुए अपने लोडे को छूट के और अंदर धकेल दिया मामी की टाँगे अपने आप खुलती चली गई दो बच्चों की माँ होने के बाद भी चूत में कसावट थी मैं धीरे धीरे अपने लण्ड को अंदर बाहर करने लगा



मामी ने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रख दिए और सहलाने लगी मुझे ऐसे लग रहा था की जैसे लण्ड पर किसी ने स्क्रू कस दिया हो बिना कुछ बोले हमारी चुदाई चालू थी



मेरा लण्ड उस रसीली चूत के एक एक बूँद से नहा रहा था धीरे धीरे करते हुए अब मैं पूरी तरह मामी पर चढ़ चूका था वो अपनी बाहे मेरी पीठ पर रगड़ रही थी मैं हुमच हिमच कर चोद रहा था मामी को



जल्दी ही वो भी अब एक्सप्रेस हो गयी थी और निचे से धक्के लगा रही थी मैंने फिर से मामी के शहद से भरे होंठो को अपने मुह में ले लिया वो बार बार अपनी चूत को टाइट करती फिर ढीली करती फिर टाइट करती अब जहा हुस्न होता है वहा अदा तो होती ही है





अब किसे सर्दी लग रही थी दोनों के बदन जल जो रहे थे मेरे धक्को की रफ़्तार से मामी का समूचा बदन बुरी तरह से हिल रहा था खासकर उनकी चूचिया लगभग मंझधार में आ कर मैंने मामी को अब घोड़ी बना दिया



उनकी गांड पीछे की तरफ उभर आई थी मामी के बेहद दिलकश सुडोल चूतड़ किसी का भी मन मोह ले मेरी तो बिसात ही क्या थी,मैंने बिना देर किये चूतड़ो को चूमना शुरू किया मांस से भरे चूतड़ो का काफी हिस्सा मेरे मुह में जा रहा था





मामी की आहो में एक दम से तेजी आ गयी थी वो अपने चुतड मेरे मुह पर पटकने लगी उफ्फ्फ्फ़ ये उत्तेजना मामी ने अपनी दोनों जांघो को चिपका लिया जिस से पिछवाड़ा और उभर आया और फिर मैं अपनी जीभ से उस रस टपकती चूत को चाटने लगा तो मामी की टाँगे कांप गयी





उन्होंने अपना मुह तकिये में छुपा लिया और गांड को हिला हिला के चूत चटवाने लगी ढेर सारा खारा पानी मेरे मुह में घुल रहा था पर मैंने ऐसा ज्यादा देर नहीं किया क्योकि अभी इस घोड़ी की सवारी जो करनी थी



मैंने एक बार से अपने औज़ार को फिट किया और मामी फिर से चुदने लगी उनकी पतली कमर को थामे हुए मैं अब पूरी रफ्तार से चुदाई करने लगा मामी भी कुल्हो को आगे पीछे कर रही थी बस सांसे सुलग रही थी शुरआत हो गयी थी अंत की आस थी



करीब दस मिनट तक वो घोड़ी बनी रही वो मैं चोदता रहा और फिर उनके बदन ने झटका खाया और वो बिस्तर पर गिर गयी मैं भी उनके ऊपर लेटा हुआ चूत माँर रहा था मामी झड़ रही थी और साथ ही मेरा पानी भी उनकी चूत में गिरने लगा



मामी और मैं कुछ देर के लिए तृप्त हो गए थे पर अरमानो की आग के कुछ शोले अभी बाकी थे जिन्हें बस एक हवा की जरुरत थी मामी मेरी बाहों में पड़ी थी उनके बदन की खुसबू बड़ी मनमोहक थी और चुदाई के बाद तो जैसे वो महक ही उठी थी





अपनी सांसो को सँभालने के बाद मैंने मामी को फिर से अपने बदन से चिपका लिया और उनके कुल्हो को सहलाने लगा एक जानी पहचानी खुमारी फिर से हम पर चढ़ने लगी और कुछ पलो बाद मामी मेरी गोद में चढ़ी हुई थी





गोद में चढ़के मामी ने अपनी टांगो को मेरी कमर पर लपेट लिया और मेरी गर्दन पर अपने हाथ रखते हुए मेरे चेहरे को चूमने लगी मेरा आधा खड़ा लण्ड उनकी गांड की दरार में रगड़ पैदा करने लगा मामी के होंठ से बहता थूक मेरे चेहरे को भिगो रहा था





उत्तेजना से वशिभूत वो बहुत जोरो से किस्स कर रही थी अपने दोनों कुल्हो के बीच दबाये मेरे लण्ड में वो आग भर रही थी अब मामी ने अपने चेहरे को हटाया और मेरे मुह में अपनी एक चूची दे दी जोश में आके





मैंने निप्पल पर जोर से काट लिया तो वो सिसक उठी "आह:" पर उनको भी पता था की इन हरकतों का भी अपना ही मजा था मामी की पीठ को रगड़ते हुए मैं बारी बारी उनके दोनों उभारो को निचोड़ रहा था





अपनी उत्तेजना को अरमानो के पंख दिए मामी फिर से तैयार हो रही थी वासना के आकाश में उड़ने के लिए दोनों बोबे जगह जगह से लाल हो गए थे साथ ही थोड़े फ़ूल गए थे मामी ने मेरे सीने पर किस किया और मेरी गोद से उठ गयी





मेरा लण्ड जो अब पूरी तरह से तैयार था एक बार फिर से उनकी चूत में खुदाई के लिए मामी ने उसे देख कर अपने होंठो पर जीभ फ़िराई और अपने लाल सुर्ख होंठो को मेरे लण्ड पर रख दिया मेरे सुपाड़े पर हुए इस चुम्बन से तन बदन में खलबली मच गयी





लण्ड से जो प्री कम निकल रहा था वो अपनी जीभ से उसे चाट रही थी बल्कि उनकी कोशिश थी की जीभ को उस छेद में घुसा सके लगभग आधा लण्ड उनके मुह में था और हाथ दोनों अन्डकोशों पर जिसे वो बड़े प्यार से सहला रही थी





मैं तो पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूब गया था अनुभवी औरतो के साथ सेक्स का यहितो सबसे बड़ा फायदा होता है की वो पल भर में ही समझ जाती है की बन्दे को क्या चाहिए अब उन्होंने पुरे लण्ड को अपने गले तक ले लिया था और मुझे मुख मैथुन का पूरा मजा दे रही थी





पर साथ ही अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था तो वैसे भी वो कई देर से चूस ही रही थी तो अब उनके कुल्हो को थपथपाया और उनको फिर से घोड़ी बना दिया मामी की बड़ी सी गांड मेरे सामने थी मैंने अपने दोनों हाथो से कुल्हो को थाम लिया हाय कितने मुलायम थे





मैं बारी बारी से मामी के सुडोल चूतड़ो पर किस्स करने लगा कसम से बहुत मजा आ रहा था कई बार मैंने काटा उनको तो मामी बस चिहुंक कर रह गयी चूमते चूमते मेरी नाक मामी की चूत से टकराई उफ्फ्फ्फ़ क्या गजब खुसबू आ रही थी मैंने अपने चेहरे को चूतड़ो के बीच दे दिया
 

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और चूत को अपने मुह में भर लिया ढेर सारा गाढ़ा खारा खट्टा पानी मेरे मुह में भर गया जिसे मैं गटकने लगा इधर मामी के बदन में खलबली सी मच गयी थी अब उनकी आहे बाहूत तेज हो गयी थी बदन झटके खाने लगा था उनके चूतड़ जैसे थिरक रहे थे मेरी जीभ अब अंदर के लाल वाले हिस्से पर रगड़ पैदा कर रही तो जिस से मामी मस्ती की लहरो पर सवारी कर रही थी







इधर मेरे लण्ड में हो रही ऐंठन परेशान कर रही थी तो मैंने लंड पर थूक लगाया और मामी की चूत पर लगा दिया मैंने अपने हाथ चूतड़ो पर रखे और मामी की चूत में लण्ड घुसाने लगा मामी आगे को सरकी पर मैंने। उन्हें फिर से पीछे कर लिया और धक्कमपेल चालू कर दी





मामी की कद काठी वास्तव में ही बहूत सेक्सी थी बेशक वो थोड़ी पतली टाइप थी पर कामुकता छलकती थी अंग अंग से और ये आज उन्होंने प्रूव भी कर दिया था की बिस्तर पर वो किसी से कम नहीं है



चुदाई की थाप गूँज रही थी कमरे में सर्दी के मौसम में भी पसीना चल पड़ा था बदन से बहकर करीब दस मिनट तक वो घोड़ी बने चुदती रही फिर झटके से मैंने लण्ड को बाहर निकाल लिया वो हवा में झूलने लगा मामी मेरी और देखने लगी





मैंने उन्हें लिटाया और उनकी टांगो को अपने कंधे पर रखते हुए फिर से चोदना शुरू कर दिया मामी की छातियाँ बुरी तरह से हिल रही थी चिकनी चुत मे मेरा तूफानी लण्ड आतंक मचाये हुआ था मामी भी पूरी तरह मस्ती से भरी हुई थी लिहाज़ा अब उन्होंने





मुझे पूरी तरह अपने उपर खीच लिया और अपने होंठो की शबनम मुझे पिलाते हुए चूत मरवा रही थी उन्होंने अपने चूतड़ पूरी तरह से ऊपर उठा रखे थे इधर मेरे धक्के चालू थे उधर उनके परिणाम स्वरूप अब गाड़ी मंजिल पर पहुंचने ही वाली थी





मामी का हाल तो नहीं पता पर मैं अब झड़ने ही वाला था तो मैं तेज तेज करने लगा उन्होंने कस के मुझे अपनी बाहो में जकड़। रखा था और जैसे ही मेरा वीर्य उनकी चूत को गीली करने लगा मामी भी अपने चरम पर पहुच गयी और मेरी बाहों में झूल गया



उस रात हम दोनों ने अपनी प्यास जी भर के मिटाइ सुबह कुछ हलकी हलकी सी लग रही थी मैं उठके रसोई में चाय लेने गया तो मामी ने मुझे दूध का गिलास दिया और बोली-तुम्हे इसकी जरुरत है



मैं-पर मुझे चाय ही पीनी है



वो- समझा करो तुम दूध पियोगे तभी तो मैं मलाई खा पाऊँगी ये बोलकर हँसते हुए उन्होंने मुझे गिलास पकड़ा दिया और फिर अपना काम करने लगी





मैं कुछ कह ही नहीं लाया जबकि वो पूरी एडवांटेज ले रही थी दूध पीके मैं बैठक में आया तो नाना और उनके दोस्त नाश्ता कर रहे थे तो मैं इंदु के कमरे में आकर बैठ गया पर आज मैंने देखा की वो किताबो से चिपटी नहीं थी





बल्कि आराम से बैठ कर डेक चला के गाने सुन रही थी मैने देखा उसके बालो से पानी झर रहा था शायद कुछ देर पहले ही नहा के आई थी अब इतनी जोर की सर्दी पड रही थी और ये नहाने में लगी थी



उसने मुझे देखा और बोली-उठ गए तुम मैं जगाने आ ही रही थी मेरी एक सहेली के घर चलना है



मैं-तुम्हारी सहेली तुम जानो मेरा क्या काम



वो- अरे चल ना जल्दी ही आ जायेंगे





मैं- चल तो पडूंगा पर एक किस्स दो तो



इंदु अपनी आँखे फाड़े मेरी तरफ देखने लगी



मैं-ऐसे क्या देख रही हो अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो की नहीं



वो-तो क्या हर बात के लिए ऐसे शर्ते रखोगे



मैं- नाराज हो गयी तुम तो



वो-तो और क्या करू



मैं-किस्स करो मुझे और क्या करोगी



इंदु के बदन से पानी की महक आ रही थी और वो लग भी तो रही थी कितनी ताज़ा जैसे किसी गुलाब पर पड़ी ओस की बूंदे उसकी आँखों में हां पढ़ कर मैंने अपने होंठ आगे बढ़ाये और उसके नरम होंठो को मसलने लगा जैसे गुलकन्द घुलने लगी हो मेरे मुह में



पर उसने मुझे हटा दिया और बोली-ब्रश नहीं किया न तूने



अब किस्स में ब्रश कहा से आ गया उसने कहा जल्दी से तैयार हो जाऊ तो मैं नहाने के लिए आ गया गरम पानी रख के बस तौलिया लेके घुस ही रहा था की मामी मेरे पास आई और बोली- आराम से नहाना पानी थोडा ज्यादा गरम है और हां अब तुम्हे मेरी पेंटी ख़राब करने की जरुरत नहीं है





मामी ने हस्ते हुए कहा और ठुमकते हुए चली गयी मैं दो पल उनकी गांड को निहारता रहा फिर नहाने लगा तैयार होक मैं और इंदु उसकी दोस्त के घर की और चल दिया जो थोड़ी दूर था रस्ते में मेरा पूरा ध्यान इंदु की और था हल्का गुलाबी रंग उसके गोरे बदन पर खूब जन्च रहा था





मेरे मन में बस उसकी लेने का ही विचार आ रहा था उस टाइम और वो थी भी इतनी खूबसूरत की हर कोई उसको पाना चाहे तो थोड़ी देर बाद हम पहुच गए उसकी दोस्त ने हमारा खूब सत्कार किया पर मैं उसको जानता नहीं था तो अब मैं क्या बात करता खैर वहाँ हमे कई देर लगी और दोपहर का खाना खाकर ही हैं लोग आये



घर आने के बाद इंदु ऊपर चली गयी मैं टीवी देखने लगा कुछ देर बाद नानी ने कहा की जरा इंदु को बुला के ला तो मैं चौबारे में गया और यही गजब हो गया दरवाजे पर खड़े खड़े ही मेरा बुरा हाल हुआ दरअसल उस टाइम इंदु कपडे बदल रही थी



वो बस ब्रा और सलवार में खड़ी थी उसको उस अवस्था में देख कर मेरा सब्र टूटने लगा काली ब्रा में कैद उसके उभार जिनका बोझ वो ब्रा उठा नहीं पा रहा था वो भी मुझे देख कर चोंक गयी और जल्दी से अपनी कुर्ती को पहनने लगी पर उस से पहले ही मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसको किस्स करने लगा





साथ ही उसकी चूचियो को मसलने लगा सम्भवत ये उसके अंगो पर पहला पुरुष स्पर्श था मैं जितना जोर से उसके उभारो को दबाता वो उतना ही उत्तेजित हो रही थी उसके होंठ चूसते हुए मैं अब सलवार के ऊपर से ही उसकी योनि को सहलाने लगा कुछ पलो के लिए हम लोग दुनियादारी छोड़ एक दूसरे में खोने लगे थे





पर जैसे ही मैंने सलवार के अंदर हाथ डालना चाहा उसने मुझे परे धकेल दिया और अपनी कुर्ती पहन ने लगी मैंने उसे बताया की नानी बुला रही है कुछ देर बाद हम लोग निचे आ गए अब बार बार हमारी नजर टकरा रही थी इंदु को इन सब चीज़ों की आदत नहीं थी तो वो असहज महसूस कर रही थी



इधर पड़ोस में ही एक लड़का बंटी मेरा दोस्त बन गया था तो मैंने सोचा उसके घर हो आता हु तो मैं उसके घर गया पर वो नहीं मिला वहाँ बस उसकी बहन मिली वो भी इंदु की तरह एक मस्त भरी हुई लड़की थी जवानी में चूर अल्हड एक दम मुझसे बहुत हँसी ठठोली करती थी वो







पर मैं ऐसे ही जाने देता था तो उस दिन मैं गया पर बंटी मिला नहीं
 

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मैं- कब तक आएगा



वो-तू बस उस से ही मिलने आता है कभी मुझसे मिलने भी आया कर



मैं-आपसे मिलके क्या करूँगा



वो-क्यों कुछ करने के लिए ही मिलते है क्या आजा चाय बनायीं है पिके जाना



मैंने सोचा की कही इसको बुरा न लगे तो मैं घर के अन्दर चला गया उसकी बड़ी सी गांड को देखते हुए मैं सोचने लगा की माल तो मस्त है जल्दी ही वो चाय ले आई और मुझे पकड़ाने लगी तभी उसके हाथ से कप छूट गया और



चाय का गर्म कप मेरे ऊपर आ पड़ा मेरी पेंट ख़राब हो गयी और गर्म चाय की वजह से थोड़ी तकलीफ होने लगी वो अपनी चुन्नी से मेरी पेंट पर पड़ी चाय को साफ़ करने लगी पर ये तो उसका बहाना था उसकी उंगलिया मेरे लिंग प्रदेश पर फिसलने लगी





वो थोड़ी सी झुकी हुई थी तो उसकी चुन्नी सरक गयी थी और सूट से उसके गोल मटोल उभार मेरी आँखों के सामने लहरा कर मुझे लालच दे रहे थे इधर उसने पेंट के ऊपर से ही मेरे लण्ड को दबाया तो मेरी आह निकल पड़ी उसने मुस्कुरा कर मेरी और देखा और मेरे हाथ को अपने सीने पर रख दिया





ये उसका निमन्त्रण था मुझको पर शायद मैं इसके लिए तैयार नहीं था तो मैंने उसको दूर झटक दिया और अपने घर आ गया ऐसी बात नहीं थी की बंटी की बहन मुझे पसंद नहीं थी पर पता नहीं क्यों मैं उस से सम्बन्ध बनाने को तैयार नहीं हो पा रहा था





उस रात मामी ने फिर से अपने कमरे में आने को कहा पर मैंने ध्यान नहीं दिया सुबह मैं पढ़ने के लिए चला गया इधर मेरे मन में बस नीनू का ही ख्याल था , की कैसे मैं कांटेक्ट करू उसको मैं अपने गाँव जाना चाहता था





पर नानाजी पता नहीं क्यों चाहते थे की मैं अब उस जगह से दूर रहु,मैंने कई बार उनसे इस बारे में बात की पर हर बार उन्होंने इतना ही कहा की अब मुझे इधर ही रहना है तो मैं कुछ नहीं बोल सका





तो उस दिन मुझे आने में देर हो गयी थी ऊपर से अँधेरा हो रहा था मैंने शॉर्टकट लिया ये थोडा सुनसान सा कच्चा रास्ता था सड़क के दोनों और काफी घने पेड़ लगे हुए थे ठंडी हवा चल रही थी सांय सांय करते हुए करीब दो किलोमीटर चलने के बाद मेरी साइकिल की चैन टूट गयी





ये नयी मुसीबत हुई मैं पैदल पैदल ही चल रहा था पक्की सड़क कब की पीछे छूट गयी थी अँधेरा तेजी से घिरने लगा था कुछ दूर जाने के बाद मैंने देखा की 8-10 लोग सड़क किनारे आग जला के बैठे थे मैं उनके पास से गुजरा तो उनमे से एक ने मुझे रोका



वो-भाई ,इधर से फलाने गाँव का रास्ता किधर से जाएगा





मैं उसको रास्ता बता रहा था की तभी मेरी आवाज जैसे बनद हो गयी शरीर में एक दर्द की लहर दौड़ गयी कुछ समझ पाता उस से पहले ही पीछे से किसी ने वार किया मेरी कमर के साइड में चाकू घुसा हुआ था





लबालब खून बह रहा था ये सब क्या हुआ आँखों के आगे अँधेरा छा गया एकदम से तभी सर में एक धमाका सा हुआ उनमे से किसी ने सर पर किसी डंडे से वार किया था ये सब इतनी जल्दी जल्दी हो रहा था की मैं खुद को संभाल ही नहीं पा रहा था जिधर से देखो मार पड़ रही थी



होश सांस छोड़ रहा था पर मैंने भी सोच लिया था की ऐसे नहीं मरना एक कोशिश तो अपनी भी बनती थी यार पर इतने लोगो के आगे मेरा क्या बस चलना था जितना मैं प्रतिकार करता उतने ही उनके वार बढते जा रहे थे







मेरी सफ़ेद शर्ट लाल हो चली थी मुह से खून निकल रहा था पर वो लोग बस मारते जा रहे थे और मेरा बस नहीं चल रहा था तभी एक की कलाई मेरी पकड़ में आई और मैंने उसको धर लिया हाथो में अब ताकत बचीं नहीं थी पर मैं कोशिश कर रहा था





और एक बार फिर से कुछ लोहे सा मेरे पेट में घुस पड़ा और मैं जमीं पर गिर पड़ा साँस जैसे रुक सी गयी लगा की प्राण छूट गए फिर कुछ पता नहीं रहा चारो तरफ अँधेरा छाता चला गया



पता नही कितनी देर हुई जब आँख खुली तो हर तरफ अँधेरा था आह ओह खांसते हुए मेरी आवाज उस बियाबान में गूंजने लगी मेरा सर दर्द से फ़टे जा रहा था मैंने अपनी हथेली धरती पर रखी और उठना चाहा पर उठ नहीं पाया उंगलिया पेट से टकराई तो पता चला की गहरा ज़ख्म है अपनी फ़टी शर्ट को पेट पर बाँधा



आज ये बनी मेरे साथ इधर उधर टटोला तो एक लकड़ी मिल गयी उस का ही सहारा लेकर मैं खड़ा हुआ पर शायद पैर में भी चोट लगी थी टाँगे साथ नहीं दे रही थी पर हिम्मत नहीं हारनी थी वर्ना ज़िंदगी की जंग भी हार जानी थी



दर्द से चीखते हुए मैं उस सड़क पर घिसटने लगा पर अँधेरे की वजह से मैं समझ नहीं पा रहा था की शहर किस और है हर गुजरते लम्हे के साथ धड़कन मंदी पड़ने लगी थी शहर भी करीब दो कोस दूर था









आँखों से बहते आंसू का नमक मेरे ज़ख्मो में मिल कर मेरे दर्द को और बढ़ा रहा था पता नहीं मैं रो रहा था या तड़प रहा था पर मुश्किल बहुत हो रही थी नब्ज़ जैसे डूब रही थी आस का दामन पल पल छूट रहा था और फिर मैं गिर पड़ा आँखे बस बुझने ही वाली थी की



घुन्ध को चीरते हुए कुछ रौशनी सी दिखने लगी अपनी डूबती आँखों को मैंने कुछ हिम्मत दी और सारा दम लगाते हुए एक बार फिर से मैं उठ खड़ा हुआ ये एक दूध वाले की गाडी थी वो शायद भगवन का दूत था मेरी हालात देखते ही वो समझ गया कुछ तो गलत हुआ है



मुझे फिर कुछ याद ना रहा बस मेरा बेहोश शरीर उस की बाहों में झूल गया सब शांत होते चला गया दर्द मिटता चला गया





पता नहीं उसके बाद क्या हुआ पर जब आँख खुली तो सर चकरा रहा था मैंने अधखिली आँखों से देखा तो पता चला की मैं हॉस्पिटल में था बदन पर

पता नहीं उसके बाद क्या हुआ पर जब आँख खुली तो सर चकरा रहा था मैंने अधखिली आँखों से देखा तो पता चला की मैं हॉस्पिटल में था बदन पर जगह जगह पट्टी और प्लास्टर बंधा हुआ था हिलने की कोशिश की पर हिल नहीं पाया कुछ देर बाद डॉक्टर अंदर आया





मुझे होश में देखकर वो खुस होते हुए बोला -तो आखिर होश आ ही गया तुम्हे



मैं-मेरे घरवाले कहा है



डॉ-रेलक्स यंग मेन रिलैक्स



मैं- पर



डॉ- बरखुरदार, मैंने कहा ना रिलैक्स ,दिमाग पे ज्यादा जोर मत डालो पुरे 2 महीने बाद होश में आये हो



मैं-2 महीने



डॉ- हाँ, इतस अ मिरेकल जिस हाल में तुम यहाँ आये थे मैं खुद सोचता हु



मैं- मेरे घर वाले
 
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