Update 8
मेरे दादाजी शराब बहुत पीते थे। जब से गाँव रहने आये थे तब से वो रात में शराब पीते ही थे। इसकी वजह से वो रात का खाना भी बहुत कम खाते थे। अब उनको गाँव आये हुए सिर्फ 4 दिन ही हो चुके थे पर उनकी तबियत तो बिगड़ती ही जा रही थी। चाचा और चाची को उनकी यह हालत देखकर बहुत तकलीफ होती थी। उस दिन शाम को चाचा काम से घर आया तब चाची ने उसे कहा,
"मैं उनको कल ही डॉक्टर के पास लेकर जाती हूँ। उनकी शराब छुड़ानी चाहिए ।"
"ठीक है सीमा।"
दूसरे दिन सुबह 10 बजे सीमा चाची और मैं दादाजी को लेकर गाँव के एकमेव डॉक्टर के क्लिनिक में गए। क्लिनिक में भीड़ नही थी कियूंकि आज सोमवार था। हमारा नंबर जल्द ही लग गया। हम दादाजी को अंदर लेकर गए। डॉक्टर में हमे बैठने को कहा और दादाजी का चेकअप करना शुरू किया। डॉक्टर बहुत बुढ़ा था। 70 का होगा। इस कारण उसे अनुभव की कुछ कमी नही थी। वो हमारे गाँव मे लगभग 40 साल से रहता था। इसलिए सबको अच्छी तरह से पहचानता था। उसकी मदद करने के लिए उसकी बहु भी क्लिनिक में आती थीं । वो भी डॉक्टर बन गयी थी। हालांकि उसे क्लिनिक में काम किये कुछ 2-3 साल ही हुए थे। उसका पति भी डॉक्टर था पर वो शहर में अपना खुद का क्लिनिक चलाता था। इसलिए डॉक्टर गाँव मे अपनी बहु के साथ अकेला ही रहता था। डॉक्टर मेरे दादाजी का चेकअप कर रहे थे तब उनकी बहू बाजू में खड़ी रहकर उनको मदद कर रही थी। उसने व्हाइट एप्रन के अंदर एक पीले रंग की साड़ी और ब्लाऊज पहना था। डॉक्टर ने चेकअप करने के बाद उनको कुछ दवाई दी। फिर उन्होंने सीमा चाची को कहा,
"बहु होने के नाते अब तुम ही उनकी देखभाल कर सकती हो। "
दादाजी ने कहा,
"वो मेरा अच्छा खयाल रखती है।"
"अच्छी बात है। नही तो आजकल बहुएं इतना ध्यान देती नही है। बहुत पुराने समय मे बहुएं ही अपने ससुर पर ध्यान रखती थी। उनके बुढ़ापे में उनको अपना बच्चा ही मानती थी। अगर ससुर बहुत बुढ़ा हो तो कुछ बहुएँ उसे स्तनपान भी करती थी।"
सीमा चाची मुस्कुराते हुए बोली,
"सच मे वो बहुएँ बहुत अच्छी थी। "
डॉक्टर की बहू भी हँस रही थी। वो बोली,
" ये सब पुराने जमाने मे चलता था। पर अब ये सब को पाप लगेगा।"
डॉक्टर बोले,
"बूढ़े आदमी की सेवा करने में कैसा पाप?"
सीमा चाची ने कहा,
"में तो राजू को रोज स्तनपान करती हूँ।"
डॉक्टर ने अचंभित होकर पूछा,
"सच मे सीमा? ये तो बहुत अच्छी बात है। तो अगर तुम्हारे ससुर की तबियत बहुत बिगड़ गयी तो उसे भी पिला सकती हो।"
ये सुनकर दादाजी शरमा रहे थे। डॉक्टर की बहू उनको समझाते हुए बोली,
"इसमें कुछ बुराई नही है चाचा जी। मैं भी सोच रही हूँ की ससुरजी के सेहत के लिए उनको इस उम्र से स्तनपान करना शुरू कर दू। मैंने पम्प से दूध को प्रेरित करना भी शुरू किया है। इससे एक महीने में ही मेरे स्तनों में दूध आना शुरू होगा। "
डॉक्टर हँसते हुए बोले,
"मैं भी कभी कभी उसके स्तन चूसकर दूध प्रेरित करने में मदद कर रहा हूँ। "
सीमा चाची ने कहा,
"बहुत अच्छी बात है ये तो।"
थोड़ी देर बाद हम सब घर आ गए। सीमा चाची ने दोपहर को दादाजी को सुप बनाकर दिया। उनका सुप पीकर होते ही उनको दवाई भी दे दी। फिर उनको हॉल में सोने को कहा। दादाजी खाट पर आराम करने लगे। थोडी देर बाद मैं भी सीमा चाची के साथ जमीन पर चटाई पर लेट गए। दादाजी को ठीक से नींद नही आ रही थी। थोड़ी देर बाद चाची ने मेरे सर के ऊपर से आँचल ओढ़ लिया और मुझे वो अपना दूध पिलाने लगी। खाट पर लेटे दादाजी ये सब देख रहे थे। उनको ये सब अजीब लग रहा था।
शाम को चाचा काम से घर आया। सब नाश्ता करके हॉल में टीव्ही देखने लगे। तब दादाजी जमीन पर सीमा चाची के पास ही बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद चाची ने उनको कहा,
"आओ ससुरजी आपको सुला देती हूँ। "
दादाजी शरमा रहे थे पर चाची ने उनका हाथ पकड़कर उनको उसकी गोद मे सुला दिया। दादाजी का चेहरा अब सीमा चाची के स्तनों के काफी नजदीक था। उसके भरे हुए स्तन देखकर उनके मुँह में पानी आ गया। चाची उन्हें बच्चे की तरह सुलाने लगी। उसके एक स्तन से पल्लू हट गया था और वो उनको सुलाते समय उनके मुँह पर हल्के से घिस भी रहा था। इससे दादाजी का चेहरा शरम से लाल हुआ था। पर चाची ने उसपर ध्यान नही दिया। वो टीव्ही देखने मे दंग हो गयी थी। कुछ देर बाद दादाजी का शरमाना कम हो गया। अब उनका मुँह सीमा चाची के स्तन पर बारी बारी घिस रहा था। एक बार तो उन्होंने वो स्तन कुछ देर के लिए अपने मुँह में भी ले लिया था। पर सीमा चाची ने उनपर डाँट नही लगाई। ये सब देखकर मेरा लंड खड़ा हो रहा था। चाचा की नजर टीव्ही पर टिकी हुई थी इसका फायदा उठाकर में अपने लंड को पैंट के ऊपर से ही सहला रहा था।
रात में खाना खाने के बाद हम फिर से टीव्ही देख रहे थे। अब दादाजी खाट पर लेटे थे पर उनको नींद नही आयीं थी। सीमा चाची जमीन पर बैठी थी और में उसकी गोद मे सोया हुआ था। चाचा सोफे पर बैठा हुआ था। बोलते बोलते ही सीमा चाची ने चाचा को बता दिया ,
"सुनते हो जी। शाम को ना ससुरजी को सुला रही थी तो मेरे एक स्तन से दूध पिघलने लगा। लगता है मेरे स्तनों में दूध बढ़ गया है।"
चाचा ने कहा,
"ये तो होना ही था सीमा। राजू कितना दूध पीता है रोज!"
"हा जी। जबसे उसे दूध पिलाना शुरू किया है मेरा दूध बढ़ रहा है। "
थोड़ी देर बाद मैंने सिमा चाची का पल्लू थोड़ा हटा दिया और इसके स्तन को ब्लाऊज के ऊपर से ही मुँह में लेकर चूसने लगा। सीमा चाची को शुरुवात में ये मेरी कोई बचकानी हरकत लग रही थी। पर मैं बहुत देर तक उसके स्तन को चूस रहा था। फिर मैं बीच बीच उसके स्तन पर अपना मुँह घिसने लगा। और फिर और जोर से वो स्तन चूसने लगा। चाची मेरी यह हरकत देखकर हँसते हुए बोली,
"क्या कर रहा है राजू। बहुत नॉटी हो गया है। देखो तो जरा !"
चाचा ने भी मेरे कारनामे देखे और उसे हँसते हुए बोला,
"सचमे सीमा। बहुत नॉटी हो रहा है हमारा राजू। जल्दी उसकी शादी करनी चाहिये।"
मैं बहुत देर तक ऐसे ही चाची के स्तन के साथ खेल रहा था। फिर चाची मेरे सर के ऊपर से आँचल ओढक़र मुझे स्तनपान करने लगी।
सुबह उठने के बाद चाचा नाश्ता जल्दी करके काम पर चला गया। थोड़ी देर बाद मैं भी चाची और दादाजी के साथ नाश्ता करने लगा। सीमा चाची ने आज पिंक साड़ी और सफेद ब्लाऊज पहना था। दादाजी ने चाय के साथ बहुत कम नाश्ता किया। यह देखकर चाची उनको बोली,
"मैं आपको सुप पिलाती हूँ ससुरजी।"
चाची का नाश्ता करके होते ही उसने दादाजी के एक बाउल में सुप लाया और जमीन पर बैठते हुए उनको बोली,
"आओ ससुरजी आपको चमच से पिलाती हूँ।"
दादाजी चुपचाप उसकी गोद मे लेट गए। उसका भरा हुआ मुम्मा इतने नजदीक से देखने पर उनके मुँह से पानी आना शुरू हो गया। सीमा चाची बाउल जमीन से उठाने के लिए थोड़ी झुक गयी तो उसका स्तन दादाजी के मुँह पर घिस गया। उनका मुँह पहले से ही खुला था इसलिए वो स्तन पूरा ही उनके मुँहमें चला गया। दादाजी में कल शाम की तरह स्तन को चूसा। चाची ने बाउल उठाते ही देखा कि उसका स्तन अभी भी दादाजी के मुँह में है। वो तो स्तन छोड़ने को तैयार नही थे। सीमा चाची हँस पड़ी,
"चलो सुप पी लो।"
उसने उनके मुँह से अपना स्तन निकाल लिया और उनको चमच से सुप पिलाने लगी। थोड़ी देर बाद दादाजी का सूप पीकर होते ही उसने बाउल को जमीन पर रखकर अपने पल्लू से उनका मुँह पोछ लिया। ये करते समय उसे ध्यान में आ गया कि उसके ससुर ने चूसे हुए जगह पर ब्लाऊज गिला हो गया है। दादाजी ने भी यह देखा। सीमा चाची उनको बोली,
"ये स्तनों से ना बारबार दूध आता रहता है। अब तो ब्लाऊज भी गिला हो गया। राजू को जल्दी दूध पिलाना होगा।"
उसने दादाजी को हॉल में सोफे पर बिठा दिया । फिर उसने उनके ही सामने जमीन पर बैठकर मुझे गोद मे सुला दिया और वो तुरंत मुझे अपना दूध पिलाने लगी। दूध पीते वक्त में चूसने की आवाज कर रहा था। सीमा चाची को इससे तकलीफ हो रही थी पर अच्छा भी लग रहा था। वो हँसते हुए बीच बीच अपनी आँखे भी बंद कर रही थी। दादाजी यह सब देखते ही रह गए।
दोपहर को खाना खाते समय दादाजी सीमा चाची के स्तनों को बार बार देख रहे थे। चाची ने जानबूझकर उसके एक स्तन से पल्लू थोड़ा हटा दिया था। एक घण्टे बाद हम हॉल में आराम करने लगे। दादाजी खाट पर सो गए । मैं और चाची जमीन पर बिस्तर पर लेट गए थे। चाची ने गरमी होने के कारण साड़ी चेंज कर के मैक्सी पहन ली थी। वो मेरे तरफ मुँह करके मुझे अपने पास लेकर सुला रही थी। थोडी देर बाद मैं उसके स्तनों के साथ खेलने लगा। उसके दोनों मुम्मो को हाथ से हल्के से दबा रहा था। वो मेरी हरकत देखकर हँसने लगी। अब में मेरा मुँह उसके स्तनों पर घिसने लगा। थोडी देर बाद सीमा चाची ने मुझे डाँटा,
"बंद कर ये हरकत। दूध पी ले अब चुपचाप।"
उसने मैक्सी के बटन खोल दिये और उसका एक रसभरा स्तन बाहर निकाल कर वो मुझे दूध पिलाने लगी। खाट पर लेटे दादाजी को उसका बाहर निकल हुआ स्तन अब साफ साफ दिख रहा था कियूंकि चाची का मुँह उनके तरफ ही था। चाची ने अपना स्तन दो उंगलियों से मेरे मुँह में पकड़ रखा था। वो मुझे लगभग 20 मिनट स्तनपान कर रही थी। फिर मैं उसकी बाहों में ही सो गया।
रात में दादाजी ने बहुत ही कम खाना खाया इसलिए चाचा चाची परेशान हो गए। दादाजी सुप पीने के लिए भी तैयार नही थे। इसलिए सीमा चाची उनको बोली,
"आपको आज से दूध पिलाना ही पड़ेगा।"
दादाजी यह सुनकर शरमाने लगे पर चाचा ने उनको समझाया,
"डॉक्टर ने भी कहा है ना कि आपको दूध पीने से राहत मिलेगी। अब तो आपकी बहु खुद आपको स्तनपान कर रही है । मान जाओ ना पिताजी।"
दादाजी थोडी देर बाद बोले,
"अब तुम कह रहे हो तो पीता हूँ।"
यह सुनकर सीमा चाची खुश हो गयी। थोड़ी ही देर बाद उसने सब के लिए बिस्तर लगा दिया। चाचा खाट पर सो गया । मैं सोफे पर सो गया। चाची बत्ती बुझाकर दादाजी के बगल में सो गई फिर उनको अपने पास लेकर छोटे बच्चे की तरह सुलाने लगी। चाची ने फिर से उनको पूछा,
"आपको दूध पिलाऊँ ना ससुरजी ?"
"हा सीमा बहु।"
चाची ने हँसते हुए उसके मैक्सी के बटन खोल दिये और फिर एक स्तन बाहर निकालकर वो उनको अपना दूध पिलाने लगी। ससुरजी ने स्तनपान करना शुरू करते ही चाची का शरीर रोमांचित हो उठा। उसने अपना स्तन उंगलियों से दादाजी के मुँह में पकड़ रखा था और उसे बीच बीच मे दबा रही थी ताकि उनको दूध पीने में आसानी हो। दूसरे हाथ से वो उनकी पीठ भी थपथपा रही थी। मुझे नींद बहुत आ रही थी इसलिए इसके आगे क्या हुआ यह मैं देख ना पाया। पर सुबह जब सीमा चाची उठ गई तब उसने अपने मैक्सी के बटन वापस लगा लिए और अपने ससुर को स्तनपान करने की खुशी उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी।