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Adultery Ek Ajib Gav

Aabhi123

Member
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Update 8

मेरे दादाजी शराब बहुत पीते थे। जब से गाँव रहने आये थे तब से वो रात में शराब पीते ही थे। इसकी वजह से वो रात का खाना भी बहुत कम खाते थे। अब उनको गाँव आये हुए सिर्फ 4 दिन ही हो चुके थे पर उनकी तबियत तो बिगड़ती ही जा रही थी। चाचा और चाची को उनकी यह हालत देखकर बहुत तकलीफ होती थी। उस दिन शाम को चाचा काम से घर आया तब चाची ने उसे कहा,
"मैं उनको कल ही डॉक्टर के पास लेकर जाती हूँ। उनकी शराब छुड़ानी चाहिए ।"
"ठीक है सीमा।"
दूसरे दिन सुबह 10 बजे सीमा चाची और मैं दादाजी को लेकर गाँव के एकमेव डॉक्टर के क्लिनिक में गए। क्लिनिक में भीड़ नही थी कियूंकि आज सोमवार था। हमारा नंबर जल्द ही लग गया। हम दादाजी को अंदर लेकर गए। डॉक्टर में हमे बैठने को कहा और दादाजी का चेकअप करना शुरू किया। डॉक्टर बहुत बुढ़ा था। 70 का होगा। इस कारण उसे अनुभव की कुछ कमी नही थी। वो हमारे गाँव मे लगभग 40 साल से रहता था। इसलिए सबको अच्छी तरह से पहचानता था। उसकी मदद करने के लिए उसकी बहु भी क्लिनिक में आती थीं । वो भी डॉक्टर बन गयी थी। हालांकि उसे क्लिनिक में काम किये कुछ 2-3 साल ही हुए थे। उसका पति भी डॉक्टर था पर वो शहर में अपना खुद का क्लिनिक चलाता था। इसलिए डॉक्टर गाँव मे अपनी बहु के साथ अकेला ही रहता था। डॉक्टर मेरे दादाजी का चेकअप कर रहे थे तब उनकी बहू बाजू में खड़ी रहकर उनको मदद कर रही थी। उसने व्हाइट एप्रन के अंदर एक पीले रंग की साड़ी और ब्लाऊज पहना था। डॉक्टर ने चेकअप करने के बाद उनको कुछ दवाई दी। फिर उन्होंने सीमा चाची को कहा,
"बहु होने के नाते अब तुम ही उनकी देखभाल कर सकती हो। "
दादाजी ने कहा,
"वो मेरा अच्छा खयाल रखती है।"
"अच्छी बात है। नही तो आजकल बहुएं इतना ध्यान देती नही है। बहुत पुराने समय मे बहुएं ही अपने ससुर पर ध्यान रखती थी। उनके बुढ़ापे में उनको अपना बच्चा ही मानती थी। अगर ससुर बहुत बुढ़ा हो तो कुछ बहुएँ उसे स्तनपान भी करती थी।"
सीमा चाची मुस्कुराते हुए बोली,
"सच मे वो बहुएँ बहुत अच्छी थी। "
डॉक्टर की बहू भी हँस रही थी। वो बोली,
" ये सब पुराने जमाने मे चलता था। पर अब ये सब को पाप लगेगा।"
डॉक्टर बोले,
"बूढ़े आदमी की सेवा करने में कैसा पाप?"
सीमा चाची ने कहा,
"में तो राजू को रोज स्तनपान करती हूँ।"
डॉक्टर ने अचंभित होकर पूछा,
"सच मे सीमा? ये तो बहुत अच्छी बात है। तो अगर तुम्हारे ससुर की तबियत बहुत बिगड़ गयी तो उसे भी पिला सकती हो।"
ये सुनकर दादाजी शरमा रहे थे। डॉक्टर की बहू उनको समझाते हुए बोली,
"इसमें कुछ बुराई नही है चाचा जी। मैं भी सोच रही हूँ की ससुरजी के सेहत के लिए उनको इस उम्र से स्तनपान करना शुरू कर दू। मैंने पम्प से दूध को प्रेरित करना भी शुरू किया है। इससे एक महीने में ही मेरे स्तनों में दूध आना शुरू होगा। "
डॉक्टर हँसते हुए बोले,
"मैं भी कभी कभी उसके स्तन चूसकर दूध प्रेरित करने में मदद कर रहा हूँ। "
सीमा चाची ने कहा,
"बहुत अच्छी बात है ये तो।"
थोड़ी देर बाद हम सब घर आ गए। सीमा चाची ने दोपहर को दादाजी को सुप बनाकर दिया। उनका सुप पीकर होते ही उनको दवाई भी दे दी। फिर उनको हॉल में सोने को कहा। दादाजी खाट पर आराम करने लगे। थोडी देर बाद मैं भी सीमा चाची के साथ जमीन पर चटाई पर लेट गए। दादाजी को ठीक से नींद नही आ रही थी। थोड़ी देर बाद चाची ने मेरे सर के ऊपर से आँचल ओढ़ लिया और मुझे वो अपना दूध पिलाने लगी। खाट पर लेटे दादाजी ये सब देख रहे थे। उनको ये सब अजीब लग रहा था।
शाम को चाचा काम से घर आया। सब नाश्ता करके हॉल में टीव्ही देखने लगे। तब दादाजी जमीन पर सीमा चाची के पास ही बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद चाची ने उनको कहा,
"आओ ससुरजी आपको सुला देती हूँ। "
दादाजी शरमा रहे थे पर चाची ने उनका हाथ पकड़कर उनको उसकी गोद मे सुला दिया। दादाजी का चेहरा अब सीमा चाची के स्तनों के काफी नजदीक था। उसके भरे हुए स्तन देखकर उनके मुँह में पानी आ गया। चाची उन्हें बच्चे की तरह सुलाने लगी। उसके एक स्तन से पल्लू हट गया था और वो उनको सुलाते समय उनके मुँह पर हल्के से घिस भी रहा था। इससे दादाजी का चेहरा शरम से लाल हुआ था। पर चाची ने उसपर ध्यान नही दिया। वो टीव्ही देखने मे दंग हो गयी थी। कुछ देर बाद दादाजी का शरमाना कम हो गया। अब उनका मुँह सीमा चाची के स्तन पर बारी बारी घिस रहा था। एक बार तो उन्होंने वो स्तन कुछ देर के लिए अपने मुँह में भी ले लिया था। पर सीमा चाची ने उनपर डाँट नही लगाई। ये सब देखकर मेरा लंड खड़ा हो रहा था। चाचा की नजर टीव्ही पर टिकी हुई थी इसका फायदा उठाकर में अपने लंड को पैंट के ऊपर से ही सहला रहा था।
रात में खाना खाने के बाद हम फिर से टीव्ही देख रहे थे। अब दादाजी खाट पर लेटे थे पर उनको नींद नही आयीं थी। सीमा चाची जमीन पर बैठी थी और में उसकी गोद मे सोया हुआ था। चाचा सोफे पर बैठा हुआ था। बोलते बोलते ही सीमा चाची ने चाचा को बता दिया ,
"सुनते हो जी। शाम को ना ससुरजी को सुला रही थी तो मेरे एक स्तन से दूध पिघलने लगा। लगता है मेरे स्तनों में दूध बढ़ गया है।"
चाचा ने कहा,
"ये तो होना ही था सीमा। राजू कितना दूध पीता है रोज!"
"हा जी। जबसे उसे दूध पिलाना शुरू किया है मेरा दूध बढ़ रहा है। "
थोड़ी देर बाद मैंने सिमा चाची का पल्लू थोड़ा हटा दिया और इसके स्तन को ब्लाऊज के ऊपर से ही मुँह में लेकर चूसने लगा। सीमा चाची को शुरुवात में ये मेरी कोई बचकानी हरकत लग रही थी। पर मैं बहुत देर तक उसके स्तन को चूस रहा था। फिर मैं बीच बीच उसके स्तन पर अपना मुँह घिसने लगा। और फिर और जोर से वो स्तन चूसने लगा। चाची मेरी यह हरकत देखकर हँसते हुए बोली,
"क्या कर रहा है राजू। बहुत नॉटी हो गया है। देखो तो जरा !"
चाचा ने भी मेरे कारनामे देखे और उसे हँसते हुए बोला,
"सचमे सीमा। बहुत नॉटी हो रहा है हमारा राजू। जल्दी उसकी शादी करनी चाहिये।"
मैं बहुत देर तक ऐसे ही चाची के स्तन के साथ खेल रहा था। फिर चाची मेरे सर के ऊपर से आँचल ओढक़र मुझे स्तनपान करने लगी।
सुबह उठने के बाद चाचा नाश्ता जल्दी करके काम पर चला गया। थोड़ी देर बाद मैं भी चाची और दादाजी के साथ नाश्ता करने लगा। सीमा चाची ने आज पिंक साड़ी और सफेद ब्लाऊज पहना था। दादाजी ने चाय के साथ बहुत कम नाश्ता किया। यह देखकर चाची उनको बोली,
"मैं आपको सुप पिलाती हूँ ससुरजी।"
चाची का नाश्ता करके होते ही उसने दादाजी के एक बाउल में सुप लाया और जमीन पर बैठते हुए उनको बोली,
"आओ ससुरजी आपको चमच से पिलाती हूँ।"
दादाजी चुपचाप उसकी गोद मे लेट गए। उसका भरा हुआ मुम्मा इतने नजदीक से देखने पर उनके मुँह से पानी आना शुरू हो गया। सीमा चाची बाउल जमीन से उठाने के लिए थोड़ी झुक गयी तो उसका स्तन दादाजी के मुँह पर घिस गया। उनका मुँह पहले से ही खुला था इसलिए वो स्तन पूरा ही उनके मुँहमें चला गया। दादाजी में कल शाम की तरह स्तन को चूसा। चाची ने बाउल उठाते ही देखा कि उसका स्तन अभी भी दादाजी के मुँह में है। वो तो स्तन छोड़ने को तैयार नही थे। सीमा चाची हँस पड़ी,
"चलो सुप पी लो।"
उसने उनके मुँह से अपना स्तन निकाल लिया और उनको चमच से सुप पिलाने लगी। थोड़ी देर बाद दादाजी का सूप पीकर होते ही उसने बाउल को जमीन पर रखकर अपने पल्लू से उनका मुँह पोछ लिया। ये करते समय उसे ध्यान में आ गया कि उसके ससुर ने चूसे हुए जगह पर ब्लाऊज गिला हो गया है। दादाजी ने भी यह देखा। सीमा चाची उनको बोली,
"ये स्तनों से ना बारबार दूध आता रहता है। अब तो ब्लाऊज भी गिला हो गया। राजू को जल्दी दूध पिलाना होगा।"
उसने दादाजी को हॉल में सोफे पर बिठा दिया । फिर उसने उनके ही सामने जमीन पर बैठकर मुझे गोद मे सुला दिया और वो तुरंत मुझे अपना दूध पिलाने लगी। दूध पीते वक्त में चूसने की आवाज कर रहा था। सीमा चाची को इससे तकलीफ हो रही थी पर अच्छा भी लग रहा था। वो हँसते हुए बीच बीच अपनी आँखे भी बंद कर रही थी। दादाजी यह सब देखते ही रह गए।
दोपहर को खाना खाते समय दादाजी सीमा चाची के स्तनों को बार बार देख रहे थे। चाची ने जानबूझकर उसके एक स्तन से पल्लू थोड़ा हटा दिया था। एक घण्टे बाद हम हॉल में आराम करने लगे। दादाजी खाट पर सो गए । मैं और चाची जमीन पर बिस्तर पर लेट गए थे। चाची ने गरमी होने के कारण साड़ी चेंज कर के मैक्सी पहन ली थी। वो मेरे तरफ मुँह करके मुझे अपने पास लेकर सुला रही थी। थोडी देर बाद मैं उसके स्तनों के साथ खेलने लगा। उसके दोनों मुम्मो को हाथ से हल्के से दबा रहा था। वो मेरी हरकत देखकर हँसने लगी। अब में मेरा मुँह उसके स्तनों पर घिसने लगा। थोडी देर बाद सीमा चाची ने मुझे डाँटा,
"बंद कर ये हरकत। दूध पी ले अब चुपचाप।"
उसने मैक्सी के बटन खोल दिये और उसका एक रसभरा स्तन बाहर निकाल कर वो मुझे दूध पिलाने लगी। खाट पर लेटे दादाजी को उसका बाहर निकल हुआ स्तन अब साफ साफ दिख रहा था कियूंकि चाची का मुँह उनके तरफ ही था। चाची ने अपना स्तन दो उंगलियों से मेरे मुँह में पकड़ रखा था। वो मुझे लगभग 20 मिनट स्तनपान कर रही थी। फिर मैं उसकी बाहों में ही सो गया।
रात में दादाजी ने बहुत ही कम खाना खाया इसलिए चाचा चाची परेशान हो गए। दादाजी सुप पीने के लिए भी तैयार नही थे। इसलिए सीमा चाची उनको बोली,
"आपको आज से दूध पिलाना ही पड़ेगा।"
दादाजी यह सुनकर शरमाने लगे पर चाचा ने उनको समझाया,
"डॉक्टर ने भी कहा है ना कि आपको दूध पीने से राहत मिलेगी। अब तो आपकी बहु खुद आपको स्तनपान कर रही है । मान जाओ ना पिताजी।"
दादाजी थोडी देर बाद बोले,
"अब तुम कह रहे हो तो पीता हूँ।"
यह सुनकर सीमा चाची खुश हो गयी। थोड़ी ही देर बाद उसने सब के लिए बिस्तर लगा दिया। चाचा खाट पर सो गया । मैं सोफे पर सो गया। चाची बत्ती बुझाकर दादाजी के बगल में सो गई फिर उनको अपने पास लेकर छोटे बच्चे की तरह सुलाने लगी। चाची ने फिर से उनको पूछा,
"आपको दूध पिलाऊँ ना ससुरजी ?"
"हा सीमा बहु।"
चाची ने हँसते हुए उसके मैक्सी के बटन खोल दिये और फिर एक स्तन बाहर निकालकर वो उनको अपना दूध पिलाने लगी। ससुरजी ने स्तनपान करना शुरू करते ही चाची का शरीर रोमांचित हो उठा। उसने अपना स्तन उंगलियों से दादाजी के मुँह में पकड़ रखा था और उसे बीच बीच मे दबा रही थी ताकि उनको दूध पीने में आसानी हो। दूसरे हाथ से वो उनकी पीठ भी थपथपा रही थी। मुझे नींद बहुत आ रही थी इसलिए इसके आगे क्या हुआ यह मैं देख ना पाया। पर सुबह जब सीमा चाची उठ गई तब उसने अपने मैक्सी के बटन वापस लगा लिए और अपने ससुर को स्तनपान करने की खुशी उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी।
Super update bro ... Added new characters also.... Let Raju also help doctor Bahu when grandpa is with Seema.... Keep grandpa update at afternoon and at night Raju and chacha enjoy Seema....
 

Nasn

Well-Known Member
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Update 7

वो बूढ़ा दूसरे दिन दोपहर के समय अपने गांव वापस जाने वाला था। तो सुबह उसका नहाना होते ही सीमा चाची ने उसे रसोइघर में अपनी गोद मे सुला दिया। उसने आज पिंक साड़ी और सफेद ब्लाऊज पहना था। चाचा ने अभी नाश्ता करना शुरू ही किया था। फिर सीमा चाची अपने पति के सामने ही उस बूढ़े को स्तनपान करने लगी। बूढ़ा बहुत धीरे धीरे दूध पी रहा था। उसके पीने से सीमा चाची को अपरम्पार सुख मिल रहा था। वो बीच बीच मे खुशी से अपनी आँखे बंद कर लेती थी। फिर आँखे खोलकर बूढ़े पर ध्यान देती थी। चाचा थोड़ी देर बाद काम पर चला गया। चाची उस बूढ़े को 20 मिनिट दूध पिला रही थी।
एक घँटे बाद जब वो बूढ़ा टीव्ही देख रहा था तब चाची हॉल में चली गई और उसने जमीन पर बैठ कर फिर उस बूढ़े को अपनी गोद मे लेटने को कह दिया। बूढ़ा उसकी गोद मे सोते ही उसने झट से उसके सर के ऊपर से आँचल ओढ़ लिया और उसे फिरसे स्तनपान करने लगीं।
"सारा दूध पी जा मेरे बच्चे। "
बुढ़ा आराम से दूध पीने लगा। घर का दरवाजा खुला ही था। पर चाची को कोई परवाह नही थी। 20 मिनिट तक वो उसे अपना दूध पिला रही थी।
दोपहर को खाना खाने के बाद वो बुढ़ा अपने गांव चला गया। अब घर मे मैं और सीमा चाची दोनों ही थे। शाम का वक्त होते ही चाची ने चाय बना ली। थोड़ा नाश्ता करने के बाद फिर हम दोनों टीव्ही देखने लगे। दरवाजा खुला ही था। थोड़ी देर बाद हमारी पड़ोसी सुमन चाची घर आई और सोफे पर बैठकर हमारे साथ टीव्ही देखने लगी। मैं सीमा चाची के साथ जमीन पर बैठा हुआ था। थोड़ी देर बाद चाची ने मुझे पुछा ,
"दूध पिलाऊँ क्या तुझे राजू? बहुत दिनों से पिया नही ना तुने ?"
मैं खुश हो गया और उसकी गोद मे लेट गया। उसके स्तन इतने करीब से देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया। सुमन चाची हमे उत्सुकता से देख रही थी। सीमा चाची ने अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर उसके ब्लाऊज के कुछ बटन खोल दिये । फिर मेरे सर के ऊपर से आँचल ओढक़र वो मुझे किसी बच्चे की तरह अपना दूध पिलाने लगी। मैं तो सातवें आसमान पर ही पहुच गया! उसका वो मुलायम स्तन चूसने का मजा ही कुछ और था! और उसका दूध बिलकुल अमृत जैसा लग रहा था। सुमन चाची चौककर बोली,
"यह क्या कर रही हो सीमा। राजू अब कितना बड़ा हो गया है। फिर भी स्तनपान करता है?"
सीमा चाची हँसते हुए बोली,
"तो क्या हुआ सुमन? बड़े लोग क्या स्तनपान नही करते? मेरे ससुरजी घर होते तो उनको भी मैं अपना दूध पिला देती। उनको शराब पीने की इतनी लत जो लग गई है। "
"यह क्या बोल रही हो? इतने बूढ़े आदमी को कोई स्तनपान करता है क्या?"
"अच्छा तो राजू को करती हूँ वो ठीक है ना?"
सुमन हँसते हुए बोली,
"चलो ठीक है। उसे स्तनपान अच्छा लगता है तो कोई बात नही। आखिर वो तुम्हारे बेटे जैसा ही है। "
सीमा चाची ने हँसते हुए कहा,
"सही कहा सुमन तुने।"
फिर उसने अपना ध्यान मुझे दूध पिलाने में लगा दिया।
रात को खाना खाने के बाद हम सब हॉल में बैठे थे। जमीन पर चाचा सीमा चाची के पास ही बैठा था। थोड़ी देर बाद चाची ने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे गोद मे लिटा दिया। और फिर थोड़ी देर बाद उसके सर के ऊपर से आँचल ओढक़र उसे स्तनपान भी करने लगी।
मेरे दादाजी शहर में रहते थे। पर अब वो हमेशा के लिए गांव आने वाले थे। दूसरे ही दिन वो घर आ गए। उनकी उम्र अब 82 हो गयी थी। वो बहुत शराब पीते थे। इसलिए उनकी तबियत भी खराब हो गयी थी। उस रात खाना खाने के बाद वो जल्दी सो गए। थोड़ी देर बाद हम सब भी सोने लगे। चाचा ने लाइट बंद कर दी और वो अपने कमरे में सोने गया। सीमा चाची मेरे तरफ पलट गई और मुझे सुलाने लगी। चाचा ने डिम लाइट चालू की थी इसलिए मुझे थोड़ा दिख रहा था। खटाई पर दादाजी खर्राटे मार रहे थे। इसलिए मुझे कोई परवाह नही थी। चाची ने पीले रंग का ब्लाऊज पहना था और उसमें वो बहुत सेक्सी दिखती है। मैंने उसके पल्लू के नीचे हाथ डाल दिया और उसके स्तन बारी बारी से दबाने शुरू किए। थोड़ी देर बाद मुझे रहा नही गया और मैंने उसका पल्लू थोड़ा हटा दिया और एक स्तन कपड़े के ऊपर से ही मुँह में लेकर चूसने लगा। मेरी ये हरकत देखकर चाची हँस पड़ी और बोली ,
"बहुत नॉटी हो गया है तू। जल्दी शादी करनी चाहिए तेरी।"
मैं अब उसके दोनों स्तन बारी बारी से
मुँह में लेकर चूसने लगा। मैं 5 मिनट तक उसके स्तनों के साथ खेल रहा था। फिर वो मुझे बोली,
"रुक जा । देती हूँ तुझे।"

और वो ब्लाऊज एक साइड से ऊपर करके मुझे किसी बच्चे की तरह स्तनपान करने लगी। मैं वो स्तन चूस रहा था और उसका बाया स्तन एक हाथ से ब्लाऊज के ऊपर से ही दबा रहा था। शायद सीमा चाची को यह अच्छा लग रहा था और उसने मेरा हाथ उसके बाए स्तन से हटाया नही। मैं वो ऐसेही हल्के से दबाता रहा। और उसका दूध भी धीरे धीरे पी रहा था। 10 मिनट बाद उसका स्तन खाली होने पर वो उसे ढक रही थी पर मैंने कहा,
"उसे खुला ही छोड़ दो। बहुत मजा आ रहा है।"
"नादान मत बन राजू। सिर्फ दूध पी ले। "
पर उसने उसे खुला ही रख दिया और अपना बाया स्तन भी बाहर निकल दिया। मैंने अब उसका दाहिना स्तन मेरे हाथ मे लिया और उसे मसलने लगा।
"क्या कर रहे हो राजू? दूदू पीओ न चुपचाप।"
मैं उसके कहने पर उसका दूसरा स्तन चूसने लगा पर एक हाथ से बाया स्तन दबाता ही रहा। बीच बीच में उस स्तन का निपल दो उंगलियो में लेकर उसे हल्के से निचोड़ रहा था। निचोड़ते ही सीमा चाची के शरीर का शरीर काँप रहा था। इसके साथ ही मैं उसका दूसरा स्तन लगातार चूस ही रहा था। उसके चेहरे के ऊपर के भाव से मुझे यह अंदाजा आ रहा था की वो कितनी उत्तेजित हो रही थी। वो साँसे भी बहुत जोर जोर से ले रही थी। उसके मजे लेते हुए और 10 मिनट यूही कैसे चले गए इसका मुझे पता ही नही चला। सीमा चाची अपने ब्लाऊज के बटन लगाने लगी और,
"चलो बहुत खेल लिया तूने। अब सो जाओ।"
उसने ब्लाऊज के बटन लगा लेते ही मैं अपना सर उसके स्तनों के बीच रख कर सो गया। वो भी मेरे कंधे पर हाथ रखकर सो गई।
सुबह मैं जल्दी उठकर मॉर्निंग वॉक के लिए गार्डन में चला गया। सिर्फ 5 बजे हुए थे और कुछ वयस्क लोग भी गार्डन के जॉगिंग ट्रैक पर जॉगिंग कर रहे थे। मैं भी उनके पीछे पीछे दौड़ने लगा। ट्रैक बहुत बड़ा था। और एक राउंड के लिए 5 मिनट तक लग जाते थे। ऐसे मैंने 20 राउंड लगाए। आखिर में इतना थक गया कि थोड़ी देर बेंच पर बैठकर अपनी सास धीमी होने की राह देखने लगा। बहुत पसीना भी आ गया था। फिर चलते चलते घर वापस आ गया और अच्छे से नहा लिया। सीमा चाची और चाचा ने पहिले ही नहा लिया था। पर दादाजी बहुत देर तक सोते है। चाचा जल्दी नाश्ता करके काम पर चला गया और अब मैं चाची के साथ नाश्ता कर रहा था। उसने आज पूरी नीली रंग की साड़ी और ब्लाऊज पहना था। किउंकि आसपास कोई नही था मैं उसके स्तनों को बड़े बेशरमी से घूर रहा था। वो भी मेरे घूरने से उत्तेजित हुई लग रही थी। हम दोनों का नाश्ता होते ही वो दो डिश लेकर जमीन से उठ गई और उन्हें बेसिन में धोने लगी। थोड़ी देर बाद मैं भी उठ गया और उसके बाजू से हाथ धो लिए। उसके सुडौल स्तन देखकर मुझे रहा नही गया और मैं अपना एक हाथ उसके पल्लू के नीचे डालकर उसके एक स्तन को मसलने लगा। वो डर गयी,
"क्या कर रहे हो राजू? ससुरजी देख लेंगे ना।"
"अभी सोए है वो।"
"उनका कुछ ठीक नही। कब भी उठ सकते है।"
"कुछ नही होता चाची।"
"चुप कर। बहुत नॉटी हो गया है अब।"
"थोड़ी देर दबाने दो ना चाची।"
"अच्छा ठीक है।"
मुझे दादाजी के पैर दिख रहे थे। वो अभी तक हॉल में पलँग पर सो रहे थे। सीमा चाची ने धोए हुए डिश जगह पर रख दिये थे और वो अब काउंटरटॉप को चिपककर खड़ी थी। मैं उसके पास गया और फिरसे उसके पल्लू के नीचे हाथ डालकर उसके दोनों स्तनों को मसलने लगा। मैं उसी वक्त हॉल की तरफ अपनी आँखें जमाये रखा था। मेरे कारनामे से सीमा चाची उत्तेजित हो रही थी। मुझे शक था कि चाचा ऐसा कुछ करता नही था। मैंने अचानक से उसके बाए स्तन का निप्पल अपनी उँगलियों में लेकर निचोड़ दिया। वो काँपने लगी।
"कैसा लग रहा है चाची।"
"अच्छा लग रहा है। "
अब मैं बारी बारी से उसके दोनों निपल्स को निचोड़ने लगा। लगातार ऐसे करते रहने पर वो इतनी उत्तेजित हो गयी कि उसे बहुत तेजी से साँसे लेनी पड़ी रह थी।
"रुक जा राजू ! और नही सह सकती ये। अभी तुझे स्तनपान करने का बहुत मन हो रहा है। ससुरजी देख भी ले तो मुझे कुछ फर्क नही पड़ता। "
मैं खुश हो गया और मैंने उसके निपल्स निचोड़ना बंद कर दिया। उसने हॉल की तरफ़ देखकर दादाजी अभी भी सो रहे है इसकी पुष्टि कर ली। फिर उसने मेरा हाथ पकड़कर मुझे उसके साथ जमीन पर बिठा कर मुझे गोद मे लिटा दिया। मैंने उसके स्तनों को निहारा तो पाया की उसके निप्पल्स बहुत उठ गए थे और ब्लाऊज के भीतर से भी अच्छे से दिख रहे थे. सीमा चाची ने तुरन्त उसके ब्लाऊज के निचले बटन खोल दिए और उसका एक भरा हुआ स्तन मेरे मुँह में घुसाकर मुझे वो स्तनपान करने लगी। उसने मेरा सर ढक लिया था पर मुझे दिख रहा था की वो बारी बारी से हॉल की तरफ देख रही थी। मैं बहुत धीरे धीरे उसके मुम्मे का मजा ले रहा था। सीमा चाची ने मुझे ताना मारा,
"बच्चे हो क्या अभी। कितने धीरे धीरे पी रहे हो। थोड़ा जल्दी करो तो।"
उसके कहने पर मैं थोड़ी जोर से दूध चूसने लगा। चाची को इसे अच्छा लग रहा था। मेरा लवडा भी फूल गया था।
ऐसेही 5-6 मिनिट कैसे निकल गए वो पता ही नही चला। सीमा चाची मुझे दूध पिलाने में इतनी दंग हो गयी थी कि उसका ध्यान हॉल के ऊपर से हट गया था। इसीलिए जब दादाजी अपनी आँखे मसलते हुए अचानक से जब रसोइघर में आ गए तब सीमा चाची बहकते हुए झटके से मेरे मुँह से उसका स्तन निकाल लिया और मेरे सर से पल्लू भी हटा दिया। दादाजी की आँखे ठीक से खुली नही थी पर मुझे ऐसे बच्चे की तरह चाची के गोद मे लेटा हुआ पा कर उनको बहुत आश्चर्य हुआ।
"क्या कर रही हो बहु?"
"कुछ नही ससुरजी। राजू को ऐसे मेरे गोद मे सोने की आदत है बस। "
दादाजी को ये बहाना झूट नही लगा इसलिए वो चुपचाप दरवाजे से नहाने गए। सीमा चाची ने मुझे डाटा,
"देखा राजू, अब तेरे दादाजी ने तुझे दूध पीते देख लिया होता तो क्या होता?"
मैने हँसते हुए कहा,
"देखा तो नही ना। चलो मुझे बचा हुआ दूध पिला दो। उनको नहा कर आने में बहुत टाइम लगेगा।"

चाची गुस्से में थी पर फिर भी उसने मेरे सर के ऊपर से फिर से आँचल ओढ़ लिया और मुझे स्तनपान करने लगी।
गज़ब स्टोरी है भाई...
सीमा चाची को तो दूध की
फैक्ट्री खोल लेनी चाहिए

पहले बच्चा पति बूढ़ा अंकल के बाद ससुर और फिर अपने सगे बाप को भी
दूध पिलाये....☺️☺️
 
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seemachachi

Aunty boob lover
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Update 9

सुबह रसोईघरमें नाश्ता करते समय सीमा चाची ने दादाजी को बताया,
"आपको थोड़ा सुप पीना है। फिर आपको दूध पिला दूँगी।"
मेरे दादाजी खुश लग रहे थे।
सबका नाश्ता होते ही चाची ने अपने ससुरजी को गोद मे लिटा दिया। उसने आज पीले रंग की साड़ी और मैचिंग ब्लाऊज पहना था। पर दादाजी को गोद मे सुलाते ही उसने अपना पल्लू पूरा हटा दिया। दादाजी उसके स्तनों को देखते ही रह गए। सीमा चाची ने उनको कहा,
"अब रोजाना आपको मेरा दूध पिलाना पड़ेगा इसलिए मैने नर्सिंग ब्रा पहना है। इससे स्तनपान करने में मुझे आसानी होगी।"
उसने यह कहते हुए अपने ब्लाऊज के सभी बटन खोल दिये और ब्लाऊज पूरा उतार कर बाजू में रख दिया। अब तो हम सब उसके स्तनों को घूर रहे थे। उसका सफेद नर्सिंग ब्रा बहुत कामुक था। सिमा चाची ने हँसते हुए अपने बाए स्तन का हुक खोलकर निप्पल और एरोला खुला कर दिया। बाकी स्तन ढका ही रह गया। फिर वो दादाजी को किसी बच्चे की तरह अपना दूध पिलाने लगी। अपने पिताजी को इस तरह से दूध पीते देख चाचा मुस्कुरा रहा था। थोड़ी देर बाद वो काम पर चला गया। मैं बेवकुफ के तरह चाची के सामने ही खड़ा था। सीमा चाची ने मुझे डाँट दिया,
"ऐसे क्यों खड़े हो राजू? चलो हॉल में जाओ।"
मैं उदास होकर हॉल में चला गया। चाची अब उसका स्तन उँगलियों में पकड़कर दबा रही थी ताकि दादाजी को पीने में आसानी हो। दादाजीको भी कौनसी जल्दी थी? वो तो बहुत ही धीरे धीरे पी रहे थे। यह देखकर सीमा चाची खुश हो गयी। मुझे और उनको रोज पिला पिलाकर अब उसके स्तन में दूध की मात्रा भी बढ़ गयी थी। इसीलिए ही वो दादाजी को बहुत देर तक पिला रही थी।
दोपहर को चाचा खाना खाने के लिए घर आया था।खाना होते ही सब हॉल में आराम करने लगे। चाचा खाटपर लेट गया था । मैं भी सोफेपर सो गया। सीमा चाची दादाजी के साथ जमीनपे चटाईपर लेट गई। चाची दोपहर को हमेशा मैक्सी पहनती थी। आज भी उसने खाना खाने के बाद सफेद रंग की मैक्सी पहन ली थी। दादाजी ऐसेही छत की तरफ देख रहे थे तो सीमा चाचीने हँसते हुए उनको अपनी तरफ पलट लिया और उनको अपनी बाहोंमे ले लिया। दादाजी का सर अब सुजाता चाची के दोनों स्तनों के बीच दबा हुआ था। वो अब उनकी पीठ थपथपाकर उनको सुलाने लगी। पर उनको इतनी आसानी से नींद थोड़ी आने वाली थी। थोड़ी देर बाद सीमा चाची ने हँसते हुए उन्हें पूछा ,
"आपको दूध पिलाती हूँ ताकि आपको अच्छी नींद आ जाएं।"
दादाजी खुश हो गए। चाची ने तुरंत अपने मैक्सी के बटन खोल दिये और अपना एक मुम्मा बाहर निकालकर उनको अपना दूध पिलाने लगी। ऊपर खाट से चाचा यह देखकर हँस रहा था। उनकी पत्नी ने उसके पिता को ऐसे बच्चा बनाकर रख दिया था। वो बहुत खुश दिख रहा था किउंकि उसकी पत्नी उनका इसी तरह अच्छा खयाल जो रख रही थी। उसके पिताजी बिलकुल किसी छोटे बच्चे की तरह ही स्तनपान कर रहे थे। सीमा चाची ने दो उँगलियों से अपना स्तन उनके मुँह में पकड़ कर रखा था। बीच बीच मे वो उनके पीठ पर से हाथ भी फेर रही थी। इसी तरह से चाची दादाजी को बहुत देर तक दूध पिला रही थी।
शाम को मैं सीमा चाची और दादाजी के साथ पार्क में गया था। रविवार नही था इसलिए पार्क में बहुत भीड़ नही थी। ज्यादातर मध्यम वयस्क महिलाएं ही घूमने आयी थी। पार्क बहुत बड़ा था इसलिए थोड़ा घूमने के बाद हम तीनों एक सीट पर बैठ गए। अब रात होने को आ रही थी इसलिए बहुत अंधेरा भी था। हम अब पार्क के बहुत अंदर वाले इलाके में थे। अब लोग घर वापस जा रहे थे। जबकि हम पार्क में बहुत अंदर थे इसलिए हमारे तरफ अब कोई आने वाला नही था। दादाजी थक गए थे यह देखकर सीमा चाची ने उनको पूछा,
"क्या आपको दूध पिला दूँ ?"
दादाजी शर्माते हुए बोले,
"किसीने देख लिया तो बहुत बुरा होगा."
चाचीने उनको हँसते हुए कहा ,
"कोई नही देखता है ससुरजी । चलो आओ इधर। " यह कहते हुए उसने अपने पल्लू के निचे हाथ डालकर ब्लाउज के कुछ बटन खोल दिये। यह देखकर दादाजी को रहा नही गया और वो तुरंत अपने बहू के गोद मे सर रखकर सो गए। सीमा चाचीने हँसते हुए उनके सर के ऊपर से पल्लू ओढ़ लिया औए उनको स्तनपान करने लगी। मुझे लगा था कि दादाजी डर के मारे बहुत ही कम दूध पी जाएंगे। पर लगभग 10 मिनिट हो गए फिर भी वो अभीतक दूध पी ही रहे थे। चाची को तो समय की कुछ परवाह ही नही थी। पर ना जाने किधर से हमारे पड़ोस की सुमती चाची उधर टपक पड़ी। हमारा नसीब अच्छा था क्योंकि उसे दादाजी के बारे में पहले से ही पता था । सीमा को स्तनपान करते देख वो मुस्कुराई और सामने वाली सीट पर बैठ गयी।
सीमा चाची भी हँसते हुए उसे बोली,
"थोड़ी ही देर रुक जाओ। ससुरजी का दूध पीकर हो जाएगा। फिर साथ मे घर जाते है । "
"ठीक है सीमा।"
चाची और थोड़ी देर दादाजी को दूध पिला रही थी।
उनका दूध पीकर होने के बाद चाची ने ब्लाउज के बटन लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया। सुमती चाची ने कहा,
"एक बात कहूँ सीमा?"
"बोलो ना सुमती।"
"मुझे भी तेरे ससुरजी को दूध पिलाना है। मेरे ससुरजी को पटाने में समय लगेगा।"
यह सुनकर सीमा चाची हँस पड़ी,
"यह बात है ? तो फिर आज रात हमारे घर सोने आजाओ ना । "
"ठीक है । आती हूँ आज रात ।"
उस रात खाना खाने के बाद सुमती चाची हमारे घर आ गयी। उसने ब्लैक कलर की मैक्सी पहनी थी। हम बत्ती बुझाकर सोने लगे। सीमा चाची ने दादाजी को उसके और सुमती के बीच सोने को कहा था। सीमा चाची ने भी सफेद मैक्सी पहन ली थी। चाचा खाट पर सो गया था। मैं सीमा चाची के दूसरी तरफ सो गया। उसके दूसरी तरफ सुमती चाची ने मेरे दादाजी को अपने करीब ले लिया और उनको सुलाने लगी। पर उनको नींद नही आ रही थी । सीमा चाची हँसकर बोली,
"पिला दे ना उनको अब।"
यह सुनकर सुमती चाची मैक्सी के बटन खोलकर मेरे दादाजी को स्तनपान करने लगी। सुमती चाची खुश दिख रही थी। सीमा चाची मुस्कुराते हुए मेरी तरफ पलट गई और फिर मुझे भी करीब लेकर दूध पिलाने लगी।
 
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