Update 10
सुबह सुमती चाची जल्दी उठकर उसके घर चली गयी। नहाकर और नाश्ता करने के बाद उसने मुझे उसके घर बुलाया था। सीमा चाची ने नहाकर आज पिंक साड़ी और सफेद ब्लाउज पहना था। दादाजी और चाचा का भी नहाकर होगया तब सबने रसोईघर में नाश्ता किया। थोड़ी देर बाद चाचा काम पर चला गया। मैं भी पड़ोसी घर जाने के लिए उठा। सीमा चाची ने हँसते हुए दादाजी को पास बुलाकर अपनी गोद मे सुला दिया। उसके स्तन इतने करीब से देखकर दादाजी ले मुँह में हमेशा की तरह पानी आ गया। मुस्कुराते हुए चाची ने अपना पल्लू पूरा हटा दिया और ब्लाउज के सभी बटन भी खोल दिये। अंदर उसने सफेद नर्सिंग ब्रा पहनी थी। अब तो दादाजी बहुत उतावले हो गए थे। सीमा चाची के बाल खुले थे और बार बार सामने आ रहे थे इसलिए उसने वो ठीक से पीछे बांध लिए। उसमे थोड़ा समय बीत गया। उसकी गोद मे लेटे दादाजी को अब रहा नही जा रहा था। इसलिए वो जब अपने बाल ठीक कर रही थी तब दादाजी ने उसका एक मुम्मा ब्रा के ऊपर से ही मुँह में लेकर चूसने की कोशिश की। उनकी यह हरकत देखकर सीमा चाची ने उनको ताना मारा,
"इतनी भूख लगी है आपको? और नाश्ता कर लेते तो आपको ये परेशानी नही होती।"
दादाजी बोले,
"तुम मुझे दूध पिलाने वाली थी इसलिए मैंने ज्यादा नाश्ता नही किया। "
"ये बात आपने सही कही ससुरजी।"
"मुझे ससुरजी मत कहो। अपना बच्चा कहकर बुलाओ ।"
"ठीक है मेरे बच्चे । आजसे आपको बच्चा कहकर बुलाऊंगी।"
"पिलाओ ना जल्दी अब।"
चाची ने हँसते हुए अपने नर्सिंग ब्रा का बाए वाला स्ट्रैप खोल दिया और वो दादाजी को किसी बच्चे की तरह स्तनपान करने लगी। दादाजी भी लपककर दूध पीने लगे। चाची का हँसना बंद हो गया और वो अब उनको सिर्फ दूध पिलाने में ही दंग हो गयी। दूध पिलाते पिलाते वो बीच बीच मे उनके पेट पर हाथ फिरा रही थी उसी हाथ की दो उंगलियों से अपना मुम्मा भी उनके मुँह में पकड़कर उसे हल्के से पिंच कर रही थी जिससे दूध भी आसानी से आ सके। रसोईघर का पिछला दरवाजा भी खुला ही था। पर सीमा चाची को इसकी कोई परवाह नही थी। यह नजारा देखकर तो मेरी पैंट फूल गयी थी। मैं वैसेही पड़ोस सुमती चाची के घर चला गया।
सुमती चाची और उसके ससुरजी का नहा धोकर और नाश्ता हो चुका था । आज सुमती चाची ने ब्लैक साड़ी और ब्लाउज पहना था। अंदर का सफेद ब्रा मुझे साफ दिख रहा था। पैंट में मेरा लंड फिरसे मचलने लगा। उसने खुशी से मुझे हॉल में टीव्ही देखने को कहा और थोड़ी देर बाद वो खुद भी मेरे बगल में जमीन पर बैठ गयी। उसके ससुर पेहले से ही सोफे पर आराम से बैठे टीव्ही पर मूवी देख रहे थे। हम दोनों भी अब टीव्ही देखने मे दंग हो गए। थोड़ी देर बाद सुमती चाची ने मुझे हँसते हुए पूछा,
"दूध पिओगे राजू?"
मैं इसीका इन्तेजार कर रहा था। मैंने तुरंत हा कर दी।
"लेट जा मेरी गोद मे ।"
मैं उसकी गोद मे सर रखकर लेट गया। बाजुमें सोफे पर बैठे हुए उसके ससुरजी ये सब देख रहे थे। सुमती चाची ने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाउज के कुछ बटन खोल दिये। फिर मेरे सर के ऊपर से आँचल ओढ़कर वो मुझे अपना दूध पिलाने लगी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उसका दूध सुजाता चाची के दूध से थोड़ा अलग था । सुजाता चाची का दूध बहुत मीठा लगता था पर सुमती चाची का दूध थोड़ा खट्टा लग रहा था। मुझे दोंनों स्वाद अच्छे लगते थे। मेरा लंड भी उठ गया था। शायद सुमती चाची ने भी मेरी फूली हुई पैंट देख ली। पर उसने कुछ कहा नही। इतने बड़े लड़के को स्तनपान करते देख उसके ससुरजी ने अचंभित होकर कहा,
"क्या कर रही हो बहू? राजू कितना बड़ा हो गया है। उसे इस तरह स्तनपान करना जरूरी नही है अभी।"
इसपर सुमती चाची ने हँसते हुए कहा,
"पर राजू को अभी भी स्तनपान करने की आदत है। और मुझे भी स्तनपान करने में मजा आता है।"
"पर उसे कुछ जरूरत नही है। वो अब तन्दरुस्त है।"
"हा ससुरजी । पर उसे आदत है तो क्या करूँ? "
थोड़ी देर विचार करने के बाद वो बोली,
"पर आप तो उम्र ज्यादा होने के कारण बीमार रहते हो। अगर आप मेरा दूध पी जाएंगे तो आपकी सेहत सुधर जाएगी।"
ये सुनकर उसके ससुरजी शरमा गए,
"पर मैं तो बूढ़ा हो गया अब। मुझे किसीने स्तनपान करते देखा तो ताने सुनने पड़ेंगे।"
सुमती हँसते हुए बोली,
"इसमें कोई शरमाने की बात नही। सीमा अपने ससुरजी को पिलाती है। और ये बात डॉक्टर को भी पता है। उन्होंने तो उनको रोजाना दूध पिलाने को कहा है। "
"क्या बात कर रही हो बहू ? सचमे सीमा भी अपने ससुरजी को स्तनपान करती है?"
"हा ससुरजी । बिलकुल सच बात है।"
"मेरा तो विश्वास नही हो रहा।"
"आज शाम आपको डॉक्टर के पास जाना है ना? फिर उनको ही पूछ लेते है।"
शरमाते हुए वो बूढ़ा मान गया। सुमती चाची फिर मुझे दूध पिलाने में दंग हो गयी।
शाम के समय सुमती चाची और उसके ससुरजी के साथ मैं भी डॉक्टर के क्लिनिक में गया। थोड़ी देर बैठने के बाद उनका नंबर आ गया। उस बूढ़े डॉक्टर ने सुमती के ससुरजी को चेक किया और फिर उनको सामने बैठने को कहा।
"इनकी बतीयत थोड़ी कमजोर है। "
सुमती चाची ने कहा,
"आप कुछ दवाई दे दो फिर।"
"उनको दवाई की नही सेहतमंद खाने की जरूरत है। उनको फल और दूध का अधिक सेवन करना चाहिए। "
"उनके तो दांत भी गिर रहे है तो मैं उनको पतला खाना ही देती हूँ।"
"बहुत अच्छी बात है सुमती।"
थोड़ी देर विचार करने के बाद सुमती ने पूछा ,
"क्या मैं उनको स्तनपान कर सकती हूँ? आपके कहने पर सीमा तो अपने ससुर को रोजाना दूध पिलाती है।"
डॉक्टर ये सुनकर बहुत ही खुश हो गए।
"बहुत अच्छा ख्याल रखती है सीमा उनका। मैंने भी अपने बहू का दूध पीना शुरू किया है।" वो बाजुमें खड़ी उसके बहू की तरफ इशारा करते हुए बोले।"
उनकी बहू भी हँसने लगी।
"मैं तो इनको हर दो दो घँटो बाद स्तनपान करती हूँ।"
ये सुनकर सुमती के ससुरजी चौक गए।
"मुझे विश्वास नही हो रहा इसपर डॉक्टर ।"
वो बूढ़ा डॉक्टर हँस पड़ा ।
"आपको दूध पीकर दिखता हु फिर आपको विश्वास होगा। "
उसने खुद कुर्सी पर बैठे हुए ही अपने बहू को पास बुला लिया। उनकी बहू ने उसके पास खड़े रहकर ही अपने सलवार कमीज के बटन खोल दिये और अपने दाहिने मुम्मे को बाहर निकाल लिया। बूढ़े डॉक्टर ने तुरंत उस मुम्मे को चूसना शुरू किया। सुमती के ससुर को अपनी आँखों पर विश्वास नही हो रहा था। डॉक्टर के बहु ने अपने ससुर को दूध पिलाते वक्त उनके कंधे पर हाथ रखा था और वो बूढ़ा लपककर दूध पिये जा रहा था। मेरा तो लंड तुरंत खड़ा हो गया। 10 मिनट बाद उसका दूध पीकर हो गया। उसके बहू ने अपना मुम्मा फिरसे अंदर डाल दिया। बूढ़े डॉक्टर ने अपना मुँह पोछ लिया और सुमती के ससुर को कहा,
"मजा आ गया। पर बहु का दूध बाकी है । आप भी पीकर देखो। "
सुमती के ससुर नही नही बोल रहे थे। फिर भी डॉक्टर की बहू ने एक सीट पर बैठकर उनको अपनी गोद मे सुला दिया और अपना बाया स्तन बाहर निकालकर उन्हें हम सबके सामने ही स्तनपान करना शुरू किया। सुमती का ससुर पेहले तो मना कर रहा था पर थोड़ी ही देर में खुदसे ही छोटे बच्चे की तरह दूध पीने लगा। डॉक्टर के बहु ने उनका सर ढका नही था। उसका स्तन देखकर मेरा लंड बहुत खड़ा हो गया था। मैं टेबल के नीचे अपने लवड़े को पैंट के ऊपर से ही मसलने लगा। डॉक्टर की बहु ने उसका बचा हुआ दूध उस बूढ़े को पिला दिया फिर उनका मुह अपनी ओढ़नी से पोछ लिया और अपने कमीज के बटन लगा लिए।
डॉक्टर ने उसे पूछा,
"कैसा लगा आपको ?"
सुमती के ससुर ने जवाब दिया,
"बहुत स्वादिष्ट था।"
"अब आप भी रोजाना अपनी बहू का दूध पीना शुरू करो।"
"ठीक है डॉक्टर जी। अब मेरा विश्वास हो गया है।"