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Romance Ek Duje ke Vaaste..

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Update 40



अक्षिता अपनी दवाइयाँ खरीदने के बाद गहरी सोच में डूबी हुई हॉस्पिटल से बाहर निकली, वो सड़क पर इधर-उधर देखती हुई चल रही थी, लेकिन उसका मन कहीं और था

वो चलते चलते रुकी जब उसने देखा कि एकांश कार पर टिका हुआ उसकी ओर ही देख रहा था और वो ठीक उसी जगह खड़ा था जहा उसने मॉल के सामने उसे छोड़ा था

वो घबरा गई क्योंकि जब उसने तो एकांश बताया था कि वो शॉपिंग करने आई है तो अगर उसने पूछ लिया कि वो दूसरी दिशा से क्यों आ रही है फिर वो क्या जवाब देगी, और यही सब सोचते हुए वो एकांश के सामने आकर खड़ी हो गई

लेकिन एकांश ने कुछ नहीं कहा, उसने बस उसे कार में बैठने का इशारा किया, तभी उसका फोन बजने लगा, उसने कार का दरवाज़ा बंद किया और फोन पर बात करने लगा...

इस दौरान अक्षिता बस उसे देखती रही, वो क्या बात कर रहा था सुन तो नहीं पाई लेकिन उसने उसके हाव-भाव देखे, फ़ोन पर बात करते वक्त एकांश थोड़ा टेंशन में था लेकिन बीच-बीच में उसके चेहरे के भाव नरम पड़ गए और आखिरकार उसके चेहरे पर कुछ डिटरमिनेशन वाले भाव आ गए

अपनी बात खत्म करने के बाद एकांश चुपचाप कार में बैठ गया और गाड़ी चलाने लगा, एक तरफ अक्षिता घबराई हुई थी कि जब वो उससे पूछेगा कि वो कहाँ थी या उसने क्या खरीदा तो वो क्या कहेगी, दूसरी तरफ एकांश ऐसे शांत था जैसे वो कार में मौजूद ही न हो

गाड़ी खामोशी से चल रही थी जिसे एकांश के फोन की रिंगटोन ने तोड़ा एकांश ने अपने फोन की तरफ देखा, लेकिन जवाब देने की जहमत नहीं उठाई, लेकिन फिर से उसका फोन बज उठा, जिससे अक्षिता के माथे पर बल पड़ गए, क्योंकि इस बार एकांश ने फोन की तरफ देखा तक नहीं

जब तीसरी बार फोन बजा तो अक्षिता फोन पर नज़र डाली जो उसकी सीट के पास सॉकेट में रखा था उसने नाम देखा तो पाया के फोन एकांश को मां का था जिसे वो रिसीव नही कर रहा था वही अक्षिता उलझन में थी के वो अपनी मां का फोन क्यों नहीं उठा रहा है

"तुम्हारा फ़ोन बज रहा है" अक्षिता ने कहा

"पता है" एकांश ने रास्ते पर ध्यान देते हुए कहा

"तो फिर रिसीव करो"

एकांश ने एक नज़र अक्षिता को देखा और फिर रोड की ओर देखने लगा

"एकांश तुम्हारी मां का कॉल है" अक्षिता ने एकांश को देखते हुए कहा

"जानता हु" एकांश ने कहा

"तो फिर इसका जवाब क्यों नहीं देते?"

लेकिन एकांश चुप रहा

"एकांश ?"

"मैं गाड़ी चलाते समय बात नहीं करना चाहता, घर पहुंचने पर कॉल कर लूंगा"

एकांश ने कह तो दिया लेकिन अक्षिता समझ गई थी के कुछ तो गड़बड़ है, वो एकांश को अच्छी तरह जानती थी और ये भी जानती थी के वो अपनी मां से बहुत प्यार करता है और वो उनके बेहद करीब भी है और वो कही भी कार रोक कर उनसे बात कर सकता था लेकिन उसने ऐसा नही किया साफ समझ आ रहा था के वो अपनी मां के कॉल को अनदेखा कर रहा था

******

कार रुकी तो अक्षिता को अचानक अपनी सोच से बाहर आई, उसने इधर-उधर देखा और एकांश को देखने लगी जो कार से बाहर निकल रहा था, वह उसके पास आया और उसने उसकी तरफ का दरवाज़ा खोला

"आओ कुछ खा लेते है" एकांश ने अक्षिता से कहा जो कार में बैठी हुई उसे देख रही थी

"हम तो घर ही जा रहे हैं ना वही खा लेंगे" अक्षिता ने सामने के आलीशान रेस्टोरेंट को देखते हुए कहा

"मुझे बहुत भूख लगी है अक्षिता प्लीज आ जाओ" एकांश ने कहा

"ठीक है" कहते हुए अक्षिता भी कार से बाहर निकली

वे उस रेस्तरां में गए जो किसी 5 स्टार होटल से कम नहीं था

"मैंने इस जगह के हिसाब से कपड़े नहीं पहने हैं।" अक्षिता ने वहा मौजूद दूसरी लड़कियों की तरफ देखते हुए कहा और एकांश ने चलते हुए रुककर रेस्टोरेंट में मौजूद दूसरी लड़कियों को देखा फिर उसने अक्षिता और उसकी ड्रेस को देखा

"क्यों क्या हुआ?" एकांश ने उलझन में पूछा

"यह ऐसे पॉश रेस्तरां के लिए ठीक नहीं है" अक्षिता ने धीमे से

"देखो अक्षिता..... कपड़ों को लेकर ऐसा कोई नियम नहीं है कि सिर्फ़ ऐसे ही कपड़े पहनने चाहिए, wearing revealing clothes doesn't make them posh or elegant it's one's attitude and decency that makes them look presentable" एकांश ने अक्षिता की आँखों में देखते हुए कहा वही अक्षिता कुछ नही बोली बस उसे देखती रही

"और मेरे लिए तो तुम एकदम... परफेक्ट हो।" एकांश ने अक्षिता को ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा

वही अक्षिता अपने चेहरे पर आई शर्म छिपाने दूसरी तरफ देखने लगी लेकिन उसके चेहरे पर एक स्माइल दी जिसे देख एकांश के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई

वो अंदर जाने लगे और एकांश ने अक्षिता का हाथ पकड़ा और उसे अपने पास खींच लिया, अक्षिता हैरान होकर उसे देखती रही, जबकि वो चलते हुए बस आगे की ओर देख रहा था..

"गुड मॉर्निंग सर।" मैनेजर ने एकांश का स्वागत करते हुए कहा

"मॉर्निंग..... हमें पूल साइड में एक टेबल चाहिए" एकांश ने कहा

"श्योर सर..... मेरे साथ आइए।" उसने कहा और वे दोनो उसके पीछे चले गए

"तुमने पहले ही टेबल रिजर्व करा लिया है?" अक्षिता ने एकांश ने पूछा

"मुझे कोई रिजर्वेशन कराने की जरूरत नहीं है" एकांश ने कहा

"हा... बेशक... अमीर लोग" अक्षिता ने बुदबुदाते हुए कहा लेकिन एकांश ने सुन लिया

"मैंने सुना तुमने क्या कहा"

"अच्छा.." अक्षिता ने कहा और मासूमियत से उसकी ओर मुस्कुराई जिसके बाद एकांश कुछ नही बोला

मैनेजर ने उन्हें टेबल दिखाया और वे इधर-उधर देखने लगे एक वेटर वहा आया और उन्हें मेन्यू कार्ड थमा दिया अक्षिता को मेन्यू में लंबी लिस्ट देखकर समझ नहीं आया कि क्या ऑर्डर करें, इसलिए उसने अपनी पसंदीदा डिश ऑर्डर कर दी और एकांश ने भी वही डिश ऑर्डर की...

"पानी ज्यादा ठंडा नहीं होना चाहिए..... नॉर्मल वाटर" एकांश ने वेटर से कहा

वेटर ने अपना सिर हिलाया और उनका ऑर्डर लाने चला गया

"बाहर बहुत गर्मी है, तुमने ठंडा पानी क्यों नहीं मंगवाया?" अक्षिता ने पूछा

"बस यूंही मुझे ठंडा पानी पीने की इच्छा नहीं थी इसीलिए "

अक्षिता पूल की ओर देख रही थी वही एकांश उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था

"You like it here?" एकांश ने पूछा

"Yeah..... It's beautiful" अक्षिता मुस्कुराते हुए कहा

जल्द ही उनका ऑर्डर आ गया और दोनो के दिमाग में इस वक्त कई खयाल चल रहे थे इसीलिए दोनो में से कोई ज्यादा बात नहीं कर रहा था और दोनो अभी खाना खा ही रहे थे के तभी

"हेलो मिस्टर रघुवंशी"

उन्होंने किसी की आवाज सुनी और ऊपर देखा तो स्कर्ट और टॉप पहने एक लड़की खड़ी थी जिसने अभी अभी एकांश को आवाज दी थी

"ओह! हेलो, मिस सक्सेना" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

अक्षिता ने उस लड़की की तरफ देखा जो मुस्कुरा रही थी और एकांश को सेडेक्टिव नजरों से देख रही थी

"It's been a long time" उस लड़की ने कहा

"Yeah..."

"Why don't we hang out sometime?" उसने एकांश से पूछा और अक्षिता ने अपना जबड़ा कस लिया और उसे नहीं पता कि ये जलन थी या गुस्से की वजह से था लेकिन उसे अब ये एहसास हुआ कि अब उसका एकांश पर कोई अधिकार नहीं था और वह जिसके साथ चाहे रह सकता था और ये खयाल आया ही उसने अपनी नजरे प्लेट को और कर ली

एकांश ने अक्षिता की ओर देखा जो चुपचाप अपनी प्लेट की ओर देख रही थी

"मिस सक्सेना... We'll talk later when we meet again.. अभी मैं थोड़ा व्यस्त हु" एकांश ने पूरी विनम्रता से कहने की कोशिश की क्युकी वो उसकी क्लाइंट भी थी

"ओह, वैसे ये कौन है?" उसने अक्षिता की ओर देखते हुए पूछा

अक्षिता ने चुपचाप उसकी ओर देखा और फिर एकांश की ओर

"मेरी गर्लफ्रेंड..." एकांश ने दोनों लड़कियों को चौंकाते हुए एकदम से कहा

अक्षिता बस उसे चकित नजरो से देखती रही, जबकि वो लड़की अविश्वास भरी नज़रों से पहले एकांश को और फिर अक्षिता को देख रही थी

"Oh we are on a date... Will you please excuse us?" एकांश ने पूछा

"Umm..... Yeah..... Of course" इतना कह कर वो लड़की वहा से निकल गई

एकांश ने अक्षिता की ओर देखा जो उसकी ओर ही देख रही थी लेकिन उसने चुप रहना ही ठीक समझ

"एकांश ?"

"हम्म" एकांश ने खाना खाते हुए कहा

"तुमने अभी अभी क्या किया?"

"मैंने क्या किया? मैं तो बस खाना खा रहा हूँ" एकांश ने आराम से कहा

"नहीं, मेरा मतलब वही है जो तुमने अभी कहा?"

"किस बारे में?"

"तुमने उससे ये क्यों कहा कि मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूँ?" अक्षिता ने झल्लाकर पूछा

"म्म्म्म्म्म्म..... यहा का खाना काफी टेस्टी है यार" एकांश ने अक्षिता के सवाल को इग्नोर करते हुए कहा

"एकांश."

"क्या?"

अक्षिता घूर के एकांश को देखने लगी

"ठीक है ठीक है..... मैंने उससे छुटकारा पाने के लिए ऐसा कहा था.. अब खुश"

वैसे तो अक्षिता इस जवाब से संतुष्ट नही थी लेकिन उसने फिलहाल इस बात को नजरअंदाज कर दिया


खाना खत्म करने के बाद उन्होंने बिल चुकाया और रेस्टोरेंट से बाहर चले गए दोनों कुछ देर तक चुपचाप बैठे रहे लेकिन अक्षिता के पास पूछने के लिए कई सवाल थे...

"एकांश "

"हा?"

"तुमने उसे क्यों रिजेक्ट कर दिया?" अक्षिता ने धीमे से पूछा

"रिजेक्ट? किसे?"

"उस दिन जो लड़की तुम्हारे पास आई थी और जिसने तुम्हें प्रपोज किया था...... तुमने उसे क्यों मना कर दिया?" अक्षिता ने पूछा

"क्योंकि मैं उसके लिए वैसा फील नहीं करता" एकांश ने सीरियस टोन में कहा

"क्यों?" इस बार अक्षिता ने एकांश की ओर देखते हुए पूछा

एकांश ने स्टीयरिंग व्हील को कसकर पकड़ लिया और खुद को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगा

"वो सुंदर है, इंडिपेंडेंट है और सबसे जरूरी बात यह है कि वह तुमसे प्यार करती है तुम्हें खुश होना चाहिए कि वह तुम्हें चाहती है" अक्षिता सभी बातो को जोड़ते हुए कहा

एकांश की आंखें नम हो गईं जब उसने अक्षिता की ओर देखा, ऐसा लग रहा था जैसे वह खुद की तुलना अमृता से कर रही हो

"हो सकता, लेकिन मुझे वह पसंद भी नहीं है" एकांश ने कहा।

" लेकिन..... "

"शशश......ज्यादा मत सोचो.. बस अपनी आँखें बंद करो और कुछ देर आराम करो" एकांश ने धीरे से कहा

अक्षिता अपनी आँखें बंद करके अपनी सीट पर पीछे झुक गई.. एकांश ने उसकी तरफ देखा और सोचा कि शायद अमृता वाली की घटना ने उसे उससे ज़्यादा प्रभावित किया है जितना उसने सोचा था क्योंकि वो अभी भी इसे नहीं भूली थी

कुछ ही देर में अक्षिता अपनी सीट पर सो गई और एकांश समय-समय पर उसे देखता रहा, वो घर पहुंचे और एकांश उसे उसके कमरे में ले गया, ताकि उसकी नींद में खलल न पड़े.. उसने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके माथे को चूमा..

"Be strong अक्षू..... I love you"

क्रमश:
बहुत बढ़िया
 
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