“मेरा छूटने वाला है” राज ने बताया… उसकी नसों मे तनाव बढ़
गया था..
“हां छोड़ दो अपना पानी मेरी चूत मे ऊहह हाआँ भर दो मेरी चूत
को ” उस औरत ने कहा.. और राज ने दो तीन धक्के मार अपने वीर्य की
पिचकारी से उस औरत की चूत भर दी..
तभी उसकी मा ने अपनी टाँगे वापस खींच ली और फिर घोड़ी बन
चादर के इस तरफ अपनी कमर तक का हिस्सा कर दिया..
“अब मेरी चूत मे लंड घुसाओ राज में जानती हूं तुम्हारा लंड बहुत
जल्दी वापस खड़ा हो जाता है” उसकी मम्मी ने कहा..
राज ने अपने ढीले लंड को अपनी मा की चूत पर घिसा और उसे अंदर
घुसा दिया.. वो अपने लंड का खड़ा होने का इंतेज़ार करने लगा..
“तुम्हारी चूत को मेरे मुँह के आगे करो जिससे में तुम्हारी चूत
से बहते इसके रस को चाट सकू” उसकी मम्मी ने अपनी सहेली से
कहा.. तभी पलंग की दूसरी ओर थोड़ी हलचल हुई और
उसे ’सपर’ ’सपर’ की आवाज़ सुनाई पड़ने लगी..
अपनी मा को किसी दूसरी औरत की चूत चूस्ते देख राज के बदन मे
उतेज्ना दौड़ गई और उसका लंड तुरंत खड़ा हो गया.. वो अब अपने
खड़े लंड को अंदर बाहर करने लगा..
राज जोश मे भरते हुए धक्के मार रहा था और साथ ही नीचे से
अपनी दो उंगली अपने लंड के साथ अपनी मम्मी की चूत के अंदर बाहर
कर रहा था… थोड़ी ही देर मे उसके लंड ने एक बार फिर पानी छोड़
दिया…
वसुंधरा ने एक बार अपने शरीर को चादर के उस तरफ से इस तरफ
कर लिया जिससे उसकी देवरानी उसकी चूत को चूस राज के लंड के वीर्य
का स्वाद चख सके जिस तरह उसने चखा था..
दोनो औरतों अपने खेल मे मशगूल गयी…
“उम्मीद है तुम दोनो मुझे नही भूली होंगी?” राज ने अपने मुरझाए
लंड को सहलाते हुए पूछा.
“अरे तुम्हे कैसे भूल सकती है.. अभी तो तुम्हे मेरी सहेली की गंद
मे अपना इतना मूसल लंड घुसाना है” उसकी मम्मी ने चादर की दूसरी
ओर से कहा..
“पहले नई चूत फिर नई गंद मुझे तो खुशी होगी” राज ने जवाब
दिया.
“अपने लंड को ज़रा अछी तरह चिकना कर लेना जिससे मेरी सहेली को
कोई तकलीफ़ ना हो” उसकी मा ने कहा और एक बार फिर चादर के उस ओर
से टाँगे इस तरफ आने लगी..
राज ने साइड मे पड़ी ट्यूब से थोड़ी क्रीम उठाई और अपने लंड पर
क्रीम मलने लगा… उसका लंड एक बार फिर तन कर खड़ा हो चुका
था… उसने अपने लंड को घोड़ी हुई टाँगो के बीच रख उस गंद के
छेद पर लगा दिया.. फिर राज ने थोड़ी क्रीम अपनी उंगलियों मे ले उस
उस गंद के छेद मे मल दी.. और अपनी उंगली गंद के अंदर घुसा उसे
चिकना करने लगा…
राज को जब लगा कि वो गंद अछी तरह चिकनी और चौड़ा गयी है तो
उसने अपनी उंगली निकाल अपना लंड गंद के छेद पर लगाया और उसे
अंदर घुसाने लगा… वो औरत दर्द से कराह उठी..
युवर आड़ हियर
“ऑश मर गयी.. थोड़ी धीरे ऑश आअहह प्लीज़ धीरे”
राज और प्यार से और धीरे से अपने लंड को उस गंद मे घुसाने
लगा.. कसी गंद उसे बहोत अछी लग रही थी.. वो उसके कुल्हों को
पकड़ अपने लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर घुसाने लगा… थोड़ी ही देर मे
उस औरत की गंद उसके लंड की मोटाई और लंबाई की आदि हो गयी तो वो औरत
अपने कुल्हों को पीछे कर उसके लंड को अपनी गंद के और अंदर तक
लेने लगी..
“ओ ये अब अपने मूसल लंड से मेरी गंद मार रहा है.. ऑश कितना
अछा लग रहा है.. ” उसने उस औरत को अपनी मा से कहते
सुना… “मुझे विश्वास नही हो रहा कि इतना मोटा और लंबा लंड मेरी
गंद मे इतनी गहराई तक भी घुस सकता है.”
गया था..
“हां छोड़ दो अपना पानी मेरी चूत मे ऊहह हाआँ भर दो मेरी चूत
को ” उस औरत ने कहा.. और राज ने दो तीन धक्के मार अपने वीर्य की
पिचकारी से उस औरत की चूत भर दी..
तभी उसकी मा ने अपनी टाँगे वापस खींच ली और फिर घोड़ी बन
चादर के इस तरफ अपनी कमर तक का हिस्सा कर दिया..
“अब मेरी चूत मे लंड घुसाओ राज में जानती हूं तुम्हारा लंड बहुत
जल्दी वापस खड़ा हो जाता है” उसकी मम्मी ने कहा..
राज ने अपने ढीले लंड को अपनी मा की चूत पर घिसा और उसे अंदर
घुसा दिया.. वो अपने लंड का खड़ा होने का इंतेज़ार करने लगा..
“तुम्हारी चूत को मेरे मुँह के आगे करो जिससे में तुम्हारी चूत
से बहते इसके रस को चाट सकू” उसकी मम्मी ने अपनी सहेली से
कहा.. तभी पलंग की दूसरी ओर थोड़ी हलचल हुई और
उसे ’सपर’ ’सपर’ की आवाज़ सुनाई पड़ने लगी..
अपनी मा को किसी दूसरी औरत की चूत चूस्ते देख राज के बदन मे
उतेज्ना दौड़ गई और उसका लंड तुरंत खड़ा हो गया.. वो अब अपने
खड़े लंड को अंदर बाहर करने लगा..
राज जोश मे भरते हुए धक्के मार रहा था और साथ ही नीचे से
अपनी दो उंगली अपने लंड के साथ अपनी मम्मी की चूत के अंदर बाहर
कर रहा था… थोड़ी ही देर मे उसके लंड ने एक बार फिर पानी छोड़
दिया…
वसुंधरा ने एक बार अपने शरीर को चादर के उस तरफ से इस तरफ
कर लिया जिससे उसकी देवरानी उसकी चूत को चूस राज के लंड के वीर्य
का स्वाद चख सके जिस तरह उसने चखा था..
दोनो औरतों अपने खेल मे मशगूल गयी…
“उम्मीद है तुम दोनो मुझे नही भूली होंगी?” राज ने अपने मुरझाए
लंड को सहलाते हुए पूछा.
“अरे तुम्हे कैसे भूल सकती है.. अभी तो तुम्हे मेरी सहेली की गंद
मे अपना इतना मूसल लंड घुसाना है” उसकी मम्मी ने चादर की दूसरी
ओर से कहा..
“पहले नई चूत फिर नई गंद मुझे तो खुशी होगी” राज ने जवाब
दिया.
“अपने लंड को ज़रा अछी तरह चिकना कर लेना जिससे मेरी सहेली को
कोई तकलीफ़ ना हो” उसकी मा ने कहा और एक बार फिर चादर के उस ओर
से टाँगे इस तरफ आने लगी..
राज ने साइड मे पड़ी ट्यूब से थोड़ी क्रीम उठाई और अपने लंड पर
क्रीम मलने लगा… उसका लंड एक बार फिर तन कर खड़ा हो चुका
था… उसने अपने लंड को घोड़ी हुई टाँगो के बीच रख उस गंद के
छेद पर लगा दिया.. फिर राज ने थोड़ी क्रीम अपनी उंगलियों मे ले उस
उस गंद के छेद मे मल दी.. और अपनी उंगली गंद के अंदर घुसा उसे
चिकना करने लगा…
राज को जब लगा कि वो गंद अछी तरह चिकनी और चौड़ा गयी है तो
उसने अपनी उंगली निकाल अपना लंड गंद के छेद पर लगाया और उसे
अंदर घुसाने लगा… वो औरत दर्द से कराह उठी..
युवर आड़ हियर
“ऑश मर गयी.. थोड़ी धीरे ऑश आअहह प्लीज़ धीरे”
राज और प्यार से और धीरे से अपने लंड को उस गंद मे घुसाने
लगा.. कसी गंद उसे बहोत अछी लग रही थी.. वो उसके कुल्हों को
पकड़ अपने लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर घुसाने लगा… थोड़ी ही देर मे
उस औरत की गंद उसके लंड की मोटाई और लंबाई की आदि हो गयी तो वो औरत
अपने कुल्हों को पीछे कर उसके लंड को अपनी गंद के और अंदर तक
लेने लगी..
“ओ ये अब अपने मूसल लंड से मेरी गंद मार रहा है.. ऑश कितना
अछा लग रहा है.. ” उसने उस औरत को अपनी मा से कहते
सुना… “मुझे विश्वास नही हो रहा कि इतना मोटा और लंबा लंड मेरी
गंद मे इतनी गहराई तक भी घुस सकता है.”