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Adultery lusty family

imranlust

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“मेरा छूटने वाला है” राज ने बताया… उसकी नसों मे तनाव बढ़

गया था..


“हां छोड़ दो अपना पानी मेरी चूत मे ऊहह हाआँ भर दो मेरी चूत

को ” उस औरत ने कहा.. और राज ने दो तीन धक्के मार अपने वीर्य की

पिचकारी से उस औरत की चूत भर दी..


तभी उसकी मा ने अपनी टाँगे वापस खींच ली और फिर घोड़ी बन

चादर के इस तरफ अपनी कमर तक का हिस्सा कर दिया..


“अब मेरी चूत मे लंड घुसाओ राज में जानती हूं तुम्हारा लंड बहुत

जल्दी वापस खड़ा हो जाता है” उसकी मम्मी ने कहा..


राज ने अपने ढीले लंड को अपनी मा की चूत पर घिसा और उसे अंदर

घुसा दिया.. वो अपने लंड का खड़ा होने का इंतेज़ार करने लगा..


“तुम्हारी चूत को मेरे मुँह के आगे करो जिससे में तुम्हारी चूत

से बहते इसके रस को चाट सकू” उसकी मम्मी ने अपनी सहेली से

कहा.. तभी पलंग की दूसरी ओर थोड़ी हलचल हुई और

उसे ’सपर’ ’सपर’ की आवाज़ सुनाई पड़ने लगी..


अपनी मा को किसी दूसरी औरत की चूत चूस्ते देख राज के बदन मे

उतेज्ना दौड़ गई और उसका लंड तुरंत खड़ा हो गया.. वो अब अपने

खड़े लंड को अंदर बाहर करने लगा..


राज जोश मे भरते हुए धक्के मार रहा था और साथ ही नीचे से

अपनी दो उंगली अपने लंड के साथ अपनी मम्मी की चूत के अंदर बाहर

कर रहा था… थोड़ी ही देर मे उसके लंड ने एक बार फिर पानी छोड़

दिया…


वसुंधरा ने एक बार अपने शरीर को चादर के उस तरफ से इस तरफ

कर लिया जिससे उसकी देवरानी उसकी चूत को चूस राज के लंड के वीर्य

का स्वाद चख सके जिस तरह उसने चखा था..

दोनो औरतों अपने खेल मे मशगूल गयी…


“उम्मीद है तुम दोनो मुझे नही भूली होंगी?” राज ने अपने मुरझाए

लंड को सहलाते हुए पूछा.


“अरे तुम्हे कैसे भूल सकती है.. अभी तो तुम्हे मेरी सहेली की गंद

मे अपना इतना मूसल लंड घुसाना है” उसकी मम्मी ने चादर की दूसरी

ओर से कहा..


“पहले नई चूत फिर नई गंद मुझे तो खुशी होगी” राज ने जवाब

दिया.


“अपने लंड को ज़रा अछी तरह चिकना कर लेना जिससे मेरी सहेली को

कोई तकलीफ़ ना हो” उसकी मा ने कहा और एक बार फिर चादर के उस ओर

से टाँगे इस तरफ आने लगी..


राज ने साइड मे पड़ी ट्यूब से थोड़ी क्रीम उठाई और अपने लंड पर

क्रीम मलने लगा… उसका लंड एक बार फिर तन कर खड़ा हो चुका

था… उसने अपने लंड को घोड़ी हुई टाँगो के बीच रख उस गंद के

छेद पर लगा दिया.. फिर राज ने थोड़ी क्रीम अपनी उंगलियों मे ले उस

उस गंद के छेद मे मल दी.. और अपनी उंगली गंद के अंदर घुसा उसे

चिकना करने लगा…


राज को जब लगा कि वो गंद अछी तरह चिकनी और चौड़ा गयी है तो

उसने अपनी उंगली निकाल अपना लंड गंद के छेद पर लगाया और उसे

अंदर घुसाने लगा… वो औरत दर्द से कराह उठी..

युवर आड़ हियर


“ऑश मर गयी.. थोड़ी धीरे ऑश आअहह प्लीज़ धीरे”


राज और प्यार से और धीरे से अपने लंड को उस गंद मे घुसाने

लगा.. कसी गंद उसे बहोत अछी लग रही थी.. वो उसके कुल्हों को

पकड़ अपने लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर घुसाने लगा… थोड़ी ही देर मे

उस औरत की गंद उसके लंड की मोटाई और लंबाई की आदि हो गयी तो वो औरत

अपने कुल्हों को पीछे कर उसके लंड को अपनी गंद के और अंदर तक

लेने लगी..


“ओ ये अब अपने मूसल लंड से मेरी गंद मार रहा है.. ऑश कितना

अछा लग रहा है.. ” उसने उस औरत को अपनी मा से कहते

सुना… “मुझे विश्वास नही हो रहा कि इतना मोटा और लंबा लंड मेरी

गंद मे इतनी गहराई तक भी घुस सकता है.”
 
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राज और ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को उसकी गंद के अंदर बाहर करने लगा

और साथ ही उसने नीचे से अपनी दो उंगली उसकी चूत मे घुसा दी और

गंद के साथ साथ उसकी चूत को अपनी उंगली से चोदने लगा…


“ऑश हाआँ इसी तरह मेरी चूत को चोदो ओ हाआँ और ज़ोर से मेरी

गंद मे लंड घुसा दो.. ऑश मुझसे सहन नही हो रहा है… में

तो गयी.. ”


राज अपने लंड के साथ साथ और तेज़ी से उसकी चूत को अपनी उंगली से

और उसकी गंद को अपने लंड से चोदने लगा.. साथ ही वो उसकी चूत को

मसल्ते जा रहा था… और तभी उस औरत की गंद ने जैसे उसके

लंड को जाकड़ लिया और तभी उसके लंड ने आज तीसरी बार पानी छोड़

दिया… और साथ ही उसकी उसकी चूत भी झड़ने लगी…


उस औरत का बदन सुस्त पड़ गया और उसने अपने आप को चादर के उस

ओर वापस खींच लिया..


“शुक्रिया राज हम फिर इसी तरह किसी नए खेल के लिए मिलेंगे” उसकी

मा ने चादर के उस ओर से कहा और दोनो औरत अपने कपड़े पहनने

लगी..


“हां क्यों नही में तुमसे नेट पर बात करूँगा” राज ने अपनी मम्मी

को जवाब दिया”


* * * * * * * * * * *


प्रीति ने अपनी लीखी हुई ईमेल के सेंड बटन को दबा दिया.. वो

सोच रही थी कि इस कहानी को पढ़ उसके चाचा क्या सोचेंगे.. उसने

इस कहानी को एक नया मोड़ दे दिया था.. जिसमे चाचा अपनी भतीजी को

उसी की बेटी के साथ सेक्स करते पकड़ लेता है.. और उसने इतना तक

खुलासा लीख दिया था कि भतीजी को उसकी बेटी की चूत मे अपनी जीब

घुसा उसकी चूत चाटना बहोत अछा लगता है..


प्रीति तो इस ख़याल से ही गरमा गयी कि अगर कभी उसके चाचा ने

उसे और अपनी ही बेटी को साथ साथ चोदा तो कितना मज़ा आएगा.. वो

उत्तेजना मे अपनी स्कर्ट को उठा अपनी चूत को सहलाने लगी.. और फिर

उसने पॅंटी के बगल से अपनी उंगली चूत के अंदर घुसा दी.. वो लंड

के लिए तड़पने लगी.. उसे उम्मीद थी कि राज घर पर ही होगा.. इस

उम्मीद से वो वो अपने कमरे से निकल हॉल मे आ गयी.. लेकिन उसने

देखा कि राज की जगह उसके पापा टीवी देख रहे थे..


“पापा क्या आपने राज को देखा?” प्रीति ने अपने पापा से पूछा.


“हां अभी थोड़ी देर पहले स्वीटी के पास गया है उसे कुछ काम

था” देव ने अपनी बेटी को जवाब दिया और उसकी निगाह अपनी बेटी के

उत्तेजित बदन पर घूमने लगी..
 
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प्रीति अपने पापा की निगाहों को अछी तरह पहचानती थी. उसने और

चिढ़ाने की सोची.. वो अपने पापा के नज़दीक गयी और अपन स्कर्ट को

थोड़ा उपर करते हुए उनके बगल मे बैठ गयी.. उसकी नंगी चूत देव

की निगाह से छुप ना सकी..


देव की जैसे सांस ही हलक मे अटक गयी.. वो चाह कर भी अपनी

निगाहों को नही फिरा सका.. उसकी आँखे स्कर्ट के नीचे से झलक्त

अपनी ही बेटी की नंगी चूत पर टीकी थी.


देव ने अपना ध्यान अपनी ही बेटी की चूत पर से हटाया और टीवी देखने

का बहाना करने लगा… लेकिन प्रीति अपने पापा की निगाहों को

पहचानती थी. वो अपनी जगह से थोड़ी हिली और उसकी चूत का काफ़ी

सारा भाग दीखाई देने लगा…


देव से सहन नही हो रहा था और वो समझ रहा था कि उसकी सग़ी

बेटी उससे चुदवाना चाहती है लेकिन वो उसकी बात कैसे मान लेता

आख़िर वो उसका सगा बाप था.. लेकिन प्रीति तो जैसे आज ठान कर

आई थी.. उसने अपनी स्कर्ट को और उपर उठाया दिया जिससे उसकी चूत

अब पूरी तरह नंगी हो गयी थी..


बलदेव फटी आँखों से अपनी बेटी को देख रहा था जिसकी नंगी चूत

अब उसकी आँखों के सामने थी.. बिना बालों की चूत देख उसके मुँह मे

पानी आ रहा था.. उसका दिल तो कर रहा था कि वो तभी उसकी टाँगो

के बीच चला जाए और अपनी बेटी की चूत को मुँह मे भर चूस

ले..


“नही में ये नही कर सकता नही.. कभी नही..” अपने आप से

कहता हुआ बलदेव हॉल से निकल अपने कमरे मे आ गया…. उसे विश्वास

नही हो रहा था कि उसकी सग़ी बेटी किसी रंडी की तरह उसे ही

बहकाने की कोशिश कर सकती है.. लेकिन वो ये भी जानता था कि

प्रीति का जिस्म और चूत दोनो जान लेवा थे.. उसका दिल कुछ कह रहा

था और दीमाग कुछ..


बलदेव हॉल से तो निकल आया लेकिन वो चाह कर भी अपनी बेटी की

चूत की झलक अपने दीमाग से नही निकल पाया.. अपने कमरे मे आकर

उसने कुछ पोर्नो मॅगज़ीन निकाली और अपने लंड कों आज़ाद कर उसे

मसल कर मूठ मारने लगा.. उसके जेहन मे अपनी बेटी की चूत बसी

हुई थी..
 
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प्रीति अपनी नंगी चूत को मसल्ते हुए सोच रही थी कि काश उसके

पापा उसके भाई की तरह समझ जाते… लेकिन ऐसा नही हुआ और उसे

लगा कि उसे और कोई तरीका अपनाना पड़ेगा.. यही सोच वो उठी और

हॉल से निकल अपनी कमरे की ओर जाने लगी.. अपने पापा के कमरे के

बाहर से गुज़रते हुए उसने अपने पापा की जोरों की सिसकारिया और

कराहें सुनी तो वो समझ गयी कि उसके पापा अपने कमरे मे मूठ मार

रहे है.. उसका दिल तो किया कि वो कमरे के अंदर चली जाए और

हिम्मत कर वो कमरे का दरवाज़ा खोल अंदर दाखिल होने लगी..


जैसे ही कमरे का दरवाज़ा खुला देव की निगाह दरवाज़े पर उठ गयी..

वो पलंग पर बैठा एक मॅगज़ीन को देखते हुए मूठ मार रहा था…

अब वो चाह कर भी पीछे नही हट सकता था.. वो अपनी बेटी प्रीति

को कमरे मे दाखिल होते देखता रहा…. देव इतना ज़्यादा उत्तेजित था

कि उसने अपने लंड को मसलना नही छोड़ा और दो तीन मूठ के बाद ही

उसके लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ी जो हवा मे उछल सीधे सामने

पड़ी मॅगज़ीन पर गिरी..


प्रीति तुम यहाँ क्यों आई हो?” देव ज़ोर से अपनी बेटी पर चिल्लाया.


“पापा आप जानते है.. आपको इसे इस तरह व्यर्थ नही करना चाहिए

था..” प्रीति ने जवाब दिया..


“अगर आपं मुझे अपने लंड को चूसने देते तो शायद आपको ज़्यादा

मज़ा आता” प्रीति ने आगे कहा..


देव लड़खड़ाते हुए कदमों से ज़मीन पर बिखरे अपने कपड़े उठाने जा

रहा था की प्रीति ने अपने पापा के हाथों से वो मॅगज़ीन झपट ली

और उस पर गिरे वीर्य को चाटने लगी.. और उस मॅगज़ीन को लेते हुए

कमरे से भाग गयी..


“पापा इसे मे बाद मे लौटा दूँगी” प्रीति ने कमरे से निकलते हुए

कहा..


“हे भगवान में इसका क्या करूँ.. क्या होगा.. इसका..” अपने आप से

कहता हुआ वो वैसे ही पलंग पर लुढ़क गया..

क्रमशः.......
 
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Bahut mast air dhamakedar update... Ab raj ko apni mummy ke sath amne samne baith kar baat katke ghar main damal machana cahiye
 
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मोहन ने जब देखा कि प्रीति उसकी भतीजी ने उसे ईमेल भेजा है तो वो समझ गया कि उसने कहानी मे कोई नया नुस्ख़ा भेजा हो गा वो ईमेल खोल पढ़ने लगा.. और अपने लंड को अपनी पॅंट से आज़ाद कर लिया.. मोहन अपने खड़े लंड को मसल्ते हुए कहानी के उस हिस्से पर पहुँचता है जहाँ भतीजी अपने चाचा और चाची के पास रहने आती है और और रात वो अपनी चचेरी बहन के बदन को छूती है.. मोहन ये पढ़ कर चौंक जाता है. आज से पहेल प्रीति ने थोड़ा भी इशारा नही किया था कि उसे ये सब भी पसंद है.. और उसने कहानी मे लिखा था कि किस तरह दोनो चचेरी बहने एक दूसरे की चूत से खेल सेक्स का मज़ा लेते है.. उसे विश्वास नही हो रहा था कि दो लड़कियों के सेक्स संबंध को लेकर प्रीति इतनी तरह लिख सकती है... उसने उस हिस्से को कई बार पढ़ा और आख़िर ज़ोर ज़ोर से मूठ मारते हुए उसने अपने लंड का पानी छुड़ा लिया... प्रीति की कहानी को पढ़ मोहन सोचने पर मजबूर हो गया कि क्या प्रीति और उसकी बेटियों के बीच भी ऐसा ही संबंध है.. क्या वो तीनो भी कहानी ही की तरह सेक्स का मज़ा लेते है.. उसका ख़याल अपनी ही बेटियों पर आकर ठहर गया.. कितनी जवान और सुंदर हो गयी थी दोनो यही सोचते हुए उसने कहानी का आगे का भाग लिखा और उसे प्रीति को मैल कर दिया..

राज अपने कंप्यूटर पर बैठा कुछ काम कर रहा था कि प्रीति ने उसके कमरे मे कदम रखा.. उसने सफेद रंग का टॉप और डेनिम की स्कर्ट पहन रखी थी..

"क्या बात है भाई आज तो कुछ ज़्यादा ही मस्ती छाई हुई है?" प्रीति ने अपने भाई के खड़े लंड को देख कर कहा...

"कुछ खास नही बस ऐसे ही कंप्यूटर पर कुछ तस्वीरें देख रहा था.. " राज ने अपने लंड को मसल्ते हुए कहा..

"राज तुम्हे पता है दो दिन पहले क्या हुआ?" प्रीति ने पूछा..

"नही क्यों.. क्या कुछ खास हुआ था..?" राज ने पलट कर पूछा.

"हां कुछ खास ही समझो... उस दिन मेरी चूत मे बहोत खुजली मच रही थी.. तुम्हे देखा पर तुम घर पर नही थे ... और उत्तेजना मे हुआ ये कि में पापा को ही उत्तेजित करने लगी.. " प्रीति ने कहा..

"क्या? ज़रा खुल कर बताओ क्या हुआ? राज ने पूछा.

"तुम थोड़ी देर बैठो मे टाय्लेट जाकर आती हूँ" कहकर प्रीति टाय्लेट चली गई और सोचने लगी कि राज को कैसे बताए.. बाथरूम मे आकर उसने अपनी पॅंटी उतार दी.. और वापस राज के कमरे मे आ गयी.. प्रीति वापस कमरे मे आकर राज के सामने अपनी स्क्रिट उठा कर बैठ गयी अब उसकी नंगी चूत राज के सामने थी....

"ओह्ह्ह तो अब समझा तुमने कैसे पापा को चीढ़या .. ऐसे ही ना?

"हां" प्रीति मुस्कुराते हुए बोली.

"और पापा ने कुछ नही कहा.. " राज ने पूछा...

"नही.. कहा तो कुछ नही बस थोड़ी देर मेरी चूत को देखते रहे फिर वापस अपने कमरे मे चले गये "

"क्या तुम सच मे पापा से चुदवाना चाहती थी.? राज ने पूछा...

"हां.. उस दिन में इतना जयदा उत्तेजित थी कि में किसी से भी चुदवा लेती.. और उस समय सिर्फ़ पापा ही घर पर थे.. तुम्हे मेरी बात सुनकर बुरा तो नही लग रहा ना?" प्रीति ने पूछा.

"और फिर तुमने भी तो कहा कि अगर मौका मिले तो मम्मी को भी चोदना चाहते हो"


"नही मुझे बिल्कुल भी बुरा नही लगा.. में जानता हूँ कि चुदाई के मामले मे जितना में हरामी हूँ तुम उससे भी बड़ी छिनाल हो.. हम दोनो चुदाई के लिए कुछ भी कर सकते है" राज ने कहा..

"और क्या लेकिन उन्होने कुछ किया ही नही " प्रीति ने कहा..

"और ना ही तुम्हे पापा का लंड चूसने को मिला है ना? राज ने हंसते हुए कहा..

"अब जब तुमने लंड चूसने की बात कर ही दी है तो लाओ मुझे तुम्हारा लंड चूसने दो.. मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम्हारा लंड किसी के स्पर्श के लिए तड़प रहा है" प्रीति ने कहा.

"मुझे तो ऐसा लग रहा था कि तुम आज पूछोगी ही नही" राज ने हंसते हुए कहा और अपनी पॅंट उतारने लगा..
 

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प्रीति ने उसे धक्का देकर बिस्तर पर लिटा दिया और खुद अपने सिर को उसके पेट पर रख लेट गयी.. राज का लंड उसके मुँह मे था और वो उसे अपनी मुट्ठी मे उपर नीचे कर मसल्ते हुए चूस रही थी... "अब तुम मुझे बताओ क्या तुमने गीली चूत के साथ वापस मज़ा लिया" प्रीति ने उसके लंड को थोड़ी देर के लिए बाहर निकाल पूछा.

"जब तुमने पूछ ही लिया है तो झूट नही बोलूँगा हां मेने उसे फिर से चोदा था.." राज ने जवाब दिया..

"क्या तुमने देखा की वो कौन है?" प्रीति ने फिर पूछा..

"नही में उसे नही देख पाया" राज ने अपनी बहन से कहा.. लेकिन उसने उसे ये नही बताया कि वो जान चुका है कि सही मे गीली चूत कौन है.

"ठीक है में तुम्हारा लंड चूस्ती हूँ तब तक तुम मुझे बताओ कि तुमने उसके साथ क्या क्या किया?" प्रीति ने उससे कहा.

राज उसे विस्तार से बताने लगा कि किस तरह गीली चूत इस बार अपने साथ अपनी सहेली को लेकर आई जिससे वो पहले भी नेट पर मिल चुका था.. प्रीति अपने भाई के लंड को जोरों से चूस्ते हुए उसकी कहानी सुन रही थी...

"तुम बहोत खुश नसीब हो राज कि तुम्हे दो दो औरते एक साथ चोद्ने के लिए मिल जाती है... और एक में हूँ कि इस अनुभव के लिए कब से तड़प रही हूँ मेरा भी दिल करता है कि एक लंड मेरी चूत मे हो और दूसरे को में अपने मुँह मे ले चूस रही हूँ" प्रीति ने कहा और फिर उसके लंड को चूसने लगी...

तब राज ने उसे आगे बताया की किस तरह उसने गीली चूत की सहेली की गंद मे अपना लंड घुसा उसकी गंद मारी थी और फिर उसकी गंद को अपने वीर्य से भर दिया था..

"तुम्हे गंद मारनी बहोत पसंद है.. है ना?" प्रीति ने पूछा.

"हां बहोत ज़्यादा.. क्या है ना प्रीति चूत के मुक़ाबले गंद बहोत ज़्यादा कसी हुई होती और जब लंड उसकी दीवारों को चीरते हुए घुसता है तो मज़ा आ जाता है.. " राज ने कहा.

"क्या अपनी बेहन की भी गंद मारना चाहोगे?" प्रीति ने उसे चिढ़ाते हुए कहा और अपनी जीब उसके लंड के छेद पर फिराने लगी...

"हां अगर तुम्हे कोई ऐतराज़ ना हो " राज ने हंसते हुए जवाब दिया..

"तो तुम मेरी गंद मे तुम्हारे इस मोटे लंबे लंड को घुसा मज़ा लेना चाहते हो.. " प्रीति ने फिर उसे चीढ़या और उसके लंड को और जोरों से चूसने लगी... मसल्ने लगी...

"हां हाआँ" राज सिसक पड़ा उससे सहन नही हो रहा था

"ठीक है मुझे मंजूर है.. में भी कई दिनो से तुम्हारे लंड को अपनी गंद मे महसूस करना चाहती थी.. " कहकर प्रीति उसके लंड को और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी... अपने मुँह को तेज़ी से उपर नीचे कर उसके लंड को अपने गले तक ले रही थी... आख़िर राज से सहन नही हुआ और उसके लंड ने लावा उगल दिया.. जिसे प्रीति पी गयी और उसके लंड से छूटी हर बूँद को चाटने लगी..

"अब क्या विचार है क्या मुझे तुम्हारी गंद मे लंड घुसाने का मौका मिलेगा?" राज ने पूछा..

हां लेकिन आज नही आज तो में तुम्हारे लंड को अपनी चूत मे लेना चाहती हूँ" प्रीति ने कहा..

"ठीक है में टाय्लेट होकर आता हूँ" राज ये कहते हुए बाथरूम मे घुस गया.. राज के जाते ही प्रीति ने अपना टॉप उतार दिया और उसके पलंग पर सिर्फ़ काले रंग की ब्रा और स्कर्ट मे लेट गयी.. उसकी स्कर्ट उपर को उठी हुई थी और उसने अपनी टाँगे फैला अपनी चूत को खोल दिया था..

बाथरूम से वापस आ कर राज पलंग के किनारे पर बैठ गया और उसकी खुली चूत पर उंगली फिराने लगा.. फिर अपने चेहरे को झुका उसने अपनी जीब उसकी बिना बालों की त्वचा पर चूत के चारों और फिराई और फिर उसकी चूत को खोल अपनी जीब अंदर घुसा दी... और जीब को अंदर बाहर कर उसकी चूत को चाटने और चूसने लगा..

प्रीति अपनी कमर को उठा कर उसके मुँह मे दे रही थी.. और राज अपना मुँह खोल उसकी चूत को ज़्यादा से ज़्यादा अपने मुँह मे ले लेता.... प्रीति की चूत से पानी बहने लगा... उससे अब सहन नही हो रहा था..

"राज अब मुझे चोदो" प्रीति सिसक पड़ी.

राज उसकी टाँगो के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह लगा उसने एक ज़ोर का धक्का मारा.. लंड गॅप से अंदर घुस गया...

"ज़रा धीरे राज तुम्हे मालूम है तुम्हारा लंड कितना लंबा और मोटा है.... थोड़ा प्यार से चोदो ना" प्रीति ने कराहते हुए कहा.

राज ने अपने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और धीरे से अंदर घुसा दिया और फिर अंदर बाहर कर उसने अपना पूरा लंड अपनी बेहन की चूत मे घुसा दिया...

"ऑश हां अब अच्छा लग रहा है.. कितने दिन हो गये तुम्हे मेरी चूत को अपने इस मूसल लंड से भरे हुए... श हाआँ अब चोदो मुझे अब थोड़ा ज़ोर ज़ोर से चोदो"

"में समझ रहा हूँ तुम क्या कहना चाहती हो... मेने भी तुम्हारी इस मुलायम और कसी चूत को बहोत मिस किया है.. " कहकर राज अपनी बेहन की चूत को ज़ोर ज़ोर के धक्कों से चोद्ने लगा...

प्रीति ने अपनी टाँगे उसकी कमर से लपेट ली. और अपनी कमर को उठा उसका साथ देने लगी..

"राज मेने आज तक तुम्हारे लंड के रस को अपनी चूत मे नही लिया है लेकिन लगता है कि मुझे अब गोलियाँ खानी शुरू करनी पड़ेगी जिससे में तुम्हारे इस मदन रस से अपनी चूत को लबालब भर सकूँ" प्रीति ने अपनी कमर को और तेज़ी से हिलाते हुए कहा..

"सच प्रीति तब तो और मज़ा आ जाएगा... चूत के अंदर पानी छोड़ने का मज़ा ही कुछ और होता है" राज ने ज़ोर ज़ोर के धक्के मारकर कहा.. और जब उसके लंड ने उबाल खाया तो उसने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और उसकी चूत और पेट पर अपना पानी छोड़ दिया..

प्रीति ने अपनी पेट पर छूटे राज के लंड के पानी को अपनी उंगलियो मे लिया और चाटने लगी.. "एम्म्म बोहोत टेस्टी ठीक पापा के पानी की तरह" प्रीति ने उसके पानी को चाटते हुए कहा..

"क्या?" राज जोरों से चौक्ते हुए बोला.

"असल मे मेने तुम्हे पूरी बात नही बताई.. जब उस दिन पापा मुझे हॉल मे छोड़ अपने कमरे मे चले गये तो मेने पापा को अपने कमरे मे कुछ पॉर्न मॅगज़ीन दीखते हुए मूठ मारते पकड़ लिया और जब उनके लंड ने पानी छोड़ा तो मेने उनके सामने से एक मॅगज़ीन उठा उनके रस को चखा था.. और वो देखते रहे.. मेने उनसे कहा था कि में बाद मे वो मॅगज़ीन लौटा दूँगी.. " प्रीति ने बताया..

"मुझे लगता है कि तुम्हारी चूत की खुजली ने तुम्हे ज़रूरत से ज़्यादा ही छिनाल बना दिया है" राज ने हंसते हुए कहा..

"अब में क्या कहूँ में जो कुछ भी सीखा है तुम्ही से तो सीखा है" प्रीति ने जवाब दिया.. और अपना टॉप पहन राज के कमरे से बाहर चली गयी.

आज घर पर प्रीति और उसके डॅडी दोनो अकेले ही थे.. उसकी मम्मी वसुंधरा और राज किसी काम से बाहर गये थे.. पापा ने अभी अभी गार्डेन की सफाई की थी और अब शवर मे नहा रहे थे.. प्रीति अपने कमरे मे खड़ी अपने कपड़े उतारने लगी... उसने सोच लिया था कि उसे आज से अच्छा मौका फिर नही मिलेगा.. शाम होने को आई थी और वो दोपहर से ही अपने बाप को अलग अलग अंदाज़ मे चिढ़ाती रही थी.. उसने अपने बाप देव को कई बार अपना लंड मसल्ते भी देखा था.. प्रीति ने धीरे से बाथरूम का दरवाज़ा खोला उसके पिताजी उसकी तरफ पीठ किए हुए थे इसलिए देव को उसके अंदर आने का एहसास नही हुआ.. उसने दरवाज़ा बंद नही किया वो अपने पापा को आगाह नही करना चाहती थी.. प्रीति ने देखा कि उसके पापा शवर के नीचे खड़े थे.. उनकी टाँगे थोड़ी फैली हुई थी और उनका दायां हाथ जोरों से हिल रहा था.. वो समझ गयी कि उसके पापा मूठ मार रहे है.. प्रीति धीमे से शवर के नीचे आ गयी और अपने कदमों की आहट से उसने अपने बाप को चौंका दिया..


इसके पहले की देव कुछ कहता प्रीति ने अपने हाथ की मुट्ठी उसके लंड पर कस दी और उसके लंड को उपर से नीचे सहलाने लगी.. फिर वो अपने पापा के सामने घुटनो के बल बैठ गयी और उसके लंड को खींच इस तरह कर दिया कि शवर के पानी ने लंड पर लगे साबुन को अच्छी तरह धो दिया.. देव हैरत भरी नज़रों से अपनी बेटी की हरकतों को देख रहा था.. वो जानता था कि उसे तुरंत अपनी बेटी को रोक देना चाहिए.. लेकिन उसकी निगाहे अपनी बेटी की भारी और कठोर चुचियों पर टीक गयी और वो उसकी चुचि की सुंदरता मे खो गया.. हवस रिश्तों और जज्बातों पर हावी हो गयी.. देव ने प्रीति को ना तो कुछ कहा और ना ही उसने उसे रोकने की कोशिश की.... और प्रीति ने अपना मुँह खोल उसके लंड को अंदर ले लया.. अपना पूरा मुँह खोल उसने ज़्यादा से ज़्यादा लंड को अंदर लिया और फिर उसे नीचे से उपर तक चूसने लगी..

प्रीति अपने मुँह को आगे पीछे कर अपने पापा का लंड चूसने लगी और अपने हाथों से अंडकोषों को सहलाने लगी.. तभी प्रीति को अपने बाप के मुँह से निकलती सिसकियाँ सुनाई पड़ी.. वो और ज़ोर ज़ोर से लंड को चूसने लगी.. और देव ने अपनी कमर को आगे कर अपने लंड को और अपनी बेटी के गले के अंदर तक घुसा दिया... प्रीति मन ही मन खुश हो गयी थी.. वो अब अपने पापा को पा चुकी थी.. अब उसे विश्वास हो गया था कि अब वो अपनी मर्ज़ी के हिसाब से अपने पापा से चुदवा सकती है.. उसने अपनी नज़रे उठा कर अपने पापा को देखा.. और उसने देखा कि उसके पापा उन्माद और खुशी मे उसे अपना लंड चूस्ते देख रहे है.. वो अपने पापा की ओर देखते हुए मुस्कुरा दी और ज़ोर ज़ोर से उनके लंड को चूसने लगी.. और तभी उसके पापा के लंड से वीर्य की पिचकारी छूटी और उसके गले से टकराई जिसे वो खुशी खुशी पी गयी और फिर लंड को ज़ोर ज़ोर से चूस हर एक बूँद को पीने लगी..


"पापा आप साबुन लगा अपने लंड को मूठ मार रहे थे.. मेरा मुँह उस साबुन से तो अच्छा ही है ना? प्रीति ने खड़े हो अपने पापा को बाहों मे भरते हुए कहा..

"हां बहोत अछा था लेकिन...."

"लेकिन वेकीन कुछ नही पापा.. मुझे ये सब चाहिए था और अब मुझे और भी चाहिए.. याद है बचपन मे आप मुझे नहलाते थे.. तो अब आप क्यों मुझे नही नहलाते हुए मेरे नंगे बदन को रगड़ते है.. " प्रीति ने अपनी चुचियो को अपने बाप की छाती से रगड़ते हुए कहा.. प्रीति अपने हाथों मे साबुन ले और अपनी चुचियों पर मसल्ने लगी...

देव फटी नज़रों से अपनी बेटी की चुचियो को देख रहा था और वो अपने आप को रोक नही पाया उसने अपना हाथ बढ़ा अपनी बेटी की चुचियों को अपनी मुट्ठी मे लिया और सहलाने और मसल्ने लगा..

प्रीति ने अपने आप को शवर के नीचे दीवार के सहारे टीका दिया और अपने पापा के लंड को अपने हाथों मे ले मसल्ने लगी... जब उसके पापा ने उसके निपल को भींचा तो उसके मुँह से एक कराह निकल गयी और उसने अपनी चुचि को शवर के पानी के नीचे कर दिया जिससे सारी साबुन धूल जाए..

साबुन के धुलते ही देव ने अपने चेहरे को झुकाया और अपनी बेटी की चुचि को आपे मुँह मे ले चूसने लगा.. वो उसके निपल को अपने दाँतों से काटने लगा..

प्रीति उन्माद मे सिसक पड़ी.. "ऑश पापा हाआँ चूसो और ज़ोर ज़ोर से चूसो ऑश हाआँ बहुत अछा लग रहा है. काट लो मेरे निपल को खा जाओ मेरी चुचि को" प्रीति सिसक पड़ी और उसकी सिसकिया सुन उसका मुरझाया लंड एक बार फिर खड़ा होने लगा..


देव अपने एक हाथ से अपनी बेटी के नंगे बदन को सहलाने लगा और हाथ को नीचे खिसकते हुए उसने अपना हाथ प्रीति की चूत पर रख दिया.. प्रीति ने अपनी टाँगे और फैला दी.. और देव ने अपनी दो उंगली अपनी बेटी की चूत मे घुसा दी.. और उत्तेजना मे उसके निपल को और ज़ोर ज़ोर से काटने लगा.. प्रीति की तो जैसे हर तमन्ना आज पूरी हो रही थी.. उसने अपनी टाँगों को और फैला दिया.. और देव अपनी उंगलियो को तेज़ी से अपनी बेटी की चूत के अंदर बाहर करने लगा..

"पापा मुझे आपका ये लंड मेरी चूत मे चाहिए.. इसे मेरी चूत मे घुसा आज आप मेरी चूत को फाड़ दीजिए... कब से तड़प रही है आपके लंड के लिए" प्रीति ने अपने पापा के लंड को खींच अपनी चूत से सताते हुए कहा.. "और इस पानी को बंद भी कर दीजिए"

बलदेव थोड़ा हिक्खिचाया.. लेकिन आज तो वासना हर रिश्ते हर जज़्बे पर भारी थी.. उसने शवर के पानी को बंद कर दिया.. पानी के रुकते ही प्रीति पलट गयी और दीवार के सहारे नल को पकड़ घोड़ी बन गयी... देव ने अपने लंड को उसकी गंद के दरार के बीच रखा और थोड़ी देर घसने के बाद उसने अपना लंड अपनी बेटी की चूत मे घुसा दिया...

प्रीति ने अपनी कमर को पीछे कर अपने पापा के लंड को और अंदर तक ले लिया.. "ऑश पापा बहुत अछा लग रहा है.. ओह कब से तड़प रही थी आपके लंड के लिए.. हाआँ और अंदर तक घुसा कर चोदो मुझे ऑश हाआँ और अंदर तक" प्रीति अपनी कमर को आगे पीछे कर बोल पड़ी..

देव तो अपनी बेटी की सिसकियों को सुन जैसे पागल हो गया उसने अपना हाथ नीचे किया और प्रीति की चुचियों को पकड़ ज़ोर ज़ोर के धक्के मार अपने लंड को और अंदर तक घुसा उसकी चूत को चोद्ने लगा... उसने अपना पूरा लंड उसकी चूत मे घुसाना चाहा लेकिन प्रीति ने मना कर दिया कहा कि उसे दर्द होता है.. देव ने अब अपने हाथों को प्रीति की चुचियों से हटा उसके कुल्हों पर रख दिए जिससे वो और ज़ोर से धक्के मार सके.. और प्रीति ने अपना एक हाथ दीवार से हटा अपनी चूत पर रख अपने बाप के लंड को अपनी ही चूत के अंदर बाहर होता देख महसूस करने लगी..

"ऑश पापा श हां चोदो मुझे और तेज़ी से चूओडूओ.... ऑश हाआँ ऐसे ही.. ओह... " प्रीति अपनी चूत को मसल्ते हुए सिसकने लगी.. उसकी चूत जैसे लावे से खौल रही थी..

बलदेव का भी लंड अकड़ने लगा था और वो ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा था.. "ऑश पापा हाआँ और ज़ोर से श हां आज भर दो मेरी चूत को.. " प्रीति भी अपनी कुल्हों को आगे पीछे कर सिसकने लगी..

तभी देव ने अपनी बेटी से कहा कि उसका छूटने वाला है और प्रीति ने आगे होते हुए अपने बाप के लंड को अपनी चूत से बाहर निकाल दिया.. और वो जैसे ही नीचे बैठ उसे अपने मुँह मे लेने लगी.. देव के लंड से वीर्य की बौछार छूटी जो सीधे प्रीति के चेहरे पर पड़ी.. फिर दूसरी और तीसरी फुहार उसकी बेटी को भीगोति गयी..

देव ने शवर फिर से ऑन कर दिया और प्रीति अपने बदन को सॉफ करने लगी.. देव की उत्तेजना जब शांत हुई तो उसे अपने आप से घृणा होने लगी.. उसने जल्दी जल्दी अपने बदन को सॉफ किया और टवल उठा अपने बदन को पौन्छ्ता हुआ बाथरूम से बाहर चला गया..

देव के जाते ही प्रीति ने अपने बदन को अच्छी तरह सॉफ किया और फिर टवल से पौंच्छ वो नंगी ही बाथरूम से बाहर आ गयी.. और जब वो अपने डॅडी के कमरे मे पहुँची तो उसने देखा कि उसके पापा टवल मे अपना मुँह छिपाए बैठाए थे..


"क्या हुआ पापा? आप इस तरह क्यों बैठे है" प्रीति ने पूछा.. "मुझे माफ़ करना प्रीति में बहक गया था.. मुझे ये सब नही करना चाहिए था.. ये सब ग़लत है. में तुमसे वादा करता हूँ कि में ऐसा दोबारा नही करूँगा.. तुम इसे एक हादसा समझ भूल जाना " देव ने जवाब दिया..

"पर पापा में तो चाहती हूँ कि ऐसा हादसा बार बार हो.. और आप हर बार मुझे ऐसा ही सुख दें जो आज आपने दिया है.." प्रीति ने देव के नज़दीक आते हुए कहा.. " पापा में आपसे बहोत प्यार करती हूँ और में अपनी हर ख्वाइश हर खुशी आपसे बाँटना चाहती हूँ"

"प्रीति में भी तुमसे बहोत प्यार करता हूँ.. और में ये भी मानता हूँ कि तुम बहोत खूबसूरत हो और अपने जान लेवा हुस्न से तुम किसी भी मर्द को बहका सकती हो... लेकिन हम दोनो के बीच ये ग़लत है.. ये नही हो सकता.. " देव ने अपनी बात पर ज़ोर देते हुए कहा..

"पापा में फिलहाल आपसे इस विषय पर बहस नही करूँगी.. कुछ दिन जाने दीजिए फिर देखते है की आपके विचार ऐसे ही रहते है या बदल जाते है.. " प्रीति ने कहा..

"प्लीज़ प्रीति समझो मेरी बात को" देव ने कहा..

"नही पापा में नही समझ नही सकती.. लेकिन में अभी आपको छोड़ रही हूँ लेकिन में जानती हूँ कि आज के बाद सपने मे आप मुझे ही देखेंगे.. मेरी चूत को चोद्ते हुए देखेंगे... और एक दिन आप अपने आप को रोक नही पाएँगे " कहते हुए प्रीति अपने पाँवों को पटकते हुए अपने बाप के कमरे से निकल गयी.. .........................

"तुम सभी को ये जान कर खुशी होगी कि तुम्हारे मामा अश्विन और नीता मामी एक महीने के लिए छुट्टियो मे यू के से आ रहे है और वो हमारे पास ही रुकेंगे" वसुंधरा ने सभी से कहा..

"मम्मी तब तो बहोत मज़ा आ जाएगा.... कई साल हो गये है सभी से मिले " राज ने खुश होते हुए कहा.

"हां और साथ मे रवि विवेक और सोनिया भी आ रहे है... उन तीनो की भी तुम दोनो से मिलने की काफ़ी इच्छा है.. और साथ मे वो स्वीटी और शमा से भी मिलना चाहते है.. " वासू ने कहा.

"हां मम्मी मुझे तो तीनो की शकल भी याद नही.. पता नही कैसे देखते होंगे .. मेरे ख़याल से चार साल हो गये ना मांजी को यूके शिफ्ट हुए" प्रीति ने कहा.

"ठीक है अब वो आ रहे है और हमारे साथ ही रहेंगे.. और हां वो तुम दोनो का रूम शेर करेंगे तो तुम्हे कोई ऐतराज़ तो नही है?" वासू ने पूछा..

"बिल्कुल भी नही मम्मी" राज ने जवाब दिया..

"वैसे ममाजी लोग कितने दिन रुकेंगे?" प्रीति ने पूछा.

"करीब करीब एक महीना" वासू ने जवाब दिया.

"और वो लोग आ कब रहे है?" राज ने पूछा.

"अगले हफ्ते" वासू ने कहा.

खाने के बाद प्रीति अपने भाई राज के कमरे मे आ गयी और उसने दरवाज़ा बंद कर दिया... राज कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा था उसने नज़रे उठा कर अपनी बेहन की ओर देखा.. "सिर्फ़ एक हफ़्ता है.. इस हफ्ते मे तुम मेरी इतनी चुदाई करो.. कि आने वाले एक महीने तक मुझे लंड की ज़रूरत महसूस ना हो.. क्या पता बाद मे मौका मिले या ना मिले... " प्रीति ने मुस्कुराते हुए कहा...

"वो तो में करूँगा ही पर तुम ऐसा क्यों सोचती हो कि हमे मौका नही मिलेगा.. हम कभी भी चाचा जी के यहाँ जाकर कर सकते है.. फिर वहाँ स्वीटी और शमा तो है ही.. " राज ने जवाब दिया.

"ठीक है वो सब बाद मे सोचेंगे पहले तुम मेरे पास आओ.. मेरी चूत मे बहोत जोरों की खुजली मच रही है.. " कहकर प्रीति ने अपनी नाइट सूयीट उतार और अपनी बिना बालों की चूत राज के सामने कर दी...

राज भी अपनी बेहन की चूत देख अपने कपड़े उतारने लगा.. कि तभी उसे कोई ईमेल आने का संकेत मिला...

"राज अब उसे छोड़ो भी.. क्या वो मेरी चूत से ज़्यादा ज़रूरी है" प्रीति झल्लाते हुए बोली.. "अरे थोड़ा तो सब्र करो.. लगता है कि ममाजी ने कुछ फोटोस भेजी है... " राज ने कहा.. और प्रीति अपने भाई के पास जाकर खड़ी हो गयी जिससे वो अपने ममरे भाई बेहन की तस्वीर देख सके.. अपने दोनो ममेरे भाइयो की तस्वीर देख प्रीति चौंक पड़ी..

"राज कितने सुन्दर लग रहे है दोनो है ना.. क्या इनके इतने गतीले बदन के साथ इनका......

"तुम्हारा दिमाग़ मे क्या हर वक्त एक ही बात घुसी रहती है.. " राज ने उसे बीचे मे टोकते हुए हंसते हुए कहा.



आज घर पर प्रीति और उसके डॅडी दोनो अकेले ही थे.. उसकी मम्मी वसुंधरा और राज किसी काम से बाहर गये थे.. पापा ने अभी अभी गार्डेन की सफाई की थी और अब शवर मे नहा रहे थे..

प्रीति अपने कमरे मे खड़ी अपने कपड़े उतारने लगी... उसने सोच लिया था कि उसे आज से अच्छा मौका फिर नही मिलेगा.. शाम होने को आई थी और वो दोपहर से ही अपने बाप को अलग अलग अंदाज़ मे चिढ़ाती रही थी.. उसने अपने बाप देव को कई बार अपना लंड मसल्ते भी देखा था.. प्रीति ने धीरे से बाथरूम का दरवाज़ा खोला उसके पिताजी उसकी तरफ पीठ किए हुए थे इसलिए देव को उसके अंदर आने का एहसास नही हुआ.. उसने दरवाज़ा बंद नही किया वो अपने पापा को आगाह नही करना चाहती थी.. प्रीति ने देखा कि उसके पापा शवर के नीचे खड़े थे.. उनकी टाँगे थोड़ी फैली हुई थी और उनका दायां हाथ जोरों से हिल रहा था.. वो समझ गयी कि उसके पापा मूठ मार रहे है.. प्रीति धीमे से शवर के नीचे आ गयी और अपने कदमों की आहट से उसने अपने बाप को चौंका दिया..

इसके पहले की देव कुछ कहता प्रीति ने अपने हाथ की मुट्ठी उसके लंड पर कस दी और उसके लंड को उपर से नीचे सहलाने लगी.. फिर वो अपने पापा के सामने घुटनो के बल बैठ गयी और उसके लंड को खींच इस तरह कर दिया कि शवर के पानी ने लंड पर लगे साबुन को अच्छी तरह धो दिया..


देव हैरत भरी नज़रों से अपनी बेटी की हरकतों को देख रहा था.. वो जानता था कि उसे तुरंत अपनी बेटी को रोक देना चाहिए.. लेकिन उसकी निगाहे अपनी बेटी की भारी और कठोर चुचियों पर टीक गयी और वो उसकी चुचि की सुंदरता मे खो गया.. हवस रिश्तों और जज्बातों पर हावी हो गयी.. देव ने प्रीति को ना तो कुछ कहा और ना ही उसने उसे रोकने की कोशिश की.... और प्रीति ने अपना मुँह खोल उसके लंड को अंदर ले लया.. अपना पूरा मुँह खोल उसने ज़्यादा से ज़्यादा लंड को अंदर लिया और फिर उसे नीचे से उपर तक चूसने लगी.. प्रीति अपने मुँह को आगे पीछे कर अपने पापा का लंड चूसने लगी और अपने हाथों से अंडकोषों को सहलाने लगी.. तभी प्रीति को अपने बाप के मुँह से निकलती सिसकियाँ सुनाई पड़ी.. वो और ज़ोर ज़ोर से लंड को चूसने लगी.. और देव ने अपनी कमर को आगे कर अपने लंड को और अपनी बेटी के गले के अंदर तक घुसा दिया...

प्रीति मन ही मन खुश हो गयी थी.. वो अब अपने पापा को पा चुकी थी.. अब उसे विश्वास हो गया था कि अब वो अपनी मर्ज़ी के हिसाब से अपने पापा से चुदवा सकती है.. उसने अपनी नज़रे उठा कर अपने पापा को देखा.. और उसने देखा कि उसके पापा उन्माद और खुशी मे उसे अपना लंड चूस्ते देख रहे है.. वो अपने पापा की ओर देखते हुए मुस्कुरा दी और ज़ोर ज़ोर से उनके लंड को चूसने लगी.. और तभी उसके पापा के लंड से वीर्य की पिचकारी छूटी और उसके गले से टकराई जिसे वो खुशी खुशी पी गयी और फिर लंड को ज़ोर ज़ोर से चूस हर एक बूँद को पीने लगी..

"पापा आप साबुन लगा अपने लंड को मूठ मार रहे थे.. मेरा मुँह उस साबुन से तो अच्छा ही है ना? प्रीति ने खड़े हो अपने पापा को बाहों मे भरते हुए कहा..

"हां बहोत अछा था लेकिन...."

"लेकिन वेकीन कुछ नही पापा.. मुझे ये सब चाहिए था और अब मुझे और भी चाहिए.. याद है बचपन मे आप मुझे नहलाते थे.. तो अब आप क्यों मुझे नही नहलाते हुए मेरे नंगे बदन को रगड़ते है.. " प्रीति ने अपनी चुचियो को अपने बाप की छाती से रगड़ते हुए कहा.. प्रीति अपने हाथों मे साबुन ले और अपनी चुचियों पर मसल्ने लगी...

देव फटी नज़रों से अपनी बेटी की चुचियो को देख रहा था और वो अपने आप को रोक नही पाया उसने अपना हाथ बढ़ा अपनी बेटी की चुचियों को अपनी मुट्ठी मे लिया और सहलाने और मसल्ने लगा..

प्रीति ने अपने आप को शवर के नीचे दीवार के सहारे टीका दिया और अपने पापा के लंड को अपने हाथों मे ले मसल्ने लगी... जब उसके पापा ने उसके निपल को भींचा तो उसके मुँह से एक कराह निकल गयी और उसने अपनी चुचि को शवर के पानी के नीचे कर दिया जिससे सारी साबुन धूल जाए..

साबुन के धुलते ही देव ने अपने चेहरे को झुकाया और अपनी बेटी की चुचि को आपे मुँह मे ले चूसने लगा.. वो उसके निपल को अपने दाँतों से काटने लगा..

प्रीति उन्माद मे सिसक पड़ी.. "ऑश पापा हाआँ चूसो और ज़ोर ज़ोर से चूसो ऑश हाआँ बहुत अछा लग रहा है. काट लो मेरे निपल को खा जाओ मेरी चुचि को" प्रीति सिसक पड़ी और उसकी सिसकिया सुन उसका मुरझाया लंड एक बार फिर खड़ा होने लगा..

देव अपने एक हाथ से अपनी बेटी के नंगे बदन को सहलाने लगा और हाथ को नीचे खिसकते हुए उसने अपना हाथ प्रीति की चूत पर रख दिया..

प्रीति ने अपनी टाँगे और फैला दी.. और देव ने अपनी दो उंगली अपनी बेटी की चूत मे घुसा दी.. और उत्तेजना मे उसके निपल को और ज़ोर ज़ोर से काटने लगा..

प्रीति की तो जैसे हर तमन्ना आज पूरी हो रही थी.. उसने अपनी टाँगों को और फैला दिया.. और देव अपनी उंगलियो को तेज़ी से अपनी बेटी की चूत के अंदर बाहर करने लगा.. "पापा मुझे आपका ये लंड मेरी चूत मे चाहिए.. इसे मेरी चूत मे घुसा आज आप मेरी चूत को फाड़ दीजिए... कब से तड़प रही है आपके लंड के लिए" प्रीति ने अपने पापा के लंड को खींच अपनी चूत से सताते हुए कहा.. "और इस पानी को बंद भी कर दीजिए"

बलदेव थोड़ा हिक्खिचाया.. लेकिन आज तो वासना हर रिश्ते हर जज़्बे पर भारी थी.. उसने शवर के पानी को बंद कर दिया.. पानी के रुकते ही प्रीति पलट गयी और दीवार के सहारे नल को पकड़ घोड़ी बन गयी... देव ने अपने लंड को उसकी गंद के दरार के बीच रखा और थोड़ी देर घसने के बाद उसने अपना लंड अपनी बेटी की चूत मे घुसा दिया...

प्रीति ने अपनी कमर को पीछे कर अपने पापा के लंड को और अंदर तक ले लिया.. "ऑश पापा बहुत अछा लग रहा है.. ओह कब से तड़प रही थी आपके लंड के लिए.. हाआँ और अंदर तक घुसा कर चोदो मुझे ऑश हाआँ और अंदर तक" प्रीति अपनी कमर को आगे पीछे कर बोल पड़ी..

देव तो अपनी बेटी की सिसकियों को सुन जैसे पागल हो गया उसने अपना हाथ नीचे किया और प्रीति की चुचियों को पकड़ ज़ोर ज़ोर के धक्के मार अपने लंड को और अंदर तक घुसा उसकी चूत को चोद्ने लगा... उसने अपना पूरा लंड उसकी चूत मे घुसाना चाहा लेकिन प्रीति ने मना कर दिया कहा कि उसे दर्द होता है.. देव ने अब अपने हाथों को प्रीति की चुचियों से हटा उसके कुल्हों पर रख दिए जिससे वो और ज़ोर से धक्के मार सके.. और प्रीति ने अपना एक हाथ दीवार से हटा अपनी चूत पर रख अपने बाप के लंड को अपनी ही चूत के अंदर बाहर होता देख महसूस करने लगी.. "ऑश पापा श हां चोदो मुझे और तेज़ी से चूओडूओ.... ऑश हाआँ ऐसे ही.. ओह... " प्रीति अपनी चूत को मसल्ते हुए सिसकने लगी.. उसकी चूत जैसे लावे से खौल रही थी..

बलदेव का भी लंड अकड़ने लगा था और वो ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा था..

"ऑश पापा हाआँ और ज़ोर से श हां आज भर दो मेरी चूत को.. " प्रीति भी अपनी कुल्हों को आगे पीछे कर सिसकने लगी..

तभी देव ने अपनी बेटी से कहा कि उसका छूटने वाला है और प्रीति ने आगे होते हुए अपने बाप के लंड को अपनी चूत से बाहर निकाल दिया.. और वो जैसे ही नीचे बैठ उसे अपने मुँह मे लेने लगी.. देव के लंड से वीर्य की बौछार छूटी जो सीधे प्रीति के चेहरे पर पड़ी.. फिर दूसरी और तीसरी फुहार उसकी बेटी को भीगोति गयी..

देव ने शवर फिर से ऑन कर दिया और प्रीति अपने बदन को सॉफ करने लगी.. देव की उत्तेजना जब शांत हुई तो उसे अपने आप से घृणा होने लगी.. उसने जल्दी जल्दी अपने बदन को सॉफ किया और टवल उठा अपने बदन को पौन्छ्ता हुआ बाथरूम से बाहर चला गया..

देव के जाते ही प्रीति ने अपने बदन को अच्छी तरह सॉफ किया और फिर टवल से पौंच्छ वो नंगी ही बाथरूम से बाहर आ गयी.. और जब वो अपने डॅडी के कमरे मे पहुँची तो उसने देखा कि उसके पापा टवल मे अपना मुँह छिपाए बैठाए थे.. "क्या हुआ पापा? आप इस तरह क्यों बैठे है" प्रीति ने पूछा..

"मुझे माफ़ करना प्रीति में बहक गया था.. मुझे ये सब नही करना चाहिए था.. ये सब ग़लत है. में तुमसे वादा करता हूँ कि में ऐसा दोबारा नही करूँगा.. तुम इसे एक हादसा समझ भूल जाना " देव ने जवाब दिया..

"पर पापा में तो चाहती हूँ कि ऐसा हादसा बार बार हो.. और आप हर बार मुझे ऐसा ही सुख दें जो आज आपने दिया है.." प्रीति ने देव के नज़दीक आते हुए कहा.. " पापा में आपसे बहोत प्यार करती हूँ और में अपनी हर ख्वाइश हर खुशी आपसे बाँटना चाहती हूँ"

"प्रीति में भी तुमसे बहोत प्यार करता हूँ.. और में ये भी मानता हूँ कि तुम बहोत खूबसूरत हो और अपने जान लेवा हुस्न से तुम किसी भी मर्द को बहका सकती हो... लेकिन हम दोनो के बीच ये ग़लत है.. ये नही हो सकता.. " देव ने अपनी बात पर ज़ोर देते हुए कहा..

"पापा में फिलहाल आपसे इस विषय पर बहस नही करूँगी.. कुछ दिन जाने दीजिए फिर देखते है की आपके विचार ऐसे ही रहते है या बदल जाते है.. " प्रीति ने कहा..

"प्लीज़ प्रीति समझो मेरी बात को" देव ने कहा.. "नही पापा में नही समझ नही सकती.. लेकिन में अभी आपको छोड़ रही हूँ लेकिन में जानती हूँ कि आज के बाद सपने मे आप मुझे ही देखेंगे.. मेरी चूत को चोद्ते हुए देखेंगे... और एक दिन आप अपने आप को रोक नही पाएँगे " कहते हुए प्रीति अपने पाँवों को पटकते हुए अपने बाप के कमरे से निकल गयी.. .........................




"तुम सभी को ये जान कर खुशी होगी कि तुम्हारे मामा अश्विन और नीता मामी एक महीने के लिए छुट्टियो मे यू के से आ रहे है और वो हमारे पास ही रुकेंगे" वसुंधरा ने सभी से कहा..

"मम्मी तब तो बहोत मज़ा आ जाएगा.... कई साल हो गये है सभी से मिले " राज ने खुश होते हुए कहा.

"हां और साथ मे रवि विवेक और सोनिया भी आ रहे है... उन तीनो की भी तुम दोनो से मिलने की काफ़ी इच्छा है.. और साथ मे वो स्वीटी और शमा से भी मिलना चाहते है.. " वासू ने कहा.

"हां मम्मी मुझे तो तीनो की शकल भी याद नही.. पता नही कैसे देखते होंगे .. मेरे ख़याल से चार साल हो गये ना मांजी को यूके शिफ्ट हुए" प्रीति ने कहा.

"ठीक है अब वो आ रहे है और हमारे साथ ही रहेंगे.. और हां वो तुम दोनो का रूम शेर करेंगे तो तुम्हे कोई ऐतराज़ तो नही है?" वासू ने पूछा..

"बिल्कुल भी नही मम्मी" राज ने जवाब दिया..

"वैसे ममाजी लोग कितने दिन रुकेंगे?" प्रीति ने पूछा.

"करीब करीब एक महीना" वासू ने जवाब दिया.

"और वो लोग आ कब रहे है?" राज ने पूछा.

"अगले हफ्ते" वासू ने कहा.

खाने के बाद प्रीति अपने भाई राज के कमरे मे आ गयी और उसने दरवाज़ा बंद कर दिया... राज कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा था उसने नज़रे उठा कर अपनी बेहन की ओर देखा..

"सिर्फ़ एक हफ़्ता है.. इस हफ्ते मे तुम मेरी इतनी चुदाई करो.. कि आने वाले एक महीने तक मुझे लंड की ज़रूरत महसूस ना हो.. क्या पता बाद मे मौका मिले या ना मिले... " प्रीति ने मुस्कुराते हुए कहा...

"वो तो में करूँगा ही पर तुम ऐसा क्यों सोचती हो कि हमे मौका नही मिलेगा.. हम कभी भी चाचा जी के यहाँ जाकर कर सकते है.. फिर वहाँ स्वीटी और शमा तो है ही.. " राज ने जवाब दिया.

"ठीक है वो सब बाद मे सोचेंगे पहले तुम मेरे पास आओ.. मेरी चूत मे बहोत जोरों की खुजली मच रही है.. " कहकर प्रीति ने अपनी नाइट सूयीट उतार और अपनी बिना बालों की चूत राज के सामने कर दी...

राज भी अपनी बेहन की चूत देख अपने कपड़े उतारने लगा.. कि तभी उसे कोई ईमेल आने का संकेत मिला...

"राज अब उसे छोड़ो भी.. क्या वो मेरी चूत से ज़्यादा ज़रूरी है" प्रीति झल्लाते हुए बोली..

"अरे थोड़ा तो सब्र करो.. लगता है कि ममाजी ने कुछ फोटोस भेजी है... " राज ने कहा.. और प्रीति अपने भाई के पास जाकर खड़ी हो गयी जिससे वो अपने ममरे भाई बेहन की तस्वीर देख सके.. अपने दोनो ममेरे भाइयो की तस्वीर देख प्रीति चौंक पड़ी..

"राज कितने सुन्दर लग रहे है दोनो है ना.. क्या इनके इतने गतीले बदन के साथ इनका......

"तुम्हारा दिमाग़ मे क्या हर वक्त एक ही बात घुसी रहती है.. " राज ने उसे बीचे मे टोकते हुए हंसते हुए कहा.

क्रमशः..............
 

imranlust

Lust
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राज ने कह तो दिया लेकिन वो भी प्रीति की तरह ही अपनी ममेरी बेहन सोनिया की फोटो देख रहा था. सोनिया काफ़ी सुंदर लग रही थी.. उसका चेहरा गोल था और उसके बॉल कंधे तक आ रहे थे.. स्वेटर के नीचे से उसकी चुचियों का उभार दीख रहा था.. ऐसा लग रहा था कि जैसे दो नारंगी अंदर क़ैद हो.. राज का लंड फड़फड़ाने लगा... राज उठ कर अपनी बेहन के पास खड़ा हो गया और उसकी चुचियों को मसल्ते हुए अपने लंड को उसकी गीली चूत पर घिसने लगा.. "प्रीति क्यों ना हम अपने कमरे मे कॅमरा सेट कर दे जिससे इन तीनो को नंगा देख सके"

राज ने अपने लंड को उसकी चूत पर मसल्ते हुए कहा.

"हां तुम ठीक कह रहे हो.. में भी रवि और विवेक का लंड देखना चाहती हूँ...लगता तो ऐसा ही है काफ़ी मोटा तगड़ा लंड होगा दोनो का.. " प्रीति ने कहते हुए अपने टाँगे थोड़ी फैला दी और राज के लंड को अपनी चूत मे लेने लगी...

तभी राज ने प्रीति को पलट के दरवाज़े के सहारे खड़ा कर दिया.. प्रीति थोड़ा झुक गई और अपनी टाँगो को फैला पीछे से उसके लंड को पकड़ अपनी चूत से लगा.. दिया.. राज ने उसकी गंद के छेद को कुरेदते हुए अपना लंड उसकी गीली चूत मे घुसा दिया..

"ऑश हाां ऑश अयाया हाआँ और अंदर तक घुसाओ... " प्रीति सिसक पड़ी..

राज ने अपनी एक उंगली उसकी गंद के छेद मे घुसा दी और अब अपने लंड के साथ उसकी गंद मे उंगली अंदर बाहर करने लगा..

"ऑश राज हाआँ बहुत अच्छा लग रहा है.. श हां उंगली थोड़ी और अंदर तक करो और उसे घूमाओ.. मुझे लग रहा है कि तुम्हारा लंड और उंगली आपस मे मिल रहे है.. "

राज और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा ने लगा.. प्रीति भी अपने कूल्हे पीछे कर उसकी उंलगी को आनी गंद मे और उसके लंड को अपनी चूत मे अंदर तक लेने लगी... दोनो ताल से ताल मिला हिल रहे थे.. राज की नसे तनने लगी.. और उसने प्रीति से कहा कि उसका छूटने वाला है तो प्रीति पलटी और नीचे बैठ उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी... और तभी राज के लंड ने पानी छोड़ दिया जिसे प्रीति पी गयी..

"लगता है कि मुझे गोलियाँ खानी शुरू करनी पड़ेगी.. में चाहती हूँ कि तुम मेरी चूत को अपने रस भर दो.." प्रीति ने अपने होठों पर लगे राज के वीर्य को चाटते हुए कहा.

"हां में भी यही चाहता हूँ कि अपने लंड को जड़ तक तुम्हारी चूत मे घुसा पानी छोड़ूं" राज ने कहा.

"ठीक है लेकिन तुम पहले अपनी जीब से मेरी चूत की प्यास बुझाओ... " प्रीति ने कहा और पलंग के किनारे पर टाँगे नीचे कर लेट गयी...

राज उसकी टाँगो के बीच आ गया और अपनी जीब से उसकी चूत को चाटने लगा...

प्रीत अपनी चुचियों से खेलने लगी और सोचने लगी कि क्या सोनिया ने कभी सेक्स का मज़ा लिया है.. और क्या उसे लड़की के साथ सेक्स करना अच्छा लगता होगा.. सोचने लगी कि क्या विवेक का लंड राज के जितना मोटा और लंबा होगा.. वो दोनो कल्पना मे राज और विवेक के लंड की तुलना करने लगी और तभी उसकी चूत ने झटका खाया और पानी छोड़ दिया..
 
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