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Adultery maa ka checkup complete story

rahulrajgupta

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Picture or gif add kro
Hot update
pata nahi kyu jab mai picture upload kar raha hu vo ho nahi paa rahi hai isiliye add nahi hui abhi tak

aur kya aap reason find out kar sakte hai ki pages me image kyo upload nahi ho rahi hai ,main jab jab upload image tab pe jaake click kar image select karta hu ,100 % upload hone ke baad vo image not found ka message dikkha deta hai
 
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rahulrajgupta

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तुम्हारे पापा को मेरी झांटो रहित योनि बिल्कुल पसंद नहीं है इसलिए मैं इनको नहीं बनाती हूं। ममता ने बड़े लजाते हुए धीमी आवाज में अपने बेटे से कहा।

पर माँ मुझे तो अगर तुम्हारी चूत चिकनी होती तो मुझे ज्यादा अच्छा लगता ऋषभ ने अपने होंठो पे जीभ फिराते हुए कहा

अपने बेटे के मुंह से ऐसा उत्तर साफ-साफ-सुन ममता लज्जा और रोमांच से जड़वत सी रह गई और शरमाकर उसने अपना मुंह दूसरा या घुमा लिया .

ऋषभ भी अपने माँ को ऐसे शरमाते हुए देख कर रोमांचित सा हो गया और कहा माँ इसमे शरमाने की जरूरत नहीं है और शायद तुम्हारी यही झांटे तुम्हारी चूत में ज्यादा खुजाली पैदा करती है ,यह कहकर ऋषभ अपनी माँ के झांटो को सहलाने लगा और अपनी उंगलियों से हल्का हल्का अपनी माँ की चूत को दबाने लग।

सॉरी बेटा मुझे किसी भी डॉक्टर के पास जाने से पहले अपने इन बालो को बना लेना चाहिए था। मैं तो शीतल को सोचकर आयी थी। पर अब क्या ही हो सकता हैं मैं घर पे जाकर इनको बना लुंगी ।

सॉरी की जरूरत नहीं है माँ ,मैंने तो इसलिए कहा की यह भी एक कारण हो सकता है तुम्हारी चूत में दर्द और खुजली का और दूसरी बात यह तो अपनी अपनी पसंद की बात है ,पापा को तुम्हारी झांटे पसंद है और मुझे चिकनी चूत।
बड़ी निर्लज्जता से ऋषभ अपनी पसंद को अपने पिता के साथ तुलना कर रहा था और वो भी उस औरत के लिए जो उसके पिता की पत्नी होने के साथ साथ उसकी जन्मदात्री माँ है।

वैसे अगर तुम चाहो तो कुछ किया जा सकता है ?

क्या किया जा सकता है इस प्रश्न को सुनकर ममता के शरीर में मानो हज़ारो चीटिया से काट गयी ,और अवाक् होकर उसका मुँह खुला का खुला रह गया और वह तेजी तेजी साँसे लेने लगी ,हालांकि ममता भी अब अपनी कामाग्नि को बुझा दिन रात के इस तकलीफ से बाहर आना चाहती थी पर पता नहीं क्यों जब उसके बेटे ने उससे ऐसा प्रश्न किया तो उसका दिमाग सुन्न सा पड़ गया।

ऋषभ अपनी माँ को कतई असहज स्तिथि में डालना नहीं चाहता था ,अपनी माँ की स्तिथि भांप एक सधे हुए शिकारी की भाति जाल फेकना था जिसमे न सिर्फ उसकी माँ सहज हो वरन अपने पुरे जिस्म को उसको सौंप दे ताकि वो आज अपनी माँ के जिस्म का उपभोग एक पति की भाति कर सके।

तुम कतई मेरी बात को गलत मत लो ,मेरे लिए तुम अभी भी सिर्फ एक पेशेंट हो जिसको मैंने सिर्फ एक सुझाव देना चाहा है ,पहले तुम बैठ जाओ , और सामान्य स्तिथि में हो जाओ और थोड़ा पानी भी पी लो। ये कहते हुए उसने पानी की बोतल अपनी माँ के तरफ बढ़ा दी। क्योकि अभी तक उसकी माँ उसके बगल में खड़ी थी और वो अपनी माँ की चूत और उससे निकलते गाढ़े द्रव्य की की मादक खुशबु का मजा ले रहा था ,पर अब उसने हाथ पकड़ के ममता को सोफे पे बिठा दिया।

ममता ने बोतल हाथ में लेकर थोड़ा सा पानी ही पिया क्योकि इस कुछ ही देर में वो कई बार पानी पी चुकी थी जिसकी वजह से उसको पिशाब भी आ रहा था पर क्लिनिक में टॉयलेट न होने की वजह से वो पिशाब को साधे बैठी थी।

क्या सुझाव देना चाह रहे थे मुझे ?ममता ने ऋषभ से अटक अटक के पूछा।

माँ मेरा मतलब सिर्फ तुम्हारे बाल बनाने को लेकर था ,ताकि फौरी तौर पर तुम्हे राहत भी मिले और मैं भी खुल के तुम्हारी चूत का चेकउप भी कर पाउ।


बाल बनाना मतलब कैसे और कहा ? ममता ने थोड़ी राहत की सांस लेते हुए अपने बेटे से पूछा।

अपनी माँ को रिलैक्स देख ऋषभ को भी थोड़ा बल मिला और वो बोला बस मैं तो अपने हाथो से तुम्हारी झांटे बनाने के लिए बोल रहा था और ऐसा मैंने एक बेटे होने के नाते बोला ताकि तुम्हारी कुछ मदद कर पाउ। और वैसे भी हम डॉक्टर्स के लिए कोई गलत बात नहीं है क्योकि आप खुद जानती होगी की हम डॉक्टर्स किसी भी मरीज का ऑपरेशन करते वक़्त उसके बाल बनवा देते है फिर चाहे वो सर के हो या गुप्तांगो के हो। हालांकि यह काम नर्सो का होता है पर चूँकि मैं तुम्हारा बेटा हु तो मैंने सोचा क्यों न मैं तुम्हारी कुछ सेवा ही कर दू ताकि तुम्हारा मातृ ऋण कुछ तो अदा कर पाउ।
अब बस ये बता दो तुम्हारा क्या निर्णय है तुम घर जाके स्वयं से इन बालो को बनाओगी या मैं बना दू ?

ऋषभ ने बड़े सहज होकर यह बोल दिया जैसे माँ की झांटे बनाने की सेवा ,उसके पैर दबाने की सेवा के बराबर होती है एक बेटे के लिए । और यह सब बात मेडिकल प्रोफेशन की आड़ लेकर उसने बोल रहा था ,जिसका वहशी खेल वो बहुत देर से अपनी माँ के साथ खेल रहा है।

ममता ने भी एक हलकी से मुस्कान के साथ मन ही मन सोचा की वाह रे मेरे बेटे ,अपनी माँ की झांटे बना के और उसको चोद के तू मातृ ऋण उतारना चाह रहा है। ममता अब एक ऐसे सवाल से रुबरुं थी जिसमे उसको एक अहम् निर्णय लेना था ,अगर वो इस प्रश्न का जवाब हाँ में देती है तो वह पूर्ण रूप से लगभग अपने बेटे को अपने पति के समतुल्य अधिकार प्रदान कर देगी और वह लगभग मूक रूप से अपने बेटे को उसके साथ सम्भोग की इज़ाज़त भी दे देगी और पर साथ ही साथ ऋषभ अगर उसकी झांटे बनाता है तो वह उसको अपनी उस खूबसूरत चूत का दर्शन भी करा पायेगी जिसकी उपेक्षा वह शुरू से ही कर रहा है, पर अगर उसने ना कर दिया तो शायद वो अपनी कामाग्नि कभी न बुझा पाए क्योकि अब इस दहलीज पे आके अपने बेटे को मना करने का मतलब वह सम्भोग की अस्वीकृति में ना ले ले और फिर वो दिन रात कामाग्नि में जलती रहे क्योकि बीमारी के चलते उसके पति राजेश का उसकी आग बुझाना लगभग असंभव सा था और आज अगर उसका बेटा उसे नहीं चोद पाया तो शायद पश्चाताप ,लज्जा ,समाज के चलते वह वो मौका खो दे जिसमे उसकी जिस्म की आग उसका बेटा अभी भी बुझा दे और हमेशा बुझाता रहे।

मैंने तुमसे कुछ पूछा था माँ ,अपनी झांटे तुम खुद घर जाके बनाओगी या मैं बना दू ?बोला न ताकि मैं तुम्हारी समस्या के हल तक जल्दी पहुँच पाऊ।

ठीक है तू ही बना दे .........। बहुत धीमी आवाज और सर निचे करके उसने अपने बेटे को स्वीकृति दे दी।
अपनी माँ के मुँह से हाँ सुन के ऋषभ के तन बदन में झुरझुरी सी दौड़ गयी और उसका लण्ड बिलकुल अकड़ के उफनाने लगा ,तो उसने मन ही मन अपने लण्ड से बोला बस कुछ देर और थम जा फिर तुझे अपनी माँ की चूत और गांड का रस चखाउंगा। उसका लण्ड अब उसकी पैंट में समा नहीं रहा था। ममता यह सब नज़ारा अपनी आँखों से देख रही थी की कैसे उसकी चूत और बेटे के लण्ड ने उन दोनों को अत्यधिक असहज स्तिथि में डाल रक्खा है। पर वह आगे बढ़ कर वह कदम नहीं बढ़ाना चाह रही थी जब वह अपने बेटे से उसे खुद चोदने का प्रस्ताव दे, मर्यादा की चादर तो पहले ही तार तार हो चुकी थी पर जो चन्द धागे बच गए थे ,जिसमे उसका बेटा उसे अब भी माँ शब्द से सम्बोधित कर रहा था ,वह उनको नहीं तोडना चाह रही थी।

इतनी देर में ऋषभ अपनी कुर्सी से उठा और तम्बू बने पैंट के साथ उसने अपने इंस्ट्रूमेंट बॉक्स को खोल के उसमे से रेजर और ब्लेड निकला और अपनी माँ से बोला,

माँ अब तुम इस टेबल पे लेट जाओ ताकि मैं सावधानी के साथ तुम्हारी झांटे बना सकूँ नहीं तो रेजर लग जाने का खतरा बना रहेगा। इतना कह के उसने अपनी माँ के हाथ को पकड़ उसे खड़ा कर दिया ,ममता भी अब मारे शर्म के अपने बेटे से चिपक गयी और अपना मुँह उसके सीने में छुपाने लगी।
ऋषभ ने भी अपनी माँ की इस लज्जा वाली असहज स्तिथि को देख उसका तुरंत लाभ उठाया और रेजर को मेज के एक कोने में रख अपनी माँ को पूर्ण रूप से चिपका लिया ,और मांसल चूतड़ों को अपने पंजे के आगोश में ले लिया और साथ ही साथ सीधे हाथ की तर्जनी उंगली उसके गांड के छेद में धीरे से घुसा दिया। ऋषभ का लण्ड अब अपनी माँ की चूत में टक्कर मार रहा था ,और वह बार बार उसे ,उसकी चूत में पुश भी कर रहा था ,ममता भी इस अहसास से अनजान न थी और अपने बेटे के लण्ड की टक्कर ने उसको और भी मदहोश कर दिया था
लगभग ५ मिनट तक इस स्तिथि में रहने के बाद ऋषभ ने अपने हाथो पे जोर लगा अपनी माँ के चूतड़ों को सपोर्ट लेकर उसको हवा में उठा के फिर उसको मेज पे बिठा दिया। ममता अब भी अपने सिर को ऋषभ के सीने में छुपाये हुए थी।

शरमा क्यों रही हो माँ अगर तुम मुझे सपोर्ट नहीं करोगी तो कैसे मैं अपने उस वादे को पूरा कर पाउँगा जिसमे मैंने तुम्हे वचन दिया था की क्लिनिक छोडने से पहले मैं तुम्हे शारीरिक रूप से स्वस्थ कर पाऊंगा।

फिर ऋषभ ने धीरे से अपनी माँ के बड़े बड़े गोल चुन्चो को अपने हाथ में भर उसे मसलने लगा। ,ममता को ऋषभ का अपनी माँ के चुन्चो से खेलना बड़ा अच्छा लग रहा था। तभी ऋषभ के दिमाग में एक कातिल विचार आया ,अब वो बहुत देर तक अपनी पैंट में अपने लण्ड को कैद नहीं रखना चाह रहा था ,क्योकि उसकी लण्ड की अकड़ाहट ने उसका भी चैन हराम कर रखा था

माँ देखो तो तुम्हारी चूत का रस मेरी शर्ट और पैंट में लग गया है ,तुमने मेरे कपडे ख़राब कर दिए ,अब कैसे मैं घर तक चलूँगा ?

माँ अगर तुम बोलो तो मैं अपनी पैंट शर्ट को उतार केवल अपने अंडर गारमेंट में बना रहूं ,ऐसा तुम्हारा चेकउप भी बिलकुल फ्री माइंड हो के कर पाउँगा। और वैसे भी तुम मुझे बचपन से मुझे मेरे रूम में अंडर गारमेंट्स में ही देखते आयी हो ?
बोलो न माँ ,क्या मैं अपने पैंट शर्ट उतार दू अभी ,तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ?
 
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rahulrajgupta

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सॉरी बेटा ,मेरी वजह से तेरे कपडे ख़राब हो रहे है। तू ठीक कह रहा है अपने कपडे उतार ही ले तू।
ममता भी अब कामुक पटकथा का अंत शीघृ ही अपने अपने बेटे का लण्ड अपनी चूत में डलवाकर करना चाहती थी इसकेलिए ये जरूरी था की दोनों माँ बेटे के तन का मिलन के बीच कपड़ो की दीवार जल्दी से हट ही जाये।

ममता के मुँह से है सुनते ही ऋषभ ने शीघ्र ही अपनी टाई ,शर्ट ,बनियान और पैंट को अपने शरीर से अलग कर दिया ,वह अब अपनी माँ के सामने केवल फ्रेंची में खड़ा था ,पैंट की कैद से छूटते ही उसका 9 "इंच लम्बा और 3 "इंच मोटा विशाल लण्ड उसकी चड्ढी में तना अपनी माँ की चूत की ओर उन्मुख था।

यूँ तो ममता को पहले से ही ऋषभ के विशाल लण्ड का अंदाजा लग गया था पर अब केवल उसको चड्ढी में देख लगभग उसकी पुष्टि भी हो चुकी थी ,अपने बेटे के शानदार लण्ड को देख ममता की नजरे उसी पे टिक गयी। ममता इस हालत में बदहवास सी होती जा रही थी
ऋषभ का बलिष्ठ ,कसरती नंगा शरीर उसके सामने था और वह उसकी मजबूत बांहो के आगोश में समां जाना चाहती थी ,उसकी नजरे ऋषभ के तम्बू से हट ही नहीं रही थी ,वह कामाग्नि में दग्ध होकर अपनी चूत में उंगली डाल अंदर बाहर करने लगी।
अपनी माँ की यह हालत देख ऋषभ यह जान गया की बस कुछ देर की बात है उसके बाद उसकी माँ खुद उसके लण्ड से चुदने की लिए अपना जिस्म उसे सौंप देगी। हालांकि अब उससे भी रहा नहीं जा रहा था और वह बार बार अपने सयंम को सराह रहा था और कुछ देर और रुकने का आश्वाशन स्वयं को दे रहा था

माँ अब तुम लेट जाओ ताकि मैं तुम्हारी झांटे बना सकू। पर ममता की नजरे अब भी ऋषभ की छुपे हुए लण्ड पे टिकी थी ,
क्या देख रही माँ ? , ऋषभ ने ममता का चेहरा अपने हाथो में लेकर उसकी आँखों में देखकर बोला ।
कुछ नहीं बेटा ,बस ये देख रही हु की मेरा बेटा कितना बड़ा हो गया है , ऋषभ बड़ी खुसनसीब होगी वो लड़की जो तेरी पत्नी बनेगी ,तू उसको बहुत खुश रखेगा मेरे लाल ,मुझे पूरा भरोसा है।
हा माँ ,तेरा बेटा भी बड़ा हो गया है और बेटे का लण्ड भी बड़ा हो गया है ,ऋषभ ने हँसते हुए बोला और धीरे से ममता का हाथ अपनी फ्रेंची में तम्बू बने लण्ड पे रख दिया।
अपने बेटे का लण्ड हाथ में आते ही मानो ममता की पुरे शरीर में कामोन्माद की बिजली दौड़ गयी ,उसका बदन अकड़ने लगा और उसने कस की ऋषभ की लण्ड को अपने हाथो में दबाने लगी ,साथ ही साथ उलटे हाथ की उंगलिओ को अपनी चूत की अंदर कस कस कर डालने लगी ,

ठीक है माँ तुम अब जल्दी से लेट जाओ , इतना कह कर ऋषभ ने उसे मेज पर लिटा दिया और आगे आकर उसकी गदराई जांघो को फैला कर उसकी गुच्छेदार झांटो वाली चूत को निहारने लगा ,वह जल्द से जल्द उनको साफ़ कर अपनी जन्मस्थली को निहारना और चूसना चाहता था ,उसने तुरंत रेजर को उठा कर सधे हुए हाथो से उन बालो को रेजर से छीलने लगा ,चंद ही मिनटों की सफल मेहनत की बाद ममता की गदराई ,चिकनी चूत ऋषभ की आँखों की सामने थी।


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तुम्हारी चूत इस उम्र में भी कितनी सुन्दर है माँ ,मंत्रमुग्ध चेहरे से ऋषभ एकटक उस अप्रतिम चूत को निहारने लगा , और अपनी नाक को चूत की पास ले जा कर उसकी मादक सुगंध को सूंघने लगा ,यह तो बहुत ही खूबसूरत है माँ और इसकी खुश्बू कितनी मादक है , हक़ीक़त में तुम एक अदित्विय ,अप्रतिम सौंदर्य की स्वामिनी हो , भाग्यशाली हु जो पापा के बाद दूसरा ऐसा पुरुष बन पाया जिसने इसकी मादक गंध को न सिर्फ सुंघा बल्कि इसको भोगने का सौभाग्य भी प्राप्त कर पा रहा हूँ। यह कहते कहते वह अपना हाथ की उंगलिया अपनी माँ की चूत की फूली हुई फांको के बीच छुआने लगा।


अपने बेटे की मुँह से अपनी चूत की ऐसी प्रशंशा सुन ममता पिघली जा रही थी यह शब्द सुनने की लिए उसके कान कबसे तरस रहे थे ,पर वह बन कर बोली चल रे झूठे तुझे इस बूढ़ी चूत में में ऐसा क्या दिख दिख रहा है जो तू इतनी तारीफ कर रहा है ,


सच कह रहा हु माँ ,इस उम्र में तो औरतों की चूत ढीली होके लटकने लगती है ,पर तेरी चूत तो अभी भी कितनी सुडौल है ,इसकी दोनों फांको में अभी भी इतना रस भरा है की यह किसी की भी जान ले ले।


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यह कह कर ऋषभ ने अपनी जबान अपनी माँ की चूत पे टिका दी और उस पर भूखो की तरह टूट पड़ा ,वह अपनी जीभ को उसकी चूत की गहराईओं में डाल डाल कर उसे चोद रहा था ,इधर ऋषभ की इतना करते ही ममता चर्मोन्माद पे पहुँच गयी और ऋषभ का सर अपनी चूत में दबाने लगी ,उसकी चूत अब बेकाबू होकर अपना रस और मूत्र का मिला जुला मिश्रण ऋषभ की मुँह में उड़ेलने लगी

आह,,,, आह,,, आह ,,, बेटा मैं झड़ रही हु इतना कह कर उसका बदन अकड़ने लगा ,माँ का ओर्गेस्म और पिशाब बेटे की मुंह में टप्प टप्प कर समाने लगा।

ओह्ह यह कितना स्वादिष्ट है माँ ,ऋषभ ने अपना मुँह पूरा खोल उस अमृत कलश को अपने मुँह में समां लिया ताकि वह उसकी एक एक बून्द का उपभोग कर सके , ,वह तेजी से फिर अपनी जबान को ममता की चूत पे फेरने लगा,

ममता की चूत का रस पिशाब और पसीने से क्लिनिक का पूरा वातावरण में मादक गंध फ़ैल रही थी ,माँ बेटे का वह कामुक खेल वहा पर चल रहा था।
 

rahulrajgupta

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ऋषभ ,वहशियों की तरह अपनी माँ की चूत को चूत चाट रहा था ,कभी वो कामोन्माद होकर उसकी चूत चाटने लगता कभी अपनी जीभ को उसके अंदर डालने लगता ,कभी अपनी माँ के चूत के दाने को मुँह में भर लेता ,हर बार ऋषभ की जीभ ममता पर कहर ढा रही थी वो कामवासना के चरमोत्कर्ष पर थी और उसकी चूत निरंतर उसके खुद के बेटे को उसके गाढ़े काम रस का मेहनताना दे रही थी


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चाट ले रेशु ,चाट ले , खा जा मेरी चूत को ,बड़ा अच्छा लग रहा है बेटा,तू जान भी नहीं सकता की तू मुझे क्या सुख दे रहा है ,जल रही थी ,तेरी माँ । अपनी ही कामवासना में ,और चाट रेशु और चाट ,आज इस चूत की आग को बुझा दे मेरे लाल।। यह कहते कहते वह उसके मुँह में झड़ने लगी। ऋषभ भी अपनी माँ की काम रस की एक बून्द को व्यर्थ जाने नहीं दे रहा था

ममता अब मर्यादा की हर दिवार को तोड़ चुकी थी अब उसको अपने ही बेटे को उसकी चूत के मर्दन का प्रस्ताव देने में कोई झिझक नहीं थी ,अब वो बस किसी भी तरह अपनी आग को बुझाना चाह रही थी।

कामोन्माद के इसी चरम में ममता न जाने कब नियंत्रण खो बैठी और उसकी चूत से निकली पिशाब की धार ,ऋषभ के गले को तर करने लगी



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अपनी माँ के चूत से यूँ पिशाब की धार निकलती देख वह भी मानो पागल सा हो उठा और गटा गट उस कामुक जलधारा को पीने का प्रयास करने लगा।
अपने बेटे को उसका पिशाब पीते देख ममता झटके से मेज से उतर खड़ी हो गई ,ये
मत पी रेशु ,ये गंदा है ,कह के फिर से चीखी।

पर मैं अब अपनी पिशाब को रोक नही पा रही हु ,ये कहते कहते खड़े खड़े ही उसका पिशाब उसकी टांगो से बहकर निचे गिरने लगा।
पर ऋषभ अब रुकना नही चाह रहा था उसी माँ की बुर से छल छला के निकलते पिशाब की बूंदो ने उसकी कामवासना को चरम पर पहुंचा दिया था और वह ,"कुछ गंदा नही है" ,कहकर फिर से उसने ममता की चूत पर अपनी जीभ टिका दी।



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फिर से एकबार वो अपनी माँ की चूत से निकलती ,अठखेलिया करती उस जलधारा को अपने मुँह में भरने लगा ,उसे मानो ऐसा लग रहा था की उसने अपना मुँह शराब उड़ेलती सुराही के मुहाने पे लगा दिया हो। और वो जितना उस शराब को पी सकता था पूरा पीना चाहता था ।

ममता भी उसको ऐसा फिर से करता देख रोमांच के सागर में तैरने लगी थी ,उसका रोवै रोवै से कामवासना झटके मार रही थी।

वासना से भरी इस क्रिया की समाप्ति के बाद अब ऋषभ अंतिम परिणति की तरफ बढ़ना चाह रहा था ,फ्रेंची के अंदर कैद उसका लौड़ा अब सहनशीलता की स्तिथि से बाहर हो चूका था ,वो उसको अब माँ के मुँह का स्वाद चखना चाहता था और फिर उसकी चूत और गांड की भीतरी दीवारों से टकराकर उसे परम सुख की अनुभूति देना चाह रहा था।

पर ऋषभ अपनी और माँ के इस कामवेग की समाप्ति के बाद ये कतई नही चाहता था की कही माँ अपनी अपनी कामवासना की समाप्ति के बाद अपराध बोध से ग्रस्त हो जाये और फिर से उसे भविष्य में अपने इन कामुक गुप्तांगो को भोगने का मौका न दे।
वो चुदाई के पहले अपनी माँ का मन पढ़ लेना चाहता था और इस बात को पक्की कर लेना चाह रहा था ।

ऋषभ उठा और अपनी माँ को गाके लगा के उसका मुँह ,माथा और जुनूनी अंदाज में चूमने लगा और बोला ,

मुझे प्यार करो माँ ,मेरे गले लग जाओ ,बहुत सालो दूर रहा हु तुमसे ,तुम्हारी याद ने मुझे पल पल जलाया है ,तुम्हारी ममता के साये से दूर रह मैं हरवक़्त तुझे याद करता था ,पर तुम नही थी माँ,तुम कही नही थी ,
अब मुझसे दूर मत जाना माँ ,नही तो मैं मर जाऊंगा ,तुम्हारा साथ ही अब मेरी ख़ुशी है और तुझसे दूर होना ही मौत।

ममता भी अब ऋषभ को बेतहाशा चूमने लगी और बोली ,बस बेटा बस आज मैं तुम्हे बहुत प्यार दूंगी , बेइंतहा प्यार दूगी ,जिस प्यार से तू हमेशा अछूता रहा तेरी माँ तुझे उससे बढ़कर प्यार देगी ,मैं अब कभी तुमसे दूर नही जाउंगी ,हमेशा तेरे पास रहूंग।

नही दोगी माँ ,तुम नही दोगी , यहाँ से जाने के बाद फिर से तुम समाज ,मर्यादा , ,हदे ,की बात करोगी ,और मुझे फिर से छोड़ दोगी अँधेरे सायो में सुबकने के लिए ,ये कह ऋषभ ममता की गर्दन से लिपट सुबकने का स्वांग रचने लगा ।

नही मेरे लाल ,अब से माँ तेरी है ,वो हमेशा से तेरी थी ,और हमेशा तेरी रहेगी ,मैं तुम्हे बहुत प्यार करुँगी यह कह के ऋषभ के ओंठो में अपने ओंठ डाल उन्हें तेजी से चूमने लगी ,
मुझे वचन दो माँ ,अपनी ममता का वचन ,की तुम हमेशा मेरे पास रहोगी ,हम हमेशा ऐसे ही एक दूसरे को प्यार देते रहेंगे।

है रेशु है ,मैं तुझे वचन देती हु ,हम हमेशा ऐसे ही प्यार करते रहेंगे ,तू ही तो है बेटा ,जिससे मैं हर बात कह पायी ,अब तू ही हमेशा मुझे प्यार देगा ,तेरे पापा से पहले मैं तेरी हू।

सच माँ ,अगर पापा और मेरा दोनों का किसी दिन चोदने का मन हुआ ,तो तू पहले मुझसे चुदेगी पापा से बाद में ,ऋषभ हस्ते हुए कहने लगा

रेशुऊ उउउ तू कितना शरारती है ,लजा कर ममता ऋषभ के ओंठो में ओंठ डाल देती है

माँ और बेटा दोनों खड़े होकर एक दूसरे से चिपके हुए थे ,ओंठो में ओंठ डाले ,ममता के बड़े गोल गोल चुन्चे ऋषभ की छाती में धंसे जा रहे थे ,ऋषभ का लन्ड फ्रेंची के ऊपर से माँ की चूत पे टंकारे मार रहा था और हाथ उसके दोनों हाथ उसके गोल गोल चूतड़ों को मींजने में लेंगे थे।

जब बर्दाश्त की सीमा पार होने आयी तब ऋषभ ने अपने तन से उस आखिरी कपडे कप भी दूर कर दिया जो दो नंगे जिस्मो के बीच दीवार बन रहा था।

जैसे ही ऋषभ का लन्ड चड्ढी से बहार आया वो फनफनाता हुआ ममता को अपना विकराल रूप दिखने लगा ,ऋषभ ने अपनी माँ का मुँह सर अब अपने लन्ड से सटा दिया ,और उसे ममता के मुँह में डाल चुसाने लगा।
ममता ने भी घुटने जमीन डाल अपने बेटे के लन्ड के टोपे को जीभ से तराशने लगी और दोनों हाथ में भर कर बोली ,कितना बड़ा और शानदार लन्ड है रे तेरा ,ये तो तेरे पापा से भी बहुत बड़ा है ,आज मैं इसे भरपूर प्यार दूंगी कह के ममता लन्ड को गले में उतार अंदर बहार करने लगी।



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अपनी माँ का ऐसे लन्ड चूसने से ऋषभ गनगना उठा और कस कस के उसके मुँह को चोदने लगा ,करीब 5 मिनट के बाद दोनों 69 पोजीशन में आकर एक दूसरे के गुप्तांगो को चूसने चाटने लगे।

ऋषभ अपनी खुरदुरी जीभ से ममता की क्लीटोरिस को चाट चाट कर उसे पागल सा कर किये जा रहा था कभी वह अपनी उंगलिया ममता की चूत की दोनों पंखुड़ियों को खोल उस गीली मचलती चूत में पूरी जीभ पेल देता कभी अपनी उंगली को टेढ़ा कर उसकी चूत के सुरंग की अंदरूनी दीवारों को रगड़ने लगता । उसकी जीभ और उंगली दोनों ही माँ को बराबर का आनंद दे रहीं थीं ,
ममता भी उतनी ही कामतिरेक में उसके लन्ड को गपा गप मुँह में अंदर बाहर कर रही थी ,

बेटे ने माँ की चूत के दाने से उसके मोती से खेल उसे वासना के चरम पे पहुंचा दिया और एक बार फिर माँ
आह...रेशु ..आंह ...ऊम्म्म्म...हं..हं.. आ..आ...आह्ह्ह मेरी चू..ऊ..ऊ...त आह्ह.मैं झड़ने वाली हु वाली हूँ कह
अपना कामरस बेटे के मुँह में टपकाने लगी ,बेटा भी माँ की चूत के छत्ते से टपकता शहद का एक एक कतरा अपने गले में समाता चला जा रहा था।

ऋषभ भी अब झड़ने को था वह उठ खड़ा हुआ और कस कस के ममता के मुँह में अपना लन्ड डाल कमर चलाने लगा ,करीब २ मिनट तक करने के बाद वो उसके मुँह में झड़ता चला गया और अपना पूरा वीर्य माँ के गले में भर दिया ,ममता भी अपने बेटे के वीर्य का एक एक बून्द स्वाद लेकर निगलने लगी
 
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Bhai bhut bhut dhanyavaad iss kahani ko likhne ke liye......
Hindi me kahani hamesha hi garama deti hai
Majaa aa gaya wait to see end
 
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