वासना का दौर खत्म हुआ कंचन के लिए और वो बेसुध होके विवान के उपर लेटी हुई थी अपने बड़े स्तन विवान की छाती में दबाए उसके कंधे पे अपना सर रख के आंखे बंद कर के आराम कर रही थी विवान का लन्ड अभी भी खड़ा था और उसकी चूत के अंदर दस्तक दे रहा था पर कंचन इतनी थक चुकी थी की वो विवान के सीने पे सो गई थी
विवान भी छत को देखते हुए सोच रहा था आज उसने एक औरत की वासना देखी थी उसे पता था कि औरत को बलिस्ट बदन और मर्द के गोल बड़े कठोर नितंब आकर्षित करते है आज उसने उसकी जलक भी देख ली
वैसे ये बात उसकी मां कंचन ने ही उसे बताई थी जब उसने पूछा या की औरत मर्द में क्या पसंद करती है तब उसकी मां ने ही उसे बताया था कि औरत मर्द के कसरती शरीर पे आकर्षित होती है फिर भले ही वो बड़ा हो या छोटा हो पर उसका बदन कठोर होना चाहिए उसका सीना चौड़ा और कंधे बड़े दिखने चाहिए साथ ही औरत का आकर्षण उसका पिछवाड़ा भी होता है एक पूर्ण शरीर के मालिक से औरत तुरंत आकर्षित हो जाती है बस वो देखती नहीं है पर चोरी छुपे वो मर्दों में यही सब नोटिस करती है
यही सोचते हुए उसे आज अपनी मां की हरकते गलत नही लग रही थी वो औरत की भावना को समझता था और उसमे उसकी मां का ही हाथ था इसी वजह से वो अपनी मां को भरपूर सुख देता था इसी लिए कंचन को विवान के अलावा कोई और दिखता ही नही था
विवान ने जब अपनी मां की और देखा तो उसका भोला गोल खूबसूरत चेहरे को देखता ही रहा उसे कंचन पे और भी प्यार आ रहा था विवान ने कंचन के गाल को सहलाते हुए उसके माथे को चूम लिया वो कंचन के गाल को सहलाते हुए उसे आराम से सोता हुआ देख रहा था विवान ने कंचन की कमर को थोड़ा उठा के अपने लन्ड को उसकी चूत से निकाल लिया लन्ड अभी खड़ा था उसकी नशे अभी भी चढ़ी हुई थी कंचन ने जिस तरह से उसे रगड़ा था ना ही वो बैठ रहा था ना वो संखलित हो रहा था लन्ड कंचन के रस से अभी भी भीगा हुआ था पर फिर भी उसे अभी भी उसपे जलन हो रही थी
विवान उसी हाथ से कंचन के गाल और होठों को सहलाने लगा उसके हाथ पे अभी ही कंचन का रस लगा हुआ था जो उसके गाल और उसके होठों पे लग गया था और उसकी खुशबू से कंचन के होठ अपने आप ही खुल गए थे और आधी नींद में ही कंचन की गरम सांसे और उसके खुले होठ को देख के विवान अपने आप को रोक नहीं पाया और कंचन के होठो को चूमने लगा और उसके हाथ को अपने लन्ड पे ले जाके नीचे से पकड़ के अपनी मुट्ठी कंचन के हाथ पे बांध के लन्ड को धीरे धीरे सहलाते हुए कंचन के होठो को चूम रहा था उसकी मां के होठो पे लगे उसके रस ने विवान के अंदर एक नशा जगा दिया था और वो उसी नशे जुमते हुए अपनी मां के होठो को चूम रहा था थोड़ी देर ऐसे ही चूमने के बाद उसने अपने होठ को हटाया और उसके चेहरे की और देखा पर कंचन तो वैसे ही पड़ी थी बस थोड़ी हिली थी जैसे उसे नींद में हिलते है वैसे ही
तभी विवान को अपने लन्ड पे और जलन होने लगी उसे जोर से पेशाब लगी थी और उस प्रेशर को वजह से उसे लन्ड पे और जलन हो रही थी उसने फौरन अपनी मां कंचन के हाथ को हटाया और उसे नीचे से निकल के उसे वही पे सोने दिया और वो जल्दी से बाथरूम की और जाने लगा उसका लन्ड प्रेशर से इतना कड़क हो गया था की वो उसके जल्दी से चलने से उपर नीचे हो रहा था जो देखने में भयंकर लग रहा था अगर कंचन होश में होती या कोई और भी होती तो इस नजारे को देख के विवान को पकड़ के पटक देती और अपने अंदर उसके लन्ड को ले लेती और तब तक नही छोड़ती जब तक की उसका पानी ना निकल जाए पर विवान की खुसनशीबी थी के वहा पे कोई था नहीं वरना उसके लन्ड के 12 बजने से कोई रोक नहीं सकता था
खैर वो जल्दी से बाथरूम अंदर घुस गया और नल को खोल के चालू कर दिया नल से ठंडा पानी की धार शुरू हो गई विवान ने अपने लन्ड को पकड़ के नल के नीचे ठंडे पानी की धार के बीच में रख दिया ठंडे पानी ने जलन को मिटाना शुरू कर दिया उसके मुंह से राहत की आह्ह्ह निकली विवान आंखे बंद किए ऐसे ही अपने लन्ड को ठंडा करने लगा उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे गरम लोहे के रोड को पानी की बाल्टी में ठंडा करने को डाला है जब ठंडे पानी ने अपनी ठंडक से लन्ड को ठंडा किया तो उसमे से धीरे धीरे पेशाब की बुंदे निकल ने लगी पेशाब निकलते ही विवान को फिर से जलन होने लगी ऐसा लग रहा थकी पेशाब अटक अटक के अंदर जलन भर के निकल रहा हो जब तक पेशाब निकलता रहा उसे जलन होती रही जब पूरा निकल गया तब उसे राहत हुई उसने ऐसे ही अपने लन्ड को रहने दिया ताकि वो बैठ जाए और वो भी कंचन की बगल में जाके सो जाए जिस तरह से कंचन आराम कर रही थी वो उसे उठाना नही चाहता था लेकिन लन्ड था की बैठने का नाम नहीं ले रहा था उसने इंतजार किया पर कोई फायदा नही हुआ तो विवान ने साबू से अपने लन्ड को अच्छे से साफ कर लिया और सोने के लिए बिस्तर पे जाने लगा उसने सोचा की वो जाके सो जाए लन्ड अपने आप ही बैठ जाएगा पर जब वो बाथरूम से निकल के रूम में आया तो बिस्तर का नजारा देख के उसका लन्ड और कड़क हो गया और उपर नीचे ठुमके लगाने लगा
नजारा कुछ ऐसा था
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