UPDATE :-4
थोड़ी देर बाद मैंने अपना ब्रेकफास्ट किया और ऑफिस के लिए निकल गया… पर पता नहीं आज क्यों आज मेरा ऑफिस में मन नहीं लग रहा था…. चुकी बॉस के बाद मैं ही ऑफिस का हेड था सो मैंने सभी को अपना अपना वर्क बताया ओर दोपहर के 2 बजे वापस घर आ गया….
घर आया तो देखा पियू हॉल में सोफे….
अब आगे :-
पर ही सो रहा था…….शायद स्कूल में कुछ ज्यादा ही उछल कूद कर ली थी उसने सो थकान के मारे वही सो गया…… मैंने पियू को अपनी गोद में उठाया ओर अपने साथ उसे अपने रूम में ले आया…..
रूम में आ कर मैंने अपनी ड्रेस चेंज की और फ्रेश हो कर पियू के पास बेड पर आ गया…….. सुबह से मन अच्छा नहीं था सो खाने की भी इच्छा नहीं थी सो मैंने सोना ही बेटर समझा ओर पियू के बालों में हाथ फेरने लगा ओर सोने की कोशिश करने लगा…..
पर नींद भी तो अपनी बैरन थी, साला जितनी कोशिश करलू आज ना आने वाली थी…. सो मैं फिर से पुरानी यादों में खो गया…..
6 साल अगो…..
आज मेरा पूरा दिन खराब निकाला, ना तो पढ़ाई का मान कर रहा था ओर ना ही खेलने खाने का…… पता नहीं क्यों बस मुझे उस लड़की के बारे में सोच सोच कर अपने उप्पर गुस्सा आ रहा था…..
आज रात नींद भी बड़ी मुश्किल से आई सुबह उठा तो देखा 7 बज चुके थे ओर 8 बजे से कोचिंग थी सो जल्दी से नहा धो कर भगा कोचिंग की तरफ अपनी मरी हुई सी साइकिल ले कर……
यू ही क्लासस खत्म होती गयी ओर 5 बज गये कोचिंग खत्म होने का टाइम…. जैसे ही क्लास खत्म हुई मैं उस लड़की को ढूंढ़ने लगा……. हमारी कोचिंग में लगभग 3000 स्टूडेंट्स थे सो उसे ढूंढ़ना ओर वो भी छुट्टी के टाइम बड़ा मुश्किल था…..
काफी देर ढूंढ़ने पर भी जब वो ना मिली तो मैं घर आ गया…. घर आ कर कपड़े चेंज किए ओर सीधा देव के घर के लिए निकल गया….
देव के घर पहुँचते मेरा मान खुश हो उठा ओर हो भी क्यों ना, जिस लड़की को मैं सुबह से ढूँढ रहा था वो देव के घर में सोफे पर बैठी थी……. मैंने उस से हे हेलो किया लेकिन उसने कोई जवाब ना दिया….. मैंने भी जगह की नजाकत को समझते हुए वहां से निकलना ही मुनासिब समझा ओर देव के रूम में आ गया.
देव से थोड़ी इधर उधर की बातें करने के बाद मैंने देव से पूछ…
मैं: अबे ये लड़की तेरे घर में कैसे…..
देव : हमारे नये पड़ोसी है ये मल्होत्रा ….
“इट’से इंट्रोडक्षन टाइम……
अंकिता : एक भोली भाली सी लड़की, नेचर की काफी अच्छी….. बिन मां की बेटी….. लेकिन फिर भी संस्कार तो मानो कूट -कूट के भरे थे उसमें…… उम्र ** साल… बिलकुल अब की एलिया भाट जैसी देखती थी…. अडॉरेबल…
राज मल्होत्रा : अंकिता के पापा ओर देव के पापा के मुंह बोले साले…… गवर्नमेंट. टीचर…. अभी 5 दिन पहले ही इनकी यहां पोस्टिंग हुई थी….. मिड्ल क्लास रहण सहन था इनका….
अंकिता का उसके पापा के अलावा कोई नहीं था ना कोई चाचा, मामा ओर ना ही कोई दादा या नाना….. सो जैसा की आपको पता है राज अंकल देव के मुंह बोले मामा थे सो अब वो यही रहने वाले थे…. ”
मैं: क्या बात कर रहा है, मैं जब 2-3 दिन पहले आया था तब तो नहीं थे ये….
देव: इनको तो आए 4-5 दिन हो गये….. ओर तू ऐसे बोल रहा है जैसे तूने इनको देखा ही ना हो….
मैं: यार मैं इन्हें पहले ही देख लेता तो तुझसे पूछता…..
देव: अरे वो मेरे ऐक्टर, बड़ी अच्छी ऐक्टिंग कर लेता है तू तो….
मैं(गुस्से से) : देख साले अब ये पहेलियाँ भुजाना बंद कर ओर सीधे सीधे बता तू ये सब क्यों बोल रहा है….
देव: तू जब उस दिन घर आया था तो तूने जो बुक्स मेरी समझ के फाड़ दी थी ना वो उसी अंकिता की थी जो अभी नीचे बैठी थी….. ओर जब उसने तुझे रोकना चाहा तो तूने उसे धक्का दे कर गिरा दिया था ओर सीधा अपने घर चला गया था…..
मैं : ओह तेरी अब समझ आया, ये कल सुबह कोचिंग आते ही मुझ पर भड़क क्यों गयी थी, लेकिन यार मैंने तो उसे नेहा समझ कर धक्का दिया था…… मैंने तो ये सोचा भी नहीं था की वो नेहा नहीं अंकिता थी….
माय बेड लक……
देव: क्या कोचिंग में…… ःःहह्हहह तब तो तेरी पूरी उतरी होगी उसने…
मैं: वो तो है लेकिन यार अब मुझे उस से माफी माँगनी है, तू कोई जुगाड़ बैठा ना…..
देव: देखता हूँ…. पर पूरी बात तो बता….
मैंने देव को पूरी बात बताई ओर ये सुन कर देव बिना कुछ बोले नीचे चला गया…..
थोड़ी देर बाद जब देव वापस आया तो उसके साथ अंकिता भी थी…..
अंकिता के आते ही मैंने सबसे पहले उस से माफी माँगी ओर उसे पूरी बात बताई….
अंकिता : जो भी हो मैं तुम्हें माफ नहीं कर सकती, तूने मेरी पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया….. तुम्हें पता है मैंने कितनी मेहनत से वो नोट्स बनाए थे….
मैं: सॉरी अंकिता लेकिन अब वो नोट्स तो वापस नहीं आ सकते ना…. लेकिन हां अगर तुम मुझे माफ कर दो तो मैं तुम्हें अपने नोट्स दे सकता हूँ….
देव: अरे हां, ये सही है…. ओर अंकिता तुम्हें पता है, खुशाल अपनी क्लास का सबसे होशियार लड़का है, इसके नोट्स ले लो….. तुम्हारी काफी हेल्प होगी….
उस दिन के बाद मेरी जिंदगी मानो बदल सी गयी थी, मैं खुद अपने आप में एक नया ही चेहरा देखने लगा था……… साथ ही साथ मैं अपने इस बदलाव से खुश भी था……
अब मैं एक इनोसेंट और रोमॅंटिक लड़का हो चला था…… इन 3-4 महीनों में मुझमें आए बदलाव से मेरे घर वाले भी खुश थे क्योंकि अब मैं पहले से ज्यादा पढ़ाई में ध्यान देने लगा था, साथ ही साथ कॉलेज में भी कल्चरल और अदर प्रोग्रॅम्स में पार्टिसिपेट करने लगा था…..
आख़िर कर वो दिन भी आ गया जब मेरा एंट्रेंस का रिज़ल्ट आने वाला था…..
मेरी….