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Romance Meri Life - kora kagaz

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UPDATE :-4


थोड़ी देर बाद मैंने अपना ब्रेकफास्ट किया और ऑफिस के लिए निकल गया… पर पता नहीं आज क्यों आज मेरा ऑफिस में मन नहीं लग रहा था…. चुकी बॉस के बाद मैं ही ऑफिस का हेड था सो मैंने सभी को अपना अपना वर्क बताया ओर दोपहर के 2 बजे वापस घर आ गया….

घर आया तो देखा पियू हॉल में सोफे….

अब आगे :-



पर ही सो रहा था…….शायद स्कूल में कुछ ज्यादा ही उछल कूद कर ली थी उसने सो थकान के मारे वही सो गया…… मैंने पियू को अपनी गोद में उठाया ओर अपने साथ उसे अपने रूम में ले आया…..

रूम में आ कर मैंने अपनी ड्रेस चेंज की और फ्रेश हो कर पियू के पास बेड पर आ गया…….. सुबह से मन अच्छा नहीं था सो खाने की भी इच्छा नहीं थी सो मैंने सोना ही बेटर समझा ओर पियू के बालों में हाथ फेरने लगा ओर सोने की कोशिश करने लगा…..

पर नींद भी तो अपनी बैरन थी, साला जितनी कोशिश करलू आज ना आने वाली थी…. सो मैं फिर से पुरानी यादों में खो गया…..

6 साल अगो…..

आज मेरा पूरा दिन खराब निकाला, ना तो पढ़ाई का मान कर रहा था ओर ना ही खेलने खाने का…… पता नहीं क्यों बस मुझे उस लड़की के बारे में सोच सोच कर अपने उप्पर गुस्सा आ रहा था…..

आज रात नींद भी बड़ी मुश्किल से आई सुबह उठा तो देखा 7 बज चुके थे ओर 8 बजे से कोचिंग थी सो जल्दी से नहा धो कर भगा कोचिंग की तरफ अपनी मरी हुई सी साइकिल ले कर……

यू ही क्लासस खत्म होती गयी ओर 5 बज गये कोचिंग खत्म होने का टाइम…. जैसे ही क्लास खत्म हुई मैं उस लड़की को ढूंढ़ने लगा……. हमारी कोचिंग में लगभग 3000 स्टूडेंट्स थे सो उसे ढूंढ़ना ओर वो भी छुट्टी के टाइम बड़ा मुश्किल था…..

काफी देर ढूंढ़ने पर भी जब वो ना मिली तो मैं घर आ गया…. घर आ कर कपड़े चेंज किए ओर सीधा देव के घर के लिए निकल गया….

देव के घर पहुँचते मेरा मान खुश हो उठा ओर हो भी क्यों ना, जिस लड़की को मैं सुबह से ढूँढ रहा था वो देव के घर में सोफे पर बैठी थी……. मैंने उस से हे हेलो किया लेकिन उसने कोई जवाब ना दिया….. मैंने भी जगह की नजाकत को समझते हुए वहां से निकलना ही मुनासिब समझा ओर देव के रूम में आ गया.

देव से थोड़ी इधर उधर की बातें करने के बाद मैंने देव से पूछ…

मैं: अबे ये लड़की तेरे घर में कैसे…..

देव : हमारे नये पड़ोसी है ये मल्होत्रा ….

“इट’से इंट्रोडक्षन टाइम……

अंकिता : एक भोली भाली सी लड़की, नेचर की काफी अच्छी….. बिन मां की बेटी….. लेकिन फिर भी संस्कार तो मानो कूट -कूट के भरे थे उसमें…… उम्र ** साल… बिलकुल अब की एलिया भाट जैसी देखती थी…. अडॉरेबल…
राज मल्होत्रा : अंकिता के पापा ओर देव के पापा के मुंह बोले साले…… गवर्नमेंट. टीचर…. अभी 5 दिन पहले ही इनकी यहां पोस्टिंग हुई थी….. मिड्ल क्लास रहण सहन था इनका….

अंकिता का उसके पापा के अलावा कोई नहीं था ना कोई चाचा, मामा ओर ना ही कोई दादा या नाना….. सो जैसा की आपको पता है राज अंकल देव के मुंह बोले मामा थे सो अब वो यही रहने वाले थे…. ”

मैं: क्या बात कर रहा है, मैं जब 2-3 दिन पहले आया था तब तो नहीं थे ये….

देव: इनको तो आए 4-5 दिन हो गये….. ओर तू ऐसे बोल रहा है जैसे तूने इनको देखा ही ना हो….

मैं: यार मैं इन्हें पहले ही देख लेता तो तुझसे पूछता…..

देव: अरे वो मेरे ऐक्टर, बड़ी अच्छी ऐक्टिंग कर लेता है तू तो….

मैं(गुस्से से) : देख साले अब ये पहेलियाँ भुजाना बंद कर ओर सीधे सीधे बता तू ये सब क्यों बोल रहा है….

देव: तू जब उस दिन घर आया था तो तूने जो बुक्स मेरी समझ के फाड़ दी थी ना वो उसी अंकिता की थी जो अभी नीचे बैठी थी….. ओर जब उसने तुझे रोकना चाहा तो तूने उसे धक्का दे कर गिरा दिया था ओर सीधा अपने घर चला गया था…..

मैं : ओह तेरी अब समझ आया, ये कल सुबह कोचिंग आते ही मुझ पर भड़क क्यों गयी थी, लेकिन यार मैंने तो उसे नेहा समझ कर धक्का दिया था…… मैंने तो ये सोचा भी नहीं था की वो नेहा नहीं अंकिता थी….

माय बेड लक……

देव: क्या कोचिंग में…… ःःहह्हहह तब तो तेरी पूरी उतरी होगी उसने…

मैं: वो तो है लेकिन यार अब मुझे उस से माफी माँगनी है, तू कोई जुगाड़ बैठा ना…..

देव: देखता हूँ…. पर पूरी बात तो बता….

मैंने देव को पूरी बात बताई ओर ये सुन कर देव बिना कुछ बोले नीचे चला गया…..

थोड़ी देर बाद जब देव वापस आया तो उसके साथ अंकिता भी थी…..

अंकिता के आते ही मैंने सबसे पहले उस से माफी माँगी ओर उसे पूरी बात बताई….

अंकिता : जो भी हो मैं तुम्हें माफ नहीं कर सकती, तूने मेरी पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया….. तुम्हें पता है मैंने कितनी मेहनत से वो नोट्स बनाए थे….

मैं: सॉरी अंकिता लेकिन अब वो नोट्स तो वापस नहीं आ सकते ना…. लेकिन हां अगर तुम मुझे माफ कर दो तो मैं तुम्हें अपने नोट्स दे सकता हूँ….

देव: अरे हां, ये सही है…. ओर अंकिता तुम्हें पता है, खुशाल अपनी क्लास का सबसे होशियार लड़का है, इसके नोट्स ले लो….. तुम्हारी काफी हेल्प होगी….

उस दिन के बाद मेरी जिंदगी मानो बदल सी गयी थी, मैं खुद अपने आप में एक नया ही चेहरा देखने लगा था……… साथ ही साथ मैं अपने इस बदलाव से खुश भी था……

अब मैं एक इनोसेंट और रोमॅंटिक लड़का हो चला था…… इन 3-4 महीनों में मुझमें आए बदलाव से मेरे घर वाले भी खुश थे क्योंकि अब मैं पहले से ज्यादा पढ़ाई में ध्यान देने लगा था, साथ ही साथ कॉलेज में भी कल्चरल और अदर प्रोग्रॅम्स में पार्टिसिपेट करने लगा था…..

आख़िर कर वो दिन भी आ गया जब मेरा एंट्रेंस का रिज़ल्ट आने वाला था…..
मेरी….


Nice update brother.....
dekhte dev ka pyar kis mod par jata hai....
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अब मैं एक इनोसेंट और रोमॅंटिक लड़का हो चला था…… इन 3-4 महीनों में मुझमें आए बदलाव से मेरे घर वाले भी खुश थे क्योंकि अब मैं पहले से ज्यादा पढ़ाई में ध्यान देने लगा था, साथ ही साथ कॉलेज में भी कल्चरल और अदर प्रोग्रॅम्स में पार्टिसिपेट करने लगा था…..

आख़िर कर वो दिन भी आ गया जब मेरा एंट्रेंस का रिज़ल्ट आने वाला था…..

अब आगे :-


मेरी धड़कने मेरे काबू में नहीं थी, मैं बेचैन सा हो रहा था, ये सब मेरे रिज़ल्ट के लिए नहीं बल्कि अंकिता के रिज़ल्ट के लिए हो रहा था….


रिज़ल्ट 12 बजे आने वाला था, मैं सुबह उठते ही नहा धो कर तैयार हो गया ओर मम्मा के साथ मंदिर चला गया……..

मंदिर से आते आते 11 बज गये, घर आते ही मैंने मम्मा पापा से आशीर्वाद लिया ओर निकल गया देव के घर के लिए…. मैं बड़ा टेन्शन में था की कही अंकिता फैल ना हो जाए…… ओर अपने बारे में ओवरकॉन्फिडेंट भी…. की मैं तो पास हो जाऊंगा बस कैसे भी कर के अंकिता पास हो जाए….

लेकिन भगवान से तो जैसी मेरी कोई दुश्मनी ही हो गयी थी, जैसे ही मैं देव के घर पहुँचा वहां एक सन्नाटा सा फैला हुआ था….. तभी अंकिता मेरी तरफ दौड़ती हुई आई ओर मुझसे लिपट कर रोने लगी…..

अब ये क्या नया माजरा है भाई…… कही रिज़ल्ट तो नहीं आ गया ओर कही अंकिता फैल तो नहीं हो गयी….. देखते है क्या होता है आगे ….
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था की आख़िर हुआ क्या तो मैंने आनी के सर पर हाथ फेरते हुए उस से पूछा क्या हुआ आनी, रिज़ल्ट खराब गया क्या…
मगर वो कुछ ना बोली ओर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी…..

मुझे अब थोड़ी टेन्शन होने लगी थी की तभी देव बाहर आया ओर उसने मुझे पूरी बात बताई, मैं इस झटके को संभाल नहीं पाया ओर एक दम से टूट गया, मुझे यू टूटा देख देव मुझसे कहने लगा…

देव: इस हालत में यदि तू ऐसा करेगा तो अंकिता को कैसी संभाल पाएगा, संभाल भाई ओर आनी को भी समझा…

मैं: (आँसू पूछते हुए) ये सब हुआ कब ओर कैसे….

देव: कल रात को…….

मैं: ओर तूने मुझे खबर देना भी सही नहीं समझा….. ऐसी ही दोस्ती है अपनी….

देव : भाई मुझे भी अभी पता चला….. देख अब इन सब बातों के लिए सही टाइम नहीं है तू समझ….

मैं देव की बात को अनसुना करते हुए आनी को पुचकारने लगा, आनी अब ऐसा करने से क्या होगा…. देख ज़रा तू अपने सामने तेरे यू रोने से सभी की आंखों में नमी है….

लेकिन आनी थी की चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी, शायद उसे इस से भी बुरी अनहोनी का अंदाज़ा था, इसलिए वो अपने आँसू नहीं रोक पा रही थी…

मेरा भी अब सब्र का बाँध टूट चुका था ओर मेरी आंखों से गंगा जमुना बहने लगी पर फिर भी मैं अपने आप को संभालते हुए आनी कोई समझने में लगा था….

मैं आनी को घर के अंदर ले गया ओर किसी तरह उसे देव के रूम में ले जा कर सुला दिया ओर बाहर हॉल में आ कर बैठ गया….

हॉल में उस वक्त आंटी, नेहा और देव बैठे थे…..

आंटी : अरे खुशाल तू यहां क्यों आ गया,

आंटी की बात सुन कर मैं हैरानी से आंटी की तरफ देखने लगा, मैं कुछ बोल पता इस से पहले ही शायद आंटी मेरी हैरानी का कारण समझ चुकी थी तो आंटी ने मुझसे कहा…

आंटी: अरे बेटा तू इतनी हैरानी से क्या देख रहा है, मेरे कहने का मतलब है, तू यहां है तो अंकिता के पास कोन है…..

मैं: वो आंटी मैं अभी अभी उसे सुला के आ रहा हूँ…

आंटी (राहत की सांस लेते हुए) : हंस… चलो अच्छा हुआ,, ये तुमने ठीक किया….

मैं: मगर आंटी ये सब हुआ कैसे…..

आंटी(नाम आंखों के साथ) कल शाम को जब राज भैया स्कूल से आ रहे थे तो उन्हें उनका कोई दोस्त मिल गया और वो उनके साथ उनके घर पर खाना खाने गये थे, उन्होंने ये बात मुझे अंकिता को बताने को कहा था……. मगर भगवान को कुछ ओर ही करना था…
जब भैया उनके घर से वापस आ रहे थे तो रास्ते में ही उनका आक्सिडेंट हो गया, सामने से आती एक बस ने उनकी बाइक को टक्कर मर दी…. ओर वो……

हॉल में एक शांति सी छा रही थी सभी लोग आंटी की बातों में ही खो गये थे, सबकी आंखों में एक नमी भी थी ओर एक सवाल भी जो की आंटी की अपनी बात पूरी ना करने पर सबके मान में आ रहा था….

मैं : ओर वो…… क्या आंटी….

आंटी (रोते हुए) ओर वो ये दुनिया चोर्र……….

मैं: क्या……….. ऐसा मत बोलो आंटी अंकिता तो ये सुन कर ही मर……

मेरी आँखों में अंशुओ की गंगा जमुना बह रही थी, तभी मुझे अपने गालों पर किसी के मुलायम हाथों का अहसास हुआ…..

ओर मैं अपने आज में पहुँच गया….
टुडे….

मैं अपनी सिसकियों पर काबू पाने की कोशिश कर रहा था, ओर पियू मेरे गालों से आँसू पूछते हुए बोले जा रहा था… शायद वो मेरी इन सिसकियों की वजह से नींद से उठ चुका था…

पियू: क्या हुआ पापा, आप रो क्यों रहे हो……..

मैं: नहीं बेटा मैं कहा रो रहा हूँ…..

मेरी बात का पियू पर कोई असर नहीं पढ़ रहा था ओर वो लगातार मुझ पर सवालों की बोचर किए जा रहा था… जब मैंने बात बनती है ना देखी तो मैंने अपना मोबाइल निकाला ओर उसमें टॉकिंग टॉम वाला गेम ओपन कर दिया…….. अब जो कुछ भी पियू मुझसे पूछता, टॉकिंग टॉम वाला टॉम वही बात दोहराता…..

पियू: बताओ ना पापा….

टॉम: बताओ ना पापा….

बार बार ऐसा होता देख शायद पियू को अच्छा नहीं लगा ओर उसने मेरे हाथों से मोबाइल लिया ओर बेचारे तो को 2-4 चांटे लगा दिए….. ओर बोलने लगा….

पियू: ले ओल ले अब बोल तू, मूढ़से शैतानी कले गा है….

लेकिन टॉम तो बेचारा टॉम था वो तो अपनी आदत से मजबूर वापस पियू की बातों को दोहराने लगा…… मुझे ये सब देख के हँसी आ रही थी…… ओर….
 

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आख़िर कर वो दिन भी आ गया जब मेरा एंट्रेंस का रिज़ल्ट आने वाला था…..


अब आगे :-


मेरी धड़कने मेरे काबू में नहीं थी, मैं बेचैन सा हो रहा था, ये सब मेरे रिज़ल्ट के लिए नहीं बल्कि अंकिता के रिज़ल्ट के लिए हो रहा था….


रिज़ल्ट 12 बजे आने वाला था, मैं सुबह उठते ही नहा धो कर तैयार हो गया ओर मम्मा के साथ मंदिर चला गया……..

मंदिर से आते आते 11 बज गये, घर आते ही मैंने मम्मा पापा से आशीर्वाद लिया ओर निकल गया देव के घर के लिए…. मैं बड़ा टेन्शन में था की कही अंकिता फैल ना हो जाए…… ओर अपने बारे में ओवरकॉन्फिडेंट भी…. की मैं तो पास हो जाऊंगा बस कैसे भी कर के अंकिता पास हो जाए….

लेकिन भगवान से तो जैसी मेरी कोई दुश्मनी ही हो गयी थी, जैसे ही मैं देव के घर पहुँचा वहां एक सन्नाटा सा फैला हुआ था….. तभी अंकिता मेरी तरफ दौड़ती हुई आई ओर मुझसे लिपट कर रोने लगी…..

अब ये क्या नया माजरा है भाई…… कही रिज़ल्ट तो नहीं आ गया ओर कही अंकिता फैल तो नहीं हो गयी….. देखते है क्या होता है आगे ….
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था की आख़िर हुआ क्या तो मैंने आनी के सर पर हाथ फेरते हुए उस से पूछा क्या हुआ आनी, रिज़ल्ट खराब गया क्या…
मगर वो कुछ ना बोली ओर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी…..

मुझे अब थोड़ी टेन्शन होने लगी थी की तभी देव बाहर आया ओर उसने मुझे पूरी बात बताई, मैं इस झटके को संभाल नहीं पाया ओर एक दम से टूट गया, मुझे यू टूटा देख देव मुझसे कहने लगा…

देव: इस हालत में यदि तू ऐसा करेगा तो अंकिता को कैसी संभाल पाएगा, संभाल भाई ओर आनी को भी समझा…

मैं: (आँसू पूछते हुए) ये सब हुआ कब ओर कैसे….

देव: कल रात को…….

मैं: ओर तूने मुझे खबर देना भी सही नहीं समझा….. ऐसी ही दोस्ती है अपनी….

देव : भाई मुझे भी अभी पता चला….. देख अब इन सब बातों के लिए सही टाइम नहीं है तू समझ….

मैं देव की बात को अनसुना करते हुए आनी को पुचकारने लगा, आनी अब ऐसा करने से क्या होगा…. देख ज़रा तू अपने सामने तेरे यू रोने से सभी की आंखों में नमी है….

लेकिन आनी थी की चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी, शायद उसे इस से भी बुरी अनहोनी का अंदाज़ा था, इसलिए वो अपने आँसू नहीं रोक पा रही थी…

मेरा भी अब सब्र का बाँध टूट चुका था ओर मेरी आंखों से गंगा जमुना बहने लगी पर फिर भी मैं अपने आप को संभालते हुए आनी कोई समझने में लगा था….

मैं आनी को घर के अंदर ले गया ओर किसी तरह उसे देव के रूम में ले जा कर सुला दिया ओर बाहर हॉल में आ कर बैठ गया….

हॉल में उस वक्त आंटी, नेहा और देव बैठे थे…..

आंटी : अरे खुशाल तू यहां क्यों आ गया,

आंटी की बात सुन कर मैं हैरानी से आंटी की तरफ देखने लगा, मैं कुछ बोल पता इस से पहले ही शायद आंटी मेरी हैरानी का कारण समझ चुकी थी तो आंटी ने मुझसे कहा…

आंटी: अरे बेटा तू इतनी हैरानी से क्या देख रहा है, मेरे कहने का मतलब है, तू यहां है तो अंकिता के पास कोन है…..

मैं: वो आंटी मैं अभी अभी उसे सुला के आ रहा हूँ…

आंटी (राहत की सांस लेते हुए) : हंस… चलो अच्छा हुआ,, ये तुमने ठीक किया….

मैं: मगर आंटी ये सब हुआ कैसे…..

आंटी(नाम आंखों के साथ) कल शाम को जब राज भैया स्कूल से आ रहे थे तो उन्हें उनका कोई दोस्त मिल गया और वो उनके साथ उनके घर पर खाना खाने गये थे, उन्होंने ये बात मुझे अंकिता को बताने को कहा था……. मगर भगवान को कुछ ओर ही करना था…
जब भैया उनके घर से वापस आ रहे थे तो रास्ते में ही उनका आक्सिडेंट हो गया, सामने से आती एक बस ने उनकी बाइक को टक्कर मर दी…. ओर वो……

हॉल में एक शांति सी छा रही थी सभी लोग आंटी की बातों में ही खो गये थे, सबकी आंखों में एक नमी भी थी ओर एक सवाल भी जो की आंटी की अपनी बात पूरी ना करने पर सबके मान में आ रहा था….

मैं : ओर वो…… क्या आंटी….

आंटी (रोते हुए) ओर वो ये दुनिया चोर्र……….

मैं: क्या……….. ऐसा मत बोलो आंटी अंकिता तो ये सुन कर ही मर……

मेरी आँखों में अंशुओ की गंगा जमुना बह रही थी, तभी मुझे अपने गालों पर किसी के मुलायम हाथों का अहसास हुआ…..

ओर मैं अपने आज में पहुँच गया….
टुडे….

मैं अपनी सिसकियों पर काबू पाने की कोशिश कर रहा था, ओर पियू मेरे गालों से आँसू पूछते हुए बोले जा रहा था… शायद वो मेरी इन सिसकियों की वजह से नींद से उठ चुका था…

पियू: क्या हुआ पापा, आप रो क्यों रहे हो……..

मैं: नहीं बेटा मैं कहा रो रहा हूँ…..

मेरी बात का पियू पर कोई असर नहीं पढ़ रहा था ओर वो लगातार मुझ पर सवालों की बोचर किए जा रहा था… जब मैंने बात बनती है ना देखी तो मैंने अपना मोबाइल निकाला ओर उसमें टॉकिंग टॉम वाला गेम ओपन कर दिया…….. अब जो कुछ भी पियू मुझसे पूछता, टॉकिंग टॉम वाला टॉम वही बात दोहराता…..

पियू: बताओ ना पापा….

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Ajju Landwalia

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पियू: ले ओल ले अब बोल तू, मूढ़से शैतानी कले गा है….

लेकिन टॉम तो बेचारा टॉम था वो तो अपनी आदत से मजबूर वापस पियू की बातों को दोहराने लगा…… मुझे ये सब देख के हँसी आ रही थी…… ओर….

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मैं ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा……. अब शायद पियू भी अपने सवालों को भूल चुका था…… ओर मेरी गोद में आ कर बैठ गया…. मैं सोच रहा था की ये मस्ती के मूंड़ में है, लेकिन वो तो मुझ पे भड़क गया…..

पियू: भाययय्याआआआअ…….

मैं अंदर तक झेंप गया, ये क्या हुआ…..

पियू: आप तो हँसी आ लगी है, ओल ये बदतमीज़ मेला मज़ाक उठा लगा है….. इसे अभी यहां से भाड़ा दो…. नहीं तो मैं इसे माल डेळुन…

मुझे पियू की बात सुनकर थोड़ी शांति सी आई….. हस्स्स्शह…. तो ये बात है मैं तो डर ही गया था….

मैं: अले मेला बेटा नाराज़ हो गया…..

पियू: हूँ….. मैं इस्तो मर दूँगा….

मैं: ला मोबाइल मुझे दे…..

पियू से मोबाइल ले कर मैंने टॉम को 2-4 छानते लगाए ओर उसे सॉरी कहने को बोला तो वो बेचारा मेरी कॉपी करके सॉरी बोलने लगा….. मेरे यू टॉम को दाँत ते देख पियू मुस्करा उठा ओर ज़ोर से मेरे गले लग गया, अपने छोटे छोटे हाथों से मुझे अपने आप में मिलने की नाकाम सी कोशिश करने लगा…..

पियू के इस कदर प्यार से मेरा दिल भर आया, ओर मैं फिर से यादो में खोने लगा की तभी पियू को शरारत सूझी ओर उसने मुझे 2-3 मुक्के दे मारे, मैं ख़यालो से बाहर निकल कर पियू की तरफ सवालिया नज़रो से देखने लगा….

पियू: आप बहुत अच्छे हो भैया…..

मैं: आबे अच्छे के बाप, तूने मुझे मारा क्यों….

पियू: अपनी भोली सी मुस्कान दिखाते हुए, फिर से मेरे गले लग गया…. मैं अपने मोबाइल में टाइम देखा, शाम के 6:38 हो रहे थे, मैं पियू को गोद में उठा कर बाहर की तरफ निकालने को हुआ तो मैंने देखा दीदी दरवाजा पर ही खड़ी थी….. वो हमारी तरफ देख कर ही मुस्करा रही थी…… मैं दी की मुस्कान देख कर समझ गया था की उन्होंने हमारा ये पूरा नाटक देखा होगा….

हम लोग नीचे हॉल में आ गये, पियू बाहर जाने की जिद कर रहा था लेकिन काफी लेट हो गयी थी और यू नो की जनवरी मंथ में 7:00 बेजे रात सी हो जाती है सो मैंने उसे मना करते हुए अपना फोन दे दिया खेलने के लिए ओर दी के साथ बाहर आ कर गार्डन में बैठ गया…..

हमें अब थोड़ी बहुत सर्दी सी लगने लगी थी तो मैं गेस्ट रूम से एक चादर ले आया ओर हम दोनों ने वो चादर ओढ़ ली ओर बैठ गये गर्दन में लगे झूले में……

वो एक ऐसा पल था जिसमें बोलने को बहुत कुछ था लेकिन ना तो मेरे मुंह से कोई शब्द निकल रहा था ओर ना ही दी के मुंह से……. पता नहीं क्यों मैं कुछ बोलना तो चाहता था लेकिन जबान थी की साथ ही नहीं दे रही थी…….

कुछ देर यू ही निकालने के बाद मुझे कुछ एंबॅरास्ड सा फील होने लगा था ऐसी क्या बात है जो एक भाई अपनी बहन से करना चाहता है लेकिन बोल नहीं पा रहा….

शायद दी मेरी इस खामोशी को समझ चुकी थी, उन्होंने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा ओर मेरी तरफ देखने लगी….

मैं: हम… क्या देख रही हो…

दी: अंकिता की याद आ रही है……

दी के यू अचानक अंकिता के बारे में पूछने से पता नहीं मुझे क्या हुआ ओर मेरे दिल के जज़्बात मेरे अंशुओ में बहाने लगे….. मैं चाह कर भी अपने आँसुओ को नहीं रोक पा रहा था….

दी: बस कर पगले रुलाएगा क्या……

मेरे आँसू थे की बहते ही जा रहे थे…. मेरा रोना रुकता ना देख दी ने फिर कहना स्टार्ट किया…

दी: देख अब अगर तू चुप ना हुआ ना तो……………

ये कहते कहते दी की आंखों में आँसू चालक उठे ओर वो इस से आगे कुछ ना कह सकी……

हम दोनों लगातार रोए जा रहे थे………. जहां मुझे अंकिता के यादो ने रुला रखा था वही दी को मेरी हालत ने…… हम तब तक यू ही बैठे रहे जब तक पियू ने आ कर हमें चौंका ना दिया….

पियू को यू अचानक बाहर देख कर पता नहीं क्यों लेकिन आज पहली बार मुझे उस पर गुस्सा आ गया और मैंने बिना कुछ सोचे समझे उसे एक के बाद एक दो चांटे लगा दिए…… पहले तो वो मेरी तरफ अपनी मासूमियत से देखता रहा फिर एका एक रोना शुरू कर दिया….

मेरा पियू के साथ ऐसा बर्ताव देख कर दी मेरी तरफ खा जाने वाली नज़र से देखने लगी… ओर पियू को अपनी गोद में उठा के बहलाने लगी, लेकिन अभी भी मेरा गुस्सा कम ना हुआ, तो मैंने गुस्से में ही उस से कहा….

मैं: तुझे कहा था ना बाहर मत आना, फिर क्यों आया तू बाहर…… आज कल बहुत बिगड़ गया है, लगता है अब तुझे सबक सीखना ही पड़ेगा….

सबक…… हाहाहा हहा…..

मेरी बात सुन कर पियू थोड़ा शांत हुआ ओर सुबकते हुए मुझसे कहने लगा….

पियू : पापा……

(ओह तेरी…… मैं तो आप सब को बताना ही भूल गया…… आक्च्युयली जब भी पियू का मूंड़ थोड़ा खराब होता है, वो मुझे भैया की जगह पापा कह के बुलाता है, ओर कहे भी क्यों ना आख़िर मैंने उसे प्यार ही एक बाप की तरह किया है….. ओर करूं भी क्यों ना आख़िर वो है ही मेरा बेटा…
मेरे घर वालो को ये बात पता थी की पियू मुझे उदास होने पर पापा ही कहता है, इसलिए ही सुबह जब मम्मी ने दी को हमें बाप बेटा कहते हुआ सुना तो दी ने उन्हें ये बात याद दिला कर उनकी हैरानी को दूर कर दिया..)

पियू: (सुबकते हुए) वो पा.. पा…. वो ना आप्टे फोन पल तीसी नेहा नाम थी लड़ती का फोन आया था, मैं आप तो वही बताने आया था…..

पियू की बात सुन कर मुझे झटका सा लगा, ओर मैं….

 
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