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Romance Meri Life - kora kagaz

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u.sir.name

Hate girls, except the one reading this.
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UPDATE -6

बार बार ऐसा होता देख शायद पियू को अच्छा नहीं लगा ओर उसने मेरे हाथों से मोबाइल लिया ओर बेचारे तो को 2-4 चांटे लगा दिए….. ओर बोलने लगा….

पियू: ले ओल ले अब बोल तू, मूढ़से शैतानी कले गा है….

लेकिन टॉम तो बेचारा टॉम था वो तो अपनी आदत से मजबूर वापस पियू की बातों को दोहराने लगा…… मुझे ये सब देख के हँसी आ रही थी…… ओर….

अब आगे :-



मैं ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा……. अब शायद पियू भी अपने सवालों को भूल चुका था…… ओर मेरी गोद में आ कर बैठ गया…. मैं सोच रहा था की ये मस्ती के मूंड़ में है, लेकिन वो तो मुझ पे भड़क गया…..

पियू: भाययय्याआआआअ…….

मैं अंदर तक झेंप गया, ये क्या हुआ…..

पियू: आप तो हँसी आ लगी है, ओल ये बदतमीज़ मेला मज़ाक उठा लगा है….. इसे अभी यहां से भाड़ा दो…. नहीं तो मैं इसे माल डेळुन…

मुझे पियू की बात सुनकर थोड़ी शांति सी आई….. हस्स्स्शह…. तो ये बात है मैं तो डर ही गया था….

मैं: अले मेला बेटा नाराज़ हो गया…..

पियू: हूँ….. मैं इस्तो मर दूँगा….

मैं: ला मोबाइल मुझे दे…..

पियू से मोबाइल ले कर मैंने टॉम को 2-4 छानते लगाए ओर उसे सॉरी कहने को बोला तो वो बेचारा मेरी कॉपी करके सॉरी बोलने लगा….. मेरे यू टॉम को दाँत ते देख पियू मुस्करा उठा ओर ज़ोर से मेरे गले लग गया, अपने छोटे छोटे हाथों से मुझे अपने आप में मिलने की नाकाम सी कोशिश करने लगा…..

पियू के इस कदर प्यार से मेरा दिल भर आया, ओर मैं फिर से यादो में खोने लगा की तभी पियू को शरारत सूझी ओर उसने मुझे 2-3 मुक्के दे मारे, मैं ख़यालो से बाहर निकल कर पियू की तरफ सवालिया नज़रो से देखने लगा….

पियू: आप बहुत अच्छे हो भैया…..

मैं: आबे अच्छे के बाप, तूने मुझे मारा क्यों….

पियू: अपनी भोली सी मुस्कान दिखाते हुए, फिर से मेरे गले लग गया…. मैं अपने मोबाइल में टाइम देखा, शाम के 6:38 हो रहे थे, मैं पियू को गोद में उठा कर बाहर की तरफ निकालने को हुआ तो मैंने देखा दीदी दरवाजा पर ही खड़ी थी….. वो हमारी तरफ देख कर ही मुस्करा रही थी…… मैं दी की मुस्कान देख कर समझ गया था की उन्होंने हमारा ये पूरा नाटक देखा होगा….

हम लोग नीचे हॉल में आ गये, पियू बाहर जाने की जिद कर रहा था लेकिन काफी लेट हो गयी थी और यू नो की जनवरी मंथ में 7:00 बेजे रात सी हो जाती है सो मैंने उसे मना करते हुए अपना फोन दे दिया खेलने के लिए ओर दी के साथ बाहर आ कर गार्डन में बैठ गया…..

हमें अब थोड़ी बहुत सर्दी सी लगने लगी थी तो मैं गेस्ट रूम से एक चादर ले आया ओर हम दोनों ने वो चादर ओढ़ ली ओर बैठ गये गर्दन में लगे झूले में……

वो एक ऐसा पल था जिसमें बोलने को बहुत कुछ था लेकिन ना तो मेरे मुंह से कोई शब्द निकल रहा था ओर ना ही दी के मुंह से……. पता नहीं क्यों मैं कुछ बोलना तो चाहता था लेकिन जबान थी की साथ ही नहीं दे रही थी…….

कुछ देर यू ही निकालने के बाद मुझे कुछ एंबॅरास्ड सा फील होने लगा था ऐसी क्या बात है जो एक भाई अपनी बहन से करना चाहता है लेकिन बोल नहीं पा रहा….

शायद दी मेरी इस खामोशी को समझ चुकी थी, उन्होंने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा ओर मेरी तरफ देखने लगी….

मैं: हम… क्या देख रही हो…

दी: अंकिता की याद आ रही है……

दी के यू अचानक अंकिता के बारे में पूछने से पता नहीं मुझे क्या हुआ ओर मेरे दिल के जज़्बात मेरे अंशुओ में बहाने लगे….. मैं चाह कर भी अपने आँसुओ को नहीं रोक पा रहा था….

दी: बस कर पगले रुलाएगा क्या……

मेरे आँसू थे की बहते ही जा रहे थे…. मेरा रोना रुकता ना देख दी ने फिर कहना स्टार्ट किया…

दी: देख अब अगर तू चुप ना हुआ ना तो……………

ये कहते कहते दी की आंखों में आँसू चालक उठे ओर वो इस से आगे कुछ ना कह सकी……

हम दोनों लगातार रोए जा रहे थे………. जहां मुझे अंकिता के यादो ने रुला रखा था वही दी को मेरी हालत ने…… हम तब तक यू ही बैठे रहे जब तक पियू ने आ कर हमें चौंका ना दिया….

पियू को यू अचानक बाहर देख कर पता नहीं क्यों लेकिन आज पहली बार मुझे उस पर गुस्सा आ गया और मैंने बिना कुछ सोचे समझे उसे एक के बाद एक दो चांटे लगा दिए…… पहले तो वो मेरी तरफ अपनी मासूमियत से देखता रहा फिर एका एक रोना शुरू कर दिया….

मेरा पियू के साथ ऐसा बर्ताव देख कर दी मेरी तरफ खा जाने वाली नज़र से देखने लगी… ओर पियू को अपनी गोद में उठा के बहलाने लगी, लेकिन अभी भी मेरा गुस्सा कम ना हुआ, तो मैंने गुस्से में ही उस से कहा….

मैं: तुझे कहा था ना बाहर मत आना, फिर क्यों आया तू बाहर…… आज कल बहुत बिगड़ गया है, लगता है अब तुझे सबक सीखना ही पड़ेगा….

सबक…… हाहाहा हहा…..

मेरी बात सुन कर पियू थोड़ा शांत हुआ ओर सुबकते हुए मुझसे कहने लगा….

पियू : पापा……

(ओह तेरी…… मैं तो आप सब को बताना ही भूल गया…… आक्च्युयली जब भी पियू का मूंड़ थोड़ा खराब होता है, वो मुझे भैया की जगह पापा कह के बुलाता है, ओर कहे भी क्यों ना आख़िर मैंने उसे प्यार ही एक बाप की तरह किया है….. ओर करूं भी क्यों ना आख़िर वो है ही मेरा बेटा…
मेरे घर वालो को ये बात पता थी की पियू मुझे उदास होने पर पापा ही कहता है, इसलिए ही सुबह जब मम्मी ने दी को हमें बाप बेटा कहते हुआ सुना तो दी ने उन्हें ये बात याद दिला कर उनकी हैरानी को दूर कर दिया..)

पियू: (सुबकते हुए) वो पा.. पा…. वो ना आप्टे फोन पल तीसी नेहा नाम थी लड़ती का फोन आया था, मैं आप तो वही बताने आया था…..

पियू की बात सुन कर मुझे झटका सा लगा, ओर मैं….
Nice update brother...
baki sab badhiya tha bas pihu ko thappad nahi marna chahiye tha Kitna pyara bacha hai....
keep writing....
keep posting......
:rock1: :rock1: :rock1: :rock1:
 
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Chammak-Challo

Katungi magar pyaar se
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UPDATE-1




रोज की तरह ही आज जब मैं सो कर उठा तो मेरी प्यारी बहना मेरे बेड के पास चेयर पर बैठी मेरे उठने का वेट कर रही थी, ओर मस्त सॉंग सुन रही थी.
सॉंग कुछ इस तरह था…..

कोरा कागज था ये मन मेरा……मेरा…मेरा….
लिख दिया नाम मैंने तेरा……तेरा…..तेरा…

सुबह सुबह ये गाना सुन कर पता नहीं क्यों लेकिन मेरा आंखें नम हो उठी, ओर मैंने दीदी को अपने गले से लगा लिया…
शायद दीदी पहले से ही कुछ सोच कर रो रही थी, क्योंकि मुझे गले लगते ही मुझे अपने कंधों पर उनके आंशुओ का गीलापन महसूस हो गया था….

तभी मैं अपनी पुरानी यादो में खो गया………

एक साल पहले…..

मैं: अरे वो दीदी, आज सुबह सुबह यहां कैसे, ओर जीजू नहीं आए क्या..

दीदी: नहीं…

ओर दीदी सीधे अपने कमरे में चली गयी, मुझे दीदी का ऐसा बर्ताव सही नहीं लगा…ओर मैं कुछ सोचने लगा..

तभी मेरे मान में एक ख्याल आया ओर मैंने अपने जीजू को कॉल लगा दिया…

जीजू: अरे ओ लोडे , आज सुबह सुबह हमारी कैसे याद आ गयी…

मैं: तेरी गांड मारनी थी, मरवाएगा क्या…

जीजू: तेरा इतना ही मान तो चल आजा, तेरे लिए गांड तो क्या जान भी हाज़िर है…….

(अरे आप इतना चोकिए मत की ये क्या हो रहा है एक साला अपने जीजा से ऐसे कैसे बात कर रहा है…
आक्च्युयली मेरा जीजा कोई ओर नहीं देव ही है…..ओर आप तो जानते ही है देव ओर मेरी दोस्ती सबसे बढ़ कर हैं। )

फोन चालू था लेकिन मैं अपने ही ख़यालो में खो गया……….
मैं (सोचते हुए): देव ओर दीदी में कोई बात हुई नहीं लगती फिर ये दीदी का मुंह यू उतरा हुआ क्यों है……

मैं अपने ख़यालो में खोया हुआ था तभी देव ने मुझे ख़यालो से बाहर निकलते हुए कहा……..

देव: आबे ओ गधे क्या सपने में ही मेरी गांड मर लेगा……अब ये बता तूने कॉल क्यों किया था……….

मैं: ह्म्‍म्म्म……

देव: आबे ये भैंस की तरह रंभाना बंद कर ओर बता क्या काम था.

मैं: यार पता नहीं अभी अभी दीदी घर आई है, ओर मुझे उनका मूंड़ कुछ सही नहीं लग रहा.

देव (थोड़े गुस्से में): तो तूने सोचा होगा की कही मैंने ही उसको रुलाया होगा, ओर ये सोच के तूने मेरी गांड मरने के लिए कॉल कर लिया…….

मैं: नहीं यार ऐसी बात नहीं है, लेकिन तुम्हें तो पता ही है, मैं अपनी दीदी से कितना प्यार करता हूँ……मुझसे दीदी की…..

देव (मेरी बात को काट ते हुए): सब समझता हूँ मैं साले, लेकिन ये ये तो मुझे भी नहीं पता की नीरू (मेरी दीदी) को क्या हुआ है, मैं तो जब जिम के लिए निकला तो वो किचन में खाना बना रही थी….

मैं: ह्म्‍म्म्म…..चल मैं बाद में बात करता हूँ……

देव: ओके

देव से बात करने के बाद मुझे ओर भी ज्यादा टेन्शन होने लगी क्योंकि अगर दीदी का देव से कोई झगड़ा होता तो मैं उसे समझा देता पर पता नहीं अब क्या बात है सो मेरा ज़ोर से सर दर्द करने लगा….

प्रेजेंट...

मैं अपनी सोच में डूबा हुआ था ओर शायद दीदी मुझसे कुछ कह रही थी……..मैं बड़बड़ाते हुए…

मैं: कुछ कहा दीदी आपने.

दीदी: कहा खो गया कब से तुझसे पूछे जा रही हूँ ओर एक तू है की अपने ही ख़यालो में खोया हुआ है….

मैं (बात को टालते हुए): कुछ नहीं दीदी वो यू ही नेहा के बारे में सोच रहा था….

दीदी: अच्छा तो अब तू इतना बड़ा हो गया, की अपनी दीदी के होते उस चुड़ैल के बारे में सोच रहा है…

मैं: इसमें बड़ा होने की बात बीच में कहा से आ गयी….

दीदी: चल छोड़ ओर ये बता आज सुबह सुबह मेरे सोना की आंखों में ये आँसू कैसे आ गये….

मैं: जब आपकी आंखों में आँसू आ सकते है तो क्या मेरी आंखों में नहीं आ सकते क्या?

दीदी: बहुत बड़ा हो गया रे तू तो…..चल छोड ओर ये बता तू कल सुबह जिम क्यों गया था……

मैं (गुस्से में): हुउऊन्न्ं, सो उस बीसी ने आपके कान भर ही दिए…

मैंने ये बोला ही था की तभी मेरे गाल पे एक ज़ोर का थप्पड़ आ पड़ा……..पूरा रूम एक दम से शांत………………

दीदी: नालयक अपने जीजू को अपनी ही दीदी के सामने गली देते हुए तुझे ज़रा भी शर्म नहीं आई….

चाटा खाने के बाद में कुछ संबला ही था की दीदी की बात सुन कर मैं थोड़े सकते में आ गया, की ये दीदी को आज क्या हो गया……
क्यों की ये पहली बार नहीं था की जब मैंने दीदी के सामने देव को गली दी थी………
मैं सोच ही रहा था की तभी मुझे लगा की शायद दीदी रो रही है …..

मैंने दीदी की तरफ देखा…………….तभी………

तभी रूम में एक ओर चांटे की आवाज़ आई……………………….
ओर इस बार ये छाँटा मेरे गाल पे नहीं बल्कि रूम के बाहर किसी के लगा था……

मैं ओर दीदी दोनों इस आवाज़ को सुन कर एक दूसरे की तरफ हैरानी से देखने लगे……….

दीदी ने अपना हुलिया थोड़ा सही किया ओर बाहर चली गयी ये देखने की आख़िर मज़रा क्या है……..

मैं अभी भी इस ही सोच में था की आख़िर दीदी ने मुझे चाँटा क्यों मारा….थोड़ी देर बाद मैं भी रूम से बाहर आ गया ….

हाल में पापा, मॅमी और दीदी तीनों धीमी धीमी आवाज़ में कुछ बातें कर रहे थे, मैं भी उनकी तरफ चलने लगा, लेकिन जैसे ही उन्होंने मुझे देखा अपनी बातें बंद कर दी…..शायद वो लोग मुझे ही लेकर कोई संजीदा बात कर रहे थे इसलिए ही मुझे देख कर वो चुप हो गये….

ये देख के मैं अपने रूम में वापस आ गया ओर फ्रेश होने के लिए चला गया…….

अरे यार मैं तो इंट्रोडक्षन करना भूल ही गया……….

मुझे तो आप सब जानते ही है, मैं आपका प्यारा खुशाल, उम्र :-21 अच्छा हट्टा -कट्टा मासूम सा लोंडा ….. …., पापा जो की डॉक्टर है आगे….
:congrats: for new story

Bahut hi acchi suruat hai
 

AK 24

Supreme
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UPDATE -7

पियू: (सुबकते हुए) वो पा.. पा…. वो ना आप्टे फोन पल तीसी नेहा नाम थी लड़ती का फोन आया था, मैं आप तो वही बताने आया था…..

पियू की बात सुन कर मुझे झटका सा लगा, ओर मैं….


अब आगे :-


पियू के साथ किए बर्ताव को ले कर अपने आप को कोसने लगा…….. आख़िर मैंने ऐसा क्यों कर दिया….. मुझे अपने आप पर इतना गुस्सा आया की मैंने गुस्से में अपना हाथ ज़ोर से हवा में दे मारा…… जिस से झुल्ले की क्लिप्स मेरे हाथों में चुभ गयी….. मेरे हाथों से जोरदार खून की धारा बहने लगी…..

मुझे बहुत ज़ोर का दर्द होने लगा, ये सब पियू या दी ने नहीं देखा था, इसलिए इस बात से अंजान दी मुझ पर गुस्सा होते हुए चिल्लाने लगी…..

दी: बिना सोचे समझे तूने पियू का चाँटा मार दिया, कम से कम इसकी पूरी बात तो सुन लेता, तू बाप तो क्या भाई भी कहलाने के लायक नहीं….. इसलिए ही अंकिता ने जीने से बेहतर मारना पसंद किया…….

दी गुस्से में पता नहीं मुझे क्या क्या कह गयी, लेकिन मैं सब कुछ मीठा जहर समझ कर पी गया……. मुझे तो बस पियू के साथ किए बर्ताव पर पछतावा हो रहा था, मुझमें अब ओर कुछ सुन ने की ताक़त नहीं थी….

मैंने पियू को उठाने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए…..

लेकिन ये क्या मेरा खून से साना हुआ हाथ अब दीदी के सामने था…….मैं ये सब देखते हुए भी अनदेखा कर गया ओर पियू को अपनी गोद में ले कर उसके माथे को चूमने लगा…….खून बहुत ज्यादा निकल जाने से ये सीन कुछ ज्यादा देर ना चला ओर मैं पियू को गोद में लिए हुए ही बेहोश होने लगा…..

तभी एक जोरदार छींक गूँज उठी…….खुशाल …….

ओर मैं बेहोशी के आगोश में खो सा गया…….

धीरे धीरे पियू मेरी हाथों की पकड़ से चुत रहा था, पर अब मुझमें ज़रा भी ताक़त नहीं रही……ओर मैं बेहोश हो चला….

आगे की कहानी दी की ज़बानी…..

मैं खुशाल के हाथ से खून बहता देख चौंक गयी, तभी एक ज़ोर की छींक सुनाई दी, मैंने जैसे ही उधर देखा…….नेहा आंखों में आँसू लिए हमारी ही तरफ दौड़े आ रही थी…..

नेहा ने आते ही जैसे सवालों की बौछार कर दी, लेकिन मुझे इस वक्त नेहा के सवालों से ज्यादा हीतू की फिक्र थी…

मुझे ओर ज्यादा टेन्शन होने लगी, एक तो पियू पापा पापा किए रोए जा रहा था, दूसरा नेहा सवालों की बाओचर किए जा रही थी….

मैं: (गुस्से में नेहा से ) तू अपनी ये चपड़ चपड़ बंद कर दिखता नहीं मेरे खुशाल की क्या हालत हो रही है…पियू को अपने साथ अंदर ले जा ओर पापा मम्मा को बुला मैं आंब्युलेन्स को फोन करती हूँ….

मैं अपनी सुड़बुध ओर सारी समझ खो चुकी थी बस खुशाल को अपनी गोद में लिए रोए जा रही थी…….मैंने खुशाल की वो चोट वाला हाथ देखने के लिए उठाया तो उसमें से अभी भी खून बहे जा रहा था, मुझसे ये सब देखा नहीं जा रहा था…….देख भी कैसे पाती …. आज तक अगर खुशाल को अगर कोई डांट भी देता था तो उसकी मैं हालत खराब कर देती थी…… ओर आज……..

मैं खुशाल के हाथ पर कुछ बँधे के लिए इधर उधर कुछ ढूंढ़ने लगी, ओर जब मुझे कुछ ना मिला तो मैंने अपनी टी-शर्ट खोल कर उसे हीतू के हाथों पर इस तरह बाँध दी ताकि खून रुक सके….. फिर मैंने 108 पर कॉल गया ओर खुशाल के बारे में बताया….. उन्होंने जल्द ही आने का कह कर फोन काट दिया….
मैंने उप्पर टी-शर्ट के अलावा कुछ नहीं पहना था लें इस वक्त मेरे लिए जरूरी था ना की मेरा जिस्म……फिर भी मैंने अपने आप को संभालते हुए वो चादर ओढ़ ली जो अब तक हम दोनों ने ओढ़ रखी थी…. तभी मम्मा और पापा वहां आ गये, पापा ने आते ही हीतू की नब्ज़ चेक करी, जब वो सामान्य सी चलती देखी तो उनकी जान में जान आई…. तब तक 108 भी आ चुकी थी ओर हम चले हॉस्पिटल…..

आगे की कहानी मेरी यानि खुशाल की ज़बानी….

मुझे जब होश आया तो मैं हॉस्पिटल में था, पियू मेरी बगल में अभी भी सो रहा था, उसके मासूम से चेहरे को देख कर मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गयी…. फिर यका यह मेरा चेहरा मुरझा सा गया…मुझे अपने आप पर गुस्सा आने लगा…

मेरे चेहरे पर यू अचानक बदले भाव देख कर दी ने मुझे पुकारा…

दी: खुशाल ….

दी मेरे पास ही एक टेबल पर बैठी थी, उनकी आवाज़ सुन कर मैं उनकी तरफ देखने लगा….मेरी आँखों में नमी सी छा रही थी….

माहौल को नम होता देख दी ने माहौल ठंडा करने के लिए शरारती नज़रो से मेरे हाथ की तरफ इशारा किया…मैंने जब अपने हाथ की तरफ देखा तो मेरा चेहरा खिल उठा….

पियू मेरे चोट लगे हाथ को अपनी बांहों में लिए सो रहा था….उसका मासूम चेहरा बार बार मेरी आँखों में चमक बिखेर रहा था……तभी शायद पियू ने नींद में कोई बुरा ख्याल देखा ओर पापा पापा चिल्लाते हुए मेरे हाथ को जकड़ने लगा…….

मुझे बहुत ज़ोर से दर्द होने लगा….मैंने दी की तरफ दर्द भारी आँखों से देखा तो दी मेरा इशारा समझ गयी ओर उठ कर आई ओर पियू से मेरा हाथ छुड़ाने लगी……पर पियू कहा छोड़ने वाला था……बल्कि वो तो अपनी पकड़ ओर बढ़ाने लगा…..

थोड़ी देर दी ओर पियू की इस कस्माकस में आख़िर कर दी की जीत हुई ओर उन्होंने पियू को अपनी गोद में उठा लिया…..तब जा कर मेरी सांस में सांस आई……
पर शायद पियू इतना सब करने के बाद भी नहीं मान ने वाला था, वो अब दी की गोद में उछलते हुए अभी भी चिल्ला रहा था, रात बहुत हो गयी थी, इसलिए पियू के यू चिल्लाने से हॉस्पिटल में ओर लोगों को परेशानी हो सकती थी, इसलिए दी ने पियू को अपनी चादर में छुपा लिया…..

मुझे ये कुछ अजीब सा लगा……क्योंकि जैसे ही दी ने पियू को चादर…
 
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