UPDATE -7
पियू: (सुबकते हुए) वो पा.. पा…. वो ना आप्टे फोन पल तीसी नेहा नाम थी लड़ती का फोन आया था, मैं आप तो वही बताने आया था…..
पियू की बात सुन कर मुझे झटका सा लगा, ओर मैं….
अब आगे :-
पियू के साथ किए बर्ताव को ले कर अपने आप को कोसने लगा…….. आख़िर मैंने ऐसा क्यों कर दिया….. मुझे अपने आप पर इतना गुस्सा आया की मैंने गुस्से में अपना हाथ ज़ोर से हवा में दे मारा…… जिस से झुल्ले की क्लिप्स मेरे हाथों में चुभ गयी….. मेरे हाथों से जोरदार खून की धारा बहने लगी…..
मुझे बहुत ज़ोर का दर्द होने लगा, ये सब पियू या दी ने नहीं देखा था, इसलिए इस बात से अंजान दी मुझ पर गुस्सा होते हुए चिल्लाने लगी…..
दी: बिना सोचे समझे तूने पियू का चाँटा मार दिया, कम से कम इसकी पूरी बात तो सुन लेता, तू बाप तो क्या भाई भी कहलाने के लायक नहीं….. इसलिए ही अंकिता ने जीने से बेहतर मारना पसंद किया…….
दी गुस्से में पता नहीं मुझे क्या क्या कह गयी, लेकिन मैं सब कुछ मीठा जहर समझ कर पी गया……. मुझे तो बस पियू के साथ किए बर्ताव पर पछतावा हो रहा था, मुझमें अब ओर कुछ सुन ने की ताक़त नहीं थी….
मैंने पियू को उठाने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए…..
लेकिन ये क्या मेरा खून से साना हुआ हाथ अब दीदी के सामने था…….मैं ये सब देखते हुए भी अनदेखा कर गया ओर पियू को अपनी गोद में ले कर उसके माथे को चूमने लगा…….खून बहुत ज्यादा निकल जाने से ये सीन कुछ ज्यादा देर ना चला ओर मैं पियू को गोद में लिए हुए ही बेहोश होने लगा…..
तभी एक जोरदार छींक गूँज उठी…….खुशाल …….
ओर मैं बेहोशी के आगोश में खो सा गया…….
धीरे धीरे पियू मेरी हाथों की पकड़ से चुत रहा था, पर अब मुझमें ज़रा भी ताक़त नहीं रही……ओर मैं बेहोश हो चला….
आगे की कहानी दी की ज़बानी…..
मैं खुशाल के हाथ से खून बहता देख चौंक गयी, तभी एक ज़ोर की छींक सुनाई दी, मैंने जैसे ही उधर देखा…….नेहा आंखों में आँसू लिए हमारी ही तरफ दौड़े आ रही थी…..
नेहा ने आते ही जैसे सवालों की बौछार कर दी, लेकिन मुझे इस वक्त नेहा के सवालों से ज्यादा हीतू की फिक्र थी…
मुझे ओर ज्यादा टेन्शन होने लगी, एक तो पियू पापा पापा किए रोए जा रहा था, दूसरा नेहा सवालों की बाओचर किए जा रही थी….
मैं: (गुस्से में नेहा से ) तू अपनी ये चपड़ चपड़ बंद कर दिखता नहीं मेरे खुशाल की क्या हालत हो रही है…पियू को अपने साथ अंदर ले जा ओर पापा मम्मा को बुला मैं आंब्युलेन्स को फोन करती हूँ….
मैं अपनी सुड़बुध ओर सारी समझ खो चुकी थी बस खुशाल को अपनी गोद में लिए रोए जा रही थी…….मैंने खुशाल की वो चोट वाला हाथ देखने के लिए उठाया तो उसमें से अभी भी खून बहे जा रहा था, मुझसे ये सब देखा नहीं जा रहा था…….देख भी कैसे पाती …. आज तक अगर खुशाल को अगर कोई डांट भी देता था तो उसकी मैं हालत खराब कर देती थी…… ओर आज……..
मैं खुशाल के हाथ पर कुछ बँधे के लिए इधर उधर कुछ ढूंढ़ने लगी, ओर जब मुझे कुछ ना मिला तो मैंने अपनी टी-शर्ट खोल कर उसे हीतू के हाथों पर इस तरह बाँध दी ताकि खून रुक सके….. फिर मैंने 108 पर कॉल गया ओर खुशाल के बारे में बताया….. उन्होंने जल्द ही आने का कह कर फोन काट दिया….
मैंने उप्पर टी-शर्ट के अलावा कुछ नहीं पहना था लें इस वक्त मेरे लिए जरूरी था ना की मेरा जिस्म……फिर भी मैंने अपने आप को संभालते हुए वो चादर ओढ़ ली जो अब तक हम दोनों ने ओढ़ रखी थी…. तभी मम्मा और पापा वहां आ गये, पापा ने आते ही हीतू की नब्ज़ चेक करी, जब वो सामान्य सी चलती देखी तो उनकी जान में जान आई…. तब तक 108 भी आ चुकी थी ओर हम चले हॉस्पिटल…..
आगे की कहानी मेरी यानि खुशाल की ज़बानी….
मुझे जब होश आया तो मैं हॉस्पिटल में था, पियू मेरी बगल में अभी भी सो रहा था, उसके मासूम से चेहरे को देख कर मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गयी…. फिर यका यह मेरा चेहरा मुरझा सा गया…मुझे अपने आप पर गुस्सा आने लगा…
मेरे चेहरे पर यू अचानक बदले भाव देख कर दी ने मुझे पुकारा…
दी: खुशाल ….
दी मेरे पास ही एक टेबल पर बैठी थी, उनकी आवाज़ सुन कर मैं उनकी तरफ देखने लगा….मेरी आँखों में नमी सी छा रही थी….
माहौल को नम होता देख दी ने माहौल ठंडा करने के लिए शरारती नज़रो से मेरे हाथ की तरफ इशारा किया…मैंने जब अपने हाथ की तरफ देखा तो मेरा चेहरा खिल उठा….
पियू मेरे चोट लगे हाथ को अपनी बांहों में लिए सो रहा था….उसका मासूम चेहरा बार बार मेरी आँखों में चमक बिखेर रहा था……तभी शायद पियू ने नींद में कोई बुरा ख्याल देखा ओर पापा पापा चिल्लाते हुए मेरे हाथ को जकड़ने लगा…….
मुझे बहुत ज़ोर से दर्द होने लगा….मैंने दी की तरफ दर्द भारी आँखों से देखा तो दी मेरा इशारा समझ गयी ओर उठ कर आई ओर पियू से मेरा हाथ छुड़ाने लगी……पर पियू कहा छोड़ने वाला था……बल्कि वो तो अपनी पकड़ ओर बढ़ाने लगा…..
थोड़ी देर दी ओर पियू की इस कस्माकस में आख़िर कर दी की जीत हुई ओर उन्होंने पियू को अपनी गोद में उठा लिया…..तब जा कर मेरी सांस में सांस आई……
पर शायद पियू इतना सब करने के बाद भी नहीं मान ने वाला था, वो अब दी की गोद में उछलते हुए अभी भी चिल्ला रहा था, रात बहुत हो गयी थी, इसलिए पियू के यू चिल्लाने से हॉस्पिटल में ओर लोगों को परेशानी हो सकती थी, इसलिए दी ने पियू को अपनी चादर में छुपा लिया…..
मुझे ये कुछ अजीब सा लगा……क्योंकि जैसे ही दी ने पियू को चादर…