• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance Meri Life - kora kagaz

Status
Not open for further replies.

u.sir.name

Hate girls, except the one reading this.
6,840
9,771
189
UPDATE -7

पियू: (सुबकते हुए) वो पा.. पा…. वो ना आप्टे फोन पल तीसी नेहा नाम थी लड़ती का फोन आया था, मैं आप तो वही बताने आया था…..

पियू की बात सुन कर मुझे झटका सा लगा, ओर मैं….


अब आगे :-


पियू के साथ किए बर्ताव को ले कर अपने आप को कोसने लगा…….. आख़िर मैंने ऐसा क्यों कर दिया….. मुझे अपने आप पर इतना गुस्सा आया की मैंने गुस्से में अपना हाथ ज़ोर से हवा में दे मारा…… जिस से झुल्ले की क्लिप्स मेरे हाथों में चुभ गयी….. मेरे हाथों से जोरदार खून की धारा बहने लगी…..

मुझे बहुत ज़ोर का दर्द होने लगा, ये सब पियू या दी ने नहीं देखा था, इसलिए इस बात से अंजान दी मुझ पर गुस्सा होते हुए चिल्लाने लगी…..

दी: बिना सोचे समझे तूने पियू का चाँटा मार दिया, कम से कम इसकी पूरी बात तो सुन लेता, तू बाप तो क्या भाई भी कहलाने के लायक नहीं….. इसलिए ही अंकिता ने जीने से बेहतर मारना पसंद किया…….

दी गुस्से में पता नहीं मुझे क्या क्या कह गयी, लेकिन मैं सब कुछ मीठा जहर समझ कर पी गया……. मुझे तो बस पियू के साथ किए बर्ताव पर पछतावा हो रहा था, मुझमें अब ओर कुछ सुन ने की ताक़त नहीं थी….

मैंने पियू को उठाने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए…..

लेकिन ये क्या मेरा खून से साना हुआ हाथ अब दीदी के सामने था…….मैं ये सब देखते हुए भी अनदेखा कर गया ओर पियू को अपनी गोद में ले कर उसके माथे को चूमने लगा…….खून बहुत ज्यादा निकल जाने से ये सीन कुछ ज्यादा देर ना चला ओर मैं पियू को गोद में लिए हुए ही बेहोश होने लगा…..

तभी एक जोरदार छींक गूँज उठी…….खुशाल …….

ओर मैं बेहोशी के आगोश में खो सा गया…….

धीरे धीरे पियू मेरी हाथों की पकड़ से चुत रहा था, पर अब मुझमें ज़रा भी ताक़त नहीं रही……ओर मैं बेहोश हो चला….

आगे की कहानी दी की ज़बानी…..

मैं खुशाल के हाथ से खून बहता देख चौंक गयी, तभी एक ज़ोर की छींक सुनाई दी, मैंने जैसे ही उधर देखा…….नेहा आंखों में आँसू लिए हमारी ही तरफ दौड़े आ रही थी…..

नेहा ने आते ही जैसे सवालों की बौछार कर दी, लेकिन मुझे इस वक्त नेहा के सवालों से ज्यादा हीतू की फिक्र थी…

मुझे ओर ज्यादा टेन्शन होने लगी, एक तो पियू पापा पापा किए रोए जा रहा था, दूसरा नेहा सवालों की बाओचर किए जा रही थी….

मैं: (गुस्से में नेहा से ) तू अपनी ये चपड़ चपड़ बंद कर दिखता नहीं मेरे खुशाल की क्या हालत हो रही है…पियू को अपने साथ अंदर ले जा ओर पापा मम्मा को बुला मैं आंब्युलेन्स को फोन करती हूँ….

मैं अपनी सुड़बुध ओर सारी समझ खो चुकी थी बस खुशाल को अपनी गोद में लिए रोए जा रही थी…….मैंने खुशाल की वो चोट वाला हाथ देखने के लिए उठाया तो उसमें से अभी भी खून बहे जा रहा था, मुझसे ये सब देखा नहीं जा रहा था…….देख भी कैसे पाती …. आज तक अगर खुशाल को अगर कोई डांट भी देता था तो उसकी मैं हालत खराब कर देती थी…… ओर आज……..

मैं खुशाल के हाथ पर कुछ बँधे के लिए इधर उधर कुछ ढूंढ़ने लगी, ओर जब मुझे कुछ ना मिला तो मैंने अपनी टी-शर्ट खोल कर उसे हीतू के हाथों पर इस तरह बाँध दी ताकि खून रुक सके….. फिर मैंने 108 पर कॉल गया ओर खुशाल के बारे में बताया….. उन्होंने जल्द ही आने का कह कर फोन काट दिया….
मैंने उप्पर टी-शर्ट के अलावा कुछ नहीं पहना था लें इस वक्त मेरे लिए जरूरी था ना की मेरा जिस्म……फिर भी मैंने अपने आप को संभालते हुए वो चादर ओढ़ ली जो अब तक हम दोनों ने ओढ़ रखी थी…. तभी मम्मा और पापा वहां आ गये, पापा ने आते ही हीतू की नब्ज़ चेक करी, जब वो सामान्य सी चलती देखी तो उनकी जान में जान आई…. तब तक 108 भी आ चुकी थी ओर हम चले हॉस्पिटल…..

आगे की कहानी मेरी यानि खुशाल की ज़बानी….

मुझे जब होश आया तो मैं हॉस्पिटल में था, पियू मेरी बगल में अभी भी सो रहा था, उसके मासूम से चेहरे को देख कर मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गयी…. फिर यका यह मेरा चेहरा मुरझा सा गया…मुझे अपने आप पर गुस्सा आने लगा…

मेरे चेहरे पर यू अचानक बदले भाव देख कर दी ने मुझे पुकारा…

दी: खुशाल ….

दी मेरे पास ही एक टेबल पर बैठी थी, उनकी आवाज़ सुन कर मैं उनकी तरफ देखने लगा….मेरी आँखों में नमी सी छा रही थी….

माहौल को नम होता देख दी ने माहौल ठंडा करने के लिए शरारती नज़रो से मेरे हाथ की तरफ इशारा किया…मैंने जब अपने हाथ की तरफ देखा तो मेरा चेहरा खिल उठा….

पियू मेरे चोट लगे हाथ को अपनी बांहों में लिए सो रहा था….उसका मासूम चेहरा बार बार मेरी आँखों में चमक बिखेर रहा था……तभी शायद पियू ने नींद में कोई बुरा ख्याल देखा ओर पापा पापा चिल्लाते हुए मेरे हाथ को जकड़ने लगा…….

मुझे बहुत ज़ोर से दर्द होने लगा….मैंने दी की तरफ दर्द भारी आँखों से देखा तो दी मेरा इशारा समझ गयी ओर उठ कर आई ओर पियू से मेरा हाथ छुड़ाने लगी……पर पियू कहा छोड़ने वाला था……बल्कि वो तो अपनी पकड़ ओर बढ़ाने लगा…..

थोड़ी देर दी ओर पियू की इस कस्माकस में आख़िर कर दी की जीत हुई ओर उन्होंने पियू को अपनी गोद में उठा लिया…..तब जा कर मेरी सांस में सांस आई……
पर शायद पियू इतना सब करने के बाद भी नहीं मान ने वाला था, वो अब दी की गोद में उछलते हुए अभी भी चिल्ला रहा था, रात बहुत हो गयी थी, इसलिए पियू के यू चिल्लाने से हॉस्पिटल में ओर लोगों को परेशानी हो सकती थी, इसलिए दी ने पियू को अपनी चादर में छुपा लिया…..

मुझे ये कुछ अजीब सा लगा……क्योंकि जैसे ही दी ने पियू को चादर…
Jabardast behatareen shandaar update......
to Ankita mar chuki hai....aur pihu shayad Ankita aur kushal ka beta hai.....yeh Neha yha kya kar rahi hai....
keep writing...
keep posting......
:rock1: :rock1: :rock1: :rock1:
 
  • Love
Reactions: AK 24

AK 24

Supreme
22,058
35,877
259
Jabardast behatareen shandaar update......
to Ankita mar chuki hai....aur pihu shayad Ankita aur kushal ka beta hai.....yeh Neha yha kya kar rahi hai....
keep writing...
keep posting......
:rock1: :rock1: :rock1: :rock1:
Thanks bhidu
And aap sahi ho ye unka beta hi hai aur neha ka chakkar aage samjh me aayega..
 

AK 24

Supreme
22,058
35,877
259
UPDATE-8


पर शायद पियू इतना सब करने के बाद भी नहीं मान ने वाला था, वो अब दी की गोद में उछलते हुए अभी भी चिल्ला रहा था, रात बहुत हो गयी थी, इसलिए पियू के यू चिल्लाने से हॉस्पिटल में ओर लोगों को परेशानी हो सकती थी, इसलिए दी ने पियू को अपनी चादर में छुपा लिया…..

मुझे ये कुछ अजीब सा लगा……क्योंकि जैसे ही दी ने पियू को चादर…

अब आगे :-



में लिया पियू की चीख बंद हो चुकी थी….
मुझे ये सब समझ नहीं आया तो मैंने ये दी से ही पूछ लेना वाजिब समझा……पर दी अचानक यू शरमाने लगी मानो वो अभी अभी नयी दुल्हन बन कर आई हो ओर देव उनका घूँघट उठा रहा हो…..

मुझे कुछ शरारत सूझी ओर मैं मुकेश जी का गया गाना गाने लगा……

सुहागरात है घूँघट उठा रहा हूँ….
सुहागरात है घूँघट उठा रहा हूँ..

दी : चुप कर नालयक……अपनी दी के सामने ये कहते शर्म नहीं आती……. ये कहते कहते दी एक मुरझते गुलाब की तरह मुरझाने लगी…..ओर वही जाने के लिए मूंड़ गयी…….

मैं उन्हें रोक कर मेरा सवाल पूछना चाहता था, लेकिन मैंने दी की हालत पर तराश कहा कर उन्हें बक्श दिया……रात बहुत हो चुकी थी, सो अब मुझे थोड़ी थोड़ी नींद भी आने लगी थी……

मैं नींद के आगोश में जल्द ही खो गया, ओर पहुँच गया अपने उन्हीं ख़यालो में…..

बेक टू फ्लॅशबॅक……

मैं : ओर वो…… क्या आंटी….

आंटी (रोते हुए) ओर वो ये दुनिया चोर्र……….

मैं: क्या……….. ऐसा मत बोलो आंटी अंकिता तो ये सुन कर ही मर……

मैं आगे कुछ ना बोल सका ओर एक तक नमी भारी आंखों से आंटी को देखने लगा…..मुझे आने वाली अनहोनी का अंदाज़ा होने लगा था,…..मैं अंदर ही अंदर डरने लगा……तभी मुझे दी की याद आई….

(इन 3-4 महीनों में सब कुछ बदल गया था, अंकिता का स्वभाव (बिहेवियर) ही इतना अच्छा था की वो हमारी दोनों फॅमिलीस की आंखों का तारा बन चुकी थी…..ओर हां इस टाइम में अंकिता के यदि कोई सबसे नज़दीक आ गया था तो वो थी दी…..)

मैंने उसी वक्त दी को फोन घुमा दिया और जैसे ही दी ने कॉल उठाया मैं एक सांस में ही सब कुछ बोल गया……दी मेरी बात का कुछ जवाब दे पति इस से पहले ही मैंने उन्हें यहां जल्दी आने का कह कर फोन काट दिया…..ओर निकल गया उप्पर देव के रूम की तरफ….

अंकिता अभी भी सो रही थी, नींद में भी उसके चेहरे पर किसी अनहोनी होने के भाव आ रहे थे, मेरी आँखें नम थी, पर मैं अपने आप को संभालते हुए अंकिता के पास बैठ गया…

शायद उसे मेरे आने का अहसास हो चुका था, वो थोड़ी देर अपनी रुआंसी नज़रो से मुझे देखती रही, फिर एका एक उठ कर मुझे अपनी बांहों में भर कर रोने लगी, मुझे इस स्थति का अंदाज़ा नहीं था…….मैं धीरे धीरे उसके बालों में हाथ फेरते हुए दिलासा देने लगा…….मैं तो आगे होने वाली घटना को सोच सोच कर डरे जा रहा था…… पर मैं करता भी क्या….

तभी दी भी रूम में आ गयी, मैंने दी की आंखों में रुआंसी नज़रो से देखा, शायद वो मेरा इशारा समझ चुकी थी…..ओर अंकिता के पास बैठ कर उसे दिलासा देने लगी……मैं अब ओर ये सब ना देख पाया ओर उठ आया बाहर….

सब लोग इस ही कस्माकस में थे की आख़िर अंकिता को ये सब कैसे बताया जाए……हमें ये सोचते सोचते ही 2 बज चुके थे तभी आंटी को किसी का कॉल आया ओर वो बाहर जाने के लिए उठ खड़ी हुई…….हम कुछ कह पाते इस से पहले ही आंटी बाहर जा चुकी थी…. थोड़ी देर बाद आंटी के साथ अंकल घर में एंटर हुए…..उन्हें देख कर हम सब की आँखें एक बार फिर नम हो चली थी…..

अंकल आंटी के अंदर आते ही कुछ ओर लोग अंदर आ गये शायद ये आस पड़ोस के ही लोग थे….. देखते ही देखते घर में लोगों का जमावड़ा सा लग गया……..सभी को शायद एक ही चिंता खाए जा रही थी की अंकल का दाह संस्कार कोन करेगा……..क्योंकि उनके तो कोई बेटा भी नहीं था….

चारों तरफ ये ही चर्चा हो रही थी, अब ये आवाज़ काफी तेज हो चुकी थी, मुझे डर लगने लगा कही ये बातें अंकिता को ना सुनाई दे जाए….जहां एक ओर मेरे मन में ये डर था वही दूसरी ओर इन लोगों की ये लोगो की बताओ पर मुझे गुस्सा आ रहा था…..

(ये समाज के लोग,, पता नहीं ये समाज कब समझेगा…….आख़िर बेटे में ऐसा क्या होता है, जो उसके बाप का अंतिम संस्कार सिर्फ़ वही कर सकता है………इन लोगों को क्यों नहीं दिखता ये बेटे ही होते है जो मां बाप के सारे अहसानो के बदले उन्हें दुख देते है…….यहां तक की कुछ तो अपने मां बाप को घर के काम करने तक को मजबूर कर देते है, कुछ तो उन्हें घर तक से निकल देते है………. आख़िर कब समझेगा ये समाज ……
बेटियाँ……. बेटियाँ तो घर की खुशियाँ होती है…….भगवान का वो वरदान होती है…….मां बाप की आंखों का तारा होती है……पर ना समाज को तो बेटे ही चाहिए…….. अगर बेटा नहीं होगा तो वॅन्स नहीं चलेगा…… अगर बेटा मुखाग्नि नहीं देगा तो मां बाप को स्वर्ग की बजाय नरक मिलेगा………. ना जाने कब समझेगा ये समझ…….) (NO OFFENCE )

मैं अभी भी इस ही कस्माकस में था की तभी किसी ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा….. मैंने देखा तो वहां दी खड़ी थी……मैं दी को यहां देख कर चौंक गया……पर मेरी दी से कुछ कहने की हिम्मत ना हुई ओर बस मैं चुप चाप उन्हें देखता रहा…….दी से मेरी ये हालत ना देखी गयी ओर उन्होंने मुझे मैं दूर की तरफ देखने का इशारा किया….

मैं दूर की तरफ देख कर चौंक गया…….आख़िर अंकिता को ये क्या हुआ……
मैंने जैसे ही दूर की तरफ नज़रे दौड़ाई….. ये क्या….

अंकिता अंकल के जनाज़े के पास खड़ी थी और सभी लोग अब अंकल को उस आख़िरी मंजिल की और ले जाने को तैयार थे……जिस मंजिल की और शायद ही कोई जाना चाहे मगर ये जीवन का एक कठोर सत्या है…… जिसे हर इंसान को मानना ही पड़ता है…..

मेरे तो जैसे पैरों तले….
 

AK 24

Supreme
22,058
35,877
259
Index updated on first page :hinthint:
 
  • Like
Reactions: Kalwa maal

Chinturocky

Well-Known Member
4,398
12,813
158
Behtareen update
 
  • Love
Reactions: AK 24

AK 24

Supreme
22,058
35,877
259
UPDATE -9

अंकिता अंकल के जनाज़े के पास खड़ी थी और सभी लोग अब अंकल को उस आख़िरी मंजिल की और ले जाने को तैयार थे……जिस मंजिल की और शायद ही कोई जाना चाहे मगर ये जीवन का एक कठोर सत्या है…… जिसे हर इंसान को मानना ही पड़ता है…..

मेरे तो जैसे पैरों तले….

अब आगे :-


ज़मीन खिसक गयी थी, अंकिता के चेहरे पर एक दृढ़ता थी, जिसे देख कर हर कोई ये अनुमान लगा सकता था, की उसने अपने आप को किस हद तक रोके रखा था…..फिर सभी निकल चले अंकल की अंतिम यात्रा को रही दिखाने…..

उस समय मुझे एक गुमनाम शायर की कही वो पंक्तिया याद आ गयी…

था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था….
बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था….
ना जाने था वो कौन सा अजब खेल मेरे घर में….
बच्चों की तरह मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था….
था पास मेरा हर अपना उस वक्त….
फिर भी मैं हर किसी के मन से भुलाया जा रहा था…
जो कभी देखते भी न थे मोहब्बत की निगाहों से….
उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था…
मालूम नहीं क्यों हैरान था हर कोई मुझे सोते हुए देख कर….
जोर-जोर से रोकर मुझे जगाया जा रहा था…
काँप उठी मेरी रूह वो मंजर देख कर….
जहाँ मुझे हमेशा के लिये ले जा रहा था लिए……
चारों तरफ एक ही आवाज़ गूँज रही थी, राम नाम सत्या है………ओर शायद यही जीवन का परम सत्या है…..

थोड़ी देर बाद हम शमशन पहुँच गये, अंकिता ने अंकल को मुखाग्नि दे कर उन्हें इस जीवन से विदा कर दिया था…….हम सब घर को वापस लॉट चुके थे, घर में एक सन्नाटा सा छा रहा था, सब एक दूसरे के मुंह की तरफ टाँके जा रहे थे मानो किसी के पास बोलने को एक शब्द भी ना हो…..

आज सुबह से ऐसे शोकाकुल माहौल की वजह से किसी ने खाना नहीं खाया था, हमारे यहां एक रिवाज होता है की जब भी घर में किसी की डेथ हो जाती है तो उनके रिलेटिव्स डेथ वाले दिन का खाना लेट है…… अंकिता का उसके अंकल के सिवा कोई ओर ना था, सो आज खाना हमारे घर से आया था, लेकिन खाने की भूख थी किसे, सभी तो अंकल के यू अचानक जाने के शौक में डूबे हुए थे……

पर कुछ रसमे रिवाज ऐसे भी होते है जिन्हें ना चाहते हुए भी निभाना पड़ता है, सो सब ने अपने मान को कठोर कर के एक एक नीवाला किसी तरह अपने हलक से नीचे उतरा…..सिवाय मेरे ओर आनी के……मगर हमारा भी कम से कम एक नीवाला लेना तो जरूरी था तो दी हमें ये बात समझते हुए खाना खिलाने हमारे पास बैठ गयी….

ओर ना चाहते हुए भी हमें खाना खाना ही पड़ा……….आज का दिन मेरी लाइफ का सबसे बुरा दिन था…….

(हम……काफी ज्यादा हो गया ना…….सो चलो आफ्टर 1 मंथ……)

सुबह मॉर्निंग का टाइम 8:00 बज रहे थे और मैं कुंभ करण का भाई…..अभी भी सो रहा था……..तभी अचानक मेरे सर पर जोरदार पानी की बोचर हो गयी……..ओर हमारा गुस्सा आश्मन पर…..चूँकि ये रोज की बात थी तो मुझे पता था की ये अंकिता के अलावा ओर कोई नहीं हो सकता था…..

जी हां अंकिता…….अंकल की डेत वाले दिन पता नहीं दी ने अंकिता को ऐसा क्या पाठ पढ़ाया था की वो हमेशा खुश रहती थी……..लोगों को दिखाने के लिए…….मैंने काफी बार अंकिता को अकेले में अंकल की याद में रोता देखा था…लेकिन वो कभी भी ये बात किसी ओर को जाहिर नहीं होने देती थी…
पर यार अंकिता यहां कैसे………आक्च्युयली मैं और अंकिता दोनों ने पास कर ली थी, ओह बार की तरह मैं अपने डिस्ट्रिक्ट में 1st था….और अंकिता भी अच्छे नो. से पास हो चुकी थी……रिज़ल्ट्स के 15-20 बाद से ही हमारी इप्क की क्लासस स्टार्ट हो चुकी थी, तो बस डेली अंकिता ही सुबह सुबह हमारे घर आ कर मुझे उठाया करती थी….

मैं (गुस्से में) : क्या है ये आनी, ऐसा भी कोई करता है…..पूरा बेड गीला कर दिया…..

आनी: ज्यादा बकवास ना कर और जल्दी से तैयार हो जा, घड़ी में देख 8 बज रहे है ओर 1 घंटे बाद से क्लास स्टार्ट होने वाली है….

मैं: हां हां पता है, अब तू अपना लेक्चर बंद कर ओर बाहर जा, मैं फ्रेश हो कर आता हूँ….

आनी: हम….

आनी के जाने के बाद मैं फ्रेश होने चला गया, थोड़ी देर में मैं तैयार हो कर नीचे डिन्निंग टेबल पर आ कर सबके पास बैठ गया…..

मैं: गम गाइस…..

पापा: आबे गधे के बच्चे, सुबह सुबह बडो के पैर छुए जाते है, ये क्या अंग्रेजों वाला गम गम लगा रखा है…..

पापा अपनी बात पूरी करती इस से पहले ही मम्मी बीच में बोल पड़ी….में असिस्टेंट चीफ सेक्यूरिटी गार्ड…. हहहे

मम्मी: अरे आज कल का जमाना है भी…….ओर फिर ये तो बच्चा है, आप तो इतने बड़े हो कुछ तो साब्याता सीखो……क्या है गधे के बच्चे……मेरा बेटा आपको गधे का बच्चा लगता है क्या……कम से कम ये तो सोचो की घर में अंकिता भी है…..उसके सामने उसके फ़्रेंड की इन्सल्ट करोगे तो उसे अच्छा लगेगा क्या…… ओर भी फलना धिकाना सुना दिया मम्मी ने पापा को…..

मम्मी का इतना लंबा चौड़ा भाषण सुन कर सबने अपने खाने पर ही ध्यान देना उचित समझा……खाना खाने के बाद मैं ओर आनी निकल गये मेरी बाइक पर कोचिंग के लिए…..

अरे यार अब ये क्यों नाराज़ हो गयी…….अरे क्या हुआ मेरी रानी की………
ये अब ये नयी मूषिबट है मेरी बाइक मुझसे नाराज़ हो गयी…… कहती है मेरा भी इंट्रो कारवांओ…..अब बताओ भला कोई बाइक का भी इंट्रो होता है……
चलो तू इतना फोर्स कर रही है तो करवा देता हूँ तेरा भी इंट्रो…..

यू तो हमारे घर में 2 कार्स (रेनो की डस्टर और महिंद्रा की बोलरो) और 3 बाइक्स (पुल्सर 220, कत्म डूक 390 और बजाज प्लतीना) है लेकिन मेरी पहली पसंद है डूक……हो भी क्यों ना साला कान मरोदते ही जो स्पीड में भागती है…… मस्स्स्सालल्ल्लाहह….. नज़र ना लग जाए….
मैं ओर आनी बाइक पर कोचिंग के लिए….
 

piyanuan

Active Member
1,318
806
128
fav song kora kagaz, pleaseeeeeee jyda mat rulana, kora kagaz naam se aisa lgta haun, jaise life me kuch b nahi
 
  • Love
Reactions: AK 24

Nakul

Member
132
191
59
Iss story main Ankita ko mat marna
Acha character hai wo
Btw update is superb
 
  • Love
Reactions: AK 24
Status
Not open for further replies.
Top