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UPDATE -10
यू तो हमारे घर में 2 कार्स (रेनो की डस्टर और महिंद्रा की बोलरो) और 3 बाइक्स (पुल्सर 220, कत्म डूक 390 और बजाज प्लतीना) है लेकिन मेरी पहली पसंद है डूक……हो भी क्यों ना साला कान मरोदते ही जो स्पीड में भागती है…… मस्स्स्सालल्ल्लाहह….. नज़र ना लग जाए….
मैं ओर आनी बाइक पर कोचिंग के लिए….
अब आगे :-
निकल गये…..चूँकि हमें कोचिंग जाते 15-20 दिन हो गये थे सो हमारे कुछ फ्रेंड्स भी बन चुके थे, ओर खास कर आनी को एक बेस्ट फ़्रेंड मिल गयी थी……मीनू….
मीनू उर्फ मीनाक्षी एक बहुत ही चंचल स्वभाव की ओर खुले दिल की लड़की थी, उसका स्वभाव बहुत ही अच्छा था…..मीनू एक अनाथ लड़की थी ओर एक अनाथालाया में रहती थी…….वो अपने खुद के दम पर ही अपनी स्टडी और सारी ज़रूरते पूरी कर लेती थी……
क्लास में आनी, मीनू, डीपू और मैं चारों दोस्त फर्स्ट रॉ में बैठते थे, हमारा ग्रुप ज्यादा बड़ा नहीं था……फिर भी हमारा ग्रुप स्टडी में सबसे होशियार था…..काफी स्टूडेंट्स हमसे स्टडी रिलेटेड प्रॉब्लम्स पूछने भी आते थे….कुल मिला कर चारों तरफ बस स्टडी स्टडी……
पर हां स्टडी के साथ ही मेरा ध्यान धीरे धीरे आनी की तरफ भी बढ़ने लगा था, सुबह उसका मेरे घर आ कर उठना, फिर साथ कोचिंग जाना…क्लास में एक साथ बैठना शाम को एक साथ स्टडी करना…..कुल मिलकर हम दोनों को एक दूसरे की आदत सी हो गयी थी…..
यू ही एक दिन हम दोनों बाइक पर कोचिंग के लिए जा रहे थे…….आनी ने आज राजस्थानी लहंगा चुनी पहना था…..उसकी चुनी बार बार हवा से उड़ कर मेरे मुंह को ढके जा रही थी…..मुझे एक अजीब सा अहसास हो रहा था, चुकी मैं बाइक चला रहा था, सो मैं इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया…..पर फिर भी ना जाने मेरे दिल में एक हलचल सी मचने लगी थी सो मैंने बाइक को रास्ते में पड़ने वाले सेंट्रल पार्क के पास रोक दिया….
आनी: खुशाल हम यहां क्यों रुके है…..
मैं(बाइक स्टैंड पर लगते हुए) : अंदर चल सब बताता हूँ….
आनी: लेकिन क्लास…….. आनी इस से आगे कुछ बोलती उस से पहले ही मैंने उसकी बात काट दी.
मैं: एक दिन क्लास ड्रॉप कर देने से कोई पहाड़ नहीं टूट जाएगा…..
आनी: हम…… तुम खुशाल ही हो ना…..
मैं: अब चलो भी अंदर……
ओर मैं आनी का हाथ पकड़ कर उसे अंदर ले जाने लगा……
आनी: खुशाल क्या कर रहे हो, चोदो मेरा हाथ सब देख रहे है…..
ये सुन के मेरा मन तो नहीं हुआ लेकिन फिर भी मैंने आनी का हाथ चोर्र दिया और चल दिया अंदर की ओर…….अंदर मीनू हमारा पहले से ही वेट कर रही थी……सो मैं सीधा उसे डुनधते हुए चल पड़ा सेंट्रल पार्क के सेंटर में……… वही एक पेड़ के पास हमें मीनू बैठी हुई मिल गयी…
मैं: ही मीनू…….. आज इस वक्त हमें यहां क्यों बुलाया…..
मीनू: सब बताती हूँ, पहले यहां बैठो तो सही…..
मीनू के कहने पर मैं उसके पास ही उस पेड़ के नीचे बैठ गया……..तभी आनी डोदती हुई आई और मुझ पर बरस पड़ी……
आनी: वॉट थे हेल इस तीस, खुशाल ……तुम मुझे ऐसे वहां कैसे चोर्र के यहां आ सकते हो….. तुम्हें पता भी है मैं कितना डर गयी थी……
आनी की बात सुन कर मैं थोड़ा चौंक गया, शायद आनी कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट कर रही थी, क्योंकि मैं तो धीरे धीरे चल रहा था फिर भी पीछे रही गयी…..ओर चलो रही भी गयी तो इसमें कोसना डरने वाली बात थी…..पार्क की तो है ओर वो भी सुबह का टाइम…..हद है यार….ये गर्ल्स…….. भगवान भी ना समझ सके इन्हें……फिर मैं तो इंसान हूँ…..
मैं: अरे यार इतना ओवर रिएक्ट क्यों कर रही हो…….यहां कोनसा तुम्हें खा जाता जो तुम इतना…..
मेरा इतना कहना हुआ की आनी एक बार फिर मुझ पर बरस पड़ी…….ओर शायद इस बार उसकी आंखों में आँसू भी थे…….
आनी: हां तुम्हें तो ये सब ओवर रिएक्ट ही लगेगा ना…..तुम्हें मेरी चिंता कहा, एक मैं ही हूँ जो पूरे दिन तुझ जैसे मोटे के आगे पीछे घूमती रहती हूँ…….तुम्हें पता भी है….
मोटे……..हहेहेहहे….
आनी अपना गुस्सा जारी रखते हुए….
जब तुम आगे निकल आए थे तो वहां 3-4 मावल्ली मुझे छेड़ने लगे….और मुझे गंदी गंदी गलियाँ देने लगे…..पर तुम्हें इन सब से क्या……मैं चाहे मारू या जियु…..
आनी की बातें सुन कर मेरी आंखों में पानी भी आ रहा था, ओर गुस्सा भी……
मैं: यार प्लीज़ तू रोना बंद कर पहले ओर ये बता कोन थे वो सालों को अभी सबक सिखाता हूँ…..
ये कहते कहते मैंने अपनी पॉकेट से मेरा फोन निकाला और देव को कॉल लगाने लगा……तभी आनी वापस बोलने लगी….
आनी: रहने दे अब तेरे ये ऐक्टिंग करने से मुझ पर कोई एफेक्ट नहीं पड़ने वाला…..ओर वैसे भी मैंने उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया हैं…..
मैं: पुलिस…….
मैं कुछ ओर कहता इस से पहले ही मीनू माहौल को संभालने के लिए बीच में बोल पड़ी…..
मीनू: प्लीज़ तुम दोनों झगड़ा बंद करो और आनी प्लीज़ यहां बैठो और पूरी बात बताओ…..आख़िर हुआ क्या….
आनी चुप चाप आ कर मीनू के पास बैठ गयी ओर उसे पूरी बात बताने लगी……उसने एक बात बताते वक्त एक बार भी मेरी तरफ आँखें नहीं फेरी……ओर बस मीनू की तरफ ही मुंह कर के बोले जा रही थी….. यहां तक की मैंने बीच में एक बार कुछ बोलना भी चाहा लेकिन उसने मेरी बात को नज़र अंदाज कर दिया…….
ई आम शॉक्ड….मैं ये सब देख कर हैरान रही गया…..मना की मीनू आनी की सबसे अच्छी दोस्त थी…… लेकिन फिर भी आनी ने आज तक मेरे साथ ऐसा बिहेव नहीं किया था…….पहले भी हमारे बीच काफी बार झगड़े हुए है……लेकिन आज तो आज मुझे कुछ अलग सा फील हो रहा था…..ना जाने उसे क्या हो गया था…..
उसकी बताओ से भी कुछ अलग ही फील आ रही थी…. “मैं तुम्हारी लगती ही क्या हूँ” “मैं चाहे मारू या जियु,….
यू तो हमारे घर में 2 कार्स (रेनो की डस्टर और महिंद्रा की बोलरो) और 3 बाइक्स (पुल्सर 220, कत्म डूक 390 और बजाज प्लतीना) है लेकिन मेरी पहली पसंद है डूक……हो भी क्यों ना साला कान मरोदते ही जो स्पीड में भागती है…… मस्स्स्सालल्ल्लाहह….. नज़र ना लग जाए….
मैं ओर आनी बाइक पर कोचिंग के लिए….
अब आगे :-
निकल गये…..चूँकि हमें कोचिंग जाते 15-20 दिन हो गये थे सो हमारे कुछ फ्रेंड्स भी बन चुके थे, ओर खास कर आनी को एक बेस्ट फ़्रेंड मिल गयी थी……मीनू….
मीनू उर्फ मीनाक्षी एक बहुत ही चंचल स्वभाव की ओर खुले दिल की लड़की थी, उसका स्वभाव बहुत ही अच्छा था…..मीनू एक अनाथ लड़की थी ओर एक अनाथालाया में रहती थी…….वो अपने खुद के दम पर ही अपनी स्टडी और सारी ज़रूरते पूरी कर लेती थी……
क्लास में आनी, मीनू, डीपू और मैं चारों दोस्त फर्स्ट रॉ में बैठते थे, हमारा ग्रुप ज्यादा बड़ा नहीं था……फिर भी हमारा ग्रुप स्टडी में सबसे होशियार था…..काफी स्टूडेंट्स हमसे स्टडी रिलेटेड प्रॉब्लम्स पूछने भी आते थे….कुल मिला कर चारों तरफ बस स्टडी स्टडी……
पर हां स्टडी के साथ ही मेरा ध्यान धीरे धीरे आनी की तरफ भी बढ़ने लगा था, सुबह उसका मेरे घर आ कर उठना, फिर साथ कोचिंग जाना…क्लास में एक साथ बैठना शाम को एक साथ स्टडी करना…..कुल मिलकर हम दोनों को एक दूसरे की आदत सी हो गयी थी…..
यू ही एक दिन हम दोनों बाइक पर कोचिंग के लिए जा रहे थे…….आनी ने आज राजस्थानी लहंगा चुनी पहना था…..उसकी चुनी बार बार हवा से उड़ कर मेरे मुंह को ढके जा रही थी…..मुझे एक अजीब सा अहसास हो रहा था, चुकी मैं बाइक चला रहा था, सो मैं इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया…..पर फिर भी ना जाने मेरे दिल में एक हलचल सी मचने लगी थी सो मैंने बाइक को रास्ते में पड़ने वाले सेंट्रल पार्क के पास रोक दिया….
आनी: खुशाल हम यहां क्यों रुके है…..
मैं(बाइक स्टैंड पर लगते हुए) : अंदर चल सब बताता हूँ….
आनी: लेकिन क्लास…….. आनी इस से आगे कुछ बोलती उस से पहले ही मैंने उसकी बात काट दी.
मैं: एक दिन क्लास ड्रॉप कर देने से कोई पहाड़ नहीं टूट जाएगा…..
आनी: हम…… तुम खुशाल ही हो ना…..
मैं: अब चलो भी अंदर……
ओर मैं आनी का हाथ पकड़ कर उसे अंदर ले जाने लगा……
आनी: खुशाल क्या कर रहे हो, चोदो मेरा हाथ सब देख रहे है…..
ये सुन के मेरा मन तो नहीं हुआ लेकिन फिर भी मैंने आनी का हाथ चोर्र दिया और चल दिया अंदर की ओर…….अंदर मीनू हमारा पहले से ही वेट कर रही थी……सो मैं सीधा उसे डुनधते हुए चल पड़ा सेंट्रल पार्क के सेंटर में……… वही एक पेड़ के पास हमें मीनू बैठी हुई मिल गयी…
मैं: ही मीनू…….. आज इस वक्त हमें यहां क्यों बुलाया…..
मीनू: सब बताती हूँ, पहले यहां बैठो तो सही…..
मीनू के कहने पर मैं उसके पास ही उस पेड़ के नीचे बैठ गया……..तभी आनी डोदती हुई आई और मुझ पर बरस पड़ी……
आनी: वॉट थे हेल इस तीस, खुशाल ……तुम मुझे ऐसे वहां कैसे चोर्र के यहां आ सकते हो….. तुम्हें पता भी है मैं कितना डर गयी थी……
आनी की बात सुन कर मैं थोड़ा चौंक गया, शायद आनी कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट कर रही थी, क्योंकि मैं तो धीरे धीरे चल रहा था फिर भी पीछे रही गयी…..ओर चलो रही भी गयी तो इसमें कोसना डरने वाली बात थी…..पार्क की तो है ओर वो भी सुबह का टाइम…..हद है यार….ये गर्ल्स…….. भगवान भी ना समझ सके इन्हें……फिर मैं तो इंसान हूँ…..
मैं: अरे यार इतना ओवर रिएक्ट क्यों कर रही हो…….यहां कोनसा तुम्हें खा जाता जो तुम इतना…..
मेरा इतना कहना हुआ की आनी एक बार फिर मुझ पर बरस पड़ी…….ओर शायद इस बार उसकी आंखों में आँसू भी थे…….
आनी: हां तुम्हें तो ये सब ओवर रिएक्ट ही लगेगा ना…..तुम्हें मेरी चिंता कहा, एक मैं ही हूँ जो पूरे दिन तुझ जैसे मोटे के आगे पीछे घूमती रहती हूँ…….तुम्हें पता भी है….
मोटे……..हहेहेहहे….
आनी अपना गुस्सा जारी रखते हुए….
जब तुम आगे निकल आए थे तो वहां 3-4 मावल्ली मुझे छेड़ने लगे….और मुझे गंदी गंदी गलियाँ देने लगे…..पर तुम्हें इन सब से क्या……मैं चाहे मारू या जियु…..
आनी की बातें सुन कर मेरी आंखों में पानी भी आ रहा था, ओर गुस्सा भी……
मैं: यार प्लीज़ तू रोना बंद कर पहले ओर ये बता कोन थे वो सालों को अभी सबक सिखाता हूँ…..
ये कहते कहते मैंने अपनी पॉकेट से मेरा फोन निकाला और देव को कॉल लगाने लगा……तभी आनी वापस बोलने लगी….
आनी: रहने दे अब तेरे ये ऐक्टिंग करने से मुझ पर कोई एफेक्ट नहीं पड़ने वाला…..ओर वैसे भी मैंने उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया हैं…..
मैं: पुलिस…….
मैं कुछ ओर कहता इस से पहले ही मीनू माहौल को संभालने के लिए बीच में बोल पड़ी…..
मीनू: प्लीज़ तुम दोनों झगड़ा बंद करो और आनी प्लीज़ यहां बैठो और पूरी बात बताओ…..आख़िर हुआ क्या….
आनी चुप चाप आ कर मीनू के पास बैठ गयी ओर उसे पूरी बात बताने लगी……उसने एक बात बताते वक्त एक बार भी मेरी तरफ आँखें नहीं फेरी……ओर बस मीनू की तरफ ही मुंह कर के बोले जा रही थी….. यहां तक की मैंने बीच में एक बार कुछ बोलना भी चाहा लेकिन उसने मेरी बात को नज़र अंदाज कर दिया…….
ई आम शॉक्ड….मैं ये सब देख कर हैरान रही गया…..मना की मीनू आनी की सबसे अच्छी दोस्त थी…… लेकिन फिर भी आनी ने आज तक मेरे साथ ऐसा बिहेव नहीं किया था…….पहले भी हमारे बीच काफी बार झगड़े हुए है……लेकिन आज तो आज मुझे कुछ अलग सा फील हो रहा था…..ना जाने उसे क्या हो गया था…..
उसकी बताओ से भी कुछ अलग ही फील आ रही थी…. “मैं तुम्हारी लगती ही क्या हूँ” “मैं चाहे मारू या जियु,….