komaalrani
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सुबह तक शम्अ सर को धुनती रही
क्या पतंगे ने इल्तमास किया
क्या पतंगे ने इल्तमास किया
Bahut khoob,,,,दिल वो नगर नहीं कि फिर आबाद हो सके
पछताओगे सुनो हो , ये बस्ती उजाड़कर
Kya baat hai,,,,बेताब कर गयी मुझे उनकी वो जादू भरी नज़र
जब हम उनके देखने की अदा देखते ही रह गए।
Behtareen,,,,मैं तल्ख़ी-ए-हयात से घबरा के पी गया
ग़म की सियाह रात से घबरा के पी गया
इतनी दक़ीक़ शय कोई कैसे समझ सके
यज़्दाँ के वाक़िआ'त से घबरा के पी गया
छलके हुए थे जाम परेशाँ थी ज़ुल्फ़-ए-यार
कुछ ऐसे हादसात से घबरा के पी गया
मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर
मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया
दुनिया-ए-हादसात है इक दर्दनाक गीत
दुनिया-ए-हादसात से घबरा के पी गया
काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या
फूलों की वारदात से घबरा के पी गया
'साग़र' वो कह रहे थे कि पी लीजिए हुज़ूर
उन की गुज़ारिशात से घबरा के पी गया
Shaandarकटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगी
कैसे कहूं किसी की तमन्ना न चाहिए...
~शाद आरफ़ी
Niceकटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगी
कैसे कहूं किसी की तमन्ना न चाहिए...
~शाद आरफ़ी
Niceतुम्हारे सच की हिफ़ाज़त में यूँ हुआ अक्सर
कि अपने-आप को झूटा बना लिया मैं ने
- सरफ़राज़ नवाज़