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Only Two line sher o shayri

komaalrani

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सुबह तक शम्अ सर को धुनती रही
क्या पतंगे ने इल्तमास किया
 

Saaim

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मैं तल्ख़ी-ए-हयात से घबरा के पी गया
ग़म की सियाह रात से घबरा के पी गया

इतनी दक़ीक़ शय कोई कैसे समझ सके
यज़्दाँ के वाक़िआ'त से घबरा के पी गया

छलके हुए थे जाम परेशाँ थी ज़ुल्फ़-ए-यार
कुछ ऐसे हादसात से घबरा के पी गया

मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर
मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया

दुनिया-ए-हादसात है इक दर्दनाक गीत
दुनिया-ए-हादसात से घबरा के पी गया

काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या
फूलों की वारदात से घबरा के पी गया

'साग़र' वो कह रहे थे कि पी लीजिए हुज़ूर
उन की गुज़ारिशात से घबरा के पी गया
 
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TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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दिल वो नगर नहीं कि फिर आबाद हो सके
पछताओगे सुनो हो , ये बस्ती उजाड़कर
Bahut khoob,,,,:claps:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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बेताब कर गयी मुझे उनकी वो जादू भरी नज़र
जब हम उनके देखने की अदा देखते ही रह गए। :love:
Kya baat hai,,,,:claps:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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मैं तल्ख़ी-ए-हयात से घबरा के पी गया
ग़म की सियाह रात से घबरा के पी गया

इतनी दक़ीक़ शय कोई कैसे समझ सके
यज़्दाँ के वाक़िआ'त से घबरा के पी गया

छलके हुए थे जाम परेशाँ थी ज़ुल्फ़-ए-यार
कुछ ऐसे हादसात से घबरा के पी गया

मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर
मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया

दुनिया-ए-हादसात है इक दर्दनाक गीत
दुनिया-ए-हादसात से घबरा के पी गया

काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या
फूलों की वारदात से घबरा के पी गया

'साग़र' वो कह रहे थे कि पी लीजिए हुज़ूर
उन की गुज़ारिशात से घबरा के पी गया
Behtareen,,,,:daru:
 

Rdsingh

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कटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगी
कैसे कहूं किसी की तमन्ना न चाहिए...

~शाद आरफ़ी
Shaandar
 
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Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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कटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगी
कैसे कहूं किसी की तमन्ना न चाहिए...

~शाद आरफ़ी
Nice
 
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Aether

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Divine
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तुम्हारे सच की हिफ़ाज़त में यूँ हुआ अक्सर
कि अपने-आप को झूटा बना लिया मैं ने
- सरफ़राज़ नवाज़
Nice
 

Romeo 22

Well-Known Member
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मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का,
उसी को देखकर जीते हैं जिस काफिर पर दम निकले।
 
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