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Romance Ummid Tumse Hai

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
443
998
93
अनुनय विनय

मेरी यह कहानी किसी धर्म, समुदाय, संप्रदाय या जातिगत भेदभाव पर आधारित नहीं हैं। बल्कि यह एक पारिवारिक स्नेह वा प्रेम, जीवन के उतर चढ़ाव और प्रेमी जोड़ों के परित्याग पर आधारित हैं। मैने कहानी में पण्डित, पंडिताई, पोथी पोटला और चौपाई के कुछ शब्द इस्तेमाल किया था। इन चौपाई के शब्द हटा दिया लेकिन बाकी बचे शब्दो को नहीं हटाऊंगा। क्योंकि पण्डित (सरनेम), पंडिताई (कर्म) और पोथी पोटला (कर्म करने वाले वस्तु रखने वाला झोला) जो की अमूमन सामान्य बोल चाल की भाषा में बोला जाता हैं। इसलिए किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चहिए फिर भी किसी को परेशानी होता हैं तो आप इन शब्दों को धारण करने वाले धारक के प्रवृति से भली भांति रूबरू हैं। मैं उनसे इतना ही बोलना चाहूंगा, मैं उनके प्रवृति से संबंध रखने वाले कोई भी दृश्य पेश नहीं करूंगा फिर भी किसी को चूल मचती हैं तो उनके लिए

सक्त चेतावनी


मधुमक्खी के छाते में ढील मरकर अपने लिए अपात न बुलाए....
 
Last edited:

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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दूसरा भाग।

बहुत ही बेहतरीन महोदय

तो राघव एकदम हीरो माफिक तैयार हो रहा है, लग गो ऐसे रहा है जैसे वो अपनी माशूका से मिलने जा रहा है । लेकिन उसके बाप अटल ने अपने अटल विचारों से उसके मूड की ऐसी की तैसी कर दी। इतना सख्त मिजाज वो भी अपने ही बेटे के प्रति। पढ़ाई लिखाई में ठीक है। डिप्लोमा किया हुआ है, लेकिन उनकी पसंद की पढ़ाई नहीं की इसलिए अटल जी उससे खुन्नस खाये हुए हैं। माँ और बहन भी अटल के सामने ज्यादा नहीं बोल पाते वैसे भी क्या बोले जब सामने वाला कुछ सुनने को ही तैयार न हो।

सृष्टि एक अनाथ लड़की जो राघव से प्रेम करती है खुद के पैरों पर खड़ी है लेकिन फिर भी बेरोजगार राघव से प्रेम करती है। ये उसका सच्चा प्रेम ही है जो उन्हें इस परिस्थिति में भी एक साथ बांधे हुए है।। सृष्टि और राघव के प्रेम के बारे में शायद अटल जी को पता नही है नहीं तो अब तक बवाल मचा देते, लेकिन वो दिन ज्यादा दूर भी नहीं है जब इस प्यार पर अटल जी का अटल पहरा होने वाला है।।

बहुत बहुत धन्यवाद माही जी

राघव ने सोचा तो यही था मस्त तैयार होल GF से मिलने जाएगा। लेकिन बाप ने ऐसी पुंगी बजाय विचरा बीना पिपढ़ी के ही नागिन डांस करने लगा:handsome:
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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तीसरा भाग

बहुत ही बेहतरीन।।

सृष्टि सच मे बहुत अच्छी लड़की है। उसके बारे में शायद अटल जी को छोड़कर राघव की मम्मी और बहन को पता है। उन्हीने ही उसे राघव को घर वापस लाने के लिए भेजा था, सृष्टि बहुत ही सुलझी हुई बात करती है राघव से। उसकी बात में छल और कपज जैसे बनावटी शब्दों का दूर दूर तक छुवाई नहीं थी।

उसने राघव के लिए एक नौकरी भी ढूंढी है। ऐसी सुलझी हुई लड़की किस्मत वालों को मिलती है। घर वापस आने पर भाई बहन और माँ के बीच अतुलनीय प्रेम देखने को मिला तीखी नोक झोंक और प्यार देखने को मिला। इस परिवार में अटल को छोड़कर सभी सुलझे हुए लग रहे हैं अटल तो जिद्दी स्वभाव के इंसान प्रतीत हो रहे हैं।।
बहुत बहुत शुक्रिया माही जी

ये सच हैं मां बहन को पता हैं लेकिन अटल जी को कुचु नहीं पाता जब पता चलेगा फुल बवाल मुड़ में धमाल करेगा बस साथ बने रहिएगा।
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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चौथा भाग

बहुत ही बेहतरीन

ये किस्मत भी बहुत कुत्ती चीज़ होती है। ये ऐसे मौके पर ही धोखा देती है जब कुछ अच्छा होने का होता है। सार्थक मस्तमौला लौडा है और राघव का जिगरी दोस्त भी है। राघव को हर मुसीबत में उसका साथ देने के लिए जिन्न की तरह प्रकट हो जाता है। आज भी जब राघव की गाड़ी बन्द हुई तब सार्थक वहां पर आ गया और राघव की मुश्किल आसान हो गई।

साक्षात्कार लेने वाला बुजुर्ग आदमी था उसने राघव से कुछ माकूल सवाल पूछे। राघव ने अपने साक्षात्कार के बल पर ये नौकरी प्राप्त कर ली। लेकिन उस नौकरी का पूरा श्रेय सृष्टि को ही जाता है जिसने उसके लिए इस नौकरी को तलाश किया।।
बहुत बहुत शुक्रिया माही जी

सार्थक ही तो राघव के जीवन का एक इकलौता खेवन हर हैं। हर मुसीबत में खेबैया बनकर पहुंच जाता हैं।

सृष्टि जैसी समझदार लडक़ कही और मिल ही नहीं सकता ऐसी लडक़ मेरी कहानी में देखने को मिलेगा बाकी वास्तविक जीवन में कह नहीं सकता:tease3:
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Update - 4


राघव "मेरे पीछे उसे पीटेंगे तो आपको क्या लगता हैं मेरे आने पर शिकायत नहीं करेंगी

प्रगति "तो क्या तू मुझे डाटेगा।"

राघव "आप मेरी मां जगद जननी हों मैं आपको कैसे डांट सकता हूं। मैं तो समझा बुझा कर तन्नु को चॉकलेट 🍫 देकर चुप करा दूंगा।"

प्रगति "यही ठीक रहेगी तू बैठ मैं झूठे बर्तन रखकर आती हू।"

प्रगति झूठे बर्तन रखने किचन गई राघव वहां बैठा रहा तभी तन्नू आई और बोली "भईया मम्मा कहा हैं।"

प्रगति ने शायद तन्नु की आवाज सुन लिया था। हाथ में बेलन लेकर बाहर आई दूसरे हाथ पर बेलन मरते हुए बोली "मैं इधर हु बोल क्या काम हैं?"

तन्नु बेलन हाथ में देखकर राघव के पास गई और बोली "भईया देखो मम्मी डांट रहीं हैं। आप कुछ नहीं कहोगे।"

प्रगति "चुप कर नौटंकी क्यो मां बेटे के बीच झगड़ा करवाने पे तुली हैं चुप चाप कॉलेज जा नहीं तो लेट हों जायेगी।

तन्नु "ठीक हैं अभी तो जा रही हूं। मम्मा आप न दूध गर्म करके रखना कॉलेज से आने के बाद जम के मुकाबला होगी।"

राघव "मुकाबला करेगी, तो दूध कहा से बीच में आ गया।"

तन्नु "दिन भर की पढ़ाई से मेरी एनर्जी डाउन हो जायेगी मां से मुकाबला करने के लिए मुझे एनर्जी की जरूरत पड़ेगी। दूध पाऊंगी तभी तो एनर्जी बड़ेगी इतना भी नहीं समझते बुद्ध कहीं के।"

तन्नु के बोलते ही हंसी ठहाके का माहौल बन गया। हंसते हुए प्रगति बेलन दिखाने लगी तब तन्नु कॉलेज जाना ही बेहतर समझा और कॉलेज को चाली गई तन्नु के जाते ही राघव बोला "मां कल मुझे इंटरव्यू देने जाना हैं मेरा फॉर्मल ड्रेस गंदा हैं धो देना।"

प्रगति haummm बोला और अपना काम करने लग गई राघव कुछ काम का बोलकर बाहर चला गया। ऐसे ही दिन का वक्त बीत गया। इसी बीच राघव ने ये बोल दिया जब तक बाप बेटे का रिश्ता सुधार नहीं जाता तब तक सब के साथ बैठ कर न नाश्ता करेंगा न खान खाएगा हां जब पापा बाहर जाएंगे तब तन्नु और प्रगति के साथ खां लेगा। प्रगति का मन माना करने को कहा लेकिन परिस्थिती को भाप कर हां कह दिया। रात के खाने के वक्त राघव को न देखकर अटल कारण जाना चाहा तो प्रगति ने कारण बता दिया तब अटल ने कहा " अच्छा हैं! उसके लिए और मेरे लिए यह ठीक रहेगा, काम से काम मेरे मन को तो शांति मिलेगा।"

बहुत कुछ बोलना चाहती थीं लेकिन प्रिस्थिती बिगड़ न जाएं इसलिए चुप रहीं। राघव अपने रूम में ही खा लेता हैं। यहां भी तीनों खाने का काम निपटा लेते हैं। तन्नु और प्रगति को तोड़ा अजीब लगा लेकिन शांति इस बात की मिली राघव बिना ताने सुने शांति से खाना खां लिया। ऐसे ही रात बीत गई अगले दिन अटल तड़के सुबह कही चले गए। राघव तैयार होकर रूम से निकला मां को बोलकर जाने लगा तब प्रगति राघव को रोक कर दही शक्कर लाकर खिलाया फिर उसके हाथ में कुछ पैसे रख दिए राघव न नुकार करने लगा। तब प्रगति ने डांटकर जबर्दस्ती पैसे जेब में ढाल दिया। बाहर आकर बाइक लिया और चल दिया।

इंटरव्यू की जगह राघव के घर से बहुत दूर था उसे जाने में काम से काम एक घंटा लगता। राघव अभी आधे रस्ते तक ही पहुंचा था की बाईक बंद हों गई। बाईक बंद भी ऐसी जगह हुआ जहां चहल पहल भी काम था। राघव किक पे किक मारे जा रहा था लेकिन बाईक हैं की स्टार्ट होने का नाम ही नहीं ले रहा था। किक मरते मरते राघव परेशान हों गया लेकिन बाईक बाबू मन बनकर बैठे हैं स्टार्स ही नहीं होने का मार ले किक जितनी मारनी हैं बाइक को हिलाए डुलाए फिर किक मारे बाईक स्टार्ट ही न हों। परेशान मुद्रा में राघव इधर उधार ताके ओर बाइक को किक मारे यह समय निकलता जा रहा था किया करे समझ नहीं आ रहा था। टेंशन के मारे दिमाग ने अपना फटक बंध कर लिया टेंशन में राघव बाइक के चक्कर काटे फिर रूखे शायद इस बार बाईक स्टार्ट हो जाए ये सोचकर किक मारे कोई नतीजा हाथ में न आएं बडा ही विकट परिस्थिती में फस गया। किसका मुंह देखकर निकला था जो ऐसा हो रहा था आज ही इसे बंद पड़ना था। कितने दिनों बाद मौका हाथ आया अगर ये मौका हाथ से निकल गया तो सृष्टि नाराज होगी सो अलग मां और तन्नु भी नाराज होगी। आज नौकरी की व्यवस्था नहीं हुआ तो कही मेरा बाप मुझे घर से न निकल दे सोचते हुए राघव घड़ी देखता और घूम घूम कर बाइक को देखता, हुआ तो हुआ किया जो बाइक स्टार्ट नहीं हों रहा। फिर सोचे किसी से लिफ्ट मांगकर उसके साथ चल दे लेकिन बाईक का किया यहां छोड़कर भी नही जा सकता चोर उचक्के तो ऐसे मौके के तलाश में रहते कोई बाइक खाली मिले और उसे उड़ा ले। बाईक भी नहीं छोड़ सकता छोड़े तो छोड़े किसके भरोसे कोई जान पहचान वाला भी तो नहीं हैं। अब तो उसे यह भी डर लगने लगा नौकरी समझो गई हाथ से ये विचार मन में आते ही राघव का चेहरा रुवशा जैसा हों गया। किस्मत भी अजीब चीज हैं जरूरत के वक्त गुलाटी मारके दूसरी पले से खेलना शुरू कर देता हैं। अब तो राघव उम्मीद भी खोता जा रहा था और ज्यादा देर हुआ तो मिलने वाली नौकरी भी हाथ से निकल जाएगा। तभी अचानक उम्मीद की किरण बनकर कोई आया बाइक रोका और बोला " ओए यारा बाइक के साथ फेर ले रहा हैं तो सृष्टि भाभी के साथ फेरे कौन लेगा।"

राघव जो नजर निचे किए सोचते हुए बाइक के चाकर काट रहा था। उसको ये आवाज जाना पहचाना लगा। उसको देखकर राघव हर्षित हों उठा, thanks 👍 बोलने का मान किया। Thanks बोलने में समय बरबाद कौन करें इसलिए एक cute सा स्माइल लवों पर सजाकर बोला "सार्थक तू सही टाइम पर आया, दोस्त हों तो तेरे जैसा।"

अचानक उम्मीद की किरण बनकर आया इस शख्स का परिचय तो होना ही चहिए इनका पूरा नाम है सार्थक सिंह, बंदा है तोड़ा कॉमेडी टाइप और मस्त मौला ज़िंदगी को खुल कर जीने वाला। राघव के दोस्तों में सबसे खाश दोस्त, राघव के घर से दो गली छोड़कर इसका घर हैं। भाई जी राघव के बचपन का दोस्त हैं, साथ में स्कूल गए और एक ही कॉलेज से इलेक्ट्रानिक इंजीनियर की डिग्री लिया। लेकिन भाई जी को नौकरी से कोई लेना देना नहीं बेफलतु में डिग्री का तमगा अपने गले में लटका लिया। दिन भर बाप की दुकान में बैठ मौज करता बंदा हैं थोडा छिछौरा टाइप का लेकिन यारी बिलकुल पक्की जब राघव के साथ होता तो कोई भी छिछौरा पान नहीं करता लेकिन जब अकेले या किसी और दोस्त के साथ होता तो छिछौरा पान का कीड़ा कुलबुला उठता। भाई साहब की यारी इतनी पक्की हैं। राघव जब जब मुसीबत में फंसाता ये भाई जी खेवन हर बनके वह पहुंच ही जाता हैं।

सार्थक बाइक पर ही बैठा था राघव हाथ पकड़ खींचते हुए "सार्थक बाइक दे जल्दी कही जाना हैं।"

सार्थक "यारा मेरे ही बाइक से मुझे ही उतरता मजरा किया हैं।"

राघव "यार इंटरव्यू के लिए जाना हैं जल्दी बाइक छोड़ मुझे देर हों रहा हैं।"

सार्थक के बाइक से उतरते ही राघव बैठा स्टार्ट किया और जाते हुए बोला "बाइक ठीक करबाके घर छोड़ denaaaaaa।"

सार्थक बाइक के पास गया और खुद भी किक मार कर देखा लेकिन रिजल्ट बोही बाइक स्टार्ट नहीं हुआ। तब टंकी के पास कान लेकर बाइक हिलाया फिर टंकी का ढक्कन खोल कर देखा और बोला "आब्बे इसका तो दाना पानी खत्म हों गया मेरा फूल टंकी वाला बाइक ले गया और अपना ये खाली टंकी मुझे पकड़ा गया।"

सार्थक एक बार आगे देखें तो एक बार पीछे देखें फिर बोला "यहां तो दूर दूर तक कोई पेट्रोल पंप भी नहीं हैं यू राघव भी न मुसीबत की टोकरी सर पर लिए पैदा हुआ जब देखो तब मुसुबत में ही फंसा मिलता हैं और हर बार अपना मुसीबत मेरे गले टांग चल देता हैं। कोई नही अपना जिगरी दोस्त हैं इतना तो करना बनता है। चल बेटा बैल गाड़ी को लगा धक्का ।"

सार्थक बाइक धकेलते हुए जा रहा था अभी कुछ ही दूर गया था की उसका मोबाइल झनझना उठा। मोबइल निकाला कॉल रिसीव किया, हां हूं में बात किया, फिर कॉल कट किया, मोबाइल जेब में रखते हुए बोला " अजीब मुसीबत हैं gf की सुनूं या दोस्त की, दोस्त की सुनूं तो gf नाराज gf की सुनूं तो दोस्त नाराज, gf तो सृष्टि भाभी जैसी होना चहिए नाराज ही नहीं होती। इस मामले में अपनें दोस्त की किस्मत बुलंदी पे हैं। खर्चे की कोई टेंशन ही नहीं उल्टा gf उसपे खर्चा करता हैं। यह अपनी वाली खर्चा करना तो दूर मेरे ही जेब पे डंका डाल देती हैं। ऐसा चलता रहा तो एक दिन मेरा बाप दिवालिया हो जाएगा। छायां लगता हैं इसको रिटायरमेंट देने का टाइम आ गया चल बेटा पुरानी वाली को छोड़ नहीं gf ढूंढते हैं बिलकुल सृष्टि भाभी जैसा नो चिक चिक नो झिक झिक।

ऐसे ही अकेले में बड़बड़ते हुए लमसम दो ढाई किलोमीटर चलने के बाद एक पेट्रोल पंप आता हैं। पेट्रोल पंप देखते ही सर्तक एक चैन की सांस लेता है और पेट्रोल भरवा कर चल देता हैं।

राघव इंटरव्यू वाले जगह पहुंचता हैं। रिसेप्शन पर एक खुबसूरत लडक़ी बैठी थीं। उसके पास गया मस्त स्माइल देते हुए कहा "मैडम मैं इंटरव्यू देने आया हूं। आप बताएंगे इंटरव्यू किस तरफ हों रहा हैं।"

रिसेप्शन वाली ने भी रिप्लाई में एक क्यूटीपाई 🌝 वाली स्माइल दिया और बोला "सर आज तो कोई इंटरव्यू नहीं हों रहा शायद आपको किसी ने गलत इनफॉर्मेशन दिया था।"

ले इतनी भागा दौड़ी हाथ किया आया ठेंगा। राघव के चहरे पर चिंता की लकीर छाया। चिंतित होकर राघव बोला "मेम मुझे कैरेक्ट इनफॉर्मेशन मिला था और मैं सही जगह पर आया हूं। शायद आपसे कोई भूल हों रहीं होगी। आप एक बार ठीक से पता कर लिजिए।"

रिसेप्शन वाली "जब कोई इंटरव्यू हों ही नहीं रहा तो पाता किया करना। आप अपना भी समय बर्बाद कर रहे हैं और मेरी भी, इसलिए आप जा सकते हैं।"

रिसेप्शन वाली के दो टूक ज़बाब देने पर राघव को बहुत गुस्सा आया। लेकिन गुस्से को दवा लिया क्या करें नौकरी का सवाल था फिर जाकर एक कोने में खडा हों गया और सृष्टि को कॉल किया सृष्टि ने न जाने किया कहा राघव रिसेप्शन पर गया और लडक़ी की और मोबाइल बड़ाकर बोला "मैम कोई आपसे बात करना चहती हैं आप बात कर लेते तो अच्छा होता।"

रिसेप्शन वाली "कौन हैं" कहकर मोबाइल लिया कुछ देर बात किया फिर मुस्कुराते हुए मोबाइल देकर कहा "ओ तो वो हो आप जिसका गुण गान सृष्टि गाती रहती हैं। वैसे हों बहुत स्मार्ट , सृष्टि बहुत भाग्य साली लडक़ी हैं।"

फ्री में तारीफ सुनने को मिले तो किसको अच्छा नहीं लगेगा और एक लडक़ी, लडके की तारीफ करें फिर तो सोने पे सुहागा बस किया था राघव गदगद हों उठा, मुस्कुराते हुए बोला "मुझे नज़र लगाने के वजह आप यह बताइए जाना किस तरफ हैं।"

लडक़ी मुंह भीतकाई 😏 और जाना किस तरफ हैं, किससे मिलना हैं , बता दिया। राघव उस तरफ चल दिया राघव के जाते ही। लिडकी ने अपने मोबाईल से किसी को कॉल किया। राघव बताए रूम के पास गया दरवाजा खटखटाया अदब से पूछकर अंदर गया। अदंर जो शक्श बैठा था उसके पूछने पर राघव ने अपना नाम और आने का करण बताया। तब शख्स ने कहा "तो आप ही हों जिसकी सिफारिश करवाई गई थीं जरा अपनी काबिलियत के सर्टिफिकेट तो दिखाइए।"

राघव ने सर्टिफिकेट दिया सामने बैठा बंदा किसी नमूने से कम नहीं सर्टिफिकेट देखते हुए aanhaaaa ,unhuuuu कर रहा था और सर हिला रहा था। राघव का मन हंसने का कर रहा था लेकिन खुद पर खाबू रखा ये सोचते हुए कहीं बुरा न मान जाए और नौकरी मिलने से पहले ही निकाल दे, सर्टिफिकेट देखने के बाद बोला "सार्टिफिकेट में परसेंटेज बहुत अच्छा हैं लेकिन कोई वर्क experience नहीं हैं ऐसा क्यों बता सकते हों।

राघव "जॉब ही नहीं मिल रहा था। जॉब ही नहीं तो experience कैसा।"

शख्स "हां जॉब की मारा मारी ही इतनी है तो जॉब कैसे मिलता। यह भी नहीं मिलता वो तो एक खुबसूरत लडक़ी ने अपकी सिफारिश किया हैं। इसलिए आपको जॉब मिल रहा हैं।"

खुबसूरत लडक़ी का जिक्र सुनते ही राघव मन ही मन बोला "बूढ़ा खुसट एक टांग कब्र में लटका हैं फिर भी लडक़ी की खुबसूरती देखने में बांज नहीं आ रहा। मेरी सृष्टि की ओर आंख उठा कर देखा तो तेरी आंख निकलकर आन्टा खेलूंगा।"

राघव पर इंटरव्यू के रूप में बहुत सारे सवाल पूछा गया। निजी जिंदगी से जुड़ा सवाल पूछा गया। जॉब से रिलेटेट सवाल पूछा गया। क्लॉन्ट को कैसे इंप्रेस करोगे। कोई अड़ा टेड़ा क्लाइंट मिल गया तो कैसे हैंडल करोगे कैसे उनको कन्वेंस करोगे। मतलब की राघव के योग्यता को ठोक बजाके चेक किया गया। राघव ने भी योग्यता अनुसार प्रदर्शन किया और सभी सवाल का माकूल ज़बाब दिया। राघव के बात करने का स्टाइल, वाणी में शालीनता और बातो में फंसकर कन्वेंस करने के तरीकों से इंटरव्यू लेने वाला बहुत प्रभावित हुआ। फिर बोला "फील्ड electrician के पोस्ट के लिए हमें जैसी योग्यता चाहिए आप उसमे खारे उतरे तो किया आप फील्ड electrician का जॉब करना चाहेंगे।"

राघव सोच में पड गया की क्या बोला जाएं सोच विचार करते हुए जॉब न होने से बेहतर तो यहीं हैं ये वाला जॉब कर लेता हूं वैसे भी कोई काम छोटा या बडा नहीं होता लोगों की बिगड़ी ही तो बनना हैं लोगों की बिगड़ी बनने में जो मज़ा हैं वो और किसी काम में नहीं, क्या पता किस्मत साथ दे जाएं और मेरा यह जॉब मुझे मेरे मंजिल तक पहुंचा दे जहां मैं पहुंचना चहता हूं। तरह तरह के सोच विचार करने के बाद राघव ने हां कर दिया। तब सैलरी वेलरी की बात हुआ लेकिन सैलरी राघव को उम्मीद से काम लगा फिर ये सोचते हुए खाली जेब घूमने से अच्छा थोडा तो जेब भरेगा। अच्छा काम करूंगा तो आज नहीं तो कल सैलरी बड़ ही जाएगा। इतना सोच विचार करने के बाद राघव ने मिलने वाली सैलरी को भी हां कह दिया। राघव के हां कहने के बाद इंटरव्यू लेने वाले ने राघव को दिवाली के बाद ज्वाइन करने को कहा


( वो इसलिए हमने तो दिवाली मना लिया लेकिन कहानी में दिवाली का किस्सा रहा गया और कहानी में दीवाली आने में अभी चार पांच दिन रह गया।)


राघव ने उन्हे बहुत बहुत धन्यवाद कहा। तब राघव जाते हुए पूछा "सर मैं जान सकता हूं किस खुबसूरत लडक़ी ने मेरे लिए सिफारिस किया वो क्या हैं उससे thank You बोलना हैं ☺️।"


(आगे जहां भी इंटरव्यू लेने वाले का पार्ट आए गा उन्हें बॉस नाम से परिचित करवाऊंग)


बॉस "हां हां क्यों नहीं रिसेप्शन पर जो खुबसूरत बाला बैठी हैं उसी ने सिफारिस किया था। उससे थोडा दूरी बना कर रखना बहुत खूंखार लडक़ी हैं। वैसे बता सकते हों उससे तुम्हारा किया रिश्ता हैं?"

क्या जब दे राघव सोचने लगा तब राघव के दिमाग का ट्यूब लाईट जाला और रिसेप्शन पर हुआ किस्सा ध्यान आया तब राघव बोला "सर वो मेरे दोस्त के दोस्त हैं। मैं तो उन्हें जनता भी नहीं आज ही मिला हूं।

इतना कहकर राघव thank you बोला सर्टिफिकेट लिया और चल दिया। बहार आकार रिसेप्शन पर गया और बोला "मैने जो मिसबिहेव किया उसके लिए माफी चाहता हु और जॉब दिलवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"

लडक़ी ने मुस्कुरा कर राघव की और देखा राघव भी बत्तीसी फाड़ दिया और बाय बोलकर चल दिया। राघव के जाने के बाद लडक़ी ने फिर किसी को कॉल किया। राघव बाहर आकार सृष्टि को कॉल किया कुछ देर बाते किया फिर खुशी के मरे फुल स्पीड में बाइक दौड़ा दिया। मार्केट में जाकर रुका मिठाई के दुकान से एक डब्बा स्वादिष्ट मिठाई लिया और चल दिया।



आज के लिए कहानी को यही रोकता हूं। इससे आगे बस इतना कहूंगा बहुत दिनों तक बेरोजगार रहने के बाद अचानक रोजगार मिलने पर क्या क्या बाते मन में चलता हैं। ये चित्रणन आप सब पाठकों को कितना अच्छा लगा। बताना न भूलिएगा। ओर ज्यादा शब्द जाया न करते हुए। बेरोजगार पाठकों को जल्दी से रोजगार मिले इसकी दुआ करते हुए विदा लेता हूं। आज के लिए शव्वाखैर सांसे रहीं तो फिर मिलेंगे।
so finally hero ki naukri lag gayi.... ye to behad khushi ki baat hai.... par field mein matlab saaf hai... Bahot busy ho jaayega...
waise is naukri paane ke liye teen logo ne madad ki hai ushe..... ek uski premika ne... ek uski premika ki dost ne, aur khud uska best friend sarthak ne....
waise srishti ki wo dost raghav ke jaane ke baad kisko phone laga rahi thi....
interview lene wale budhe ko., srishti ko ya phir kisi anjaan ko....
agar kisi unknown person ko phone milaya hai to jarur koi na koi sadyantra chal raha ho.... raghav ke jariye koi galat kaam karwane ki :hmm2:

Pata nahi kyun par kayi wajaho se mujhe srishti ki us friend par doubt hai....

Khair....
Khair..... shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan..
kirdaaro ke mood, mahol aur unke bich baatcheet ke varnan kabile tarif raha...
Aise hi likhte rahiye aur aur apni manoram lekhni se hum readers ka manoranjan karte rahiye...

Let's see what happens next..

Brilliant update with awesome writing skills... :applause: :applause:
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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so finally hero ki naukri lag gayi.... ye to behad khushi ki baat hai.... par field mein matlab saaf hai... Bahot busy ho jaayega...
waise is naukri paane ke liye teen logo ne madad ki hai ushe..... ek uski premika ne... ek uski premika ki dost ne, aur khud uska best friend sarthak ne....
waise srishti ki wo dost raghav ke jaane ke baad kisko phone laga rahi thi....
interview lene wale budhe ko., srishti ko ya phir kisi anjaan ko....
agar kisi unknown person ko phone milaya hai to jarur koi na koi sadyantra chal raha ho.... raghav ke jariye koi galat kaam karwane ki :hmm2:

Pata nahi kyun par kayi wajaho se mujhe srishti ki us friend par doubt hai....

Khair....
Khair..... shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan..
kirdaaro ke mood, mahol aur unke bich baatcheet ke varnan kabile tarif raha...
Aise hi likhte rahiye aur aur apni manoram lekhni se hum readers ka manoranjan karte rahiye...

Let's see what happens next..

Brilliant update with awesome writing skills... :applause: :applause:

शानदार और खुबसूरत रेवो के लिए बहुत बहुत:thankyou::thankyou:

तीन लोगों की मेहनत का नतीजा राघव बेराजगार नहीं रहा तू की भी शानदार तरीके से मनाया जायेगा।

लडक़ ने किसे कॉल किया था अगले अपडेट में पता चल जाएगा।
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Update - 4


राघव "मेरे पीछे उसे पीटेंगे तो आपको क्या लगता हैं मेरे आने पर शिकायत नहीं करेंगी

प्रगति "तो क्या तू मुझे डाटेगा।"

राघव "आप मेरी मां जगद जननी हों मैं आपको कैसे डांट सकता हूं। मैं तो समझा बुझा कर तन्नु को चॉकलेट 🍫 देकर चुप करा दूंगा।"

प्रगति "यही ठीक रहेगी तू बैठ मैं झूठे बर्तन रखकर आती हू।"

प्रगति झूठे बर्तन रखने किचन गई राघव वहां बैठा रहा तभी तन्नू आई और बोली "भईया मम्मा कहा हैं।"

प्रगति ने शायद तन्नु की आवाज सुन लिया था। हाथ में बेलन लेकर बाहर आई दूसरे हाथ पर बेलन मरते हुए बोली "मैं इधर हु बोल क्या काम हैं?"

तन्नु बेलन हाथ में देखकर राघव के पास गई और बोली "भईया देखो मम्मी डांट रहीं हैं। आप कुछ नहीं कहोगे।"

प्रगति "चुप कर नौटंकी क्यो मां बेटे के बीच झगड़ा करवाने पे तुली हैं चुप चाप कॉलेज जा नहीं तो लेट हों जायेगी।

तन्नु "ठीक हैं अभी तो जा रही हूं। मम्मा आप न दूध गर्म करके रखना कॉलेज से आने के बाद जम के मुकाबला होगी।"

राघव "मुकाबला करेगी, तो दूध कहा से बीच में आ गया।"

तन्नु "दिन भर की पढ़ाई से मेरी एनर्जी डाउन हो जायेगी मां से मुकाबला करने के लिए मुझे एनर्जी की जरूरत पड़ेगी। दूध पाऊंगी तभी तो एनर्जी बड़ेगी इतना भी नहीं समझते बुद्ध कहीं के।"

तन्नु के बोलते ही हंसी ठहाके का माहौल बन गया। हंसते हुए प्रगति बेलन दिखाने लगी तब तन्नु कॉलेज जाना ही बेहतर समझा और कॉलेज को चाली गई तन्नु के जाते ही राघव बोला "मां कल मुझे इंटरव्यू देने जाना हैं मेरा फॉर्मल ड्रेस गंदा हैं धो देना।"

प्रगति haummm बोला और अपना काम करने लग गई राघव कुछ काम का बोलकर बाहर चला गया। ऐसे ही दिन का वक्त बीत गया। इसी बीच राघव ने ये बोल दिया जब तक बाप बेटे का रिश्ता सुधार नहीं जाता तब तक सब के साथ बैठ कर न नाश्ता करेंगा न खान खाएगा हां जब पापा बाहर जाएंगे तब तन्नु और प्रगति के साथ खां लेगा। प्रगति का मन माना करने को कहा लेकिन परिस्थिती को भाप कर हां कह दिया। रात के खाने के वक्त राघव को न देखकर अटल कारण जाना चाहा तो प्रगति ने कारण बता दिया तब अटल ने कहा " अच्छा हैं! उसके लिए और मेरे लिए यह ठीक रहेगा, काम से काम मेरे मन को तो शांति मिलेगा।"

बहुत कुछ बोलना चाहती थीं लेकिन प्रिस्थिती बिगड़ न जाएं इसलिए चुप रहीं। राघव अपने रूम में ही खा लेता हैं। यहां भी तीनों खाने का काम निपटा लेते हैं। तन्नु और प्रगति को तोड़ा अजीब लगा लेकिन शांति इस बात की मिली राघव बिना ताने सुने शांति से खाना खां लिया। ऐसे ही रात बीत गई अगले दिन अटल तड़के सुबह कही चले गए। राघव तैयार होकर रूम से निकला मां को बोलकर जाने लगा तब प्रगति राघव को रोक कर दही शक्कर लाकर खिलाया फिर उसके हाथ में कुछ पैसे रख दिए राघव न नुकार करने लगा। तब प्रगति ने डांटकर जबर्दस्ती पैसे जेब में ढाल दिया। बाहर आकर बाइक लिया और चल दिया।

इंटरव्यू की जगह राघव के घर से बहुत दूर था उसे जाने में काम से काम एक घंटा लगता। राघव अभी आधे रस्ते तक ही पहुंचा था की बाईक बंद हों गई। बाईक बंद भी ऐसी जगह हुआ जहां चहल पहल भी काम था। राघव किक पे किक मारे जा रहा था लेकिन बाईक हैं की स्टार्ट होने का नाम ही नहीं ले रहा था। किक मरते मरते राघव परेशान हों गया लेकिन बाईक बाबू मन बनकर बैठे हैं स्टार्स ही नहीं होने का मार ले किक जितनी मारनी हैं बाइक को हिलाए डुलाए फिर किक मारे बाईक स्टार्ट ही न हों। परेशान मुद्रा में राघव इधर उधार ताके ओर बाइक को किक मारे यह समय निकलता जा रहा था किया करे समझ नहीं आ रहा था। टेंशन के मारे दिमाग ने अपना फटक बंध कर लिया टेंशन में राघव बाइक के चक्कर काटे फिर रूखे शायद इस बार बाईक स्टार्ट हो जाए ये सोचकर किक मारे कोई नतीजा हाथ में न आएं बडा ही विकट परिस्थिती में फस गया। किसका मुंह देखकर निकला था जो ऐसा हो रहा था आज ही इसे बंद पड़ना था। कितने दिनों बाद मौका हाथ आया अगर ये मौका हाथ से निकल गया तो सृष्टि नाराज होगी सो अलग मां और तन्नु भी नाराज होगी। आज नौकरी की व्यवस्था नहीं हुआ तो कही मेरा बाप मुझे घर से न निकल दे सोचते हुए राघव घड़ी देखता और घूम घूम कर बाइक को देखता, हुआ तो हुआ किया जो बाइक स्टार्ट नहीं हों रहा। फिर सोचे किसी से लिफ्ट मांगकर उसके साथ चल दे लेकिन बाईक का किया यहां छोड़कर भी नही जा सकता चोर उचक्के तो ऐसे मौके के तलाश में रहते कोई बाइक खाली मिले और उसे उड़ा ले। बाईक भी नहीं छोड़ सकता छोड़े तो छोड़े किसके भरोसे कोई जान पहचान वाला भी तो नहीं हैं। अब तो उसे यह भी डर लगने लगा नौकरी समझो गई हाथ से ये विचार मन में आते ही राघव का चेहरा रुवशा जैसा हों गया। किस्मत भी अजीब चीज हैं जरूरत के वक्त गुलाटी मारके दूसरी पले से खेलना शुरू कर देता हैं। अब तो राघव उम्मीद भी खोता जा रहा था और ज्यादा देर हुआ तो मिलने वाली नौकरी भी हाथ से निकल जाएगा। तभी अचानक उम्मीद की किरण बनकर कोई आया बाइक रोका और बोला " ओए यारा बाइक के साथ फेर ले रहा हैं तो सृष्टि भाभी के साथ फेरे कौन लेगा।"

राघव जो नजर निचे किए सोचते हुए बाइक के चाकर काट रहा था। उसको ये आवाज जाना पहचाना लगा। उसको देखकर राघव हर्षित हों उठा, thanks 👍 बोलने का मान किया। Thanks बोलने में समय बरबाद कौन करें इसलिए एक cute सा स्माइल लवों पर सजाकर बोला "सार्थक तू सही टाइम पर आया, दोस्त हों तो तेरे जैसा।"

अचानक उम्मीद की किरण बनकर आया इस शख्स का परिचय तो होना ही चहिए इनका पूरा नाम है सार्थक सिंह, बंदा है तोड़ा कॉमेडी टाइप और मस्त मौला ज़िंदगी को खुल कर जीने वाला। राघव के दोस्तों में सबसे खाश दोस्त, राघव के घर से दो गली छोड़कर इसका घर हैं। भाई जी राघव के बचपन का दोस्त हैं, साथ में स्कूल गए और एक ही कॉलेज से इलेक्ट्रानिक इंजीनियर की डिग्री लिया। लेकिन भाई जी को नौकरी से कोई लेना देना नहीं बेफलतु में डिग्री का तमगा अपने गले में लटका लिया। दिन भर बाप की दुकान में बैठ मौज करता बंदा हैं थोडा छिछौरा टाइप का लेकिन यारी बिलकुल पक्की जब राघव के साथ होता तो कोई भी छिछौरा पान नहीं करता लेकिन जब अकेले या किसी और दोस्त के साथ होता तो छिछौरा पान का कीड़ा कुलबुला उठता। भाई साहब की यारी इतनी पक्की हैं। राघव जब जब मुसीबत में फंसाता ये भाई जी खेवन हर बनके वह पहुंच ही जाता हैं।

सार्थक बाइक पर ही बैठा था राघव हाथ पकड़ खींचते हुए "सार्थक बाइक दे जल्दी कही जाना हैं।"

सार्थक "यारा मेरे ही बाइक से मुझे ही उतरता मजरा किया हैं।"

राघव "यार इंटरव्यू के लिए जाना हैं जल्दी बाइक छोड़ मुझे देर हों रहा हैं।"

सार्थक के बाइक से उतरते ही राघव बैठा स्टार्ट किया और जाते हुए बोला "बाइक ठीक करबाके घर छोड़ denaaaaaa।"

सार्थक बाइक के पास गया और खुद भी किक मार कर देखा लेकिन रिजल्ट बोही बाइक स्टार्ट नहीं हुआ। तब टंकी के पास कान लेकर बाइक हिलाया फिर टंकी का ढक्कन खोल कर देखा और बोला "आब्बे इसका तो दाना पानी खत्म हों गया मेरा फूल टंकी वाला बाइक ले गया और अपना ये खाली टंकी मुझे पकड़ा गया।"

सार्थक एक बार आगे देखें तो एक बार पीछे देखें फिर बोला "यहां तो दूर दूर तक कोई पेट्रोल पंप भी नहीं हैं यू राघव भी न मुसीबत की टोकरी सर पर लिए पैदा हुआ जब देखो तब मुसुबत में ही फंसा मिलता हैं और हर बार अपना मुसीबत मेरे गले टांग चल देता हैं। कोई नही अपना जिगरी दोस्त हैं इतना तो करना बनता है। चल बेटा बैल गाड़ी को लगा धक्का ।"

सार्थक बाइक धकेलते हुए जा रहा था अभी कुछ ही दूर गया था की उसका मोबाइल झनझना उठा। मोबइल निकाला कॉल रिसीव किया, हां हूं में बात किया, फिर कॉल कट किया, मोबाइल जेब में रखते हुए बोला " अजीब मुसीबत हैं gf की सुनूं या दोस्त की, दोस्त की सुनूं तो gf नाराज gf की सुनूं तो दोस्त नाराज, gf तो सृष्टि भाभी जैसी होना चहिए नाराज ही नहीं होती। इस मामले में अपनें दोस्त की किस्मत बुलंदी पे हैं। खर्चे की कोई टेंशन ही नहीं उल्टा gf उसपे खर्चा करता हैं। यह अपनी वाली खर्चा करना तो दूर मेरे ही जेब पे डंका डाल देती हैं। ऐसा चलता रहा तो एक दिन मेरा बाप दिवालिया हो जाएगा। छायां लगता हैं इसको रिटायरमेंट देने का टाइम आ गया चल बेटा पुरानी वाली को छोड़ नहीं gf ढूंढते हैं बिलकुल सृष्टि भाभी जैसा नो चिक चिक नो झिक झिक।

ऐसे ही अकेले में बड़बड़ते हुए लमसम दो ढाई किलोमीटर चलने के बाद एक पेट्रोल पंप आता हैं। पेट्रोल पंप देखते ही सर्तक एक चैन की सांस लेता है और पेट्रोल भरवा कर चल देता हैं।

राघव इंटरव्यू वाले जगह पहुंचता हैं। रिसेप्शन पर एक खुबसूरत लडक़ी बैठी थीं। उसके पास गया मस्त स्माइल देते हुए कहा "मैडम मैं इंटरव्यू देने आया हूं। आप बताएंगे इंटरव्यू किस तरफ हों रहा हैं।"

रिसेप्शन वाली ने भी रिप्लाई में एक क्यूटीपाई 🌝 वाली स्माइल दिया और बोला "सर आज तो कोई इंटरव्यू नहीं हों रहा शायद आपको किसी ने गलत इनफॉर्मेशन दिया था।"

ले इतनी भागा दौड़ी हाथ किया आया ठेंगा। राघव के चहरे पर चिंता की लकीर छाया। चिंतित होकर राघव बोला "मेम मुझे कैरेक्ट इनफॉर्मेशन मिला था और मैं सही जगह पर आया हूं। शायद आपसे कोई भूल हों रहीं होगी। आप एक बार ठीक से पता कर लिजिए।"

रिसेप्शन वाली "जब कोई इंटरव्यू हों ही नहीं रहा तो पाता किया करना। आप अपना भी समय बर्बाद कर रहे हैं और मेरी भी, इसलिए आप जा सकते हैं।"

रिसेप्शन वाली के दो टूक ज़बाब देने पर राघव को बहुत गुस्सा आया। लेकिन गुस्से को दवा लिया क्या करें नौकरी का सवाल था फिर जाकर एक कोने में खडा हों गया और सृष्टि को कॉल किया सृष्टि ने न जाने किया कहा राघव रिसेप्शन पर गया और लडक़ी की और मोबाइल बड़ाकर बोला "मैम कोई आपसे बात करना चहती हैं आप बात कर लेते तो अच्छा होता।"

रिसेप्शन वाली "कौन हैं" कहकर मोबाइल लिया कुछ देर बात किया फिर मुस्कुराते हुए मोबाइल देकर कहा "ओ तो वो हो आप जिसका गुण गान सृष्टि गाती रहती हैं। वैसे हों बहुत स्मार्ट , सृष्टि बहुत भाग्य साली लडक़ी हैं।"

फ्री में तारीफ सुनने को मिले तो किसको अच्छा नहीं लगेगा और एक लडक़ी, लडके की तारीफ करें फिर तो सोने पे सुहागा बस किया था राघव गदगद हों उठा, मुस्कुराते हुए बोला "मुझे नज़र लगाने के वजह आप यह बताइए जाना किस तरफ हैं।"

लडक़ी मुंह भीतकाई 😏 और जाना किस तरफ हैं, किससे मिलना हैं , बता दिया। राघव उस तरफ चल दिया राघव के जाते ही। लिडकी ने अपने मोबाईल से किसी को कॉल किया। राघव बताए रूम के पास गया दरवाजा खटखटाया अदब से पूछकर अंदर गया। अदंर जो शक्श बैठा था उसके पूछने पर राघव ने अपना नाम और आने का करण बताया। तब शख्स ने कहा "तो आप ही हों जिसकी सिफारिश करवाई गई थीं जरा अपनी काबिलियत के सर्टिफिकेट तो दिखाइए।"

राघव ने सर्टिफिकेट दिया सामने बैठा बंदा किसी नमूने से कम नहीं सर्टिफिकेट देखते हुए aanhaaaa ,unhuuuu कर रहा था और सर हिला रहा था। राघव का मन हंसने का कर रहा था लेकिन खुद पर खाबू रखा ये सोचते हुए कहीं बुरा न मान जाए और नौकरी मिलने से पहले ही निकाल दे, सर्टिफिकेट देखने के बाद बोला "सार्टिफिकेट में परसेंटेज बहुत अच्छा हैं लेकिन कोई वर्क experience नहीं हैं ऐसा क्यों बता सकते हों।

राघव "जॉब ही नहीं मिल रहा था। जॉब ही नहीं तो experience कैसा।"

शख्स "हां जॉब की मारा मारी ही इतनी है तो जॉब कैसे मिलता। यह भी नहीं मिलता वो तो एक खुबसूरत लडक़ी ने अपकी सिफारिश किया हैं। इसलिए आपको जॉब मिल रहा हैं।"

खुबसूरत लडक़ी का जिक्र सुनते ही राघव मन ही मन बोला "बूढ़ा खुसट एक टांग कब्र में लटका हैं फिर भी लडक़ी की खुबसूरती देखने में बांज नहीं आ रहा। मेरी सृष्टि की ओर आंख उठा कर देखा तो तेरी आंख निकलकर आन्टा खेलूंगा।"

राघव पर इंटरव्यू के रूप में बहुत सारे सवाल पूछा गया। निजी जिंदगी से जुड़ा सवाल पूछा गया। जॉब से रिलेटेट सवाल पूछा गया। क्लॉन्ट को कैसे इंप्रेस करोगे। कोई अड़ा टेड़ा क्लाइंट मिल गया तो कैसे हैंडल करोगे कैसे उनको कन्वेंस करोगे। मतलब की राघव के योग्यता को ठोक बजाके चेक किया गया। राघव ने भी योग्यता अनुसार प्रदर्शन किया और सभी सवाल का माकूल ज़बाब दिया। राघव के बात करने का स्टाइल, वाणी में शालीनता और बातो में फंसकर कन्वेंस करने के तरीकों से इंटरव्यू लेने वाला बहुत प्रभावित हुआ। फिर बोला "फील्ड electrician के पोस्ट के लिए हमें जैसी योग्यता चाहिए आप उसमे खारे उतरे तो किया आप फील्ड electrician का जॉब करना चाहेंगे।"

राघव सोच में पड गया की क्या बोला जाएं सोच विचार करते हुए जॉब न होने से बेहतर तो यहीं हैं ये वाला जॉब कर लेता हूं वैसे भी कोई काम छोटा या बडा नहीं होता लोगों की बिगड़ी ही तो बनना हैं लोगों की बिगड़ी बनने में जो मज़ा हैं वो और किसी काम में नहीं, क्या पता किस्मत साथ दे जाएं और मेरा यह जॉब मुझे मेरे मंजिल तक पहुंचा दे जहां मैं पहुंचना चहता हूं। तरह तरह के सोच विचार करने के बाद राघव ने हां कर दिया। तब सैलरी वेलरी की बात हुआ लेकिन सैलरी राघव को उम्मीद से काम लगा फिर ये सोचते हुए खाली जेब घूमने से अच्छा थोडा तो जेब भरेगा। अच्छा काम करूंगा तो आज नहीं तो कल सैलरी बड़ ही जाएगा। इतना सोच विचार करने के बाद राघव ने मिलने वाली सैलरी को भी हां कह दिया। राघव के हां कहने के बाद इंटरव्यू लेने वाले ने राघव को दिवाली के बाद ज्वाइन करने को कहा


( वो इसलिए हमने तो दिवाली मना लिया लेकिन कहानी में दिवाली का किस्सा रहा गया और कहानी में दीवाली आने में अभी चार पांच दिन रह गया।)


राघव ने उन्हे बहुत बहुत धन्यवाद कहा। तब राघव जाते हुए पूछा "सर मैं जान सकता हूं किस खुबसूरत लडक़ी ने मेरे लिए सिफारिस किया वो क्या हैं उससे thank You बोलना हैं ☺️।"


(आगे जहां भी इंटरव्यू लेने वाले का पार्ट आए गा उन्हें बॉस नाम से परिचित करवाऊंग)


बॉस "हां हां क्यों नहीं रिसेप्शन पर जो खुबसूरत बाला बैठी हैं उसी ने सिफारिस किया था। उससे थोडा दूरी बना कर रखना बहुत खूंखार लडक़ी हैं। वैसे बता सकते हों उससे तुम्हारा किया रिश्ता हैं?"

क्या जब दे राघव सोचने लगा तब राघव के दिमाग का ट्यूब लाईट जाला और रिसेप्शन पर हुआ किस्सा ध्यान आया तब राघव बोला "सर वो मेरे दोस्त के दोस्त हैं। मैं तो उन्हें जनता भी नहीं आज ही मिला हूं।

इतना कहकर राघव thank you बोला सर्टिफिकेट लिया और चल दिया। बहार आकार रिसेप्शन पर गया और बोला "मैने जो मिसबिहेव किया उसके लिए माफी चाहता हु और जॉब दिलवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"

लडक़ी ने मुस्कुरा कर राघव की और देखा राघव भी बत्तीसी फाड़ दिया और बाय बोलकर चल दिया। राघव के जाने के बाद लडक़ी ने फिर किसी को कॉल किया। राघव बाहर आकार सृष्टि को कॉल किया कुछ देर बाते किया फिर खुशी के मरे फुल स्पीड में बाइक दौड़ा दिया। मार्केट में जाकर रुका मिठाई के दुकान से एक डब्बा स्वादिष्ट मिठाई लिया और चल दिया।



आज के लिए कहानी को यही रोकता हूं। इससे आगे बस इतना कहूंगा बहुत दिनों तक बेरोजगार रहने के बाद अचानक रोजगार मिलने पर क्या क्या बाते मन में चलता हैं। ये चित्रणन आप सब पाठकों को कितना अच्छा लगा। बताना न भूलिएगा। ओर ज्यादा शब्द जाया न करते हुए। बेरोजगार पाठकों को जल्दी से रोजगार मिले इसकी दुआ करते हुए विदा लेता हूं। आज के लिए शव्वाखैर सांसे रहीं तो फिर मिलेंगे।

दिलक्श और खुशनुमा माहौल भरा अपडेट खतम हुआ
पहली नौकरी की खुशी अपने साथ नये रोमांच के साथ नये सपनो की एक पोटली भी लाती है ।
जिसमे हम अपनी इच्छाएं, अपने परिवार के लिए खुद की तरफ कुछ खुशिया और फ्यूचर प्लानिंग की चिट्टीया भरे होते है ।
मिठाईयो से भी ज्यादा मिठास हम सब के जीवन मे आ जाती है , मन से एक बोझ उतर जाता है और समाज द्वारा थोपा गया बेरोजगारी का बिल्ला भी खो जाता है । जो समाज कल तक हमे ज्ञान दे रहे होते है वो सलाह लेने आते है ।

खैर ये तो दुनिया जमाने की बाते है और सब इससे वाकिफ भी है लेकिन वही अटल जी अभी तक अपने बेटे के रोजगार मिलने की खबर से वाकिफ नही है वो क्या प्रतिक्रिया देते है जब उन्हे इसका पता चलेगा

कही ऐसा ना हो राघव जो एक छोटे से रोजगार मिलने की खुशी मे जब अपने पिता से प्यार से उनकी पीठ थपथपाने की उम्मीद लगाये रहे और वही अटल जी उसके काम को निम्न स्तर का बता कर तिरस्कृत कर दे ।

फिल्हाल इनसब से अलग खुशिया मनाने का समय है वही होना चाहिए
बहुत ही साधारण लेकिन सुन्दर प्रस्तुति
और साधरणता को बहुत ही कठिनाई से पाया जाता है ।

लिखते रहिये और ऐसे ही शब्दो के झरोखे छोडते रहिये अपने इस पंखे से
धन्यवाद
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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Update - 5

दोपहर बीत चुका था शाम होने को आई थी। देर होने के कारण प्रगति चिंतित हो रहीं थीं। न जाने जॉब मिला की नहीं कहां रह गया। इतना देर क्यों कर रहा हैं। इसलिए बार बार फोन कर रही थीं। राघव उस वक्त मार्केट में था। मिठाई ले रहा था मिठाई लेने के बाद मां से बात किया और घर को चल दिया, प्रगति घर के बाहर ही मिल गईं बाइक खड़ा किया और जाकर मिठाई का डब्बा खोला, एक टुकड़ा मिठाई का निकला और मां को खिलाते हुए बोला मां मुझे जॉब मिल गया अब पापा के ताने सुनने को नहीं मिलेगा। बेटे को खुश देख मां की ममता स्नेह छलक आया। राघव के सर पर हाथ रख आंख बन्द कर मन ही मन "मेरे बेटे को ऐसे ही खुश रखना इसकी सभी मनोकामना पूर्ण करना" दुआ मांगने लगा फिर राघव को लेकर अदंर गया। अंदर आकार राघव "मां तन्नु कहा हैं।"


तन्नु नाम लेते ही तन्नु टपक पड़ी ये चुलबुली लडक़ी नाम लो और देखो हाजिर हों गई


तन्नु "मैं इधर ही हूं मुझे क्यों ढूंढ रहे हों बताओओओ.. बताओओओ.. "


राघव डब्बे से एक बड़ा सा मिठाई का टुकड़ा निकाला डब्बा मां को थमाया फिर दौड़कर तन्नु के पास गया और बोला "जल्दी से बड़ा सा मुंह खोल"


तन्नु बोहे हिलाकर पूछा kyauuuu तब राघव बोला "खोल न जल्दी फिर बताता हू।"


जितना मुंह खोल सकती थीं खोला और राघव ने झट से मिठाई मुंह में डाल दिया। तन्नु मुंह पे हाथ रख मिठाई बाहर निकाला और बोली "इतना बडा मिठाई का टुकड़ा मेरे मूंह में डाल दिया गले में अटक जाती तो….. वैसे मिठाई किस खुशी में?


राघव की हरकत देख प्रगति हंसे बिना रह नहीं पाई और पेट पकड़ कर हंसने लगीं। प्रगति को हंसता हुआ देखकर तन्नु मिठाई के टुकड़े से एक वाइट लिया और बोली "मां ऐसे क्यों हंस रहीं हों।"


प्रगति हसीं रोककर बोली "तुम दोनों को देखकर कभी कभी लगता हैं तुम दोनों अभी भी छोटे हो, बिल्कुल बच्चों जैसी हरकते करते हों।"


तन्नु आकार बैठते हुए बोली "मम्मा भईया का नहीं जानती लेकिन मैं तो अभी भी छोटी बच्ची हूं।"


फिर से हंसी और ठहाके गुजने लगा। कुछ देर हंसने के बाद तन्नु बोली "भईया आज मिठाई किस खुशी में लेकर आए और आप खुश भी बहुत लग रहे हों।"


राघव "तेरे भईया को जॉब मिल गया है इसलिए खुश होकर मिठाई लेकर आया हूं।"


तन्नु आगे कुछ बोलती उससे पहले किसी और ने बोला "मेरे यारा को जॉब मिल गया और मुझे पाता ही नहीं ये भेद भाव क्यों?"


सार्थक अदंर आते हुए लगड़के चल रहा था ऐसा तो होना ही था जो बंदा बिना बाइक के नहीं चलता था वो दो ढाई किलोमीटर बाइक धकेल कर लायेगा तो ऐसा ही होगा। ऐसे चलते हुए देखकर राघव hhhhhhhhh hhhhhhhh हंस रहा था। तन्नु और प्रगति सार्थक की दशा देख अचंभित होकर देख रहा था। तभी तन्नू बोली "सार्थक भईया आप का ये हल किसने किया आपने फिर किसी से मारपीट किया।"


सार्थक " तौबा तौबा बहना प्यारी क्यो मेरे व्हाइट शर्ट पे पान की पीप डाल रही हैं। मेरे क्यूट और भोला फेश पर कहीं तुझे टपोरी लिख हुआ दिख रहा हैं जो तू मेरे फेस पे कालिक पोत रही हैं।"


सार्थक की बाते सुन तन्नु, प्रगति और राघव अपने अपने ढंग से हंस रहे थे राघव की हंसी से ऐसा लग रहा था मानो वो सार्थक की खिली उड़ा रहा हों। उसको ऐसे हंसते देख सार्थक बोला "तू दोस्त हैं या दुश्मन मेरी जैसी तेरी दशा होता तब तुझे पाता चलता।"


राघव "एक तो तेरी बाते निराली ऊपर से चल तेरी अलबेली अब तु ही बता तुझे छेडूं न तो और क्या करूं।"


सार्थक "मैं तुझे क्या छोरी दिखता हूॅं जो तू मुझे छेड़ रहा है। …. आंटी आप इस मुसीबत के पिटारे को कहा से उठा कर लाए थे। जहां भी जाता हैं मुसीबत साथ लेकर जाता हैं।


प्रगति "ऐसा किया हुआ ठीक ठीक बोल तेरी बाते सुनाकर अब तो मुझे भी हंसी आ रही हैं।"


सार्थक "हां हां हंसो हंसो बत्तीसी फड़के हंसो मेरे इस दशा की देन अपका सुपुत्र राघव प्रभु ही हैं।"


तन्नु "सार्थक भईया आप खामख मेरे भईया को दोष दे रहे हों गलती आप करो और ठीकरा भईया के सर फोड़ों।"


सार्थक "ये तेरा भाई हैं तो मै किया कसाई हु। मैं भी तो तेरा भाई हूं। कभी तो मेरे पले में भी खेल लिया कर जब देखो इस मुसीबत के पिटारे का साथ देगी।"


प्रगति "कोई तेरे पले में खेले चाहे न खेले मैं तेरे पले में हूं बता क्या हुआ था जो अलबेली चाल से चल रहा हैं।"


सार्थक "हां हां अब आप भी मुझे छेड़ो मेरी चल क्या बदल गई आप सब तो मुझे लडक़ी समझ, छेड़ने लगे।"


प्रगति "अच्छा बाबा नहीं छेड़ता अब बता किया हुआ जो तेरी चल बदल गई।"


राघव "मां इससे क्या पूछते हों मैं बताता हूं।"


सार्थक "हां हां बता अपने कारनामे ठीक से बताना hannnnnn…"


राघव "तू चुप करेगा तभी तो बताउंगा बिना बैटरी के लाइट जलना शुरू कर दे तो बुझने का नाम न ले।"


सार्थक मुंह पर उंगली रख बैठ गया और राघव अपने साथ घाटा किस्सा सुनना शुरू किया। जैसे जैसे सुनता गया। वैसे वैसे प्रगति और तन्नु के माथे पर चिंता की लकीर आ गईं लेकिन अंत में खुशी की ख़बर ये मिला राघव बे रोजगार नहीं रहा। पहले विपदा और बाद में खुशी की ख़बर सुन के प्रगति या तन्नु में से कोई कुछ बोलती उससे पहले ही सार्थक बीच में टपक पड़ा और अलबेली अदा से बोल पडा "तेरे ट्यूबलाइट में रोशनी होता भी हैं या नहीं खाली पीली 5fit 6 Inch के धड़ पर कद्दू जैसा भार धोए जा रहा हैं।"


राघव, तन्नू प्रगति सर खुजाते हुए सोचने लगा। सार्थक ने ऐसा क्यों बोला फ़िर राघव fupppp हंसी रोकते हुए बोला "मेरे ट्यूब लाइट में full रोशनी with high voltage और मेरे सर को कद्दू क्यो कहा मेरा सर sharp brain 🧠 वाला हैं।"


सार्थक "छायां sharp brain 🧠 गोबर भरा हुआ हैं….. आंटी आप ही बताओ इसके सर में गोबर नहीं भरा होता तो क्या ये बाइक की टंकी न चेक करता। टंकी चेक करने के वजह full to tension round and round बाइक के फेरे ले रहा था। अब आप ही इससे पूछो बाइक के साथ फेरे लेकर आ गया। सृष्टि भाभी के साथ कौन फेरे लेगा।


सार्थक की बाते किसी को समझ ही नहीं आया सर के ऊपर से बाउंस गया तब तन्नु बोली " क्या सार्थक भईया आप भी गोल गोल घुमा रहे हों सीधे मुद्दे की बात बताओ न हुआ क्या था।


सार्थक "क्या यार बहना प्यारी इतनी दिमाग वाली होकर भी झल्ली जैसी बोल रहीं हैं तुझसे ये उम्मीद न थीं।"


झल्ली बोलते ही तन्नु खिसिया गई पैर फटकते हुए khunnnnnnn😤 " अपका न गला दबा दूंगी दुबारा झल्ली बोला तो।"


प्रगति मुंह पर हाथ रख हंसने लगीं फिर हंसी रोककर बोली "सार्थक तू तन्नु को झल्ली बोलना छोड़ और बिना आंडा टेड़ा अलबेली चल के सीधे जुबान बोल हुआ किया था।"


तन्नु "मम्मी आप भी unhuuuu….."


तन्नु पर ध्यान न देखकर सार्थक बोलना शुरू किया "आंटी ये अपका सुपुत्र बाइक में तेल नहीं था बिना चेक किए मन बना लिया बाइक खराब हों गया हैं और बाइक के चाकर काट रहा था। उसी वक्त मैं पहुंचा मैं उस ओर किसी काम से जा रहा था। इसको देखा बाइक के चाकर काट रहा हैं तब मैं रुका मेरे रुकते ही मेरा बाइक लेके 9 2 11 हों गया। बस इतना बोला बाइक खराब हों गया हैं सही करके घर ले जाना। मैंने चेक किया उसमें तेल नहीं था। पूरा ढाई किलोमीटर बाइक धकेल कर लाया। उसी का नतीजा मेरा ये अलबेली चल हैं।



सार्थक से कथा पुराण सुनाकर राघव उसके पास गया। सार्थक से गले मिला फिर बोला " sorry यार मेरी वजह से तेरा ये हल हुआ लेकिन मैं भी किया करता इतने दिनों बाद जॉब की ख़बर मिला और बीच रस्ते में बाइक बंद हों गया। टेंशन में दिमाग काम ही नहीं कर रहा था।


सार्थक "आंटी देखो इसे, मुझे sorry बोल रहा हैं अपने दोस्त को , मेरा मान कर रहा हैं इसे खूब धोऊ आप कुछ मत कहना। फिर रघाव को परे हटाते हुए बोला चल हट बाजू मुझे मिठाई खाने दे।"


सार्थक मिठाई का डिब्बा लिया और बड़े चाव से एक एक पिस मिठाई के, खाने लगा। खाए जा रहा था रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। रुकता न देखकर राघव बोला "अरे अरे सारा खा जाएगा क्या कुछ तो छोड़ दे यार।"


सार्थक मुंह में एक टुकड़ा मिठाई का डालकर बोला "ये सारा मिठाई मेरा हैं मेरे ही करण ये मिठाई आया हैं। तूने ज्यादा कुछ बोला तो अभी जाकर मिठाई के दुकान में बैठ जाऊंगा और सारा मिठाई खा जाऊंगा फिर भरते रहना लब्बा चौड़ा बिल।"


तन्नु "haunnnn भईया आप इतना सार मिठाई खां लेंगे आप का पेट तो ittuuuu सु है।


तन्नु का बोलने का स्टाइल निराला था। फ़िर हुआ वहीं जो हर बार होता है हंसी और ठहाके खैर ठहके थमी तब सार्थक बोला "बहना प्यारी दोस्त के नौकरी मिलने की खुशी में मेरा ittuuuu सा पेट फुलकर बहुत बडा हों गया अब तो मैं दो चार दुकान की सारी मिठाई खां सकता हैं।"


तभी राघव का फोन बजा राघव साइड में जाकर बात करने लगा। कुछ देर बात करने के बाद राघव जब लौटा तब तक सार्थक सारी मिठाई खाकर जा चुका था। तन्नु कमरे में चला गया था। कोई नही था सिर्फ प्रगति बैठी थीं तो प्रगति को बोला मां मैं बाहर जा रहा हु कुछ काम से तब प्रगति बोली कहा जा रहा हैं।


राघव "मां सृष्टि से मिलने जा रहा हूं।"


प्रगति "ओ तो जॉब मिलने की खुशी बहु के साथ भी बाटने जा रहे हों sahiiiii haiiiii, sahiiii haiiii।"


राघव "मां जिसकी वजह से खुशी मिला हैं उसके साथ खुशी बांटना तो बनता हैं। मेरे जीवन में आने वाली सभी सुखद पालो में आप और तन्नु की तरह सृष्टि भी बराबर हकदार हैं। मैं उसका हक कैसे मर सकता हूं।"


प्रगति "मेरा बेटा कितना जिम्मेदार हैं मुझसे बेहतर कौन जान सकता हैं। इसलिए तू जल्दी जा वहां मेरी बहू वेट कर रही होगी और जल्दी आना नहीं तो तेरा बाप रौद्र रूप धारण कर लेगा।"


राघव हां में मुंडी हिलाकर बाहर आता हैं फिर एक कॉल करता हैं कुछ देर बात करता हैं फिर बाइक लेकर चल देता। 15-20 मिनट बाइक चलाने के बाद एक घर के सामने रुक कर हॉर्न देता हैं। कुछ देर बाद फिर हॉर्न देता। लेकिन कोई बहार नहीं आता। तब बार बार हॉर्न देता हैं। तभी सृष्टि बाहर आती और कहती हैं " क्या हुआ बार बार हॉर्न दे रहे हों। थोडा वेट नहीं कर सकते।


बाइक से उतरकर राघव सृष्टि पास जाते हुए बोला "सृष्टि खुशी ही इतनी बड़ी हैं मैं वेट नहीं कर पा रहा था। इसलिए हॉर्न दे रहा था।"


राघव जाकर सृष्टि को गले से लगा लिया ओर बोला " thank you सृष्टि"


सृष्टि राघव को अलग कर धक्का देकर दुर करते हुए बोली "मुझे thunk you बोल रहे हों जाओ मुझे तुमसे बात ही नहीं करनी।"


ये बोली और मुड़कर अंदर जाने लगीं तभी। राघव ने हाथ पकड़ लिया और खीच कर खुद से चिपका लिया फिर सृष्टि के कमर को दोनों, हाथों के घेरे में ले लिया और बोला "क्यों न बोलू thank You तुम्हारा किया हुआ सभी काम thunk You बोलने वाला है फ़िर भी तुम्हे बुरा लगा है तो sorryyyy srishtiiiiii।


राघव के पकड़ से निकलने की भरसक प्रयास करते हुए "छोड़े मुझे न मुझे तुमसे बात करनी हैं न ही मुझे तुम्हारा sorry चाहिए।"


सृष्टि हाथ घुमा कर पिछे लिया फिर राघव के हाथ पर चिकुटी कटा राघव "aahaaaaa जंगली बिल्ली नाखून कितने बड़े बड़े हैं।"


राघव के बाजू में थापड़ मरते हुए बोला "मैं जंगली बिल्ली हूॅं तो तुम जंगली बिल्ला।"


राघव "सही कहा जंगली बिल्ला ही जंगली बिल्ली को सम्भाल सकता हैं।"


सृष्टि हल्की सी मुस्कुराई फिर दिखवाती गुस्से से बोली "तुमसे तो बात करना ही बेकार हैं।"


ये खाकर सृष्टि मुड़ गई राघव घुटने पर बैठा और कान पकड़ बोला "sorryyy sorryyyy sorryyyy आगे से नहीं बोलूंगा।


राघव की और पलटी घुटनो पर बैठा देखकर सृष्टि बोली "उठो सरे कपड़े गंदे हो गए गंदे कही के"


राघव "कपड़े गंदे होता है तो होने दो जब तक माफ नहीं करोगे ऐसे ही घुटनों पर रहूंगा।


सृष्टि " अच्छा बाबा माफ किया अब उठो, ध्यान रखना दुबारा thank You बोला तो माफ नही करूंगी।"


राघव खड़ा हुआ घुटना झाड़ते हुए बोला "gf thunk you सुनने के लिए मरी जाती हैं, न जाने तुम कैसी gf हों thunk you बोलते ही भड़क जाती हों।"


गाल खींचते हुई सृष्टि "ओ मेरे आंशिक हम थोडा दूजे किस्म के हैं।"


राघव "वो तो तुम हों ही अब जल्दी बैठो देर हों रहा हैं।


सृष्टि " अरे जाना कहा हैं और क्यों जाना हैं।"


राघव "पहली जॉब सेलीब्रेट करने, पहुंच कर ख़ुद ही देख लेना।"


सृष्टि "वो तो तुमने फोन पर ही बता दिया फिर सेलीब्रेट क्यों करना।"


राघव "तुम बैठ रहीं हों या फ़िर घुटनों पर बैठू।"


सृष्टि "न न बैठ रहीं हूं।"



सृष्टि बैठ गईं फ़िर दोनों आशिक सेलीब्रेट करने चाल दिया। कहा जा रहे हैं अगले अपडेट में जानेंगे। आज के लिए इतना ही सांस रहीं तो फिर मिलेंगे।
 
Last edited:

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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93
Abhi abhi shadi hui hai unki... isiliye vacation par hai...nahi to wo harek comment ka answer karte chahe wo negative ho ya positive ...so chill jab wo aayenge to wo sabhi comments ka counter reply jarur karenge...aur phir unke counter reply dekhakar kahoge wah kya baat hai...Naina mam ,Mai xabhi aur bahut sare hai ,hamare comments aise hote the ki normal writer to ro pade lekin baap re Kya counter reply dete the...jab wo aayenge to dekhana...

कहानी अपनी लाईन पर शुरु हो गयी है

Superb Updatee

Toh aakhir kaar Raghav ko ek naukri mil hi gayi. Shayad ab pandit ji Raghav se thoda achhe se behave karee.

Nice story and nice plot

:congrats: for new story

चौथा भाग

बहुत ही बेहतरीन

ये किस्मत भी बहुत कुत्ती चीज़ होती है। ये ऐसे मौके पर ही धोखा देती है जब कुछ अच्छा होने का होता है। सार्थक मस्तमौला लौडा है और राघव का जिगरी दोस्त भी है। राघव को हर मुसीबत में उसका साथ देने के लिए जिन्न की तरह प्रकट हो जाता है। आज भी जब राघव की गाड़ी बन्द हुई तब सार्थक वहां पर आ गया और राघव की मुश्किल आसान हो गई।

साक्षात्कार लेने वाला बुजुर्ग आदमी था उसने राघव से कुछ माकूल सवाल पूछे। राघव ने अपने साक्षात्कार के बल पर ये नौकरी प्राप्त कर ली। लेकिन उस नौकरी का पूरा श्रेय सृष्टि को ही जाता है जिसने उसके लिए इस नौकरी को तलाश किया।।

so finally hero ki naukri lag gayi.... ye to behad khushi ki baat hai.... par field mein matlab saaf hai... Bahot busy ho jaayega...
waise is naukri paane ke liye teen logo ne madad ki hai ushe..... ek uski premika ne... ek uski premika ki dost ne, aur khud uska best friend sarthak ne....
waise srishti ki wo dost raghav ke jaane ke baad kisko phone laga rahi thi....
interview lene wale budhe ko., srishti ko ya phir kisi anjaan ko....
agar kisi unknown person ko phone milaya hai to jarur koi na koi sadyantra chal raha ho.... raghav ke jariye koi galat kaam karwane ki :hmm2:

Pata nahi kyun par kayi wajaho se mujhe srishti ki us friend par doubt hai....

Khair....
Khair..... shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan..
kirdaaro ke mood, mahol aur unke bich baatcheet ke varnan kabile tarif raha...
Aise hi likhte rahiye aur aur apni manoram lekhni se hum readers ka manoranjan karte rahiye...

Let's see what happens next..

Brilliant update with awesome writing skills... :applause: :applause:

दिलक्श और खुशनुमा माहौल भरा अपडेट खतम हुआ
पहली नौकरी की खुशी अपने साथ नये रोमांच के साथ नये सपनो की एक पोटली भी लाती है ।
जिसमे हम अपनी इच्छाएं, अपने परिवार के लिए खुद की तरफ कुछ खुशिया और फ्यूचर प्लानिंग की चिट्टीया भरे होते है ।
मिठाईयो से भी ज्यादा मिठास हम सब के जीवन मे आ जाती है , मन से एक बोझ उतर जाता है और समाज द्वारा थोपा गया बेरोजगारी का बिल्ला भी खो जाता है । जो समाज कल तक हमे ज्ञान दे रहे होते है वो सलाह लेने आते है ।

खैर ये तो दुनिया जमाने की बाते है और सब इससे वाकिफ भी है लेकिन वही अटल जी अभी तक अपने बेटे के रोजगार मिलने की खबर से वाकिफ नही है वो क्या प्रतिक्रिया देते है जब उन्हे इसका पता चलेगा

कही ऐसा ना हो राघव जो एक छोटे से रोजगार मिलने की खुशी मे जब अपने पिता से प्यार से उनकी पीठ थपथपाने की उम्मीद लगाये रहे और वही अटल जी उसके काम को निम्न स्तर का बता कर तिरस्कृत कर दे ।

फिल्हाल इनसब से अलग खुशिया मनाने का समय है वही होना चाहिए
बहुत ही साधारण लेकिन सुन्दर प्रस्तुति
और साधरणता को बहुत ही कठिनाई से पाया जाता है ।

लिखते रहिये और ऐसे ही शब्दो के झरोखे छोडते रहिये अपने इस पंखे से
धन्यवाद
पढ़िए बेरोजगारी की हद पर कर जब रोजगार मिलता हैं तब खुशी किस प्रकार झलकता हैं।
 
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Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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दिलक्श और खुशनुमा माहौल भरा अपडेट खतम हुआ
पहली नौकरी की खुशी अपने साथ नये रोमांच के साथ नये सपनो की एक पोटली भी लाती है ।
जिसमे हम अपनी इच्छाएं, अपने परिवार के लिए खुद की तरफ कुछ खुशिया और फ्यूचर प्लानिंग की चिट्टीया भरे होते है ।
मिठाईयो से भी ज्यादा मिठास हम सब के जीवन मे आ जाती है , मन से एक बोझ उतर जाता है और समाज द्वारा थोपा गया बेरोजगारी का बिल्ला भी खो जाता है । जो समाज कल तक हमे ज्ञान दे रहे होते है वो सलाह लेने आते है ।

खैर ये तो दुनिया जमाने की बाते है और सब इससे वाकिफ भी है लेकिन वही अटल जी अभी तक अपने बेटे के रोजगार मिलने की खबर से वाकिफ नही है वो क्या प्रतिक्रिया देते है जब उन्हे इसका पता चलेगा

कही ऐसा ना हो राघव जो एक छोटे से रोजगार मिलने की खुशी मे जब अपने पिता से प्यार से उनकी पीठ थपथपाने की उम्मीद लगाये रहे और वही अटल जी उसके काम को निम्न स्तर का बता कर तिरस्कृत कर दे ।

फिल्हाल इनसब से अलग खुशिया मनाने का समय है वही होना चाहिए
बहुत ही साधारण लेकिन सुन्दर प्रस्तुति
और साधरणता को बहुत ही कठिनाई से पाया जाता है ।

लिखते रहिये और ऐसे ही शब्दो के झरोखे छोडते रहिये अपने इस पंखे से
धन्यवाद

इस शानदार और दिलकश रेवो के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

बेरोजगारी का बिल्ला हटने की खुशी बताने से भी बताई नहीं जाती लेकिन राघव को यहां खुशी पहली बर मिला हैं तो राघव इस खुशी को सबके साथ बांटना चाहेगा और बतेगा भी बस साथ बने रहिए और राघव को नौकरी मिलने की खुशी मनाए।
 
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