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Romance Ummid Tumse Hai

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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अनुनय विनय

मेरी यह कहानी किसी धर्म, समुदाय, संप्रदाय या जातिगत भेदभाव पर आधारित नहीं हैं। बल्कि यह एक पारिवारिक स्नेह वा प्रेम, जीवन के उतर चढ़ाव और प्रेमी जोड़ों के परित्याग पर आधारित हैं। मैने कहानी में पण्डित, पंडिताई, पोथी पोटला और चौपाई के कुछ शब्द इस्तेमाल किया था। इन चौपाई के शब्द हटा दिया लेकिन बाकी बचे शब्दो को नहीं हटाऊंगा। क्योंकि पण्डित (सरनेम), पंडिताई (कर्म) और पोथी पोटला (कर्म करने वाले वस्तु रखने वाला झोला) जो की अमूमन सामान्य बोल चाल की भाषा में बोला जाता हैं। इसलिए किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चहिए फिर भी किसी को परेशानी होता हैं तो आप इन शब्दों को धारण करने वाले धारक के प्रवृति से भली भांति रूबरू हैं। मैं उनसे इतना ही बोलना चाहूंगा, मैं उनके प्रवृति से संबंध रखने वाले कोई भी दृश्य पेश नहीं करूंगा फिर भी किसी को चूल मचती हैं तो उनके लिए

सक्त चेतावनी


मधुमक्खी के छाते में ढील मरकर अपने लिए अपात न बुलाए....
 
Last edited:

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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Nice story and nice plot

:congrats: for new story

दूसरा भाग।

बहुत ही बेहतरीन महोदय

तो राघव एकदम हीरो माफिक तैयार हो रहा है, लग गो ऐसे रहा है जैसे वो अपनी माशूका से मिलने जा रहा है । लेकिन उसके बाप अटल ने अपने अटल विचारों से उसके मूड की ऐसी की तैसी कर दी। इतना सख्त मिजाज वो भी अपने ही बेटे के प्रति। पढ़ाई लिखाई में ठीक है। डिप्लोमा किया हुआ है, लेकिन उनकी पसंद की पढ़ाई नहीं की इसलिए अटल जी उससे खुन्नस खाये हुए हैं। माँ और बहन भी अटल के सामने ज्यादा नहीं बोल पाते वैसे भी क्या बोले जब सामने वाला कुछ सुनने को ही तैयार न हो।

सृष्टि एक अनाथ लड़की जो राघव से प्रेम करती है खुद के पैरों पर खड़ी है लेकिन फिर भी बेरोजगार राघव से प्रेम करती है। ये उसका सच्चा प्रेम ही है जो उन्हें इस परिस्थिति में भी एक साथ बांधे हुए है।। सृष्टि और राघव के प्रेम के बारे में शायद अटल जी को पता नही है नहीं तो अब तक बवाल मचा देते, लेकिन वो दिन ज्यादा दूर भी नहीं है जब इस प्यार पर अटल जी का अटल पहरा होने वाला है।।

दिलक्श और खुशनुमा माहौल भरा अपडेट खतम हुआ
पहली नौकरी की खुशी अपने साथ नये रोमांच के साथ नये सपनो की एक पोटली भी लाती है ।
जिसमे हम अपनी इच्छाएं, अपने परिवार के लिए खुद की तरफ कुछ खुशिया और फ्यूचर प्लानिंग की चिट्टीया भरे होते है ।
मिठाईयो से भी ज्यादा मिठास हम सब के जीवन मे आ जाती है , मन से एक बोझ उतर जाता है और समाज द्वारा थोपा गया बेरोजगारी का बिल्ला भी खो जाता है । जो समाज कल तक हमे ज्ञान दे रहे होते है वो सलाह लेने आते है ।

खैर ये तो दुनिया जमाने की बाते है और सब इससे वाकिफ भी है लेकिन वही अटल जी अभी तक अपने बेटे के रोजगार मिलने की खबर से वाकिफ नही है वो क्या प्रतिक्रिया देते है जब उन्हे इसका पता चलेगा

कही ऐसा ना हो राघव जो एक छोटे से रोजगार मिलने की खुशी मे जब अपने पिता से प्यार से उनकी पीठ थपथपाने की उम्मीद लगाये रहे और वही अटल जी उसके काम को निम्न स्तर का बता कर तिरस्कृत कर दे ।

फिल्हाल इनसब से अलग खुशिया मनाने का समय है वही होना चाहिए
बहुत ही साधारण लेकिन सुन्दर प्रस्तुति
और साधरणता को बहुत ही कठिनाई से पाया जाता है ।

लिखते रहिये और ऐसे ही शब्दो के झरोखे छोडते रहिये अपने इस पंखे से
धन्यवाद

Awesome Updateee

Ati-romanchak : claps2:
Jitna ummeed that usse kahin badhkar paaya. Aapki jadui lekhni ne mera Mann bhaya. Paatron ka Parichay acha Raha aur Sahi puchhiye to yahi Sahi tarika hai paatra-parichay ka. Lekin Sabse badi khubi aapki lekhni mein jo mujhe Nazar aaya hai wo hai kahani ka dhara-parvaah. Jo ki bahut kam hi writers ke andar dekhne Ko multa hai.

Intezaar agle update ke liye...

अपडेट ६ उपस्थित हैं।
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Srishti apne mann mein kitna kuch samete huyi hai.. isiko writer sahab ne shabdon mein khoob roopantaran ki hai. Jaise wo kirdaar jivant ho ... kitani badi kamayabi hai ye lekhak ki... ki wo readers ko kahani ke paatr ke sath judne ko majbur kar de ,,,, jab bhi srithi ki bare mein read karu lage ki srithi kitni gahri peeda samete hai. par chehre pe us peeda ya dard ko kabhi aane na di... hamesha ek muskuharat ke sath jeene ki koshish ki.... par jis tarah atit ke panno koi anhoni ghatana ghati uske sath , jo ek kabhi na bhoola na paane wali peeda de gayi hai srishti ko, jo aaj bhi uske dil mein peeda deti hai... bin maa baap ke kaise us peeda aur dard ko shabdon mein bayan karna namumakin hai ,bas mehsoos kar sakti hun. Jaise ek udaas shaam ka ant ho.... dard ki barshat mein bhigi kuch bhooli bichhidi yaadein ho uski.....
Jab bhi wo kisi bache ko maa baap ke sath dekhti hai . ... aur khud anath hone ki baat yaad karti hai ....ise ehsaas kar dil mein gahrayi mein ek tees si utarti jaaye...
ek sabse aham baat ye bhi hai ki me bahot hi dharyashil aur sahanshil hai.
Lekin aaj... aaj wo is kabil hai ki kisi bhi muskil ka saamna kar sakti hai...... aur khushi ki baat ye hai ki raghav ke jariye ek pyari family mil chuki hai ushe....

aapki ye khubsurat manoram lekhni ... Kuch karwi sachhai, to kuch emotions shabdon mein , to kuch khushi aur dukh bhare pal.. , . ...jo hum readers ko kirdaaro aur kahani ke jariye le jaaye wahan...Jahan ho Kirdaaro ke kuch yaadon ka bashera ho ... Jahan kirdaaro bhumika nibhaye har situation ke sath...khaskar kajal, dev, wanga aur Arya .

likhe gaye har shabd hawaon mein bhi ek nasha bikhed de... ki padhte waqt thoda sa ye nasha yun readers pe bhi chaa jaaye ....Haan.. ishi wajah se to har update padhne mein readers ko aaye maza...Aap jis tarah likhte hai har mod aur pehlu ko dhyan mein rakhte huye, readers ko baithe bithaye kirdaaro ke bhaavnao ko gehrayi se mehsoos aur ehsaas karne ke liye majbur kar de .. ... .


Be it a simple routine or a simple incident in the story, but Dr sahab saheb enlivens it with the magic of his pen... He makes it so captivating and entertaining that even ordinary things become really extraordinary. ...

Let's see what happens next..
Well brilliant update with awesome writing skills... :applause: :applause:
 

Jaguaar

Well-Known Member
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Update - 6



सृष्टि के बाईक पर बैठते ही राघव बाईक चला दिया। सृष्टि एक तरफ पैर करके बैठी थी। जो राघव को अच्छा नहीं लग रहा था। इसलिए कुछ दूर बाईक चलाने के बाद बाइक रोक सृष्टि को दोनों तरफ पैर रख कर बैठने को कहता हैं। सृष्टि एक मस्त स्माइल 🤗 देकर बैठ जाती हैं। सृष्टि राघव के कंधे को पकड़ कर बैठी थी। राघव हाथ कंधे से हटाकर निचे कर देता हैं। सृष्टि फिर कंधे पर रखता हैं। राघव फिर हटा देता हैं बार बार ऐसा करने पर सृष्टि राघव के मंशा को समझकर दोनों हाथ राधव के बागलो से होते हुए ले जाकर छीने को कसकर पकड़ लेती हैं और राधव से चिपककर बैठ जाती हैं। जिससे राघव का तन गुदगुदा उठता हैं। राघव गुदगुदाती अहसास में खोने लगता हैं। जिससे बाइक का संतुलन बिगड़ने लगता हैं। तब सृष्टि के चीखने पर राघव बाईक को संतुलित करता हैं। तब सृष्टि राघव को दो तीन थप्पड उसके कंधे पर मरती हैं और फ़िर से पकड़ कर बैठ जाती हैं। राधव शहर के बाहर की ओर बाईक दौड़ाए जाता हैं। कुछ दूर ओर बाइक चलाने के बाद राघव एक कैफे कम रेस्टोरेंट के सामने बाईक को रोकता हैं। सृष्टि इस कैफे को देखकर हर्षित हो जाती हैं और मंद मंद मुस्कान😙 के साथ राधव को देखती हैं तो कभी कैफे को देखती हैं। हर्षित भाव से कैफे को देखते देखकर राघव बोलता हैं " ऐसे ही देखते रहोगे या अदंर भी चलोगे।"

राधव सृष्टि को साथ लेकर अदंर जाता हैं। कॉर्नर की एक टेबल पर बैठ जाता हैं फिर राधव मेनू कार्ड सृष्टि को देते हुए कहता हैं "जो तुम्हे पसंद हों ऑर्डर कर दो।

सृष्टि "यहां का लवर कॉफी सबसे मशहूर हैं क्यो न हम उस कॉफी को पीकर सेलीब्रेट करे।"

राधव " तुम्हें अब भी याद हैं जब की हम कितने दिनों बाद यहां आए हैं।"

सृष्टि "इस जगह को मैं कैसे भूल सकती हूं। यहां बिताया हुआ पल मेरे जीवन के बेहतरीन पालो में से एक हैं। न ही मैं उस दिन को, न ही उस डेट को कभी भूल सकती हूं। जब तुमने मुझे यहां बुलबाकर खचाखच भरी भीड़ के सामने प्रपोज किया था। मुझे ये अहसास कराया था। इस दुनिया में कोई हैं जो भीड़ में भी कभी तुम्हारा हाथ नहीं छोड़ेगा। तुमने इस अनाथ का हाथ थामा था। ये वादा भी किया था मुझे एक भरा पूरा परिवार दोगे जो सिर्फ़ मेरा होगा । जिसमें एक स्नेह और ममता को निछावर करने वाली मां होगी। एक बाप होगा जिसके डांट में संस्कारो वाला प्यार होगा। एक नंद जैसी बहन होगी। जिसकी कमी मुझे हमेशा खालती थी। लेकिन उस दिन के बाद यह कमी भी तुमने भर दिया। तुम ही बताओ मैं उस दिन को उस पल को कैसे भूल सकती हु। जो मेरे जीवन में एक नया सवेरा लेकर आई। एक नई उम्मीद को मेरे अदंर जन्म दिया और उसी उम्मीद को मैं थोडा ही सही पल पल जीती आ रही हूं। आज इस जगह पर वापस लाकर तुमने मुझे उस पल का उस दिन का फिर से अहसास करा दिया। मैं जिन शब्दों में तुम्हारा शुक्रिया अदा करू वो शब्द भी काम होंगे।😰

कहते हुए सृष्टि रो दिया एक एक शब्द उसके अंतरात्मा से निकाल रहीं थीं। उसके कहे एक एक शब्द उसके अनाथ होने की दर्द को बयां कर रही थीं। राघव जो हमेशा सृष्टि की आंखो में निश्छल भाव और लबों पर लुभावनी मुस्कान देखता था। आज उसे सिर्फ दर्द और दर्द के अलावा कुछ नहीं दिखाई दे रहा था। जहां उसे अपने लिए अपर प्यार दिखता था आज उसे उम्मीद दिख रहा था। जैसे उसकी आंखे कह रहीं हों मुझे उम्मीद हैं। तुम मुझे इस बेरहम और बेदर्द दुनिया में कभी अकेले नहीं छोड़ोगे। मेरे निश्छल प्रेम को निराशा में बदलने नहीं दोगे। मेरे प्यार का सही मोल दोगे जो मैंने तुमसे किया।

सृष्टि फफक फफक कर रो रहीं थीं आसपास बैठें लोग सिर्फ़ उन दोनों को ही देख रहे थे। लेकिन राघव का ध्यान सिर्फ सृष्टि पर था। सृष्टि को ऐसे रोते हुए देखकर राधव का दिल भी रो दिया। राधव उठाकर सृष्टि के पास गया और बोला "सृष्टि मत रो मैं हु तुम्हारे साथ तुम्हे कभी अकेला छोड़ कर नहीं जाउंगा। मैं किसी की उम्मीद न पुरी करू लेकिन तुम्हारे उम्मीद को कभी टूटने नहीं दुंगा। मत रो सृष्टि देखो मेरे आंखे से भी आंसू निकाल रहे हैं। तुम कहती हों न तुम मेरे बहते आंसू नहीं देख पाती हों देखो आज सिर्फ तुम्हारे लिए मेरे आंसू बह रहे हैं। देखो न सृष्टि।"😭


सृष्टि ने आंसू को पोछा लेकिन ये आंसू न बहने से कहा मानने वाले थे फिर से बह निकला, सृष्टि ने ओझल दृष्टी से राधव की और देखा। उठाकर राधव से लिपट गई और रोते हुए बोली "राधव तुम कभी मुझे छोड़कर तो नहीं जाओगे। मैं तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगी। तभी भीड़ में से किसी ने कहा "अरे बोल दे भाई जहां रिश्ते पल भर में टूट जाते हैं। सुबह प्यार की आस जागती हैं और शाम को आस टूट जाती हैं। वहा ये लडक़ी तुझसे उम्मीद लगाएं तुझसे सिर्फ प्यार मांग रहीं हैं। हां बोल दे, बोल दे हां।

बोलने वाला शख्स सृष्टि के पीठ की ओर था। इसलिए सृष्टि देख नहीं पाई लेकिन राधव ने देख लिया था। शख्स का सिर्फ आंखे ही दिख रहा था। बाकी चेहरा नकाब से ढका हुआ था। राघव उसकी और देख रहा था। अपनी ओर देखते देखकर शख्स जल्दी से बाहर निकल गया जब तक सृष्टि पलट कर उसको देखती तब तक वह शख्स जा चूका था। तब राघव सृष्टि को अपनी और घुमा कर उसकी आंखो में देखकर कहता हैं "सृष्टि मैं तुम्हें कभी छोड़कर नही जाऊंगा न ही तुम्हारी उम्मीद को कभी टूटने दूंगा ये वादा हैं मेरा।"

राघव के कहते ही कैफे तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता हैं कोई सिटी बजता हैं तो कोई हुर्रे हुर्रे की हूटिंग करता हैं। वह मौजुद लोग दोनों प्रेमी जोड़े को बधाई देते हैं ताली बजाते हैं और हूटिंग भी करते हैं। कुछ वक्त में सब शांत होकर बैठ जाते हैं। सृष्टि और राघव दोनों एक दुसरे के आंसू पूछते हैं और अपनी अपनी जगह बैठ जाते हैं। तब सृष्टि कहती हैं "राधव कुछ याद आया उस दिन भी तुम्हारे प्रपोज करने पर लोगों ने ऐसे ही तालियां बजाईं थी, हुटिग किया था, सिटी बजाई थी।"

राधव "मुझे सब याद हैं सृष्टि जब तुम्हें प्रपोज किया था। वो दिन साल का अखरी था तुमने कुछ वक्त लिया था मेरा प्रपोजल एक्सेप्ट करने में, तुम्हारे एक्सेप्ट करने के लामशम दो घंटे बाद नए साल का वेलकम किया गया था। हम दोनों ने साथ में लवर की तरह नए साल सेलीब्रेट किया था। नए साल की शुरुवात के साथ हम दोनों ने एक नए सफर की शुरवात किया था जो आज तक जारी हैं और आगे भी चलता रहेगा। कुछ दिन बाद मेरा एक और सफर शुरू होने वाला हैं जो मुझे मेरे मुकाम तक पहुंचाएगा। इसलिए मैं तुम्हें आज यह लाया हू। जॉब मिलने की खुशी तुम्हारे साथ सेलिब्रेट कर मुकाम तक पहुंचने का जो रास्ता मैं तय करना चहता हूं उसमे तुम भी मेरे साथ रहो।

सृष्टि "सच्ची में"

राधव "हां सृष्टि यह सफर मैं अकेले तय नहीं कर सकता जो मुझे मेरे सपनों की मंजिल तक पहुंचाएगा जिसका पहला कदम रखने में तुमने ही मेरी मदद की, तुम्हारी वजह से ही मुझे जॉब मिला हैं। मन तो कह रहा है तुम्हे बहुत सारा थैंक you कहूं लेकिन नहीं कहूंगा क्योंकि तुम मुंह फुला लोगी।

सृष्टि "thank You कहना चाहते हो, पर मुझे नहीं इस thank you का हकदार कोई और हैं। तुम्हें उसे कहना चाहिए।

राधव कुछ सोचकर "कौन वो रिसेप्शन वाली जिससे तुम्हे बात कराया था।"

सृष्टि "नहीं रे बाबा ! वो तो एक अनजान शख्स है

राघव "अनजान शख्स ये कैसा नाम हैं।"😄

सृष्टि "ये नाम नहीं ये उसका पहचान हैं।"😏

राघव "ये कैसा पहचान अनजान शख्स"🤪

सृष्टि "तुम मेरी खिंचाई कर रहें हों। करों खिचाई और सेलिब्रेशन मैं चाली।"😡

सृष्टि उठाकर जाने लगीं, राघव उसे पकड़ कर बैठाते हुए बोला "अजीब gf हों मजाक भी नहीं कर सकता। थोडा सा मजाक किया तो बुरा मान गई।

सृष्टि "तुम मजाक कहा कर रहे थे तुम तो मेरी खिंचाई कर रहें थे।😠

राघव हाथ जोड़कर "जैसा तुम कहो मोहतरमा।"

सृष्टि "तुम्हारा सही हैं कुछ भी बोल दो फिर हाथ जोड़कर कन्नी काट लो।"

राघव " लग रहा हैं। तुम आज लड़ाई करने के फूल मुड़ में कमर कस लिया हैं। तुम्हारे मन में ऐसा कुछ हैं तो बता दो।

सृष्टि "हां आज मैं लड़ाई के फूल मुड़ में हूं और तुम्हारा ये कद्दू जैसा सर फोड़ना चहती हूं।:bat1:

राघव उठाकर सृष्टि के पास गया। मेज से एक गिलास उठाकर सृष्टि की ओर बडकर अपना सर आगे कर दिया और बोला "लो मैडम ये कद्दू हाजिर हैं शवख से फोड़ों काटो जो मन हो वो करों।"

सृष्टि गिलास परे हटकर राघव के सर को चूम लिया फिर राघव को बैठने के लिए कहा। बैठते ही राघव बोला " सृष्टि ये किया था फोड़ने के वजह चूम लिया कुछ समझ नहीं पाया।"😉

सृष्टि "तुमने अभी अभी तो कह था जो मन आए वो करों। मेरा मान किया इस कद्दू को न फोड़कर चूम लूं तो चूम लिया।"🤪

राघव "मन बदल कर अच्छा किया नहीं तो कद्दू फूटते ही यहां भाग दौड़ मच जाता।"😁

राघव की बात सुनाकर सृष्टि हंस दिया। संग संग राघव भी हंसने लगा। तभी एक वेटर ऑर्डर लेने आया। सृष्टि ने ऑर्डर दिया फिर वेटर चला गया। जब तक ऑर्डर नहीं आया तब तक दोनों तरह तरह की बाते करते रहे। एक वेटर आकार उन्हें उनका कॉफी दे गया। कॉफी पीते हुए राघव बोला "सृष्टि तुमने उस अनजान शख्स के बरे में कुछ नहीं बताए। उसका पता ठिकाना जानते हों तो बता दो उससे मिलकर उसे भी thank You बोल दू।"

सृष्टि "उसका पता ठिकाना मालूम होता तो मैं उसे अनजान शख्स क्यों कहती। मैं तो यह भी नहीं जानती वो दिखता कैसा हैं।"

राघव "अजीब हों तुम न जान न पहचान फिर भी तुम कहती हों मैं उसे thank You बोलूं अब तुम ही बोलों उसे thank you बोलूं तो कैसे बोलूं।"🤔

सृष्टि "thank you कैसे बोलोगे ये तुम्हारा कम हैं। मेरा काम बताना था सो बता दिया अब तुम सोचो क्या करना हैं और कैसे करना हैं।

राघव "ये भी एक झमेला हैं अब उस शख्स को ढूंढो जिसकी कोई पहचान नहीं, गौर करने वाली बात ये हैं जिसे न हम जानते हैं न पहचानते हैं लेकिन वह कैसे जनता हैं मुझे जॉब चाहिए मैं जॉब की खोज में हूं।"

सृष्टि "कहा तो तुमने ठीक हैं न जान न पहचान फिर भी वो जॉब की ख़बर देता हैं और कहता हैं मैं सिफारिश कर दुंगा तुम अपने bf Ko भेज देना।"

सिफारिश की बात सुनाकर राघव चौक गया और बोला "क्या कहा रहीं हों कहीं ये कोई साजिश तो नहीं हैं। कहीं मुझे किसी गलत काम में फंसना तो नहीं चहता हैं।"

सृष्टि "तुम्हें कोई क्यों फंसना चाहेगा। तुम्हारा किसी के साथ कोई दुश्मनी थोड़ी न हैं।"

राघव "दुश्मनी नहीं हैं लेकिन एक बात सोचो बिना कारण कोई अनजान मेरे लिए जॉब खोजता हैं तुम्हारे जरिए मुझ तक ख़बर पहुंचता हैं। सृष्टि बिना कारण कोई किसी की मदद नहीं करता वह ये अनजान शख्स मेरी मदद कर रहा हैं। लेकिन एक बात गौर करने की हैं उसने कैसे जाना मुझे जॉब की जरूरत हैं।"

सृष्टि "मैं नहीं जानती वो अनजान शख्स क्यों तुम्हारा मदद कर रहा हैं इसके पीछे मकसद किया हैं लेकिन ये बता सकती हु उसे कैसे पता चला अभी तीन चार दिन पहले मेरे रूम के पास वाले पार्क में हम दोनों मिले थे। बातों बातों में तुम्हारी जॉब की बात छिड़ी यह बात उस अनजान शख्स ने सुन लिया। तुम्हारे जाने के बाद वह शख्स मेरे पास आया और जॉब कहा मिल सकता हैं उसका एड्रेस दिया और तुम्हें वह भेजने को कहा। लेकिन मुझे उसकी बातों पर भरोसा नहीं हुआ। जब मैंने एड्रेस को ध्यान से देखा तो जाना वह मेरी सहेली साक्षी काम करती हैं। तब मैंने उसे फोन किया उसने बताया वह कोई जॉब खाली नहीं हैं तब मैंने उससे रिक्वेस्ट किया बहुत मनाया तब जाकर उसने कहा मैं तुम्हें वह भेज दूं। वो अपने बॉस से बात कर लेगी तब जाकर मैंने तुम्हें वह का पता दिया।

राघव "तुमने भी मेरी सिफारिश की , ये करके तुमने जो किया उसके लिए मैं जो बोलना चहता हूं। उसे सुनाकर तुम नाराज हों जाओगी। इसलिए नहीं बोल रहा हूं। लेकिन ये अनजान शख्स मेरे लिए अबूझ पहेली जैसी बनता जा रहा हैं न जाने उसके मन में किया हैं न जाने क्यो वो मेरी मदद कर रहा हैं। कुछ समझ नहीं पा रहा हूं। पहले जॉब नहीं थी तो न मिलने की टेंशन थी अब मिल गई तो क्यों मिली ये टेंशन बना हुआ हैं।

सृष्टि "जॉब करते समय ध्यान से करना कुछ भी गलत लगे तो जॉब छोड़ देना। जॉब दूसरी मिल जाएगी लेकिन तुम्हें कुछ हों……

राघव "चुप बिल्कुल चुप एक शब्द भी उटपटांग नहीं बोलना कुछ भी हो जाय सृष्टि तुमसे किया वादा निभाया बिना मैं अपनी सांसों को जबरदस्ती रोक कर रखूंगा ये कहकर मैंने अपनी सृष्टि से किया वादा अभी तक नहीं निभाया इसलिए तेरे निकलने का टाइम नहीं हुआ हैं।"

सृष्टि "मुझे बोलने से रोकते हों और खुद बोलते हों ये कैसा इंसाफ हैं। तुम्हारे इंशाफ का तराजू डामाडोल हों रहा हैं। उसे सही वजन देकर बैलेंस करों नहीं तो……

राघव "आगे कुछ बोलने की जरूरत नहीं हैं। मैं समझ गया हूं तुम कहना किया चहते हों।"

सृष्टि "समझ गए हों तो अच्छी बात हैं नहीं तो मैं तुम्हें अच्छे से समझती। अच्छा सुनो अब हमें घर चलना चाहिए देर हों रहीं हैं।"

राघव "देर तो हों रहा हैं लेकिन जाने का मान नहीं कर रहा हैं। मन कर रहा हैं तुम्हारे साथ बैठ कर बातें करता जाऊ करता ही जाऊ यह बातों का सिलसिला कभी खत्म ही न करूं।"

सृष्टि "अच्छा तो जल्दी से शादी कर लो फिर इतनी बाते करूंगी इतनी बाते करूंगी तुम पाक कर पिलपिला हों जाओगे।"☺️

राघव "तुम्हारी बातों से नहीं पकूंगा क्योंकि तुम मुझे बीच बीच में अपने लवों की मिठास जो चखने दोगी। मेरा मान कर रहा हैं अभी तुम्हारे इन लबों का मिठास चख लू 😘

सृष्टि " चुप करों और चुप चाप बिना इधर उधार देखे बाहर जाओ मैं बिल पे करके आती हूं।"

बिल पे करने को लेकर दोनों में नोक झोंक होने लगता हैं लेकिन सृष्टि किसी भीं हाल में माने को तैयार नहीं होती वो तरह तरह के तर्क देती हैं थक हर कर राघव हां कर देता हैं। तब जाकर कहीं कैफे का बिल पे होता हैं फिर जैसे आए थे वैसे ही सृष्टि राघव से चिपक कर बैठ जाती हैं। एक बर फिर से राघव का तन मन झनझना उठता हैं लेकिन खुद को काबू कर सृष्टि के रूम तक पहुंचता हैं। सृष्टि को बाइक से उतर कर राघव सृष्टि को किस 😘 करता हैं जो थोडा लंबा चलता हैं फिर सृष्टि अदंर चाली जाती हैं और राघव वह से बाजार जाता हैं एक और डब्बा मिटाई का लेता हैं और घर को चाल देता हैं।



आज के लिए इतना ही आगे के अपडेट में जानेंगे राघव ने दुबारा मिठाई किस लिए लिया। अपडेट में मजा आए तो अपना सुंदर सुंदर रेवो से अलंकृत करना न भूलिएगा। सांस रहीं तो फिर मुलाकात होगी। सांसों का किया आती जाती हवा का झोंका हैं।
Superrbbb Updatee

Raghav ki baat toh sahi hai woh anjaan shaks kyo bina wajah uski madad kar raha hai. Kahi iske pichhe uski koi saazish toh nhi.

Aur cafe mein woh maskman aur woh anjaan shaks shayad dono ek hi insaan hai.

Dekhte hai aage kya hota hai.
 

parkas

Well-Known Member
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Update - 6



सृष्टि के बाईक पर बैठते ही राघव बाईक चला दिया। सृष्टि एक तरफ पैर करके बैठी थी। जो राघव को अच्छा नहीं लग रहा था। इसलिए कुछ दूर बाईक चलाने के बाद बाइक रोक सृष्टि को दोनों तरफ पैर रख कर बैठने को कहता हैं। सृष्टि एक मस्त स्माइल 🤗 देकर बैठ जाती हैं। सृष्टि राघव के कंधे को पकड़ कर बैठी थी। राघव हाथ कंधे से हटाकर निचे कर देता हैं। सृष्टि फिर कंधे पर रखता हैं। राघव फिर हटा देता हैं बार बार ऐसा करने पर सृष्टि राघव के मंशा को समझकर दोनों हाथ राधव के बागलो से होते हुए ले जाकर छीने को कसकर पकड़ लेती हैं और राधव से चिपककर बैठ जाती हैं। जिससे राघव का तन गुदगुदा उठता हैं। राघव गुदगुदाती अहसास में खोने लगता हैं। जिससे बाइक का संतुलन बिगड़ने लगता हैं। तब सृष्टि के चीखने पर राघव बाईक को संतुलित करता हैं। तब सृष्टि राघव को दो तीन थप्पड उसके कंधे पर मरती हैं और फ़िर से पकड़ कर बैठ जाती हैं। राधव शहर के बाहर की ओर बाईक दौड़ाए जाता हैं। कुछ दूर ओर बाइक चलाने के बाद राघव एक कैफे कम रेस्टोरेंट के सामने बाईक को रोकता हैं। सृष्टि इस कैफे को देखकर हर्षित हो जाती हैं और मंद मंद मुस्कान😙 के साथ राधव को देखती हैं तो कभी कैफे को देखती हैं। हर्षित भाव से कैफे को देखते देखकर राघव बोलता हैं " ऐसे ही देखते रहोगे या अदंर भी चलोगे।"

राधव सृष्टि को साथ लेकर अदंर जाता हैं। कॉर्नर की एक टेबल पर बैठ जाता हैं फिर राधव मेनू कार्ड सृष्टि को देते हुए कहता हैं "जो तुम्हे पसंद हों ऑर्डर कर दो।

सृष्टि "यहां का लवर कॉफी सबसे मशहूर हैं क्यो न हम उस कॉफी को पीकर सेलीब्रेट करे।"

राधव " तुम्हें अब भी याद हैं जब की हम कितने दिनों बाद यहां आए हैं।"

सृष्टि "इस जगह को मैं कैसे भूल सकती हूं। यहां बिताया हुआ पल मेरे जीवन के बेहतरीन पालो में से एक हैं। न ही मैं उस दिन को, न ही उस डेट को कभी भूल सकती हूं। जब तुमने मुझे यहां बुलबाकर खचाखच भरी भीड़ के सामने प्रपोज किया था। मुझे ये अहसास कराया था। इस दुनिया में कोई हैं जो भीड़ में भी कभी तुम्हारा हाथ नहीं छोड़ेगा। तुमने इस अनाथ का हाथ थामा था। ये वादा भी किया था मुझे एक भरा पूरा परिवार दोगे जो सिर्फ़ मेरा होगा । जिसमें एक स्नेह और ममता को निछावर करने वाली मां होगी। एक बाप होगा जिसके डांट में संस्कारो वाला प्यार होगा। एक नंद जैसी बहन होगी। जिसकी कमी मुझे हमेशा खालती थी। लेकिन उस दिन के बाद यह कमी भी तुमने भर दिया। तुम ही बताओ मैं उस दिन को उस पल को कैसे भूल सकती हु। जो मेरे जीवन में एक नया सवेरा लेकर आई। एक नई उम्मीद को मेरे अदंर जन्म दिया और उसी उम्मीद को मैं थोडा ही सही पल पल जीती आ रही हूं। आज इस जगह पर वापस लाकर तुमने मुझे उस पल का उस दिन का फिर से अहसास करा दिया। मैं जिन शब्दों में तुम्हारा शुक्रिया अदा करू वो शब्द भी काम होंगे।😰

कहते हुए सृष्टि रो दिया एक एक शब्द उसके अंतरात्मा से निकाल रहीं थीं। उसके कहे एक एक शब्द उसके अनाथ होने की दर्द को बयां कर रही थीं। राघव जो हमेशा सृष्टि की आंखो में निश्छल भाव और लबों पर लुभावनी मुस्कान देखता था। आज उसे सिर्फ दर्द और दर्द के अलावा कुछ नहीं दिखाई दे रहा था। जहां उसे अपने लिए अपर प्यार दिखता था आज उसे उम्मीद दिख रहा था। जैसे उसकी आंखे कह रहीं हों मुझे उम्मीद हैं। तुम मुझे इस बेरहम और बेदर्द दुनिया में कभी अकेले नहीं छोड़ोगे। मेरे निश्छल प्रेम को निराशा में बदलने नहीं दोगे। मेरे प्यार का सही मोल दोगे जो मैंने तुमसे किया।

सृष्टि फफक फफक कर रो रहीं थीं आसपास बैठें लोग सिर्फ़ उन दोनों को ही देख रहे थे। लेकिन राघव का ध्यान सिर्फ सृष्टि पर था। सृष्टि को ऐसे रोते हुए देखकर राधव का दिल भी रो दिया। राधव उठाकर सृष्टि के पास गया और बोला "सृष्टि मत रो मैं हु तुम्हारे साथ तुम्हे कभी अकेला छोड़ कर नहीं जाउंगा। मैं किसी की उम्मीद न पुरी करू लेकिन तुम्हारे उम्मीद को कभी टूटने नहीं दुंगा। मत रो सृष्टि देखो मेरे आंखे से भी आंसू निकाल रहे हैं। तुम कहती हों न तुम मेरे बहते आंसू नहीं देख पाती हों देखो आज सिर्फ तुम्हारे लिए मेरे आंसू बह रहे हैं। देखो न सृष्टि।"😭


सृष्टि ने आंसू को पोछा लेकिन ये आंसू न बहने से कहा मानने वाले थे फिर से बह निकला, सृष्टि ने ओझल दृष्टी से राधव की और देखा। उठाकर राधव से लिपट गई और रोते हुए बोली "राधव तुम कभी मुझे छोड़कर तो नहीं जाओगे। मैं तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगी। तभी भीड़ में से किसी ने कहा "अरे बोल दे भाई जहां रिश्ते पल भर में टूट जाते हैं। सुबह प्यार की आस जागती हैं और शाम को आस टूट जाती हैं। वहा ये लडक़ी तुझसे उम्मीद लगाएं तुझसे सिर्फ प्यार मांग रहीं हैं। हां बोल दे, बोल दे हां।

बोलने वाला शख्स सृष्टि के पीठ की ओर था। इसलिए सृष्टि देख नहीं पाई लेकिन राधव ने देख लिया था। शख्स का सिर्फ आंखे ही दिख रहा था। बाकी चेहरा नकाब से ढका हुआ था। राघव उसकी और देख रहा था। अपनी ओर देखते देखकर शख्स जल्दी से बाहर निकल गया जब तक सृष्टि पलट कर उसको देखती तब तक वह शख्स जा चूका था। तब राघव सृष्टि को अपनी और घुमा कर उसकी आंखो में देखकर कहता हैं "सृष्टि मैं तुम्हें कभी छोड़कर नही जाऊंगा न ही तुम्हारी उम्मीद को कभी टूटने दूंगा ये वादा हैं मेरा।"

राघव के कहते ही कैफे तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता हैं कोई सिटी बजता हैं तो कोई हुर्रे हुर्रे की हूटिंग करता हैं। वह मौजुद लोग दोनों प्रेमी जोड़े को बधाई देते हैं ताली बजाते हैं और हूटिंग भी करते हैं। कुछ वक्त में सब शांत होकर बैठ जाते हैं। सृष्टि और राघव दोनों एक दुसरे के आंसू पूछते हैं और अपनी अपनी जगह बैठ जाते हैं। तब सृष्टि कहती हैं "राधव कुछ याद आया उस दिन भी तुम्हारे प्रपोज करने पर लोगों ने ऐसे ही तालियां बजाईं थी, हुटिग किया था, सिटी बजाई थी।"

राधव "मुझे सब याद हैं सृष्टि जब तुम्हें प्रपोज किया था। वो दिन साल का अखरी था तुमने कुछ वक्त लिया था मेरा प्रपोजल एक्सेप्ट करने में, तुम्हारे एक्सेप्ट करने के लामशम दो घंटे बाद नए साल का वेलकम किया गया था। हम दोनों ने साथ में लवर की तरह नए साल सेलीब्रेट किया था। नए साल की शुरुवात के साथ हम दोनों ने एक नए सफर की शुरवात किया था जो आज तक जारी हैं और आगे भी चलता रहेगा। कुछ दिन बाद मेरा एक और सफर शुरू होने वाला हैं जो मुझे मेरे मुकाम तक पहुंचाएगा। इसलिए मैं तुम्हें आज यह लाया हू। जॉब मिलने की खुशी तुम्हारे साथ सेलिब्रेट कर मुकाम तक पहुंचने का जो रास्ता मैं तय करना चहता हूं उसमे तुम भी मेरे साथ रहो।

सृष्टि "सच्ची में"

राधव "हां सृष्टि यह सफर मैं अकेले तय नहीं कर सकता जो मुझे मेरे सपनों की मंजिल तक पहुंचाएगा जिसका पहला कदम रखने में तुमने ही मेरी मदद की, तुम्हारी वजह से ही मुझे जॉब मिला हैं। मन तो कह रहा है तुम्हे बहुत सारा थैंक you कहूं लेकिन नहीं कहूंगा क्योंकि तुम मुंह फुला लोगी।

सृष्टि "thank You कहना चाहते हो, पर मुझे नहीं इस thank you का हकदार कोई और हैं। तुम्हें उसे कहना चाहिए।

राधव कुछ सोचकर "कौन वो रिसेप्शन वाली जिससे तुम्हे बात कराया था।"

सृष्टि "नहीं रे बाबा ! वो तो एक अनजान शख्स है

राघव "अनजान शख्स ये कैसा नाम हैं।"😄

सृष्टि "ये नाम नहीं ये उसका पहचान हैं।"😏

राघव "ये कैसा पहचान अनजान शख्स"🤪

सृष्टि "तुम मेरी खिंचाई कर रहें हों। करों खिचाई और सेलिब्रेशन मैं चाली।"😡

सृष्टि उठाकर जाने लगीं, राघव उसे पकड़ कर बैठाते हुए बोला "अजीब gf हों मजाक भी नहीं कर सकता। थोडा सा मजाक किया तो बुरा मान गई।

सृष्टि "तुम मजाक कहा कर रहे थे तुम तो मेरी खिंचाई कर रहें थे।😠

राघव हाथ जोड़कर "जैसा तुम कहो मोहतरमा।"

सृष्टि "तुम्हारा सही हैं कुछ भी बोल दो फिर हाथ जोड़कर कन्नी काट लो।"

राघव " लग रहा हैं। तुम आज लड़ाई करने के फूल मुड़ में कमर कस लिया हैं। तुम्हारे मन में ऐसा कुछ हैं तो बता दो।

सृष्टि "हां आज मैं लड़ाई के फूल मुड़ में हूं और तुम्हारा ये कद्दू जैसा सर फोड़ना चहती हूं।:bat1:

राघव उठाकर सृष्टि के पास गया। मेज से एक गिलास उठाकर सृष्टि की ओर बडकर अपना सर आगे कर दिया और बोला "लो मैडम ये कद्दू हाजिर हैं शवख से फोड़ों काटो जो मन हो वो करों।"

सृष्टि गिलास परे हटकर राघव के सर को चूम लिया फिर राघव को बैठने के लिए कहा। बैठते ही राघव बोला " सृष्टि ये किया था फोड़ने के वजह चूम लिया कुछ समझ नहीं पाया।"😉

सृष्टि "तुमने अभी अभी तो कह था जो मन आए वो करों। मेरा मान किया इस कद्दू को न फोड़कर चूम लूं तो चूम लिया।"🤪

राघव "मन बदल कर अच्छा किया नहीं तो कद्दू फूटते ही यहां भाग दौड़ मच जाता।"😁

राघव की बात सुनाकर सृष्टि हंस दिया। संग संग राघव भी हंसने लगा। तभी एक वेटर ऑर्डर लेने आया। सृष्टि ने ऑर्डर दिया फिर वेटर चला गया। जब तक ऑर्डर नहीं आया तब तक दोनों तरह तरह की बाते करते रहे। एक वेटर आकार उन्हें उनका कॉफी दे गया। कॉफी पीते हुए राघव बोला "सृष्टि तुमने उस अनजान शख्स के बरे में कुछ नहीं बताए। उसका पता ठिकाना जानते हों तो बता दो उससे मिलकर उसे भी thank You बोल दू।"

सृष्टि "उसका पता ठिकाना मालूम होता तो मैं उसे अनजान शख्स क्यों कहती। मैं तो यह भी नहीं जानती वो दिखता कैसा हैं।"

राघव "अजीब हों तुम न जान न पहचान फिर भी तुम कहती हों मैं उसे thank You बोलूं अब तुम ही बोलों उसे thank you बोलूं तो कैसे बोलूं।"🤔

सृष्टि "thank you कैसे बोलोगे ये तुम्हारा कम हैं। मेरा काम बताना था सो बता दिया अब तुम सोचो क्या करना हैं और कैसे करना हैं।

राघव "ये भी एक झमेला हैं अब उस शख्स को ढूंढो जिसकी कोई पहचान नहीं, गौर करने वाली बात ये हैं जिसे न हम जानते हैं न पहचानते हैं लेकिन वह कैसे जनता हैं मुझे जॉब चाहिए मैं जॉब की खोज में हूं।"

सृष्टि "कहा तो तुमने ठीक हैं न जान न पहचान फिर भी वो जॉब की ख़बर देता हैं और कहता हैं मैं सिफारिश कर दुंगा तुम अपने bf Ko भेज देना।"

सिफारिश की बात सुनाकर राघव चौक गया और बोला "क्या कहा रहीं हों कहीं ये कोई साजिश तो नहीं हैं। कहीं मुझे किसी गलत काम में फंसना तो नहीं चहता हैं।"

सृष्टि "तुम्हें कोई क्यों फंसना चाहेगा। तुम्हारा किसी के साथ कोई दुश्मनी थोड़ी न हैं।"

राघव "दुश्मनी नहीं हैं लेकिन एक बात सोचो बिना कारण कोई अनजान मेरे लिए जॉब खोजता हैं तुम्हारे जरिए मुझ तक ख़बर पहुंचता हैं। सृष्टि बिना कारण कोई किसी की मदद नहीं करता वह ये अनजान शख्स मेरी मदद कर रहा हैं। लेकिन एक बात गौर करने की हैं उसने कैसे जाना मुझे जॉब की जरूरत हैं।"

सृष्टि "मैं नहीं जानती वो अनजान शख्स क्यों तुम्हारा मदद कर रहा हैं इसके पीछे मकसद किया हैं लेकिन ये बता सकती हु उसे कैसे पता चला अभी तीन चार दिन पहले मेरे रूम के पास वाले पार्क में हम दोनों मिले थे। बातों बातों में तुम्हारी जॉब की बात छिड़ी यह बात उस अनजान शख्स ने सुन लिया। तुम्हारे जाने के बाद वह शख्स मेरे पास आया और जॉब कहा मिल सकता हैं उसका एड्रेस दिया और तुम्हें वह भेजने को कहा। लेकिन मुझे उसकी बातों पर भरोसा नहीं हुआ। जब मैंने एड्रेस को ध्यान से देखा तो जाना वह मेरी सहेली साक्षी काम करती हैं। तब मैंने उसे फोन किया उसने बताया वह कोई जॉब खाली नहीं हैं तब मैंने उससे रिक्वेस्ट किया बहुत मनाया तब जाकर उसने कहा मैं तुम्हें वह भेज दूं। वो अपने बॉस से बात कर लेगी तब जाकर मैंने तुम्हें वह का पता दिया।

राघव "तुमने भी मेरी सिफारिश की , ये करके तुमने जो किया उसके लिए मैं जो बोलना चहता हूं। उसे सुनाकर तुम नाराज हों जाओगी। इसलिए नहीं बोल रहा हूं। लेकिन ये अनजान शख्स मेरे लिए अबूझ पहेली जैसी बनता जा रहा हैं न जाने उसके मन में किया हैं न जाने क्यो वो मेरी मदद कर रहा हैं। कुछ समझ नहीं पा रहा हूं। पहले जॉब नहीं थी तो न मिलने की टेंशन थी अब मिल गई तो क्यों मिली ये टेंशन बना हुआ हैं।

सृष्टि "जॉब करते समय ध्यान से करना कुछ भी गलत लगे तो जॉब छोड़ देना। जॉब दूसरी मिल जाएगी लेकिन तुम्हें कुछ हों……

राघव "चुप बिल्कुल चुप एक शब्द भी उटपटांग नहीं बोलना कुछ भी हो जाय सृष्टि तुमसे किया वादा निभाया बिना मैं अपनी सांसों को जबरदस्ती रोक कर रखूंगा ये कहकर मैंने अपनी सृष्टि से किया वादा अभी तक नहीं निभाया इसलिए तेरे निकलने का टाइम नहीं हुआ हैं।"

सृष्टि "मुझे बोलने से रोकते हों और खुद बोलते हों ये कैसा इंसाफ हैं। तुम्हारे इंशाफ का तराजू डामाडोल हों रहा हैं। उसे सही वजन देकर बैलेंस करों नहीं तो……

राघव "आगे कुछ बोलने की जरूरत नहीं हैं। मैं समझ गया हूं तुम कहना किया चहते हों।"

सृष्टि "समझ गए हों तो अच्छी बात हैं नहीं तो मैं तुम्हें अच्छे से समझती। अच्छा सुनो अब हमें घर चलना चाहिए देर हों रहीं हैं।"

राघव "देर तो हों रहा हैं लेकिन जाने का मान नहीं कर रहा हैं। मन कर रहा हैं तुम्हारे साथ बैठ कर बातें करता जाऊ करता ही जाऊ यह बातों का सिलसिला कभी खत्म ही न करूं।"

सृष्टि "अच्छा तो जल्दी से शादी कर लो फिर इतनी बाते करूंगी इतनी बाते करूंगी तुम पाक कर पिलपिला हों जाओगे।"☺️

राघव "तुम्हारी बातों से नहीं पकूंगा क्योंकि तुम मुझे बीच बीच में अपने लवों की मिठास जो चखने दोगी। मेरा मान कर रहा हैं अभी तुम्हारे इन लबों का मिठास चख लू 😘

सृष्टि " चुप करों और चुप चाप बिना इधर उधार देखे बाहर जाओ मैं बिल पे करके आती हूं।"

बिल पे करने को लेकर दोनों में नोक झोंक होने लगता हैं लेकिन सृष्टि किसी भीं हाल में माने को तैयार नहीं होती वो तरह तरह के तर्क देती हैं थक हर कर राघव हां कर देता हैं। तब जाकर कहीं कैफे का बिल पे होता हैं फिर जैसे आए थे वैसे ही सृष्टि राघव से चिपक कर बैठ जाती हैं। एक बर फिर से राघव का तन मन झनझना उठता हैं लेकिन खुद को काबू कर सृष्टि के रूम तक पहुंचता हैं। सृष्टि को बाइक से उतर कर राघव सृष्टि को किस 😘 करता हैं जो थोडा लंबा चलता हैं फिर सृष्टि अदंर चाली जाती हैं और राघव वह से बाजार जाता हैं एक और डब्बा मिटाई का लेता हैं और घर को चाल देता हैं।



आज के लिए इतना ही आगे के अपडेट में जानेंगे राघव ने दुबारा मिठाई किस लिए लिया। अपडेट में मजा आए तो अपना सुंदर सुंदर रेवो से अलंकृत करना न भूलिएगा। सांस रहीं तो फिर मुलाकात होगी। सांसों का किया आती जाती हवा का झोंका हैं।
Nice and superb update...
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Update - 6



सृष्टि के बाईक पर बैठते ही राघव बाईक चला दिया। सृष्टि एक तरफ पैर करके बैठी थी। जो राघव को अच्छा नहीं लग रहा था। इसलिए कुछ दूर बाईक चलाने के बाद बाइक रोक सृष्टि को दोनों तरफ पैर रख कर बैठने को कहता हैं। सृष्टि एक मस्त स्माइल 🤗 देकर बैठ जाती हैं। सृष्टि राघव के कंधे को पकड़ कर बैठी थी। राघव हाथ कंधे से हटाकर निचे कर देता हैं। सृष्टि फिर कंधे पर रखता हैं। राघव फिर हटा देता हैं बार बार ऐसा करने पर सृष्टि राघव के मंशा को समझकर दोनों हाथ राधव के बागलो से होते हुए ले जाकर छीने को कसकर पकड़ लेती हैं और राधव से चिपककर बैठ जाती हैं। जिससे राघव का तन गुदगुदा उठता हैं। राघव गुदगुदाती अहसास में खोने लगता हैं। जिससे बाइक का संतुलन बिगड़ने लगता हैं। तब सृष्टि के चीखने पर राघव बाईक को संतुलित करता हैं। तब सृष्टि राघव को दो तीन थप्पड उसके कंधे पर मरती हैं और फ़िर से पकड़ कर बैठ जाती हैं। राधव शहर के बाहर की ओर बाईक दौड़ाए जाता हैं। कुछ दूर ओर बाइक चलाने के बाद राघव एक कैफे कम रेस्टोरेंट के सामने बाईक को रोकता हैं। सृष्टि इस कैफे को देखकर हर्षित हो जाती हैं और मंद मंद मुस्कान😙 के साथ राधव को देखती हैं तो कभी कैफे को देखती हैं। हर्षित भाव से कैफे को देखते देखकर राघव बोलता हैं " ऐसे ही देखते रहोगे या अदंर भी चलोगे।"

राधव सृष्टि को साथ लेकर अदंर जाता हैं। कॉर्नर की एक टेबल पर बैठ जाता हैं फिर राधव मेनू कार्ड सृष्टि को देते हुए कहता हैं "जो तुम्हे पसंद हों ऑर्डर कर दो।

सृष्टि "यहां का लवर कॉफी सबसे मशहूर हैं क्यो न हम उस कॉफी को पीकर सेलीब्रेट करे।"

राधव " तुम्हें अब भी याद हैं जब की हम कितने दिनों बाद यहां आए हैं।"

सृष्टि "इस जगह को मैं कैसे भूल सकती हूं। यहां बिताया हुआ पल मेरे जीवन के बेहतरीन पालो में से एक हैं। न ही मैं उस दिन को, न ही उस डेट को कभी भूल सकती हूं। जब तुमने मुझे यहां बुलबाकर खचाखच भरी भीड़ के सामने प्रपोज किया था। मुझे ये अहसास कराया था। इस दुनिया में कोई हैं जो भीड़ में भी कभी तुम्हारा हाथ नहीं छोड़ेगा। तुमने इस अनाथ का हाथ थामा था। ये वादा भी किया था मुझे एक भरा पूरा परिवार दोगे जो सिर्फ़ मेरा होगा । जिसमें एक स्नेह और ममता को निछावर करने वाली मां होगी। एक बाप होगा जिसके डांट में संस्कारो वाला प्यार होगा। एक नंद जैसी बहन होगी। जिसकी कमी मुझे हमेशा खालती थी। लेकिन उस दिन के बाद यह कमी भी तुमने भर दिया। तुम ही बताओ मैं उस दिन को उस पल को कैसे भूल सकती हु। जो मेरे जीवन में एक नया सवेरा लेकर आई। एक नई उम्मीद को मेरे अदंर जन्म दिया और उसी उम्मीद को मैं थोडा ही सही पल पल जीती आ रही हूं। आज इस जगह पर वापस लाकर तुमने मुझे उस पल का उस दिन का फिर से अहसास करा दिया। मैं जिन शब्दों में तुम्हारा शुक्रिया अदा करू वो शब्द भी काम होंगे।😰

कहते हुए सृष्टि रो दिया एक एक शब्द उसके अंतरात्मा से निकाल रहीं थीं। उसके कहे एक एक शब्द उसके अनाथ होने की दर्द को बयां कर रही थीं। राघव जो हमेशा सृष्टि की आंखो में निश्छल भाव और लबों पर लुभावनी मुस्कान देखता था। आज उसे सिर्फ दर्द और दर्द के अलावा कुछ नहीं दिखाई दे रहा था। जहां उसे अपने लिए अपर प्यार दिखता था आज उसे उम्मीद दिख रहा था। जैसे उसकी आंखे कह रहीं हों मुझे उम्मीद हैं। तुम मुझे इस बेरहम और बेदर्द दुनिया में कभी अकेले नहीं छोड़ोगे। मेरे निश्छल प्रेम को निराशा में बदलने नहीं दोगे। मेरे प्यार का सही मोल दोगे जो मैंने तुमसे किया।

सृष्टि फफक फफक कर रो रहीं थीं आसपास बैठें लोग सिर्फ़ उन दोनों को ही देख रहे थे। लेकिन राघव का ध्यान सिर्फ सृष्टि पर था। सृष्टि को ऐसे रोते हुए देखकर राधव का दिल भी रो दिया। राधव उठाकर सृष्टि के पास गया और बोला "सृष्टि मत रो मैं हु तुम्हारे साथ तुम्हे कभी अकेला छोड़ कर नहीं जाउंगा। मैं किसी की उम्मीद न पुरी करू लेकिन तुम्हारे उम्मीद को कभी टूटने नहीं दुंगा। मत रो सृष्टि देखो मेरे आंखे से भी आंसू निकाल रहे हैं। तुम कहती हों न तुम मेरे बहते आंसू नहीं देख पाती हों देखो आज सिर्फ तुम्हारे लिए मेरे आंसू बह रहे हैं। देखो न सृष्टि।"😭


सृष्टि ने आंसू को पोछा लेकिन ये आंसू न बहने से कहा मानने वाले थे फिर से बह निकला, सृष्टि ने ओझल दृष्टी से राधव की और देखा। उठाकर राधव से लिपट गई और रोते हुए बोली "राधव तुम कभी मुझे छोड़कर तो नहीं जाओगे। मैं तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगी। तभी भीड़ में से किसी ने कहा "अरे बोल दे भाई जहां रिश्ते पल भर में टूट जाते हैं। सुबह प्यार की आस जागती हैं और शाम को आस टूट जाती हैं। वहा ये लडक़ी तुझसे उम्मीद लगाएं तुझसे सिर्फ प्यार मांग रहीं हैं। हां बोल दे, बोल दे हां।

बोलने वाला शख्स सृष्टि के पीठ की ओर था। इसलिए सृष्टि देख नहीं पाई लेकिन राधव ने देख लिया था। शख्स का सिर्फ आंखे ही दिख रहा था। बाकी चेहरा नकाब से ढका हुआ था। राघव उसकी और देख रहा था। अपनी ओर देखते देखकर शख्स जल्दी से बाहर निकल गया जब तक सृष्टि पलट कर उसको देखती तब तक वह शख्स जा चूका था। तब राघव सृष्टि को अपनी और घुमा कर उसकी आंखो में देखकर कहता हैं "सृष्टि मैं तुम्हें कभी छोड़कर नही जाऊंगा न ही तुम्हारी उम्मीद को कभी टूटने दूंगा ये वादा हैं मेरा।"

राघव के कहते ही कैफे तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता हैं कोई सिटी बजता हैं तो कोई हुर्रे हुर्रे की हूटिंग करता हैं। वह मौजुद लोग दोनों प्रेमी जोड़े को बधाई देते हैं ताली बजाते हैं और हूटिंग भी करते हैं। कुछ वक्त में सब शांत होकर बैठ जाते हैं। सृष्टि और राघव दोनों एक दुसरे के आंसू पूछते हैं और अपनी अपनी जगह बैठ जाते हैं। तब सृष्टि कहती हैं "राधव कुछ याद आया उस दिन भी तुम्हारे प्रपोज करने पर लोगों ने ऐसे ही तालियां बजाईं थी, हुटिग किया था, सिटी बजाई थी।"

राधव "मुझे सब याद हैं सृष्टि जब तुम्हें प्रपोज किया था। वो दिन साल का अखरी था तुमने कुछ वक्त लिया था मेरा प्रपोजल एक्सेप्ट करने में, तुम्हारे एक्सेप्ट करने के लामशम दो घंटे बाद नए साल का वेलकम किया गया था। हम दोनों ने साथ में लवर की तरह नए साल सेलीब्रेट किया था। नए साल की शुरुवात के साथ हम दोनों ने एक नए सफर की शुरवात किया था जो आज तक जारी हैं और आगे भी चलता रहेगा। कुछ दिन बाद मेरा एक और सफर शुरू होने वाला हैं जो मुझे मेरे मुकाम तक पहुंचाएगा। इसलिए मैं तुम्हें आज यह लाया हू। जॉब मिलने की खुशी तुम्हारे साथ सेलिब्रेट कर मुकाम तक पहुंचने का जो रास्ता मैं तय करना चहता हूं उसमे तुम भी मेरे साथ रहो।

सृष्टि "सच्ची में"

राधव "हां सृष्टि यह सफर मैं अकेले तय नहीं कर सकता जो मुझे मेरे सपनों की मंजिल तक पहुंचाएगा जिसका पहला कदम रखने में तुमने ही मेरी मदद की, तुम्हारी वजह से ही मुझे जॉब मिला हैं। मन तो कह रहा है तुम्हे बहुत सारा थैंक you कहूं लेकिन नहीं कहूंगा क्योंकि तुम मुंह फुला लोगी।

सृष्टि "thank You कहना चाहते हो, पर मुझे नहीं इस thank you का हकदार कोई और हैं। तुम्हें उसे कहना चाहिए।

राधव कुछ सोचकर "कौन वो रिसेप्शन वाली जिससे तुम्हे बात कराया था।"

सृष्टि "नहीं रे बाबा ! वो तो एक अनजान शख्स है

राघव "अनजान शख्स ये कैसा नाम हैं।"😄

सृष्टि "ये नाम नहीं ये उसका पहचान हैं।"😏

राघव "ये कैसा पहचान अनजान शख्स"🤪

सृष्टि "तुम मेरी खिंचाई कर रहें हों। करों खिचाई और सेलिब्रेशन मैं चाली।"😡

सृष्टि उठाकर जाने लगीं, राघव उसे पकड़ कर बैठाते हुए बोला "अजीब gf हों मजाक भी नहीं कर सकता। थोडा सा मजाक किया तो बुरा मान गई।

सृष्टि "तुम मजाक कहा कर रहे थे तुम तो मेरी खिंचाई कर रहें थे।😠

राघव हाथ जोड़कर "जैसा तुम कहो मोहतरमा।"

सृष्टि "तुम्हारा सही हैं कुछ भी बोल दो फिर हाथ जोड़कर कन्नी काट लो।"

राघव " लग रहा हैं। तुम आज लड़ाई करने के फूल मुड़ में कमर कस लिया हैं। तुम्हारे मन में ऐसा कुछ हैं तो बता दो।

सृष्टि "हां आज मैं लड़ाई के फूल मुड़ में हूं और तुम्हारा ये कद्दू जैसा सर फोड़ना चहती हूं।:bat1:

राघव उठाकर सृष्टि के पास गया। मेज से एक गिलास उठाकर सृष्टि की ओर बडकर अपना सर आगे कर दिया और बोला "लो मैडम ये कद्दू हाजिर हैं शवख से फोड़ों काटो जो मन हो वो करों।"

सृष्टि गिलास परे हटकर राघव के सर को चूम लिया फिर राघव को बैठने के लिए कहा। बैठते ही राघव बोला " सृष्टि ये किया था फोड़ने के वजह चूम लिया कुछ समझ नहीं पाया।"😉

सृष्टि "तुमने अभी अभी तो कह था जो मन आए वो करों। मेरा मान किया इस कद्दू को न फोड़कर चूम लूं तो चूम लिया।"🤪

राघव "मन बदल कर अच्छा किया नहीं तो कद्दू फूटते ही यहां भाग दौड़ मच जाता।"😁

राघव की बात सुनाकर सृष्टि हंस दिया। संग संग राघव भी हंसने लगा। तभी एक वेटर ऑर्डर लेने आया। सृष्टि ने ऑर्डर दिया फिर वेटर चला गया। जब तक ऑर्डर नहीं आया तब तक दोनों तरह तरह की बाते करते रहे। एक वेटर आकार उन्हें उनका कॉफी दे गया। कॉफी पीते हुए राघव बोला "सृष्टि तुमने उस अनजान शख्स के बरे में कुछ नहीं बताए। उसका पता ठिकाना जानते हों तो बता दो उससे मिलकर उसे भी thank You बोल दू।"

सृष्टि "उसका पता ठिकाना मालूम होता तो मैं उसे अनजान शख्स क्यों कहती। मैं तो यह भी नहीं जानती वो दिखता कैसा हैं।"

राघव "अजीब हों तुम न जान न पहचान फिर भी तुम कहती हों मैं उसे thank You बोलूं अब तुम ही बोलों उसे thank you बोलूं तो कैसे बोलूं।"🤔

सृष्टि "thank you कैसे बोलोगे ये तुम्हारा कम हैं। मेरा काम बताना था सो बता दिया अब तुम सोचो क्या करना हैं और कैसे करना हैं।

राघव "ये भी एक झमेला हैं अब उस शख्स को ढूंढो जिसकी कोई पहचान नहीं, गौर करने वाली बात ये हैं जिसे न हम जानते हैं न पहचानते हैं लेकिन वह कैसे जनता हैं मुझे जॉब चाहिए मैं जॉब की खोज में हूं।"

सृष्टि "कहा तो तुमने ठीक हैं न जान न पहचान फिर भी वो जॉब की ख़बर देता हैं और कहता हैं मैं सिफारिश कर दुंगा तुम अपने bf Ko भेज देना।"

सिफारिश की बात सुनाकर राघव चौक गया और बोला "क्या कहा रहीं हों कहीं ये कोई साजिश तो नहीं हैं। कहीं मुझे किसी गलत काम में फंसना तो नहीं चहता हैं।"

सृष्टि "तुम्हें कोई क्यों फंसना चाहेगा। तुम्हारा किसी के साथ कोई दुश्मनी थोड़ी न हैं।"

राघव "दुश्मनी नहीं हैं लेकिन एक बात सोचो बिना कारण कोई अनजान मेरे लिए जॉब खोजता हैं तुम्हारे जरिए मुझ तक ख़बर पहुंचता हैं। सृष्टि बिना कारण कोई किसी की मदद नहीं करता वह ये अनजान शख्स मेरी मदद कर रहा हैं। लेकिन एक बात गौर करने की हैं उसने कैसे जाना मुझे जॉब की जरूरत हैं।"

सृष्टि "मैं नहीं जानती वो अनजान शख्स क्यों तुम्हारा मदद कर रहा हैं इसके पीछे मकसद किया हैं लेकिन ये बता सकती हु उसे कैसे पता चला अभी तीन चार दिन पहले मेरे रूम के पास वाले पार्क में हम दोनों मिले थे। बातों बातों में तुम्हारी जॉब की बात छिड़ी यह बात उस अनजान शख्स ने सुन लिया। तुम्हारे जाने के बाद वह शख्स मेरे पास आया और जॉब कहा मिल सकता हैं उसका एड्रेस दिया और तुम्हें वह भेजने को कहा। लेकिन मुझे उसकी बातों पर भरोसा नहीं हुआ। जब मैंने एड्रेस को ध्यान से देखा तो जाना वह मेरी सहेली साक्षी काम करती हैं। तब मैंने उसे फोन किया उसने बताया वह कोई जॉब खाली नहीं हैं तब मैंने उससे रिक्वेस्ट किया बहुत मनाया तब जाकर उसने कहा मैं तुम्हें वह भेज दूं। वो अपने बॉस से बात कर लेगी तब जाकर मैंने तुम्हें वह का पता दिया।

राघव "तुमने भी मेरी सिफारिश की , ये करके तुमने जो किया उसके लिए मैं जो बोलना चहता हूं। उसे सुनाकर तुम नाराज हों जाओगी। इसलिए नहीं बोल रहा हूं। लेकिन ये अनजान शख्स मेरे लिए अबूझ पहेली जैसी बनता जा रहा हैं न जाने उसके मन में किया हैं न जाने क्यो वो मेरी मदद कर रहा हैं। कुछ समझ नहीं पा रहा हूं। पहले जॉब नहीं थी तो न मिलने की टेंशन थी अब मिल गई तो क्यों मिली ये टेंशन बना हुआ हैं।

सृष्टि "जॉब करते समय ध्यान से करना कुछ भी गलत लगे तो जॉब छोड़ देना। जॉब दूसरी मिल जाएगी लेकिन तुम्हें कुछ हों……

राघव "चुप बिल्कुल चुप एक शब्द भी उटपटांग नहीं बोलना कुछ भी हो जाय सृष्टि तुमसे किया वादा निभाया बिना मैं अपनी सांसों को जबरदस्ती रोक कर रखूंगा ये कहकर मैंने अपनी सृष्टि से किया वादा अभी तक नहीं निभाया इसलिए तेरे निकलने का टाइम नहीं हुआ हैं।"

सृष्टि "मुझे बोलने से रोकते हों और खुद बोलते हों ये कैसा इंसाफ हैं। तुम्हारे इंशाफ का तराजू डामाडोल हों रहा हैं। उसे सही वजन देकर बैलेंस करों नहीं तो……

राघव "आगे कुछ बोलने की जरूरत नहीं हैं। मैं समझ गया हूं तुम कहना किया चहते हों।"

सृष्टि "समझ गए हों तो अच्छी बात हैं नहीं तो मैं तुम्हें अच्छे से समझती। अच्छा सुनो अब हमें घर चलना चाहिए देर हों रहीं हैं।"

राघव "देर तो हों रहा हैं लेकिन जाने का मान नहीं कर रहा हैं। मन कर रहा हैं तुम्हारे साथ बैठ कर बातें करता जाऊ करता ही जाऊ यह बातों का सिलसिला कभी खत्म ही न करूं।"

सृष्टि "अच्छा तो जल्दी से शादी कर लो फिर इतनी बाते करूंगी इतनी बाते करूंगी तुम पाक कर पिलपिला हों जाओगे।"☺️

राघव "तुम्हारी बातों से नहीं पकूंगा क्योंकि तुम मुझे बीच बीच में अपने लवों की मिठास जो चखने दोगी। मेरा मान कर रहा हैं अभी तुम्हारे इन लबों का मिठास चख लू 😘

सृष्टि " चुप करों और चुप चाप बिना इधर उधार देखे बाहर जाओ मैं बिल पे करके आती हूं।"

बिल पे करने को लेकर दोनों में नोक झोंक होने लगता हैं लेकिन सृष्टि किसी भीं हाल में माने को तैयार नहीं होती वो तरह तरह के तर्क देती हैं थक हर कर राघव हां कर देता हैं। तब जाकर कहीं कैफे का बिल पे होता हैं फिर जैसे आए थे वैसे ही सृष्टि राघव से चिपक कर बैठ जाती हैं। एक बर फिर से राघव का तन मन झनझना उठता हैं लेकिन खुद को काबू कर सृष्टि के रूम तक पहुंचता हैं। सृष्टि को बाइक से उतर कर राघव सृष्टि को किस 😘 करता हैं जो थोडा लंबा चलता हैं फिर सृष्टि अदंर चाली जाती हैं और राघव वह से बाजार जाता हैं एक और डब्बा मिटाई का लेता हैं और घर को चाल देता हैं।



आज के लिए इतना ही आगे के अपडेट में जानेंगे राघव ने दुबारा मिठाई किस लिए लिया। अपडेट में मजा आए तो अपना सुंदर सुंदर रेवो से अलंकृत करना न भूलिएगा। सांस रहीं तो फिर मुलाकात होगी। सांसों का किया आती जाती हवा का झोंका हैं।

GOOD ONE

Keep it continues
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
443
998
93
Srishti apne mann mein kitna kuch samete huyi hai.. isiko writer sahab ne shabdon mein khoob roopantaran ki hai. Jaise wo kirdaar jivant ho ... kitani badi kamayabi hai ye lekhak ki... ki wo readers ko kahani ke paatr ke sath judne ko majbur kar de ,,,, jab bhi srithi ki bare mein read karu lage ki srithi kitni gahri peeda samete hai. par chehre pe us peeda ya dard ko kabhi aane na di... hamesha ek muskuharat ke sath jeene ki koshish ki.... par jis tarah atit ke panno koi anhoni ghatana ghati uske sath , jo ek kabhi na bhoola na paane wali peeda de gayi hai srishti ko, jo aaj bhi uske dil mein peeda deti hai... bin maa baap ke kaise us peeda aur dard ko shabdon mein bayan karna namumakin hai ,bas mehsoos kar sakti hun. Jaise ek udaas shaam ka ant ho.... dard ki barshat mein bhigi kuch bhooli bichhidi yaadein ho uski.....
Jab bhi wo kisi bache ko maa baap ke sath dekhti hai . ... aur khud anath hone ki baat yaad karti hai ....ise ehsaas kar dil mein gahrayi mein ek tees si utarti jaaye...
ek sabse aham baat ye bhi hai ki me bahot hi dharyashil aur sahanshil hai.
Lekin aaj... aaj wo is kabil hai ki kisi bhi muskil ka saamna kar sakti hai...... aur khushi ki baat ye hai ki raghav ke jariye ek pyari family mil chuki hai ushe....

aapki ye khubsurat manoram lekhni ... Kuch karwi sachhai, to kuch emotions shabdon mein , to kuch khushi aur dukh bhare pal.. , . ...jo hum readers ko kirdaaro aur kahani ke jariye le jaaye wahan...Jahan ho Kirdaaro ke kuch yaadon ka bashera ho ... Jahan kirdaaro bhumika nibhaye har situation ke sath...khaskar kajal, dev, wanga aur Arya .

likhe gaye har shabd hawaon mein bhi ek nasha bikhed de... ki padhte waqt thoda sa ye nasha yun readers pe bhi chaa jaaye ....Haan.. ishi wajah se to har update padhne mein readers ko aaye maza...Aap jis tarah likhte hai har mod aur pehlu ko dhyan mein rakhte huye, readers ko baithe bithaye kirdaaro ke bhaavnao ko gehrayi se mehsoos aur ehsaas karne ke liye majbur kar de .. ... .


Be it a simple routine or a simple incident in the story, but Dr sahab saheb enlivens it with the magic of his pen... He makes it so captivating and entertaining that even ordinary things become really extraordinary. ...

Let's see what happens next..
Well brilliant update with awesome writing skills... :applause: :applause:
कहा से शुरू करूं और कह से अंत ये मेरे लिए एक असमंजस की स्थिति पैदा कर दिया अपका यह शानदार रेवो काउंटर रिप्लाई में क्या कहूं समझ ही नहीं आ रहा हैं फिर भी थोडा सा ही सही लिखना तो हैं।

सृष्टि एक अनाथ लड़की हैं उसके मन में हमेशा एक चाहत रहती थीं की उसका एक भरा पूरा परिवार हों दुख दर्द में उसके साथ खड़ा हों लेकिन सृष्टि सच्चाई से वाफिक थी उसका जीवन बे रंग हैं एक कटी टहनी वाले पेड़ समान हैं। अंधी आए या तूफान आए उसे अकेले ही लड़ना हैं। इसलिए सृष्टि दुःख दर्द को दबाकर मुस्कुरकर जीना ही बेहतर समझी।
dard ki barshat mein bhigi kuch bhooli bichhidi yaadein ho uski.....
दर्द गहरा हो तो भूली बिसरी यादें ताजा हों ही जाती हैं। सृष्टि का दर्द भी उतना ही गहरा हैं। तो यादें ताजी होना ही था। अच्छी ख़बर ये थी उस वक्त राघव जैसा एक साथी उसके पास था जो उसके दर्द को अपना दर्द समझता है।
shabd hawaon mein bhi ek nasha bikhed de
शब्द कितना नशा बिखेर सकता हैं। ये एक पाठक ही बता सकता है और आप जैसा पाठक साथ हों तो ऐसा शब्द लिखने मे हर्ज ही किया हैं।
ordinary things become really extraordinary. ...
मैं एक सामान्य सा पाठक हूं और सामान्य सोच का बंदा हूं हा कभी कभी दिमाग चल जाता हैं इसलिए आर्डिनरी और extraordinary शब्द मेरे लिए कहना ठीक नहीं होगा।
Well brilliant update with awesome writing skills... :applause: :applause:

बहुत बहुत शुक्रिया Naina Ji जो अपने इतना अच्छा मनभावन रेवो देकर कहानी के इस अपडेट की प्रशंसा किया।
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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998
93
Srishti apne mann mein kitna kuch samete huyi hai.. isiko writer sahab ne shabdon mein khoob roopantaran ki hai. Jaise wo kirdaar jivant ho ... kitani badi kamayabi hai ye lekhak ki... ki wo readers ko kahani ke paatr ke sath judne ko majbur kar de ,,,, jab bhi srithi ki bare mein read karu lage ki srithi kitni gahri peeda samete hai. par chehre pe us peeda ya dard ko kabhi aane na di... hamesha ek muskuharat ke sath jeene ki koshish ki.... par jis tarah atit ke panno koi anhoni ghatana ghati uske sath , jo ek kabhi na bhoola na paane wali peeda de gayi hai srishti ko, jo aaj bhi uske dil mein peeda deti hai... bin maa baap ke kaise us peeda aur dard ko shabdon mein bayan karna namumakin hai ,bas mehsoos kar sakti hun. Jaise ek udaas shaam ka ant ho.... dard ki barshat mein bhigi kuch bhooli bichhidi yaadein ho uski.....
Jab bhi wo kisi bache ko maa baap ke sath dekhti hai . ... aur khud anath hone ki baat yaad karti hai ....ise ehsaas kar dil mein gahrayi mein ek tees si utarti jaaye...
ek sabse aham baat ye bhi hai ki me bahot hi dharyashil aur sahanshil hai.
Lekin aaj... aaj wo is kabil hai ki kisi bhi muskil ka saamna kar sakti hai...... aur khushi ki baat ye hai ki raghav ke jariye ek pyari family mil chuki hai ushe....

aapki ye khubsurat manoram lekhni ... Kuch karwi sachhai, to kuch emotions shabdon mein , to kuch khushi aur dukh bhare pal.. , . ...jo hum readers ko kirdaaro aur kahani ke jariye le jaaye wahan...Jahan ho Kirdaaro ke kuch yaadon ka bashera ho ... Jahan kirdaaro bhumika nibhaye har situation ke sath...khaskar kajal, dev, wanga aur Arya .

likhe gaye har shabd hawaon mein bhi ek nasha bikhed de... ki padhte waqt thoda sa ye nasha yun readers pe bhi chaa jaaye ....Haan.. ishi wajah se to har update padhne mein readers ko aaye maza...Aap jis tarah likhte hai har mod aur pehlu ko dhyan mein rakhte huye, readers ko baithe bithaye kirdaaro ke bhaavnao ko gehrayi se mehsoos aur ehsaas karne ke liye majbur kar de .. ... .


Be it a simple routine or a simple incident in the story, but Dr sahab saheb enlivens it with the magic of his pen... He makes it so captivating and entertaining that even ordinary things become really extraordinary. ...

Let's see what happens next..
Well brilliant update with awesome writing skills... :applause: :applause:
कहा से शुरू करूं और कह से अंत ये मेरे लिए एक असमंजस की स्थिति पैदा कर दिया अपका यह शानदार रेवो काउंटर रिप्लाई में क्या कहूं समझ ही नहीं आ रहा हैं फिर भी थोडा सा ही सही लिखना तो हैं।

सृष्टि एक अनाथ लड़की हैं उसके मन में हमेशा एक चाहत रहती थीं की उसका एक भरा पूरा परिवार हों दुख दर्द में उसके साथ खड़ा हों लेकिन सृष्टि सच्चाई से वाफिक थी उसका जीवन बे रंग हैं एक कटी टहनी वाले पेड़ समान हैं। अंधी आए या तूफान आए उसे अकेले ही लड़ना हैं। इसलिए सृष्टि दुःख दर्द को दबाकर मुस्कुरकर जीना ही बेहतर समझी।
dard ki barshat mein bhigi kuch bhooli bichhidi yaadein ho uski.....
दर्द गहरा हो तो भूली बिसरी यादें ताजा हों ही जाती हैं। सृष्टि का दर्द भी उतना ही गहरा हैं। तो यादें ताजी होना ही था। अच्छी ख़बर ये थी उस वक्त राघव जैसा एक साथी उसके पास था जो उसके दर्द को अपना दर्द समझता है।
shabd hawaon mein bhi ek nasha bikhed de
शब्द कितना नशा बिखेर सकता हैं। ये एक पाठक ही बता सकता है और आप जैसा पाठक साथ हों तो ऐसा शब्द लिखने मे हर्ज ही किया हैं।
ordinary things become really extraordinary. ...
मैं एक सामान्य सा पाठक हूं और सामान्य सोच का बंदा हूं हा कभी कभी दिमाग चल जाता हैं इसलिए आर्डिनरी और extraordinary शब्द मेरे लिए कहना ठीक नहीं होगा।
Well brilliant update with awesome writing skills... :applause: :applause:

बहुत बहुत शुक्रिया Naina Ji जो अपने इतना अच्छा मनभावन रेवो देकर कहानी के इस अपडेट की प्रशंसा किया।
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
443
998
93
Superrbbb Updatee

Raghav ki baat toh sahi hai woh anjaan shaks kyo bina wajah uski madad kar raha hai. Kahi iske pichhe uski koi saazish toh nhi.

Aur cafe mein woh maskman aur woh anjaan shaks shayad dono ek hi insaan hai.

Dekhte hai aage kya hota hai.

दोनों शख्स एक ही हैं या नहीं यहां मेरे लिए भी समझ से परे हैं।

बहुत बहुत शुक्रिया महोदय साथ बने रहिएगा।
 
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