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Incest अनोखे संबंध ।।। (Completed)

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  • Maa beta

    Votes: 248 81.0%
  • Baap beti

    Votes: 73 23.9%
  • Aunty bhatija

    Votes: 59 19.3%
  • Uncle bhatiji

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  • Total voters
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DB Singh

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अब मैं क्या कहूं इस एक शब्द ने बहुत कुछ कह दिया। आपको जैसा ठीक लगे वो करिये । बाकी इतना ही कहूंगा अपडेट रेगुलर आते रहे तभी तो कोई रिसपोन्स दे। वैसे आप भी अच्छे से जानते होगे की लोगो के कमेंट आते हैं। अपडेट प्लिज, वैटिंग फोर अपडेट। धन्यवाद
कहानी मस्त होती जा रही है। शादी से पहले ही रघु और पार्वती की डील पक्की हो गई है। पार्वती रघु से केवल शादी इसलिए करना चाहती है क्योंकि वो रघु के बच्चे की माँ बन सके ऐसा क्या राज की बात है जो पार्वती छुपा रही है। राधा और रेखा भी आपस में खुल रही है। पार्वती के सुझाव से। देखते हैं रघु और पार्वती का मिलन कैसे होता है क्या राधा रेखा और देवा ऐसा होने देंगे। और इधर दोनों मां बेटी कैसे एक साथ सुहागरात मनाते है देखना रोचक होगा। इंतजार अगले अपडेट का बेसब्री से रहेगा।
 
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Man prasann ho gaya. Update na do tabhi comment aate hain. Yehi dekhna tha. Update dene ke 5 days tak koi comment nehi aaya tha. By the way it will be updated tomorrow.
And one thing,,
I really said I will complete this story first, it will no longer be waited. And then I will post "purwa pawan" story update.
I hope you guys consider me. Thank you all.
 

Mass

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Man prasann ho gaya. Update na do tabhi comment aate hain. Yehi dekhna tha. Update dene ke 5 days tak koi comment nehi aaya tha. By the way it will be updated tomorrow.
And one thing,,
I really said I will complete this story first, it will no longer be waited. And then I will post "purwa pawan" story update.
I hope you guys consider me. Thank you all.
Waiting for tomorrow's update :)
 
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Update 50

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गावँ का माहोल

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सरपंज की बीबी कामलता पैंतालीस साल की मोटे शरीर की महिला थी। दो साल पहले सरपंज के अकाल मृत्यु से कामलता अब बिधवा का जीवन निभा रही है। कामलता की तीन सन्तान हैं। बडा बेटा किशन, छोटा बेटा लखन और एक मात्र लड्की सुखीलता।


किशन ने पिछ्ले महीने किसी को कुछ बताये बगैर चुपचूपाकर कामलता की छोटी देवरानी और उसकी बड़ी बेटी से बियाह रचा लिया है। वहीं उसका छोटा बेटा अभी तक क्ंवारा है और अपने बाप सरपंज जी की खेती बाडी देखता है।


सुबह का समय था, कामलता सुबह की पूजा अर्चना करके घर के अन्दर जा रही थी। बड़े से घर के दरवाजे पर गावँ की कल्लो को बैठा देखकर कामलता थोडी नाराज होती है।


"क्या री कल्लो! अब तुझे समय मिला, दो दिन से कहाँ मरके बैठी थी? पता भी है मेरा क्या हाल हो रहा है!" कामलता पूजा की थाली एक तरफ रख देती है।


"क्या बताऊँ बड़ी मालकिन! वह घर के काम में थोडी ब्यस्त थी। आप को तो पता है। मैं ने छोटी मालकिन से कह दिया था, मैं दो दिन आ नहीं सकती। आप को उन्होने बताया तो होगा?" कल्लो अपनी सफाई देती है।


"कौन? उस छिनाल की बात कर रही है! र्ंडी को मुझ से बात करने का मौका मिले तब बताये! हर वक्त कमरे में घुसी रहती है। क्या पता इन औरतों को क्या हो जाता है। पता है नई शादी है, पति का प्यार थोड़ा ज्यादा हो जाता है, लेकिन यह छिनाल हर वक्त लौड़ा लेकर पड़ी रहती है। जब भी उसके कमरे के पास से गुजरती हुँ, चुदवाती ही रहती है। चूत खोर की प्यास बुझती ही नहीं है। और मैं इस चक्कर में फंस गई। घर का सारा काम मुझे करना पड रहा है।" कामलता की नाराजगी साफ जाहिर हो रही थी।


"अरे मालकिन, बस दो दिन की बात है, आप सम्भाल लो, मेरे आने के बाद आप आराम कर लेना!" क्ल्लू बताती है।


"तो क्या तू आज काम करने नहीं आई? दो दिन बाद आयेगी?" कामलता जानना चाहती थी।


"हाँ मालकिन, वह दर असल राधा की शादी है। मुझे दो दिन उसके पास रहना पडेगा। मैं सपना को भेज देती, लेकिन उसे भी शादी में रहना होगा। शादी के घर में पता तो है आप को, कितना सारा काम होता है।" कल्लो अपनी मजबूरी बताती है। साथ में राधा के विवाह के बारे में सूचना भी।


"राधा शादी कर रही है! किसके साथ! उसका पति राकेश! उसका क्या हुआ!" कामलता बहुत जल्द उत्सुक दिखने लगी।


"राकेश तो चला गया। आप को तो सब पता है, गावँ में क्या चल रहा है। जवान लौंडों के लौड़े में खून आते ही सबसे पहले उनकी नजर अपनी माँ के उपर जाती है। आपके बड़े बेटे किशन को ही देख लो, किस तरह अपनी ही काकी और बहन से बियाह कर लिया है। राधा अपने लडके से बियाह कर रही है। पागल लड़का बडा बेचैन है। राधा बेचारी मजबूर है। करे तो क्या करे!" कल्लो थोडी बहुत बताती है। लेकिन राधा के बारे में वह ज्यादा बोल नहीं सकती।


"यह लडके भी ना! क्या मालुम अपनी माँ के अन्दर क्या रखा है! मेरा छोटा लड़का भी कुछ दिनों से उतावला नजर आ रहा है। सोच रही हूँ उसकी शादी करवा दूँ।"


"हाँ मालकिन, लखन बेटा अब बडा हो गया है। आप कोई अच्छी लड्की देखकर उसका बियाह करवा दो। किशन बेटे ने तो अपनी मर्जी से कर ली है। अब यह शादी आप अपनी मर्जी से करवाना।"


"हम्म, सही कहा तूने कल्लो! वैसे राधा की बिटिया क्या नाम है उसका! उसकी शादी अभी बाकी है ना! उसी के साथ करवा देती हूँ।"


"मालकिन! रेखा नाम है उसका। आप कुछ दिन पहले बताती तो हो सकता था, पर आज उसकी शादी है।"


"क्या बात करती है? अभी तूने कहा उसकी माँ राधा की शादी है, क्या माँ और बेटी की शादी एक साथ हो रही है?"


"हाँ मालकिन, एक साथ, और एक जने के साथ। रघु। रघु के साथ ही दोनों माँ बेटी का विवाह होने जा रहा है। जैसे किशन ने किया है।" कल्लो मुस्कुराती हुई बोली।


"हे भगवान! इस राधा को क्या हो गया! इन्हें शर्म लाज कुछ है भी या नहीं? एसा भी भला कोई सोच सकता है! दोनों माँ बेटी सौतन बनकर रहेगी क्या?"


"हाँ मालकिन, दोनों में बहुत मेल है। राधा उसकी माँ होकर भी एक सहेली की तरह उसके साथ रहती है। आप तो जानती हैं राधा अब भी कितनी जवान दिखती है।"


"अब समझी मैं क्यों तू दो दिन तक ब्यस्त रहेगी। चल कोई बात नहीं। मैं दो दिन तक सम्भाल लूंगी।" बड़ी मालकिन कामलता से बात करके कल्लो अपने घर की और चल पड़ी। सरपंज के घर में कामकाज करके कल्लो का गुजारा चलता है। उनकी नजर बचाकर कल्लो कहाँ भाग सकती थी।
 

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Update 51

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लक्ष्मी की पहचान, पार्वती का अरमान

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"अम्मा जल्दी करो, काफी समय हो चला है।" लक्ष्मी अपनी माँ पार्वती को जल्दी तैयार होने बोलके चिल्लाती है।

"रुक ना थोडी देर, बस अभी हो गया! तू मुन्ने को गोद में ले। मेरा बस होने वाला है।" पार्वती अपनी बनाओ सिंगार में लगी हुई थी।

"माँ! शादी तुम्हारी नहीं होने वाली, तुम्हारे दोस्त की हो रही है, जो इतनी सिंगार कर रही हो। अब चलो जल्दी।"

लक्ष्मी की चुटकी पे पार्वती उसे काजल भरी आंखों से ताडने लगती है।

कुछ ही देर में दोनों माँ बेटी राधा रघु रेखा के विवाह के लिए निकल पड़ती है। देवा पहले ही जा चुका है। उसे रीति रिवाजों को संपन्न करना है। अभी शायद वह उसी में लगा हुआ होगा।


"अम्मा! यह रघू भईया कितने ठरकी है। एक साथ अपनी माँ और बहन दोनों से शादी कर रहा है। फेरे में कौन आगे होगा कौन पीछे रहेगा!" लक्ष्मी अपनी गोद में अपने छोटे भाई को लेकर चल रही थी। वहीं पार्वती बड़ी सज धज के आई हुई थी।


"जो मर्द होता है वह हमेशा आगे रहता है। औरत हमेशा पीछे रहती है। हमारे समाज में औरत हमेशा मर्दों के पीछे और मर्दों के नीचे ही रहती आई हुई है। यह बात गांठ बान्ध ले। बाद में चलकर तुझे भी नीचे रहना है।" पार्वती और लक्ष्मी बातों ही बातों में रास्ता तय करने लगती हैं।


"इतना तो खैर मुझे पता है अम्मा! लेकिन आप इन्कार नहीं कर सकती, औरत नीचे रहती है तभी मर्दों को काबू रख पाती है। और यह तो प्रकृति का नियम है माँ, एक नीचे रहेगा तो एक उपर जरुर आ जाएगा। मर्द नीचे रहे यह मर्दों को शोभा नहीं देता। लेकिन औरत नीचे रहकर भी खुश रहती है।" लक्ष्मी ने किसी नए बिद्यार्थी की तरह अपनी माँ को जवाब दिया। पार्वती ने एक पल अपनी बेटी को देखा।


"बड़ी समझदार हो गई है तू। मुझे पता ही नहीं चला मेरी लक्ष्मी इतनी बड़ी हो गई। काश किसी अच्छे लडके के साथ तेरा विवाह करवा सकती मैं।"


"माँ! भाग्य में जो लिखा है वह अपने समय अनुसार निश्चित होगा। मैं जानती हूँ आप और बाबूजी मेरे विवाह को लेकर चिंतित हैं। लेकिन हर चीज का एक समय होता है। शायद जिस के लिए मैं बनी हुँ, उसके भाग्य में मुझ से मिलना अभी नहीं है?"


"हाँ लक्ष्मी तू सही कहती है। लेकिन माँ होने के नाते चिंता तो होती है ना! जब तू माँ बनेगी, तब तुझे भी यह फिक्र सताने लगेगी। पर तू मेरी बेटी है इस लिए नहीं, एक औरत और समझदार होने के नाते मैं तुझे जितना समझती हूँ, और जानती हूँ, कोई किस्मत वाला होगा, जिसके साथ तेरी शादी होगी। उसके घर में उसके जीवन में तू एसी खुशियाँ लेकर आयेगी जो किसी लड्की के बस में नहीं है।" पार्वती बड़े गर्व से कहती है।


"अच्छा एसा है क्या! मैं इतनी खास हुँ?" लक्ष्मी अपनी माँ की बात को मजाक में लेती है।


"तुझे मेरी बात महसूस नहीं होगी। तू जिसके घर में बीबी बहू बनकर जायेगी, उसे ही मालूम होगा।"


"पर अम्मा, मेरा तो एक ही सपना है।"


"सपना! कैसा सपना?"


"हंसोगी तो नहीं?"


"नहीं रे, बता तो सही!"


"मेरा सपना है, मैं तुम से ज्यादा बच्चों की माँ बनूँगी।" नटखट लक्ष्मी इठलाती हुई बोली। पार्वती इस बात पे हँस पड़ी।


"तू भी ना! क्या क्या सोचती है! और वैसे भी क्या तू कर पायेगी! मेरा दूसरा जीवन अभी तक शुरु नहीं हुआ। जब मैं तेरे भाई की बीबी बनूँगी, उसके बाद फिर से मुझे शुरु से बच्चे पैदा करने होंगे। पति होने के नाते उसके लिए भी मेरा कर्तब्य है। अब बता, कर पायेगी तू! अभी तुम सात भाई बहन हो, देवा की पत्नी बनने के बाद मुझे शायद फिर से पांच छ बच्चों को जनम देना पडे। मेरी बराबरी कर पायेगी तू?"

पार्वती मानो लक्ष्मी को चिडा रही थी। लेकिन एक माँ होने के नाते पार्वती को मालूम है उसकी बेटी आगे क्या कर सकती है!


"अम्मा, भूलो मत, मैं तुम्हारी बेटी हूँ। तुम्हारे पेट से जनम लिया है मैं ने। चाहे मुझे बुढापे तक पेट में बच्चा लेना पडे, पर मैं जब बुड्डी हुँगी, तब लोगों को पता होना चाहिए, सबसे ज्यादा बच्चे लक्ष्मी ने जनम दिए हैं। मैं एसा जरुर करूँगी।"


"फिर तो तुझे मेरी तरह दोहरी शादी करनी पड़ेगी।"


"मैं एसा नहीं कर सकती!मेरे बच्चों का बाप तो एक ही होगा अम्मा।"


"फिर तो भूल ही जा! मेरी उम्र तक आकर अगर तूने दोहरी शादी नहीं की, फिर तेरे पेट में बच्चा ठहरना मुश्किल हो जाएगा। ताजा माल गिरेगा तभी बच्चा ठहरता है। समझी! बड़ी आई मेरी बराबरी करेगी?"


"छोड़ो अभी यह सब, वह तो बाद में देखा जाएगा। मेरे भाग्य में एक पति का सुख लिखा है या कई पतियों का!"


" तू सही कहती है, भाग्य के हाथों मनुष्य मजबूर है। अगर मेरे बस में होता तो मैं ने काफी पहले सोचा था, मैं तेरा बियाह रघू के साथ करवाऊँगी। लेकिन आज देख रघू की शादी किसी और के साथ हो रही है।"


"रघू के साथ! लेकिन क्यों अम्मा! रघू तुम्हें बहुत पसंद है?"


"हाँ रे, रघू बडा अच्छा बच्चा है। मुझे बचपन से यह लड़का बडा प्यारा लगता था। मैं ने गावँ में किसी और बच्चे को रघू के जैसा प्यार नहीं दिया। और यह तो सोच, रघू का परिवार इस गावँ में सबसे अमीर परिवार है। सरपंज के परिवार वाले भी इनसे कर्जा लेते रहते हैं। शहर में एक कम्पनी तक खोल डाली है। और गावँ में रघू के नाना के पास सबसे ज्यादा जमीनें थी। और आज रघू इस गावँ का सबसे धनवान आदमी है। जरा सोच, अगर उसके साथ तेरा विवाह होता, तू कितनी अमीर औरत होती।"


"माँ तुम भी, क्या से क्या सोचती हो। अब चलो आ गए हम। और हाँ, जो बात मुझे बताई, किसी और को मत बताना। नहीं तो मुझ पर सब लोग तरस खाने लग जायेंगे।" लक्ष्मी सच्चाई में काफी बड़ी समझदार हो गई थी।

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सखी, लाज रखना

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राधा का घर फूलों से सजाया गया है। घर के बीच खुली जगह में देवा ने एक विवाह मंडप तैयार कर लिया है। उसकी माँ पार्वती और उसकी बहन लक्ष्मी आ चुकी है। दोनों राधा और रेखा के पास चली गई। एक कमरे में राधा की सहेलीयाँ कोमल, कल्लो, कल्लो की बेटी सपना, रेखा की दोस्त शीतल उन्हें शादी के जोड़े में सजा रही थीं। सपना और शीतल रेखा को सजाने लगी थी वहीं कल्लो और कोमल राधा का सिंगार करने में लगी थी। बहुत ही खुशियाँ का माहोल था। सब के चेहरे पर खुशियाँ और आनन्द छलक रहे थे।


दूसरे कमरे में रघू अपने दोस्तों के साथ बैठा था। उसने केवल धोती और एक बनियान पहन रखा है। इसी बीच मुनिबजी कमरे में आ गये, कहने लगे,


"मालिक! कारखाने के मजदूरों ने आपको शादी की बधाईयाँ दी हैं। मैं भी आपको शादी की बधाई देता हूँ।" मुनिबजी गावँ के रहने वाले एक पढ़े लिखे आदमी थे। रिश्ते में वह सरपंच के छोटे भाई हैं। और हाल ही में उनकी पत्नी और बड़ी भतीजी से उनके भतीजे किशन ने बियाह कर लिया है।


"आप का बहुत बहुत धन्यवाद काका! मेरे इस खुशी वाले दिन में लोगों का प्यार ही मेरे लिए आशीर्वाद है। आप खाना खाकर जाईयेगा!"


"आपका धन्यवाद मालिक! मुझे बस यही कहने आना था। अब मैं चलता हूँ। किसी चीज की जरुरत हो तो आप मुझे खबर करे!" मुनिबजी चले गए। देवा और रामू रघू के पास बैठा हुआ था। मुनिबजी के जाने के बाद रामू ने कहा,


"वैसे काका बड़े अच्छे भले आदमी हैं। नहीं तो भतीजे ने बिना बताये उनकी पत्नी और बेटी से बियाह कर लिया, गुस्सा नहीं हुए! ऊपर से अपने भतीजे को आशीर्वाद दिया।"


"एसा कुछ नहीं है। किशन और उसकी काकी का काफी पहले से चक्कर चल रहा था। मुनिबजी ज्यादतर शहर रहते थे, अपनी पत्नी के पास कम रहने लगे थे। इसी दौरान किशन और उसकी काकी के बीच प्यार शुरु हुआ। फिर धीरे धीरे पूरे घर को पता चल गया। यहां तक तो सब ठीक था। लेकिन बाद में पता चला, मुनिबजी की पत्नी किशन से गर्भवती हो गई है। अपने बच्चे को बाप का नाम देने के लिए किशन से शादी की।" देवा ने विस्तार से बताया।


"अभी छोड़ो यह सब, उधर कहाँ तक हुआ! सब तैयार हुए की नहीं!" रघू थोड़ा बेसब्र होकर कहने लगा।


"कोई जल्दी नहीं है। अभी और समय बाकी है।" देवा ने उसे तसल्ली दी।

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इधर औरतों के कमरे में रेखा और राधा का सजना संवरना जब पूरा हो गया, कोमल उन्हें कपड़े पहनने को बोलती है। लह्ँगा चोली का पैकेट खोला गया। कोमल कपड़े का जोडा देखकर कुछ हयरान होती है।


"राधा इस जोड़े में तो ब्लाऊज का जोडा नहीं है। सिर्फ लह्ँगा और ओढनी है।" कपड़े का जोडा कोमल उसके सामने रख देती है। राधा देखकर बोलती है,

"रेखा के जोड़े में हो सकती है!" कोमल ने जब रेखा का जोडा देखा तब उसमें भी सिर्फ लह्ँगा और लह्ँगा के रंग की ओढनी थी।

"रघू लाया नहीं क्या! इसी में होना चाहिए था।"

"एकबार उससे जा के पूछ ले, लाया होगा!" कल्लो कहती है। कोमल शीतल को भेज देती है रघू के पास।

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"कोई जल्दी नहीं है, अभी और समय बाकी है," देवा के कहने के बीच शीतल कमरे में आ गई।


"जल्दी है, देवा जी, वह दुल्हनों का जोडा नहीं मिल रहा है। सिर्फ लह्ँगा और ओढनी है चोली का सेट मिल नहीं रहा। रघू भईया कहाँ रखा है तुम ने! और तुम अभी तक तैयार क्यों हुए?" शीतल ने कहा।


"चोली का जोडा नहीं है शीतल!" रघू ने जवाब दिया। वह खुद अभी तक धोती और बनियान पहने बैठा हुआ है।


"क्या मतलब मैं समझी नहीं!" शीतल को यकीन नहीं आया।


"देवा तू ही बता दे!" रघू ने देवा को कुछ कहने को बोला। शीतल कमरे में मौजूद सबकी तरफ देखने लगी।


"शीतल बहना, असल में बात यह है, एक मंडप में दो औरतों के साथ शादी में ऊपर का वस्त्र नहीं पहना जाता। रघू ने अभी जो कपडा पहन रखा है, इसी वस्त्र में वह विवाह का कार्य निभाएगा। और दुल्हनें केवल लह्ँगा पहनकर मंडप में शादी करेंगी। परंतु मान सम्मान और लज्जा निवारण के लिए वह शरीर के ऊपरी हिस्से में ओढनी डाल सकती है।" देवा ने अपने अनुसार शीतल को बात बताई।


"देखो, देवा जी, तुम्हारी यह शुद्ध भाषा मेरी समझ के बाहर है। क्या कहना चाहते हो साफ साफ कहो।" शीतल को कुछ कुछ समझ में आ रहा था। लेकिन उसे विश्वास नहीं हुआ। एसा भी कुछ हो सकता है।


"अरे शीतल, देवा का मतलब है, मौसी और रेखा को बिना चोली ब्लाऊज पहने ही मंडप में शादी करनी होगी। हाँ चोली की जगह वह ओढनी डाल सकती है। कुछ समझी!" पास में बैठा रामू अपनी बहन को बताने लगा।


"हे भगवान! देवा जी, यह क्या कह रहे हैं आप! मौसी और रेखा एसे कैसे बैठ सकती हैं! रघू भईया कुछ तो सोचो!"


"शीतल बहना, यही नियम है। मैं ने कुछ दिन पहले सरपंज के बड़े बेटे किशन का विवाह करवाया है, और इसी तरह से करवाया है। वहां की बात अगर तुम सुनोगी और ज्यादा हयरान होने लगोगी। जिन दो औरतों से किशन ने विवाह किया है वह दोनों उपर से बिलकुल नंग अवस्था में थी। रघू की शादी में भी एसा होना था, लेकिन और लोगों के कारन मैं ने रघू से ओढनी लाने को कहा था।" देवा अपनी जिम्मेदारी के चलते गम्भीर था। लेकिन रामू और रघू इस माहोल से अपनी बदमाशी भरी नजरों से शीतल को ताड़ रहे थे। रघू ने इसी बात फायदा उठाया।


"और शीतल! तेरी तबीयत ठीक तो है ना! रामू बता रहा था, तू माँ बनने वाली है?"


"हाँ बनने वाली हुँ! और अभी मेरे पेट में बच्चा पल रहा है। और कुछ कहना है! खुद की सोचो, अभी तुम्हारी शादी होनी है। हफ्ता ना गुजरे, तुम भी बच्चे के बाप बन जाओगे! मैं चलती हूँ।" शीतल अपनी मदमस्त जवानी की लहर दौडाकर कमरे से चली गई।

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"रघू को सब पता था! मैं ने कितना मना किया! एक नहीं सुना। अब क्या होगा!" राधा अपने चेहरे पर बेबसी का भाव लाती हुई बोली।


"राधा, फिक्र मत कर, शादी में हमारे अलावा भला और कौन होगा? और वैसे भी दो औरतों की शादी में यह अनिवार्य होता है। आम तौर पर एक दूल्हा दो दुल्हन और पंडित के अलावा कोई रहता नहीं। अगर तू चाहेगी तो हम मंडप में उपस्थित नहीं रहेंगे! क्यों कोमल! सही कहा ना मैं ने?" पार्वती ने राधा को समझाते हुए कहा।


"हाँ राधा, हम तेरी खुशी चाहते हैं। अगर तुझे हमारे सामने शर्म आयेगी तो हम मौजूद नहीं रहेंगे।" कोमल ने अपनी बात रखी।


"नहीं मौसी! हम आप लोगों को छोड़कर यह शादी नहीं कर सकते! चाहे हमें कुछ भी करना पडे!"

बीच में रेखा बोलने लगी। इस बात को सुलझने में समय नहीं लगा। राधा और रेखा अब हालात के आगे मजबूर थी। उन्हें भरोसा था लह्ँगा ही सही, चोली के बदले ओढनी से अपने आप को ढक लेंगी। पर कुछ ही देर बाद राधा की यह सहेलीयाँ फिर से हँसने लगी थी। क्यौंकि रघू के लाये हुए कपड़े में दुल्हनों के पहनने के लिए ना तो ब्रा थी और ही कच्छी पैंटी।

सपना बोलने लगी,


"मौसी मुझे लगता, रघू कहिँ तुम दोनों से शादी के फौरन बाद ही सुहागरात ना मना ले। तुम दोनों को किसी लायक ना छोड़ा रघू ने! एकदम खानदानी र्ंडी छिनाल के माफिक तुम से बियाह रचा रहा है रघू।"

सपना की इस बात से सब ठहाका मारके हंसी मजाक करने लगी। राधा और रेखा बड़ी शर्म मह्सूस करने लगी। लेकिन शादी के माहोल में एसा चलता है। इस लिए दोनों ना चाहते हुए भी खामोश रही। दोनों अपने मन ही मन में बडबडाने लगती हैं, सखी लाज रख लेना।

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Are. Bhai itni acchi story h please band mat karna updated dedo bhai please


कहानी मस्त होती जा रही है। शादी से पहले ही रघु और पार्वती की डील पक्की हो गई है। पार्वती रघु से केवल शादी इसलिए करना चाहती है क्योंकि वो रघु के बच्चे की माँ बन सके ऐसा क्या राज की बात है जो पार्वती छुपा रही है। राधा और रेखा भी आपस में खुल रही है। पार्वती के सुझाव से। देखते हैं रघु और पार्वती का मिलन कैसे होता है क्या राधा रेखा और देवा ऐसा होने देंगे। और इधर दोनों मां बेटी कैसे एक साथ सुहागरात मनाते है देखना रोचक होगा। इंतजार अगले अपडेट का बेसब्री से रहेगा।

Waiting for tomorrow's update :)
update posted.
 
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