Update 25
(सज़ायाफ्ता कैदियों के तौर पर जेल में प्रवेश)
अदालत से निकलने के लगभग एक घंटे बाद ही उनकी गाड़ी जेल के मेन गेट के सामने पहुँच चुकी थी। जेल पहुँचते ही उन सातो को एक-एक कर गाड़ी से नीचे उतारा गया और एक कतार में मेन गेट से अंदर ले जाया गया। सभी के हाथों में हथकड़ी लगी हुई थी और अंदर जाते हुए उनकी धड़कने तेजी से चलने लगी। वे लोग लगातार पीछे मुड़कर गेट से बाहर देखने की कोशिश करती रही लेकिन गेट के बंद होते ही वे लोग पूरी तरह से जेल प्रशासन के अधीन हो गई।
अंदर जाने पर सबसे पहले उन्हें जाँच कक्ष में ले जाया गया। उस वक़्त वहाँ पर इन सातो के अलावा कोई अन्य कैदी मौजूद नही थी। जाँच कक्ष में मौजूद महिला पुलिसकर्मी जेलर के आने का इंतजार कर रही थी और तब तक उन्होंने उन सातो को नीचे जमीन पर ही बिठाकर रखा। कुछ देर बाद जेलर के आते ही सातो की जाँच प्रक्रिया शुरू की गई।
‘कपड़े उतरवाओ इनके…” - जेलर ने कमरे में आते ही कहा।
जेलर के कहते ही वहाँ मौजूद एक काँस्टेबल उन सातो को आदेश देते हुए बोली - ‘ऐ चलो उठो और इधर खड़े हो जाओ।’
वे सातो अपनी जगह से उठी और सामने दीवार के पास जाकर खड़ी हो गई। उनके इर्द-गिर्द कुछेक महिला काँस्टेबल्स मौजूद थी लेकिन उस कक्ष में उस वक़्त जेलर सहित दस से अधिक महिला पुलिसकर्मी कार्यरत थी।
“चलो महारानियो। कपड़े उतारो अपने।” - काँस्टेबल ने कहा।
वे लोग मजबूर थी। काँस्टेबल के कहने पर उन्हें अपने कपड़े उतारने पड़े। वे लोग एक-दूसरे के बगल में आगे की ओर मुँह करके खड़ी थी। सामने जेलर कुर्सी लगाकर बैठी हुई थी और उन्हें देखे जा रही थी। वे लोग भले ही तीन महीनों से जेल में बंद थी और उन्हें जेल के माहौल की आदत होने लगी थी लेकिन जेल स्टॉफ और सीनियर कैदियों का डर अब भी उनके मन मे कायम था। जेलर का चेहरा उनके लिए खौफ का पर्याय था और उसको देखते ही उन सातो की घबराहट बढ़ने लगती थी।
उन्होंने एक साथ अपने कपड़े उतारने शुरू किए। दया और माधवी ने अपनी साड़ी, ब्लाउज, पेटीकोट, ब्रा व पेंटी उतार दी और पूरी तरह से नग्न हो गई। सोनू माधवी के बगल में ही थी और अपनी माँ के साथ ही उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए। उसने अपना जीन्स, टॉप तथा ब्रा व पैंटी उतार दी और माधवी के साथ पूर्ण नग्न अवस्था मे हाथ नीचे कर खड़ी हो गई।
सोनू के बगल में रोशन खड़ी थी और उसके बगल में क्रमशः कोमल, बबिता व अंजली थी। उन चारों ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और अब वे सातो पूरी तरह से नंगी हो गई। क्या कमाल का दृश्य था वह। सातो नग्न अवस्था मे सर झुकाये खड़ी थी और जेलर उन्हें टकटकी लगाए निहारे जा रही थी। उनके सीने से लटक रहे बड़े-बड़े स्तन उनकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे। उनका गोरा व आकर्षक बदन और उनकी चिकनी गुलाबी चूत किसी को भी उत्तेजित करने के लिए काफी थी।
उनके पास खड़ी काँस्टेबल्स ने उनके कपड़े उतारते ही उनकी जाँच शुरू कर दी। नियमित जाँच प्रक्रिया के अनुसार उनके बालो से लेकर उनके नाक, कान, मुँह, गले, हाथ, पैर, कूल्हे, वजाइना और स्तनों की भी जाँच की गई और फिर जाँच प्रक्रिया के पूर्ण होते ही उन्हें जेल के कपड़े दिए गए।
वे लोग अब अंडरट्रायल कैदी नही थी। सातो अब सज़ायाफ्ता कैदी बन चुकी थी। अब तक उन्हें अपने घर के कपड़े पहनने की इजाजत थी लेकिन सज़ायाफ्ता होने के बाद वे लोग अब सिर्फ जेल की पोशाक ही पहन सकती थी। वे सातो जिन कपड़ो में थी, उन्हें जमा कर लिया गया और उन्हें कैदियों वाली पोशाक दी गई। जेल की इस कैदियों वाली पोशाक में सफेद रंग की साड़ी (जिस पर नीली धारियाँ थी), सफेद ब्लाउज, सफेद पेटीकोट और सफेद रंग की ब्रा व पैंटी शामिल थी। उन सातो को कपड़ो के तीन-तीन सेट दिए गए और उन्हें इन्ही तीन जोड़ी कपड़ो के साथ अपनी सजा काटनी थी।