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Adultery गोकुलधाम सोसायटी की औरतें जेल में

Prison_Fetish

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Update 19

(शिफ्टिंग)

वक़्त गुजरने लगा। दिन बदलते गए लेकिन जेल में उनकी जिंदगी एक ही जगह पर थम सी गई थी। उनकी जिंदगी में कुछ भी नयापन नही रह गया था। इस बीच जेल में कई कैदियों ने उन्हें बेहद परेशान किया तो कुछ औरतो ने उनका साथ भी दिया। ऐसा नही था कि जेल में केवल अपराधी या बुरी औरते ही थी बल्कि कई अच्छे घरो की औरते व लड़कियाँ भी जेल में बंद थी।

उन लोगो को जेल में आये हुए एक महीने से अधिक समय होने को आया था। इतने दिनों में वे लोग जेल की जिंदगी, रहन-सहन और नियमो से काफी हद तक वाकिफ़ हो चुकी थी। उन्हें समझ आने लगा था कि जेल में सीनियर कैदियों से कैसे पेश आना है या जेल स्टॉफ से कैसे बात करनी है। उनके लिए रोजाना सेक्स, रैगिंग और मारपीट झेलना सामान्य बात नही थी लेकिन अब यह सब उनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था। जेल में उनकी सुनने वाला या उन्हें बचाने वाला कोई नही था।

खैर, अप्रैल का महीना आ चुका था। गर्मी और उमस की वजह से कैदियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। चूँकि प्रत्येक सेल में केवल एक ही पंखा लगा हुआ था जिससे गर्मी से राहत पाना आसान नही था। सेल की दीवारें तीनो ओर से पूरी तरह बंद थी जिस कारण सेल के अंदर बाहर की हवा बिल्कुल भी नही आ पाती थी। दिन में तो कैदी औरते सेल से बाहर निकल जाया करती थी लेकिन रात में सभी को सेल में ही बंद रहना पड़ता था। जेल में बंद औरते व लड़कियाँ गर्मी में अक्सर अपने कपड़े उतारकर सोया करती थी ताकि उन्हें गर्मी से निजात मिल सके।

15 अप्रैल,

एक दिन रोजाना की तरह ही जेल की सभी कैदी दिनचर्या के कामो में व्यस्त थी। सुबह के 8:30 बज रहे थे और कैदी औरते झाडू लगाने व पानी भरने आदि कामो में लगी हुई थी। तभी जेल के लाउडस्पीकर पर अनाउंसमेंट हुआ…“सभी कैदी औरते मैदान में जमा होगी। सब कैदी ध्यान दे। जेलर मैडम आ रही है…”

अनाउंसमेंट होते ही सभी औरतें भागी-भागी मैदान में इकट्ठा होने लगी। बबिता और बाकी सभी भी अपने वार्ड की लाइन में जाकर खड़ी हो गई और जेलर का इंतजार करने लगी। कुछ देर बाद जेलर कुछ महिला सिपाहियों के साथ अंदर आई और आते ही कैदियों को सूचित किया कि सर्कल 1 की सभी सज़ायाफ्ता कैदियों को सर्कल 2 में शिफ्ट किया जाएगा जबकि सर्कल 2 की सभी अंडरट्रायल कैदियों को सर्कल 1 में रखा जाएगा।

शिफ्टिंग की बात सुनकर कई कैदी औरते एकदम चौक गई क्योंकि किसी को भी इस बात की जरा भी भनक नही थी। हालाँकि जेल में अक्सर इसी तरह कैदियों को अचानक शिफ्ट कर दिया जाता था लेकिन कई औरते लंबे समय से एक साथ रहने की वजह से आपस मे काफी घनिष्ट हो जाती थी और जब भी किसी कैदी को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाता था तो उन पर मानसिक रूप से काफी बुरा प्रभाव पड़ता था।

जेलर के कहने के बाद तुरंत ही कैदियों की शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। सर्कल 1 की सभी सज़ायाफ्ता कैदियों को उनके सामानों के साथ सर्कल 2 में भेजा जाने लगा और सर्कल 2 की सभी अंडरट्रायल कैदियों को सर्कल 1 में लाया जाने लगा। उन सातो की सेल की सभी सज़ायाफ्ता कैदियों (रेणुका, नीलिमा, प्रमिला, रेहाना व सुधा) को भी सर्कल 2 में शिफ्ट कर दिया गया और सर्कल 2 से लाई गई तीन अंडरट्रायल कैदियों को उनकी सेल में रखा गया। शिफ्टिंग की प्रक्रिया बहुत ज्यादा देर तक नही चली और लगभग दो घंटे में ही सारे कैदियों की शिफ्टिंग पूरी हो गई। सर्कल 1 में अब कोई भी सज़ायाफ्ता कैदी मौजूद नही थी। सारी सज़ायाफ्ता कैदियों को सर्कल 2 में शिफ्ट कर दिया गया था। शिफ्टिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी कैदी वापस अपने-अपने कामो में लग गई।

शिफ्ट किये जाने के बाद उन सातो का उनकी सेल में लाई गई तीनो कैदियों से आमना-सामना जरूर हुआ लेकिन उनके बीच में कोई बातचीत नही हुई। वे लोग नहाने, खाने व अन्य कामो में ही व्यस्त रही। दिनचर्या के कार्यो के समाप्त होने के बाद जब वे सातो अपनी सेल में वापस गई तो उन्हें बहुत ही राहत महसूस हुई। सेल की पाँचो सीनियर कैदी अब उन्हें परेशान करने के लिए वहाँ पर नही थी। हालाँकि उन तीन नई कैदियों के साथ सामंजस्य बिठाना भी उनके लिए उतना आसान नही था। उनमे से पहली कैदी थी 46 वर्षीय मंजू कुमारी, दूसरी थी 36 साल की सविता तथा तीसरी थी 38 वर्षीय इशानी नाथ जो एक बहुत ही खूबसूरत व रईस महिला थी।
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वक़्त गुजरने लगा। दिन बदलते गए लेकिन जेल में उनकी जिंदगी एक ही जगह पर थम सी गई थी। उनकी जिंदगी में कुछ भी नयापन नही रह गया था। इस बीच जेल में कई कैदियों ने उन्हें बेहद परेशान किया तो कुछ औरतो ने उनका साथ भी दिया। ऐसा नही था कि जेल में केवल अपराधी या बुरी औरते ही थी बल्कि कई अच्छे घरो की औरते व लड़कियाँ भी जेल में बंद थी।

उन लोगो को जेल में आये हुए एक महीने से अधिक समय होने को आया था। इतने दिनों में वे लोग जेल की जिंदगी, रहन-सहन और नियमो से काफी हद तक वाकिफ़ हो चुकी थी। उन्हें समझ आने लगा था कि जेल में सीनियर कैदियों से कैसे पेश आना है या जेल स्टॉफ से कैसे बात करनी है। उनके लिए रोजाना सेक्स, रैगिंग और मारपीट झेलना सामान्य बात नही थी लेकिन अब यह सब उनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था। जेल में उनकी सुनने वाला या उन्हें बचाने वाला कोई नही था।

एक दिन रोजाना की तरह ही जेल की सभी कैदी दिनचर्या के कामो में व्यस्त थी। सुबह के 8:30 बज रहे थे और कैदी औरते झाडू लगाने व पानी भरने आदि कामो में लगी हुई थी। तभी जेल के लाउडस्पीकर पर अनाउंसमेंट हुआ…“सभी कैदी औरते मैदान में जमा होगी। सब कैदी ध्यान दे। जेलर मैडम आ रही है…”

अनाउंसमेंट होते ही सभी औरतें भागी-भागी मैदान में इकट्ठा होने लगी। बबिता और बाकी सभी भी अपने वार्ड की लाइन में जाकर खड़ी हो गई और जेलर का इंतजार करने लगी। कुछ देर बाद जेलर कुछ महिला सिपाहियों के साथ अंदर आई और आते ही कैदियों को सूचित किया कि सर्कल 1 की सभी सज़ायाफ्ता कैदियों को सर्कल 2 में शिफ्ट किया जाएगा जबकि सर्कल 2 की सभी अंडरट्रायल कैदियों को सर्कल 1 में रखा जाएगा।

शिफ्टिंग की बात सुनकर कई कैदी औरते एकदम चौक गई क्योंकि किसी को भी इस बात की जरा भी भनक नही थी। हालाँकि जेल में अक्सर इसी तरह कैदियों को अचानक शिफ्ट कर दिया जाता था लेकिन कई औरते लंबे समय से एक साथ रहने की वजह से आपस मे काफी घनिष्ट हो जाती थी और जब भी किसी कैदी को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाता था तो उन पर मानसिक रूप से काफी बुरा प्रभाव पड़ता था।

जेलर के कहने के बाद तुरंत ही कैदियों की शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। सर्कल 1 की सभी सज़ायाफ्ता कैदियों को उनके सामानों के साथ सर्कल 2 में भेजा जाने लगा और सर्कल 2 की सभी अंडरट्रायल कैदियों को सर्कल 1 में लाया जाने लगा। उन सातो की सेल की सभी सज़ायाफ्ता कैदियों (रेणुका, नीलिमा, प्रमिला, रेहाना व सुधा) को भी सर्कल 2 में शिफ्ट कर दिया गया और सर्कल 2 से लाई गई तीन अंडरट्रायल कैदियों को उनकी सेल में रखा गया। शिफ्टिंग की प्रक्रिया बहुत ज्यादा देर तक नही चली और लगभग दो घंटे में ही सारे कैदियों की शिफ्टिंग पूरी हो गई। सर्कल 1 में अब कोई भी सज़ायाफ्ता कैदी मौजूद नही थी। सारी सज़ायाफ्ता कैदियों को सर्कल 2 में शिफ्ट कर दिया गया था। शिफ्टिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी कैदी वापस अपने-अपने कामो में लग गई।

शिफ्ट किये जाने के बाद उन सातो का उनकी सेल में लाई गई तीनो कैदियों से आमना-सामना जरूर हुआ लेकिन उनके बीच में कोई बातचीत नही हुई। वे लोग नहाने, खाने व अन्य कामो में ही व्यस्त रही। दिनचर्या के कार्यो के समाप्त होने के बाद जब वे सातो अपनी सेल में वापस गई तो उन्हें बहुत ही राहत महसूस हुई। सेल की पाँचो सीनियर कैदी अब उन्हें परेशान करने के लिए वहाँ पर नही थी। हालाँकि उन तीन नई कैदियों के साथ सामंजस्य बिठाना भी उनके लिए उतना आसान नही था। उनमे से पहली कैदी थी 46 वर्षीय मंजू कुमारी, दूसरी थी 36 साल की सविता तथा तीसरी थी 38 वर्षीय इशानी नाथ जो एक बहुत ही खूबसूरत व रईस महिला थी।
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उन लोगो को जेल में आये हुए एक महीने से अधिक समय होने को आया था। इतने दिनों में वे लोग जेल की जिंदगी, रहन-सहन और नियमो से काफी हद तक वाकिफ़ हो चुकी थी। उन्हें समझ आने लगा था कि जेल में सीनियर कैदियों से कैसे पेश आना है या जेल स्टॉफ से कैसे बात करनी है। उनके लिए रोजाना सेक्स, रैगिंग और मारपीट झेलना सामान्य बात नही थी लेकिन अब यह सब उनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था। जेल में उनकी सुनने वाला या उन्हें बचाने वाला कोई नही था।

एक दिन रोजाना की तरह ही जेल की सभी कैदी दिनचर्या के कामो में व्यस्त थी। सुबह के 8:30 बज रहे थे और कैदी औरते झाडू लगाने व पानी भरने आदि कामो में लगी हुई थी। तभी जेल के लाउडस्पीकर पर अनाउंसमेंट हुआ…“सभी कैदी औरते मैदान में जमा होगी। सब कैदी ध्यान दे। जेलर मैडम आ रही है…”

अनाउंसमेंट होते ही सभी औरतें भागी-भागी मैदान में इकट्ठा होने लगी। बबिता और बाकी सभी भी अपने वार्ड की लाइन में जाकर खड़ी हो गई और जेलर का इंतजार करने लगी। कुछ देर बाद जेलर कुछ महिला सिपाहियों के साथ अंदर आई और आते ही कैदियों को सूचित किया कि सर्कल 1 की सभी सज़ायाफ्ता कैदियों को सर्कल 2 में शिफ्ट किया जाएगा जबकि सर्कल 2 की सभी अंडरट्रायल कैदियों को सर्कल 1 में रखा जाएगा।

शिफ्टिंग की बात सुनकर कई कैदी औरते एकदम चौक गई क्योंकि किसी को भी इस बात की जरा भी भनक नही थी। हालाँकि जेल में अक्सर इसी तरह कैदियों को अचानक शिफ्ट कर दिया जाता था लेकिन कई औरते लंबे समय से एक साथ रहने की वजह से आपस मे काफी घनिष्ट हो जाती थी और जब भी किसी कैदी को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाता था तो उन पर मानसिक रूप से काफी बुरा प्रभाव पड़ता था।

जेलर के कहने के बाद तुरंत ही कैदियों की शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। सर्कल 1 की सभी सज़ायाफ्ता कैदियों को उनके सामानों के साथ सर्कल 2 में भेजा जाने लगा और सर्कल 2 की सभी अंडरट्रायल कैदियों को सर्कल 1 में लाया जाने लगा। उन सातो की सेल की सभी सज़ायाफ्ता कैदियों (रेणुका, नीलिमा, प्रमिला, रेहाना व सुधा) को भी सर्कल 2 में शिफ्ट कर दिया गया और सर्कल 2 से लाई गई तीन अंडरट्रायल कैदियों को उनकी सेल में रखा गया। शिफ्टिंग की प्रक्रिया बहुत ज्यादा देर तक नही चली और लगभग दो घंटे में ही सारे कैदियों की शिफ्टिंग पूरी हो गई। सर्कल 1 में अब कोई भी सज़ायाफ्ता कैदी मौजूद नही थी। सारी सज़ायाफ्ता कैदियों को सर्कल 2 में शिफ्ट कर दिया गया था। शिफ्टिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी कैदी वापस अपने-अपने कामो में लग गई।

शिफ्ट किये जाने के बाद उन सातो का उनकी सेल में लाई गई तीनो कैदियों से आमना-सामना जरूर हुआ लेकिन उनके बीच में कोई बातचीत नही हुई। वे लोग नहाने, खाने व अन्य कामो में ही व्यस्त रही। दिनचर्या के कार्यो के समाप्त होने के बाद जब वे सातो अपनी सेल में वापस गई तो उन्हें बहुत ही राहत महसूस हुई। सेल की पाँचो सीनियर कैदी अब उन्हें परेशान करने के लिए वहाँ पर नही थी। हालाँकि उन तीन नई कैदियों के साथ सामंजस्य बिठाना भी उनके लिए उतना आसान नही था। उनमे से पहली कैदी थी 46 वर्षीय मंजू कुमारी, दूसरी थी 36 साल की सविता तथा तीसरी थी 38 वर्षीय इशानी नाथ जो एक बहुत ही खूबसूरत व रईस महिला थी।
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