“ऐ…चलो सब लोग बाहर आओ। मैडम ने बुलाया है तुम लोगो को…” उसी रात नौ बजे वार्डन शोभना कुछ लेडी काँस्टेबल्स के साथ वार्ड में आई और उन सातो को उनकी सेल से बाहर निकाला। उस वक़्त वे लोग अपनी सेल की सीनियर कैदियों की सेवा में लगी हुई थी। सेल से बाहर आते ही उन सबके हाथो में हथकड़ी पहना दी गई और उन्हें पकड़कर सीधे जेलर के क्वार्टर में ले जाया गया।
उस वक़्त जेलर अपने सोफे पर बैठी हुई थी और टीवी देख रही थी। उन्हें लेकर गई महिला सिपाहियों ने उन सातो को जेलर के हवाले कर दिया और वहाँ से चली गई। उन लोगो ने देखा कि वहाँ पर पहले से ही कुछ कैदी औरतें व लड़कियाँ मौजूद थी जो रात के नौ बजे भी अलग-अलग तरह के काम कर रही थी। कोई बर्तन साफ कर रही थी तो कोई फर्श पर पोछा लगा रही थी। कोई सामानों को व्यवस्थित करने में व्यस्त थी तो कोई जेलर की मालिश में लगी हुई थी। उन सातो को देखते ही जेलर ने तंज भरे लहजे में कहा -
‘आ गई साली रंडियों। चलो कपड़े उतारो फटाफट।’
उनके पास उसकी बात को मना करने का कोई कारण नही था और उसके कहने पर उन्हें अपने कपड़े उतारने पड़े। उनके कपड़े उतारते ही जेलर ने उसकी मालिश कर रही कैदी से अंदर जाकर पानी के कटोरे लाने को कहा जिसके बाद वह कैदी अंदर गई और पानी से भरे कुछ कटोरे ले आई। उन कटोरों को उन सातो के सामने नीचे जमीन पर रख दिया गया और फिर जेलर उनसे बोली -
‘चलो महारानियो, नीचे झुको और पानी पियो।’
उनके लिये यह सुनना बेहद ही अपमानजनक था। जमीन पर पड़े कटोरे में मुँह डालकर पानी पीने का मतलब था कि जेलर उन्हे इंसान नही बल्कि जानवरो से भी बदतर समझती थी। उन लोगो ने जेल में अब तक बहुत कुछ सहा था। सीनियरों द्वारा रैगिंग हो, मारपीट हो या फिर उनका शारीरिक शोषण हो। वे लोग चुपचाप सबकुछ सहती रही। हालाँकि यह उनकी मर्जी नही बल्कि मजबूरी थी लेकिन जब जेलर ने उनसे जानवरो की तरह पानी पीने को कहा तो वे लोग चुप नही रह पाई और माधवी तुरंत ही बोल पड़ी -
“मैडम, ये कैसा बर्ताव कर रही है आप हमारे साथ। हम इंसान हैं। कोई जानवर नही हैं।”
तभी अंजली ने भी कहा - ‘हाँ मैडम, कम से कम हमारे साथ इंसानो की तरह बिहेव तो कीजिये।’
उन्होंने इतना कहा ही था कि जेलर गुस्से से आग बबूला हो उठी। वह अपनी जगह से उठी और अंजली के बालों को जोर से खीचते हुए बोली -
“साली हरामजादी, तुम लोगो से इंसानो की तरह बिहेव करूँ। हाँ। तुम जैसी औरतो के लिए ये जेल, जेल नही, नर्क है नर्क और यहाँ तुम्हारी औकात सिर्फ जानवरो के बराबर है। समझी।”
इतना कहते ही उसने पास पड़ा डंडा उठाया और अंजली के पैरों पर एक जोर का डंडा मारा। अंजली दर्द के मारे चिल्ला उठी। लेकिन जेलर यही नही रुकी। वह अंजली पर जमकर डंडे बरसाने लगी। अंजली लगातार डंडो से बचने की कोशिश करती रही और उससे रहम की भीख माँगती रही लेकिन जेलर थी कि उसे उस पर जरा भी दया नही आई। वह जेल के अंदर थी और जेलर की मार से बचने के लिए कही भाग भी नही सकती थी। जेलर उसे बेरहमी से पीटती रही जिसे देखकर बाकी सभी औरते बेहद डर गई। हालाँकि उसने अंजली को कमर के ऊपर ना मारते हुए ज्यादातर उसके पैरों व कूल्हों पर ही मारा जिस वजह से उसके पैरों व कूल्हों पर लाल निशान तक पड़ गए थे।
अंजली की पिटाई के बाद तो उनमें से किसी की हिम्मत ही नही हुई कि वे लोग जेलर की बातों को मना कर पाये। जेलर के कहे अनुसार उन सभी ने नीचे झुककर पानी के कटोरे पर मुँह लगाकर पानी पीना शुरू किया। यह ठीक वैसा ही था जैसे कोई कुत्ता या गाय जैसा कोई जानवर जमीन पर पड़े बर्तन में मुँह लगाकर पानी पीता हैं।
वे लोग पानी पी ही रही थी कि जेलर ने उनके गले मे कुत्ते का पट्टा और चैन बाँधनी शुरू कर दी। वे लोग कुछ नही कर सकती थी इसलिए चुपचाप जेलर का कहना मानती रही। जेलर ने उस वक़्त सलवार व पजामा पहन रखा था और उन सातो के गले मे पट्टा बाँधने के बाद उसने भी अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए। उसने अपनी ब्रा व पैंटी को छोड़कर अपने सारे कपड़े उतार दिए और उनके सामने ही अर्धनग्न हो गई।
वे सातो अपने घुटनों और हाथो के बल किसी कुत्ते की तरह जमीन पर पड़ी हुई थी और उनके गले में बँधे पट्टे व चैन जेलर के हाथो मे थी। उसने उन्हें पूरे कमरे में उसी अवस्था मे घुमाया और फिर उन्हें कमरे में ही अलग-अलग जगहों पर बाँध दिया। फिर बाहर से कुछ लेडी काँस्टेबल्स को अंदर बुलाया और सातो के पिछवाड़े में डंडा घुसाने का आदेश दिया। जेलर के कहते ही काँस्टेबल्स ने सबकी गाँड़ में डंडे घुसा दिए।
“आँह……वे लोग दर्द के मारे कराहने लगी और अपनी होठो को कसकर दबा लिया। उनकी स्थिति ऐसी थी कि वे चाहकर भी डंडे को नही निकाल सकती थी। उनके दोनो हाथ और घुटने जमीन पर टिके हुए थे और गले मे पट्टा बँधा हुआ था। जेलर ने लगभग पंद्रह मिनट तक उन सातो को उसी अवस्था मे रखा और फिर उनकी गाँड़ में से डंडे को निकालकर सोनू को अपने साथ बैडरूम में ले जाने लगी।
सोनू को ले जाते देख माधवी ने तुरंत उन्हें रोका और झट से बोल पड़ी - ‘मैडम, मेरी बेटी को कहाँ ले जा रही हो आप?’
जेलर को अब उनकी एक भी बात सहन नही हो रही थी। माधवी के टोकते ही उसने उसे एक जोर का तमाचा जड़ दिया और सोनू को छोड़कर बाकी सभी को एक-दूसरे के साथ सेक्स करने का फरमान सुना दिया। उसने दो-दो की जोड़ियाँ बनाई। दया और माधवी, बबिता और अंजली तथा रोशन और कोमल की। इन जोड़ियों में से एक को मर्द बनाया यानि उन्हें रबर का नकली लिंग पहना दिया। मर्द बनी कैदी को अपनी जोड़ी की दूसरी औरत को उसी तरह चोदना था जिस तरह एक मर्द किसी औरत को चोदता हैं।