भैया का मोबाइल

उसकी निगाह भाई के मोबाइल पर पड़ गयी , उसकी बांछे खिल गयीं, भैया उसे छूने नहीं देते थे , स्मार्ट है तेरे समझ में नहीं आएगा,... हरदम छुपा के,... आज मिला है मौका ,...और खुद जब देखो तब उसी में घुसे रहते हैं, आज मिल गया है मौका , और झट से उसने मोबाइल हाथ में लिया लेकिन
अगले पल फिर उसका चेहरा मुरझा गया,...भैया न , पता नहीं क्या क्या पासवर्ड , एक दो बार उसके कमरे में घुस के लेकिन खुला ही नहीं,...
पर आज वो पहले से खुला था , भैया लगता है कुछ देख रहे थे और वो कोई फिल्म,... लगता है उसके बाथरूम से निकलने की आवाज सुन के भैया ने जल्दी से तकिये के नीचे छिपा दिया होगा,...
और वो फिल्म देख के, गीता की साँसें तेज चलने लगी , दिल धड़कने लगा, एक हाथ उसका अपनी छाती पर , निपल्स पहले ही कड़क हो रहे थे , जाँघों के बीच में गीलापन, लसलसा सा , खुद ही वो अपनी जांघ से जाँघे रगड़ रही थी,
एक लड़की उसकी उमर की ही होगी, एक लड़के का ' वो ' खूब मोटा सा, अपने हाथ में , फिर गीता की आँखे फ़ैल गयीं , मुंह में ले के कैसे कैसे चूस रही थी , लेकिन बीच बीच लड़के का चेहरा भी दिख रहा था खूब खुश लग रहा था जैसे लड़की के चूसने से उसे खूब मजा आ रहा था
गीता को उस लड़के की जगह अपना भाई नजर आ रहा था , ... और सोच रही थी , भैया को अच्छा लगे तो वो भी मुंह में ले लेगी।
और थोड़ी ही देर में जो गीता अपने भैया को अब जब भी देखती थी सोचती थी वही ,...
वो लड़की पलंग पर लेटी दोनों टाँगे उठी , और उसका भाई ,.. नहीं वो लड़का टांगों के बीच में कित्ते जोर जोर से ,... और उसे लगा लड़की रोयेगी , पर वो तो मारे ख़ुशी के उसे अपनी ओर खींच रही थी , खुद नीचे से अपना ,..अपना चूतड़ उचका रही थी ,...

गीता देख फिल्म रही थी पर सोच अपने भाई के बारे में रही थी कितना मज़ा आये अगर भैया भी उसके साथ इसी तरह करें ,... वो कभी भी मना नहीं करेगी ,... इस लड़की को कित्ता मजा आ रहा है,...
फिर पोज बदल के , गोद में बिठा के , वो लड़की खुद ही उछल उछल के ,...
और वो लड़की बिस्तर पे लड़का पलंग के नीचे खड़ा,...
गीता की ऊँगली शलवार के अंदर अब सहेली के पास फांको को दबाती मसलती ,...
एक के बाद दूसरी फिल्म ,... फिर उसने जल्दी जल्दी बढ़ा के देखा और क्या है ,..पिक्चर फोल्डर खोला तो पहली ही पिक
उसकी अपनी,... कल जो भैया को तंग कर रही थी उकसा रही , थी रिश्तों में हसीन बदलाव के लिए बस वही सूट ,... दो चार पिक्स ,...
गीता जोर से मुस्करायी , सगी बहन को गर्ल फ्रेंड बनाना चाहते है और डरते भी हैं,..
लेकिन तभी बाथरूम से दरवाजा खुलने की आवाज आयी और झट से पहले तो गीता ने सारे फ़ोल्डर्स बंद किये फिर मोबाइल स्विच आफ किया तब तक वो निकल आये थे और उन्होंने गीता के हाथ में मोबाइल देख लिया,... और आग बबूला , लेकिन गीता समझ रही थी कित्ता गुस्सा है कित्ता मस्ती
" तुझे बोला था न की तेरे हाथ में ये मोबाइल देख लूंगा तो बहुत मारूंगा तुझे। "
बस गीता को मौका मिल गया, वो पिक्चरें देख के बहुत गरमा रही थी सहेली अभी भी गीली थी , उभार एकदम पत्थर, निप्स कंचे की तरह कुर्ती को फाड़ रहे थे,..

झप्प से बिस्तर उतर कर अपने भैया के पास और उसे कस के दबोच लिया और चिढ़ाते बोली,...
" तो मार लो न, डरती हूँ क्या किसी से,... खाली कहते रहते हो मारते तो हो नहीं , ले लिया मैंने तेरा,... '
उसकी गरम देह का असर तो होना ही था और उसके भाई ने भी अब कस के उसे दबोच लिया , बस गीता ने अपने कड़े कड़े उरोज उसके सीने में गड़ाने शुरू कर दिए , गाल भैया के गालों से रगड़ रहे थे,... बड़ी मुश्किल से उसका भाई बोल पाया,...
" तू डरती नहीं है "
" ना एकदम नहीं , किससे डरूंगी तुझसे , ... " कस के अपनी बाँहों से उसे भींचती मुस्कराती बोली,...
और अब उसका भाई भी अपनी देह उसकी देह से रगड़ रहा था , खूंटा खड़ा तना, ...
" मैं बड़ी जोर जोर से मारता हूँ "
" मैं भी बड़ी हो गयी हूँ ,... भैया लगता है तुझे पता नहीं '
एक बार फिर खुल के अपने उभार उसके सीने में दबाती वो बोली,... फिर हलके से उसके कान में बोली ,
" मैं, मैं ,...मैं मरवा लूंगी। "
अब रिश्तों में बदलाव आलमोस्ट पूरा हो गया था वो अपना खूंटा उसकी जाँघों के बीच गड़ा रहा था एक हाथ से छोटे छोटे अपनी सगी बहन के नितम्बों को दबा रहा था मसल रहा था, बहन सिसक रही थी, पिघल रही थी,...
" मैं कुछ भी करूँ,... "
बड़ी मुश्किल से उसके भाई के बोल फूटे , उसके समझ में नहीं आ रहा था अपनी बहन से साफ़ साफ़ मन की बात कैसे कहे,...लेकिन उसके मन की बात उसकी बहन ने खुद ही बोल दी वो भी एकदम साफ़ साफ़, उसके बाद कुछ बचा नहीं था।
" कुछ भी , ...और कुछ भी का मतलब कुछ भी करो,... मैं करवा लूंगी,... सच्ची सच्ची , मेरी कसम , तेरी कसम, माँ कसम। '
और कुछ देर तक दोनों , फिर उसका भाई बोला,...
" नहीं यार तुझे नहीं मालूम , बहुत दर्द होगा तुझे तू नहीं करवा पाएगी,... "
अब वो गुस्सा हो गयी , खींच के भाई का हाथ सीधे उसने अपने जोबन पर रख के खुल के कस के दबाया, और समझाते बोली,
" भैया, तुम खुद देख लो , मैं सच में बड़ी होगयी हूँ , मेरी दिल की बात सुनो,... और मुझे सब मालूम है , सब,..दर्द, खून खच्चर,... बस भैया,... '
" माँ से तो नहीं बोलेगी " अब प्यार से गाल सहलाते हुए उसके भाई ने पूछा,..
" भाई बहन की बात में माँ का क्या काम नहीं बोलूंगी , किसी से नहीं बोलूंगी , .. पक्का , तेरी कसम,... " उसके कान में जीभ से सुरसुरी करते गीता बोली,...लेकिन तबतक माँ की पुकार आ गयी और गीता उनके पास , लेकिन चलने के पहले अपनी ब्रा में छिपाए मोबाइल को अपने भाई को दूर से कैच करा के मुंह चिढ़ाते निकल गयी. गीता के दिमाग में रात भर वो फ़िल्में घूम रही थीं और उस लड़की की जगह वो और लड़के की जगह उसका भाई,... तीन साल ही तो बड़ा था,.. , लेकिन देह उसकी,... बस हाँ एक शरारत उसने की , बाथरूम तो उसी के कमरे से था , उसका छेद गोला प्रकार ले कर उसने थोड़ा और बड़ा कर दिया,...
अगले दिन वो नहाने गयी तो बस इन्तजार कर रही थी , छेद में आँख, आँख , कब आएगी ,...
वॉव ... ताना बाना तो अच्छा बुना है आपने...
किशोर/किशोरी के मन की मानसिक स्थिति...
उत्कंठा.. उत्सुकता... कुछ पा लेने की तलाश.. जुस्तजू..
लगभग हमेशा पास रहने वाला हम उम्र...
उम्र के इस पड़ाव में आकर्षण तो स्वाभाविक है....
लेकिन उसका प्रस्तुतिकरण और भी लाजवाब है...
ऐसे शब्दों के ताने बाने में पिरोना सबके बस की बात नहीं है...
और जिस प्रकार से प्लाट बनाया है .. वो तो सराहनीय है हीं लेकिन प्रतिपादन भी एकदम से निराला है...
आपसे हमेशा अगली कड़ी की अपेक्षा रहती है... इस प्रसंग के बाद भी यही स्थिति है....