• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
46,525
48,353
304
रिश्तों में हसीन बदलाव




और गीता जान बूझ के अपने भाई अरविन्द को चढ़ा रही थी, उसे भौजी की सीख याद आ रही थी,...


" ये स्साले लौंडे, घासवालियों के पीछे, खूब चुदी चुदाई काम करनेवालियों के चक्कर में कुत्ते की तरह दुम हिलाते जीभ लपलपाते घुमते हैं एक बार चोदने को मिल जाए, और घर में बिन चुदी कसी कोरी चूत है, मस्त माल है एकदम जिल्ला टॉप, गोरी चिकनी, उस की चूत में आग लगी है, स्साले उस बहन को चोदने के नाम पे स्सालों की गाँड़ फटती है,...




अरे उनकी बहन क्या बिना चुदे बचती है , जिस जिस को वो चोदते हैं, वो भी तो किसी की बहनिया ही हैं,... अरे ये सोच , दुनिया में शुरू में अगर दो ही थे एक आदमी एक औरत,... तो वो स्साला अगर अपनी बहन नहीं चोदता तो दुनिया आगे कैसे बढ़ती लेकिन नहीं , अरे हम सब उसी बहनचोद की औलाद हैं, लेकिन नहीं कहीं पढ़ लिया इन्सेस्ट , इंसेक्ट क्या कहते हैं खराब है, बहनचोद,...

अरे बहन चोदने से बढ़ कर समझदारी कुछ नहीं है , लेकिन क्या करेगी, पहल तुझे ही करनी पड़ेगी, संगीता रानी। तेरा भाई स्साला अरविंदवा नंबरी चोदू है , उसकी शकल देख के लगता है एक बार अगर वो चोदने पे उतर आया न तो ऐसा चोदू तुझे कहीं मिलेगा नहीं , लेकिन उसे चढ़ाना तुझे ही पड़ेगा। "



और गीता वही कर रही थी और उसका भाई अरविन्द अब एकदम से,...

अरविन्द के मुट्ठी में दुनिया का सबसे बड़ा धन, छुटकी बहिनिया के जोबन थे और उन्हें पकड़ के वो कस कस के रगड़ मसल रहा था, अब वो भूल चूका था की उसकी बहिनिया की बारी उमरिया क्या है, ये रुई के फाहे ऐसे २८ नंबर वाले उभार बस अभी उभर ही रहे हैं, कभी हथेली से कस कस के दबाता, तो कभी मूंगफली के दाने के तरह के छोटे छोटे निपल को अंगूठे और तर्जनी के बीच पकड़ के मसल देता,...

और अरविन्द की सगी छोटी बहन गीता सिसक उठती मचल जाती, ... कभी कभी उसे दर्द भी हो रहा था, भैया उसकी चूँची इतनी जोर से रगड़ रहे थे, लेकिन वो मस्ता रही थी, सिसक रही थी ,जाँघों के बीच जोर जोर से लसलसी हो रही थी, थकी थकी जाँघे भी अपने आप फ़ैल रही थीं, चूत में जोर के कीड़े काट रहे थे , ... और उसे सबसे बड़ी ख़ुशी इस बात की हो रही थी कि,

रिश्तों में हसीन बदलाव अब हो चुका था,

उसका सगा भाई अब उसे एक मस्त माल समझ रहा था, चुदवाने के लिए तैयार, चोदने के लिए गर्मागर्म लौंडिया,...



और सहेली की भाभी ने यही बात बार बार सिखाई थी, उसे सिखाया पढ़ाया था की तेरे घर में ही इत्ता मस्त मूसल है, तेरा सगा भाई अरविन्द, और तेरी ओखली अभी तक कोरी है,...

उन्होंने ही बोला था की देखो गरमी में आके कोई भी मरद एक बार तो चोद देगा, पानी भी झाड़ देगा , लेकिन थोड़ी देर बाद ठंडा होने पे भी , उसके मन में कोई बदलाव न हो और उसी समय कुछ देर बाद अगर उसका फिर से तन्ना जाए ,... और वो दुबारा चोद दे तो समझो रिश्ते में बदलाव पूरा ,

अब तुम उसकी माल हो, उसकी सजनी, वो तेरा साजन , अब सिर्फ मरद औरत का रिश्ता , सबसे मस्त रिश्ता,.... और फिर तेरी रोज चुदाई का इंतजाम पक्का ,




इसलिए गीता ने पक्का कर लिया था की कुछ भी करके अपने भाई अरविन्द से उसे दुबारा चुदवाना है,... और उसका भाई खुद चोदने के लिए पागल हो रहा था , यही तो वो चाहती थी , रिश्तों में हसीन बदलाव अब पूरा हो चुका था।
Kya haseen badlav hai,wow, gazab update 👌👌👌👌👌 👌👌👌👌👌👌👌👌💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 🔥🔥
 
  • Like
Reactions: motaalund

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
46,525
48,353
304
दुबारा



इसलिए गीता ने पक्का कर लिया था की कुछ भी करके अपने भाई अरविन्द से उसे दुबारा चुदवाना है,... और उसका भाई खुद चोदने के लिए पागल हो रहा था , यही तो वो चाहती थी


, रिश्तों में हसीन बदलाव अब पूरा हो चुका था।



और अरविन्द, काम कला में पक्का, लौंडिया को गरम करके पहले आलमोस्ट झड़ने के करीब लाके तब पेलने की कला में माहिर , जिससे पहले धक्के में ही वो पानी फेंक दे,... और फिर हर धक्का सीधे बच्चेदानी तक,...

बस अब उसे जल्दी नहीं थी , एक जोबन अभी भी भाई के मुट्ठी में था पर अब वो बस हलके हलके सहला रहा था और होंठ दूसरे उभार की परिक्रमा कर रहे थे कभी जीभ से चाट लेता, तो कभी बस छोटी छोटी चुम्मी, ... तो कभी जीभ की टिप से कुरेद देता ,... और छोटे छोटे चुंबन के पग धरते,होंठ निप्स के पास, लेकिन उसने निप नहीं छुए अपनी बहिनिया के, बस जीभ की टिप से निप के चारो ओर,




और उसका दूसरा हाथ अपनी बहिनिया गीता की गोरी गोरी मांसल जाँघों पे सहला रहा था, नहीं योनि महल के पास नहीं बस थोड़ी दूर , कभी उँगलियों से सहलाता तो कभी हलके हलके हलके हाथों के जोर से जाँघों को फैलाता,... गीता खुद ही जाँघे फैला रही थी की उसका भाई चढ़ के , लेकिन अब उसका भाई अपनी बहिन को गरमाने में लगा था,... अब एक बार चोद के वो झिल्ली फाड् चुका था, खून खच्चर हो चुका था, अब सिर्फ मज़ा ले ले के आराम से चोदने का टाइम था और उसकी बहिन ऐसा मस्त माल आसपास के गाँव में भी नहीं था, ...





गीता गरमा रही थी बस उसका मन कर रहा था उसका भाई अरविन्द,...

एक हाथ से वो उसके लंड को सहला रही थी , खूब फनफना रहा था एकदम लोहे के राड ऐसा कड़ा,... सुपाड़ा मोटा खुला,




और अचानक जैसे बाज झपट्टा मार के किसी गौरया को झप्पट ले बस उसी तरह से उसके भैया के होंठों ने उसके एक निप को होंठों के बीच दबोच लिया, ... और लगा कस के चूसने, बीच बीच में भैया की जीभ होंठों के किले के बीच से निकल के सीधे निप्स पे छू के उसे पागल कर देती,... और साथ में हो हथेली जाँघों पर सरकती हुयी, जाँघों के बीच की दरार की तरफ बढ़ रही थी, बस एक झटके में और अपनी हथेली से बार बार हलके हलके उसकी चूत सहलाने लगाए , कभी अंगूठे से उसकी क्लिट सहला देता तो कभी एक ऊँगली बुर में डाल के अंदर बाहर,



अब गीता से नहीं रहा गया, उसने खुद अपनी दोनों टाँगे उठा दी,



थोड़ी देर में ही वो पीठ के बल लेटी थी, उसकी दोनों टाँगे उठी, भैया के कंधे पर जाँघे खुलीं,... पूरी तरह फैली,... हाँ अबकी शर्मा तो रही थी , लेकिन डर बहुत कम रही थी और उसने सायास आँखे अपनी खोल रखी थीं ,

चाँद भी खिड़की के रास्ते से उतर के उसकी पलंग के बगल में बैठ गया था ,...




अबकी उसके सामने ही, भैया ने फिर से सरसों के तेल बोतल खोली, अपने मोटे मूसल में जम के लगाया , और फिर उसकी दोनों फांको को फैला के सीधे बोतल से बूँद बूँद,... दो ढक्कन से भी ज्यादा, २० ग्राम कडुवा तेल तो कम से, उसकी बिल से छलक के बाहर आ रहा था तब भी, और पहली बार भैया की मलाई भी अंदर थी कटोरी भर,... और फिर अरविन्द भैया ने दोनों फांकों को बंद कर के थोड़ी देर मसला, जिससे सरसों का तेल बजाय बाहर आने के बहिनिया की बुर में अच्छी तरह सोख ले,... और थोड़ा सा ऊपर दोनों फांको पर लगा के ,...


फिर मार दिया करारा धक्का,...

उईईई उईईईईई वो जोर से चीखी ,... दर्द से पूरी देह भर गयी ,... लेकिन भैया ने उसके होंठ बंद नहीं किये बल्कि पतली सी कमरिया पकड़ के दूसरा धक्का पहले से भी करारा मारा,



उईईई ओह्ह्ह्हह उफ्फ्फ्फ़ नहीं नहीं ,... ओह्ह्ह्ह , उफ्फ्फ्फ़ उईईईईई ,...



वो चीखे जा रही थी , और भैया धक्के पर धक्के मारे जा रहा था , दूसरा तीसरा चौथा , सुपाड़ा पूरा अंदर धंस गया था , फिर और जोर से ,...

उईईई उईईईईई

बहना भले ही अनाड़ी थी पर भैया पक्का खिलाड़ी था , यही चीखें ही तो कुँवारी कच्ची कलियों के साथ मजे लेने का असली मजा है,... चिल्लायेंगी, चूतड़ पटकेंगी , उछलेंगी ,... पर धीरे धीरे कर के लंड पूरा घोंटेंगी,...

गीता ने दोनों हाथों से चादर को कस के पकड़ रखा था,... हलके हलके चीख रही थी लेकिन अच्छा भी लग रहा था अब पहली बार इतना दर्द भी नहीं हो रहा था , जब रगड़ते दरेरते अंदर घुसता तो बहुत अच्छा लगता और अंदर कैसा तो,... मजे से उसकी आँखे बार बार आँखे बंद हो जा रही थी , आधे से ज्यादा अबकी उसने अंदर ले लिया था,...




और अब भाई ने भी पैंतरा बदला , धक्के रुके लेकिन हाथ होठ चालू हो गए , अब उसके होंठ कभी बहना के गालों को चूमता, कभी उसके जुबना का रस लूटता, तो कभी बस आ रहे निपल को पकड़ के चूसते ,

मजे से बहन की हालत खराब हो गयी , एक हथेली एक उभार को कस के रगड़ रही थी , दबा रही थी मसल रही थी और दूसरा उभार होंठ के कब्जे में , ... भाई ने २८ से ३८ तक हर साइज के मजे लुटे थे



लेकिन जो मज़ा सगी छोटी बहन के जोबन लूटने में आ रहा था , उसका कोई जवाब नहीं था,...
Super duper update 👌👌👌👌👌👌👌💯💯💯💯💯💯💯⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
 
  • Like
Reactions: motaalund

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
46,525
48,353
304
भैया का धंस गया,..पूरा अंदर








जो मज़ा सगी छोटी बहन के जोबन लूटने में आ रहा था , उसका कोई जवाब नहीं था,...



अरविन्द मन ही मन मुस्करा रहा था,

जिस मोटे, उसके बित्ते से बड़े तूफानी लंड को घोंटने में चार बच्चों की माँ, पक्की भोसड़े वालियां भी पनाह मांग जाती थीं, चीखती चिल्लाती थीं, रोती कराहती थीं,





आज उसकी सगी छोटी बहन ने उसे कसम धरायी थी की उसे पूरा घोंटना है, ... मन तो उसका भी यही कर रहा था [पहली बार चोदते समय भी , बल्कि जब उसकी कच्ची चूत को सोच सोच के वो उसकी छोटी छोटी २८ नंबर की ब्रा में मुट्ठ मारता था तो भी अरविन्द यही सोचता था की उसका पूरा लंड उसकी बहन की कच्ची कोरी चूत में जड़ तक धंसा है,... वो जानता था,... बहुत परपरायेगा, .... फट के हाथ में आ जायेगी उसकी,पर


आज उसने खुद कसम धरा दी और और किसकी, खुद उसकी , ... उसकी छोटी बहन की,... कितना भी कडुवा तेल वो पिलाये, उसकी कच्ची बुर को,... पर जब वो खुद चाहती है ,... और दो चार बार बच्चेदानी पर सुपाड़े का धक्का लगा, जड़ तक,... लंड के बेस से उसने बहिन की क्लिट को रगड़ दिया तो वो खुद ,

बस दोनों २८ नंबर के छोटे छोटे जोबन को पकड़ के उसने करारा धक्का मार दिया, उसके कमर के जोर के आगे तो,.. और आज उसके धक्के रुक नहीं रहे थे , न बहिनिया की चीख,...




उईईई , ओह्ह्ह्हह्ह नहीं , लगता है, आह उफ्फ्फ्फ़ जान गयी,...

और थोड़ी देर में मस्ती में मजे में बहन ने चूतड़ पटकने शुरू कर दिए , कुछ देर के बाद धक्के फिर से चालू हो गए और अबकी जबरदस्त , पूरी ताकत से लंड अब एकदम अंदर तक,... और थोड़ी देर में जड़ तक बहन झड़ने के कगार पर थी पर वो रुका नहीं, एक बार उसने फिर से धीरे धीरे पूरा लंड बाहर निकाला और पूरे ताकत से वो धक्का मारा जैसे उसने झिल्ली फाड़ने के लिए मारा है , और सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी पर,... वो जबरदस्त ठोकर, बहना का कोर कोर हिल गया,....




और वो झड़ने लगी ,... वो काँप रही थी, हवा में उड़ रही थी, नदी में जैसे गोते खा रही , लहरे उसे किनारे पर लाती , लेकिन फिर लहरे वापस बीच मझधार में ले जाती ,...कुछ सोचने समझने की हालत में है थी बस मज़ा,... और मज़ा



भाई थोड़ी देर रुका लेकिन अबकी उसने उसके झड़ने से रुकने का इंतज़ार नहीं किया , लेकिन धक्के हलके हलके थे, वो आलमोस्ट उसके ऊपर लेटा , धक्के मारता , साथ में चुम्मी लेता , हाथ बहन को दोनों फैली रेशमी जाँघों को सहलाता , और जब जड़ तक वो अदंर घुस जाता तो बस उसके बेस से बहना की क्लिट को हलके हलके ,...


अब वो भी साथ साथ मजे ले रही थी हर धक्के के साथ अपने छोटे छोटे चूतड़ भी उठाती, भैया को अपनी बांहो में भींच लेती ,..धक्के कभी तेज हो रहे थे तो कभी रुक रुक के ,... पर अब हर धक्के के साथ उसे एक नए मज़े का अहसास हो रहा था और थोड़ी देर में वो फिर हवा में उड़ रही थी , गुलाबो कभी फैलती तो कभी सिकुड़ती, भैया के मोटू को वो कस कस के भींच रही थी , जैसे अब जिंदगी भर नहीं छोड़ेगी ,...




पर अब भैया रुक गया था,... बस उसके मस्ती से भरे चेहरे को देख रहा था , कभी झुक के चूम लेता तो कभी टकटकी लगा के बस देखता जैसे पहली बार देख रहा हो , जैसे गौने की रात दूल्हा दुल्हन के चेहरे को देखता था ,...



पर कुछ देर बाद फिर धक्के चालू हो गए और अबकी शुरू से ही पूरी रफ़्तार से ,

खटिया के पाए जोर जोर से चुरुर चुरुर बोल रहे थे ,... अब वो भी कगार पर था,... और थोड़ी देर बाद भाई बहन साथ साथ ,...


वो देर तक झड़ता रहा , वो भी साथ साथ झड़ती रही,... उसने अपने को भैया के हवाले कर दिया था , गाढ़ी रबड़ी मलाई उसकी दोनों जाँघों पर छलक के बह रही थी ,... पर उसे परवाह नहीं थी ,... वो दोनों उसी तरह , वो उसके अंदर धंसा , उसकी बाहें भैया को कस के दबोचे , ..





बारिश रुक गयी थी, पर बादलों ने एक बार फिर से चांदनी की मुश्कें कस ली थीं, ... हवा खूब ठंड चल रही थी

अबकी तो पहली बार से भी ज्यादा दर्द हुआ था, देह एकदम दर्द से चूर, जाँघे फटी पड़ रही थीं,.... और चूत के अंदर तो जैसे किसी ने लोहे का मोटा रॉड ठेल दिया हो, भभा रहा था, जैसे मोटे मोटे छाले पड़ गए हों अंदर, अंदर की चमड़ी छिल गयी हो,.... जोर से छरछरा रहा था, लेकिन भैया ने जो कटोरी भर सफ़ेद मलहम अपने इंजेक्शन से छोड़ा था अब धीरे धीरे उसका असर हो रहा था, अंदर का दर्द कुछ कम हो रहा था, पर जरा सा हिलते हुए भी जाँघों के बीच जोर की चिलख उठती थी.



कुछ देर में ही भैया ने खींच के उसे साइड में,

अब वो दोनों साइड में लेटे थे, एक दूसरे की बाँहों में कस के भींचे,...

अरविन्द का मोटा खूंटा दो बार की चुदाई बहन की चूत से सरक के बाहर हो गया था और थोड़ा थका, सुस्ताया आधा सोया,आधा जगा, उसकी छुटकी बहन की जाँघों के बीच दबा, पड़ा था. गीता के छोटे छोटे जोबन अब अरविन्द भैया की चौड़ी छाती में दबे थे. गीता ने कस के अपनी बाँहों में भैया को दबोच रखा था और भाई ने भी उसे अपनी बाँहों में, ... उसकी एक टांग गीता की टांगो के ऊपर,.... अब सिर्फ चुपचाप दोनों लेटे थे, ... हाँ गीता कभी कभी हलके भाई के गाल को चूम लेती थी और उसके भाई अरविंद की उँगलियाँ उसकी गोरी चिकनी नंगी पीठ पे टहल रहीं थी और कभी कभी नितम्बो पे भी,... और छोटे छोटे वस्त्रहीन नितम्बों पे भाई की उँगलियों का स्पर्श,....

गीता बस सिहर उठती, अपना मुंह उसकी चौड़ी छाती में छिपा लेती,

जमीन पर बिखरे दोनों के कपड़ों की तरह शरम भी अब कहीं फर्श पर बिखरी थी, खुली खिड़की से ठंडी ठंडी हवा आ रही थी, थोड़े बहुत बादल कभी चाँद को घेर कर अँधेरा कर देते तो कभी चांदनी उन्हें बिखरा के गीता और उसके भाई अरविन्द की काम क्रीड़ा देखने कमरे में घुस के पसर जाती।
Perfect, awesome update 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥👌👌👌👌👌👌👌💯💯💯💯💯💯💯
 

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
46,525
48,353
304
भैया बहिनी




जमीन पर बिखरे दोनों के कपड़ों की तरह शरम भी अब कहीं फर्श पर बिखरी थी, खुली खिड़की से ठंडी ठंडी हवा आ रही थी, थोड़े बहुत बादल कभी चाँद को घेर कर अँधेरा कर देते तो कभी चांदनी उन्हें बिखरा के गीता और उसके भाई अरविन्द की काम क्रीड़ा देखने कमरे में घुस के पसर जाती।


बात गीता ने ही शुरू की, ... बिन बोले, कभी छोटे छोटे चुम्मी से तो कभी अपनी उँगलियों से भाई अरविन्द के चौड़े सीने पे कुछ लिख के,... और फिर फुसफुसाहटों में, ...

" भैया तेरा मन बहुत दिन से कर रहा था न "



हाँ "

बहुत हलके से बोला अरविन्द लेकिन कस के अपने चौड़े सीने से बहन के छोटे छोटे जोबन को दबा देकर और जोर से बहन की बात में हामी भरी। बहन ज्यादा बोल्ड थी, वो खुल के बोली,...

" भैया, मेरा मन भी बहुत दिन से कर रहा था,... तेरे साथ करवाने को,... तेरा मन कर रहा था तो किया कयों नहीं ?"

" अब करूँगा अपनी बहना से प्यार रोज करूंगा, बिना नागा, दिन रात,... " और अरविन्द ने कस के अपनी बहन को चूम लिया





और जैसे उसके इरादे की हामी भरते, उसका खूंटा भी अब खड़ा होने लगा था।

गीता ने भी अपने सगे भाई को कस के चूम लिया,... और उसका एक हाथ खींच के अपने उत्तेजना से पथराये जोबन पे रख दिया , मन तो उसका यही कर रहा था, भैया कस के दबाएं मसलें कुचले,... मीज मीज के इसे, ... और जैसे बिन उसके बोले भैया ने इरादा समझ लिया और अब वो कस कस के अपनी छोटी बहन की चूँचियाँ मसल रगड़ रहे थे,

गीता और कस के भैया से चिपक गयी, बस मन कर रहा था ये रात कभी ख़तम न हो। अपनी देह वो भैया की देह से रगड़ने लगी, मन तो उसका बस यही मन कर रहा था की भैया कस के पेल दें, लेकिन उनकी बाहों से वो अलग भी नहीं होना चाहती थी, और अब चांदनी पूरी तरह दोनों की देह को नहला रही थी , गीता खुल के सब देख रही थी,


बात गीता के मन की ही हुयी , वो भले ही अनाड़ी थी पर भैया उसका पूरा खिलाडी था,

हाँ भाई बहन के रिश्ते के नाते कुछ बहन की कच्ची कोरी उमर के नाते लेकिन अब दो बार कस कस के चोद लेने के बाद, ...


खूंटा अब पूरा खड़ा हो चुका था,, उसने साइड में लेटे लेटे ही,...



साइड में बहन की जाँघों को पूरा फैलाया, एक हाथ से पकड़ के अपनी टांग के ऊपर, अब खूंटा सीधे बिल के पास, ... एक हाथ में तेल लेके एक बार फिर से कस के अपने लंड को मुठियाते हुए उसे तेल से चुपड़ दिया,... दो बार की हचक की चुदाई के बाद चूत का मुंह थोड़ा खुल गया था पर फिर भी एक हाथ की ऊँगली से दोनों फांको को फैला के , सुपाड़ा सटा दिया,...




और बस एक करारा धक्का और आधे से ज्यादा मोटा सुपाड़ा बहन की बुर के अंदर,... और बहन की बुर ने उसे भींच लिया कस के .

दो बार की मलाई और कडुआ तेल से गीता की बुर चप चप कर रही थी।




इसलिए सुपाड़े को घुसने में उत्ती दिक्क्त नहीं हुयी, दो तीन धक्के और पूरा सुपाड़ा अंदर पैबस्त हो गया, गीता की बिल में लेकिन एक बार फिर से तेजी से दर्द की लहर उठी और वो उसे पी गयी लेकिन उसे इसका इलाज मालूम था और उसने अपने होंठ भैया के होंठों पे रख दिए , अरविन्द को और इशारा करने की जरूरत नहीं थी , जीभ की नोक से उसने बहिना के रसीले गुलाबी होंठों को खोल दिया और अपनी जीभ बहन के मुंह में पूरी अंदर तक घुसेड़ दिया।




यही स्वाद तो हर बहन चाहती ,है नीचे वाले मुंह में भैया का खूंटा धंसा हो और ऊपर वाले मुंह में भैया की जीभ। अरविन्द ने अपने होंठों से उसके होंठों को एकदम सील करदिया था , कभी बहन के होंठों को चूस चूस के उसका रस लूटता तो कभी हलके से दांत गड़ा देता,

बेचारी गीता सिसक भी नहीं पाती पर इसी बेबसी के लिए तो हर बहन तरसती है, और वो चाहती भी यही थी की भैया के जीभ का रस उसे मुंह के अंदर मिले।


उसे कस के दबोच के उसके भाई अरविंद ने चार खूब करारे धक्के लगाए , अब तो बहन चाह के भी चीख नहीं सकती थी , लंड आधे से ज्यादा घुस गया, और उसने धक्का लगाना रोक दिया , एक हाथ कस के बहन के जोबन का रस ले रहा था तो दूसरा क्लिट की हाल चाल,

गीता गरमा रही थी, और वो समझ गयी थी उसे क्या करना है , भैया क्या चाहता है उससे,



वो भी भाई को कस के पकडे थी, और गाँव की लड़की ताकत में किसी से कम नहीं , बस कस के उसने भी भाई पर अपनी बाँहों की पकड़ बढ़ाई और कस के धक्का मारा, पहली बार तो कुछ नहीं हुआ लेकिन दो चार धक्के के बाद लंड इंच इंच कर के उसकी बुर में सरक सरक के अंदर जाने लगा,... बुर उसकी दर्द से फटी जा रही थी लेकिन पहली बार वो खुद धक्के मार मार के इस बदमाश मोटू को घोंट रही थी।

लेकिन आठ दस धक्के के बाद उसकी कमर थकने लगी,...

कुछ देर दोनों रुके रहे पर अब भाई ने नंबर लगाया लेकिन बजाय अंदर पेलने के वो धीरे धीरे सरका के बाहर निकाल रहा था , गीता से नहीं रहा गया,... और अब एक बार उसने धक्को की जिम्मेदारी सम्हाल लिया और जितना बाहर निकला था वो एक बार फिर से अंदर,...


बारिश तेज हो गयी थी , और हवा का रुख बदल गया था।




खुली खिड़की से तेज बौछार अब पलंग पे आ रही थी और दोनों भाई बहन भीग रहे थे, लेकिन जोश में कोई कमी नहीं थी। जैसे बारिश में भी सहेलियां , ननद भौजाई , सावन में भीगते हुए भी झूले का मजा लेती रहती हैं, ... उसी तरह दोनों बारी बारी से झूले की पेंग की तरह धक्के लगा रहे थे, जल्दी किसी को नहीं थी , भाई दो बार बहन की बुर में झड़ चुका था वैसे भी वो लम्बी रेस का घोडा था , बीस पच्चीस मिनट के पहले और अबकी तो तीसरा राउंड था,...

और बहन भी अब दर्द की दरिया पार कर सिर्फ खुल के मजे ले रही थी और समझ रही थी की नयी नयी आयी भौजाइयों को क्यों रात होते ही नींद आने लगती है , जम्हाई भरने लगती हैं पिया के पास जाने को।

आठ दस मिनट के बाद ही अबकी पूरा मोटू गीता के अंदर घुसा , लेकिन एक बार जैसे ही बच्चेदानी पे धक्का लगा , गीता कापने लगी, झड़ने लगी , पर भाई अबकी रुका नहीं , दोनों हाथों से उसने कस के बहन की चूँची पकड़ के , पहले तो कुछ देर तक मसला और जैसे ही बहन का कांपना रुका , एकदम तूफानी धक्के ,...



हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे , आलमोस्ट पूरा लंड बाहर और फिर रगड़ते दरेरते चूत फाड़ते पूरी ताकत से बहन की बच्चेदानी पे जबरदस्त चोट मारता और बहन काँप जाती, कुछ दर्द से लेकिन ज्यादा मजे से,... दस पंद्रह मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद जब गीता झड़ी तो साथ साथ उसका भाई अरविन्द भी उसकी चूत में


दोनों थोड़ी देर में ही नींद में गोते लगा रहा थे, देस दुनिया से बेखबर। भाई बहन तीन बार के मिलन के बाद खूब गहरी नींद,..

Jabardast update studded with amazing gifs 👌👌👌👌👌👌👌👌👌🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
 

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
46,525
48,353
304
update posted, please do read and share you view on my debut in incest story,...
PERFECT DEBUT
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
💯💯💯💯💯💯💯
 

Shetan

Well-Known Member
15,026
40,252
259
छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

holi-b39173c37b898b54fd8338d429dcb730.jpg


यह कहानी सीक्वेल है, मेरी एक छोटी सी लेकिन खूब मज़ेदार और गरमागरम होली की कहानी, मज़ा पहली होली का ससुराल में, जी अभी उसकी लिंक भी दूंगी , उसके पहले पेज को रिपोस्ट भी करुँगी, लेकिन उसके पहले इस कहानी की हलकी सी रूपरेखा, जिस कहानी से जुडी है ये कहानी दो चार लाइनें उसके बारे में,

तो इस कहानी में, जुड़ाव बनाये रखने के लिए, पहली कहानी के दो चार प्रसंग, जिनसे
छुटकी का और इस कहानी के जुड़े चरित्रों का जुड़ाव है वो पूर्वाभास के तौर पर दूंगी, जिससे छुटकी और उसके जीजा की होली, कैसे और क्यों आयी छुटकी अपनी दीदी के गाँव में , वो सब कुछ कुछ साफ़ हो जाए,

holi-913cc90dd777bbc54ed8e59f52b83d66.jpg


हालांकि मैं तो चाहूंगी की इस होली में आप मूल कहानी को भी एक बार पढ़ लें, अगर पढ़ी हो तो भी तो थोड़ी फगुनाहट, होली का सुरूर चढ़ जाएगा, लेकिन चलिए मैं दो चार बातें उस कहानी के बारे में भी बात देती हूँ, जिस का यह सीक्वेल है.

मज़ा पहली होली का ससुराल में, शादी के बाद की मेरी पहली होली की कहानी है , इनकी भी। मेरी ससुराल में ननदों , ननदोई, देवरों और सास के साथ कैसी पहली होली हुयी और इनकी अपनी ससुराल में सालियों, सलहज, और सास के साथ कैसी होली पड़ी दोनों ही. चलिए पहले पात्र परिचय करा दूँ, फिर आगे की बात , तो ससुराल में मेरे ये है और इनकी दो बहनें , एक शादी शुदा जो होली में नन्दोई जी के साथ अपने मायके आयी थीं, मेरी ही समौरिया, और दूसरी छोटी ननद , जो मेरी छोटी बहन, छुटकी जैसी ही. देवर कोई नहीं है, लेकिन होली में तो सारा गाँव नयी भौजाई के लिए देवर हो जाता है, और मेरी जेठानी और सास। मायके में मेरी माँ, और दो छोटी बहने, मंझली जो बोर्ड का इम्तहान दे रही थी और छुटकी, उससे छोटी।

holi-w-faf32bcbc1116a18bf7e4e56d60de6da.jpg



तो पहले दिन की होली मैंने अपनी ससुराल में मनाई और उसी शाम को ट्रेन से हम लोग इनकी ससुराल को चल दिए, और अगली सुबह वहां मेरी दोनों छोटी बहने इनसे होली खेलने के लिया एकदम बौराई थीं, और मेरी सगी तो नहीं लेकिन सगी से बढ़कर, भाभी, इनकी सलहज भी अपने नन्दोई का साथ दे रही थी। तो ससुराल में पहले दिन ही इन्होने अपनी मंझली साली का नेवान कर दिया, रात में सास के साथ सफ़ेद पिचकारी वाली होली खेली, और अगले दिन छुटकी की दो सहेलियां आयी थीं, उन दोनों के साथ, ... छुटकी बहुत घबड़ा रही थी, लेकिन उसकी भाभी,... अपने नन्दोई के साथ मिलकर तो होली में किस साली की बचती है, अगर ननदोई सलहज एक साथ हो जाएँ तो उसकी भी नहीं बची.

ये चाह रहे थे की छुटकी हम लोगों के साथ चले, और इनके साथ मेरे नन्दोई भी, मैंने छुप के दोनों का पूरा प्रोग्राम सुना था. पर इनकी सास तो अपने दामाद से भी दो हाथ आगे थीं , वो खुद,... तो दो दिन एक रात जो ससुराल में इन्होने बितायी होली की मस्ती के साथ, और अगली रात को जो हम इनके गाँव लौटे तो साथ में इनकी छोटी साली भी,

बस तो ये कहानी उसी ट्रेन यात्रा से शुरू होती है,...

holi-79f3782a62685c4e0a419bbedaa358ab.jpg


तो आशा रहेगी, मुझे आपके साथ की, प्यार की दुलार की और आपके कमेंट्स की , जो हर कथा यात्रा के लिए पाथेय की तरह है,....

तो बस शुरू करती हूँ और सबसे पहले जिस कहानी का यह सीक्वेल है उसका पहला पन्ना , एक झलक के तौर पर,




पूर्वाभास - पृष्ठ १ और २

भाग १ -पृष्ठ ५

भाग २ पृष्ठ ८

भाग ३ पृष्ठ १३

भाग ४, पृष्ठ १९


भाग ५ - पृष्ठ २२

भाग ६ --पृष्ठ २९ -३०

भाग ७ पृष्ठ ३५

भाग ८ पृष्ठ ४०

भाग ९ -पृष्ठ ४६

भाग १० --पृष्ठ ५०

भाग ११ - पृष्ठ ५३

भाग १२ - पृष्ठ ५८

भाग १३ -पृष्ठ ६२

भाग १४ पृष्ठ ६६

भाग १५ पृष्ठ ७२


भाग १६ -पृष्ठ ७६

भाग १७ -पृष्ठ ८१

भाग १८ - पृष्ठ ८७

भाग १९ - पृष्ठ ९१

भाग २० -पृष्ठ ९३

भाग २१ - पृष्ठ ९९

भाग २२ पृष्ठ १०३


भाग २३ पृष्ठ १०९

भाग २४ पृष्ठ ११३

भाग २५ पृष्ठ १२१



भाग २६ पृष्ठ १२७

भाग २७ पृष्ठ १३२




भाग २८ पृष्ठ १३६ -इन्सेस्ट की शुरुआत
Komalji ab koi new story bhi likho please ye sari story to bahot pahele se hi padh chuke he. Kuchh aur bhi likho
 

komaalrani

Well-Known Member
22,209
57,779
259
Komalji ab koi new story bhi likho please ye sari story to bahot pahele se hi padh chuke he. Kuchh aur bhi likho
ye story nayi hi hai, aapne pahle kahan padh li, ?😯😯
 

komaalrani

Well-Known Member
22,209
57,779
259
Last Update is on last page
 

Shetan

Well-Known Member
15,026
40,252
259
Komalji aap ki bahot badi fan hu me.har story ko 3, 4 bar puri padh chuki hu.
 
  • Like
Reactions: motaalund

Shetan

Well-Known Member
15,026
40,252
259
ye story nayi hi hai, aapne pahle kahan padh li, ?😯😯
Fir sayad mujse galti hui. Me kuchh aur samaz kar najar andaz kar rahi thi. Chalo start karti hu.
 
  • Like
Reactions: motaalund
Top