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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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लंबी रेस का घोड़ा और घुड़सवार भी माहिर...ekdam start thoda slow hai lekin uske baad to sidhe chauthe gear men jata hai aur lambi race ka ghoda bhi hai,..
और भी बहुत कुछ सिखा दिया... साथ हीं गितवा का हिंट भी दे गई...Aur isi khushi m use kuwari kali ka RAS peena sikha diya..![]()
माँ को अपने पुराने दिन याद आ गए होंगे कि कैसे अपने भाई के साथ...Yahi to, sb itta accha chal raha tha lekin![]()
गितवा पहले तो कसमसाएगी फिर मजे से अपने पैरों से भींच लेगी... बाँहों में दबोच लेगी... और कहेगी कि अब तक कहाँ छुपा था...Is trick me to kheli khai ko Din me taare dikh jate hai, bechari geeta ka kya hoga
यही तो, गीता को ऐसी कस के डांट पड़ी,. भाई बहन सोच रहे थे अब दस दिन तक मस्ती, लेकिन जो कहते हैं न चार दिन की चांदनी,..अरे माँ जल्दी कैसे आ गई... वो तो अपने भैया से ... नइहर गई थी...
क्या उनकी भाभी वापस आ गई...
और गितवा को हीं डांट पड़ी... क्या माँ की भी नजर बेटी को सौतन के रूप में....
हाँ ... सही गेस किया कि पहले उकसा कर क्यों नहीं किया ये सब... इसलिए देरी की सजा मिली पिटाई के रूप में....Maa ne geeta ko is baar pr peeta hoga ki pehle kyun nhi kiya yeh sab
भुगते नहीं भोग लगाए... मस्त भोग...ekdam, lekin vo bhi to Bhai ko chidha aur chadha dono rahi thi, ab bhugte
Thanks for regular comments aur ab aap last post tak update ho gaye, nice will be waiting for your regular comments on both stories, thanks again
अरे पहले वाली और इसमें अब तक लगभग दो सौ पेज से ज्यादा नया रीडिंग मैटेरियल कोमल रानी ने पेश कर दिया है...Actually JKG mene PDF se padh li hai purani wali, jab kahani wahan se age badhegi tb yeh wali bhi pdenge
कुछ अंतराल बाद पढ़ने पर हर बार नया रस मिलता है...Komal Ji, aapki kahaniyon me dubara bhi padho to ekdam fresh sa lagta hai, aap Munshi Premchand hai Erotic lekhan me